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Incest अम्मी vs मेरी फैंटेसी दुनिया

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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कहानी पर पाठकों की जितनी ट्रैफिक है उसके अनुपात में बहुत ही कम फीडबैक मिल रहा है ।
अगर कहानी पसंद नहीं आ रही है तो कृपया वो भी कमेंट करके बताए ।

इन दिनों मै बहुत दुविधा में हू । कहानी आगे लिखूं या छोड़ दूं।
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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UPDATE 022

अतीत के पन्ने :03


मै समझ गया था कि मेरी चोरी कही न कही पकड़ी ही गई । मेरे पास अब कोई बहाना नहीं था कि मै क्यों गेट से न होकर बल्कि गुलनार की छत फांद कर जीने से नीचे आया था ।

डर लग रहा था कि नानी क्या सोचेंगी क्या कहेंगी , अम्मी के आगे मै पूरी तरह नंगा हो चुका था अब नानी भी शायद मुझे वैसा ही कुछ व्यवहार करेंगी ।

: बोला था तुझे न कि आवाज देकर जाना अंदर ( नानी ने कमर पर हाथ रख कर गुस्से में मुझे घुरा )
: जी सॉरी नानी ( मैने नजरे फेरते हुए कहा )
: क्या देखा तूने वहां उम्मम ( नानी ने सवाल किया )
: नानी वो दिलावर मामू गुलनार को ... ( मै हिचक रहा था बताने में )
: अरे दादा बोला था न तुझे आवाज देकर जाना , इधर आ तू ( नानी मुझे खींच कर अंदर ले गई )
मै डरा हुआ कमरे में आया
: देख बेटा तू मुझसे वादा कर तूने जो कुछ भी देखा उस बारे में तू किसी से बात नहीं करेगा । खा मेरी कसम ( नानी ने मेरा हाथ अपने सर पर रख दिया )
: ज जी नानी नहीं कहूंगा ( मै अचरज से बोला ) लेकिन वो ...
: हा बेटा जानती हु तूने जो कुछ देखा वो समाज की नजर में ठीक नहीं है मगर वो दोनों इसमें खुश है और बिन मां की बेटी है गुलनार । ( नानी खुद ही मुझे सफाई दे रही थी )
: लेकिन नानी आपको नहीं लगता कि गुलनार अभी इनसब के लिए बहुत छोटी है ( मै थोड़ा हिम्मत कर सवाल किया क्योंकि कही न कही इस जवाब के साथ मुझे मेरा स्वार्थ सिद्ध करना था )
: वैसे तू भी बहुत सारे कामों के लिए छोटा है , मगर मनमानी करता है न ( नानी ने मेरे ही सवाल का थप्पड़ जड़ा मुझ पर )
: सॉरी नानी , मुझे आपकी बात मान लेनी चाहिए थी पर पता नहीं क्यों मै खुद को रोक नहीं पाता ( मै नानी के पास आकर उनके कंधे पर सर रख कर बोला )
: ये उम्र ही ऐसी है , सब भटक जाते है बेटा मगर तुझे तेरा भविष्य संवारना है न ( नानी मेरा गाल छू कर बोली )
: हम्मम ( मै भी हुंकारी भरी )
: मेरा प्यारा बेटा उम्ममाह ( नानी ने गाल पर चुम्मी ली तो मैने भी हस कर पोंछ दिया)
: उम्म्माह्ह यह्ह्ह्ह ( नानी ने दूसरे गाल पर चुम्मी लेकर जीभ से गिला भी कर दिया ) और पोंछेगा मेरी चुम्मी ( नानी हस्ती हुई बोली )
: इसपर दो नहीं पोछुंगा हीहिही ( मैने लिप्स पर उंगली रख कर बोला )
और नानी ने मेरे दोनों गाल पकड़ कर मेरे लिप्स चूम लिए
: वाव नानी आपके लिप्सी कितनी मुलायम है फिर से करो न ( मैने छेड़ा उनको )
: धत्त बदमाश कही का ( नानी लजाई और मै हस दिया )
: ऐसे ही तू तंग करता था फरीदा को इसीलिए वो तुझे नहीं लेकर गई ( नानी हस्ते हुए बोली )
: आ कितना झूठ बोलती हो , मै नहीं वो मुझे .... तंग करती थी ( भुनभुनाते हुए मैने अपनी बात पूरी की )
: अच्छा तो फिर वो जो फरीदा के कमरे में तांक झांक करता था और उसपे नजर रखा था वो सब क्या था बोल ( नानी ने मुस्कुरा कर कही )
: वो सब मेरे लिए नया था ... मतलब ऐसा कुछ कभी मैने देखा सुना नहीं था । अम्मी है भी कितनी चुलबुली और अब्बू से ऐसी बाते करती थी कि मुझे सुनने का मन करता था और कभी कभी नजर पड़ जाती थी । बस ( मैने सफाई देते हुए कहा )
: बस .. उम्मम बस ( नानी ने हस कर बोली )
: हम्म्म और क्या ? ( मै उनके हस्ते चेहरे को देखकर लजाते लगा , मेरे गाल हसने लगे )
: बहुत मार खायेगा , बताया था फरीदा ने तू उसके कपड़े चुरा कर क्या करता था बाथरूम ( नानी मुस्कुरा कर बोली और मै शर्मिंदा हो गया )
: माना कि तू अब बड़ा हो रहा है लेकिन अब क्या तू अपनी अम्मी के बारे में ऐसा सोचेगा उम्मम ( नानी समझाते हुए बोली )
: मै क्या करूं ... ना मेरे दोस्त है और कोई मुझे बताने समझाने वाला । पूरा दिन अम्मी के साथ रहूंगा तो ... ( मै बोलते हुए चुप हो गया )
: हम्मम फिर भी ये अच्छी बात नहीं है बेटा , वो तेरी अम्मी है न तुझे रिश्तों की अहमियत सीखनी होंगी ( नानी मेरे सर सहलाती हुई बोली ) ऐसे रिश्ते बहुत नापाक होते है बेटा ।
: तो फिर दिलावर मामू भी तो गलत ही हुए न ? ( मैने मासूम सा सवाल किया )
: अब ... देख बेटा कुछ रिश्ते आपसी सहमत और जरूरत से बनाए जाते है और अगर उसमें दोनों की रजामंदी है । और फिर गुलनार और दिलावर का निगाह भी हो चुका है ।
: क क्या ??? ( नानी की बात से मै चौका)
: हम्मम गुपचुप वाला ही है मगर हुआ है , गुलनार की अम्मी के गुजरने के बाद दिलावर ने शराबी रवैए ने गुलनार का जीना मुश्किल कर रखा था और वो अपनी हवस में अंधा होकर अपनी बेटी के लिए पागल हो गया था । बार बार उसके कमरे में चले जाना , नहाते हुए देखना इससे तंग आ गई थी और फिर जब गुलनार नहीं होती तो वो हराम का जना जीने पर आकर मुझे नहाते देखता , फिर एक रोज मैं गुलनार के लिए हलवा बना कर ले गई थी तो मैने उन्हें आपत्तिजनक हाल में देख लिया ।

: कैसे हाल में ?? ( मै अजीब सा मुंह बना कर बोला , मतलब तो मुझे पता था मगर मुझे नानी से कुछ सुनना था )
: वो दिलावर गुलनार को अपनी गोद में बिठा कर उसके दूध पी रहा था ( नानी थोड़ा हिचक कर नजरे चुरा कर बोली )
: फिर ( मै हलक से थूक गटक कर बोला )
: फिर गुलनार को लेकर मै अपने घर चली आई और जब दिलावर का नशा उतरा तो वो आया मेरे घर उसने अपने अकेलेपन के बारे में मुझसे बात की , मैने गुलनार की इच्छा पूछी तो वो अपने अब्बू को खुश देखना चाहती थी इसीलिए मैने एक काजी से बात कर मेरे घर के ही उनका निगाह पढ़वा दिया और तबसे वो दोनों ... ( नानी बोलते हुए चुप हो गई )

ताज्जुब की बात थी और दिल नानी के खुश भी था कि उन्होंने समस्या का तोड़ निकाल कर वाजिब ढंग से उसे सुलझाया और इससे उनका ईमान नहीं डोला। हालांकि अकेलापन तो उन्हें भी था ।

: नानी एक बात पूछूं ( मै थोड़ा हिचक रहा था )
: हा बोल न बेटा ( नानी मुस्कुराई )
: वो ... नानू को गुजरे इतने साल हो गए तो आपको अकेलापन महसूस नहीं होता ( मैने हिम्मत कर पूछ तो लिया मगर अब मेरी फटी हुई थी कि नानी क्या सोचेंगी क्या जवाब देंगी । कही अम्मी की तरह थप्पड़ न पड़ जाए । दिल जोरो से धकधक हो रहा था और लंड में साला इस सवाल से अलग ही तरंगें उठ रही थी । )

: धत्त पागल कही का ( नानी एकदम से लजा गई )
उन्हें हंसता लजाता देख मेरे भीतर का डर फुर्र हो गया और लंड फूलने लगा कि शायद अब नानी भी अपने बारे में कुछ बताए
: क्या नानी बताओ न प्लीज ( मैने उनके बाजू में हाथ डाल दिया और जिद करने लगा )
: हीहीहीही शानू छोड़ मारूंगी अब , बदमाश क्या पूछ रहा है ये सब तू ( नानी हस्ती हुई बोली )
: बताओ न प्लीज ... मुझे जानना है आप नहीं बताओगे समझाओगे तो फिर किससे पूछने जाऊ मै ( मैने उनको लपेटा)
: पागल है तू , इस उम्र में मुझे दो वक्त की रोटी बना खा कर जी लू इससे ज्यादा क्या ही चाहिए और मुझे तो लगता है कि तेरा निगाह भी जल्द से जल्द करना पड़ेगा अब । तो खुद ही सारे सवालों के जवाब खोज लेना पागल कही का ( नानी हस्ती हुई बोली )
: क्या नानी बात मत घुमाओ ( मैने उनको फिर से बात में उलझाना चाहा )
: चल छोड़ मुझे झाड़ू लगाना है सांझ हो रही है ( नानी उठ गई और हस्ती हुई निकल गई )
मै समझ गया कि नानी का अपना कुछ घरेलू जुगाड़ होगा ही , भला उम्र से वासना का क्या लेना देना । इतनी समझ तो थी मुझमें ।

नानी उठी और झाड़ू लेकर पीछे हाते में झाड़ू लगाने लगी ।


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अह्ह्ह्ह बड़ी चौड़ी गाड़ फैला कर वो बैठे हुए थी , सूट पर कचरा धूल न लगे इसीलिए उसको वो अपने आगे खोसे हुए थी जिससे पीछे से गाड़ का शेप पूरा बिजिबल था और कमर के पास लास्टिक से झांकती चौड़ी दरार देखकर लंड में सुरसुरी होने लगी ।

मैने हौले से मसल दिया अपना मूसल
नानी ने झाड़ू लगा कर उठी और सलवार सूट सही कर बर्तन साफ करने लगी ।

सांझ हो रही थी कि गेट पर फिर से गुलनार की आवाज आई
: जा देख गुलनार आई होगी , खोल दे गेट ( नानी चूल्हे के पास बैठी हुई बोली और मै उनके लजीज चूतड़ों को छोड़ कर खटिए से उठ गया )

बाहर आया तो देखा गुलनार ही थी
मैने गेट खोला
: दादी है ? ( वो मुझे देख कर बोली )
: क्यों नहीं होंगी तो नहीं आओगी ( मै धीरे से बुदबुदाया )
: क्या ?? ( उसने सुना नहीं या फिर ना सुनने का नाटक किया )
: हा हैं जी , जाओ ( मैने मुस्कुराया )
वो चहकती हुई निकल गई ,


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आज उसने ब्लैक सूट सलवार पहना था । एकदम नई
मै गेट लगाकर आया
: कब तक वापस आएगी ( मै पहुंचा तब तक उनकी बातें शुरू हो गई थी )
: दो तीन रोज में वापस आ जाऊंगी , तबतक आप अब्बू के खाने पीने का देख लोगी क्या दादी प्लीज ( वो मिन्नते करते हुए बोली )
: हा रखूंगी लेकिन उसको बोलना कि पीकर घर नहीं आएगा तभी ( नानी हस कर बोली )
: हिहीही ठीक है , ओके बाय दादी
: बाय ( मैने हाथ उठा कर उसको देख मगर उसने मेरी ओर देखा भी नहीं )
साला इतनी भी बुरी सूरत नहीं थी मेरी या फिर वो ही कुछ ज्यादा चालाक थी । जरा भी भाव नहीं दिया , कम से कम बाय का उत्तर तो दे देती ।

: हाथ नीचे कर ले वो चली गई ( नानी मजे में बोली )
: कहा गई ( मै अभी उसके बारे में ही सोच रहा था )
: अपने खाला के यहां जा रही है , यही पास में ही एक गांव है ( नानी बड़े कैजुअली होकर बोली और सब्जी चलाने लगी )
: चलो ये इंटरटेनमेंट भी गया ( मै हल्का सा फुसफुसाया )
: क्यों उसी से तेरा दिल लग रहा था क्या तेरा यहां उम्मम ( नानी ने झट से मेरी बात पकड़ ली , मतलब वो मेरी बुदबुदाहट भी सुन ली थी )
: क्या ? नहीं तो वो तो अभी छोटी है आप भी नानी ( मै ब्लश करता हुआ मुस्कुराया )
: हा तुझे तो अधेड़ उम्र की मोटी भैंस जैसी औरतें ही पसंद है क्यों ( नानी ने मेरे मजे लिए )
: खबरदार मेरी नानी को भैंस कहा तो ... ( मै बोल कर खिलखिलाया )
: पागल कही मारूंगी तुझे , मुझसे ही मजाक करता है ( नानी कलछी उठा कर दिखाती हुई बोली )
मै हंसता रहा
कुछ देर बाद खाना भी तैयार हो गया और हम दोनो खा पी कर बिस्तर पर ।
एकदम चुप्पी थी हमारे बीच , पंखे की हनहनाहट ही आ रही थी
आज तो गुलनार की सिसकियां भी नहीं सुनने को मिलनी थी कि लंड सहला पाऊं और नजारा ऐसा कुछ देखने को भी नहीं हो पा रहा था कि झाड़ लू और सो पाऊं।

: बात करेगा करूं फोन तेरी अम्मी को ( नानी के कुछ देर बाद बोली )
रात के करीब 9 बज रहे थे लेकिन गांव के हिसाब से लेट हो ही गया था ।
और अम्मी का नाम आते ही मूड फ्रेश हो गया ।
: हम्म्म नानी लगाओ न ( मै घिसक कर नानी के पास करवट होकर चिपक गया )
: हम्म्म रुक लगा रही हूं ( नानी तकिए के पास से मोबाइल निकाल कर अम्मी का नंबर खोजा और डायल कर दिया )
रिंग जा रही थी और मेरी धड़कने तेज हो रही थी ।
काल पिक हुआ

: सलाम अम्मीईह ( अम्मी की बातों में थकान सी खनकी )
: खुश रहो , और कहो कैसी हो ( नानी ने सवाल किया )
: बस अच्छी हु अम्मी , यही अभी खाना बना कर बैठी हूं उम्मम ( अम्मी की आवाज में मदहोशी साफ झलक रही थी और मै समझ गया जरूर अब्बू लगे हुए है । अम्मी के बारे में सोच कर ही लंड फैलने लगा लोवर में )
: अच्छा सुन वो शानू तुझसे बा...
: अम्मी बस 10 मिनट में फोन कर रही हूं, बस 10 मिनट ( अम्मी जल्दी जल्दी बोली और फिर फोन पर चुप्पी सी छा गई मेरा चेहरा उतर गया अम्मी ने जैसे मेरा नाम सुनते ही फोन काट दिया हो )

: कोई बात नहीं अभी करेगी ( नानी मुझे दिलासा देते हुए मोबाइल किनारे रखने लगी कि मेरी नजर स्क्रीन पर गई फोन अभी भी चालू था )
: नानी फोन तो चल रहा है ( मै उनके हाथ से मोबाइल लिया )
मुझे हल्की फुल्की आवाजे आ रही थी मै कौतूहल बस फोन स्पीकर पर कर दिया
फोन पर उधर की बातें आने लगी

: तो खुद क्यों नहीं मांग लेते, वो भी तो आपकी ही है उम्मम अह्ह्ह्ह्ह आराम से ( फोन पर अम्मी की सिसकियां आने लगी )
: अह्ह्ह्ह्ह मेरी जान कितना बड़ा और रसीला है ओह्ह्ह्ह ( अब्बू बोले )
: किसका मेरा या अम्मी का ( अम्मी सिहर कर खिलखिलाई )

यहां मेरा लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और नानी एकदम चुप थी
: तेरी अम्मी के बड़े बड़े चूतड़ अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह फरीदा अह्ह्ह्ह ( अब्बू और कुछ बोलते नानी ने लपक कर मोबाइल छीना और फोन काट दिया )
: अरे .. काट क्यों दिया ( मै हड़बड़ा गया )
: चुप कर , जैसा बेटा वैसा बाप दोनो ... ( नानी गुस्से में बोली और चुप हो गई )
: अब इसमें मेरी क्या गलती ... मुझे क्यों डांट रहे हो । मैने थोड़ी न आपके .. बारे में कुछ बोला है ( मै अपना पक्ष रखता हुआ बोला )
नानी चुप थी कुछ देर तक और करीब ऐसे ही 15 से 20 मिनट तक बीत गए ।

: सो गया क्या ? शानू ? ( नानी ने आवाज दी )
: क्या है बोलो ( मैने घुड़क कर जवाब दिया )
: अच्छा सुन
: हम्मम बोलिए ( मैने अभी भी अपनी नाराजगी जाहिर की )
: तो क्या घर पर फरीदा और तेरे अब्बू ऐसे ही बातें करते है ... मतलब फोन पर या फिर आमने सामने ( नानी थोड़ा अटक कर मुझसे पूछी और मै खिल गया एकदम से )
: हा अक्सर उनकी बातें ऐसी ही होती थीं, मगर मैने आज पहली बार अब्बू को आपके बारे में ऐसा कुछ कहते सुना नहीं तो वो हर बार अपनी ... ( मै चुप गया )

: क्या ? हर बार क्या ? बता न ( नानी अब उत्सुक दिख रही थी । )
: वो ज्यादातर अब्बू अपने फूफी के बारे में बाते करते थे ( मै भी झिझक कर बोला )
: क्या ? फूफी के बारे में हीहीही पागल ( नानी को ना जाने क्या हुआ वो खिलखिला कर हसने लगी )
: हा , और अक्सर अम्मी नकाब पहन कर अब्बू की फूफी बनने का नाटक करती और फिर वो लोग मिलकर वो सब करते थे ( मै बड़ी मासूमियत से सारी बातें कह गया )
: क्या ? फरीदा ऐसा भी करती है ( नानी चौक कर बोली )
: हा आप भी चौक गई न , मै भी ऐसे चौक गया था पहली बार जब अम्मी को सिर्फ बुरखे में अब्बू के आगे वीडियो काल पर नंगी होते देखा था और अब्बू कह रहे थे कि... ( मै फिर रुक गया )
: क् क्या कह रहे थे तेरे अब्बू, बोल न ( नानी की चढ़ती सांसे साफ पता चल रही थी और उनके दिल की तेज धड़कने मै करीब से महसूस कर पा रहा था )
: वो अब्बू फोन पर कह रहे थे कि फूफी अपने अक्कू को अपनी बड़ी सी गाड़ दिखाओ न अह्ह्ह्ह्ह कितना बड़ा और रसीला है
: धत्त गंदा ( नानी एकदम से हंसी)
: सच में वो ऐसा ही बोले थे और फिर अम्मी उनके आगे अपना बुरका उठा कर अपने बड़े बड़े चूतड़ खोल कर दिखा रही थी हाथ से फैला कर ( अम्मी के नायब भड़कीले चूतड के बारे बता कर मेरे गले में पानी आने लगा , लंड तो जैसे टपक ही पड़ा )
: और क्या कह रहे थे तेरे अब्बू ( नानी की सांस चढ़ रही थी )
: वो कह रहे थे कि वो बचपन से ही अपनी फूफी के मटके जैसे चूतड़ों के दीवाने है ( मैने अपनी बात कही )
: ये तो पता ही है मुझे , बहुत बदमाश था अक्कू बचपन में ( नानी बोली )
: क्या मतलब ? आपको कैसे पता अब्बू बचपन में कैसे थे ? ( मै एकदम से चौक गया )
: मुझे कैसे पता हीहीहीही पागल मै ही तो तेरे अब्बू की फूफी हूं ( नानी है कर बोली )
: क्या ? ( मेरा माथा एकदम से घूम गया )
: इसका मतलब आप और अब्बू के अब्बू मतलब दादू भाई बहन हो ?( मै हैरान होकर सवाल किया )
: हम्म्म ( नानी ने हुंकारी भरी )
: सगे ?
: हा दादा सगे , क्यों क्या हुआ ( नानी बोली )
: मतलब ने अब्बू ने अपनी सगी बुआ की लड़की से शादी की है , अपनी बहन से ? ( मै हैरान होकर बोला )
: हा क्यों क्या हुआ ( नानी बड़े कैजुअली बोली )
: अरे फिर तो अब्बू और अम्मी भाई बहन हुए न तो निगाह कैसे ?
: अरे पागल ऐसा कुछ नहीं है, हमारे यहां ऐसा होता है फूफा मामा में रिश्ता हो जाता है और जब फरीदा हुई तभी तेरी दादी यानी मेरी भाभी ने कह दिया था कि फरिदा का निगाह तेरे अब्बू से ही होगा ।
: ओह गॉड , तो क्या सारा टाइम अब्बू आपके बारे में आपके भड़कीले चूतड़ों के बारे में ...
: धत्त गंदा ( नानी लजाई)
: नानी आप समझ भी रहे हो , अब्बू आपके कितने बड़े दीवाने है । मैने देखा है अम्मी की हालत खराब हो जाती थी जब वो आपका रोल करती थी । अब्बू घंटों तक अम्मी के पीछे करते थे ( मेरा लंड एकदम उफान पर था और मै हल्का हल्का उसको मिस भी रहा था )

: हम्ममम मुझे पता है , बचपन से बड़े होते देखा है मैने तेरे अब्बू को , एकदम तूने अपने बाप की नकल उतारी है
: अब मै कहा से आया बीच में हा.. ( मै हैरान होकर बोला )
: वो भी तेरी तरह मेरी कच्छी चुरा लेता था और फिर पकड़ा जाता था , कितनी बार उसको मैने डांट लगाई मगर वो सुधरा नहीं । सोचा शादी के बाद सुधर ही जाएगा मगर तेरे अब्बू ने तो फरीदा को भी बिगाड़ दिया ( नानी अपनी बात पूरी करते हुए बोली )
: हीहीहीही और अम्मी को देखो बस मुझे डांटती रहती है । ये नहीं कि अब्बू को सुधारे ।
: चुप कर नालायक कही का
: वैसे एक बात कहूं नानी ( मै खिलखिलाकर बोला )
: हा बोल
: नहीं आप मारोगे ( मैने हस कर बोला )
: अब बोल न ( वो उखड़ी )
: सच कहू तो आपकी ये इतनी बड़ी है ( मैने उन्हें कूल्हे छुते हुए बोला ) कि अब्बू क्या मेरा भी मन हो जाता आपकी पैंटी चुरा लूं हाहा
: धत्त गंदा ( नानी मेरा हाथ झटक कर बोली , उनकी बातों में लाज थी और मुस्कुराहट भी ) तूने भी चुरा कर रख ही लिया होगा बक्से से निकाल कर ।
: ऊहू जाते हुए चुराऊंगा हाहाहाहाहा ( मै नानी को छेड़ते हुआ ठहाके मार कर हंसा )
: पागल कही का , बहुत मार खायेगा बदमाश ( नानी झेप कर हसने लगी )
कुछ देर तक ऐसे ही हम अपनी बातें सोच कर हस्ते खिखियाते रहे और मेरा लंड नानी से खुलने पर एकदम रॉड हो गया था ।
तभी अम्मी का फोन आने लगा

: ले हो गई फ्री तेरी अम्मी ( नानी ने मज़े में बोली )
और फोन पिक किया

: जी अम्मी बोलिए ( अम्मी की आवाज आई फोन पर )
: मै क्या बोलूं , जरा अपने शौहर को दे मेरी तो खोज खबर नहीं लेते कभी । ये नहीं बुढ़िया अकेले रह रही है आ जाए कुछ रोज के लिए ( नानी ने सुनाया )
: हम्मम लीजिए बात कीजिए ( अम्मी ने अब्बू को फोन दिया )
: हैलो , सलाम फूफी कैसी हो ( अब्बू फोन पर बोले )
: खुश रहो , अरे कभी अपनी बुढ़िया फूफी को भी याद कर लिया कर अक्कू
: हाहा अक्कू , बचपन का नाम कैसे याद कर लिया मेरा ( अब्बू हस कर बोले )
: अरे ये पास में शानू सोया है , उससे तेरे बचपन के सारे कारनामे बता रही थी , और ये बदमाश भी तुझ पर गया है पूरा ( नानी ने बातों ही बातों के अब्बू की हवा टाइट कर दी )
: अरे तो उसकी भी मेरी तरह खातिरदारी करना फूफी , सजा तो मिलनी चाहिए नवाबजादे को ( अब्बू हस कर बोले )
: हा , लेकिन पहले शरारत करने तो दो इसको फिर सजा मिलेगी , जबसे घर से आया है बड़ा सीधा होकर रह रहा है ( नानी ने बस ऐसे ही बातें बना कर बोली )
: हा और क्या , अपना बेटा समझ कर पूरी खातिरदारी करिए उसकी ( अब्बू फोन पर बोले )
: अरे समझना क्या है , ये मेरा बेटा ही तो है ( नानी ने अगले ही पल खींच कर मुझे अपने सीने से लगा दिया )
मेरा मुंह सीधा नानी की बिना ब्रा वाली सूट के उपर से उनकी गुदाज मोटी चूचियो में धंस गया और लंड पूरा लोहे की रोड जैसे अकड़ गया ।
उम्मम क्या मस्त खुशबू आ रही थी , कितनी नरमी और सॉफ्ट थी , काटन सूट में नानी की चूचियां और भी गुदाज थी ।
पता ही चला आगे वो लोग क्या बातें किए और फोन कट गया ।

: ले तुझसे तो बात कराना ही रह गया ( नानी फोन रखते हुए बोली )
: रहने दो न नानी कल कर लूंगा ( मैं उसके छातियों से मुंह लगाए बोला )
: हम्म्म ठीक है सो जा अब ( नानी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए माथा चूम ली ) शैतान बच्चा मेरा पगलू

गजब का सुकून था नानी की बाहों में और उनकी भारी बदन की मुलायम चुचियों का तकिया पाकर मै तो जन्नत में घूमने लगा ।लंड एकदम फड़क कर लोवर में तंबू बना चुका था और नानी के जांघ से टच हो रहा था और पानी उनकी जांघों पर पंप हो रहा था ।

: उम्मम ये क्या है ( नानी ने हाथ ले जाकर नीचे मेरा खीरे जैसा मोटा सुपाड़ा छुआ तो मेरे तन बदन में सरसरी फैल गई )
: आपके शैतान बच्चे का बच्चा हाहाहा ( मै खिलखिलाया )
: पागल कही का , उसको भी बोल सो जाए और तू भी ( नानी मुस्कुरा कर बोली )


जारी रहेगी
आप लोग ज्यादा से ज्यादा सपोर्ट करें
आपकी प्रतिक्रियाओ का इंतजार रहेगा
 
Last edited:

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Bhot kamik update bhai
Aapka koi muqabla nhi

Shaandar Mast Lajwab Hot Kamuk Update 🔥 🔥 🔥 🔥

Absolutely blockbuster update! Superb and sensational writings!

जबरदस्त अपडेट ,

bahut badiya, bahut khoob,bahut hi mast aur chamatkar writings!

Bahut bahut garam aur kamuk update!
Zabardast aur lajawab story!
Stunning and thrilling writings!

Super amazing wonderfull update

Awesome update.
Aapki or vakhaariya ji (sheela ki leela) aap dono ki sex writing skills bahut acchi h.

बहुत ही रोमांचक और कामुक कहानी! वाकई शानदार और आकर्षक लेखन! कृपया लिखते रहिए।

Super Update Bhai 20

Super Update Bhai ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏 Keep It Up❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ waiting for next update ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏❤️❤️❤️

Absolutely exciting and erotic story! Really fantastic and enticing writings! Please keep writing.

बहुत ख़ूब शानदार अपडेट था भाई हमने पहले ही कहा था की अम्मी दूर हुई तो क्या हुआ नानी का साथ तो मिल रहा है लगता हैं कि शानू अपनी नानी के मज़े जल्दी ही उठाए गा देखते है क्या होता है अगले अध्याय में प्रतीक्षा रहेगी आपकी ......#

Bhai mujhe to ek mega update ki aas thi😒 tumne to yaar ... bas kya hi kahu app lekhak ✍️to aahla darje 👌ke ho Lakin yaar update bahut chote dete ho jabtak khada hota hai update khatm ho jata hai
Aapse hath jodkar vinti 🙏hai apne bhakto par krpa kre aur 21 22 23 update jaldi se eksath de 💝💝💝💝💝💝💝💝

Bhai apki story bhut acchi h gajab ka likh rhe ho ...ho sake to past or present mention kar de or accha rahega

Shaandar super hot mast Kamuk Update ❤️💋

अम्मा ( फरीदा ) ने ठेंगा क्या दिखाई , शानू साहब अम्मा के अम्मा पर वशीकरण मंत्र सिद्ध करने लगे । वैसे जिस तरह अम्मा उनके लिए दूर की दिल्ली थी उसी तरह नानी भी दूर की मुम्बई है । और इस का कारण निस्संदेह उनका कम उम्र का होना था । शानू की सभी हरकतें उन्हे एक ताजा ताजा हुए युवक की सेक्सुअल आकर्षण लगती होगी ।
लेकिन इस अपडेट से जाहिर हो रहा है कि अम्मा नामक बर्फ ने पिघलना शुरू कर दिया है । कई वर्षों बाद उन्होने आखिरकार नानी के मार्फत शानू का हालचाल जो पता करने की कोशिश करी ।
इस अम्मा प्रेम के चक्कर मे शबनम मैडम की शबनम बरसने से रह गई । खैर बकरे की अम्मा कब तक बचेगी , शानू से हलाल होना ही होना है ।

एक और कमसिन कली गुलनार की एन्ट्री शानू साहब के जीवन मे हुई । देखते है यह कली कब पूर्ण पुष्प बनकर अपनी सुगंध से शानू का जीवन जगमग जगमग करती है !

बेहतरीन और शानदार अपडेट भाई ।

Behtreen update bhai


Nani bhi sab samjhti hai par kya kare rista Hi aisa hai

Shaandar Mast Hot Kamuk Update 🔥 🔥 🔥
Aammi se pahle ammi ki mummy chud jayegi 🤣 🤣 🤣

Hot n erotic update

Waaah jbrdast


Yha to baap beti pahle se hi khichdi paki hui hai
Tbhi to gulnar shanu ko ignore kar rhi thi use ghar me hi lund mile hue hai to bahar kyun muh mare🤣🤣

NOW THIS IS A TWIST OF NEXT LEVEL. EAGERLY WAITING MATE

Lajawaab update bhai


Aapki erotic skill suprb h. :applause:
Har update alag hi rang me hota h.
कहानी की अगली कड़ी पोस्ट कर दी गई है
कृपया पढ़ कर रेवो जरूर दें
 
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UPDATE 022

अतीत के पन्ने :03


मै समझ गया था कि मेरी चोरी कही न कही पकड़ी ही गई । मेरे पास अब कोई बहाना नहीं था कि मै क्यों गेट से न होकर बल्कि गुलनार की छत फांद कर जीने से नीचे आया था ।

डर लग रहा था कि नानी क्या सोचेंगी क्या कहेंगी , अम्मी के आगे मै पूरी तरह नंगा हो चुका था अब नानी भी शायद मुझे वैसा ही कुछ व्यवहार करेंगी ।

: बोला था तुझे न कि आवाज देकर जाना अंदर ( नानी ने कमर पर हाथ रख कर गुस्से में मुझे घुरा )
: जी सॉरी नानी ( मैने नजरे फेरते हुए कहा )
: क्या देखा तूने वहां उम्मम ( नानी ने सवाल किया )
: नानी वो दिलावर मामू गुलनार को ... ( मै हिचक रहा था बताने में )
: अरे दादा बोला था न तुझे आवाज देकर जाना , इधर आ तू ( नानी मुझे खींच कर अंदर ले गई )
मै डरा हुआ कमरे में आया
: देख बेटा तू मुझसे वादा कर तूने जो कुछ भी देखा उस बारे में तू किसी से बात नहीं करेगा । खा मेरी कसम ( नानी ने मेरा हाथ अपने सर पर रख दिया )
: ज जी नानी नहीं कहूंगा ( मै अचरज से बोला ) लेकिन वो ...
: हा बेटा जानती हु तूने जो कुछ देखा वो समाज की नजर में ठीक नहीं है मगर वो दोनों इसमें खुश है और बिन मां की बेटी है गुलनार । ( नानी खुद ही मुझे सफाई दे रही थी )
: लेकिन नानी आपको नहीं लगता कि गुलनार अभी इनसब के लिए बहुत छोटी है ( मै थोड़ा हिम्मत कर सवाल किया क्योंकि कही न कही इस जवाब के साथ मुझे मेरा स्वार्थ सिद्ध करना था )
: वैसे तू भी बहुत सारे कामों के लिए छोटा है , मगर मनमानी करता है न ( नानी ने मेरे ही सवाल का थप्पड़ जड़ा मुझ पर )
: सॉरी नानी , मुझे आपकी बात मान लेनी चाहिए थी पर पता नहीं क्यों मै खुद को रोक नहीं पाता ( मै नानी के पास आकर उनके कंधे पर सर रख कर बोला )
: ये उम्र ही ऐसी है , सब भटक जाते है बेटा मगर तुझे तेरा भविष्य संवारना है न ( नानी मेरा गाल छू कर बोली )
: हम्मम ( मै भी हुंकारी भरी )
: मेरा प्यारा बेटा उम्ममाह ( नानी ने गाल पर चुम्मी ली तो मैने भी हस कर पोंछ दिया)
: उम्म्माह्ह यह्ह्ह्ह ( नानी ने दूसरे गाल पर चुम्मी लेकर जीभ से गिला भी कर दिया ) और पोंछेगा मेरी चुम्मी ( नानी हस्ती हुई बोली )
: इसपर दो नहीं पोछुंगा हीहिही ( मैने लिप्स पर उंगली रख कर बोला )
और नानी ने मेरे दोनों गाल पकड़ कर मेरे लिप्स चूम लिए
: वाव नानी आपके लिप्सी कितनी मुलायम है फिर से करो न ( मैने छेड़ा उनको )
: धत्त बदमाश कही का ( नानी लजाई और मै हस दिया )
: ऐसे ही तू तंग करता था फरीदा को इसीलिए वो तुझे नहीं लेकर गई ( नानी हस्ते हुए बोली )
: आ कितना झूठ बोलती हो , मै नहीं वो मुझे .... तंग करती थी ( भुनभुनाते हुए मैने अपनी बात पूरी की )
: अच्छा तो फिर वो जो फरीदा के कमरे में तांक झांक करता था और उसपे नजर रखा था वो सब क्या था बोल ( नानी ने मुस्कुरा कर कही )
: वो सब मेरे लिए नया था ... मतलब ऐसा कुछ कभी मैने देखा सुना नहीं था । अम्मी है भी कितनी चुलबुली और अब्बू से ऐसी बाते करती थी कि मुझे सुनने का मन करता था और कभी कभी नजर पड़ जाती थी । बस ( मैने सफाई देते हुए कहा )
: बस .. उम्मम बस ( नानी ने हस कर बोली )
: हम्म्म और क्या ? ( मै उनके हस्ते चेहरे को देखकर लजाते लगा , मेरे गाल हसने लगे )
: बहुत मार खायेगा , बताया था फरीदा ने तू उसके कपड़े चुरा कर क्या करता था बाथरूम ( नानी मुस्कुरा कर बोली और मै शर्मिंदा हो गया )
: माना कि तू अब बड़ा हो रहा है लेकिन अब क्या तू अपनी अम्मी के बारे में ऐसा सोचेगा उम्मम ( नानी समझाते हुए बोली )
: मै क्या करूं ... ना मेरे दोस्त है और कोई मुझे बताने समझाने वाला । पूरा दिन अम्मी के साथ रहूंगा तो ... ( मै बोलते हुए चुप हो गया )
: हम्मम फिर भी ये अच्छी बात नहीं है बेटा , वो तेरी अम्मी है न तुझे रिश्तों की अहमियत सीखनी होंगी ( नानी मेरे सर सहलाती हुई बोली ) ऐसे रिश्ते बहुत नापाक होते है बेटा ।
: तो फिर दिलावर मामू भी तो गलत ही हुए न ? ( मैने मासूम सा सवाल किया )
: अब ... देख बेटा कुछ रिश्ते आपसी सहमत और जरूरत से बनाए जाते है और अगर उसमें दोनों की रजामंदी है । और फिर गुलनार और दिलावर का निगाह भी हो चुका है ।
: क क्या ??? ( नानी की बात से मै चौका)
: हम्मम गुपचुप वाला ही है मगर हुआ है , गुलनार की अम्मी के गुजरने के बाद दिलावर ने शराबी रवैए ने गुलनार का जीना मुश्किल कर रखा था और वो अपनी हवस में अंधा होकर अपनी बेटी के लिए पागल हो गया था । बार बार उसके कमरे में चले जाना , नहाते हुए देखना इससे तंग आ गई थी और फिर जब गुलनार नहीं होती तो वो हराम का जना जीने पर आकर मुझे नहाते देखता , फिर एक रोज मैं गुलनार के लिए हलवा बना कर ले गई थी तो मैने उन्हें आपत्तिजनक हाल में देख लिया ।

: कैसे हाल में ?? ( मै अजीब सा मुंह बना कर बोला , मतलब तो मुझे पता था मगर मुझे नानी से कुछ सुनना था )
: वो दिलावर गुलनार को अपनी गोद में बिठा कर उसके दूध पी रहा था ( नानी थोड़ा हिचक कर नजरे चुरा कर बोली )
: फिर ( मै हलक से थूक गटक कर बोला )
: फिर गुलनार को लेकर मै अपने घर चली आई और जब दिलावर का नशा उतरा तो वो आया मेरे घर उसने अपने अकेलेपन के बारे में मुझसे बात की , मैने गुलनार की इच्छा पूछी तो वो अपने अब्बू को खुश देखना चाहती थी इसीलिए मैने एक काजी से बात कर मेरे घर के ही उनका निगाह पढ़वा दिया और तबसे वो दोनों ... ( नानी बोलते हुए चुप हो गई )

ताज्जुब की बात थी और दिल नानी के खुश भी था कि उन्होंने समस्या का तोड़ निकाल कर वाजिब ढंग से उसे सुलझाया और इससे उनका ईमान नहीं डोला। हालांकि अकेलापन तो उन्हें भी था ।

: नानी एक बात पूछूं ( मै थोड़ा हिचक रहा था )
: हा बोल न बेटा ( नानी मुस्कुराई )
: वो ... नानू को गुजरे इतने साल हो गए तो आपको अकेलापन महसूस नहीं होता ( मैने हिम्मत कर पूछ तो लिया मगर अब मेरी फटी हुई थी कि नानी क्या सोचेंगी क्या जवाब देंगी । कही अम्मी की तरह थप्पड़ न पड़ जाए । दिल जोरो से धकधक हो रहा था और लंड में साला इस सवाल से अलग ही तरंगें उठ रही थी । )

: धत्त पागल कही का ( नानी एकदम से लजा गई )
उन्हें हंसता लजाता देख मेरे भीतर का डर फुर्र हो गया और लंड फूलने लगा कि शायद अब नानी भी अपने बारे में कुछ बताए
: क्या नानी बताओ न प्लीज ( मैने उनके बाजू में हाथ डाल दिया और जिद करने लगा )
: हीहीहीही शानू छोड़ मारूंगी अब , बदमाश क्या पूछ रहा है ये सब तू ( नानी हस्ती हुई बोली )
: बताओ न प्लीज ... मुझे जानना है आप नहीं बताओगे समझाओगे तो फिर किससे पूछने जाऊ मै ( मैने उनको लपेटा)
: पागल है तू , इस उम्र में मुझे दो वक्त की रोटी बना खा कर जी लू इससे ज्यादा क्या ही चाहिए और मुझे तो लगता है कि तेरा निगाह भी जल्द से जल्द करना पड़ेगा अब । तो खुद ही सारे सवालों के जवाब खोज लेना पागल कही का ( नानी हस्ती हुई बोली )
: क्या नानी बात मत घुमाओ ( मैने उनको फिर से बात में उलझाना चाहा )
: चल छोड़ मुझे झाड़ू लगाना है सांझ हो रही है ( नानी उठ गई और हस्ती हुई निकल गई )
मै समझ गया कि नानी का अपना कुछ घरेलू जुगाड़ होगा ही , भला उम्र से वासना का क्या लेना देना । इतनी समझ तो थी मुझमें ।

नानी उठी और झाड़ू लेकर पीछे हाते में झाड़ू लगाने लगी ।


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अह्ह्ह्ह बड़ी चौड़ी गाड़ फैला कर वो बैठे हुए थी , सूट पर कचरा धूल न लगे इसीलिए उसको वो अपने आगे खोसे हुए थी जिससे पीछे से गाड़ का शेप पूरा बिजिबल था और कमर के पास लास्टिक से झांकती चौड़ी दरार देखकर लंड में सुरसुरी होने लगी ।

मैने हौले से मसल दिया अपना मूसल
नानी ने झाड़ू लगा कर उठी और सलवार सूट सही कर बर्तन साफ करने लगी ।

सांझ हो रही थी कि गेट पर फिर से गुलनार की आवाज आई
: जा देख गुलनार आई होगी , खोल दे गेट ( नानी चूल्हे के पास बैठी हुई बोली और मै उनके लजीज चूतड़ों को छोड़ कर खटिए से उठ गया )

बाहर आया तो देखा गुलनार ही थी
मैने गेट खोला
: दादी है ? ( वो मुझे देख कर बोली )
: क्यों नहीं होंगी तो नहीं आओगी ( मै धीरे से बुदबुदाया )
: क्या ?? ( उसने सुना नहीं या फिर ना सुनने का नाटक किया )
: हा हैं जी , जाओ ( मैने मुस्कुराया )
वो चहकती हुई निकल गई ,


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आज उसने ब्लैक सूट सलवार पहना था । एकदम नई
मै गेट लगाकर आया
: कब तक वापस आएगी ( मै पहुंचा तब तक उनकी बातें शुरू हो गई थी )
: दो तीन रोज में वापस आ जाऊंगी , तबतक आप अब्बू के खाने पीने का देख लोगी क्या दादी प्लीज ( वो मिन्नते करते हुए बोली )
: हा रखूंगी लेकिन उसको बोलना कि पीकर घर नहीं आएगा तभी ( नानी हस कर बोली )
: हिहीही ठीक है , ओके बाय दादी
: बाय ( मैने हाथ उठा कर उसको देख मगर उसने मेरी ओर देखा भी नहीं )
साला इतनी भी बुरी सूरत नहीं थी मेरी या फिर वो ही कुछ ज्यादा चालाक थी । जरा भी भाव नहीं दिया , कम से कम बाय का उत्तर तो दे देती ।

: हाथ नीचे कर ले वो चली गई ( नानी मजे में बोली )
: कहा गई ( मै अभी उसके बारे में ही सोच रहा था )
: अपने खाला के यहां जा रही है , यही पास में ही एक गांव है ( नानी बड़े कैजुअली होकर बोली और सब्जी चलाने लगी )
: चलो ये इंटरटेनमेंट भी गया ( मै हल्का सा फुसफुसाया )
: क्यों उसी से तेरा दिल लग रहा था क्या तेरा यहां उम्मम ( नानी ने झट से मेरी बात पकड़ ली , मतलब वो मेरी बुदबुदाहट भी सुन ली थी )
: क्या ? नहीं तो वो तो अभी छोटी है आप भी नानी ( मै ब्लश करता हुआ मुस्कुराया )
: हा तुझे तो अधेड़ उम्र की मोटी भैंस जैसी औरतें ही पसंद है क्यों ( नानी ने मेरे मजे लिए )
: खबरदार मेरी नानी को भैंस कहा तो ... ( मै बोल कर खिलखिलाया )
: पागल कही मारूंगी तुझे , मुझसे ही मजाक करता है ( नानी कलछी उठा कर दिखाती हुई बोली )
मै हंसता रहा
कुछ देर बाद खाना भी तैयार हो गया और हम दोनो खा पी कर बिस्तर पर ।
एकदम चुप्पी थी हमारे बीच , पंखे की हनहनाहट ही आ रही थी
आज तो गुलनार की सिसकियां भी नहीं सुनने को मिलनी थी कि लंड सहला पाऊं और नजारा ऐसा कुछ देखने को भी नहीं हो पा रहा था कि झाड़ लू और सो पाऊं।

: बात करेगा करूं फोन तेरी अम्मी को ( नानी के कुछ देर बाद बोली )
रात के करीब 9 बज रहे थे लेकिन गांव के हिसाब से लेट हो ही गया था ।
और अम्मी का नाम आते ही मूड फ्रेश हो गया ।
: हम्म्म नानी लगाओ न ( मै घिसक कर नानी के पास करवट होकर चिपक गया )
: हम्म्म रुक लगा रही हूं ( नानी तकिए के पास से मोबाइल निकाल कर अम्मी का नंबर खोजा और डायल कर दिया )
रिंग जा रही थी और मेरी धड़कने तेज हो रही थी ।
काल पिक हुआ

: सलाम अम्मीईह ( अम्मी की बातों में थकान सी खनकी )
: खुश रहो , और कहो कैसी हो ( नानी ने सवाल किया )
: बस अच्छी हु अम्मी , यही अभी खाना बना कर बैठी हूं उम्मम ( अम्मी की आवाज में मदहोशी साफ झलक रही थी और मै समझ गया जरूर अब्बू लगे हुए है । अम्मी के बारे में सोच कर ही लंड फैलने लगा लोवर में )
: अच्छा सुन वो शानू तुझसे बा...
: अम्मी बस 10 मिनट में फोन कर रही हूं, बस 10 मिनट ( अम्मी जल्दी जल्दी बोली और फिर फोन पर चुप्पी सी छा गई मेरा चेहरा उतर गया अम्मी ने जैसे मेरा नाम सुनते ही फोन काट दिया हो )

: कोई बात नहीं अभी करेगी ( नानी मुझे दिलासा देते हुए मोबाइल किनारे रखने लगी कि मेरी नजर स्क्रीन पर गई फोन अभी भी चालू था )
: नानी फोन तो चल रहा है ( मै उनके हाथ से मोबाइल लिया )
मुझे हल्की फुल्की आवाजे आ रही थी मै कौतूहल बस फोन स्पीकर पर कर दिया
फोन पर उधर की बातें आने लगी

: तो खुद क्यों नहीं मांग लेते, वो भी तो आपकी ही है उम्मम अह्ह्ह्ह्ह आराम से ( फोन पर अम्मी की सिसकियां आने लगी )
: अह्ह्ह्ह्ह मेरी जान कितना बड़ा और रसीला है ओह्ह्ह्ह ( अब्बू बोले )
: किसका मेरा या अम्मी का ( अम्मी सिहर कर खिलखिलाई )

यहां मेरा लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और नानी एकदम चुप थी
: तेरी अम्मी के बड़े बड़े चूतड़ अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह फरीदा अह्ह्ह्ह ( अब्बू और कुछ बोलते नानी ने लपक कर मोबाइल छीना और फोन काट दिया )
: अरे .. काट क्यों दिया ( मै हड़बड़ा गया )
: चुप कर , जैसा बेटा वैसा बाप दोनो ... ( नानी गुस्से में बोली और चुप हो गई )
: अब इसमें मेरी क्या गलती ... मुझे क्यों डांट रहे हो । मैने थोड़ी न आपके .. बारे में कुछ बोला है ( मै अपना पक्ष रखता हुआ बोला )
नानी चुप थी कुछ देर तक और करीब ऐसे ही 15 से 20 मिनट तक बीत गए ।

: सो गया क्या ? शानू ? ( नानी ने आवाज दी )
: क्या है बोलो ( मैने घुड़क कर जवाब दिया )
: अच्छा सुन
: हम्मम बोलिए ( मैने अभी भी अपनी नाराजगी जाहिर की )
: तो क्या घर पर फरीदा और तेरे अब्बू ऐसे ही बातें करते है ... मतलब फोन पर या फिर आमने सामने ( नानी थोड़ा अटक कर मुझसे पूछी और मै खिल गया एकदम से )
: हा अक्सर उनकी बातें ऐसी ही होती थीं, मगर मैने आज पहली बार अब्बू को आपके बारे में ऐसा कुछ कहते सुना नहीं तो वो हर बार अपनी ... ( मै चुप गया )

: क्या ? हर बार क्या ? बता न ( नानी अब उत्सुक दिख रही थी । )
: वो ज्यादातर अब्बू अपने फूफी के बारे में बाते करते थे ( मै भी झिझक कर बोला )
: क्या ? फूफी के बारे में हीहीही पागल ( नानी को ना जाने क्या हुआ वो खिलखिला कर हसने लगी )
: हा , और अक्सर अम्मी नकाब पहन कर अब्बू की फूफी बनने का नाटक करती और फिर वो लोग मिलकर वो सब करते थे ( मै बड़ी मासूमियत से सारी बातें कह गया )
: क्या ? फरीदा ऐसा भी करती है ( नानी चौक कर बोली )
: हा आप भी चौक गई न , मै भी ऐसे चौक गया था पहली बार जब अम्मी को सिर्फ बुरखे में अब्बू के आगे वीडियो काल पर नंगी होते देखा था और अब्बू कह रहे थे कि... ( मै फिर रुक गया )
: क् क्या कह रहे थे तेरे अब्बू, बोल न ( नानी की चढ़ती सांसे साफ पता चल रही थी और उनके दिल की तेज धड़कने मै करीब से महसूस कर पा रहा था )
: वो अब्बू फोन पर कह रहे थे कि फूफी अपने अक्कू को अपनी बड़ी सी गाड़ दिखाओ न अह्ह्ह्ह्ह कितना बड़ा और रसीला है
: धत्त गंदा ( नानी एकदम से हंसी)
: सच में वो ऐसा ही बोले थे और फिर अम्मी उनके आगे अपना बुरका उठा कर अपने बड़े बड़े चूतड़ खोल कर दिखा रही थी हाथ से फैला कर ( अम्मी के नायब भड़कीले चूतड के बारे बता कर मेरे गले में पानी आने लगा , लंड तो जैसे टपक ही पड़ा )
: और क्या कह रहे थे तेरे अब्बू ( नानी की सांस चढ़ रही थी )
: वो कह रहे थे कि वो बचपन से ही अपनी फूफी के मटके जैसे चूतड़ों के दीवाने है ( मैने अपनी बात कही )
: ये तो पता ही है मुझे , बहुत बदमाश था अक्कू बचपन में ( नानी बोली )
: क्या मतलब ? आपको कैसे पता अब्बू बचपन में कैसे थे ? ( मै एकदम से चौक गया )
: मुझे कैसे पता हीहीहीही पागल मै ही तो तेरे अब्बू की फूफी हूं ( नानी है कर बोली )
: क्या ? ( मेरा माथा एकदम से घूम गया )
: इसका मतलब आप और अब्बू के अब्बू मतलब दादू भाई बहन हो ?( मै हैरान होकर सवाल किया )
: हम्म्म ( नानी ने हुंकारी भरी )
: सगे ?
: हा दादा सगे , क्यों क्या हुआ ( नानी बोली )
: मतलब ने अब्बू ने अपनी सगी बुआ की लड़की से शादी की है , अपनी बहन से ? ( मै हैरान होकर बोला )
: हा क्यों क्या हुआ ( नानी बड़े कैजुअली बोली )
: अरे फिर तो अब्बू और अम्मी भाई बहन हुए न तो निगाह कैसे ?
: अरे पागल ऐसा कुछ नहीं है, हमारे यहां ऐसा होता है फूफा मामा में रिश्ता हो जाता है और जब फरीदा हुई तभी तेरी दादी यानी मेरी भाभी ने कह दिया था कि फरिदा का निगाह तेरे अब्बू से ही होगा ।
: ओह गॉड , तो क्या सारा टाइम अब्बू आपके बारे में आपके भड़कीले चूतड़ों के बारे में ...
: धत्त गंदा ( नानी लजाई)
: नानी आप समझ भी रहे हो , अब्बू आपके कितने बड़े दीवाने है । मैने देखा है अम्मी की हालत खराब हो जाती थी जब वो आपका रोल करती थी । अब्बू घंटों तक अम्मी के पीछे करते थे ( मेरा लंड एकदम उफान पर था और मै हल्का हल्का उसको मिस भी रहा था )

: हम्ममम मुझे पता है , बचपन से बड़े होते देखा है मैने तेरे अब्बू को , एकदम तूने अपने बाप की नकल उतारी है
: अब मै कहा से आया बीच में हा.. ( मै हैरान होकर बोला )
: वो भी तेरी तरह मेरी कच्छी चुरा लेता था और फिर पकड़ा जाता था , कितनी बार उसको मैने डांट लगाई मगर वो सुधरा नहीं । सोचा शादी के बाद सुधर ही जाएगा मगर तेरे अब्बू ने तो फरीदा को भी बिगाड़ दिया ( नानी अपनी बात पूरी करते हुए बोली )
: हीहीहीही और अम्मी को देखो बस मुझे डांटती रहती है । ये नहीं कि अब्बू को सुधारे ।
: चुप कर नालायक कही का
: वैसे एक बात कहूं नानी ( मै खिलखिलाकर बोला )
: हा बोल
: नहीं आप मारोगे ( मैने हस कर बोला )
: अब बोल न ( वो उखड़ी )
: सच कहू तो आपकी ये इतनी बड़ी है ( मैने उन्हें कूल्हे छुते हुए बोला ) कि अब्बू क्या मेरा भी मन हो जाता आपकी पैंटी चुरा लूं हाहा
: धत्त गंदा ( नानी मेरा हाथ झटक कर बोली , उनकी बातों में लाज थी और मुस्कुराहट भी ) तूने भी चुरा कर रख ही लिया होगा बक्से से निकाल कर ।
: ऊहू जाते हुए चुराऊंगा हाहाहाहाहा ( मै नानी को छेड़ते हुआ ठहाके मार कर हंसा )
: पागल कही का , बहुत मार खायेगा बदमाश ( नानी झेप कर हसने लगी )
कुछ देर तक ऐसे ही हम अपनी बातें सोच कर हस्ते खिखियाते रहे और मेरा लंड नानी से खुलने पर एकदम रॉड हो गया था ।
तभी अम्मी का फोन आने लगा

: ले हो गई फ्री तेरी अम्मी ( नानी ने मज़े में बोली )
और फोन पिक किया

: जी अम्मी बोलिए ( अम्मी की आवाज आई फोन पर )
: मै क्या बोलूं , जरा अपने शौहर को दे मेरी तो खोज खबर नहीं लेते कभी । ये नहीं बुढ़िया अकेले रह रही है आ जाए कुछ रोज के लिए ( नानी ने सुनाया )
: हम्मम लीजिए बात कीजिए ( अम्मी ने अब्बू को फोन दिया )
: हैलो , सलाम फूफी कैसी हो ( अब्बू फोन पर बोले )
: खुश रहो , अरे कभी अपनी बुढ़िया फूफी को भी याद कर लिया कर अक्कू
: हाहा अक्कू , बचपन का नाम कैसे याद कर लिया मेरा ( अब्बू हस कर बोले )
: अरे ये पास में शानू सोया है , उससे तेरे बचपन के सारे कारनामे बता रही थी , और ये बदमाश भी तुझ पर गया है पूरा ( नानी ने बातों ही बातों के अब्बू की हवा टाइट कर दी )
: अरे तो उसकी भी मेरी तरह खातिरदारी करना फूफी , सजा तो मिलनी चाहिए नवाबजादे को ( अब्बू हस कर बोले )
: हा , लेकिन पहले शरारत करने तो दो इसको फिर सजा मिलेगी , जबसे घर से आया है बड़ा सीधा होकर रह रहा है ( नानी ने बस ऐसे ही बातें बना कर बोली )
: हा और क्या , अपना बेटा समझ कर पूरी खातिरदारी करिए उसकी ( अब्बू फोन पर बोले )
: अरे समझना क्या है , ये मेरा बेटा ही तो है ( नानी ने अगले ही पल खींच कर मुझे अपने सीने से लगा दिया )
मेरा मुंह सीधा नानी की बिना ब्रा वाली सूट के उपर से उनकी गुदाज मोटी चूचियो में धंस गया और लंड पूरा लोहे की रोड जैसे अकड़ गया ।
उम्मम क्या मस्त खुशबू आ रही थी , कितनी नरमी और सॉफ्ट थी , काटन सूट में नानी की चूचियां और भी गुदाज थी ।
पता ही चला आगे वो लोग क्या बातें किए और फोन कट गया ।

: ले तुझसे तो बात कराना ही रह गया ( नानी फोन रखते हुए बोली )
: रहने दो न नानी कल कर लूंगा ( मैं उसके छातियों से मुंह लगाए बोला )
: हम्म्म ठीक है सो जा अब ( नानी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए माथा चूम ली ) शैतान बच्चा मेरा पगलू

गजब का सुकून था नानी की बाहों में और उनकी भारी बदन की मुलायम चुचियों का तकिया पाकर मै तो जन्नत में घूमने लगा ।लंड एकदम फड़क कर लोवर में तंबू बना चुका था और नानी के जांघ से टच हो रहा था और पानी उनकी जांघों पर पंप हो रहा था ।

: उम्मम ये क्या है ( नानी ने हाथ ले जाकर नीचे मेरा खीरे जैसा मोटा सुपाड़ा छुआ तो मेरे तन बदन में सरसरी फैल गई )
: आपके शैतान बच्चे का बच्चा हाहाहा ( मै खिलखिलाया )
: पागल कही का , उसको भी बोल सो जाए और तू भी ( नानी मुस्कुरा कर बोली )


जारी रहेगी
आप लोग ज्यादा से ज्यादा सपोर्ट करें
आपकी प्रतिक्रियाओ का इंतजार रहेगा
Super Update ❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️awesome ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️Bhai Keep It Up❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ But add more sex scenes ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️Please ❤️❤️❤️❤️ Request ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
 
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कहानी की अगली कड़ी पोस्ट कर दी गई है
कृपया पढ़ कर रेवो जरूर दें
Thanks.... for update ❤️❤️❤️q💯
 
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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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मै समझ गया था कि मेरी चोरी कही न कही पकड़ी ही गई । मेरे पास अब कोई बहाना नहीं था कि मै क्यों गेट से न होकर बल्कि गुलनार की छत फांद कर जीने से नीचे आया था ।

डर लग रहा था कि नानी क्या सोचेंगी क्या कहेंगी , अम्मी के आगे मै पूरी तरह नंगा हो चुका था अब नानी भी शायद मुझे वैसा ही कुछ व्यवहार करेंगी ।

: बोला था तुझे न कि आवाज देकर जाना अंदर ( नानी ने कमर पर हाथ रख कर गुस्से में मुझे घुरा )
: जी सॉरी नानी ( मैने नजरे फेरते हुए कहा )
: क्या देखा तूने वहां उम्मम ( नानी ने सवाल किया )
: नानी वो दिलावर मामू गुलनार को ... ( मै हिचक रहा था बताने में )
: अरे दादा बोला था न तुझे आवाज देकर जाना , इधर आ तू ( नानी मुझे खींच कर अंदर ले गई )
मै डरा हुआ कमरे में आया
: देख बेटा तू मुझसे वादा कर तूने जो कुछ भी देखा उस बारे में तू किसी से बात नहीं करेगा । खा मेरी कसम ( नानी ने मेरा हाथ अपने सर पर रख दिया )
: ज जी नानी नहीं कहूंगा ( मै अचरज से बोला ) लेकिन वो ...
: हा बेटा जानती हु तूने जो कुछ देखा वो समाज की नजर में ठीक नहीं है मगर वो दोनों इसमें खुश है और बिन मां की बेटी है गुलनार । ( नानी खुद ही मुझे सफाई दे रही थी )
: लेकिन नानी आपको नहीं लगता कि गुलनार अभी इनसब के लिए बहुत छोटी है ( मै थोड़ा हिम्मत कर सवाल किया क्योंकि कही न कही इस जवाब के साथ मुझे मेरा स्वार्थ सिद्ध करना था )
: वैसे तू भी बहुत सारे कामों के लिए छोटा है , मगर मनमानी करता है न ( नानी ने मेरे ही सवाल का थप्पड़ जड़ा मुझ पर )
: सॉरी नानी , मुझे आपकी बात मान लेनी चाहिए थी पर पता नहीं क्यों मै खुद को रोक नहीं पाता ( मै नानी के पास आकर उनके कंधे पर सर रख कर बोला )
: ये उम्र ही ऐसी है , सब भटक जाते है बेटा मगर तुझे तेरा भविष्य संवारना है न ( नानी मेरा गाल छू कर बोली )
: हम्मम ( मै भी हुंकारी भरी )
: मेरा प्यारा बेटा उम्ममाह ( नानी ने गाल पर चुम्मी ली तो मैने भी हस कर पोंछ दिया)
: उम्म्माह्ह यह्ह्ह्ह ( नानी ने दूसरे गाल पर चुम्मी लेकर जीभ से गिला भी कर दिया ) और पोंछेगा मेरी चुम्मी ( नानी हस्ती हुई बोली )
: इसपर दो नहीं पोछुंगा हीहिही ( मैने लिप्स पर उंगली रख कर बोला )
और नानी ने मेरे दोनों गाल पकड़ कर मेरे लिप्स चूम लिए
: वाव नानी आपके लिप्सी कितनी मुलायम है फिर से करो न ( मैने छेड़ा उनको )
: धत्त बदमाश कही का ( नानी लजाई और मै हस दिया )
: ऐसे ही तू तंग करता था फरीदा को इसीलिए वो तुझे नहीं लेकर गई ( नानी हस्ते हुए बोली )
: आ कितना झूठ बोलती हो , मै नहीं वो मुझे .... तंग करती थी ( भुनभुनाते हुए मैने अपनी बात पूरी की )
: अच्छा तो फिर वो जो फरीदा के कमरे में तांक झांक करता था और उसपे नजर रखा था वो सब क्या था बोल ( नानी ने मुस्कुरा कर कही )
: वो सब मेरे लिए नया था ... मतलब ऐसा कुछ कभी मैने देखा सुना नहीं था । अम्मी है भी कितनी चुलबुली और अब्बू से ऐसी बाते करती थी कि मुझे सुनने का मन करता था और कभी कभी नजर पड़ जाती थी । बस ( मैने सफाई देते हुए कहा )
: बस .. उम्मम बस ( नानी ने हस कर बोली )
: हम्म्म और क्या ? ( मै उनके हस्ते चेहरे को देखकर लजाते लगा , मेरे गाल हसने लगे )
: बहुत मार खायेगा , बताया था फरीदा ने तू उसके कपड़े चुरा कर क्या करता था बाथरूम ( नानी मुस्कुरा कर बोली और मै शर्मिंदा हो गया )
: माना कि तू अब बड़ा हो रहा है लेकिन अब क्या तू अपनी अम्मी के बारे में ऐसा सोचेगा उम्मम ( नानी समझाते हुए बोली )
: मै क्या करूं ... ना मेरे दोस्त है और कोई मुझे बताने समझाने वाला । पूरा दिन अम्मी के साथ रहूंगा तो ... ( मै बोलते हुए चुप हो गया )
: हम्मम फिर भी ये अच्छी बात नहीं है बेटा , वो तेरी अम्मी है न तुझे रिश्तों की अहमियत सीखनी होंगी ( नानी मेरे सर सहलाती हुई बोली ) ऐसे रिश्ते बहुत नापाक होते है बेटा ।
: तो फिर दिलावर मामू भी तो गलत ही हुए न ? ( मैने मासूम सा सवाल किया )
: अब ... देख बेटा कुछ रिश्ते आपसी सहमत और जरूरत से बनाए जाते है और अगर उसमें दोनों की रजामंदी है । और फिर गुलनार और दिलावर का निगाह भी हो चुका है ।
: क क्या ??? ( नानी की बात से मै चौका)
: हम्मम गुपचुप वाला ही है मगर हुआ है , गुलनार की अम्मी के गुजरने के बाद दिलावर ने शराबी रवैए ने गुलनार का जीना मुश्किल कर रखा था और वो अपनी हवस में अंधा होकर अपनी बेटी के लिए पागल हो गया था । बार बार उसके कमरे में चले जाना , नहाते हुए देखना इससे तंग आ गई थी और फिर जब गुलनार नहीं होती तो वो हराम का जना जीने पर आकर मुझे नहाते देखता , फिर एक रोज मैं गुलनार के लिए हलवा बना कर ले गई थी तो मैने उन्हें आपत्तिजनक हाल में देख लिया ।

: कैसे हाल में ?? ( मै अजीब सा मुंह बना कर बोला , मतलब तो मुझे पता था मगर मुझे नानी से कुछ सुनना था )
: वो दिलावर गुलनार को अपनी गोद में बिठा कर उसके दूध पी रहा था ( नानी थोड़ा हिचक कर नजरे चुरा कर बोली )
: फिर ( मै हलक से थूक गटक कर बोला )
: फिर गुलनार को लेकर मै अपने घर चली आई और जब दिलावर का नशा उतरा तो वो आया मेरे घर उसने अपने अकेलेपन के बारे में मुझसे बात की , मैने गुलनार की इच्छा पूछी तो वो अपने अब्बू को खुश देखना चाहती थी इसीलिए मैने एक काजी से बात कर मेरे घर के ही उनका निगाह पढ़वा दिया और तबसे वो दोनों ... ( नानी बोलते हुए चुप हो गई )

ताज्जुब की बात थी और दिल नानी के खुश भी था कि उन्होंने समस्या का तोड़ निकाल कर वाजिब ढंग से उसे सुलझाया और इससे उनका ईमान नहीं डोला। हालांकि अकेलापन तो उन्हें भी था ।

: नानी एक बात पूछूं ( मै थोड़ा हिचक रहा था )
: हा बोल न बेटा ( नानी मुस्कुराई )
: वो ... नानू को गुजरे इतने साल हो गए तो आपको अकेलापन महसूस नहीं होता ( मैने हिम्मत कर पूछ तो लिया मगर अब मेरी फटी हुई थी कि नानी क्या सोचेंगी क्या जवाब देंगी । कही अम्मी की तरह थप्पड़ न पड़ जाए । दिल जोरो से धकधक हो रहा था और लंड में साला इस सवाल से अलग ही तरंगें उठ रही थी । )

: धत्त पागल कही का ( नानी एकदम से लजा गई )
उन्हें हंसता लजाता देख मेरे भीतर का डर फुर्र हो गया और लंड फूलने लगा कि शायद अब नानी भी अपने बारे में कुछ बताए
: क्या नानी बताओ न प्लीज ( मैने उनके बाजू में हाथ डाल दिया और जिद करने लगा )
: हीहीहीही शानू छोड़ मारूंगी अब , बदमाश क्या पूछ रहा है ये सब तू ( नानी हस्ती हुई बोली )
: बताओ न प्लीज ... मुझे जानना है आप नहीं बताओगे समझाओगे तो फिर किससे पूछने जाऊ मै ( मैने उनको लपेटा)
: पागल है तू , इस उम्र में मुझे दो वक्त की रोटी बना खा कर जी लू इससे ज्यादा क्या ही चाहिए और मुझे तो लगता है कि तेरा निगाह भी जल्द से जल्द करना पड़ेगा अब । तो खुद ही सारे सवालों के जवाब खोज लेना पागल कही का ( नानी हस्ती हुई बोली )
: क्या नानी बात मत घुमाओ ( मैने उनको फिर से बात में उलझाना चाहा )
: चल छोड़ मुझे झाड़ू लगाना है सांझ हो रही है ( नानी उठ गई और हस्ती हुई निकल गई )
मै समझ गया कि नानी का अपना कुछ घरेलू जुगाड़ होगा ही , भला उम्र से वासना का क्या लेना देना । इतनी समझ तो थी मुझमें ।

नानी उठी और झाड़ू लेकर पीछे हाते में झाड़ू लगाने लगी ।


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अह्ह्ह्ह बड़ी चौड़ी गाड़ फैला कर वो बैठे हुए थी , सूट पर कचरा धूल न लगे इसीलिए उसको वो अपने आगे खोसे हुए थी जिससे पीछे से गाड़ का शेप पूरा बिजिबल था और कमर के पास लास्टिक से झांकती चौड़ी दरार देखकर लंड में सुरसुरी होने लगी ।

मैने हौले से मसल दिया अपना मूसल
नानी ने झाड़ू लगा कर उठी और सलवार सूट सही कर बर्तन साफ करने लगी ।

सांझ हो रही थी कि गेट पर फिर से गुलनार की आवाज आई
: जा देख गुलनार आई होगी , खोल दे गेट ( नानी चूल्हे के पास बैठी हुई बोली और मै उनके लजीज चूतड़ों को छोड़ कर खटिए से उठ गया )

बाहर आया तो देखा गुलनार ही थी
मैने गेट खोला
: दादी है ? ( वो मुझे देख कर बोली )
: क्यों नहीं होंगी तो नहीं आओगी ( मै धीरे से बुदबुदाया )
: क्या ?? ( उसने सुना नहीं या फिर ना सुनने का नाटक किया )
: हा हैं जी , जाओ ( मैने मुस्कुराया )
वो चहकती हुई निकल गई ,


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आज उसने ब्लैक सूट सलवार पहना था । एकदम नई
मै गेट लगाकर आया
: कब तक वापस आएगी ( मै पहुंचा तब तक उनकी बातें शुरू हो गई थी )
: दो तीन रोज में वापस आ जाऊंगी , तबतक आप अब्बू के खाने पीने का देख लोगी क्या दादी प्लीज ( वो मिन्नते करते हुए बोली )
: हा रखूंगी लेकिन उसको बोलना कि पीकर घर नहीं आएगा तभी ( नानी हस कर बोली )
: हिहीही ठीक है , ओके बाय दादी
: बाय ( मैने हाथ उठा कर उसको देख मगर उसने मेरी ओर देखा भी नहीं )
साला इतनी भी बुरी सूरत नहीं थी मेरी या फिर वो ही कुछ ज्यादा चालाक थी । जरा भी भाव नहीं दिया , कम से कम बाय का उत्तर तो दे देती ।

: हाथ नीचे कर ले वो चली गई ( नानी मजे में बोली )
: कहा गई ( मै अभी उसके बारे में ही सोच रहा था )
: अपने खाला के यहां जा रही है , यही पास में ही एक गांव है ( नानी बड़े कैजुअली होकर बोली और सब्जी चलाने लगी )
: चलो ये इंटरटेनमेंट भी गया ( मै हल्का सा फुसफुसाया )
: क्यों उसी से तेरा दिल लग रहा था क्या तेरा यहां उम्मम ( नानी ने झट से मेरी बात पकड़ ली , मतलब वो मेरी बुदबुदाहट भी सुन ली थी )
: क्या ? नहीं तो वो तो अभी छोटी है आप भी नानी ( मै ब्लश करता हुआ मुस्कुराया )
: हा तुझे तो अधेड़ उम्र की मोटी भैंस जैसी औरतें ही पसंद है क्यों ( नानी ने मेरे मजे लिए )
: खबरदार मेरी नानी को भैंस कहा तो ... ( मै बोल कर खिलखिलाया )
: पागल कही मारूंगी तुझे , मुझसे ही मजाक करता है ( नानी कलछी उठा कर दिखाती हुई बोली )
मै हंसता रहा
कुछ देर बाद खाना भी तैयार हो गया और हम दोनो खा पी कर बिस्तर पर ।
एकदम चुप्पी थी हमारे बीच , पंखे की हनहनाहट ही आ रही थी
आज तो गुलनार की सिसकियां भी नहीं सुनने को मिलनी थी कि लंड सहला पाऊं और नजारा ऐसा कुछ देखने को भी नहीं हो पा रहा था कि झाड़ लू और सो पाऊं।

: बात करेगा करूं फोन तेरी अम्मी को ( नानी के कुछ देर बाद बोली )
रात के करीब 9 बज रहे थे लेकिन गांव के हिसाब से लेट हो ही गया था ।
और अम्मी का नाम आते ही मूड फ्रेश हो गया ।
: हम्म्म नानी लगाओ न ( मै घिसक कर नानी के पास करवट होकर चिपक गया )
: हम्म्म रुक लगा रही हूं ( नानी तकिए के पास से मोबाइल निकाल कर अम्मी का नंबर खोजा और डायल कर दिया )
रिंग जा रही थी और मेरी धड़कने तेज हो रही थी ।
काल पिक हुआ

: सलाम अम्मीईह ( अम्मी की बातों में थकान सी खनकी )
: खुश रहो , और कहो कैसी हो ( नानी ने सवाल किया )
: बस अच्छी हु अम्मी , यही अभी खाना बना कर बैठी हूं उम्मम ( अम्मी की आवाज में मदहोशी साफ झलक रही थी और मै समझ गया जरूर अब्बू लगे हुए है । अम्मी के बारे में सोच कर ही लंड फैलने लगा लोवर में )
: अच्छा सुन वो शानू तुझसे बा...
: अम्मी बस 10 मिनट में फोन कर रही हूं, बस 10 मिनट ( अम्मी जल्दी जल्दी बोली और फिर फोन पर चुप्पी सी छा गई मेरा चेहरा उतर गया अम्मी ने जैसे मेरा नाम सुनते ही फोन काट दिया हो )

: कोई बात नहीं अभी करेगी ( नानी मुझे दिलासा देते हुए मोबाइल किनारे रखने लगी कि मेरी नजर स्क्रीन पर गई फोन अभी भी चालू था )
: नानी फोन तो चल रहा है ( मै उनके हाथ से मोबाइल लिया )
मुझे हल्की फुल्की आवाजे आ रही थी मै कौतूहल बस फोन स्पीकर पर कर दिया
फोन पर उधर की बातें आने लगी

: तो खुद क्यों नहीं मांग लेते, वो भी तो आपकी ही है उम्मम अह्ह्ह्ह्ह आराम से ( फोन पर अम्मी की सिसकियां आने लगी )
: अह्ह्ह्ह्ह मेरी जान कितना बड़ा और रसीला है ओह्ह्ह्ह ( अब्बू बोले )
: किसका मेरा या अम्मी का ( अम्मी सिहर कर खिलखिलाई )

यहां मेरा लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और नानी एकदम चुप थी
: तेरी अम्मी के बड़े बड़े चूतड़ अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह फरीदा अह्ह्ह्ह ( अब्बू और कुछ बोलते नानी ने लपक कर मोबाइल छीना और फोन काट दिया )
: अरे .. काट क्यों दिया ( मै हड़बड़ा गया )
: चुप कर , जैसा बेटा वैसा बाप दोनो ... ( नानी गुस्से में बोली और चुप हो गई )
: अब इसमें मेरी क्या गलती ... मुझे क्यों डांट रहे हो । मैने थोड़ी न आपके .. बारे में कुछ बोला है ( मै अपना पक्ष रखता हुआ बोला )
नानी चुप थी कुछ देर तक और करीब ऐसे ही 15 से 20 मिनट तक बीत गए ।

: सो गया क्या ? शानू ? ( नानी ने आवाज दी )
: क्या है बोलो ( मैने घुड़क कर जवाब दिया )
: अच्छा सुन
: हम्मम बोलिए ( मैने अभी भी अपनी नाराजगी जाहिर की )
: तो क्या घर पर फरीदा और तेरे अब्बू ऐसे ही बातें करते है ... मतलब फोन पर या फिर आमने सामने ( नानी थोड़ा अटक कर मुझसे पूछी और मै खिल गया एकदम से )
: हा अक्सर उनकी बातें ऐसी ही होती थीं, मगर मैने आज पहली बार अब्बू को आपके बारे में ऐसा कुछ कहते सुना नहीं तो वो हर बार अपनी ... ( मै चुप गया )

: क्या ? हर बार क्या ? बता न ( नानी अब उत्सुक दिख रही थी । )
: वो ज्यादातर अब्बू अपने फूफी के बारे में बाते करते थे ( मै भी झिझक कर बोला )
: क्या ? फूफी के बारे में हीहीही पागल ( नानी को ना जाने क्या हुआ वो खिलखिला कर हसने लगी )
: हा , और अक्सर अम्मी नकाब पहन कर अब्बू की फूफी बनने का नाटक करती और फिर वो लोग मिलकर वो सब करते थे ( मै बड़ी मासूमियत से सारी बातें कह गया )
: क्या ? फरीदा ऐसा भी करती है ( नानी चौक कर बोली )
: हा आप भी चौक गई न , मै भी ऐसे चौक गया था पहली बार जब अम्मी को सिर्फ बुरखे में अब्बू के आगे वीडियो काल पर नंगी होते देखा था और अब्बू कह रहे थे कि... ( मै फिर रुक गया )
: क् क्या कह रहे थे तेरे अब्बू, बोल न ( नानी की चढ़ती सांसे साफ पता चल रही थी और उनके दिल की तेज धड़कने मै करीब से महसूस कर पा रहा था )
: वो अब्बू फोन पर कह रहे थे कि फूफी अपने अक्कू को अपनी बड़ी सी गाड़ दिखाओ न अह्ह्ह्ह्ह कितना बड़ा और रसीला है
: धत्त गंदा ( नानी एकदम से हंसी)
: सच में वो ऐसा ही बोले थे और फिर अम्मी उनके आगे अपना बुरका उठा कर अपने बड़े बड़े चूतड़ खोल कर दिखा रही थी हाथ से फैला कर ( अम्मी के नायब भड़कीले चूतड के बारे बता कर मेरे गले में पानी आने लगा , लंड तो जैसे टपक ही पड़ा )
: और क्या कह रहे थे तेरे अब्बू ( नानी की सांस चढ़ रही थी )
: वो कह रहे थे कि वो बचपन से ही अपनी फूफी के मटके जैसे चूतड़ों के दीवाने है ( मैने अपनी बात कही )
: ये तो पता ही है मुझे , बहुत बदमाश था अक्कू बचपन में ( नानी बोली )
: क्या मतलब ? आपको कैसे पता अब्बू बचपन में कैसे थे ? ( मै एकदम से चौक गया )
: मुझे कैसे पता हीहीहीही पागल मै ही तो तेरे अब्बू की फूफी हूं ( नानी है कर बोली )
: क्या ? ( मेरा माथा एकदम से घूम गया )
: इसका मतलब आप और अब्बू के अब्बू मतलब दादू भाई बहन हो ?( मै हैरान होकर सवाल किया )
: हम्म्म ( नानी ने हुंकारी भरी )
: सगे ?
: हा दादा सगे , क्यों क्या हुआ ( नानी बोली )
: मतलब ने अब्बू ने अपनी सगी बुआ की लड़की से शादी की है , अपनी बहन से ? ( मै हैरान होकर बोला )
: हा क्यों क्या हुआ ( नानी बड़े कैजुअली बोली )
: अरे फिर तो अब्बू और अम्मी भाई बहन हुए न तो निगाह कैसे ?
: अरे पागल ऐसा कुछ नहीं है, हमारे यहां ऐसा होता है फूफा मामा में रिश्ता हो जाता है और जब फरीदा हुई तभी तेरी दादी यानी मेरी भाभी ने कह दिया था कि फरिदा का निगाह तेरे अब्बू से ही होगा ।
: ओह गॉड , तो क्या सारा टाइम अब्बू आपके बारे में आपके भड़कीले चूतड़ों के बारे में ...
: धत्त गंदा ( नानी लजाई)
: नानी आप समझ भी रहे हो , अब्बू आपके कितने बड़े दीवाने है । मैने देखा है अम्मी की हालत खराब हो जाती थी जब वो आपका रोल करती थी । अब्बू घंटों तक अम्मी के पीछे करते थे ( मेरा लंड एकदम उफान पर था और मै हल्का हल्का उसको मिस भी रहा था )

: हम्ममम मुझे पता है , बचपन से बड़े होते देखा है मैने तेरे अब्बू को , एकदम तूने अपने बाप की नकल उतारी है
: अब मै कहा से आया बीच में हा.. ( मै हैरान होकर बोला )
: वो भी तेरी तरह मेरी कच्छी चुरा लेता था और फिर पकड़ा जाता था , कितनी बार उसको मैने डांट लगाई मगर वो सुधरा नहीं । सोचा शादी के बाद सुधर ही जाएगा मगर तेरे अब्बू ने तो फरीदा को भी बिगाड़ दिया ( नानी अपनी बात पूरी करते हुए बोली )
: हीहीहीही और अम्मी को देखो बस मुझे डांटती रहती है । ये नहीं कि अब्बू को सुधारे ।
: चुप कर नालायक कही का
: वैसे एक बात कहूं नानी ( मै खिलखिलाकर बोला )
: हा बोल
: नहीं आप मारोगे ( मैने हस कर बोला )
: अब बोल न ( वो उखड़ी )
: सच कहू तो आपकी ये इतनी बड़ी है ( मैने उन्हें कूल्हे छुते हुए बोला ) कि अब्बू क्या मेरा भी मन हो जाता आपकी पैंटी चुरा लूं हाहा
: धत्त गंदा ( नानी मेरा हाथ झटक कर बोली , उनकी बातों में लाज थी और मुस्कुराहट भी ) तूने भी चुरा कर रख ही लिया होगा बक्से से निकाल कर ।
: ऊहू जाते हुए चुराऊंगा हाहाहाहाहा ( मै नानी को छेड़ते हुआ ठहाके मार कर हंसा )
: पागल कही का , बहुत मार खायेगा बदमाश ( नानी झेप कर हसने लगी )
कुछ देर तक ऐसे ही हम अपनी बातें सोच कर हस्ते खिखियाते रहे और मेरा लंड नानी से खुलने पर एकदम रॉड हो गया था ।
तभी अम्मी का फोन आने लगा

: ले हो गई फ्री तेरी अम्मी ( नानी ने मज़े में बोली )
और फोन पिक किया

: जी अम्मी बोलिए ( अम्मी की आवाज आई फोन पर )
: मै क्या बोलूं , जरा अपने शौहर को दे मेरी तो खोज खबर नहीं लेते कभी । ये नहीं बुढ़िया अकेले रह रही है आ जाए कुछ रोज के लिए ( नानी ने सुनाया )
: हम्मम लीजिए बात कीजिए ( अम्मी ने अब्बू को फोन दिया )
: हैलो , सलाम फूफी कैसी हो ( अब्बू फोन पर बोले )
: खुश रहो , अरे कभी अपनी बुढ़िया फूफी को भी याद कर लिया कर अक्कू
: हाहा अक्कू , बचपन का नाम कैसे याद कर लिया मेरा ( अब्बू हस कर बोले )
: अरे ये पास में शानू सोया है , उससे तेरे बचपन के सारे कारनामे बता रही थी , और ये बदमाश भी तुझ पर गया है पूरा ( नानी ने बातों ही बातों के अब्बू की हवा टाइट कर दी )
: अरे तो उसकी भी मेरी तरह खातिरदारी करना फूफी , सजा तो मिलनी चाहिए नवाबजादे को ( अब्बू हस कर बोले )
: हा , लेकिन पहले शरारत करने तो दो इसको फिर सजा मिलेगी , जबसे घर से आया है बड़ा सीधा होकर रह रहा है ( नानी ने बस ऐसे ही बातें बना कर बोली )
: हा और क्या , अपना बेटा समझ कर पूरी खातिरदारी करिए उसकी ( अब्बू फोन पर बोले )
: अरे समझना क्या है , ये मेरा बेटा ही तो है ( नानी ने अगले ही पल खींच कर मुझे अपने सीने से लगा दिया )
मेरा मुंह सीधा नानी की बिना ब्रा वाली सूट के उपर से उनकी गुदाज मोटी चूचियो में धंस गया और लंड पूरा लोहे की रोड जैसे अकड़ गया ।
उम्मम क्या मस्त खुशबू आ रही थी , कितनी नरमी और सॉफ्ट थी , काटन सूट में नानी की चूचियां और भी गुदाज थी ।
पता ही चला आगे वो लोग क्या बातें किए और फोन कट गया ।

: ले तुझसे तो बात कराना ही रह गया ( नानी फोन रखते हुए बोली )
: रहने दो न नानी कल कर लूंगा ( मैं उसके छातियों से मुंह लगाए बोला )
: हम्म्म ठीक है सो जा अब ( नानी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए माथा चूम ली ) शैतान बच्चा मेरा पगलू

गजब का सुकून था नानी की बाहों में और उनकी भारी बदन की मुलायम चुचियों का तकिया पाकर मै तो जन्नत में घूमने लगा ।लंड एकदम फड़क कर लोवर में तंबू बना चुका था और नानी के जांघ से टच हो रहा था और पानी उनकी जांघों पर पंप हो रहा था ।

: उम्मम ये क्या है ( नानी ने हाथ ले जाकर नीचे मेरा खीरे जैसा मोटा सुपाड़ा छुआ तो मेरे तन बदन में सरसरी फैल गई )
: आपके शैतान बच्चे का बच्चा हाहाहा ( मै खिलखिलाया )
: पागल कही का , उसको भी बोल सो जाए और तू भी ( नानी मुस्कुरा कर बोली )


जारी रहेगी
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