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Incest अम्मी vs मेरी फैंटेसी दुनिया

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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सभी सम्मानित नागरिकों को सुचित किया जा रहा है
परसों देर रात आपके भाई का चार लोगों ने जबरन पकड़ कर
तिलक कर दिया है , तबसे घर से बाहर आना जाना नहीं हो पा रहा है
मक्खियों के जैसे कजिन्स और कजिंसीया पूरा दिन आगे पीछे भिनभिना रही है , मोबाइल खोलने तक की फुरसत नहीं हो पा रही है । ऐसे में अपडेट न लिख पा रहा हु और जो है उसे पोस्ट करने की फुरसत नहीं है ।
अभी भी पाखाने के बाहर दरवाजा पीटा जा रहा है , हगने भी नहीं दे रहे है
घुइयां के बीज सारे:buttkick:

अत: आप सभी बंधुओ से निरोध है कि अगर इधर दो चार रोज में अपडेट देने में सक्षम रहा तो जरूर मिल जाएगा
अन्यथा क्षमा प्रार्थी रहूंगा ।
सारी कहानी
फेरे और सुहागरात के बाद ही बढ़ेगी ।


आपके बधाईयों की प्रतीक्षा रहेगी
सुहागरात के लिए चियरअप जरूर करिएगा 🙏
आपका बड़े लौड़े वाला छोटा भाई
DREAMBOY40
 
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UPDATE 005
MOMMY


अगली सुबह मैं ऑफिस के लिए निकल गया था और अजीब बोरियत सी लग रही थी ।
तभी अलीना का फोन आया

: कुछ भेजा है मैने देखो ( पूरे हक से वो बोली )
मैंने मोबाइल खोला और व्हाट्सएप चेक किया तो तस्वीरें शेयर की हुई थी
जैसे ही मैने उनको ओपन किया मेरे होठ मुस्कुरा उठे ।
अभी अभी वो उठ कर बाथरूम में ब्रश करने गई थी ।

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: अच्छी है ना , देख कर डिलीट कर देना ( वो चहक कर बोली)
: नही मै तो फ्रेम करवाने वाला हु इसको ( मैने उसको चिढ़ाना चाहा , मगर मेरी निगाहें उसकी नाइट सूट से झांकती गोरी गोरी मौसमियो पर थी )
: हिम्मत है तो मेरी डीपी लगा के दिखाओ व्हाट्सएप पर तो जानू
: अच्छा जी डेयर दे रही हो
: हा दिया , लगा कर दिखाओ पूरे 24 घंटे के लिए
: नही वो अब्बू !!
: क्यू फट गई ना फट्टू कही के ( उसने मुझे चिढ़ाया )
: हा जैसे तुम लगा लोगी मेरा ( मैने उसको जवाब देना चाहा )
: मैने पहले ही लगा रखी है हूंह ( वो तुनकी और फ़ोन काट दिया

मै हंसते हुए उसकी व्हाट्सएप डीपी पर अपनी तस्वीर देखने लगा जो उसने कल ही खींची थी ।
तभी उसका एक और मैसेज आया
"dekh kar delete kar dena 😘😘"

: देख कर डिलीट कर देना
: क्या ? लेकिन क्यू
: तेरे अब्बू ने मोबाइल चेक किया ना तो तेरी शामत आयेगी ( अम्मी ने मुझे अब्बू का खौफ दिखाया , जैसे मैं डर ही जाऊंगा । लेकिन उन्हें क्या पता अब तो मेरी सारी मनमानायिया ही उनके भरोसे थी कि कुछ भी हो अम्मी अब्बू को माना लेंगी । )
: आप हो न मनाने के लिए उनको ( मै मुस्कुराया )
वो भीतर से गुस्से से उबली मगर फिर शांत होकर झेप भरी हंसी से खिल उठी कुछ सोचते हुए
: तू बहुत बदमाश हो गया है , क्यू देखता है ये सब फिल्में । भोजपुरी हीरो बनेगा क्या ? ( अम्मी बात बदलते हुए बोली )
: मै तो पहले से ही आपका हीरो हूं ना ( मै खिलखिलाते हुए उनसे लिपटने को हुआ तो वो मुझसे दूर होकर बिस्तर पर ही सोए सोए खिसक गई )
: नही नही मेरे ऊपर मथना नही है , तू जल्दी से खतम कर अपनी फिल्म (अम्मी मुझसे दूर होते हुए साइड बदल कर करवट लेली और उनकी बड़ी सी गाड़ फेल कर मेरे सामने थी )
मेरे पैर मजह कुछ दूरी पर थे अम्मी के गुदाज नरम भारी भरकम चुतडो से , और पैर फैला कर मैंने उन्हें अम्मी के कूल्हों पर टिका दिए जैसे सोफे पर रखते हो

: शानू फिर तू शुरू हो गया ( अम्मी ने खीझ कर बोला )
: अम्मी रखने दो ना ,ऐसे अच्छा लगता है कितना नरम है हिहि ( मैने भी उनके कूल्हों पर हक जताते हुए अच्छे से पैर रख दिया )
: हम्मम तो अब तुझे मेरे कूल्हे नरम लग रहे है बदमाश कही का ( अम्मी फिर सोने की कोशिश करने लगी )
नया नही था मेरे लिए या अम्मी के लिए जब मैं उनके कूल्हों पर पैर रखकर सोया हूं
मगर कल रात को जो कुछ भी मैने देखा मेरे दिल में लालच ने जगह बना ली और जो कुछ भी इरादे मेरे जहन में थे उन्हें सोच कर ही मेरा लंड पूरा तनमनाया हुआ था ।

मूवी तो महज एक जरिया था मेरे जिस्म में एक सिहरन सी उठ रही जब मेरी नंगी एड़ियों के तालु अम्मी की बड़ी बड़ी 48 साइज की चौड़े विशाल चूतड़ों के इर्द गिर्द रेंग रही थी
पूरे जिस्म में एक मदहोश करने वाली मीठी गुदगुदाहट सी उठने लगी थी मानो ,

पैर की उंगलियों से धीरे धीरे करके करीब 10-15 मिंट में कही मै उनके नायाब बड़े भारी भरकम चूतड से उनकी सूट को सरका पाया था । सूती सलवार में से उनकी पैंटी साफ़ साफ़ झलक रही थी जो उनकी चूतड पर में चुस्त कसी नजर आ रही थी ।

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लंड मेरा पूरा फौलादी हुआ पड़ा था और जैसे ही मेरी पैर की उंगलियों ने अम्मी के नरम मुलायम चूतड को सलवार के ऊपर से छुआ एक बिजली सी दौड़ गई मेरे जिस्म में ।
रोम रोम तनमाना गया ,सांसे उफनाने लगी और डर से कलेजा धक धक होने लगा कि अम्मी गुस्से से पलट कर जवाब न दे दे ।
कुछ देर क्या पूरे 10-12 मिंट मैने पैर जड़ किए रखे , सूत भर हरकत नही की मैने और फिर धीरे धीरे पूरी ऐड़ी को अम्मी के गुदाज मुलायम चूतड पर हल्का सा सहलाते हुए गोल में घुमाया ।
अजीब सी चुनचुनाहट भरी तरंगे मेरे पैरो से होकर पूरे जिस्म ने फेल गई और लंड पूरी बगावत पर आ पहुंचा ।
मूवी फुल वैलुम पर चल रही थी , फिल्म की पड़ी ही किसे थी मेरा सारा फोकस अम्मी के फैले हुए गुदाज गुलगुले गाड़ पर था , जिसमे मेरी एडिया धंसी जा रही थी ।
धीरे धीरे मेरी पैर की उंगलियां रेंगती रही और हिम्मत कर मैने अम्मी के बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों को ढलानों पर पैर को ले जाने लगभग दोनो जांघो की सिरो से उनके चूतड जुड़े होते है ।
मेरे पैर के तलवे में वहा की गर्मी महसूस होने लगी थी ।
उस तपीस से मेरा गला सूखने लगा था मेरी नज़रे कभी अम्मी के सर की ओर होता तो कभी मेरे पैरो पर जहा से महज कुछ इंच ही दूर था मैं उनकी चूत की निचली छोरो को छूने से ।



: शानू वहा नही
( मैंने चौक कर उसकी ओर देखा , वो मेरे ऑफिस की एक सीनियर थी )
: फिर कहा मैम ?
: ये यहां पर ( उसने फाइल के कागजात पर मेरे करीब खड़े होकर उंगली रखी , उसके जिस्म से आती परफ्यूम की खुशबू से मुझे बेचैनी होने लगी थी । खुद की संभालते हुए मैने सिग्नेचर बनाया )

: कहा खोए रहते हो आजकल ( अपने लटो को बहुत ही कैजूअली उसने अपने कानों के पीछे कर मुस्कुराते हुए वो बोली)
: वो मै ... ( मै अटक ही गया वही चेयर पर बैठे हुए ही उसकी नीली आंखों में )
: हा बोलो ना ( उसने मुझे अपनी ओर ऐसे देखता पाकर वो लाज से अपनी पलकें झुका ली और मुस्कुराहट से उसके गाल गुलाबी हो उठे )
: वो बस घर की याद आ रही थी ( मै इधर उधर देखने लगा )
: अच्छा , बस घर की ही या घर वाली की हिहिहि ( उसने छेड़ा मुझे )
: हा घरवाली की भी ( मै अम्मी को सोच कर उसकी बातों पर मुस्कुरा )
: तो क्या रिश्ता तय हो गया ( बड़े ही उदास दिल से उसने कहा और कुछ दूरी सी बनाई उसने )
: क्या ? नहीईईई , किसने कहा ? हा रिश्ता आया था मगर मुझे करनी नही थी ( मै हसता हुआ बोला )

एकदम उसके चेहरे की बुझती लाली फिर से खिल उठी । उसके दिल के भाव से मैं क्या पूरा ऑफिस परिचित था । कि रेशमा मैम अगर किसी पर लट्टू है तो शानू ही है । वरना भला कोई सीनियर रैंक की अधिकारी अपने क्लास 3 ग्रेड के मामूली स्टाफ से सिर्फ एक सिग्नेचर के लिए उसके टेबल पर क्यू आती ।

: वैसे आज शाम का क्या प्लान है ? ( रेशमा मैम ने फाइल हाथ में लेते हुए बोली )
: जी वो कुछ भी नही , मतलब कुछ सोचा नही है अभी ( उनके सवाल से मैं लगभग उलझ ही गया था )
: क्या तुम आज मुझे मेरे घर ड्रॉप कर दोगे , वो मेरी कार आज सर्विस के लिए गई है ।
: जी , क्यू नही जरूर ( मै चाह कर भी मना नही कर पाया उन्हे )
फिर वो मुस्कुराती हुई निकल गई ऑफिस से और मैने गहरी सांस लेते हुए अपनी क्रॉस की हुई टांगे खोल दी ।
: ओह बहिनचोद इसके करीब आते ही क्या हो जाता है , क्या नशीली परफ्यूम लेकर घुमती है साला दिमाग काम करना बंद हो जाता है । अभी बोल दिया है तो जाना ही पड़ेगा । ( मै मन ही मन बड़बड़ाया )

: हम्मम ये लो , सारे पेंडिंग कमप्लेन की फाइल ( एक लड़की ने जोर से गुस्से में 4 - 5 फाइलों को मेरे आगे डेस्क पर पटका )
: अरे क्या हुआ सबनम , मैम ने कुछ कहा क्या ( मै उसके परेशान चेहरे की ओर देख कर बोला )
बदले में वो मुझे घूरते हुए बोली : मुझे क्यू बोलेंगी मैम कुछ , उन्हे तो सिर्फ तुमसे ही बात करना पसंद है ना
: ये फाइल्स नोट डाउन हो जाए तो मुझे मैसेज कर देना ( सबनम तुनकती हुई निकल गई अपने डेस्क के लिए)
: अब इसको क्या हुआ , मै हूं क्या भाई सब मुझपर ऐसे हक जताते है जैसे मैं उनका पति हूं ( खुद से बड़बड़ाया )

खैर मैंने सारी फाइल्स नोट डाउन की और उसे मैसेज कर दिया


: sorry
: Mai kya karungi tumhari sorry ka
: Ab kya office me bhi tum aise hak jataogi
: Tum har jagah sirf aur sirf mere ho samjhe mister ( अलीना ने जवाब दिया )
: ok ok , man jaane ka kya logi ?
: Puri raat mere se baat wo bhi video calling 😍
: Bade saste me man gayi yar
: achcha bachchu call karna fir pata lagega , ok bye 😘

मैं मुस्कुरा रहा था और मोबाइल देख रहा था
: चले शानू ( रेशमा मैम मेरे डेस्क के पास आकर बोली )
: अह हा चलिए ( मै मोबाइल जेब में रखता हुआ )


: तुम यहां अकेले रहते हो , अम्मी को बुला क्यू नही लेते अपने , डैड भी तुम्हारे जॉब करते है जब ( बाइक पर बैठी हुई रेशमा मैम मेरे कान के पास आकर बोली )
: वो अब्बू हर वीकेंड घर आ जाते है तो अम्मी कैसे आयेंगी ( मै उदास होकर बोला )
: अरे तो क्या उन्हे अपने बेटे की जरा भी फिकर नही है ( रेशमा थोड़े जज़्बाती होकर तेज आवाज में बोली )
: नही मैम ऐसा नहीं है ( मै दिल में अम्मी को याद करते हुए लगभग रोने ही वाला था )
: आज भी कॉल नही आया ना घर से ( वो मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोली )
: जी , आपको कैसे ? ( मेरी आंखे छलक ही पड़ी)
: सिराज ने बताया ( वो बोली और चुपचाप बाइक चलाता रहा , कुछ ही देर में उनका फ्लैट आ गया )
: आपका घर आ गया मैम ( मैने बाइक रोकी और शर्ट की बाजू से अपना चेहरा साफ किया )
: आओ ना ( वो बाइक से उतरते हुए बोली )
: जी फिर कभी , मुझे घर जाना है ( मै खुद से ही मानो जबरदस्ती करता हुआ बोला )
: ओहो शरमाओ मत और आओ चलो ( वो मेरे बाजू में बाजू डाल कर मुझे बाइक से खींच कर उतारती हुई बोली )
: अरे लेकिन , वो ... ( मै असहज से हस्ते चेहरे के साथ उनके साथ चल पड़ा )
: मैम छोड़िए , कोई देख लेगा ( मै अपने आप को छुड़ाता हुआ बोला )
: हा तो देखने दो , मै नहीं छोड़ने वाली कही तुम भाग गए तो ( वो चहक कर पूरा हक जताते हुए बोली )
: आपको कोई चाह कर भी नही छोड़ना चाहेगा मैम ( मै उनके अदाओं से हारता हुआ खुद से ही बड़ाबड़ाते हुए उनके साथ खींचता चला गया )
: अच्छा अब हम लिफ्ट में है अब तो छोड़िए
: ठीक है , लेकिन भागना मत ( वो मुझे उंगली दिखाती हुई वॉर्न करती हुई हस पड़ी और मैं उसके खिलखिलाते चेहरे को देख कर ठहर सा गया )
मुझे अवाक देख कर वो फिर से शरमाई और अपने लटों को फिर से कानो में उलझाती हुई अपनी पलके नीची कर ली : तुम मुझे ऐसे मत देखो प्लीज

: जी , सो सॉरी वो मै ... ( मै फिर से इधर उधर देखने लगा )
: धत्त बुद्धू इसमे सॉरी वाली बात नही है ( वो आंखे नचा कर मुस्कुराई )
: फिर क्या बात है ( मेरी सांसे धक धक हो रही थी उसके शर्ट के ऊपरी खुले बटन से झांकती उसकी 36 साइज की गोरी गोरी पहाड़ियों की घाटी देख कर )
: वो... कुछ नही , आओ चले फ्लोर आ गया मेरा ( वो लिफ्ट से मेरे आगे निकली और जींस में उसके चूतड भरपूर उभरे हुए थे , गजब की मादक चाल थी । लंड पूरा हरकत में आ चुका था । )
लॉक खोल कर हम हाल में गए , सपने जैसा था मेरे जैसे मिडिल क्लास वाले लड़के के लिए ऐसा अलिसान फ्लैट जो मजह 32000 रुपए माह की तनखाह पर जीवन गुजार रहा हो ।
फिल्मों में ही देखा था ऐसा फ्लैट , चमचमाती फर्श , गलीचा और मुलायम सोफा उसके आगे ग्लास वाली मेज, सोफे के बगल में इंडोर प्लांट और सबसे बढ़ कर मन को भीतर से खुश कर दे ऐसे जादू भरी रूम स्प्रे की महक ।

कंधे से साइड बैग उतार कर उसने सोफे पर रखते हुए : मै चेंज करके आती हूं तुम बैठो

फिर वो किसकी हिरणी की तरह बड़ी अदा से अपने कूल्हे हिलाते हुए कमरे में चली गई ।
मैंने एक गहरी सास ली और हाल के टहल कर घर देखने लगा , ऐसे ही आलीशान घर का सपना देखते बड़ा हुआ था ।



: नही नही अम्मी ये देखो , ऐसे वाला स्विमिंग पूल होगा हमारे बंगले में ( मोबाइल में वीडियो चला कर अम्मी को एक बंगले और स्विमिंग पूल दिखाता हुआ बोला )
: अच्छा और इसमें नहाएगा कौन ( अम्मी अपनी हसी दबाती हुई बोली )
: आप , मै ,अब्बू
: धत्त बदमाश कही का , अपनी अम्मी को खुले में नहलाएगा वो भी ऐसे कपड़ो में ( अम्मी का इशारा स्विमिंग पूल में नहाती उस महिला की ओर था जिसने बिकनी पहन रखी थी और उसके मोटे मोटे दूध और गाड़ भरपूर खिल कर उभरे हुए थे )
: अरे नही ये बंगले में सब प्राइवेट होता है , वहा बाहर का कोई नही आता जाता ( मै अम्मी को समझाना चाहा मन में ये लालच लिए कि काश इस चीज के अम्मी हा कर दें तो उन्हें बिकनी में देख तो पाऊंगा )
: बंद कर इसे अब तेरे अब्बू को पता चला ना , इस घर में भी नहाने को नही मिलेगा तुझे ( अम्मी ने मेरे मजे लिए )



: अच्छी दिख रही है ना
: अह, हा बहुत खूबसूरत ...... ( मै दीवाल पर लगी एक पेंटिंग से नजर हटा कर रेशमा मैम की ओर देखा जो अभी अभी शोवर लेकर निकली थी और मैरून नाइटी में उनका जिस्म मुझे पागल किए जा रहा था ।
उनका एक पैर सोफे पर था और वो आगे झुक कर पैरो में पता नही किसी तरह का लोशन लगा रही थी

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ऊपर उनकी मोटी मोटी चूचियां की घाटी ऐसे लटकी हुई थी मानो अब तब बाहर निकल ही जाए ।

मै नजरे चुराता हुआ गले से थूक गटकने लगा और वो मुस्कुराती हुई किचन की ओर जाने लगी : क्या पियोगे , चाय कॉफी या ड्रिंक ?

: जी , कॉफी चलेगी ( मै मेरे सूखते होठों को जीभ से गीला करता हुआ नाइटी में मटकते उछलते रेशमा मैडम के चूतड़ों को देख कर बोला )
वो लगातार कुछ न कुछ बोले जा रही थी और मैं तो बस उनकी बदन की कामुकता में खोया हुआ था कि मेरे जेब में मेरा मोबाइल वाइब्रेट हुआ
चेक किया तो अलीना के मैसेज

' kaha ho my love .. mommy missing you baby 😘😘 '
इस मैसेज के साथ एक 10 सेकंड का वीडियो भी था ओपन किया तो आंखे फेल गई ।

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अलीना ने भी नाइट गाउन पहन वीडियो बनाई थी और उसके गदराए जोबन के जोड़े आपस में खूब चिपके हुए थे नीचे शॉर्ट गाउन में झांकती उसकी चिकनी टांगे देख कर मैंने अपनी आंखे बंद कर एक गहरी आह्ह भरी और पेंट में फड़फड़ाते लंड को हौले से भींचा ।

: अह्ह्ह्ह्ह क्या गजब की चीज है ( आंखे बंद कर मैने हल्के से बुदबुदाते हुए अलीना को याद किया )
: क्या बोले तुम ( रेशमा मैम हाथ में कॉफी लेकर घुमती हुई मेरे और आते हुए बोली )
: अरे वो आपका घर , कितना गजब है ( मेरी फटी , जरूर इसने सुना ही होगा )
: हम्म्म बैठो और पियो ( वो मेरे करीब आकर बैठते हुए बोली )
मै भी उसके पास ही बैठ गया , एक बार फिर उसके जिस्म से आती वही मदहोश करने वाली परफ्यूम ने मुझे बेचैन करना शुरू कर दिया । लंड तो अलीना ने पहले से ही फौलादी कर दिया था ।

कॉफी पीते हुए वो कप की ओट से मुझे निहार रही थी और मैं नजरे चुरा रहा था ।
: आप अकेली रहती है क्या मैम यहां?
: हा , यहां मेरा है ही कौन , सोच रही हू एक रूम मेट रख लूं
: हा वो सही रहेगा , नही तो अकेलापन बहुत काटता है ( मै उदास होकर बोला )
: तुम भी अकेले ही रहते हो न , तुम ही आजाओ मेरे साथ रहने ( वो मुस्कुराकर बोली )
: क्या मै ? नही नही मै कैसे आपके साथ ? ( मेरी तो फट गई इसने तो सीधे घर में ही बुलाने का सोच लिया )
: क्यू ? किसी का डर है ? ( वो शरारत भरी मुस्कुराहट से बोली )
: नही ऐसी बात नहीं है वो मै इसका रेंट नही दे पाऊंगा और ऑफिस में पता चला तो आपकी इमेज खराब होगी बस इसीलिए ( मै बातों को संभालते हुए बोला , तब तक मेरे मोबइल पर अलीना का एक और मैसेज आया

मैंने हौले से मोबाइल टेढ़ा कर व्हाट्सएप खोला और उसको देख कर मेरा लंड एकदम से फड़फड़ाने लगा

" Come to your mumma my sexy boy 🤤 "

20220508-000121
इस मैसेज के साथ अलीना ने एक और तस्वीर भेजी जिसमे उसने अपने गाउन खोल रखे थे और दोनो बूब्स बाहर , उसके दोनो निप्पल किस्मिश से भूरे दाने एकदम कड़क और चमक रहे थे ।

: अच्छा मिलने तो आ सकते हो न मुझसे ( उसने बड़े खूबसूरत अंदाज में नजरे उठा कर कहा )
: हां? जी ? हा हा आ जाऊंगा ( मै हड़बड़ा कर जेब में मोबाइल रखता हुआ खड़ा हुआ )
: क्या हुआ ?
: वो mommy का मैसेज आ रहा है मुझे घर जाना पड़ेगा कुछ जरूरी काम है ( मै जल्दी जल्दी में वो बोल गया जो नही बोलना था )
: mommy? यू मीन अम्मी राइट ?
: हा हा अम्मी ही है ( मै खुद को संभालता हुआ )
: तो तुम्हारी अम्मी पढ़ी लिखी भी है ( वो कॉम्प्लीमेंट देते हुए बोली )
: अह हा , ये वाली तो है ( मै बड़बड़ाया )
: ये वाली मतलब ? ( वो पूरी कंफ्यूज थी और वही जेब में अलीना ने फोन लगाना चालू भी कर दिया )
: कु कुछ नही मैम , मुझे लेट हो रहा है सॉरी , मेरा मतलब बाय ( मै हड़बड़ाया )
: ओके बाय , आराम से जाना ( रेशमा मैम ने बड़े उदास हॉकर कहा )

फिर कई लिफ्ट से निकलता हुआ फोन पीक किया और बाइक से निकल गया तेजी से अपने रूम के लिए

जारी रहेगी
रोचक अपडेट था मित्र, शानू बेचारा, कहीं वर्तमान तो कहीं अम्मी की यादों के बीच, कहीं रेशमा तो कहीं अलीना के बीच फंसा है देखते हैं और फंसता है या निकल जाता है।
 
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भई , राजी ने रजा दिखाई तो क्या तीर मारा ! बहादुरी तो उसे काबू मे करने मे है जो अहद लिए हो कि वह काबू मे नही आने वाली है ।
एलिना , रेशमा , फलाना - ढ़िकड़ा , वगैरह - वगैरह आसानी से हासिल हैं और ऐसी औरतों के लिए ही कहा गया है कि यह खुद ही मर्द के गले पड़ने लग जाए तो मर्द की ईगो की तुष्टि नही होती , वो सेंस आफ अचीवमेंट का सुख नही पाता ।
बहादुरी तो नायक को उस औरत को हासिल करने मे है जिसके सपने वह हर घड़ी , हर मिनट , हर सेकेंड देखता है ।
शायद यही कारण है कि शानू साहब इन कन्याओं से दूर भागने की कोशिश करते आए है । लेकिन यह बड़े ही आश्चर्य की बात है कि दोस्त ( सिराज ) की अम्मा पर वो कैसे मेहरबान हो गए ? इस का विस्तृत वर्णन चाहिए ।
कहीं छोकरा मैच्योर औरतों का ही दिवाना तो नही ?

वैसे फ्लैश बेक के साथ साथ प्रजेंट डे के साथ बेहतरीन सामंजस्य बैठाया है आपने ।
आउटस्टैंडिंग अपडेट भाई ।
 

Brustlove

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Bhut hi shandaar story hai bhai apki.....#
Past or Present ko bhut ache se likhte ho app
Yeh khubiya apki bhut achi lagi.......Waiting for next update.....
 
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Sanju@

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अम्मी vs मेरी फैंटेसी दुनिया

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कहानी के इस अनोखे शीर्षक का सही मतलब आपको तब पता चलेगा जब आप ये कहानी आगे पढ़ेंगे ।
कि कैसे कहानी के नायक अपनी कामवासना के वशभूत होकर अपनी एक अलग ही दुनिया बना लेता है और कैसे उसकी उस दुनिया में जब उसकी अम्मी का दखल होता है तो चीजे विरोधाभासी होने लगती है ।

तो दोस्तों हाजिर हूं एक बार फिर आप सभी के बीच खास तौर पर मां बेटे की एक लघु कथा को लेकर , काफी समय इसको पेंडिंग में छोड़ रखा था कारण वही है , रोटी कपड़ा मकान ।

मेरे पहली कहानी से जुड़े पाठक मेरी व्यथा बखूबी समझ सकते है । किन्ही निजी कारणों से मेरी पहली कहानी सपना या हकीकत [ incest + adult] का दूसरा अध्याय अभी शुरू नहीं कर सकता हूं । मगर ये काफी छोटी कहानी होगी जिसे उन खाली पलों में जल्द से जल्द निपटाने की कोशिश रहेगी मेरी ।

जल्द ही पहले अपडेट के साथ इसकी शुरुवात होगी ।
आप सभी के प्यार और सपोर्ट की आशा रहेगी ।
और यकीन मानिए ऐसा सेक्स से भरा रोमांच आपको कही नही पढ़ने को मिलेगा

धन्यवाद
:congrats: start new story
 

Sanju@

Well-Known Member
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UPDATE 001

सफर

इंदौर जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर 3 पर मैं एक टी स्टाल के पास खड़ा होकर , सफर के लिए स्नैक्स पानी बोतल वगैरह ले रहा था , इंदौर - पटना एक्सप्रेस अभी कुछ मिंट लेट थी ।
अक्सर मेरे साथ ये अनुभव रहा है कि जब भी कही जाने की जल्दी हो तो सवारी कही न कही खुद लेट हो ही जाती है और वो महज कुछ मिंट की देरी से लगता है कि अब समय से सारा सोचा हुआ काम होगा ही नही ।

तभी सामने से इंदौर - पटना एक्सप्रेस तेजी से हॉर्न बजाती हुई अपनी जगह पर रुकती है और मैं अपना एक पिट्ठू बैग लेकर 3Ac के एक कोच के चढ़ जाता हूं।

चढ़ते उतरते यात्रियों की भीड़ से गुजर कर अपनी सीट खोजता हुआ मैं आगे बढ़ रहा था , दोपहर के 2 बज रहे थे और ट्रेन निकल पड़ी थी ।
हल्के झटके से मैं संभलता हुआ अपना बैग वही किनारे रख कर एक महिला जो मेरे सीट पर लेटी हुई उनको खड़े खड़े आवाज देने लगा ।
आस पास के लोग भी उन्हें आवाज देने लगे , उस केबिन शायद उस वक्त तक कोई और महिला नही थी ।
स्वस्थ तदुरुस्त बदन की मालकिन दिख रही थी , पटियाला सलवार और सूट में अपने ऊपर लंबा चौड़ा काटन का दुपट्टा चढ़ाए गहरी नींद में थी वो ।
कूल्हे पर हुई सलवार में उसके मोटे विशालकाय मटके जैसे चूतड बहुत ही कामुक नजर आ रहे थे , और उन उन्नत फैले हुए नितंब को देख कर पल भर के लिए मुझे किसी की याद आई , मगर सोती हुई निर्दोष महिला के अंग निहारने से मेरे भीतर का पौरुष मुझे धिक्कारने लगा ।

मैंने नजरें फेर ली और बड़े असहज भाव से कुछ पल उनके उठने की राह निहारी , आस पास बड़ी बेबसी से जबरन होठों पर मुस्कुराहट लाकर बाकी बैठे हुए लोगो की देखा मगर शायद उन्हें भी इस चीज के लिए फर्क नहीं पड़ रहा था , शायद वो पहले भी काफी बार से उस महिला को उठाना चाह रहे थे ।

तभी उन भले लोगो में से एक ने घिसक कर मुझे खिड़की से लगी हुई किनारे की ओर सीट में जगह देदी ।
बड़ी मुश्किल से अपने कूल्हे पिचकाकर मैं वहा बैठ पा रहा था , कुछ ही मिनट बीते होंगे कि मेरी ही बेल्ट अब बगल से कुछ कमर में तो कुछ पेट में चुभने लगी थी ।
मुझे ये सफर एक झंझट सा महसूस हो रहा था , महगी टिकट और सीट भी कन्फर्म थी मगर ऐसे सफर करना पड़ रहा था ।
थोड़ा खुद को सही करता बेल्ट ढीला का बोगी की लोहे की दीवाल में सर टिका दिया , तिरछी नजर कर शीशे से बाहर निहार रहा था जल्द ही मेरी पुतलियां भी तंग होने लगी और मैंने नजरें सामने की अह्ह्ह्ह्ह गजब की ठंडक आ रही थी ,
उस महिला के दुपट्टे के नीचे से हल्की सी उसके नूरानी घाटियों की झलक सी मिली और थोड़ा सा गर्दन सेट किया तो एक लंबी गहरी दरार
आस पास नजर घुमा कर देखा तो सब बातो में लगे थे तो कोई झपकियां ले रहा था ,
मेरी नजर रह रह कर उस महिला के सूट में लोटी हुई छातियों के दरखतों के जा रही थी, कभी खुद को धिक्कारता तो कभी लालच हावी होने लगता और जैसे पल भर को आंखे मूंदता तो एक कामकल्पना से परिपूर्ण दृश्य मेरी आंखो में भर सा जाता , जहा कई कहानीयां उभर आती थी मन में ।
बार बार चीजे मन में घूमने से मेरे पेंट में कसावट सी होने लगी , जिसे छिपाने के लिए मुझे अपनी बैग का सहारा लेना पड़ा ।

कुछ देर बाद एक आदमी अगले स्टेशन पर उतर गया और मुझे भी आराम से बैठने का मौका मिला । मगर जैसे ही तन को सुख हुआ मन अपनी मनमानीयों पर उतर आया ।

अब मेरी नजर उस महिला को भरपूर नजर से निहारने लगी थी , बैग अभी भी मेरे जांघो पर थी । नीचे पेंट में तम्बू का साइज बढ़ने लगा था ।
ऐसा ही सूट सलवार कोई पहनता है जिसे मैं बचपन से देखता आ रहा हूं और वो मुझे बहुत अजीज थी ।

मेरी अम्मी ,
अभी कल ही बात लगती है कि मैं जब उनसे लिपट जाया करता था , उनके मखमली पेट पर जब वो लेटी होती थी मैं चढ़ कर अटखेलियां कर लिया करता था , उनके मोटे मोटे खरबूजे जैसे दूध की थैलियों में सर छिपा कर उनका दुलार प्यार जबरन ले लिया करता था ।

गर्मी की दोपहर अक्सर सोते हुए मेरे पैर उनके विशालकाय चूतड पर ही होते थे , अक्सर मोबाइल चलाते हुए मेरे पैर के पंजे उनके मुलायम चूतड को सलवार के ऊपर से आंटे की तरह घंटो गुदते रहते ।

अम्मी - शानू बेटा क्या कर रहा है
मैं - अम्मी मूवी देख रहा हु बस लास्ट सीन है
अम्मी - ओहो पैर हटा ना अपना , क्या कबसे गीज रहा है मुझे
मै अपनी धुन में मस्त था - अम्मी बस 5 मिंट
अम्मी - मैं क्या बोल रही हू और ये क्या सुन रहा है , कुछ नही हो सकता इसका आह्ह् रब्बा पुरा कमर लोहे का कर दिया

अम्मी लड़खड़ाती हुई उठी और गुसलखाने की ओर बढ़ गई , मैने मुस्कुरा कर मोबाइल से नजर हटा कर कमरे से बाहर जाती हुई अम्मी की मोटी थिरकती गाड़ देख कर अपना खड़ा लंड मिस दिया ।

"कितने बजे भैया ,अरे हस क्यूं रहे हो बताओ ना कितने बजे "
मै चौक कर नजर उठा कर देखा तो आस पास की सीट सब खाली थी और वो महिला जो सो रही थी वो सामने खड़ी होकर मुझे ही आवाज दे रही थी - जी ? जी 03.45 हो रहे है ।

वो महिला सुस्त होकर एक बार फिर उस सीट पर बैठ गई ।
दुपट्टे की चादर अभी भी उसके खरबूजे से चूची को अच्छे से ढके हुए थी मगर उनके उभार छिपाने में नाकाम थी ।
महिला - भैया पानी साफ है क्या ?
मै - जी , लीजिए
मैंने ढक्कन खोलकर उसकी और बढ़ाया और एक सास में जितना पी सकी वो पी गई , कुछ छलक कर उसके होठों से होकर ठूढी से टपक कर उसके सीने पर गिरने लगी और दाई ओर से चूचे के ऊपरी भाग पर दुपट्टा और सूट पर थोड़ा सा हिस्सा गिला होकर उसके सीने से चिपक गया , देखने ऐसा लग रहा था मानो दुपट्टे के नीचे उसकी रसदार चूचियां पूरी नंगी ही है ।

उसने मुझे पानी का बोतल दिया - थैंक यू
मैंने मुस्कुरा कर - आप अकेली सफर कर रही है क्या ?
उस महिला ने मुझे अजीब नजरो से देखा और फिर कुछ देर चुप्पी किए रही मुझे लगा शायद उसे मेरा सवाल समझ नही आया या फिर मेरी शक्ल ही ऐसी है ।

कुछ देर बाद वो बोली - मेरी बहन का इंतकाल हो गया था उसी सिलसिले में आई थी अब वापिस जा रही हू , और मेरे शौहर बाहर रहते है ।
उसकी बातें सुन कर मुझे तो बहुत गहरा दुख हुआ , फिर मैंने उसे खाने के लिए पूछा पहले तो उसने मना किया फिर मैंने जब दुबारा से कहा तो वो उसने मेरी टिफिन से एक रोटी ले ली

मै - कैसी है सब्जी , मैने बनाई है ?
वो मुस्कुराई और स्वाद लेती हुई - बनानी आती है क्या ?
मै - हा अम्मी से सीखी है ,
वो - अच्छी है
मै टिफिन आगे कर - और दू
वो ना में सर हिलाती हुई खाना खाने लगी और उसकी निगाहें शीशे से बाहर थी । गुमसुम सी आंखे उसकी बहुत हल्की फुल्की मुस्कान लिए सब देख रही थी ।
[मैंने भी नज़रे बाहर की ओर कर सपाट खेतो की ओर निहारने लगा , मेरी बनाई हुई सब्जी अभी भी मेरे दांतो मे पिस रही थी और मेरे चेहरे पर एक मुस्कुराहट थी

"ओहो , ऐसे नही जला देगा तू हट, हट जा " अम्मी मुझे अपने देह से मुझे धकेलती हुई मेरे हाथो से कलछी और कपड़ा ले लेती है जिससे मैंने कराही पकड़ी थी ।
अम्मी के मुलायम स्पर्श से मैं भीतर से सिहर उठा और वही उनसे लग कर खड़ा होकर उनके देह से आ रही भीनी सी खुश्बु को अपनी सासो में बसा लेना चाह रहा था ।

" अब अगला उबाल आए तो उतार देना "

" अब अगला स्टाफ आए तो बता देना " , उस महिला ने कहा ।
" जी ? जी , ठीक है "

महिला मुझे घूरती हुई - तुम फिर मुस्कुरा रहे हो ?

मै हंसता हुआ - जी ? वो काफी समय बाद घर जा रहा हु तो बस अम्मी की बातें याद आ रही है ।

वो महिला मुस्कुरा कर - बहुत प्यार करते हो न अपनी अम्मी को ?
मै अचरज से - आपको कैसे पता ?

महिला इतराहट भरी मुस्कुराहट से - तुम्हारी बातों में तुम्हारी अम्मी ही बसी होती है इसीलिए

मै उसकी बात सुनकर ऐसे मुस्कुराता जैसे वो मेरी प्रेमिका के बारे में बोल रही थी ।

महिला - कहा से आ रहे हो ?
मै - जी इंदौर में ही नौकरी है मेरी और लखनऊ जाना है ।

महिला - खास लखनऊ ही ?
मै - जी नहीं , वहा मुख्य शहर से बाहर एक गांव है वही घर है मेरा और आप ?

महिला - मुझे अगले ही स्टेशन पर उतरना है और फिर यह तो तुम अकेले पड़ जाओगे

मै हस कर - आप भी चलिए फिर मेरे साथ
महिला खिलखिलाई - अम्मी से मिलवाने हिहिहिही
मै भी उसकी खिलखिलाई सूरत देख कर हस पड़ा - हा और है ही कौन मेरा ?

वो महिला का चेहरा फीका सा पड़ने लगा - क्यू , अब्बू नही है ?
मै मुस्कुरा कर - है , वो मेरी उनसे खास बनती नही इसीलिए

महिला - और बहन ?
मैंने ना में सर हिला दिया ।

कुछ देर यूं ही हमारी बातें चलती रही और फिर आधे घंटे बाद वो उतर गई , जल्द ही कुछ नए यात्री आ गए मैंने भी इत्मीनान से अपनी सीट लेली और पैर फैला कर कोने से टेक लेकर आंख मूंद लिया ।

मेरे जहन में अब भी उस महिला की बातें चल रही थी और वो लाइन मेरे दिल में बस सी गई थी " तुम्हारी बातों में तुम्हारी अम्मी बसी होती है "

गाड़ी स्टेशन दर स्टेशन गुजरती रही और भीड़ आती जाती रही , चेहरे बदलते रहे

" अरे अरे भाई साहब देख कर बैग है मेरा " मैने एक आदमी को डांट लगाई हो अपने परिवार के साथ अभी अभी बोगी में चढ़ा था और उसके जूते मेरे बैग पर आ गए थे ।
मैंने झल्लाते हुए बैग ऊपर किया और उसको झाड़ते हुए चैन खोल कर बैग में रखा हुआ वो गिफ्ट का वो बॉक्स देखा जिसकी लाल चमकीली पन्नी देख कर मेरे होठ मुस्कुराने लगे ।
मैंने वापस बैग की चैन बंद कर बैग को अपने गोद में रख कर सीने से लगाए हुए आंख बंद लिया ।

" नही नही नही , इससे बड़ी नही मिलेगी भैया ये ही सबसे बड़ी size मेरे पास "
" भैया आपको जितने पैसे चाहिए लेलो कही से मेरे लिए शेम यही सूट की 4XL साइज देदो" , मैं मिन्नते करते हुए उस दुकानदार से बोला ।

दुकानदार ने अपने किसी स्टाफ कर बाजार की दूसरी गली से वही ड्रेस मेरे पसंद की साइज में मंगवाई और मैंने फाइनल करवा लिया
दुकानदार - देख समझ लो भैया इस साइज की कोई वापसी नहीं लूंगा मैं , आपको यकीन है ना कि जिसको आप देंगे उनकी साइज यही है ?
मै मुस्कुराता हुआ - हा भईया पता है , मेरी ही अम्म..... , अब पैक भी करवा दो ।


" टिकट टिकट , ओह भाईसाहब टिकट दिखाइए"
मैंने टीटी को अपनी टिकट दी और वो आगे बढ़ गया
मेरे मन में एक कड़वाहट सी होने लगी थी अब , ढलती रात में भी कोई न कोई मुझे डिस्टर्ब कर देता था । जिस वजह से मैने एसी की टिकट निकलवाई थी वो सफल नहीं दिख रही थी
मेरी नजर ऊपर के बर्थ पर गई सोचा किसी से बदली कर लू
मगर ऊपर वही आदमी लेटा हुआ मोबाइल चला रहा था जिसको आते ही मैंने फटकार लगा दी थी ।

रात के 10 बजने को हो रहे थे कि मेरी फोन की घंटी बजनी शुरू हुई और स्क्रीन पर अब्बू का नंबर देख कर मेरा मूड और भी उखड़ सा गया - हा हैलो नमस्ते अब्बू
: हम्म्म लो तुम्हारी अम्मी बात करेगी
मै एक पल के चहक उठा मगर अगले ही पल जब अहसास हुआ कि अब्बू भी घर पर है तो मेरा मन मायूस सा हो गया ।
मै - जी नमस्ते अम्मी
: क्या हुआ बेटा , तबियत ठीक है ना तेरी ? ट्रेन मिली ? कुछ खाना पीना किया ?
सवालों पर सवाल, फिकरमंद अम्मी ने मुझपर दागे और उसके लाड में मैं भी मुस्कुरा कर - इतनी फिकर है तो खुद क्यूं नही आती जाती हो अपने बेटे के साथ , हूह

मोबाइल में छाई चुप्पी की वजह मै समझ सकता था अब्बू के कारण अम्मी खुलकर कभी मुझसे अपने दिल की बात नही कहती और न ही ज्यादा लाड प्यार जताती ।
मै उनकी चुप्पी पर उखड़े मन से बोल पड़ा - आप फिकर ना करे , अब्बू से कह दें , मैं ठीक हूं और खाना पीना भी हो गया है सुबह 6 बजे लखनऊ पहुंच जाऊंगा ।

: ठीक है बेटा , रखती हु
मै - जी बाय
अभी फोन कटा नही था और अब्बू को शायद लगा कि कट गया । फोन पर उनकी बड़बड़ाहट और अम्मी पर गुस्सा साफ साफ सुनाई दे रहा था ।

ये सब पहली बार मैं नही सुन रहा था और मैने फोन काट दिया । आंखे भर आई मेरी ।
मेरी डबडबाई आंखे मिडल बर्थ पर लेटी एक चाची ने देख ली और करवट लेकर बोली - क्या हुआ बच्चा , सब ठीक है ना

मै आंख पोछ कर - जी ? जी सब ठीक है ?
चाची - अकेले सफर कर रहे हो क्या बच्चा
मै - जी चाची , घर जा रहा हु
चाची - कुछ खाना पीना किया ?
मै मुस्कुरा कर - आप फिकर ना करें , मैं खाना खा चुका हु । वो बस अम्मी की याद आ गई थी

चाची सीधी होकर लेट गई - सो जा बच्चा , रो कर अपनी अम्मी को तकलीफ मत दे

मै अचरज से - मतलब ?
चाची - अरे वो तेरी अम्मी है , तू उसका ही अंश है तू रोएगा तो उसका भी कलेजा रोएगा बेटा । सो जा

मै उसकी बात सुनकर अपने आशु साफ किए और लेट गया
मेरे दिमाग में उस चाची की बात घूमने लगी कि क्या सच में ऐसा होता होगा कि मैं जैसा महसूस करूंगा वो अम्मी भी करेंगी । अगले ही पल मेरी घटिया सोच मेरे साफ पाक भावनाओं पर हावी हो गई ।

मै मुस्कुरा कर खुद को गाली देते हुए - बीसी तू नहीं सुधरेगा कभी हिहीही

कुछ देर तक लेटे रहने के बाद भी मुझे नीद नही आ रही थी रात गहराती चली गई और ख्याल अम्मी के बातें उनकी यादों से भरता चला गया ।

मै उठा और बैग सही से रख कर बाथरूम की जाने लगा रास्ते में बोगी के हर कपार्टमेंट में कोई न कोई महिला के कपड़े अस्त व्यस्त दिखे ।
मन में तरंगे भी उठनी शुरू हुई और बाथरूम में जाते ही मैंने अपना अकड़ा हुआ लंड निकाल कर पेशाब करने लगा

मोबाइल हाथ में था तो उसको चलाने लगा कि मेरी नजर गैलरी ऐप पर गई
मै पूरी शिद्दत से अपने मन को रोक रहा था मगर मेरे दिमाग पर हवस हावी होने लगा था और मैने गहरी सास लेते हुए hide image से एक तस्वीर बाहर निकाली


वो एक वीडियो कॉल के दौरान ली गई स्क्रीन शॉट थी जिसमे अम्मी पहली बार बिना दुपट्टे के मेरे सामने थी और मैंने झट से वो कैप्चर कर ली थी ।

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तस्वीर में उनके उन्नत और सूट में कसे हुए थन जैसे चूचे देखकर मेरा लंड बौरा उठा और मैं तेजी से अपना लंड सहलाते हुए आंखे बंद कर कभी अम्मी का चेहरा याद करता तो कभी तस्वीर में अम्मी की मोटी मोटी चूचियां निहारता , उनके गुलाबी गाल और लाल लाल कश्मीरी सेब रंग के होठ देख कर मेरे होठ बड़बड़ाने लगे ,मगर ट्रेन के टॉयलेट में एक डर था कि कही कोई मेरी आवाज न सुन ले ।

अम्मी उह्ह्ह्ह मेरी अम्मी आप क्यू नही आ जाती मेरे पास अअह्ह्ह्ह सीईईईईईआई मैं आपको हमेशा के अपना बना लेना चाहता हुं उह्ह्ह्ह पकड़ो ना मेरा लंड , कब मेरे तपते लंड को अपने इन होठों की मिठास से ठंडा करोगी , कब मेरे होठ तुम्हारे रसीले निप्पल को दुबारा से जूठा करेंगे अअह्ह्ह्ह अम्मी अहह्ह्ह्
मै अब और नही रूकूंगा अअह्ह्ह्ह इस बार तो आपको छू लूंगा , आपके बड़े मुबारक चूतड पर हाथ लगाऊंगा अह्ह्ह्ह्ह अम्मी कितने साल हो गए आपकी नरम नरम गाड़ को छुए , आपके बड़े रसीले खरबूजे जैसे चूची में अपना सर रख कर सोए उह्ह्ह्ह अम्मी मुझे बड़ा नही होना अअह्ह्ह्ह मैं आपका होकर रहना चाहता हु अह्ह्ह्ह सीईईईईईआई मत दूर करो मुझे उह्ह्ह्ह ओह येस्स उम्मम्म गॉड फक्क्क्क उह्ह्ह्ह अम्मीई अअह्ह्ह्हह

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और देखते ही देखते मेरी तेज गाढ़ी मलाईदार पिचकारी बाथरूम की दिवालों पर एक के बाद एक छूटती रही और मैं मोबाइल जेब में रख कर अंत तक उसे निचोड़ता रहा ।

फिर आकर अपनी सीट पर सो गया
अगली सुबह तड़के मेरी नीद खुली , कंपार्टमेंट में अजीब गुपचुप तरीके भिनभिनाहट मची हुई थी और कुछ देर में मुझे भनक लगी कि वहा अनजाने में लोग मेरी ही बात कर रहे थे , क्योंकि हिलाने के बाद मैने पानी से कुछ भी साफ नही किया था वैसे ही निकल आया था ।
मुझे हसी भी आई और खुद को गालियां भी दी मैने की एक जग पानी मार देता तो क्या हो जाता

खैर मैं लखनऊ उतर चुका था मुझे सीतापुर रोड के लिए बस लेनी थी और आगे 15-17km बाद ही हाईवे से लगा मेरा छोटा सा कस्बानूमा गांव था - काजीपुर ।

जारी रहेगी
Awesome update
 
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