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" Ye aise kyu react kar rahi thi " ( मैम ने टैक्स्ट से पूछा )
" Kuch nahi jalati hai hmari dosti se " ( मै मेरे काउंटर पर बैठे हुए एक कार्नर पर रेशमा मैम को उनके केबिन में देख रहा था और मुस्कुराते हुए उन्हें रिप्लाई कर रहा था )
" You are so rude shaanu , itna bhi kya tadapna kisi ko " ( मैसेज टाइप कर वो मुझे देखने लगी )
" To kya sabko chodta chalu ab " ( मैं रिप्लाई कर उनकी ओर देखा और जैसे वो मेरा मैसेज पढ़ी उनके मुंह से हंसी की पिचकारी मानो फूट पड़ी और वो मुंह पर हाथ रख कर हसने लगी और मुझे देख कर नजरे फेर ली )
" Kyu , bolo ab kya hua " ( मैने दुबारा मैसेज किया )
" Agar mai kahungi to kar loge kya " ( उनका मैसेज पढ़ते ही मेरा लंड अकड़ने लगा )
" Ha agar aapko pasnad hai mujhe kisi ko sex karate dekhna to , mujhe kya dikkat " ( मै रिप्लाई करके उनकी प्रतिक्रिया के लिए उनकी ओर देखा )
: bahut kamine ho tum , gande kahi ke ( वो मुझे मैसेज कर आंखे दिखा रही थी लेकिन उनके चेहरे की गुलाबी हसी छिप नहीं पा रही थी )
: sach kah raha hu agar aap ha karo to yahi office me isko chod dunga , wo bhi apke samne ( मैंने बड़े रुआब से मैसेज कर अपनी चेयर पर झूलता हुआ उनकी ओर देखा और वो बड़े ताज्जुब से मेरा मैसेज पढ़ी , उनकी आंखे बड़ी हो गई थी )
" achcha itne daring baaz ho , lekin bachchu wo manegi tb na " ( उन्होने रिप्लाई किया )
" Lagi bet , agar wo man gayi to apko bhi meri baat manani padegi " ( मै पूरे आत्मविश्वास से उनको मैसेज कर घुरा )
" Kya, karnaa hoga mujhe " ( मैसेज भेज कर वो मुझे इशारे से पूछी )
" Wo baad me bataunga, aap ready ho bet ke liye " ( मैं मुस्कुराया )
" Thik hai bachchu , sabnam ko tum jitni kachchi khidalin samjh rahe ho wo itni hai nhi , dekhna bet mai hi jeetungi aur mai jeet gayi toh tumhe bhi mera kaha kuch Krna pdega, done ? " ( काफी देर टाइप करने के बाद वो भी बड़े रुआब में मेरी तरह ही अपनी चेयर पर सिर पीछे टीका कर मेरी ओर देखने लगी )
" Done" ( मैने भी उनका मैसेज पढ़ कर रिप्लाई करने में देरी नहीं की )
" Waise aapki baaton ne mera land khda kar diya hai , aau chusoge " ( मैने दुबारा से मैसेज कर बड़ी शरारत भरी नजरो से उन्हें देखा)
वो लाज से मुस्कुरा कर वही से बैठे मुझे डांट लगा रही थी फिर कुछ टाइप करने लगी और मेरा मोबाइल बीप हुआ
" Agar Sabanam ko chod diye to uske samne tumhara mota land chusungi , ye meri tarf se gift rahegi tumhari jeet ki " ( अह्ह्ह्ह्ह मैसेज पढ़ कर ही लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और धीरे से मिज दिया मै उसको )
" Lekin aaj raat me to dogi na " ( मैने गुजारिश भरी नजरो से देखा )
" No, aaj mujhe ek dost ke yha jaana hai to sorry baby , kal pakka dungi " ( वो भी उदास होकर रिप्लाई की )
" Waise bhi tum Sabnam par focus Karo , aaj uski salwaar kuch jyada hi chust hai " ( मैम ने मेरा मूड सही करने के लिए मैसेज किया मगर आज रात उन्हें ना चोद पाने का ग़म तो रहेगा ही ) मै मैसेज पढ़ रहा था और मेरी नजर फौरन सबनम को खोजने लगी ।
आहूजा के ऑफिस ने सबनम निकली और जैसे ही मेरे पास से गुजरी , मेरी नजर उसकी लहराते सूट के नीचे चुस्त सलवार पर थी जो उसके गोल गोल पतीले जैसे चूतड़ों पर कसे हुए थे और लंबी टांगों में सिलवटें जांघों तक जा रही थी । उसके हल्के हल्के झटके खाते गाड़ को देख कर जी ललचा गया ।
: हाय सबनम ( उस मतवाली के कड़क थिरकते चूतड़ को देखकर मन में बड़बड़ाता हुआ अपना लंड मसल दिया मैने
सबनम - ये भी सिराज के जैसे ही प्राइवेट थी और 12000 की तनख्वाह पर जॉब करती थी । कार्यालय सहायिका का पद था उसका मगर प्राइवेट होने के कारण आहूजा उसे कुछ खास तबज्जों नहीं देता था उसका एक कारण था कि सबनम ने उसके ऑफर को पूरी तरह मना कर दिया था और ये बात ऑफिस में सभी जानते थे । इसीलिए कभी कभी चपरासी वाले काम भी वो हरामी उस बेचारी से करवाता जैसे पानी मंगवाना या फिर फाइल और दूसरी चीजें मंगवाना भिजवाना । बेचारी इस शहर में अपने मामू के पास रहती थी । सभी को लगभग उससे हमदर्दी थी मगर उसकी कसी जवानी और अनछुआ बदन ऑफिस में किसे नहीं लुभाता । अक्सर कही न कही उसको दबोचने की चर्चा होती रहती गुपचुप में ।
मेरा मोबाइल रिंग हुआ तब कही मै उसकी ओर से नजरे हटाया और तब समझ आया कि मैं तो काफी समय से उसकी ओर देखे जा रहा था ।
फोन अलीना का था और उससे बातें करते हुए मेरी नजर रह रह कर सबनम कि ओर जा रही थी , एकदम से उसके चेहरे पर मुस्कुरा आ गई थी । चेहरा गुलाबी होने लगा था और बार बार वो फाइल में कुछ करेक्शन करती हुई अपने गिरते लट को कानो ने उलझाती हुई मेरी ओर देखती कि मै उसे देख रहा हु या नहीं ।
मैने फोन रखा और खड़ा होकर उसकी ओर बढ़ने लगा , उसकी बेचैनी साफ साफ दिखने लगी , निगाहे उसकी चकर मकर हो रही थी और हाथ कांप रहे थे । मगर मै उसके बगल से निकल कर ऑफिस की टेरेस की ओर चला गया ।
क्योंकि काफी समय से मेरे सुपाड़े में कुलबुलाहट सी हो रही थी और बाथरूम में ऊपर ही था ।
किसी तरह खुद को छिपाते हुए मै छत पर आ गया लेकिन यहां तो मेरे लौड़े लगे हुए थे , लास्ट बार की तरह इस बार भी मैने जीने का दरवाजा खुला रखा था ताकि जुबैदा चच्ची की छत फांद कर अपने छत से मै नीचे चला आऊ मगर यहां तो दरवाजा बंद था ।
3 - 4 बार कोशिश की मगर नहीं खुला तो मै समझ गया कि जरूर अम्मी किसी काम से छत पर आई होंगी और दरवाजा बंद कर चली गई ।
खड़े लंड पर धोखा सा लग रहा था और भीतर की तड़प बढ़ती ही जा रही थी ये सोच कर कि ना जाने अम्मी अपनी सहेली को कमरे में नंगी कर क्या कर रही होगी ।
जैसे अब्बू ने वो वीडियो भेजी थी क्या अम्मी भी नगमा मामी की चूत चाट रही होगी
अम्मी भी नगमा मामी की चूचियां मिजेंगी अह्ह्ह्ह सोच कर ही लंड फौलादी हुआ जा रहा था , कि अब फटे तब फटे ।
मगर ज्यादा समय तक मेरा छत पर रहना ठीक नहीं था , अम्मी को ना जाने कैसे मेरे हरकतों की भनक लगती जा रही थी । इसीलिए मै लापरवाही न करते हुए वहा से निकल गया ।
: अबे कहा घूम रहा है ( सिराज ने पीछे से दबोचा )
: अबे तू ( साले कहा से आया )
: मूतने आया था , तो बाथरूम में तू गया था
: ठीक है जल्दी जा निपट ले ( मै उसको बोला और छत से सड़क की ओर देखने लगा कि जीने पर कुछ आहट हुई और ये सबनम थी ।)
अब जहां ड्यूटी करता था कोई मॉल या प्राइवेट कंपनी थी नहीं जो महिला पुरुष के लिए अलग अलग प्रसाधन बनवाती , ले दे कर पूरे ऑफिस में दो ही बाथरूम थे एक ग्राउंड फ्लोर पर हो पूर्ण रूप से सार्वजनिक होने के कारण कोई भी कर्मचारी उसमें नहीं जाता था इसके बजाय सब ऊपर ही आते थे ।
वो बिना बोले सीधे बाथरूम की ओर जाने लगी : सबनम रुको , वो सिराज गया है ( ना चाहते हुए भी मुझे उसको रोकना पड़ा )
वो रुक गई और मुस्कुराते हुए किनारे खड़ी हो गई , मुझसे रहा नही गया और मै टहलते हुए उसके पास गए
: हाय ( मै चहक कर उससे बोला )
: हाय ( वो मुंह बना कर बोली , पुरवा हवा से उसका शिफॉन का दुपट्टा उसके सीने से चिपक गया था और उसके दोनों नारंगी से उभार साफ साफ नजर आ रहे थे , जी तो कर रहा था यही खुली छत पर उसकी पतली कमर में हाथ डाल कर उसके लिप्स चूसने लग जाऊ , जानता था कि सबनम जरा भी ऐतराज नहीं करेगी ।
: अच्छी हवा चल रही है न ( मै मुस्कुरा कर उसकी ओर देखा )
: हम्म्म ( वो बिना मेरी ओर देखे बोली )
: गुस्सा हो मुझसे ( मैने उसकी ओर घूमकर कहा )
: मै कौन हूं तुम्हारी जो तुमसे गुस्सा रहूं ( उसकी पूरी हरकते प्रेमिकाओं वाली थी , वैसे ही तुनकना और हक जताना , जिसपे मुझे ज्यादातर इरिटेशन ही होती थी मगर हवस की लालच में मुझे हसी आ रही थी )
: क्यों तुम मेरी दोस्त नहीं हो ( मैने दाव फेका )
: दोस्त ?? ( वो हस्ते हुए बोली और एक दर्द सा दिखा उसकी आंखों में )
: तुम मायने भी जानते हो शानू दोस्ती के ( वो मुझे समझाते हुए बोली ) तुम्हारे लिए पैसे वाले लोग ही तुम्हारे दोस्त हो सकते है , मै तुम्हारी दोस्त नहीं हो सकती ( लगभग डबडबा गई उसकी आंखे जैसे कितना दर्द लिए बैठी थी मन में और अभी भी उसे निकालना नहीं चाहती थी )
वो वहां से निकल गई इससे पहले कि सिराज आता ।
: कौन था बे ( बाथरूम से निकलता हुआ बोला )
: क कोई तो नहीं ( मैने बात छुपाई )
: अबे मुझे तो आवाज आई किसी लड़की की ( इधर उधर देखने लगा )
: साले साठिया गया है क्या बहनचोद , चल
फिर मै सिराज नीचे आए और मेरी नजर सबनम की ओर गई , वो मेरे ओर देख नहीं रही थी बस चुप थी अपने काम में मशगूल ।
ऑफिस बंद हुआ तो सिराज ने अपने घर चलने को कहा लेकिन मैने मना कर दिया और अपने घर के लिए निकल गया बाइक से
मै घर आ चुका था और नगमा मामी जा चुकी थी ,
उस वक्त अम्मी घर में अकेली थी और मै फ्रेश होकर नीचे आया , मेरा मूड खराब हुआ पड़ा था जो दुपहर में हुआ उसको लेकर ।
अम्मी खाने का प्लेट लेकर आई और मुझे देकर मुस्कुराते हुए चली गई । जल कर रह गया भीतर से ये जानकर कि अम्मी ने जानबूझ कर दरवाजा बंद किया था । अम्मी मेरे मजे ले रही थी और मेरा मूड उखड़ा हुआ था ।
खाने का जरा भी मन नहीं हो रहा था ।
: हम्म्म ले चला ले , जान रही हूं बिना मोबाइल के खाना गले से उतरेगा नहीं ( वो गले में ही हस कर मेरे मजे लेते हुए बोली लेकिन उनके खिले हुए गुलाबी गाल उनकी सारी शरारतें बयान कर रही थी )
आंखे उठा कर मै मोबाईल लिया और हल्का सा मुस्कुराया और लगभग लजा ही गया था मानो ।
जैसे ही अम्मी किचन की ओर गई मैने फटाफट करके गैलरी व्हाट्सएप फाइल्स खंगालने लगा , मगर जिस चीज की तलाश थी मुझे वो दिखी ही नहीं ।
अब्बू से व्हाट्सअप चैट पूरी क्लीन थी , पूरा का पूरा कैमरा फोल्डर ही डिलीट था और गैलरी में मुझे मेरा ही थोबडा नजर आ रहा था ।
: कुछ दूं शानू ( किचन से अम्मी ने आवाज दी )
: न नहीं अम्मी ( मै हड़बड़ा कर यूट्यूब चालू कर तारक मेहता देखने लगा ) मेरी नजर सीरियल की कोमल आंटी पर थी शॉर्ट कुर्ती में झलकते हुए उसके बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों को देख कर अम्मी के गाड़ का ख्याल आ रहा था ।
तभी मेरे कानो में अम्मी की खनक भरी हंसी आई और मै बुरा सा मुंह बनाता हुआ खाना खाने लगा , क्योंकि अम्मी छुप कर मुझे फोन खंगालते जरूर देखी होगी ऐसा मेरा यकीन था और मेरे मजे ले रही थी ।
कुछ देर बाद मै ऊपर चला गया और अपना प्रोजेक्ट लिखने लगा , एग्जाम सर पर थी मगर घंटा मेरा मन पढ़ाई में था । रह रह कर नगमा मामी और अम्मी के बीच हुई मस्ती न देख पाने का मलाल था ।
घड़ी में 5 बजे थे और मन नहीं लग रहा था तो सोचा कि बाहर टहल लेना ही सही होगा , मै कमरे से बाहर आया और जीने से नीचे आते ही अम्मी की खनकती हंसी आई वो फोन पर बातें कर रही थी ।
मै दबेपाव चुपके से जीने पर ही खड़े होकर उनकी आवाज सुनने लगा
: बहुत शरारती हो गया है वो , अभी कल मार भी पड़ी लेकिन बाज नहीं आया , स्कूल से आते ही मोबाइल में जल्दी जल्दी खोजने लगा हीहीहीही ( खीझ रहा था मै और गुस्सा भी आ रहा था अम्मी पर कि मेरा मजा ले ही रही थी अब अपनी सहेली को भी बता रही है )
: हा यार पूरी फोल्डर ही मैने ट्रांसफर कर दी , तू फिकर मत कर वो नहीं खोज पायेगा हीहीही ( अम्मी की बातें सुनकर मेरी डूबती उम्मीद को एक किनारे का सहारा दिखा )
: पूरे 64GB की है , अब सारे वीडियो उसी में रखने वाली हु और तू जरा सावधानी से कुछ भेजना समझी
मै अम्मी की बातें सुनकर 4 कदम पीछे हो गया और समझ गया कि अम्मी ने जरूर सारी फाइल किसी मेमोरी कार्ड में ट्रांसफर कर ली । एक ओर मुझे खुशी थी मगर वो मेमोरी होगी कहा उसको खोजना पड़ेगा ।
मगर मुझे एक इडिया सुझा था और वो शायद अम्मी के शातिर दिमाग को भी मात देने वाला था ।
: अम्मी , अम्मी ( मै जानबूझ कर आवाज देता हुआ नीचे आया )
: हा बेटा ( अम्मी अभी भी फोन पर थी )
: 20 रुपए दो न , समोसे खाने है
: अकेले खायेगा क्या ? ( अम्मी हस कर बोली )
: तो 30 दो ( मै हाथ आगे करता हुआ बोला)
: रुक देती हु ( अम्मी आलमारी से अपना पर्स निकाल कर छूटे पैसे खोजने लगी और मै उनके बगल में खड़ा था )
: अरे 100 वाली दो न ( मै चहक कर बोला और मेरी नजर पैसों के बीच एक कोने पर काली मेमरी कार्ड पर गई , शायद अम्मी को लगा मै देख लूंगा तो वो घूम गई )
: नहीं फालतू खर्चा नहीं ( मेरी ओर पीठ करती हुई वो 50 का नोट दे दी ) ये ले और बाकी के मुझे वापस करना
: ठीक है
फिर मै निकल गया , समोसे मुझे वैसे भी नहीं खाने थे , मैने तो बस मेरा तुक्का चलाया था । जानता था मेमोरी जैसी छोटी चीज को अम्मी सिर्फ अपने पर्सनल पर्स में ही रखेंगी वो भी पैसे वाले में । बस मुझे इस चीज को कनफर्म करना था और दूसरा अम्मी से पैसे लेने का कारण एक और था ।
मै घर से निकल सीधा एक मोबाइल रिपेयरिंग शॉप पर गया और वहां से 20 रुपए की एक USB drive ले लिया जिसमें मेमोरी कार्ड फिट होती हो और फिर रास्ते में अम्मी के लिए समोसा पैक करवा कर वापस घर आ चुका था ।
शाम ढल रही थीं और जैसा आम छोटे कस्बों के मोहल्लों में होता है , औरतें या छत पर या फिर घर के बाहर सड़क पर खड़ी होकर बातें करती है ये उनके लिए फुरसत के कुछ आधे एक घंटे होते है क्योंकि फिर उन्हें रात के खाने की तैयारियां करनी होती है ।
अम्मी भी बाहर निकल कर बगल में जुबैदा चच्ची से बातें कर रही थी , मैने उन्हें प्रोजेक्ट लिखने का बोलकर मोबाईल पहले ही उन्हें दे दिया था ताकि वो बेफिक्र रहें ।
मै धीरे से अम्मी के कमरे में गया और आलमारी से सबसे पहले अब्बू का लैपटॉप और फिर अम्मी के परस से मेमोरी लेकर सरपट अपने कमरे में आ गया ।
लास्ट खूंटी के साथ लैपटॉप भी कुछ खास चार्ज नहीं था , मगर इतना जरूर था कि मेरा काम हो जाए ।
मैने USB drive में मेमोरी कार्ड लगाई और पोर्ट में इंसर्ट किया
!! BBOOOOOOOMM !!
एक एक करके धड़ाधक 15 - 20 वीडियो क्लिप और तकरीबन इससे ज्यादा न्यूड तस्वीरें
सबसे भड़कीले तस्वीर पर मैने क्लिक किया और वो लोड होने लगा
इधर चादर में मेरा लंड अलग उफान पर था और मै उसको मसल रहा था जैसे ही तस्वीर खुली दिल धक्क रह गया ।
अम्मी ब्रा पैंटी में में आगे की ओर झुक कर अपनी पैंटी निकाल रही थी जो लगभग आधी से ज्यादा उनकी गाड़ से उतर चुकी थी और झुकने की वजह से अम्मी की मोटी चौकी गाड़ और भी ज्यादा फैल गई थी , गहरी भूरी दरारें किसी खाई के ऐसे थी , देख कर ही लंड का सुपाड़ा पूरा मुंह खोलने लगा ।
मैने बिना बैक किए दूसरी तस्वीर के एरो बटन पर क्लिक किया और मेरी आंखे चौंधिया सी गई मानो , लैपटॉप पर फुल स्क्रीन पर अम्मी की बड़ी सी नंगी गाड़ ऐसी फैली हुई थी मानो वो सच में मेरे आगे नंगी झुकी थी ।
तस्वीर इतनी साफ थी कि अम्मी के गाड़ के उभरे हुए रोए साफ साफ नजर आ रहे थे ।
मै लंड को मजबूती से पकड़ कर खुद को काबू कर रहा था , दिल मेरा दुगनी रफ्तार से धड़क रहा था । इस कामोत्तेजना में डर का छौंका अलग लगा हुआ था कि कही से अम्मी ऊपर न आ जाए
तभी अगली क्लिक हुई और नकाबपोश महिला पूरा बदन नंगा
उफ्फ आंखों को देखते ही मै पहचान गया कि ये नगमा मामी है
बड़े बड़े पपीते से लटके हुए चूचे और पतली कमर क्लीन शेव चूत और गदराई जांघें , दोनो हाथ ऊपर किए हुए ।
: अह्ह्ह्ह्ह मामी क्या माल हो तुम ओह्ह्ह्ह फक्क्क् ( मै मेरा लंड मसलते हुए बोला )
अगली क्लिक पर फिर से नगमा मामी की तस्वीर , लगभग मिलती जुलती मगर और भी ज्यादा कामुक ।
हाल के सोफे पर घूमते फोल्ड कर बड़ी कामुक अदा से अपनी चूत के फाकों को चौड़ी करके दिखा रही थी ।
मुझसे रहा नही गया और मैने बैक करके सीधा वीडियो पर क्लिक किया
: अरे अच्छे से उठा न पूरा हा ऐसे ( वीडियो के अम्मी की आवाज आ थी , मैने झट से वॉल्यूम कम किया )
सामने लैपटॉप की स्क्रीन पर नगमा मामी अपना बुरका उठा रही थी और अपने चूतड़ नंगी कर रही थी)
: अह्ह्ह्ह्ह बहनचोद कितनी गोरी है तू अंदर से रे अह्ह्ह्ह्ह ( अम्मी के मुंह से गाली सुनकर मेरी तो आंखे ही फटी रह गई और लंड पूरा अकड़ कर रोड हुआ जा रहा था ।
वो क्लिप खत्म होते ही दूसरी खुद ब खुद शुरू हो गई जिसमें नगमा मामी अपने जिस्म से बुरका निकाल रही थी और धीरे धीरे पूरी नंगी हो रही थी
: बहनचोद तो क्या ये ऐसे ही आई थी बिना कपड़ो के अह्ह्ह्ह्ह साली क्या गोरी गाड़ है एकदम मक्खन सीईईईई ( मै चादर में लंड हिलाते हुए बड़बड़ाया )
अगली वीडियो में अम्मी भी सिसक रही थी और सामने नगमा मामी पूरी नंगी लेती हुई अपनी चूत में उंगली कर रही थी
: अह्ह्ह्ह्ह फरीदा पेल दे मुझे ,लंड दिला दे मुझे अह्ह्ह्ह्ह चोद दे मुझे
: अह्ह्ह्ह्ह मेरी जान दिलाऊंगी न तुझे तेरे जीजा का लंड ओह्ह्ह्ह अम्मीई बोल लेगी अह्ह्ह्ह्ह बहुत मोटा है बैगन जैसा तेरा भोसड़ा फट जाएगा
: हा ले लूंगी अह्ह्ह्ह कुछ कर ओह्ह्ह अम्मीईई अह्ह्ह्ह शानू के अब्बू मेरे राजा मेरे जीजू पेलो न मुझे ( नगमा मामी की बातें सुनकर मैं अलग ही काम कल्पना में खो गया और आंखे बंद कर सोचने लगा कि कैसा होगा जब इतनी गर्म औरत को मेरे अब्बू चोदेंगे।। पूरे घर में इसकी चीखे गूंजेगी
अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ अअम्मीईई अह्ह्ह्ह्ह मै तेजी से चादर में लंड मुठिया रहा था कि इतने ने फुर्ती से किसी ने मेरे ऊपर से चादर खींचा और मै हड़बड़ा कर अपनी इज्जत को छुपाने लगा मगर तब तक देर हो चुकी थी
मेरे सबर का फब्बारा फूट चुका था और उसके छींटे इधर उधर बिखरने लगे थे
: अम्मीईईई आप.... ( एक जोरदार तमाचा मेरे गाल पर लगा और मैं चौंधिया के बिस्तर पर गिर पड़ा )
" Ye aise kyu react kar rahi thi " ( मैम ने टैक्स्ट से पूछा )
" Kuch nahi jalati hai hmari dosti se " ( मै मेरे काउंटर पर बैठे हुए एक कार्नर पर रेशमा मैम को उनके केबिन में देख रहा था और मुस्कुराते हुए उन्हें रिप्लाई कर रहा था )
" You are so rude shaanu , itna bhi kya tadapna kisi ko " ( मैसेज टाइप कर वो मुझे देखने लगी )
" To kya sabko chodta chalu ab " ( मैं रिप्लाई कर उनकी ओर देखा और जैसे वो मेरा मैसेज पढ़ी उनके मुंह से हंसी की पिचकारी मानो फूट पड़ी और वो मुंह पर हाथ रख कर हसने लगी और मुझे देख कर नजरे फेर ली )
" Kyu , bolo ab kya hua " ( मैने दुबारा मैसेज किया )
" Agar mai kahungi to kar loge kya " ( उनका मैसेज पढ़ते ही मेरा लंड अकड़ने लगा )
" Ha agar aapko pasnad hai mujhe kisi ko sex karate dekhna to , mujhe kya dikkat " ( मै रिप्लाई करके उनकी प्रतिक्रिया के लिए उनकी ओर देखा )
: bahut kamine ho tum , gande kahi ke ( वो मुझे मैसेज कर आंखे दिखा रही थी लेकिन उनके चेहरे की गुलाबी हसी छिप नहीं पा रही थी )
: sach kah raha hu agar aap ha karo to yahi office me isko chod dunga , wo bhi apke samne ( मैंने बड़े रुआब से मैसेज कर अपनी चेयर पर झूलता हुआ उनकी ओर देखा और वो बड़े ताज्जुब से मेरा मैसेज पढ़ी , उनकी आंखे बड़ी हो गई थी )
" achcha itne daring baaz ho , lekin bachchu wo manegi tb na " ( उन्होने रिप्लाई किया )
" Lagi bet , agar wo man gayi to apko bhi meri baat manani padegi " ( मै पूरे आत्मविश्वास से उनको मैसेज कर घुरा )
" Kya, karnaa hoga mujhe " ( मैसेज भेज कर वो मुझे इशारे से पूछी )
" Wo baad me bataunga, aap ready ho bet ke liye " ( मैं मुस्कुराया )
" Thik hai bachchu , sabnam ko tum jitni kachchi khidalin samjh rahe ho wo itni hai nhi , dekhna bet mai hi jeetungi aur mai jeet gayi toh tumhe bhi mera kaha kuch Krna pdega, done ? " ( काफी देर टाइप करने के बाद वो भी बड़े रुआब में मेरी तरह ही अपनी चेयर पर सिर पीछे टीका कर मेरी ओर देखने लगी )
" Done" ( मैने भी उनका मैसेज पढ़ कर रिप्लाई करने में देरी नहीं की )
" Waise aapki baaton ne mera land khda kar diya hai , aau chusoge " ( मैने दुबारा से मैसेज कर बड़ी शरारत भरी नजरो से उन्हें देखा)
वो लाज से मुस्कुरा कर वही से बैठे मुझे डांट लगा रही थी फिर कुछ टाइप करने लगी और मेरा मोबाइल बीप हुआ
" Agar Sabanam ko chod diye to uske samne tumhara mota land chusungi , ye meri tarf se gift rahegi tumhari jeet ki " ( अह्ह्ह्ह्ह मैसेज पढ़ कर ही लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और धीरे से मिज दिया मै उसको )
" Lekin aaj raat me to dogi na " ( मैने गुजारिश भरी नजरो से देखा )
" No, aaj mujhe ek dost ke yha jaana hai to sorry baby , kal pakka dungi " ( वो भी उदास होकर रिप्लाई की )
" Waise bhi tum Sabnam par focus Karo , aaj uski salwaar kuch jyada hi chust hai " ( मैम ने मेरा मूड सही करने के लिए मैसेज किया मगर आज रात उन्हें ना चोद पाने का ग़म तो रहेगा ही ) मै मैसेज पढ़ रहा था और मेरी नजर फौरन सबनम को खोजने लगी ।
आहूजा के ऑफिस ने सबनम निकली और जैसे ही मेरे पास से गुजरी , मेरी नजर उसकी लहराते सूट के नीचे चुस्त सलवार पर थी जो उसके गोल गोल पतीले जैसे चूतड़ों पर कसे हुए थे और लंबी टांगों में सिलवटें जांघों तक जा रही थी । उसके हल्के हल्के झटके खाते गाड़ को देख कर जी ललचा गया ।
: हाय सबनम ( उस मतवाली के कड़क थिरकते चूतड़ को देखकर मन में बड़बड़ाता हुआ अपना लंड मसल दिया मैने
सबनम - ये भी सिराज के जैसे ही प्राइवेट थी और 12000 की तनख्वाह पर जॉब करती थी । कार्यालय सहायिका का पद था उसका मगर प्राइवेट होने के कारण आहूजा उसे कुछ खास तबज्जों नहीं देता था उसका एक कारण था कि सबनम ने उसके ऑफर को पूरी तरह मना कर दिया था और ये बात ऑफिस में सभी जानते थे । इसीलिए कभी कभी चपरासी वाले काम भी वो हरामी उस बेचारी से करवाता जैसे पानी मंगवाना या फिर फाइल और दूसरी चीजें मंगवाना भिजवाना । बेचारी इस शहर में अपने मामू के पास रहती थी । सभी को लगभग उससे हमदर्दी थी मगर उसकी कसी जवानी और अनछुआ बदन ऑफिस में किसे नहीं लुभाता । अक्सर कही न कही उसको दबोचने की चर्चा होती रहती गुपचुप में ।
मेरा मोबाइल रिंग हुआ तब कही मै उसकी ओर से नजरे हटाया और तब समझ आया कि मैं तो काफी समय से उसकी ओर देखे जा रहा था ।
फोन अलीना का था और उससे बातें करते हुए मेरी नजर रह रह कर सबनम कि ओर जा रही थी , एकदम से उसके चेहरे पर मुस्कुरा आ गई थी । चेहरा गुलाबी होने लगा था और बार बार वो फाइल में कुछ करेक्शन करती हुई अपने गिरते लट को कानो ने उलझाती हुई मेरी ओर देखती कि मै उसे देख रहा हु या नहीं ।
मैने फोन रखा और खड़ा होकर उसकी ओर बढ़ने लगा , उसकी बेचैनी साफ साफ दिखने लगी , निगाहे उसकी चकर मकर हो रही थी और हाथ कांप रहे थे । मगर मै उसके बगल से निकल कर ऑफिस की टेरेस की ओर चला गया ।
क्योंकि काफी समय से मेरे सुपाड़े में कुलबुलाहट सी हो रही थी और बाथरूम में ऊपर ही था ।
किसी तरह खुद को छिपाते हुए मै छत पर आ गया लेकिन यहां तो मेरे लौड़े लगे हुए थे , लास्ट बार की तरह इस बार भी मैने जीने का दरवाजा खुला रखा था ताकि जुबैदा चच्ची की छत फांद कर अपने छत से मै नीचे चला आऊ मगर यहां तो दरवाजा बंद था ।
3 - 4 बार कोशिश की मगर नहीं खुला तो मै समझ गया कि जरूर अम्मी किसी काम से छत पर आई होंगी और दरवाजा बंद कर चली गई ।
खड़े लंड पर धोखा सा लग रहा था और भीतर की तड़प बढ़ती ही जा रही थी ये सोच कर कि ना जाने अम्मी अपनी सहेली को कमरे में नंगी कर क्या कर रही होगी ।
जैसे अब्बू ने वो वीडियो भेजी थी क्या अम्मी भी नगमा मामी की चूत चाट रही होगी
अम्मी भी नगमा मामी की चूचियां मिजेंगी अह्ह्ह्ह सोच कर ही लंड फौलादी हुआ जा रहा था , कि अब फटे तब फटे ।
मगर ज्यादा समय तक मेरा छत पर रहना ठीक नहीं था , अम्मी को ना जाने कैसे मेरे हरकतों की भनक लगती जा रही थी । इसीलिए मै लापरवाही न करते हुए वहा से निकल गया ।
: अबे कहा घूम रहा है ( सिराज ने पीछे से दबोचा )
: अबे तू ( साले कहा से आया )
: मूतने आया था , तो बाथरूम में तू गया था
: ठीक है जल्दी जा निपट ले ( मै उसको बोला और छत से सड़क की ओर देखने लगा कि जीने पर कुछ आहट हुई और ये सबनम थी ।)
अब जहां ड्यूटी करता था कोई मॉल या प्राइवेट कंपनी थी नहीं जो महिला पुरुष के लिए अलग अलग प्रसाधन बनवाती , ले दे कर पूरे ऑफिस में दो ही बाथरूम थे एक ग्राउंड फ्लोर पर हो पूर्ण रूप से सार्वजनिक होने के कारण कोई भी कर्मचारी उसमें नहीं जाता था इसके बजाय सब ऊपर ही आते थे ।
वो बिना बोले सीधे बाथरूम की ओर जाने लगी : सबनम रुको , वो सिराज गया है ( ना चाहते हुए भी मुझे उसको रोकना पड़ा )
वो रुक गई और मुस्कुराते हुए किनारे खड़ी हो गई , मुझसे रहा नही गया और मै टहलते हुए उसके पास गए
: हाय ( मै चहक कर उससे बोला )
: हाय ( वो मुंह बना कर बोली , पुरवा हवा से उसका शिफॉन का दुपट्टा उसके सीने से चिपक गया था और उसके दोनों नारंगी से उभार साफ साफ नजर आ रहे थे , जी तो कर रहा था यही खुली छत पर उसकी पतली कमर में हाथ डाल कर उसके लिप्स चूसने लग जाऊ , जानता था कि सबनम जरा भी ऐतराज नहीं करेगी ।
: अच्छी हवा चल रही है न ( मै मुस्कुरा कर उसकी ओर देखा )
: हम्म्म ( वो बिना मेरी ओर देखे बोली )
: गुस्सा हो मुझसे ( मैने उसकी ओर घूमकर कहा )
: मै कौन हूं तुम्हारी जो तुमसे गुस्सा रहूं ( उसकी पूरी हरकते प्रेमिकाओं वाली थी , वैसे ही तुनकना और हक जताना , जिसपे मुझे ज्यादातर इरिटेशन ही होती थी मगर हवस की लालच में मुझे हसी आ रही थी )
: क्यों तुम मेरी दोस्त नहीं हो ( मैने दाव फेका )
: दोस्त ?? ( वो हस्ते हुए बोली और एक दर्द सा दिखा उसकी आंखों में )
: तुम मायने भी जानते हो शानू दोस्ती के ( वो मुझे समझाते हुए बोली ) तुम्हारे लिए पैसे वाले लोग ही तुम्हारे दोस्त हो सकते है , मै तुम्हारी दोस्त नहीं हो सकती ( लगभग डबडबा गई उसकी आंखे जैसे कितना दर्द लिए बैठी थी मन में और अभी भी उसे निकालना नहीं चाहती थी )
वो वहां से निकल गई इससे पहले कि सिराज आता ।
: कौन था बे ( बाथरूम से निकलता हुआ बोला )
: क कोई तो नहीं ( मैने बात छुपाई )
: अबे मुझे तो आवाज आई किसी लड़की की ( इधर उधर देखने लगा )
: साले साठिया गया है क्या बहनचोद , चल
फिर मै सिराज नीचे आए और मेरी नजर सबनम की ओर गई , वो मेरे ओर देख नहीं रही थी बस चुप थी अपने काम में मशगूल ।
ऑफिस बंद हुआ तो सिराज ने अपने घर चलने को कहा लेकिन मैने मना कर दिया और अपने घर के लिए निकल गया बाइक से
मै घर आ चुका था और नगमा मामी जा चुकी थी ,
उस वक्त अम्मी घर में अकेली थी और मै फ्रेश होकर नीचे आया , मेरा मूड खराब हुआ पड़ा था जो दुपहर में हुआ उसको लेकर ।
अम्मी खाने का प्लेट लेकर आई और मुझे देकर मुस्कुराते हुए चली गई । जल कर रह गया भीतर से ये जानकर कि अम्मी ने जानबूझ कर दरवाजा बंद किया था । अम्मी मेरे मजे ले रही थी और मेरा मूड उखड़ा हुआ था ।
खाने का जरा भी मन नहीं हो रहा था ।
: हम्म्म ले चला ले , जान रही हूं बिना मोबाइल के खाना गले से उतरेगा नहीं ( वो गले में ही हस कर मेरे मजे लेते हुए बोली लेकिन उनके खिले हुए गुलाबी गाल उनकी सारी शरारतें बयान कर रही थी )
आंखे उठा कर मै मोबाईल लिया और हल्का सा मुस्कुराया और लगभग लजा ही गया था मानो ।
जैसे ही अम्मी किचन की ओर गई मैने फटाफट करके गैलरी व्हाट्सएप फाइल्स खंगालने लगा , मगर जिस चीज की तलाश थी मुझे वो दिखी ही नहीं ।
अब्बू से व्हाट्सअप चैट पूरी क्लीन थी , पूरा का पूरा कैमरा फोल्डर ही डिलीट था और गैलरी में मुझे मेरा ही थोबडा नजर आ रहा था ।
: कुछ दूं शानू ( किचन से अम्मी ने आवाज दी )
: न नहीं अम्मी ( मै हड़बड़ा कर यूट्यूब चालू कर तारक मेहता देखने लगा ) मेरी नजर सीरियल की कोमल आंटी पर थी शॉर्ट कुर्ती में झलकते हुए उसके बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों को देख कर अम्मी के गाड़ का ख्याल आ रहा था ।
तभी मेरे कानो में अम्मी की खनक भरी हंसी आई और मै बुरा सा मुंह बनाता हुआ खाना खाने लगा , क्योंकि अम्मी छुप कर मुझे फोन खंगालते जरूर देखी होगी ऐसा मेरा यकीन था और मेरे मजे ले रही थी ।
कुछ देर बाद मै ऊपर चला गया और अपना प्रोजेक्ट लिखने लगा , एग्जाम सर पर थी मगर घंटा मेरा मन पढ़ाई में था । रह रह कर नगमा मामी और अम्मी के बीच हुई मस्ती न देख पाने का मलाल था ।
घड़ी में 5 बजे थे और मन नहीं लग रहा था तो सोचा कि बाहर टहल लेना ही सही होगा , मै कमरे से बाहर आया और जीने से नीचे आते ही अम्मी की खनकती हंसी आई वो फोन पर बातें कर रही थी ।
मै दबेपाव चुपके से जीने पर ही खड़े होकर उनकी आवाज सुनने लगा
: बहुत शरारती हो गया है वो , अभी कल मार भी पड़ी लेकिन बाज नहीं आया , स्कूल से आते ही मोबाइल में जल्दी जल्दी खोजने लगा हीहीहीही ( खीझ रहा था मै और गुस्सा भी आ रहा था अम्मी पर कि मेरा मजा ले ही रही थी अब अपनी सहेली को भी बता रही है )
: हा यार पूरी फोल्डर ही मैने ट्रांसफर कर दी , तू फिकर मत कर वो नहीं खोज पायेगा हीहीही ( अम्मी की बातें सुनकर मेरी डूबती उम्मीद को एक किनारे का सहारा दिखा )
: पूरे 64GB की है , अब सारे वीडियो उसी में रखने वाली हु और तू जरा सावधानी से कुछ भेजना समझी
मै अम्मी की बातें सुनकर 4 कदम पीछे हो गया और समझ गया कि अम्मी ने जरूर सारी फाइल किसी मेमोरी कार्ड में ट्रांसफर कर ली । एक ओर मुझे खुशी थी मगर वो मेमोरी होगी कहा उसको खोजना पड़ेगा ।
मगर मुझे एक इडिया सुझा था और वो शायद अम्मी के शातिर दिमाग को भी मात देने वाला था ।
: अम्मी , अम्मी ( मै जानबूझ कर आवाज देता हुआ नीचे आया )
: हा बेटा ( अम्मी अभी भी फोन पर थी )
: 20 रुपए दो न , समोसे खाने है
: अकेले खायेगा क्या ? ( अम्मी हस कर बोली )
: तो 30 दो ( मै हाथ आगे करता हुआ बोला)
: रुक देती हु ( अम्मी आलमारी से अपना पर्स निकाल कर छूटे पैसे खोजने लगी और मै उनके बगल में खड़ा था )
: अरे 100 वाली दो न ( मै चहक कर बोला और मेरी नजर पैसों के बीच एक कोने पर काली मेमरी कार्ड पर गई , शायद अम्मी को लगा मै देख लूंगा तो वो घूम गई )
: नहीं फालतू खर्चा नहीं ( मेरी ओर पीठ करती हुई वो 50 का नोट दे दी ) ये ले और बाकी के मुझे वापस करना
: ठीक है
फिर मै निकल गया , समोसे मुझे वैसे भी नहीं खाने थे , मैने तो बस मेरा तुक्का चलाया था । जानता था मेमोरी जैसी छोटी चीज को अम्मी सिर्फ अपने पर्सनल पर्स में ही रखेंगी वो भी पैसे वाले में । बस मुझे इस चीज को कनफर्म करना था और दूसरा अम्मी से पैसे लेने का कारण एक और था ।
मै घर से निकल सीधा एक मोबाइल रिपेयरिंग शॉप पर गया और वहां से 20 रुपए की एक USB drive ले लिया जिसमें मेमोरी कार्ड फिट होती हो और फिर रास्ते में अम्मी के लिए समोसा पैक करवा कर वापस घर आ चुका था ।
शाम ढल रही थीं और जैसा आम छोटे कस्बों के मोहल्लों में होता है , औरतें या छत पर या फिर घर के बाहर सड़क पर खड़ी होकर बातें करती है ये उनके लिए फुरसत के कुछ आधे एक घंटे होते है क्योंकि फिर उन्हें रात के खाने की तैयारियां करनी होती है ।
अम्मी भी बाहर निकल कर बगल में जुबैदा चच्ची से बातें कर रही थी , मैने उन्हें प्रोजेक्ट लिखने का बोलकर मोबाईल पहले ही उन्हें दे दिया था ताकि वो बेफिक्र रहें ।
मै धीरे से अम्मी के कमरे में गया और आलमारी से सबसे पहले अब्बू का लैपटॉप और फिर अम्मी के परस से मेमोरी लेकर सरपट अपने कमरे में आ गया ।
लास्ट खूंटी के साथ लैपटॉप भी कुछ खास चार्ज नहीं था , मगर इतना जरूर था कि मेरा काम हो जाए ।
मैने USB drive में मेमोरी कार्ड लगाई और पोर्ट में इंसर्ट किया
!! BBOOOOOOOMM !!
एक एक करके धड़ाधक 15 - 20 वीडियो क्लिप और तकरीबन इससे ज्यादा न्यूड तस्वीरें
सबसे भड़कीले तस्वीर पर मैने क्लिक किया और वो लोड होने लगा
इधर चादर में मेरा लंड अलग उफान पर था और मै उसको मसल रहा था जैसे ही तस्वीर खुली दिल धक्क रह गया ।
अम्मी ब्रा पैंटी में में आगे की ओर झुक कर अपनी पैंटी निकाल रही थी जो लगभग आधी से ज्यादा उनकी गाड़ से उतर चुकी थी और झुकने की वजह से अम्मी की मोटी चौकी गाड़ और भी ज्यादा फैल गई थी , गहरी भूरी दरारें किसी खाई के ऐसे थी , देख कर ही लंड का सुपाड़ा पूरा मुंह खोलने लगा ।
मैने बिना बैक किए दूसरी तस्वीर के एरो बटन पर क्लिक किया और मेरी आंखे चौंधिया सी गई मानो , लैपटॉप पर फुल स्क्रीन पर अम्मी की बड़ी सी नंगी गाड़ ऐसी फैली हुई थी मानो वो सच में मेरे आगे नंगी झुकी थी ।
तस्वीर इतनी साफ थी कि अम्मी के गाड़ के उभरे हुए रोए साफ साफ नजर आ रहे थे ।
मै लंड को मजबूती से पकड़ कर खुद को काबू कर रहा था , दिल मेरा दुगनी रफ्तार से धड़क रहा था । इस कामोत्तेजना में डर का छौंका अलग लगा हुआ था कि कही से अम्मी ऊपर न आ जाए
तभी अगली क्लिक हुई और नकाबपोश महिला पूरा बदन नंगा
उफ्फ आंखों को देखते ही मै पहचान गया कि ये नगमा मामी है
बड़े बड़े पपीते से लटके हुए चूचे और पतली कमर क्लीन शेव चूत और गदराई जांघें , दोनो हाथ ऊपर किए हुए ।
: अह्ह्ह्ह्ह मामी क्या माल हो तुम ओह्ह्ह्ह फक्क्क् ( मै मेरा लंड मसलते हुए बोला )
अगली क्लिक पर फिर से नगमा मामी की तस्वीर , लगभग मिलती जुलती मगर और भी ज्यादा कामुक ।
हाल के सोफे पर घूमते फोल्ड कर बड़ी कामुक अदा से अपनी चूत के फाकों को चौड़ी करके दिखा रही थी ।
मुझसे रहा नही गया और मैने बैक करके सीधा वीडियो पर क्लिक किया
: अरे अच्छे से उठा न पूरा हा ऐसे ( वीडियो के अम्मी की आवाज आ थी , मैने झट से वॉल्यूम कम किया )
सामने लैपटॉप की स्क्रीन पर नगमा मामी अपना बुरका उठा रही थी और अपने चूतड़ नंगी कर रही थी)
: अह्ह्ह्ह्ह बहनचोद कितनी गोरी है तू अंदर से रे अह्ह्ह्ह्ह ( अम्मी के मुंह से गाली सुनकर मेरी तो आंखे ही फटी रह गई और लंड पूरा अकड़ कर रोड हुआ जा रहा था ।
वो क्लिप खत्म होते ही दूसरी खुद ब खुद शुरू हो गई जिसमें नगमा मामी अपने जिस्म से बुरका निकाल रही थी और धीरे धीरे पूरी नंगी हो रही थी
: बहनचोद तो क्या ये ऐसे ही आई थी बिना कपड़ो के अह्ह्ह्ह्ह साली क्या गोरी गाड़ है एकदम मक्खन सीईईईई ( मै चादर में लंड हिलाते हुए बड़बड़ाया )
अगली वीडियो में अम्मी भी सिसक रही थी और सामने नगमा मामी पूरी नंगी लेती हुई अपनी चूत में उंगली कर रही थी
: अह्ह्ह्ह्ह फरीदा पेल दे मुझे ,लंड दिला दे मुझे अह्ह्ह्ह्ह चोद दे मुझे
: अह्ह्ह्ह्ह मेरी जान दिलाऊंगी न तुझे तेरे जीजा का लंड ओह्ह्ह्ह अम्मीई बोल लेगी अह्ह्ह्ह्ह बहुत मोटा है बैगन जैसा तेरा भोसड़ा फट जाएगा
: हा ले लूंगी अह्ह्ह्ह कुछ कर ओह्ह्ह अम्मीईई अह्ह्ह्ह शानू के अब्बू मेरे राजा मेरे जीजू पेलो न मुझे ( नगमा मामी की बातें सुनकर मैं अलग ही काम कल्पना में खो गया और आंखे बंद कर सोचने लगा कि कैसा होगा जब इतनी गर्म औरत को मेरे अब्बू चोदेंगे।। पूरे घर में इसकी चीखे गूंजेगी
अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ अअम्मीईई अह्ह्ह्ह्ह मै तेजी से चादर में लंड मुठिया रहा था कि इतने ने फुर्ती से किसी ने मेरे ऊपर से चादर खींचा और मै हड़बड़ा कर अपनी इज्जत को छुपाने लगा मगर तब तक देर हो चुकी थी
मेरे सबर का फब्बारा फूट चुका था और उसके छींटे इधर उधर बिखरने लगे थे
: अम्मीईईई आप.... ( एक जोरदार तमाचा मेरे गाल पर लगा और मैं चौंधिया के बिस्तर पर गिर पड़ा )
Ye bat bar shanu pakda jata hai jab pata tha risk hai to sirf laptop me loda karke memory wapas rakh deta bad me dekhta ab lag gyi chamat ab to kher nhi shanu ki to
" Ye aise kyu react kar rahi thi " ( मैम ने टैक्स्ट से पूछा )
" Kuch nahi jalati hai hmari dosti se " ( मै मेरे काउंटर पर बैठे हुए एक कार्नर पर रेशमा मैम को उनके केबिन में देख रहा था और मुस्कुराते हुए उन्हें रिप्लाई कर रहा था )
" You are so rude shaanu , itna bhi kya tadapna kisi ko " ( मैसेज टाइप कर वो मुझे देखने लगी )
" To kya sabko chodta chalu ab " ( मैं रिप्लाई कर उनकी ओर देखा और जैसे वो मेरा मैसेज पढ़ी उनके मुंह से हंसी की पिचकारी मानो फूट पड़ी और वो मुंह पर हाथ रख कर हसने लगी और मुझे देख कर नजरे फेर ली )
" Kyu , bolo ab kya hua " ( मैने दुबारा मैसेज किया )
" Agar mai kahungi to kar loge kya " ( उनका मैसेज पढ़ते ही मेरा लंड अकड़ने लगा )
" Ha agar aapko pasnad hai mujhe kisi ko sex karate dekhna to , mujhe kya dikkat " ( मै रिप्लाई करके उनकी प्रतिक्रिया के लिए उनकी ओर देखा )
: bahut kamine ho tum , gande kahi ke ( वो मुझे मैसेज कर आंखे दिखा रही थी लेकिन उनके चेहरे की गुलाबी हसी छिप नहीं पा रही थी )
: sach kah raha hu agar aap ha karo to yahi office me isko chod dunga , wo bhi apke samne ( मैंने बड़े रुआब से मैसेज कर अपनी चेयर पर झूलता हुआ उनकी ओर देखा और वो बड़े ताज्जुब से मेरा मैसेज पढ़ी , उनकी आंखे बड़ी हो गई थी )
" achcha itne daring baaz ho , lekin bachchu wo manegi tb na " ( उन्होने रिप्लाई किया )
" Lagi bet , agar wo man gayi to apko bhi meri baat manani padegi " ( मै पूरे आत्मविश्वास से उनको मैसेज कर घुरा )
" Kya, karnaa hoga mujhe " ( मैसेज भेज कर वो मुझे इशारे से पूछी )
" Wo baad me bataunga, aap ready ho bet ke liye " ( मैं मुस्कुराया )
" Thik hai bachchu , sabnam ko tum jitni kachchi khidalin samjh rahe ho wo itni hai nhi , dekhna bet mai hi jeetungi aur mai jeet gayi toh tumhe bhi mera kaha kuch Krna pdega, done ? " ( काफी देर टाइप करने के बाद वो भी बड़े रुआब में मेरी तरह ही अपनी चेयर पर सिर पीछे टीका कर मेरी ओर देखने लगी )
" Done" ( मैने भी उनका मैसेज पढ़ कर रिप्लाई करने में देरी नहीं की )
" Waise aapki baaton ne mera land khda kar diya hai , aau chusoge " ( मैने दुबारा से मैसेज कर बड़ी शरारत भरी नजरो से उन्हें देखा)
वो लाज से मुस्कुरा कर वही से बैठे मुझे डांट लगा रही थी फिर कुछ टाइप करने लगी और मेरा मोबाइल बीप हुआ
" Agar Sabanam ko chod diye to uske samne tumhara mota land chusungi , ye meri tarf se gift rahegi tumhari jeet ki " ( अह्ह्ह्ह्ह मैसेज पढ़ कर ही लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और धीरे से मिज दिया मै उसको )
" Lekin aaj raat me to dogi na " ( मैने गुजारिश भरी नजरो से देखा )
" No, aaj mujhe ek dost ke yha jaana hai to sorry baby , kal pakka dungi " ( वो भी उदास होकर रिप्लाई की )
" Waise bhi tum Sabnam par focus Karo , aaj uski salwaar kuch jyada hi chust hai " ( मैम ने मेरा मूड सही करने के लिए मैसेज किया मगर आज रात उन्हें ना चोद पाने का ग़म तो रहेगा ही ) मै मैसेज पढ़ रहा था और मेरी नजर फौरन सबनम को खोजने लगी ।
आहूजा के ऑफिस ने सबनम निकली और जैसे ही मेरे पास से गुजरी , मेरी नजर उसकी लहराते सूट के नीचे चुस्त सलवार पर थी जो उसके गोल गोल पतीले जैसे चूतड़ों पर कसे हुए थे और लंबी टांगों में सिलवटें जांघों तक जा रही थी । उसके हल्के हल्के झटके खाते गाड़ को देख कर जी ललचा गया ।
: हाय सबनम ( उस मतवाली के कड़क थिरकते चूतड़ को देखकर मन में बड़बड़ाता हुआ अपना लंड मसल दिया मैने
सबनम - ये भी सिराज के जैसे ही प्राइवेट थी और 12000 की तनख्वाह पर जॉब करती थी । कार्यालय सहायिका का पद था उसका मगर प्राइवेट होने के कारण आहूजा उसे कुछ खास तबज्जों नहीं देता था उसका एक कारण था कि सबनम ने उसके ऑफर को पूरी तरह मना कर दिया था और ये बात ऑफिस में सभी जानते थे । इसीलिए कभी कभी चपरासी वाले काम भी वो हरामी उस बेचारी से करवाता जैसे पानी मंगवाना या फिर फाइल और दूसरी चीजें मंगवाना भिजवाना । बेचारी इस शहर में अपने मामू के पास रहती थी । सभी को लगभग उससे हमदर्दी थी मगर उसकी कसी जवानी और अनछुआ बदन ऑफिस में किसे नहीं लुभाता । अक्सर कही न कही उसको दबोचने की चर्चा होती रहती गुपचुप में ।
मेरा मोबाइल रिंग हुआ तब कही मै उसकी ओर से नजरे हटाया और तब समझ आया कि मैं तो काफी समय से उसकी ओर देखे जा रहा था ।
फोन अलीना का था और उससे बातें करते हुए मेरी नजर रह रह कर सबनम कि ओर जा रही थी , एकदम से उसके चेहरे पर मुस्कुरा आ गई थी । चेहरा गुलाबी होने लगा था और बार बार वो फाइल में कुछ करेक्शन करती हुई अपने गिरते लट को कानो ने उलझाती हुई मेरी ओर देखती कि मै उसे देख रहा हु या नहीं ।
मैने फोन रखा और खड़ा होकर उसकी ओर बढ़ने लगा , उसकी बेचैनी साफ साफ दिखने लगी , निगाहे उसकी चकर मकर हो रही थी और हाथ कांप रहे थे । मगर मै उसके बगल से निकल कर ऑफिस की टेरेस की ओर चला गया ।
क्योंकि काफी समय से मेरे सुपाड़े में कुलबुलाहट सी हो रही थी और बाथरूम में ऊपर ही था ।
किसी तरह खुद को छिपाते हुए मै छत पर आ गया लेकिन यहां तो मेरे लौड़े लगे हुए थे , लास्ट बार की तरह इस बार भी मैने जीने का दरवाजा खुला रखा था ताकि जुबैदा चच्ची की छत फांद कर अपने छत से मै नीचे चला आऊ मगर यहां तो दरवाजा बंद था ।
3 - 4 बार कोशिश की मगर नहीं खुला तो मै समझ गया कि जरूर अम्मी किसी काम से छत पर आई होंगी और दरवाजा बंद कर चली गई ।
खड़े लंड पर धोखा सा लग रहा था और भीतर की तड़प बढ़ती ही जा रही थी ये सोच कर कि ना जाने अम्मी अपनी सहेली को कमरे में नंगी कर क्या कर रही होगी ।
जैसे अब्बू ने वो वीडियो भेजी थी क्या अम्मी भी नगमा मामी की चूत चाट रही होगी
अम्मी भी नगमा मामी की चूचियां मिजेंगी अह्ह्ह्ह सोच कर ही लंड फौलादी हुआ जा रहा था , कि अब फटे तब फटे ।
मगर ज्यादा समय तक मेरा छत पर रहना ठीक नहीं था , अम्मी को ना जाने कैसे मेरे हरकतों की भनक लगती जा रही थी । इसीलिए मै लापरवाही न करते हुए वहा से निकल गया ।
: अबे कहा घूम रहा है ( सिराज ने पीछे से दबोचा )
: अबे तू ( साले कहा से आया )
: मूतने आया था , तो बाथरूम में तू गया था
: ठीक है जल्दी जा निपट ले ( मै उसको बोला और छत से सड़क की ओर देखने लगा कि जीने पर कुछ आहट हुई और ये सबनम थी ।)
अब जहां ड्यूटी करता था कोई मॉल या प्राइवेट कंपनी थी नहीं जो महिला पुरुष के लिए अलग अलग प्रसाधन बनवाती , ले दे कर पूरे ऑफिस में दो ही बाथरूम थे एक ग्राउंड फ्लोर पर हो पूर्ण रूप से सार्वजनिक होने के कारण कोई भी कर्मचारी उसमें नहीं जाता था इसके बजाय सब ऊपर ही आते थे ।
वो बिना बोले सीधे बाथरूम की ओर जाने लगी : सबनम रुको , वो सिराज गया है ( ना चाहते हुए भी मुझे उसको रोकना पड़ा )
वो रुक गई और मुस्कुराते हुए किनारे खड़ी हो गई , मुझसे रहा नही गया और मै टहलते हुए उसके पास गए
: हाय ( मै चहक कर उससे बोला )
: हाय ( वो मुंह बना कर बोली , पुरवा हवा से उसका शिफॉन का दुपट्टा उसके सीने से चिपक गया था और उसके दोनों नारंगी से उभार साफ साफ नजर आ रहे थे , जी तो कर रहा था यही खुली छत पर उसकी पतली कमर में हाथ डाल कर उसके लिप्स चूसने लग जाऊ , जानता था कि सबनम जरा भी ऐतराज नहीं करेगी ।
: अच्छी हवा चल रही है न ( मै मुस्कुरा कर उसकी ओर देखा )
: हम्म्म ( वो बिना मेरी ओर देखे बोली )
: गुस्सा हो मुझसे ( मैने उसकी ओर घूमकर कहा )
: मै कौन हूं तुम्हारी जो तुमसे गुस्सा रहूं ( उसकी पूरी हरकते प्रेमिकाओं वाली थी , वैसे ही तुनकना और हक जताना , जिसपे मुझे ज्यादातर इरिटेशन ही होती थी मगर हवस की लालच में मुझे हसी आ रही थी )
: क्यों तुम मेरी दोस्त नहीं हो ( मैने दाव फेका )
: दोस्त ?? ( वो हस्ते हुए बोली और एक दर्द सा दिखा उसकी आंखों में )
: तुम मायने भी जानते हो शानू दोस्ती के ( वो मुझे समझाते हुए बोली ) तुम्हारे लिए पैसे वाले लोग ही तुम्हारे दोस्त हो सकते है , मै तुम्हारी दोस्त नहीं हो सकती ( लगभग डबडबा गई उसकी आंखे जैसे कितना दर्द लिए बैठी थी मन में और अभी भी उसे निकालना नहीं चाहती थी )
वो वहां से निकल गई इससे पहले कि सिराज आता ।
: कौन था बे ( बाथरूम से निकलता हुआ बोला )
: क कोई तो नहीं ( मैने बात छुपाई )
: अबे मुझे तो आवाज आई किसी लड़की की ( इधर उधर देखने लगा )
: साले साठिया गया है क्या बहनचोद , चल
फिर मै सिराज नीचे आए और मेरी नजर सबनम की ओर गई , वो मेरे ओर देख नहीं रही थी बस चुप थी अपने काम में मशगूल ।
ऑफिस बंद हुआ तो सिराज ने अपने घर चलने को कहा लेकिन मैने मना कर दिया और अपने घर के लिए निकल गया बाइक से
मै घर आ चुका था और नगमा मामी जा चुकी थी ,
उस वक्त अम्मी घर में अकेली थी और मै फ्रेश होकर नीचे आया , मेरा मूड खराब हुआ पड़ा था जो दुपहर में हुआ उसको लेकर ।
अम्मी खाने का प्लेट लेकर आई और मुझे देकर मुस्कुराते हुए चली गई । जल कर रह गया भीतर से ये जानकर कि अम्मी ने जानबूझ कर दरवाजा बंद किया था । अम्मी मेरे मजे ले रही थी और मेरा मूड उखड़ा हुआ था ।
खाने का जरा भी मन नहीं हो रहा था ।
: हम्म्म ले चला ले , जान रही हूं बिना मोबाइल के खाना गले से उतरेगा नहीं ( वो गले में ही हस कर मेरे मजे लेते हुए बोली लेकिन उनके खिले हुए गुलाबी गाल उनकी सारी शरारतें बयान कर रही थी )
आंखे उठा कर मै मोबाईल लिया और हल्का सा मुस्कुराया और लगभग लजा ही गया था मानो ।
जैसे ही अम्मी किचन की ओर गई मैने फटाफट करके गैलरी व्हाट्सएप फाइल्स खंगालने लगा , मगर जिस चीज की तलाश थी मुझे वो दिखी ही नहीं ।
अब्बू से व्हाट्सअप चैट पूरी क्लीन थी , पूरा का पूरा कैमरा फोल्डर ही डिलीट था और गैलरी में मुझे मेरा ही थोबडा नजर आ रहा था ।
: कुछ दूं शानू ( किचन से अम्मी ने आवाज दी )
: न नहीं अम्मी ( मै हड़बड़ा कर यूट्यूब चालू कर तारक मेहता देखने लगा ) मेरी नजर सीरियल की कोमल आंटी पर थी शॉर्ट कुर्ती में झलकते हुए उसके बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों को देख कर अम्मी के गाड़ का ख्याल आ रहा था ।
तभी मेरे कानो में अम्मी की खनक भरी हंसी आई और मै बुरा सा मुंह बनाता हुआ खाना खाने लगा , क्योंकि अम्मी छुप कर मुझे फोन खंगालते जरूर देखी होगी ऐसा मेरा यकीन था और मेरे मजे ले रही थी ।
कुछ देर बाद मै ऊपर चला गया और अपना प्रोजेक्ट लिखने लगा , एग्जाम सर पर थी मगर घंटा मेरा मन पढ़ाई में था । रह रह कर नगमा मामी और अम्मी के बीच हुई मस्ती न देख पाने का मलाल था ।
घड़ी में 5 बजे थे और मन नहीं लग रहा था तो सोचा कि बाहर टहल लेना ही सही होगा , मै कमरे से बाहर आया और जीने से नीचे आते ही अम्मी की खनकती हंसी आई वो फोन पर बातें कर रही थी ।
मै दबेपाव चुपके से जीने पर ही खड़े होकर उनकी आवाज सुनने लगा
: बहुत शरारती हो गया है वो , अभी कल मार भी पड़ी लेकिन बाज नहीं आया , स्कूल से आते ही मोबाइल में जल्दी जल्दी खोजने लगा हीहीहीही ( खीझ रहा था मै और गुस्सा भी आ रहा था अम्मी पर कि मेरा मजा ले ही रही थी अब अपनी सहेली को भी बता रही है )
: हा यार पूरी फोल्डर ही मैने ट्रांसफर कर दी , तू फिकर मत कर वो नहीं खोज पायेगा हीहीही ( अम्मी की बातें सुनकर मेरी डूबती उम्मीद को एक किनारे का सहारा दिखा )
: पूरे 64GB की है , अब सारे वीडियो उसी में रखने वाली हु और तू जरा सावधानी से कुछ भेजना समझी
मै अम्मी की बातें सुनकर 4 कदम पीछे हो गया और समझ गया कि अम्मी ने जरूर सारी फाइल किसी मेमोरी कार्ड में ट्रांसफर कर ली । एक ओर मुझे खुशी थी मगर वो मेमोरी होगी कहा उसको खोजना पड़ेगा ।
मगर मुझे एक इडिया सुझा था और वो शायद अम्मी के शातिर दिमाग को भी मात देने वाला था ।
: अम्मी , अम्मी ( मै जानबूझ कर आवाज देता हुआ नीचे आया )
: हा बेटा ( अम्मी अभी भी फोन पर थी )
: 20 रुपए दो न , समोसे खाने है
: अकेले खायेगा क्या ? ( अम्मी हस कर बोली )
: तो 30 दो ( मै हाथ आगे करता हुआ बोला)
: रुक देती हु ( अम्मी आलमारी से अपना पर्स निकाल कर छूटे पैसे खोजने लगी और मै उनके बगल में खड़ा था )
: अरे 100 वाली दो न ( मै चहक कर बोला और मेरी नजर पैसों के बीच एक कोने पर काली मेमरी कार्ड पर गई , शायद अम्मी को लगा मै देख लूंगा तो वो घूम गई )
: नहीं फालतू खर्चा नहीं ( मेरी ओर पीठ करती हुई वो 50 का नोट दे दी ) ये ले और बाकी के मुझे वापस करना
: ठीक है
फिर मै निकल गया , समोसे मुझे वैसे भी नहीं खाने थे , मैने तो बस मेरा तुक्का चलाया था । जानता था मेमोरी जैसी छोटी चीज को अम्मी सिर्फ अपने पर्सनल पर्स में ही रखेंगी वो भी पैसे वाले में । बस मुझे इस चीज को कनफर्म करना था और दूसरा अम्मी से पैसे लेने का कारण एक और था ।
मै घर से निकल सीधा एक मोबाइल रिपेयरिंग शॉप पर गया और वहां से 20 रुपए की एक USB drive ले लिया जिसमें मेमोरी कार्ड फिट होती हो और फिर रास्ते में अम्मी के लिए समोसा पैक करवा कर वापस घर आ चुका था ।
शाम ढल रही थीं और जैसा आम छोटे कस्बों के मोहल्लों में होता है , औरतें या छत पर या फिर घर के बाहर सड़क पर खड़ी होकर बातें करती है ये उनके लिए फुरसत के कुछ आधे एक घंटे होते है क्योंकि फिर उन्हें रात के खाने की तैयारियां करनी होती है ।
अम्मी भी बाहर निकल कर बगल में जुबैदा चच्ची से बातें कर रही थी , मैने उन्हें प्रोजेक्ट लिखने का बोलकर मोबाईल पहले ही उन्हें दे दिया था ताकि वो बेफिक्र रहें ।
मै धीरे से अम्मी के कमरे में गया और आलमारी से सबसे पहले अब्बू का लैपटॉप और फिर अम्मी के परस से मेमोरी लेकर सरपट अपने कमरे में आ गया ।
लास्ट खूंटी के साथ लैपटॉप भी कुछ खास चार्ज नहीं था , मगर इतना जरूर था कि मेरा काम हो जाए ।
मैने USB drive में मेमोरी कार्ड लगाई और पोर्ट में इंसर्ट किया
!! BBOOOOOOOMM !!
एक एक करके धड़ाधक 15 - 20 वीडियो क्लिप और तकरीबन इससे ज्यादा न्यूड तस्वीरें
सबसे भड़कीले तस्वीर पर मैने क्लिक किया और वो लोड होने लगा
इधर चादर में मेरा लंड अलग उफान पर था और मै उसको मसल रहा था जैसे ही तस्वीर खुली दिल धक्क रह गया ।
अम्मी ब्रा पैंटी में में आगे की ओर झुक कर अपनी पैंटी निकाल रही थी जो लगभग आधी से ज्यादा उनकी गाड़ से उतर चुकी थी और झुकने की वजह से अम्मी की मोटी चौकी गाड़ और भी ज्यादा फैल गई थी , गहरी भूरी दरारें किसी खाई के ऐसे थी , देख कर ही लंड का सुपाड़ा पूरा मुंह खोलने लगा ।
मैने बिना बैक किए दूसरी तस्वीर के एरो बटन पर क्लिक किया और मेरी आंखे चौंधिया सी गई मानो , लैपटॉप पर फुल स्क्रीन पर अम्मी की बड़ी सी नंगी गाड़ ऐसी फैली हुई थी मानो वो सच में मेरे आगे नंगी झुकी थी ।
तस्वीर इतनी साफ थी कि अम्मी के गाड़ के उभरे हुए रोए साफ साफ नजर आ रहे थे ।
मै लंड को मजबूती से पकड़ कर खुद को काबू कर रहा था , दिल मेरा दुगनी रफ्तार से धड़क रहा था । इस कामोत्तेजना में डर का छौंका अलग लगा हुआ था कि कही से अम्मी ऊपर न आ जाए
तभी अगली क्लिक हुई और नकाबपोश महिला पूरा बदन नंगा
उफ्फ आंखों को देखते ही मै पहचान गया कि ये नगमा मामी है
बड़े बड़े पपीते से लटके हुए चूचे और पतली कमर क्लीन शेव चूत और गदराई जांघें , दोनो हाथ ऊपर किए हुए ।
: अह्ह्ह्ह्ह मामी क्या माल हो तुम ओह्ह्ह्ह फक्क्क् ( मै मेरा लंड मसलते हुए बोला )
अगली क्लिक पर फिर से नगमा मामी की तस्वीर , लगभग मिलती जुलती मगर और भी ज्यादा कामुक ।
हाल के सोफे पर घूमते फोल्ड कर बड़ी कामुक अदा से अपनी चूत के फाकों को चौड़ी करके दिखा रही थी ।
मुझसे रहा नही गया और मैने बैक करके सीधा वीडियो पर क्लिक किया
: अरे अच्छे से उठा न पूरा हा ऐसे ( वीडियो के अम्मी की आवाज आ थी , मैने झट से वॉल्यूम कम किया )
सामने लैपटॉप की स्क्रीन पर नगमा मामी अपना बुरका उठा रही थी और अपने चूतड़ नंगी कर रही थी)
: अह्ह्ह्ह्ह बहनचोद कितनी गोरी है तू अंदर से रे अह्ह्ह्ह्ह ( अम्मी के मुंह से गाली सुनकर मेरी तो आंखे ही फटी रह गई और लंड पूरा अकड़ कर रोड हुआ जा रहा था ।
वो क्लिप खत्म होते ही दूसरी खुद ब खुद शुरू हो गई जिसमें नगमा मामी अपने जिस्म से बुरका निकाल रही थी और धीरे धीरे पूरी नंगी हो रही थी
: बहनचोद तो क्या ये ऐसे ही आई थी बिना कपड़ो के अह्ह्ह्ह्ह साली क्या गोरी गाड़ है एकदम मक्खन सीईईईई ( मै चादर में लंड हिलाते हुए बड़बड़ाया )
अगली वीडियो में अम्मी भी सिसक रही थी और सामने नगमा मामी पूरी नंगी लेती हुई अपनी चूत में उंगली कर रही थी
: अह्ह्ह्ह्ह फरीदा पेल दे मुझे ,लंड दिला दे मुझे अह्ह्ह्ह्ह चोद दे मुझे
: अह्ह्ह्ह्ह मेरी जान दिलाऊंगी न तुझे तेरे जीजा का लंड ओह्ह्ह्ह अम्मीई बोल लेगी अह्ह्ह्ह्ह बहुत मोटा है बैगन जैसा तेरा भोसड़ा फट जाएगा
: हा ले लूंगी अह्ह्ह्ह कुछ कर ओह्ह्ह अम्मीईई अह्ह्ह्ह शानू के अब्बू मेरे राजा मेरे जीजू पेलो न मुझे ( नगमा मामी की बातें सुनकर मैं अलग ही काम कल्पना में खो गया और आंखे बंद कर सोचने लगा कि कैसा होगा जब इतनी गर्म औरत को मेरे अब्बू चोदेंगे।। पूरे घर में इसकी चीखे गूंजेगी
अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ अअम्मीईई अह्ह्ह्ह्ह मै तेजी से चादर में लंड मुठिया रहा था कि इतने ने फुर्ती से किसी ने मेरे ऊपर से चादर खींचा और मै हड़बड़ा कर अपनी इज्जत को छुपाने लगा मगर तब तक देर हो चुकी थी
मेरे सबर का फब्बारा फूट चुका था और उसके छींटे इधर उधर बिखरने लगे थे
: अम्मीईईई आप.... ( एक जोरदार तमाचा मेरे गाल पर लगा और मैं चौंधिया के बिस्तर पर गिर पड़ा )
Wow bhai kya jabardast update Diya h land khada ho kr dance krne lga esa lag rha h ki sach me mai land hila rha tha or farida ammi ne chadar hata di ho maza aa gya bhai
Jaldi se agla update de do bhai intjar nhi hota aab
" Ye aise kyu react kar rahi thi " ( मैम ने टैक्स्ट से पूछा )
" Kuch nahi jalati hai hmari dosti se " ( मै मेरे काउंटर पर बैठे हुए एक कार्नर पर रेशमा मैम को उनके केबिन में देख रहा था और मुस्कुराते हुए उन्हें रिप्लाई कर रहा था )
" You are so rude shaanu , itna bhi kya tadapna kisi ko " ( मैसेज टाइप कर वो मुझे देखने लगी )
" To kya sabko chodta chalu ab " ( मैं रिप्लाई कर उनकी ओर देखा और जैसे वो मेरा मैसेज पढ़ी उनके मुंह से हंसी की पिचकारी मानो फूट पड़ी और वो मुंह पर हाथ रख कर हसने लगी और मुझे देख कर नजरे फेर ली )
" Kyu , bolo ab kya hua " ( मैने दुबारा मैसेज किया )
" Agar mai kahungi to kar loge kya " ( उनका मैसेज पढ़ते ही मेरा लंड अकड़ने लगा )
" Ha agar aapko pasnad hai mujhe kisi ko sex karate dekhna to , mujhe kya dikkat " ( मै रिप्लाई करके उनकी प्रतिक्रिया के लिए उनकी ओर देखा )
: bahut kamine ho tum , gande kahi ke ( वो मुझे मैसेज कर आंखे दिखा रही थी लेकिन उनके चेहरे की गुलाबी हसी छिप नहीं पा रही थी )
: sach kah raha hu agar aap ha karo to yahi office me isko chod dunga , wo bhi apke samne ( मैंने बड़े रुआब से मैसेज कर अपनी चेयर पर झूलता हुआ उनकी ओर देखा और वो बड़े ताज्जुब से मेरा मैसेज पढ़ी , उनकी आंखे बड़ी हो गई थी )
" achcha itne daring baaz ho , lekin bachchu wo manegi tb na " ( उन्होने रिप्लाई किया )
" Lagi bet , agar wo man gayi to apko bhi meri baat manani padegi " ( मै पूरे आत्मविश्वास से उनको मैसेज कर घुरा )
" Kya, karnaa hoga mujhe " ( मैसेज भेज कर वो मुझे इशारे से पूछी )
" Wo baad me bataunga, aap ready ho bet ke liye " ( मैं मुस्कुराया )
" Thik hai bachchu , sabnam ko tum jitni kachchi khidalin samjh rahe ho wo itni hai nhi , dekhna bet mai hi jeetungi aur mai jeet gayi toh tumhe bhi mera kaha kuch Krna pdega, done ? " ( काफी देर टाइप करने के बाद वो भी बड़े रुआब में मेरी तरह ही अपनी चेयर पर सिर पीछे टीका कर मेरी ओर देखने लगी )
" Done" ( मैने भी उनका मैसेज पढ़ कर रिप्लाई करने में देरी नहीं की )
" Waise aapki baaton ne mera land khda kar diya hai , aau chusoge " ( मैने दुबारा से मैसेज कर बड़ी शरारत भरी नजरो से उन्हें देखा)
वो लाज से मुस्कुरा कर वही से बैठे मुझे डांट लगा रही थी फिर कुछ टाइप करने लगी और मेरा मोबाइल बीप हुआ
" Agar Sabanam ko chod diye to uske samne tumhara mota land chusungi , ye meri tarf se gift rahegi tumhari jeet ki " ( अह्ह्ह्ह्ह मैसेज पढ़ कर ही लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और धीरे से मिज दिया मै उसको )
" Lekin aaj raat me to dogi na " ( मैने गुजारिश भरी नजरो से देखा )
" No, aaj mujhe ek dost ke yha jaana hai to sorry baby , kal pakka dungi " ( वो भी उदास होकर रिप्लाई की )
" Waise bhi tum Sabnam par focus Karo , aaj uski salwaar kuch jyada hi chust hai " ( मैम ने मेरा मूड सही करने के लिए मैसेज किया मगर आज रात उन्हें ना चोद पाने का ग़म तो रहेगा ही ) मै मैसेज पढ़ रहा था और मेरी नजर फौरन सबनम को खोजने लगी ।
आहूजा के ऑफिस ने सबनम निकली और जैसे ही मेरे पास से गुजरी , मेरी नजर उसकी लहराते सूट के नीचे चुस्त सलवार पर थी जो उसके गोल गोल पतीले जैसे चूतड़ों पर कसे हुए थे और लंबी टांगों में सिलवटें जांघों तक जा रही थी । उसके हल्के हल्के झटके खाते गाड़ को देख कर जी ललचा गया ।
: हाय सबनम ( उस मतवाली के कड़क थिरकते चूतड़ को देखकर मन में बड़बड़ाता हुआ अपना लंड मसल दिया मैने
सबनम - ये भी सिराज के जैसे ही प्राइवेट थी और 12000 की तनख्वाह पर जॉब करती थी । कार्यालय सहायिका का पद था उसका मगर प्राइवेट होने के कारण आहूजा उसे कुछ खास तबज्जों नहीं देता था उसका एक कारण था कि सबनम ने उसके ऑफर को पूरी तरह मना कर दिया था और ये बात ऑफिस में सभी जानते थे । इसीलिए कभी कभी चपरासी वाले काम भी वो हरामी उस बेचारी से करवाता जैसे पानी मंगवाना या फिर फाइल और दूसरी चीजें मंगवाना भिजवाना । बेचारी इस शहर में अपने मामू के पास रहती थी । सभी को लगभग उससे हमदर्दी थी मगर उसकी कसी जवानी और अनछुआ बदन ऑफिस में किसे नहीं लुभाता । अक्सर कही न कही उसको दबोचने की चर्चा होती रहती गुपचुप में ।
मेरा मोबाइल रिंग हुआ तब कही मै उसकी ओर से नजरे हटाया और तब समझ आया कि मैं तो काफी समय से उसकी ओर देखे जा रहा था ।
फोन अलीना का था और उससे बातें करते हुए मेरी नजर रह रह कर सबनम कि ओर जा रही थी , एकदम से उसके चेहरे पर मुस्कुरा आ गई थी । चेहरा गुलाबी होने लगा था और बार बार वो फाइल में कुछ करेक्शन करती हुई अपने गिरते लट को कानो ने उलझाती हुई मेरी ओर देखती कि मै उसे देख रहा हु या नहीं ।
मैने फोन रखा और खड़ा होकर उसकी ओर बढ़ने लगा , उसकी बेचैनी साफ साफ दिखने लगी , निगाहे उसकी चकर मकर हो रही थी और हाथ कांप रहे थे । मगर मै उसके बगल से निकल कर ऑफिस की टेरेस की ओर चला गया ।
क्योंकि काफी समय से मेरे सुपाड़े में कुलबुलाहट सी हो रही थी और बाथरूम में ऊपर ही था ।
किसी तरह खुद को छिपाते हुए मै छत पर आ गया लेकिन यहां तो मेरे लौड़े लगे हुए थे , लास्ट बार की तरह इस बार भी मैने जीने का दरवाजा खुला रखा था ताकि जुबैदा चच्ची की छत फांद कर अपने छत से मै नीचे चला आऊ मगर यहां तो दरवाजा बंद था ।
3 - 4 बार कोशिश की मगर नहीं खुला तो मै समझ गया कि जरूर अम्मी किसी काम से छत पर आई होंगी और दरवाजा बंद कर चली गई ।
खड़े लंड पर धोखा सा लग रहा था और भीतर की तड़प बढ़ती ही जा रही थी ये सोच कर कि ना जाने अम्मी अपनी सहेली को कमरे में नंगी कर क्या कर रही होगी ।
जैसे अब्बू ने वो वीडियो भेजी थी क्या अम्मी भी नगमा मामी की चूत चाट रही होगी
अम्मी भी नगमा मामी की चूचियां मिजेंगी अह्ह्ह्ह सोच कर ही लंड फौलादी हुआ जा रहा था , कि अब फटे तब फटे ।
मगर ज्यादा समय तक मेरा छत पर रहना ठीक नहीं था , अम्मी को ना जाने कैसे मेरे हरकतों की भनक लगती जा रही थी । इसीलिए मै लापरवाही न करते हुए वहा से निकल गया ।
: अबे कहा घूम रहा है ( सिराज ने पीछे से दबोचा )
: अबे तू ( साले कहा से आया )
: मूतने आया था , तो बाथरूम में तू गया था
: ठीक है जल्दी जा निपट ले ( मै उसको बोला और छत से सड़क की ओर देखने लगा कि जीने पर कुछ आहट हुई और ये सबनम थी ।)
अब जहां ड्यूटी करता था कोई मॉल या प्राइवेट कंपनी थी नहीं जो महिला पुरुष के लिए अलग अलग प्रसाधन बनवाती , ले दे कर पूरे ऑफिस में दो ही बाथरूम थे एक ग्राउंड फ्लोर पर हो पूर्ण रूप से सार्वजनिक होने के कारण कोई भी कर्मचारी उसमें नहीं जाता था इसके बजाय सब ऊपर ही आते थे ।
वो बिना बोले सीधे बाथरूम की ओर जाने लगी : सबनम रुको , वो सिराज गया है ( ना चाहते हुए भी मुझे उसको रोकना पड़ा )
वो रुक गई और मुस्कुराते हुए किनारे खड़ी हो गई , मुझसे रहा नही गया और मै टहलते हुए उसके पास गए
: हाय ( मै चहक कर उससे बोला )
: हाय ( वो मुंह बना कर बोली , पुरवा हवा से उसका शिफॉन का दुपट्टा उसके सीने से चिपक गया था और उसके दोनों नारंगी से उभार साफ साफ नजर आ रहे थे , जी तो कर रहा था यही खुली छत पर उसकी पतली कमर में हाथ डाल कर उसके लिप्स चूसने लग जाऊ , जानता था कि सबनम जरा भी ऐतराज नहीं करेगी ।
: अच्छी हवा चल रही है न ( मै मुस्कुरा कर उसकी ओर देखा )
: हम्म्म ( वो बिना मेरी ओर देखे बोली )
: गुस्सा हो मुझसे ( मैने उसकी ओर घूमकर कहा )
: मै कौन हूं तुम्हारी जो तुमसे गुस्सा रहूं ( उसकी पूरी हरकते प्रेमिकाओं वाली थी , वैसे ही तुनकना और हक जताना , जिसपे मुझे ज्यादातर इरिटेशन ही होती थी मगर हवस की लालच में मुझे हसी आ रही थी )
: क्यों तुम मेरी दोस्त नहीं हो ( मैने दाव फेका )
: दोस्त ?? ( वो हस्ते हुए बोली और एक दर्द सा दिखा उसकी आंखों में )
: तुम मायने भी जानते हो शानू दोस्ती के ( वो मुझे समझाते हुए बोली ) तुम्हारे लिए पैसे वाले लोग ही तुम्हारे दोस्त हो सकते है , मै तुम्हारी दोस्त नहीं हो सकती ( लगभग डबडबा गई उसकी आंखे जैसे कितना दर्द लिए बैठी थी मन में और अभी भी उसे निकालना नहीं चाहती थी )
वो वहां से निकल गई इससे पहले कि सिराज आता ।
: कौन था बे ( बाथरूम से निकलता हुआ बोला )
: क कोई तो नहीं ( मैने बात छुपाई )
: अबे मुझे तो आवाज आई किसी लड़की की ( इधर उधर देखने लगा )
: साले साठिया गया है क्या बहनचोद , चल
फिर मै सिराज नीचे आए और मेरी नजर सबनम की ओर गई , वो मेरे ओर देख नहीं रही थी बस चुप थी अपने काम में मशगूल ।
ऑफिस बंद हुआ तो सिराज ने अपने घर चलने को कहा लेकिन मैने मना कर दिया और अपने घर के लिए निकल गया बाइक से
मै घर आ चुका था और नगमा मामी जा चुकी थी ,
उस वक्त अम्मी घर में अकेली थी और मै फ्रेश होकर नीचे आया , मेरा मूड खराब हुआ पड़ा था जो दुपहर में हुआ उसको लेकर ।
अम्मी खाने का प्लेट लेकर आई और मुझे देकर मुस्कुराते हुए चली गई । जल कर रह गया भीतर से ये जानकर कि अम्मी ने जानबूझ कर दरवाजा बंद किया था । अम्मी मेरे मजे ले रही थी और मेरा मूड उखड़ा हुआ था ।
खाने का जरा भी मन नहीं हो रहा था ।
: हम्म्म ले चला ले , जान रही हूं बिना मोबाइल के खाना गले से उतरेगा नहीं ( वो गले में ही हस कर मेरे मजे लेते हुए बोली लेकिन उनके खिले हुए गुलाबी गाल उनकी सारी शरारतें बयान कर रही थी )
आंखे उठा कर मै मोबाईल लिया और हल्का सा मुस्कुराया और लगभग लजा ही गया था मानो ।
जैसे ही अम्मी किचन की ओर गई मैने फटाफट करके गैलरी व्हाट्सएप फाइल्स खंगालने लगा , मगर जिस चीज की तलाश थी मुझे वो दिखी ही नहीं ।
अब्बू से व्हाट्सअप चैट पूरी क्लीन थी , पूरा का पूरा कैमरा फोल्डर ही डिलीट था और गैलरी में मुझे मेरा ही थोबडा नजर आ रहा था ।
: कुछ दूं शानू ( किचन से अम्मी ने आवाज दी )
: न नहीं अम्मी ( मै हड़बड़ा कर यूट्यूब चालू कर तारक मेहता देखने लगा ) मेरी नजर सीरियल की कोमल आंटी पर थी शॉर्ट कुर्ती में झलकते हुए उसके बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों को देख कर अम्मी के गाड़ का ख्याल आ रहा था ।
तभी मेरे कानो में अम्मी की खनक भरी हंसी आई और मै बुरा सा मुंह बनाता हुआ खाना खाने लगा , क्योंकि अम्मी छुप कर मुझे फोन खंगालते जरूर देखी होगी ऐसा मेरा यकीन था और मेरे मजे ले रही थी ।
कुछ देर बाद मै ऊपर चला गया और अपना प्रोजेक्ट लिखने लगा , एग्जाम सर पर थी मगर घंटा मेरा मन पढ़ाई में था । रह रह कर नगमा मामी और अम्मी के बीच हुई मस्ती न देख पाने का मलाल था ।
घड़ी में 5 बजे थे और मन नहीं लग रहा था तो सोचा कि बाहर टहल लेना ही सही होगा , मै कमरे से बाहर आया और जीने से नीचे आते ही अम्मी की खनकती हंसी आई वो फोन पर बातें कर रही थी ।
मै दबेपाव चुपके से जीने पर ही खड़े होकर उनकी आवाज सुनने लगा
: बहुत शरारती हो गया है वो , अभी कल मार भी पड़ी लेकिन बाज नहीं आया , स्कूल से आते ही मोबाइल में जल्दी जल्दी खोजने लगा हीहीहीही ( खीझ रहा था मै और गुस्सा भी आ रहा था अम्मी पर कि मेरा मजा ले ही रही थी अब अपनी सहेली को भी बता रही है )
: हा यार पूरी फोल्डर ही मैने ट्रांसफर कर दी , तू फिकर मत कर वो नहीं खोज पायेगा हीहीही ( अम्मी की बातें सुनकर मेरी डूबती उम्मीद को एक किनारे का सहारा दिखा )
: पूरे 64GB की है , अब सारे वीडियो उसी में रखने वाली हु और तू जरा सावधानी से कुछ भेजना समझी
मै अम्मी की बातें सुनकर 4 कदम पीछे हो गया और समझ गया कि अम्मी ने जरूर सारी फाइल किसी मेमोरी कार्ड में ट्रांसफर कर ली । एक ओर मुझे खुशी थी मगर वो मेमोरी होगी कहा उसको खोजना पड़ेगा ।
मगर मुझे एक इडिया सुझा था और वो शायद अम्मी के शातिर दिमाग को भी मात देने वाला था ।
: अम्मी , अम्मी ( मै जानबूझ कर आवाज देता हुआ नीचे आया )
: हा बेटा ( अम्मी अभी भी फोन पर थी )
: 20 रुपए दो न , समोसे खाने है
: अकेले खायेगा क्या ? ( अम्मी हस कर बोली )
: तो 30 दो ( मै हाथ आगे करता हुआ बोला)
: रुक देती हु ( अम्मी आलमारी से अपना पर्स निकाल कर छूटे पैसे खोजने लगी और मै उनके बगल में खड़ा था )
: अरे 100 वाली दो न ( मै चहक कर बोला और मेरी नजर पैसों के बीच एक कोने पर काली मेमरी कार्ड पर गई , शायद अम्मी को लगा मै देख लूंगा तो वो घूम गई )
: नहीं फालतू खर्चा नहीं ( मेरी ओर पीठ करती हुई वो 50 का नोट दे दी ) ये ले और बाकी के मुझे वापस करना
: ठीक है
फिर मै निकल गया , समोसे मुझे वैसे भी नहीं खाने थे , मैने तो बस मेरा तुक्का चलाया था । जानता था मेमोरी जैसी छोटी चीज को अम्मी सिर्फ अपने पर्सनल पर्स में ही रखेंगी वो भी पैसे वाले में । बस मुझे इस चीज को कनफर्म करना था और दूसरा अम्मी से पैसे लेने का कारण एक और था ।
मै घर से निकल सीधा एक मोबाइल रिपेयरिंग शॉप पर गया और वहां से 20 रुपए की एक USB drive ले लिया जिसमें मेमोरी कार्ड फिट होती हो और फिर रास्ते में अम्मी के लिए समोसा पैक करवा कर वापस घर आ चुका था ।
शाम ढल रही थीं और जैसा आम छोटे कस्बों के मोहल्लों में होता है , औरतें या छत पर या फिर घर के बाहर सड़क पर खड़ी होकर बातें करती है ये उनके लिए फुरसत के कुछ आधे एक घंटे होते है क्योंकि फिर उन्हें रात के खाने की तैयारियां करनी होती है ।
अम्मी भी बाहर निकल कर बगल में जुबैदा चच्ची से बातें कर रही थी , मैने उन्हें प्रोजेक्ट लिखने का बोलकर मोबाईल पहले ही उन्हें दे दिया था ताकि वो बेफिक्र रहें ।
मै धीरे से अम्मी के कमरे में गया और आलमारी से सबसे पहले अब्बू का लैपटॉप और फिर अम्मी के परस से मेमोरी लेकर सरपट अपने कमरे में आ गया ।
लास्ट खूंटी के साथ लैपटॉप भी कुछ खास चार्ज नहीं था , मगर इतना जरूर था कि मेरा काम हो जाए ।
मैने USB drive में मेमोरी कार्ड लगाई और पोर्ट में इंसर्ट किया
!! BBOOOOOOOMM !!
एक एक करके धड़ाधक 15 - 20 वीडियो क्लिप और तकरीबन इससे ज्यादा न्यूड तस्वीरें
सबसे भड़कीले तस्वीर पर मैने क्लिक किया और वो लोड होने लगा
इधर चादर में मेरा लंड अलग उफान पर था और मै उसको मसल रहा था जैसे ही तस्वीर खुली दिल धक्क रह गया ।
अम्मी ब्रा पैंटी में में आगे की ओर झुक कर अपनी पैंटी निकाल रही थी जो लगभग आधी से ज्यादा उनकी गाड़ से उतर चुकी थी और झुकने की वजह से अम्मी की मोटी चौकी गाड़ और भी ज्यादा फैल गई थी , गहरी भूरी दरारें किसी खाई के ऐसे थी , देख कर ही लंड का सुपाड़ा पूरा मुंह खोलने लगा ।
मैने बिना बैक किए दूसरी तस्वीर के एरो बटन पर क्लिक किया और मेरी आंखे चौंधिया सी गई मानो , लैपटॉप पर फुल स्क्रीन पर अम्मी की बड़ी सी नंगी गाड़ ऐसी फैली हुई थी मानो वो सच में मेरे आगे नंगी झुकी थी ।
तस्वीर इतनी साफ थी कि अम्मी के गाड़ के उभरे हुए रोए साफ साफ नजर आ रहे थे ।
मै लंड को मजबूती से पकड़ कर खुद को काबू कर रहा था , दिल मेरा दुगनी रफ्तार से धड़क रहा था । इस कामोत्तेजना में डर का छौंका अलग लगा हुआ था कि कही से अम्मी ऊपर न आ जाए
तभी अगली क्लिक हुई और नकाबपोश महिला पूरा बदन नंगा
उफ्फ आंखों को देखते ही मै पहचान गया कि ये नगमा मामी है
बड़े बड़े पपीते से लटके हुए चूचे और पतली कमर क्लीन शेव चूत और गदराई जांघें , दोनो हाथ ऊपर किए हुए ।
: अह्ह्ह्ह्ह मामी क्या माल हो तुम ओह्ह्ह्ह फक्क्क् ( मै मेरा लंड मसलते हुए बोला )
अगली क्लिक पर फिर से नगमा मामी की तस्वीर , लगभग मिलती जुलती मगर और भी ज्यादा कामुक ।
हाल के सोफे पर घूमते फोल्ड कर बड़ी कामुक अदा से अपनी चूत के फाकों को चौड़ी करके दिखा रही थी ।
मुझसे रहा नही गया और मैने बैक करके सीधा वीडियो पर क्लिक किया
: अरे अच्छे से उठा न पूरा हा ऐसे ( वीडियो के अम्मी की आवाज आ थी , मैने झट से वॉल्यूम कम किया )
सामने लैपटॉप की स्क्रीन पर नगमा मामी अपना बुरका उठा रही थी और अपने चूतड़ नंगी कर रही थी)
: अह्ह्ह्ह्ह बहनचोद कितनी गोरी है तू अंदर से रे अह्ह्ह्ह्ह ( अम्मी के मुंह से गाली सुनकर मेरी तो आंखे ही फटी रह गई और लंड पूरा अकड़ कर रोड हुआ जा रहा था ।
वो क्लिप खत्म होते ही दूसरी खुद ब खुद शुरू हो गई जिसमें नगमा मामी अपने जिस्म से बुरका निकाल रही थी और धीरे धीरे पूरी नंगी हो रही थी
: बहनचोद तो क्या ये ऐसे ही आई थी बिना कपड़ो के अह्ह्ह्ह्ह साली क्या गोरी गाड़ है एकदम मक्खन सीईईईई ( मै चादर में लंड हिलाते हुए बड़बड़ाया )
अगली वीडियो में अम्मी भी सिसक रही थी और सामने नगमा मामी पूरी नंगी लेती हुई अपनी चूत में उंगली कर रही थी
: अह्ह्ह्ह्ह फरीदा पेल दे मुझे ,लंड दिला दे मुझे अह्ह्ह्ह्ह चोद दे मुझे
: अह्ह्ह्ह्ह मेरी जान दिलाऊंगी न तुझे तेरे जीजा का लंड ओह्ह्ह्ह अम्मीई बोल लेगी अह्ह्ह्ह्ह बहुत मोटा है बैगन जैसा तेरा भोसड़ा फट जाएगा
: हा ले लूंगी अह्ह्ह्ह कुछ कर ओह्ह्ह अम्मीईई अह्ह्ह्ह शानू के अब्बू मेरे राजा मेरे जीजू पेलो न मुझे ( नगमा मामी की बातें सुनकर मैं अलग ही काम कल्पना में खो गया और आंखे बंद कर सोचने लगा कि कैसा होगा जब इतनी गर्म औरत को मेरे अब्बू चोदेंगे।। पूरे घर में इसकी चीखे गूंजेगी
अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ अअम्मीईई अह्ह्ह्ह्ह मै तेजी से चादर में लंड मुठिया रहा था कि इतने ने फुर्ती से किसी ने मेरे ऊपर से चादर खींचा और मै हड़बड़ा कर अपनी इज्जत को छुपाने लगा मगर तब तक देर हो चुकी थी
मेरे सबर का फब्बारा फूट चुका था और उसके छींटे इधर उधर बिखरने लगे थे
: अम्मीईईई आप.... ( एक जोरदार तमाचा मेरे गाल पर लगा और मैं चौंधिया के बिस्तर पर गिर पड़ा )