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अगली सुबह नीद खुली तो लंड और मै दोनो एक साथ अंगड़ाई ले रहे थे ।
लोवर में जबरजस्त तंबू बना हुआ था ।
उठा तो देखा नानी घर में झाड़ू कर रही है , लंबे समय से घर में अकेले रहने की आदत से वो दुपट्टा लेने की आदत छुट गई थी
नानी झुक कर झाड़ू लगा रही थी और उनकी मोटी मोटी चूचियां सूट में झूल रही थी और पीछे की ओर पिछवाड़ा पूरा ऊपर पहाड़ जैसे उठा हुआ ।
सुबह सुबह नानी के दर्शन कर मेरा लंड अकड़ गया और मेरी हवस ने मेरे जहन में एक योजना बनाई ।
मै वापस बिना नानी की नजर के आए कमरे में सो गया ।
कुछ ही देर में नानी मुझे उठाए आई
: शानू उठ बेटा सुबह हो गई ( नानी ने दो तीन बार आवाज दी , बक्से खुलने की आवाजे आ रही थी और फिर बिस्तर पर भी कुछ गिरने की आवाज आई )
समझ आ रहा था नानी नहाने की तैयारी कर रही थी ।
: उठ जा बेटा ( नानी ने पास आकर मुझे हिलाया )
: उम्ममम अम्मी सोने दो न ( मैने जानबूझ कर अम्मी का नाम लिया ताकि उन्हें यकीन हो कि मै गहरी नींद में हु )
: अरे तू और तेरी अम्मी , अच्छा सो ले ( नानी बड़बड़ाती हुई कमरे से निकल गई )
घूम कर मैने देखा तो बिस्तर पर नानी का सूट सलवार था और एक ब्रा पैंटी भी ।
लपक कर मै उठा और नानी की पैंटी को हाथों के लेकर फैलाया और कमरे से बाहर देखा।
फिर नानी की कच्छी को अपने मुंह पर मलने लगा , नथुनों मे उसकी खुशबू समा लेना चाहता था ।
ब्रा मेरे लंड पर घिस रही थी
: ओह्ह्ह्ह नानी कितनी बड़ी गाड़ है तुम्हारी ओह्ह्ह्ह कितना मुलायम है आपकी पैंटी ( मै लंड को भींचने लगा )
फिर मुझे नानी का ख्याल आया धीरे से लपक कर मै पीछे आंगन में झांका तो नानी दातुन चबाते हुए बर्तन साफ कर रही थी और उनकी गाड़ ये फैल कर बाहर निकली थी सलवार में
मै दरवाजे के पीछे छिप कर अपना लंड बाहर निकाल लिया
रात से ही लंड बेचैन था
: ओह्ह्ह्ह्ह नानी क्या मस्त गाड़ है तुम्हारी, देखो कितनी फैली है । तभी तो सोचूं अम्मी की गाड़ क्यों इतनी फैली अह्ह्ह्ह नानी उम्मम ( मै अपना लंड सहलाते हुए बडबडा रहा था )
: अह्ह्ह्ह नानी उठो नहाओगे कब , हा उठो अब ( मै भीतर से बेचैन था , मुझे नानी को नंगी नहाए देखना था । उनका गदराया जिस्म मोटी मोटी चूचियां और बड़ी भड़कीली गाड़, ना जाने कैसी दिखती हो । )
नानी उठी और झुक कर कुल्ला कर रही थी और उनकी गाड़ सलवार में फैली हुई थी , कूल्हे उठे हुए पूरे । जी तो चाह रहा था अभी नानी को झुका कर पेल दूं
मै लगातार लंड मसल रहा था और नानी नल से पानी भर रही थी , दो बाल्टी भर कर वो वही एक छोटे स्टूल पर बैठ गई ।
मेरी बेताबी अब और बढ़ने लगी ।
कि अब नानी अपने जिस्म से सूट उतारेंगी और नहाना शुरू करेंगी
मगर ये क्या नानी एक नजर मेरी ओर यानी कि दरवाजे की ओर देखा और फिर ऊपर बगल में गुलनार की छत की ओर देखने लगी । फिर अपने देह पर पानी डालने ऊपर से ही ।
: अबे बहिनचोद ये क्या नाटक है ( मै तड़प कर रह गया )
नानी ने जैसे अपने कपड़ो पर नहीं मेरे उमड़ते जज्बातो पर लोटा भर कर पानी फेक दिया हो ।
पानी जैसे जैसे उनके बदन पर गिर रहा था उनका बदन गिला हो रहा था , सूट सलवार अब देह से चिपकने लगे थे ।
नानी सूट में हाल घुसा कर अपने जिस्म मल रही थी और ज्यादातर गुलनार की छत की देख रही थी ।
जैसे कितनी सतर्क हो की देख न लें।
इधर नानी की चूचियां अब पूरी सूट से चिपक गई थी जामुन जैसे बड़े बड़े उनके निप्पल सूट में उभर आए थे पीछे चूतड़ों में सलवार घुसी हुई थी ।
लंड एकदम फड़फड़ाने लगा मेरा
: अह्ह्ह्ह नानी कितनी सेक्सी हो आप उफ्फ क्या कयामत लग रही हो अह्ह्ह्ह्ह नानी उम्मम्म ( मै लंड सहलाते हुए नानी को निहार रहा था )
फिर नानी उठी और आस पास देखा , कभी मेरे ओर दरवाजे के तरफ तो कभी गुलनार की छत की ओर ।
फिर वो तौलिया से अपना देह पोछने लगी ।
धीरे धीरे उनकी सतर्कता में बढ़ोतरी हो रही थी और यहां मेरे लंड में ये सोच कर कि अब तो नानी अपने बदन से गिले कपड़े उतारेंगी जरूर
सुपाड़ा और फूलने लगा , मै दरवाजे की ओट से निहारे जा रहा था ।
तभी नानी ने शूट का सिरा पकड़ा और उसको ऊपर करने लगी
गिला सूट उनके जिस्म से चिपका हुआ था जो आसान नहीं था निकला
गर्दन के पास आते ही अटक गया और लटक गई उनकी नंगी पपीते जैसी बड़ी बड़ी मोटी चूचियां, भूरे निप्पल एकदम टाइट ।
वो ताकत से सूट निकाली और फिर एक बार गुलनार के छत पर देखा। नानी की हरकतों से साफ जाहिर था कि गुलनार की छत से अकसर कोई उन्हें नहाते देखता होगा।
भला देखे भी क्यों न , आखिर इतने गदराई जिस्म वाली महिला पूरी गांव में कोई नहीं थी । ऐसे बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों पर जब पानी गिरता होगा तो देखने वाला पानी निकल जाता होगा , जैसे जैसे उनके कसी गहरी दरारों में पानी जाता होगा देखने वाला उस पानी के रस के लिए पागल हो जाता होगा।
मेरा बस होता तो मै नानी के चूतड़ की दरारों में प्याऊ लगा देता , और एक एक बूंद से अपनी प्यास बुझाता इतनी कामुक और बड़ी भड़कीली गाड़ थी उनकी ।
नानी इस समय मेरी ओर पीठ किए थी और मै उनके सलवार गिरने का बेसबरी से इंतजार कर रहा था , मगर अगले ही पल फिर से निराशा लगी ।
नानी ने लपक कर एक काटन की नाइटी उठाई और अपने ऊपर डाल दिया और आधे कमर तक आया था कि वो अपना सलवार खोलने लगी
फिर वो नाइटी पूरे जिस्म को ढक,
कुछ ही देर में सलवार सरक कर पानी के पैरो में थी मगर उनकी गाड़ अभी भी ढकी हुई।
दिल के अरमान टूटे ही गया मानो ।
नानी ने आस पास देखा और फिर अपने कपड़े कचारने लगी , लंड भी अब उदास हो गए था मानो मेरे दिल की तरह ।
कुछ देर मै राह निहारता रहा और फिर नानी अंदर आने लगी
मै लपक कर बिस्तर में चादर डाल दिया
: ये देखो अब चादर भी , अरे दादा कितना मनबढ़ है ये लड़का .. शानू उठ जा बेटा ( नानी ने आवाज दी मै कुछ नहीं बोला बस कुनमुना कर करवट ले लिया )
जान रहा था कि अब जब नानी ने कपड़े निकाले है तो नाइटी में रहेंगी नहीं , पहनेंगी जरूर ।
इस उम्मीद में मै चादर से झांक रहा था कि मेरी फूटी किस्मत देखो , बहनचोद बिजली चली गई ।
कमरे में गुप अंधेरा , बस वो सरिए वाली खिड़की से जो रोशनी आ रही थी वही से नानी के कमर के ऊपर का जिस्म दिख रहा था ।
नानी ने झट से अपना नाइटी उतार दिया और वो पूरी नंगी , मगर किस्मत की बेवफाई देखो , नीचे कुछ नजर ही नहीं आ रहा था । सरिए वाली खिड़की और परदों से छन कर थोड़ी बहुत रोशनी जो कमरे में आ रही थी उसमें नानी की बड़ी बड़ी मोटी चूचियां दिख रही थी । एकदम मुलायम और कड़क , बड़ा उभरा हुआ पेट और बस हल्का सा कूल्हे का उभार ।
लंड और मै दोनो फिर से मचल कर रह गए ।
नानी ने ब्रा उठाई और पहनने लगी
जल्द ही उनकी चूचियां भी पर्दे ने हो गई और मेरी नाराज किस्मत ने तनिक भर उनकी गदराई जांघों की झलक तक नहीं मिलने दी , कब वो पैंटी और फिर उसके ऊपर सलवार चढ़ा ली पता नहीं चला , जैसे ही नानी सलवार का नाडा गठियाने लगी बिजली आ गई ।
: ये बेटा शानू उठ जा न ( नानी बिस्तर पर बैठे हुए थी बिना सूट के ब्रा में उनकी पीठ बहुत चौड़ी थी )
मेरी नजर मेरे आगे बिस्तर में 4 इंच तक धंस चुके नानी के बड़े भड़कीले चूतड पर थी , सलवार के नाडे के पास कमर के बीच में हलक सा उंगली भर का गैप था , जहां से नानी की गाड़ की दरारी दिख रही थी।
देखते ही लंड एकदम फौलादी हो गया पूरे बदन में ऐसी सरसरी फैली कि मै कसमसा कर अंगड़ाई लेने से खुद को रोक नहीं पाया ।
लोवर में बड़ा सा तंबू बना था ।
: उठ जा अब कितना सोएगा ( नानी ने शूट डाल लिया था और चादर खींच रही थी )
: उम्ममम लव यू नानी ( मै अंगड़ाई लेता हुआ और मेरे लोवर में जस के तस तंबू बना हुआ था । )
नानी की नजर उसपे गई तो वो मुस्कुराई और मेरे चूतड़ पर चटका मारते हुए : उठ बदमाश कितने ड्रामे करता है ।
: नानी रुको न ( मैने उनकी कलाई पकड़ ली )
: धत्त छोड़ मुझे काम करना है , तु भी उठ चल ( नानी कसमसा रही थी )
: नानी इधर आओ न ( मैने आंखो से इशारा किया )
मेरी आंखो में सेक्स का नशा उतर आया था और लंड पूरा लोहे का हुआ पड़ा था। में इसकी परवाह किए बिना कि नानी क्या सोचेंगी मस्त था।
: क्या है बोल ( वो झुक कर मेरे पास आई और उनकी मोटी मोटी चूचियां ऐसे लटक गई मानो सूट से बाहर ही आ जाएगी )
: किस्सी दो ... ( मैंने आंखे बंद अपने होठ आगे किए )
: क्या ? ( वो चौक कर मुस्कुराई मेरे फरमाइश पर ) धत्त बदमाश... मार खायेगा !! ( वो पूरी लजा गई )
: दो न उम्मम्म ( मैने लिप्स का पाउट किया और अगले ही पल उनके मुलायम ठंडे होठों ने हल्की सी पुच्ची दी )
लंड एकदम फड़फड़ा उठा और पूरी बदन में सिरहन सी फेल गई
: उठ अब नौटंकी कही का , जा फ्रेश होकर नहा ले ( नानी हस्ते हुए बोली और मै भी उठ कर फ्रेश होने पाखाने में चला गया )
नहाने के बाद मै कपड़े लेकर ऊपर छत पर गया और बगल में सटे हुए छत से गुलनार के घर की ओर देखने लगा , उसका भी घर एक मंजिला ही था और पीछे की तरफ दिवाल लंबी उठी थी मगर नहाने और रसोई का जगह सेम नानी के घर जैसा ही था ।
छत पर नानी के कपड़े अरगन पर लटके हुए थे , बड़ा पाटीलाया सलवार जिसे देखते ही नानी की बड़ी फैली हुई गाड़ याद आ गई ।
वही बगल के झूलती पैंटी , रहा नहीं गया और पास जाकर मैने उसको छुआ
नानी की धुली हुई पैंटी और भी रसीली नजर आ रही थी , थोड़ा सा करीब जाकर उसको सुंघा तो पूरे बदन में हरकत होने लगी ।
लंड एकदम रोड सा कड़क हो गया ।
मैने अपना जांघिया नानी ने पैंटी के बगल में लटका दिया और नीचे जा रहा था कि बगल वाली छत पर गुलनार भी आई
नहाई हुई गिले बाल , चमकती चढ़ती खिली हुई धूप में उसका सफेद टीशर्ट और चमक रहा था , नीचे धोती वाली पैजामी थी । बिना दुपट्टे के उसके सीने के उभार खूब उठे हुए दिख रहे थे ।
वो एक नजर मुझे देखी और बाल्टी वही रख दी । समझ गया कि वो कपड़े डालने में हिचक रही थी ।
: हाय गुड मॉर्निंग
: क्या !!! ( शायद उसने सुना नहीं ऐसे बोली वो )
: मैने कहा गुड मॉर्निंग ( मुस्कुरा उसके छत के करीब आकर बोला मै )
: ओह गुड मॉर्निंग ( वो बाल्टी में हाथ घुमा कर बड़े कपड़े निकाल कर फैलाने लगी )
: धूप अच्छी है न ( मैने बात करने की कोशिश की )
: हा अच्छी ही है , कपड़े सूख जाए बस ( वो मुझे नजरंदाज कर रही थी ये मै समझ गया )
: अच्छा बाद में मिलते है बाय ( मै उसको बोलकर निकला )
: हा बाय ( वो अजीब नजरो से मुझे देख रही थी )
तकरीब 4 से 5 साल का फर्क होगा मेरे और मुझमें , बाद में मुझे खुद ही अजीब लग रहा था कि क्यों मैने पहल की । अभी बच्ची है वो मेरे आगे । मगर उसके नारियल जैसे चूचे मेरे अरमान बड़े कर देते है उसका क्या ?
उधेड़बुन में मै नीचे आया तो नानी नाश्ता बना रही थी ।
: क्या बना रही हो नानी ( मै खटिए पर बैठ कर बोला )
: बस चाय पराठे , तुझे पसंद है न ( वो पूछी )
: हम्ममम
: नानी , अम्मी से बात हुई क्या ( मै थोड़ा भावुक होकर बोला )
: अरे हा , अभी तो फोन आया था उसका बात हुई । तेरे अब्बू परसो नए जगह शिफ्ट हो रहे है वो वही रहेंगी कुछ दिन ( नानी बड़ी खुश होकर बोली )
: मेरे बारे में नहीं कुछ कहा ( उदास लहजे में मै बोला )
: उसी ने कहा कि तेरे लिए पसंद का नाश्ता बना दु ( वो मुझे खुश करने के बोली ये मै समझ गया था )
: जी ( मै उठने लगा )
: अरे उदास मत हो , अभी वो बिजी है काम में , रात में बात करा दूंगी ठीक है ( नानी ने मेरे गाल सहलाए )
: जी ठीक है ( मै झूठी हसी चेहरे पर लाता हुआ बोला )
: अब मुंह मत बना , जल्दी से नाश्ता कर ले , तुझे यहां के बाजार ले चलती हु घुमाने ( नानी ने खुशी से बोली )
मुझे भी अच्छा ही लगा चलो इसी बहाने थोड़ा घूमना हो जाएगा
यहां आकर पूरा बोर हो गया हूं
कुछ देर बाद हम लोग तैयार हो गए थे
नानी भी अपने गदराई हुस्न को बुरखे से पर्दा करने की कोशिश की थी मगर बेकार थी । कूल्हे पर बुरका सलवार से भी ज्यादा चुस्त थी एकदम चिपकी हुई ।
: नानी आपको गर्मी नहीं होती कपड़ो के ऊपर से इसको डालते हो ( मस्ती के मैने बड़ी मासूमियत से सवाल किया था )
: होती तो है बेटा अब , मगर गैर मर्दो से पर्दा भी तो जरूरी है न ( नानी समझाते हुए बोली )
: हा लेकिन फिर भी मै अम्मी के साथ जाता हु तो लोग पहचान ही जाते है पता नहीं कैसे जबकि अम्मी चेहरे पर नकाब किए रहती हैं ( मैने जानबूझ कर नानी को उलझाया सवालों में )
: बेटा पहचानने वाले पीछे से भी पहचान ही लेते है ( नानी बोलते हुए हंस दी )
: मतलब ? पीछे से ( मैने जानबूझ कर नानी के पीछे उनके चौड़े चूतड़ देखा)
: धत्त बदमाश क्या देख रहा है तू वहा , सीधा चल अब ( नानी ने सड़क पर चलते हुए डांट लगाई )
: हीहीहीही ( मै हसने लगा )
: क्या हुआ तुझे इतना हस क्यों रहा है ( नानी ने सवाल किया )
इस समय हम ऐसे जगह से गुजर रहे थे जहां कुछ दूर तक लोग नहीं थे ।
: कुछ नहीं , अब मै भी आपको पीछे से पहचान लूंगा हीहीहीही ( मै मस्ती में खिलखिलाया )
: तू मार खायेगा , गंदा लड़का । तू तो ऐसे कह रहा है जैसे मेरे जैसे किसी और के नहीं होंगे ( नानी थोड़ी लजाई)
: मैने तो नहीं देखे नानी इतने बड़े ( हौले से नानी के कूल्हे छू कर बोला तो नानी ने हाथ झटक दिया )
: पागल है क्या , कोई देख लेगा । चुप चाप चल सीधा होकर ( नानी ने डांट लगाई मगर मुझे पता था कि नानी अपने बड़े चूतड़ों के लिए इतराती खूब होगीं ) खैर हम करीब 500 मीटर पैदल चल एक दूसरे गांव के चौराहे पर आ गए थे । बाजार के नाम वहां सड़क किनारे रेडी - ठेलों पर दुकानें लगी थी ।
मै पहली बार आया था इधर , किसी ठेले पर आंटी तो कही पर मर्द , कुछ जमीन पर सब्जी लगाए थे तो कुछ गर्मागर्म जलेबिया पकौड़े तल रहे थे । फुल्की चाट के ठेले से तवे पर कट कट की आवाज के साथ चाट वाला बजा बजा कर औरतों और लड़कियों को बुला रहा था । सालों बाद ऐसा नजारा देख था ।
मगर असल नजारा नानी अपने जिस्म पर बांधे ले चल रही थी , हर दूसरा मर्द नानी के भारी बदन और चौड़े कूल्हे को देख रहा था । अजीब सी गुदगुदी हो रही थी भीतर , लंड एकदम फड़फड़ाने लगा । तभी नानी मुझे लेकर एक किराना दुकान पर गई ।
: अरे काकी आइए आइए ( दुकानदार ने नानी को स्टूल उठा कर दिया बैठने को )
: कैसे हो बब्बू ...( नानी स्टूल पर बैठते हुए बोली )
: ठीक हु काकी , परसो गया था आपके उधर गेट पर ताला था ( दुकान दार ने मुस्कुरा कर कहा तो नानी के चेहरे के भाव में हड़बड़ाहट हुई )
: अह् हा परसो तो मै फरीदा के यहां गई थी , ये मेरा नवासा है शानू ( नानी ने परिचय कराया )
: नमस्ते मामू ( मै भी रिश्ते बनाने में एक्सपर्ट था या कहो इतनी समझ तो थी कि ननिहाल में अब्बू के उम्र के मर्द को मामा ही कहा जाता है )
: खुश रहो रहो , बड़ा होनहार बच्चा है काकी ( बब्बू ने तारीफ की ओर घर में किसी को पानी के लिए बोल दिया )
कुछ देर बाद एक लड़का ठंडा ठंडा पानी और ग्लास लेकर आया
: अरे बब्बू इसकी क्या जरूरत थी ( नानी ने कहा )
: काहे जरूरत नहीं है काकी , भांजा आया है पहली बार । ले बेटा पानी पी ( बब्बू ने गिलास बढ़ाया और एक पैकेट क्रीम वाली बिस्किट फाड़ कर आगे रख दी )
मै भी धूप में चल कर थका था , गटागट दो ग्लास पानी हलक से उतार दिया ।
: उम्मम कितना ठंडा है , फ्रिज का है क्या ( नानी भीतर से सिहर उठी )
: हा गर्मी है तो फ्रिज का ही रहा होगा ( बब्बू हस कर बोला )
: मुझे तनिक दिक्कत होती है , अच्छा मेरा हिसाब कर लिख दे इसके मामू आयेंगे तो पैसा दे देंगे ।
: क्या काकी , तुमसे कभी कुछ कहा क्या मैने । और अब तुम थोड़ा आराम करो , नवासा आया है अब इसी को भेजना समान लेने ( बब्बू ने हस कर कहा )
: क्यों बेटा देख लिया है न ( बब्बू ने मुझसे कहा )
: जी मामू ( मै मुस्कुरा कर बोला )
: अच्छा चलती हूं ( नानी उठते हुए बोली )
: नमस्ते मामू ( मै झोला लेकर बाहर आया )
फिर नानी सब्जी के दुकान से सब्जी लेने लगी
: अरे ठीक ठीक लगाओ , हमारे गांव में भी फेरी वाली आते है
: लंबा लंबा दो हरा हरा ( नानी ने खीरे तौला रही थी और पीछे से उनकी गाड़ ये हवा में उठी थी । लंड मेरा अकड़ रहा था । )
आस पास देखा तो हमारे पीछे वाला आदमी वो भी सब्जिया बेच रहा था वो कांटा कम नानी के बड़े भड़कीले चूतड़ों पर नजर रखे हुए था।
फिर हमने सब्जी ली और निकल गए घर के लिए
एक झोला मै पकड़े था और दूसरा नानी ने
गांव से बाहर हम लोग जल्दी पहुंचने के लिए सड़क न होकर पगडंडी से अपने गांव के लिए जा रहे थे ।
आसपास अरहर सरसों गेहूं की फसल तैयार खड़ी थी बीच से हम जा रहे थे ।
: शानू !!
: जी नानी ( मै आगे आगे चल रहा था और नानी पीछे थी )
मै घूमकर उनके पास आया
: बेटा ये झोला लेकर आगे चल मै आती हूं ( नानी के चेहरे के भाव देखकर मै समझ गया कि उन्हें पेशाब लगी थी )
: हाथ दुख रहा है आपका भी ( मै उनसे कबूलवाया)
: हा वो मुझे पेशाब लगी है , बब्बू ने फ्रिज का पानी पिला दिया । नुकसान करता है मुझे ( नानी ने अपना दुखड़ा बताया )
: हा नानी मुझे भी लग रही है ( आज तो मैने तय कर लिया था कि नानी की नंगी फैली हुई गाड़ देख कर दम लूंगा )
: ला झोला दे मुझे , उधर खेत में कर ले ( नानी ने बाजी मारी )
मै उन्हें झोला देकर थोड़ा सा सरसों की खेत में उतर कर पेंट खोकर मूतने लगा , अह्ह्ह्ह गजब का आराम मिल रहा था लंड को कबसे अकड़ कर रोड हुआ पड़ा था पेंट में ।
मै मूत कर को किसी तरह पेंट में डाला ,मगर मेरा लंड अभी भी अकड़ा हुआ ।
: लाओ नानी आप करके आओ अब मै आगे हु ( मैने झोला ले लिया और आगे चलने लगा बिना पीछे देखे )
जान रहा था अगर नानी को मेरे करतूतों के बारे में पता है तो जरूर मुझे वो अभी पीछे से देख रही होंगी , । मुझे कुछ दूर तक बिना घूमे आगे चलते रहना होगा और थोड़ी देर बाद मैने घूम कर देखा तो नानी अब सरसों के खेत में उतर रही थी ।
बस मै मुस्कुराया और वही पर सामान का झोला रखा थोड़ा एक दो समान झोले के बाहर। दूसरा झोला थोड़ा और आगे उसमें से कुछ सब्जियां बिखेरी ।
फिर तेजी से नानी की ओर भागा उन्हें आवाज देता
: नानीइईईई सांड नानीइईईई ( मै भागता हुआ उन्हें आवाज देता हु उनकी ओर गया )
मै उनके पास रुका भी अभी आगे क्रास कर गया और भागते हुए क्या मस्त नजारा था
बड़े बड़े हाउदे जैसे नंगे गोल मटोल चूतड और गदराई जांघो के बीच झांटों के बीच से मूत की मोटी छरछराती धार ।
मेरी आवाज सुनकर नानी एकदम से चौक गई मै दूसरी तरफ से उन्हें आवाज देने लगा
: नानी भागो सांड आ रहा है
: क्याआआ ? ( नानी एकदम से हड़बड़ाई ) बेटा रोक उसे मै आ रही हु
: नानी मुझे दूसरी ओर गर्दन करके देख रही थी जबकि मै दूसरी ओर से उन्हें देख रहा था
अह्ह्ह्ह्ह क्या मस्त नजारा था नानी के नंगे चुतड़ देखकर मै अपना लंड पेंट के ऊपर से मसलने लगा ।
नानी जल्दी से उठी और सलवार बांधती हुई पगडंडी पर आई
: शानू !!
: जी नानी ( मै भागता हुआ आया )
: तू ठीक है और समान कहा है ( नानी ने फिक्र की
: वो तो आगे ही छोड़ कर भागा था मै , दौड़ा लिया था मुझे ( मै पसीना पसीना होते हुए बोला )
: मुझे आना नहीं चाहिए था , देख कही वो मुंह न लगा दे समान में
मै भाग कर आगे गया और नानी भी दौड़ती हुई आई ,उनकी मोटी चूचियां सूट में खूब उछल रही थी ।
सारा क्राइम सीन मैने पहले से ही सेट कर रखा था , जिससे नानी को शक न हो
: अरे दादा सब गिरा दिया है ,उठा जल्दी
: जी नानी ( मैने फटाफट से समान उठाया और फिर हम आगे चलने लगे )
: कहा गया , दिख नहीं रहा ( नानी ने सांड के बारे में सवाल किया )
: पता नहीं उधर से भागते हुए आ रहा था , एक बाग की ओर मैने इशारा किया
: सच में आया था न कि तू ... ( नानी बोलते हुए चुप हो गई और मै समझ गया कि नानी को बेवकूफ बनाना इतना भी आसान नहीं होगा)
: नानी अब आप भी अम्मी मत बनो प्लीज ( मैने भी थोड़ा ड्रामा किया और रूठने का नाटक किया )
: अरे मै मजाक कर रही थी , वैसे तू आजकल बहुत शरारती हो गया है तेरा कोई भरोसा नहीं ( नानी ने हस कर मुझे छेड़ा )
मै आगे चलते हुए मुस्कुरा और बिना कुछ बोले चलता रहा ।
: कमीना कही का ... ( नानी की हल्की फुसफुसाहट मेरे कानो में आई और मै खुश हो गया )
हम घर वापस आ गए थे ।
नानी सब्जियां समान अलग कर रही थी । दोपहर के खाने की तैयारी हो रही थी ।
: ये पकड़ और गुलनार के यहां देकर आ ( नानी एक टिफिन में बब्बू की दुकान से लिए हुए बर्फी के पैकेट से 8-10 बर्फी और एक कुछ गरी के लड्डू रख कर मुझे देते हुए बोली )
: जी ठीक है ( गुलनार के यहां जाने का सोच कर ही दिल खुश हो गया )
मै आगे बढ़ा ही था कि नानी ने मुझे पीछे से टोका
: नहीं रुक , तू रहने दे मै दे आऊंगी अभी ( नानी ने एकदम से मुझे चौंकाया और मेरे उमड़ते जज्बात शांत हो गए )
: क्यों क्या हुआ , अच्छा ठीक है मै नहीं देखूंगा उसकी ओर ( मैने सफाई दी )
: धत् पागल है तू भी , ठीक है जा लेकिन आवाज देकर ही घर जाना ( नानी ने हस कर कहा )
: ठीक है ( मै खुश होकर निकल गया )
घर से बाहर आकर मैने उसके घर का गेट खोला और चुपचाप चला गया
बार बार ये बात मुझे खटक रही थी कि क्यों नानी ने मुझे जाने से रोका और आवाज लगा कर ही घर में जाने को कहा ।
: कही दिलावर मामू , मामी के साथ दिन में ही तो नहीं लगे होंगे अह्ह्ह्ह ऐसा कुछ देखने को मिल जाए तो लंड निचोड़ लु कितना समय हो गया है मूठ मारे ( पेंट के ऊपर से लंड मसलने लगा मै )
धीरे धीरे बरामदे से होकर एक गलियारे से मै भीतर गया । एकदम सन्नाटा था सब ओर मै आगे बढ़ने लगा और देखते ही देखते मै पीछे हाते की तरफ आ गया ।
तभी मुझे जीने के नीचे पानी के मोटर चलने की आवाज आई
बगल में देखा तो एक पुरानी लकड़ी के दरवाजे वाले बाथरूम के नीचे से झाग और पानी बाहर आ रहे थे ।
मतलब कोई नहा रहा था और ये सोच कर कि पूरे घर में कोई नहीं है
जरूर गुलनार की अम्मी होंगी । आखिर गुलनार जब इतनी हसीन और खूबसूरत है तो उसकी अम्मी के बारे में सोच कर मै पागल हो उठा ।
रहा नहीं गया मुझसे और मै लपक कर बाथरूम के पास गया ।
दरवाजा पुराना था बहुत छेद थे उसमें
एक आंख करीब लेकर गया तो आंखे फटी की फटी रह गई
बाथरूम में तो गुलनार थी । उफ्फ क्या कयामत लग रही थी । गोरा चमकता बदन , नंगे बड़े बड़े रसीले मम्में नारियल जैसे बड़े और चूत के पास झांटों की झुरमुट ।
देह पर हर तरफ साबुन लगा था वो अपने जिस्म को मल रही थी ।
: यार ये फिर से क्यों नहा रही है , सुबह देखा तो नहाई थी ( खुद से मन में बड़बड़ाते हुए मैने अपना लंड सहलाया )
: अब्बू , अब्बू ? ( एकदम से गुलनार ने आवाज देना शुरू कर दिया )
मेरी फट के चार हो गई , कही अगर दिलावर मामू ने मुझे यहां देख लिया तो लंड के साथ मुझे भी काट के फेक देंगे ।
कहा जाऊ कहा जाऊ
मेरी नजर जीने पर गई और मै लपक कर जीने पर हो लिए , जीने की ओर भागने का कारण था कि जीने की सीढ़ियों पर 3 फिट की दिवाल भी उठी थी चढ़ने उतरने के लिए ।
मै लपक कर उसकी ओट में हो गया
: क्या हुआ गुड़िया ( दिलावर एक बनियान और लूंगी में उसी गलियारे से बाहर आया )
बड़ा कसा गठीला बदन , थोड़ी बड़ी दाढ़ी आवाज में भी भारीपन ।( जीने में एक मोके से उसकी पर्सनैलिटी देख कर ही मेरा लंड मुरझाने लगा ।)
: अब्बू वो रेजर ( बाथरूम का दरवाजा खोलकर उसकी ओट में खड़ी होकर गुलनार बोली )
: मै कर दु ( दिलावर मामू ने हाथ बढ़ा कर सीधा गुलनार ने रसीले मम्में छुए)
: उम्मम अह्ह्ह्ह्ह नहीं अब्बू ( वो छटक कर पीछे हो गई )
: हाहा , ले साफ कर ले देखना कटे नहीं ( दिलावर मामू ने एक रेजर बाथरूम में दिया और हाथों से कुछ हरकत की जिससे गुलनार की कुमुनाहट आई )
लंड मेरा आज अलग ही जोश में था
: ओह बहनचोद इसका मतलब कल रात दिलावर मामू गुलनार की अम्मी को कही , अपनी बेटी गुलनार को .... ( मै खुद से बड़बड़ाया)
इससे पहले मै पकड़ा जाता मै घर में जाकर जीने से ही ऊपर छत पर आ गया ओर फिर चारदीवारी फांद कर अपने छत पर आ गया । फिर जीने से नीचे उतर रहा था कि सामने नानी खड़ी ।
मेरे हाथों में टिफिन जस का तस था चेहरा मेरा पसीना पसीना हुआ था और लंड पेंट ने पूरा रोड हुआ पड़ा था ।
सवाल कई थी और इसका जवाब सिर्फ नानी ही दे सकती थी ।
जारी रहेगी
कृपया पढ़ कर अपने महत्त्वपूर्ण समीक्षाओं भरे उत्तर जरूर दे
इंतजार रहेगा मुझे
मै समझ गया था कि मेरी चोरी कही न कही पकड़ी ही गई । मेरे पास अब कोई बहाना नहीं था कि मै क्यों गेट से न होकर बल्कि गुलनार की छत फांद कर जीने से नीचे आया था ।
डर लग रहा था कि नानी क्या सोचेंगी क्या कहेंगी , अम्मी के आगे मै पूरी तरह नंगा हो चुका था अब नानी भी शायद मुझे वैसा ही कुछ व्यवहार करेंगी ।
: बोला था तुझे न कि आवाज देकर जाना अंदर ( नानी ने कमर पर हाथ रख कर गुस्से में मुझे घुरा )
: जी सॉरी नानी ( मैने नजरे फेरते हुए कहा )
: क्या देखा तूने वहां उम्मम ( नानी ने सवाल किया )
: नानी वो दिलावर मामू गुलनार को ... ( मै हिचक रहा था बताने में )
: अरे दादा बोला था न तुझे आवाज देकर जाना , इधर आ तू ( नानी मुझे खींच कर अंदर ले गई )
मै डरा हुआ कमरे में आया
: देख बेटा तू मुझसे वादा कर तूने जो कुछ भी देखा उस बारे में तू किसी से बात नहीं करेगा । खा मेरी कसम ( नानी ने मेरा हाथ अपने सर पर रख दिया )
: ज जी नानी नहीं कहूंगा ( मै अचरज से बोला ) लेकिन वो ...
: हा बेटा जानती हु तूने जो कुछ देखा वो समाज की नजर में ठीक नहीं है मगर वो दोनों इसमें खुश है और बिन मां की बेटी है गुलनार । ( नानी खुद ही मुझे सफाई दे रही थी )
: लेकिन नानी आपको नहीं लगता कि गुलनार अभी इनसब के लिए बहुत छोटी है ( मै थोड़ा हिम्मत कर सवाल किया क्योंकि कही न कही इस जवाब के साथ मुझे मेरा स्वार्थ सिद्ध करना था )
: वैसे तू भी बहुत सारे कामों के लिए छोटा है , मगर मनमानी करता है न ( नानी ने मेरे ही सवाल का थप्पड़ जड़ा मुझ पर )
: सॉरी नानी , मुझे आपकी बात मान लेनी चाहिए थी पर पता नहीं क्यों मै खुद को रोक नहीं पाता ( मै नानी के पास आकर उनके कंधे पर सर रख कर बोला )
: ये उम्र ही ऐसी है , सब भटक जाते है बेटा मगर तुझे तेरा भविष्य संवारना है न ( नानी मेरा गाल छू कर बोली )
: हम्मम ( मै भी हुंकारी भरी )
: मेरा प्यारा बेटा उम्ममाह ( नानी ने गाल पर चुम्मी ली तो मैने भी हस कर पोंछ दिया)
: उम्म्माह्ह यह्ह्ह्ह ( नानी ने दूसरे गाल पर चुम्मी लेकर जीभ से गिला भी कर दिया ) और पोंछेगा मेरी चुम्मी ( नानी हस्ती हुई बोली )
: इसपर दो नहीं पोछुंगा हीहिही ( मैने लिप्स पर उंगली रख कर बोला )
और नानी ने मेरे दोनों गाल पकड़ कर मेरे लिप्स चूम लिए
: वाव नानी आपके लिप्सी कितनी मुलायम है फिर से करो न ( मैने छेड़ा उनको )
: धत्त बदमाश कही का ( नानी लजाई और मै हस दिया )
: ऐसे ही तू तंग करता था फरीदा को इसीलिए वो तुझे नहीं लेकर गई ( नानी हस्ते हुए बोली )
: आ कितना झूठ बोलती हो , मै नहीं वो मुझे .... तंग करती थी ( भुनभुनाते हुए मैने अपनी बात पूरी की )
: अच्छा तो फिर वो जो फरीदा के कमरे में तांक झांक करता था और उसपे नजर रखा था वो सब क्या था बोल ( नानी ने मुस्कुरा कर कही )
: वो सब मेरे लिए नया था ... मतलब ऐसा कुछ कभी मैने देखा सुना नहीं था । अम्मी है भी कितनी चुलबुली और अब्बू से ऐसी बाते करती थी कि मुझे सुनने का मन करता था और कभी कभी नजर पड़ जाती थी । बस ( मैने सफाई देते हुए कहा )
: बस .. उम्मम बस ( नानी ने हस कर बोली )
: हम्म्म और क्या ? ( मै उनके हस्ते चेहरे को देखकर लजाते लगा , मेरे गाल हसने लगे )
: बहुत मार खायेगा , बताया था फरीदा ने तू उसके कपड़े चुरा कर क्या करता था बाथरूम ( नानी मुस्कुरा कर बोली और मै शर्मिंदा हो गया )
: माना कि तू अब बड़ा हो रहा है लेकिन अब क्या तू अपनी अम्मी के बारे में ऐसा सोचेगा उम्मम ( नानी समझाते हुए बोली )
: मै क्या करूं ... ना मेरे दोस्त है और कोई मुझे बताने समझाने वाला । पूरा दिन अम्मी के साथ रहूंगा तो ... ( मै बोलते हुए चुप हो गया )
: हम्मम फिर भी ये अच्छी बात नहीं है बेटा , वो तेरी अम्मी है न तुझे रिश्तों की अहमियत सीखनी होंगी ( नानी मेरे सर सहलाती हुई बोली ) ऐसे रिश्ते बहुत नापाक होते है बेटा ।
: तो फिर दिलावर मामू भी तो गलत ही हुए न ? ( मैने मासूम सा सवाल किया )
: अब ... देख बेटा कुछ रिश्ते आपसी सहमत और जरूरत से बनाए जाते है और अगर उसमें दोनों की रजामंदी है । और फिर गुलनार और दिलावर का निगाह भी हो चुका है ।
: क क्या ??? ( नानी की बात से मै चौका)
: हम्मम गुपचुप वाला ही है मगर हुआ है , गुलनार की अम्मी के गुजरने के बाद दिलावर ने शराबी रवैए ने गुलनार का जीना मुश्किल कर रखा था और वो अपनी हवस में अंधा होकर अपनी बेटी के लिए पागल हो गया था । बार बार उसके कमरे में चले जाना , नहाते हुए देखना इससे तंग आ गई थी और फिर जब गुलनार नहीं होती तो वो हराम का जना जीने पर आकर मुझे नहाते देखता , फिर एक रोज मैं गुलनार के लिए हलवा बना कर ले गई थी तो मैने उन्हें आपत्तिजनक हाल में देख लिया ।
: कैसे हाल में ?? ( मै अजीब सा मुंह बना कर बोला , मतलब तो मुझे पता था मगर मुझे नानी से कुछ सुनना था )
: वो दिलावर गुलनार को अपनी गोद में बिठा कर उसके दूध पी रहा था ( नानी थोड़ा हिचक कर नजरे चुरा कर बोली )
: फिर ( मै हलक से थूक गटक कर बोला )
: फिर गुलनार को लेकर मै अपने घर चली आई और जब दिलावर का नशा उतरा तो वो आया मेरे घर उसने अपने अकेलेपन के बारे में मुझसे बात की , मैने गुलनार की इच्छा पूछी तो वो अपने अब्बू को खुश देखना चाहती थी इसीलिए मैने एक काजी से बात कर मेरे घर के ही उनका निगाह पढ़वा दिया और तबसे वो दोनों ... ( नानी बोलते हुए चुप हो गई )
ताज्जुब की बात थी और दिल नानी के खुश भी था कि उन्होंने समस्या का तोड़ निकाल कर वाजिब ढंग से उसे सुलझाया और इससे उनका ईमान नहीं डोला। हालांकि अकेलापन तो उन्हें भी था ।
: नानी एक बात पूछूं ( मै थोड़ा हिचक रहा था )
: हा बोल न बेटा ( नानी मुस्कुराई )
: वो ... नानू को गुजरे इतने साल हो गए तो आपको अकेलापन महसूस नहीं होता ( मैने हिम्मत कर पूछ तो लिया मगर अब मेरी फटी हुई थी कि नानी क्या सोचेंगी क्या जवाब देंगी । कही अम्मी की तरह थप्पड़ न पड़ जाए । दिल जोरो से धकधक हो रहा था और लंड में साला इस सवाल से अलग ही तरंगें उठ रही थी । )
: धत्त पागल कही का ( नानी एकदम से लजा गई )
उन्हें हंसता लजाता देख मेरे भीतर का डर फुर्र हो गया और लंड फूलने लगा कि शायद अब नानी भी अपने बारे में कुछ बताए
: क्या नानी बताओ न प्लीज ( मैने उनके बाजू में हाथ डाल दिया और जिद करने लगा )
: हीहीहीही शानू छोड़ मारूंगी अब , बदमाश क्या पूछ रहा है ये सब तू ( नानी हस्ती हुई बोली )
: बताओ न प्लीज ... मुझे जानना है आप नहीं बताओगे समझाओगे तो फिर किससे पूछने जाऊ मै ( मैने उनको लपेटा)
: पागल है तू , इस उम्र में मुझे दो वक्त की रोटी बना खा कर जी लू इससे ज्यादा क्या ही चाहिए और मुझे तो लगता है कि तेरा निगाह भी जल्द से जल्द करना पड़ेगा अब । तो खुद ही सारे सवालों के जवाब खोज लेना पागल कही का ( नानी हस्ती हुई बोली )
: क्या नानी बात मत घुमाओ ( मैने उनको फिर से बात में उलझाना चाहा )
: चल छोड़ मुझे झाड़ू लगाना है सांझ हो रही है ( नानी उठ गई और हस्ती हुई निकल गई )
मै समझ गया कि नानी का अपना कुछ घरेलू जुगाड़ होगा ही , भला उम्र से वासना का क्या लेना देना । इतनी समझ तो थी मुझमें ।
नानी उठी और झाड़ू लेकर पीछे हाते में झाड़ू लगाने लगी ।
अह्ह्ह्ह बड़ी चौड़ी गाड़ फैला कर वो बैठे हुए थी , सूट पर कचरा धूल न लगे इसीलिए उसको वो अपने आगे खोसे हुए थी जिससे पीछे से गाड़ का शेप पूरा बिजिबल था और कमर के पास लास्टिक से झांकती चौड़ी दरार देखकर लंड में सुरसुरी होने लगी ।
मैने हौले से मसल दिया अपना मूसल
नानी ने झाड़ू लगा कर उठी और सलवार सूट सही कर बर्तन साफ करने लगी ।
सांझ हो रही थी कि गेट पर फिर से गुलनार की आवाज आई
: जा देख गुलनार आई होगी , खोल दे गेट ( नानी चूल्हे के पास बैठी हुई बोली और मै उनके लजीज चूतड़ों को छोड़ कर खटिए से उठ गया )
बाहर आया तो देखा गुलनार ही थी
मैने गेट खोला
: दादी है ? ( वो मुझे देख कर बोली )
: क्यों नहीं होंगी तो नहीं आओगी ( मै धीरे से बुदबुदाया )
: क्या ?? ( उसने सुना नहीं या फिर ना सुनने का नाटक किया )
: हा हैं जी , जाओ ( मैने मुस्कुराया )
वो चहकती हुई निकल गई ,
आज उसने ब्लैक सूट सलवार पहना था । एकदम नई
मै गेट लगाकर आया
: कब तक वापस आएगी ( मै पहुंचा तब तक उनकी बातें शुरू हो गई थी )
: दो तीन रोज में वापस आ जाऊंगी , तबतक आप अब्बू के खाने पीने का देख लोगी क्या दादी प्लीज ( वो मिन्नते करते हुए बोली )
: हा रखूंगी लेकिन उसको बोलना कि पीकर घर नहीं आएगा तभी ( नानी हस कर बोली )
: हिहीही ठीक है , ओके बाय दादी
: बाय ( मैने हाथ उठा कर उसको देख मगर उसने मेरी ओर देखा भी नहीं )
साला इतनी भी बुरी सूरत नहीं थी मेरी या फिर वो ही कुछ ज्यादा चालाक थी । जरा भी भाव नहीं दिया , कम से कम बाय का उत्तर तो दे देती ।
: हाथ नीचे कर ले वो चली गई ( नानी मजे में बोली )
: कहा गई ( मै अभी उसके बारे में ही सोच रहा था )
: अपने खाला के यहां जा रही है , यही पास में ही एक गांव है ( नानी बड़े कैजुअली होकर बोली और सब्जी चलाने लगी )
: चलो ये इंटरटेनमेंट भी गया ( मै हल्का सा फुसफुसाया )
: क्यों उसी से तेरा दिल लग रहा था क्या तेरा यहां उम्मम ( नानी ने झट से मेरी बात पकड़ ली , मतलब वो मेरी बुदबुदाहट भी सुन ली थी )
: क्या ? नहीं तो वो तो अभी छोटी है आप भी नानी ( मै ब्लश करता हुआ मुस्कुराया )
: हा तुझे तो अधेड़ उम्र की मोटी भैंस जैसी औरतें ही पसंद है क्यों ( नानी ने मेरे मजे लिए )
: खबरदार मेरी नानी को भैंस कहा तो ... ( मै बोल कर खिलखिलाया )
: पागल कही मारूंगी तुझे , मुझसे ही मजाक करता है ( नानी कलछी उठा कर दिखाती हुई बोली )
मै हंसता रहा
कुछ देर बाद खाना भी तैयार हो गया और हम दोनो खा पी कर बिस्तर पर ।
एकदम चुप्पी थी हमारे बीच , पंखे की हनहनाहट ही आ रही थी
आज तो गुलनार की सिसकियां भी नहीं सुनने को मिलनी थी कि लंड सहला पाऊं और नजारा ऐसा कुछ देखने को भी नहीं हो पा रहा था कि झाड़ लू और सो पाऊं।
: बात करेगा करूं फोन तेरी अम्मी को ( नानी के कुछ देर बाद बोली )
रात के करीब 9 बज रहे थे लेकिन गांव के हिसाब से लेट हो ही गया था ।
और अम्मी का नाम आते ही मूड फ्रेश हो गया ।
: हम्म्म नानी लगाओ न ( मै घिसक कर नानी के पास करवट होकर चिपक गया )
: हम्म्म रुक लगा रही हूं ( नानी तकिए के पास से मोबाइल निकाल कर अम्मी का नंबर खोजा और डायल कर दिया )
रिंग जा रही थी और मेरी धड़कने तेज हो रही थी ।
काल पिक हुआ
: सलाम अम्मीईह ( अम्मी की बातों में थकान सी खनकी )
: खुश रहो , और कहो कैसी हो ( नानी ने सवाल किया )
: बस अच्छी हु अम्मी , यही अभी खाना बना कर बैठी हूं उम्मम ( अम्मी की आवाज में मदहोशी साफ झलक रही थी और मै समझ गया जरूर अब्बू लगे हुए है । अम्मी के बारे में सोच कर ही लंड फैलने लगा लोवर में )
: अच्छा सुन वो शानू तुझसे बा...
: अम्मी बस 10 मिनट में फोन कर रही हूं, बस 10 मिनट ( अम्मी जल्दी जल्दी बोली और फिर फोन पर चुप्पी सी छा गई मेरा चेहरा उतर गया अम्मी ने जैसे मेरा नाम सुनते ही फोन काट दिया हो )
: कोई बात नहीं अभी करेगी ( नानी मुझे दिलासा देते हुए मोबाइल किनारे रखने लगी कि मेरी नजर स्क्रीन पर गई फोन अभी भी चालू था )
: नानी फोन तो चल रहा है ( मै उनके हाथ से मोबाइल लिया )
मुझे हल्की फुल्की आवाजे आ रही थी मै कौतूहल बस फोन स्पीकर पर कर दिया
फोन पर उधर की बातें आने लगी
: तो खुद क्यों नहीं मांग लेते, वो भी तो आपकी ही है उम्मम अह्ह्ह्ह्ह आराम से ( फोन पर अम्मी की सिसकियां आने लगी )
: अह्ह्ह्ह्ह मेरी जान कितना बड़ा और रसीला है ओह्ह्ह्ह ( अब्बू बोले )
: किसका मेरा या अम्मी का ( अम्मी सिहर कर खिलखिलाई )
यहां मेरा लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और नानी एकदम चुप थी
: तेरी अम्मी के बड़े बड़े चूतड़ अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह फरीदा अह्ह्ह्ह ( अब्बू और कुछ बोलते नानी ने लपक कर मोबाइल छीना और फोन काट दिया )
: अरे .. काट क्यों दिया ( मै हड़बड़ा गया )
: चुप कर , जैसा बेटा वैसा बाप दोनो ... ( नानी गुस्से में बोली और चुप हो गई )
: अब इसमें मेरी क्या गलती ... मुझे क्यों डांट रहे हो । मैने थोड़ी न आपके .. बारे में कुछ बोला है ( मै अपना पक्ष रखता हुआ बोला )
नानी चुप थी कुछ देर तक और करीब ऐसे ही 15 से 20 मिनट तक बीत गए ।
: सो गया क्या ? शानू ? ( नानी ने आवाज दी )
: क्या है बोलो ( मैने घुड़क कर जवाब दिया )
: अच्छा सुन
: हम्मम बोलिए ( मैने अभी भी अपनी नाराजगी जाहिर की )
: तो क्या घर पर फरीदा और तेरे अब्बू ऐसे ही बातें करते है ... मतलब फोन पर या फिर आमने सामने ( नानी थोड़ा अटक कर मुझसे पूछी और मै खिल गया एकदम से )
: हा अक्सर उनकी बातें ऐसी ही होती थीं, मगर मैने आज पहली बार अब्बू को आपके बारे में ऐसा कुछ कहते सुना नहीं तो वो हर बार अपनी ... ( मै चुप गया )
: क्या ? हर बार क्या ? बता न ( नानी अब उत्सुक दिख रही थी । )
: वो ज्यादातर अब्बू अपने फूफी के बारे में बाते करते थे ( मै भी झिझक कर बोला )
: क्या ? फूफी के बारे में हीहीही पागल ( नानी को ना जाने क्या हुआ वो खिलखिला कर हसने लगी )
: हा , और अक्सर अम्मी नकाब पहन कर अब्बू की फूफी बनने का नाटक करती और फिर वो लोग मिलकर वो सब करते थे ( मै बड़ी मासूमियत से सारी बातें कह गया )
: क्या ? फरीदा ऐसा भी करती है ( नानी चौक कर बोली )
: हा आप भी चौक गई न , मै भी ऐसे चौक गया था पहली बार जब अम्मी को सिर्फ बुरखे में अब्बू के आगे वीडियो काल पर नंगी होते देखा था और अब्बू कह रहे थे कि... ( मै फिर रुक गया )
: क् क्या कह रहे थे तेरे अब्बू, बोल न ( नानी की चढ़ती सांसे साफ पता चल रही थी और उनके दिल की तेज धड़कने मै करीब से महसूस कर पा रहा था )
: वो अब्बू फोन पर कह रहे थे कि फूफी अपने अक्कू को अपनी बड़ी सी गाड़ दिखाओ न अह्ह्ह्ह्ह कितना बड़ा और रसीला है
: धत्त गंदा ( नानी एकदम से हंसी)
: सच में वो ऐसा ही बोले थे और फिर अम्मी उनके आगे अपना बुरका उठा कर अपने बड़े बड़े चूतड़ खोल कर दिखा रही थी हाथ से फैला कर ( अम्मी के नायब भड़कीले चूतड के बारे बता कर मेरे गले में पानी आने लगा , लंड तो जैसे टपक ही पड़ा )
: और क्या कह रहे थे तेरे अब्बू ( नानी की सांस चढ़ रही थी )
: वो कह रहे थे कि वो बचपन से ही अपनी फूफी के मटके जैसे चूतड़ों के दीवाने है ( मैने अपनी बात कही )
: ये तो पता ही है मुझे , बहुत बदमाश था अक्कू बचपन में ( नानी बोली )
: क्या मतलब ? आपको कैसे पता अब्बू बचपन में कैसे थे ? ( मै एकदम से चौक गया )
: मुझे कैसे पता हीहीहीही पागल मै ही तो तेरे अब्बू की फूफी हूं ( नानी है कर बोली )
: क्या ? ( मेरा माथा एकदम से घूम गया )
: इसका मतलब आप और अब्बू के अब्बू मतलब दादू भाई बहन हो ?( मै हैरान होकर सवाल किया )
: हम्म्म ( नानी ने हुंकारी भरी )
: सगे ?
: हा दादा सगे , क्यों क्या हुआ ( नानी बोली )
: मतलब ने अब्बू ने अपनी सगी बुआ की लड़की से शादी की है , अपनी बहन से ? ( मै हैरान होकर बोला )
: हा क्यों क्या हुआ ( नानी बड़े कैजुअली बोली )
: अरे फिर तो अब्बू और अम्मी भाई बहन हुए न तो निगाह कैसे ?
: अरे पागल ऐसा कुछ नहीं है, हमारे यहां ऐसा होता है फूफा मामा में रिश्ता हो जाता है और जब फरीदा हुई तभी तेरी दादी यानी मेरी भाभी ने कह दिया था कि फरिदा का निगाह तेरे अब्बू से ही होगा ।
: ओह गॉड , तो क्या सारा टाइम अब्बू आपके बारे में आपके भड़कीले चूतड़ों के बारे में ...
: धत्त गंदा ( नानी लजाई)
: नानी आप समझ भी रहे हो , अब्बू आपके कितने बड़े दीवाने है । मैने देखा है अम्मी की हालत खराब हो जाती थी जब वो आपका रोल करती थी । अब्बू घंटों तक अम्मी के पीछे करते थे ( मेरा लंड एकदम उफान पर था और मै हल्का हल्का उसको मिस भी रहा था ) : हम्ममम मुझे पता है , बचपन से बड़े होते देखा है मैने तेरे अब्बू को , एकदम तूने अपने बाप की नकल उतारी है
: अब मै कहा से आया बीच में हा.. ( मै हैरान होकर बोला )
: वो भी तेरी तरह मेरी कच्छी चुरा लेता था और फिर पकड़ा जाता था , कितनी बार उसको मैने डांट लगाई मगर वो सुधरा नहीं । सोचा शादी के बाद सुधर ही जाएगा मगर तेरे अब्बू ने तो फरीदा को भी बिगाड़ दिया ( नानी अपनी बात पूरी करते हुए बोली )
: हीहीहीही और अम्मी को देखो बस मुझे डांटती रहती है । ये नहीं कि अब्बू को सुधारे ।
: चुप कर नालायक कही का
: वैसे एक बात कहूं नानी ( मै खिलखिलाकर बोला )
: हा बोल
: नहीं आप मारोगे ( मैने हस कर बोला )
: अब बोल न ( वो उखड़ी )
: सच कहू तो आपकी ये इतनी बड़ी है ( मैने उन्हें कूल्हे छुते हुए बोला ) कि अब्बू क्या मेरा भी मन हो जाता आपकी पैंटी चुरा लूं हाहा
: धत्त गंदा ( नानी मेरा हाथ झटक कर बोली , उनकी बातों में लाज थी और मुस्कुराहट भी ) तूने भी चुरा कर रख ही लिया होगा बक्से से निकाल कर ।
: ऊहू जाते हुए चुराऊंगा हाहाहाहाहा ( मै नानी को छेड़ते हुआ ठहाके मार कर हंसा )
: पागल कही का , बहुत मार खायेगा बदमाश ( नानी झेप कर हसने लगी )
कुछ देर तक ऐसे ही हम अपनी बातें सोच कर हस्ते खिखियाते रहे और मेरा लंड नानी से खुलने पर एकदम रॉड हो गया था ।
तभी अम्मी का फोन आने लगा
: ले हो गई फ्री तेरी अम्मी ( नानी ने मज़े में बोली )
और फोन पिक किया
: जी अम्मी बोलिए ( अम्मी की आवाज आई फोन पर )
: मै क्या बोलूं , जरा अपने शौहर को दे मेरी तो खोज खबर नहीं लेते कभी । ये नहीं बुढ़िया अकेले रह रही है आ जाए कुछ रोज के लिए ( नानी ने सुनाया )
: हम्मम लीजिए बात कीजिए ( अम्मी ने अब्बू को फोन दिया )
: हैलो , सलाम फूफी कैसी हो ( अब्बू फोन पर बोले )
: खुश रहो , अरे कभी अपनी बुढ़िया फूफी को भी याद कर लिया कर अक्कू
: हाहा अक्कू , बचपन का नाम कैसे याद कर लिया मेरा ( अब्बू हस कर बोले )
: अरे ये पास में शानू सोया है , उससे तेरे बचपन के सारे कारनामे बता रही थी , और ये बदमाश भी तुझ पर गया है पूरा ( नानी ने बातों ही बातों के अब्बू की हवा टाइट कर दी )
: अरे तो उसकी भी मेरी तरह खातिरदारी करना फूफी , सजा तो मिलनी चाहिए नवाबजादे को ( अब्बू हस कर बोले )
: हा , लेकिन पहले शरारत करने तो दो इसको फिर सजा मिलेगी , जबसे घर से आया है बड़ा सीधा होकर रह रहा है ( नानी ने बस ऐसे ही बातें बना कर बोली )
: हा और क्या , अपना बेटा समझ कर पूरी खातिरदारी करिए उसकी ( अब्बू फोन पर बोले )
: अरे समझना क्या है , ये मेरा बेटा ही तो है ( नानी ने अगले ही पल खींच कर मुझे अपने सीने से लगा दिया )
मेरा मुंह सीधा नानी की बिना ब्रा वाली सूट के उपर से उनकी गुदाज मोटी चूचियो में धंस गया और लंड पूरा लोहे की रोड जैसे अकड़ गया ।
उम्मम क्या मस्त खुशबू आ रही थी , कितनी नरमी और सॉफ्ट थी , काटन सूट में नानी की चूचियां और भी गुदाज थी ।
पता ही चला आगे वो लोग क्या बातें किए और फोन कट गया ।
: ले तुझसे तो बात कराना ही रह गया ( नानी फोन रखते हुए बोली )
: रहने दो न नानी कल कर लूंगा ( मैं उसके छातियों से मुंह लगाए बोला )
: हम्म्म ठीक है सो जा अब ( नानी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए माथा चूम ली ) शैतान बच्चा मेरा पगलू
गजब का सुकून था नानी की बाहों में और उनकी भारी बदन की मुलायम चुचियों का तकिया पाकर मै तो जन्नत में घूमने लगा ।लंड एकदम फड़क कर लोवर में तंबू बना चुका था और नानी के जांघ से टच हो रहा था और पानी उनकी जांघों पर पंप हो रहा था ।
: उम्मम ये क्या है ( नानी ने हाथ ले जाकर नीचे मेरा खीरे जैसा मोटा सुपाड़ा छुआ तो मेरे तन बदन में सरसरी फैल गई )
: आपके शैतान बच्चे का बच्चा हाहाहा ( मै खिलखिलाया )
: पागल कही का , उसको भी बोल सो जाए और तू भी ( नानी मुस्कुरा कर बोली )
जारी रहेगी
आप लोग ज्यादा से ज्यादा सपोर्ट करें
आपकी प्रतिक्रियाओ का इंतजार रहेगा
Har update ke saath kaamukta uncha aur uncha star chooti jaa rahi hai. Poore 22 update padh chuka hoon aur saar ye hai ki aapke jaisa jordaar sambhog scenes likhne waale iss forum ek haath ki ungliyon ke barabar hai. Ammi ke peecha pagla hai apna Shaanu par Ammi ko pata hote hue bhi wo maan-ne ko taiyaar nahi. Maane bhi kaise jab rishta khoon ka hai. Abhi ke samay pe Reshma, Alina aur Shabnam ke sahare jee raha Shaanu present me Nagma aur Farida ko dhakadhak chodta hai ya sapna hakikat nahi ban payega???? Agla update jaldi se dene ka prayaas karo DREAMBOY40 Bhai Aap mast likhte ho to kam response milne se demotivate mat hona. Kabhi kabhi acchi story logon ko der se samajh aati hai. Ye kahani bhi million views me jaayegi kamdev ki kripa se. Waiting for next update.
मै समझ गया था कि मेरी चोरी कही न कही पकड़ी ही गई । मेरे पास अब कोई बहाना नहीं था कि मै क्यों गेट से न होकर बल्कि गुलनार की छत फांद कर जीने से नीचे आया था ।
डर लग रहा था कि नानी क्या सोचेंगी क्या कहेंगी , अम्मी के आगे मै पूरी तरह नंगा हो चुका था अब नानी भी शायद मुझे वैसा ही कुछ व्यवहार करेंगी ।
: बोला था तुझे न कि आवाज देकर जाना अंदर ( नानी ने कमर पर हाथ रख कर गुस्से में मुझे घुरा )
: जी सॉरी नानी ( मैने नजरे फेरते हुए कहा )
: क्या देखा तूने वहां उम्मम ( नानी ने सवाल किया )
: नानी वो दिलावर मामू गुलनार को ... ( मै हिचक रहा था बताने में )
: अरे दादा बोला था न तुझे आवाज देकर जाना , इधर आ तू ( नानी मुझे खींच कर अंदर ले गई )
मै डरा हुआ कमरे में आया
: देख बेटा तू मुझसे वादा कर तूने जो कुछ भी देखा उस बारे में तू किसी से बात नहीं करेगा । खा मेरी कसम ( नानी ने मेरा हाथ अपने सर पर रख दिया )
: ज जी नानी नहीं कहूंगा ( मै अचरज से बोला ) लेकिन वो ...
: हा बेटा जानती हु तूने जो कुछ देखा वो समाज की नजर में ठीक नहीं है मगर वो दोनों इसमें खुश है और बिन मां की बेटी है गुलनार । ( नानी खुद ही मुझे सफाई दे रही थी )
: लेकिन नानी आपको नहीं लगता कि गुलनार अभी इनसब के लिए बहुत छोटी है ( मै थोड़ा हिम्मत कर सवाल किया क्योंकि कही न कही इस जवाब के साथ मुझे मेरा स्वार्थ सिद्ध करना था )
: वैसे तू भी बहुत सारे कामों के लिए छोटा है , मगर मनमानी करता है न ( नानी ने मेरे ही सवाल का थप्पड़ जड़ा मुझ पर )
: सॉरी नानी , मुझे आपकी बात मान लेनी चाहिए थी पर पता नहीं क्यों मै खुद को रोक नहीं पाता ( मै नानी के पास आकर उनके कंधे पर सर रख कर बोला )
: ये उम्र ही ऐसी है , सब भटक जाते है बेटा मगर तुझे तेरा भविष्य संवारना है न ( नानी मेरा गाल छू कर बोली )
: हम्मम ( मै भी हुंकारी भरी )
: मेरा प्यारा बेटा उम्ममाह ( नानी ने गाल पर चुम्मी ली तो मैने भी हस कर पोंछ दिया)
: उम्म्माह्ह यह्ह्ह्ह ( नानी ने दूसरे गाल पर चुम्मी लेकर जीभ से गिला भी कर दिया ) और पोंछेगा मेरी चुम्मी ( नानी हस्ती हुई बोली )
: इसपर दो नहीं पोछुंगा हीहिही ( मैने लिप्स पर उंगली रख कर बोला )
और नानी ने मेरे दोनों गाल पकड़ कर मेरे लिप्स चूम लिए
: वाव नानी आपके लिप्सी कितनी मुलायम है फिर से करो न ( मैने छेड़ा उनको )
: धत्त बदमाश कही का ( नानी लजाई और मै हस दिया )
: ऐसे ही तू तंग करता था फरीदा को इसीलिए वो तुझे नहीं लेकर गई ( नानी हस्ते हुए बोली )
: आ कितना झूठ बोलती हो , मै नहीं वो मुझे .... तंग करती थी ( भुनभुनाते हुए मैने अपनी बात पूरी की )
: अच्छा तो फिर वो जो फरीदा के कमरे में तांक झांक करता था और उसपे नजर रखा था वो सब क्या था बोल ( नानी ने मुस्कुरा कर कही )
: वो सब मेरे लिए नया था ... मतलब ऐसा कुछ कभी मैने देखा सुना नहीं था । अम्मी है भी कितनी चुलबुली और अब्बू से ऐसी बाते करती थी कि मुझे सुनने का मन करता था और कभी कभी नजर पड़ जाती थी । बस ( मैने सफाई देते हुए कहा )
: बस .. उम्मम बस ( नानी ने हस कर बोली )
: हम्म्म और क्या ? ( मै उनके हस्ते चेहरे को देखकर लजाते लगा , मेरे गाल हसने लगे )
: बहुत मार खायेगा , बताया था फरीदा ने तू उसके कपड़े चुरा कर क्या करता था बाथरूम ( नानी मुस्कुरा कर बोली और मै शर्मिंदा हो गया )
: माना कि तू अब बड़ा हो रहा है लेकिन अब क्या तू अपनी अम्मी के बारे में ऐसा सोचेगा उम्मम ( नानी समझाते हुए बोली )
: मै क्या करूं ... ना मेरे दोस्त है और कोई मुझे बताने समझाने वाला । पूरा दिन अम्मी के साथ रहूंगा तो ... ( मै बोलते हुए चुप हो गया )
: हम्मम फिर भी ये अच्छी बात नहीं है बेटा , वो तेरी अम्मी है न तुझे रिश्तों की अहमियत सीखनी होंगी ( नानी मेरे सर सहलाती हुई बोली ) ऐसे रिश्ते बहुत नापाक होते है बेटा ।
: तो फिर दिलावर मामू भी तो गलत ही हुए न ? ( मैने मासूम सा सवाल किया )
: अब ... देख बेटा कुछ रिश्ते आपसी सहमत और जरूरत से बनाए जाते है और अगर उसमें दोनों की रजामंदी है । और फिर गुलनार और दिलावर का निगाह भी हो चुका है ।
: क क्या ??? ( नानी की बात से मै चौका)
: हम्मम गुपचुप वाला ही है मगर हुआ है , गुलनार की अम्मी के गुजरने के बाद दिलावर ने शराबी रवैए ने गुलनार का जीना मुश्किल कर रखा था और वो अपनी हवस में अंधा होकर अपनी बेटी के लिए पागल हो गया था । बार बार उसके कमरे में चले जाना , नहाते हुए देखना इससे तंग आ गई थी और फिर जब गुलनार नहीं होती तो वो हराम का जना जीने पर आकर मुझे नहाते देखता , फिर एक रोज मैं गुलनार के लिए हलवा बना कर ले गई थी तो मैने उन्हें आपत्तिजनक हाल में देख लिया ।
: कैसे हाल में ?? ( मै अजीब सा मुंह बना कर बोला , मतलब तो मुझे पता था मगर मुझे नानी से कुछ सुनना था )
: वो दिलावर गुलनार को अपनी गोद में बिठा कर उसके दूध पी रहा था ( नानी थोड़ा हिचक कर नजरे चुरा कर बोली )
: फिर ( मै हलक से थूक गटक कर बोला )
: फिर गुलनार को लेकर मै अपने घर चली आई और जब दिलावर का नशा उतरा तो वो आया मेरे घर उसने अपने अकेलेपन के बारे में मुझसे बात की , मैने गुलनार की इच्छा पूछी तो वो अपने अब्बू को खुश देखना चाहती थी इसीलिए मैने एक काजी से बात कर मेरे घर के ही उनका निगाह पढ़वा दिया और तबसे वो दोनों ... ( नानी बोलते हुए चुप हो गई )
ताज्जुब की बात थी और दिल नानी के खुश भी था कि उन्होंने समस्या का तोड़ निकाल कर वाजिब ढंग से उसे सुलझाया और इससे उनका ईमान नहीं डोला। हालांकि अकेलापन तो उन्हें भी था ।
: नानी एक बात पूछूं ( मै थोड़ा हिचक रहा था )
: हा बोल न बेटा ( नानी मुस्कुराई )
: वो ... नानू को गुजरे इतने साल हो गए तो आपको अकेलापन महसूस नहीं होता ( मैने हिम्मत कर पूछ तो लिया मगर अब मेरी फटी हुई थी कि नानी क्या सोचेंगी क्या जवाब देंगी । कही अम्मी की तरह थप्पड़ न पड़ जाए । दिल जोरो से धकधक हो रहा था और लंड में साला इस सवाल से अलग ही तरंगें उठ रही थी । )
: धत्त पागल कही का ( नानी एकदम से लजा गई )
उन्हें हंसता लजाता देख मेरे भीतर का डर फुर्र हो गया और लंड फूलने लगा कि शायद अब नानी भी अपने बारे में कुछ बताए
: क्या नानी बताओ न प्लीज ( मैने उनके बाजू में हाथ डाल दिया और जिद करने लगा )
: हीहीहीही शानू छोड़ मारूंगी अब , बदमाश क्या पूछ रहा है ये सब तू ( नानी हस्ती हुई बोली )
: बताओ न प्लीज ... मुझे जानना है आप नहीं बताओगे समझाओगे तो फिर किससे पूछने जाऊ मै ( मैने उनको लपेटा)
: पागल है तू , इस उम्र में मुझे दो वक्त की रोटी बना खा कर जी लू इससे ज्यादा क्या ही चाहिए और मुझे तो लगता है कि तेरा निगाह भी जल्द से जल्द करना पड़ेगा अब । तो खुद ही सारे सवालों के जवाब खोज लेना पागल कही का ( नानी हस्ती हुई बोली )
: क्या नानी बात मत घुमाओ ( मैने उनको फिर से बात में उलझाना चाहा )
: चल छोड़ मुझे झाड़ू लगाना है सांझ हो रही है ( नानी उठ गई और हस्ती हुई निकल गई )
मै समझ गया कि नानी का अपना कुछ घरेलू जुगाड़ होगा ही , भला उम्र से वासना का क्या लेना देना । इतनी समझ तो थी मुझमें ।
नानी उठी और झाड़ू लेकर पीछे हाते में झाड़ू लगाने लगी ।
अह्ह्ह्ह बड़ी चौड़ी गाड़ फैला कर वो बैठे हुए थी , सूट पर कचरा धूल न लगे इसीलिए उसको वो अपने आगे खोसे हुए थी जिससे पीछे से गाड़ का शेप पूरा बिजिबल था और कमर के पास लास्टिक से झांकती चौड़ी दरार देखकर लंड में सुरसुरी होने लगी ।
मैने हौले से मसल दिया अपना मूसल
नानी ने झाड़ू लगा कर उठी और सलवार सूट सही कर बर्तन साफ करने लगी ।
सांझ हो रही थी कि गेट पर फिर से गुलनार की आवाज आई
: जा देख गुलनार आई होगी , खोल दे गेट ( नानी चूल्हे के पास बैठी हुई बोली और मै उनके लजीज चूतड़ों को छोड़ कर खटिए से उठ गया )
बाहर आया तो देखा गुलनार ही थी
मैने गेट खोला
: दादी है ? ( वो मुझे देख कर बोली )
: क्यों नहीं होंगी तो नहीं आओगी ( मै धीरे से बुदबुदाया )
: क्या ?? ( उसने सुना नहीं या फिर ना सुनने का नाटक किया )
: हा हैं जी , जाओ ( मैने मुस्कुराया )
वो चहकती हुई निकल गई ,
आज उसने ब्लैक सूट सलवार पहना था । एकदम नई
मै गेट लगाकर आया
: कब तक वापस आएगी ( मै पहुंचा तब तक उनकी बातें शुरू हो गई थी )
: दो तीन रोज में वापस आ जाऊंगी , तबतक आप अब्बू के खाने पीने का देख लोगी क्या दादी प्लीज ( वो मिन्नते करते हुए बोली )
: हा रखूंगी लेकिन उसको बोलना कि पीकर घर नहीं आएगा तभी ( नानी हस कर बोली )
: हिहीही ठीक है , ओके बाय दादी
: बाय ( मैने हाथ उठा कर उसको देख मगर उसने मेरी ओर देखा भी नहीं )
साला इतनी भी बुरी सूरत नहीं थी मेरी या फिर वो ही कुछ ज्यादा चालाक थी । जरा भी भाव नहीं दिया , कम से कम बाय का उत्तर तो दे देती ।
: हाथ नीचे कर ले वो चली गई ( नानी मजे में बोली )
: कहा गई ( मै अभी उसके बारे में ही सोच रहा था )
: अपने खाला के यहां जा रही है , यही पास में ही एक गांव है ( नानी बड़े कैजुअली होकर बोली और सब्जी चलाने लगी )
: चलो ये इंटरटेनमेंट भी गया ( मै हल्का सा फुसफुसाया )
: क्यों उसी से तेरा दिल लग रहा था क्या तेरा यहां उम्मम ( नानी ने झट से मेरी बात पकड़ ली , मतलब वो मेरी बुदबुदाहट भी सुन ली थी )
: क्या ? नहीं तो वो तो अभी छोटी है आप भी नानी ( मै ब्लश करता हुआ मुस्कुराया )
: हा तुझे तो अधेड़ उम्र की मोटी भैंस जैसी औरतें ही पसंद है क्यों ( नानी ने मेरे मजे लिए )
: खबरदार मेरी नानी को भैंस कहा तो ... ( मै बोल कर खिलखिलाया )
: पागल कही मारूंगी तुझे , मुझसे ही मजाक करता है ( नानी कलछी उठा कर दिखाती हुई बोली )
मै हंसता रहा
कुछ देर बाद खाना भी तैयार हो गया और हम दोनो खा पी कर बिस्तर पर ।
एकदम चुप्पी थी हमारे बीच , पंखे की हनहनाहट ही आ रही थी
आज तो गुलनार की सिसकियां भी नहीं सुनने को मिलनी थी कि लंड सहला पाऊं और नजारा ऐसा कुछ देखने को भी नहीं हो पा रहा था कि झाड़ लू और सो पाऊं।
: बात करेगा करूं फोन तेरी अम्मी को ( नानी के कुछ देर बाद बोली )
रात के करीब 9 बज रहे थे लेकिन गांव के हिसाब से लेट हो ही गया था ।
और अम्मी का नाम आते ही मूड फ्रेश हो गया ।
: हम्म्म नानी लगाओ न ( मै घिसक कर नानी के पास करवट होकर चिपक गया )
: हम्म्म रुक लगा रही हूं ( नानी तकिए के पास से मोबाइल निकाल कर अम्मी का नंबर खोजा और डायल कर दिया )
रिंग जा रही थी और मेरी धड़कने तेज हो रही थी ।
काल पिक हुआ
: सलाम अम्मीईह ( अम्मी की बातों में थकान सी खनकी )
: खुश रहो , और कहो कैसी हो ( नानी ने सवाल किया )
: बस अच्छी हु अम्मी , यही अभी खाना बना कर बैठी हूं उम्मम ( अम्मी की आवाज में मदहोशी साफ झलक रही थी और मै समझ गया जरूर अब्बू लगे हुए है । अम्मी के बारे में सोच कर ही लंड फैलने लगा लोवर में )
: अच्छा सुन वो शानू तुझसे बा...
: अम्मी बस 10 मिनट में फोन कर रही हूं, बस 10 मिनट ( अम्मी जल्दी जल्दी बोली और फिर फोन पर चुप्पी सी छा गई मेरा चेहरा उतर गया अम्मी ने जैसे मेरा नाम सुनते ही फोन काट दिया हो )
: कोई बात नहीं अभी करेगी ( नानी मुझे दिलासा देते हुए मोबाइल किनारे रखने लगी कि मेरी नजर स्क्रीन पर गई फोन अभी भी चालू था )
: नानी फोन तो चल रहा है ( मै उनके हाथ से मोबाइल लिया )
मुझे हल्की फुल्की आवाजे आ रही थी मै कौतूहल बस फोन स्पीकर पर कर दिया
फोन पर उधर की बातें आने लगी
: तो खुद क्यों नहीं मांग लेते, वो भी तो आपकी ही है उम्मम अह्ह्ह्ह्ह आराम से ( फोन पर अम्मी की सिसकियां आने लगी )
: अह्ह्ह्ह्ह मेरी जान कितना बड़ा और रसीला है ओह्ह्ह्ह ( अब्बू बोले )
: किसका मेरा या अम्मी का ( अम्मी सिहर कर खिलखिलाई )
यहां मेरा लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और नानी एकदम चुप थी
: तेरी अम्मी के बड़े बड़े चूतड़ अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह फरीदा अह्ह्ह्ह ( अब्बू और कुछ बोलते नानी ने लपक कर मोबाइल छीना और फोन काट दिया )
: अरे .. काट क्यों दिया ( मै हड़बड़ा गया )
: चुप कर , जैसा बेटा वैसा बाप दोनो ... ( नानी गुस्से में बोली और चुप हो गई )
: अब इसमें मेरी क्या गलती ... मुझे क्यों डांट रहे हो । मैने थोड़ी न आपके .. बारे में कुछ बोला है ( मै अपना पक्ष रखता हुआ बोला )
नानी चुप थी कुछ देर तक और करीब ऐसे ही 15 से 20 मिनट तक बीत गए ।
: सो गया क्या ? शानू ? ( नानी ने आवाज दी )
: क्या है बोलो ( मैने घुड़क कर जवाब दिया )
: अच्छा सुन
: हम्मम बोलिए ( मैने अभी भी अपनी नाराजगी जाहिर की )
: तो क्या घर पर फरीदा और तेरे अब्बू ऐसे ही बातें करते है ... मतलब फोन पर या फिर आमने सामने ( नानी थोड़ा अटक कर मुझसे पूछी और मै खिल गया एकदम से )
: हा अक्सर उनकी बातें ऐसी ही होती थीं, मगर मैने आज पहली बार अब्बू को आपके बारे में ऐसा कुछ कहते सुना नहीं तो वो हर बार अपनी ... ( मै चुप गया )
: क्या ? हर बार क्या ? बता न ( नानी अब उत्सुक दिख रही थी । )
: वो ज्यादातर अब्बू अपने फूफी के बारे में बाते करते थे ( मै भी झिझक कर बोला )
: क्या ? फूफी के बारे में हीहीही पागल ( नानी को ना जाने क्या हुआ वो खिलखिला कर हसने लगी )
: हा , और अक्सर अम्मी नकाब पहन कर अब्बू की फूफी बनने का नाटक करती और फिर वो लोग मिलकर वो सब करते थे ( मै बड़ी मासूमियत से सारी बातें कह गया )
: क्या ? फरीदा ऐसा भी करती है ( नानी चौक कर बोली )
: हा आप भी चौक गई न , मै भी ऐसे चौक गया था पहली बार जब अम्मी को सिर्फ बुरखे में अब्बू के आगे वीडियो काल पर नंगी होते देखा था और अब्बू कह रहे थे कि... ( मै फिर रुक गया )
: क् क्या कह रहे थे तेरे अब्बू, बोल न ( नानी की चढ़ती सांसे साफ पता चल रही थी और उनके दिल की तेज धड़कने मै करीब से महसूस कर पा रहा था )
: वो अब्बू फोन पर कह रहे थे कि फूफी अपने अक्कू को अपनी बड़ी सी गाड़ दिखाओ न अह्ह्ह्ह्ह कितना बड़ा और रसीला है
: धत्त गंदा ( नानी एकदम से हंसी)
: सच में वो ऐसा ही बोले थे और फिर अम्मी उनके आगे अपना बुरका उठा कर अपने बड़े बड़े चूतड़ खोल कर दिखा रही थी हाथ से फैला कर ( अम्मी के नायब भड़कीले चूतड के बारे बता कर मेरे गले में पानी आने लगा , लंड तो जैसे टपक ही पड़ा )
: और क्या कह रहे थे तेरे अब्बू ( नानी की सांस चढ़ रही थी )
: वो कह रहे थे कि वो बचपन से ही अपनी फूफी के मटके जैसे चूतड़ों के दीवाने है ( मैने अपनी बात कही )
: ये तो पता ही है मुझे , बहुत बदमाश था अक्कू बचपन में ( नानी बोली )
: क्या मतलब ? आपको कैसे पता अब्बू बचपन में कैसे थे ? ( मै एकदम से चौक गया )
: मुझे कैसे पता हीहीहीही पागल मै ही तो तेरे अब्बू की फूफी हूं ( नानी है कर बोली )
: क्या ? ( मेरा माथा एकदम से घूम गया )
: इसका मतलब आप और अब्बू के अब्बू मतलब दादू भाई बहन हो ?( मै हैरान होकर सवाल किया )
: हम्म्म ( नानी ने हुंकारी भरी )
: सगे ?
: हा दादा सगे , क्यों क्या हुआ ( नानी बोली )
: मतलब ने अब्बू ने अपनी सगी बुआ की लड़की से शादी की है , अपनी बहन से ? ( मै हैरान होकर बोला )
: हा क्यों क्या हुआ ( नानी बड़े कैजुअली बोली )
: अरे फिर तो अब्बू और अम्मी भाई बहन हुए न तो निगाह कैसे ?
: अरे पागल ऐसा कुछ नहीं है, हमारे यहां ऐसा होता है फूफा मामा में रिश्ता हो जाता है और जब फरीदा हुई तभी तेरी दादी यानी मेरी भाभी ने कह दिया था कि फरिदा का निगाह तेरे अब्बू से ही होगा ।
: ओह गॉड , तो क्या सारा टाइम अब्बू आपके बारे में आपके भड़कीले चूतड़ों के बारे में ...
: धत्त गंदा ( नानी लजाई)
: नानी आप समझ भी रहे हो , अब्बू आपके कितने बड़े दीवाने है । मैने देखा है अम्मी की हालत खराब हो जाती थी जब वो आपका रोल करती थी । अब्बू घंटों तक अम्मी के पीछे करते थे ( मेरा लंड एकदम उफान पर था और मै हल्का हल्का उसको मिस भी रहा था ) : हम्ममम मुझे पता है , बचपन से बड़े होते देखा है मैने तेरे अब्बू को , एकदम तूने अपने बाप की नकल उतारी है
: अब मै कहा से आया बीच में हा.. ( मै हैरान होकर बोला )
: वो भी तेरी तरह मेरी कच्छी चुरा लेता था और फिर पकड़ा जाता था , कितनी बार उसको मैने डांट लगाई मगर वो सुधरा नहीं । सोचा शादी के बाद सुधर ही जाएगा मगर तेरे अब्बू ने तो फरीदा को भी बिगाड़ दिया ( नानी अपनी बात पूरी करते हुए बोली )
: हीहीहीही और अम्मी को देखो बस मुझे डांटती रहती है । ये नहीं कि अब्बू को सुधारे ।
: चुप कर नालायक कही का
: वैसे एक बात कहूं नानी ( मै खिलखिलाकर बोला )
: हा बोल
: नहीं आप मारोगे ( मैने हस कर बोला )
: अब बोल न ( वो उखड़ी )
: सच कहू तो आपकी ये इतनी बड़ी है ( मैने उन्हें कूल्हे छुते हुए बोला ) कि अब्बू क्या मेरा भी मन हो जाता आपकी पैंटी चुरा लूं हाहा
: धत्त गंदा ( नानी मेरा हाथ झटक कर बोली , उनकी बातों में लाज थी और मुस्कुराहट भी ) तूने भी चुरा कर रख ही लिया होगा बक्से से निकाल कर ।
: ऊहू जाते हुए चुराऊंगा हाहाहाहाहा ( मै नानी को छेड़ते हुआ ठहाके मार कर हंसा )
: पागल कही का , बहुत मार खायेगा बदमाश ( नानी झेप कर हसने लगी )
कुछ देर तक ऐसे ही हम अपनी बातें सोच कर हस्ते खिखियाते रहे और मेरा लंड नानी से खुलने पर एकदम रॉड हो गया था ।
तभी अम्मी का फोन आने लगा
: ले हो गई फ्री तेरी अम्मी ( नानी ने मज़े में बोली )
और फोन पिक किया
: जी अम्मी बोलिए ( अम्मी की आवाज आई फोन पर )
: मै क्या बोलूं , जरा अपने शौहर को दे मेरी तो खोज खबर नहीं लेते कभी । ये नहीं बुढ़िया अकेले रह रही है आ जाए कुछ रोज के लिए ( नानी ने सुनाया )
: हम्मम लीजिए बात कीजिए ( अम्मी ने अब्बू को फोन दिया )
: हैलो , सलाम फूफी कैसी हो ( अब्बू फोन पर बोले )
: खुश रहो , अरे कभी अपनी बुढ़िया फूफी को भी याद कर लिया कर अक्कू
: हाहा अक्कू , बचपन का नाम कैसे याद कर लिया मेरा ( अब्बू हस कर बोले )
: अरे ये पास में शानू सोया है , उससे तेरे बचपन के सारे कारनामे बता रही थी , और ये बदमाश भी तुझ पर गया है पूरा ( नानी ने बातों ही बातों के अब्बू की हवा टाइट कर दी )
: अरे तो उसकी भी मेरी तरह खातिरदारी करना फूफी , सजा तो मिलनी चाहिए नवाबजादे को ( अब्बू हस कर बोले )
: हा , लेकिन पहले शरारत करने तो दो इसको फिर सजा मिलेगी , जबसे घर से आया है बड़ा सीधा होकर रह रहा है ( नानी ने बस ऐसे ही बातें बना कर बोली )
: हा और क्या , अपना बेटा समझ कर पूरी खातिरदारी करिए उसकी ( अब्बू फोन पर बोले )
: अरे समझना क्या है , ये मेरा बेटा ही तो है ( नानी ने अगले ही पल खींच कर मुझे अपने सीने से लगा दिया )
मेरा मुंह सीधा नानी की बिना ब्रा वाली सूट के उपर से उनकी गुदाज मोटी चूचियो में धंस गया और लंड पूरा लोहे की रोड जैसे अकड़ गया ।
उम्मम क्या मस्त खुशबू आ रही थी , कितनी नरमी और सॉफ्ट थी , काटन सूट में नानी की चूचियां और भी गुदाज थी ।
पता ही चला आगे वो लोग क्या बातें किए और फोन कट गया ।
: ले तुझसे तो बात कराना ही रह गया ( नानी फोन रखते हुए बोली )
: रहने दो न नानी कल कर लूंगा ( मैं उसके छातियों से मुंह लगाए बोला )
: हम्म्म ठीक है सो जा अब ( नानी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए माथा चूम ली ) शैतान बच्चा मेरा पगलू
गजब का सुकून था नानी की बाहों में और उनकी भारी बदन की मुलायम चुचियों का तकिया पाकर मै तो जन्नत में घूमने लगा ।लंड एकदम फड़क कर लोवर में तंबू बना चुका था और नानी के जांघ से टच हो रहा था और पानी उनकी जांघों पर पंप हो रहा था ।
: उम्मम ये क्या है ( नानी ने हाथ ले जाकर नीचे मेरा खीरे जैसा मोटा सुपाड़ा छुआ तो मेरे तन बदन में सरसरी फैल गई )
: आपके शैतान बच्चे का बच्चा हाहाहा ( मै खिलखिलाया )
: पागल कही का , उसको भी बोल सो जाए और तू भी ( नानी मुस्कुरा कर बोली )
जारी रहेगी
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