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Incest अम्मी vs मेरी फैंटेसी दुनिया

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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सभी सम्मानित नागरिकों को सुचित किया जा रहा है
परसों देर रात आपके भाई का चार लोगों ने जबरन पकड़ कर
तिलक कर दिया है , तबसे घर से बाहर आना जाना नहीं हो पा रहा है
मक्खियों के जैसे कजिन्स और कजिंसीया पूरा दिन आगे पीछे भिनभिना रही है , मोबाइल खोलने तक की फुरसत नहीं हो पा रही है । ऐसे में अपडेट न लिख पा रहा हु और जो है उसे पोस्ट करने की फुरसत नहीं है ।
अभी भी पाखाने के बाहर दरवाजा पीटा जा रहा है , हगने भी नहीं दे रहे है
घुइयां के बीज सारे:buttkick:

अत: आप सभी बंधुओ से निरोध है कि अगर इधर दो चार रोज में अपडेट देने में सक्षम रहा तो जरूर मिल जाएगा
अन्यथा क्षमा प्रार्थी रहूंगा ।
सारी कहानी
फेरे और सुहागरात के बाद ही बढ़ेगी ।


आपके बधाईयों की प्रतीक्षा रहेगी
सुहागरात के लिए चियरअप जरूर करिएगा 🙏
आपका बड़े लौड़े वाला छोटा भाई
DREAMBOY40
 
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Sanju@

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UPDATE 002

मनपसंद हलवा

"अम्मी ...अम्मी आओ ना "
मैं उनको आवाज देते हुए रसोई घर से हाल में आ गया , सामने देखा तो अम्मी सोफे पर सर टिका पर लेटी हुई थी और उनका सूट कूल्हे से हट गया था ।

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बड़े विशालकाय चूतड बिना पैंटी के सलवार में साफ साफ झलक रहे थे , मगर दिल अक्सर यही बेईमान हो जाता है , उधर मेरी दसवीं के प्रैक्टिकल के लिए गृह विज्ञान की रेसिपी जल रही थी और यहां अम्मी के भारी चूतड को बेपर्दा हुआ देख कर भीतर से मैं ।

अम्मी को देख कर लोअर में मेरे हलचल ही होने लगी , ऐसा पहली बार नही था जब मैंने अम्मी के मुबारक पहाड़ जैसे ऊंचे उभरे हुए कूल्हे और मुलायम गाड़ देखी थी, मगर हर बार महज झलक भर से वो हसीन नजारा मेरी आंखो से कही खो सा जाता था
मगर आज वो दिन कुछ और ही था , मै धीरे धीरे अम्मी की ओर बढ़ने लगा मेरी नजर एक टक उनकी गाड़ की लाइन में जमी थी जो सलवार पर उभरी हुई थी , देखने भर से ही मुझे भीतर से महसूस हो रहा था कि कितने मुलायम होंगे , मेरे लोअर में लंड हरकत करने लगा था
मैंने मौका देख कर उन्हे छू लेना चाहा , मेरे हाथ उन लजीज रसभरे फूले हुए गुलगुलो को छुने को मचल रहे थे

" शानू "
एक तेज करकस आवाज और मैं भीतर से कांप उठा , मेरा रोम रोम भीतर से थरथराने लगा । डर से चेहरा सफेद होने लगा और उस आवाज से अम्मी भी चौक कर उठ गई ।

वो अब्बू की आवाज थी और अम्मी हड़बड़ा कर जल्दी जल्दी अपना दुपट्टा सर पर करने लगी और उन्हें कही से जलने की बू आई और वो मेरी ओर देखी और गुस्से से लाल होकर - अब फिर से क्या जला रहा है कमीने तू

अम्मी गुस्से में भागती हुई रसोई घर में गई और मैं भी तेजी से उनके पीछे गया - सॉरी अम्मी , कबसे तो जगा रहा था आपको , अब ये हलवा भी जल गया । कल मेरा प्रैक्टिकल है ?

अम्मी ने एक नजर बाहर देखा और अब्बू को ना पाकर एक गहरी सास ली - उफ्फ, बेटा तूने इसमें हिस्सा लिया ही क्यों ?

मै - अम्मी वो मीनू मैडम ने सबको बोला है सिख कर आने को ,कहती है कि शादी के बाद काम आयेगी

अम्मी मेरे भोले से जवाब पर खिलखिलाई - अच्छा तो तु भी इसीलिए सीख रहा है कि शादी के बाद अपनी बीवी को हलवा खिलाएगा हिहिही

मै हल्का सा उनके करीब होकर उनसे लिपटने को हुआ - नही तो ? मै तो अपनी प्यारी अम्मी को खिलाऊंगा ।

अम्मी रसोई घर से बाहर देखती हुई मुझसे दूर हट गई - हा हा अब लिपट मत , बड़ा आया प्यारी अम्मी का दीवाना हिहिही

मुझे बड़ी जलन सी हुई कि एक तो अम्मी ने मुझे दूर किया और उसपे से मेरे प्यार का मजाक उड़ाया , गुस्सा भी आ रहा था तब मगर मैं अपनी अम्मी से नाराज कैसे हो सकता था । कितना मुश्किल होता है जिससे प्यार करो उसपे गुस्सा दिखाना । फिल्मों में कई बार ऐसा देखा था सोचता था कि ये सब नाटक होगा मगर वो सब हकीकत में मेरे साथ होता दिख रहा था ।

: लेलो बाबूजी अच्छे आम है
: कैसे दिए काका ?
: पक्के हापुस है बाबूजी , मुंह लगाओ तो भैंस की थन जैसे दूध की तरह रस से भर जाए

मै मुस्कुराया - अरे दिए कितने भाव से ?
: 250 रुपए दर्जन से बेंच रहा हु बाबूजी
मैंने रेडी वाले काका को उसके पैसे दिए और आम लेकर आस पास देखा तो हाईवे से मेरे टाउन की ओर जाने वाले रूट पर कुछ ऑटो रिक्शा लाइन में लगे थे ।
सुबह का समय था सबके नंबर थे और पहली वाले में मैं भी बैठ गया ।

" लो भैया तुम भी खाओ , चने अच्छे है " , उस ऑटो वाले ड्राइवर ने मेरी ओर हाथ बढ़ाया ।
मै - जी अभी ब्रश नही किया मैंने
ड्राइवर : खुशबू अच्छी है , कितने भाव के दिए
मैंने एक नजर उस चाइना पन्नी में रखे हुए दो दरजन आमों की ओर देखा और मुस्कुरा कर - 250 के 12
ड्राइवर : बाप रे इतनी मंहगाई , हम जैसो को तो अब छुने को नहीं मिलती । रोशनी की मां तो चार रोज से कह रही है कि सीजन है आम लेते आओ बच्चे ज़िद दिखाते है । मगर पैसे दाल रोटी से बचे तो न शौक पूरे हो ।

उस ड्राइवर की लार छोड़ती जीभ ही ये सब उससे बुलवा रही थी ये तो पक्का था और मुझे हसी तब आई जब इसमें भी अम्मी की कही बात याद आ गई,ऐसे जब कोई चर्चा करे तो उसे अपने हिस्से से कुछ देदो नही तो नजर लग जाती है चीजों में ।

और नजर लगने का मेरा अनुभव बहुत बुरा रहा है , चार चार रोज तक पेट छुटता रहता था बचपन में । फिर अम्मी किसी सोखा ओझा से झाड़ फूंक करवाती तब तबियत ठीक होती मेरी ।
मै झट से 4 आम निकाल कर उसको देने लगा , वो मना करने लगा - अरे रोशनी बिटिया के लिए लेते जाओ , उसके चाचा की ओर से । बच्ची खुश रहेगी

वो ड्राइवर के चेहरे पर खुशी की लाली देख कर मैं खुश हो गया ,उसने एक पुराने से झोले में वो आम पहले अपने गमछे में लपेटे फिर रखे ।
फिर तो मानो उसमे कोई तेजी आ गई ,ये चिल्ला चिल्ला कर सवारियां बटोरने लगा और फिर मुझे अपने बगल में ही बिठा लिया

: कहा से हो बाबू तुम
: जी काजीपुर से ही हूं
: खास काजीपुर में ? कौन सा टोला ?
: खोवामंडी
: अच्छा वो बिलाल भाई जो टेलर है उनके आस पास क्या ?
: जी जी , बस वही गली में घर है मेरा
: क्या नाम है अब्बा का तुम्हारे बाबू
: जी अकरम अली
: अरे तो तुम वो बड़े बाबू के बेटे हो , वाह मिया क्या बात है , तुम्हारी भी नौकरी है ना कही ?
मै उसकी खुशी देख कर खुद भी खुश होने लगा और वो तेजी से ऑटो चलाता हुआ मुझसे बात करता रहा ।
: जी इंदौर में है
: अच्छा अच्छा , क्या करते हो वहा
: वो **** विभाग में सीनियर टेक्नीशियन हू
: सरकारी है ?
: जी

फिर वो आखिर तक मेरा स्टाफ नही आ गया कभी अपनी गरीबी की मार तो कभी मेरे अब्बू की बड़ी बड़ी बातें करता रहा और फिर मैं उतर गया ।

: क्या इंजीनियर साहब , शर्मिंदा करेंगे अरे बड़े बाबू सुनेगे तो क्या कहेंगे ।
: अरे बोहनी का समय है रख लीजिए
फिर मैंने जबरन उसे पैसे दिए और अलविदा कहा और निकल पड़ा अपने चौराहे से घर की ओर


सुबह का वक्त अब खड़ा होकर दुपहर की धूप छूने हो रहा था , सड़क के किनारे से होकर मकानों की छाया में चलने लगा था मैं ।
चौराहे से घर अभी दूर था और खोवामंडी के बंदर पूरे लखनऊ में आतंक मचाते हैं इसीलिए उधर जाने से पहले एक किराना स्टोर से झोला लेने चला गया ।


:हरी वाली इलाइची लेना बड़ी बड़ी हो एकदम अंगूर के दाने जैसी , ऐसी मरियल मत लेना और लिख ...
: बादाम पिस्ता 100 100 ग्राम , उस सेठानी से कहना कि नए पैकेट खोल के देगी , नही तो इस बार अच्छे से हिसाब करूंगी इसका ।

: अम्मी आपकी सहेली है तो आप चले जाओ ना , वो आंटी मुझे बहुत परेशान करती है
: प्रैक्टिकल किसका है
: मेरा ( उतरे से चेहरे से )
: हा तो जाना हो जा नही तो रहने दे और तेरी मामी लगेगी वो थोड़ा मजाक सहना सीख


मै - नमस्ते मामी
सेठानी - अरे शानू बेटा, आजा आजा चाय बन ही गई , कैसा है ?
मै - जी ठीक हु मामी , नहीं अभी ब्रश नही किया । मुझे एक झोला चाहिए था
सेठानी - हा हा अपनी मामी के लिए तेरे पास 100 बहाने है अभी कोई छोरी भैया बोल कर भी बुलाए तो उसके पीछे भौरा बनके नाचता जाएगा

मै मुस्कुराने लगा सेठानी का मजाक कुछ ऐसा ही था रिश्ते में मामी लगती थी क्योंकि मेरे मामू का ससुराल इनके मायके के गांव में ही था ।

: कही कोई पटा तो नही रखी उधर ,मुझे बता दे तेरी अम्मी को नहीं बताती मै
: क्या मामी लाओ झोला , ये सब नहीं करता मै ( मुझे कोई छेड़े मुझे भाता नहीं था )
: हम्मम फिर ठीक है और खबरदार मेरे अलावा किसी पर डोरे डाले तो
: क्या कर लोगी ( मै हसा)
: ऐसे कान पकड़ कर घर खींच लाऊंगी तुझे बदमाश कही का , चल अब चाय लाई हू पी कर ही जा

हार कर मुझे चाय पीनी ही पड़ी और चुस्कियां लेते हुए - मामी एक बात पूछूं
सेठानी - हा बोल
मै - पूरे खोवामंडी एक मैं ही मिला था परेशान करने को , इतने हैंडसम है आपके शौहर फिर भी मुझ अबला पर डोरे डालती हो
सेठानी - शुक्र कर अभी तक तेरा तबला नही बजाया , मुझे तो तू बड़ा नमकीन लगता है ना इसलिए
मै अजीब सा मुंह बना कर - नमकीन
सेठानी मेरे गाल खींच कर - हा हर तरह के मसाले है तुझमें हिहिही
मै उठता हुआ अपने गाल झाड़ने लगा मानो उसके उंगलियों के निशान मिटा रहा हो कही अम्मी ना देख ले - धत्त मामी तुम भी ना , अब मैं जा रहा हु

मै उठ कर जाने लगा - पोंछ ले पोंछ ले एक दिन खूब गाढ़ी लाल लिपस्टिक लगा कर पप्पी लूंगी , जुम्मे रात तक नहीं छूटेगी

मै डर गया कि इसका कोई भरोसा नहीं वो अम्मी के आगे भी मुझे छेड़ने से बाज नहीं आती है और मैं सरपट अपना सामान लेकर निकल गया

मुहल्ले में घुसते ही लोगो की सलाम बंदगी चालू हो गई , रुक रुक कर सबसे सफर का हाल चाल साझा करना पड़ा
घर वापसी मुझे ये एक और झंझट मेरा पीछा नहीं छोड़ती, सब के सब अब्बू की वजह से और जबसे नौकरी की पढ़ाई के लिए बाहर गया तबसे मेरा हाल चाल कुछ ज्यादा ही लेते है
हर बार मेरी छुट्टियों के पल से घंटे दो घंटे भर का समय ये सब खा जाते है और लिहाज बस मैं कुछ कहता नही बस भीतर ही भीतर जलता हूं कि इन कमबख्तो की वजह से मुझे मेरी अम्मी के पास पहुंचने में जो देरी लग रही है उसकी तड़प ये क्या जाने ।

जबरन विदा लेकर घर की ओर गुजरने लगा , खोवामण्डी अब कहने को खोवामंडी रह गई है । पुराने हलवाई अब सब यहां से अमीर होकर शहर चले गए , उनकी दुकानों में अब दूसरे चाय नाश्ता की टीन शेड लग गई है और इसी वजह से यह बंदर बहुत बढ़ गए है ।

अक्सर घर आते हुए मेरी नजर बिलाल के बंद पड़े पुराने मकान की दूसरी मंजिल की बाहर दीवार पर निकले हुए सलियों पर जाती है , जहा एक बार एक हरामी बंदर अम्मी की नई सलवार ले कर भागा था और बिलाल के छत की चारदीवारी पर से गिरा दिया मगर वो उन बाहर निकले हुए सलियों में अटके गया ।
और पूरे मुहल्ले को पता चल गया था कि अम्मी के कूल्हे कितने चौड़े है ।
पूरे बरसात अम्मी का वो सलवार वहा झंडे के जैसे लहराता रहा और बारिश धूप में सड़ गल कर खत्म हो गया ।

आज भी मेरी नजर वहा गई और भीतर से एक दबी हुई खुन्नस उस बंदर के लिए हल्की सी बजबजा कर शांत हो गई
मै घर का चैनल सरका कर बरामदे में दाखिल हुआ और अब्बू के पैर छुए

: खुश रहो और जाकर नहा लो पहले
: जी अब्बू

फिर मैं अपना समान लेकर दरवाजे से घुसा और गैलरी से हाल में गया , अम्मी कही नही दिखी ।
किचन में झोला रख कर मैं बैग लेकर ऊपर अपने कमरे में जाने लगा और मुझे ऊपर अम्मी की पायलों की खनक मिली
मै खुश हुआ और कमरे के दरवाजे पर बैग रख कर - अम्मीई

अम्मी खुश होकर मेरी ओर देखी और अपना दुपट्टा सही करने लगी - अरे आ गया बेटा

मै आगे बढ़ा और झुक कर अम्मी को कमर से पकड़ कर उनको पूरा उठा लिया - अम्मी मेरी अम्मी मैं आ गया हिहिहि

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: अरे ये क्या कर रहा है शानू छोड़ मुझे , तेरे अब्बू ने देख लिया तो शामत हो जाएगी
अब्बू का नाम आते ही मेरा मुंह उतर गया और उखड़ कर मेरे मुंह से निकल ही गया - इतना भी क्या डरना अब्बू से

अम्मी आंखे दिखा कर - शानू चुप कर तू , क्या बोले जा रहा है
मेरा मूड खराब हो गया , भीतर से एक चिढ़ सी हो रही थी हर बार जब कभी अम्मी के करीब होने का सोचता या अब्बू आ जाते या फिर उनका नाम और अब तो धीरे धीरे अब्बू के नाम से भी मुझे चिढ़ होने लगती है ।

अम्मी मेरा उतरा हुआ चेहरा देख कर मुस्कुराई और बोली - वैसे मैंने तेरे लिए आज आम और सूजी वाला हलवा बनाया है ।

मै खुशी से चहक उठा और थोड़ा जलन भी हुआ कि इन्हे सब पता होता है मुझे कब कैसे मनाना है । कभी तो मुझे फिल्मों वाला ड्रामा करने देती ये औरत ।

मै - सच अम्मी और अब्बू आम लाए थे?
अम्मी मुस्कुरा कर थोड़ा हक जता कर - लायेंगे क्यू नही, उनमे इतनी हिम्मत जो तेरी अम्मी का कहा टाल दे हिहीही

मै हसने लगा तो वो मेरे बाल में हाथ घुमा कर जा जल्दी से नहा ले और कपड़े निकाल कर वाशिंग मशीन में डाल देना

अम्मी बाहर जाने लगी तो मैंने उन्हें रोका - अम्मी रुको न
अम्मी मुस्कुरा कर - हा बोल ना
मैंने झट से बैग से वो चमकीली पन्नी वाला गिफ्ट निकाल और उनको देता हुआ - ये आपकी शादी की सालगिरह का तोहफा अम्मी ,

अम्मी उस चमकती लाल पन्नी वाली गिफ्ट के पैकेट को देख कर खुश हो गई - वाओ कितना प्यारा पैकिंग हुआ है और ये क्या लिखा है


मेरी प्यारी अम्मी को शादी की सालगिराह मुबारक हो , आपका शानू और ये क्या है ?

अम्मी ने उंगली रख कर एक emoji पर मेरी ओर देखा और वहा मैंने एक चुम्मी वाली emoji अपने पेन से बनाई थी जिसे देख कर मेरी हसी निकल गई ।

अम्मी मुझे देख कर मुस्कुराई - बदमाश कही का ,चल मै जाती हु तू जल्दी से आजा नहा कर

मै - अम्मी खोल कर देखो ना क्या
अम्मी - नही नही बाद में जल्दी से नहा कर आजा अभी तेरे अब्बू ने नाश्ता नहीं किया है लेट हुआ तो डांट मिलेगी

फिर अम्मी वो गिफ्ट अपने हाथ ऐसे झुलाते लेकर कर गई मानो मेरा दिया हुआ दिल लटका रखा हो और मेरे मजे ले रही हो , मुझे सता रही हो कि ऐसे ही लटका कर रखूंगी तुझे बच्चू ।

मुझे फिर गुस्सा आया मगर उनकी हिलकोरे खाती बलखाती गाड़ ने मेरे दिल को चैन दिया और मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई ।
ना जाने क्यों अम्मी पर गुस्सा मैं कर ही नहीं पाता ।


खैर मैं नहा कर नीचे गया , चाय नाश्ता होने लगा । अब्बू से मेरी कोई खास बात चीत होती नही थी मगर न जाने क्यू वो आज वो खुद से पहल कर बातें कर रहे थे ।

: वहा रहने वहने की कोई दिक्कत नही है ना
: जी नहीं अब्बू , नया फ्लैट है rent भी सस्ता है उसका
: आस पास का क्या माहौल है
: सब ठीक ही है ,क्यों ?
: अरे घर परिवार लेकर रहने लायक है या नही ये पूछ रहा हूं
: हा , और भी लोग है वहा फैमली लेकर ( मैने अम्मी की ओर देखकर इशारे से पूछा क्या बात है तो वो ना में सर हिला दी जैसे उन्हें भी नही पता हो )
: ठीक है , आज शाम को अनवर भाई साहब आ रहे है थोड़ा कायदे से पेश आना
: जी अब्बू

मै बड़ी उलझन में था कि अब्बू ने मुझसे ऐसे बात क्यू की और फिर अनवर चचा को मुझसे क्या काम हो सकता है ।
अम्मी के पास भी इनसब का कोई जवाब नही था और अब्बू नाश्ता कर बाजार के लिए निकल गए ।

शाम हुई और तकरीबन 5 बजे तक अनवर चचा अपनी इनोवा से पूरे परिवार के साथ घर आए ।
चचा-चची के साथ उनकी बहु और उसने दो छोटे बच्चे थे जो बरामरे गलियारे हाल में शोर मचा कर खेल कूद करने लगे और अम्मी के साथ सबके लिए नाश्ते लगाते समय मेरी नजर हाल में अनवर चचा की बहु के साथ बैथी हुई रेहाना पर गई

: ओह नो , नो नो अम्मी मैं तो भाग रहा हु इंदौर अभी के अभी
: क्या हुआ शानू
: अम्मी रेहाना आई
: क्या ( अम्मी चौक कर रसोई से हाल में देखी )
हम दोनो उसके आने का मतलब साफसाफ समझ गए थे और मुझे समझ आ गया कि क्यू सुबह नाश्ते पर अब्बू ने मुझसे मेरे रहने वाली जगह का जायजा लिया

मै अम्मी को कंधे से पकड़ कर अपनी ओर घुमाया और उसकी आंखो में अपनी डबडबाती आंखो से पूरे विश्वास से देखता हुआ : अम्मी .... मै ये शादी नही करूंगा .

अम्मी एकदम से हड़बड़ा गई मेरी आंखो में आंसुओ के साथ साथ एक बगावत दिख रही थी जो मेरे ही अब्बू के खिलाफ थी , उन्हे डर था कही मेहमानों के आगे मै कुछ हंगामा ना कर दू ।
अम्मी मेरे चेहरे को थाम कर अपनी ओर किया - बेटा देख तू चुप हो जा और खुदा के लिए तू कुछ अनर्थ मत करना वरना तेरे अब्बू खाम्खा नाराज हो जाएंगे

मेरी आंखे सुर्ख लाल होने लगी मुझे अपनी अम्मी मुझसे दूर होती दिखने लगी वो सोच ने मेरी आंखे छलका दी

और होठ बुदबुदाहट के साथ फफकने वाले थे की अम्मी ने उंगली रख दी - नही बेटा रोना मत , तुझे मेरी कसम है अगर तू रोया तो
वो अपने दुपट्टे से मेरा चेहरा पोछने लगी उनकी आंखे पूरी नम हो गई थी ।
मै तो भीतर से टूट ही गया मानो , अम्मी ने तो मुझे मेरे हिस्से का दुख भी मनाने की इजाजत नही दी और अगले ही पल अम्मी ने मुझे अपने सीने से लगा लिया मैं हार कर फफक पड़ा - अम्मी मुझे ये शादी नही करनी , नही करनी

अम्मी ने मेरा सर अपने सीने से लगा कर कस लिया मुझे सालों बाद उनके गुदाज नरम फूले हुए चूचे मेरे गालों को छू रहे थे और अम्मी ने जब मुझे कसा तो वो ऐसे दब रहे थे जैसे पाव की बन हो , उसपे से उनकी सूट से आती वो मादक गंध मेरे नथुनों में बसने लगी थी । कई बार मैं इनकी खुशबू ले चुका था - तू फिकर ना बेटा , तेरी अम्मी है ना अभी । चुप हो जा मेरे बच्चे चुप हो जा


" शानू की अम्मी , अरे आओ भई मेहमान आ गए है "
अम्मी झट से मुझसे अलग हुई और अपना चेहरा पोंछ कर ट्रे लेकर बाहर चली गई मैं भी उनके साथ अपना हुलिया सही कर दूसरी ट्रे लेकर बाहर आया

जारी रहेगी
Nice update
 
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Sanju@

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UPDATE 003

सैटरडे

: अम्मी यार कब तक ऐसे चलेगा , मुझे कितना मन होता है आपसे बात करने का
: हा हा सब पता है कितना मन होता है तेरा , लेकिन तू ऐसा कुछ भी नही भेजेगा फालतू खर्च करने की जरूरत नहीं है और मैं फोन करती हूं ना रोज
: कहा रोज करती हो , सैटरडे संडे जब मेरी छुट्टी होती है आप भी छुट्टी मार लेती हो ( मैंने घुडक कर जवाब दिया )
अम्मी चुप थी और वो भी जानती थी फोन न करने का असल कारण जानता हूं।
: अच्छा वीडियो काल करू
: वो जुबैदा के बेटे ने आज गेम खेल कर नेट खतम कर दिया है ( अम्मी उदास आवाज में बोली )


घर से आए मुझे आज दो रोज हो गए थे , मै पहले ही हफ्ते भर की छुट्टी की ले चुका था , अब तक घर से कोई फोन या किसी ने मेरी खोज खबर भी नहीं ली थी ।

अम्मी जो किसी ने किसी तरह से आस पास मुहल्ले में किसी का फोन लेकर मुझसे लगभग रोज ही बात कर लिया करती थी वो भी मेरा हाल चाल नही ली थी और उसपे से आज सैटरडे था

आज अब्बू घर आ जाते है और फिर सोमवार को ही जाते है
मुझे खुद से ही चिढ़ होने लगी थी कि क्यू मै मेरी भावनाओं को संभाल नहीं पाता , क्यू मै इतना जल्दी जजबाती हो जाता हूं। काश उस रात में मैं अब्बू से नही उलझता तो अम्मी से बात तो कर पाता ।
मैंने मोबाइल निकाल कर स्क्रीन के apps स्क्रोल करने लगा , कुछ भी समझ नही आ रहा था कैसे समय काटू ।


: यस्स यसस् हिही कट गई न ( मै खिलखिलाया )
: हा हा चल चल , आगे आ फिर बताती हु , ये ले खुल गई मेरी ( अम्मी ने ताली मारी )
दो चार बार पासे फेंके गए और एक बार फिर अम्मी के घेरे में उनकी गोटी मेरे आगे थी ।
: हिहिही अब कैसे बचोगी

" शानू सुन तो " अब्बू ने आवाज दी

: अम्मी मैं आ रहा हु और खबरदार मेरी गोटिया फेरी तो , सब याद मुझे इस बार आपको हरा के रहूंगा हिहिही

इधर अब्बू ने मुझे 500 का नोट पकड़ा दिया - बब्बन शेरा दुकान देख रहा है
: जी अब्बू वो तो पुलिस चौकी के आगे , वहां ( मैने शब्दो में ही घर से बब्बन शेरा की दुकान तक की दूरी नाप दी )
: हा वही , आज शनिवार है तो उसने बढ़िया शीरे वाली गुजिया तैयार की होगी , आधा किलो लेकर आ और धीरे धीरे जाना , कही लेकर गिर मत जाना

: बस गुजिया ही ( मैने आंखे नचा कर उन्हे देखा )
: अच्छा समोसा भी ले लेना अपने और अम्मी के लिए

मै खुश हुआ और बरामदे में तख्त के नीचे रखी चप्पल पहन कर एक झोला हाथो में फोल्ड करता हुआ मस्ती से गुनगुनाता हुआ बाहर निकल गया ।
ऐसा कम ही बार होता था कि अब्बू मुझे मनचाही चीजे खाने पीने के लिए छूट देते थे , शायद महीने में एक दो बार ही जब वो ड्यूटी से घर आते थे ।

मै मस्ती में जेब में रखी नोट को बीड़ी की तरह रोल करता हुआ आगे बढ़ रहा था कि मुझे ख्याल आया ,और में सड़क पर एकदम से ठहर गया । आखिरी बार जब अम्मी ने एक नोट दिया था तो फटा निकला था और सब्जी मंडी में मेरी हालत खराब हो गई थी उसे भजाते भजाते

मै झोले को कांख में दबाया और जेब से वो बीड़ी बनी नोट को फैलाया तो शक सही निकला , 500 की नोट हल्की सी फटी हुई थी ।

: अभी जाकर दूसरी ले लेता हु नही तो लेट हुआ तो अब्बू खुद की गलती के लिए भी मुझे ही दांत लगा देंगे ( मै खुद से बातें करता हुआ वापस घर की ओर घूम गया ।

मैं घर वापिस आया और चैनल सरका कर बरामदे से हाल में आया तो सब और एक चुप सन्नाटा पसरा था और अब्बू के कमरे का दरवाजा बंद था
मै उनको आवाज देने को हुआ कि अम्मी की आवाज आई


: उम्मम्म शानू के अब्बू क्या करते है हटिए धत्त अहा नही और लूडो मत बिगाड़ियेगा शानू आएगा तो मुझे कहेगा कि चीटिंग की है मैने
: आहा मेरी बेगम कहा उन छोटी गोटियों में उलझी हैं जरा मेरी गोटियों पर भी ध्यान दीजिए
: आह धत्त गंदे मै नही छूती जाओ अअह्ह्ह् देखो तो बाबू साहब की जबरजस्ती उम्मम्म
: अह्ह्ह्ह्ह शानू की अम्मी तुम्हारी गुदाज हथेलियां मेरा मूड बना देती है
: सिर्फ हथेलियां ही ? हिहिहिही
: अअह्ह्ह्हह रुकिए ना कितनी तेजी रहती है आपको उह्ह्ह्ह शानू के अब्बू अह्ह्ह्ह्ह अम्मी नोचिए मत उम्मम्म

अंदर अम्मी की सिसकियां उठने लगी और बाहर मेरे चढ़ढे में मेरा लंड सर उठाने लगा । अब समझ आया कि महीने में एक दो बार क्यू अब्बू मुझे किसी न किसी बहाने बाजार में आधे घंटे के लिए पठा देते थे ।
जबरजस्त सुरसुरी सी दौड़ रही थी बदन में मेरे उसपे से अम्मी की कामुक सिसकियां और उनके बीच की बातें सुनकर मेरा लंड और भी फौलादी होने लगा

: अह्ह्ह्ह्ह आइए ना कहा रुक गए
: बस हो ही गया बेगम अह्ह्ह्ह्ह क्या मस्त शॉट मिला है इस बार
: धत्त गंदे , क्यू निकालते है ये सब किसी ने देख लिया तो ?
: मेरी जान इसे मैं खास तौर पर छिपा कर रखता हु अगर पासवर्ड भूल गया तो मैं भी नही निकाल सकता
: अच्छा जी ऐसा क्या पासवर्ड बना दिया जो आप भूल नही पाते अअह्ह्ह्ह मेरे राजा आराम से उम्मम्म पूरा गर्म है उह्ह्ह्ह
:
फरीदा , वो भी अंग्रेजी में ..सब कैपिटल


मैंने अम्मी का नाम सुनकर चौका और एक मुस्कुराहट सी फेल गई मेरे चेहरे पर और वही कमरे में चुदाई की मादक सिसकियां उठने लगी ।
मैंने मुस्कुरा कर खुद से बात करते हुए बोला - अब तो ये नोट मुझे चला कर ही आना पड़ेगा हिहीही


: नही साहब नही चलेगी , दूसरी देदो
: अरे यार हद है ( मैने पर्स से दूसरी नोट निकाल कर सब्जी वाले को दी )

फिर रूम पर आकर किचन में लाइफ की दूसरी सबसे चीज में भीड है , अम्मी की बताई रेसिपी से आज मिक्सवेज खाने का मन हो रहा था ।
फटाफट सारी सब्जियां काट ली मसाले भुने और फ्राई कर कुकुर चढ़ा दिया ।
तभी मेरे फोन पर घंटी बजी मैं खुश हुआ ये सोच कर कि शायद अम्मी ने किया होगा मगर वो ऑफिस का कलीग निकाला

: हा बोल भाई ( मै उखड़े हुए स्वर में )
: ओहो मिया क्या हाल है घर के
: रूम पर हूं भाई , काम बता ?
: अरे इतना जल्दी , फ्री हो तो आज सैटरडे नाइट हो जाए
: नही यार मूड नहीं है फिर कभी , तू बता किस लिए फोन किया
: अरे यार तेरे लॉकर का पासवर्ड क्या है ? वो जो लास्ट वीक होटल *** में कंप्लेन पूरा किया था उसकी रिसीविंग माग रहे है बड़े साहब
: अच्छा , लॉकर तक पहुंच फिर बताता हु
: वही खड़ा हु भाई
: वो capital में सब रहेगा

F A R E E D A

मेरी सांसे तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी , अब्बू गुसलखाने में थे और तेजी से फोल्डर खोलकर एक फाइल ओपन की


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सामने अम्मी अपनी सूट को कूल्हे तक उठा कर खड़ी थी और नीचे उनकी सलवार उतर चुकी थी और बड़े विशालकाय भारी भरकम खूबसूरत जोड़े में उनके मोटे मोटे चूतड आपस में चिपके हुए थे , अधिक चर्बी होने से दरारें इतनी सकरी दिख रही थी मानो दोनो पंजों से फाड़ कर ही उनकी सुराख देख सकते थे ।

मेरा लंड एकदम से बौरा गया और मेरे हाथ उसको मिजने लगे थे कि बगल से एक दूसरे हाथ ने मुझसे मोबाइल छीन कर चटाक से एक जोर का तमाचा मेरे गाल पर जड़ दिया

जिसकी गूंज से कुछ देर के लिए मेरे कानो में सुन्न सा हो गया , अम्मी भाग कर आई - क्या हुआ शानू के अब्बू , आवाज कैसी

मै अपने गाल पर हाथ रखे हुए उस लाल निशान को छिपाए हुए खड़ा था जो अभी अभी अब्बू ने मुझे चिपकाया था । निशान को तो फिर भी छिपा लेता मगर आंखो में आई लाली कैसे छिपा पाता

अम्मी को देखू तो ना जाने क्यू बस रोना आ ही जाता था , इशारे में अब्बू के पीछे से ही अम्मी ने ना में सर हिलाया और मैं आसू छलकने से पहले ही ऊपर अपने कमरे में चला गया ।

अम्मी के पूछने पर भी अब्बू ने उन्हें कुछ नही बताया ।
अम्मी वापस चली गई
उधर किचन में सीटियां लग रही थी

: ओह गॉड क्या मस्त खुशबू है ( मैने कुकर का ढक्कन खोल कर खिले खिल मिक्स वेज की खुशबू ली । अभी से भूख तेज होने लगी थी

फटाफट से मैने रोटियां बनाई और चावल चढ़ा कर नहाने चला गया ।

पूरा कमरा मिक्स वेज की भीनी मस्त खुशबू से महक उठा था ।
: ले खा ले ( अम्मी ने थाली मेरे बिस्तर पर रखते हुए बोली )
मै उखड़े हुए मन से कटोरी में अम्मी के बनाए मिक्स वेज देखे तो जीभ से लार टपकने लगी , मगर अब्बू की मार का असर अभी तक था । खुद की गलती होने पर भी भीतर एक मनमुटाव सा था , हालाकि वो मेरी पहली गलती थी ।

: क्यू छूता है उनका मोबाइल , जब पता है उन्हे पसंद नही
मुझे पता चल गया कि अम्मी को कुछ भी पता नही है और फिर वो मुझे निवाला बना कर खिलाने लगी , उनकी ममता से अक्सर मैं दिल पसीज जाता था ।
मेरे रुआस चेहरे पर हाथ फेरकर मुस्कुराती हुई - अगर इस साल 12वीं में तू अच्छे नंबर से पास हो गया तो मैं खुद तुझे नया मोबाइल दिलवाऊंगी

मुझे अम्मी की बातो में कही छल नजर नहीं आता था क्योंकि वो मन से साफ थी मगर डर था अब्बू का

: मगर अब्बू मानेंगे ?
: तेरे अब्बू को कैसे मनाना है तेरी अम्मी जानती है , अब खाना खा ले

खाना खा कर मैं लेट गया
शाम हुई तो सिराज को फोन घुमाया वही ऑफिस का कलीग जिसका सुबह फोन आया था

: कहा है भाई
: बस घर के निकल रहा हु दोस्त ( फोन के दूसरी तरफ से आवाज आई)
: कही चलें क्या ( उबासी और हल्की माइग्रेशन में अपनी ललाट मसलता हुआ )
: नही भाई , सुबह तूने मना किया तो मैंने भी आज घर पर बोल दिया तो ...
: अच्छा ...
: तू भी आजा ना , अम्मी भी याद रही थी

मैंने सोचा वैसे भी घर से फोन या हाल चाल लेने वाला कोई है नहीं और यहा अकेले रुका तो तबियत अलग खराब कर लूंगा इसीलिए मैं सिराज को हा बोल दिया : ठीक है भाई बाइक लेके आजा रूम पे

वो भी खुश हो गया
ऑफिस में सिराज एक प्राइवेट स्टाफ था , मेरी तो सरकारी नौकरी थी मगर वो भी उसी पोस्ट एक निजी कंपनी के टेंडर के जरिए अपनी नौकरी लगवाई थी । घर परिवार और आय से उतना संपन्न नही होने के बावजूद भी एक गजब की दिलदारी उसमे थी । बस उसका यही किरदार मुझे भाता था और मेरी उससे खूब जमती थी ।
उसकी अम्मी भी मुझे अपने बेटे से बढ़कर ही प्यार देती थी ।
खैर सिराज बाइक लेकर नीचे आया और मैं भी उसके साथ निकल गया ।


: अरे ऐसे जाएगा क्या खुशखबरी देने
: तो फिर , अब क्या दूल्हा बनके जाऊ
: ये ले , उस मिठाई की दुकान से पेड़े ले लेना ( अम्मी ने मेरे जेब में पैसे रखते हुए कहा )
: और ऐसे किसी के यहां खाली हाथ नहीं जाते


: अरे रोक रोक रोक
: क्या हुआ भाई
: कुछ नही रुक जा आता हू अभी ( मै एक स्वीट हाउस में चला गया और वापस आकर उसके बाइक पर बैठ गया )
: साले तुझे अम्मी की पसंद की मिठाई हमेशा याद रहती है हां
: सिर्फ तेरी ही अम्मी है क्या वो , चल अब

फिर मैं उसके साथ घर निकल गया और वहा मेरी पहले के जैसे ही खातिरदारी हुई
सिराज और उसकी अम्मी मैं सब हाल में बैठे थे कि अभी एक लड़की पानी लेके आई और उसे देखते ही मेरी हालत खस्ता होने लगी
मैंने गुस्से से घूर कर सिराज को देखा और इशारे से पूछा ये यहां कब आई
वो बस बत्तीसी दिखाए जा रहा था ।
दरअसल वो लड़की सिराज के बड़े भाई की साली थी और उसके कजरारी आंखो के शरारत भरे इशारे मुझे बेचैन कर जाते थे । बैठना तक मुस्किल जान पड़ता था और मेरी इस तकलीफ से सिराज की अम्मी की वाकिफ थी ।

: आज सुबह ही सिराज के अब्बू लिवा लाए है , कल इसको एग्जाम देने जाना है ( सिराज की अम्मी ने मुझे तसल्ली दिलाई )
: और भाई शानू क्या हाल चाल , शादी वादी के बारे क्या ख्याल है ( सिराज के अब्बू ने कुरकुरे चिप्स मेरी ही प्लेट से उठाते हुए बोले )
मै कुछ बोलता उसके पहले सिराज की अम्मी ने उन्हे आंखे दिखाई और इशारे से कुछ बुदबुदाई ।

मै और सिराज बस हल्के से मुस्कुराये और मेरी नजर उस लड़की पर गई जो रसोई के दरवाजे पर खड़ी मुझे देखते हुए अपनी दुपट्टे का कोना चबा रही थी ।
मेरी तो हालत खराब होने लगी और मैं सिराज को उठाता हुआ
- चल चल ऊपर चलते है
और ऊपर खुली छत पर हम पहुंचे तो मैने उसका गला जकड़ लिया : साले हरामी , अभी भी दांत दिखा रहा । बहिनचोद बता नही सकता था कि ये डायन भी है घर पर

: अच्छा है ना , मस्त मौका है मसल डाल साली को , बहिनचोद मुझे लाइन देती तो अब तक फाड़ चुका होता
: हा तो जा न , कल उसको लेके एग्जाम के बहाने मेरे रूम में ठोक लियो
मेरी बात पर वो मुझे देख कर एक टक हसने लगा

: क्या ? ( मैंने उसकी कमीनेपन से भरी हंसी को हल्का हल्का समझने लगा था )
: नहीई ऐसा सोचना भी मत ( मैने सिरे से उसके इरादे को खारिज किया )
: क्या नही यार , वैसे भी तेरी छुट्टी है और मुझे बस घंटे भर का काम है **** साइट पर कुछ पैसे बन जायेंगे यार

साले ने मुझे इमोशनली फसा ही दिया उस पिसाचिनी अलीना के चक्कर में , ऐसी हवस तो हम मर्दों में भी नही टपकती जितनी उसकी भूरी पुतलियों आंखो में समाई हुई है । होठ भी हरकत करें तो मेरी सांसे गरमाने लगती है ।
ना जाने मेरी क्या हालत होने वाली थी ।

कुछ देर में मेरा खाना पीना हुआ और मैं अपने कमरे में लेटा हुआ था ।
अम्मी यादें सता रही थी , कितनी बेचैनी थी मैं ही जान रहा था ।
सिराज तो खर्राटे भर रहा था मगर मुझे नींद कहा ।


: अब्बू मान तो जाएंगे न अम्मी , मैने 12वी पास भी कर ली है ।
: उनकी फिकर मत कर , सो जा तु ( अम्मी मेरे सर को दुलारते हुए बोली )
: आप कहा जा रही है
: तेरे अब्बू को मनाने ( अम्मी ने मुस्कुरा कर मुझे देखा और बिस्तर से उठ गई )

अम्मी के बातों का मत्लब मै बखूबी जानता था और उनकी मुस्कुराहट में छिपी शरारत से मेरे तन बदन में सुरसुरि सी फैल गई । लंड जोश में फड़कने लगा और उनकी मटकती गाड़ देख कर मैं पागल सा हो गया ।
कुछ पल का इंतजार और मैं अम्मी के कमरे के पास पहुंच गया ।

मादक सिसकियों की भुनभुनाहट दरवाजे के पास साफ साफ सुनाई दे रही थी

: उम्मम्म ऐसा क्यू करते है , मान जाइए न
: अअह्ह्ह्हह इतने दिन तक तुझे दूरी और तेरे ये नायाब चूतड उम्मम्म
: और शानू की बेचैनी का क्या ? उसको बोल कर आई हूं मैं कि आपको मनाने जा रही हूं
: अह्ह्ह्ह मेरी जान बस थोड़ा देर उह्ह्ह्ह रगड़ने दो ना अपनी इन गर्म लबलबाते चूत की फाकों में उह्ह्ह्ह
: बस कुछ देर और मेरे सरताज मैं बस अभी आईआई
: अरे अरे जमीला रुको न , सिराज की अम्मी रुको तो !!
अगली सुबह मैं नहा धोकर सिराज के कमरे से निकल कर उसकी अम्मी के कमरे में पहुंचा तो अलीना तैयार बैठी थी


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चुस्त सलवार में उसके कूल्हे पूरे कसे हुए थे और छाती पर सूट की कसावट से उसके उम्दा कबूतरो के जोड़े आपस में चिपके हुए थे हल्की झलकती चुन्नी में उसके बगल से 32 साइज के गोल मटोल दूध की कटोरी देख देख कर मेरी भी लार टपक गई।

कनखियो से उसने मुझे देखा और अपने कर्ली लटो को कानो के के पीछे के लगी
मैंने सिराज की चाबी अपने उंगलियों में नचाते हुए उसको इशारे से : चलें
बड़ी सम्भ्यता से मुस्कुराते हुए वो हां में सर हिलाई

: आराम से जाना बेटा , भीड़ होगी रास्ते पर
: आप फिकर ना करें अम्मी , आराम करिए ( अलीना ने बिस्तर पर लेटी सिराज की अम्मी के बदन पर चादर डालते हुए बोली ) चलिए ।

मै भी सिराज की अम्मी को अलविदा कह कर निकल गया बाइक से ।

जारी रहेगी
Shandaar update
 

Deepaksoni

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Sorry Bhai ji aap ke update nhi pad paya kyu ki navratri me thoda busy tha

Waise farida Jamila Alina sethani ji Jo Sanu ki mami lagegi sab ke sab mast carector h ab jaldi se kisi ki chudai bhi dikha do Bhai ji

bhai ji agr ho sake to sapna or hakikat me bhi story continue Karo na Bhai ji kyu ki us story ko hm sab bht miss kr rahe h Bhai ji please aap sochna iske liye
 

Sanju@

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UPDATE 004


तोहफा

अजीब सी उलझन थी , रियर मिरर में वो मुझे लगातार निहारे जा रही थी और मेरे कंधे पर रखे हुए उसके हाथ भीतर से मुझे सिहरा दे रहे थे ,
तभी मेरी नजर आगे के स्पीड ब्रेकर पर गई और मैने एकदम से स्पीड जीरो कर दी और बहुत ही आराम से पैर लगा कर ब्रेकर क्रॉस किया मगर वो चतुर नार बड़ी ही होशियार । घिसक आई मेरे पीछे और मैं भी आगे टंकी तक तक , अभी भी उसके सूट का उभार मेरे पीठ में गुदगुदी पैदा कर रहा था

: रोकना (मैने ब्रेक लगा कर बाइक साइड की और उसने गुस्से से मुझे घूरा )
: तुम जाओ मैं चली जाऊंगी रिक्शा करके ( मुंह फेर पर बोली अलीना बोली )
: क्या हुआ ( मेरी एकदम से फटी )
: कुछ नही हुआ तुम जाओ
: अच्छा सॉरी बाबा , बैठ जाओ
: इतना ही अजीब लगता है मेरे साथ तो आए क्यू लिवा कर ( वो भुनभुनाते हुए बाइक पर बैठ गई , रियर मिरर के उसका गुस्से से गुलाबी होता चेहरा साफ दिख रहा था
मैंने अपनी जगह बनाई और वो लगभग मेरे से चिपक सी ही गई इस बार

: चलो लेट हो जाएगा
: ऑटो से नही लेट होता ( मै बुदबुदाया )
हम शहर में घुस चुके थे और जल्द ही अगला स्पीड ब्रेकर वो भी बड़ा
: अगर स्लो हुए तो देखना ( वो रियर मिरर में मुझे ही घूरते हुए भुनभुनाई )


मै हंसता हुआ तेजी से स्पीड ब्रेकर पर चढ़ा दिया ।
: अरे अरे अरे गिराएगा क्या मुझे , देख कर चला ना ( अम्मी ने मेरे कंधे और बाइक की पिछली कैरियर को कस कर पकड़े हुए स्पीड ब्रेकर पर उछलती हुई बोली ।
: कुछ नही होगा मुझे कस कर पकड़ लो अम्मी ( मैने रियर मियर में अम्मी को देख कर मुस्कुराया )
: धत्त बदमाश कही का , सही से चल ( अम्मी मेरे कंधे पर हल्की चपेड़ लगा कर लजाइ और मिरर में उसकी नजरो ने उनकी भावनाएं मुझसे कह दी )
: क्या अम्मी यहां अब आपको कौन पहचानेगा , चांस मार लो ना ( मेरा इशारा बुर्खे में पर्दानसिन हुए उनकी पहचान की ओर था )
: हा जैसे तु बड़ा हैंडसम है जो चांस मार लू, गाड़ी रोक आ गए हम लोग (अम्मी ने बुरखे के भीतर से मुझे हड़काया , जैसे मैं डर ही जाऊंगा


मैंने गाड़ी रोकी और वो मुस्कुराते हुए उतरी , अभी भी उसके 32 साइज के गोल मटोल पाव का गुलगुला स्पर्श मुझे मेरी पीठ पर महसूस हो रहा था ।
: कही जाना मत बस 2 घंटे लगेंगे मुझे ( पूरा हक जताते हुए वो सुरमई आंखो वाली बोली )
: जी , और कुछ सेवा मैम
: आकर बताती हुं

और वो किसी चिड़िया की तरह फुरर से गायब हो गई एग्जाम सेंटर की भीड़ में ।

जब किसी का इंतजार हो या फिर अम्मी के साथ शॉपिंग करनी हो , घड़ी की सुइयां मानो रेंगने लगती हो ।

: अम्मी और कितनी देर कबसे घुमा रही हो , पैर दुख रहे है मेरे ( मै उनके पीछे चलता हुआ बोला और वो तेजी से अपने कूल्हे मटकाते हुए दूसरे सेकसन में घुस गई )

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: अम्मी ये सब तो मिलता है ना काजीपुर में , फिर इतनी क्यू खरीद रही हो
: तू चुप कर , यहां माल में चीजे सस्ती है समझा और ऑफर भी चल रहा है
: अम्मी कुछ खा ले फिर ( मै एकदम से एक जगह ठहर गया और मुंह बना कर उनको देखा )
वो मुझे मुस्कुराई और हम एक अच्छे से resturant में चले गए



: हम्मम ये लो और बताओ क्या खाना है
: तुम अपनी पसंद से कुछ भी खिला दो ( एक फिर अलीना ने अपनी मतवाली आंखे से मेरी आंखो में निहारते हुए बोली )
: जहर चलेगी ( मैने मुंह बनाया )
: हम्मम खिला दो अपने हाथ से वो भी खा लूंगी ( वो थोड़ा उखड़ कर बोली )
: अब मुंह न बनाओ , बताओ क्या खाना है ?
फिर उसने ऑडर किया और हम खा कर निकल गए घर के लिए उसने मुझे आगे चौक कर एक कास्मेटिक दुकान पर रोकने को कहा ।

हम वहा पहुंचे और उस वक्त दुकान में हम दोनो ही थे , एक लेडीज ने उससे पूछा क्या चाहिए


: मुझे अंडरगारमेंट्स चाहिए थे
: साइज ( उस महिला दुकानदार ने पूछा )
: 40 और नीचे वाला 48 में ( अम्मी ने मुझसे नज़रे चुराते हुए उससे बोली )
मेरा गला सूखने लगा अम्मी के गदराए जिस्म का साइज सुन कर , लंड खुद से ही अकड़ने लगा ।
: इसको नाप सकती हूं ( अम्मी ने उस महिला दुकानदार से पूछा तो वो औरत उसे एक केबिन नूमा कमरे में ले गई और खुद बाहर आ गई )
: शानू इधर आना बेटा (अम्मी की आवाज आई)
मै लपक कर उस केबिन के पास पहुंचा मेरी नजरें नीचे ही थी जब अम्मी ने दरवाजा खोला और उनका हाथ बाहर आया , साथ में झूलता हुआ वो कटोरेदार ब्रा : बेटा उनको बोल दे कि 40DD दे दे

अब अम्मी की के चूचों के पहाड़ जैसे उभार की कल्पनाएं उठने लगी थी , मन में छवि सी उठने लगी कि भीतर अम्मी बिना ब्रा के खड़ी होगी । मगर मेरी किस्मत तो देखो खुला दरवाजा पाकर भी मैं झाक कर देख नही सकता था , लंड एकदम से फौलादी हो गया था , पेंट में एडजेस्ट करता तो काउंटर पर बैठी वो महिला मुझे देख लेती ।
मैं बिना को हरकत के दुकान में आया और उस महिला से बात की फिर उसने साइज बदल कर दिया , इधर कुछ ग्राहक आ गए और वो बिजी हो गई


मै दूसरी ब्रा लेकर उस चेंजिंग रूम के पास पहुंचा और हाथ दरवाजे से घुसा कर ब्रा भीतर करता हू : हम्मम ये ट्राई करो
और अगले ही पल उसने मुझे भीतर खींच लिया
: क्यू भागते हो मुझसे ( मेरे जिस्म से ऐसे लिपट गई थी जैसे पेड़ो से बेल, उसकी आंखे मुझे मदहोश कर रही थी , दिल जैसे स्लो मोशन में रूक रूक कर पूरी शिद्दत से धकड़ने लगा और वही उसके नायाब कसे हुए तीर के जैसे नुकीले भूरे दाने वाले निप्पल शर्त फाड़ कर मेरी छाती को कोंच रहे थे ।

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उसकी आंखे उसके इरादे बयां कर रहे थे मानो कह रहे हो कि आज तेरे दिल में अपने जोबनो से छेद कर रास्ता बनाऊंगी ।
एक गुदगुदाहट सी थी मेरे पेट में शायद बाहर उस लेडीज का डर मूझपे हावी हो रहा था
: प्लीज यहां नही ( मै हड़बड़ाया )
: तो फिर कहां ( उसके पतले होठ जिनपे डार्क मैरून मैट लिपस्टिक लगी थी वो मेरे करीब आ रहे थे , जैसे कोई चुंबक सा हो उनमें और मेरे होठ लोहे की जर्दियो के जैसे सूख कर फड़फड़ाने लगे )
मुझे समझ नही आया क्या जवाब दू उसकी कोमल कलाइयों में ना जाने कितना जोर था जो मैं चाह कर भी छूट नहीं पा रहा था
: बस यहां नही ( मै उफनाती सासों के साथ बोला )
: ठीक है ( वो मुस्कुरा कर मेरे गालों पर चुम्मी ले ली और मुझे रिहा कर दिया )

मेरा गला सुख रहा था ,फेफड़े धौकनी के जैसे उठ बैठ रहे थे और माथा पूरा पसीना पसीना मै भागकर बाहर दुकान में आ गया ।
वो महिला दुकानदार मुझे अजीब नजरो से निहार रही थी , जैसे मेरे मन की चोरी पकड़ ली हो । मै इधर उधर देखने लगा कि
: हो गया बहन जी यही फाइनल कर दीजिए उफ्फ ( अम्मी ने वो ब्रा उस महिला दुकानदार को देते हुए बोली )
: अम्मी फिर घर चलें
: बस बेटा एक जगह और जाना है
: क्या यार अम्मी ( मै उखड़ कर बोला तो अम्मी मुस्कुराए जा रही थी । )

कुछ देर बाद दुकान बाजार बदलने के बाद हमारी शॉपिंग पूरी हो गई
हमे देर हो रही थी और ढलती शाम को देखते हुए अम्मी की बेचैन हुई जा रही थी , कारण था एक तो आज संडे उसपे से अब्बू घर पर थे और उनका सामना करने की हिम्मत किसमे भला थी ।

: अम्मी मुझे डर लग रहा है , अब्बू जरूर गुस्सा करेंगे देखना
: अब जो होगा देख लेंगे , तू जल्दी चला और खोवामंडी में घुसने से पहले फैजान के मेडिकल स्टोर पर गाड़ी रोक देना

मै हाईवे से उतर कर काजीपुर टाउन के लिए बढ़ चुका था , ढलती शाम का सन्नाटा अपने पाव पसार रहा था ।

अम्मी मेरे कंधे से मुझे कसके कर पकड़े हुए थी और मैं तेजी से बाइक लेकर आगे बढ़ रहा था और सीधा फैजान के मेडिकल स्टोर पर गाड़ी रोकी मैने और अम्मी की छाती हच्च से मेरे पीठ में धंसती पिचकती चली गई ।
: हट बदमाश कही का ,अब आगे से तेरी गाड़ी पर मैं नही बैठूंगी ।किसी रोज नाली में गिरा देगा मुझे ( अम्मी बड़बड़ाई)
: बोला तो था कस कर पकड़ लो मुझे ( मै बुदबुदाया तो अम्मी मुझे मारने को हाथ उठाने लगी तो मैं हसने लगा )
: अब लेट नही हो रहा है ( मैने उन्हे याद दिलाया और वो मुंह बनाती हुई मुझे सबक सिखाने के इशारे में अपना गुस्सा दिखाती हुई सीढ़िया चढ़ कर मेडिकल स्टोर पर चली गई ,

सड़क से जहा मै बाइक लेकर खड़ा था उस दुकान के काउंटर की दूरी 20-25 मीटर रही होगी ।
मै गुनगुनाते हुए आस पास देख रहा था और मेरी नजर मेडिकल स्टोर के काउंटर पर गई ।
जहा अम्मी खड़ी थी , उनकी आवाज उस शीशे वाले दरवाजे से बाहर तो नही आ रही थी मगर बाहर से स्टोर में चल रही हलचल का अंदाजा था ।
अम्मी फैजान से कुछ बात करती है और फैजान अंदर चला जाता है और कुछ देर बाद उसकी अम्मी बाहर आती है
फैजान की अम्मी मेरी अम्मी को देख कर मुस्कुराने लगती है फिर दोनो के होठ बस हिल रहे थे जैसे वहा भी खुसफुसाहट वाली ही बात चीत हो रही थी
स्टोर के अंदर से दोनो बार बार मुझे ही देख रही थी , मुझे अजीब लग रहा था कि क्या हो रहा होगा वहा ।

फिर फैजान की अम्मी ने एक चौकोर पैकेट को दवाई वाले लिफाफे में रखा , पैकेट चौड़ा था उसमे दवाओ के पत्ते भी नजर आ रहे थे ।
जैसे ही अम्मी ने मेरी ओर फिर से देखा मैने नजरें फेर ली मानो कुछ नहीं देखा मैने
और फिर अम्मी ने वो पैकेट अपने पर्स में रख लिया फिर पैसे देकर बाहर आ गई ।

: चल अब जल्दी ( अम्मी मुझे कंधे से पकड़ते हुए बाइक पर बैठते हुए बोली )
: क्या ले रही थी अम्मी कबसे और दवा किसको खानी है
: वो तेरे अब्बू को मनाने की दवाई है ( अम्मी को होठ सिकोड़ कर छिपी हुई मुस्कुराहट के साथ मैने रियर मिरर में देखा )
: मनाने की दवाई , अब दवाई खाना किसे अच्छा लगता है भला ( मैने अजीब सा मुंह बनाया )
: वो होती है एक , उसे खाने से गुस्सा नही होता है , तू आगे देख कर चला ना

फिर मैंने बाइक तेज कर दी और सीधे घर के सामने रोक दी । वो बाइक से बड़ी आहिस्ता से उतरी
उसके चेहरे पर मुस्कुराहट अभी भी थी मगर उसके पीछे का दर्द मै भी समझ सकता था ।
: मै भी चलू साथ में
: नही मै चली जाऊंगी ( अलीना अपने पैर को सीधी करने की कोशिश में बाइक का सहारा लेती हुई खड़ी हुई )
: अम्मी पूछेगी तो क्या कहोगी ( मैने फिकर में उससे कहा )
: तुम फिकर ना करो , अब घर जाओ नही तो ( उसने एक बार फिर अपनी जादुई नजर से मुझे घूरा और मुस्कुराई )
फिर मैने बाइक घुमाई और अपने फ्लैट के लिए निकल गया ।

घर में घुसते ही वही सब रोज का ड्रामा इंतजार कर रहा था ।अब्बू को गवारा नहीं कि उनके खानदान की औरतें देर शाम तक घर से बाहर रहें। वही खानदानी रिवाज , असूल और अदब पेशायगी की बकचोदी ।
अम्मी ने मुझे ऊपर जाने का इशारा किया और कुछ ही देर में नीचे एकदम चुप्पी
ना जाने औरतों में क्या खासियत रही है वो ऐसे परिस्थितियों को संभालने में हमेशा से सक्षम रही है ।
कमरे में सोफे पर बैठा हुआ मै अलीना से फोन पर बातें किए जा रहा था
: और सिराज के अब्बू , वो नही बोले कुछ
: ऊहू , वो तो बाहर गए थे
: थैंक गॉड यार मुझे तो बहुत डर लग रहा था
: मुझसे बेहतर कौन जानेगा कि तुम कितना डरते हो ( अलीना फोन पर हसीं)
: अम्मी कैसे है ? ( मै हिचक कर पूछा उससे )
: सुबह से बेहतर लग रही है ,चल फिर रही है ( बोलते बोलते उसके बातों में छिपी हसीं की खनक मुझे साफ साफ सुनाई दी )
: यार इतना भी क्या मजे लेना अब , छोड़ो ना ( मैं उखड़ कर उससे बोला )
: शानू !! ( अपनी आवाज भारी करती हुई बोली )
: हम्मम बोलो ( मुझे अजीब लगा पहले की उसने मुझे नाम से नही बुलाया था )
: मेरा नाम लेके बुलाओ ना मुझे


" मेरा नाम लेके बुलाओ ना मुझे बेटा " , सिराज की अम्मी मेरे खड़े लंड पर अपनी बड़ी सी फैली हुई गाड़ को पटकती हुई बोली ।
: उह्ह्ह्ह ना मुझे यही बुलाना पसंद है आपको ( मै उनकी रस छोड़ती बुर में अपना लोहे सा तपता मोटा लंड घुसाए हुए बोला )

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: क्या पसंद है तुझे , अअह्ह्ह्हह बोल लल्ला ( सिराज की अम्मी मेरे आंखो मे देखते हुए बोली )
: अअह्ह्ह्ह अम्मीइ उह्ह्ह्ह आएगा मेरा अअह्ह्ह्ह और तेज करो ना मेरी अम्मी उह्ह्ह्ह मजा आ रहा है अह्ह्ह्ह्ह सीईईईईईआईआई अअह्ह्ह्हह


: शानू , चुप क्यों हो बोलो ना ( वो थोड़ी तेज आवाज में बोली )
: अह कुछ कहा क्या तुमने ( मै सिराज की अम्मी की यादों से निकलता हुआ अपना सर उठाता लंड मसल कर बोला )
: मुझे मेरे नाम से बुलाओ ना प्लीज ( वो लगभग शरमाते हुए लहजे में बोली )
उसकी बातें और फरमाइश मेरे होठ सुखा देते थे , बहुत छोटी सी बात थी उसका नाम लेना , महज तीन अक्षरों को होठों से पुकारना था। उसमे भी मुझे बेचैनी होने लगी थी ।
: बोलो न ( उसने फिर से मीठी सी जिद दिखाई )
: पता नही क्यों मुझसे नाम नही लिया जाता , अजीब सा लगता है
: मेरा नाम अजीब है क्या ?
: नही वो बात नही है , तुम्हारे नाम से मुझे वो कुछ कुछ होने लगता है ( मैने अपनी दिल के जज्बात उसको समझाना चाहा )
: सच में ? क्या होने लगता है ( वो खिलखिला कर बोली )
: पता नही , वही समझ नही आता । बस सांसे तेज हो जाती है , होठ सूखने लग जाते है , दिल बैचेन होने लगता है
: और ? ( वो बहुत प्यार से पूरे इंतजार से बोली , मानो उसे ये सब सुनना कितना भा रहा हो )
: बस तुम नजर आ जाती हो और फिर तुम्हारे वो दो बड़े बड़े खूबसूरत गोल मटोल...
: धत्त गंदे ( वो शरमाई )
: अरे मै तुम्हारी मतवाली आंखों की बात कर रहा था यार ( मै हसा )
: अच्छा जी , मुझे मत बनाओ मुझे पता है तुम्हारी नजरें कब कहा होती है ( कुछ लजा कर तो कुछ इतरा कर वो बोली )
कुछ देर बाद मैंने फोन रख दिया एक बार फिर बिस्तर पर लेटे लेटे अम्मी की यादें मुझपे हावी होने लगी , मन फिर उदास होने लगा ।


अम्मी की फिकर सी होने लगी , हर बार वो मेरे लिए अब्बू से लड़ जाती थी और उन्हें मना ही लेती थी मगर आज मेडिकल स्टोर पर जो देखा उसने मुझे और भी बेचैन कर रखा था ।
मुझसे रहा नही गया और मैं दबे पाव सीढ़िया उतरने लगा

रात के इस पहर में पूरी खोवामंडी में कुत्तों के सिवा दूसरा कोई जाग रहा था तो शायद मेरा ही परिवार रहा होगा ।
जीने से उतरते हुए अम्मी और अब्बू के कमरे से उनकी खुसफुसाहट आ रही थी , मगर इतनी भी साफ नही कि मैं सही सही उनका मतलब निकाल सकूं।
तभी मेरे पाव एकदम से ठहर गए और आंखे फेल गई । जीने के जिस हिस्से मै उसकी रेलिंग पकड़ कर खड़ा था उसके ठीक सामने अम्मी के कमरे की खिड़की के ऊपर वाला रोशनदान खुला हुआ था और कमरे में पीली रोशनी उससे निकल कर पूरे हाल में फैल रही थी ।
मगर मेरे हरकत में आने का कारण कुछ और था जिसकी छवियां अम्मी के कमरे की दीवाल पर उभरी हुई थी और जीने के जिस हिस्से पर मैं खड़ा था वहा से रोशनदान के माध्यम वो दृश्य साफ साफ मुझे परछाइयों में नजर आ रहा था ।

मेरा कलेजा जोरो से धड़कने लगा था और मेरी नजर बस वही जम सी गई । मेरे हाथ मेरे लंड को छूने लगे ,

सामने रोशनदान के उसपर कमरे की दीवार पर उकरी हुई छवियों में अम्मी अब्बू का लंड चूस रही थी
बड़ा विशालकाय मोटा टोपे वाला , परछाईंयो वो दृश्य काफी कामोतेजक दिख रहा था ,

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अम्मी अब्बू के लंड को जोरो से भींच कर हिलाती हुई मुंह ले रही थी । लंड हिलाते हुए उनके बोलते होठ भी साफ साफ परछाइयों में हिल रहे थे ।

अम्मी का ये रूप देख कर मेरा लंड पूरा तनकर रॉड सा हो गया और मैने लोअर नीचे कर उसको बाहर निकाला फिर सहलाते हुए एक बार फिर रोशनदान से कमरे में झांका तो अम्मी बिस्तर पर आ चुकी थी और अब्बू का मुंह उनकी मोटी गदराई जांघो के बीच था

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मेरी हालत खराब होती जा रही थी , अम्मी की सुडौल जांघें दीवाल पर उभरी हुई उन परछाइयों में और भी भड़किली और मोटी मोटी दिख रही थी जिसे वो हवा में उठाए हुए अब्बू से अपनी बुर चटवा रही थी
अम्मी की मादक सिसकियो की मीठी गुनगुनाहट अब मेरे कानो में आने लगी थी
मैं भी जोरो से अपना मूसल मसलने लगा था , आज अम्मी के लिए मेरे दिल में प्यार और भी बढ़ गया था ।
अब्बू का लंड अब हचर हचर उनकी गुदाज लचीली फुद्दी में जा रहा था ,

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अम्मी को अब्बू से चुदते देख कर मुझे लग रहा था मानो अम्मी ने आज मेरे लिए कितना बड़ा बलिदान दे दिया हो और उस बलिदान का तोहफा आज मेरे हाथ में था ।

मैंने अपने लोअर से वो नया मोबाइल निकाला जिसे अम्मी ने मुझे 12th पास करने की खुशी में दिलाया था और अब वो अब्बू को मेरे लिए मना रही थी
मेरा लंड दिल सब कुछ फड़क कर धड़क कर उन्हे अपना प्यार दिए जा रहा था और कमरे में वो औंधी झुकी हुई पीछे से अब्बू के लंबे मोटे मूसल को अपनी चूत में लिए जा रही थी

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अम्मी के मोटे हिल्कोरे खाते चूतड देख कर मेरे सबर का फब्बारा फूट पड़ा और जीने की सीढियों पर मैं अपनी धार छोड़ने लगा ।



उस मोबाइल को अपने होठों से लगाए जिसकी जलती स्क्रीन पर अम्मी की तस्वीर वॉलपेपर पर लगी थी ।
: अअह्ह्ह्हह मेरी अम्मीई उह्ह्ह्ह अअह्ह्ह्ह फक्क्क् उह्ह्ह्ह गॉड उम्मम्म
मै देर तक झड़ता रहा और वही सोफे पर सो गया ।

जारी रहेगी ।
Awesome update
 
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Sanju@

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UPDATE 005
MOMMY


अगली सुबह मैं ऑफिस के लिए निकल गया था और अजीब बोरियत सी लग रही थी ।
तभी अलीना का फोन आया

: कुछ भेजा है मैने देखो ( पूरे हक से वो बोली )
मैंने मोबाइल खोला और व्हाट्सएप चेक किया तो तस्वीरें शेयर की हुई थी
जैसे ही मैने उनको ओपन किया मेरे होठ मुस्कुरा उठे ।
अभी अभी वो उठ कर बाथरूम में ब्रश करने गई थी ।

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: अच्छी है ना , देख कर डिलीट कर देना ( वो चहक कर बोली)
: नही मै तो फ्रेम करवाने वाला हु इसको ( मैने उसको चिढ़ाना चाहा , मगर मेरी निगाहें उसकी नाइट सूट से झांकती गोरी गोरी मौसमियो पर थी )
: हिम्मत है तो मेरी डीपी लगा के दिखाओ व्हाट्सएप पर तो जानू
: अच्छा जी डेयर दे रही हो
: हा दिया , लगा कर दिखाओ पूरे 24 घंटे के लिए
: नही वो अब्बू !!
: क्यू फट गई ना फट्टू कही के ( उसने मुझे चिढ़ाया )
: हा जैसे तुम लगा लोगी मेरा ( मैने उसको जवाब देना चाहा )
: मैने पहले ही लगा रखी है हूंह ( वो तुनकी और फ़ोन काट दिया

मै हंसते हुए उसकी व्हाट्सएप डीपी पर अपनी तस्वीर देखने लगा जो उसने कल ही खींची थी ।
तभी उसका एक और मैसेज आया
"dekh kar delete kar dena 😘😘"

: देख कर डिलीट कर देना
: क्या ? लेकिन क्यू
: तेरे अब्बू ने मोबाइल चेक किया ना तो तेरी शामत आयेगी ( अम्मी ने मुझे अब्बू का खौफ दिखाया , जैसे मैं डर ही जाऊंगा । लेकिन उन्हें क्या पता अब तो मेरी सारी मनमानायिया ही उनके भरोसे थी कि कुछ भी हो अम्मी अब्बू को माना लेंगी । )
: आप हो न मनाने के लिए उनको ( मै मुस्कुराया )
वो भीतर से गुस्से से उबली मगर फिर शांत होकर झेप भरी हंसी से खिल उठी कुछ सोचते हुए
: तू बहुत बदमाश हो गया है , क्यू देखता है ये सब फिल्में । भोजपुरी हीरो बनेगा क्या ? ( अम्मी बात बदलते हुए बोली )
: मै तो पहले से ही आपका हीरो हूं ना ( मै खिलखिलाते हुए उनसे लिपटने को हुआ तो वो मुझसे दूर होकर बिस्तर पर ही सोए सोए खिसक गई )
: नही नही मेरे ऊपर मथना नही है , तू जल्दी से खतम कर अपनी फिल्म (अम्मी मुझसे दूर होते हुए साइड बदल कर करवट लेली और उनकी बड़ी सी गाड़ फेल कर मेरे सामने थी )
मेरे पैर मजह कुछ दूरी पर थे अम्मी के गुदाज नरम भारी भरकम चुतडो से , और पैर फैला कर मैंने उन्हें अम्मी के कूल्हों पर टिका दिए जैसे सोफे पर रखते हो

: शानू फिर तू शुरू हो गया ( अम्मी ने खीझ कर बोला )
: अम्मी रखने दो ना ,ऐसे अच्छा लगता है कितना नरम है हिहि ( मैने भी उनके कूल्हों पर हक जताते हुए अच्छे से पैर रख दिया )
: हम्मम तो अब तुझे मेरे कूल्हे नरम लग रहे है बदमाश कही का ( अम्मी फिर सोने की कोशिश करने लगी )
नया नही था मेरे लिए या अम्मी के लिए जब मैं उनके कूल्हों पर पैर रखकर सोया हूं
मगर कल रात को जो कुछ भी मैने देखा मेरे दिल में लालच ने जगह बना ली और जो कुछ भी इरादे मेरे जहन में थे उन्हें सोच कर ही मेरा लंड पूरा तनमनाया हुआ था ।

मूवी तो महज एक जरिया था मेरे जिस्म में एक सिहरन सी उठ रही जब मेरी नंगी एड़ियों के तालु अम्मी की बड़ी बड़ी 48 साइज की चौड़े विशाल चूतड़ों के इर्द गिर्द रेंग रही थी
पूरे जिस्म में एक मदहोश करने वाली मीठी गुदगुदाहट सी उठने लगी थी मानो ,

पैर की उंगलियों से धीरे धीरे करके करीब 10-15 मिंट में कही मै उनके नायाब बड़े भारी भरकम चूतड से उनकी सूट को सरका पाया था । सूती सलवार में से उनकी पैंटी साफ़ साफ़ झलक रही थी जो उनकी चूतड पर में चुस्त कसी नजर आ रही थी ।

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लंड मेरा पूरा फौलादी हुआ पड़ा था और जैसे ही मेरी पैर की उंगलियों ने अम्मी के नरम मुलायम चूतड को सलवार के ऊपर से छुआ एक बिजली सी दौड़ गई मेरे जिस्म में ।
रोम रोम तनमाना गया ,सांसे उफनाने लगी और डर से कलेजा धक धक होने लगा कि अम्मी गुस्से से पलट कर जवाब न दे दे ।
कुछ देर क्या पूरे 10-12 मिंट मैने पैर जड़ किए रखे , सूत भर हरकत नही की मैने और फिर धीरे धीरे पूरी ऐड़ी को अम्मी के गुदाज मुलायम चूतड पर हल्का सा सहलाते हुए गोल में घुमाया ।
अजीब सी चुनचुनाहट भरी तरंगे मेरे पैरो से होकर पूरे जिस्म ने फेल गई और लंड पूरी बगावत पर आ पहुंचा ।
मूवी फुल वैलुम पर चल रही थी , फिल्म की पड़ी ही किसे थी मेरा सारा फोकस अम्मी के फैले हुए गुदाज गुलगुले गाड़ पर था , जिसमे मेरी एडिया धंसी जा रही थी ।
धीरे धीरे मेरी पैर की उंगलियां रेंगती रही और हिम्मत कर मैने अम्मी के बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों को ढलानों पर पैर को ले जाने लगभग दोनो जांघो की सिरो से उनके चूतड जुड़े होते है ।
मेरे पैर के तलवे में वहा की गर्मी महसूस होने लगी थी ।
उस तपीस से मेरा गला सूखने लगा था मेरी नज़रे कभी अम्मी के सर की ओर होता तो कभी मेरे पैरो पर जहा से महज कुछ इंच ही दूर था मैं उनकी चूत की निचली छोरो को छूने से ।



: शानू वहा नही
( मैंने चौक कर उसकी ओर देखा , वो मेरे ऑफिस की एक सीनियर थी )
: फिर कहा मैम ?
: ये यहां पर ( उसने फाइल के कागजात पर मेरे करीब खड़े होकर उंगली रखी , उसके जिस्म से आती परफ्यूम की खुशबू से मुझे बेचैनी होने लगी थी । खुद की संभालते हुए मैने सिग्नेचर बनाया )

: कहा खोए रहते हो आजकल ( अपने लटो को बहुत ही कैजूअली उसने अपने कानों के पीछे कर मुस्कुराते हुए वो बोली)
: वो मै ... ( मै अटक ही गया वही चेयर पर बैठे हुए ही उसकी नीली आंखों में )
: हा बोलो ना ( उसने मुझे अपनी ओर ऐसे देखता पाकर वो लाज से अपनी पलकें झुका ली और मुस्कुराहट से उसके गाल गुलाबी हो उठे )
: वो बस घर की याद आ रही थी ( मै इधर उधर देखने लगा )
: अच्छा , बस घर की ही या घर वाली की हिहिहि ( उसने छेड़ा मुझे )
: हा घरवाली की भी ( मै अम्मी को सोच कर उसकी बातों पर मुस्कुरा )
: तो क्या रिश्ता तय हो गया ( बड़े ही उदास दिल से उसने कहा और कुछ दूरी सी बनाई उसने )
: क्या ? नहीईईई , किसने कहा ? हा रिश्ता आया था मगर मुझे करनी नही थी ( मै हसता हुआ बोला )

एकदम उसके चेहरे की बुझती लाली फिर से खिल उठी । उसके दिल के भाव से मैं क्या पूरा ऑफिस परिचित था । कि रेशमा मैम अगर किसी पर लट्टू है तो शानू ही है । वरना भला कोई सीनियर रैंक की अधिकारी अपने क्लास 3 ग्रेड के मामूली स्टाफ से सिर्फ एक सिग्नेचर के लिए उसके टेबल पर क्यू आती ।

: वैसे आज शाम का क्या प्लान है ? ( रेशमा मैम ने फाइल हाथ में लेते हुए बोली )
: जी वो कुछ भी नही , मतलब कुछ सोचा नही है अभी ( उनके सवाल से मैं लगभग उलझ ही गया था )
: क्या तुम आज मुझे मेरे घर ड्रॉप कर दोगे , वो मेरी कार आज सर्विस के लिए गई है ।
: जी , क्यू नही जरूर ( मै चाह कर भी मना नही कर पाया उन्हे )
फिर वो मुस्कुराती हुई निकल गई ऑफिस से और मैने गहरी सांस लेते हुए अपनी क्रॉस की हुई टांगे खोल दी ।
: ओह बहिनचोद इसके करीब आते ही क्या हो जाता है , क्या नशीली परफ्यूम लेकर घुमती है साला दिमाग काम करना बंद हो जाता है । अभी बोल दिया है तो जाना ही पड़ेगा । ( मै मन ही मन बड़बड़ाया )

: हम्मम ये लो , सारे पेंडिंग कमप्लेन की फाइल ( एक लड़की ने जोर से गुस्से में 4 - 5 फाइलों को मेरे आगे डेस्क पर पटका )
: अरे क्या हुआ सबनम , मैम ने कुछ कहा क्या ( मै उसके परेशान चेहरे की ओर देख कर बोला )
बदले में वो मुझे घूरते हुए बोली : मुझे क्यू बोलेंगी मैम कुछ , उन्हे तो सिर्फ तुमसे ही बात करना पसंद है ना
: ये फाइल्स नोट डाउन हो जाए तो मुझे मैसेज कर देना ( सबनम तुनकती हुई निकल गई अपने डेस्क के लिए)
: अब इसको क्या हुआ , मै हूं क्या भाई सब मुझपर ऐसे हक जताते है जैसे मैं उनका पति हूं ( खुद से बड़बड़ाया )

खैर मैंने सारी फाइल्स नोट डाउन की और उसे मैसेज कर दिया


: sorry
: Mai kya karungi tumhari sorry ka
: Ab kya office me bhi tum aise hak jataogi
: Tum har jagah sirf aur sirf mere ho samjhe mister ( अलीना ने जवाब दिया )
: ok ok , man jaane ka kya logi ?
: Puri raat mere se baat wo bhi video calling 😍
: Bade saste me man gayi yar
: achcha bachchu call karna fir pata lagega , ok bye 😘

मैं मुस्कुरा रहा था और मोबाइल देख रहा था
: चले शानू ( रेशमा मैम मेरे डेस्क के पास आकर बोली )
: अह हा चलिए ( मै मोबाइल जेब में रखता हुआ )


: तुम यहां अकेले रहते हो , अम्मी को बुला क्यू नही लेते अपने , डैड भी तुम्हारे जॉब करते है जब ( बाइक पर बैठी हुई रेशमा मैम मेरे कान के पास आकर बोली )
: वो अब्बू हर वीकेंड घर आ जाते है तो अम्मी कैसे आयेंगी ( मै उदास होकर बोला )
: अरे तो क्या उन्हे अपने बेटे की जरा भी फिकर नही है ( रेशमा थोड़े जज़्बाती होकर तेज आवाज में बोली )
: नही मैम ऐसा नहीं है ( मै दिल में अम्मी को याद करते हुए लगभग रोने ही वाला था )
: आज भी कॉल नही आया ना घर से ( वो मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोली )
: जी , आपको कैसे ? ( मेरी आंखे छलक ही पड़ी)
: सिराज ने बताया ( वो बोली और चुपचाप बाइक चलाता रहा , कुछ ही देर में उनका फ्लैट आ गया )
: आपका घर आ गया मैम ( मैने बाइक रोकी और शर्ट की बाजू से अपना चेहरा साफ किया )
: आओ ना ( वो बाइक से उतरते हुए बोली )
: जी फिर कभी , मुझे घर जाना है ( मै खुद से ही मानो जबरदस्ती करता हुआ बोला )
: ओहो शरमाओ मत और आओ चलो ( वो मेरे बाजू में बाजू डाल कर मुझे बाइक से खींच कर उतारती हुई बोली )
: अरे लेकिन , वो ... ( मै असहज से हस्ते चेहरे के साथ उनके साथ चल पड़ा )
: मैम छोड़िए , कोई देख लेगा ( मै अपने आप को छुड़ाता हुआ बोला )
: हा तो देखने दो , मै नहीं छोड़ने वाली कही तुम भाग गए तो ( वो चहक कर पूरा हक जताते हुए बोली )
: आपको कोई चाह कर भी नही छोड़ना चाहेगा मैम ( मै उनके अदाओं से हारता हुआ खुद से ही बड़ाबड़ाते हुए उनके साथ खींचता चला गया )
: अच्छा अब हम लिफ्ट में है अब तो छोड़िए
: ठीक है , लेकिन भागना मत ( वो मुझे उंगली दिखाती हुई वॉर्न करती हुई हस पड़ी और मैं उसके खिलखिलाते चेहरे को देख कर ठहर सा गया )
मुझे अवाक देख कर वो फिर से शरमाई और अपने लटों को फिर से कानो में उलझाती हुई अपनी पलके नीची कर ली : तुम मुझे ऐसे मत देखो प्लीज

: जी , सो सॉरी वो मै ... ( मै फिर से इधर उधर देखने लगा )
: धत्त बुद्धू इसमे सॉरी वाली बात नही है ( वो आंखे नचा कर मुस्कुराई )
: फिर क्या बात है ( मेरी सांसे धक धक हो रही थी उसके शर्ट के ऊपरी खुले बटन से झांकती उसकी 36 साइज की गोरी गोरी पहाड़ियों की घाटी देख कर )
: वो... कुछ नही , आओ चले फ्लोर आ गया मेरा ( वो लिफ्ट से मेरे आगे निकली और जींस में उसके चूतड भरपूर उभरे हुए थे , गजब की मादक चाल थी । लंड पूरा हरकत में आ चुका था । )
लॉक खोल कर हम हाल में गए , सपने जैसा था मेरे जैसे मिडिल क्लास वाले लड़के के लिए ऐसा अलिसान फ्लैट जो मजह 32000 रुपए माह की तनखाह पर जीवन गुजार रहा हो ।
फिल्मों में ही देखा था ऐसा फ्लैट , चमचमाती फर्श , गलीचा और मुलायम सोफा उसके आगे ग्लास वाली मेज, सोफे के बगल में इंडोर प्लांट और सबसे बढ़ कर मन को भीतर से खुश कर दे ऐसे जादू भरी रूम स्प्रे की महक ।

कंधे से साइड बैग उतार कर उसने सोफे पर रखते हुए : मै चेंज करके आती हूं तुम बैठो

फिर वो किसकी हिरणी की तरह बड़ी अदा से अपने कूल्हे हिलाते हुए कमरे में चली गई ।
मैंने एक गहरी सास ली और हाल के टहल कर घर देखने लगा , ऐसे ही आलीशान घर का सपना देखते बड़ा हुआ था ।



: नही नही अम्मी ये देखो , ऐसे वाला स्विमिंग पूल होगा हमारे बंगले में ( मोबाइल में वीडियो चला कर अम्मी को एक बंगले और स्विमिंग पूल दिखाता हुआ बोला )
: अच्छा और इसमें नहाएगा कौन ( अम्मी अपनी हसी दबाती हुई बोली )
: आप , मै ,अब्बू
: धत्त बदमाश कही का , अपनी अम्मी को खुले में नहलाएगा वो भी ऐसे कपड़ो में ( अम्मी का इशारा स्विमिंग पूल में नहाती उस महिला की ओर था जिसने बिकनी पहन रखी थी और उसके मोटे मोटे दूध और गाड़ भरपूर खिल कर उभरे हुए थे )
: अरे नही ये बंगले में सब प्राइवेट होता है , वहा बाहर का कोई नही आता जाता ( मै अम्मी को समझाना चाहा मन में ये लालच लिए कि काश इस चीज के अम्मी हा कर दें तो उन्हें बिकनी में देख तो पाऊंगा )
: बंद कर इसे अब तेरे अब्बू को पता चला ना , इस घर में भी नहाने को नही मिलेगा तुझे ( अम्मी ने मेरे मजे लिए )



: अच्छी दिख रही है ना
: अह, हा बहुत खूबसूरत ...... ( मै दीवाल पर लगी एक पेंटिंग से नजर हटा कर रेशमा मैम की ओर देखा जो अभी अभी शोवर लेकर निकली थी और मैरून नाइटी में उनका जिस्म मुझे पागल किए जा रहा था ।
उनका एक पैर सोफे पर था और वो आगे झुक कर पैरो में पता नही किसी तरह का लोशन लगा रही थी

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ऊपर उनकी मोटी मोटी चूचियां की घाटी ऐसे लटकी हुई थी मानो अब तब बाहर निकल ही जाए ।

मै नजरे चुराता हुआ गले से थूक गटकने लगा और वो मुस्कुराती हुई किचन की ओर जाने लगी : क्या पियोगे , चाय कॉफी या ड्रिंक ?

: जी , कॉफी चलेगी ( मै मेरे सूखते होठों को जीभ से गीला करता हुआ नाइटी में मटकते उछलते रेशमा मैडम के चूतड़ों को देख कर बोला )
वो लगातार कुछ न कुछ बोले जा रही थी और मैं तो बस उनकी बदन की कामुकता में खोया हुआ था कि मेरे जेब में मेरा मोबाइल वाइब्रेट हुआ
चेक किया तो अलीना के मैसेज

' kaha ho my love .. mommy missing you baby 😘😘 '
इस मैसेज के साथ एक 10 सेकंड का वीडियो भी था ओपन किया तो आंखे फेल गई ।

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अलीना ने भी नाइट गाउन पहन वीडियो बनाई थी और उसके गदराए जोबन के जोड़े आपस में खूब चिपके हुए थे नीचे शॉर्ट गाउन में झांकती उसकी चिकनी टांगे देख कर मैंने अपनी आंखे बंद कर एक गहरी आह्ह भरी और पेंट में फड़फड़ाते लंड को हौले से भींचा ।

: अह्ह्ह्ह्ह क्या गजब की चीज है ( आंखे बंद कर मैने हल्के से बुदबुदाते हुए अलीना को याद किया )
: क्या बोले तुम ( रेशमा मैम हाथ में कॉफी लेकर घुमती हुई मेरे और आते हुए बोली )
: अरे वो आपका घर , कितना गजब है ( मेरी फटी , जरूर इसने सुना ही होगा )
: हम्म्म बैठो और पियो ( वो मेरे करीब आकर बैठते हुए बोली )
मै भी उसके पास ही बैठ गया , एक बार फिर उसके जिस्म से आती वही मदहोश करने वाली परफ्यूम ने मुझे बेचैन करना शुरू कर दिया । लंड तो अलीना ने पहले से ही फौलादी कर दिया था ।

कॉफी पीते हुए वो कप की ओट से मुझे निहार रही थी और मैं नजरे चुरा रहा था ।
: आप अकेली रहती है क्या मैम यहां?
: हा , यहां मेरा है ही कौन , सोच रही हू एक रूम मेट रख लूं
: हा वो सही रहेगा , नही तो अकेलापन बहुत काटता है ( मै उदास होकर बोला )
: तुम भी अकेले ही रहते हो न , तुम ही आजाओ मेरे साथ रहने ( वो मुस्कुराकर बोली )
: क्या मै ? नही नही मै कैसे आपके साथ ? ( मेरी तो फट गई इसने तो सीधे घर में ही बुलाने का सोच लिया )
: क्यू ? किसी का डर है ? ( वो शरारत भरी मुस्कुराहट से बोली )
: नही ऐसी बात नहीं है वो मै इसका रेंट नही दे पाऊंगा और ऑफिस में पता चला तो आपकी इमेज खराब होगी बस इसीलिए ( मै बातों को संभालते हुए बोला , तब तक मेरे मोबइल पर अलीना का एक और मैसेज आया

मैंने हौले से मोबाइल टेढ़ा कर व्हाट्सएप खोला और उसको देख कर मेरा लंड एकदम से फड़फड़ाने लगा

" Come to your mumma my sexy boy 🤤 "

20220508-000121
इस मैसेज के साथ अलीना ने एक और तस्वीर भेजी जिसमे उसने अपने गाउन खोल रखे थे और दोनो बूब्स बाहर , उसके दोनो निप्पल किस्मिश से भूरे दाने एकदम कड़क और चमक रहे थे ।

: अच्छा मिलने तो आ सकते हो न मुझसे ( उसने बड़े खूबसूरत अंदाज में नजरे उठा कर कहा )
: हां? जी ? हा हा आ जाऊंगा ( मै हड़बड़ा कर जेब में मोबाइल रखता हुआ खड़ा हुआ )
: क्या हुआ ?
: वो mommy का मैसेज आ रहा है मुझे घर जाना पड़ेगा कुछ जरूरी काम है ( मै जल्दी जल्दी में वो बोल गया जो नही बोलना था )
: mommy? यू मीन अम्मी राइट ?
: हा हा अम्मी ही है ( मै खुद को संभालता हुआ )
: तो तुम्हारी अम्मी पढ़ी लिखी भी है ( वो कॉम्प्लीमेंट देते हुए बोली )
: अह हा , ये वाली तो है ( मै बड़बड़ाया )
: ये वाली मतलब ? ( वो पूरी कंफ्यूज थी और वही जेब में अलीना ने फोन लगाना चालू भी कर दिया )
: कु कुछ नही मैम , मुझे लेट हो रहा है सॉरी , मेरा मतलब बाय ( मै हड़बड़ाया )
: ओके बाय , आराम से जाना ( रेशमा मैम ने बड़े उदास हॉकर कहा )

फिर कई लिफ्ट से निकलता हुआ फोन पीक किया और बाइक से निकल गया तेजी से अपने रूम के लिए

जारी रहेगी
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है
 

sunoanuj

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बहुत ही शानदार अपडेट है!

waiting for next update….
 
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सपनों का सौदागर 😎
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रोचक अपडेट था मित्र, शानू बेचारा, कहीं वर्तमान तो कहीं अम्मी की यादों के बीच, कहीं रेशमा तो कहीं अलीना के बीच फंसा है देखते हैं और फंसता है या निकल जाता है।
शुक्रिया मित्र
आधुनिक समाज की कामवासना ने अपने नए नए जाल फैला रखे है , शानू जैसी सिंगल कांटे वाली मछली की चाह आखिर किसे न होगी 😁
 
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