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Shandar jabardast updateUPDATE 002
मनपसंद हलवा
"अम्मी ...अम्मी आओ ना "
मैं उनको आवाज देते हुए रसोई घर से हाल में आ गया , सामने देखा तो अम्मी सोफे पर सर टिका पर लेटी हुई थी और उनका सूट कूल्हे से हट गया था ।
बड़े विशालकाय चूतड बिना पैंटी के सलवार में साफ साफ झलक रहे थे , मगर दिल अक्सर यही बेईमान हो जाता है , उधर मेरी दसवीं के प्रैक्टिकल के लिए गृह विज्ञान की रेसिपी जल रही थी और यहां अम्मी के भारी चूतड को बेपर्दा हुआ देख कर भीतर से मैं ।
अम्मी को देख कर लोअर में मेरे हलचल ही होने लगी , ऐसा पहली बार नही था जब मैंने अम्मी के मुबारक पहाड़ जैसे ऊंचे उभरे हुए कूल्हे और मुलायम गाड़ देखी थी, मगर हर बार महज झलक भर से वो हसीन नजारा मेरी आंखो से कही खो सा जाता था
मगर आज वो दिन कुछ और ही था , मै धीरे धीरे अम्मी की ओर बढ़ने लगा मेरी नजर एक टक उनकी गाड़ की लाइन में जमी थी जो सलवार पर उभरी हुई थी , देखने भर से ही मुझे भीतर से महसूस हो रहा था कि कितने मुलायम होंगे , मेरे लोअर में लंड हरकत करने लगा था
मैंने मौका देख कर उन्हे छू लेना चाहा , मेरे हाथ उन लजीज रसभरे फूले हुए गुलगुलो को छुने को मचल रहे थे
" शानू "
एक तेज करकस आवाज और मैं भीतर से कांप उठा , मेरा रोम रोम भीतर से थरथराने लगा । डर से चेहरा सफेद होने लगा और उस आवाज से अम्मी भी चौक कर उठ गई ।
वो अब्बू की आवाज थी और अम्मी हड़बड़ा कर जल्दी जल्दी अपना दुपट्टा सर पर करने लगी और उन्हें कही से जलने की बू आई और वो मेरी ओर देखी और गुस्से से लाल होकर - अब फिर से क्या जला रहा है कमीने तू
अम्मी गुस्से में भागती हुई रसोई घर में गई और मैं भी तेजी से उनके पीछे गया - सॉरी अम्मी , कबसे तो जगा रहा था आपको , अब ये हलवा भी जल गया । कल मेरा प्रैक्टिकल है ?
अम्मी ने एक नजर बाहर देखा और अब्बू को ना पाकर एक गहरी सास ली - उफ्फ, बेटा तूने इसमें हिस्सा लिया ही क्यों ?
मै - अम्मी वो मीनू मैडम ने सबको बोला है सिख कर आने को ,कहती है कि शादी के बाद काम आयेगी
अम्मी मेरे भोले से जवाब पर खिलखिलाई - अच्छा तो तु भी इसीलिए सीख रहा है कि शादी के बाद अपनी बीवी को हलवा खिलाएगा हिहिही
मै हल्का सा उनके करीब होकर उनसे लिपटने को हुआ - नही तो ? मै तो अपनी प्यारी अम्मी को खिलाऊंगा ।
अम्मी रसोई घर से बाहर देखती हुई मुझसे दूर हट गई - हा हा अब लिपट मत , बड़ा आया प्यारी अम्मी का दीवाना हिहिही
मुझे बड़ी जलन सी हुई कि एक तो अम्मी ने मुझे दूर किया और उसपे से मेरे प्यार का मजाक उड़ाया , गुस्सा भी आ रहा था तब मगर मैं अपनी अम्मी से नाराज कैसे हो सकता था । कितना मुश्किल होता है जिससे प्यार करो उसपे गुस्सा दिखाना । फिल्मों में कई बार ऐसा देखा था सोचता था कि ये सब नाटक होगा मगर वो सब हकीकत में मेरे साथ होता दिख रहा था ।
: लेलो बाबूजी अच्छे आम है
: कैसे दिए काका ?
: पक्के हापुस है बाबूजी , मुंह लगाओ तो भैंस की थन जैसे दूध की तरह रस से भर जाए
मै मुस्कुराया - अरे दिए कितने भाव से ?
: 250 रुपए दर्जन से बेंच रहा हु बाबूजी
मैंने रेडी वाले काका को उसके पैसे दिए और आम लेकर आस पास देखा तो हाईवे से मेरे टाउन की ओर जाने वाले रूट पर कुछ ऑटो रिक्शा लाइन में लगे थे ।
सुबह का समय था सबके नंबर थे और पहली वाले में मैं भी बैठ गया ।
" लो भैया तुम भी खाओ , चने अच्छे है " , उस ऑटो वाले ड्राइवर ने मेरी ओर हाथ बढ़ाया ।
मै - जी अभी ब्रश नही किया मैंने
ड्राइवर : खुशबू अच्छी है , कितने भाव के दिए
मैंने एक नजर उस चाइना पन्नी में रखे हुए दो दरजन आमों की ओर देखा और मुस्कुरा कर - 250 के 12
ड्राइवर : बाप रे इतनी मंहगाई , हम जैसो को तो अब छुने को नहीं मिलती । रोशनी की मां तो चार रोज से कह रही है कि सीजन है आम लेते आओ बच्चे ज़िद दिखाते है । मगर पैसे दाल रोटी से बचे तो न शौक पूरे हो ।
उस ड्राइवर की लार छोड़ती जीभ ही ये सब उससे बुलवा रही थी ये तो पक्का था और मुझे हसी तब आई जब इसमें भी अम्मी की कही बात याद आ गई,ऐसे जब कोई चर्चा करे तो उसे अपने हिस्से से कुछ देदो नही तो नजर लग जाती है चीजों में ।
और नजर लगने का मेरा अनुभव बहुत बुरा रहा है , चार चार रोज तक पेट छुटता रहता था बचपन में । फिर अम्मी किसी सोखा ओझा से झाड़ फूंक करवाती तब तबियत ठीक होती मेरी ।
मै झट से 4 आम निकाल कर उसको देने लगा , वो मना करने लगा - अरे रोशनी बिटिया के लिए लेते जाओ , उसके चाचा की ओर से । बच्ची खुश रहेगी
वो ड्राइवर के चेहरे पर खुशी की लाली देख कर मैं खुश हो गया ,उसने एक पुराने से झोले में वो आम पहले अपने गमछे में लपेटे फिर रखे ।
फिर तो मानो उसमे कोई तेजी आ गई ,ये चिल्ला चिल्ला कर सवारियां बटोरने लगा और फिर मुझे अपने बगल में ही बिठा लिया
: कहा से हो बाबू तुम
: जी काजीपुर से ही हूं
: खास काजीपुर में ? कौन सा टोला ?
: खोवामंडी
: अच्छा वो बिलाल भाई जो टेलर है उनके आस पास क्या ?
: जी जी , बस वही गली में घर है मेरा
: क्या नाम है अब्बा का तुम्हारे बाबू
: जी अकरम अली
: अरे तो तुम वो बड़े बाबू के बेटे हो , वाह मिया क्या बात है , तुम्हारी भी नौकरी है ना कही ?
मै उसकी खुशी देख कर खुद भी खुश होने लगा और वो तेजी से ऑटो चलाता हुआ मुझसे बात करता रहा ।
: जी इंदौर में है
: अच्छा अच्छा , क्या करते हो वहा
: वो **** विभाग में सीनियर टेक्नीशियन हू
: सरकारी है ?
: जी
फिर वो आखिर तक मेरा स्टाफ नही आ गया कभी अपनी गरीबी की मार तो कभी मेरे अब्बू की बड़ी बड़ी बातें करता रहा और फिर मैं उतर गया ।
: क्या इंजीनियर साहब , शर्मिंदा करेंगे अरे बड़े बाबू सुनेगे तो क्या कहेंगे ।
: अरे बोहनी का समय है रख लीजिए
फिर मैंने जबरन उसे पैसे दिए और अलविदा कहा और निकल पड़ा अपने चौराहे से घर की ओर
सुबह का वक्त अब खड़ा होकर दुपहर की धूप छूने हो रहा था , सड़क के किनारे से होकर मकानों की छाया में चलने लगा था मैं ।
चौराहे से घर अभी दूर था और खोवामंडी के बंदर पूरे लखनऊ में आतंक मचाते हैं इसीलिए उधर जाने से पहले एक किराना स्टोर से झोला लेने चला गया ।
:हरी वाली इलाइची लेना बड़ी बड़ी हो एकदम अंगूर के दाने जैसी , ऐसी मरियल मत लेना और लिख ...
: बादाम पिस्ता 100 100 ग्राम , उस सेठानी से कहना कि नए पैकेट खोल के देगी , नही तो इस बार अच्छे से हिसाब करूंगी इसका ।
: अम्मी आपकी सहेली है तो आप चले जाओ ना , वो आंटी मुझे बहुत परेशान करती है
: प्रैक्टिकल किसका है
: मेरा ( उतरे से चेहरे से )
: हा तो जाना हो जा नही तो रहने दे और तेरी मामी लगेगी वो थोड़ा मजाक सहना सीख
मै - नमस्ते मामी
सेठानी - अरे शानू बेटा, आजा आजा चाय बन ही गई , कैसा है ?
मै - जी ठीक हु मामी , नहीं अभी ब्रश नही किया । मुझे एक झोला चाहिए था
सेठानी - हा हा अपनी मामी के लिए तेरे पास 100 बहाने है अभी कोई छोरी भैया बोल कर भी बुलाए तो उसके पीछे भौरा बनके नाचता जाएगा
मै मुस्कुराने लगा सेठानी का मजाक कुछ ऐसा ही था रिश्ते में मामी लगती थी क्योंकि मेरे मामू का ससुराल इनके मायके के गांव में ही था ।
: कही कोई पटा तो नही रखी उधर ,मुझे बता दे तेरी अम्मी को नहीं बताती मै
: क्या मामी लाओ झोला , ये सब नहीं करता मै ( मुझे कोई छेड़े मुझे भाता नहीं था )
: हम्मम फिर ठीक है और खबरदार मेरे अलावा किसी पर डोरे डाले तो
: क्या कर लोगी ( मै हसा)
: ऐसे कान पकड़ कर घर खींच लाऊंगी तुझे बदमाश कही का , चल अब चाय लाई हू पी कर ही जा
हार कर मुझे चाय पीनी ही पड़ी और चुस्कियां लेते हुए - मामी एक बात पूछूं
सेठानी - हा बोल
मै - पूरे खोवामंडी एक मैं ही मिला था परेशान करने को , इतने हैंडसम है आपके शौहर फिर भी मुझ अबला पर डोरे डालती हो
सेठानी - शुक्र कर अभी तक तेरा तबला नही बजाया , मुझे तो तू बड़ा नमकीन लगता है ना इसलिए
मै अजीब सा मुंह बना कर - नमकीन
सेठानी मेरे गाल खींच कर - हा हर तरह के मसाले है तुझमें हिहिही
मै उठता हुआ अपने गाल झाड़ने लगा मानो उसके उंगलियों के निशान मिटा रहा हो कही अम्मी ना देख ले - धत्त मामी तुम भी ना , अब मैं जा रहा हु
मै उठ कर जाने लगा - पोंछ ले पोंछ ले एक दिन खूब गाढ़ी लाल लिपस्टिक लगा कर पप्पी लूंगी , जुम्मे रात तक नहीं छूटेगी
मै डर गया कि इसका कोई भरोसा नहीं वो अम्मी के आगे भी मुझे छेड़ने से बाज नहीं आती है और मैं सरपट अपना सामान लेकर निकल गया
मुहल्ले में घुसते ही लोगो की सलाम बंदगी चालू हो गई , रुक रुक कर सबसे सफर का हाल चाल साझा करना पड़ा
घर वापसी मुझे ये एक और झंझट मेरा पीछा नहीं छोड़ती, सब के सब अब्बू की वजह से और जबसे नौकरी की पढ़ाई के लिए बाहर गया तबसे मेरा हाल चाल कुछ ज्यादा ही लेते है
हर बार मेरी छुट्टियों के पल से घंटे दो घंटे भर का समय ये सब खा जाते है और लिहाज बस मैं कुछ कहता नही बस भीतर ही भीतर जलता हूं कि इन कमबख्तो की वजह से मुझे मेरी अम्मी के पास पहुंचने में जो देरी लग रही है उसकी तड़प ये क्या जाने ।
जबरन विदा लेकर घर की ओर गुजरने लगा , खोवामण्डी अब कहने को खोवामंडी रह गई है । पुराने हलवाई अब सब यहां से अमीर होकर शहर चले गए , उनकी दुकानों में अब दूसरे चाय नाश्ता की टीन शेड लग गई है और इसी वजह से यह बंदर बहुत बढ़ गए है ।
अक्सर घर आते हुए मेरी नजर बिलाल के बंद पड़े पुराने मकान की दूसरी मंजिल की बाहर दीवार पर निकले हुए सलियों पर जाती है , जहा एक बार एक हरामी बंदर अम्मी की नई सलवार ले कर भागा था और बिलाल के छत की चारदीवारी पर से गिरा दिया मगर वो उन बाहर निकले हुए सलियों में अटके गया ।
और पूरे मुहल्ले को पता चल गया था कि अम्मी के कूल्हे कितने चौड़े है ।
पूरे बरसात अम्मी का वो सलवार वहा झंडे के जैसे लहराता रहा और बारिश धूप में सड़ गल कर खत्म हो गया ।
आज भी मेरी नजर वहा गई और भीतर से एक दबी हुई खुन्नस उस बंदर के लिए हल्की सी बजबजा कर शांत हो गई
मै घर का चैनल सरका कर बरामदे में दाखिल हुआ और अब्बू के पैर छुए
: खुश रहो और जाकर नहा लो पहले
: जी अब्बू
फिर मैं अपना समान लेकर दरवाजे से घुसा और गैलरी से हाल में गया , अम्मी कही नही दिखी ।
किचन में झोला रख कर मैं बैग लेकर ऊपर अपने कमरे में जाने लगा और मुझे ऊपर अम्मी की पायलों की खनक मिली
मै खुश हुआ और कमरे के दरवाजे पर बैग रख कर - अम्मीई
अम्मी खुश होकर मेरी ओर देखी और अपना दुपट्टा सही करने लगी - अरे आ गया बेटा
मै आगे बढ़ा और झुक कर अम्मी को कमर से पकड़ कर उनको पूरा उठा लिया - अम्मी मेरी अम्मी मैं आ गया हिहिहि
: अरे ये क्या कर रहा है शानू छोड़ मुझे , तेरे अब्बू ने देख लिया तो शामत हो जाएगी
अब्बू का नाम आते ही मेरा मुंह उतर गया और उखड़ कर मेरे मुंह से निकल ही गया - इतना भी क्या डरना अब्बू से
अम्मी आंखे दिखा कर - शानू चुप कर तू , क्या बोले जा रहा है
मेरा मूड खराब हो गया , भीतर से एक चिढ़ सी हो रही थी हर बार जब कभी अम्मी के करीब होने का सोचता या अब्बू आ जाते या फिर उनका नाम और अब तो धीरे धीरे अब्बू के नाम से भी मुझे चिढ़ होने लगती है ।
अम्मी मेरा उतरा हुआ चेहरा देख कर मुस्कुराई और बोली - वैसे मैंने तेरे लिए आज आम और सूजी वाला हलवा बनाया है ।
मै खुशी से चहक उठा और थोड़ा जलन भी हुआ कि इन्हे सब पता होता है मुझे कब कैसे मनाना है । कभी तो मुझे फिल्मों वाला ड्रामा करने देती ये औरत ।
मै - सच अम्मी और अब्बू आम लाए थे?
अम्मी मुस्कुरा कर थोड़ा हक जता कर - लायेंगे क्यू नही, उनमे इतनी हिम्मत जो तेरी अम्मी का कहा टाल दे हिहीही
मै हसने लगा तो वो मेरे बाल में हाथ घुमा कर जा जल्दी से नहा ले और कपड़े निकाल कर वाशिंग मशीन में डाल देना
अम्मी बाहर जाने लगी तो मैंने उन्हें रोका - अम्मी रुको न
अम्मी मुस्कुरा कर - हा बोल ना
मैंने झट से बैग से वो चमकीली पन्नी वाला गिफ्ट निकाल और उनको देता हुआ - ये आपकी शादी की सालगिरह का तोहफा अम्मी ,
अम्मी उस चमकती लाल पन्नी वाली गिफ्ट के पैकेट को देख कर खुश हो गई - वाओ कितना प्यारा पैकिंग हुआ है और ये क्या लिखा है
मेरी प्यारी अम्मी को शादी की सालगिराह मुबारक हो , आपका शानू और ये क्या है ?
अम्मी ने उंगली रख कर एक emoji पर मेरी ओर देखा और वहा मैंने एक चुम्मी वाली emoji अपने पेन से बनाई थी जिसे देख कर मेरी हसी निकल गई ।
अम्मी मुझे देख कर मुस्कुराई - बदमाश कही का ,चल मै जाती हु तू जल्दी से आजा नहा कर
मै - अम्मी खोल कर देखो ना क्या
अम्मी - नही नही बाद में जल्दी से नहा कर आजा अभी तेरे अब्बू ने नाश्ता नहीं किया है लेट हुआ तो डांट मिलेगी
फिर अम्मी वो गिफ्ट अपने हाथ ऐसे झुलाते लेकर कर गई मानो मेरा दिया हुआ दिल लटका रखा हो और मेरे मजे ले रही हो , मुझे सता रही हो कि ऐसे ही लटका कर रखूंगी तुझे बच्चू ।
मुझे फिर गुस्सा आया मगर उनकी हिलकोरे खाती बलखाती गाड़ ने मेरे दिल को चैन दिया और मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई ।
ना जाने क्यों अम्मी पर गुस्सा मैं कर ही नहीं पाता ।
खैर मैं नहा कर नीचे गया , चाय नाश्ता होने लगा । अब्बू से मेरी कोई खास बात चीत होती नही थी मगर न जाने क्यू वो आज वो खुद से पहल कर बातें कर रहे थे ।
: वहा रहने वहने की कोई दिक्कत नही है ना
: जी नहीं अब्बू , नया फ्लैट है rent भी सस्ता है उसका
: आस पास का क्या माहौल है
: सब ठीक ही है ,क्यों ?
: अरे घर परिवार लेकर रहने लायक है या नही ये पूछ रहा हूं
: हा , और भी लोग है वहा फैमली लेकर ( मैने अम्मी की ओर देखकर इशारे से पूछा क्या बात है तो वो ना में सर हिला दी जैसे उन्हें भी नही पता हो )
: ठीक है , आज शाम को अनवर भाई साहब आ रहे है थोड़ा कायदे से पेश आना
: जी अब्बू
मै बड़ी उलझन में था कि अब्बू ने मुझसे ऐसे बात क्यू की और फिर अनवर चचा को मुझसे क्या काम हो सकता है ।
अम्मी के पास भी इनसब का कोई जवाब नही था और अब्बू नाश्ता कर बाजार के लिए निकल गए ।
शाम हुई और तकरीबन 5 बजे तक अनवर चचा अपनी इनोवा से पूरे परिवार के साथ घर आए ।
चचा-चची के साथ उनकी बहु और उसने दो छोटे बच्चे थे जो बरामरे गलियारे हाल में शोर मचा कर खेल कूद करने लगे और अम्मी के साथ सबके लिए नाश्ते लगाते समय मेरी नजर हाल में अनवर चचा की बहु के साथ बैथी हुई रेहाना पर गई
: ओह नो , नो नो अम्मी मैं तो भाग रहा हु इंदौर अभी के अभी
: क्या हुआ शानू
: अम्मी रेहाना आई
: क्या ( अम्मी चौक कर रसोई से हाल में देखी )
हम दोनो उसके आने का मतलब साफसाफ समझ गए थे और मुझे समझ आ गया कि क्यू सुबह नाश्ते पर अब्बू ने मुझसे मेरे रहने वाली जगह का जायजा लिया
मै अम्मी को कंधे से पकड़ कर अपनी ओर घुमाया और उसकी आंखो में अपनी डबडबाती आंखो से पूरे विश्वास से देखता हुआ : अम्मी .... मै ये शादी नही करूंगा .
अम्मी एकदम से हड़बड़ा गई मेरी आंखो में आंसुओ के साथ साथ एक बगावत दिख रही थी जो मेरे ही अब्बू के खिलाफ थी , उन्हे डर था कही मेहमानों के आगे मै कुछ हंगामा ना कर दू ।
अम्मी मेरे चेहरे को थाम कर अपनी ओर किया - बेटा देख तू चुप हो जा और खुदा के लिए तू कुछ अनर्थ मत करना वरना तेरे अब्बू खाम्खा नाराज हो जाएंगे
मेरी आंखे सुर्ख लाल होने लगी मुझे अपनी अम्मी मुझसे दूर होती दिखने लगी वो सोच ने मेरी आंखे छलका दी
और होठ बुदबुदाहट के साथ फफकने वाले थे की अम्मी ने उंगली रख दी - नही बेटा रोना मत , तुझे मेरी कसम है अगर तू रोया तो
वो अपने दुपट्टे से मेरा चेहरा पोछने लगी उनकी आंखे पूरी नम हो गई थी ।
मै तो भीतर से टूट ही गया मानो , अम्मी ने तो मुझे मेरे हिस्से का दुख भी मनाने की इजाजत नही दी और अगले ही पल अम्मी ने मुझे अपने सीने से लगा लिया मैं हार कर फफक पड़ा - अम्मी मुझे ये शादी नही करनी , नही करनी
अम्मी ने मेरा सर अपने सीने से लगा कर कस लिया मुझे सालों बाद उनके गुदाज नरम फूले हुए चूचे मेरे गालों को छू रहे थे और अम्मी ने जब मुझे कसा तो वो ऐसे दब रहे थे जैसे पाव की बन हो , उसपे से उनकी सूट से आती वो मादक गंध मेरे नथुनों में बसने लगी थी । कई बार मैं इनकी खुशबू ले चुका था - तू फिकर ना बेटा , तेरी अम्मी है ना अभी । चुप हो जा मेरे बच्चे चुप हो जा
" शानू की अम्मी , अरे आओ भई मेहमान आ गए है "
अम्मी झट से मुझसे अलग हुई और अपना चेहरा पोंछ कर ट्रे लेकर बाहर चली गई मैं भी उनके साथ अपना हुलिया सही कर दूसरी ट्रे लेकर बाहर आया
जारी रहेगी
Superb updateUPDATE 002
मनपसंद हलवा
"अम्मी ...अम्मी आओ ना "
मैं उनको आवाज देते हुए रसोई घर से हाल में आ गया , सामने देखा तो अम्मी सोफे पर सर टिका पर लेटी हुई थी और उनका सूट कूल्हे से हट गया था ।
बड़े विशालकाय चूतड बिना पैंटी के सलवार में साफ साफ झलक रहे थे , मगर दिल अक्सर यही बेईमान हो जाता है , उधर मेरी दसवीं के प्रैक्टिकल के लिए गृह विज्ञान की रेसिपी जल रही थी और यहां अम्मी के भारी चूतड को बेपर्दा हुआ देख कर भीतर से मैं ।
अम्मी को देख कर लोअर में मेरे हलचल ही होने लगी , ऐसा पहली बार नही था जब मैंने अम्मी के मुबारक पहाड़ जैसे ऊंचे उभरे हुए कूल्हे और मुलायम गाड़ देखी थी, मगर हर बार महज झलक भर से वो हसीन नजारा मेरी आंखो से कही खो सा जाता था
मगर आज वो दिन कुछ और ही था , मै धीरे धीरे अम्मी की ओर बढ़ने लगा मेरी नजर एक टक उनकी गाड़ की लाइन में जमी थी जो सलवार पर उभरी हुई थी , देखने भर से ही मुझे भीतर से महसूस हो रहा था कि कितने मुलायम होंगे , मेरे लोअर में लंड हरकत करने लगा था
मैंने मौका देख कर उन्हे छू लेना चाहा , मेरे हाथ उन लजीज रसभरे फूले हुए गुलगुलो को छुने को मचल रहे थे
" शानू "
एक तेज करकस आवाज और मैं भीतर से कांप उठा , मेरा रोम रोम भीतर से थरथराने लगा । डर से चेहरा सफेद होने लगा और उस आवाज से अम्मी भी चौक कर उठ गई ।
वो अब्बू की आवाज थी और अम्मी हड़बड़ा कर जल्दी जल्दी अपना दुपट्टा सर पर करने लगी और उन्हें कही से जलने की बू आई और वो मेरी ओर देखी और गुस्से से लाल होकर - अब फिर से क्या जला रहा है कमीने तू
अम्मी गुस्से में भागती हुई रसोई घर में गई और मैं भी तेजी से उनके पीछे गया - सॉरी अम्मी , कबसे तो जगा रहा था आपको , अब ये हलवा भी जल गया । कल मेरा प्रैक्टिकल है ?
अम्मी ने एक नजर बाहर देखा और अब्बू को ना पाकर एक गहरी सास ली - उफ्फ, बेटा तूने इसमें हिस्सा लिया ही क्यों ?
मै - अम्मी वो मीनू मैडम ने सबको बोला है सिख कर आने को ,कहती है कि शादी के बाद काम आयेगी
अम्मी मेरे भोले से जवाब पर खिलखिलाई - अच्छा तो तु भी इसीलिए सीख रहा है कि शादी के बाद अपनी बीवी को हलवा खिलाएगा हिहिही
मै हल्का सा उनके करीब होकर उनसे लिपटने को हुआ - नही तो ? मै तो अपनी प्यारी अम्मी को खिलाऊंगा ।
अम्मी रसोई घर से बाहर देखती हुई मुझसे दूर हट गई - हा हा अब लिपट मत , बड़ा आया प्यारी अम्मी का दीवाना हिहिही
मुझे बड़ी जलन सी हुई कि एक तो अम्मी ने मुझे दूर किया और उसपे से मेरे प्यार का मजाक उड़ाया , गुस्सा भी आ रहा था तब मगर मैं अपनी अम्मी से नाराज कैसे हो सकता था । कितना मुश्किल होता है जिससे प्यार करो उसपे गुस्सा दिखाना । फिल्मों में कई बार ऐसा देखा था सोचता था कि ये सब नाटक होगा मगर वो सब हकीकत में मेरे साथ होता दिख रहा था ।
: लेलो बाबूजी अच्छे आम है
: कैसे दिए काका ?
: पक्के हापुस है बाबूजी , मुंह लगाओ तो भैंस की थन जैसे दूध की तरह रस से भर जाए
मै मुस्कुराया - अरे दिए कितने भाव से ?
: 250 रुपए दर्जन से बेंच रहा हु बाबूजी
मैंने रेडी वाले काका को उसके पैसे दिए और आम लेकर आस पास देखा तो हाईवे से मेरे टाउन की ओर जाने वाले रूट पर कुछ ऑटो रिक्शा लाइन में लगे थे ।
सुबह का समय था सबके नंबर थे और पहली वाले में मैं भी बैठ गया ।
" लो भैया तुम भी खाओ , चने अच्छे है " , उस ऑटो वाले ड्राइवर ने मेरी ओर हाथ बढ़ाया ।
मै - जी अभी ब्रश नही किया मैंने
ड्राइवर : खुशबू अच्छी है , कितने भाव के दिए
मैंने एक नजर उस चाइना पन्नी में रखे हुए दो दरजन आमों की ओर देखा और मुस्कुरा कर - 250 के 12
ड्राइवर : बाप रे इतनी मंहगाई , हम जैसो को तो अब छुने को नहीं मिलती । रोशनी की मां तो चार रोज से कह रही है कि सीजन है आम लेते आओ बच्चे ज़िद दिखाते है । मगर पैसे दाल रोटी से बचे तो न शौक पूरे हो ।
उस ड्राइवर की लार छोड़ती जीभ ही ये सब उससे बुलवा रही थी ये तो पक्का था और मुझे हसी तब आई जब इसमें भी अम्मी की कही बात याद आ गई,ऐसे जब कोई चर्चा करे तो उसे अपने हिस्से से कुछ देदो नही तो नजर लग जाती है चीजों में ।
और नजर लगने का मेरा अनुभव बहुत बुरा रहा है , चार चार रोज तक पेट छुटता रहता था बचपन में । फिर अम्मी किसी सोखा ओझा से झाड़ फूंक करवाती तब तबियत ठीक होती मेरी ।
मै झट से 4 आम निकाल कर उसको देने लगा , वो मना करने लगा - अरे रोशनी बिटिया के लिए लेते जाओ , उसके चाचा की ओर से । बच्ची खुश रहेगी
वो ड्राइवर के चेहरे पर खुशी की लाली देख कर मैं खुश हो गया ,उसने एक पुराने से झोले में वो आम पहले अपने गमछे में लपेटे फिर रखे ।
फिर तो मानो उसमे कोई तेजी आ गई ,ये चिल्ला चिल्ला कर सवारियां बटोरने लगा और फिर मुझे अपने बगल में ही बिठा लिया
: कहा से हो बाबू तुम
: जी काजीपुर से ही हूं
: खास काजीपुर में ? कौन सा टोला ?
: खोवामंडी
: अच्छा वो बिलाल भाई जो टेलर है उनके आस पास क्या ?
: जी जी , बस वही गली में घर है मेरा
: क्या नाम है अब्बा का तुम्हारे बाबू
: जी अकरम अली
: अरे तो तुम वो बड़े बाबू के बेटे हो , वाह मिया क्या बात है , तुम्हारी भी नौकरी है ना कही ?
मै उसकी खुशी देख कर खुद भी खुश होने लगा और वो तेजी से ऑटो चलाता हुआ मुझसे बात करता रहा ।
: जी इंदौर में है
: अच्छा अच्छा , क्या करते हो वहा
: वो **** विभाग में सीनियर टेक्नीशियन हू
: सरकारी है ?
: जी
फिर वो आखिर तक मेरा स्टाफ नही आ गया कभी अपनी गरीबी की मार तो कभी मेरे अब्बू की बड़ी बड़ी बातें करता रहा और फिर मैं उतर गया ।
: क्या इंजीनियर साहब , शर्मिंदा करेंगे अरे बड़े बाबू सुनेगे तो क्या कहेंगे ।
: अरे बोहनी का समय है रख लीजिए
फिर मैंने जबरन उसे पैसे दिए और अलविदा कहा और निकल पड़ा अपने चौराहे से घर की ओर
सुबह का वक्त अब खड़ा होकर दुपहर की धूप छूने हो रहा था , सड़क के किनारे से होकर मकानों की छाया में चलने लगा था मैं ।
चौराहे से घर अभी दूर था और खोवामंडी के बंदर पूरे लखनऊ में आतंक मचाते हैं इसीलिए उधर जाने से पहले एक किराना स्टोर से झोला लेने चला गया ।
:हरी वाली इलाइची लेना बड़ी बड़ी हो एकदम अंगूर के दाने जैसी , ऐसी मरियल मत लेना और लिख ...
: बादाम पिस्ता 100 100 ग्राम , उस सेठानी से कहना कि नए पैकेट खोल के देगी , नही तो इस बार अच्छे से हिसाब करूंगी इसका ।
: अम्मी आपकी सहेली है तो आप चले जाओ ना , वो आंटी मुझे बहुत परेशान करती है
: प्रैक्टिकल किसका है
: मेरा ( उतरे से चेहरे से )
: हा तो जाना हो जा नही तो रहने दे और तेरी मामी लगेगी वो थोड़ा मजाक सहना सीख
मै - नमस्ते मामी
सेठानी - अरे शानू बेटा, आजा आजा चाय बन ही गई , कैसा है ?
मै - जी ठीक हु मामी , नहीं अभी ब्रश नही किया । मुझे एक झोला चाहिए था
सेठानी - हा हा अपनी मामी के लिए तेरे पास 100 बहाने है अभी कोई छोरी भैया बोल कर भी बुलाए तो उसके पीछे भौरा बनके नाचता जाएगा
मै मुस्कुराने लगा सेठानी का मजाक कुछ ऐसा ही था रिश्ते में मामी लगती थी क्योंकि मेरे मामू का ससुराल इनके मायके के गांव में ही था ।
: कही कोई पटा तो नही रखी उधर ,मुझे बता दे तेरी अम्मी को नहीं बताती मै
: क्या मामी लाओ झोला , ये सब नहीं करता मै ( मुझे कोई छेड़े मुझे भाता नहीं था )
: हम्मम फिर ठीक है और खबरदार मेरे अलावा किसी पर डोरे डाले तो
: क्या कर लोगी ( मै हसा)
: ऐसे कान पकड़ कर घर खींच लाऊंगी तुझे बदमाश कही का , चल अब चाय लाई हू पी कर ही जा
हार कर मुझे चाय पीनी ही पड़ी और चुस्कियां लेते हुए - मामी एक बात पूछूं
सेठानी - हा बोल
मै - पूरे खोवामंडी एक मैं ही मिला था परेशान करने को , इतने हैंडसम है आपके शौहर फिर भी मुझ अबला पर डोरे डालती हो
सेठानी - शुक्र कर अभी तक तेरा तबला नही बजाया , मुझे तो तू बड़ा नमकीन लगता है ना इसलिए
मै अजीब सा मुंह बना कर - नमकीन
सेठानी मेरे गाल खींच कर - हा हर तरह के मसाले है तुझमें हिहिही
मै उठता हुआ अपने गाल झाड़ने लगा मानो उसके उंगलियों के निशान मिटा रहा हो कही अम्मी ना देख ले - धत्त मामी तुम भी ना , अब मैं जा रहा हु
मै उठ कर जाने लगा - पोंछ ले पोंछ ले एक दिन खूब गाढ़ी लाल लिपस्टिक लगा कर पप्पी लूंगी , जुम्मे रात तक नहीं छूटेगी
मै डर गया कि इसका कोई भरोसा नहीं वो अम्मी के आगे भी मुझे छेड़ने से बाज नहीं आती है और मैं सरपट अपना सामान लेकर निकल गया
मुहल्ले में घुसते ही लोगो की सलाम बंदगी चालू हो गई , रुक रुक कर सबसे सफर का हाल चाल साझा करना पड़ा
घर वापसी मुझे ये एक और झंझट मेरा पीछा नहीं छोड़ती, सब के सब अब्बू की वजह से और जबसे नौकरी की पढ़ाई के लिए बाहर गया तबसे मेरा हाल चाल कुछ ज्यादा ही लेते है
हर बार मेरी छुट्टियों के पल से घंटे दो घंटे भर का समय ये सब खा जाते है और लिहाज बस मैं कुछ कहता नही बस भीतर ही भीतर जलता हूं कि इन कमबख्तो की वजह से मुझे मेरी अम्मी के पास पहुंचने में जो देरी लग रही है उसकी तड़प ये क्या जाने ।
जबरन विदा लेकर घर की ओर गुजरने लगा , खोवामण्डी अब कहने को खोवामंडी रह गई है । पुराने हलवाई अब सब यहां से अमीर होकर शहर चले गए , उनकी दुकानों में अब दूसरे चाय नाश्ता की टीन शेड लग गई है और इसी वजह से यह बंदर बहुत बढ़ गए है ।
अक्सर घर आते हुए मेरी नजर बिलाल के बंद पड़े पुराने मकान की दूसरी मंजिल की बाहर दीवार पर निकले हुए सलियों पर जाती है , जहा एक बार एक हरामी बंदर अम्मी की नई सलवार ले कर भागा था और बिलाल के छत की चारदीवारी पर से गिरा दिया मगर वो उन बाहर निकले हुए सलियों में अटके गया ।
और पूरे मुहल्ले को पता चल गया था कि अम्मी के कूल्हे कितने चौड़े है ।
पूरे बरसात अम्मी का वो सलवार वहा झंडे के जैसे लहराता रहा और बारिश धूप में सड़ गल कर खत्म हो गया ।
आज भी मेरी नजर वहा गई और भीतर से एक दबी हुई खुन्नस उस बंदर के लिए हल्की सी बजबजा कर शांत हो गई
मै घर का चैनल सरका कर बरामदे में दाखिल हुआ और अब्बू के पैर छुए
: खुश रहो और जाकर नहा लो पहले
: जी अब्बू
फिर मैं अपना समान लेकर दरवाजे से घुसा और गैलरी से हाल में गया , अम्मी कही नही दिखी ।
किचन में झोला रख कर मैं बैग लेकर ऊपर अपने कमरे में जाने लगा और मुझे ऊपर अम्मी की पायलों की खनक मिली
मै खुश हुआ और कमरे के दरवाजे पर बैग रख कर - अम्मीई
अम्मी खुश होकर मेरी ओर देखी और अपना दुपट्टा सही करने लगी - अरे आ गया बेटा
मै आगे बढ़ा और झुक कर अम्मी को कमर से पकड़ कर उनको पूरा उठा लिया - अम्मी मेरी अम्मी मैं आ गया हिहिहि
: अरे ये क्या कर रहा है शानू छोड़ मुझे , तेरे अब्बू ने देख लिया तो शामत हो जाएगी
अब्बू का नाम आते ही मेरा मुंह उतर गया और उखड़ कर मेरे मुंह से निकल ही गया - इतना भी क्या डरना अब्बू से
अम्मी आंखे दिखा कर - शानू चुप कर तू , क्या बोले जा रहा है
मेरा मूड खराब हो गया , भीतर से एक चिढ़ सी हो रही थी हर बार जब कभी अम्मी के करीब होने का सोचता या अब्बू आ जाते या फिर उनका नाम और अब तो धीरे धीरे अब्बू के नाम से भी मुझे चिढ़ होने लगती है ।
अम्मी मेरा उतरा हुआ चेहरा देख कर मुस्कुराई और बोली - वैसे मैंने तेरे लिए आज आम और सूजी वाला हलवा बनाया है ।
मै खुशी से चहक उठा और थोड़ा जलन भी हुआ कि इन्हे सब पता होता है मुझे कब कैसे मनाना है । कभी तो मुझे फिल्मों वाला ड्रामा करने देती ये औरत ।
मै - सच अम्मी और अब्बू आम लाए थे?
अम्मी मुस्कुरा कर थोड़ा हक जता कर - लायेंगे क्यू नही, उनमे इतनी हिम्मत जो तेरी अम्मी का कहा टाल दे हिहीही
मै हसने लगा तो वो मेरे बाल में हाथ घुमा कर जा जल्दी से नहा ले और कपड़े निकाल कर वाशिंग मशीन में डाल देना
अम्मी बाहर जाने लगी तो मैंने उन्हें रोका - अम्मी रुको न
अम्मी मुस्कुरा कर - हा बोल ना
मैंने झट से बैग से वो चमकीली पन्नी वाला गिफ्ट निकाल और उनको देता हुआ - ये आपकी शादी की सालगिरह का तोहफा अम्मी ,
अम्मी उस चमकती लाल पन्नी वाली गिफ्ट के पैकेट को देख कर खुश हो गई - वाओ कितना प्यारा पैकिंग हुआ है और ये क्या लिखा है
मेरी प्यारी अम्मी को शादी की सालगिराह मुबारक हो , आपका शानू और ये क्या है ?
अम्मी ने उंगली रख कर एक emoji पर मेरी ओर देखा और वहा मैंने एक चुम्मी वाली emoji अपने पेन से बनाई थी जिसे देख कर मेरी हसी निकल गई ।
अम्मी मुझे देख कर मुस्कुराई - बदमाश कही का ,चल मै जाती हु तू जल्दी से आजा नहा कर
मै - अम्मी खोल कर देखो ना क्या
अम्मी - नही नही बाद में जल्दी से नहा कर आजा अभी तेरे अब्बू ने नाश्ता नहीं किया है लेट हुआ तो डांट मिलेगी
फिर अम्मी वो गिफ्ट अपने हाथ ऐसे झुलाते लेकर कर गई मानो मेरा दिया हुआ दिल लटका रखा हो और मेरे मजे ले रही हो , मुझे सता रही हो कि ऐसे ही लटका कर रखूंगी तुझे बच्चू ।
मुझे फिर गुस्सा आया मगर उनकी हिलकोरे खाती बलखाती गाड़ ने मेरे दिल को चैन दिया और मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई ।
ना जाने क्यों अम्मी पर गुस्सा मैं कर ही नहीं पाता ।
खैर मैं नहा कर नीचे गया , चाय नाश्ता होने लगा । अब्बू से मेरी कोई खास बात चीत होती नही थी मगर न जाने क्यू वो आज वो खुद से पहल कर बातें कर रहे थे ।
: वहा रहने वहने की कोई दिक्कत नही है ना
: जी नहीं अब्बू , नया फ्लैट है rent भी सस्ता है उसका
: आस पास का क्या माहौल है
: सब ठीक ही है ,क्यों ?
: अरे घर परिवार लेकर रहने लायक है या नही ये पूछ रहा हूं
: हा , और भी लोग है वहा फैमली लेकर ( मैने अम्मी की ओर देखकर इशारे से पूछा क्या बात है तो वो ना में सर हिला दी जैसे उन्हें भी नही पता हो )
: ठीक है , आज शाम को अनवर भाई साहब आ रहे है थोड़ा कायदे से पेश आना
: जी अब्बू
मै बड़ी उलझन में था कि अब्बू ने मुझसे ऐसे बात क्यू की और फिर अनवर चचा को मुझसे क्या काम हो सकता है ।
अम्मी के पास भी इनसब का कोई जवाब नही था और अब्बू नाश्ता कर बाजार के लिए निकल गए ।
शाम हुई और तकरीबन 5 बजे तक अनवर चचा अपनी इनोवा से पूरे परिवार के साथ घर आए ।
चचा-चची के साथ उनकी बहु और उसने दो छोटे बच्चे थे जो बरामरे गलियारे हाल में शोर मचा कर खेल कूद करने लगे और अम्मी के साथ सबके लिए नाश्ते लगाते समय मेरी नजर हाल में अनवर चचा की बहु के साथ बैथी हुई रेहाना पर गई
: ओह नो , नो नो अम्मी मैं तो भाग रहा हु इंदौर अभी के अभी
: क्या हुआ शानू
: अम्मी रेहाना आई
: क्या ( अम्मी चौक कर रसोई से हाल में देखी )
हम दोनो उसके आने का मतलब साफसाफ समझ गए थे और मुझे समझ आ गया कि क्यू सुबह नाश्ते पर अब्बू ने मुझसे मेरे रहने वाली जगह का जायजा लिया
मै अम्मी को कंधे से पकड़ कर अपनी ओर घुमाया और उसकी आंखो में अपनी डबडबाती आंखो से पूरे विश्वास से देखता हुआ : अम्मी .... मै ये शादी नही करूंगा .
अम्मी एकदम से हड़बड़ा गई मेरी आंखो में आंसुओ के साथ साथ एक बगावत दिख रही थी जो मेरे ही अब्बू के खिलाफ थी , उन्हे डर था कही मेहमानों के आगे मै कुछ हंगामा ना कर दू ।
अम्मी मेरे चेहरे को थाम कर अपनी ओर किया - बेटा देख तू चुप हो जा और खुदा के लिए तू कुछ अनर्थ मत करना वरना तेरे अब्बू खाम्खा नाराज हो जाएंगे
मेरी आंखे सुर्ख लाल होने लगी मुझे अपनी अम्मी मुझसे दूर होती दिखने लगी वो सोच ने मेरी आंखे छलका दी
और होठ बुदबुदाहट के साथ फफकने वाले थे की अम्मी ने उंगली रख दी - नही बेटा रोना मत , तुझे मेरी कसम है अगर तू रोया तो
वो अपने दुपट्टे से मेरा चेहरा पोछने लगी उनकी आंखे पूरी नम हो गई थी ।
मै तो भीतर से टूट ही गया मानो , अम्मी ने तो मुझे मेरे हिस्से का दुख भी मनाने की इजाजत नही दी और अगले ही पल अम्मी ने मुझे अपने सीने से लगा लिया मैं हार कर फफक पड़ा - अम्मी मुझे ये शादी नही करनी , नही करनी
अम्मी ने मेरा सर अपने सीने से लगा कर कस लिया मुझे सालों बाद उनके गुदाज नरम फूले हुए चूचे मेरे गालों को छू रहे थे और अम्मी ने जब मुझे कसा तो वो ऐसे दब रहे थे जैसे पाव की बन हो , उसपे से उनकी सूट से आती वो मादक गंध मेरे नथुनों में बसने लगी थी । कई बार मैं इनकी खुशबू ले चुका था - तू फिकर ना बेटा , तेरी अम्मी है ना अभी । चुप हो जा मेरे बच्चे चुप हो जा
" शानू की अम्मी , अरे आओ भई मेहमान आ गए है "
अम्मी झट से मुझसे अलग हुई और अपना चेहरा पोंछ कर ट्रे लेकर बाहर चली गई मैं भी उनके साथ अपना हुलिया सही कर दूसरी ट्रे लेकर बाहर आया
जारी रहेगी
Dhanyawad BhaiNice update bro
झुक कर सलाम बंदगी करना पैर छुना , किसी समुदाय विशेष का संस्कार नहीं है भाईBut ye to muslim family hai to isme abbu ke pair chune wala scene kaha se aaya
Bahut bahut dhanyawad BhaiShandar jabardast update
बहुत बहुत धन्यवाद आभार आपकोSuperb update
बहुत बढ़िया कहानी बन रही है पढ़कर मजा आ गया एक दम मस्त
Dhanywaad dostfantastic and exciting update
Bahut bahut Sukriya bhaiAmazing, exciting, awesome and interesting update