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सुबह सुबह उठ कर मै फ्रेश हो रहा था कि मेरा मोबाइल बजना शुरू हो गया । स्क्रीन पर नाम देखा तो चिढ़ सी हुई मगर बॉस तो बॉस होता है । मैने कॉल पिक की ।
: जी गुड मॉर्निंग मैम
: गुड मॉर्निंग शानू , आज ऑफिस चल रहे हो न ( बड़े खुशनुमा अंदाज में उसने कहा )
: जी मैम आना तो पड़ेगा न
: अच्छा नाश्ता कर लिया तुमने ( वो चहक कर बोली , फोन पर कुछ बर्तन की खटपट भरी आवाजें भी आ रही थी )
: जी नहीं , वो मै बस नहाने ..
: ठीक है फिर नहा कर सीधा तुम मेरे घर पर आ जाना , यही साथ नाश्ता करेंगे और ऑफिस चल चलेंगे
: ओके मैम
: जल्दी नहीं तो ब्रेकफास्ट ठंडा हो जाएगा हीहीही बाय ( वो खिलखिलाती हुई बोली और फोन कट हो गया )
मै फटाफट से नहाया और तैयार होने लगा , रोज मै नॉर्मली तैयार होता था मगर आज मेरी एक बॉडी स्प्रे पर गई और अनायास मैने उसे स्प्रे कर लिया।
तभी अलीना का फोन रिंग हुआ ।
: कैसे हो मेरी जान
: ओह्ह्ह्ह हाय उठ गई तुम , बस रेडी हो गया हु ऑफिस के लिए निकल रहा हूं
: ऑफिस ? ओ हैलो आज तुम मिलने नहीं आ रहे ( अलीना चौक कर एकदम से उखड़े हुए स्वर में बोली )
: आऊंगा न बाबू , वो रेशमा मैम ने फोन किया था उनको भी ऑफिस लेकर जाना है ( मैने झिझक भरे लहजे में बोला , इस डर में कही अलीना भड़के नहीं )
: वो डायन क्या लेगी तुम्हारा पीछा छोड़ने का हूह ( अलीना रेशमा के नाम पर चिड़चिड़ी हो गई )
: बाबू वो मेरी सीनियर है और उसकी गाड़ी आज आ जाएगी फिर मुझे नहीं आना पड़ेगा
: ये आखिरी बार है न ( उसने मुझसे कबूलवाया )
: हा मेरा बेबी आखिरी
: प्रोमिस ?
: अरे बाबू ये कैसी जिद , आपको मुझपे भरोसा नहीं है , वो मेरी सीनियर है मै कैसे उनको मना कर सकता हु ( मै उखड़ते हुए स्वर में बोला )
: हा हा ठीक है , लेकिन ध्यान रखना ब्रेकर पर स्पीड कम हो और चिपकने मत देना उसे पीछे से , नहीं तो तुम्हारी खैर नहीं समझे ( वो गुस्से में भभकती हुई बोली )
: हा मेरी मां सब जैसा तुम कहोगी वैसे करूंगा , अब निकलूं ( भीतर उबलती खीझ को मै दबाता हुआ बोला )
: ऐसे नहीं , मम्मा को किस्सी चाहिए ( उसने मुंह बनाया )
: उम्म्म्ममआआह्ह्ह्ह्ह खुश ?
: इधर भी , दूसरे वाले पर भी ।
: उम्म्माआआह अब ठीक है न
: हम्म्म लव यू ( वो फोन पर ऐसे इतराई जैसे मेरे सीने पर लोट रही हो )
: लव यू मेरा बेबी बाय
मैने फोन रखा और निकल गया फिर रेशमा मैम के फ्लैट की ओर
कुछ देर दरवाजा बजाने पर वो बाहर आई
: अरे आप अभी रेडी नहीं हुई ( मैने उन्हे उलझे हुए बालों में देखा )
: बस 5 मिनट , आजा अंदर आजा
: मामी जल्दी करो , मुझे कॉलेज जाना है देर हो जाएगी ( अम्मी की सहेली वो सेठानी मेरे आगे आगे सूट सलवार में अपने कूल्हे मटकाते हुए चल रही थी )
: हा हा मुझे सब पता है क्यों लेट हो रहा है तुझे , वो पास के गांव की छोरियां आती है न उनके पीछे हॉर्न बजा कर बाइक निकाल कर हीरो गिरी करेगा और क्या ( मामी ने झल्ला कर जवाब दिया )
: क्या मामी , आपके रहते मै किसी और के पीछे हॉर्न मारूंगा ( मै हंसते हुए उनको आइने में देखा वो मुझे देख कर पूरी मुस्कुराई )
: धत्त बदमाश कही का ( वो शर्म से पूरी लाल होते हुए मुझे कंधी दिखाते हुए बोली )
: चलो न मामी बहुत देर हो गई है , आप तो वैसे भी हीरोइन लग रही हो
: आज बड़ी तारीफ हो रही है , इतना मक्खन पालिश किस लिए भाई
: अब क्या बताऊं , आज तो मेरा हॉफ डे का प्लान है और अम्मी को देखने का भी ( मै खुद से बड़बड़ाया )
: क्या हुआ इतनी जल्दी क्यों है बोल
: जी ? जी कुछ नहीं मैम वो बस लेट हो गया है तो
: अरे मै हु न , अहूजा सर से मै बात कर लूंगी ( वो रिलैक्स होते हुए बोली )
: मैम एक और बात थी ( मै हिचकते हुए बोला )
: हा बोलो ( वो अपने साइड पर्स को चेक करते हुए बोली )
: मैम वो .... वो आज आप .... ( मै उनको देखे जा रहा था जींस कुर्ती में गजब कहर ढा रही थी , कूल्हे कुर्ती ऊपर तक टंगी थी और गाड़ बाहर की ओर निकली हुई जिसपे चुस्त लेगी के जैसे जींस जांघों पर कसी हुई थी । देख कर ही ईमान डोल जाए । )
: क्या ? ऐसे क्या देख रहे हो ? बोलो न ? ( वो थोड़े शर्माती हुई अपने बालों को कान के पास उलझाने लगी )
: मैम वो मुझे आज हॉफ डे चाहिए था तो क्या आप आहूजा सर से .... प्लीज
वो इतराते हुए मुस्कुराने लगी और मैं उलझने लगा । हम नीचे आ गए और मै बाइक स्टार्ट कर चुका था वो मेरे पास बैठ गई थी , उनका एक हाथ मेरे कंधे पर था । मै भीतर से सिहर रहा था , मानो रेशमा मैम की मुलायम उंगलियों से शिमला की सर्दी मेरे पूरे जिस्म में उतर रही थी। मगर मन उलझा हुआ था क्योंकि अभी तक उन्होंने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया था ।
: आप कुछ बोली नहीं मैम
: किस बारे में ( वो रियर मिरर में मुझे मुस्कुरा कर देखते हुए बोली )
: वो अहूजा सर से बात करने के लिए, आज हॉफ डे चाहिए था ( मै लगभग उखड़े मन से बोला , मुझे पसंद नहीं आ रहा था कि रेशमा मैम को दुबारा से इस छोटी सी बात के लिए सिफारिश करना )
: कॉफी पीने आना पड़ेगा मेरे यहां
: जी ? ( मै खिल उठा एकदम से उनकी बातों का मतलब समझ कर और गाड़ी रेस कर दी )
: अरे अरे आराम से चला , लेकर भागेगा क्या मुझे
: आपको लेकर भागने में मेरा क्या फायदा होगा ?
: अरे बिना खर्चे के इतनी सुंदर लुगाई मिल जाएगी और चाहिए तुझे
: फिर भी मेरा घाटा ही होगा ?
: वो कैसे ? ( मामी चौकी )
: इतना मेकअप का खर्चा मेरे बस का नहीं है बाबा हिहिहीही ( मै बाइक चलाते हुए जोर से खिलखिलाया )
: धत्त कामिना कही का ( लजाते हुए वो हस्ते हुए एक हल्का सा मुक्का मेरे कंधे पर मारी और मैं भी हसने लगा )
: हम्म्म लो आ गया आपका स्टॉप
: ठीक है अब सीधे कालेज जाना इधर उधर मस्ती करने मत निकल जाना ( वो मुझे हिदायत देते हुए बोली और आगे बढ़ गई )
उन्हें मटकते कूल्हे देख कर मैने खड़े खड़े ही बाइक पर हॉर्न बजाया और वो घूम कर मुझे हंसता हुआ देख कर हस दी और वापस जाने का इशारा किया ।
मै भी बाइक लेकर कालेज के लिए निकल गया ।
घड़ी की सुइयां मानो आज रेंग रही थी
मेरी टेबल से आहूजा सर के केबिन का दरवाजा थोड़ी सी कुर्सी इधर उधर सरका कर देखा जा सकता था ।
केबिन में फैन की हवा से दरबाजे का कर्टन हिल रहा था । उन हिलते हुए पर्दो और दरवाजे के गेट के गैप से हल्की फुल्की झलक मुझे रह रह कर दिखती।
उंगलियां जो रेशमा मैम के फाइल पर घूम रही थी , साफ नजर आ रहा था कि आहूजा कुछ डिमांड ही कर रहा है उनसे और रेशमा मैम की नजरो ने परदों के बीच मुझे देख लिया । मैं नजरे फेर कर अपने काम में लग गया ।
जानता था कि जितना रेशमा मैम मेरे लिए दीवानी है उतना ही हवस लिए आहूजा भी रेशमा मैम के चौड़े कूल्हे निहारता है । आहूजा के रंगीन मिजाज से ऑफिस ही नहीं आस पास के लोकल पब्लिक भी अच्छे से वाकिफ है और रेशमा मैम मेरे लिए उसे उतनी तवज्जो नहीं देती इसीलिए वो मुझसे अच्छी खासी जलन रखता है । कुछ ही देर बाद रेशमा मैम उसके केबिन से निकल कर आई और फिर मुस्कुराते हुए मुझे देखा
: एक बजे
: जी थैंक यू ( मै असहज भरी मुस्कुराहट से उनको देखा , भीतर से मुझे अच्छा महसूस नहीं हो रहा था )
ठीक एक बजे मै बाइक लेकर निकल गया ।
अजीब सी घबराहट हो रही थी मैने बाइक घर से पहले ही लगा दी थी। दिन के इस पहर में वैसे तो सब खा पी कर आराम करते है मगर आज ना जाने क्या हुआ था सब के सब मुझे ही निहार रहे थे घूर रहे थे मानो मुझे इस समय होना ही नहीं चाहिए था ।
: आज हॉफ डे था क्या शानू (चाय की दुकान पर बैठे एक काका ने तो पूछ भी लिया )
: अह नहीं नहीं काका वो बुक लेने आया हु ( मेरी बुरी तरह से फटी पड़ी थी )
: कुछ भी हो बड़े बाबू का लड़का है बहुत होनहार ( वो काका अपने पास बैठे दूसरे काका से बात करते हुए बोले और मै आगे निकल गया )
उम्मीद के हिसाब से घर का चैनल बंद था अंदर से ताला लगा हुआ , ताले को देखकर मेरी सांसे और चढ़ने लगी । नीचे लंड अलग ही फड़फड़ा रहा था ।
गहरी सास भरता हुआ मैने इधर उधर देखा और मौका देख कर बिलाल ट्रेलर के बंद पड़े मकान का दरवाजा खोल कर , जो पहले ही जुआरियों और शराबियों ने तोड़ रखा हुआ था मै घुस गया ।
उमहु पेशाब और नमी की गंध से मेरे मन में उल्टी जैसा लगने लगा , ताज्जुब नहीं हुआ मुझे भीतर जाने के बाद जीने के पास मुझे वीर्य भरे कंडोम और गुटके सिगरेट के पैकेट के फेंके पड़े हुए दिखे । अजीब सी घिनघिनाहट सी हुई और मैं तेजी से ऊपर निकल गया। दो मंजिला पर आकर मैने इधर उधर देखा और मेरी नजर मेरी छत पर गई , जिसके जीने का दरबाजा मैने सुबह ही खोलकर भीड़का कर रखा हुआ था एक ईंट लगा कर ताकि अम्मी को पता न चले । एक राहत भरी मुस्कुराहट थी मगर मंजिल अभी 3 मकान दूर थी ।
बीच में जुबैदा चच्ची का मकान पीछे से एक मंजिला उसको फांदना ज्यादा रिस्की था क्योंकि जुबैदा चच्ची घर के पीछे में आंगन पूरा खुला था छत नहीं थी ।
अपने मन के इरादे फौलादी करता हुआ मैने चारदीवारी फांद कर बगल के दो छत पारकर के जुबैदा चच्ची छत पर आते ही मेरी नजर नीचे आंगन में गई और मैं फौरन फर्श पर लेट गया ।
जुबैदा चच्ची आंगन में कपड़े डाल रही थी और वो बाल्टी से झुकझुक कर कपड़े निकाल रही थी , जब वो फिर से कपड़े निकालने को हुईं मै झुके हुए ही तेजी से उनकी छत को दौड़ कर पार करता हुआ एक ही जंप में उनकी चारदीवारी कूद कर सीधा अपने छत पर आ गया
5 मिनट तक मै खुद की सास संभालता रहा और कोई मुझे मुहल्ले का देखे नहीं इसीलिए मै नीचे बैठे हुए ही घुटने के बल चलता हुआ दरवाजे तक आया और ईंट हटा कर होले से दरवाजा खोला और धीरे से जीने से नीचे उतर गया ।
पूरे घर में एक चुप्पी सी थी और उस एक चुप सन्नाटे में अम्मी की हल्की फुल्की आवाजों में खनक भरी हंसी की किलकारियां शामिल थी ।
जूते मैने ऊपर ही निकाल दिए और दबे पाव सीढ़िया सरकता हुआ अपनी सांसों को थामे नीचे आने लगा ।
इधर अम्मी की आवाओ की फ्रीक्वेंसी तेज हो रही थी उधर मेरी दिल की धड़कने।
नीचे जीने पर आकर अपनी मनपसंद जगह पर रुक कर रोशनदान से अम्मी के कमरे में झांका तो दिल गदगद हो गया ।
पूरा घर बंद करने के बाद भी अम्मी को ना जाने क्या डर कि कमरे का दरवाजा भिड़का रखा था ।एक तरह से मेरे लिए सही भी था ।
क्योंकि अम्मी के कमरे के दरवाजे से जीने का रास्ता बिल्कुल सामने ही था ।
मै बिल्लियों के जैसे बिना आहट के लपक कर अम्मी के कमरे के दरबाजे के पास पहुंचा। दरवाजे के महीन गैप से अपनी आंखों का फोकस बढ़ा कर कमरे का जायजा लिया तो अजीब सा लगा
पूरा घर बंद अन्दर से बंद है , कमरा भिड़का रखा और उसपे से अम्मी बुरखे में बैठी हुई भला किस्से पर्दा कर रही थी ।
अब्बू की आवाजें स्पीकर पर आ रही थी ।
: ओहो मेरी जान और कितना समय लगेगा , तुम्हारे दीदार के लिए ही आज हॉफ डे लिया है ( अब्बू की बातें सुनकर मुझे हसी आई फिर सोचा अम्मी के लिए हॉफ क्या फुल डे भी काफी नहीं पड़ता )
: बस बस मेरे सरताज आपकी कनीज आपके हुजूर में हाजिर है ( अम्मी ने मोबाइल को जो आलमारी पर सुला कर रखी थी उसको सहारे से खड़ा करती हुई बोली )
अब्बू की छोटी तस्वीर वीडियो काल पर साफ साफ नजर आ रही थी ।
: ओहो सुभानल्लाह , अब जरा रुख से नकाब हटा कर हमें अपने कनीज के रुखसार का दीदार तो कराओ
: ऊहू , आज ये हमारे रुख से ये पर्दा न हटेगा , भले पूरी कुदरत जहांपनाह के आगे बेपर्दा करना पड़ जाए ( अम्मी ने अब्बू को तड़पा और ललचाया भी , साथ मेरे लंड की हालत और बुरी होने लगी )
: अह्ह्ह्ह मेरी जान तुम्हारी बातों से मेरा दिल बेकाबू हो कर कही खो न जाए सीईईईई अह्ह्ह्ह
: तो आप मेरा ये दिल ले लीजिए न हुजूर ( अम्मी ने अपने बड़े से चूचे को अपने दोनों पंजे से दिल का शेप देते हुए बोली)
उफ्फ उधर अम्मी खेल अब्बू के दिल से रही थी और जज्बात मेरे मचल रहे थे ।
: अह्ह्ह्ह मेरी जान , तुम्हारे दिल के लिए ही मेरा दिल बैचेन हुआ जा रहा है जरा उसे रोशनी में तो ले आओ , क्यों छिपा रखी हो उसे अंधेर दरख़्तो में ( अब्बू के आवाज में अम्मी के लिए तड़प साफ साफ झलक रही थी
: इन मुलायम मखमली दरखतों ने ही तो आपकी कनीज का दिल बड़ी हिफाजत से रखा है मेरे राजा ( अम्मी ने अपने दोनों चूचों के पहाड़ के बीच उंगली फसा कर बुरके में दोनों चूचों के पहाड़ जैसे उभार बाहर निकाल दिए )
: अह्ह्ह्ह्ह क्या नायब कुदरती जोड़े है मेरी जान सीईईईई जी करता है अपनी उंगलियों को इनपर सैर करवाऊं ( अब्बू लगभग सिसकते हुए बोले और मै भी अम्मी की चूचियों का शेप देख कर लिए लार टपकाने लगा )
मगर अगले ही अम्मी ने अब्बू और मुझे दोनों को चौका दिया
: और इन पहाड़ी गुफाओं के बारे में क्या ख्याल है , इनमें सैर नहीं करेंगे हुजूर उम्मम ( अम्मी खड़ी होकर अपने भारी भरकम चूतड बुरके में मोबाइल के आगे हिलाने लगी , जिसे देख आकर मेरी हालत और खराब होने लगी , लंड का सुपाड़ा पूरा टमाटर जैसे फूल चुका था लंड पूरी तरह रॉड हुआ जा रहा था । )
: ओह्ह्ह फरीदा मेरी जान तुम्हारे ये पहाड़ जैसे ऊंचे ऊंचे चूतड देखकर मेरी तो हालत खराब हो जाती है सीईईईई इन्हें देखता हू तो किसी की यादें ताजा हो जाती है ( अब्बू की बातें सुनकर मेरा दिमाग ठनका मगर अम्मी पर इसका जरा भी असर नहीं हुआ , जैसे ये सब बातें उनके लिए नई न हो )
: किसकी मेरे सरताज , मेरे ये पहाड़ी चूतड आपको किसकी याद दिलाती है बोलो न मेरे राजा ( अम्मी मोबाईल के आगे अपने कूल्हे मटकाती हुई उन्हें बुर्के के ऊपर से अपने हाथों से सहलाती हुई अब्बू को उकसाते हुए बोली )
मेरा गला सूखने लगा और दिल की धड़कने बढ़ने लगी कि अब्बू किसका नाम लेने वाले थे , लंड में अब एक अलग ही उत्तेजना दौड़ रही थी ।
: अह्ह्ह्ह्ह जानू तुम्हे तो सब पता ही है मै किसकी बात कर रहा हु ओह्ह्ह्ह सोच कर ही मेरा अकड़ रहा है , देखो न ( अब्बू ने मोबाइल पर अपना लंड बाहर निकाल दिया और वो उसको सहला रहे थे , अम्मी अब्बू का मोटा मूसल देख कर सिहर उठी और अगले ही पल उन्होंने पीछे से अपना बुरका उठा कर आगे झुकती अपनी बड़ी सी फैली हुईं गाड़ को नंगी कर दी )
: क्या वो भी आपके आगे मेरी तरह ऐसे अपने गाड़ खोल देती है मेरे राजा उम्मम्म ( ये बोल कर अम्मी ने अपने दोनों पंजे से अपने मोटे मोटे चूतड़ों फाड़ते हुए फैला दिया , जैसे ही मेरी नजर अम्मी के गहरे भूरे गाड़ की मोटी सुराख पर गई मेरे लंड से रस की बूंदे टपक पड़ी, पूरी ताकत से मैने मेरे फड़फड़ाते लंड को पकड़ कर भींच लिया और खुद को काबू करने लगा ,मेरा दिल अब मेरे बस में नहीं था , धड़कने पूरी शिद्दत जोरो से धड़क रही थी । अम्मी के नंगे चूतड़ देख कर एक अलग ही प्यास से गला सूखने लगा )
: ओह्ह्ह्ह फरीदा मेरी जान अह्ह्ह्ह क्या मस्त चूतड़ है तेरे ओह्ह्ह्ह ( अब्बू मेरी तरह अम्मी के बड़े भड़कीले चूतड देख कर तड़प उठे )
: ऊहू आज फरीदा नहीं ( अम्मी बोली और मै भी अचरज से थम सा गया एक पल को और हाथ भी लंड को मसलते हुए रुक गए )
: फिर ? ( अब्बू ने बड़ी खुमारी में सवाल किया )
: आज मै आपकी नगमा फूफी हु ( ये बोलते हुए अम्मी ने अपने आगे से बुरखे को हटाया और अपने दोनों बड़े बड़े खरबूजे जैसे दूध से लबालब चूचों को नंगे अब्बू के आगे परोस दिया )
: या खुदा क्या कयामत हो तुम ओह्ह्ह्ह , आज तुमने मेरा दिल जीत लिया मेरी जान
: ऊहू पूरा बोलो न फूफी..जान ( अम्मी ने अपने नरम नरम चूचे उनके आगे सहलाए और इधर मेरी हालत और खराब हो गई, अम्मी का ये रूप मेरी समझ और सोच के दायरे के बाहर की चीज थी । उसपे से अब्बू भी अपनी सगी फूफी के चूतड़ों के दीवाने निकले )
: ओह्ह्ह्ह नगमा फूफी ( अब्बू सिहर उठे )
: हम्म्म बेटा बोलो न ( अम्मी ने भी कसमसा कर अब्बू के आगे अपने दोनों चूचे मसल दिए
: ओह्ह्ह मेरी प्यारी फूफी मुझे मेरे नाम से बुलाओ न ( अब्बू अपना लंड सहलाते हुए बोले )
: क्या धत्त नहीं , नाम नही ले सकती मै आप मेरे शौहर हो ( अगले ही पल अम्मी अपने घरेलू रूप में लौट आई और मुस्कुराने लगी )
: अच्छा बाबा मेरी इजाजत है
: ऊहू , नहीं मुझसे नहीं होगा शानू के अब्बू ( अम्मी शरमाई )
: प्लीज न मेरी प्यारी फूफी, अपने अकरम बेटे की बात मान जाओ न , देखो न आपके रसीले दूध देख कर मेरे होठ सुख रहे है पीला दो न थोड़ा दूध मुझे ( एक बार फिर अब्बू ने अम्मी को लपेटा और अम्मी ने एक गहरी सास लेते हुए अपने जोबन को मसल दिया और सिसक पड़ी)
: अह्ह्ह्ह्ह सीईईई अकरम बेटा ( अम्मी ने जैसे ही अब्बू का नाम लिया मेरा लंड एकदम से फ़नफ़नाने लगा पूरे तन बदन में सुरसुरि सी चढ़ने लगी और अब्बू अपने पैर टाइट कर लंड को भींचने लगे । )
: हा फूफी जां, कहो न
: और क्या मन करता है आपका अपनी फूफी को देख कर ( अम्मी लगातार अपने चूचे हाथों से सहलाये जा रही थी , एक मादक भी कसमसाहट सी उठ रही थी उनकी आवाज में मानो वो किसी नशे में हल्के हल्के उतर रही हो )
: अह्ह्ह्ह्ह मेरी सेक्सी फूफी आपको देखकर जी करता है आपके बदन से ये बुरका उतार फेकू और आपके गदराए जिस्म को देखते हुए अपना लंड हिलाऊ ( अब्बू ने अपने जज्बात जाहिर करते हुए बोले और अगले ही पल अम्मी ने अपने जिस्म से बुरका उतार दिया मगर अभी भी उनके चेहरे से नकाब नहीं उतरा था )
: लो अकरम बेटा, निहार लो अपनी नगमा फूफी को उम्मम्म इन रसभरे फूले हुए चूचे के लिए ही तुम तरसते हो न ( अम्मी पूरी नंगी होकर अब्बू के आगे अपने तने हुए निप्पलों वाले गोरे गोरे चूचे दिखाते हुए बोली )
: अह्ह्ह्ह हा फूफी मै तो आपकी चूचियों का दीवाना हु , आपके थन जैसे मोटे मोटे चूचे देख कर मुंह में पानी आ जाता है अह्ह्ह्ह जी करता आपके ऊपर आकर इनको खूब चूसू ( अब्बू अपना लंड मसलते हुए बोले )
: आजाओ न बेटा लो पिलो , इनपे तो तुम्हारा ही हक है आओ न ( अम्मी अब्बू के आगे चूचे को लाती हुई बोली )
: क्या सिर्फ इन्हीं पर ही मेरा हक है फूफी आपके रसीले भोसड़े पर नहीं ( अब्बू की बातें सुन कर अम्मी ने आंखे बन्द कर गहरी गहरी सांस लेने लगी उनकी चूचियां और भी फुलने लगी )
: दिखाओ न फूफी अपना रसदार गुलाबी भोसड़ा ओह्ह्ह्ह उसे देखने के लिए देखो मेरा लंड कितना बौराया हुआ है ( अब्बू अपने लंड का सुपाड़ा कैमरे के आगे ले जाते हुए बोले , अब्बू का लाल सुपाड़ा देख कर अम्मी मचल उठी और वो बिस्तर पर लेट कर मोबाईल के आगे अपनी दोनो टांगे हवा में उठा दी और उनकी लंबी फांके वाली चूत खुल कर अब्बू के आगे से आगे आ गई । जिसे देखकर मेरे लंड की नसे टपकने लगी मैने जोरो से उसको भींच रखा था , पूरा सुपाड़ा खून से भरा हुआ जल रहा था । कभी कभी मेरा फब्बारा फूट सकता था और फूटा भी
: लो बेटा देख लो अपनी फूफी का भोसड़ा अह्ह्ह्ह्ह लो देखो मैं फैला रखा है ( अम्मी अपनी टांगे उठाए हुए चूत फैलाते हुए बोली और उनकी गुलाबी चौड़ी सुरंग देख कर मुझसे रहा नही गया और मेरे हाथ में ही मेरी पिचकारी छूटने लगी ।)
अम्मी के भोसडेदार गुलाबी चूत की तस्वीर मेरे जहन में बस चुकी थी मेरे दिल में अम्मी का नाम धड़क रहा था , आसपास सब कुछ एकदम से सुन्न हो गया था कुछ पल के लिए और बंद आंखो से हाथों में मेरे लंड की धार पर धार छूट रही थी ।
: क्या हुआ जानेमन ( धड़कने थमी तो पहले अब्बू की आवाज आई)
: लगता है बाहर कोई है ( अम्मी की बातें सुनकर मैं एकदम से सतर्क हो गया और जल्दी जल्दी अपना वीर्य से सना लंड अपने पेंट में घुसाने लगा )
सुबह सुबह उठ कर मै फ्रेश हो रहा था कि मेरा मोबाइल बजना शुरू हो गया । स्क्रीन पर नाम देखा तो चिढ़ सी हुई मगर बॉस तो बॉस होता है । मैने कॉल पिक की ।
: जी गुड मॉर्निंग मैम
: गुड मॉर्निंग शानू , आज ऑफिस चल रहे हो न ( बड़े खुशनुमा अंदाज में उसने कहा )
: जी मैम आना तो पड़ेगा न
: अच्छा नाश्ता कर लिया तुमने ( वो चहक कर बोली , फोन पर कुछ बर्तन की खटपट भरी आवाजें भी आ रही थी )
: जी नहीं , वो मै बस नहाने ..
: ठीक है फिर नहा कर सीधा तुम मेरे घर पर आ जाना , यही साथ नाश्ता करेंगे और ऑफिस चल चलेंगे
: ओके मैम
: जल्दी नहीं तो ब्रेकफास्ट ठंडा हो जाएगा हीहीही बाय ( वो खिलखिलाती हुई बोली और फोन कट हो गया )
मै फटाफट से नहाया और तैयार होने लगा , रोज मै नॉर्मली तैयार होता था मगर आज मेरी एक बॉडी स्प्रे पर गई और अनायास मैने उसे स्प्रे कर लिया।
तभी अलीना का फोन रिंग हुआ ।
: कैसे हो मेरी जान
: ओह्ह्ह्ह हाय उठ गई तुम , बस रेडी हो गया हु ऑफिस के लिए निकल रहा हूं
: ऑफिस ? ओ हैलो आज तुम मिलने नहीं आ रहे ( अलीना चौक कर एकदम से उखड़े हुए स्वर में बोली )
: आऊंगा न बाबू , वो रेशमा मैम ने फोन किया था उनको भी ऑफिस लेकर जाना है ( मैने झिझक भरे लहजे में बोला , इस डर में कही अलीना भड़के नहीं )
: वो डायन क्या लेगी तुम्हारा पीछा छोड़ने का हूह ( अलीना रेशमा के नाम पर चिड़चिड़ी हो गई )
: बाबू वो मेरी सीनियर है और उसकी गाड़ी आज आ जाएगी फिर मुझे नहीं आना पड़ेगा
: ये आखिरी बार है न ( उसने मुझसे कबूलवाया )
: हा मेरा बेबी आखिरी
: प्रोमिस ?
: अरे बाबू ये कैसी जिद , आपको मुझपे भरोसा नहीं है , वो मेरी सीनियर है मै कैसे उनको मना कर सकता हु ( मै उखड़ते हुए स्वर में बोला )
: हा हा ठीक है , लेकिन ध्यान रखना ब्रेकर पर स्पीड कम हो और चिपकने मत देना उसे पीछे से , नहीं तो तुम्हारी खैर नहीं समझे ( वो गुस्से में भभकती हुई बोली )
: हा मेरी मां सब जैसा तुम कहोगी वैसे करूंगा , अब निकलूं ( भीतर उबलती खीझ को मै दबाता हुआ बोला )
: ऐसे नहीं , मम्मा को किस्सी चाहिए ( उसने मुंह बनाया )
: उम्म्म्ममआआह्ह्ह्ह्ह खुश ?
: इधर भी , दूसरे वाले पर भी ।
: उम्म्माआआह अब ठीक है न
: हम्म्म लव यू ( वो फोन पर ऐसे इतराई जैसे मेरे सीने पर लोट रही हो )
: लव यू मेरा बेबी बाय
मैने फोन रखा और निकल गया फिर रेशमा मैम के फ्लैट की ओर
कुछ देर दरवाजा बजाने पर वो बाहर आई
: अरे आप अभी रेडी नहीं हुई ( मैने उन्हे उलझे हुए बालों में देखा )
: बस 5 मिनट , आजा अंदर आजा
: मामी जल्दी करो , मुझे कॉलेज जाना है देर हो जाएगी ( अम्मी की सहेली वो सेठानी मेरे आगे आगे सूट सलवार में अपने कूल्हे मटकाते हुए चल रही थी )
: हा हा मुझे सब पता है क्यों लेट हो रहा है तुझे , वो पास के गांव की छोरियां आती है न उनके पीछे हॉर्न बजा कर बाइक निकाल कर हीरो गिरी करेगा और क्या ( मामी ने झल्ला कर जवाब दिया )
: क्या मामी , आपके रहते मै किसी और के पीछे हॉर्न मारूंगा ( मै हंसते हुए उनको आइने में देखा वो मुझे देख कर पूरी मुस्कुराई )
: धत्त बदमाश कही का ( वो शर्म से पूरी लाल होते हुए मुझे कंधी दिखाते हुए बोली )
: चलो न मामी बहुत देर हो गई है , आप तो वैसे भी हीरोइन लग रही हो
: आज बड़ी तारीफ हो रही है , इतना मक्खन पालिश किस लिए भाई
: अब क्या बताऊं , आज तो मेरा हॉफ डे का प्लान है और अम्मी को देखने का भी ( मै खुद से बड़बड़ाया )
: क्या हुआ इतनी जल्दी क्यों है बोल
: जी ? जी कुछ नहीं मैम वो बस लेट हो गया है तो
: अरे मै हु न , अहूजा सर से मै बात कर लूंगी ( वो रिलैक्स होते हुए बोली )
: मैम एक और बात थी ( मै हिचकते हुए बोला )
: हा बोलो ( वो अपने साइड पर्स को चेक करते हुए बोली )
: मैम वो .... वो आज आप .... ( मै उनको देखे जा रहा था जींस कुर्ती में गजब कहर ढा रही थी , कूल्हे कुर्ती ऊपर तक टंगी थी और गाड़ बाहर की ओर निकली हुई जिसपे चुस्त लेगी के जैसे जींस जांघों पर कसी हुई थी । देख कर ही ईमान डोल जाए । )
: क्या ? ऐसे क्या देख रहे हो ? बोलो न ? ( वो थोड़े शर्माती हुई अपने बालों को कान के पास उलझाने लगी )
: मैम वो मुझे आज हॉफ डे चाहिए था तो क्या आप आहूजा सर से .... प्लीज
वो इतराते हुए मुस्कुराने लगी और मैं उलझने लगा । हम नीचे आ गए और मै बाइक स्टार्ट कर चुका था वो मेरे पास बैठ गई थी , उनका एक हाथ मेरे कंधे पर था । मै भीतर से सिहर रहा था , मानो रेशमा मैम की मुलायम उंगलियों से शिमला की सर्दी मेरे पूरे जिस्म में उतर रही थी। मगर मन उलझा हुआ था क्योंकि अभी तक उन्होंने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया था ।
: आप कुछ बोली नहीं मैम
: किस बारे में ( वो रियर मिरर में मुझे मुस्कुरा कर देखते हुए बोली )
: वो अहूजा सर से बात करने के लिए, आज हॉफ डे चाहिए था ( मै लगभग उखड़े मन से बोला , मुझे पसंद नहीं आ रहा था कि रेशमा मैम को दुबारा से इस छोटी सी बात के लिए सिफारिश करना )
: कॉफी पीने आना पड़ेगा मेरे यहां
: जी ? ( मै खिल उठा एकदम से उनकी बातों का मतलब समझ कर और गाड़ी रेस कर दी )
: अरे अरे आराम से चला , लेकर भागेगा क्या मुझे
: आपको लेकर भागने में मेरा क्या फायदा होगा ?
: अरे बिना खर्चे के इतनी सुंदर लुगाई मिल जाएगी और चाहिए तुझे
: फिर भी मेरा घाटा ही होगा ?
: वो कैसे ? ( मामी चौकी )
: इतना मेकअप का खर्चा मेरे बस का नहीं है बाबा हिहिहीही ( मै बाइक चलाते हुए जोर से खिलखिलाया )
: धत्त कामिना कही का ( लजाते हुए वो हस्ते हुए एक हल्का सा मुक्का मेरे कंधे पर मारी और मैं भी हसने लगा )
: हम्म्म लो आ गया आपका स्टॉप
: ठीक है अब सीधे कालेज जाना इधर उधर मस्ती करने मत निकल जाना ( वो मुझे हिदायत देते हुए बोली और आगे बढ़ गई )
उन्हें मटकते कूल्हे देख कर मैने खड़े खड़े ही बाइक पर हॉर्न बजाया और वो घूम कर मुझे हंसता हुआ देख कर हस दी और वापस जाने का इशारा किया ।
मै भी बाइक लेकर कालेज के लिए निकल गया ।
घड़ी की सुइयां मानो आज रेंग रही थी
मेरी टेबल से आहूजा सर के केबिन का दरवाजा थोड़ी सी कुर्सी इधर उधर सरका कर देखा जा सकता था ।
केबिन में फैन की हवा से दरबाजे का कर्टन हिल रहा था । उन हिलते हुए पर्दो और दरवाजे के गेट के गैप से हल्की फुल्की झलक मुझे रह रह कर दिखती।
उंगलियां जो रेशमा मैम के फाइल पर घूम रही थी , साफ नजर आ रहा था कि आहूजा कुछ डिमांड ही कर रहा है उनसे और रेशमा मैम की नजरो ने परदों के बीच मुझे देख लिया । मैं नजरे फेर कर अपने काम में लग गया ।
जानता था कि जितना रेशमा मैम मेरे लिए दीवानी है उतना ही हवस लिए आहूजा भी रेशमा मैम के चौड़े कूल्हे निहारता है । आहूजा के रंगीन मिजाज से ऑफिस ही नहीं आस पास के लोकल पब्लिक भी अच्छे से वाकिफ है और रेशमा मैम मेरे लिए उसे उतनी तवज्जो नहीं देती इसीलिए वो मुझसे अच्छी खासी जलन रखता है । कुछ ही देर बाद रेशमा मैम उसके केबिन से निकल कर आई और फिर मुस्कुराते हुए मुझे देखा
: एक बजे
: जी थैंक यू ( मै असहज भरी मुस्कुराहट से उनको देखा , भीतर से मुझे अच्छा महसूस नहीं हो रहा था )
ठीक एक बजे मै बाइक लेकर निकल गया ।
अजीब सी घबराहट हो रही थी मैने बाइक घर से पहले ही लगा दी थी। दिन के इस पहर में वैसे तो सब खा पी कर आराम करते है मगर आज ना जाने क्या हुआ था सब के सब मुझे ही निहार रहे थे घूर रहे थे मानो मुझे इस समय होना ही नहीं चाहिए था ।
: आज हॉफ डे था क्या शानू (चाय की दुकान पर बैठे एक काका ने तो पूछ भी लिया )
: अह नहीं नहीं काका वो बुक लेने आया हु ( मेरी बुरी तरह से फटी पड़ी थी )
: कुछ भी हो बड़े बाबू का लड़का है बहुत होनहार ( वो काका अपने पास बैठे दूसरे काका से बात करते हुए बोले और मै आगे निकल गया )
उम्मीद के हिसाब से घर का चैनल बंद था अंदर से ताला लगा हुआ , ताले को देखकर मेरी सांसे और चढ़ने लगी । नीचे लंड अलग ही फड़फड़ा रहा था ।
गहरी सास भरता हुआ मैने इधर उधर देखा और मौका देख कर बिलाल ट्रेलर के बंद पड़े मकान का दरवाजा खोल कर , जो पहले ही जुआरियों और शराबियों ने तोड़ रखा हुआ था मै घुस गया ।
उमहु पेशाब और नमी की गंध से मेरे मन में उल्टी जैसा लगने लगा , ताज्जुब नहीं हुआ मुझे भीतर जाने के बाद जीने के पास मुझे वीर्य भरे कंडोम और गुटके सिगरेट के पैकेट के फेंके पड़े हुए दिखे । अजीब सी घिनघिनाहट सी हुई और मैं तेजी से ऊपर निकल गया। दो मंजिला पर आकर मैने इधर उधर देखा और मेरी नजर मेरी छत पर गई , जिसके जीने का दरबाजा मैने सुबह ही खोलकर भीड़का कर रखा हुआ था एक ईंट लगा कर ताकि अम्मी को पता न चले । एक राहत भरी मुस्कुराहट थी मगर मंजिल अभी 3 मकान दूर थी ।
बीच में जुबैदा चच्ची का मकान पीछे से एक मंजिला उसको फांदना ज्यादा रिस्की था क्योंकि जुबैदा चच्ची घर के पीछे में आंगन पूरा खुला था छत नहीं थी ।
अपने मन के इरादे फौलादी करता हुआ मैने चारदीवारी फांद कर बगल के दो छत पारकर के जुबैदा चच्ची छत पर आते ही मेरी नजर नीचे आंगन में गई और मैं फौरन फर्श पर लेट गया ।
जुबैदा चच्ची आंगन में कपड़े डाल रही थी और वो बाल्टी से झुकझुक कर कपड़े निकाल रही थी , जब वो फिर से कपड़े निकालने को हुईं मै झुके हुए ही तेजी से उनकी छत को दौड़ कर पार करता हुआ एक ही जंप में उनकी चारदीवारी कूद कर सीधा अपने छत पर आ गया
5 मिनट तक मै खुद की सास संभालता रहा और कोई मुझे मुहल्ले का देखे नहीं इसीलिए मै नीचे बैठे हुए ही घुटने के बल चलता हुआ दरवाजे तक आया और ईंट हटा कर होले से दरवाजा खोला और धीरे से जीने से नीचे उतर गया ।
पूरे घर में एक चुप्पी सी थी और उस एक चुप सन्नाटे में अम्मी की हल्की फुल्की आवाजों में खनक भरी हंसी की किलकारियां शामिल थी ।
जूते मैने ऊपर ही निकाल दिए और दबे पाव सीढ़िया सरकता हुआ अपनी सांसों को थामे नीचे आने लगा ।
इधर अम्मी की आवाओ की फ्रीक्वेंसी तेज हो रही थी उधर मेरी दिल की धड़कने।
नीचे जीने पर आकर अपनी मनपसंद जगह पर रुक कर रोशनदान से अम्मी के कमरे में झांका तो दिल गदगद हो गया ।
पूरा घर बंद करने के बाद भी अम्मी को ना जाने क्या डर कि कमरे का दरवाजा भिड़का रखा था ।एक तरह से मेरे लिए सही भी था ।
क्योंकि अम्मी के कमरे के दरवाजे से जीने का रास्ता बिल्कुल सामने ही था ।
मै बिल्लियों के जैसे बिना आहट के लपक कर अम्मी के कमरे के दरबाजे के पास पहुंचा। दरवाजे के महीन गैप से अपनी आंखों का फोकस बढ़ा कर कमरे का जायजा लिया तो अजीब सा लगा
पूरा घर बंद अन्दर से बंद है , कमरा भिड़का रखा और उसपे से अम्मी बुरखे में बैठी हुई भला किस्से पर्दा कर रही थी ।
अब्बू की आवाजें स्पीकर पर आ रही थी ।
: ओहो मेरी जान और कितना समय लगेगा , तुम्हारे दीदार के लिए ही आज हॉफ डे लिया है ( अब्बू की बातें सुनकर मुझे हसी आई फिर सोचा अम्मी के लिए हॉफ क्या फुल डे भी काफी नहीं पड़ता )
: बस बस मेरे सरताज आपकी कनीज आपके हुजूर में हाजिर है ( अम्मी ने मोबाइल को जो आलमारी पर सुला कर रखी थी उसको सहारे से खड़ा करती हुई बोली )
अब्बू की छोटी तस्वीर वीडियो काल पर साफ साफ नजर आ रही थी ।
: ओहो सुभानल्लाह , अब जरा रुख से नकाब हटा कर हमें अपने कनीज के रुखसार का दीदार तो कराओ
: ऊहू , आज ये हमारे रुख से ये पर्दा न हटेगा , भले पूरी कुदरत जहांपनाह के आगे बेपर्दा करना पड़ जाए ( अम्मी ने अब्बू को तड़पा और ललचाया भी , साथ मेरे लंड की हालत और बुरी होने लगी )
: अह्ह्ह्ह मेरी जान तुम्हारी बातों से मेरा दिल बेकाबू हो कर कही खो न जाए सीईईईई अह्ह्ह्ह
: तो आप मेरा ये दिल ले लीजिए न हुजूर ( अम्मी ने अपने बड़े से चूचे को अपने दोनों पंजे से दिल का शेप देते हुए बोली)
उफ्फ उधर अम्मी खेल अब्बू के दिल से रही थी और जज्बात मेरे मचल रहे थे ।
: अह्ह्ह्ह मेरी जान , तुम्हारे दिल के लिए ही मेरा दिल बैचेन हुआ जा रहा है जरा उसे रोशनी में तो ले आओ , क्यों छिपा रखी हो उसे अंधेर दरख़्तो में ( अब्बू के आवाज में अम्मी के लिए तड़प साफ साफ झलक रही थी
: इन मुलायम मखमली दरखतों ने ही तो आपकी कनीज का दिल बड़ी हिफाजत से रखा है मेरे राजा ( अम्मी ने अपने दोनों चूचों के पहाड़ के बीच उंगली फसा कर बुरके में दोनों चूचों के पहाड़ जैसे उभार बाहर निकाल दिए )
: अह्ह्ह्ह्ह क्या नायब कुदरती जोड़े है मेरी जान सीईईईई जी करता है अपनी उंगलियों को इनपर सैर करवाऊं ( अब्बू लगभग सिसकते हुए बोले और मै भी अम्मी की चूचियों का शेप देख कर लिए लार टपकाने लगा )
मगर अगले ही अम्मी ने अब्बू और मुझे दोनों को चौका दिया
: और इन पहाड़ी गुफाओं के बारे में क्या ख्याल है , इनमें सैर नहीं करेंगे हुजूर उम्मम ( अम्मी खड़ी होकर अपने भारी भरकम चूतड बुरके में मोबाइल के आगे हिलाने लगी , जिसे देख आकर मेरी हालत और खराब होने लगी , लंड का सुपाड़ा पूरा टमाटर जैसे फूल चुका था लंड पूरी तरह रॉड हुआ जा रहा था । )
: ओह्ह्ह फरीदा मेरी जान तुम्हारे ये पहाड़ जैसे ऊंचे ऊंचे चूतड देखकर मेरी तो हालत खराब हो जाती है सीईईईई इन्हें देखता हू तो किसी की यादें ताजा हो जाती है ( अब्बू की बातें सुनकर मेरा दिमाग ठनका मगर अम्मी पर इसका जरा भी असर नहीं हुआ , जैसे ये सब बातें उनके लिए नई न हो )
: किसकी मेरे सरताज , मेरे ये पहाड़ी चूतड आपको किसकी याद दिलाती है बोलो न मेरे राजा ( अम्मी मोबाईल के आगे अपने कूल्हे मटकाती हुई उन्हें बुर्के के ऊपर से अपने हाथों से सहलाती हुई अब्बू को उकसाते हुए बोली )
मेरा गला सूखने लगा और दिल की धड़कने बढ़ने लगी कि अब्बू किसका नाम लेने वाले थे , लंड में अब एक अलग ही उत्तेजना दौड़ रही थी ।
: अह्ह्ह्ह्ह जानू तुम्हे तो सब पता ही है मै किसकी बात कर रहा हु ओह्ह्ह्ह सोच कर ही मेरा अकड़ रहा है , देखो न ( अब्बू ने मोबाइल पर अपना लंड बाहर निकाल दिया और वो उसको सहला रहे थे , अम्मी अब्बू का मोटा मूसल देख कर सिहर उठी और अगले ही पल उन्होंने पीछे से अपना बुरका उठा कर आगे झुकती अपनी बड़ी सी फैली हुईं गाड़ को नंगी कर दी )
: क्या वो भी आपके आगे मेरी तरह ऐसे अपने गाड़ खोल देती है मेरे राजा उम्मम्म ( ये बोल कर अम्मी ने अपने दोनों पंजे से अपने मोटे मोटे चूतड़ों फाड़ते हुए फैला दिया , जैसे ही मेरी नजर अम्मी के गहरे भूरे गाड़ की मोटी सुराख पर गई मेरे लंड से रस की बूंदे टपक पड़ी, पूरी ताकत से मैने मेरे फड़फड़ाते लंड को पकड़ कर भींच लिया और खुद को काबू करने लगा ,मेरा दिल अब मेरे बस में नहीं था , धड़कने पूरी शिद्दत जोरो से धड़क रही थी । अम्मी के नंगे चूतड़ देख कर एक अलग ही प्यास से गला सूखने लगा )
: ओह्ह्ह्ह फरीदा मेरी जान अह्ह्ह्ह क्या मस्त चूतड़ है तेरे ओह्ह्ह्ह ( अब्बू मेरी तरह अम्मी के बड़े भड़कीले चूतड देख कर तड़प उठे )
: ऊहू आज फरीदा नहीं ( अम्मी बोली और मै भी अचरज से थम सा गया एक पल को और हाथ भी लंड को मसलते हुए रुक गए )
: फिर ? ( अब्बू ने बड़ी खुमारी में सवाल किया )
: आज मै आपकी नगमा फूफी हु ( ये बोलते हुए अम्मी ने अपने आगे से बुरखे को हटाया और अपने दोनों बड़े बड़े खरबूजे जैसे दूध से लबालब चूचों को नंगे अब्बू के आगे परोस दिया )
: या खुदा क्या कयामत हो तुम ओह्ह्ह्ह , आज तुमने मेरा दिल जीत लिया मेरी जान
: ऊहू पूरा बोलो न फूफी..जान ( अम्मी ने अपने नरम नरम चूचे उनके आगे सहलाए और इधर मेरी हालत और खराब हो गई, अम्मी का ये रूप मेरी समझ और सोच के दायरे के बाहर की चीज थी । उसपे से अब्बू भी अपनी सगी फूफी के चूतड़ों के दीवाने निकले )
: ओह्ह्ह्ह नगमा फूफी ( अब्बू सिहर उठे )
: हम्म्म बेटा बोलो न ( अम्मी ने भी कसमसा कर अब्बू के आगे अपने दोनों चूचे मसल दिए
: ओह्ह्ह मेरी प्यारी फूफी मुझे मेरे नाम से बुलाओ न ( अब्बू अपना लंड सहलाते हुए बोले )
: क्या धत्त नहीं , नाम नही ले सकती मै आप मेरे शौहर हो ( अगले ही पल अम्मी अपने घरेलू रूप में लौट आई और मुस्कुराने लगी )
: अच्छा बाबा मेरी इजाजत है
: ऊहू , नहीं मुझसे नहीं होगा शानू के अब्बू ( अम्मी शरमाई )
: प्लीज न मेरी प्यारी फूफी, अपने अकरम बेटे की बात मान जाओ न , देखो न आपके रसीले दूध देख कर मेरे होठ सुख रहे है पीला दो न थोड़ा दूध मुझे ( एक बार फिर अब्बू ने अम्मी को लपेटा और अम्मी ने एक गहरी सास लेते हुए अपने जोबन को मसल दिया और सिसक पड़ी)
: अह्ह्ह्ह्ह सीईईई अकरम बेटा ( अम्मी ने जैसे ही अब्बू का नाम लिया मेरा लंड एकदम से फ़नफ़नाने लगा पूरे तन बदन में सुरसुरि सी चढ़ने लगी और अब्बू अपने पैर टाइट कर लंड को भींचने लगे । )
: हा फूफी जां, कहो न
: और क्या मन करता है आपका अपनी फूफी को देख कर ( अम्मी लगातार अपने चूचे हाथों से सहलाये जा रही थी , एक मादक भी कसमसाहट सी उठ रही थी उनकी आवाज में मानो वो किसी नशे में हल्के हल्के उतर रही हो )
: अह्ह्ह्ह्ह मेरी सेक्सी फूफी आपको देखकर जी करता है आपके बदन से ये बुरका उतार फेकू और आपके गदराए जिस्म को देखते हुए अपना लंड हिलाऊ ( अब्बू ने अपने जज्बात जाहिर करते हुए बोले और अगले ही पल अम्मी ने अपने जिस्म से बुरका उतार दिया मगर अभी भी उनके चेहरे से नकाब नहीं उतरा था )
: लो अकरम बेटा, निहार लो अपनी नगमा फूफी को उम्मम्म इन रसभरे फूले हुए चूचे के लिए ही तुम तरसते हो न ( अम्मी पूरी नंगी होकर अब्बू के आगे अपने तने हुए निप्पलों वाले गोरे गोरे चूचे दिखाते हुए बोली )
: अह्ह्ह्ह हा फूफी मै तो आपकी चूचियों का दीवाना हु , आपके थन जैसे मोटे मोटे चूचे देख कर मुंह में पानी आ जाता है अह्ह्ह्ह जी करता आपके ऊपर आकर इनको खूब चूसू ( अब्बू अपना लंड मसलते हुए बोले )
: आजाओ न बेटा लो पिलो , इनपे तो तुम्हारा ही हक है आओ न ( अम्मी अब्बू के आगे चूचे को लाती हुई बोली )
: क्या सिर्फ इन्हीं पर ही मेरा हक है फूफी आपके रसीले भोसड़े पर नहीं ( अब्बू की बातें सुन कर अम्मी ने आंखे बन्द कर गहरी गहरी सांस लेने लगी उनकी चूचियां और भी फुलने लगी )
: दिखाओ न फूफी अपना रसदार गुलाबी भोसड़ा ओह्ह्ह्ह उसे देखने के लिए देखो मेरा लंड कितना बौराया हुआ है ( अब्बू अपने लंड का सुपाड़ा कैमरे के आगे ले जाते हुए बोले , अब्बू का लाल सुपाड़ा देख कर अम्मी मचल उठी और वो बिस्तर पर लेट कर मोबाईल के आगे अपनी दोनो टांगे हवा में उठा दी और उनकी लंबी फांके वाली चूत खुल कर अब्बू के आगे से आगे आ गई । जिसे देखकर मेरे लंड की नसे टपकने लगी मैने जोरो से उसको भींच रखा था , पूरा सुपाड़ा खून से भरा हुआ जल रहा था । कभी कभी मेरा फब्बारा फूट सकता था और फूटा भी
: लो बेटा देख लो अपनी फूफी का भोसड़ा अह्ह्ह्ह्ह लो देखो मैं फैला रखा है ( अम्मी अपनी टांगे उठाए हुए चूत फैलाते हुए बोली और उनकी गुलाबी चौड़ी सुरंग देख कर मुझसे रहा नही गया और मेरे हाथ में ही मेरी पिचकारी छूटने लगी ।)
अम्मी के भोसडेदार गुलाबी चूत की तस्वीर मेरे जहन में बस चुकी थी मेरे दिल में अम्मी का नाम धड़क रहा था , आसपास सब कुछ एकदम से सुन्न हो गया था कुछ पल के लिए और बंद आंखो से हाथों में मेरे लंड की धार पर धार छूट रही थी ।
: क्या हुआ जानेमन ( धड़कने थमी तो पहले अब्बू की आवाज आई)
: लगता है बाहर कोई है ( अम्मी की बातें सुनकर मैं एकदम से सतर्क हो गया और जल्दी जल्दी अपना वीर्य से सना लंड अपने पेंट में घुसाने लगा )
सुबह सुबह उठ कर मै फ्रेश हो रहा था कि मेरा मोबाइल बजना शुरू हो गया । स्क्रीन पर नाम देखा तो चिढ़ सी हुई मगर बॉस तो बॉस होता है । मैने कॉल पिक की ।
: जी गुड मॉर्निंग मैम
: गुड मॉर्निंग शानू , आज ऑफिस चल रहे हो न ( बड़े खुशनुमा अंदाज में उसने कहा )
: जी मैम आना तो पड़ेगा न
: अच्छा नाश्ता कर लिया तुमने ( वो चहक कर बोली , फोन पर कुछ बर्तन की खटपट भरी आवाजें भी आ रही थी )
: जी नहीं , वो मै बस नहाने ..
: ठीक है फिर नहा कर सीधा तुम मेरे घर पर आ जाना , यही साथ नाश्ता करेंगे और ऑफिस चल चलेंगे
: ओके मैम
: जल्दी नहीं तो ब्रेकफास्ट ठंडा हो जाएगा हीहीही बाय ( वो खिलखिलाती हुई बोली और फोन कट हो गया )
मै फटाफट से नहाया और तैयार होने लगा , रोज मै नॉर्मली तैयार होता था मगर आज मेरी एक बॉडी स्प्रे पर गई और अनायास मैने उसे स्प्रे कर लिया।
तभी अलीना का फोन रिंग हुआ ।
: कैसे हो मेरी जान
: ओह्ह्ह्ह हाय उठ गई तुम , बस रेडी हो गया हु ऑफिस के लिए निकल रहा हूं
: ऑफिस ? ओ हैलो आज तुम मिलने नहीं आ रहे ( अलीना चौक कर एकदम से उखड़े हुए स्वर में बोली )
: आऊंगा न बाबू , वो रेशमा मैम ने फोन किया था उनको भी ऑफिस लेकर जाना है ( मैने झिझक भरे लहजे में बोला , इस डर में कही अलीना भड़के नहीं )
: वो डायन क्या लेगी तुम्हारा पीछा छोड़ने का हूह ( अलीना रेशमा के नाम पर चिड़चिड़ी हो गई )
: बाबू वो मेरी सीनियर है और उसकी गाड़ी आज आ जाएगी फिर मुझे नहीं आना पड़ेगा
: ये आखिरी बार है न ( उसने मुझसे कबूलवाया )
: हा मेरा बेबी आखिरी
: प्रोमिस ?
: अरे बाबू ये कैसी जिद , आपको मुझपे भरोसा नहीं है , वो मेरी सीनियर है मै कैसे उनको मना कर सकता हु ( मै उखड़ते हुए स्वर में बोला )
: हा हा ठीक है , लेकिन ध्यान रखना ब्रेकर पर स्पीड कम हो और चिपकने मत देना उसे पीछे से , नहीं तो तुम्हारी खैर नहीं समझे ( वो गुस्से में भभकती हुई बोली )
: हा मेरी मां सब जैसा तुम कहोगी वैसे करूंगा , अब निकलूं ( भीतर उबलती खीझ को मै दबाता हुआ बोला )
: ऐसे नहीं , मम्मा को किस्सी चाहिए ( उसने मुंह बनाया )
: उम्म्म्ममआआह्ह्ह्ह्ह खुश ?
: इधर भी , दूसरे वाले पर भी ।
: उम्म्माआआह अब ठीक है न
: हम्म्म लव यू ( वो फोन पर ऐसे इतराई जैसे मेरे सीने पर लोट रही हो )
: लव यू मेरा बेबी बाय
मैने फोन रखा और निकल गया फिर रेशमा मैम के फ्लैट की ओर
कुछ देर दरवाजा बजाने पर वो बाहर आई
: अरे आप अभी रेडी नहीं हुई ( मैने उन्हे उलझे हुए बालों में देखा )
: बस 5 मिनट , आजा अंदर आजा
: मामी जल्दी करो , मुझे कॉलेज जाना है देर हो जाएगी ( अम्मी की सहेली वो सेठानी मेरे आगे आगे सूट सलवार में अपने कूल्हे मटकाते हुए चल रही थी )
: हा हा मुझे सब पता है क्यों लेट हो रहा है तुझे , वो पास के गांव की छोरियां आती है न उनके पीछे हॉर्न बजा कर बाइक निकाल कर हीरो गिरी करेगा और क्या ( मामी ने झल्ला कर जवाब दिया )
: क्या मामी , आपके रहते मै किसी और के पीछे हॉर्न मारूंगा ( मै हंसते हुए उनको आइने में देखा वो मुझे देख कर पूरी मुस्कुराई )
: धत्त बदमाश कही का ( वो शर्म से पूरी लाल होते हुए मुझे कंधी दिखाते हुए बोली )
: चलो न मामी बहुत देर हो गई है , आप तो वैसे भी हीरोइन लग रही हो
: आज बड़ी तारीफ हो रही है , इतना मक्खन पालिश किस लिए भाई
: अब क्या बताऊं , आज तो मेरा हॉफ डे का प्लान है और अम्मी को देखने का भी ( मै खुद से बड़बड़ाया )
: क्या हुआ इतनी जल्दी क्यों है बोल
: जी ? जी कुछ नहीं मैम वो बस लेट हो गया है तो
: अरे मै हु न , अहूजा सर से मै बात कर लूंगी ( वो रिलैक्स होते हुए बोली )
: मैम एक और बात थी ( मै हिचकते हुए बोला )
: हा बोलो ( वो अपने साइड पर्स को चेक करते हुए बोली )
: मैम वो .... वो आज आप .... ( मै उनको देखे जा रहा था जींस कुर्ती में गजब कहर ढा रही थी , कूल्हे कुर्ती ऊपर तक टंगी थी और गाड़ बाहर की ओर निकली हुई जिसपे चुस्त लेगी के जैसे जींस जांघों पर कसी हुई थी । देख कर ही ईमान डोल जाए । )
: क्या ? ऐसे क्या देख रहे हो ? बोलो न ? ( वो थोड़े शर्माती हुई अपने बालों को कान के पास उलझाने लगी )
: मैम वो मुझे आज हॉफ डे चाहिए था तो क्या आप आहूजा सर से .... प्लीज
वो इतराते हुए मुस्कुराने लगी और मैं उलझने लगा । हम नीचे आ गए और मै बाइक स्टार्ट कर चुका था वो मेरे पास बैठ गई थी , उनका एक हाथ मेरे कंधे पर था । मै भीतर से सिहर रहा था , मानो रेशमा मैम की मुलायम उंगलियों से शिमला की सर्दी मेरे पूरे जिस्म में उतर रही थी। मगर मन उलझा हुआ था क्योंकि अभी तक उन्होंने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया था ।
: आप कुछ बोली नहीं मैम
: किस बारे में ( वो रियर मिरर में मुझे मुस्कुरा कर देखते हुए बोली )
: वो अहूजा सर से बात करने के लिए, आज हॉफ डे चाहिए था ( मै लगभग उखड़े मन से बोला , मुझे पसंद नहीं आ रहा था कि रेशमा मैम को दुबारा से इस छोटी सी बात के लिए सिफारिश करना )
: कॉफी पीने आना पड़ेगा मेरे यहां
: जी ? ( मै खिल उठा एकदम से उनकी बातों का मतलब समझ कर और गाड़ी रेस कर दी )
: अरे अरे आराम से चला , लेकर भागेगा क्या मुझे
: आपको लेकर भागने में मेरा क्या फायदा होगा ?
: अरे बिना खर्चे के इतनी सुंदर लुगाई मिल जाएगी और चाहिए तुझे
: फिर भी मेरा घाटा ही होगा ?
: वो कैसे ? ( मामी चौकी )
: इतना मेकअप का खर्चा मेरे बस का नहीं है बाबा हिहिहीही ( मै बाइक चलाते हुए जोर से खिलखिलाया )
: धत्त कामिना कही का ( लजाते हुए वो हस्ते हुए एक हल्का सा मुक्का मेरे कंधे पर मारी और मैं भी हसने लगा )
: हम्म्म लो आ गया आपका स्टॉप
: ठीक है अब सीधे कालेज जाना इधर उधर मस्ती करने मत निकल जाना ( वो मुझे हिदायत देते हुए बोली और आगे बढ़ गई )
उन्हें मटकते कूल्हे देख कर मैने खड़े खड़े ही बाइक पर हॉर्न बजाया और वो घूम कर मुझे हंसता हुआ देख कर हस दी और वापस जाने का इशारा किया ।
मै भी बाइक लेकर कालेज के लिए निकल गया ।
घड़ी की सुइयां मानो आज रेंग रही थी
मेरी टेबल से आहूजा सर के केबिन का दरवाजा थोड़ी सी कुर्सी इधर उधर सरका कर देखा जा सकता था ।
केबिन में फैन की हवा से दरबाजे का कर्टन हिल रहा था । उन हिलते हुए पर्दो और दरवाजे के गेट के गैप से हल्की फुल्की झलक मुझे रह रह कर दिखती।
उंगलियां जो रेशमा मैम के फाइल पर घूम रही थी , साफ नजर आ रहा था कि आहूजा कुछ डिमांड ही कर रहा है उनसे और रेशमा मैम की नजरो ने परदों के बीच मुझे देख लिया । मैं नजरे फेर कर अपने काम में लग गया ।
जानता था कि जितना रेशमा मैम मेरे लिए दीवानी है उतना ही हवस लिए आहूजा भी रेशमा मैम के चौड़े कूल्हे निहारता है । आहूजा के रंगीन मिजाज से ऑफिस ही नहीं आस पास के लोकल पब्लिक भी अच्छे से वाकिफ है और रेशमा मैम मेरे लिए उसे उतनी तवज्जो नहीं देती इसीलिए वो मुझसे अच्छी खासी जलन रखता है । कुछ ही देर बाद रेशमा मैम उसके केबिन से निकल कर आई और फिर मुस्कुराते हुए मुझे देखा
: एक बजे
: जी थैंक यू ( मै असहज भरी मुस्कुराहट से उनको देखा , भीतर से मुझे अच्छा महसूस नहीं हो रहा था )
ठीक एक बजे मै बाइक लेकर निकल गया ।
अजीब सी घबराहट हो रही थी मैने बाइक घर से पहले ही लगा दी थी। दिन के इस पहर में वैसे तो सब खा पी कर आराम करते है मगर आज ना जाने क्या हुआ था सब के सब मुझे ही निहार रहे थे घूर रहे थे मानो मुझे इस समय होना ही नहीं चाहिए था ।
: आज हॉफ डे था क्या शानू (चाय की दुकान पर बैठे एक काका ने तो पूछ भी लिया )
: अह नहीं नहीं काका वो बुक लेने आया हु ( मेरी बुरी तरह से फटी पड़ी थी )
: कुछ भी हो बड़े बाबू का लड़का है बहुत होनहार ( वो काका अपने पास बैठे दूसरे काका से बात करते हुए बोले और मै आगे निकल गया )
उम्मीद के हिसाब से घर का चैनल बंद था अंदर से ताला लगा हुआ , ताले को देखकर मेरी सांसे और चढ़ने लगी । नीचे लंड अलग ही फड़फड़ा रहा था ।
गहरी सास भरता हुआ मैने इधर उधर देखा और मौका देख कर बिलाल ट्रेलर के बंद पड़े मकान का दरवाजा खोल कर , जो पहले ही जुआरियों और शराबियों ने तोड़ रखा हुआ था मै घुस गया ।
उमहु पेशाब और नमी की गंध से मेरे मन में उल्टी जैसा लगने लगा , ताज्जुब नहीं हुआ मुझे भीतर जाने के बाद जीने के पास मुझे वीर्य भरे कंडोम और गुटके सिगरेट के पैकेट के फेंके पड़े हुए दिखे । अजीब सी घिनघिनाहट सी हुई और मैं तेजी से ऊपर निकल गया। दो मंजिला पर आकर मैने इधर उधर देखा और मेरी नजर मेरी छत पर गई , जिसके जीने का दरबाजा मैने सुबह ही खोलकर भीड़का कर रखा हुआ था एक ईंट लगा कर ताकि अम्मी को पता न चले । एक राहत भरी मुस्कुराहट थी मगर मंजिल अभी 3 मकान दूर थी ।
बीच में जुबैदा चच्ची का मकान पीछे से एक मंजिला उसको फांदना ज्यादा रिस्की था क्योंकि जुबैदा चच्ची घर के पीछे में आंगन पूरा खुला था छत नहीं थी ।
अपने मन के इरादे फौलादी करता हुआ मैने चारदीवारी फांद कर बगल के दो छत पारकर के जुबैदा चच्ची छत पर आते ही मेरी नजर नीचे आंगन में गई और मैं फौरन फर्श पर लेट गया ।
जुबैदा चच्ची आंगन में कपड़े डाल रही थी और वो बाल्टी से झुकझुक कर कपड़े निकाल रही थी , जब वो फिर से कपड़े निकालने को हुईं मै झुके हुए ही तेजी से उनकी छत को दौड़ कर पार करता हुआ एक ही जंप में उनकी चारदीवारी कूद कर सीधा अपने छत पर आ गया
5 मिनट तक मै खुद की सास संभालता रहा और कोई मुझे मुहल्ले का देखे नहीं इसीलिए मै नीचे बैठे हुए ही घुटने के बल चलता हुआ दरवाजे तक आया और ईंट हटा कर होले से दरवाजा खोला और धीरे से जीने से नीचे उतर गया ।
पूरे घर में एक चुप्पी सी थी और उस एक चुप सन्नाटे में अम्मी की हल्की फुल्की आवाजों में खनक भरी हंसी की किलकारियां शामिल थी ।
जूते मैने ऊपर ही निकाल दिए और दबे पाव सीढ़िया सरकता हुआ अपनी सांसों को थामे नीचे आने लगा ।
इधर अम्मी की आवाओ की फ्रीक्वेंसी तेज हो रही थी उधर मेरी दिल की धड़कने।
नीचे जीने पर आकर अपनी मनपसंद जगह पर रुक कर रोशनदान से अम्मी के कमरे में झांका तो दिल गदगद हो गया ।
पूरा घर बंद करने के बाद भी अम्मी को ना जाने क्या डर कि कमरे का दरवाजा भिड़का रखा था ।एक तरह से मेरे लिए सही भी था ।
क्योंकि अम्मी के कमरे के दरवाजे से जीने का रास्ता बिल्कुल सामने ही था ।
मै बिल्लियों के जैसे बिना आहट के लपक कर अम्मी के कमरे के दरबाजे के पास पहुंचा। दरवाजे के महीन गैप से अपनी आंखों का फोकस बढ़ा कर कमरे का जायजा लिया तो अजीब सा लगा
पूरा घर बंद अन्दर से बंद है , कमरा भिड़का रखा और उसपे से अम्मी बुरखे में बैठी हुई भला किस्से पर्दा कर रही थी ।
अब्बू की आवाजें स्पीकर पर आ रही थी ।
: ओहो मेरी जान और कितना समय लगेगा , तुम्हारे दीदार के लिए ही आज हॉफ डे लिया है ( अब्बू की बातें सुनकर मुझे हसी आई फिर सोचा अम्मी के लिए हॉफ क्या फुल डे भी काफी नहीं पड़ता )
: बस बस मेरे सरताज आपकी कनीज आपके हुजूर में हाजिर है ( अम्मी ने मोबाइल को जो आलमारी पर सुला कर रखी थी उसको सहारे से खड़ा करती हुई बोली )
अब्बू की छोटी तस्वीर वीडियो काल पर साफ साफ नजर आ रही थी ।
: ओहो सुभानल्लाह , अब जरा रुख से नकाब हटा कर हमें अपने कनीज के रुखसार का दीदार तो कराओ
: ऊहू , आज ये हमारे रुख से ये पर्दा न हटेगा , भले पूरी कुदरत जहांपनाह के आगे बेपर्दा करना पड़ जाए ( अम्मी ने अब्बू को तड़पा और ललचाया भी , साथ मेरे लंड की हालत और बुरी होने लगी )
: अह्ह्ह्ह मेरी जान तुम्हारी बातों से मेरा दिल बेकाबू हो कर कही खो न जाए सीईईईई अह्ह्ह्ह
: तो आप मेरा ये दिल ले लीजिए न हुजूर ( अम्मी ने अपने बड़े से चूचे को अपने दोनों पंजे से दिल का शेप देते हुए बोली)
उफ्फ उधर अम्मी खेल अब्बू के दिल से रही थी और जज्बात मेरे मचल रहे थे ।
: अह्ह्ह्ह मेरी जान , तुम्हारे दिल के लिए ही मेरा दिल बैचेन हुआ जा रहा है जरा उसे रोशनी में तो ले आओ , क्यों छिपा रखी हो उसे अंधेर दरख़्तो में ( अब्बू के आवाज में अम्मी के लिए तड़प साफ साफ झलक रही थी
: इन मुलायम मखमली दरखतों ने ही तो आपकी कनीज का दिल बड़ी हिफाजत से रखा है मेरे राजा ( अम्मी ने अपने दोनों चूचों के पहाड़ के बीच उंगली फसा कर बुरके में दोनों चूचों के पहाड़ जैसे उभार बाहर निकाल दिए )
: अह्ह्ह्ह्ह क्या नायब कुदरती जोड़े है मेरी जान सीईईईई जी करता है अपनी उंगलियों को इनपर सैर करवाऊं ( अब्बू लगभग सिसकते हुए बोले और मै भी अम्मी की चूचियों का शेप देख कर लिए लार टपकाने लगा )
मगर अगले ही अम्मी ने अब्बू और मुझे दोनों को चौका दिया
: और इन पहाड़ी गुफाओं के बारे में क्या ख्याल है , इनमें सैर नहीं करेंगे हुजूर उम्मम ( अम्मी खड़ी होकर अपने भारी भरकम चूतड बुरके में मोबाइल के आगे हिलाने लगी , जिसे देख आकर मेरी हालत और खराब होने लगी , लंड का सुपाड़ा पूरा टमाटर जैसे फूल चुका था लंड पूरी तरह रॉड हुआ जा रहा था । )
: ओह्ह्ह फरीदा मेरी जान तुम्हारे ये पहाड़ जैसे ऊंचे ऊंचे चूतड देखकर मेरी तो हालत खराब हो जाती है सीईईईई इन्हें देखता हू तो किसी की यादें ताजा हो जाती है ( अब्बू की बातें सुनकर मेरा दिमाग ठनका मगर अम्मी पर इसका जरा भी असर नहीं हुआ , जैसे ये सब बातें उनके लिए नई न हो )
: किसकी मेरे सरताज , मेरे ये पहाड़ी चूतड आपको किसकी याद दिलाती है बोलो न मेरे राजा ( अम्मी मोबाईल के आगे अपने कूल्हे मटकाती हुई उन्हें बुर्के के ऊपर से अपने हाथों से सहलाती हुई अब्बू को उकसाते हुए बोली )
मेरा गला सूखने लगा और दिल की धड़कने बढ़ने लगी कि अब्बू किसका नाम लेने वाले थे , लंड में अब एक अलग ही उत्तेजना दौड़ रही थी ।
: अह्ह्ह्ह्ह जानू तुम्हे तो सब पता ही है मै किसकी बात कर रहा हु ओह्ह्ह्ह सोच कर ही मेरा अकड़ रहा है , देखो न ( अब्बू ने मोबाइल पर अपना लंड बाहर निकाल दिया और वो उसको सहला रहे थे , अम्मी अब्बू का मोटा मूसल देख कर सिहर उठी और अगले ही पल उन्होंने पीछे से अपना बुरका उठा कर आगे झुकती अपनी बड़ी सी फैली हुईं गाड़ को नंगी कर दी )
: क्या वो भी आपके आगे मेरी तरह ऐसे अपने गाड़ खोल देती है मेरे राजा उम्मम्म ( ये बोल कर अम्मी ने अपने दोनों पंजे से अपने मोटे मोटे चूतड़ों फाड़ते हुए फैला दिया , जैसे ही मेरी नजर अम्मी के गहरे भूरे गाड़ की मोटी सुराख पर गई मेरे लंड से रस की बूंदे टपक पड़ी, पूरी ताकत से मैने मेरे फड़फड़ाते लंड को पकड़ कर भींच लिया और खुद को काबू करने लगा ,मेरा दिल अब मेरे बस में नहीं था , धड़कने पूरी शिद्दत जोरो से धड़क रही थी । अम्मी के नंगे चूतड़ देख कर एक अलग ही प्यास से गला सूखने लगा )
: ओह्ह्ह्ह फरीदा मेरी जान अह्ह्ह्ह क्या मस्त चूतड़ है तेरे ओह्ह्ह्ह ( अब्बू मेरी तरह अम्मी के बड़े भड़कीले चूतड देख कर तड़प उठे )
: ऊहू आज फरीदा नहीं ( अम्मी बोली और मै भी अचरज से थम सा गया एक पल को और हाथ भी लंड को मसलते हुए रुक गए )
: फिर ? ( अब्बू ने बड़ी खुमारी में सवाल किया )
: आज मै आपकी नगमा फूफी हु ( ये बोलते हुए अम्मी ने अपने आगे से बुरखे को हटाया और अपने दोनों बड़े बड़े खरबूजे जैसे दूध से लबालब चूचों को नंगे अब्बू के आगे परोस दिया )
: या खुदा क्या कयामत हो तुम ओह्ह्ह्ह , आज तुमने मेरा दिल जीत लिया मेरी जान
: ऊहू पूरा बोलो न फूफी..जान ( अम्मी ने अपने नरम नरम चूचे उनके आगे सहलाए और इधर मेरी हालत और खराब हो गई, अम्मी का ये रूप मेरी समझ और सोच के दायरे के बाहर की चीज थी । उसपे से अब्बू भी अपनी सगी फूफी के चूतड़ों के दीवाने निकले )
: ओह्ह्ह्ह नगमा फूफी ( अब्बू सिहर उठे )
: हम्म्म बेटा बोलो न ( अम्मी ने भी कसमसा कर अब्बू के आगे अपने दोनों चूचे मसल दिए
: ओह्ह्ह मेरी प्यारी फूफी मुझे मेरे नाम से बुलाओ न ( अब्बू अपना लंड सहलाते हुए बोले )
: क्या धत्त नहीं , नाम नही ले सकती मै आप मेरे शौहर हो ( अगले ही पल अम्मी अपने घरेलू रूप में लौट आई और मुस्कुराने लगी )
: अच्छा बाबा मेरी इजाजत है
: ऊहू , नहीं मुझसे नहीं होगा शानू के अब्बू ( अम्मी शरमाई )
: प्लीज न मेरी प्यारी फूफी, अपने अकरम बेटे की बात मान जाओ न , देखो न आपके रसीले दूध देख कर मेरे होठ सुख रहे है पीला दो न थोड़ा दूध मुझे ( एक बार फिर अब्बू ने अम्मी को लपेटा और अम्मी ने एक गहरी सास लेते हुए अपने जोबन को मसल दिया और सिसक पड़ी)
: अह्ह्ह्ह्ह सीईईई अकरम बेटा ( अम्मी ने जैसे ही अब्बू का नाम लिया मेरा लंड एकदम से फ़नफ़नाने लगा पूरे तन बदन में सुरसुरि सी चढ़ने लगी और अब्बू अपने पैर टाइट कर लंड को भींचने लगे । )
: हा फूफी जां, कहो न
: और क्या मन करता है आपका अपनी फूफी को देख कर ( अम्मी लगातार अपने चूचे हाथों से सहलाये जा रही थी , एक मादक भी कसमसाहट सी उठ रही थी उनकी आवाज में मानो वो किसी नशे में हल्के हल्के उतर रही हो )
: अह्ह्ह्ह्ह मेरी सेक्सी फूफी आपको देखकर जी करता है आपके बदन से ये बुरका उतार फेकू और आपके गदराए जिस्म को देखते हुए अपना लंड हिलाऊ ( अब्बू ने अपने जज्बात जाहिर करते हुए बोले और अगले ही पल अम्मी ने अपने जिस्म से बुरका उतार दिया मगर अभी भी उनके चेहरे से नकाब नहीं उतरा था )
: लो अकरम बेटा, निहार लो अपनी नगमा फूफी को उम्मम्म इन रसभरे फूले हुए चूचे के लिए ही तुम तरसते हो न ( अम्मी पूरी नंगी होकर अब्बू के आगे अपने तने हुए निप्पलों वाले गोरे गोरे चूचे दिखाते हुए बोली )
: अह्ह्ह्ह हा फूफी मै तो आपकी चूचियों का दीवाना हु , आपके थन जैसे मोटे मोटे चूचे देख कर मुंह में पानी आ जाता है अह्ह्ह्ह जी करता आपके ऊपर आकर इनको खूब चूसू ( अब्बू अपना लंड मसलते हुए बोले )
: आजाओ न बेटा लो पिलो , इनपे तो तुम्हारा ही हक है आओ न ( अम्मी अब्बू के आगे चूचे को लाती हुई बोली )
: क्या सिर्फ इन्हीं पर ही मेरा हक है फूफी आपके रसीले भोसड़े पर नहीं ( अब्बू की बातें सुन कर अम्मी ने आंखे बन्द कर गहरी गहरी सांस लेने लगी उनकी चूचियां और भी फुलने लगी )
: दिखाओ न फूफी अपना रसदार गुलाबी भोसड़ा ओह्ह्ह्ह उसे देखने के लिए देखो मेरा लंड कितना बौराया हुआ है ( अब्बू अपने लंड का सुपाड़ा कैमरे के आगे ले जाते हुए बोले , अब्बू का लाल सुपाड़ा देख कर अम्मी मचल उठी और वो बिस्तर पर लेट कर मोबाईल के आगे अपनी दोनो टांगे हवा में उठा दी और उनकी लंबी फांके वाली चूत खुल कर अब्बू के आगे से आगे आ गई । जिसे देखकर मेरे लंड की नसे टपकने लगी मैने जोरो से उसको भींच रखा था , पूरा सुपाड़ा खून से भरा हुआ जल रहा था । कभी कभी मेरा फब्बारा फूट सकता था और फूटा भी
: लो बेटा देख लो अपनी फूफी का भोसड़ा अह्ह्ह्ह्ह लो देखो मैं फैला रखा है ( अम्मी अपनी टांगे उठाए हुए चूत फैलाते हुए बोली और उनकी गुलाबी चौड़ी सुरंग देख कर मुझसे रहा नही गया और मेरे हाथ में ही मेरी पिचकारी छूटने लगी ।)
अम्मी के भोसडेदार गुलाबी चूत की तस्वीर मेरे जहन में बस चुकी थी मेरे दिल में अम्मी का नाम धड़क रहा था , आसपास सब कुछ एकदम से सुन्न हो गया था कुछ पल के लिए और बंद आंखो से हाथों में मेरे लंड की धार पर धार छूट रही थी ।
: क्या हुआ जानेमन ( धड़कने थमी तो पहले अब्बू की आवाज आई)
: लगता है बाहर कोई है ( अम्मी की बातें सुनकर मैं एकदम से सतर्क हो गया और जल्दी जल्दी अपना वीर्य से सना लंड अपने पेंट में घुसाने लगा )