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हर अपडेट को पढ़कर रेटिंग के जरिये बताएं कैसा लगा
बिल्कुल रियल रेटिंग देना
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बिल्कुल रियल रेटिंग देना
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Bahot khoob
मैं खड़ी हुई और कटोरी में तेल गर्म किया और पहुंच गई छपरे में जहां बापू ने बिस्तर लगा रखा था जैसे आज ही सुहागरात मना लेंगे बिटिया के साथ
मैं पलंग पर बैठ गयी और बापू की लुंगी को साइड करके पैरों पर तेल डालने लगी
तेल डालकर में पैरों की मसाज करने लगी 10 मिनट अच्छी तरह मालिश करके में "बाबू हो गयी अब चलती हूँ"
बापू:- बिटिया कहाँ चल दी ऊपर तो की ही नही
मैं:- ऊपर कहाँ बापू
बापू:- जहां उस दिन की थी बिटिया।
मैं:- अच्छा जी वहां भी करनी है क्या ?
उसके लिए आपको लुंगी खोलकर फेंकनी होगी बापू
तभी तो करूंगी ओर बेशर्म बनकर लेट जाओ
बापू ने लुंगी खोलकर साइड में रख दी और कुर्ता ऊपर कर दिया
"अहह बापू कैसे बापू हो जवान बेटी को गधे जैसा एक हाथ का लोडा दिखा रहे हो शर्म नही आती मैं हंसती हुई बोली
बापू:- क्या करूँ बिटिया अब जैसा भी है यही है
खूब चोदा होगा मेरी माँ को इस काले लन्ड से है ना बापू ?
बापू:- अहह बिटिया वो भी क्या दिन थे।
मेने बापू के लौड़े को पकड़ा और उसपर ढेर सारा तेल लगाकर बापू के साइड लेट गयी।
मैं बापू से चिपककर "क्यों मचल रहा है ये, क्या चाहता है मुझसे ये बदमाश बापू ?
बापू:- अहहहहहह मालिश चाहता है बिटियाययययय
मैं:- अभी कर देती हूं अपने बापू के काले मोटे लौड़े को शांत
बापू:- अहहह ये गर्म बाते तुम्हारी पागल कर देती हैं।
मैं:- बापू आज बताओ इस बड़े लन्ड का राज उस दिन तो तुमने मना कर दिया था।
में लन्ड मुठियाती बोली।
बिटिया बात उन दिनों की है जब में जवान था और मेरा एक दोस्त था सतनाम। मेरी शादी को कोई 3 महीने थे।
उसने बोला कि वो मुझे ऐसी दवाई दिलाएगा जिससे मेरा ये बड़ा और ताकतवर हो जाएगा।
मैं:- ये क्या बापू नाम लेकर बोलो।
बापू:- ल..लल्ल..लन्ड बिटिया
अच्छा आगे बताओ, मैं लौड़े को निरंतर मुठियाते हुए बोली।
फिर वो मुझे एक बाबा के पास ले गया और बाबा ने मुझे 2 महीने की दवा दी जिसमे तेल और कुछ जड़ी बूटियां थी।
मेने वो खाई ओर तब से ये लन्ड ऐसा हो गया है।
मैं:- बापू तुमने माँ की ऐसी तैसी कर दी होगी ना फिर सुहागरात में, इतना बड़ा कोंन झेल पाएगी।
बापू:- बिटिया एक बात बताओ क्या तुम्हें मेरे मुँह से सुनना अच्छा लगता है मतलब मैं तुम्हारा बाप ओर तुम मेरी बेटी
ऐसा कहीं होता होगा क्या जो हम कर रहे हैं
मैं:- हम प्यार कर रहे हैं एक दूसरे की कद्र कर रहे हैं। दुनियां वैसे भी मतलबी है बापू बस एन्जॉय करो फिर तो मैं पराई हो जाऊंगी
फिर तड़पते रहना इस लन्ड को लेकर
बापू:- बिटिया तुझमे तो मेरी जान बस्ती है मेरी लाडली, तुम्हारे साथ होता हूँ तो नशा सा चढा रहता है।
मैं:- बिटिया किसकी हूँ बापू, नशा तो आपका भी कम नही है
पता है कैसे गुजारे हैं 3 दिन मेने इस लौड़े के बिना
जी चाह रहा था इसको उखाड़ कर अपने पास रख लू ओर खूब निचोड़ निचोड़ ओर पानी निकालू
बापू:- किसका
मैं:- लौड़े का ओर अपनी गर्म चुत का
बापू:- अहह बिटिया गर्म कर दिया अब जोर से हिलाओ
मैं:- बापू तुमने क्या क्या सोचा इन 3 दिन मैं तुम्हारा भी दिल किया होगा मुझसे लोडा हिलाने को
बापू:- अहह हा बिटिया मन ही नही लग रहा था सब खाली खाली सा लग रहा था। तुमने पता नही क्या कर दिया बिटिया
मैं:- अब बताओ ना बापू मां को कैसे कैसे ठोका इस बड़े लन्ड से
बापू:- बिटिया हमने खूब प्यार किया तुम्हारी माँ भी थक जाती थी कहती थी दर्द हो रहा है
मैं:- गधे जैसा लन्ड झेलना आसान है क्या मां को कितना दर्द हुआ होगा, पर आपको क्या आप तो बस ठोकने में लगे हुए थे
बापू एक आखरी सवाल "क्या आपने माँ का पिछवाड़ा भी मारा था क्या ?
बापू:- नही बेटी, तुम्हारी माँ ने कभी करने नही दिया।
मैं:- बापू सच बताना उस दिन मैं काम कर रही थी तुमने मुझे पीछे से देखा था क्या
बापू:- नही तो बिटिया
मैं:- वाह अब झूट भी बोलने लगे, मैं जा रही हूं मुझे नही हिलाना आपका लोडा, सच बताओ
बापू:- बिटिया गलती से देखा था एक दो बार बस
मैं:- केसी लगी
बापू:- क्या बिटिया
मैं बापू के लौड़े तेज तेज हिलाती हुई उसके कान में "अपनी बिटिया की गदराई गांण्ड बापू"
आह्दह मेरी बिटिया धीरे धीरे हिलाओ अब उखाड़ ही दोगी क्या इसको।
अच्छी है बिटिया कोई कमी नही है।
मैं:- बापू जब भी मैं आपका लौड़ा हिलाती हूँ मेरिई गांण्ड मै खुजली होती है, क्या में गांण्ड खुजला लू बापू ?
बापू:- करलो बिटिया
मैं:- मैंने सलवार का नाड़ा थोड़ा ढीला किया और हाथ अंदर घुसाकर गांण्ड का छेद खुजाने लगी, उसपर उंगली फिराने लगी
दूसरी ओर बापू का लन्ड हिलती रही।
मेने माहौल को ओर गर्म करने के लिए "बापू मैं क्या कर रही हूं बताना जरा
बापू:- मुझे नही पता शर्म आती है नाम लेने से
मैं:- बापू अगर शर्म ही करनी है तो में जा रही हूं, अब कोनसा हम सत्संग में बैठे हैं।
बापू:- ऐसे नाराज मत हो बिटिया
मैं:- कसम खाओ कभी शर्म नही करोगे, खुलकर मजा लोगे।
मैं जो भी पुछु उसका जवाब एकदम साफ साफ दोगे। बोलो मंजूर है वरना में चली।
बापू:- अब तुमने छोड़ा ही क्या है ठीक है मैं अबसे तुम्हारी हर बात मानूंगा बिटिया।
मैं:- हॉं ये हुई ना बात। अब बताओ मैं क्या कर रही हूं।
बापू:- मेरा लन्ड को हिला रही हो बिटिया।
मैं:- धत्त पागल वो नही, मैं अपनी गांण्ड में क्या कर रही हूं वो बताओ बापू
"तुम खुजली शांत कर रही हो अपनी गांण्ड की
मैं:- अहह बड़ा मजा आ रहा बापू मे अपनी गांण्ड पर उंगली फिरा रही हूँ बापू, अब मेने छेद पर उंगली रख ली बापू,
अहह बापू क्या में थोड़ी सी उंगली अंदर डाल दु अपनी कुँवारी गांण्ड में बापू ? बताओ ना थोड़ी सी डालूंगी अंदर की खुजली मिटाने के लिए।
बापू:- ओह्ह बिटिया मत डालो लग जायेगी तुम्हे बिटिया आह्दह तेज हिलाओ ना मेरा लन्ड बिटिया
बापू घुस गईईईईई अब तो आह्दह मेरी गांण्ड बापू घुस गई मेरिई उंगली दर्द हो रहा है बापू
बापू ने मेरा हाथ पकड़ा और खींच लिया ओर बोले मत कर बिटिया लग जायेगी तुम्हारी गांण्ड में
मेने अपनी गांण्ड वाली उंगली को बापू को दिखाती हुई अपनी नाक से लगाई और सूंघने लगी।
बापू मुझे लाल लाल हवस की आंखों से देखने लगे वो भी मेरी उंगली की महक लेना चाहते थे।
"बापू ऐसे क्यों देख रहे हो तुम भी सूँघोगे क्या मेरी गांण्ड की महक को बापुऊऊऊऊ
"आह्दह बिटिया सुंघा दो केसी महक है मेरी बिटिया की गांण्ड कीहहहहहहहहहह अहह सुंघा दो ना बिटिया मैं तड़प रहा हूँ
मैं:- बापू मत सूँघो हो सकता है तुम्हे अच्छा ना लगे बापू मत सूँघो
बापू:- मैं क्यों नही सूंघ सकता बिटिया, मैं सूंघ लूंगा बिटिया सब सूंघ लूंगा अहह मेरा लन्ड अब फटने वाला है बिटिया ऐसे ही हिलाओ इसे जोर जोर से।
मैं बापू के कान में "बापू उंगली गन्दी है इसपर मेरी हगवास भी लगी हो सकती है बापू, तुम्हे पता है ना में वहां से हगवास निकालती हु बापुऊऊऊऊ
ये बात कहते हुए में इतनी उत्तेजित हो गयी कि बापू के लौड़े को उसके पेट से चिपका दिया और खुद उसके ऊपर बैठ गयी। मेने लोअर डाल रखा था और पैंटी में रात में पहनती नही थी।
अब बापू का लोडा मेरी चुत की फांको के बीच मे था ओर में बापू के ऊपर बैठ कर आगे पीछे होने लगी। बापू का लोडा पूरी तरीके से लोअर के ऊपर से मेरी फांको के बीच महसूस हो रहा था।
बापू इस नए मजे को समझ नही पा रहे थे उसे यकीन नही था कि मैं अपनी चुत उसके लौड़े से घीसूगीं
मैं ऊपर बैठी हुई झुक गयी और बापू के चेहरे के बिल्कुल ऊपर मुँह करके आगे पीछे होने लगी।
बापू ने मेरी कमर को थाम लिया और आगे पीछे होने में मदद करने लगे।
अहह बहुत उत्तेजित माहौल था में अपनी प्यासी चुत को बापू के काले मोटे लौड़े से घिस रही थी। चुत का पानी रिसता हुई लोअर तक आ रहा था और लौड़े को ओर ज्यादा फील आ रहा होगा चुत पर।
ओर में गांण्ड वाली उंगली को देखने लगी फिर उसको बापू को दिखाने लगी
मैं:- बापू यही वो खुशकिस्मत उंगली है जो आपकी बिटिया की गर्म गर्म छेद को टटोल कर आई है उसमे घुसकर आई है बापुऊऊऊऊ, यही उंगली घुसी है बापू समझ रहे हो ना इस उंगली की किस्मत को बापुऊऊऊऊ
"अहह बिटिया सुंघा दो अपनी उंगली को, केसी महक है मेरी बिटिया आह्दह मेरी बच्ची की गांण्ड केसी है
मैं:- बापू मत सूँघो सायद गन्दगी लगी होगी इसपर बापू, मेरी गांण्ड की गंदगी बापू, मेरा गांण्ड की गंदगी भी सूंघ लोगे क्या अब बापू बताओ मुझे, अपनी राधा बिटिया की गंदगी सुंघनी है क्या बापू
बापू:- हाँ सुंघनी है मेरी बच्ची सुंघनी है मैं सब कुछ सूंघ लूंगा मेरिई बिटिया।
मैं:- ओह्ह बापुऊऊऊऊ पागल मत बनो बिटिया की गांण्ड सूँघोगे अब तुम, अच्छा चलो सूंघ लेना कभी मेरी गांण्ड में नाक लगाकर
खूब सूंघना बापुऊऊऊऊ बिटिया की गर्म गांण्ड को मेरे बापू
बापू:- मुझे इंतजार रहेगा बिटिया अब मैं झड़ने वाला हूँ बिटिया अपनी चुत की रगड़ तेज करो।
मैं:- बापुऊऊऊऊ मैमेमेमेमेमेमे तुम्हारे काले लन्ड से गर्म हो गयी हूँ। बापू तुम्हारा लोडा मुझे बेचैन कर रहा है मेरी चुत को चूम रहा है, मेरी गर्म चुत का पानी निकाल रहा है।
अहहहह बापुऊऊऊऊ में गईईईईई मैं गईईईईई बापुऊऊऊऊ
ओर मेरी चुत से कामरस का फव्वारा छूट गया जिससे बापू के लोडा बर्दास्त नही कर सका और उसने भी पानी निकाल दिया।
में बापू के साथ चिपकी हुई झड़ने का आनंद लेने लगी
दोनों बाप बेटी का वीर्या जब अच्छी तरह निकल गया तो मैं
बापू के साइड लेट गयी और नार्मल होने लगी।
5 मिनट के बाद "बापू कैसा लगा आज का रगांरंग कार्यक्रम मजा आया कि नही
बापू:- अहह बस पूछो मत बिटिया सारी थकान दूर हो गयी।
मैं:- हाँ तुम्हारी थकान के चक्कर मे मेरे कपड़े गन्दे हो गए, अब नहाना पड़ेगा।
बापू:- नहा लो बिटिया, मैं भी नहा कर लेटूंगा सब चिपचिपा हो गया है।
"चलो फिर दोनों साथ नहाते हैं नंगे क्या कहते हो बापू ?
बापू:- चलो बिटिया मैं तो तैयार हूँ
"बेशर्म बापू जवान बेटी के साथ नहाओगे कुछ ऊंच नीच हो गयी तो, मैं तो कहीं की नही रहूंगी लूट जाऊंगी बर्बाद हो जाऊंगी बापू
बापू:- ऐसा क्या होगा बेटी, ऐसे क्यों बोल रही हो तुम
"ओर नही तो क्या बापू, बिटिया को नंगी देखकर कहीं बहक जाओ और उल्टा सीधा कर बैठो।
बापू:- नही बिटिया में कोई ऐसी वैसी हरकत नही करूँगा। में तो अपनी बिटिया के साथ नहाऊंगा सिर्फ
मैं:- अब बहुत मस्ती हो गयी बाबू अब आराम करो, नहाना हो तो नहा लो मैं जा रही हूं।
बापू:- कहाँ जा रही हो बिटिया थोड़ी देर बात करते हैं ना लेटकर
मैं:- बापू दूसरी शादी करलो जवान बिटिया से चिपक कर नही सोते,
शादी से याद आया बापू मेरे लिए कोई लड़का देख रहे हो या दिन रात अपने लौड़े पर भी रखना है। मैं बापू के बगल में लेट गयी।
बापू अभी भी नीचे से नंगे थे और उनका लन्ड बेजान पड़ा था फिर भी 5-6 इंच लम्बा लग रहा था।
बापू:- अहह बिटिया देख रहा हूँ कोई मिल जाता है तो अच्छे लड़के मिलना कितना मुश्किल है तुम्हे पता है।
मैं:- बापू अच्छा लड़के के साथ साथ उसका हथियार भी मेरे सगे बापू जैसा हो, जो मुझे हचक हचक कर चोद सके बापुऊऊऊऊ
बापू:- बिटिया मुझे कैसे पता चलेगा किसका कैसा है बिटिया, सब किस्मत का खेल है, तुम्हे मेरा लौड़े जैसा क्यों पसन्द है बिटिया, बापू अपने लन्ड को दबोचते हुए बोले
मैं:- क्योंकि बापू तुम्हारे जैसा लोडा ही मेरी बच्चेदानी तक जा सकता है, जो चोद चोदकर मेरा मुत निकाल दे।
बापू:- अहह बिटिया कितनी सेक्सी हो तुम, मेरे जैसे लौड़े पर मूतना है क्या तुम्हें बिटिया। बापू का लन्ड फिर से मचलने लगा जो फिर से तैयार हो रहा था। मानना पड़ेगा बापू अभी अभी बुरी तरह झड़े थे फिर भी इतनी जल्दी दोबारा तैयार हो रहे थे।
मैं:- बापुऊऊऊऊ तुम्हारे जैसे लोडा जब मेरी चुत में घुसेगा तो अपने आप ही मुत देगी, बापुऊऊऊऊ ढूंढोगे ना अपना जैसे लोडा वाला लड़का।
बापू:- पागल मुझे कैसे पता चलेगा किसका कैसा है तुम पागल हो बिल्कुल बिटिया।
मैं:- फिर तो बापू तुम्हारे ही लौड़े को देख देख के तड़पुंगी बापुऊऊऊऊ।
बापू:- बिटिया छोड़ो इन बातों को में फिर गर्म हो जाऊंगा अब थक गया हूँ
तुम भी सो जाओ जाकर कमरे में।
मैं:- बापू में भी यही सोच रही थी अभी अभी माल निकाला है फिरसे नही। 2 दिन में तीन बार झड़ गए बापू, अब में चलती हूँ
अपना ख्याल रखना और इस मोटे काले लौड़े का भी
मैं लौड़े को पकड़कर मरोडती हुई बोली
अहह अब जाओ बहुत बदमाशी हो गयी।।
मैं बापू को छोड़कर कमरे में आ गयी और कपड़े लेकर नहाने के लिए घुस गई गुसलखाने में।
नहाकर में भी नींद की हसीन वादियों में चली गयी एक उम्मीद के साथ कि आने वाला कल आज से बेहतर हो।
सुबह मेने खड़े होकर घर का काम किया और फिर चाय बनाई
उसको कप में करके में बापू को देने छपरे में आ गयी।
बापू बैठ कर हुक्का पी रहे थे।
( बापू की आदत है वो सुबह उठकर हुक्का जरूर पीते, पता नही क्या नशा है इस हुक्के में। जवान बेटी के होते हुए भी हुक्का पीना पड़ रहा है)
"बापू चाय पी लो " मेने बापू को चाय दी जिसको बापू पीने लगे।
बापू पलंग पर बैठे हुए थे और पैर नीचे लटकाए हुए थे।
चाय देकर मैं घर के काम करने लगी।।
उसके बाद मेरी कोई बात बाबू से नही हुई बापू खेतों पर चले गए।
"तभी मुझे पेट मे बहुत ज्यादा दर्द हुआ जो मेरी महावारी के संकेत थे। अहह इसको भी अभी आना था"
मेने पुराने पड़े हुए पेड़ लगाए और सलवार पहनकर कर रोटी बनाने की तैयारी करने लगी।
रोटी बनाते हुए मुझे बापू की याद आने लगी, पता नही उनके साथ अब जो भी करती उसमे इतना मजा आ रहा था कि बस पूछो मत, एक तो मेरे सगे बापू ऊपर से मैं उसकी लाडली जवान बिटिया। बापू को मजा देने में मुझे ऐसा फील होता कि मैं बापू द्वारा किये गए मेरे भरण पोषण का मैं बिल्कुल सही कीमत अदा कर रही हूं।
राधा (बापू की जरूरत)
मुझे बापू से अब प्यार सा हो गया था। उसे गर्म करना उसके साथ कामुक सवांद करना अहह चुत फड़फड़ा जाती।
उसका वो काला मोटा लन्ड कितना मस्त है, है तो काला पर मुझे लुभाने के लिए उसमे सारे गुण थे। मस्त 9 इंच लम्बा ओर 4-5 इंच मोटा, अहहहह क्या चोदते होंगे बापू माँ को, चुत तो कस लेती होगी बापू के लौड़े को।
मुझे काजल ब्लू फिल्म भी दिखा देती थी जिसमे मेने बापू जैसे काले लन्ड वाले हब्शियों को देखा था कैसे हम उम्र की लड़कियों को कैसे पटक पटक कर चोदते है। कई कई वीडियो में तो लड़की चुदती हुई मुत देती (squirting)
जब मैने बापू के लौड़े को पहली बार देखा तभी से मुझे चुल मची की बस बापू को मजा देना है और उनसे ही अपनी कामुक फैंटेसी को अंजाम देना है।
बापू भोले भाले है उनमें अभी भी शर्म बाकी है, खुद तो कभी मांगते नही मुझे ही सब करना पड़ता है।
मैं चाहती हूं कि बापू मुझपर हक़ जामाये, मुझे डोमिनेट करे, मुझे तडपाये। ताकि मैं बापू को अपनी जवानी हर एक आखरी कतरा न्योछावर कर दु। मुझे अपने पति को कुछ भी नया नही देना। कैसे दु उसको वो अनजान आदमी हमारी जिंदगी में आता है एक रस्म के नाम पर ओर हमे ले जाता है अपने घरवालों अपने चाहने वालो से दूर। क्या हमारे घर वाले का इतना भी हक़ नही होता कि वो थोड़ा बहुत हमारी जवानी को चख सके, आखिर उन्होंने एक बीज को 20-22 साल तक सब्र के साथ बड़ा होता देख है इस उम्मीद के साथ कि एक दिन यही बीज बड़ा होकर एक फल बनेगा और हम इसका लुफ्त उठा सकेंगे, चख सकेंगे, भोग सकेंगे
मेने पूरी तरह अपने आप को बापू के लिए तैयार कर लिया है, बापू मेरे है ओर मैं बापू की।
घर छोड़ने से पहले में बापू के साथ हर सुख, हर कामुक क्रीड़ा का खेल खेलना चाहती हूं। मेरे मन मे पनपी हर वो फैंटेसी जो बुरी हो अच्छी हो सब बापू से पूरी करूंगी।
जो अजब सी प्यास इन 23 सालों में पनपी है उसे बापू से बुझाऊंगी। बापू तैयार हो जाओ एक कामुक युद्ध के लिए जिसमे तुम्हारा काला मोटा लोडा ओर मेरी लम्बी गहरी चुत ओर गांण्ड का वो गुलाबी छेद जिसकी में खुद दीवानी हूँ उससे सामना है आपका।
बापू मुझे अब हुक्म दीजिए, डोमिनेट करिए, तड़पाइये जो करना है करो पर ऐसे पेश आओ की मैं तुम्हारी दासी हूँ।
इन्ही बातों को सोचकर खूब गीली हुई और रोटी बनाकर चुत धोई ओर काजल के घर के लिए निकल गयी।
बापू को रोटी रखकर में काजल के पास पहुंच क्योंकि आज संडे था तो जल्दी ही आ गयी उसकी बकवास बातें सुनने जो अब अच्छी लगने लगी थी