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Incest अम्मी vs मेरी फैंटेसी दुनिया

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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कहानी पर पाठकों की जितनी ट्रैफिक है उसके अनुपात में बहुत ही कम फीडबैक मिल रहा है ।
अगर कहानी पसंद नहीं आ रही है तो कृपया वो भी कमेंट करके बताए ।

इन दिनों मै बहुत दुविधा में हू । कहानी आगे लिखूं या छोड़ दूं।
 
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UPDATE 023

अतीत के पन्ने : 04


अगली सुबह में देर से उठा , नानी की बाहों में इतना सुकून से सोया कि कब 8 बजने को हुए पता ही नहीं चला।

: शानू ... !!!! ( नानी ने आवाज दी )
मै उठा और घड़ी देखी
ओह बहिनचोद सारा नजारा अभी निकल जाता हाथ से , नानी की नंगी गाड़ आज तो देखनी ही है
उठा तो देखा बिस्तर पर नानी ने आज सिर्फ नाइटी रखी हुई है ।

नानी ने दुबारा आवाज दी मै भाग कर पीछे हाते की ओर गया
सामने देखा तो नानी आधी भीगी आधी सूखी थी , कुछ बाल गिले , कुछ सूट आगे एक तरफ की चूची से सूट भीग कर चिपक गई थी और काटन सूट में नानी के भूरे निप्पल उभर कर दिख रहे थे ।
: नानी क्या हुआ ? गिर गई क्या आप ( मैने फिक्र में बोला )
: नहीं रे, नहा रही थी और वो हराम का जना दिलावर , मुआ जीने से झाक रहा था ( नानी झल्लाती हुई बोली )
मै चुप हो गया ।
: मै पाखाने वाले बाथरूम जा रही हूँ तू पानी की बाल्टी दे देगा बेटा ( नानी परेशान होकर बोली)
: जी नानी आप चलो मै पानी लेकर आता हूं

मै पानी की बाल्टी लेने चला गया
घर में कहने को पक्का बाथरूम तो है मगर उसी में पाखाना भी अटैच है लेकिन पानी की कोई सुविधा भी मामू ने नहीं करवाई थी । और नानी अपनी अधेड़ उम्र की वजह से वही नल के पास ही खुले आंगन में नहा लेती थी ।
मगर आज दिलावर मामू को गुलनार मिली नहीं तो वो आज नानी को ताड़ने लगे ।

मै एक बाल्टी पानी लेकर पहुंचा तो नानी बालों के शैंपू कर रही थी और गाज इसके सर से देह पर जा रही थी ।


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मोटी मोटी चूचियां पूरी बिजिबल थी
देखते ही लंड खड़ा हो गया ।
: बेटा एक बाल्टी और ला दे फिर मै नहा लूंगी

नानी की कसी चूचियां सूट में चिपकी देख कर लंड सलामी देने लगा ।
मै भाग कर नल पर गया और पानी भरने लगा
लंड एकदम से फड़फड़ा रहा था
जल्दी जल्दी मै पानी की बाल्टी लेकर पहुंचा


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और देखा नानी अपनी जांघें खोले बैठी हुई एड़ियां रगड़ रही थी और उनकी बड़ी बड़ी चूचिया हिल रहे थी ।
लंड एकदम अकड़ा हुआ था नानी को देख कर नानी अपने ऊपर पानी डाल रही थी । उनकी चूचियां अब और खिल कर दिख रही थी ।

: अब खड़ा क्या है , जा बाहर मुझे नहाना है ( नानी खड़ी होकर बोली और मै बाहर आ गया )
नानी ने दरवाजा लगा दिया ।

मै मचल कर रह गया लंड मेरा एकदम अकड़ा हुआ था और मुझसे रहा नही जा रहा था
कैसे भी करके मुझे नानी के बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों को देखना ,
कैसे उन पहाड़ों और दरारों से पानी झरना जैसे गिरेगा
सोच कर ही लंड फौलादी हुआ जा रहा था ।
मैने ऊपर देखा तो दरवाजा पूरा बंद और नीचे देखा तो थोड़ा सा गैप
बड़े प्रयास कर मै घुटने के बल होकर सर को फर्श में लगा कर आंखो घुसा कर देखा

अह्ह्ह्ह्ह क्या नजारा था जैसे सोचा था वैसा ही


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नानी पूरी नंगी दरवाजे के पास लग कर खड़ी थीं और अपने ऊपर पानी डाल रही थी । मानो मेरी कल्पना ने हकीकत का रूप ले लिया हुआ
नानी जैसे मग से पानी अपने जिस्म पर डालती वो उनकी चौड़ी पीठ होकर उनके बड़े बड़े रसीले चूतड़ों और दरारों के निकल कर झरने के जैसे फर्श पर गिरने लगा
उन अमृतझरनों के छींटे मेरे नाक और होठ पर आने लगे तो मैने जीभ दरवाजे के पास डाल कर उस कामरस का पान करने लगा ।
आंखों को बंद किए मै जीभ से नानी के चूतड़ों से गिरते पानी का रसपान रहा था कि जुबान पर अजीब सी ऐंठन होने लगी , ऐसा कुछ गर्म और खारा स्वाद मैने पहले कभी नहीं चखा था , जैसे ही आंखे खोलकर देखा तो नानी खड़े खड़े ही जांघें खोल कर अपनी चूत की टंकी खोल दी थी और उनकी मूत उनकी जांघों से रिसकर कर फर्श पर गिर रही थी और उनकी मूत के छींटे मेरे जीभ पर थे ।
लंड एकदम उफान पर था , नानी की बुर का पानी जीभ पर आते ही मेरा मूसल पंप होने लगा
नानी ने मग से अब अपनी चूत पर छप्प छप्प पानी मार कर धूल रही थीं और मसल कर धूल रही थी ।

अब और मै रुक नहीं सकता था
मेरा लंड एकदम बेकाबू हो गया था और अब जरा सा भी मै लंड छू भर देता तो मेरा लंड भलभला कर माल उगल देता , और कपड़े खराब होने तय थे ।
भाग कर मै नल के पास गया और लंड निकाल कर पानी गिराने लगा
पूरे बदन में सिरहन सी फेल गई और मगर लंड की अकड़न नहीं गई ।
लोवर में तंबू लिए मै अन्दर आया तो बाथरूम का दरवाजा खुला था और मैं बाल्टी में पानी भर कर ले आया

थोड़ी देर में नानी बाहर दिखी, काटन नाइटी में उनके बड़े भड़कीले चूतड और गदराई चूचियां उभरी हुई थी ।
: अरे पागल वही नहा लेता
: नहीं मै भी अंदर ही नहाऊंगा ( पानी लेकर घुसते हुए बोला )
: ठीक है जल्दी कर मुझे कपड़े डालने है ( नानी बोली उससे पहले मै दरवाजा लगा दिया )

जल्दी जल्दी लंड निकाल कर पूरा नंगा और अपने जिस्म पर पानी डालने लगा , फिर मैने वहां पड़ी हुई नानी की कच्छी उठाई और उस गीली पैंटी को सूंघ कर अपने लंड से लगाया
अह्ह्ह्ह्ह गजब की ठंडक थी और लंड उसकी बुर की खुशबू से अकड़ गया
: अह्ह्ह्ह्ह नानी क्या मस्त चूत होगी आपकी इतनी गजब खुशबू है अह्ह्ह्ह्ह कितना नमकीन पानी होगा आपका ओह्ह्ह्ह चटवा लो न
मै अपने बदन में साबुन घिस रहा था और नानी को मन ही मन याद कर रहा था
: ओह्ह्ह्ह नानी आपकी गाड़ में मुंह घुसा देने का जी चाहता था , मन करता है आपके ऊपर झड़ जाऊ ( मै मन के बड़बड़ाया और मेरी नजर उनकी सलवार पर गई और मै उधर ही गया
: ये सलवार आपकी गाड़ से चिपकी रहती है अह्ह्ह्ह्ह मेरी नानी मेरी sexy नानी अह्ह्ह्ह आपको पेल मै भी आपकी सलवार गीली करना चाहता हु ओह्ह्ह्ह्ह उम्मम्म फक्क्क् ओह्ह्ह्ह तुम्हारी गाड़ कितनी मुलायम और मोटी है अह्ह्ह्ह नानी पीलवा लो न गाड़ देदो न अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह

मैं जरूर से साबुन वाले हाथों से अपना लंड मसल रहा था और आंखों के नानी की बड़ी गाड़ की तस्वीर लिए हिला रहा था
: अह्ह्ह्ह्ह नानी आपके मूत को चख कर मै पागल हो गया हु आप मेरे मुंह पर बैठ जाना और मूतना , पूरी चूत को मेरे मुंह पर रगड़ना अह्ह्ह्ह्ह हा नानी अह्ह्ह्ह फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड उम्मम
नानी की चूत अपने मुंह पर सोच आकर मेरे लंड की नसे फड़क उथी और मै तेजी से झड़ने लगा ,


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आगे फर्श पर नानी की सलवार थी मै उसी को गिला करता रहा झड़ता रहा ।

फिर मै नहाया और एक बार उनकी सलवार को पानी डालकर बाहर निकाल दिया ताकि नानी को भनक न लगे और फिर तौलिया लपेट कर बाहर आया ।
तभी मेरे कानो में नानी की आवाज आई वो शायद फोन पर किसी से बात कर रही थी ।

: नहीं पागल मत बनो ( नानी बातों से परेशान लग रही थी )
: मैने कहा न इधर नहीं , मै भी परेशान ही हु तो .... हा ठीक है । ऐसा कुछ हो पाया तो जरूर कहूंगी । ( नानी ने फोन काट दिया और मै कमरे में दाखिल हुआ

: नहा लिया ( नानी मुझे देख कर बोली )
: जी नानी ( मै बिस्तर पर रखा अपना अंडरवियर उठा कर बोला )
: ठीक है मै कपड़े धूल देती हु तू फैला देना , फिर खाना बनाते है । ठीक है
: हा नानी ठीक है
नानी नाइटी के कूल्हे हिलाते हुए आगे बढ़ी और मै बनियान पहनने लगा ।

नानी के जाते ही मैने लपक कर उनका मोबाइल उठाया और लॉक खोलकर काल डिटेल चेक किया तो
सबसे ऊपर जो कॉल आया था वह "बब्बू किराना" से था ।
मैने कॉल रिकार्डिंग खोजी पर मिली नहीं ।
पहली बार नानी का मोबाइल हाथ लगा लगा था । कॉल डिटेल में जाकर देखा तो सबसे ज्यादा फोन सिर्फ "बब्बू किराना" की थी । कुछ अम्मी और कुछ मामू की ।
दिल के अजीब सी उलझन थी कि क्या बात हुई होगी दोनो में ।

मैने गैलरी चेक किया और बाकी कुछ नानी चलाती नहीं थी ।
सब कुछ क्लियर था । ऐसा कुछ भी था कि शक करने की गुंजाइश रहे ।
मै कपड़े पहन कर वापस आया ।

मैने खंगाले हुए कपड़े लिए और ऊपर चला गया और जीने से कपड़े डाल कर नीचे आया ।
कुछ देर बाद दिलावर मामू आए ।
खाने के बाद

: चाची आज बाजार जा रहा हूं ,कुछ लाना है तो बोल दो ( दिलावर मामू बोले)
: अह सारी साग सब्जी तो कल ही लेकर आई हूं मै । फिर तुझे जो खाने का मन है लेते आना रात के लिए ( नानी बोली )
: अच्छा ऐसा है फिर शानू को भेज दो , उसको समान दिला दूंगा और वही से मै काम के लिए निकल जाऊंगा ( मामू ने नानी को सुझाया )

मेरा तो जरा भी मन नहीं था नानी को अकेला छोड़ने का , ऊपर से दिलावर मामू के साथ क्या करता जाकर । बोरियत होती सो अलग ।
नानी ने मुझे पठा दिया उनके साथ ।

मैने भी कपड़े बदले और निकल गया उनकी साइकिल पर बैठ कर पीछे ।
दिलावर मामू पेशे से राजमिस्त्री थे । सुबह ही काम पर निकल जाते थे ।
साइकिल पर पीछे करियर पर खड़ंजे वाली सड़क पर बैठे बैठे मेरे चूतड़ दर्द होने लगे ।
कुछ देर बाद ही मै वही बगल वाले गांव के चौराहे पर आया था ।

: मुर्गा खायेगा शानू ( दिलावर मामू बोले)
लजीज चिकन खाए भी महीनों बीत गए थे , एक तो गर्मी उसपे से परीक्षा चल रही थी और अब्बू भी काफी समय से घर नहीं आए थे । इसीलिए मिल नहीं खाने को । सेकेंड नहीं लिया मैने और हामी भर दी ।
: ठीक है चल पहले बब्बू के यहां मसाला बंधा लेता हु और फिर अकील के यहां से देसी मुर्गा कटवाते है .!
: जी मामू ( मै खुश हो गया )

फिर हम बब्बू किराना की दुकान पर गए और मैने उन्हें नमस्ते किया ।
: अरे बेटा आज अकेले आए हो ( बब्बू ने पूछा )
: नहीं बब्बू आज मै लिवा आया , तुम जरा मसाले बांध दो। एक किलो मुर्गा के लिए ठीक है और तब तक मै अकील भाई के यहां से आता हु ( दिलावर मामू ने सारी बात एक बार में कह दी )
: अच्छा दिलावर भाई कर देता हु और कुछ समान रहेगा ( बब्बू एकदम से हड़बड़ाने लगा और मुझे अजीब लगा )
: नहीं नहीं , ये लो पैसे और तैयार रखो मै आ रहा हूं ( दिलावर मामू उसको पैसे देते हुए बोले )

फिर हम वहां से निकल कर सड़क से दूसरी ओर बाग में जाने लगे
वहा एक पेड़ के नीचे एक मोटा आदमी सर पर गमछा बांधे हुए था । उसकी में पर पीली प्लास्टिक पर एक बड़ा लकड़ी का कुंडा था जिसपर वो मुर्गे काटता था

: सलाम अकील भाई , जरा एक किलो काट दो , और अच्छे पीस रखना ( दिलावर मामू बोले)
: क्या दिलावर भाई आपको कभी शिकायत मिली है क्या ( वो मुर्गे की चोंच पकड़ कर किनारे से रेत कर लाया और उसके पखड़े छिल कर उसको नंगा कर दिया , बगल के रखी एक मैली सी बाल्टी के उसकी डुबो कर धुला और फिर लकड़ी के कुंडे पर रख कर खचाखच काटने लगा ।
इधर दिलावर मामू और वो अकील बातें कर रहे थे कि तभी सड़क पर एक मोबाइल के स्टार्ट होने की आवाज आई
गर्दन फेरा दो देखा बब्बू बड़ी हड़बड़ाहट अपनी बाइक पर बैठा था । देह पर वही टीशर्ट और लूंगी । गाड़ी पर बैठे हुए दुकान पर अपने लड़के को कुछ समझा रहा था
फिर जैसे ही उसने मेरी ओर घुमा मै गर्दन फेर लिया और वो तेजी से निकल गया । मुझे लगा जरूर दाल में कुछ काला है ।

: हो गया बेटा, चल मसाले लेते है और फिर घर चला जाना ( दिलावर मामू बोले )
: जी मामू
फिर मै बब्बू की दुकान पर आया और मसाले लिया , दिलावर मामू साइकिल से निकल गए काम पर और मै पैदल चलने लगा ।
रास्ते से जाते हुए मेरी नजर शॉर्ट वाले खेत के रास्ते पर गई जिधर से मै आया था कल नानी के साथ ।
भागकर मै उस खेत वाले रास्ते को पकड़ लिया
कभी तेजी से दौड़ता तो कभी तेज चलता हुआ , जांघें पैर अब दर्द होने लगे । उसपे से झोला भी हाथ में ।
हांफते हुए मै गांव की ओर आया ।
अब तक बब्बू को निकले 20 मिनट हो चुके थे ।
मै तेजी से चलता हुआ मुहल्ले में घुसा तो बब्बू की गाड़ी नानी के घर से सामने सड़क पर दूसरी ओर खड़ी थी ।
मै तेजी से गया और देखा गेट तो बस भीड़काया हुआ है । मै धीरे से लपक कर दबे पाव अंदर गया
दरवाजा पूरा बंद और अंदर से तेज सिसकियां और आवाजे आ रही थी
मै लपक कर खिड़की पर आया

: अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह तू बड़ा जिद्दी है रे मुझे फसवा देगा अह्ह्ह्ह सीईईईईई ( नानी बब्बू ले लंड पर सवार थी और बड़ी बड़ी गाड़ उछाल रही थी )


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: अह्ह्ह्ह्ह चाची तेरी बड़ी गाड़ देख कर रहा नहीं जाता अह्ह्ह्ह्ह 3 रोज से तड़प रहा था अह्ह्ह्ह्ह उम्ममम कितनी गरम है तेरी बुर अह्ह्ह्ह ( बब्बू नीचे से बोला )
: सब जानती , कमीना हिसाब बराबर करने आया है तू अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह अरे आराम से फाड़ देगा क्याअह्ह अह्ह्ह्ह्ह अम्मी अह्ह्ह्ह
: रंडी साली , 3 3 पैकेट मिठाई के उठा लाई तो हिसाब न करूं मादरचोद ( बब्बू नानी को गालियां देता हुआ नीचे से अपने कूल्हे फेक कर तेजी से नानी की चूत में पेल रहा था )


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मै अपना लंड बाहर निकाल कर हिला रहा था खिड़की से झाक रहा था ।
: अह्ह्ह्ह बब्बू रुकना मत अह्ह्ह्ह्ह चोद और तेज अह्ह्ह्ह्ह कितना तड़पी हू मै 3 रोज मै अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह्ह आ रहा है उम्ममम ( नानी ऐंठने लगी और अकड़ कर उसके लंड पर ही झड़ रहे थी , मै उनकी कामुकता और सेक्स के मदहोशी के देखकर पागल हो उठा )
लंड पकड़ कर जोरो से भींच रहा था
ऐसा नजारा देखे महीनों बीत गए थे और नानी की नंगी बड़ी गाड़ और उनकी चुदाया मुझे कामोत्तेजना के शिखर पर ले जा रही थी

अंदर पोजिशन बदल चुका था , नानी नंगी अब बिस्तर पर थी और बब्बू उनके ऊपर आ कर चढ़ कर पेल रहा था
नानी मस्ती से मुस्कुरा रही थीं और बब्बू चढ़ कर पेल रहा था
: जल्दी कर बब्बू शानू आता होगा
: अह्ह्ह्ह चाची, उसे समय लगेगा तू मजे ले अह्ह्ह्ह्ह आज तेरी बुर का भोसडा बनेगा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई उम्मम अह्ह्ह्ह्ह ( बब्बू नानी के ऊपर चढ़ कर उनकी चूचियां मिज़ता हुआ फचर फचर पेले जा रहा था , नानी को फिर से मस्ती छाने लगी थी )


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: उम्मम बब्बू हा बेटा ऐसे ही अह्ह्ह्ह्ह सीईईई और घुसा न उम्ममम अह्ह्ह्ह्ह

मै नानी के चेहरे के भाव देख रहा था कैसे वो चुदासी हुई तड़प रही थी और बब्बू के लंड को गहराई में लेजाने की मिन्नते कर रही थी ,मै नीचे रॉड सा लंड निकाल कर हिला रहा था
: अह्ह्ह्ह बब्बू उम्मम अह्ह्ह्ह्ह रुकना नहीं अह्ह्ह्ह सीईईईईई ( नानी अपनी गाड़ उचकाने लगी और यहां मै उनकी तड़प देख कर पागल हो उठा )
काश अंदर बब्बू की जगह मै होता अह्ह्ह्ह नानी चुदवा लो मुझसे बड़ा लंड है मेरा अह्ह्ह्ह्ह नानी अह्ह्ह्ह्ह देखो कितना तड़पा रही हो अह्ह्ह्ह्ह नानी ओह्ह्ह
नानी एकदम फड़फड़ाने लगी और चरम पर थी और गर्दन इधर उधर झटक रहीं थी , नीचे बब्बू पेले जा रहा था और तभी नानी की नजर खिड़की के पास मुझपे गई

वहां नीचे बब्बू लंड को पूरी गहराई में ले जाकर झटके खा रहा था और नानी झड़ रहे थी और उनकी फटी आंखे मुझे देख कर मेरा नाम बुदबुदा रही थी
मैने उनके होठ पढ लिए और आंखे उलट कर वही खिड़की के पास ही झड़ने लगा


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एक के बाद एक पिचकारिया दिवाल पर छूटती रही ।
नानी मुंह पर हाथ रख कर गर्दन दूसरी ओर कर ली। इससे पहले बब्बू देखता मै झुक गया ।
और मै जीने से छत की ओर चला गया ।
कुछ देर बाद बब्बू कमरे से निकला और मैने छत से उसको बाहर जाते देखा ।

नीचे जाने की हिम्मत नहीं हो पा रही थी मेरी । अजीब सा डर लग रहा था कि ना जाने नानी क्या सोचेंगी । क्या कहेंगी । वो खुद भी शर्मिंदा होंगी इसपर और उन्हें तो यही लगेगा कि मै खुद से जासूसी की होगी ।

आधे घंटे तक वही जीने के पास दिवाल से लग कर छांव में बैठा रहा और फिर मुझे नल चलने की आवाज आई
देख तो नानी पोछे वाला कपड़ा धूल रही थी । मै समझ गया कि वो मेरी ही फैलाई गंदगी साफ की होंगी ।
वो घूमी तो मुझे ऊपर बैठे देखा , फिर नजरे फेरते हुए अंदर चली गई बिना कुछ बोले ।
अजीब कशमकश थी नानी को देख कर लग नहीं रहा था कि वो नाराज है मगर क्या भरोसा ?
धूप चढ़ रही थी और मै उठ कर नीचे आ गया ।
नानी कमरे में लेती हुई थी करवट लेकर मै भी गर्मी से भीगा था तो कमरे में आ गया बिस्तर पर बैठ गया ।
बगल में नानी के बड़े चौड़े कूल्हे देख कर लंड अकड़ा हुआ था । नानी ने अब सूट सलवार पहन लिया था ।

जहन में अभी भी वही सब नाच रहा था मेरे , लंड अपने आप खड़ा होने लगा था , उसपे से नानी की गाड़ देख कर । बार बार उनकी उछलती गाड़ याद आती जब नानी अपने पंजे से अपने चूतड़ फाड़ कर नीचे बुर में बब्बू का लंड ले रही थी । वो तेज कामुक सिसकिया वो गाली अह्ह्ह्ह लंड अकड़ने लगा ।

मै जान रहा था कि नानी जग रही है और उन्हें मेरे आने का आभास है मगर वो बोल नहीं रही थी ।
मै भी सरक कर लेट गया और करवट होकर थोड़ा हिम्मत किया

: नानी ? सो गए क्या ?
: नहीं , बोल क्या है ? ( नानी उखड़ कर बोली )
: सॉरी मुझे नहीं झांकना चाहिए था , माफ कर दो ( मै उन्हें पीछे से हग कर लिया )
: वो फफक पड़ी
: अरे रो क्यों रहे हो ( मै एक कोहनी के बल उठ कर उन्हें अपनी ओर घुमाया )
: तू भी मुझे बाकि औरतों जैसे ही समझेगा अब , तेरे लिए भी मै बाजारू हो गई न ( नानी सुबक कर बोली )
: खबरदार मेरी नानी के लिए ऐसा कुछ कहा , आप मेरी प्यारी नानी हो उम्माह ( मैने उनके गिले गाल को चूमा ) इधर देखो उम्मम ( मैने उन्हें अपनी ओर घुमाया )
वो घूमी और मुझे निहारने लगी । मै हाथों से उनके आंसू साफ किए ।
: नानी एक बात कहूं
: हम्म्म बोल ( नानी मुझे देख कर बोली )
: मै खुश हूं कि आप अपना ख्याल रखती है , आप खुश रहो मै किसी से कुछ नहीं कहूंगा , आपकी कसम ( मै बड़े भावुक होकर बोला और उनके लिप्स चूम लिए वो शर्मा कर मुस्कुराने लगी )
: पगलू मेरा बच्चा इधर आ ( वो मुझे खींच कर अपने होठों से मेरे होठ जोड़ दिए और मैने होठ खोलकर उनकी निचली होठ को चुबलाया तो उनके बदन में हरकत हुई और कस कर वो मेरे होठ चूसने लगी )
मैने भी उनको अपनी बाहों में भर लिया और मेरा खड़ा लंड उनके पेट पर चुभने लगा ।
: आई लव यू नानी उम्मम्मआह ( मै उनके ऊपर आकर बोला )
: मै भी ( वो मुस्कुरा कर मेरे गाल सहलाते हुए बोली और मेरी आंखो में देख रही थी )
: अब उतर जा पेट दब रहा है मेरा अह्ह्ह्ह उफ्फ अह्ह्ह्ह्ह ( मै सरक कर बगल में आया )
: नानी एक बात पूछूं ( मै मुस्कुरा )
: हम्मम बोल न ( वो मुझे निहारती हुई बोली )
: ये कबसे चल रहा है ( मै मुस्कुरा )
: धत्त कामिना , अब मार खायेगा ( नानी लजाई)
: बताओ न प्लीज, मै कहा किसी को बताने वाला हु , आपको पता है मुझे दूसरों के बारे में जानना कितना पसंद है हिहिही
: हम्ममम पक्का किसी से कहेगा नहीं न
: ऊहू ( ना में मैने सर हिलाया )
: करीब 4-5 साल हो गए है
: क्या ?
: हम्म्म
: मतलब कैसे हुआ सब ? ( मै हैरान और उत्साहित होकर बोला )
: मै उन दिनों बहुत परेशान थी , घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी और अंदर भी आग लगी रहती थी । जब तक तेरे नाना थे किसी तरह की कमी नहीं रही मगर उनकी कमी खलती थी । उसने मेरी बहुत मदद की थी और एक रोज मै उसके यहां समान लेने गई तो मुझे पेशाब लगी थी और उसके घर में मै चली गई । वो मुआ छिप कर मुझे देख रहा था मुझे क्या पता , फिर वो मेरे चूतड़ का दीवाना हो गया ।
अक्सर वो मुझे ठंडे पानी पिलाता और मुझे बातों में घंटे उलझाता ताकि रास्ते में मुझे पेशाब लगे । फिर मुझे शक हुआ और वो रंगे हाथ पकड़ा गया ।
बात बहस हुई तो उसने खुले दिल से अपने जज्बात जाहिर कर दिए और ये भी शर्त रखा कि उसकी दुकान से जरूरत की सभी चीजें फ्री थी । मै जिस्मानी और आर्थिक दोनो लालच के आ गई । उसका मूसल देखकर रहा नहीं गया और वही खेत में मै नीचे लेट गई , पहली बार वही हुआ था ।
: ओह गाड़ नानी सच कहू तो आपकी गाड़ देख कर मै भी दीवाना हो गया ( मै उन्हें कूल्हे सहलाया )
: धत्त कामिना मार खायेगा तू
: हिहीही ( मै खिलखिलाया )
: नानी एक बात और पूछूं ( मै मुस्कुराया )
: हम्म्म बोल
: लेकिन जब अब्बू ऐसा करते थे तो क्यों आपने उनके साथ कुछ नहीं किया ?
: तू पागल है क्या , वो मेरे बेटे जैसा था और वो छोटा था उसकी नादानी थी ।
: और अब ? ( मै उनको देख कर मुस्कुराया )
: अब क्या ? ( नानी अचरज से बोली )
: अब मतलब अब तो अब्बू न बच्चे है और न आपके बेटे जैसे तो अब क्यों उन्हें तड़पा रही हो उम्मम ( मैने दुबारा से उनके मुलायम कूल्हे पर हाथ रखा )
: धत्त गंदा, तो क्या अब मै तेरे अब्बू से छीइई पागल ( नानी अजीब सा मुंह बनाई और हसी )
: क्यों , वो भी तो आपके इस बड़े से चूतड़ के दीवाने है उम्मम , कितनी sexy हो आप नानी उह्ह्ह्ह
: शानू ? मत कर बेटा ये सही नहीं है मान जा न ( नानी की सांस चढ़ रही थी )
: नानी ? ( मेरी भी हालत खराब हो रही थी और मेरे हाथ उनकी कमर से होकर ऊपर उनकी मोटी मोटी चूचियो की ओर बढ़ रहे थे )
: नहीं शानू ( वो एकदम से घूम कर मेरी ओर पीठ कर ली)
अह्ह्ह्ह कितना बड़ा चूतड़ था उनका लंड मेरा एकदम अकड़ा हुआ था ।
मै सरक पीछे से हग कर लिया, लंड का सुपाड़ा लोवर के अंदर से नानी की सलवार में कोचने लगा ।
: उम्मम्म शानू बेटा नहीं दूर हट , गलत हो जाएगा ( नानी कुनमुना रही थी और मेरा लंड उनकी गाड़ पर कोंच रहा था )
हाथ आगे बढ़ कर उनके रसीले मम्मों को भर चुके थे , उनकी सांसे चढ़ने लगी थी में पीछे से लंड को उनकी गाड़ के दरारों में घुसा रहा था ।
: नानी आई लव यू सो मच प्लीज न
: उह्ह्ह्ह शानू नहीं रुक जा , मान जा गलत है ये अह्ह्ह्ह्ह
मैने एक हाथ लोवर नीचे कर अपना मूसल बाहर कर दिया और सुपाड़ा सीधा उनके चूतड़ में चुभोने लगा
: अह्ह्ह्ह्ह अल्लाह कितना गर्म है उम्ममम


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: बहुत ज्यादा गर्म है नानी , जल जाओगी ( लंड को उनकी गाड़ के दरारों में सलवार के ऊपर से घुसाते हुए बोला )
: अह्ह्ह्ह अम्मीई खुदा का वास्ता रुक जा शानू
( नानी के गाड़ के दरारों के सुपाड़ा फसा कर मै आगे पीछे हो रहा था और ऊपर नानी मेरे पंजे पर अपना हाथ रख कर अपनी छातियां मिजने से रोक रही थी )
: अह्ह्ह्ह नानी अब कोई कसम मुझे नहीं रोक पाएगी मै बेकाबू को चुका हु प्लीज मत रोको अह्ह्ह्ह्ह नानी कितनी कसी गाड़ है तुम्हारी ओह्ह्ह्ह गॉड उम्मम नानी आई लव यू अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
: उम्ममम मेरा बच्चा मान जा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह रुकक्क जाअआ अह्ह्ह्ह्ह नहीइइई बेटे अह्ह्ह्ह्ह तुझे तेरी अम्मीई का अह्ह्ह्ह्ह शानूयू रुक उम्मम्म ( मै नानी को थामे लगातार उनकी गाड़ और जांघों में पेलता रहा और उनकी बुर के फांके गीली होने लगी थी मै भी चरम पर आ चुका था
: ओह्ह्ह नानी अह्ह्ह्ह्ह फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड उम्मम नानी अह्ह्ह्ह फक्क्क् यूयू नानी उम्मम्मआह अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ अअम्मीईई अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह


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( मै लेटे हुए ही झड़ने लगा , नानी के गाड़ पर सलवार के ऊपर से ही और नानी सिसकारियां निकाती रही )
लंड की पिचकारी नानी की गाड़ के दरारों और चूत तक सलवार को गीली करती हुई पहुंचने लगी और मै सुस्त होने लगा । नानी के छातियों से मेरे पंजे की पकड़ ढीली पड़ने लगी और मै गहरी सास लेते हुआ हाफ रहा था
: आई लव यू नानी ( कान के पास एक छोटी सी किस करके मै उनसे लिप्त गया )
वो मेरे हाथ पकड़ कर मुझे कसने लगी और मुझसे चिपकी रही थी ।
: बदमाश कही का , मेरा बच्चा ( आखिरी अल्फ़ाज़ थे जो मेरे कान में पड़े नानी के और मै गहरी नींद में सो गया )

जारी रहेगी
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UPDATE 023

अतीत के पन्ने : 04


अगली सुबह में देर से उठा , नानी की बाहों में इतना सुकून से सोया कि कब 8 बजने को हुए पता ही नहीं चला।

: शानू ... !!!! ( नानी ने आवाज दी )
मै उठा और घड़ी देखी
ओह बहिनचोद सारा नजारा अभी निकल जाता हाथ से , नानी की नंगी गाड़ आज तो देखनी ही है
उठा तो देखा बिस्तर पर नानी ने आज सिर्फ नाइटी रखी हुई है ।

नानी ने दुबारा आवाज दी मै भाग कर पीछे हाते की ओर गया
सामने देखा तो नानी आधी भीगी आधी सूखी थी , कुछ बाल गिले , कुछ सूट आगे एक तरफ की चूची से सूट भीग कर चिपक गई थी और काटन सूट में नानी के भूरे निप्पल उभर कर दिख रहे थे ।
: नानी क्या हुआ ? गिर गई क्या आप ( मैने फिक्र में बोला )
: नहीं रे, नहा रही थी और वो हराम का जना दिलावर , मुआ जीने से झाक रहा था ( नानी झल्लाती हुई बोली )
मै चुप हो गया ।
: मै पाखाने वाले बाथरूम जा रही हूँ तू पानी की बाल्टी दे देगा बेटा ( नानी परेशान होकर बोली)
: जी नानी आप चलो मै पानी लेकर आता हूं

मै पानी की बाल्टी लेने चला गया
घर में कहने को पक्का बाथरूम तो है मगर उसी में पाखाना भी अटैच है लेकिन पानी की कोई सुविधा भी मामू ने नहीं करवाई थी । और नानी अपनी अधेड़ उम्र की वजह से वही नल के पास ही खुले आंगन में नहा लेती थी ।
मगर आज दिलावर मामू को गुलनार मिली नहीं तो वो आज नानी को ताड़ने लगे ।

मै एक बाल्टी पानी लेकर पहुंचा तो नानी बालों के शैंपू कर रही थी और गाज इसके सर से देह पर जा रही थी ।


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मोटी मोटी चूचियां पूरी बिजिबल थी
देखते ही लंड खड़ा हो गया ।
: बेटा एक बाल्टी और ला दे फिर मै नहा लूंगी

नानी की कसी चूचियां सूट में चिपकी देख कर लंड सलामी देने लगा ।
मै भाग कर नल पर गया और पानी भरने लगा
लंड एकदम से फड़फड़ा रहा था
जल्दी जल्दी मै पानी की बाल्टी लेकर पहुंचा


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और देखा नानी अपनी जांघें खोले बैठी हुई एड़ियां रगड़ रही थी और उनकी बड़ी बड़ी चूचिया हिल रहे थी ।
लंड एकदम अकड़ा हुआ था नानी को देख कर नानी अपने ऊपर पानी डाल रही थी । उनकी चूचियां अब और खिल कर दिख रही थी ।

: अब खड़ा क्या है , जा बाहर मुझे नहाना है ( नानी खड़ी होकर बोली और मै बाहर आ गया )
नानी ने दरवाजा लगा दिया ।

मै मचल कर रह गया लंड मेरा एकदम अकड़ा हुआ था और मुझसे रहा नही जा रहा था
कैसे भी करके मुझे नानी के बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों को देखना ,
कैसे उन पहाड़ों और दरारों से पानी झरना जैसे गिरेगा
सोच कर ही लंड फौलादी हुआ जा रहा था ।
मैने ऊपर देखा तो दरवाजा पूरा बंद और नीचे देखा तो थोड़ा सा गैप
बड़े प्रयास कर मै घुटने के बल होकर सर को फर्श में लगा कर आंखो घुसा कर देखा

अह्ह्ह्ह्ह क्या नजारा था जैसे सोचा था वैसा ही


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नानी पूरी नंगी दरवाजे के पास लग कर खड़ी थीं और अपने ऊपर पानी डाल रही थी । मानो मेरी कल्पना ने हकीकत का रूप ले लिया हुआ
नानी जैसे मग से पानी अपने जिस्म पर डालती वो उनकी चौड़ी पीठ होकर उनके बड़े बड़े रसीले चूतड़ों और दरारों के निकल कर झरने के जैसे फर्श पर गिरने लगा
उन अमृतझरनों के छींटे मेरे नाक और होठ पर आने लगे तो मैने जीभ दरवाजे के पास डाल कर उस कामरस का पान करने लगा ।
आंखों को बंद किए मै जीभ से नानी के चूतड़ों से गिरते पानी का रसपान रहा था कि जुबान पर अजीब सी ऐंठन होने लगी , ऐसा कुछ गर्म और खारा स्वाद मैने पहले कभी नहीं चखा था , जैसे ही आंखे खोलकर देखा तो नानी खड़े खड़े ही जांघें खोल कर अपनी चूत की टंकी खोल दी थी और उनकी मूत उनकी जांघों से रिसकर कर फर्श पर गिर रही थी और उनकी मूत के छींटे मेरे जीभ पर थे ।
लंड एकदम उफान पर था , नानी की बुर का पानी जीभ पर आते ही मेरा मूसल पंप होने लगा
नानी ने मग से अब अपनी चूत पर छप्प छप्प पानी मार कर धूल रही थीं और मसल कर धूल रही थी ।

अब और मै रुक नहीं सकता था
मेरा लंड एकदम बेकाबू हो गया था और अब जरा सा भी मै लंड छू भर देता तो मेरा लंड भलभला कर माल उगल देता , और कपड़े खराब होने तय थे ।
भाग कर मै नल के पास गया और लंड निकाल कर पानी गिराने लगा
पूरे बदन में सिरहन सी फेल गई और मगर लंड की अकड़न नहीं गई ।
लोवर में तंबू लिए मै अन्दर आया तो बाथरूम का दरवाजा खुला था और मैं बाल्टी में पानी भर कर ले आया

थोड़ी देर में नानी बाहर दिखी, काटन नाइटी में उनके बड़े भड़कीले चूतड और गदराई चूचियां उभरी हुई थी ।
: अरे पागल वही नहा लेता
: नहीं मै भी अंदर ही नहाऊंगा ( पानी लेकर घुसते हुए बोला )
: ठीक है जल्दी कर मुझे कपड़े डालने है ( नानी बोली उससे पहले मै दरवाजा लगा दिया )

जल्दी जल्दी लंड निकाल कर पूरा नंगा और अपने जिस्म पर पानी डालने लगा , फिर मैने वहां पड़ी हुई नानी की कच्छी उठाई और उस गीली पैंटी को सूंघ कर अपने लंड से लगाया
अह्ह्ह्ह्ह गजब की ठंडक थी और लंड उसकी बुर की खुशबू से अकड़ गया
: अह्ह्ह्ह्ह नानी क्या मस्त चूत होगी आपकी इतनी गजब खुशबू है अह्ह्ह्ह्ह कितना नमकीन पानी होगा आपका ओह्ह्ह्ह चटवा लो न
मै अपने बदन में साबुन घिस रहा था और नानी को मन ही मन याद कर रहा था
: ओह्ह्ह्ह नानी आपकी गाड़ में मुंह घुसा देने का जी चाहता था , मन करता है आपके ऊपर झड़ जाऊ ( मै मन के बड़बड़ाया और मेरी नजर उनकी सलवार पर गई और मै उधर ही गया
: ये सलवार आपकी गाड़ से चिपकी रहती है अह्ह्ह्ह्ह मेरी नानी मेरी sexy नानी अह्ह्ह्ह आपको पेल मै भी आपकी सलवार गीली करना चाहता हु ओह्ह्ह्ह्ह उम्मम्म फक्क्क् ओह्ह्ह्ह तुम्हारी गाड़ कितनी मुलायम और मोटी है अह्ह्ह्ह नानी पीलवा लो न गाड़ देदो न अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह

मैं जरूर से साबुन वाले हाथों से अपना लंड मसल रहा था और आंखों के नानी की बड़ी गाड़ की तस्वीर लिए हिला रहा था
: अह्ह्ह्ह्ह नानी आपके मूत को चख कर मै पागल हो गया हु आप मेरे मुंह पर बैठ जाना और मूतना , पूरी चूत को मेरे मुंह पर रगड़ना अह्ह्ह्ह्ह हा नानी अह्ह्ह्ह फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड उम्मम
नानी की चूत अपने मुंह पर सोच आकर मेरे लंड की नसे फड़क उथी और मै तेजी से झड़ने लगा ,


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आगे फर्श पर नानी की सलवार थी मै उसी को गिला करता रहा झड़ता रहा ।

फिर मै नहाया और एक बार उनकी सलवार को पानी डालकर बाहर निकाल दिया ताकि नानी को भनक न लगे और फिर तौलिया लपेट कर बाहर आया ।
तभी मेरे कानो में नानी की आवाज आई वो शायद फोन पर किसी से बात कर रही थी ।

: नहीं पागल मत बनो ( नानी बातों से परेशान लग रही थी )
: मैने कहा न इधर नहीं , मै भी परेशान ही हु तो .... हा ठीक है । ऐसा कुछ हो पाया तो जरूर कहूंगी । ( नानी ने फोन काट दिया और मै कमरे में दाखिल हुआ

: नहा लिया ( नानी मुझे देख कर बोली )
: जी नानी ( मै बिस्तर पर रखा अपना अंडरवियर उठा कर बोला )
: ठीक है मै कपड़े धूल देती हु तू फैला देना , फिर खाना बनाते है । ठीक है
: हा नानी ठीक है
नानी नाइटी के कूल्हे हिलाते हुए आगे बढ़ी और मै बनियान पहनने लगा ।

नानी के जाते ही मैने लपक कर उनका मोबाइल उठाया और लॉक खोलकर काल डिटेल चेक किया तो
सबसे ऊपर जो कॉल आया था वह "बब्बू किराना" से था ।
मैने कॉल रिकार्डिंग खोजी पर मिली नहीं ।
पहली बार नानी का मोबाइल हाथ लगा लगा था । कॉल डिटेल में जाकर देखा तो सबसे ज्यादा फोन सिर्फ "बब्बू किराना" की थी । कुछ अम्मी और कुछ मामू की ।
दिल के अजीब सी उलझन थी कि क्या बात हुई होगी दोनो में ।

मैने गैलरी चेक किया और बाकी कुछ नानी चलाती नहीं थी ।
सब कुछ क्लियर था । ऐसा कुछ भी था कि शक करने की गुंजाइश रहे ।
मै कपड़े पहन कर वापस आया ।

मैने खंगाले हुए कपड़े लिए और ऊपर चला गया और जीने से कपड़े डाल कर नीचे आया ।
कुछ देर बाद दिलावर मामू आए ।
खाने के बाद

: चाची आज बाजार जा रहा हूं ,कुछ लाना है तो बोल दो ( दिलावर मामू बोले)
: अह सारी साग सब्जी तो कल ही लेकर आई हूं मै । फिर तुझे जो खाने का मन है लेते आना रात के लिए ( नानी बोली )
: अच्छा ऐसा है फिर शानू को भेज दो , उसको समान दिला दूंगा और वही से मै काम के लिए निकल जाऊंगा ( मामू ने नानी को सुझाया )

मेरा तो जरा भी मन नहीं था नानी को अकेला छोड़ने का , ऊपर से दिलावर मामू के साथ क्या करता जाकर । बोरियत होती सो अलग ।
नानी ने मुझे पठा दिया उनके साथ ।

मैने भी कपड़े बदले और निकल गया उनकी साइकिल पर बैठ कर पीछे ।
दिलावर मामू पेशे से राजमिस्त्री थे । सुबह ही काम पर निकल जाते थे ।
साइकिल पर पीछे करियर पर खड़ंजे वाली सड़क पर बैठे बैठे मेरे चूतड़ दर्द होने लगे ।
कुछ देर बाद ही मै वही बगल वाले गांव के चौराहे पर आया था ।

: मुर्गा खायेगा शानू ( दिलावर मामू बोले)
लजीज चिकन खाए भी महीनों बीत गए थे , एक तो गर्मी उसपे से परीक्षा चल रही थी और अब्बू भी काफी समय से घर नहीं आए थे । इसीलिए मिल नहीं खाने को । सेकेंड नहीं लिया मैने और हामी भर दी ।
: ठीक है चल पहले बब्बू के यहां मसाला बंधा लेता हु और फिर अकील के यहां से देसी मुर्गा कटवाते है .!
: जी मामू ( मै खुश हो गया )

फिर हम बब्बू किराना की दुकान पर गए और मैने उन्हें नमस्ते किया ।
: अरे बेटा आज अकेले आए हो ( बब्बू ने पूछा )
: नहीं बब्बू आज मै लिवा आया , तुम जरा मसाले बांध दो। एक किलो मुर्गा के लिए ठीक है और तब तक मै अकील भाई के यहां से आता हु ( दिलावर मामू ने सारी बात एक बार में कह दी )
: अच्छा दिलावर भाई कर देता हु और कुछ समान रहेगा ( बब्बू एकदम से हड़बड़ाने लगा और मुझे अजीब लगा )
: नहीं नहीं , ये लो पैसे और तैयार रखो मै आ रहा हूं ( दिलावर मामू उसको पैसे देते हुए बोले )

फिर हम वहां से निकल कर सड़क से दूसरी ओर बाग में जाने लगे
वहा एक पेड़ के नीचे एक मोटा आदमी सर पर गमछा बांधे हुए था । उसकी में पर पीली प्लास्टिक पर एक बड़ा लकड़ी का कुंडा था जिसपर वो मुर्गे काटता था

: सलाम अकील भाई , जरा एक किलो काट दो , और अच्छे पीस रखना ( दिलावर मामू बोले)
: क्या दिलावर भाई आपको कभी शिकायत मिली है क्या ( वो मुर्गे की चोंच पकड़ कर किनारे से रेत कर लाया और उसके पखड़े छिल कर उसको नंगा कर दिया , बगल के रखी एक मैली सी बाल्टी के उसकी डुबो कर धुला और फिर लकड़ी के कुंडे पर रख कर खचाखच काटने लगा ।
इधर दिलावर मामू और वो अकील बातें कर रहे थे कि तभी सड़क पर एक मोबाइल के स्टार्ट होने की आवाज आई
गर्दन फेरा दो देखा बब्बू बड़ी हड़बड़ाहट अपनी बाइक पर बैठा था । देह पर वही टीशर्ट और लूंगी । गाड़ी पर बैठे हुए दुकान पर अपने लड़के को कुछ समझा रहा था
फिर जैसे ही उसने मेरी ओर घुमा मै गर्दन फेर लिया और वो तेजी से निकल गया । मुझे लगा जरूर दाल में कुछ काला है ।

: हो गया बेटा, चल मसाले लेते है और फिर घर चला जाना ( दिलावर मामू बोले )
: जी मामू
फिर मै बब्बू की दुकान पर आया और मसाले लिया , दिलावर मामू साइकिल से निकल गए काम पर और मै पैदल चलने लगा ।
रास्ते से जाते हुए मेरी नजर शॉर्ट वाले खेत के रास्ते पर गई जिधर से मै आया था कल नानी के साथ ।
भागकर मै उस खेत वाले रास्ते को पकड़ लिया
कभी तेजी से दौड़ता तो कभी तेज चलता हुआ , जांघें पैर अब दर्द होने लगे । उसपे से झोला भी हाथ में ।
हांफते हुए मै गांव की ओर आया ।
अब तक बब्बू को निकले 20 मिनट हो चुके थे ।
मै तेजी से चलता हुआ मुहल्ले में घुसा तो बब्बू की गाड़ी नानी के घर से सामने सड़क पर दूसरी ओर खड़ी थी ।
मै तेजी से गया और देखा गेट तो बस भीड़काया हुआ है । मै धीरे से लपक कर दबे पाव अंदर गया
दरवाजा पूरा बंद और अंदर से तेज सिसकियां और आवाजे आ रही थी
मै लपक कर खिड़की पर आया

: अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह तू बड़ा जिद्दी है रे मुझे फसवा देगा अह्ह्ह्ह सीईईईईई ( नानी बब्बू ले लंड पर सवार थी और बड़ी बड़ी गाड़ उछाल रही थी )


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: अह्ह्ह्ह्ह चाची तेरी बड़ी गाड़ देख कर रहा नहीं जाता अह्ह्ह्ह्ह 3 रोज से तड़प रहा था अह्ह्ह्ह्ह उम्ममम कितनी गरम है तेरी बुर अह्ह्ह्ह ( बब्बू नीचे से बोला )
: सब जानती , कमीना हिसाब बराबर करने आया है तू अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह अरे आराम से फाड़ देगा क्याअह्ह अह्ह्ह्ह्ह अम्मी अह्ह्ह्ह
: रंडी साली , 3 3 पैकेट मिठाई के उठा लाई तो हिसाब न करूं मादरचोद ( बब्बू नानी को गालियां देता हुआ नीचे से अपने कूल्हे फेक कर तेजी से नानी की चूत में पेल रहा था )


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मै अपना लंड बाहर निकाल कर हिला रहा था खिड़की से झाक रहा था ।
: अह्ह्ह्ह बब्बू रुकना मत अह्ह्ह्ह्ह चोद और तेज अह्ह्ह्ह्ह कितना तड़पी हू मै 3 रोज मै अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह्ह आ रहा है उम्ममम ( नानी ऐंठने लगी और अकड़ कर उसके लंड पर ही झड़ रहे थी , मै उनकी कामुकता और सेक्स के मदहोशी के देखकर पागल हो उठा )
लंड पकड़ कर जोरो से भींच रहा था
ऐसा नजारा देखे महीनों बीत गए थे और नानी की नंगी बड़ी गाड़ और उनकी चुदाया मुझे कामोत्तेजना के शिखर पर ले जा रही थी

अंदर पोजिशन बदल चुका था , नानी नंगी अब बिस्तर पर थी और बब्बू उनके ऊपर आ कर चढ़ कर पेल रहा था
नानी मस्ती से मुस्कुरा रही थीं और बब्बू चढ़ कर पेल रहा था
: जल्दी कर बब्बू शानू आता होगा
: अह्ह्ह्ह चाची, उसे समय लगेगा तू मजे ले अह्ह्ह्ह्ह आज तेरी बुर का भोसडा बनेगा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई उम्मम अह्ह्ह्ह्ह ( बब्बू नानी के ऊपर चढ़ कर उनकी चूचियां मिज़ता हुआ फचर फचर पेले जा रहा था , नानी को फिर से मस्ती छाने लगी थी )


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: उम्मम बब्बू हा बेटा ऐसे ही अह्ह्ह्ह्ह सीईईई और घुसा न उम्ममम अह्ह्ह्ह्ह

मै नानी के चेहरे के भाव देख रहा था कैसे वो चुदासी हुई तड़प रही थी और बब्बू के लंड को गहराई में लेजाने की मिन्नते कर रही थी ,मै नीचे रॉड सा लंड निकाल कर हिला रहा था
: अह्ह्ह्ह बब्बू उम्मम अह्ह्ह्ह्ह रुकना नहीं अह्ह्ह्ह सीईईईईई ( नानी अपनी गाड़ उचकाने लगी और यहां मै उनकी तड़प देख कर पागल हो उठा )
काश अंदर बब्बू की जगह मै होता अह्ह्ह्ह नानी चुदवा लो मुझसे बड़ा लंड है मेरा अह्ह्ह्ह्ह नानी अह्ह्ह्ह्ह देखो कितना तड़पा रही हो अह्ह्ह्ह्ह नानी ओह्ह्ह
नानी एकदम फड़फड़ाने लगी और चरम पर थी और गर्दन इधर उधर झटक रहीं थी , नीचे बब्बू पेले जा रहा था और तभी नानी की नजर खिड़की के पास मुझपे गई

वहां नीचे बब्बू लंड को पूरी गहराई में ले जाकर झटके खा रहा था और नानी झड़ रहे थी और उनकी फटी आंखे मुझे देख कर मेरा नाम बुदबुदा रही थी
मैने उनके होठ पढ लिए और आंखे उलट कर वही खिड़की के पास ही झड़ने लगा


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एक के बाद एक पिचकारिया दिवाल पर छूटती रही ।
नानी मुंह पर हाथ रख कर गर्दन दूसरी ओर कर ली। इससे पहले बब्बू देखता मै झुक गया ।
और मै जीने से छत की ओर चला गया ।
कुछ देर बाद बब्बू कमरे से निकला और मैने छत से उसको बाहर जाते देखा ।

नीचे जाने की हिम्मत नहीं हो पा रही थी मेरी । अजीब सा डर लग रहा था कि ना जाने नानी क्या सोचेंगी । क्या कहेंगी । वो खुद भी शर्मिंदा होंगी इसपर और उन्हें तो यही लगेगा कि मै खुद से जासूसी की होगी ।

आधे घंटे तक वही जीने के पास दिवाल से लग कर छांव में बैठा रहा और फिर मुझे नल चलने की आवाज आई
देख तो नानी पोछे वाला कपड़ा धूल रही थी । मै समझ गया कि वो मेरी ही फैलाई गंदगी साफ की होंगी ।
वो घूमी तो मुझे ऊपर बैठे देखा , फिर नजरे फेरते हुए अंदर चली गई बिना कुछ बोले ।
अजीब कशमकश थी नानी को देख कर लग नहीं रहा था कि वो नाराज है मगर क्या भरोसा ?
धूप चढ़ रही थी और मै उठ कर नीचे आ गया ।
नानी कमरे में लेती हुई थी करवट लेकर मै भी गर्मी से भीगा था तो कमरे में आ गया बिस्तर पर बैठ गया ।
बगल में नानी के बड़े चौड़े कूल्हे देख कर लंड अकड़ा हुआ था । नानी ने अब सूट सलवार पहन लिया था ।

जहन में अभी भी वही सब नाच रहा था मेरे , लंड अपने आप खड़ा होने लगा था , उसपे से नानी की गाड़ देख कर । बार बार उनकी उछलती गाड़ याद आती जब नानी अपने पंजे से अपने चूतड़ फाड़ कर नीचे बुर में बब्बू का लंड ले रही थी । वो तेज कामुक सिसकिया वो गाली अह्ह्ह्ह लंड अकड़ने लगा ।

मै जान रहा था कि नानी जग रही है और उन्हें मेरे आने का आभास है मगर वो बोल नहीं रही थी ।
मै भी सरक कर लेट गया और करवट होकर थोड़ा हिम्मत किया

: नानी ? सो गए क्या ?
: नहीं , बोल क्या है ? ( नानी उखड़ कर बोली )
: सॉरी मुझे नहीं झांकना चाहिए था , माफ कर दो ( मै उन्हें पीछे से हग कर लिया )
: वो फफक पड़ी
: अरे रो क्यों रहे हो ( मै एक कोहनी के बल उठ कर उन्हें अपनी ओर घुमाया )
: तू भी मुझे बाकि औरतों जैसे ही समझेगा अब , तेरे लिए भी मै बाजारू हो गई न ( नानी सुबक कर बोली )
: खबरदार मेरी नानी के लिए ऐसा कुछ कहा , आप मेरी प्यारी नानी हो उम्माह ( मैने उनके गिले गाल को चूमा ) इधर देखो उम्मम ( मैने उन्हें अपनी ओर घुमाया )
वो घूमी और मुझे निहारने लगी । मै हाथों से उनके आंसू साफ किए ।
: नानी एक बात कहूं
: हम्म्म बोल ( नानी मुझे देख कर बोली )
: मै खुश हूं कि आप अपना ख्याल रखती है , आप खुश रहो मै किसी से कुछ नहीं कहूंगा , आपकी कसम ( मै बड़े भावुक होकर बोला और उनके लिप्स चूम लिए वो शर्मा कर मुस्कुराने लगी )
: पगलू मेरा बच्चा इधर आ ( वो मुझे खींच कर अपने होठों से मेरे होठ जोड़ दिए और मैने होठ खोलकर उनकी निचली होठ को चुबलाया तो उनके बदन में हरकत हुई और कस कर वो मेरे होठ चूसने लगी )
मैने भी उनको अपनी बाहों में भर लिया और मेरा खड़ा लंड उनके पेट पर चुभने लगा ।
: आई लव यू नानी उम्मम्मआह ( मै उनके ऊपर आकर बोला )
: मै भी ( वो मुस्कुरा कर मेरे गाल सहलाते हुए बोली और मेरी आंखो में देख रही थी )
: अब उतर जा पेट दब रहा है मेरा अह्ह्ह्ह उफ्फ अह्ह्ह्ह्ह ( मै सरक कर बगल में आया )
: नानी एक बात पूछूं ( मै मुस्कुरा )
: हम्मम बोल न ( वो मुझे निहारती हुई बोली )
: ये कबसे चल रहा है ( मै मुस्कुरा )
: धत्त कामिना , अब मार खायेगा ( नानी लजाई)
: बताओ न प्लीज, मै कहा किसी को बताने वाला हु , आपको पता है मुझे दूसरों के बारे में जानना कितना पसंद है हिहिही
: हम्ममम पक्का किसी से कहेगा नहीं न
: ऊहू ( ना में मैने सर हिलाया )
: करीब 4-5 साल हो गए है
: क्या ?
: हम्म्म
: मतलब कैसे हुआ सब ? ( मै हैरान और उत्साहित होकर बोला )
: मै उन दिनों बहुत परेशान थी , घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी और अंदर भी आग लगी रहती थी । जब तक तेरे नाना थे किसी तरह की कमी नहीं रही मगर उनकी कमी खलती थी । उसने मेरी बहुत मदद की थी और एक रोज मै उसके यहां समान लेने गई तो मुझे पेशाब लगी थी और उसके घर में मै चली गई । वो मुआ छिप कर मुझे देख रहा था मुझे क्या पता , फिर वो मेरे चूतड़ का दीवाना हो गया ।
अक्सर वो मुझे ठंडे पानी पिलाता और मुझे बातों में घंटे उलझाता ताकि रास्ते में मुझे पेशाब लगे । फिर मुझे शक हुआ और वो रंगे हाथ पकड़ा गया ।
बात बहस हुई तो उसने खुले दिल से अपने जज्बात जाहिर कर दिए और ये भी शर्त रखा कि उसकी दुकान से जरूरत की सभी चीजें फ्री थी । मै जिस्मानी और आर्थिक दोनो लालच के आ गई । उसका मूसल देखकर रहा नहीं गया और वही खेत में मै नीचे लेट गई , पहली बार वही हुआ था ।
: ओह गाड़ नानी सच कहू तो आपकी गाड़ देख कर मै भी दीवाना हो गया ( मै उन्हें कूल्हे सहलाया )
: धत्त कामिना मार खायेगा तू
: हिहीही ( मै खिलखिलाया )
: नानी एक बात और पूछूं ( मै मुस्कुराया )
: हम्म्म बोल
: लेकिन जब अब्बू ऐसा करते थे तो क्यों आपने उनके साथ कुछ नहीं किया ?
: तू पागल है क्या , वो मेरे बेटे जैसा था और वो छोटा था उसकी नादानी थी ।
: और अब ? ( मै उनको देख कर मुस्कुराया )
: अब क्या ? ( नानी अचरज से बोली )
: अब मतलब अब तो अब्बू न बच्चे है और न आपके बेटे जैसे तो अब क्यों उन्हें तड़पा रही हो उम्मम ( मैने दुबारा से उनके मुलायम कूल्हे पर हाथ रखा )
: धत्त गंदा, तो क्या अब मै तेरे अब्बू से छीइई पागल ( नानी अजीब सा मुंह बनाई और हसी )
: क्यों , वो भी तो आपके इस बड़े से चूतड़ के दीवाने है उम्मम , कितनी sexy हो आप नानी उह्ह्ह्ह
: शानू ? मत कर बेटा ये सही नहीं है मान जा न ( नानी की सांस चढ़ रही थी )
: नानी ? ( मेरी भी हालत खराब हो रही थी और मेरे हाथ उनकी कमर से होकर ऊपर उनकी मोटी मोटी चूचियो की ओर बढ़ रहे थे )
: नहीं शानू ( वो एकदम से घूम कर मेरी ओर पीठ कर ली)
अह्ह्ह्ह कितना बड़ा चूतड़ था उनका लंड मेरा एकदम अकड़ा हुआ था ।
मै सरक पीछे से हग कर लिया, लंड का सुपाड़ा लोवर के अंदर से नानी की सलवार में कोचने लगा ।
: उम्मम्म शानू बेटा नहीं दूर हट , गलत हो जाएगा ( नानी कुनमुना रही थी और मेरा लंड उनकी गाड़ पर कोंच रहा था )
हाथ आगे बढ़ कर उनके रसीले मम्मों को भर चुके थे , उनकी सांसे चढ़ने लगी थी में पीछे से लंड को उनकी गाड़ के दरारों में घुसा रहा था ।
: नानी आई लव यू सो मच प्लीज न
: उह्ह्ह्ह शानू नहीं रुक जा , मान जा गलत है ये अह्ह्ह्ह्ह
मैने एक हाथ लोवर नीचे कर अपना मूसल बाहर कर दिया और सुपाड़ा सीधा उनके चूतड़ में चुभोने लगा
: अह्ह्ह्ह्ह अल्लाह कितना गर्म है उम्ममम


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: बहुत ज्यादा गर्म है नानी , जल जाओगी ( लंड को उनकी गाड़ के दरारों में सलवार के ऊपर से घुसाते हुए बोला )
: अह्ह्ह्ह अम्मीई खुदा का वास्ता रुक जा शानू
( नानी के गाड़ के दरारों के सुपाड़ा फसा कर मै आगे पीछे हो रहा था और ऊपर नानी मेरे पंजे पर अपना हाथ रख कर अपनी छातियां मिजने से रोक रही थी )
: अह्ह्ह्ह नानी अब कोई कसम मुझे नहीं रोक पाएगी मै बेकाबू को चुका हु प्लीज मत रोको अह्ह्ह्ह्ह नानी कितनी कसी गाड़ है तुम्हारी ओह्ह्ह्ह गॉड उम्मम नानी आई लव यू अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
: उम्ममम मेरा बच्चा मान जा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह रुकक्क जाअआ अह्ह्ह्ह्ह नहीइइई बेटे अह्ह्ह्ह्ह तुझे तेरी अम्मीई का अह्ह्ह्ह्ह शानूयू रुक उम्मम्म ( मै नानी को थामे लगातार उनकी गाड़ और जांघों में पेलता रहा और उनकी बुर के फांके गीली होने लगी थी मै भी चरम पर आ चुका था
: ओह्ह्ह नानी अह्ह्ह्ह्ह फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड उम्मम नानी अह्ह्ह्ह फक्क्क् यूयू नानी उम्मम्मआह अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ अअम्मीईई अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह


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( मै लेटे हुए ही झड़ने लगा , नानी के गाड़ पर सलवार के ऊपर से ही और नानी सिसकारियां निकाती रही )
लंड की पिचकारी नानी की गाड़ के दरारों और चूत तक सलवार को गीली करती हुई पहुंचने लगी और मै सुस्त होने लगा । नानी के छातियों से मेरे पंजे की पकड़ ढीली पड़ने लगी और मै गहरी सास लेते हुआ हाफ रहा था
: आई लव यू नानी ( कान के पास एक छोटी सी किस करके मै उनसे लिप्त गया )
वो मेरे हाथ पकड़ कर मुझे कसने लगी और मुझसे चिपकी रही थी ।
: बदमाश कही का , मेरा बच्चा ( आखिरी अल्फ़ाज़ थे जो मेरे कान में पड़े नानी के और मै गहरी नींद में सो गया )

जारी रहेगी
Can't wait for nani and shanu sex
 
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शानू साहब की स्थिति ' दीपक तले अंधेरा ' के जैसी बन गई थी । अगल-बगल , घर मे - ननिहाल मे सर्वत्र उजाले ही उजाले थे पर शानू साहब के नसीब मे अंधेरा ही अंधेरा था ।
कभी नयन सुख , तो कभी विध्न संतोषी की भुमिका ही इनके खुशी का कारण बना ।
घर मे माॅम ने इन्हे अपने लटके झटके से गोल गोल घुमा कर ललचाने का काम किया और इधर नानी ने भी बब्बू अंकल से अनैतिक सम्बन्ध स्थापित कर ' मै नदिया फिर भी मै प्यासी ' की स्थिति मे फिर से लाकर खड़ा कर दिया ।
वैसे इस परिवार की एक खास विशेषता है और वह है - जैसा बाप वैसा बेटा और जैसी अम्मा वैसी पुत्री ।
फरीदा मैम अपनी अम्मा की ही परछाई प्रतीत हो रही है ।

हमारे शानू साहब से अधिक तेज और माॅडर्न उनसे उम्र मे चार साल छोटी गुलनार निकली । अपने ही बाप से आशनाई कर बैठी ।
जब की शानू साहब अब तक सिर्फ सोचन देव महाराज ही बने हुए है । देखो , सोचो और खुद को संतुष्ट करो - यही नियति बन गई है शानू साहब की ।

आउटस्टैंडिंग एंड हाॅट अपडेट भाई ।
 
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GURUOO7

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Bohot badiya update
 
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Enjoywuth

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Bahut shandar aur kamuk...ammi gayi toh nani se suru..yahan baat thoda jaror aage badh sakti hai
 
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