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Incest अम्मी vs मेरी फैंटेसी दुनिया

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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सभी सम्मानित नागरिकों को सुचित किया जा रहा है
परसों देर रात आपके भाई का चार लोगों ने जबरन पकड़ कर
तिलक कर दिया है , तबसे घर से बाहर आना जाना नहीं हो पा रहा है
मक्खियों के जैसे कजिन्स और कजिंसीया पूरा दिन आगे पीछे भिनभिना रही है , मोबाइल खोलने तक की फुरसत नहीं हो पा रही है । ऐसे में अपडेट न लिख पा रहा हु और जो है उसे पोस्ट करने की फुरसत नहीं है ।
अभी भी पाखाने के बाहर दरवाजा पीटा जा रहा है , हगने भी नहीं दे रहे है
घुइयां के बीज सारे:buttkick:

अत: आप सभी बंधुओ से निरोध है कि अगर इधर दो चार रोज में अपडेट देने में सक्षम रहा तो जरूर मिल जाएगा
अन्यथा क्षमा प्रार्थी रहूंगा ।
सारी कहानी
फेरे और सुहागरात के बाद ही बढ़ेगी ।


आपके बधाईयों की प्रतीक्षा रहेगी
सुहागरात के लिए चियरअप जरूर करिएगा 🙏
आपका बड़े लौड़े वाला छोटा भाई
DREAMBOY40
 
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KingKong

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UPDATE 014

किस्मत कनेक्शन

: कितनी तेज हवा चल रही है ना अम्मी
: देखना उड़ मत जाना ( अम्मी हस्ते हुए बोली , चूत से रस झाड़ कर वो काफी खिली खिली लग रही थी मै ये बखूबी समझ रहा था )
: आप हो न , आपको पकड़ लूंगा
: धत्त कमीना, जल्दी जल्दी ये सब कबाड़ हटा मै झाड़ू लगाती हूं ( अम्मी ने हुक्म सुनाया और मै लग गया काम में )
छत पर बंदरों कबूतरों ने अलग ही कचड़ा किया हुआ था , जगह ऐसा हग दिया था कि झाड़ू से भी गंदगी नहीं निकल रही थी ,
: अम्मी वो कबूतर वाली पोटी साफ नहीं हो रही है ( मै जीने के पीछे अम्मी को बताने गया )


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अम्मी झुक कर झाड़ू लगा रही थी और तेज हवा से उनक सूट पीठ तक चला गया , बिना पैंटी में उनकी सूती सलवार में बड़ी सी गाड़ दरारों सहित साफ साफ नजर आ रही थी )
देखते ही लंड एकदम फड़फड़ाने लगा
: ऐसा कर पानी चालू कर के गिला कर दे फर्श पूरा और फिर रगड़ना ( अम्मी ने झाड़ू लगाते हुए कहा )
मै उखड़ गया कि साला पाइप लेने फिर से नीचे बाथरूम ने जाना पड़ेगा।


अजीब सी बेचैनी हो रही थी , लंड अलग अकड़ा हुआ था और दिल में एक डर सा था , पेट में काफी घबराहट हो रही थी , समझ नहीं आ रहा था कि पहल करनी चाहिए भी या नहीं
घर की सारी सफाई हो चुकी थी , नीलू आंटी बाथरूम में नहा रही थी । चुकी मेरे कमरे के बाथरूम का दरवाजा सही नहीं था , बारिश के दिनों में अक्सर उसकी चटखनी नहीं लगती थी
पहली बार नहीं था कि जब नीलू आंटी को मैने साफ सफाई के बुलाया नहीं था । इसीलिए इस बार वो नाइटी लेकर आई थी , क्योंकि दरवाजे के बारे में भी जानती थी ।
नाइटी पहन कर वो बाथरूम ने नहा रही थी और हल्की बारिक दरारों से मै भीतर झांक रहा था ।


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अंदर आंटी पानी से खुद का बदन भिगो रही थी नाइटी के ऊपर से , जैसे जैसे उनका जिस्म गिला हो रहा था , उनके गुप्तांग यौनांग स्पष्ट हो रहे थे , निप्पल अब पूरे बिजबल हो चुके थे

: शानू बाबू , साबुन नहीं है क्या ?
( मिल गया मौका और मै चहक उठा )

: खत्म ही गया होगा , दूसरा देता हु रुकिए ( दरवाजे से थोड़ा हट कर आवाज देता हुआ बोला और फिर एक साबुन की टिकिया दराज से निकाल कर बाथरूम का दरवाजा खोलने लगा )
: आ जाऊ आंटी
: हा हा आ जाओ
( मै ऊपर से पूरा नंगा बस एक चढ़ढे में उनके आगे पहुंचा , अह्ह्ह्ह्ह क्या गदराया जिस्म था आंटी का , नाइटी पूरी भींग कर उनके रसीले मम्मों से और गाड़ से चिपक गई थी ।
मेरी नजरें सीधे उनके उभरे हुए विजिबल चूचों पर गई । जिनकी काली घेरियां उनकी लाल नाइटी से झलक रही थी।
: अब लाओ भी , क्या देख रहे हो शानू बाबू
: देख रहा हु सिराज की मेहनत को आंटी
अगले ही पल वो समझ गई कि मुझे उनके बारे में पता है सब
: क्यू मेहनत रंग लाई कि नहीं ( वो इतराते हुए मेरी नजर का पीछा करती हुई भी और मेरी नज़रे सीधा उसकी उभरी हुई छातियों पर थी )
: हा आंटी रंग तो काफी चटक है , कलाकार निकला सिराज तो पूरा ( मै चढ्ढे के ऊपर से अपना लंड सहलाते हुए बोला )
: तुम चाहो तो अपना रंग भी भर सकते हो शानू बाबू अह्ह्ह्ह्ह, बड़ी मोटी ब्रश है तुम्हारी ( नीलू आंटी ने लपक कर मेरा लंड चढ्ढे के ऊपर से पकड़ लिया)
मैने भी जोश में उनको अपनी ओर पकड़ कर खींच लिया और उनके लिप्स चूसने लगा


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आंटी भी दुगने जोश से मुझ पर टूट पड़ी और अपनी चूत को मेरे चढ़ढे में बने तंबू पर घिसने लगी ,मै भी उनकी गाड़ मसलने लगा
: अह्ह्ह्ह्ह आंटी क्या मस्त गाड़ है तुम्हारी पूरी टाइट
: रहेगी ही , आज तक कुवांरी जो है
: अह्ह्ह्ह्ह सच में , दोगी नहीं मुझे ( नाइटी के ऊपर से उनकी गाड़ खोदते हुए बोला )
: अह्ह्ह्ह नहीं दर्द होता है इसीलिए और तुम्हारा हथियार मेरी गाड़ फाड़ देगा आह्ह्ह्ह

: तो क्या सारी उम्र इस मजे से दूर रहोगी उम्मम ( मै उनको आगे घुमा कर पीछे से उनकी चूचियां मिजने लगा नाइटी के ऊपर से और लंड को उनकी गाड़ में ठोकर मारने लगा)
: अह्ह्ह्ह्ह आराम से बाबू कपड़े के ऊपर से ऐसे मसलोगे तो छिल जायेगा वो अह्ह्ह्ह
: तो निकाल दो ना ( अगले ही पल मैने उनकी नाइटी अलग कर दी , पूरा भरा गदराया जिस्म मोटी मोटी गाड़ , बढ़ती उम्र और सही खान पान न होने से स्तन थोड़े लटक गए थे और पेट निकला हुआ था मगर भीतर से पूरी शोला थी । जांघों के बीच चूत से भट्टी जल रही थी )
उसके हाथ मेरे लंड को थामे हुए कसते जा रहे थे मानो मेरे गन्ने का रस निचोड़ रही हो मै भी उसके पूरी जिस्म को मिज मसल रहा था ,


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कभी नंगे गुदाज पेट को तो कभी फटे हुए चूत के फांके को तो कभी उसकी झूल चुकी चूचियों को
: अह्ह्ह्ह बड़ी तेजी है तुम्हारे में बाबू अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह
: अभी असली तेजी देखी कहा तुमने आंटी ( मैने बाल्टी से उनके ऊपर पानी डाल कर उनके जिस्म को भिगोता हुआ बोला )
मेरे हाथ अब उनके जिस्म पर घूमने लगे

साबुन से उनके जिस्म को रगड़ रगड़ कर घिसने लगा और कभी उनकी मोटी मोटी चूचियां तो बड़ी बड़ी गाड़ हर जगह साबुन लगाने लगा

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वो भी कहा पीछे रहने वाली थी , मेरे देह पर बड़े अच्छे से मल मल कर साबुन लगा रहे थी, लंड पूरा लोहे की रोड की तरह सीधा मुंह उठा खड़ा था और वो उसको भी अच्छे से साफ कर रही थी ,

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जैसे जैसे उसके हाथ मेरे लंड को छूते वो फड़कने लगता और फिर मैने उन्हें अपनी ओर खींचा फिर पानी की पूरी बाल्टी से दोनो को भिगो दिया
वो हसने लगी और मेरा लंड खींचने लगी
मैने उन्हें फर्श पर लिटाया और फटी हुई चूत के मुहाने पर लंड लगाते हुए एक तेज धक्के से लंड पेल दिया
: अह्ह्ह्ह्ह बाबू आराम से , फटी है तो क्या हुआ अब चीथड़े करोगे अह्ह्ह्ह अम्मी बहुत गर्म है अह्ह्ह्ह
: गर्म तो तुम्हारी चूत है आंटी इस उम्र में भी इतनी गर्म अह्ह्ह्ह इतनी रसीली कैसे ? ( मैने उनकी चूत में धक्के लगाते हुए बोला )


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: बेटा मै तो एक ही चीज जानती हु , मशीन अगर यूज ना करो तो जंग लग जाती है और अगर बराबर अह्ह्ह्ह चलाअआऊ तोह उम्मम्म ऐसे ही रस बाहर फेंकती है अह्ह्ह्ह बेटा और उम्मम बहुत गजब हथियार है तेरा अह्ह्ह्ह्ह
: अह्ह्ह्ह आंटी आप भी कम गजब नहीं हो अह्ह्ह्ह्ह
: अह्ह्ह्ह्ह ऐसे हथियार का बहुत अच्छा भाव है बाजार में , सिराज से कई गुना ज्यादा मिलेगा तुझे बोल बात करूं
आंटी की बातें सुनते ही मै समझ गया कि वो चूत लेने के पैसे मिलने वाली बात कर रही है क्योंकि वो ऑफिस के बाद कई हायर सोसाइटी के घरों में साफ सफाई के लिए जाती थी और बड़े घरानों की चूत मारने को मिलेगी ऐसा सोच कर ही लंड एकदम फड़फड़ाने लगा सुपाड़ा एकदम से आगियाने लगा
: अह्ह्ह्ह्ह आंटी दिल खुश कर दिया अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह आयेगा अह्ह्ह्ह्ह कहा गिराऊ अह्ह्ह्ह्ह
: जहां तेरा दिल करे बेटा
: ओह्ह्ह्ह आंटी तुम बहुत बड़ी रंडी हो अह्ह्ह्ह तुम्हारी बुर भर दूंगा मैं अह्ह्ह्ह्ह फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड उम्मम
: अह्ह्ह्ह बाबू कितना गर्म लावा है अह्ह्ह्ह्ह सीईईई अमीईई भर दे बेटा भर दे अपनी रंडी आंटी की बुर अह्ह्ह्ह्ह शाह
मै भी झड़ता हुआ उनके ऊपर ही गिर गया और फिर हम नहाने का खुद को साफ करने लगे


बाथरूम से पाइप लेकर मै सीधा छत पर आया
तेज बारिश हो रही थी और अम्मी भींग रही थी
: अम्मी अंदर अजाओ भीग क्यों रही है आप ( मैने जीने के पास एवं आवाज दी )
: भीग क्या जाऊंगी भीग चुकी हु , तू वही रहना । मै ये अब गंदगी रगड़ कर साफ कर दु
अम्मी झुक कर झाड़ू से कबूतरों और बंदरों ने जो गंदगी मचाई थी वो साफ करने लगी


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अम्मी पूरी भीग चुकी थी , उनकी सलवार सूट सब गिले होकर उनके देह से चिपक गए थे और उनकी गाड़ की दरार साफ साफ नजर आ रही थी ।
देख कर ही लंड एकदम फड़फड़ाने लगा सुपाड़ा खुजाते हुए मै उन्हें देखता रहा
अम्मी ने पूरी छत भीगते हुए साफ की और उनका जिस्म अब पूरी तरह साफ साफ नंगा दिख रहा था , हल्के रंग के सूट सलवार में उनका कातिलाना गदराया जिस्म झलक रहा था । मोटी मोटी चूचियां और उनके नुकीले निप्पल के उभार दुपट्टे के ऊपर से पता चल रहे थे और पीछे उनकी मोटी गाड़ सलवार में एकदम चिपक कर लगभग गायब हो गई थी , पूरी गाड़ साफ साफ झलक रही थी गाड़ की भूरी दरारें भी नजर आ रही थी ।

: शानू शैंपू की बोतल लाना और वो पानी की पाइप लगा दे ( अम्मी ने छत पर हाता नुमा बने जगह पर खड़े होकर बोली )
उस जगह पर बाथरूम बनाना था लेकिन कुछ कारण से काम अधूरा रह गया , रात में या फिर दिन में कभी कभी पेशाब करने के लिए वो जगह काम आ जाती है और अम्मी ने आज वही नहाने का मूड बनाया था ।

मै झटपट गया और नीचे से शैम्पू लेकर आया और पानी की पाइप सेट कर अम्मी तक लाया

: यही नहाओगे क्या आप , हल्की रिमझिम बारिश अभी भी हो रही थी ( हा अब क्या नीचे जाऊ , ये सब गंदगी लेकर , अम्मी का इशारा बंदरों और कबूतरों की पोटी पर था )
: तू तौलिया नहीं लाया
: आपने कहा क्या ?
: पागल , जा लेकर आ और भीग मत वही जीने के पास रहना मागूंगी तो देना
मै सरपट दौड़ कर नीचे गया और अम्मी के कमरे से तौलिया निकाला कि उसके साथ ही ड्राआर से अम्मी की पैंटी भी गिरी
उसको हाथों में लेते ही अजीब सी गुदगुदी महसूस हुई कितनी मुलायम थी मैने उसको सुंघा अह्ह्ह्ह्ह साबुन और अम्मी के जिस्म से मिलती जुलती खुशबू थी मेरा लंड एकदम अकड़ गया
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मीईई चटवा लो न बुर मुझसे सीईईईई अह्ह्ह्ह अमीईई , अरे बहनचोद अम्मी तो नहा रही है तो मै यह क्या कर रहा हु ,जल्दी जल्दी में पैंटी ड्रॉर में रख कर मै सरपट भागा

अह्ह्ह्ह्ह क्या सीन था , जीने के दरवाजे के ठीक आगे अम्मी नहा रही थी , पूरा जिस्म मानो मेरे आगे नंगा था मानो , अम्मी के देह से दुपट्टा हट चुका था और काटन का सूट उनकी मोटी मोटी चूचिया छिपाने में नाकाम था , अम्मी की गोरी गोरी छतिया निप्पल सहित साफ साफ नजर आ रही थी और गाड़ भी अब और स्पष्ट दिख रही थी
अम्मी के सर में शैंपू लग चुका था वो अपने सूट के बटन खोलते हुए मेरी ओर ही देख रही थी ,
मै इधर उधर निहार कर खुद को भटका रहा था मगर मेरी नजर रह रह कर अम्मी की ओर जा रही थी और जब मैने दुबारा उनकी कर देखा तो


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अम्मी अपने सूट में आगे से हाथ डाल कर अपनी मोटी मोटी चूचियां रगड़ रही थी । जैसे ही उन्होंने मुझे अपनी ओर देखता पाया , हाथ निकाल कर अपने चेहरे को साफ करने लगी और उनके हाथों के बीच मैंने उनके छुप कर मुस्कुराते देख लिया।
जिससे मेरा लंड और मै दोनो मुस्कुराने लगे

अम्मी ने पानी की पाइप उठाई और अपने देह पर गिराने लगी , मै भी अब ढीथाई करते हुए उन्हें निहारने लगा ,


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और वो मुझे घूर कर देखती हुई पानी अपने सर पर फिर अपने चूचों पर और जांघों पर गिरने लगी
मै जानता था अम्मी मेरे सामने होने की वजह से अच्छे से नहा नहीं रही थी बस देह धूल रही थी ।
: कोई दिख रहा है क्या आस पास ( अम्मी का इशारा बगल के छत पर था )
: नहीं अम्मी कोई नहीं है ( मैने दोनो ओर गर्दन करके देखा ) तौलिया लाऊ
: नहीं वही रुक आती हु (अम्मी अपना दुपट्टा उठाकर फ़ागती हुई मेरे ओर आने लगी उनकी चूचियां दौड़ने की वजह से खूब उछल रही थी कि अचानक से अम्मी का पैर फिसला और वो छत पर गिर गई

: अम्मीईई ( मै चीखा )

: हाय दैय्या मर गई रे!!!! ( अम्मी कराहती हुई बोली और दर्द से अपने चूतड़ उठाने लगी थी )
: अम्मी आप भाग क्यों रही थी ( मैने उनके पास आ गया था और उनकी कमर में हाथ डाल कर उन्हें सहारा देते हुए बिठाया )
: मैने सोचा कोई देख न ले अह्ह्ह्ह्ह अम्मी बहुत दुख रहा है हाय दैय्या
मुझे अम्मी का दर्द देख कर बड़ी चिंता हो रही थी और वही लंड के अपने मजे थे साला वो तो अम्मी की चूचिया इतने करीब से नंगी देखकर खुश हो रहा था रह रह कर मेरी नजर अम्मी के डार्क ब्राउन निप्पल पर जा रही थी , एकदम कड़क और तने हुए मानो सूट फाड़ कर बाहर ही आ गए हो ।
: कहा लगी है आपको ( मै आगे पीछे देख कर बोला )
: कूल्हे में लगी है बेटा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई मर गई रे उठा नहीं जा रहा है अह्ह्ह्ह अमीईईई ( अम्मी कोशिश कर रही थी )
: अम्मी उठिए नीचे चलिए यहां नहीं न रहेंगी आप आइए मै उठाता हु आपको
मैने उनका हाथ अपने कंधे पर रखा और उनके कमर में हाथ डाल कर उन्हें सहारा देने लगा , अम्मी की चूचियां अब मेरे सीने को स्पर्श हो रही थी , अजीब से गुदगुदी हो रही थी जो मेरा लंड तो मजबूत कर रही थी मगर मेरे हाथो की पकड़ कमजोर कर रही थी ।
बार बार मेरा मन भटक जा रहा था और अम्मी सरकने लगती थी

मैने खुद को शांत किया और गहरी सास लेते हुए अम्मी को खींच कर खड़ा किया और वो लड़खड़ाने लगी
: नहीं बेटा मुझसे चला नहीं जाएगा अह्ह्ह्ह्ह
: तो उठा लु क्या आपको
: धत्त कमीना , मारूंगी तुझे ( अम्मी दर्द में हस पड़ी )
: तो चलो न , हिम्मत करो ( मैं अम्मी के कूल्हे पर हाथ रख कर उन्हें सहारा देता हुआ जीने तक ले आया )
: रुक जा रुक जा
: क्या हुआ ( मै उन्हें जीने की दिवाल के सहारे खड़ा किया और वो रेलिंग पकड़ कर खड़ी हो गई )
: अरे क्या हुआ क्या , ऐसे भीगे भीगे मै नीचे नहीं जाऊंगी , पूरा पोछा लगाया है
: अरे यार , अम्मी अपनी हालात देखो न , वो मै कर लूंगा आप चलो
: नहीं वो तौलिया दे ,मै देह पोंछ लू फिर
मैने हस्ते हुए उन्हें तौलिया दिया और वो खड़े होकर वही से अपने बाल फिर चेहरा और कपड़े के ऊपर से अपने चूचियों पर तौलिया थपथपा कर पानी निचोड़ने कवि फिर पेट और जैसे ही झुकने को हुई कूल्हे में फिर से दर्द उठा : आह्ह्ह्ह
: क्या हुआ
: वो मै झुक नहीं पा रही
: क्या अम्मी आप तो बच्चों से भी जिद्दी हो , बोल रहा हु नीचे चलो ( मै गुस्सा करते हुए बोला )
: अरे समझ न तू , ऐसा कर तू ही नीचे ऐसे तौलिया से पानी सूखा न बेटा , प्लीज
मै मुंह बनाता हुआ जैसे नीचे बैठा , सामने अम्मी की नंगी जांघें सलवार से झलक रही थी अह्ह्ह्ह्ह बहनचोद किस्मत दस्तक दे रही थी और मै नाटक कर रहा था । अपने आप को कोसने लगा मै और मेरा लंड ठुमके लगाने लगा ।
बारी बारी से अम्मी की दोनो जांघों पर तैलिया लगा कर पानी निचोड़ने लगा और फिर अम्मी घूम गई : पीछे भी

किस्मत मेहरबान थी मेरे हाथ अम्मी के चूतड़ पोंछ रहे रहे थे और नीचे टांगे पोछते हुए मेरे आगे अम्मी के नंगे चूतड़ सलवार में फैले हुए थे ।
रहा नहीं गया और हौले से जीभ निकालकर उसकी टिप से मैने सलवार के ऊपर से अम्मी की गाड़ को चाट ही लिया
: हो गया शानू ( अम्मी की बातों में थोड़ी नाराजगी दिखी ऊपर देखा तो वो मुझे ही निहार रही थी )
मै समझ गया कि उन्हीं नजर मेरी हरकत पर पड़ गई थी ।
: आओ चलो मैने उन्हें सहारा दिया और धीरे धीरे करके हम नीचे आने लगे
मैं उन्हें कमरे में ले आया और एक स्टूल पर बिठाया
: अह्ह्ह्ह्ह बेटा , जरा आलमारी से मेरे कपड़े निकाल कर दे दे मुझे
मै उन्हें छोड़ कर अम्मी की आलमारी खोली और उनसे पूछ कर एक जोड़ी सूट सलवार निकाल कर बेड पर रख दिया
: बेटा वो दराज में सफेद वाली कच्छी और ब्रा होगी वो भी निकाल देना ( अम्मी अपने कूल्हे को पकड़े हुए बोली )
यकीन नहीं हो रहा था कि अम्मी के कपड़े मै खुद निकाल रहा था और मैने खोज कर व्हाइट ब्रा पैंटी निकाल कर बेड पर रख दी ।
: आप पक्का न पहन लोगे कपड़े खुद से ( मै अम्मी के आगे एक प्रस्ताव रखा )
: हा तू जा अभी आवाज दूंगी तुझे तब आना
मै मुंह बना कर बाहर चला आया , सोचा था कि अम्मी को आज खुद से कपड़े पहनाने को मिलेगा तो उनके नंगे बदन को छूने का मौका मिलेगा मगर शायद आज किस्मत उतनी भी मेहरबान नहीं थी ।
मै बाहर आ गया और अम्मी जान रही थी कि मैं ताक झांक जरूर करूंगा इसीलिए वो मुझे काम में उलझा दी
: बेटा चाय बना दे , दवा खाऊंगी उससे तो आराम हो जाएगा
( दरवाजे के पास खड़ा हुआ मै भुनभुना कर रह गया और किचन में चाय बनाने लगा )
कुछ देर बाद मैने चाय बनाई और कमरे के दरवाजे तक आया
: अम्मी आजाऊ ( मैने आवाज दी )
: हा बेटा आजा
मै हाथ में ट्रे लिए हुए कोहनी से दरवाजा धकेल कर खोला तो अम्मी सूट सलवार में बेड और बैठी हुई थी , एक किनारे उनकी बदली हुई गीली सूट सलवार अम्मी ने तौलिए में लपेट कर रखी थी ताकि फर्श गीली न हो ।

मै ट्रे लेकर आया और गर्म पानी निकालने लगा
: दवा कहा रखी है आप
: वो दराज में होगी
: नहीं रुक मै निकालती हूं तू नहीं जानेगा ( जबतक अम्मी बोलती मै लपक कर दराज तक आ गया था )
: अरे झोला ही ला रहा हु मै ( दराज से एक छोटा सा काटन झोला निकाला जिस पर डॉ रहीम के क्लिनिक का ही नाम था । उसमे ढेर सारी फीवर , सर दर्द , बदन दर्द , हल्के फुल्के बाम और मलहम रखे थे ।
: लो इसी में से छाट लो, (मै वो झोली उल्टी करके सारी दवाइयों को बेड पर निकालने लगा )
कयोंकि झोली में काफी सारी छोटी छोटी पत्ते में दवा थी और खोजने में मगजमारी सा था
: अरे उलट मत इधर ला ( अम्मी ने हड़बड़ी में मुझे रोकना चाहा मगर तबतक मै झोली झाड़ चुका था और उसमें से एक कॉन्डम की चौकोर डिबिया बेड पर से उछल कर फर्श पर लुढ़क कर गिरी आवाज करती हुई
हम दोनो मां बेटे की नजरे एक साथ उसपे गई ।

कमरे में एकदम से चुप्पी थी , समझ गया क्यों अम्मी एकदम से मुझे मना करने लगी थी ।
: बोल रही थी मुझे दे ( अम्मी ने मेरी कंधे और बाह के बीच पर थप्पड़ लगाते हुए गुस्से में बोली ) बद्तमीज कही का !!

"बहनचोद इसमें मेरी क्या गलती " , मै खुद से बड़बड़ाया । इगो सा हर्ट हुआ मेरा ऐसा मानो खीझ भी हुई ।
: देख क्या रहा है उठा उसे ( अम्मी ने हड़काया मुझे )
मैने हाथ सहलाते हुए वो पैकेट उठाया , जिसके ऊपर कामुक मिशनरी पोज में एक कपल नग्न होकर आपस में चिपके हुए थे ।
अम्मी ने झपट लिया मुझसे और अपने पैर के नीचे छुपा लिया
: हम्म्म ले रख दे इसे वहां वापस
मै चुपचाप समान रखा और वापस घुमा तो अम्मी दवा खा रही थी ।
मेरा चेहरा उतरा देख कर वो हल्की सी मुस्कुराई
: कहा जा रहा है बैठ पी ले तू भी
मै उदास होकर बैठ गया और चाय पीने लगा ।
: क्या खायेगा बोल
: कैसे बनाओगे आप , जब खड़े नहीं हो पा रहे हो तो ( मै गिरे हुए मुंह से बोला और वो हसने लगी )
: पिज्जा खायेगा ? ( अगले ही पल मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई )
: ऑर्डर कर फिर !!
: लेकिन अब्बू ?
: उन्हें कौन बता रहा है ( अम्मी हस कर बोली )

फिर मैने फोन से पिज्जा ऑर्डर कर दिया
: हा अब इतना थक कर खाना कौन बनाएगा
: धत्त तुम भी न बाबू
: अच्छा इधर आओ न , कितनी गरम हो तुम आंटी अह्ह्ह्ह्ह कितनी मुलायम हो और ये तुम्हारी गोल मटोल चूचियां इतनी लटक कैसे गई जरा बताओ तो
: अगर चीजे बार बार इस्तेमाल होगी तो लूज हो ही जाएगी न बाबू
: हा लेकिन तुम्हारी गाड़ आंटी, देख कर ही लंड खड़ा हो जाता है ।
: अच्छा ! कबसे ?
: शुरू से ही जबसे नौकरी कर रहा हु , झाड़ू लगाते हुए आपकी गाड़ फैल जाती थी , कितनी बार उस हरामी आहूजा को आपके चूतड सहलाते देखा था। लेकिन आप बड़ी दिलदार है ये देखकर खुशी होती थी ।
: तो आ जाते आप भी बाबू , तब क्यों नहीं आए इतने साल बाद क्यों
: अरे वो आहूजा तो रंडीबाज था , लेकिन ये भी पता था कि तुम भी एक नंबर की रांड हो अह्ह्ह्ह ( मै उसके चूचे मसलते हुए बोला )
: आहूजा तो वो बेचारी सबनम को भी कितना सताता है , बहनचोद कभी कभी जी करता है कि लौड़ा कूच दूं!
: क्या हीहीहीही, आहूजा सबनम को सताता है कितने बोला ?
: क्यों आपको नहीं पता , कितनी बार मैने उसे ऑफिस में जबरजस्ती उसका हाथ पकड़ते हुए देखा है ।
: हाहाहाहाहा शानू बाबू तुम तो बड़े भोले हो , तुम्हारे जैसे भोले शिकार ही खोजती है । तभी तो मै सोचूं कि पूरी ऑफिस में वो सिर्फ तुम पर डोले ही क्यों डालती है ।
: शिकार ? मतलब ?
: तो तुम नहीं जानते उसके बारे में ?
: क्या नहीं जानता ?
: यही कि सबनम बहुत चालाक चिड़िया है , उसकी भोली सूरत पर मत जाना बाबू ।
: मै सच में नहीं समझा ?
: अभी तक तुम उसके रडार से बाहर हो तो अच्छा ही है , नहीं तो आहूजा की तरह तुम भी फड़फड़ाते रहोगे उम्र भर
: अरे कल ही उससे मेरी दोस्ती हुई है( मै हैरान होकर बोला )
: क्या ? शानू बाबू अभी भी वक्त है मत रखो रिश्ता उससे । उसने आपसे ये वादा जरूर लिया होगा कि आप इस दोस्ती को ऑफिस में जाहिर नहीं होने देंगे । ऐसा ही कहा होगा उसने

: हा , लेकिन ? ( मै हैरान था कि नीलू आंटी को कैसे पता )
: बेटा तुम बहुत भोले हो और अच्छे भी , मैने सालों से तुम्हारी अच्छाई परखी है और तुम्हारे भले के लिए बोल रही हु । उस लड़की से की रिश्ता मत रखना नहीं तो आहूजा के जैसे हालत हो जाएगी । तुम्हारी तो उतनी तनख्वाह भी नहीं जो उसका खर्चा दे पाओ
: मतलब , साफ साफ बताओ न आंटी आहूजा के साथ क्या हुआ था ।
: होना क्या था , आहूजा की आदत तो तुम जानते हो , सबनम को भी उसने आम लड़की समझ लिया था । सबनम ने उससे दोस्ती की और अपने पते पर बुलाया । सरप्राइज के बहाने आहूजा को एक कमरे में कपड़े उतार कर रहने को कहा और उसके नंगे होने की वीडियो बना ली ।
फिर वहां से भाग गई , आहूजा उस रात सबनम का इंतजार करता रहा मगर वो नहीं आई और अगली रोज उसने आहूजा के मोबाइल पर वीडियो भेजी और ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया । तबसे लाखों रुपए आहूजा सबनम को दे चुका था और न जाने कितने लाख देगा और भी । इसीलिए जब भी आती है वो उससे नफरत ही करता है । ये सबनम कि ही चाल थी कि जब आहूजा ने बीच ने उसको पैसे नहीं देने लगा तो उसने आहूजा को और बदनाम कर दिया था ।

मेरी आंखे फटी की फटी रह गई
मै दिल से नीलू आंटी को धन्यवाद कर रहा था और खुद की किस्मत के साथ साथ अपने लंड को भी शुक्रिया अदा कर रहा था कि आज उसने नीलू आंटी को याद किया।

अब मेरे जहन में सबनम को सबक सिखाने की तरकीबें उठने लगी और मेरी इस एक तीर से दो निशाने लगने वाले थे ।


जारी रहेगी
Awesome and erotic update! Extremely hot and absolutely spicy writings!
 

Motaland2468

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UPDATE 014

किस्मत कनेक्शन

: कितनी तेज हवा चल रही है ना अम्मी
: देखना उड़ मत जाना ( अम्मी हस्ते हुए बोली , चूत से रस झाड़ कर वो काफी खिली खिली लग रही थी मै ये बखूबी समझ रहा था )
: आप हो न , आपको पकड़ लूंगा
: धत्त कमीना, जल्दी जल्दी ये सब कबाड़ हटा मै झाड़ू लगाती हूं ( अम्मी ने हुक्म सुनाया और मै लग गया काम में )
छत पर बंदरों कबूतरों ने अलग ही कचड़ा किया हुआ था , जगह ऐसा हग दिया था कि झाड़ू से भी गंदगी नहीं निकल रही थी ,
: अम्मी वो कबूतर वाली पोटी साफ नहीं हो रही है ( मै जीने के पीछे अम्मी को बताने गया )


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अम्मी झुक कर झाड़ू लगा रही थी और तेज हवा से उनक सूट पीठ तक चला गया , बिना पैंटी में उनकी सूती सलवार में बड़ी सी गाड़ दरारों सहित साफ साफ नजर आ रही थी )
देखते ही लंड एकदम फड़फड़ाने लगा
: ऐसा कर पानी चालू कर के गिला कर दे फर्श पूरा और फिर रगड़ना ( अम्मी ने झाड़ू लगाते हुए कहा )
मै उखड़ गया कि साला पाइप लेने फिर से नीचे बाथरूम ने जाना पड़ेगा।


अजीब सी बेचैनी हो रही थी , लंड अलग अकड़ा हुआ था और दिल में एक डर सा था , पेट में काफी घबराहट हो रही थी , समझ नहीं आ रहा था कि पहल करनी चाहिए भी या नहीं
घर की सारी सफाई हो चुकी थी , नीलू आंटी बाथरूम में नहा रही थी । चुकी मेरे कमरे के बाथरूम का दरवाजा सही नहीं था , बारिश के दिनों में अक्सर उसकी चटखनी नहीं लगती थी
पहली बार नहीं था कि जब नीलू आंटी को मैने साफ सफाई के बुलाया नहीं था । इसीलिए इस बार वो नाइटी लेकर आई थी , क्योंकि दरवाजे के बारे में भी जानती थी ।
नाइटी पहन कर वो बाथरूम ने नहा रही थी और हल्की बारिक दरारों से मै भीतर झांक रहा था ।


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अंदर आंटी पानी से खुद का बदन भिगो रही थी नाइटी के ऊपर से , जैसे जैसे उनका जिस्म गिला हो रहा था , उनके गुप्तांग यौनांग स्पष्ट हो रहे थे , निप्पल अब पूरे बिजबल हो चुके थे

: शानू बाबू , साबुन नहीं है क्या ?
( मिल गया मौका और मै चहक उठा )

: खत्म ही गया होगा , दूसरा देता हु रुकिए ( दरवाजे से थोड़ा हट कर आवाज देता हुआ बोला और फिर एक साबुन की टिकिया दराज से निकाल कर बाथरूम का दरवाजा खोलने लगा )
: आ जाऊ आंटी
: हा हा आ जाओ
( मै ऊपर से पूरा नंगा बस एक चढ़ढे में उनके आगे पहुंचा , अह्ह्ह्ह्ह क्या गदराया जिस्म था आंटी का , नाइटी पूरी भींग कर उनके रसीले मम्मों से और गाड़ से चिपक गई थी ।
मेरी नजरें सीधे उनके उभरे हुए विजिबल चूचों पर गई । जिनकी काली घेरियां उनकी लाल नाइटी से झलक रही थी।
: अब लाओ भी , क्या देख रहे हो शानू बाबू
: देख रहा हु सिराज की मेहनत को आंटी
अगले ही पल वो समझ गई कि मुझे उनके बारे में पता है सब
: क्यू मेहनत रंग लाई कि नहीं ( वो इतराते हुए मेरी नजर का पीछा करती हुई भी और मेरी नज़रे सीधा उसकी उभरी हुई छातियों पर थी )
: हा आंटी रंग तो काफी चटक है , कलाकार निकला सिराज तो पूरा ( मै चढ्ढे के ऊपर से अपना लंड सहलाते हुए बोला )
: तुम चाहो तो अपना रंग भी भर सकते हो शानू बाबू अह्ह्ह्ह्ह, बड़ी मोटी ब्रश है तुम्हारी ( नीलू आंटी ने लपक कर मेरा लंड चढ्ढे के ऊपर से पकड़ लिया)
मैने भी जोश में उनको अपनी ओर पकड़ कर खींच लिया और उनके लिप्स चूसने लगा


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आंटी भी दुगने जोश से मुझ पर टूट पड़ी और अपनी चूत को मेरे चढ़ढे में बने तंबू पर घिसने लगी ,मै भी उनकी गाड़ मसलने लगा
: अह्ह्ह्ह्ह आंटी क्या मस्त गाड़ है तुम्हारी पूरी टाइट
: रहेगी ही , आज तक कुवांरी जो है
: अह्ह्ह्ह्ह सच में , दोगी नहीं मुझे ( नाइटी के ऊपर से उनकी गाड़ खोदते हुए बोला )
: अह्ह्ह्ह नहीं दर्द होता है इसीलिए और तुम्हारा हथियार मेरी गाड़ फाड़ देगा आह्ह्ह्ह

: तो क्या सारी उम्र इस मजे से दूर रहोगी उम्मम ( मै उनको आगे घुमा कर पीछे से उनकी चूचियां मिजने लगा नाइटी के ऊपर से और लंड को उनकी गाड़ में ठोकर मारने लगा)
: अह्ह्ह्ह्ह आराम से बाबू कपड़े के ऊपर से ऐसे मसलोगे तो छिल जायेगा वो अह्ह्ह्ह
: तो निकाल दो ना ( अगले ही पल मैने उनकी नाइटी अलग कर दी , पूरा भरा गदराया जिस्म मोटी मोटी गाड़ , बढ़ती उम्र और सही खान पान न होने से स्तन थोड़े लटक गए थे और पेट निकला हुआ था मगर भीतर से पूरी शोला थी । जांघों के बीच चूत से भट्टी जल रही थी )
उसके हाथ मेरे लंड को थामे हुए कसते जा रहे थे मानो मेरे गन्ने का रस निचोड़ रही हो मै भी उसके पूरी जिस्म को मिज मसल रहा था ,


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कभी नंगे गुदाज पेट को तो कभी फटे हुए चूत के फांके को तो कभी उसकी झूल चुकी चूचियों को
: अह्ह्ह्ह बड़ी तेजी है तुम्हारे में बाबू अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह
: अभी असली तेजी देखी कहा तुमने आंटी ( मैने बाल्टी से उनके ऊपर पानी डाल कर उनके जिस्म को भिगोता हुआ बोला )
मेरे हाथ अब उनके जिस्म पर घूमने लगे

साबुन से उनके जिस्म को रगड़ रगड़ कर घिसने लगा और कभी उनकी मोटी मोटी चूचियां तो बड़ी बड़ी गाड़ हर जगह साबुन लगाने लगा

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वो भी कहा पीछे रहने वाली थी , मेरे देह पर बड़े अच्छे से मल मल कर साबुन लगा रहे थी, लंड पूरा लोहे की रोड की तरह सीधा मुंह उठा खड़ा था और वो उसको भी अच्छे से साफ कर रही थी ,

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जैसे जैसे उसके हाथ मेरे लंड को छूते वो फड़कने लगता और फिर मैने उन्हें अपनी ओर खींचा फिर पानी की पूरी बाल्टी से दोनो को भिगो दिया
वो हसने लगी और मेरा लंड खींचने लगी
मैने उन्हें फर्श पर लिटाया और फटी हुई चूत के मुहाने पर लंड लगाते हुए एक तेज धक्के से लंड पेल दिया
: अह्ह्ह्ह्ह बाबू आराम से , फटी है तो क्या हुआ अब चीथड़े करोगे अह्ह्ह्ह अम्मी बहुत गर्म है अह्ह्ह्ह
: गर्म तो तुम्हारी चूत है आंटी इस उम्र में भी इतनी गर्म अह्ह्ह्ह इतनी रसीली कैसे ? ( मैने उनकी चूत में धक्के लगाते हुए बोला )


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: बेटा मै तो एक ही चीज जानती हु , मशीन अगर यूज ना करो तो जंग लग जाती है और अगर बराबर अह्ह्ह्ह चलाअआऊ तोह उम्मम्म ऐसे ही रस बाहर फेंकती है अह्ह्ह्ह बेटा और उम्मम बहुत गजब हथियार है तेरा अह्ह्ह्ह्ह
: अह्ह्ह्ह आंटी आप भी कम गजब नहीं हो अह्ह्ह्ह्ह
: अह्ह्ह्ह्ह ऐसे हथियार का बहुत अच्छा भाव है बाजार में , सिराज से कई गुना ज्यादा मिलेगा तुझे बोल बात करूं
आंटी की बातें सुनते ही मै समझ गया कि वो चूत लेने के पैसे मिलने वाली बात कर रही है क्योंकि वो ऑफिस के बाद कई हायर सोसाइटी के घरों में साफ सफाई के लिए जाती थी और बड़े घरानों की चूत मारने को मिलेगी ऐसा सोच कर ही लंड एकदम फड़फड़ाने लगा सुपाड़ा एकदम से आगियाने लगा
: अह्ह्ह्ह्ह आंटी दिल खुश कर दिया अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह आयेगा अह्ह्ह्ह्ह कहा गिराऊ अह्ह्ह्ह्ह
: जहां तेरा दिल करे बेटा
: ओह्ह्ह्ह आंटी तुम बहुत बड़ी रंडी हो अह्ह्ह्ह तुम्हारी बुर भर दूंगा मैं अह्ह्ह्ह्ह फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड उम्मम
: अह्ह्ह्ह बाबू कितना गर्म लावा है अह्ह्ह्ह्ह सीईईई अमीईई भर दे बेटा भर दे अपनी रंडी आंटी की बुर अह्ह्ह्ह्ह शाह
मै भी झड़ता हुआ उनके ऊपर ही गिर गया और फिर हम नहाने का खुद को साफ करने लगे


बाथरूम से पाइप लेकर मै सीधा छत पर आया
तेज बारिश हो रही थी और अम्मी भींग रही थी
: अम्मी अंदर अजाओ भीग क्यों रही है आप ( मैने जीने के पास एवं आवाज दी )
: भीग क्या जाऊंगी भीग चुकी हु , तू वही रहना । मै ये अब गंदगी रगड़ कर साफ कर दु
अम्मी झुक कर झाड़ू से कबूतरों और बंदरों ने जो गंदगी मचाई थी वो साफ करने लगी


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अम्मी पूरी भीग चुकी थी , उनकी सलवार सूट सब गिले होकर उनके देह से चिपक गए थे और उनकी गाड़ की दरार साफ साफ नजर आ रही थी ।
देख कर ही लंड एकदम फड़फड़ाने लगा सुपाड़ा खुजाते हुए मै उन्हें देखता रहा
अम्मी ने पूरी छत भीगते हुए साफ की और उनका जिस्म अब पूरी तरह साफ साफ नंगा दिख रहा था , हल्के रंग के सूट सलवार में उनका कातिलाना गदराया जिस्म झलक रहा था । मोटी मोटी चूचियां और उनके नुकीले निप्पल के उभार दुपट्टे के ऊपर से पता चल रहे थे और पीछे उनकी मोटी गाड़ सलवार में एकदम चिपक कर लगभग गायब हो गई थी , पूरी गाड़ साफ साफ झलक रही थी गाड़ की भूरी दरारें भी नजर आ रही थी ।

: शानू शैंपू की बोतल लाना और वो पानी की पाइप लगा दे ( अम्मी ने छत पर हाता नुमा बने जगह पर खड़े होकर बोली )
उस जगह पर बाथरूम बनाना था लेकिन कुछ कारण से काम अधूरा रह गया , रात में या फिर दिन में कभी कभी पेशाब करने के लिए वो जगह काम आ जाती है और अम्मी ने आज वही नहाने का मूड बनाया था ।

मै झटपट गया और नीचे से शैम्पू लेकर आया और पानी की पाइप सेट कर अम्मी तक लाया

: यही नहाओगे क्या आप , हल्की रिमझिम बारिश अभी भी हो रही थी ( हा अब क्या नीचे जाऊ , ये सब गंदगी लेकर , अम्मी का इशारा बंदरों और कबूतरों की पोटी पर था )
: तू तौलिया नहीं लाया
: आपने कहा क्या ?
: पागल , जा लेकर आ और भीग मत वही जीने के पास रहना मागूंगी तो देना
मै सरपट दौड़ कर नीचे गया और अम्मी के कमरे से तौलिया निकाला कि उसके साथ ही ड्राआर से अम्मी की पैंटी भी गिरी
उसको हाथों में लेते ही अजीब सी गुदगुदी महसूस हुई कितनी मुलायम थी मैने उसको सुंघा अह्ह्ह्ह्ह साबुन और अम्मी के जिस्म से मिलती जुलती खुशबू थी मेरा लंड एकदम अकड़ गया
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मीईई चटवा लो न बुर मुझसे सीईईईई अह्ह्ह्ह अमीईई , अरे बहनचोद अम्मी तो नहा रही है तो मै यह क्या कर रहा हु ,जल्दी जल्दी में पैंटी ड्रॉर में रख कर मै सरपट भागा

अह्ह्ह्ह्ह क्या सीन था , जीने के दरवाजे के ठीक आगे अम्मी नहा रही थी , पूरा जिस्म मानो मेरे आगे नंगा था मानो , अम्मी के देह से दुपट्टा हट चुका था और काटन का सूट उनकी मोटी मोटी चूचिया छिपाने में नाकाम था , अम्मी की गोरी गोरी छतिया निप्पल सहित साफ साफ नजर आ रही थी और गाड़ भी अब और स्पष्ट दिख रही थी
अम्मी के सर में शैंपू लग चुका था वो अपने सूट के बटन खोलते हुए मेरी ओर ही देख रही थी ,
मै इधर उधर निहार कर खुद को भटका रहा था मगर मेरी नजर रह रह कर अम्मी की ओर जा रही थी और जब मैने दुबारा उनकी कर देखा तो


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अम्मी अपने सूट में आगे से हाथ डाल कर अपनी मोटी मोटी चूचियां रगड़ रही थी । जैसे ही उन्होंने मुझे अपनी ओर देखता पाया , हाथ निकाल कर अपने चेहरे को साफ करने लगी और उनके हाथों के बीच मैंने उनके छुप कर मुस्कुराते देख लिया।
जिससे मेरा लंड और मै दोनो मुस्कुराने लगे

अम्मी ने पानी की पाइप उठाई और अपने देह पर गिराने लगी , मै भी अब ढीथाई करते हुए उन्हें निहारने लगा ,


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और वो मुझे घूर कर देखती हुई पानी अपने सर पर फिर अपने चूचों पर और जांघों पर गिरने लगी
मै जानता था अम्मी मेरे सामने होने की वजह से अच्छे से नहा नहीं रही थी बस देह धूल रही थी ।
: कोई दिख रहा है क्या आस पास ( अम्मी का इशारा बगल के छत पर था )
: नहीं अम्मी कोई नहीं है ( मैने दोनो ओर गर्दन करके देखा ) तौलिया लाऊ
: नहीं वही रुक आती हु (अम्मी अपना दुपट्टा उठाकर फ़ागती हुई मेरे ओर आने लगी उनकी चूचियां दौड़ने की वजह से खूब उछल रही थी कि अचानक से अम्मी का पैर फिसला और वो छत पर गिर गई

: अम्मीईई ( मै चीखा )

: हाय दैय्या मर गई रे!!!! ( अम्मी कराहती हुई बोली और दर्द से अपने चूतड़ उठाने लगी थी )
: अम्मी आप भाग क्यों रही थी ( मैने उनके पास आ गया था और उनकी कमर में हाथ डाल कर उन्हें सहारा देते हुए बिठाया )
: मैने सोचा कोई देख न ले अह्ह्ह्ह्ह अम्मी बहुत दुख रहा है हाय दैय्या
मुझे अम्मी का दर्द देख कर बड़ी चिंता हो रही थी और वही लंड के अपने मजे थे साला वो तो अम्मी की चूचिया इतने करीब से नंगी देखकर खुश हो रहा था रह रह कर मेरी नजर अम्मी के डार्क ब्राउन निप्पल पर जा रही थी , एकदम कड़क और तने हुए मानो सूट फाड़ कर बाहर ही आ गए हो ।
: कहा लगी है आपको ( मै आगे पीछे देख कर बोला )
: कूल्हे में लगी है बेटा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई मर गई रे उठा नहीं जा रहा है अह्ह्ह्ह अमीईईई ( अम्मी कोशिश कर रही थी )
: अम्मी उठिए नीचे चलिए यहां नहीं न रहेंगी आप आइए मै उठाता हु आपको
मैने उनका हाथ अपने कंधे पर रखा और उनके कमर में हाथ डाल कर उन्हें सहारा देने लगा , अम्मी की चूचियां अब मेरे सीने को स्पर्श हो रही थी , अजीब से गुदगुदी हो रही थी जो मेरा लंड तो मजबूत कर रही थी मगर मेरे हाथो की पकड़ कमजोर कर रही थी ।
बार बार मेरा मन भटक जा रहा था और अम्मी सरकने लगती थी

मैने खुद को शांत किया और गहरी सास लेते हुए अम्मी को खींच कर खड़ा किया और वो लड़खड़ाने लगी
: नहीं बेटा मुझसे चला नहीं जाएगा अह्ह्ह्ह्ह
: तो उठा लु क्या आपको
: धत्त कमीना , मारूंगी तुझे ( अम्मी दर्द में हस पड़ी )
: तो चलो न , हिम्मत करो ( मैं अम्मी के कूल्हे पर हाथ रख कर उन्हें सहारा देता हुआ जीने तक ले आया )
: रुक जा रुक जा
: क्या हुआ ( मै उन्हें जीने की दिवाल के सहारे खड़ा किया और वो रेलिंग पकड़ कर खड़ी हो गई )
: अरे क्या हुआ क्या , ऐसे भीगे भीगे मै नीचे नहीं जाऊंगी , पूरा पोछा लगाया है
: अरे यार , अम्मी अपनी हालात देखो न , वो मै कर लूंगा आप चलो
: नहीं वो तौलिया दे ,मै देह पोंछ लू फिर
मैने हस्ते हुए उन्हें तौलिया दिया और वो खड़े होकर वही से अपने बाल फिर चेहरा और कपड़े के ऊपर से अपने चूचियों पर तौलिया थपथपा कर पानी निचोड़ने कवि फिर पेट और जैसे ही झुकने को हुई कूल्हे में फिर से दर्द उठा : आह्ह्ह्ह
: क्या हुआ
: वो मै झुक नहीं पा रही
: क्या अम्मी आप तो बच्चों से भी जिद्दी हो , बोल रहा हु नीचे चलो ( मै गुस्सा करते हुए बोला )
: अरे समझ न तू , ऐसा कर तू ही नीचे ऐसे तौलिया से पानी सूखा न बेटा , प्लीज
मै मुंह बनाता हुआ जैसे नीचे बैठा , सामने अम्मी की नंगी जांघें सलवार से झलक रही थी अह्ह्ह्ह्ह बहनचोद किस्मत दस्तक दे रही थी और मै नाटक कर रहा था । अपने आप को कोसने लगा मै और मेरा लंड ठुमके लगाने लगा ।
बारी बारी से अम्मी की दोनो जांघों पर तैलिया लगा कर पानी निचोड़ने लगा और फिर अम्मी घूम गई : पीछे भी

किस्मत मेहरबान थी मेरे हाथ अम्मी के चूतड़ पोंछ रहे रहे थे और नीचे टांगे पोछते हुए मेरे आगे अम्मी के नंगे चूतड़ सलवार में फैले हुए थे ।
रहा नहीं गया और हौले से जीभ निकालकर उसकी टिप से मैने सलवार के ऊपर से अम्मी की गाड़ को चाट ही लिया
: हो गया शानू ( अम्मी की बातों में थोड़ी नाराजगी दिखी ऊपर देखा तो वो मुझे ही निहार रही थी )
मै समझ गया कि उन्हीं नजर मेरी हरकत पर पड़ गई थी ।
: आओ चलो मैने उन्हें सहारा दिया और धीरे धीरे करके हम नीचे आने लगे
मैं उन्हें कमरे में ले आया और एक स्टूल पर बिठाया
: अह्ह्ह्ह्ह बेटा , जरा आलमारी से मेरे कपड़े निकाल कर दे दे मुझे
मै उन्हें छोड़ कर अम्मी की आलमारी खोली और उनसे पूछ कर एक जोड़ी सूट सलवार निकाल कर बेड पर रख दिया
: बेटा वो दराज में सफेद वाली कच्छी और ब्रा होगी वो भी निकाल देना ( अम्मी अपने कूल्हे को पकड़े हुए बोली )
यकीन नहीं हो रहा था कि अम्मी के कपड़े मै खुद निकाल रहा था और मैने खोज कर व्हाइट ब्रा पैंटी निकाल कर बेड पर रख दी ।
: आप पक्का न पहन लोगे कपड़े खुद से ( मै अम्मी के आगे एक प्रस्ताव रखा )
: हा तू जा अभी आवाज दूंगी तुझे तब आना
मै मुंह बना कर बाहर चला आया , सोचा था कि अम्मी को आज खुद से कपड़े पहनाने को मिलेगा तो उनके नंगे बदन को छूने का मौका मिलेगा मगर शायद आज किस्मत उतनी भी मेहरबान नहीं थी ।
मै बाहर आ गया और अम्मी जान रही थी कि मैं ताक झांक जरूर करूंगा इसीलिए वो मुझे काम में उलझा दी
: बेटा चाय बना दे , दवा खाऊंगी उससे तो आराम हो जाएगा
( दरवाजे के पास खड़ा हुआ मै भुनभुना कर रह गया और किचन में चाय बनाने लगा )
कुछ देर बाद मैने चाय बनाई और कमरे के दरवाजे तक आया
: अम्मी आजाऊ ( मैने आवाज दी )
: हा बेटा आजा
मै हाथ में ट्रे लिए हुए कोहनी से दरवाजा धकेल कर खोला तो अम्मी सूट सलवार में बेड और बैठी हुई थी , एक किनारे उनकी बदली हुई गीली सूट सलवार अम्मी ने तौलिए में लपेट कर रखी थी ताकि फर्श गीली न हो ।

मै ट्रे लेकर आया और गर्म पानी निकालने लगा
: दवा कहा रखी है आप
: वो दराज में होगी
: नहीं रुक मै निकालती हूं तू नहीं जानेगा ( जबतक अम्मी बोलती मै लपक कर दराज तक आ गया था )
: अरे झोला ही ला रहा हु मै ( दराज से एक छोटा सा काटन झोला निकाला जिस पर डॉ रहीम के क्लिनिक का ही नाम था । उसमे ढेर सारी फीवर , सर दर्द , बदन दर्द , हल्के फुल्के बाम और मलहम रखे थे ।
: लो इसी में से छाट लो, (मै वो झोली उल्टी करके सारी दवाइयों को बेड पर निकालने लगा )
कयोंकि झोली में काफी सारी छोटी छोटी पत्ते में दवा थी और खोजने में मगजमारी सा था
: अरे उलट मत इधर ला ( अम्मी ने हड़बड़ी में मुझे रोकना चाहा मगर तबतक मै झोली झाड़ चुका था और उसमें से एक कॉन्डम की चौकोर डिबिया बेड पर से उछल कर फर्श पर लुढ़क कर गिरी आवाज करती हुई
हम दोनो मां बेटे की नजरे एक साथ उसपे गई ।

कमरे में एकदम से चुप्पी थी , समझ गया क्यों अम्मी एकदम से मुझे मना करने लगी थी ।
: बोल रही थी मुझे दे ( अम्मी ने मेरी कंधे और बाह के बीच पर थप्पड़ लगाते हुए गुस्से में बोली ) बद्तमीज कही का !!

"बहनचोद इसमें मेरी क्या गलती " , मै खुद से बड़बड़ाया । इगो सा हर्ट हुआ मेरा ऐसा मानो खीझ भी हुई ।
: देख क्या रहा है उठा उसे ( अम्मी ने हड़काया मुझे )
मैने हाथ सहलाते हुए वो पैकेट उठाया , जिसके ऊपर कामुक मिशनरी पोज में एक कपल नग्न होकर आपस में चिपके हुए थे ।
अम्मी ने झपट लिया मुझसे और अपने पैर के नीचे छुपा लिया
: हम्म्म ले रख दे इसे वहां वापस
मै चुपचाप समान रखा और वापस घुमा तो अम्मी दवा खा रही थी ।
मेरा चेहरा उतरा देख कर वो हल्की सी मुस्कुराई
: कहा जा रहा है बैठ पी ले तू भी
मै उदास होकर बैठ गया और चाय पीने लगा ।
: क्या खायेगा बोल
: कैसे बनाओगे आप , जब खड़े नहीं हो पा रहे हो तो ( मै गिरे हुए मुंह से बोला और वो हसने लगी )
: पिज्जा खायेगा ? ( अगले ही पल मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई )
: ऑर्डर कर फिर !!
: लेकिन अब्बू ?
: उन्हें कौन बता रहा है ( अम्मी हस कर बोली )

फिर मैने फोन से पिज्जा ऑर्डर कर दिया
: हा अब इतना थक कर खाना कौन बनाएगा
: धत्त तुम भी न बाबू
: अच्छा इधर आओ न , कितनी गरम हो तुम आंटी अह्ह्ह्ह्ह कितनी मुलायम हो और ये तुम्हारी गोल मटोल चूचियां इतनी लटक कैसे गई जरा बताओ तो
: अगर चीजे बार बार इस्तेमाल होगी तो लूज हो ही जाएगी न बाबू
: हा लेकिन तुम्हारी गाड़ आंटी, देख कर ही लंड खड़ा हो जाता है ।
: अच्छा ! कबसे ?
: शुरू से ही जबसे नौकरी कर रहा हु , झाड़ू लगाते हुए आपकी गाड़ फैल जाती थी , कितनी बार उस हरामी आहूजा को आपके चूतड सहलाते देखा था। लेकिन आप बड़ी दिलदार है ये देखकर खुशी होती थी ।
: तो आ जाते आप भी बाबू , तब क्यों नहीं आए इतने साल बाद क्यों
: अरे वो आहूजा तो रंडीबाज था , लेकिन ये भी पता था कि तुम भी एक नंबर की रांड हो अह्ह्ह्ह ( मै उसके चूचे मसलते हुए बोला )
: आहूजा तो वो बेचारी सबनम को भी कितना सताता है , बहनचोद कभी कभी जी करता है कि लौड़ा कूच दूं!
: क्या हीहीहीही, आहूजा सबनम को सताता है कितने बोला ?
: क्यों आपको नहीं पता , कितनी बार मैने उसे ऑफिस में जबरजस्ती उसका हाथ पकड़ते हुए देखा है ।
: हाहाहाहाहा शानू बाबू तुम तो बड़े भोले हो , तुम्हारे जैसे भोले शिकार ही खोजती है । तभी तो मै सोचूं कि पूरी ऑफिस में वो सिर्फ तुम पर डोले ही क्यों डालती है ।
: शिकार ? मतलब ?
: तो तुम नहीं जानते उसके बारे में ?
: क्या नहीं जानता ?
: यही कि सबनम बहुत चालाक चिड़िया है , उसकी भोली सूरत पर मत जाना बाबू ।
: मै सच में नहीं समझा ?
: अभी तक तुम उसके रडार से बाहर हो तो अच्छा ही है , नहीं तो आहूजा की तरह तुम भी फड़फड़ाते रहोगे उम्र भर
: अरे कल ही उससे मेरी दोस्ती हुई है( मै हैरान होकर बोला )
: क्या ? शानू बाबू अभी भी वक्त है मत रखो रिश्ता उससे । उसने आपसे ये वादा जरूर लिया होगा कि आप इस दोस्ती को ऑफिस में जाहिर नहीं होने देंगे । ऐसा ही कहा होगा उसने

: हा , लेकिन ? ( मै हैरान था कि नीलू आंटी को कैसे पता )
: बेटा तुम बहुत भोले हो और अच्छे भी , मैने सालों से तुम्हारी अच्छाई परखी है और तुम्हारे भले के लिए बोल रही हु । उस लड़की से की रिश्ता मत रखना नहीं तो आहूजा के जैसे हालत हो जाएगी । तुम्हारी तो उतनी तनख्वाह भी नहीं जो उसका खर्चा दे पाओ
: मतलब , साफ साफ बताओ न आंटी आहूजा के साथ क्या हुआ था ।
: होना क्या था , आहूजा की आदत तो तुम जानते हो , सबनम को भी उसने आम लड़की समझ लिया था । सबनम ने उससे दोस्ती की और अपने पते पर बुलाया । सरप्राइज के बहाने आहूजा को एक कमरे में कपड़े उतार कर रहने को कहा और उसके नंगे होने की वीडियो बना ली ।
फिर वहां से भाग गई , आहूजा उस रात सबनम का इंतजार करता रहा मगर वो नहीं आई और अगली रोज उसने आहूजा के मोबाइल पर वीडियो भेजी और ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया । तबसे लाखों रुपए आहूजा सबनम को दे चुका था और न जाने कितने लाख देगा और भी । इसीलिए जब भी आती है वो उससे नफरत ही करता है । ये सबनम कि ही चाल थी कि जब आहूजा ने बीच ने उसको पैसे नहीं देने लगा तो उसने आहूजा को और बदनाम कर दिया था ।

मेरी आंखे फटी की फटी रह गई
मै दिल से नीलू आंटी को धन्यवाद कर रहा था और खुद की किस्मत के साथ साथ अपने लंड को भी शुक्रिया अदा कर रहा था कि आज उसने नीलू आंटी को याद किया।

अब मेरे जहन में सबनम को सबक सिखाने की तरकीबें उठने लगी और मेरी इस एक तीर से दो निशाने लगने वाले थे ।


जारी रहेगी
Shaandar jaandaar update bhai
 
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UPDATE 014

किस्मत कनेक्शन

: कितनी तेज हवा चल रही है ना अम्मी
: देखना उड़ मत जाना ( अम्मी हस्ते हुए बोली , चूत से रस झाड़ कर वो काफी खिली खिली लग रही थी मै ये बखूबी समझ रहा था )
: आप हो न , आपको पकड़ लूंगा
: धत्त कमीना, जल्दी जल्दी ये सब कबाड़ हटा मै झाड़ू लगाती हूं ( अम्मी ने हुक्म सुनाया और मै लग गया काम में )
छत पर बंदरों कबूतरों ने अलग ही कचड़ा किया हुआ था , जगह ऐसा हग दिया था कि झाड़ू से भी गंदगी नहीं निकल रही थी ,
: अम्मी वो कबूतर वाली पोटी साफ नहीं हो रही है ( मै जीने के पीछे अम्मी को बताने गया )


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अम्मी झुक कर झाड़ू लगा रही थी और तेज हवा से उनक सूट पीठ तक चला गया , बिना पैंटी में उनकी सूती सलवार में बड़ी सी गाड़ दरारों सहित साफ साफ नजर आ रही थी )
देखते ही लंड एकदम फड़फड़ाने लगा
: ऐसा कर पानी चालू कर के गिला कर दे फर्श पूरा और फिर रगड़ना ( अम्मी ने झाड़ू लगाते हुए कहा )
मै उखड़ गया कि साला पाइप लेने फिर से नीचे बाथरूम ने जाना पड़ेगा।


अजीब सी बेचैनी हो रही थी , लंड अलग अकड़ा हुआ था और दिल में एक डर सा था , पेट में काफी घबराहट हो रही थी , समझ नहीं आ रहा था कि पहल करनी चाहिए भी या नहीं
घर की सारी सफाई हो चुकी थी , नीलू आंटी बाथरूम में नहा रही थी । चुकी मेरे कमरे के बाथरूम का दरवाजा सही नहीं था , बारिश के दिनों में अक्सर उसकी चटखनी नहीं लगती थी
पहली बार नहीं था कि जब नीलू आंटी को मैने साफ सफाई के बुलाया नहीं था । इसीलिए इस बार वो नाइटी लेकर आई थी , क्योंकि दरवाजे के बारे में भी जानती थी ।
नाइटी पहन कर वो बाथरूम ने नहा रही थी और हल्की बारिक दरारों से मै भीतर झांक रहा था ।


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अंदर आंटी पानी से खुद का बदन भिगो रही थी नाइटी के ऊपर से , जैसे जैसे उनका जिस्म गिला हो रहा था , उनके गुप्तांग यौनांग स्पष्ट हो रहे थे , निप्पल अब पूरे बिजबल हो चुके थे

: शानू बाबू , साबुन नहीं है क्या ?
( मिल गया मौका और मै चहक उठा )

: खत्म ही गया होगा , दूसरा देता हु रुकिए ( दरवाजे से थोड़ा हट कर आवाज देता हुआ बोला और फिर एक साबुन की टिकिया दराज से निकाल कर बाथरूम का दरवाजा खोलने लगा )
: आ जाऊ आंटी
: हा हा आ जाओ
( मै ऊपर से पूरा नंगा बस एक चढ़ढे में उनके आगे पहुंचा , अह्ह्ह्ह्ह क्या गदराया जिस्म था आंटी का , नाइटी पूरी भींग कर उनके रसीले मम्मों से और गाड़ से चिपक गई थी ।
मेरी नजरें सीधे उनके उभरे हुए विजिबल चूचों पर गई । जिनकी काली घेरियां उनकी लाल नाइटी से झलक रही थी।
: अब लाओ भी , क्या देख रहे हो शानू बाबू
: देख रहा हु सिराज की मेहनत को आंटी
अगले ही पल वो समझ गई कि मुझे उनके बारे में पता है सब
: क्यू मेहनत रंग लाई कि नहीं ( वो इतराते हुए मेरी नजर का पीछा करती हुई भी और मेरी नज़रे सीधा उसकी उभरी हुई छातियों पर थी )
: हा आंटी रंग तो काफी चटक है , कलाकार निकला सिराज तो पूरा ( मै चढ्ढे के ऊपर से अपना लंड सहलाते हुए बोला )
: तुम चाहो तो अपना रंग भी भर सकते हो शानू बाबू अह्ह्ह्ह्ह, बड़ी मोटी ब्रश है तुम्हारी ( नीलू आंटी ने लपक कर मेरा लंड चढ्ढे के ऊपर से पकड़ लिया)
मैने भी जोश में उनको अपनी ओर पकड़ कर खींच लिया और उनके लिप्स चूसने लगा


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आंटी भी दुगने जोश से मुझ पर टूट पड़ी और अपनी चूत को मेरे चढ़ढे में बने तंबू पर घिसने लगी ,मै भी उनकी गाड़ मसलने लगा
: अह्ह्ह्ह्ह आंटी क्या मस्त गाड़ है तुम्हारी पूरी टाइट
: रहेगी ही , आज तक कुवांरी जो है
: अह्ह्ह्ह्ह सच में , दोगी नहीं मुझे ( नाइटी के ऊपर से उनकी गाड़ खोदते हुए बोला )
: अह्ह्ह्ह नहीं दर्द होता है इसीलिए और तुम्हारा हथियार मेरी गाड़ फाड़ देगा आह्ह्ह्ह

: तो क्या सारी उम्र इस मजे से दूर रहोगी उम्मम ( मै उनको आगे घुमा कर पीछे से उनकी चूचियां मिजने लगा नाइटी के ऊपर से और लंड को उनकी गाड़ में ठोकर मारने लगा)
: अह्ह्ह्ह्ह आराम से बाबू कपड़े के ऊपर से ऐसे मसलोगे तो छिल जायेगा वो अह्ह्ह्ह
: तो निकाल दो ना ( अगले ही पल मैने उनकी नाइटी अलग कर दी , पूरा भरा गदराया जिस्म मोटी मोटी गाड़ , बढ़ती उम्र और सही खान पान न होने से स्तन थोड़े लटक गए थे और पेट निकला हुआ था मगर भीतर से पूरी शोला थी । जांघों के बीच चूत से भट्टी जल रही थी )
उसके हाथ मेरे लंड को थामे हुए कसते जा रहे थे मानो मेरे गन्ने का रस निचोड़ रही हो मै भी उसके पूरी जिस्म को मिज मसल रहा था ,


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कभी नंगे गुदाज पेट को तो कभी फटे हुए चूत के फांके को तो कभी उसकी झूल चुकी चूचियों को
: अह्ह्ह्ह बड़ी तेजी है तुम्हारे में बाबू अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह
: अभी असली तेजी देखी कहा तुमने आंटी ( मैने बाल्टी से उनके ऊपर पानी डाल कर उनके जिस्म को भिगोता हुआ बोला )
मेरे हाथ अब उनके जिस्म पर घूमने लगे

साबुन से उनके जिस्म को रगड़ रगड़ कर घिसने लगा और कभी उनकी मोटी मोटी चूचियां तो बड़ी बड़ी गाड़ हर जगह साबुन लगाने लगा

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वो भी कहा पीछे रहने वाली थी , मेरे देह पर बड़े अच्छे से मल मल कर साबुन लगा रहे थी, लंड पूरा लोहे की रोड की तरह सीधा मुंह उठा खड़ा था और वो उसको भी अच्छे से साफ कर रही थी ,

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जैसे जैसे उसके हाथ मेरे लंड को छूते वो फड़कने लगता और फिर मैने उन्हें अपनी ओर खींचा फिर पानी की पूरी बाल्टी से दोनो को भिगो दिया
वो हसने लगी और मेरा लंड खींचने लगी
मैने उन्हें फर्श पर लिटाया और फटी हुई चूत के मुहाने पर लंड लगाते हुए एक तेज धक्के से लंड पेल दिया
: अह्ह्ह्ह्ह बाबू आराम से , फटी है तो क्या हुआ अब चीथड़े करोगे अह्ह्ह्ह अम्मी बहुत गर्म है अह्ह्ह्ह
: गर्म तो तुम्हारी चूत है आंटी इस उम्र में भी इतनी गर्म अह्ह्ह्ह इतनी रसीली कैसे ? ( मैने उनकी चूत में धक्के लगाते हुए बोला )


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: बेटा मै तो एक ही चीज जानती हु , मशीन अगर यूज ना करो तो जंग लग जाती है और अगर बराबर अह्ह्ह्ह चलाअआऊ तोह उम्मम्म ऐसे ही रस बाहर फेंकती है अह्ह्ह्ह बेटा और उम्मम बहुत गजब हथियार है तेरा अह्ह्ह्ह्ह
: अह्ह्ह्ह आंटी आप भी कम गजब नहीं हो अह्ह्ह्ह्ह
: अह्ह्ह्ह्ह ऐसे हथियार का बहुत अच्छा भाव है बाजार में , सिराज से कई गुना ज्यादा मिलेगा तुझे बोल बात करूं
आंटी की बातें सुनते ही मै समझ गया कि वो चूत लेने के पैसे मिलने वाली बात कर रही है क्योंकि वो ऑफिस के बाद कई हायर सोसाइटी के घरों में साफ सफाई के लिए जाती थी और बड़े घरानों की चूत मारने को मिलेगी ऐसा सोच कर ही लंड एकदम फड़फड़ाने लगा सुपाड़ा एकदम से आगियाने लगा
: अह्ह्ह्ह्ह आंटी दिल खुश कर दिया अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह आयेगा अह्ह्ह्ह्ह कहा गिराऊ अह्ह्ह्ह्ह
: जहां तेरा दिल करे बेटा
: ओह्ह्ह्ह आंटी तुम बहुत बड़ी रंडी हो अह्ह्ह्ह तुम्हारी बुर भर दूंगा मैं अह्ह्ह्ह्ह फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड उम्मम
: अह्ह्ह्ह बाबू कितना गर्म लावा है अह्ह्ह्ह्ह सीईईई अमीईई भर दे बेटा भर दे अपनी रंडी आंटी की बुर अह्ह्ह्ह्ह शाह
मै भी झड़ता हुआ उनके ऊपर ही गिर गया और फिर हम नहाने का खुद को साफ करने लगे


बाथरूम से पाइप लेकर मै सीधा छत पर आया
तेज बारिश हो रही थी और अम्मी भींग रही थी
: अम्मी अंदर अजाओ भीग क्यों रही है आप ( मैने जीने के पास एवं आवाज दी )
: भीग क्या जाऊंगी भीग चुकी हु , तू वही रहना । मै ये अब गंदगी रगड़ कर साफ कर दु
अम्मी झुक कर झाड़ू से कबूतरों और बंदरों ने जो गंदगी मचाई थी वो साफ करने लगी


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अम्मी पूरी भीग चुकी थी , उनकी सलवार सूट सब गिले होकर उनके देह से चिपक गए थे और उनकी गाड़ की दरार साफ साफ नजर आ रही थी ।
देख कर ही लंड एकदम फड़फड़ाने लगा सुपाड़ा खुजाते हुए मै उन्हें देखता रहा
अम्मी ने पूरी छत भीगते हुए साफ की और उनका जिस्म अब पूरी तरह साफ साफ नंगा दिख रहा था , हल्के रंग के सूट सलवार में उनका कातिलाना गदराया जिस्म झलक रहा था । मोटी मोटी चूचियां और उनके नुकीले निप्पल के उभार दुपट्टे के ऊपर से पता चल रहे थे और पीछे उनकी मोटी गाड़ सलवार में एकदम चिपक कर लगभग गायब हो गई थी , पूरी गाड़ साफ साफ झलक रही थी गाड़ की भूरी दरारें भी नजर आ रही थी ।

: शानू शैंपू की बोतल लाना और वो पानी की पाइप लगा दे ( अम्मी ने छत पर हाता नुमा बने जगह पर खड़े होकर बोली )
उस जगह पर बाथरूम बनाना था लेकिन कुछ कारण से काम अधूरा रह गया , रात में या फिर दिन में कभी कभी पेशाब करने के लिए वो जगह काम आ जाती है और अम्मी ने आज वही नहाने का मूड बनाया था ।

मै झटपट गया और नीचे से शैम्पू लेकर आया और पानी की पाइप सेट कर अम्मी तक लाया

: यही नहाओगे क्या आप , हल्की रिमझिम बारिश अभी भी हो रही थी ( हा अब क्या नीचे जाऊ , ये सब गंदगी लेकर , अम्मी का इशारा बंदरों और कबूतरों की पोटी पर था )
: तू तौलिया नहीं लाया
: आपने कहा क्या ?
: पागल , जा लेकर आ और भीग मत वही जीने के पास रहना मागूंगी तो देना
मै सरपट दौड़ कर नीचे गया और अम्मी के कमरे से तौलिया निकाला कि उसके साथ ही ड्राआर से अम्मी की पैंटी भी गिरी
उसको हाथों में लेते ही अजीब सी गुदगुदी महसूस हुई कितनी मुलायम थी मैने उसको सुंघा अह्ह्ह्ह्ह साबुन और अम्मी के जिस्म से मिलती जुलती खुशबू थी मेरा लंड एकदम अकड़ गया
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मीईई चटवा लो न बुर मुझसे सीईईईई अह्ह्ह्ह अमीईई , अरे बहनचोद अम्मी तो नहा रही है तो मै यह क्या कर रहा हु ,जल्दी जल्दी में पैंटी ड्रॉर में रख कर मै सरपट भागा

अह्ह्ह्ह्ह क्या सीन था , जीने के दरवाजे के ठीक आगे अम्मी नहा रही थी , पूरा जिस्म मानो मेरे आगे नंगा था मानो , अम्मी के देह से दुपट्टा हट चुका था और काटन का सूट उनकी मोटी मोटी चूचिया छिपाने में नाकाम था , अम्मी की गोरी गोरी छतिया निप्पल सहित साफ साफ नजर आ रही थी और गाड़ भी अब और स्पष्ट दिख रही थी
अम्मी के सर में शैंपू लग चुका था वो अपने सूट के बटन खोलते हुए मेरी ओर ही देख रही थी ,
मै इधर उधर निहार कर खुद को भटका रहा था मगर मेरी नजर रह रह कर अम्मी की ओर जा रही थी और जब मैने दुबारा उनकी कर देखा तो


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अम्मी अपने सूट में आगे से हाथ डाल कर अपनी मोटी मोटी चूचियां रगड़ रही थी । जैसे ही उन्होंने मुझे अपनी ओर देखता पाया , हाथ निकाल कर अपने चेहरे को साफ करने लगी और उनके हाथों के बीच मैंने उनके छुप कर मुस्कुराते देख लिया।
जिससे मेरा लंड और मै दोनो मुस्कुराने लगे

अम्मी ने पानी की पाइप उठाई और अपने देह पर गिराने लगी , मै भी अब ढीथाई करते हुए उन्हें निहारने लगा ,


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और वो मुझे घूर कर देखती हुई पानी अपने सर पर फिर अपने चूचों पर और जांघों पर गिरने लगी
मै जानता था अम्मी मेरे सामने होने की वजह से अच्छे से नहा नहीं रही थी बस देह धूल रही थी ।
: कोई दिख रहा है क्या आस पास ( अम्मी का इशारा बगल के छत पर था )
: नहीं अम्मी कोई नहीं है ( मैने दोनो ओर गर्दन करके देखा ) तौलिया लाऊ
: नहीं वही रुक आती हु (अम्मी अपना दुपट्टा उठाकर फ़ागती हुई मेरे ओर आने लगी उनकी चूचियां दौड़ने की वजह से खूब उछल रही थी कि अचानक से अम्मी का पैर फिसला और वो छत पर गिर गई

: अम्मीईई ( मै चीखा )

: हाय दैय्या मर गई रे!!!! ( अम्मी कराहती हुई बोली और दर्द से अपने चूतड़ उठाने लगी थी )
: अम्मी आप भाग क्यों रही थी ( मैने उनके पास आ गया था और उनकी कमर में हाथ डाल कर उन्हें सहारा देते हुए बिठाया )
: मैने सोचा कोई देख न ले अह्ह्ह्ह्ह अम्मी बहुत दुख रहा है हाय दैय्या
मुझे अम्मी का दर्द देख कर बड़ी चिंता हो रही थी और वही लंड के अपने मजे थे साला वो तो अम्मी की चूचिया इतने करीब से नंगी देखकर खुश हो रहा था रह रह कर मेरी नजर अम्मी के डार्क ब्राउन निप्पल पर जा रही थी , एकदम कड़क और तने हुए मानो सूट फाड़ कर बाहर ही आ गए हो ।
: कहा लगी है आपको ( मै आगे पीछे देख कर बोला )
: कूल्हे में लगी है बेटा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई मर गई रे उठा नहीं जा रहा है अह्ह्ह्ह अमीईईई ( अम्मी कोशिश कर रही थी )
: अम्मी उठिए नीचे चलिए यहां नहीं न रहेंगी आप आइए मै उठाता हु आपको
मैने उनका हाथ अपने कंधे पर रखा और उनके कमर में हाथ डाल कर उन्हें सहारा देने लगा , अम्मी की चूचियां अब मेरे सीने को स्पर्श हो रही थी , अजीब से गुदगुदी हो रही थी जो मेरा लंड तो मजबूत कर रही थी मगर मेरे हाथो की पकड़ कमजोर कर रही थी ।
बार बार मेरा मन भटक जा रहा था और अम्मी सरकने लगती थी

मैने खुद को शांत किया और गहरी सास लेते हुए अम्मी को खींच कर खड़ा किया और वो लड़खड़ाने लगी
: नहीं बेटा मुझसे चला नहीं जाएगा अह्ह्ह्ह्ह
: तो उठा लु क्या आपको
: धत्त कमीना , मारूंगी तुझे ( अम्मी दर्द में हस पड़ी )
: तो चलो न , हिम्मत करो ( मैं अम्मी के कूल्हे पर हाथ रख कर उन्हें सहारा देता हुआ जीने तक ले आया )
: रुक जा रुक जा
: क्या हुआ ( मै उन्हें जीने की दिवाल के सहारे खड़ा किया और वो रेलिंग पकड़ कर खड़ी हो गई )
: अरे क्या हुआ क्या , ऐसे भीगे भीगे मै नीचे नहीं जाऊंगी , पूरा पोछा लगाया है
: अरे यार , अम्मी अपनी हालात देखो न , वो मै कर लूंगा आप चलो
: नहीं वो तौलिया दे ,मै देह पोंछ लू फिर
मैने हस्ते हुए उन्हें तौलिया दिया और वो खड़े होकर वही से अपने बाल फिर चेहरा और कपड़े के ऊपर से अपने चूचियों पर तौलिया थपथपा कर पानी निचोड़ने कवि फिर पेट और जैसे ही झुकने को हुई कूल्हे में फिर से दर्द उठा : आह्ह्ह्ह
: क्या हुआ
: वो मै झुक नहीं पा रही
: क्या अम्मी आप तो बच्चों से भी जिद्दी हो , बोल रहा हु नीचे चलो ( मै गुस्सा करते हुए बोला )
: अरे समझ न तू , ऐसा कर तू ही नीचे ऐसे तौलिया से पानी सूखा न बेटा , प्लीज
मै मुंह बनाता हुआ जैसे नीचे बैठा , सामने अम्मी की नंगी जांघें सलवार से झलक रही थी अह्ह्ह्ह्ह बहनचोद किस्मत दस्तक दे रही थी और मै नाटक कर रहा था । अपने आप को कोसने लगा मै और मेरा लंड ठुमके लगाने लगा ।
बारी बारी से अम्मी की दोनो जांघों पर तैलिया लगा कर पानी निचोड़ने लगा और फिर अम्मी घूम गई : पीछे भी

किस्मत मेहरबान थी मेरे हाथ अम्मी के चूतड़ पोंछ रहे रहे थे और नीचे टांगे पोछते हुए मेरे आगे अम्मी के नंगे चूतड़ सलवार में फैले हुए थे ।
रहा नहीं गया और हौले से जीभ निकालकर उसकी टिप से मैने सलवार के ऊपर से अम्मी की गाड़ को चाट ही लिया
: हो गया शानू ( अम्मी की बातों में थोड़ी नाराजगी दिखी ऊपर देखा तो वो मुझे ही निहार रही थी )
मै समझ गया कि उन्हीं नजर मेरी हरकत पर पड़ गई थी ।
: आओ चलो मैने उन्हें सहारा दिया और धीरे धीरे करके हम नीचे आने लगे
मैं उन्हें कमरे में ले आया और एक स्टूल पर बिठाया
: अह्ह्ह्ह्ह बेटा , जरा आलमारी से मेरे कपड़े निकाल कर दे दे मुझे
मै उन्हें छोड़ कर अम्मी की आलमारी खोली और उनसे पूछ कर एक जोड़ी सूट सलवार निकाल कर बेड पर रख दिया
: बेटा वो दराज में सफेद वाली कच्छी और ब्रा होगी वो भी निकाल देना ( अम्मी अपने कूल्हे को पकड़े हुए बोली )
यकीन नहीं हो रहा था कि अम्मी के कपड़े मै खुद निकाल रहा था और मैने खोज कर व्हाइट ब्रा पैंटी निकाल कर बेड पर रख दी ।
: आप पक्का न पहन लोगे कपड़े खुद से ( मै अम्मी के आगे एक प्रस्ताव रखा )
: हा तू जा अभी आवाज दूंगी तुझे तब आना
मै मुंह बना कर बाहर चला आया , सोचा था कि अम्मी को आज खुद से कपड़े पहनाने को मिलेगा तो उनके नंगे बदन को छूने का मौका मिलेगा मगर शायद आज किस्मत उतनी भी मेहरबान नहीं थी ।
मै बाहर आ गया और अम्मी जान रही थी कि मैं ताक झांक जरूर करूंगा इसीलिए वो मुझे काम में उलझा दी
: बेटा चाय बना दे , दवा खाऊंगी उससे तो आराम हो जाएगा
( दरवाजे के पास खड़ा हुआ मै भुनभुना कर रह गया और किचन में चाय बनाने लगा )
कुछ देर बाद मैने चाय बनाई और कमरे के दरवाजे तक आया
: अम्मी आजाऊ ( मैने आवाज दी )
: हा बेटा आजा
मै हाथ में ट्रे लिए हुए कोहनी से दरवाजा धकेल कर खोला तो अम्मी सूट सलवार में बेड और बैठी हुई थी , एक किनारे उनकी बदली हुई गीली सूट सलवार अम्मी ने तौलिए में लपेट कर रखी थी ताकि फर्श गीली न हो ।

मै ट्रे लेकर आया और गर्म पानी निकालने लगा
: दवा कहा रखी है आप
: वो दराज में होगी
: नहीं रुक मै निकालती हूं तू नहीं जानेगा ( जबतक अम्मी बोलती मै लपक कर दराज तक आ गया था )
: अरे झोला ही ला रहा हु मै ( दराज से एक छोटा सा काटन झोला निकाला जिस पर डॉ रहीम के क्लिनिक का ही नाम था । उसमे ढेर सारी फीवर , सर दर्द , बदन दर्द , हल्के फुल्के बाम और मलहम रखे थे ।
: लो इसी में से छाट लो, (मै वो झोली उल्टी करके सारी दवाइयों को बेड पर निकालने लगा )
कयोंकि झोली में काफी सारी छोटी छोटी पत्ते में दवा थी और खोजने में मगजमारी सा था
: अरे उलट मत इधर ला ( अम्मी ने हड़बड़ी में मुझे रोकना चाहा मगर तबतक मै झोली झाड़ चुका था और उसमें से एक कॉन्डम की चौकोर डिबिया बेड पर से उछल कर फर्श पर लुढ़क कर गिरी आवाज करती हुई
हम दोनो मां बेटे की नजरे एक साथ उसपे गई ।

कमरे में एकदम से चुप्पी थी , समझ गया क्यों अम्मी एकदम से मुझे मना करने लगी थी ।
: बोल रही थी मुझे दे ( अम्मी ने मेरी कंधे और बाह के बीच पर थप्पड़ लगाते हुए गुस्से में बोली ) बद्तमीज कही का !!

"बहनचोद इसमें मेरी क्या गलती " , मै खुद से बड़बड़ाया । इगो सा हर्ट हुआ मेरा ऐसा मानो खीझ भी हुई ।
: देख क्या रहा है उठा उसे ( अम्मी ने हड़काया मुझे )
मैने हाथ सहलाते हुए वो पैकेट उठाया , जिसके ऊपर कामुक मिशनरी पोज में एक कपल नग्न होकर आपस में चिपके हुए थे ।
अम्मी ने झपट लिया मुझसे और अपने पैर के नीचे छुपा लिया
: हम्म्म ले रख दे इसे वहां वापस
मै चुपचाप समान रखा और वापस घुमा तो अम्मी दवा खा रही थी ।
मेरा चेहरा उतरा देख कर वो हल्की सी मुस्कुराई
: कहा जा रहा है बैठ पी ले तू भी
मै उदास होकर बैठ गया और चाय पीने लगा ।
: क्या खायेगा बोल
: कैसे बनाओगे आप , जब खड़े नहीं हो पा रहे हो तो ( मै गिरे हुए मुंह से बोला और वो हसने लगी )
: पिज्जा खायेगा ? ( अगले ही पल मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई )
: ऑर्डर कर फिर !!
: लेकिन अब्बू ?
: उन्हें कौन बता रहा है ( अम्मी हस कर बोली )

फिर मैने फोन से पिज्जा ऑर्डर कर दिया
: हा अब इतना थक कर खाना कौन बनाएगा
: धत्त तुम भी न बाबू
: अच्छा इधर आओ न , कितनी गरम हो तुम आंटी अह्ह्ह्ह्ह कितनी मुलायम हो और ये तुम्हारी गोल मटोल चूचियां इतनी लटक कैसे गई जरा बताओ तो
: अगर चीजे बार बार इस्तेमाल होगी तो लूज हो ही जाएगी न बाबू
: हा लेकिन तुम्हारी गाड़ आंटी, देख कर ही लंड खड़ा हो जाता है ।
: अच्छा ! कबसे ?
: शुरू से ही जबसे नौकरी कर रहा हु , झाड़ू लगाते हुए आपकी गाड़ फैल जाती थी , कितनी बार उस हरामी आहूजा को आपके चूतड सहलाते देखा था। लेकिन आप बड़ी दिलदार है ये देखकर खुशी होती थी ।
: तो आ जाते आप भी बाबू , तब क्यों नहीं आए इतने साल बाद क्यों
: अरे वो आहूजा तो रंडीबाज था , लेकिन ये भी पता था कि तुम भी एक नंबर की रांड हो अह्ह्ह्ह ( मै उसके चूचे मसलते हुए बोला )
: आहूजा तो वो बेचारी सबनम को भी कितना सताता है , बहनचोद कभी कभी जी करता है कि लौड़ा कूच दूं!
: क्या हीहीहीही, आहूजा सबनम को सताता है कितने बोला ?
: क्यों आपको नहीं पता , कितनी बार मैने उसे ऑफिस में जबरजस्ती उसका हाथ पकड़ते हुए देखा है ।
: हाहाहाहाहा शानू बाबू तुम तो बड़े भोले हो , तुम्हारे जैसे भोले शिकार ही खोजती है । तभी तो मै सोचूं कि पूरी ऑफिस में वो सिर्फ तुम पर डोले ही क्यों डालती है ।
: शिकार ? मतलब ?
: तो तुम नहीं जानते उसके बारे में ?
: क्या नहीं जानता ?
: यही कि सबनम बहुत चालाक चिड़िया है , उसकी भोली सूरत पर मत जाना बाबू ।
: मै सच में नहीं समझा ?
: अभी तक तुम उसके रडार से बाहर हो तो अच्छा ही है , नहीं तो आहूजा की तरह तुम भी फड़फड़ाते रहोगे उम्र भर
: अरे कल ही उससे मेरी दोस्ती हुई है( मै हैरान होकर बोला )
: क्या ? शानू बाबू अभी भी वक्त है मत रखो रिश्ता उससे । उसने आपसे ये वादा जरूर लिया होगा कि आप इस दोस्ती को ऑफिस में जाहिर नहीं होने देंगे । ऐसा ही कहा होगा उसने

: हा , लेकिन ? ( मै हैरान था कि नीलू आंटी को कैसे पता )
: बेटा तुम बहुत भोले हो और अच्छे भी , मैने सालों से तुम्हारी अच्छाई परखी है और तुम्हारे भले के लिए बोल रही हु । उस लड़की से की रिश्ता मत रखना नहीं तो आहूजा के जैसे हालत हो जाएगी । तुम्हारी तो उतनी तनख्वाह भी नहीं जो उसका खर्चा दे पाओ
: मतलब , साफ साफ बताओ न आंटी आहूजा के साथ क्या हुआ था ।
: होना क्या था , आहूजा की आदत तो तुम जानते हो , सबनम को भी उसने आम लड़की समझ लिया था । सबनम ने उससे दोस्ती की और अपने पते पर बुलाया । सरप्राइज के बहाने आहूजा को एक कमरे में कपड़े उतार कर रहने को कहा और उसके नंगे होने की वीडियो बना ली ।
फिर वहां से भाग गई , आहूजा उस रात सबनम का इंतजार करता रहा मगर वो नहीं आई और अगली रोज उसने आहूजा के मोबाइल पर वीडियो भेजी और ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया । तबसे लाखों रुपए आहूजा सबनम को दे चुका था और न जाने कितने लाख देगा और भी । इसीलिए जब भी आती है वो उससे नफरत ही करता है । ये सबनम कि ही चाल थी कि जब आहूजा ने बीच ने उसको पैसे नहीं देने लगा तो उसने आहूजा को और बदनाम कर दिया था ।

मेरी आंखे फटी की फटी रह गई
मै दिल से नीलू आंटी को धन्यवाद कर रहा था और खुद की किस्मत के साथ साथ अपने लंड को भी शुक्रिया अदा कर रहा था कि आज उसने नीलू आंटी को याद किया।

अब मेरे जहन में सबनम को सबक सिखाने की तरकीबें उठने लगी और मेरी इस एक तीर से दो निशाने लगने वाले थे ।


जारी रहेगी
Super Update ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ keep it up ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️please complete this story soon 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏please start सपना या हकीकत please bhai request 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤️ new year 2025 coming
 
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