- 7,838
- 21,970
- 189
कहानी का नया अपडेट 33
पेज नं 138 पर पोस्ट कर दिया गया है
Kindly read & review
पेज नं 138 पर पोस्ट कर दिया गया है
Kindly read & review
Last edited:
Click anywhere to continue browsing...
Post edit kar le bahan ke bhai***POST DELETED***
Click anywhere to continue browsing...
लगता है प्रधान जी चल दिएPost edit kar le bahan ke bhai
Warna writter moderator se kah kar terimaar jarur lega
Uska track clear hai es mamale me
Click anywhere to continue browsing...
Naani ki ghamasan chudai dekh kar maza aa gaya.... Lekin Shanu ne Farida ko car se aata dekha.. ye majra bhi samajhna padega.... aur Naani ne bhi farida ko smjhaya.. dekhte hn farida kese ab aagey badhegi...UPDATE 026अतीत के पन्ने : 07
: नहीं होगा बेटा ये मुझे , देख चढ़ ही नहीं रहे मेरे कूल्हे पर ( नानी अम्मी की पैंटी अपने बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों पर चढ़ाते हुए बोली )
अम्मी की पैंटी के नानी के बड़े भड़कीले चूतड़ों को देख कर मै पागल होने लगा , मेरा लंड पहले ही नानी को नंगा देख कर बौराया हुआ था ।
: बस ऐसे ही रहने दो न नानी , सेक्सी लग रही हो हीही ( मै नानी की मोबाइल हाथ में लिए उनकी फोटो निकलते हुए बोला )
: धत्त क्या कर रहा है बदमाश फोटो नहीं ( नानी ने मुझे रोकना चाहा तो मै पीछे हो गया )
: उफ्फ नानी अम्मी की पैंटी में आपकी गाड़ कितनी बड़ी लग रही है , ऐसा लग रहा है जैसे अम्मी की गाड़ और फूल गई हो ( मै उनके रसीले चूतड़ सहलाते हुए बोला )
नानी मेरे हाथों का स्पर्श पाकर सिहर उठी और उनके ठंडे बदन में कंपकपी होने लगी : अह्ह्ह्ह बेटा उम्मम मत कर न
: ओह्ह्ह्ह नानी आज आपको देख कर लग रहा है जैसे अम्मी खड़ी हो मेरे आगे अह्ह्ह्ह्ह अम्मीइई उम्मम ( मै नानी को देख कर पेंट में अपना लंड मसल रहा था )
: सच में , देखा है क्या तूने अपनी अम्मी को ऐसे कपड़े में उम्मम ( नानी ने फोटो शूट के पोज दिए )
: देख तो रहा हु उफ्फ अपनी अम्मी को , उफ्फ थोड़ा गाड़ फैलाओ न अम्मी अह्ह्ह्ह ( मै नानी के बड़े भड़कीले चूतड़ों की तस्वीरें ले रहा था जिसकी दरारों में अम्मी की पैंटी फंसी हुई थी )
: उम्मम देख ले बेटा , कैसी तेरी अम्मी की गाड़
( नानी ने अपने गाड़ फैला कर मुझे दिखाए और मै भीतर से तड़प उठा )
: इधर आओ न अम्मी बताता हु ( मै अपना लंड बाहर निकाल कर नानी के गाड़ सहलाने लगा )
: अह्ह्ह्ह्ह शानू उम्मम बेटा अह्ह्ह्ह्ह आराम से नाखून लग जाएगा अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म
: उम्मम अम्मीई आपकी गाड़ को फाड़ डालूंगा उम्ममम
: और इसे अह्ह्ह्ह ( नानी ने ब्रा से अपने चूचे बाहर करते हुए बोली )
नानी के बड़े रसीले मम्में को अम्मी के ब्रा के बाहर झूलता देख मैं उनके निप्पल को मुंह में ले लिया
: अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म बेटा चूस ले अह्ह्ह्ह्ह कितना बड़ा है मेरे शानू का लंड आह्ह्ह्ह ( नानी मेरे लंड को हाथ में पकड़ कर भींच रही थी और मै उनके दूध पी रहा था )
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मी आपके दूध बहुत मुलायम है अह्ह्ह्ह्ह उम्मम ( मै नानी के चूचे मसलता हुआ बोला और नानी सुपाड़े को अंगूठे से रगड़ने लगी मेरा तो जैसे टपक ही जाएगा लंड ऐसा फील हुआ )
: उम्ममम अम्मीईई अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स अम्मीईई ओह्ह्ह्ह कितनी मस्त चूस रही हो अह्ह्ह्ह्ह जी कर रहा है आपके मुंह में ही झड़ जाऊ आह्ह्ह्ह ( नानी नीचे बैठ कर मेरे लंड चूसने लगी और मै उनके सर को पकड़ कर अकड़ने लगा )
नानी बिना रुके लगातार चूसे जा रही थी और मेरा लंड अम्मी को सोच कर पूरा बौराया हुआ था मै नानी के मुंह में पेलने लगा : अह्ह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह्ह लेलो अह्ह्ह्ह्ह कबसे तड़प रहा है आपसे अपना लंड चुस्वाऊ उम्मम फ़क्ककक्क्क अम्मीईई आह्ह्ह्ह
नानी उठने लगी और मै वापस उनकी मोटी मोटी चूचियां को मुंह में भरते हुए उनके कूल्हे सहलाने लगा , मेरा लंड नानी के बुर के फाकों में ठोकर लगा रहा था मै सरक कर घुटने पर हो गया
उनके पेट और फिर बुर पर अपने चेहरे को लगाने
बंद आंखो से मै नानी के जिस्म में अपनी अम्मी को खोज रहा था , नानी के गुदाज चर्बीदार पेट पर मेरे चेहरे रंग रहे थे और मेरी कल्पनाओं के अम्मी की छवि उभर रही थी । मानो सच में अम्मी मेरे आगे थी
: अह्ह्ह्ह्ह मेरा बेटा अह्ह्ह्ह ले पी ले उम्ममम ( नानी अपने दोनों चूचे मेरे मुंह पर दबाने लगी और मै उनके गाड़ को सहलाते हुए पीने लगा )
फिर उन्हें घुमा दिया और उनके चूतड़ों को चूमने लगा
: अह्ह्ह्ह्ह मेरा बच्चा अह्ह्ह्ह उम्मम इतनी पसंद है तुझे अम्मी की गाड़ अह्ह्ह्ह खा जाएगा क्या ( नानी अपनी गाड़ मेरे मुंह पर ठेलते हुए बोली )
: अह्ह्ह्ह अम्मी आपकी गाड़ मुझे सबसे ज्यादा पसंद है इसकी खुशबू इसका छेद उम्ममम ( मैने उसके गाड़ को फैला कर सुराख पर जीभ फिराई तो नानी मचल उठी )
: अह्ह्ह्ह्ह बेटा चोदेगा नहीं अपनी अम्मी को अह्ह्ह्ह्ह मेरी बुर बह रही है पेल दे न आह्ह्ह्ह
मै और जोश में आ गया और नानी को सोफे पर घोड़ी बनाते हुए लंड को उनकी बुर में उतार दीया
: अह्ह्ह्ह बेटा उम्मम कितना तगड़ा हथियार है रे अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम
: अह्ह्ह्ह अम्मी आपकी बुर बहुत गर्म है उम्ममम अह्ह्ह्ह फक्क्क् यूयू अमीआईई अह्ह्ह्ह
: हा बेटा चोद और तेज उम्मम तेरे लंड ने मेरी चूत चौड़ी कर दी है अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह और
: उफ्फ अम्मी आपकी गाड़ कितनी बड़ी है इसमें भी डालू क्या अह्ह्ह्ह ( मै नानी के गाड़ के दरारों में अपना अंगूठा सुराख में घुसाते हुए बोला )
: डाल लेना बेटा जैसे मेरी चूत फाड़ रहा है वैसे ही अम्मी की गाड़ भी फाड़ना अह्ह्ह्ह मजा यह अह्ह्ह्ह्ह और कसके चोद उम्मम अह्ह्ह्ह हा बेटा पेल मुझे चोद अपनी अम्मीई उम्मम
मै फचर फचर नानी को झुकाए हुए पेलता रहा और नानी सिसकारियां अम्मी की कल्पनाएं मुझे चरम पर के जा रही
: अह्ह्ह्ह शानू रुकना नहीं अह्ह्ह्ह और पेल उम्मम अह्ह्ह्ह्ह और तेज फाड़ दे अह्ह्ह्ह्ह उम्ममम
: अम्मी चूत फट जाएगी तो अब्बू क्या कहेंगे ( मै अपना लंड सटासट उनकी रस छोड़ती चूत में पेलता हुआ बोला )
: बोल दूंगी अपने बेटे से चुदवा के आई हु अह्ह्ह्ह्ह उम्मम
: ओह गॉड सच में अम्मीईई ओह्ह्ह्ह सीईईई अब्बू को पता लगेगा कि मै अम्मी को चोदता हु तो वो क्या सोचेगा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अमीईईई अह्ह्ह्ह आ रहा है मेरा अह्ह्ह्ह
: भर दे बेटा अपनी अम्मी की बुर भर दे अह्ह्ह्ह्ह उम्ममम कितना गर्म है अह्ह्ह्ह ( नानी मेरे लंड को निचोड़ने लगी चूत का छल्ला मेरे लंड पर कसके )
मै झड़ता रहा जबतक पूरी तरह से निचोड़ नहीं गया और सुस्त होकर वही सोफे पर पसर गया ।
कुछ देर में जब हमारे शरीर में जान आई तो नानी मुस्कुराने लगी
: बहुत बिगड़ गया है तू गंदा कही का ( नानी मुस्कुरा कर बोली )
लाज तो मुझे भी आ रही थी मगर नानी को अम्मी बना कर पेलने में बहुत आया । पहली बार ऐसा हुआ जब अम्मी के नाम पर मै इतना झड़ा था ।
: अब हस क्या रहा है कपड़े ला मेरे
: किसके ? आपके लाऊ या अम्मी के ? ( मै हस कर बोला तो नानी मुस्कुरा कर मुझे देखने लगी )
: मार खायेगा, मेरे कपड़े दे भाई ( नानी मुस्कुरा कर बोली )
इतने में नानी का मोबाइल रिंग हुआ अम्मी का फोन था ।
फोन पर ....
: हा अम्मी बस 10 मिनट लगेगा मै पहुंच जाऊंगी , आप लोग कब तक आओगे ( अम्मी की आवाज आई फोन पर )
अम्मी के सवाल पर नानी ने मुझे देख और मुस्कुराने लगी
: हम लोग भी निकल चुके है घंटे भर में आ जायेंगे बेटा ( नानी ने अपनी हसी रोकती हुई अम्मी से बोली )
: ठीक है मेरी बस तो 5 मिनट में पहुंच जाएगी , आप लोग आए ।
: ठीक है ( नानी ने जवाब दिया )
नानी ने फोन काट दिया और हम हसने लगे
: नानी मै जा रहा हूं अम्मी के लिए समोसे लाने , आप खाओगे
: देखो तो अम्मी के आते ही भूल गया , पूछ रहा है खाओगे ? जा मुझे नहीं खाना ( नानी थोड़ा रूठी तो मै उसके पास लिप्त कर )
: अरे मेरी प्यारी नानी , मेरी अम्मी भी तो आप ही हो न हीहीही
: धत्त बदमाश, भाग यहां से अब
मै खिलखिला कर कपड़े पहना और निकल गया पैसे लेकर ।
रास्ते में जाते हुए मुझे ना जाने क्या हुआ या फिर अम्मी के वापस आने की खुशी मै । समोसे लेकर बस स्टैंड की ओर निकल गया
वहा 5 मिनट तक इंतजार करने के बाद भी कोई बस नहीं दिखी तो लगा शायद अम्मी पहले ही उतर गई होंगी और मै वापस जाने लगा तो मुझे सुसु आ रही थी । मेरी नजर बस स्टैंड के सार्वजनिक शौचालय पर गई और की उधर हो लिया
मै मूत ही रहा था कि एक इनोवा कार बस स्टैंड के पास के बड़े से पीपल के पेड़ पास रुकी और उसमें एक खातून बुरखे में निकली
सेकंड नहीं लगा मुझे और मै समझ गया कि वो अम्मी ही है । लेकिन वो तो बस से आ रही थी फिर ये कार में कैसे ? मेरी दिल की धड़कने तेज होने लगी और मै वही रुका रहा कुछ देर मूतने के बाद भी और फिर अम्मी एक बार फिर कार में अपना सर देखकर झट से बाहर कर ली।
मै दूर से ही अम्मी के निकलने का वेट कर रहा था और अम्मी वहा से एक ई-रिक्शा करके निकल । मै उस गाड़ी के पीछे था और मै घूम कर आगे जाना चाहता था , मगर जब तक उस आदमी का चेहरा देख पाता वो गाड़ी निकल गई ।
मैने नंबर प्लेट देखा मगर कुछ समझ नहीं आया और मेरी नजर एकदम से कार के पीछे वाले ग्लास के एक कार्नर पर गई जिसपे एक रेड कलर का लोगो जैसा स्टिकर लगा था जो आम तौर पर डॉ या सर्जन की गाड़ियों पर होता है ।
अगले ही पल मेरा माथा ठनका कि कही वो अब्बू के दोस्त रहीम अंकल तो नहीं थे । मगर अम्मी भला उनके साथ क्यों आएंगी ।
चीजे समझ से परे हो रही थी , अम्मी के आते ही मेरे भीतर अलग ही तूफान खड़ा कर दिया था । उसपे से अम्मी अकेले आई थी । अब्बू का ना आना नानी को उदास करने वाला था ।
मै भी वहा से पैदल निकल गया घर के लिए, घर पहुंचा तो अम्मी हाल में बैठी हुई थी और नानी ने उन्हें पानी दिया था ।
मै जाकर अम्मी को नमस्ते किया
: शानू तूने बताया नहीं कि तुम लोग आ गए हो
: वो सरप्राईज देना था आपको ( मेरा मूड उखड़ा हुआ था अब )
: अच्छा जी और अम्मी आप भी इसके साथ रह कर झूठ बोलने लगी हां ( अम्मी ने नानी को देखा)
: अब तू उसे डांटना छोड़ , तू आ रही है इसीलिए वो बस अड्डे तक गया था तेरे लिए समोसे लेने ( नानी ने अम्मी को सुनाया )
नानी की बाते सुनते ही अम्मी को मानो सांप सूंघ गया तो
: शानू तु सच में बस अड्डे पर गया था ( अम्मी की आंखों में एक चिंता साफ झलक रही थी )
: हा वो मैने आपको देखा भी मगर आप रिक्शे में बैठ कर जा रही थी । ( मै झूठ बोला ताकि अम्मी परेशान न हो मगर उनका झूठ बोलना मुझे काफी खल रहा था )
अम्मी ने एक गहरी सास ली: अब खिलाएगा भी बहुत जोरो की भूख लगी , एक तो बस झटके खा खा कर मेरे कमर में दर्द हो रहा है
: जा बेटा प्लेट में निकाल कर ला ( नानी ने मुझे किचन में भेज दिया )
मेरे किचन में जाते ही अम्मी नानी से सवाल जवाब करने लगी ।
: ज्यादा परेशान तो नहीं किया न आपको ये वहा ( अम्मी का इशारा मेरी ओर था )
: क्या तू भी मेरे लाडले के पीछे पड़ी रहती है और उम्र है थोड़ी नादानी करेगा नहीं तो सीखेगा कैसे । न उसके दोस्त है और न कोई बड़ा भाई तुझे जरा भी फिक्र है उसके अकेलेपन की ( नानी ने अम्मी को धीमी आवाज में डांट लगाई )
: अम्मी आप उसके भोलेपन के बहकावे में मत आइए , वो बहुत चालाक है झांसा देने में ( अम्मी नानी को समझा रही थी )
इतने में मै प्लेट में समोसे लेकर हाल में आ गया और नानी ने अम्मी को चुप होने का इशारा किया ।
जान रहा था बातें मेरी पीठ पीछे होंगी जरूर और देर सवेर नानी मुझे सब कुछ बताएंगी ही । तो इसीलिए मै भी निश्चित होकर समोसे का मजा लेने लगा मगर मेरे दिमाग की उलझन थी कि खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी । आखिर अम्मी ने झूठ क्यों बोला होगा ।
बैशाख की दुपहरी चल रही थी तो नींद आना तय ही था अम्मी भी थकी थी तो वो भी आराम करने लगी और नानी मेरे साथ चली आई मेरे कमरे में ।
कुछ देर बाद ही नानी का मोबाइल बजा ,
फोन पर
: क्या हुआ फरीदा ? ( नानी ने जवाब दिया )
मगर मुझे अम्मी की आवाज नहीं सुनाई दे रही थी । क्योंकि वो करवट होकर लेता था और नानी मेरे पीछे बैठ कर बात कर रही थी ।
: हा वो सोया हुआ है , बोल ( नानी बोली )
कुछ देर कि चुप्पी और नानी ने चिढ़ कर जवाब दिया
: फरीदा तू भी कम जिद्दी नहीं है , ठीक है आ रही हु ( नानी ने फोन काट दिया )
मैने कोई रिएक्शन नहीं दिया जस का तस सोया रहा और जल्द ही मुझे नानी के बिस्तर से नीचे उतरने का आभास हुआ और फिर वो नीचे चली गई ।
मै झट से उठा और धीरे धीरे सीढ़िया उतरता हुआ अम्मी के कमरे के पास गया
नानी ने पहले ही मेरा पक्ष ले रखा था ।
: अम्मी उसकी हरकते गिनाने जाऊंगी तो रात बीत जाएगी ( अम्मी नानी से बोली )
: और तेरी मै गिनाऊं , मुझे नहीं पता क्या कि निगाह से पहले कैसे तू और तेरा शौहर मिलते थे छिप कर । कितनी बार अकरम को मैने पकड़ा था मेरे कमरे और गुलासखाने में झांकते हुए । ( नानी की बात पर अम्मी एकदम से सन्न हो गई )
: क्यों तेरी और अकरम की उम्र भी तब तो यही थी जो अभी शानू की है , बोल ? ( नानी अपनी बात आगे रखते हुए बोली अम्मी के पास कोई जवाब नहीं था ) ना उसका कोई भाई बहन है , ना कोई दोस्त है , तेरे लिए गांव से सारे रिश्ते नाते खत्म कर बड़े रुआब में उसका बाप यहां चला आया और तो और यहां इतनी सख्ती कि बाप के डर से बेचारा मुहल्ले के बच्चों तक से वो बातें नहीं करता । अब क्या चाहती है थोड़ी बहुत जो उसमें बचपना मासूमियत बची है वो भी खत्म हो जाए इससे अच्छा तू जान से मार दे उसे ।
: अम्मीईईई ( अम्मी छलकती आंखों से नानी को देख कर बोली ) क्या कह रही है आप ये ?
: ठीक ही कह रही हूं, ना जाने कितना मजबूत कलेजा है मेरे बच्चे जो इतनी बंदिशों के बाद भी नहीं टूटा और जानती है क्यों उसे बस अगर मेरे जीवन में किसी से प्यार की उम्मीद है तो बस तुझसे । कितना चाहता है वो तुझे , जान लुटाता है वो तुझ पर और तू है कि उसकी कदर नहीं है । ( नानी की बातों से अम्मी पूरी तरह फफक कर रो रही थी और उन्हें देख कर मेरे आसू छलक रहे थे । )
: अम्मी ऐसा नहीं है , मगर उसकी हरकते ही ऐसी है । भला कौन अपनी अम्मी को ऐसे नजरो से देखता है ( अम्मी ने नानी को अपनी सफाई दी )
: हा तो उसने अब तक प्यार का वही मतलब समझा है , दिन रात तेरे कमरे में जो देखता है सुनता है उसकी नजर में वही प्यार का तरीका है और फिर नया खून है बढ़ती उम्र है उसके भीतर भी इनसब के प्रति आकर्षण होना । उसका बाप इतना सख्त न होता तो कम से कम वो बाहर की दोस्त यार बनाता ।
: अम्मी आप ही बताओ क्या करु ( अम्मी सुबक कर नानी से बोली )
: देख जैसे एक समय पर मैने तेरा हाथ थामा था और तुझे सही गलत की सीख दी एक सहेली बनकर , तुझे भी एक दोस्त की तरह उसे समझाना होगा । ( नानी अम्मी को समझाते हुए बोली )
: अम्मी पर वो दोस्ती के लिए कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ चुका है , मै कितनी भी कोशिश कर लू उसको रोकने की समझाने की कितनी डांट लगाऊं मारु वो नहीं मानता ( अम्मी बेबस होकर बोली)
: अच्छा तुझे याद वो तेरी चच्चा का लड़का "कमल" ? कैसे बचपन में ही उसकी आदतें खराब हो गई उसको सिगरेट की लत लग गई थी । कभी कभी तो वो घर में ही पीने लगता था और जब उसके अब्बू ने उसको खूब पीटा तो क्या उसने आदत छोड़ दी नहीं न । वो घर वालो से पहचान वालो से छिप कर पीने लगा । इसका मतलब समझी तू ( नानी ने अम्मी को देख कर कहा ) इसका मतलब ये है कि बच्चे डर या लिहाज में बस अपनी गंदी आदतें बड़ों से छिपा लेते मगर उसे करना भी छोड़ते ।
अम्मी ने नानी की बात पर हूंकारी भरी .
: हो सकता है एक रोज वो तेरी मार गालियों से ये सब हरकते करना बंद कर दे , मगर उसके बंद कमरे का क्या ? कमरे का छोड़ आने वाले कुछ हफ्तों में जब उसका रिजल्ट आएगा और वो पढ़ाई के लिए बाहर चला जाएगा तो क्या ? तू होगी उसकी आदतें सुधारने के लिए वहां । वहां कौन रोकेगा कौन समझाएगा बोल ?
: पता भी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है अम्मी ( अम्मी परेशान होकर नानी से बोली)
: इसीलिए कह रही हूं तू उसकी हरकते मत रोक , उसको सही गलत का फर्क समझा और ये सब तू तभी कर पाएगी जब तू उससे इनसब पर खुल कर बातें करेगी । मुझ पर भरोसा रख फरीदा ( नानी ने अम्मी का हाथ पकड़ कर उन्हें देखा )
: अम्मी आप ही समझाओ न उसे ( नानी को रिक्वेस्ट करते हुए बोली )
: देख मै चाहती तो लगभग 3 हफ्तों तक वो मेरे साथ मै समझा देती मगर उसे कही न कही जरूर लगता कि मैं भी उसकी इच्छाएं भावनाएं खत्म करना चाहती हु । उसका लगाव तुझसे है फरीदा , वो तेरा दीवाना है और मुझे यकीन है तू जब उससे दिल से बातें करेगी वो जरूर समझेगा )
अम्मी वापस से कुछ बोलना चाह रही थी मगर नानी ने उन्हें रोक दिया : अब कुछ नहीं , जो जैसा चल रहा है चलने दे और सुन रात में उससे मालिश करवा लेना कमर की ।
: क्या ? ( अम्मी शॉक्ड होकर )
: मै नहीं करने वाली तेरी मालिश मुझे ऐसे मत देख ( नानी मुस्कुरा कर बोली ) उसे थोड़ा समय दे झिझक कम होंगी तुम दोनों में । ठीक है
फिर मै समझ गया कि बातें खत्म हो गई थी तो रुकने का कोई फायदा नहीं और मै निकल गया ऊपर कमरे में ।
कुछ देर बाद नानी ऊपर आई और मेरे पास बैठ कर मेरे बाल सहलाने लगी तो मैं घूम कर करवट बदल कर उसके जांघों को पकड़ लिया
: आई लव यू नानी
: उठ गया क्या बेटा ( नानी मेरे सर को सहला रही थी )
: उम्मम आप सोई नहीं थी क्या ? ( मै कसमसा कर उसके गदराई जांघों पर अपना सर रगड़ता हुआ बोला )
: बस अभी उठी हु बेटा , चल तू भी उठ जा शाम हो रही है ( नानी ने साफ साफ झूठ बोला मुझसे , मगर क्यों समझ नहीं आया )
शायद उनकी बातें ठीक ही थी जो वो अम्मी को समझा कर आई थी , कही न कही उससे मुझे उम्मीद जगी थी कि शायद अब एक नई शुरुआत होगी मेरे और अम्मी के बीच में ।
जारी रहेगी
Click anywhere to continue browsing...
Waaahhhhh.... yaar... Farida maan gyi Shanu se narazgi khatam.... maa aise hi hoti hai.....UPDATE 027
अतीत के पन्ने : 08
: वही नीचे वाले दराज में होगी देख ले न ( अम्मी बिस्तर पर लेटी हुई बोली और उसके हाथ में मोबाइल था जिसपे वो रिल्स स्क्रॉल कर रही थी )
मै तेल निकाल कर उनकी ओर घुमा
अह्ह्ह्ह्ह महीनों बाद अम्मी के नंगे चूतड़ों के दीदार हुए ।
नरम गुलाबी और पहाड़ जैसा उभार , कसी हुई गहरी सकरी दरार देखकर की लंड अकड़ने लगा ।
मै धीरे से उनके पास आया और तेल की शीशी से बूंद बूंद अम्मी के कमर पर गिराने लगा मेरी नजर उनकी रसीली गाड़ के चिपकी हुई दरारों में थी और तेल की शीशी का मुहाना कब उसके गाड़ के ऊपर आ गया
एक दो तीन और फिर टिप टिप टिप टिप बूंदें अम्मी के गाड़ के दरारों में टिपकती रही
: शानू क्या कर रहा है , नहलाएगा ( अम्मी चिढ़ कर बोली )
मैने तेल की शीशी किनारे रख कर अम्मी के नंगी मखमली कमर को अपने सख्त हथेलियों से लिपने लगा
गर्म हथेलियों का स्पर्श पाते ही अम्मी का जिस्म अकड़ने लगा और एक गहरी आह भरते हुए वो अपना मोबाइल किराने रख कर अपने बाजुओं का तकिया बना कर सर टीका लिया
अम्मी को आराम पाता देख मै मुस्कुरा और अच्छे से उनकी मालिश कर रहा था , अम्मी आंखे बंद कर ली थी । उनके चेहरे पर गजब का सुकून दिख रहा था ।मैने उनके आधी पीठ से लेकर कूल्हे तक और अच्छे से मसाज कर रहा था ।
: उम्ममम थैंक यू बेटा , अह्ह्ह्ह्ह सच में इसकी जरूरत थी मुझे अह्ह्ह्ह्ह थोड़ा और नीचे उम्मम अह्ह्ह्ह
मै मुस्कुरा कर अम्मी के कूल्हे अपने पंजे फैला आकर मसलने लगा और जांघों को रगड़ने लगा ।
इस दौरान तेल की बूंदे जो गाड़ की चिपकी दरारों में गई थी धीरे धीरे रिस कर अम्मी के गाड़ की सुराख और चूत की ओर बढ़ रही थी । हल्का हल्का अम्मी को वहां पर खुजली होने लगी थी , वो कभी अपने चूतड़ों को कस लेती तो कभी एकदम ढीला छोड़ देती और ऐसे करने से तेजी से तेल उनकी बुर तक आने लगा और धीरे धीरे बुर फांकों में इकठ्ठा होने लगा ।
इस दौरान मै उनकी जांघों की मालिश करता ।
कि अम्मी एकदम से अपने चूतड़ हवा में उठा कर नीचे बिस्तर पर त्रिकोण बनाते हुए अपना हाथ नीचे चूत पर ले गई और सूट से अपने बुर के फांके साफ करने लगी
पीछे से ये नजारा ऐसा था मानो मै अम्मी को चोद कर उठा हु और वो अपनी फांकों से मेरी मलाई साफ कर रही हो। थूक हलक से उतारते हुए मै रुक कर उन्हें देखा , यकीन नहीं हो रहा था आज महीने भर बाद अम्मी के गाड़ की सुराख देख रहा था
और वो वापस लेट गई
: कितना तेल गिरा दिया था पागल ( अम्मी ने फिर डांट सी लगाई मुझे )
: सॉरी अम्मी ( मै मायूस सा होकर बोला )
: ठीक है अब जा आराम कर ले तू भी नानी के पास , सुबह उनकी पैकिंग करवा देना
: क्यों ( मै अचरज से )
: कल वो वापस जा रही है ( अम्मी उखड़ कर बोली )
: मुझसे तो नानी ने कुछ नहीं बताया ( मै चौक कर बोला )
: सब कुछ तू जाने जरूरी है क्या ? ( जा और दरवाजा लगा देना )
मै बिना कुछ बोले उठ गया और कमरे से निकल गया
मै और भी उलझ गया था, दोपहर में तो नानी ने सब ठीक कर दिया था । अम्मी भी एक नई शुरुआत के लिए राजी हो गई थी। मगर उनका गुस्सा नराजगी अभी भी जस की तस ही है । फिर अब नानी को क्या हुआ , वो भी ऐसे अचानक से क्यों जा रही है ।
मै परेशान होकर ऊपर चला आया , नानी का यू चला जाना मुझे ज्यादा तकलीफ दे रहे था वो भी बिना मुझे बताए ।
मै अपने कमरे में गया तो नानी बैठी हुई बेड के हेडबोर्ड से अपना सर टिकाए हुए झपकियां खा रही थी ।
मैने कमरे का दरवाजा लगाया तो उनकी नीद खुल गई ।
: आ गया बेटा , आ जा बत्ती बुझा कर ( नानी मुस्कुराते हुए बोली )
मै बिना कुछ कहे चुप चाप लाइट बुझा कर नानी के पास आया और उनसे लिपट कर उनकी जांघें पकड़ कर लेट गया । नानी अभी भी बैठी हुई थी ।
वो मेरे सर को सहला रही थी ।
: क्या हुआ , कुछ कहा क्या तेरी अम्मी ने ( नानी ने मुझे दुलार कर पूछी)
: उतना तो रोज सुनता हु मै ( मै उखड़ कर बोला )
: तेरी अम्मी भी न , कितना समझाया उसे दुपहर में फिर भी ( नानी सफाई देते हुए बोली )
: छोड़ो नानी , वैसे भी मुझे यहां रहने का मन नहीं कर रहा है अब । रिजल्ट आते ही मै यहां से चला जाऊंगा ( मेरी बातों की मजबूती में मेरे टूटे हुए दिल की खनक बुझ गई नानी )
: ऐसा नहीं कहते बेटा , घर में थोड़ी बहुत अनबन होती है । तू फिकर न तेरी अम्मी समझेगी देर सवेर ।
: और आप , आप भी तो जा रहे हो न कल बिना बताए मुझे ( किसका भरोसा करु मै अब )
: हम्म्म तो तू इस लिए परेशान है , अरे पागल आज नहीं तो कल मुझे जाना ही था और फिर बेटी का ससुराल है कबतक मै रहूंगी ।
मै चुप रहा कुछ भी नहीं बोला बस उनको पेट के पास जाकर और कस लिया । वो मेरे सर पर हाथ फिराने लगी : और फिर तेरे अब्बू तो आए नहीं तो भला मै यहां किसके लिए रुकूं ( नानी ने थोड़ा सा चिढ़ाया मुझे )
मै भीतर से इतना भावुक हो चुका था कि बस आंखे नहीं छलक रही थी मगर दिल छलनी हुआ पड़ा था ।
: तो आप क्या बस अब्बू के लिए आई थी मेरे लिए नहीं ( मै उनके छातियों के पास अपना सर उठा कर बोला )
: हा और क्या , और तेरी अम्मी भी तो आ ही गई है । आज नहीं तो कल उसका गुस्सा कम हो जाएगा तो मै यहां क्या करूंगी रुक कर ( नानी की बातों में मस्ती साफ झलक रही थी )
: भक्क नानी प्लीज रुको न ( मै उठ कर उनके बराबर में बैठ गया और उनके चूचों पर सर रख कर लिपट गया ) और अब्बू भी आ जायेंगे संडे तक .... शायद ?
: बेटा कुछ रिश्तों की अपनी एक मर्यादा होती है , उन्हें उनकी हद ने रहना पड़ता है । चाहते हुए भी मै यहां तेरे अब्बू के लिए नहीं रुक सकती ।
: क्यों ( मुझे समझ नहीं आ रहा था एकदम से क्या हो गया है नानी को )
: बेटा मै मेरी कामनाओं के लिए अपने बेटी का संसार नहीं उजाड़ सकती है । मैने तेरे अब्बू की दीवानगी बचपन से देखी है और अगर मैने उस चिनगारी को हवा दी तो ये घर जल जाएगा । ( नानी ने मुझे कस कर सीने से लगा लिया)
: पर आपको तो अब्बू का साथ चाहिए था न , आपके अक्कू का ( मैने सूट के ऊपर के उनके निप्पल के इर्द गिर्द अपनी हथेली घुमाई जिससे उनके बदन में अकड़न हुई )
: नहीं शानू मत कर ( नानी ने मेरे हाथ रोक दिए ) मै और नहीं खुद को बहकाना चाहती हूं। ( उनकी बातों में दर्द साफ झलक रहा था )
मुझे लगने लगा था कि जरूर अम्मी और नानी में कुछ बातें हुई है मेरी गैर हाजिरी में , लेकिन कब ... ओह गॉड मै शाम को सब्जी मंडी गया था ?
मेरा माथा ठनका और भीतर जिज्ञासाओं की लहर उठने लगी ।
: अम्मी ने कुछ कहा क्या ?
: क्या ? नहीं ! ( नानी सकपका कर बोली )
: नानी आपको मेरी कसम क्या हुआ था शाम को जब मैं मंडी गया था ( मै उठ कर अलग हो गया उनसे )
: बेटा तू जिद मत कर , आज की रात मेरे सीने से लगा रह मेरा बच्चा ( नानी एकदम रुआस सी हो गई थी )
: नानी अगर आपको मेरी परवाह है तो आप जरूर बताएंगी , मुझे जो कहना था मै कह दिया हु बाय गुड नाइट
मै उखड़ कर उनकी ओर पीठ करके करवट होकर लेट गया
कुछ देर की चुप्पी और फिर उन्होंने मेरे सर पर हाथ फिराने लगी , उनके सुबकते हुए नथुने की आवाज आई तो मै पसीज गया और उठ कर बैठ गया : नानी ?
मैने उनके गाल छुए तो मेरी हथेली भीगने लगी , नानी रो रही थी ।
: क्या हुआ नानी बोलो न
: कुछ नहीं बेटा , शायद ये मेरे लालच की हार जो उसने मुझे जीवन के इस मोड पर खड़ा कर दिया । कुछ पलो के लिए मै भी बहक कर लालची हो गई थी , मगर तेरी अम्मी ने मुझे आईना दिखाया।
: नानी आप फिर घुमा रहे हो , साफ साफ बताओ न क्या हुआ । ( मेरा कलेजा रो रहा थे भीतर से नानी को रोता देखकर )
: बेटा तेरी अम्मी को पता चल गया हमारे बारे में ?
: क्या ? , कैसे ? ( मेरी एकदम से फट गई ) उन्हें कैसे पता चला और उनके आने के बाद हमने तो कुछ किया भी नहीं
: पता नहीं शायद उसने मेरा मोबाइल चेक किया था और शाम को मै जब ऊपर से नीचे आई तो वो किसी से फोन कर बाते कर रही थी । लेकिन इतना पता है वो तेरे अब्बू तो नहीं थे नहीं तो बात और बिगड़ जाती । ( नानी साफ साफ समझा रही थी और मुझे समझते देर नहीं लगी कि जरूर अम्मी नगमा मामी से ही बातें शेयर कर रही होगी क्योंकि अब्बू से ज्यादा भरोसा वो नगमा मामी पर करती थी । )
: क्या कह रही थी अम्मी हमारे बारे में ( मै फिकर में बोला )
मै दरवाजे के पास खड़ी उसे सुन रही थी जैसे ही उसने मुझे देखा तो फोन काट दी ।
: फरीदा तू गलत मत समझ मुझे ( मै डर गई थी )
: अम्मी बस करें आप , और कितना बेवकूफ बनाएगी आप ( फरीदा गुस्से में मुझे फटकार रही थी )
: फरीदा ,पहले मेरी बात सुन ले और फिर तुझे जो कुछ कहना होगा कह लेना
: मुझे आपकी एक बात नहीं सुननी अम्मी , खुदा के लिए मेरे बेटे और मेरे परिवार से दूर ही रहिए आप । मैने आपके भरोसे अपने बेटे को सौंपा और आप उसकी नादानी का ये सिला दे रही थी छीइ ( फरीदा ने मुंह फेर कर मुझसे कहा )
: इसमें शानू की कोई गलती है न फरीदा जो कुछ हुआ बस एक छोटी सी शरारत से हुआ और... ( मै सफाई देना चाहती थी )
: बिल्कुल इसमें शानू की गलती नहीं मानूंगी मै , इसके लिए सिर्फ और सिर्फ आप जिम्मेदार हो और खबरदार अब से आपने मेरे बेटे से कोई वास्ता रखा तो मेरा
मरा हुआ मुंह देखेंगी आप
मरा हुआ मुंह देखेंगी आप
मरा हुआ मुंह देखेंगी आप
मरा हुआ मुंह देखेंगी आप
: शानू.... क्या हुआ बोल क्यों नहीं रहा ( फोन पर वापस नानी की आवाज आई )
: हा नानी ( मै अपने ख्यालों से बाहर आया)
: तू बोल क्यों नहीं रहा था ( नानी ने सवाल किया , मगर मै क्या जवाब देता सालों बाद उनके फोन ने मेरे अतीत के वो पन्ने खुल गए जिन्हें मै भी कभी नहीं पढ़ना चाहता था )
: जी कुछ नहीं , अभी अम्मी कैसी है ? तबियत कैसी है उनकी ? ( मै मेरे आंसू पोंछ कर नानी से फोन पर बोला )
: बिलख रही है और तेरे लिए परेशान थी , बेटा वो तेरी अम्मी है और उसे हमेशा से उम्मीद थी कि जब कभी वो नाराज होगी तो उसे मनाने जरूर जाएगा उससे पास , वो थोड़ा डांटेगी मारेगी मगर प्यार तो तुझसे ही करेगी न ( नानी की बातें सुनकर मेरा कलेजा डबडबा गया मानो )
: नानी मै अभी टिकट करा रहा हूं घर के लिए ( मै एकदम से तड़प उठा था अम्मी के लिए)
: तू उससे बात तो कर ले एक बार , तेरी राह निहार रही है । जुबैदा का फोन सुबह से लेकर बैठी है अपने पास । मेरी तो खुद हिम्मत नहीं हो रही थी कि किस मुंह से अपने लाडले के पास फोन करूं मगर तेरी अम्मी की हालत देख कर मैने फोन किया । अब बात कर ले बेटा ।
: जी नानी मै अम्मी से बात करके काल करता हूं आपको , बाय ।
मैने फोन काटा और मोबाइल में जुबैदा काकी का नंबर खोजने लगा ।
नंबर सामने था , मगर उंगलियां उसको स्वाइप करने की हिम्मत नहीं कर पा रहे थी । पूरे बदन में कंपकपी होने लगी थी , कलेजा बैठने लगा था मेरा
मै उठ कर कमरे में टहलने लगा गहरी गहरी सांसे लेने लगा , ना जाने क्यों इतना मुश्किल लग रहा था अम्मी को काल करना । शायद इसमें भी मेरा गुरूर आड़े आ रहा था ।
मैने आइने में खुद को देखा और एक जोरदार थप्पड़ अपने गाल पर दिया
पूरा सिस्टम रिबूट हो गया अगले ही पल , खुद की ताकत का अहसास इतने सालों में पहली बार हुआ और जबड़े भी हिल गए मानो थोड़ा खुद पर हसी भी आई और फिर मैने गहरी सास लेते हुए जुबैदा चच्ची पर फोन घुमा दिया ।
घंटी बज रही थी मगर फोन नहीं उठा रहा था कोई, मन में कई कल्पनाएं उठ रही थी कि अम्मी जान बुझ कर फोन नहीं उठा रही है । या फिर जुबैदा चच्ची के घर फोन होगा उनका बेटा दौड़ते हुए मोबाइल अम्मी के पास ले जा रहा होगा । या फिर मोबाइल बज रहा है कोई सुन ही नहीं रहा होगा ।
तभी फोन पिकअप हुआ और मेरी धड़कने भारी होने लगी , फेफड़े मानो डर डर के सांसे ले रहो। मुंह सुख गया था मेरा
: अम्मीईई ( हिम्मत कर मैने उन्हें पुकारा )
वो एकदम चुप थी और उनके सिसकने की आवाज आई और मै पूरा पसीज गया
: अम्मीई प्लीज रो मत , मुझे माफ कर दो , प्लीज रो मत ( मै रुआंस होके बोला और अम्मी फूटफूट कर रोने लगी फोन कर और मेरी भी आँखें बहने लगी )
: अम्मीई मुझसे बात करो , आपको मेरी कसम है प्लीज
: नहीं करनी मुझे तेरे से कोई बात ( अम्मी सुबकते हुए नाराज होकर बोली )
: नहीं आपको करनी पड़ेगी , आप चाहे पूरा जिंदगी मुझसे गुस्सा रहो मानो नफरत करो मगर आपको मेरे से बात करनी पड़ेगी ( मै बिलख कर बोला )
: मारूंगी तुझे बदमाश जो दुबारा बोला, मै क्यों करूंगी तुझसे नफरत ? ( अम्मी ने रोते हुए मीठा सा डांटा मुझे )
: प्यार करती तो इतने दिन क्यों बात नहीं की मुझसे ( मै दुलराया उनके आगे )
: मार मार गाल लाल कर दूंगी कमीना , तू नहीं कर सकता था फोन इतना प्यार है अम्मी से तो ( अम्मी ने भी घुड़क कर जवाब दिया )
अम्मी की गाली से हंसी आई और मै आंसू पोछने लगा
: अच्छा सॉरी , आई लव यू अम्मी ( मैने उन्हें फुसलाया )
: हुंह , आई लव यू अम्मी ( अम्मी ने मुंह बना कर बोली ) नहीं चाहिए तेरा प्यार हूह मै ऐसी ही ठीक हु
: अच्छा तो रो क्यों रही थी मेरे लिए ( मैने भी थोड़ा छेड़ा उन्हें )
: मै क्यों रोऊंगी तेरे लिए, मै तो खुद की किस्मत पर रो रही थी । जिसे पाल पोस कर बड़ा किया और जिसके लिए इतना लड़ती आई उसने रत्ती भर परवाह नहीं की मेरी । चला गया मुझे छोड़ कर हूह ( अम्मी ने अपनी भड़ास निकाली और उनकी इस बात का कोई जवाब नहीं था । )
हम सब सामाजिक ढर्रे से जुड़े जीव है और समाज ने अपनी व्यवस्था में सभी रिश्तों नातों के लिए अपनी अपनी मर्यादाएं और नैतिकता दी है । सभी को उसी के हिसाब से चलना होता है जैसे बड़े और छोटे में अकसर ये होता है कि छोटे ही अपनी गलती माने और खुद से पहल करके आगे आए । भले ही प्रेम की बहस में गलतियां दोनो से हुई हो । अम्मी का कहना भी उसी सामाजिक ढर्रे से निकला था ।
मगर मैने अम्मी के साथ कभी बड़े छोटे का भेद पाया ही नहीं । उनके साथ एक दोस्ताना एक आशिक़ी भरा रिश्ता रहा था मेरा और जहां मैने कदम कदम पद उनसे अपने दिल की बात कही है , हर बार उन्हें जताया था कि दुनिया में मै उनसे ज्यादा प्यार किसी से नहीं करता । मेरी दिल की धड़कन सिर्फ उनके लिए ही धड़कती है , सांसों की साज सिर्फ उनके लिए ही खनकती है । अम्मी भी बखूबी मेरे जज्बातों और अरमानों को समझती है मगर हर बार वो मेरे दिए प्यार के फूल को लेकर बस मुस्कुरा कर आगे बढ़ जाती है कुछ नहीं कहती है । जिनती बार भी मैने अम्मी को अपनी दीवानगी का तोहफा दिया रिटर्न गिफ्ट में वो मुझे एक मां का प्यार ही लौटाई थी । मेरे हर प्रेम के भोग से सजे हुए थाल को उन्होंने अपनी ममता के आंचल से छिपा दिया । आज एक बार फिर अम्मी ने अपनी मां वाली लाठी चला कर चित कर दिया था ।
: बोल न चुप क्यों है ? ( अम्मी ने सवाल किया )
: सॉरी न अम्मी ( मै बचकानी अदा से बोला )
: अभी आऊंगी तो पक्का मारूंगी ( अम्मी की बातों में हसी की खनक आई ) जब देखो "सॉरी न अम्मी" , अपनी हर गलती से तू सिर्फ यही कह कर बच जाता है
: अच्छा माफ भी कर दो , आई लव यू न अम्मी , प्लीज ( मैने दुलरा कर बोला) मेरी प्यारी अम्मी , देखो मै आपके पैर पकड़ रहा हूं और जांघ पर सॉफ्टी सॉफ्टी छू रहा हूं। प्लीज मान जाओ
: हीही मारूंगी कमीना कही ( अम्मी मेरी बाते सोच कर खिलखिलाई )
: हीही थैंक यू लव यू उम्माआह ( मै खुश होकर उन्हें एक किस दी फोन कर ही )
: अरे अरे मै अभी मानी नहीं हु , गुस्सा हु ( अम्मी बोली )
: नहीं आप हस दिए मतलब फ़िट्टूस सब खत्म हीही ( मै खिलखिलाया )
: पागल मेरा बच्चा , लव यू ( अम्मी खुश होकर बोली )
: लव यू सो सो सो मच मेरी प्यारी अम्मी ( मै खुश होकर बोला )
: अच्छा इतना प्यार उम्मम
: हम्ममम शानू आपको बहुत बहुत प्यार करता है ( मै भीतर से खुश हो रहा था )
: अच्छा , शानू की अम्मी भी शानू को बहुत बहुत प्यार करती है , लेकिन उसकी पीटाई होगी जरूर ( अम्मी बोली )
: पिटाई ? अब क्यों ? ( मै चौका )
: होगी तो होगी , प्यार करती हु तो मारूंगी नहीं तुझे । ( अम्मी ने हक जताया )
: ठीक है मार लेना , अम्मी हो ( मैने भी हस कर बोला )
फिर हम दोनो खिलखिलाते रहे कुछ देर तक ।
: अच्छा बता , कब घर आ रहा है ? ( अम्मी ने पूछा , जी में आया कि कह दूं कि कल आ रहा हूं मगर मैने सोचा माहौल खुशनुमा है थोड़ा अम्मी को परेशान करूं )
: मै क्यों आऊ हर , आपका मन नहीं होता अपने बेटे के पास आने का । हमेशा अब्बू के पीछे लगी रहती हो ( मै मुंह बना कर बोला )
: क्या बोला फिर से बोल ( अम्मी चिढ़ गई )
: क्या मेरा इतना भी हक नहीं है कि आपके साथ अकेले में कुछ हफ्ते रहूं ( मै थोड़ा नाटक करके बोला )
: अरे ऐसा नहीं बेटा , तू तो तेरे अब्बू की आदत जानता है न ( अम्मी उदास होकर बोली)
: कितना झूठ बोलती हो अम्मी , आप खुद नहीं रह पाती हो और अब्बू को ब्लेम करती हो ( मैने उनके मजे लिए )
: बहुत मारूंगी तुझे शानू , बदमाश कही का ( अम्मी शर्मा कर मुझे डांट लगाई )
: हा तो चले आओ न , थोड़ा दिन अब्बू रह लेंगे अकेले तो क्या हो जाएगा । ( मैने दो चूड़ी और कसी )
: अच्छा ( अम्मी कुछ सोच कर ) चल ठीक है आती हूं मै फिर ( अम्मी पक्के स्वर में बोली )
: पक्का न , बाद में मुकर जाओगे तो ? ( मैने उन्हें परखा )
: हा भई पक्का आऊंगी जो होगा सो होगा ( अम्मी पूरे विश्वास से बोली )
: और अब्बू ? वो गुस्सा हुए तो ? ( मैने आखिरी जांच की )
: तेरे अब्बू को कैसे मनाना है मै जानती हूं ( अम्मी मुस्कुरा कर बोली )
: हा वो तो मुझे भी पता है ( मै हल्का सा बड़बड़ाया मगर शायद अम्मी सुन ली थी )
: क्या बोला, बहुत मारूंगी तुझे बदमाश कही का , बहुत बिगड़ गया है ( अम्मी मुझे डांट लगाती रही )
मै दिल से खुश हो गया था कि फाइनली अम्मी मान गई और सबसे बढ़ कर वो मेरे पास आ रही है रहे के लिए।
मै एकदम से चहक रहा था , अम्मी से बात करने के बाद मैने नानी को सारी बातें बताई फोन पर
: चल अच्छा है और इस बार कोई शरारत मत करना । नहीं तो खामखां बात बिगड़ जाएगी समझा ( नानी समझा कर बोली )
: परेशान करने के लिए मेरी सेक्सी नानी है न हीही ( मैने नानी को छेड़ा )
: धत्त बदमाश सेक्सी नानी , आकर देख मुझे बूढ़ी हो गई है तेरी नानी । चलना तो दूर अब उठना बैठना दूभर हो गया है , ना जाने कितनी रोज की जिन्दगी बची है ( नानी उखड़ कर बोली )
: क्या नानी ऐसे न कहो प्लीज ( नानी की बातों से मन उदास सा होने लगा )
: क्या न कहूँ, अरे मरने से पहले तेरा निगाह देख लू अब बस यही इच्छा है । कोई पटाई वटाई है या बस अम्मी के लिए ही जी रहा है । (नानी ने माहौल हल्का किया )
: नानी तुम भी न ( मै मुस्कुराया )
: अगर होगी तो मिलवा देना अपनी अम्मी से , झिझकना मत
: ठीक है और कुछ ( मै अलीना को अम्मी से मिलाने के बारे में सोच कर ही सिहर उठा )
: और मन करेगा तो मुझसे भी मिला देना मेरे जिंदा रहते और क्या ? ( नानी ने जवाब दिया )
: नानी , अच्छा ठीक है मिला दूंगा खुश । चलो मै रखता हु फोन आ रहा है ऑफिस से कुछ जरूरी है ।
: ठीक है रख दे ( नानी ने फोन काट दिया )
मोबाइल पर शबनम के फोन आ रहे थे । रेस्तरां से आने के बाद शाम हो गई थी और मैने उससे कुछ बात नहीं की थी । अम्मी से बात करते हुए एक बार अलीना का भी फोन आ चुका था ।
फोन पर
: हा शबनम बोलो ( मै खुश होकर बोला)
: क्या बोलो , तुम तो एकदम से निकल गए और फोन भी नहीं किया ( शबनम ने हड़काया मुझे ) सब ठीक है न
: हा अब सब ठीक है , तुम कहा हो
: कहा रहूंगी , घर पर अपने कमरे में अपने बिस्तर पर तुम्हारा इंतजार कर रही थी ( शबनम ने बातों को लपेटा )
उसकी बातों से ही लंड ने हरकत होने लगी
: उम्हू तो ठीक है आ रहा हूं 10 मिनट रुको ( मैने उसे डराया )
: क्या ? नहीं नहीं यहां कैसे पागल हो मामू काम से वापस आ गए है ( वो मना करते हुए बोली )
: हा लेकिन मुझे मिलने का मन है सीईईईई उम्मम जबसे तुमने बाथरूम ने इसको चूसा है अह्ह्ह्ह ये तो छोटा ही नहीं हो रहा है ( अपना अकड़ता लंड को पकड़ कर भींचता हुआ मै सिहरा)
: शानू नही मत याद दिलाओ न प्लीज ( शबनम की तेज धड़कने साफ महसूस हो पा रही थी उसके बातों में बेचैनी जाहिर हो रही थी )
: क्यों पसंद नहीं आया क्या मेरा बड़ा सा लंड , कितने प्यार से तुम उसको अपने होठों से लगाए थी अह्ह्ह्ह शब्बू उम्मम्म फिर से वैसे ही चूसो न उम्मम ( मैने उसको उकसाया )
: उफ्फ शानू मै यहां पागल हो जाऊंगी उम्ममम मत करो ऐसी बातें उम्मम मुझे देखने का मन करेगा ( शबनम बोली )
: रुको फोटो भेज रहा हु
और मैने उसको कालिंग पर होल्ड रखे हुए व्हाट्सअप पर अपने लंड को के ऊपर से पकड़े हुए एक फोटो उसे भेजी
: देखो गया है ( मैने फोन पर बोला उसे )
: धत्त ऐसे नहीं ( शबनम सिहर कर बोली ) खोल कर दिखाओ न मेरी जान
मैंने उसे तुरन्त वीडियो काल की रिक्वेस्ट की और उसने पिकअप कर ली
: उम्मम क्या देखना है ( मैने मुस्कुरा कर उसे देखा और वीडियो काल पर आते ही वो शर्माने लगी )
: धत्त ऐसे नहीं फोटो भेजो न ( वो पूरी लाज से लाल होती हुई बोली और चेहरा छिपाने लगी )
मै कैमरा बैक करके अपने पेंट के ऊपर से लंड को मसलते हुए दिखाया : ये देखना है उम्मम
वीडियो काल पर शबनम की हालत खराब होने लगी ।
मै अपना पेंट खोलकर उसे अपना मोटा मूसल हाथ में सहलाते हुए दिखा रहा था
: उफ्फफ अमीईई उम्मम कितना बड़ा है आह्ह्ह्ह अम्मीईई ओह्ह्ह्ह ( वीडियो काल पर शबनम के चेहरे के भाव बदल रहे थे । वो अपने होठ चबाते हुए बड़े गौर से मेरे लंड को निहारे जा रही थी । )
: क्या कर रही हो मोबाइल हिल रहा है कितना ( मै अपना सुपाड़ा खोलता हुआ बोला और उसने बैक कैमरा करके सामने आइने में जो दिखाया मेरा लंड पूरा अकड़ गया )
शबनम अपने कमरे में आलमारी के शीशे के आगे फर्श पर टांगे खोल कर बैठी हुई थी और उसके हाथ लेगी में घुसे हुए बुर सहला रहे थे
: पागल हो गई हु शानू , उम्मम्म फक्क्क् मीईईईई प्लीज अह्ह्ह्ह्ह चोद दो मुझे पेल दो मुझे इस मोटे लंड से अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अमीईईई अह्ह्ह्ह
मै उसकी खुमारी देखे जा रहा था और वो तेजी से अपनी चूत मसलते हुए अकड़ने लगी और तेजी झड़ने लगी
: अह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह्ह उम्मम शानू फ़क्कक्क अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम आ रहा है आह्ह्ह्ह ओह गॉड फक्क्क् मीईईईई अह्ह्ह्ह्हमम
( वीडियो कॉल पर शबनम अपने कूल्हे उठा कर झड़ रही थी और उसकी लेगी पूरी गीली हो गई थी इतना रस बह चुका था )
फिर वो शांत होकर मुस्कुराने लगी , मेरा लंड एकदम बेहाल हो गया था ।
फिर उसने लाज के मारे बाद में बात करने का बोल कर फोन काट दिया और मै अभी उठ कर फ्रेश होने का सोच रहा था कि व्हाट्सअप अप अलीना का मैसेज आया एक तस्वीर के साथ
Hey baby, are you missing me ?
जारी रहेगी
कृपया अपडेट पढ़ने के बाद रेवो जरूर करें । जल्द ही अगला अपडेट पोस्ट किया जाएगा ।
Click anywhere to continue browsing...
Click anywhere to continue browsing...
Shukriya BhaiNaani ki ghamasan chudai dekh kar maza aa gaya.... Lekin Shanu ne Farida ko car se aata dekha.. ye majra bhi samajhna padega.... aur Naani ne bhi farida ko smjhaya.. dekhte hn farida kese ab aagey badhegi...
Achcha build up tha bhai...
Click anywhere to continue browsing...
Thank youWaaahhhhh.... yaar... Farida maan gyi Shanu se narazgi khatam.... maa aise hi hoti hai.....
Lekin Farida Naraz kyu hui thi ye pata karna hoga....
Shabnam bhi Shanu aur uske lund par fida ho gayi lagti hai..... udhar Alina bhi saath hai....
Ek bechara Shanu kitni chuto ko ek saath jhelega...