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LOCATION....सरला सिंह का घर....
लता (नौकरानी) – (सरला से) माजी आप सब अकेले आए है साहिल कहा है और सुमन दीदी और कविता भी नहीं दिख रहे....
सरला – वो भी आ रहे है लता , अब तू सब छोड़ पहले जाके जल्दी से आरती की थाली ले आ आज साहिल कई सालों बाद घर वापस आ रहा है ना...
लता – तो क्या इसीलिए बाकी सब बाद में आयेगे...
सरला – हा और सुन साहिल का कमरा तैयार है ना कोई कमी तो नहीं रह गई है....
लता – नहीं माजी सब कुछ मैने पहले से तैयार कर दिया है....
रिकी (राजेश और रीना का बेटा) – (सरला से) दादी कौन आ रहा है....
सरला – (मुस्कुरा के) तेरा बड़ा भाई साहिल आ रहा है आज घर में....
रिकी – मेरा बड़ा भाई और आपने मुझे बताया नहीं गलत बात है दादी...
सरला – (मुस्कुर के) अरे मेरा बेटा तो नाराज हो गया अपनी दादी से....
रिकी – और नहीं तो क्या एक तो आपने कभी बताया नहीं मेरा बड़ा भाई भी है ऊपर से भैया आ रहे है अपने बताया नहीं नहीं तो मै भईया के लिए गिफ्ट लेके आता....
सरला – (चौक के) अच्छा क्या गिफ्ट लाते अपने भईया के लिए....
रिकी – मै क्यों बताऊं , आपको पता नहीं गिफ्ट के बारे में बताया नहीं जाता , दिया जाता है....
सरला – (मुस्कुर के) ओह हो मै तो सच में भूल ही गई थी इस बारे में....
रिकी – लेकिन मुझे तो सब याद रहता है दादी क्योंकि मै आप सब से ज्यादा समझदार हूँ...
सरला – (मुस्कुरा के) बिल्कुल सच बात है मेरे बेटे से ज्यादा होशियार कोई नहीं पूरे घर में , चलो जल्दी से तैयार हो जाओ तुम्हारे साहिल भईया थोड़ी देर में आने वाले है फिर हम सब मिल के उनकी आरती उतारेंगे....
रिकी – दादी साहिल भईया की आरती क्यों उतारनी है....
सरला – बेटा आपके साहिल भईया बाहर गए हुए थे पढ़ाई करने बचपन में आज बहुत सालों बाद पढ़ाई करके घर आ रहे है इसीलिए उनकी आरती उतारनी है ताकि किसी की नजर न लगे उनको...
रिकी – तो दादी आपने हमारी कभी आरती नहीं उतारी अगर हमें किसी की नजर लग गई तो...
इस वक्त सरला की हवेली में सुनैना , सोनम , पूनम , राजेश , अवनी , खुशी , लता और इन सबसे अलग बैठी रीना ये सब रिकी की मासूमियत भरी बाते सुन सभी मुस्कुरा रहे थे जबकि रिकी शरीर से बड़ा जरूर हो गया था लेकिन उसका दिमाग आज भी एक बच्चे की तरह था भोला भला बच्चा जिसे घर में सभी आज भी वैसे ही प्यार करते थे जैसे छोटे बच्चे से प्यार करते है फिलहाल आगे बढ़ते है....
सरला – (रिकी के सिर पे हाथ फेर के) ऐसे कैसे लगेगी किसी की नजर मेरे बच्चे को उसके हाथ पैर ना तोड़ दूं मै...
रिकी – तो दादी आज आप साहिल भईया के साथ हमारी भी नजर उतारोगे ना...
सरला – (मुस्कुरा के) हा बिल्कुल मेरे बच्चे....
उसके बाद सभी काफी देर तक इंतजार करते रहे साहिल , सुमन और कविता के आने का लेकिन नहीं आए तब....
सुनैना – (सरला से) बड़ी देर हो गई मां अभी तक आए नहीं ये लोग....
खुशी – मां देर तो लगेगी ना हमें भी तो घर आने में २ से ३ घंटे लग गए थे ना....
पूनम – वैसे भी चाची आज मौसम भी काफी खराब हो गया है हो सकता है उस तरफ बारिश हो रही हो इसीलिए देर हो रही हो उन्हें....
अवनी – मै कविता को कॉल करके पता करती हूँ...
लेकिन कॉल रिसीव नहीं होता कविता का जबकि अवनी कई बार कॉल करती है तब...
अवनी – ये कविता कॉल क्यों नहीं रिसीव कर रही है...
खुशी – (गुस्से में) ये कविता भी ना जब देखा अपना फोन साइलेंट करके रख देती है , मैं सुमन चाची को कॉल मिलती हूँ....
लेकिन सुमन का कॉल भी रिसीव नहीं होता....
खुशी – ये चाची का भी फोन रिसीव नहीं हो रहा है (सरला से) दादी आप जरा साहिल भईया को कॉल मिला के पूछिए ना...
सरला – हा एक मिनिट मै करती हु....
लेकिन साहिल का भी कॉल रिसीव नहीं होता जिसके बाद....
सरला – कमाल है साहिल भी रिसीव नहीं कर रहा कॉल मेरी....
सुनैना – मां हो सकता है इन लोगों ने अपना फोन बैग में रखा होगा शायद इसलिए कॉल रिसीव नहीं कर पा रहा हो....
अवनी – तीनों ने अपना फोन बैग में रखा होगा क्या मां ऐसा जरूरी तो नहीं....
सरला – मै रामू को फोन करती हूं....
लेकिन उसका फोन मिलता ही नहीं है तब....
सरल – रामू का फोन मिल ही नहीं रहा है , सब लोग ठीक तो है ना वहां पर....
राजेश – (सरला के कंधे पर हाथ रख के) मा तुम परेशान मत हो सब ठीक होगे मैं अभी धीरेन्द्र मामा से बात कर पता करता हूं....
बोल राजेश तुरंत धीरेन्द्र को कॉल करता है....
धीरेन्द्र – (कॉल रिसीव करके) हा राजेश....
राजेश – मामा जी वहां से साहिल , सुमन और कविता निकले नहीं है क्या अभी....
धीरेन्द्र – बेटा उन्हें निकले कई घंटों हो गए है....
राजेश – (चौक के) लेकिन वो लोग यहां अभी तक आए नहीं....
धीरेन्द्र – बेटा बात ऐसी है कि वो सब दिन में निकल गए थे (उसके बाद जो हुआ राजेश को सब बता दिया) राघव भी थोड़ी देर पहले घर आया है ये लो उससे बात करो...
राघव को फोन देके...
राघव – भईया मै पता करने गया था पिताजी से मिली जानकारी के बाद मैं सीधा मंदिर की तरफ चला गया गांव वालो के साथ वहा जाते ही जो देखा मैने वो बहुत भयानक नजारा था....
राजेश – (हैरानी से) ऐसा क्या देखा तुमने....
राघव – भईया वहां पर मुझे ४० लोगो को लाशें मिली....
राजेश – (चौक के) क्या लेकिन कैसे और क्या हुआ था वहां पर....
राघव – ये तो पता नहीं भईया लेकिन १० लोगो की लाश सूखे कूवे में पड़ी हुई थी और बाकी के ३० लोगों की लाश मंदिर के बाहर जमीन पर पड़ी हुई थी देख के ऐसा लगता है जैसे किसी ने बड़ी बेहरमी से मारा होगा उनको....
राजेश – (राघव की बात सुन सोचते हुए) और साहिल , सुमन और कविता वो कहा है....
राघव – वो वहा पर नहीं थे भइया और नाही आपकी कार थी वहां पर , मैने गांव के बाहर का चप्पा चप्पा छान मारा लेकिन साहिल , सुमन , कविता और आपकी कार किसी गांव वाले ने नहीं देखा रस्ते से आते जाते हुए , मैं बस अभी घर आया हूँ अपनी गाड़ी लेके गांव वालो के साथ जा रहा हु ढूंढने उनको...
राजेश – (हैरानी और घबराट से) राघव तुम वहां पता करो मैं यहां से तुरंत निकलता हूँ वहां के लिए....
इससे पहले बात आगे कोई करता तभी....
लता – (सरला से) मां जी वो लोग आ गए....
लता की आवाज सुन....
राजेश – कौन आया है लता....
लता – सुमन दीदी , कविता , साहिल और उनके साथ कोई लड़की भी है....
राजेश – (लता की बात सुन खुश होके राघव से कॉल पर) रुको राघव परेशान होने की जरूरत नहीं है साहिल , सुमन और कवित आ गए है घर में...
राघव – शुक्र है भगवान का भइया , अच्छा भईया आप उनसे बात कर के पता तो करिएगा वो आए कैसे और पता चलते हो बता दीजियेगा , रामू काका के ठीक होते ही उन्हें भिजवा दूंगा शहर में....
राजेश – हा ठीक है राघव....
बोल के कॉल कट कर दिया जिसके बाद घर के सभी बाहर जाने लगे तब...
सरला – (लता से) लता आरती की थाली तो लेके आ जरा....
तभी घर के दरवाजे से सुमन , कविता , साहिल आने लगे उनके साथ एक लड़की थी तभी....
सरला – (सबको रोक के) रुको एक मिनिट जरा साहिल की आरती उतार दूं....
साहिल – आरती लेकिन दादी....
सरला – चुप कर तू बस खड़ा रह वही पर....
जिसके बाद सरला ने पहले साहिल की आरती उतारी उसके सिर पर टिका लगाया तब....
सरला – चल अब बाया पैर आगे कर अन्दर आजा...
सरला की बात सुनते ही साहिल ने वही किया साथ में सुमन , कविता और सुनंदा ने भी अन्दर आते वक्त सरला ने देखा साहिल को धीरे धीरे चलते हुए , साहिल को इस तरह से धीरे धीरे चलते देख....
सरला – (साहिल से) क्या बात है बेटा तू इस तरह धीरे धीरे क्यों चल रहा है....
सुमन – वो मां रस्ते में कुछ लोगो ने हम पर हमला कर दिया था....
हमले की बात सुन सभी हैरान परेशान हो गए तब....
सुनैना – (सुमन से) हमला कैसा हमला दीदी और किसने किया....
सुमन – पता नहीं सुनैना लेकिन एक आदमी ने साहिल की पीठ पे चाकू मारा था ये तो अच्छा हुआ कि साहिल ठीक था और फिर हम सही वक्त पर हॉस्पिटल आ गए....
राजेश – (साहिल के पास आके) तू ठीक तो है ना बेटा....
साहिल – जी मै ठीक हूँ....
सुनैना –(लड़की को देख सुमन से) ये कौन है दीदी....
सुमन – (सुनंदा को देख) इनका नाम सुनंदा है , इन्होंने ही हमारी बहुत मदद की इनकी मदद से हम सब वहां से निकल हॉस्पिटल आ गए जहां साहिल का इलाज हुआ और तू जानती है सुनैना ये हमारे ही कॉलेज में टीचर की नौकरी की लिए आई है अगर ये न मिलती तो जाने आज क्या हो जाता...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) ऐसा कुछ नहीं मेरी जगह कोई और होता तो वो भी यही करता....
सरला – (साहिल को सोफे पर बैठा के सुनंदा से हाथ जोड़ के) आपका बहुत बहुत शुक्रिया सुनंदा जी आज आपने मेरे बेटे को बचा के मुझे नई जिंदगी दी है मैं आपका ये एहसान कैसे उतारूंगी....
सुनंदा – (सरला का हाथ पकड़ के) नहीं नहीं आप हाथ मत जोड़िए मैने किसी पे कोई एहसान नहीं किया , जो भी किया मेरा फर्ज था....
सरला – फिर भी आपका बहुत बहुत शुक्रिया सुनंदा जी (साहिल के बगल में बैठ के) दर्द हो रहा है बेटा...
साहिल – हा दादी अभी भी दर्द है....
सरला – ठीक है तू चल अपने कमरे में आराम कर बाद में बाते करेंगे...
बोल के सरला उठी और साहिल का हाथ पकड़ लिया साथ ही दूसरी तरफ राजेश ने साहिल का हाथ पकड़ उसे कमरे लेके जाने लगे सभी , पीछे से सुनंदा मुस्कुरा रही थी , इस तरफ साहिल को उसके कमरे में लाके बेड में बैठा दिया....
सुमन – (सरला से) मां डॉक्टर ने साहिल को पेट के बल आराम करने को कहा है , पीट पे ज़ख्म है उसकी वजह से उसे दिक्कत ना हो....
सरला – तब तो किसी ना किसी को साहिल के साथ रुकना पड़ेगा हर वक्त....
सुमन – मां मै रुक जाती हु वैसे भी मेरा कमरा बगल में ही है....
साहिल – (सरला से) दादी किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है मै संभाल सकता हूँ खुद को....
सरला – हा हा वो सब दिख रहा है मुझे , बस चुप चाप मेरी बात सुन जब तक तू पूरी तरह से ठीक नहीं होता तब तक सुमन रहेगी तेरे साथ , और इससे आगे मैं तेरी कोई बात नहीं सुनूंगी समझा....
साहिल –(मुस्कुरा के) ठीक है मेरी प्यारी दादी जैसा आप कहो वैसा करूंगा मैं....
सुमन – मा वो सुनंदा जी इस शहर में अकेली है उन्होंने हमारे लिए इतना कुछ किया तो मैने उन्हें यहां सबके साथ रहने के लिए कहा है....
सरला – ये तो बहुत अच्छी बात है सुमन , तुमने बहुत अच्छा काम किया....
सुनंदा – अगर आपकी इजाजत हो तो क्या मैं यही साहिल के साथ रुक सकती हूँ , साथ में साहिल की देख भाल भी कर दूंगी मैं....
सरला – अरे नहीं नहीं सुनंद जी आपने इतना कुछ किया है हमारे लिए आपको और परेशानी में नहीं डालेंगे....
सुनंदा – इसमें परेशानी कैसी , टीचर की जॉब लगने से पहले मैं नर्स थी एक अस्पताल में मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी साहिल की देखभाल करने में....
सरला – सच में सुनंदा जी भगवान ने शायद आपको हमारे लिए ही भेजा है , ठीक है साहिल के ठीक होने तक आप यही रुक जाईए और सुमन का भी कमरा बगल में है वो इसमें आपका साथ देगी , उसके बाद मैं आपके लिए रूम सही करवा दूंगी....
सुनंदा – जी शुक्रिया...
सरला – (लता से) लता किसी को बोल के साहिल और सुनंदा जी का समान यहां भिजवा दे और तू खाने की तैयारी कर और साहिल का खाना कमरे में ले आना (सुनंदा से) आप भी फ्रेश हो जाइए थोड़ी देर में सब साथ में खाना खाते है...
सुमन – मां वो बाबू जी (धीरेन्द्र) ने कुछ सामान भेजा है आपके लिए....
सरला – हा तो रख दे कमरे में....
सुमन – वो मां मेरा सामान ऊपर वाले कमरे में है आप एक बार देख लेते तो....
सरला – अच्छा ठीक है चल (साहिल से) तू आराम कर मै अभी आती हु...
बोल के निकल गई सरला , सुमन के साथ , साथ में बाकी सभी सुमन के कमरे में आते ही सुमन ने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया तब...
सुमन – मां आपको एक जरूरी बात बतानी है...
सरला – क्या बात है सुमन ऐसे अचानक से...
फिर सुमन ने वो सब बता दिया जो मन्दिर में हुआ कैसे वो मन्दिर में आए कैसे साहिल पर हमला हुआ और कैसे साहिल ने सबको मारा कैसे अस्पताल में आए और वहां आते ही साहिल ने जो कहा ये सारी बात सुन...
सरला –(हैरानी से) ये कैसे हो सकता है साहिल ने सबको मारा और उसे ही याद नहीं....
सुमन – मां अगर उस वक्त आप भी साहिल का वो रूप देखते शायद आपको भी यकीन नहीं होता , मां जिस रात रनवीर ने लाला का बेटा और उसके भाई और दोनों बेटो को मारा था उससे भी ज़्यादा भयानक मंजर था आज का जब साहिल उन सभी को बेहरमी से मार रहा था...
सरला – हम्ममम फर्क बस इतना सा है उस रात रनवीर ने तुझे बचाया था और आज साहिल ने तुझे और कविता को बचाया , उस वक्त वो सिर्फ चार थे और आज उससे ज्यादा , लेकिन एक बात समझ नहीं आई किसकी इतनी हिम्मत हो गई जिसने हमारे खानदान की तरफ आंख उठा के देखा होगा....
सुमन – मुझे ठीक से याद नहीं मां वो आदमी कुछ बोल तो रहा था लेकिन साहिल को उस हालत में देख मैने ध्यान नहीं दिया उसकी कही किसी बात पर....
सरला – शुक्र है ऊपर वाले का उसने कुछ भी गलत नहीं होने दिया मेरे परिवार के साथ , खेर मै मौका देख के साहिल से बात करूंगी इस बारे में , खेर वहां जो हुआ तुम इस बारे में किसी से बात मत करना , अब तुम भी फ्रेश हो जाओ खाना खा के आराम कर लो तुम्हे साहिल का भी ध्यान रखना है...
सुमन – जी मां....
इधर ये दोनों बात कर रहे थे वहीं साहिल के कमरे में...
सुनंदा – (साहिल से) तुम्हारा कमरा बहुत सुंदर है....
साहिल – हम्ममम मै भी देख रहा हूँ आज पहली बार इस कमरे को....
सुनंदा – पहली बार ऐसा क्यों बोल रहे हो तुम....
साहिल – (मुस्कुरा के) सच ही तो बोल रहा हूँ ८ से ९ साल बाद आया हूँ इस घर में सब कुछ बदल चुका है यहां पर....
लता – (अपने साथ दोनों का समान कमरे में लाते हुए) हा साहिल बाबा बदला काफी कुछ है इस घर में आपका ये कमरा आपके जाने के बाद अभी खुला है....
साहिल – (लता से) आप कौन है और मेरे नाम के साथ बाबा....
लता – (मुस्कुरा के) आपने मुझे पहचाना नहीं शायद मेरा नाम लता है मै यहां काम करती हूँ , बचपन में आप मेरे साथ बहुत खेलते थे , मै आपको साहिल बाबा बुलाती थी , आपको याद नहीं....
साहिल – (मुस्कुरा के) यहां से जाने के बाद कुछ समय के लिए हर किसी को बहुत याद करता था , और फिर दादी के सिवा सबको भूल गया मै बस याद रही तो सिर्फ एक बात की कभी वापस नहीं आऊंगा यहां पर मैं....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) एक न एक दिन तो सभी को लौट के आना ही होता है साहिल शायद यही वक्त था तुम्हारे लौटने का वापस अपने घर पर...
साहिल – हम्ममम शायद कुछ वक्त के लिए बस....
लता – ऐसा क्यों बोल रहे हो आप बाबा अब आप कही नहीं जाओगे यही रहोगे हमेशा के लिए....
साहिल – (मुस्कुरा के) देखते है कितना वक्त लगता है इस बार , खेर आप मेरा खाना रहने देना मेरी इच्छा नहीं है खाने की....
सुनंदा – (बीच में लता से) आप एक काम करो खाना लेके आओ मै खिला दूंगी साहिल को....
लता – जी ठीक है....
बोल साहिल को एक बार देख के बाहर जाने लगी , कमरे के बाहर आके...
लता – (अपने मन में – क्या हुआ है साहिल बाबा को इतने सालों बाद आज घर आए है और आते ही , लगता है दादी के कहने से आए है घर में वर्ना बातों से यही लगता है शायद वापस ही नहीं आना चाहते थे यहां कभी , गलती तो साहिल को भी नहीं है इसमें , जो हुआ उनके साथ उसके बाद कौन आना चाहेगा उस घर में)....
सोचते हुए चली गई लता जबकि कमरे में....
साहिल – (सुनंदा से) आपने क्यों मंगवा लिया खाना मेरी सच में इच्छा नहीं है खाने की....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) हो सकता है लेकिन खाना तो खाना ही पड़ेगा तुम्हे वर्ना ठीक कैसे होगे भूल गए जख्मी हो तुम खून भी बहा है तुम्हारा इसीलिए खाना तो पड़ेगा ही....
साहिल – (मुस्कुरा के) आपने कहा था कि हम स्कूल में मिले है लेकिन आपको अपने स्कूल में मैने कभी देखा ही नहीं फिर हम कब मिले थे....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) दो साल पहले हम स्कूल की पिकनिक पर मिले थे साथ में तुम्हारा दोस्त भी था....
साहिल – आपको सच में याद है और मुझे याद ही नहीं आपके बारे में....
सुनंदा – हम्ममम जैसे तुम्हे अपनी दादी के सिवा परिवार का कोई याद नहीं शायद वैसे ही...
साहिल – काफी फर्क है दोनों बातों में....
सुनंदा – और वो क्या....
साहिल – जाने दीजिए इस बात को , मै फ्रेश होके आता हु....
सुनंदा – मै मदद करती हूँ....
साहिल – नहीं मै कर लूंगा जरूरत होगी बता दूंगा आपको....
सुनंदा – ठीक है दरवाजा बंद मत करना बस जरूरत पड़े बुला लेना....
साहिल – ठीक है....
इस तरफ कविता के कमरे में अवनी , खुशी , सोनम , पूनम बैठे बात कर रहे थे....
सोनम – (कविता से) क्या हुआ था वहां पर कैसे हुआ ये सब....
कविता – गांव में रामू काका की जगह कोई और लें आया हमें जब पूछा तो बताया उसने की रामू काका की तबियत अचानक खराब होगई इसीलिए वो आया उनकी जगह उसके बाद हम निकल गए रास्ते में उस आदमी ने रास्ता बदल लिया तब एक मंदिर में गाड़ी रोकी उसने पहले तो याद नहीं आ रहा था लेकिन बाद में याद आया कि उस मंदिर में हम पहले भी आ चुके है....
पूनम – कौन से मंदिर की बात कर रही है तू....
कविता – अरे वही जब राघव चाचा की शादी में हम गए थे एक बार तब धीरेन्द्र दादा के साथ हम गए थे घूमने उस मन्दिर में तब उन्होंने क्या कहा था याद है ना....
खुशी – हा उन्होंने कहा था कि इस मन्दिर में हमारे परिवार वालों के सिवा कोई नहीं आ सकता है और जो भी आया वो यहां के मायाजाल में फंस के पागल होके आता है....
कविता – उसी मंदिर में गए थे हम लेकिन....
अवनी – लेकिन क्या कविता....
कविता – अगर दादा जी की बात सच थी तो वहां पर वो सब कैसे आए थे और वो ड्राइव जो रामू काका की जगह आया वो कैस लेके आया हमें उस मंदिर के रस्ते में....
पूनम – कौन थे वो लोग....
कविता – पता नहीं दीदी लेकिन उन्होंने मंदिर में ही हमें घेर लिया था और शायद साहिल भाई समझ गए थे तभी वो मां और मुझे लेके जाने लगे मन्दिर से लेके तभी एक आदमी ने साहिल भाई को पीछे से चाकू मार दिया उसके बाद पता नहीं क्या हुआ दीदी मै बेहोश हो हुई थी जब होश आया तो अपने आप को कार में पाया तब साहिल भाई को हॉस्पिटल में लेके आए थे हम लोग उसके बाद यहां आ गए....
सोनम – ये तो बहुत अजीब बात है कौन हो सकता है वो जिसने ऐसा किया और सबसे बड़ी बात वो उस मन्दिर में कैसे आ गए....
इन सब बातों में उलझे हुए थे यहां पर ये पांचों जबकि नीचे हाल में उसी वक्त रनवीर आ गया आते ही....
रनवीर – (राजेश से मिला जो अपनी सोच में डूबा बैठा था सोफे पर जिसे रनवीर के आने का पता नहीं चला तब) क्या हुआ भैया आप यहां क्यों बैठो हो....
अपने सामने रनबीर को देख उसे सारी बात बताता है तब....
रनवीर – (चौक के) क्या ये सब कैसे और सुमन और कविता कैसे है....
राजेश – वो ठीक है कमरे में है अपने....
रनवीर – मै मिल के आता हु....
राजेश – रनवीर तुम्हे क्या लगता है कौन कर सकता है ये सब कही लाला का हाथ तो नहीं इसमें....
रनवीर – लाला नहीं हो सकता है भईया क्योंकि वो इसका अंजाम अच्छे से जानता है , ये जरूर कोई हमारा बिजनेस का दुश्मन होगा जिसने ये बेवकूफी की होगी वरना आप खुद सोचो भईया भला मंदिर में कैस जा सकता है कोई तभी तो मारे गए सब के सब....
राजेश – हम्ममम तुम ठीक कह रहे हो रनवीर....
बोल के रनवीर जैस ही अपने कमरे में गया वहां सुमन को ना पाके बाहर आया आते ही....
रनवीर – भईया अपने सुमन को देखा कमरे में नहीं है वो....
राजेश – अरे हा मै बताना भूल गया वो ऊपर साहिल के कमरे में है....
रनवीर – वो यहां पर...
राजेश – हा मा के कहने पर आया है , देखो रनवीर वो बेटा है हमारे घर का तुम उसे पसंद नहीं करते हो ये जानता हु मैं , तो प्लीज ऐसा कुछ मत करना जिससे मां को तकलीफ हो....
रनवीर – ये जानते हुए भी कि उसने क्या किया है....
राजेश – भूल जाओ उस बात को रनवीर सिर्फ आज में जीना सीखो बस...
रनवीर – मै कभी नहीं भूल सकता हु उस बात को भईया भले आप भूल जाओ....
बोल के रनवीर ऊपर कमरे की तरफ जाने लगा साहिल के कमरे में आके जहां साहिल बाथरूम में बाहर आ रहा था वही बेड में सुनंदा बैठी थी तभी....
रनवीर –(कमरे में आके साहिल से) सुमन कहा है....
साहिल बिना ध्यान दिए बेड में बैठ गया....
साहिल – (सुनंदा से) ये दादी के बेटे है इनका नाम रनवीर है वही जिनकी बीवी और बेटी के साथ हम यहां आए है....
तभी रनवीर का ध्यान सुनंदा पर जाता है उसे आंखे फाड़े देखता रह जाता है जिसे सुनंदा देख लेती है साथ में साहिल भी देख लेता है तब....
साहिल – मुझे पता नहीं....
रनवीर – (चौक के) क क्या कहा....
साहिल – (मुस्कुरा के) पता नहीं कहा है आपकी बीवी....
रनवीर – (सुनंदा से) आप कौन है....
सुनंदा – मेरे नाम सुनंदा है , सुमन लेके आई है मुझ यहां पर....
रनवीर – हम्ममम ठीक है (साहिल से) यहां पर अपनी हद में रहना तुम समझे....
साहिल – आप ये बात दादी मा के सामने कहिएगा और ज्यादा दिक्कत हो तो दादी से मना कर दीजियेगा....
बात सुन रनवीर कमरे में बाहर चला गया तभी उसने ध्यान दिया कि बगल वाला कमरा खुले आ हुआ है वहा जाके देखा तो सुमन और सरला आपस में बात कर रही थी तब....
रनवीर – (कमरे में आके सुमन से) तुम यहां क्या कर रही हो मुझे लगा अपने कमरे में होगी...
सुमन – अपने ही कमरे में हूँ मैं....
रनवीर – क्या मतलब , ये तुम्हारा कमरा कैसे वो तो नीचे है....
सुमन – नहीं ये है अब से मेरा कमरा....
रनवीर – ये कैसी बाते कर रही हो तुम सुमन अपना कमरा छोड़ के इस कमरे में अकेले क्यों....
सुमन – अकेले कहा हूँ साहिल है बगल के कमरे में और कविता का भी कमरा है....
रनवीर – मतलब साहिल की वजह से तुम यहां पर....
सुमन – हा ताकि साहिल के करीब रह सकू....
रनवीर – जब से गांव में मिली हो उससे जाने तब से क्या हो गया है तुम्हे इतने सालों तक तो जिसके बारे में सोचा नहीं आज अचानक उसके करीब रहने की बात कर रही हो....
सुमन – अकल पे पर्दा था मेरे जो सच और झूठ में फर्क नहीं कर पाई , सबकी तरह करती गई गलती पर गलती....
रनवीर – (बात न समझ के) क्या मतलब है तुम्हारा....
सुमन – मतलब साफ है गलती को सुधारना चाहती हूँ मैं और वैसे भी बारह सालों से कौन सा घर में रहते आए हो , आपको तो घर में बाहर रहने में मजा आने लगा है बारह सालों में....
रनवीर – (मुस्कुरा के) ओह तो ये बात है इतने वक्त से तुम्हे मै वक्त नहीं दे पाया , हा मानता हूँ सुमन काम की वजह से मुझ कई बार घर के बाहर रहना पड़ता रहा है लेकिन मै वादा करता हूं अब ऐसा बिल्कुल नहीं होगा काम के साथ घर पर भी वक्त दूंगा मै चलो अब अपने कमरे में....
सुमन – अब यही मेरा कमरा है और मुझे किसी भी तरह साहिल के करीब रहना है.....
रनवीर – वो तो तुम अपने कमरे में रह कर भी रह सकती हो करीब उसके , रह तो रहा है ना वो इस घर में....
सुमन – नहीं वो जख्मी है अभी , उसे कभी भी जरूरत पड़ सकती है मेरी इसीलिए इस कमरे में रहूंगी....
रनवीर – ठीक है उसके ठीक होते ही आजाना तुम....
सुमन – तब की तब देखेंगे....
रनवीर – (कुछ पल सुमन को गौर से देखता है तब) ठीक है....
बोल के निकल जाता है रनवीर कमरे से तब....
सरला – बहुत जिद्दी है रनवीर मानेगा नहीं....
सुमन –(मुस्कुरा के) साहिल से ज्यादा नहीं है मां , लेकिन मैं भी हार नहीं मानने वाली हूँ....
सरला – वो तू देख ले , चल फ्रेश होके खान के लिए आजा नीचे मैं साहिल के पास जा रही हूँ....
बोल के सरला निकल गई साहिल के कमरे में , इधर साहिल बेड में बैठा कुछ सोच रहा था सुनंदा फ्रेश होने गई थी बाथरूम में तभी....
साहिल – (मन में सोचते हुए – इतना कुछ होगया आज और अच्छा हुआ सेमेंथा ने नहीं देखा वर्ना....
इससे पहले साहिल आगे कुछ बोलता तभी....
सेमेंथा – वर्ना क्या साहिल....
साहिल – (चौक के) तुम यहां पर कैसे....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) मैने कहा था ना तुमसे जब भी तुम मुझे याद करोगे या पुकारोगे अपने पास पाओगे....
साहिल – (अपने सिर में हाथ रख के) अरे हा यार मै सच में भूल गया था एक्सीडेंट के चक्कर में....
सेमेंथा – (हैरान होके) एक्सीडेंट , किसका एक्सीडेंट साहिल....
साहिल – (घबरा के) क क किसी का नहीं हुआ मै तो तो ऐसे ही ही बो बोला मै....
सेमेंथा – (साहिल को घूर के देखते हुए) सच सच बताओ साहिल बात क्या है....
साहिल – (मन्दिर में कैसे उसे चाकू मारा पीठ में ये बात बता के) उसके बाद मै बेहोश हो गया जब होश आया तो हॉस्पिटल में था....
सेमेंथा – (साहिल के पास आके) और तुमने मुझे बुलाया तक नहीं एक बार याद तो कर सकते थे न (दूसरी तरफ सिर घुमा के) शायद तुमने मुझे कभी अपना समझा ही नहीं साहिल , मै ही पागल थी....
साहिल – (सेमेंथा का हाथ पकड़ के) तुम्हे नहीं लगता तुम कुछ ज्यादा ही सोच रही हो....
सेमेंथा – सही तो सोच रही हूँ मैं....
साहिल – (सेमेंथा को गले लगाते हुए) जिसको कहो उसकी कसम खा के बोलने को तैयार हु मैं , ये सब इतनी जल्दी में हुआ मुझे मौका ही नहीं मिला कुछ भी सोचने का....
साहिल की बात सुन जोर से गले लगती है जिससे साहिल को पीठ में दर्द होता है....
साहिल – (दर्द में) आआआहह....
सेमेंथा – (चौक के) क्या हुआ तुम्हे....
साहिल – कितने जोर से गले लगी हो पीठ में दर्द हो रहा है....
सेमेंथा – सौरी माफ करना मुझे ध्यान नहीं रहा....
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) देखा इसी तरह मुझे भी ध्यान नहीं रहा था....
सेमेंथा – (हाथ से चुटकी बजा के) आगे से मै हर वक्त साथ रहूंगी तुम्हारे....
साहिल – वो तो ठीक है लेकिन अभी तुमने क्या किया चुटकी बजा के.....
सेमेंथा – कुछ खास नहीं तुम्हारा ज़ख्म सही कर दिया....
साहिल – (चौक के) ये क्या किया तुमने....
सेमेंथा – ऐसा क्यों बोल रहे हो....
साहिल – तुम भूल रही हो सेमेंथा मै अब अकेला नहीं हूँ इस घर में सबको पता है मेरे ज़ख्म के बारे में क्या जवाब दूंगा मै उनको....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) मैने तुम्हारा ज़ख्म सही किया है सिर्फ , ज़ख्म वही का वही है अभी भी बस तुम्हे अब तकलीफ नहीं होगी और न दर्द....
साहिल –(मुस्कुरा के) तुमने तो सच में मुझे डरा दिया था....
इससे पहले कोई कुछ बोलता तभी बाथरूम से कुछ गिरने की आवाज आती है जिसे सुन....
सेमेंथा –(आवाज सुन के) कौन है वहां पर....
साहिल – मै बताना भूल गया वो औरत जो हॉस्पिटल में लेके आई थी हमलोग को ये वही है कॉलेज में टीचर के लिए आई है और वो सुमन ने इसे यही रहने को बोला है....
साहिल ने इतना बोला था तभी बाथरूम का दरवाजा खुला वहां से सुनंदा बाहर निकली तभी सेमेंथा गौर से देखने लगी सुनंदा को तब....
सुनंदा – (साहिल से) किस्से बाते कर रहे थे तुम कोई आया था कमरे में....
साहिल – नहीं वो मै फोन पर बात कर रहा था दोस्त से अपने....
सुनंदा – (सेमेंथा को एक नजर देख हल्का मुस्कुरा के) अच्छा ठीक है तुम खड़े क्यों हो बेड में आराम करो....
साहिल – ओह हा वो मेरा मन हो गया था इसीलिए....
ठीक उसी वक्त लता आ गई सरला के साथ खाना लेके साहिल के कमरे में इधर इन तीनों ने साहिल के कमरे में खाना खाया और बाकी के लोगों ने हाल में खान खा के चले गए कमरे में सोने तब...
सुमन – (साहिल के कमरे में आके साहिल से) मेरा कमरा बगल में है और तुम्हारे कमरे से दरवाजा लगा हुआ है , जो खुला रहेगा , अगर कोई भी जरूरत हो तो बुला लेना....
साहिल – फिलहाल मै ठीक हु जरूरत नहीं है मुझे....
साहिल – (मुस्कुरा के) कोई बात नहीं मैं चक्कर लगाती रहूंगी बीच बीच में....
बोल के सुमन चली गई अपने कमरे में उसके जाते ही...
सुनंदा – (साहिल से) तुम इतना गुस्से में क्यों बात करते हो सुमन से....
साहिल – मुझे आदत नहीं किसी के सहारे की वो जबरदस्ती पीछे पड़ जाती है....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) इसे जबरदस्ती नहीं कहते साहिल इसे प्यार कहते है....
साहिल – (हस्ते हुए) प्यार वो भी ये जाने दीजिए इससे अच्छा मजाक मैने अभी तक नहीं सुना....
सुनंदा – ऐसा क्यों बोल रहे हो....
साहिल – वो मेरी कुछ नहीं लगती है इस दुनिया में मेरा अगर कोई है तो वो सिर्फ दादी और मेरा दोस्त कमल और कोई नहीं....
बोल के साहिल बेड में लेट गया दूसरी तरफ मु करके जिसे देख सुनंदा हल्का मुस्कुरा रही थी जिसे सेमेंथा देख रही थी तब सुनंदा ने हवा में हल्का सा हाथ घुमाया और साहिल गहरी नींद में सो गया तब....
सुनंदा –(सेमेंथा से) कैसी हो तुम...
सेमेंथा , सुनंदा की आवाज सुन साहिल को देखने लगी तब....
सुनंदा –(मुस्कुरा के) परेशान मत हो साहिल को गहरी नींद में सुला दिया है मैने....
बात सुनते ही सेमेंथा तुरंत सुनंदा के गले लग गई तब....
सेमेंथा – मां आप वापस आ गया अपने बताया नहीं और ये सब साहिल के साथ अचानक से कैसे....
सुनंदा – सब बताऊंगी उससे पहले हमे चलना होगा मंदिर में अभी....
सेमेंथा – मंदिर में अभी क्यों मां....
सुनंदा – ऋषिवर से मिलने , बाकी वही चल के सब पता चल जाएगा चलो फिर जल्दी से वापस भी आना है हमें....
बोल के दोनों गायब हो गए वहां से और आ गए उसी मंदिर में जहां साहिल ने सबको मारा था मंदिर में आते हो सामने जगन्नाथ बाबा मिले....
सुनंदा – (जगन्नाथ बाबा से) प्रणाम ऋषिवर....
जगन्नाथ बाबा – प्रणाम देवी , बताए देवी कैसे आना हुआ....
सुनंदा – बाबा आपने तो देखा होगा आज मेरा पुत्र वापस आ गया और आते ही उसने जो किया....
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) पता है देवी हमने पहले ही ये सब देख लिया था....
सुनंदा – बाबा अब आगे क्या और कैसे करना है....
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) देवी आगे के लिए जो करना है आपको ही करना होगा आपके पुत्र की सभी शक्तियों को आपको ही उसे प्राप्त करने में सहायता करनी होगी लेकिन....
सुनंदा – लेकिन क्या बाबा...
जगन्नाथ बाबा – आपने शायद ध्यान नहीं दिया एक बात पर देवी....
सुनंदा –(हैरानी से) कौन सी बात पर ध्यान नहीं दिया मैने ऋषिवर....
जगन्नाथ बाबा – समय का चक्र वापस घुमा है....
सुनंदा – समय का चक्र , मै कुछ समझी नहीं ऋषिवर और किसके लिए घूमा समय चक्र और क्यों....
जगन्नाथ बाबा – ये सब शिव की लीला है देवी , एक मां की अधूरी ममता उसका प्यार और बेटे का प्यार उसकी मां के प्रति जो अधूरा रह गया था उनके सच्चे प्यार के खातिर समय चक्र घूमा है आज और अब जल्द ही आपके पुत्र की भेट होने वाली है उनसे....
सुनंदा – परन्तु ऋषिवर इस बात का हमसे क्या ताल्लुख है....
जगन्नाथ बाबा – ताल्लुख है देवी , समय चक्र घूमने से आपके दूसरे पुत्र BD का ध्यान धरती लोक में आ चुका होगा और अब वो बिल्कुल भी चुप नहीं बैठेगा BD जरूर कोई चाल चलेगा आप तक आने की इसीलिए अब आपको और ज्यादा सावधान रहने की जरूरत पड़ेगी क्योंकि आपके पुत्र ने अपनी शक्ति अभी तक प्राप्त नहीं की है लेकिन इन सब के बाद जैसे ही आपके पुत्र ने अपनी पहली शक्ति प्राप्त की BD को समझते देर नहीं लगेगी आप धरती लोक में कहा छिपे हुए हो....
सुनंदा – तो ऋषिवर अब क्या करे हम....
जगन्नाथ बाबा – BD आपके पुत्र साहिल तक ना पहुंचे इसके लिए आपके पुत्र का उस लड़के के साथ होना जरूरी हो गया है....
सुनंदा – आखिर ऐसी क्या खासियत है उस लड़के में ऋषिवर.....
जगन्नाथ बाबा – उस लड़के पर शिव जी की कृपा है देवी उस लड़के ने अपने पूर्व जनम में कड़ी तपस्या की जिस वजह से शिव जी ने उसे वरदान के सरुप में काल भैरव दिया लेकिन उसे पूर्व जन्म में जितना उसे प्यार मिला उतनी ज़्यादा तकलीफ उसे इस जन्म में मिली छल कपट से उसकी मां को उससे दूर कर दिया गया उस लड़के ने हिम्मत न हारी अंत में वो मां आई अपने पुत्र के पास वापस लेकिन तब मृत्यु ने दूर कर दिया उस मां से उसके पुत्र को पश्चाताप की अग्नि में जलते हुए उस मा ने शिव जी के सामने गुहार लगाई तब काल भैरव ने उस मां के असीम प्रेम और उस लड़के का अपने मा के प्रति अधूरे प्रेम के खातिर काल भैरव ने समय चक्र को घुमा दिया और उस मा को एक मौका दिया ताकि इस बार पुत्र और मां का प्रेम अधूरा ना रह जाए लेकिन अब काल भैरव उस लड़के के साथ तो नहीं है लेकिन उनकी शक्ति उस लड़के के साथ है इसीलिए उस लड़के का साथ आपके पुत्र के लिए जरूरी है जिस वजह से आपके दूसरे पुत्र BD का ध्यान आपके पुत्र पर जल्दी नहीं जाएगा....
सुनंदा – ऋषिवा कौन है वो मां और वो लड़का....
जगन्नाथ बाबा – जल्द ही आपकी भेट होगी उस लड़के और उसकी मां से परन्तु याद रहे देवी इस लड़ाई में अब आप अकेले नहीं हो वो मां और बेटा का साथ भी होगा इसमें , आपको उनका पूरा साथ देना होगा देवी तभी आपकी वर्षों की तपस्या सफल होगी....
सुनंदा – जी ऋषिवर में साथ दूंगी उनका....
जगन्नाथ बाबा – अति उत्तम देवी (सेमेंथा से) सेमेंथा पुत्री.....
सेमेंथा – (हाथ जोड़ के) जी बाबा....
जगन्नाथ बाबा – पुत्री अब तुम्हे साहिल और अपनी मां (सुनंदा) का साथ देना है जैसा वो कहे वैसा करना पुत्री तभी तुम्हारे जन्म का असली मकसद पूरा होगा....
सेमेंथा – जी बाबा....
जगन्नाथ बाबा – हम्ममम अब आप प्रस्थान करे जल्द ही हमारी मुलाक़ात होगी और इस बीच कभी भी आपको जरूरत पड़े हमारी तो मन में याद करिएगा....
इसके साथ सुनंदा और सेमेंथा दोनों ने एक साथ जगन्नाथ बाबा को प्रणाम कर वहां से गायब हो कर साहिल के पास आ गए....
सेमेंथा – (सुनंदा से) अब क्या करना है मां....
सुनंदा – अब हमें जो करना है जल्दी ही करना होगा इससे पहले BD को पता चले साहिल के बारे में हमें उसे सुरक्षित करना होगा किसी तरह....
सेमेंथा – लेकिन कैसे मां....
सुनंदा – मैने उस बारे में सोच लिया है सेमेंथा अपने पुत्र को बचाने के लिए मै वो करूंगी जिसके बाद साहिल पर ध्यान गलती से भी नहीं जाएगा BD का जिसके बाद साहिल के लिए और भी आसान हो जाएगा अपनी शक्ति को प्राप्त करना....
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जारी रहेगा
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ये दोनों मां और बेटा कौन है जल्द ही इस बारे में पता चल जाएगा आप सबको बस इन्तजार कीजिए आने वाले UPDATES का
Bahut hi mast our shandar updateUPDATE 21
LOCATION....सरला सिंह का घर....
लता (नौकरानी) – (सरला से) माजी आप सब अकेले आए है साहिल कहा है और सुमन दीदी और कविता भी नहीं दिख रहे....
सरला – वो भी आ रहे है लता , अब तू सब छोड़ पहले जाके जल्दी से आरती की थाली ले आ आज साहिल कई सालों बाद घर वापस आ रहा है ना...
लता – तो क्या इसीलिए बाकी सब बाद में आयेगे...
सरला – हा और सुन साहिल का कमरा तैयार है ना कोई कमी तो नहीं रह गई है....
लता – नहीं माजी सब कुछ मैने पहले से तैयार कर दिया है....
रिकी (राजेश और रीना का बेटा) – (सरला से) दादी कौन आ रहा है....
सरला – (मुस्कुरा के) तेरा बड़ा भाई साहिल आ रहा है आज घर में....
रिकी – मेरा बड़ा भाई और आपने मुझे बताया नहीं गलत बात है दादी...
सरला – (मुस्कुर के) अरे मेरा बेटा तो नाराज हो गया अपनी दादी से....
रिकी – और नहीं तो क्या एक तो आपने कभी बताया नहीं मेरा बड़ा भाई भी है ऊपर से भैया आ रहे है अपने बताया नहीं नहीं तो मै भईया के लिए गिफ्ट लेके आता....
सरला – (चौक के) अच्छा क्या गिफ्ट लाते अपने भईया के लिए....
रिकी – मै क्यों बताऊं , आपको पता नहीं गिफ्ट के बारे में बताया नहीं जाता , दिया जाता है....
सरला – (मुस्कुर के) ओह हो मै तो सच में भूल ही गई थी इस बारे में....
रिकी – लेकिन मुझे तो सब याद रहता है दादी क्योंकि मै आप सब से ज्यादा समझदार हूँ...
सरला – (मुस्कुरा के) बिल्कुल सच बात है मेरे बेटे से ज्यादा होशियार कोई नहीं पूरे घर में , चलो जल्दी से तैयार हो जाओ तुम्हारे साहिल भईया थोड़ी देर में आने वाले है फिर हम सब मिल के उनकी आरती उतारेंगे....
रिकी – दादी साहिल भईया की आरती क्यों उतारनी है....
सरला – बेटा आपके साहिल भईया बाहर गए हुए थे पढ़ाई करने बचपन में आज बहुत सालों बाद पढ़ाई करके घर आ रहे है इसीलिए उनकी आरती उतारनी है ताकि किसी की नजर न लगे उनको...
रिकी – तो दादी आपने हमारी कभी आरती नहीं उतारी अगर हमें किसी की नजर लग गई तो...
इस वक्त सरला की हवेली में सुनैना , सोनम , पूनम , राजेश , अवनी , खुशी , लता और इन सबसे अलग बैठी रीना ये सब रिकी की मासूमियत भरी बाते सुन सभी मुस्कुरा रहे थे जबकि रिकी शरीर से बड़ा जरूर हो गया था लेकिन उसका दिमाग आज भी एक बच्चे की तरह था भोला भला बच्चा जिसे घर में सभी आज भी वैसे ही प्यार करते थे जैसे छोटे बच्चे से प्यार करते है फिलहाल आगे बढ़ते है....
सरला – (रिकी के सिर पे हाथ फेर के) ऐसे कैसे लगेगी किसी की नजर मेरे बच्चे को उसके हाथ पैर ना तोड़ दूं मै...
रिकी – तो दादी आज आप साहिल भईया के साथ हमारी भी नजर उतारोगे ना...
सरला – (मुस्कुरा के) हा बिल्कुल मेरे बच्चे....
उसके बाद सभी काफी देर तक इंतजार करते रहे साहिल , सुमन और कविता के आने का लेकिन नहीं आए तब....
सुनैना – (सरला से) बड़ी देर हो गई मां अभी तक आए नहीं ये लोग....
खुशी – मां देर तो लगेगी ना हमें भी तो घर आने में २ से ३ घंटे लग गए थे ना....
पूनम – वैसे भी चाची आज मौसम भी काफी खराब हो गया है हो सकता है उस तरफ बारिश हो रही हो इसीलिए देर हो रही हो उन्हें....
अवनी – मै कविता को कॉल करके पता करती हूँ...
लेकिन कॉल रिसीव नहीं होता कविता का जबकि अवनी कई बार कॉल करती है तब...
अवनी – ये कविता कॉल क्यों नहीं रिसीव कर रही है...
खुशी – (गुस्से में) ये कविता भी ना जब देखा अपना फोन साइलेंट करके रख देती है , मैं सुमन चाची को कॉल मिलती हूँ....
लेकिन सुमन का कॉल भी रिसीव नहीं होता....
खुशी – ये चाची का भी फोन रिसीव नहीं हो रहा है (सरला से) दादी आप जरा साहिल भईया को कॉल मिला के पूछिए ना...
सरला – हा एक मिनिट मै करती हु....
लेकिन साहिल का भी कॉल रिसीव नहीं होता जिसके बाद....
सरला – कमाल है साहिल भी रिसीव नहीं कर रहा कॉल मेरी....
सुनैना – मां हो सकता है इन लोगों ने अपना फोन बैग में रखा होगा शायद इसलिए कॉल रिसीव नहीं कर पा रहा हो....
अवनी – तीनों ने अपना फोन बैग में रखा होगा क्या मां ऐसा जरूरी तो नहीं....
सरला – मै रामू को फोन करती हूं....
लेकिन उसका फोन मिलता ही नहीं है तब....
सरल – रामू का फोन मिल ही नहीं रहा है , सब लोग ठीक तो है ना वहां पर....
राजेश – (सरला के कंधे पर हाथ रख के) मा तुम परेशान मत हो सब ठीक होगे मैं अभी धीरेन्द्र मामा से बात कर पता करता हूं....
बोल राजेश तुरंत धीरेन्द्र को कॉल करता है....
धीरेन्द्र – (कॉल रिसीव करके) हा राजेश....
राजेश – मामा जी वहां से साहिल , सुमन और कविता निकले नहीं है क्या अभी....
धीरेन्द्र – बेटा उन्हें निकले कई घंटों हो गए है....
राजेश – (चौक के) लेकिन वो लोग यहां अभी तक आए नहीं....
धीरेन्द्र – बेटा बात ऐसी है कि वो सब दिन में निकल गए थे (उसके बाद जो हुआ राजेश को सब बता दिया) राघव भी थोड़ी देर पहले घर आया है ये लो उससे बात करो...
राघव को फोन देके...
राघव – भईया मै पता करने गया था पिताजी से मिली जानकारी के बाद मैं सीधा मंदिर की तरफ चला गया गांव वालो के साथ वहा जाते ही जो देखा मैने वो बहुत भयानक नजारा था....
राजेश – (हैरानी से) ऐसा क्या देखा तुमने....
राघव – भईया वहां पर मुझे ४० लोगो को लाशें मिली....
राजेश – (चौक के) क्या लेकिन कैसे और क्या हुआ था वहां पर....
राघव – ये तो पता नहीं भईया लेकिन १० लोगो की लाश सूखे कूवे में पड़ी हुई थी और बाकी के ३० लोगों की लाश मंदिर के बाहर जमीन पर पड़ी हुई थी देख के ऐसा लगता है जैसे किसी ने बड़ी बेहरमी से मारा होगा उनको....
राजेश – (राघव की बात सुन सोचते हुए) और साहिल , सुमन और कविता वो कहा है....
राघव – वो वहा पर नहीं थे भइया और नाही आपकी कार थी वहां पर , मैने गांव के बाहर का चप्पा चप्पा छान मारा लेकिन साहिल , सुमन , कविता और आपकी कार किसी गांव वाले ने नहीं देखा रस्ते से आते जाते हुए , मैं बस अभी घर आया हूँ अपनी गाड़ी लेके गांव वालो के साथ जा रहा हु ढूंढने उनको...
राजेश – (हैरानी और घबराट से) राघव तुम वहां पता करो मैं यहां से तुरंत निकलता हूँ वहां के लिए....
इससे पहले बात आगे कोई करता तभी....
लता – (सरला से) मां जी वो लोग आ गए....
लता की आवाज सुन....
राजेश – कौन आया है लता....
लता – सुमन दीदी , कविता , साहिल और उनके साथ कोई लड़की भी है....
राजेश – (लता की बात सुन खुश होके राघव से कॉल पर) रुको राघव परेशान होने की जरूरत नहीं है साहिल , सुमन और कवित आ गए है घर में...
राघव – शुक्र है भगवान का भइया , अच्छा भईया आप उनसे बात कर के पता तो करिएगा वो आए कैसे और पता चलते हो बता दीजियेगा , रामू काका के ठीक होते ही उन्हें भिजवा दूंगा शहर में....
राजेश – हा ठीक है राघव....
बोल के कॉल कट कर दिया जिसके बाद घर के सभी बाहर जाने लगे तब...
सरला – (लता से) लता आरती की थाली तो लेके आ जरा....
तभी घर के दरवाजे से सुमन , कविता , साहिल आने लगे उनके साथ एक लड़की थी तभी....
सरला – (सबको रोक के) रुको एक मिनिट जरा साहिल की आरती उतार दूं....
साहिल – आरती लेकिन दादी....
सरला – चुप कर तू बस खड़ा रह वही पर....
जिसके बाद सरला ने पहले साहिल की आरती उतारी उसके सिर पर टिका लगाया तब....
सरला – चल अब बाया पैर आगे कर अन्दर आजा...
सरला की बात सुनते ही साहिल ने वही किया साथ में सुमन , कविता और सुनंदा ने भी अन्दर आते वक्त सरला ने देखा साहिल को धीरे धीरे चलते हुए , साहिल को इस तरह से धीरे धीरे चलते देख....
सरला – (साहिल से) क्या बात है बेटा तू इस तरह धीरे धीरे क्यों चल रहा है....
सुमन – वो मां रस्ते में कुछ लोगो ने हम पर हमला कर दिया था....
हमले की बात सुन सभी हैरान परेशान हो गए तब....
सुनैना – (सुमन से) हमला कैसा हमला दीदी और किसने किया....
सुमन – पता नहीं सुनैना लेकिन एक आदमी ने साहिल की पीठ पे चाकू मारा था ये तो अच्छा हुआ कि साहिल ठीक था और फिर हम सही वक्त पर हॉस्पिटल आ गए....
राजेश – (साहिल के पास आके) तू ठीक तो है ना बेटा....
साहिल – जी मै ठीक हूँ....
सुनैना –(लड़की को देख सुमन से) ये कौन है दीदी....
सुमन – (सुनंदा को देख) इनका नाम सुनंदा है , इन्होंने ही हमारी बहुत मदद की इनकी मदद से हम सब वहां से निकल हॉस्पिटल आ गए जहां साहिल का इलाज हुआ और तू जानती है सुनैना ये हमारे ही कॉलेज में टीचर की नौकरी की लिए आई है अगर ये न मिलती तो जाने आज क्या हो जाता...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) ऐसा कुछ नहीं मेरी जगह कोई और होता तो वो भी यही करता....
सरला – (साहिल को सोफे पर बैठा के सुनंदा से हाथ जोड़ के) आपका बहुत बहुत शुक्रिया सुनंदा जी आज आपने मेरे बेटे को बचा के मुझे नई जिंदगी दी है मैं आपका ये एहसान कैसे उतारूंगी....
सुनंदा – (सरला का हाथ पकड़ के) नहीं नहीं आप हाथ मत जोड़िए मैने किसी पे कोई एहसान नहीं किया , जो भी किया मेरा फर्ज था....
सरला – फिर भी आपका बहुत बहुत शुक्रिया सुनंदा जी (साहिल के बगल में बैठ के) दर्द हो रहा है बेटा...
साहिल – हा दादी अभी भी दर्द है....
सरला – ठीक है तू चल अपने कमरे में आराम कर बाद में बाते करेंगे...
बोल के सरला उठी और साहिल का हाथ पकड़ लिया साथ ही दूसरी तरफ राजेश ने साहिल का हाथ पकड़ उसे कमरे लेके जाने लगे सभी , पीछे से सुनंदा मुस्कुरा रही थी , इस तरफ साहिल को उसके कमरे में लाके बेड में बैठा दिया....
सुमन – (सरला से) मां डॉक्टर ने साहिल को पेट के बल आराम करने को कहा है , पीट पे ज़ख्म है उसकी वजह से उसे दिक्कत ना हो....
सरला – तब तो किसी ना किसी को साहिल के साथ रुकना पड़ेगा हर वक्त....
सुमन – मां मै रुक जाती हु वैसे भी मेरा कमरा बगल में ही है....
साहिल – (सरला से) दादी किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है मै संभाल सकता हूँ खुद को....
सरला – हा हा वो सब दिख रहा है मुझे , बस चुप चाप मेरी बात सुन जब तक तू पूरी तरह से ठीक नहीं होता तब तक सुमन रहेगी तेरे साथ , और इससे आगे मैं तेरी कोई बात नहीं सुनूंगी समझा....
साहिल –(मुस्कुरा के) ठीक है मेरी प्यारी दादी जैसा आप कहो वैसा करूंगा मैं....
सुमन – मा वो सुनंदा जी इस शहर में अकेली है उन्होंने हमारे लिए इतना कुछ किया तो मैने उन्हें यहां सबके साथ रहने के लिए कहा है....
सरला – ये तो बहुत अच्छी बात है सुमन , तुमने बहुत अच्छा काम किया....
सुनंदा – अगर आपकी इजाजत हो तो क्या मैं यही साहिल के साथ रुक सकती हूँ , साथ में साहिल की देख भाल भी कर दूंगी मैं....
सरला – अरे नहीं नहीं सुनंद जी आपने इतना कुछ किया है हमारे लिए आपको और परेशानी में नहीं डालेंगे....
सुनंदा – इसमें परेशानी कैसी , टीचर की जॉब लगने से पहले मैं नर्स थी एक अस्पताल में मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी साहिल की देखभाल करने में....
सरला – सच में सुनंदा जी भगवान ने शायद आपको हमारे लिए ही भेजा है , ठीक है साहिल के ठीक होने तक आप यही रुक जाईए और सुमन का भी कमरा बगल में है वो इसमें आपका साथ देगी , उसके बाद मैं आपके लिए रूम सही करवा दूंगी....
सुनंदा – जी शुक्रिया...
सरला – (लता से) लता किसी को बोल के साहिल और सुनंदा जी का समान यहां भिजवा दे और तू खाने की तैयारी कर और साहिल का खाना कमरे में ले आना (सुनंदा से) आप भी फ्रेश हो जाइए थोड़ी देर में सब साथ में खाना खाते है...
सुमन – मां वो बाबू जी (धीरेन्द्र) ने कुछ सामान भेजा है आपके लिए....
सरला – हा तो रख दे कमरे में....
सुमन – वो मां मेरा सामान ऊपर वाले कमरे में है आप एक बार देख लेते तो....
सरला – अच्छा ठीक है चल (साहिल से) तू आराम कर मै अभी आती हु...
बोल के निकल गई सरला , सुमन के साथ , साथ में बाकी सभी सुमन के कमरे में आते ही सुमन ने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया तब...
सुमन – मां आपको एक जरूरी बात बतानी है...
सरला – क्या बात है सुमन ऐसे अचानक से...
फिर सुमन ने वो सब बता दिया जो मन्दिर में हुआ कैसे वो मन्दिर में आए कैसे साहिल पर हमला हुआ और कैसे साहिल ने सबको मारा कैसे अस्पताल में आए और वहां आते ही साहिल ने जो कहा ये सारी बात सुन...
सरला –(हैरानी से) ये कैसे हो सकता है साहिल ने सबको मारा और उसे ही याद नहीं....
सुमन – मां अगर उस वक्त आप भी साहिल का वो रूप देखते शायद आपको भी यकीन नहीं होता , मां जिस रात रनवीर ने लाला का बेटा और उसके भाई और दोनों बेटो को मारा था उससे भी ज़्यादा भयानक मंजर था आज का जब साहिल उन सभी को बेहरमी से मार रहा था...
सरला – हम्ममम फर्क बस इतना सा है उस रात रनवीर ने तुझे बचाया था और आज साहिल ने तुझे और कविता को बचाया , उस वक्त वो सिर्फ चार थे और आज उससे ज्यादा , लेकिन एक बात समझ नहीं आई किसकी इतनी हिम्मत हो गई जिसने हमारे खानदान की तरफ आंख उठा के देखा होगा....
सुमन – मुझे ठीक से याद नहीं मां वो आदमी कुछ बोल तो रहा था लेकिन साहिल को उस हालत में देख मैने ध्यान नहीं दिया उसकी कही किसी बात पर....
सरला – शुक्र है ऊपर वाले का उसने कुछ भी गलत नहीं होने दिया मेरे परिवार के साथ , खेर मै मौका देख के साहिल से बात करूंगी इस बारे में , खेर वहां जो हुआ तुम इस बारे में किसी से बात मत करना , अब तुम भी फ्रेश हो जाओ खाना खा के आराम कर लो तुम्हे साहिल का भी ध्यान रखना है...
सुमन – जी मां....
इधर ये दोनों बात कर रहे थे वहीं साहिल के कमरे में...
सुनंदा – (साहिल से) तुम्हारा कमरा बहुत सुंदर है....
साहिल – हम्ममम मै भी देख रहा हूँ आज पहली बार इस कमरे को....
सुनंदा – पहली बार ऐसा क्यों बोल रहे हो तुम....
साहिल – (मुस्कुरा के) सच ही तो बोल रहा हूँ ८ से ९ साल बाद आया हूँ इस घर में सब कुछ बदल चुका है यहां पर....
लता – (अपने साथ दोनों का समान कमरे में लाते हुए) हा साहिल बाबा बदला काफी कुछ है इस घर में आपका ये कमरा आपके जाने के बाद अभी खुला है....
साहिल – (लता से) आप कौन है और मेरे नाम के साथ बाबा....
लता – (मुस्कुरा के) आपने मुझे पहचाना नहीं शायद मेरा नाम लता है मै यहां काम करती हूँ , बचपन में आप मेरे साथ बहुत खेलते थे , मै आपको साहिल बाबा बुलाती थी , आपको याद नहीं....
साहिल – (मुस्कुरा के) यहां से जाने के बाद कुछ समय के लिए हर किसी को बहुत याद करता था , और फिर दादी के सिवा सबको भूल गया मै बस याद रही तो सिर्फ एक बात की कभी वापस नहीं आऊंगा यहां पर मैं....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) एक न एक दिन तो सभी को लौट के आना ही होता है साहिल शायद यही वक्त था तुम्हारे लौटने का वापस अपने घर पर...
साहिल – हम्ममम शायद कुछ वक्त के लिए बस....
लता – ऐसा क्यों बोल रहे हो आप बाबा अब आप कही नहीं जाओगे यही रहोगे हमेशा के लिए....
साहिल – (मुस्कुरा के) देखते है कितना वक्त लगता है इस बार , खेर आप मेरा खाना रहने देना मेरी इच्छा नहीं है खाने की....
सुनंदा – (बीच में लता से) आप एक काम करो खाना लेके आओ मै खिला दूंगी साहिल को....
लता – जी ठीक है....
बोल साहिल को एक बार देख के बाहर जाने लगी , कमरे के बाहर आके...
लता – (अपने मन में – क्या हुआ है साहिल बाबा को इतने सालों बाद आज घर आए है और आते ही , लगता है दादी के कहने से आए है घर में वर्ना बातों से यही लगता है शायद वापस ही नहीं आना चाहते थे यहां कभी , गलती तो साहिल को भी नहीं है इसमें , जो हुआ उनके साथ उसके बाद कौन आना चाहेगा उस घर में)....
सोचते हुए चली गई लता जबकि कमरे में....
साहिल – (सुनंदा से) आपने क्यों मंगवा लिया खाना मेरी सच में इच्छा नहीं है खाने की....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) हो सकता है लेकिन खाना तो खाना ही पड़ेगा तुम्हे वर्ना ठीक कैसे होगे भूल गए जख्मी हो तुम खून भी बहा है तुम्हारा इसीलिए खाना तो पड़ेगा ही....
साहिल – (मुस्कुरा के) आपने कहा था कि हम स्कूल में मिले है लेकिन आपको अपने स्कूल में मैने कभी देखा ही नहीं फिर हम कब मिले थे....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) दो साल पहले हम स्कूल की पिकनिक पर मिले थे साथ में तुम्हारा दोस्त भी था....
साहिल – आपको सच में याद है और मुझे याद ही नहीं आपके बारे में....
सुनंदा – हम्ममम जैसे तुम्हे अपनी दादी के सिवा परिवार का कोई याद नहीं शायद वैसे ही...
साहिल – काफी फर्क है दोनों बातों में....
सुनंदा – और वो क्या....
साहिल – जाने दीजिए इस बात को , मै फ्रेश होके आता हु....
सुनंदा – मै मदद करती हूँ....
साहिल – नहीं मै कर लूंगा जरूरत होगी बता दूंगा आपको....
सुनंदा – ठीक है दरवाजा बंद मत करना बस जरूरत पड़े बुला लेना....
साहिल – ठीक है....
इस तरफ कविता के कमरे में अवनी , खुशी , सोनम , पूनम बैठे बात कर रहे थे....
सोनम – (कविता से) क्या हुआ था वहां पर कैसे हुआ ये सब....
कविता – गांव में रामू काका की जगह कोई और लें आया हमें जब पूछा तो बताया उसने की रामू काका की तबियत अचानक खराब होगई इसीलिए वो आया उनकी जगह उसके बाद हम निकल गए रास्ते में उस आदमी ने रास्ता बदल लिया तब एक मंदिर में गाड़ी रोकी उसने पहले तो याद नहीं आ रहा था लेकिन बाद में याद आया कि उस मंदिर में हम पहले भी आ चुके है....
पूनम – कौन से मंदिर की बात कर रही है तू....
कविता – अरे वही जब राघव चाचा की शादी में हम गए थे एक बार तब धीरेन्द्र दादा के साथ हम गए थे घूमने उस मन्दिर में तब उन्होंने क्या कहा था याद है ना....
खुशी – हा उन्होंने कहा था कि इस मन्दिर में हमारे परिवार वालों के सिवा कोई नहीं आ सकता है और जो भी आया वो यहां के मायाजाल में फंस के पागल होके आता है....
कविता – उसी मंदिर में गए थे हम लेकिन....
अवनी – लेकिन क्या कविता....
कविता – अगर दादा जी की बात सच थी तो वहां पर वो सब कैसे आए थे और वो ड्राइव जो रामू काका की जगह आया वो कैस लेके आया हमें उस मंदिर के रस्ते में....
पूनम – कौन थे वो लोग....
कविता – पता नहीं दीदी लेकिन उन्होंने मंदिर में ही हमें घेर लिया था और शायद साहिल भाई समझ गए थे तभी वो मां और मुझे लेके जाने लगे मन्दिर से लेके तभी एक आदमी ने साहिल भाई को पीछे से चाकू मार दिया उसके बाद पता नहीं क्या हुआ दीदी मै बेहोश हो हुई थी जब होश आया तो अपने आप को कार में पाया तब साहिल भाई को हॉस्पिटल में लेके आए थे हम लोग उसके बाद यहां आ गए....
सोनम – ये तो बहुत अजीब बात है कौन हो सकता है वो जिसने ऐसा किया और सबसे बड़ी बात वो उस मन्दिर में कैसे आ गए....
इन सब बातों में उलझे हुए थे यहां पर ये पांचों जबकि नीचे हाल में उसी वक्त रनवीर आ गया आते ही....
रनवीर – (राजेश से मिला जो अपनी सोच में डूबा बैठा था सोफे पर जिसे रनवीर के आने का पता नहीं चला तब) क्या हुआ भैया आप यहां क्यों बैठो हो....
अपने सामने रनबीर को देख उसे सारी बात बताता है तब....
रनवीर – (चौक के) क्या ये सब कैसे और सुमन और कविता कैसे है....
राजेश – वो ठीक है कमरे में है अपने....
रनवीर – मै मिल के आता हु....
राजेश – रनवीर तुम्हे क्या लगता है कौन कर सकता है ये सब कही लाला का हाथ तो नहीं इसमें....
रनवीर – लाला नहीं हो सकता है भईया क्योंकि वो इसका अंजाम अच्छे से जानता है , ये जरूर कोई हमारा बिजनेस का दुश्मन होगा जिसने ये बेवकूफी की होगी वरना आप खुद सोचो भईया भला मंदिर में कैस जा सकता है कोई तभी तो मारे गए सब के सब....
राजेश – हम्ममम तुम ठीक कह रहे हो रनवीर....
बोल के रनवीर जैस ही अपने कमरे में गया वहां सुमन को ना पाके बाहर आया आते ही....
रनवीर – भईया अपने सुमन को देखा कमरे में नहीं है वो....
राजेश – अरे हा मै बताना भूल गया वो ऊपर साहिल के कमरे में है....
रनवीर – वो यहां पर...
राजेश – हा मा के कहने पर आया है , देखो रनवीर वो बेटा है हमारे घर का तुम उसे पसंद नहीं करते हो ये जानता हु मैं , तो प्लीज ऐसा कुछ मत करना जिससे मां को तकलीफ हो....
रनवीर – ये जानते हुए भी कि उसने क्या किया है....
राजेश – भूल जाओ उस बात को रनवीर सिर्फ आज में जीना सीखो बस...
रनवीर – मै कभी नहीं भूल सकता हु उस बात को भईया भले आप भूल जाओ....
बोल के रनवीर ऊपर कमरे की तरफ जाने लगा साहिल के कमरे में आके जहां साहिल बाथरूम में बाहर आ रहा था वही बेड में सुनंदा बैठी थी तभी....
रनवीर –(कमरे में आके साहिल से) सुमन कहा है....
साहिल बिना ध्यान दिए बेड में बैठ गया....
साहिल – (सुनंदा से) ये दादी के बेटे है इनका नाम रनवीर है वही जिनकी बीवी और बेटी के साथ हम यहां आए है....
तभी रनवीर का ध्यान सुनंदा पर जाता है उसे आंखे फाड़े देखता रह जाता है जिसे सुनंदा देख लेती है साथ में साहिल भी देख लेता है तब....
साहिल – मुझे पता नहीं....
रनवीर – (चौक के) क क्या कहा....
साहिल – (मुस्कुरा के) पता नहीं कहा है आपकी बीवी....
रनवीर – (सुनंदा से) आप कौन है....
सुनंदा – मेरे नाम सुनंदा है , सुमन लेके आई है मुझ यहां पर....
रनवीर – हम्ममम ठीक है (साहिल से) यहां पर अपनी हद में रहना तुम समझे....
साहिल – आप ये बात दादी मा के सामने कहिएगा और ज्यादा दिक्कत हो तो दादी से मना कर दीजियेगा....
बात सुन रनवीर कमरे में बाहर चला गया तभी उसने ध्यान दिया कि बगल वाला कमरा खुले आ हुआ है वहा जाके देखा तो सुमन और सरला आपस में बात कर रही थी तब....
रनवीर – (कमरे में आके सुमन से) तुम यहां क्या कर रही हो मुझे लगा अपने कमरे में होगी...
सुमन – अपने ही कमरे में हूँ मैं....
रनवीर – क्या मतलब , ये तुम्हारा कमरा कैसे वो तो नीचे है....
सुमन – नहीं ये है अब से मेरा कमरा....
रनवीर – ये कैसी बाते कर रही हो तुम सुमन अपना कमरा छोड़ के इस कमरे में अकेले क्यों....
सुमन – अकेले कहा हूँ साहिल है बगल के कमरे में और कविता का भी कमरा है....
रनवीर – मतलब साहिल की वजह से तुम यहां पर....
सुमन – हा ताकि साहिल के करीब रह सकू....
रनवीर – जब से गांव में मिली हो उससे जाने तब से क्या हो गया है तुम्हे इतने सालों तक तो जिसके बारे में सोचा नहीं आज अचानक उसके करीब रहने की बात कर रही हो....
सुमन – अकल पे पर्दा था मेरे जो सच और झूठ में फर्क नहीं कर पाई , सबकी तरह करती गई गलती पर गलती....
रनवीर – (बात न समझ के) क्या मतलब है तुम्हारा....
सुमन – मतलब साफ है गलती को सुधारना चाहती हूँ मैं और वैसे भी बारह सालों से कौन सा घर में रहते आए हो , आपको तो घर में बाहर रहने में मजा आने लगा है बारह सालों में....
रनवीर – (मुस्कुरा के) ओह तो ये बात है इतने वक्त से तुम्हे मै वक्त नहीं दे पाया , हा मानता हूँ सुमन काम की वजह से मुझ कई बार घर के बाहर रहना पड़ता रहा है लेकिन मै वादा करता हूं अब ऐसा बिल्कुल नहीं होगा काम के साथ घर पर भी वक्त दूंगा मै चलो अब अपने कमरे में....
सुमन – अब यही मेरा कमरा है और मुझे किसी भी तरह साहिल के करीब रहना है.....
रनवीर – वो तो तुम अपने कमरे में रह कर भी रह सकती हो करीब उसके , रह तो रहा है ना वो इस घर में....
सुमन – नहीं वो जख्मी है अभी , उसे कभी भी जरूरत पड़ सकती है मेरी इसीलिए इस कमरे में रहूंगी....
रनवीर – ठीक है उसके ठीक होते ही आजाना तुम....
सुमन – तब की तब देखेंगे....
रनवीर – (कुछ पल सुमन को गौर से देखता है तब) ठीक है....
बोल के निकल जाता है रनवीर कमरे से तब....
सरला – बहुत जिद्दी है रनवीर मानेगा नहीं....
सुमन –(मुस्कुरा के) साहिल से ज्यादा नहीं है मां , लेकिन मैं भी हार नहीं मानने वाली हूँ....
सरला – वो तू देख ले , चल फ्रेश होके खान के लिए आजा नीचे मैं साहिल के पास जा रही हूँ....
बोल के सरला निकल गई साहिल के कमरे में , इधर साहिल बेड में बैठा कुछ सोच रहा था सुनंदा फ्रेश होने गई थी बाथरूम में तभी....
साहिल – (मन में सोचते हुए – इतना कुछ होगया आज और अच्छा हुआ सेमेंथा ने नहीं देखा वर्ना....
इससे पहले साहिल आगे कुछ बोलता तभी....
सेमेंथा – वर्ना क्या साहिल....
साहिल – (चौक के) तुम यहां पर कैसे....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) मैने कहा था ना तुमसे जब भी तुम मुझे याद करोगे या पुकारोगे अपने पास पाओगे....
साहिल – (अपने सिर में हाथ रख के) अरे हा यार मै सच में भूल गया था एक्सीडेंट के चक्कर में....
सेमेंथा – (हैरान होके) एक्सीडेंट , किसका एक्सीडेंट साहिल....
साहिल – (घबरा के) क क किसी का नहीं हुआ मै तो तो ऐसे ही ही बो बोला मै....
सेमेंथा – (साहिल को घूर के देखते हुए) सच सच बताओ साहिल बात क्या है....
साहिल – (मन्दिर में कैसे उसे चाकू मारा पीठ में ये बात बता के) उसके बाद मै बेहोश हो गया जब होश आया तो हॉस्पिटल में था....
सेमेंथा – (साहिल के पास आके) और तुमने मुझे बुलाया तक नहीं एक बार याद तो कर सकते थे न (दूसरी तरफ सिर घुमा के) शायद तुमने मुझे कभी अपना समझा ही नहीं साहिल , मै ही पागल थी....
साहिल – (सेमेंथा का हाथ पकड़ के) तुम्हे नहीं लगता तुम कुछ ज्यादा ही सोच रही हो....
सेमेंथा – सही तो सोच रही हूँ मैं....
साहिल – (सेमेंथा को गले लगाते हुए) जिसको कहो उसकी कसम खा के बोलने को तैयार हु मैं , ये सब इतनी जल्दी में हुआ मुझे मौका ही नहीं मिला कुछ भी सोचने का....
साहिल की बात सुन जोर से गले लगती है जिससे साहिल को पीठ में दर्द होता है....
साहिल – (दर्द में) आआआहह....
सेमेंथा – (चौक के) क्या हुआ तुम्हे....
साहिल – कितने जोर से गले लगी हो पीठ में दर्द हो रहा है....
सेमेंथा – सौरी माफ करना मुझे ध्यान नहीं रहा....
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) देखा इसी तरह मुझे भी ध्यान नहीं रहा था....
सेमेंथा – (हाथ से चुटकी बजा के) आगे से मै हर वक्त साथ रहूंगी तुम्हारे....
साहिल – वो तो ठीक है लेकिन अभी तुमने क्या किया चुटकी बजा के.....
सेमेंथा – कुछ खास नहीं तुम्हारा ज़ख्म सही कर दिया....
साहिल – (चौक के) ये क्या किया तुमने....
सेमेंथा – ऐसा क्यों बोल रहे हो....
साहिल – तुम भूल रही हो सेमेंथा मै अब अकेला नहीं हूँ इस घर में सबको पता है मेरे ज़ख्म के बारे में क्या जवाब दूंगा मै उनको....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) मैने तुम्हारा ज़ख्म सही किया है सिर्फ , ज़ख्म वही का वही है अभी भी बस तुम्हे अब तकलीफ नहीं होगी और न दर्द....
साहिल –(मुस्कुरा के) तुमने तो सच में मुझे डरा दिया था....
इससे पहले कोई कुछ बोलता तभी बाथरूम से कुछ गिरने की आवाज आती है जिसे सुन....
सेमेंथा –(आवाज सुन के) कौन है वहां पर....
साहिल – मै बताना भूल गया वो औरत जो हॉस्पिटल में लेके आई थी हमलोग को ये वही है कॉलेज में टीचर के लिए आई है और वो सुमन ने इसे यही रहने को बोला है....
साहिल ने इतना बोला था तभी बाथरूम का दरवाजा खुला वहां से सुनंदा बाहर निकली तभी सेमेंथा गौर से देखने लगी सुनंदा को तब....
सुनंदा – (साहिल से) किस्से बाते कर रहे थे तुम कोई आया था कमरे में....
साहिल – नहीं वो मै फोन पर बात कर रहा था दोस्त से अपने....
सुनंदा – (सेमेंथा को एक नजर देख हल्का मुस्कुरा के) अच्छा ठीक है तुम खड़े क्यों हो बेड में आराम करो....
साहिल – ओह हा वो मेरा मन हो गया था इसीलिए....
ठीक उसी वक्त लता आ गई सरला के साथ खाना लेके साहिल के कमरे में इधर इन तीनों ने साहिल के कमरे में खाना खाया और बाकी के लोगों ने हाल में खान खा के चले गए कमरे में सोने तब...
सुमन – (साहिल के कमरे में आके साहिल से) मेरा कमरा बगल में है और तुम्हारे कमरे से दरवाजा लगा हुआ है , जो खुला रहेगा , अगर कोई भी जरूरत हो तो बुला लेना....
साहिल – फिलहाल मै ठीक हु जरूरत नहीं है मुझे....
साहिल – (मुस्कुरा के) कोई बात नहीं मैं चक्कर लगाती रहूंगी बीच बीच में....
बोल के सुमन चली गई अपने कमरे में उसके जाते ही...
सुनंदा – (साहिल से) तुम इतना गुस्से में क्यों बात करते हो सुमन से....
साहिल – मुझे आदत नहीं किसी के सहारे की वो जबरदस्ती पीछे पड़ जाती है....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) इसे जबरदस्ती नहीं कहते साहिल इसे प्यार कहते है....
साहिल – (हस्ते हुए) प्यार वो भी ये जाने दीजिए इससे अच्छा मजाक मैने अभी तक नहीं सुना....
सुनंदा – ऐसा क्यों बोल रहे हो....
साहिल – वो मेरी कुछ नहीं लगती है इस दुनिया में मेरा अगर कोई है तो वो सिर्फ दादी और मेरा दोस्त कमल और कोई नहीं....
बोल के साहिल बेड में लेट गया दूसरी तरफ मु करके जिसे देख सुनंदा हल्का मुस्कुरा रही थी जिसे सेमेंथा देख रही थी तब सुनंदा ने हवा में हल्का सा हाथ घुमाया और साहिल गहरी नींद में सो गया तब....
सुनंदा –(सेमेंथा से) कैसी हो तुम...
सेमेंथा , सुनंदा की आवाज सुन साहिल को देखने लगी तब....
सुनंदा –(मुस्कुरा के) परेशान मत हो साहिल को गहरी नींद में सुला दिया है मैने....
बात सुनते ही सेमेंथा तुरंत सुनंदा के गले लग गई तब....
सेमेंथा – मां आप वापस आ गया अपने बताया नहीं और ये सब साहिल के साथ अचानक से कैसे....
सुनंदा – सब बताऊंगी उससे पहले हमे चलना होगा मंदिर में अभी....
सेमेंथा – मंदिर में अभी क्यों मां....
सुनंदा – ऋषिवर से मिलने , बाकी वही चल के सब पता चल जाएगा चलो फिर जल्दी से वापस भी आना है हमें....
बोल के दोनों गायब हो गए वहां से और आ गए उसी मंदिर में जहां साहिल ने सबको मारा था मंदिर में आते हो सामने जगन्नाथ बाबा मिले....
सुनंदा – (जगन्नाथ बाबा से) प्रणाम ऋषिवर....
जगन्नाथ बाबा – प्रणाम देवी , बताए देवी कैसे आना हुआ....
सुनंदा – बाबा आपने तो देखा होगा आज मेरा पुत्र वापस आ गया और आते ही उसने जो किया....
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) पता है देवी हमने पहले ही ये सब देख लिया था....
सुनंदा – बाबा अब आगे क्या और कैसे करना है....
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) देवी आगे के लिए जो करना है आपको ही करना होगा आपके पुत्र की सभी शक्तियों को आपको ही उसे प्राप्त करने में सहायता करनी होगी लेकिन....
सुनंदा – लेकिन क्या बाबा...
जगन्नाथ बाबा – आपने शायद ध्यान नहीं दिया एक बात पर देवी....
सुनंदा –(हैरानी से) कौन सी बात पर ध्यान नहीं दिया मैने ऋषिवर....
जगन्नाथ बाबा – समय का चक्र वापस घुमा है....
सुनंदा – समय का चक्र , मै कुछ समझी नहीं ऋषिवर और किसके लिए घूमा समय चक्र और क्यों....
जगन्नाथ बाबा – ये सब शिव की लीला है देवी , एक मां की अधूरी ममता उसका प्यार और बेटे का प्यार उसकी मां के प्रति जो अधूरा रह गया था उनके सच्चे प्यार के खातिर समय चक्र घूमा है आज और अब जल्द ही आपके पुत्र की भेट होने वाली है उनसे....
सुनंदा – परन्तु ऋषिवर इस बात का हमसे क्या ताल्लुख है....
जगन्नाथ बाबा – ताल्लुख है देवी , समय चक्र घूमने से आपके दूसरे पुत्र BD का ध्यान धरती लोक में आ चुका होगा और अब वो बिल्कुल भी चुप नहीं बैठेगा BD जरूर कोई चाल चलेगा आप तक आने की इसीलिए अब आपको और ज्यादा सावधान रहने की जरूरत पड़ेगी क्योंकि आपके पुत्र ने अपनी शक्ति अभी तक प्राप्त नहीं की है लेकिन इन सब के बाद जैसे ही आपके पुत्र ने अपनी पहली शक्ति प्राप्त की BD को समझते देर नहीं लगेगी आप धरती लोक में कहा छिपे हुए हो....
सुनंदा – तो ऋषिवर अब क्या करे हम....
जगन्नाथ बाबा – BD आपके पुत्र साहिल तक ना पहुंचे इसके लिए आपके पुत्र का उस लड़के के साथ होना जरूरी हो गया है....
सुनंदा – आखिर ऐसी क्या खासियत है उस लड़के में ऋषिवर.....
जगन्नाथ बाबा – उस लड़के पर शिव जी की कृपा है देवी उस लड़के ने अपने पूर्व जनम में कड़ी तपस्या की जिस वजह से शिव जी ने उसे वरदान के सरुप में काल भैरव दिया लेकिन उसे पूर्व जन्म में जितना उसे प्यार मिला उतनी ज़्यादा तकलीफ उसे इस जन्म में मिली छल कपट से उसकी मां को उससे दूर कर दिया गया उस लड़के ने हिम्मत न हारी अंत में वो मां आई अपने पुत्र के पास वापस लेकिन तब मृत्यु ने दूर कर दिया उस मां से उसके पुत्र को पश्चाताप की अग्नि में जलते हुए उस मा ने शिव जी के सामने गुहार लगाई तब काल भैरव ने उस मां के असीम प्रेम और उस लड़के का अपने मा के प्रति अधूरे प्रेम के खातिर काल भैरव ने समय चक्र को घुमा दिया और उस मा को एक मौका दिया ताकि इस बार पुत्र और मां का प्रेम अधूरा ना रह जाए लेकिन अब काल भैरव उस लड़के के साथ तो नहीं है लेकिन उनकी शक्ति उस लड़के के साथ है इसीलिए उस लड़के का साथ आपके पुत्र के लिए जरूरी है जिस वजह से आपके दूसरे पुत्र BD का ध्यान आपके पुत्र पर जल्दी नहीं जाएगा....
सुनंदा – ऋषिवा कौन है वो मां और वो लड़का....
जगन्नाथ बाबा – जल्द ही आपकी भेट होगी उस लड़के और उसकी मां से परन्तु याद रहे देवी इस लड़ाई में अब आप अकेले नहीं हो वो मां और बेटा का साथ भी होगा इसमें , आपको उनका पूरा साथ देना होगा देवी तभी आपकी वर्षों की तपस्या सफल होगी....
सुनंदा – जी ऋषिवर में साथ दूंगी उनका....
जगन्नाथ बाबा – अति उत्तम देवी (सेमेंथा से) सेमेंथा पुत्री.....
सेमेंथा – (हाथ जोड़ के) जी बाबा....
जगन्नाथ बाबा – पुत्री अब तुम्हे साहिल और अपनी मां (सुनंदा) का साथ देना है जैसा वो कहे वैसा करना पुत्री तभी तुम्हारे जन्म का असली मकसद पूरा होगा....
सेमेंथा – जी बाबा....
जगन्नाथ बाबा – हम्ममम अब आप प्रस्थान करे जल्द ही हमारी मुलाक़ात होगी और इस बीच कभी भी आपको जरूरत पड़े हमारी तो मन में याद करिएगा....
इसके साथ सुनंदा और सेमेंथा दोनों ने एक साथ जगन्नाथ बाबा को प्रणाम कर वहां से गायब हो कर साहिल के पास आ गए....
सेमेंथा – (सुनंदा से) अब क्या करना है मां....
सुनंदा – अब हमें जो करना है जल्दी ही करना होगा इससे पहले BD को पता चले साहिल के बारे में हमें उसे सुरक्षित करना होगा किसी तरह....
सेमेंथा – लेकिन कैसे मां....
सुनंदा – मैने उस बारे में सोच लिया है सेमेंथा अपने पुत्र को बचाने के लिए मै वो करूंगी जिसके बाद साहिल पर ध्यान गलती से भी नहीं जाएगा BD का जिसके बाद साहिल के लिए और भी आसान हो जाएगा अपनी शक्ति को प्राप्त करना....
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जारी रहेगा
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ये दोनों मां और बेटा कौन है जल्द ही इस बारे में पता चल जाएगा आप सबको बस इन्तजार कीजिए आने वाले UPDATES का
Fabulous jobUPDATE 21
LOCATION....सरला सिंह का घर....
लता (नौकरानी) – (सरला से) माजी आप सब अकेले आए है साहिल कहा है और सुमन दीदी और कविता भी नहीं दिख रहे....
सरला – वो भी आ रहे है लता , अब तू सब छोड़ पहले जाके जल्दी से आरती की थाली ले आ आज साहिल कई सालों बाद घर वापस आ रहा है ना...
लता – तो क्या इसीलिए बाकी सब बाद में आयेगे...
सरला – हा और सुन साहिल का कमरा तैयार है ना कोई कमी तो नहीं रह गई है....
लता – नहीं माजी सब कुछ मैने पहले से तैयार कर दिया है....
रिकी (राजेश और रीना का बेटा) – (सरला से) दादी कौन आ रहा है....
सरला – (मुस्कुरा के) तेरा बड़ा भाई साहिल आ रहा है आज घर में....
रिकी – मेरा बड़ा भाई और आपने मुझे बताया नहीं गलत बात है दादी...
सरला – (मुस्कुर के) अरे मेरा बेटा तो नाराज हो गया अपनी दादी से....
रिकी – और नहीं तो क्या एक तो आपने कभी बताया नहीं मेरा बड़ा भाई भी है ऊपर से भैया आ रहे है अपने बताया नहीं नहीं तो मै भईया के लिए गिफ्ट लेके आता....
सरला – (चौक के) अच्छा क्या गिफ्ट लाते अपने भईया के लिए....
रिकी – मै क्यों बताऊं , आपको पता नहीं गिफ्ट के बारे में बताया नहीं जाता , दिया जाता है....
सरला – (मुस्कुर के) ओह हो मै तो सच में भूल ही गई थी इस बारे में....
रिकी – लेकिन मुझे तो सब याद रहता है दादी क्योंकि मै आप सब से ज्यादा समझदार हूँ...
सरला – (मुस्कुरा के) बिल्कुल सच बात है मेरे बेटे से ज्यादा होशियार कोई नहीं पूरे घर में , चलो जल्दी से तैयार हो जाओ तुम्हारे साहिल भईया थोड़ी देर में आने वाले है फिर हम सब मिल के उनकी आरती उतारेंगे....
रिकी – दादी साहिल भईया की आरती क्यों उतारनी है....
सरला – बेटा आपके साहिल भईया बाहर गए हुए थे पढ़ाई करने बचपन में आज बहुत सालों बाद पढ़ाई करके घर आ रहे है इसीलिए उनकी आरती उतारनी है ताकि किसी की नजर न लगे उनको...
रिकी – तो दादी आपने हमारी कभी आरती नहीं उतारी अगर हमें किसी की नजर लग गई तो...
इस वक्त सरला की हवेली में सुनैना , सोनम , पूनम , राजेश , अवनी , खुशी , लता और इन सबसे अलग बैठी रीना ये सब रिकी की मासूमियत भरी बाते सुन सभी मुस्कुरा रहे थे जबकि रिकी शरीर से बड़ा जरूर हो गया था लेकिन उसका दिमाग आज भी एक बच्चे की तरह था भोला भला बच्चा जिसे घर में सभी आज भी वैसे ही प्यार करते थे जैसे छोटे बच्चे से प्यार करते है फिलहाल आगे बढ़ते है....
सरला – (रिकी के सिर पे हाथ फेर के) ऐसे कैसे लगेगी किसी की नजर मेरे बच्चे को उसके हाथ पैर ना तोड़ दूं मै...
रिकी – तो दादी आज आप साहिल भईया के साथ हमारी भी नजर उतारोगे ना...
सरला – (मुस्कुरा के) हा बिल्कुल मेरे बच्चे....
उसके बाद सभी काफी देर तक इंतजार करते रहे साहिल , सुमन और कविता के आने का लेकिन नहीं आए तब....
सुनैना – (सरला से) बड़ी देर हो गई मां अभी तक आए नहीं ये लोग....
खुशी – मां देर तो लगेगी ना हमें भी तो घर आने में २ से ३ घंटे लग गए थे ना....
पूनम – वैसे भी चाची आज मौसम भी काफी खराब हो गया है हो सकता है उस तरफ बारिश हो रही हो इसीलिए देर हो रही हो उन्हें....
अवनी – मै कविता को कॉल करके पता करती हूँ...
लेकिन कॉल रिसीव नहीं होता कविता का जबकि अवनी कई बार कॉल करती है तब...
अवनी – ये कविता कॉल क्यों नहीं रिसीव कर रही है...
खुशी – (गुस्से में) ये कविता भी ना जब देखा अपना फोन साइलेंट करके रख देती है , मैं सुमन चाची को कॉल मिलती हूँ....
लेकिन सुमन का कॉल भी रिसीव नहीं होता....
खुशी – ये चाची का भी फोन रिसीव नहीं हो रहा है (सरला से) दादी आप जरा साहिल भईया को कॉल मिला के पूछिए ना...
सरला – हा एक मिनिट मै करती हु....
लेकिन साहिल का भी कॉल रिसीव नहीं होता जिसके बाद....
सरला – कमाल है साहिल भी रिसीव नहीं कर रहा कॉल मेरी....
सुनैना – मां हो सकता है इन लोगों ने अपना फोन बैग में रखा होगा शायद इसलिए कॉल रिसीव नहीं कर पा रहा हो....
अवनी – तीनों ने अपना फोन बैग में रखा होगा क्या मां ऐसा जरूरी तो नहीं....
सरला – मै रामू को फोन करती हूं....
लेकिन उसका फोन मिलता ही नहीं है तब....
सरल – रामू का फोन मिल ही नहीं रहा है , सब लोग ठीक तो है ना वहां पर....
राजेश – (सरला के कंधे पर हाथ रख के) मा तुम परेशान मत हो सब ठीक होगे मैं अभी धीरेन्द्र मामा से बात कर पता करता हूं....
बोल राजेश तुरंत धीरेन्द्र को कॉल करता है....
धीरेन्द्र – (कॉल रिसीव करके) हा राजेश....
राजेश – मामा जी वहां से साहिल , सुमन और कविता निकले नहीं है क्या अभी....
धीरेन्द्र – बेटा उन्हें निकले कई घंटों हो गए है....
राजेश – (चौक के) लेकिन वो लोग यहां अभी तक आए नहीं....
धीरेन्द्र – बेटा बात ऐसी है कि वो सब दिन में निकल गए थे (उसके बाद जो हुआ राजेश को सब बता दिया) राघव भी थोड़ी देर पहले घर आया है ये लो उससे बात करो...
राघव को फोन देके...
राघव – भईया मै पता करने गया था पिताजी से मिली जानकारी के बाद मैं सीधा मंदिर की तरफ चला गया गांव वालो के साथ वहा जाते ही जो देखा मैने वो बहुत भयानक नजारा था....
राजेश – (हैरानी से) ऐसा क्या देखा तुमने....
राघव – भईया वहां पर मुझे ४० लोगो को लाशें मिली....
राजेश – (चौक के) क्या लेकिन कैसे और क्या हुआ था वहां पर....
राघव – ये तो पता नहीं भईया लेकिन १० लोगो की लाश सूखे कूवे में पड़ी हुई थी और बाकी के ३० लोगों की लाश मंदिर के बाहर जमीन पर पड़ी हुई थी देख के ऐसा लगता है जैसे किसी ने बड़ी बेहरमी से मारा होगा उनको....
राजेश – (राघव की बात सुन सोचते हुए) और साहिल , सुमन और कविता वो कहा है....
राघव – वो वहा पर नहीं थे भइया और नाही आपकी कार थी वहां पर , मैने गांव के बाहर का चप्पा चप्पा छान मारा लेकिन साहिल , सुमन , कविता और आपकी कार किसी गांव वाले ने नहीं देखा रस्ते से आते जाते हुए , मैं बस अभी घर आया हूँ अपनी गाड़ी लेके गांव वालो के साथ जा रहा हु ढूंढने उनको...
राजेश – (हैरानी और घबराट से) राघव तुम वहां पता करो मैं यहां से तुरंत निकलता हूँ वहां के लिए....
इससे पहले बात आगे कोई करता तभी....
लता – (सरला से) मां जी वो लोग आ गए....
लता की आवाज सुन....
राजेश – कौन आया है लता....
लता – सुमन दीदी , कविता , साहिल और उनके साथ कोई लड़की भी है....
राजेश – (लता की बात सुन खुश होके राघव से कॉल पर) रुको राघव परेशान होने की जरूरत नहीं है साहिल , सुमन और कवित आ गए है घर में...
राघव – शुक्र है भगवान का भइया , अच्छा भईया आप उनसे बात कर के पता तो करिएगा वो आए कैसे और पता चलते हो बता दीजियेगा , रामू काका के ठीक होते ही उन्हें भिजवा दूंगा शहर में....
राजेश – हा ठीक है राघव....
बोल के कॉल कट कर दिया जिसके बाद घर के सभी बाहर जाने लगे तब...
सरला – (लता से) लता आरती की थाली तो लेके आ जरा....
तभी घर के दरवाजे से सुमन , कविता , साहिल आने लगे उनके साथ एक लड़की थी तभी....
सरला – (सबको रोक के) रुको एक मिनिट जरा साहिल की आरती उतार दूं....
साहिल – आरती लेकिन दादी....
सरला – चुप कर तू बस खड़ा रह वही पर....
जिसके बाद सरला ने पहले साहिल की आरती उतारी उसके सिर पर टिका लगाया तब....
सरला – चल अब बाया पैर आगे कर अन्दर आजा...
सरला की बात सुनते ही साहिल ने वही किया साथ में सुमन , कविता और सुनंदा ने भी अन्दर आते वक्त सरला ने देखा साहिल को धीरे धीरे चलते हुए , साहिल को इस तरह से धीरे धीरे चलते देख....
सरला – (साहिल से) क्या बात है बेटा तू इस तरह धीरे धीरे क्यों चल रहा है....
सुमन – वो मां रस्ते में कुछ लोगो ने हम पर हमला कर दिया था....
हमले की बात सुन सभी हैरान परेशान हो गए तब....
सुनैना – (सुमन से) हमला कैसा हमला दीदी और किसने किया....
सुमन – पता नहीं सुनैना लेकिन एक आदमी ने साहिल की पीठ पे चाकू मारा था ये तो अच्छा हुआ कि साहिल ठीक था और फिर हम सही वक्त पर हॉस्पिटल आ गए....
राजेश – (साहिल के पास आके) तू ठीक तो है ना बेटा....
साहिल – जी मै ठीक हूँ....
सुनैना –(लड़की को देख सुमन से) ये कौन है दीदी....
सुमन – (सुनंदा को देख) इनका नाम सुनंदा है , इन्होंने ही हमारी बहुत मदद की इनकी मदद से हम सब वहां से निकल हॉस्पिटल आ गए जहां साहिल का इलाज हुआ और तू जानती है सुनैना ये हमारे ही कॉलेज में टीचर की नौकरी की लिए आई है अगर ये न मिलती तो जाने आज क्या हो जाता...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) ऐसा कुछ नहीं मेरी जगह कोई और होता तो वो भी यही करता....
सरला – (साहिल को सोफे पर बैठा के सुनंदा से हाथ जोड़ के) आपका बहुत बहुत शुक्रिया सुनंदा जी आज आपने मेरे बेटे को बचा के मुझे नई जिंदगी दी है मैं आपका ये एहसान कैसे उतारूंगी....
सुनंदा – (सरला का हाथ पकड़ के) नहीं नहीं आप हाथ मत जोड़िए मैने किसी पे कोई एहसान नहीं किया , जो भी किया मेरा फर्ज था....
सरला – फिर भी आपका बहुत बहुत शुक्रिया सुनंदा जी (साहिल के बगल में बैठ के) दर्द हो रहा है बेटा...
साहिल – हा दादी अभी भी दर्द है....
सरला – ठीक है तू चल अपने कमरे में आराम कर बाद में बाते करेंगे...
बोल के सरला उठी और साहिल का हाथ पकड़ लिया साथ ही दूसरी तरफ राजेश ने साहिल का हाथ पकड़ उसे कमरे लेके जाने लगे सभी , पीछे से सुनंदा मुस्कुरा रही थी , इस तरफ साहिल को उसके कमरे में लाके बेड में बैठा दिया....
सुमन – (सरला से) मां डॉक्टर ने साहिल को पेट के बल आराम करने को कहा है , पीट पे ज़ख्म है उसकी वजह से उसे दिक्कत ना हो....
सरला – तब तो किसी ना किसी को साहिल के साथ रुकना पड़ेगा हर वक्त....
सुमन – मां मै रुक जाती हु वैसे भी मेरा कमरा बगल में ही है....
साहिल – (सरला से) दादी किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है मै संभाल सकता हूँ खुद को....
सरला – हा हा वो सब दिख रहा है मुझे , बस चुप चाप मेरी बात सुन जब तक तू पूरी तरह से ठीक नहीं होता तब तक सुमन रहेगी तेरे साथ , और इससे आगे मैं तेरी कोई बात नहीं सुनूंगी समझा....
साहिल –(मुस्कुरा के) ठीक है मेरी प्यारी दादी जैसा आप कहो वैसा करूंगा मैं....
सुमन – मा वो सुनंदा जी इस शहर में अकेली है उन्होंने हमारे लिए इतना कुछ किया तो मैने उन्हें यहां सबके साथ रहने के लिए कहा है....
सरला – ये तो बहुत अच्छी बात है सुमन , तुमने बहुत अच्छा काम किया....
सुनंदा – अगर आपकी इजाजत हो तो क्या मैं यही साहिल के साथ रुक सकती हूँ , साथ में साहिल की देख भाल भी कर दूंगी मैं....
सरला – अरे नहीं नहीं सुनंद जी आपने इतना कुछ किया है हमारे लिए आपको और परेशानी में नहीं डालेंगे....
सुनंदा – इसमें परेशानी कैसी , टीचर की जॉब लगने से पहले मैं नर्स थी एक अस्पताल में मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी साहिल की देखभाल करने में....
सरला – सच में सुनंदा जी भगवान ने शायद आपको हमारे लिए ही भेजा है , ठीक है साहिल के ठीक होने तक आप यही रुक जाईए और सुमन का भी कमरा बगल में है वो इसमें आपका साथ देगी , उसके बाद मैं आपके लिए रूम सही करवा दूंगी....
सुनंदा – जी शुक्रिया...
सरला – (लता से) लता किसी को बोल के साहिल और सुनंदा जी का समान यहां भिजवा दे और तू खाने की तैयारी कर और साहिल का खाना कमरे में ले आना (सुनंदा से) आप भी फ्रेश हो जाइए थोड़ी देर में सब साथ में खाना खाते है...
सुमन – मां वो बाबू जी (धीरेन्द्र) ने कुछ सामान भेजा है आपके लिए....
सरला – हा तो रख दे कमरे में....
सुमन – वो मां मेरा सामान ऊपर वाले कमरे में है आप एक बार देख लेते तो....
सरला – अच्छा ठीक है चल (साहिल से) तू आराम कर मै अभी आती हु...
बोल के निकल गई सरला , सुमन के साथ , साथ में बाकी सभी सुमन के कमरे में आते ही सुमन ने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया तब...
सुमन – मां आपको एक जरूरी बात बतानी है...
सरला – क्या बात है सुमन ऐसे अचानक से...
फिर सुमन ने वो सब बता दिया जो मन्दिर में हुआ कैसे वो मन्दिर में आए कैसे साहिल पर हमला हुआ और कैसे साहिल ने सबको मारा कैसे अस्पताल में आए और वहां आते ही साहिल ने जो कहा ये सारी बात सुन...
सरला –(हैरानी से) ये कैसे हो सकता है साहिल ने सबको मारा और उसे ही याद नहीं....
सुमन – मां अगर उस वक्त आप भी साहिल का वो रूप देखते शायद आपको भी यकीन नहीं होता , मां जिस रात रनवीर ने लाला का बेटा और उसके भाई और दोनों बेटो को मारा था उससे भी ज़्यादा भयानक मंजर था आज का जब साहिल उन सभी को बेहरमी से मार रहा था...
सरला – हम्ममम फर्क बस इतना सा है उस रात रनवीर ने तुझे बचाया था और आज साहिल ने तुझे और कविता को बचाया , उस वक्त वो सिर्फ चार थे और आज उससे ज्यादा , लेकिन एक बात समझ नहीं आई किसकी इतनी हिम्मत हो गई जिसने हमारे खानदान की तरफ आंख उठा के देखा होगा....
सुमन – मुझे ठीक से याद नहीं मां वो आदमी कुछ बोल तो रहा था लेकिन साहिल को उस हालत में देख मैने ध्यान नहीं दिया उसकी कही किसी बात पर....
सरला – शुक्र है ऊपर वाले का उसने कुछ भी गलत नहीं होने दिया मेरे परिवार के साथ , खेर मै मौका देख के साहिल से बात करूंगी इस बारे में , खेर वहां जो हुआ तुम इस बारे में किसी से बात मत करना , अब तुम भी फ्रेश हो जाओ खाना खा के आराम कर लो तुम्हे साहिल का भी ध्यान रखना है...
सुमन – जी मां....
इधर ये दोनों बात कर रहे थे वहीं साहिल के कमरे में...
सुनंदा – (साहिल से) तुम्हारा कमरा बहुत सुंदर है....
साहिल – हम्ममम मै भी देख रहा हूँ आज पहली बार इस कमरे को....
सुनंदा – पहली बार ऐसा क्यों बोल रहे हो तुम....
साहिल – (मुस्कुरा के) सच ही तो बोल रहा हूँ ८ से ९ साल बाद आया हूँ इस घर में सब कुछ बदल चुका है यहां पर....
लता – (अपने साथ दोनों का समान कमरे में लाते हुए) हा साहिल बाबा बदला काफी कुछ है इस घर में आपका ये कमरा आपके जाने के बाद अभी खुला है....
साहिल – (लता से) आप कौन है और मेरे नाम के साथ बाबा....
लता – (मुस्कुरा के) आपने मुझे पहचाना नहीं शायद मेरा नाम लता है मै यहां काम करती हूँ , बचपन में आप मेरे साथ बहुत खेलते थे , मै आपको साहिल बाबा बुलाती थी , आपको याद नहीं....
साहिल – (मुस्कुरा के) यहां से जाने के बाद कुछ समय के लिए हर किसी को बहुत याद करता था , और फिर दादी के सिवा सबको भूल गया मै बस याद रही तो सिर्फ एक बात की कभी वापस नहीं आऊंगा यहां पर मैं....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) एक न एक दिन तो सभी को लौट के आना ही होता है साहिल शायद यही वक्त था तुम्हारे लौटने का वापस अपने घर पर...
साहिल – हम्ममम शायद कुछ वक्त के लिए बस....
लता – ऐसा क्यों बोल रहे हो आप बाबा अब आप कही नहीं जाओगे यही रहोगे हमेशा के लिए....
साहिल – (मुस्कुरा के) देखते है कितना वक्त लगता है इस बार , खेर आप मेरा खाना रहने देना मेरी इच्छा नहीं है खाने की....
सुनंदा – (बीच में लता से) आप एक काम करो खाना लेके आओ मै खिला दूंगी साहिल को....
लता – जी ठीक है....
बोल साहिल को एक बार देख के बाहर जाने लगी , कमरे के बाहर आके...
लता – (अपने मन में – क्या हुआ है साहिल बाबा को इतने सालों बाद आज घर आए है और आते ही , लगता है दादी के कहने से आए है घर में वर्ना बातों से यही लगता है शायद वापस ही नहीं आना चाहते थे यहां कभी , गलती तो साहिल को भी नहीं है इसमें , जो हुआ उनके साथ उसके बाद कौन आना चाहेगा उस घर में)....
सोचते हुए चली गई लता जबकि कमरे में....
साहिल – (सुनंदा से) आपने क्यों मंगवा लिया खाना मेरी सच में इच्छा नहीं है खाने की....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) हो सकता है लेकिन खाना तो खाना ही पड़ेगा तुम्हे वर्ना ठीक कैसे होगे भूल गए जख्मी हो तुम खून भी बहा है तुम्हारा इसीलिए खाना तो पड़ेगा ही....
साहिल – (मुस्कुरा के) आपने कहा था कि हम स्कूल में मिले है लेकिन आपको अपने स्कूल में मैने कभी देखा ही नहीं फिर हम कब मिले थे....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) दो साल पहले हम स्कूल की पिकनिक पर मिले थे साथ में तुम्हारा दोस्त भी था....
साहिल – आपको सच में याद है और मुझे याद ही नहीं आपके बारे में....
सुनंदा – हम्ममम जैसे तुम्हे अपनी दादी के सिवा परिवार का कोई याद नहीं शायद वैसे ही...
साहिल – काफी फर्क है दोनों बातों में....
सुनंदा – और वो क्या....
साहिल – जाने दीजिए इस बात को , मै फ्रेश होके आता हु....
सुनंदा – मै मदद करती हूँ....
साहिल – नहीं मै कर लूंगा जरूरत होगी बता दूंगा आपको....
सुनंदा – ठीक है दरवाजा बंद मत करना बस जरूरत पड़े बुला लेना....
साहिल – ठीक है....
इस तरफ कविता के कमरे में अवनी , खुशी , सोनम , पूनम बैठे बात कर रहे थे....
सोनम – (कविता से) क्या हुआ था वहां पर कैसे हुआ ये सब....
कविता – गांव में रामू काका की जगह कोई और लें आया हमें जब पूछा तो बताया उसने की रामू काका की तबियत अचानक खराब होगई इसीलिए वो आया उनकी जगह उसके बाद हम निकल गए रास्ते में उस आदमी ने रास्ता बदल लिया तब एक मंदिर में गाड़ी रोकी उसने पहले तो याद नहीं आ रहा था लेकिन बाद में याद आया कि उस मंदिर में हम पहले भी आ चुके है....
पूनम – कौन से मंदिर की बात कर रही है तू....
कविता – अरे वही जब राघव चाचा की शादी में हम गए थे एक बार तब धीरेन्द्र दादा के साथ हम गए थे घूमने उस मन्दिर में तब उन्होंने क्या कहा था याद है ना....
खुशी – हा उन्होंने कहा था कि इस मन्दिर में हमारे परिवार वालों के सिवा कोई नहीं आ सकता है और जो भी आया वो यहां के मायाजाल में फंस के पागल होके आता है....
कविता – उसी मंदिर में गए थे हम लेकिन....
अवनी – लेकिन क्या कविता....
कविता – अगर दादा जी की बात सच थी तो वहां पर वो सब कैसे आए थे और वो ड्राइव जो रामू काका की जगह आया वो कैस लेके आया हमें उस मंदिर के रस्ते में....
पूनम – कौन थे वो लोग....
कविता – पता नहीं दीदी लेकिन उन्होंने मंदिर में ही हमें घेर लिया था और शायद साहिल भाई समझ गए थे तभी वो मां और मुझे लेके जाने लगे मन्दिर से लेके तभी एक आदमी ने साहिल भाई को पीछे से चाकू मार दिया उसके बाद पता नहीं क्या हुआ दीदी मै बेहोश हो हुई थी जब होश आया तो अपने आप को कार में पाया तब साहिल भाई को हॉस्पिटल में लेके आए थे हम लोग उसके बाद यहां आ गए....
सोनम – ये तो बहुत अजीब बात है कौन हो सकता है वो जिसने ऐसा किया और सबसे बड़ी बात वो उस मन्दिर में कैसे आ गए....
इन सब बातों में उलझे हुए थे यहां पर ये पांचों जबकि नीचे हाल में उसी वक्त रनवीर आ गया आते ही....
रनवीर – (राजेश से मिला जो अपनी सोच में डूबा बैठा था सोफे पर जिसे रनवीर के आने का पता नहीं चला तब) क्या हुआ भैया आप यहां क्यों बैठो हो....
अपने सामने रनबीर को देख उसे सारी बात बताता है तब....
रनवीर – (चौक के) क्या ये सब कैसे और सुमन और कविता कैसे है....
राजेश – वो ठीक है कमरे में है अपने....
रनवीर – मै मिल के आता हु....
राजेश – रनवीर तुम्हे क्या लगता है कौन कर सकता है ये सब कही लाला का हाथ तो नहीं इसमें....
रनवीर – लाला नहीं हो सकता है भईया क्योंकि वो इसका अंजाम अच्छे से जानता है , ये जरूर कोई हमारा बिजनेस का दुश्मन होगा जिसने ये बेवकूफी की होगी वरना आप खुद सोचो भईया भला मंदिर में कैस जा सकता है कोई तभी तो मारे गए सब के सब....
राजेश – हम्ममम तुम ठीक कह रहे हो रनवीर....
बोल के रनवीर जैस ही अपने कमरे में गया वहां सुमन को ना पाके बाहर आया आते ही....
रनवीर – भईया अपने सुमन को देखा कमरे में नहीं है वो....
राजेश – अरे हा मै बताना भूल गया वो ऊपर साहिल के कमरे में है....
रनवीर – वो यहां पर...
राजेश – हा मा के कहने पर आया है , देखो रनवीर वो बेटा है हमारे घर का तुम उसे पसंद नहीं करते हो ये जानता हु मैं , तो प्लीज ऐसा कुछ मत करना जिससे मां को तकलीफ हो....
रनवीर – ये जानते हुए भी कि उसने क्या किया है....
राजेश – भूल जाओ उस बात को रनवीर सिर्फ आज में जीना सीखो बस...
रनवीर – मै कभी नहीं भूल सकता हु उस बात को भईया भले आप भूल जाओ....
बोल के रनवीर ऊपर कमरे की तरफ जाने लगा साहिल के कमरे में आके जहां साहिल बाथरूम में बाहर आ रहा था वही बेड में सुनंदा बैठी थी तभी....
रनवीर –(कमरे में आके साहिल से) सुमन कहा है....
साहिल बिना ध्यान दिए बेड में बैठ गया....
साहिल – (सुनंदा से) ये दादी के बेटे है इनका नाम रनवीर है वही जिनकी बीवी और बेटी के साथ हम यहां आए है....
तभी रनवीर का ध्यान सुनंदा पर जाता है उसे आंखे फाड़े देखता रह जाता है जिसे सुनंदा देख लेती है साथ में साहिल भी देख लेता है तब....
साहिल – मुझे पता नहीं....
रनवीर – (चौक के) क क्या कहा....
साहिल – (मुस्कुरा के) पता नहीं कहा है आपकी बीवी....
रनवीर – (सुनंदा से) आप कौन है....
सुनंदा – मेरे नाम सुनंदा है , सुमन लेके आई है मुझ यहां पर....
रनवीर – हम्ममम ठीक है (साहिल से) यहां पर अपनी हद में रहना तुम समझे....
साहिल – आप ये बात दादी मा के सामने कहिएगा और ज्यादा दिक्कत हो तो दादी से मना कर दीजियेगा....
बात सुन रनवीर कमरे में बाहर चला गया तभी उसने ध्यान दिया कि बगल वाला कमरा खुले आ हुआ है वहा जाके देखा तो सुमन और सरला आपस में बात कर रही थी तब....
रनवीर – (कमरे में आके सुमन से) तुम यहां क्या कर रही हो मुझे लगा अपने कमरे में होगी...
सुमन – अपने ही कमरे में हूँ मैं....
रनवीर – क्या मतलब , ये तुम्हारा कमरा कैसे वो तो नीचे है....
सुमन – नहीं ये है अब से मेरा कमरा....
रनवीर – ये कैसी बाते कर रही हो तुम सुमन अपना कमरा छोड़ के इस कमरे में अकेले क्यों....
सुमन – अकेले कहा हूँ साहिल है बगल के कमरे में और कविता का भी कमरा है....
रनवीर – मतलब साहिल की वजह से तुम यहां पर....
सुमन – हा ताकि साहिल के करीब रह सकू....
रनवीर – जब से गांव में मिली हो उससे जाने तब से क्या हो गया है तुम्हे इतने सालों तक तो जिसके बारे में सोचा नहीं आज अचानक उसके करीब रहने की बात कर रही हो....
सुमन – अकल पे पर्दा था मेरे जो सच और झूठ में फर्क नहीं कर पाई , सबकी तरह करती गई गलती पर गलती....
रनवीर – (बात न समझ के) क्या मतलब है तुम्हारा....
सुमन – मतलब साफ है गलती को सुधारना चाहती हूँ मैं और वैसे भी बारह सालों से कौन सा घर में रहते आए हो , आपको तो घर में बाहर रहने में मजा आने लगा है बारह सालों में....
रनवीर – (मुस्कुरा के) ओह तो ये बात है इतने वक्त से तुम्हे मै वक्त नहीं दे पाया , हा मानता हूँ सुमन काम की वजह से मुझ कई बार घर के बाहर रहना पड़ता रहा है लेकिन मै वादा करता हूं अब ऐसा बिल्कुल नहीं होगा काम के साथ घर पर भी वक्त दूंगा मै चलो अब अपने कमरे में....
सुमन – अब यही मेरा कमरा है और मुझे किसी भी तरह साहिल के करीब रहना है.....
रनवीर – वो तो तुम अपने कमरे में रह कर भी रह सकती हो करीब उसके , रह तो रहा है ना वो इस घर में....
सुमन – नहीं वो जख्मी है अभी , उसे कभी भी जरूरत पड़ सकती है मेरी इसीलिए इस कमरे में रहूंगी....
रनवीर – ठीक है उसके ठीक होते ही आजाना तुम....
सुमन – तब की तब देखेंगे....
रनवीर – (कुछ पल सुमन को गौर से देखता है तब) ठीक है....
बोल के निकल जाता है रनवीर कमरे से तब....
सरला – बहुत जिद्दी है रनवीर मानेगा नहीं....
सुमन –(मुस्कुरा के) साहिल से ज्यादा नहीं है मां , लेकिन मैं भी हार नहीं मानने वाली हूँ....
सरला – वो तू देख ले , चल फ्रेश होके खान के लिए आजा नीचे मैं साहिल के पास जा रही हूँ....
बोल के सरला निकल गई साहिल के कमरे में , इधर साहिल बेड में बैठा कुछ सोच रहा था सुनंदा फ्रेश होने गई थी बाथरूम में तभी....
साहिल – (मन में सोचते हुए – इतना कुछ होगया आज और अच्छा हुआ सेमेंथा ने नहीं देखा वर्ना....
इससे पहले साहिल आगे कुछ बोलता तभी....
सेमेंथा – वर्ना क्या साहिल....
साहिल – (चौक के) तुम यहां पर कैसे....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) मैने कहा था ना तुमसे जब भी तुम मुझे याद करोगे या पुकारोगे अपने पास पाओगे....
साहिल – (अपने सिर में हाथ रख के) अरे हा यार मै सच में भूल गया था एक्सीडेंट के चक्कर में....
सेमेंथा – (हैरान होके) एक्सीडेंट , किसका एक्सीडेंट साहिल....
साहिल – (घबरा के) क क किसी का नहीं हुआ मै तो तो ऐसे ही ही बो बोला मै....
सेमेंथा – (साहिल को घूर के देखते हुए) सच सच बताओ साहिल बात क्या है....
साहिल – (मन्दिर में कैसे उसे चाकू मारा पीठ में ये बात बता के) उसके बाद मै बेहोश हो गया जब होश आया तो हॉस्पिटल में था....
सेमेंथा – (साहिल के पास आके) और तुमने मुझे बुलाया तक नहीं एक बार याद तो कर सकते थे न (दूसरी तरफ सिर घुमा के) शायद तुमने मुझे कभी अपना समझा ही नहीं साहिल , मै ही पागल थी....
साहिल – (सेमेंथा का हाथ पकड़ के) तुम्हे नहीं लगता तुम कुछ ज्यादा ही सोच रही हो....
सेमेंथा – सही तो सोच रही हूँ मैं....
साहिल – (सेमेंथा को गले लगाते हुए) जिसको कहो उसकी कसम खा के बोलने को तैयार हु मैं , ये सब इतनी जल्दी में हुआ मुझे मौका ही नहीं मिला कुछ भी सोचने का....
साहिल की बात सुन जोर से गले लगती है जिससे साहिल को पीठ में दर्द होता है....
साहिल – (दर्द में) आआआहह....
सेमेंथा – (चौक के) क्या हुआ तुम्हे....
साहिल – कितने जोर से गले लगी हो पीठ में दर्द हो रहा है....
सेमेंथा – सौरी माफ करना मुझे ध्यान नहीं रहा....
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) देखा इसी तरह मुझे भी ध्यान नहीं रहा था....
सेमेंथा – (हाथ से चुटकी बजा के) आगे से मै हर वक्त साथ रहूंगी तुम्हारे....
साहिल – वो तो ठीक है लेकिन अभी तुमने क्या किया चुटकी बजा के.....
सेमेंथा – कुछ खास नहीं तुम्हारा ज़ख्म सही कर दिया....
साहिल – (चौक के) ये क्या किया तुमने....
सेमेंथा – ऐसा क्यों बोल रहे हो....
साहिल – तुम भूल रही हो सेमेंथा मै अब अकेला नहीं हूँ इस घर में सबको पता है मेरे ज़ख्म के बारे में क्या जवाब दूंगा मै उनको....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) मैने तुम्हारा ज़ख्म सही किया है सिर्फ , ज़ख्म वही का वही है अभी भी बस तुम्हे अब तकलीफ नहीं होगी और न दर्द....
साहिल –(मुस्कुरा के) तुमने तो सच में मुझे डरा दिया था....
इससे पहले कोई कुछ बोलता तभी बाथरूम से कुछ गिरने की आवाज आती है जिसे सुन....
सेमेंथा –(आवाज सुन के) कौन है वहां पर....
साहिल – मै बताना भूल गया वो औरत जो हॉस्पिटल में लेके आई थी हमलोग को ये वही है कॉलेज में टीचर के लिए आई है और वो सुमन ने इसे यही रहने को बोला है....
साहिल ने इतना बोला था तभी बाथरूम का दरवाजा खुला वहां से सुनंदा बाहर निकली तभी सेमेंथा गौर से देखने लगी सुनंदा को तब....
सुनंदा – (साहिल से) किस्से बाते कर रहे थे तुम कोई आया था कमरे में....
साहिल – नहीं वो मै फोन पर बात कर रहा था दोस्त से अपने....
सुनंदा – (सेमेंथा को एक नजर देख हल्का मुस्कुरा के) अच्छा ठीक है तुम खड़े क्यों हो बेड में आराम करो....
साहिल – ओह हा वो मेरा मन हो गया था इसीलिए....
ठीक उसी वक्त लता आ गई सरला के साथ खाना लेके साहिल के कमरे में इधर इन तीनों ने साहिल के कमरे में खाना खाया और बाकी के लोगों ने हाल में खान खा के चले गए कमरे में सोने तब...
सुमन – (साहिल के कमरे में आके साहिल से) मेरा कमरा बगल में है और तुम्हारे कमरे से दरवाजा लगा हुआ है , जो खुला रहेगा , अगर कोई भी जरूरत हो तो बुला लेना....
साहिल – फिलहाल मै ठीक हु जरूरत नहीं है मुझे....
साहिल – (मुस्कुरा के) कोई बात नहीं मैं चक्कर लगाती रहूंगी बीच बीच में....
बोल के सुमन चली गई अपने कमरे में उसके जाते ही...
सुनंदा – (साहिल से) तुम इतना गुस्से में क्यों बात करते हो सुमन से....
साहिल – मुझे आदत नहीं किसी के सहारे की वो जबरदस्ती पीछे पड़ जाती है....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) इसे जबरदस्ती नहीं कहते साहिल इसे प्यार कहते है....
साहिल – (हस्ते हुए) प्यार वो भी ये जाने दीजिए इससे अच्छा मजाक मैने अभी तक नहीं सुना....
सुनंदा – ऐसा क्यों बोल रहे हो....
साहिल – वो मेरी कुछ नहीं लगती है इस दुनिया में मेरा अगर कोई है तो वो सिर्फ दादी और मेरा दोस्त कमल और कोई नहीं....
बोल के साहिल बेड में लेट गया दूसरी तरफ मु करके जिसे देख सुनंदा हल्का मुस्कुरा रही थी जिसे सेमेंथा देख रही थी तब सुनंदा ने हवा में हल्का सा हाथ घुमाया और साहिल गहरी नींद में सो गया तब....
सुनंदा –(सेमेंथा से) कैसी हो तुम...
सेमेंथा , सुनंदा की आवाज सुन साहिल को देखने लगी तब....
सुनंदा –(मुस्कुरा के) परेशान मत हो साहिल को गहरी नींद में सुला दिया है मैने....
बात सुनते ही सेमेंथा तुरंत सुनंदा के गले लग गई तब....
सेमेंथा – मां आप वापस आ गया अपने बताया नहीं और ये सब साहिल के साथ अचानक से कैसे....
सुनंदा – सब बताऊंगी उससे पहले हमे चलना होगा मंदिर में अभी....
सेमेंथा – मंदिर में अभी क्यों मां....
सुनंदा – ऋषिवर से मिलने , बाकी वही चल के सब पता चल जाएगा चलो फिर जल्दी से वापस भी आना है हमें....
बोल के दोनों गायब हो गए वहां से और आ गए उसी मंदिर में जहां साहिल ने सबको मारा था मंदिर में आते हो सामने जगन्नाथ बाबा मिले....
सुनंदा – (जगन्नाथ बाबा से) प्रणाम ऋषिवर....
जगन्नाथ बाबा – प्रणाम देवी , बताए देवी कैसे आना हुआ....
सुनंदा – बाबा आपने तो देखा होगा आज मेरा पुत्र वापस आ गया और आते ही उसने जो किया....
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) पता है देवी हमने पहले ही ये सब देख लिया था....
सुनंदा – बाबा अब आगे क्या और कैसे करना है....
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) देवी आगे के लिए जो करना है आपको ही करना होगा आपके पुत्र की सभी शक्तियों को आपको ही उसे प्राप्त करने में सहायता करनी होगी लेकिन....
सुनंदा – लेकिन क्या बाबा...
जगन्नाथ बाबा – आपने शायद ध्यान नहीं दिया एक बात पर देवी....
सुनंदा –(हैरानी से) कौन सी बात पर ध्यान नहीं दिया मैने ऋषिवर....
जगन्नाथ बाबा – समय का चक्र वापस घुमा है....
सुनंदा – समय का चक्र , मै कुछ समझी नहीं ऋषिवर और किसके लिए घूमा समय चक्र और क्यों....
जगन्नाथ बाबा – ये सब शिव की लीला है देवी , एक मां की अधूरी ममता उसका प्यार और बेटे का प्यार उसकी मां के प्रति जो अधूरा रह गया था उनके सच्चे प्यार के खातिर समय चक्र घूमा है आज और अब जल्द ही आपके पुत्र की भेट होने वाली है उनसे....
सुनंदा – परन्तु ऋषिवर इस बात का हमसे क्या ताल्लुख है....
जगन्नाथ बाबा – ताल्लुख है देवी , समय चक्र घूमने से आपके दूसरे पुत्र BD का ध्यान धरती लोक में आ चुका होगा और अब वो बिल्कुल भी चुप नहीं बैठेगा BD जरूर कोई चाल चलेगा आप तक आने की इसीलिए अब आपको और ज्यादा सावधान रहने की जरूरत पड़ेगी क्योंकि आपके पुत्र ने अपनी शक्ति अभी तक प्राप्त नहीं की है लेकिन इन सब के बाद जैसे ही आपके पुत्र ने अपनी पहली शक्ति प्राप्त की BD को समझते देर नहीं लगेगी आप धरती लोक में कहा छिपे हुए हो....
सुनंदा – तो ऋषिवर अब क्या करे हम....
जगन्नाथ बाबा – BD आपके पुत्र साहिल तक ना पहुंचे इसके लिए आपके पुत्र का उस लड़के के साथ होना जरूरी हो गया है....
सुनंदा – आखिर ऐसी क्या खासियत है उस लड़के में ऋषिवर.....
जगन्नाथ बाबा – उस लड़के पर शिव जी की कृपा है देवी उस लड़के ने अपने पूर्व जनम में कड़ी तपस्या की जिस वजह से शिव जी ने उसे वरदान के सरुप में काल भैरव दिया लेकिन उसे पूर्व जन्म में जितना उसे प्यार मिला उतनी ज़्यादा तकलीफ उसे इस जन्म में मिली छल कपट से उसकी मां को उससे दूर कर दिया गया उस लड़के ने हिम्मत न हारी अंत में वो मां आई अपने पुत्र के पास वापस लेकिन तब मृत्यु ने दूर कर दिया उस मां से उसके पुत्र को पश्चाताप की अग्नि में जलते हुए उस मा ने शिव जी के सामने गुहार लगाई तब काल भैरव ने उस मां के असीम प्रेम और उस लड़के का अपने मा के प्रति अधूरे प्रेम के खातिर काल भैरव ने समय चक्र को घुमा दिया और उस मा को एक मौका दिया ताकि इस बार पुत्र और मां का प्रेम अधूरा ना रह जाए लेकिन अब काल भैरव उस लड़के के साथ तो नहीं है लेकिन उनकी शक्ति उस लड़के के साथ है इसीलिए उस लड़के का साथ आपके पुत्र के लिए जरूरी है जिस वजह से आपके दूसरे पुत्र BD का ध्यान आपके पुत्र पर जल्दी नहीं जाएगा....
सुनंदा – ऋषिवा कौन है वो मां और वो लड़का....
जगन्नाथ बाबा – जल्द ही आपकी भेट होगी उस लड़के और उसकी मां से परन्तु याद रहे देवी इस लड़ाई में अब आप अकेले नहीं हो वो मां और बेटा का साथ भी होगा इसमें , आपको उनका पूरा साथ देना होगा देवी तभी आपकी वर्षों की तपस्या सफल होगी....
सुनंदा – जी ऋषिवर में साथ दूंगी उनका....
जगन्नाथ बाबा – अति उत्तम देवी (सेमेंथा से) सेमेंथा पुत्री.....
सेमेंथा – (हाथ जोड़ के) जी बाबा....
जगन्नाथ बाबा – पुत्री अब तुम्हे साहिल और अपनी मां (सुनंदा) का साथ देना है जैसा वो कहे वैसा करना पुत्री तभी तुम्हारे जन्म का असली मकसद पूरा होगा....
सेमेंथा – जी बाबा....
जगन्नाथ बाबा – हम्ममम अब आप प्रस्थान करे जल्द ही हमारी मुलाक़ात होगी और इस बीच कभी भी आपको जरूरत पड़े हमारी तो मन में याद करिएगा....
इसके साथ सुनंदा और सेमेंथा दोनों ने एक साथ जगन्नाथ बाबा को प्रणाम कर वहां से गायब हो कर साहिल के पास आ गए....
सेमेंथा – (सुनंदा से) अब क्या करना है मां....
सुनंदा – अब हमें जो करना है जल्दी ही करना होगा इससे पहले BD को पता चले साहिल के बारे में हमें उसे सुरक्षित करना होगा किसी तरह....
सेमेंथा – लेकिन कैसे मां....
सुनंदा – मैने उस बारे में सोच लिया है सेमेंथा अपने पुत्र को बचाने के लिए मै वो करूंगी जिसके बाद साहिल पर ध्यान गलती से भी नहीं जाएगा BD का जिसके बाद साहिल के लिए और भी आसान हो जाएगा अपनी शक्ति को प्राप्त करना....
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जारी रहेगा
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ये दोनों मां और बेटा कौन है जल्द ही इस बारे में पता चल जाएगा आप सबको बस इन्तजार कीजिए आने वाले UPDATES का
Marvelous and fantastic updateUPDATE 21
LOCATION....सरला सिंह का घर....
लता (नौकरानी) – (सरला से) माजी आप सब अकेले आए है साहिल कहा है और सुमन दीदी और कविता भी नहीं दिख रहे....
सरला – वो भी आ रहे है लता , अब तू सब छोड़ पहले जाके जल्दी से आरती की थाली ले आ आज साहिल कई सालों बाद घर वापस आ रहा है ना...
लता – तो क्या इसीलिए बाकी सब बाद में आयेगे...
सरला – हा और सुन साहिल का कमरा तैयार है ना कोई कमी तो नहीं रह गई है....
लता – नहीं माजी सब कुछ मैने पहले से तैयार कर दिया है....
रिकी (राजेश और रीना का बेटा) – (सरला से) दादी कौन आ रहा है....
सरला – (मुस्कुरा के) तेरा बड़ा भाई साहिल आ रहा है आज घर में....
रिकी – मेरा बड़ा भाई और आपने मुझे बताया नहीं गलत बात है दादी...
सरला – (मुस्कुर के) अरे मेरा बेटा तो नाराज हो गया अपनी दादी से....
रिकी – और नहीं तो क्या एक तो आपने कभी बताया नहीं मेरा बड़ा भाई भी है ऊपर से भैया आ रहे है अपने बताया नहीं नहीं तो मै भईया के लिए गिफ्ट लेके आता....
सरला – (चौक के) अच्छा क्या गिफ्ट लाते अपने भईया के लिए....
रिकी – मै क्यों बताऊं , आपको पता नहीं गिफ्ट के बारे में बताया नहीं जाता , दिया जाता है....
सरला – (मुस्कुर के) ओह हो मै तो सच में भूल ही गई थी इस बारे में....
रिकी – लेकिन मुझे तो सब याद रहता है दादी क्योंकि मै आप सब से ज्यादा समझदार हूँ...
सरला – (मुस्कुरा के) बिल्कुल सच बात है मेरे बेटे से ज्यादा होशियार कोई नहीं पूरे घर में , चलो जल्दी से तैयार हो जाओ तुम्हारे साहिल भईया थोड़ी देर में आने वाले है फिर हम सब मिल के उनकी आरती उतारेंगे....
रिकी – दादी साहिल भईया की आरती क्यों उतारनी है....
सरला – बेटा आपके साहिल भईया बाहर गए हुए थे पढ़ाई करने बचपन में आज बहुत सालों बाद पढ़ाई करके घर आ रहे है इसीलिए उनकी आरती उतारनी है ताकि किसी की नजर न लगे उनको...
रिकी – तो दादी आपने हमारी कभी आरती नहीं उतारी अगर हमें किसी की नजर लग गई तो...
इस वक्त सरला की हवेली में सुनैना , सोनम , पूनम , राजेश , अवनी , खुशी , लता और इन सबसे अलग बैठी रीना ये सब रिकी की मासूमियत भरी बाते सुन सभी मुस्कुरा रहे थे जबकि रिकी शरीर से बड़ा जरूर हो गया था लेकिन उसका दिमाग आज भी एक बच्चे की तरह था भोला भला बच्चा जिसे घर में सभी आज भी वैसे ही प्यार करते थे जैसे छोटे बच्चे से प्यार करते है फिलहाल आगे बढ़ते है....
सरला – (रिकी के सिर पे हाथ फेर के) ऐसे कैसे लगेगी किसी की नजर मेरे बच्चे को उसके हाथ पैर ना तोड़ दूं मै...
रिकी – तो दादी आज आप साहिल भईया के साथ हमारी भी नजर उतारोगे ना...
सरला – (मुस्कुरा के) हा बिल्कुल मेरे बच्चे....
उसके बाद सभी काफी देर तक इंतजार करते रहे साहिल , सुमन और कविता के आने का लेकिन नहीं आए तब....
सुनैना – (सरला से) बड़ी देर हो गई मां अभी तक आए नहीं ये लोग....
खुशी – मां देर तो लगेगी ना हमें भी तो घर आने में २ से ३ घंटे लग गए थे ना....
पूनम – वैसे भी चाची आज मौसम भी काफी खराब हो गया है हो सकता है उस तरफ बारिश हो रही हो इसीलिए देर हो रही हो उन्हें....
अवनी – मै कविता को कॉल करके पता करती हूँ...
लेकिन कॉल रिसीव नहीं होता कविता का जबकि अवनी कई बार कॉल करती है तब...
अवनी – ये कविता कॉल क्यों नहीं रिसीव कर रही है...
खुशी – (गुस्से में) ये कविता भी ना जब देखा अपना फोन साइलेंट करके रख देती है , मैं सुमन चाची को कॉल मिलती हूँ....
लेकिन सुमन का कॉल भी रिसीव नहीं होता....
खुशी – ये चाची का भी फोन रिसीव नहीं हो रहा है (सरला से) दादी आप जरा साहिल भईया को कॉल मिला के पूछिए ना...
सरला – हा एक मिनिट मै करती हु....
लेकिन साहिल का भी कॉल रिसीव नहीं होता जिसके बाद....
सरला – कमाल है साहिल भी रिसीव नहीं कर रहा कॉल मेरी....
सुनैना – मां हो सकता है इन लोगों ने अपना फोन बैग में रखा होगा शायद इसलिए कॉल रिसीव नहीं कर पा रहा हो....
अवनी – तीनों ने अपना फोन बैग में रखा होगा क्या मां ऐसा जरूरी तो नहीं....
सरला – मै रामू को फोन करती हूं....
लेकिन उसका फोन मिलता ही नहीं है तब....
सरल – रामू का फोन मिल ही नहीं रहा है , सब लोग ठीक तो है ना वहां पर....
राजेश – (सरला के कंधे पर हाथ रख के) मा तुम परेशान मत हो सब ठीक होगे मैं अभी धीरेन्द्र मामा से बात कर पता करता हूं....
बोल राजेश तुरंत धीरेन्द्र को कॉल करता है....
धीरेन्द्र – (कॉल रिसीव करके) हा राजेश....
राजेश – मामा जी वहां से साहिल , सुमन और कविता निकले नहीं है क्या अभी....
धीरेन्द्र – बेटा उन्हें निकले कई घंटों हो गए है....
राजेश – (चौक के) लेकिन वो लोग यहां अभी तक आए नहीं....
धीरेन्द्र – बेटा बात ऐसी है कि वो सब दिन में निकल गए थे (उसके बाद जो हुआ राजेश को सब बता दिया) राघव भी थोड़ी देर पहले घर आया है ये लो उससे बात करो...
राघव को फोन देके...
राघव – भईया मै पता करने गया था पिताजी से मिली जानकारी के बाद मैं सीधा मंदिर की तरफ चला गया गांव वालो के साथ वहा जाते ही जो देखा मैने वो बहुत भयानक नजारा था....
राजेश – (हैरानी से) ऐसा क्या देखा तुमने....
राघव – भईया वहां पर मुझे ४० लोगो को लाशें मिली....
राजेश – (चौक के) क्या लेकिन कैसे और क्या हुआ था वहां पर....
राघव – ये तो पता नहीं भईया लेकिन १० लोगो की लाश सूखे कूवे में पड़ी हुई थी और बाकी के ३० लोगों की लाश मंदिर के बाहर जमीन पर पड़ी हुई थी देख के ऐसा लगता है जैसे किसी ने बड़ी बेहरमी से मारा होगा उनको....
राजेश – (राघव की बात सुन सोचते हुए) और साहिल , सुमन और कविता वो कहा है....
राघव – वो वहा पर नहीं थे भइया और नाही आपकी कार थी वहां पर , मैने गांव के बाहर का चप्पा चप्पा छान मारा लेकिन साहिल , सुमन , कविता और आपकी कार किसी गांव वाले ने नहीं देखा रस्ते से आते जाते हुए , मैं बस अभी घर आया हूँ अपनी गाड़ी लेके गांव वालो के साथ जा रहा हु ढूंढने उनको...
राजेश – (हैरानी और घबराट से) राघव तुम वहां पता करो मैं यहां से तुरंत निकलता हूँ वहां के लिए....
इससे पहले बात आगे कोई करता तभी....
लता – (सरला से) मां जी वो लोग आ गए....
लता की आवाज सुन....
राजेश – कौन आया है लता....
लता – सुमन दीदी , कविता , साहिल और उनके साथ कोई लड़की भी है....
राजेश – (लता की बात सुन खुश होके राघव से कॉल पर) रुको राघव परेशान होने की जरूरत नहीं है साहिल , सुमन और कवित आ गए है घर में...
राघव – शुक्र है भगवान का भइया , अच्छा भईया आप उनसे बात कर के पता तो करिएगा वो आए कैसे और पता चलते हो बता दीजियेगा , रामू काका के ठीक होते ही उन्हें भिजवा दूंगा शहर में....
राजेश – हा ठीक है राघव....
बोल के कॉल कट कर दिया जिसके बाद घर के सभी बाहर जाने लगे तब...
सरला – (लता से) लता आरती की थाली तो लेके आ जरा....
तभी घर के दरवाजे से सुमन , कविता , साहिल आने लगे उनके साथ एक लड़की थी तभी....
सरला – (सबको रोक के) रुको एक मिनिट जरा साहिल की आरती उतार दूं....
साहिल – आरती लेकिन दादी....
सरला – चुप कर तू बस खड़ा रह वही पर....
जिसके बाद सरला ने पहले साहिल की आरती उतारी उसके सिर पर टिका लगाया तब....
सरला – चल अब बाया पैर आगे कर अन्दर आजा...
सरला की बात सुनते ही साहिल ने वही किया साथ में सुमन , कविता और सुनंदा ने भी अन्दर आते वक्त सरला ने देखा साहिल को धीरे धीरे चलते हुए , साहिल को इस तरह से धीरे धीरे चलते देख....
सरला – (साहिल से) क्या बात है बेटा तू इस तरह धीरे धीरे क्यों चल रहा है....
सुमन – वो मां रस्ते में कुछ लोगो ने हम पर हमला कर दिया था....
हमले की बात सुन सभी हैरान परेशान हो गए तब....
सुनैना – (सुमन से) हमला कैसा हमला दीदी और किसने किया....
सुमन – पता नहीं सुनैना लेकिन एक आदमी ने साहिल की पीठ पे चाकू मारा था ये तो अच्छा हुआ कि साहिल ठीक था और फिर हम सही वक्त पर हॉस्पिटल आ गए....
राजेश – (साहिल के पास आके) तू ठीक तो है ना बेटा....
साहिल – जी मै ठीक हूँ....
सुनैना –(लड़की को देख सुमन से) ये कौन है दीदी....
सुमन – (सुनंदा को देख) इनका नाम सुनंदा है , इन्होंने ही हमारी बहुत मदद की इनकी मदद से हम सब वहां से निकल हॉस्पिटल आ गए जहां साहिल का इलाज हुआ और तू जानती है सुनैना ये हमारे ही कॉलेज में टीचर की नौकरी की लिए आई है अगर ये न मिलती तो जाने आज क्या हो जाता...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) ऐसा कुछ नहीं मेरी जगह कोई और होता तो वो भी यही करता....
सरला – (साहिल को सोफे पर बैठा के सुनंदा से हाथ जोड़ के) आपका बहुत बहुत शुक्रिया सुनंदा जी आज आपने मेरे बेटे को बचा के मुझे नई जिंदगी दी है मैं आपका ये एहसान कैसे उतारूंगी....
सुनंदा – (सरला का हाथ पकड़ के) नहीं नहीं आप हाथ मत जोड़िए मैने किसी पे कोई एहसान नहीं किया , जो भी किया मेरा फर्ज था....
सरला – फिर भी आपका बहुत बहुत शुक्रिया सुनंदा जी (साहिल के बगल में बैठ के) दर्द हो रहा है बेटा...
साहिल – हा दादी अभी भी दर्द है....
सरला – ठीक है तू चल अपने कमरे में आराम कर बाद में बाते करेंगे...
बोल के सरला उठी और साहिल का हाथ पकड़ लिया साथ ही दूसरी तरफ राजेश ने साहिल का हाथ पकड़ उसे कमरे लेके जाने लगे सभी , पीछे से सुनंदा मुस्कुरा रही थी , इस तरफ साहिल को उसके कमरे में लाके बेड में बैठा दिया....
सुमन – (सरला से) मां डॉक्टर ने साहिल को पेट के बल आराम करने को कहा है , पीट पे ज़ख्म है उसकी वजह से उसे दिक्कत ना हो....
सरला – तब तो किसी ना किसी को साहिल के साथ रुकना पड़ेगा हर वक्त....
सुमन – मां मै रुक जाती हु वैसे भी मेरा कमरा बगल में ही है....
साहिल – (सरला से) दादी किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है मै संभाल सकता हूँ खुद को....
सरला – हा हा वो सब दिख रहा है मुझे , बस चुप चाप मेरी बात सुन जब तक तू पूरी तरह से ठीक नहीं होता तब तक सुमन रहेगी तेरे साथ , और इससे आगे मैं तेरी कोई बात नहीं सुनूंगी समझा....
साहिल –(मुस्कुरा के) ठीक है मेरी प्यारी दादी जैसा आप कहो वैसा करूंगा मैं....
सुमन – मा वो सुनंदा जी इस शहर में अकेली है उन्होंने हमारे लिए इतना कुछ किया तो मैने उन्हें यहां सबके साथ रहने के लिए कहा है....
सरला – ये तो बहुत अच्छी बात है सुमन , तुमने बहुत अच्छा काम किया....
सुनंदा – अगर आपकी इजाजत हो तो क्या मैं यही साहिल के साथ रुक सकती हूँ , साथ में साहिल की देख भाल भी कर दूंगी मैं....
सरला – अरे नहीं नहीं सुनंद जी आपने इतना कुछ किया है हमारे लिए आपको और परेशानी में नहीं डालेंगे....
सुनंदा – इसमें परेशानी कैसी , टीचर की जॉब लगने से पहले मैं नर्स थी एक अस्पताल में मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी साहिल की देखभाल करने में....
सरला – सच में सुनंदा जी भगवान ने शायद आपको हमारे लिए ही भेजा है , ठीक है साहिल के ठीक होने तक आप यही रुक जाईए और सुमन का भी कमरा बगल में है वो इसमें आपका साथ देगी , उसके बाद मैं आपके लिए रूम सही करवा दूंगी....
सुनंदा – जी शुक्रिया...
सरला – (लता से) लता किसी को बोल के साहिल और सुनंदा जी का समान यहां भिजवा दे और तू खाने की तैयारी कर और साहिल का खाना कमरे में ले आना (सुनंदा से) आप भी फ्रेश हो जाइए थोड़ी देर में सब साथ में खाना खाते है...
सुमन – मां वो बाबू जी (धीरेन्द्र) ने कुछ सामान भेजा है आपके लिए....
सरला – हा तो रख दे कमरे में....
सुमन – वो मां मेरा सामान ऊपर वाले कमरे में है आप एक बार देख लेते तो....
सरला – अच्छा ठीक है चल (साहिल से) तू आराम कर मै अभी आती हु...
बोल के निकल गई सरला , सुमन के साथ , साथ में बाकी सभी सुमन के कमरे में आते ही सुमन ने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया तब...
सुमन – मां आपको एक जरूरी बात बतानी है...
सरला – क्या बात है सुमन ऐसे अचानक से...
फिर सुमन ने वो सब बता दिया जो मन्दिर में हुआ कैसे वो मन्दिर में आए कैसे साहिल पर हमला हुआ और कैसे साहिल ने सबको मारा कैसे अस्पताल में आए और वहां आते ही साहिल ने जो कहा ये सारी बात सुन...
सरला –(हैरानी से) ये कैसे हो सकता है साहिल ने सबको मारा और उसे ही याद नहीं....
सुमन – मां अगर उस वक्त आप भी साहिल का वो रूप देखते शायद आपको भी यकीन नहीं होता , मां जिस रात रनवीर ने लाला का बेटा और उसके भाई और दोनों बेटो को मारा था उससे भी ज़्यादा भयानक मंजर था आज का जब साहिल उन सभी को बेहरमी से मार रहा था...
सरला – हम्ममम फर्क बस इतना सा है उस रात रनवीर ने तुझे बचाया था और आज साहिल ने तुझे और कविता को बचाया , उस वक्त वो सिर्फ चार थे और आज उससे ज्यादा , लेकिन एक बात समझ नहीं आई किसकी इतनी हिम्मत हो गई जिसने हमारे खानदान की तरफ आंख उठा के देखा होगा....
सुमन – मुझे ठीक से याद नहीं मां वो आदमी कुछ बोल तो रहा था लेकिन साहिल को उस हालत में देख मैने ध्यान नहीं दिया उसकी कही किसी बात पर....
सरला – शुक्र है ऊपर वाले का उसने कुछ भी गलत नहीं होने दिया मेरे परिवार के साथ , खेर मै मौका देख के साहिल से बात करूंगी इस बारे में , खेर वहां जो हुआ तुम इस बारे में किसी से बात मत करना , अब तुम भी फ्रेश हो जाओ खाना खा के आराम कर लो तुम्हे साहिल का भी ध्यान रखना है...
सुमन – जी मां....
इधर ये दोनों बात कर रहे थे वहीं साहिल के कमरे में...
सुनंदा – (साहिल से) तुम्हारा कमरा बहुत सुंदर है....
साहिल – हम्ममम मै भी देख रहा हूँ आज पहली बार इस कमरे को....
सुनंदा – पहली बार ऐसा क्यों बोल रहे हो तुम....
साहिल – (मुस्कुरा के) सच ही तो बोल रहा हूँ ८ से ९ साल बाद आया हूँ इस घर में सब कुछ बदल चुका है यहां पर....
लता – (अपने साथ दोनों का समान कमरे में लाते हुए) हा साहिल बाबा बदला काफी कुछ है इस घर में आपका ये कमरा आपके जाने के बाद अभी खुला है....
साहिल – (लता से) आप कौन है और मेरे नाम के साथ बाबा....
लता – (मुस्कुरा के) आपने मुझे पहचाना नहीं शायद मेरा नाम लता है मै यहां काम करती हूँ , बचपन में आप मेरे साथ बहुत खेलते थे , मै आपको साहिल बाबा बुलाती थी , आपको याद नहीं....
साहिल – (मुस्कुरा के) यहां से जाने के बाद कुछ समय के लिए हर किसी को बहुत याद करता था , और फिर दादी के सिवा सबको भूल गया मै बस याद रही तो सिर्फ एक बात की कभी वापस नहीं आऊंगा यहां पर मैं....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) एक न एक दिन तो सभी को लौट के आना ही होता है साहिल शायद यही वक्त था तुम्हारे लौटने का वापस अपने घर पर...
साहिल – हम्ममम शायद कुछ वक्त के लिए बस....
लता – ऐसा क्यों बोल रहे हो आप बाबा अब आप कही नहीं जाओगे यही रहोगे हमेशा के लिए....
साहिल – (मुस्कुरा के) देखते है कितना वक्त लगता है इस बार , खेर आप मेरा खाना रहने देना मेरी इच्छा नहीं है खाने की....
सुनंदा – (बीच में लता से) आप एक काम करो खाना लेके आओ मै खिला दूंगी साहिल को....
लता – जी ठीक है....
बोल साहिल को एक बार देख के बाहर जाने लगी , कमरे के बाहर आके...
लता – (अपने मन में – क्या हुआ है साहिल बाबा को इतने सालों बाद आज घर आए है और आते ही , लगता है दादी के कहने से आए है घर में वर्ना बातों से यही लगता है शायद वापस ही नहीं आना चाहते थे यहां कभी , गलती तो साहिल को भी नहीं है इसमें , जो हुआ उनके साथ उसके बाद कौन आना चाहेगा उस घर में)....
सोचते हुए चली गई लता जबकि कमरे में....
साहिल – (सुनंदा से) आपने क्यों मंगवा लिया खाना मेरी सच में इच्छा नहीं है खाने की....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) हो सकता है लेकिन खाना तो खाना ही पड़ेगा तुम्हे वर्ना ठीक कैसे होगे भूल गए जख्मी हो तुम खून भी बहा है तुम्हारा इसीलिए खाना तो पड़ेगा ही....
साहिल – (मुस्कुरा के) आपने कहा था कि हम स्कूल में मिले है लेकिन आपको अपने स्कूल में मैने कभी देखा ही नहीं फिर हम कब मिले थे....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) दो साल पहले हम स्कूल की पिकनिक पर मिले थे साथ में तुम्हारा दोस्त भी था....
साहिल – आपको सच में याद है और मुझे याद ही नहीं आपके बारे में....
सुनंदा – हम्ममम जैसे तुम्हे अपनी दादी के सिवा परिवार का कोई याद नहीं शायद वैसे ही...
साहिल – काफी फर्क है दोनों बातों में....
सुनंदा – और वो क्या....
साहिल – जाने दीजिए इस बात को , मै फ्रेश होके आता हु....
सुनंदा – मै मदद करती हूँ....
साहिल – नहीं मै कर लूंगा जरूरत होगी बता दूंगा आपको....
सुनंदा – ठीक है दरवाजा बंद मत करना बस जरूरत पड़े बुला लेना....
साहिल – ठीक है....
इस तरफ कविता के कमरे में अवनी , खुशी , सोनम , पूनम बैठे बात कर रहे थे....
सोनम – (कविता से) क्या हुआ था वहां पर कैसे हुआ ये सब....
कविता – गांव में रामू काका की जगह कोई और लें आया हमें जब पूछा तो बताया उसने की रामू काका की तबियत अचानक खराब होगई इसीलिए वो आया उनकी जगह उसके बाद हम निकल गए रास्ते में उस आदमी ने रास्ता बदल लिया तब एक मंदिर में गाड़ी रोकी उसने पहले तो याद नहीं आ रहा था लेकिन बाद में याद आया कि उस मंदिर में हम पहले भी आ चुके है....
पूनम – कौन से मंदिर की बात कर रही है तू....
कविता – अरे वही जब राघव चाचा की शादी में हम गए थे एक बार तब धीरेन्द्र दादा के साथ हम गए थे घूमने उस मन्दिर में तब उन्होंने क्या कहा था याद है ना....
खुशी – हा उन्होंने कहा था कि इस मन्दिर में हमारे परिवार वालों के सिवा कोई नहीं आ सकता है और जो भी आया वो यहां के मायाजाल में फंस के पागल होके आता है....
कविता – उसी मंदिर में गए थे हम लेकिन....
अवनी – लेकिन क्या कविता....
कविता – अगर दादा जी की बात सच थी तो वहां पर वो सब कैसे आए थे और वो ड्राइव जो रामू काका की जगह आया वो कैस लेके आया हमें उस मंदिर के रस्ते में....
पूनम – कौन थे वो लोग....
कविता – पता नहीं दीदी लेकिन उन्होंने मंदिर में ही हमें घेर लिया था और शायद साहिल भाई समझ गए थे तभी वो मां और मुझे लेके जाने लगे मन्दिर से लेके तभी एक आदमी ने साहिल भाई को पीछे से चाकू मार दिया उसके बाद पता नहीं क्या हुआ दीदी मै बेहोश हो हुई थी जब होश आया तो अपने आप को कार में पाया तब साहिल भाई को हॉस्पिटल में लेके आए थे हम लोग उसके बाद यहां आ गए....
सोनम – ये तो बहुत अजीब बात है कौन हो सकता है वो जिसने ऐसा किया और सबसे बड़ी बात वो उस मन्दिर में कैसे आ गए....
इन सब बातों में उलझे हुए थे यहां पर ये पांचों जबकि नीचे हाल में उसी वक्त रनवीर आ गया आते ही....
रनवीर – (राजेश से मिला जो अपनी सोच में डूबा बैठा था सोफे पर जिसे रनवीर के आने का पता नहीं चला तब) क्या हुआ भैया आप यहां क्यों बैठो हो....
अपने सामने रनबीर को देख उसे सारी बात बताता है तब....
रनवीर – (चौक के) क्या ये सब कैसे और सुमन और कविता कैसे है....
राजेश – वो ठीक है कमरे में है अपने....
रनवीर – मै मिल के आता हु....
राजेश – रनवीर तुम्हे क्या लगता है कौन कर सकता है ये सब कही लाला का हाथ तो नहीं इसमें....
रनवीर – लाला नहीं हो सकता है भईया क्योंकि वो इसका अंजाम अच्छे से जानता है , ये जरूर कोई हमारा बिजनेस का दुश्मन होगा जिसने ये बेवकूफी की होगी वरना आप खुद सोचो भईया भला मंदिर में कैस जा सकता है कोई तभी तो मारे गए सब के सब....
राजेश – हम्ममम तुम ठीक कह रहे हो रनवीर....
बोल के रनवीर जैस ही अपने कमरे में गया वहां सुमन को ना पाके बाहर आया आते ही....
रनवीर – भईया अपने सुमन को देखा कमरे में नहीं है वो....
राजेश – अरे हा मै बताना भूल गया वो ऊपर साहिल के कमरे में है....
रनवीर – वो यहां पर...
राजेश – हा मा के कहने पर आया है , देखो रनवीर वो बेटा है हमारे घर का तुम उसे पसंद नहीं करते हो ये जानता हु मैं , तो प्लीज ऐसा कुछ मत करना जिससे मां को तकलीफ हो....
रनवीर – ये जानते हुए भी कि उसने क्या किया है....
राजेश – भूल जाओ उस बात को रनवीर सिर्फ आज में जीना सीखो बस...
रनवीर – मै कभी नहीं भूल सकता हु उस बात को भईया भले आप भूल जाओ....
बोल के रनवीर ऊपर कमरे की तरफ जाने लगा साहिल के कमरे में आके जहां साहिल बाथरूम में बाहर आ रहा था वही बेड में सुनंदा बैठी थी तभी....
रनवीर –(कमरे में आके साहिल से) सुमन कहा है....
साहिल बिना ध्यान दिए बेड में बैठ गया....
साहिल – (सुनंदा से) ये दादी के बेटे है इनका नाम रनवीर है वही जिनकी बीवी और बेटी के साथ हम यहां आए है....
तभी रनवीर का ध्यान सुनंदा पर जाता है उसे आंखे फाड़े देखता रह जाता है जिसे सुनंदा देख लेती है साथ में साहिल भी देख लेता है तब....
साहिल – मुझे पता नहीं....
रनवीर – (चौक के) क क्या कहा....
साहिल – (मुस्कुरा के) पता नहीं कहा है आपकी बीवी....
रनवीर – (सुनंदा से) आप कौन है....
सुनंदा – मेरे नाम सुनंदा है , सुमन लेके आई है मुझ यहां पर....
रनवीर – हम्ममम ठीक है (साहिल से) यहां पर अपनी हद में रहना तुम समझे....
साहिल – आप ये बात दादी मा के सामने कहिएगा और ज्यादा दिक्कत हो तो दादी से मना कर दीजियेगा....
बात सुन रनवीर कमरे में बाहर चला गया तभी उसने ध्यान दिया कि बगल वाला कमरा खुले आ हुआ है वहा जाके देखा तो सुमन और सरला आपस में बात कर रही थी तब....
रनवीर – (कमरे में आके सुमन से) तुम यहां क्या कर रही हो मुझे लगा अपने कमरे में होगी...
सुमन – अपने ही कमरे में हूँ मैं....
रनवीर – क्या मतलब , ये तुम्हारा कमरा कैसे वो तो नीचे है....
सुमन – नहीं ये है अब से मेरा कमरा....
रनवीर – ये कैसी बाते कर रही हो तुम सुमन अपना कमरा छोड़ के इस कमरे में अकेले क्यों....
सुमन – अकेले कहा हूँ साहिल है बगल के कमरे में और कविता का भी कमरा है....
रनवीर – मतलब साहिल की वजह से तुम यहां पर....
सुमन – हा ताकि साहिल के करीब रह सकू....
रनवीर – जब से गांव में मिली हो उससे जाने तब से क्या हो गया है तुम्हे इतने सालों तक तो जिसके बारे में सोचा नहीं आज अचानक उसके करीब रहने की बात कर रही हो....
सुमन – अकल पे पर्दा था मेरे जो सच और झूठ में फर्क नहीं कर पाई , सबकी तरह करती गई गलती पर गलती....
रनवीर – (बात न समझ के) क्या मतलब है तुम्हारा....
सुमन – मतलब साफ है गलती को सुधारना चाहती हूँ मैं और वैसे भी बारह सालों से कौन सा घर में रहते आए हो , आपको तो घर में बाहर रहने में मजा आने लगा है बारह सालों में....
रनवीर – (मुस्कुरा के) ओह तो ये बात है इतने वक्त से तुम्हे मै वक्त नहीं दे पाया , हा मानता हूँ सुमन काम की वजह से मुझ कई बार घर के बाहर रहना पड़ता रहा है लेकिन मै वादा करता हूं अब ऐसा बिल्कुल नहीं होगा काम के साथ घर पर भी वक्त दूंगा मै चलो अब अपने कमरे में....
सुमन – अब यही मेरा कमरा है और मुझे किसी भी तरह साहिल के करीब रहना है.....
रनवीर – वो तो तुम अपने कमरे में रह कर भी रह सकती हो करीब उसके , रह तो रहा है ना वो इस घर में....
सुमन – नहीं वो जख्मी है अभी , उसे कभी भी जरूरत पड़ सकती है मेरी इसीलिए इस कमरे में रहूंगी....
रनवीर – ठीक है उसके ठीक होते ही आजाना तुम....
सुमन – तब की तब देखेंगे....
रनवीर – (कुछ पल सुमन को गौर से देखता है तब) ठीक है....
बोल के निकल जाता है रनवीर कमरे से तब....
सरला – बहुत जिद्दी है रनवीर मानेगा नहीं....
सुमन –(मुस्कुरा के) साहिल से ज्यादा नहीं है मां , लेकिन मैं भी हार नहीं मानने वाली हूँ....
सरला – वो तू देख ले , चल फ्रेश होके खान के लिए आजा नीचे मैं साहिल के पास जा रही हूँ....
बोल के सरला निकल गई साहिल के कमरे में , इधर साहिल बेड में बैठा कुछ सोच रहा था सुनंदा फ्रेश होने गई थी बाथरूम में तभी....
साहिल – (मन में सोचते हुए – इतना कुछ होगया आज और अच्छा हुआ सेमेंथा ने नहीं देखा वर्ना....
इससे पहले साहिल आगे कुछ बोलता तभी....
सेमेंथा – वर्ना क्या साहिल....
साहिल – (चौक के) तुम यहां पर कैसे....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) मैने कहा था ना तुमसे जब भी तुम मुझे याद करोगे या पुकारोगे अपने पास पाओगे....
साहिल – (अपने सिर में हाथ रख के) अरे हा यार मै सच में भूल गया था एक्सीडेंट के चक्कर में....
सेमेंथा – (हैरान होके) एक्सीडेंट , किसका एक्सीडेंट साहिल....
साहिल – (घबरा के) क क किसी का नहीं हुआ मै तो तो ऐसे ही ही बो बोला मै....
सेमेंथा – (साहिल को घूर के देखते हुए) सच सच बताओ साहिल बात क्या है....
साहिल – (मन्दिर में कैसे उसे चाकू मारा पीठ में ये बात बता के) उसके बाद मै बेहोश हो गया जब होश आया तो हॉस्पिटल में था....
सेमेंथा – (साहिल के पास आके) और तुमने मुझे बुलाया तक नहीं एक बार याद तो कर सकते थे न (दूसरी तरफ सिर घुमा के) शायद तुमने मुझे कभी अपना समझा ही नहीं साहिल , मै ही पागल थी....
साहिल – (सेमेंथा का हाथ पकड़ के) तुम्हे नहीं लगता तुम कुछ ज्यादा ही सोच रही हो....
सेमेंथा – सही तो सोच रही हूँ मैं....
साहिल – (सेमेंथा को गले लगाते हुए) जिसको कहो उसकी कसम खा के बोलने को तैयार हु मैं , ये सब इतनी जल्दी में हुआ मुझे मौका ही नहीं मिला कुछ भी सोचने का....
साहिल की बात सुन जोर से गले लगती है जिससे साहिल को पीठ में दर्द होता है....
साहिल – (दर्द में) आआआहह....
सेमेंथा – (चौक के) क्या हुआ तुम्हे....
साहिल – कितने जोर से गले लगी हो पीठ में दर्द हो रहा है....
सेमेंथा – सौरी माफ करना मुझे ध्यान नहीं रहा....
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) देखा इसी तरह मुझे भी ध्यान नहीं रहा था....
सेमेंथा – (हाथ से चुटकी बजा के) आगे से मै हर वक्त साथ रहूंगी तुम्हारे....
साहिल – वो तो ठीक है लेकिन अभी तुमने क्या किया चुटकी बजा के.....
सेमेंथा – कुछ खास नहीं तुम्हारा ज़ख्म सही कर दिया....
साहिल – (चौक के) ये क्या किया तुमने....
सेमेंथा – ऐसा क्यों बोल रहे हो....
साहिल – तुम भूल रही हो सेमेंथा मै अब अकेला नहीं हूँ इस घर में सबको पता है मेरे ज़ख्म के बारे में क्या जवाब दूंगा मै उनको....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) मैने तुम्हारा ज़ख्म सही किया है सिर्फ , ज़ख्म वही का वही है अभी भी बस तुम्हे अब तकलीफ नहीं होगी और न दर्द....
साहिल –(मुस्कुरा के) तुमने तो सच में मुझे डरा दिया था....
इससे पहले कोई कुछ बोलता तभी बाथरूम से कुछ गिरने की आवाज आती है जिसे सुन....
सेमेंथा –(आवाज सुन के) कौन है वहां पर....
साहिल – मै बताना भूल गया वो औरत जो हॉस्पिटल में लेके आई थी हमलोग को ये वही है कॉलेज में टीचर के लिए आई है और वो सुमन ने इसे यही रहने को बोला है....
साहिल ने इतना बोला था तभी बाथरूम का दरवाजा खुला वहां से सुनंदा बाहर निकली तभी सेमेंथा गौर से देखने लगी सुनंदा को तब....
सुनंदा – (साहिल से) किस्से बाते कर रहे थे तुम कोई आया था कमरे में....
साहिल – नहीं वो मै फोन पर बात कर रहा था दोस्त से अपने....
सुनंदा – (सेमेंथा को एक नजर देख हल्का मुस्कुरा के) अच्छा ठीक है तुम खड़े क्यों हो बेड में आराम करो....
साहिल – ओह हा वो मेरा मन हो गया था इसीलिए....
ठीक उसी वक्त लता आ गई सरला के साथ खाना लेके साहिल के कमरे में इधर इन तीनों ने साहिल के कमरे में खाना खाया और बाकी के लोगों ने हाल में खान खा के चले गए कमरे में सोने तब...
सुमन – (साहिल के कमरे में आके साहिल से) मेरा कमरा बगल में है और तुम्हारे कमरे से दरवाजा लगा हुआ है , जो खुला रहेगा , अगर कोई भी जरूरत हो तो बुला लेना....
साहिल – फिलहाल मै ठीक हु जरूरत नहीं है मुझे....
साहिल – (मुस्कुरा के) कोई बात नहीं मैं चक्कर लगाती रहूंगी बीच बीच में....
बोल के सुमन चली गई अपने कमरे में उसके जाते ही...
सुनंदा – (साहिल से) तुम इतना गुस्से में क्यों बात करते हो सुमन से....
साहिल – मुझे आदत नहीं किसी के सहारे की वो जबरदस्ती पीछे पड़ जाती है....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) इसे जबरदस्ती नहीं कहते साहिल इसे प्यार कहते है....
साहिल – (हस्ते हुए) प्यार वो भी ये जाने दीजिए इससे अच्छा मजाक मैने अभी तक नहीं सुना....
सुनंदा – ऐसा क्यों बोल रहे हो....
साहिल – वो मेरी कुछ नहीं लगती है इस दुनिया में मेरा अगर कोई है तो वो सिर्फ दादी और मेरा दोस्त कमल और कोई नहीं....
बोल के साहिल बेड में लेट गया दूसरी तरफ मु करके जिसे देख सुनंदा हल्का मुस्कुरा रही थी जिसे सेमेंथा देख रही थी तब सुनंदा ने हवा में हल्का सा हाथ घुमाया और साहिल गहरी नींद में सो गया तब....
सुनंदा –(सेमेंथा से) कैसी हो तुम...
सेमेंथा , सुनंदा की आवाज सुन साहिल को देखने लगी तब....
सुनंदा –(मुस्कुरा के) परेशान मत हो साहिल को गहरी नींद में सुला दिया है मैने....
बात सुनते ही सेमेंथा तुरंत सुनंदा के गले लग गई तब....
सेमेंथा – मां आप वापस आ गया अपने बताया नहीं और ये सब साहिल के साथ अचानक से कैसे....
सुनंदा – सब बताऊंगी उससे पहले हमे चलना होगा मंदिर में अभी....
सेमेंथा – मंदिर में अभी क्यों मां....
सुनंदा – ऋषिवर से मिलने , बाकी वही चल के सब पता चल जाएगा चलो फिर जल्दी से वापस भी आना है हमें....
बोल के दोनों गायब हो गए वहां से और आ गए उसी मंदिर में जहां साहिल ने सबको मारा था मंदिर में आते हो सामने जगन्नाथ बाबा मिले....
सुनंदा – (जगन्नाथ बाबा से) प्रणाम ऋषिवर....
जगन्नाथ बाबा – प्रणाम देवी , बताए देवी कैसे आना हुआ....
सुनंदा – बाबा आपने तो देखा होगा आज मेरा पुत्र वापस आ गया और आते ही उसने जो किया....
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) पता है देवी हमने पहले ही ये सब देख लिया था....
सुनंदा – बाबा अब आगे क्या और कैसे करना है....
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) देवी आगे के लिए जो करना है आपको ही करना होगा आपके पुत्र की सभी शक्तियों को आपको ही उसे प्राप्त करने में सहायता करनी होगी लेकिन....
सुनंदा – लेकिन क्या बाबा...
जगन्नाथ बाबा – आपने शायद ध्यान नहीं दिया एक बात पर देवी....
सुनंदा –(हैरानी से) कौन सी बात पर ध्यान नहीं दिया मैने ऋषिवर....
जगन्नाथ बाबा – समय का चक्र वापस घुमा है....
सुनंदा – समय का चक्र , मै कुछ समझी नहीं ऋषिवर और किसके लिए घूमा समय चक्र और क्यों....
जगन्नाथ बाबा – ये सब शिव की लीला है देवी , एक मां की अधूरी ममता उसका प्यार और बेटे का प्यार उसकी मां के प्रति जो अधूरा रह गया था उनके सच्चे प्यार के खातिर समय चक्र घूमा है आज और अब जल्द ही आपके पुत्र की भेट होने वाली है उनसे....
सुनंदा – परन्तु ऋषिवर इस बात का हमसे क्या ताल्लुख है....
जगन्नाथ बाबा – ताल्लुख है देवी , समय चक्र घूमने से आपके दूसरे पुत्र BD का ध्यान धरती लोक में आ चुका होगा और अब वो बिल्कुल भी चुप नहीं बैठेगा BD जरूर कोई चाल चलेगा आप तक आने की इसीलिए अब आपको और ज्यादा सावधान रहने की जरूरत पड़ेगी क्योंकि आपके पुत्र ने अपनी शक्ति अभी तक प्राप्त नहीं की है लेकिन इन सब के बाद जैसे ही आपके पुत्र ने अपनी पहली शक्ति प्राप्त की BD को समझते देर नहीं लगेगी आप धरती लोक में कहा छिपे हुए हो....
सुनंदा – तो ऋषिवर अब क्या करे हम....
जगन्नाथ बाबा – BD आपके पुत्र साहिल तक ना पहुंचे इसके लिए आपके पुत्र का उस लड़के के साथ होना जरूरी हो गया है....
सुनंदा – आखिर ऐसी क्या खासियत है उस लड़के में ऋषिवर.....
जगन्नाथ बाबा – उस लड़के पर शिव जी की कृपा है देवी उस लड़के ने अपने पूर्व जनम में कड़ी तपस्या की जिस वजह से शिव जी ने उसे वरदान के सरुप में काल भैरव दिया लेकिन उसे पूर्व जन्म में जितना उसे प्यार मिला उतनी ज़्यादा तकलीफ उसे इस जन्म में मिली छल कपट से उसकी मां को उससे दूर कर दिया गया उस लड़के ने हिम्मत न हारी अंत में वो मां आई अपने पुत्र के पास वापस लेकिन तब मृत्यु ने दूर कर दिया उस मां से उसके पुत्र को पश्चाताप की अग्नि में जलते हुए उस मा ने शिव जी के सामने गुहार लगाई तब काल भैरव ने उस मां के असीम प्रेम और उस लड़के का अपने मा के प्रति अधूरे प्रेम के खातिर काल भैरव ने समय चक्र को घुमा दिया और उस मा को एक मौका दिया ताकि इस बार पुत्र और मां का प्रेम अधूरा ना रह जाए लेकिन अब काल भैरव उस लड़के के साथ तो नहीं है लेकिन उनकी शक्ति उस लड़के के साथ है इसीलिए उस लड़के का साथ आपके पुत्र के लिए जरूरी है जिस वजह से आपके दूसरे पुत्र BD का ध्यान आपके पुत्र पर जल्दी नहीं जाएगा....
सुनंदा – ऋषिवा कौन है वो मां और वो लड़का....
जगन्नाथ बाबा – जल्द ही आपकी भेट होगी उस लड़के और उसकी मां से परन्तु याद रहे देवी इस लड़ाई में अब आप अकेले नहीं हो वो मां और बेटा का साथ भी होगा इसमें , आपको उनका पूरा साथ देना होगा देवी तभी आपकी वर्षों की तपस्या सफल होगी....
सुनंदा – जी ऋषिवर में साथ दूंगी उनका....
जगन्नाथ बाबा – अति उत्तम देवी (सेमेंथा से) सेमेंथा पुत्री.....
सेमेंथा – (हाथ जोड़ के) जी बाबा....
जगन्नाथ बाबा – पुत्री अब तुम्हे साहिल और अपनी मां (सुनंदा) का साथ देना है जैसा वो कहे वैसा करना पुत्री तभी तुम्हारे जन्म का असली मकसद पूरा होगा....
सेमेंथा – जी बाबा....
जगन्नाथ बाबा – हम्ममम अब आप प्रस्थान करे जल्द ही हमारी मुलाक़ात होगी और इस बीच कभी भी आपको जरूरत पड़े हमारी तो मन में याद करिएगा....
इसके साथ सुनंदा और सेमेंथा दोनों ने एक साथ जगन्नाथ बाबा को प्रणाम कर वहां से गायब हो कर साहिल के पास आ गए....
सेमेंथा – (सुनंदा से) अब क्या करना है मां....
सुनंदा – अब हमें जो करना है जल्दी ही करना होगा इससे पहले BD को पता चले साहिल के बारे में हमें उसे सुरक्षित करना होगा किसी तरह....
सेमेंथा – लेकिन कैसे मां....
सुनंदा – मैने उस बारे में सोच लिया है सेमेंथा अपने पुत्र को बचाने के लिए मै वो करूंगी जिसके बाद साहिल पर ध्यान गलती से भी नहीं जाएगा BD का जिसके बाद साहिल के लिए और भी आसान हो जाएगा अपनी शक्ति को प्राप्त करना....
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जारी रहेगा
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ये दोनों मां और बेटा कौन है जल्द ही इस बारे में पता चल जाएगा आप सबको बस इन्तजार कीजिए आने वाले UPDATES का
Fantastic updateUPDATE 21
LOCATION....सरला सिंह का घर....
लता (नौकरानी) – (सरला से) माजी आप सब अकेले आए है साहिल कहा है और सुमन दीदी और कविता भी नहीं दिख रहे....
सरला – वो भी आ रहे है लता , अब तू सब छोड़ पहले जाके जल्दी से आरती की थाली ले आ आज साहिल कई सालों बाद घर वापस आ रहा है ना...
लता – तो क्या इसीलिए बाकी सब बाद में आयेगे...
सरला – हा और सुन साहिल का कमरा तैयार है ना कोई कमी तो नहीं रह गई है....
लता – नहीं माजी सब कुछ मैने पहले से तैयार कर दिया है....
रिकी (राजेश और रीना का बेटा) – (सरला से) दादी कौन आ रहा है....
सरला – (मुस्कुरा के) तेरा बड़ा भाई साहिल आ रहा है आज घर में....
रिकी – मेरा बड़ा भाई और आपने मुझे बताया नहीं गलत बात है दादी...
सरला – (मुस्कुर के) अरे मेरा बेटा तो नाराज हो गया अपनी दादी से....
रिकी – और नहीं तो क्या एक तो आपने कभी बताया नहीं मेरा बड़ा भाई भी है ऊपर से भैया आ रहे है अपने बताया नहीं नहीं तो मै भईया के लिए गिफ्ट लेके आता....
सरला – (चौक के) अच्छा क्या गिफ्ट लाते अपने भईया के लिए....
रिकी – मै क्यों बताऊं , आपको पता नहीं गिफ्ट के बारे में बताया नहीं जाता , दिया जाता है....
सरला – (मुस्कुर के) ओह हो मै तो सच में भूल ही गई थी इस बारे में....
रिकी – लेकिन मुझे तो सब याद रहता है दादी क्योंकि मै आप सब से ज्यादा समझदार हूँ...
सरला – (मुस्कुरा के) बिल्कुल सच बात है मेरे बेटे से ज्यादा होशियार कोई नहीं पूरे घर में , चलो जल्दी से तैयार हो जाओ तुम्हारे साहिल भईया थोड़ी देर में आने वाले है फिर हम सब मिल के उनकी आरती उतारेंगे....
रिकी – दादी साहिल भईया की आरती क्यों उतारनी है....
सरला – बेटा आपके साहिल भईया बाहर गए हुए थे पढ़ाई करने बचपन में आज बहुत सालों बाद पढ़ाई करके घर आ रहे है इसीलिए उनकी आरती उतारनी है ताकि किसी की नजर न लगे उनको...
रिकी – तो दादी आपने हमारी कभी आरती नहीं उतारी अगर हमें किसी की नजर लग गई तो...
इस वक्त सरला की हवेली में सुनैना , सोनम , पूनम , राजेश , अवनी , खुशी , लता और इन सबसे अलग बैठी रीना ये सब रिकी की मासूमियत भरी बाते सुन सभी मुस्कुरा रहे थे जबकि रिकी शरीर से बड़ा जरूर हो गया था लेकिन उसका दिमाग आज भी एक बच्चे की तरह था भोला भला बच्चा जिसे घर में सभी आज भी वैसे ही प्यार करते थे जैसे छोटे बच्चे से प्यार करते है फिलहाल आगे बढ़ते है....
सरला – (रिकी के सिर पे हाथ फेर के) ऐसे कैसे लगेगी किसी की नजर मेरे बच्चे को उसके हाथ पैर ना तोड़ दूं मै...
रिकी – तो दादी आज आप साहिल भईया के साथ हमारी भी नजर उतारोगे ना...
सरला – (मुस्कुरा के) हा बिल्कुल मेरे बच्चे....
उसके बाद सभी काफी देर तक इंतजार करते रहे साहिल , सुमन और कविता के आने का लेकिन नहीं आए तब....
सुनैना – (सरला से) बड़ी देर हो गई मां अभी तक आए नहीं ये लोग....
खुशी – मां देर तो लगेगी ना हमें भी तो घर आने में २ से ३ घंटे लग गए थे ना....
पूनम – वैसे भी चाची आज मौसम भी काफी खराब हो गया है हो सकता है उस तरफ बारिश हो रही हो इसीलिए देर हो रही हो उन्हें....
अवनी – मै कविता को कॉल करके पता करती हूँ...
लेकिन कॉल रिसीव नहीं होता कविता का जबकि अवनी कई बार कॉल करती है तब...
अवनी – ये कविता कॉल क्यों नहीं रिसीव कर रही है...
खुशी – (गुस्से में) ये कविता भी ना जब देखा अपना फोन साइलेंट करके रख देती है , मैं सुमन चाची को कॉल मिलती हूँ....
लेकिन सुमन का कॉल भी रिसीव नहीं होता....
खुशी – ये चाची का भी फोन रिसीव नहीं हो रहा है (सरला से) दादी आप जरा साहिल भईया को कॉल मिला के पूछिए ना...
सरला – हा एक मिनिट मै करती हु....
लेकिन साहिल का भी कॉल रिसीव नहीं होता जिसके बाद....
सरला – कमाल है साहिल भी रिसीव नहीं कर रहा कॉल मेरी....
सुनैना – मां हो सकता है इन लोगों ने अपना फोन बैग में रखा होगा शायद इसलिए कॉल रिसीव नहीं कर पा रहा हो....
अवनी – तीनों ने अपना फोन बैग में रखा होगा क्या मां ऐसा जरूरी तो नहीं....
सरला – मै रामू को फोन करती हूं....
लेकिन उसका फोन मिलता ही नहीं है तब....
सरल – रामू का फोन मिल ही नहीं रहा है , सब लोग ठीक तो है ना वहां पर....
राजेश – (सरला के कंधे पर हाथ रख के) मा तुम परेशान मत हो सब ठीक होगे मैं अभी धीरेन्द्र मामा से बात कर पता करता हूं....
बोल राजेश तुरंत धीरेन्द्र को कॉल करता है....
धीरेन्द्र – (कॉल रिसीव करके) हा राजेश....
राजेश – मामा जी वहां से साहिल , सुमन और कविता निकले नहीं है क्या अभी....
धीरेन्द्र – बेटा उन्हें निकले कई घंटों हो गए है....
राजेश – (चौक के) लेकिन वो लोग यहां अभी तक आए नहीं....
धीरेन्द्र – बेटा बात ऐसी है कि वो सब दिन में निकल गए थे (उसके बाद जो हुआ राजेश को सब बता दिया) राघव भी थोड़ी देर पहले घर आया है ये लो उससे बात करो...
राघव को फोन देके...
राघव – भईया मै पता करने गया था पिताजी से मिली जानकारी के बाद मैं सीधा मंदिर की तरफ चला गया गांव वालो के साथ वहा जाते ही जो देखा मैने वो बहुत भयानक नजारा था....
राजेश – (हैरानी से) ऐसा क्या देखा तुमने....
राघव – भईया वहां पर मुझे ४० लोगो को लाशें मिली....
राजेश – (चौक के) क्या लेकिन कैसे और क्या हुआ था वहां पर....
राघव – ये तो पता नहीं भईया लेकिन १० लोगो की लाश सूखे कूवे में पड़ी हुई थी और बाकी के ३० लोगों की लाश मंदिर के बाहर जमीन पर पड़ी हुई थी देख के ऐसा लगता है जैसे किसी ने बड़ी बेहरमी से मारा होगा उनको....
राजेश – (राघव की बात सुन सोचते हुए) और साहिल , सुमन और कविता वो कहा है....
राघव – वो वहा पर नहीं थे भइया और नाही आपकी कार थी वहां पर , मैने गांव के बाहर का चप्पा चप्पा छान मारा लेकिन साहिल , सुमन , कविता और आपकी कार किसी गांव वाले ने नहीं देखा रस्ते से आते जाते हुए , मैं बस अभी घर आया हूँ अपनी गाड़ी लेके गांव वालो के साथ जा रहा हु ढूंढने उनको...
राजेश – (हैरानी और घबराट से) राघव तुम वहां पता करो मैं यहां से तुरंत निकलता हूँ वहां के लिए....
इससे पहले बात आगे कोई करता तभी....
लता – (सरला से) मां जी वो लोग आ गए....
लता की आवाज सुन....
राजेश – कौन आया है लता....
लता – सुमन दीदी , कविता , साहिल और उनके साथ कोई लड़की भी है....
राजेश – (लता की बात सुन खुश होके राघव से कॉल पर) रुको राघव परेशान होने की जरूरत नहीं है साहिल , सुमन और कवित आ गए है घर में...
राघव – शुक्र है भगवान का भइया , अच्छा भईया आप उनसे बात कर के पता तो करिएगा वो आए कैसे और पता चलते हो बता दीजियेगा , रामू काका के ठीक होते ही उन्हें भिजवा दूंगा शहर में....
राजेश – हा ठीक है राघव....
बोल के कॉल कट कर दिया जिसके बाद घर के सभी बाहर जाने लगे तब...
सरला – (लता से) लता आरती की थाली तो लेके आ जरा....
तभी घर के दरवाजे से सुमन , कविता , साहिल आने लगे उनके साथ एक लड़की थी तभी....
सरला – (सबको रोक के) रुको एक मिनिट जरा साहिल की आरती उतार दूं....
साहिल – आरती लेकिन दादी....
सरला – चुप कर तू बस खड़ा रह वही पर....
जिसके बाद सरला ने पहले साहिल की आरती उतारी उसके सिर पर टिका लगाया तब....
सरला – चल अब बाया पैर आगे कर अन्दर आजा...
सरला की बात सुनते ही साहिल ने वही किया साथ में सुमन , कविता और सुनंदा ने भी अन्दर आते वक्त सरला ने देखा साहिल को धीरे धीरे चलते हुए , साहिल को इस तरह से धीरे धीरे चलते देख....
सरला – (साहिल से) क्या बात है बेटा तू इस तरह धीरे धीरे क्यों चल रहा है....
सुमन – वो मां रस्ते में कुछ लोगो ने हम पर हमला कर दिया था....
हमले की बात सुन सभी हैरान परेशान हो गए तब....
सुनैना – (सुमन से) हमला कैसा हमला दीदी और किसने किया....
सुमन – पता नहीं सुनैना लेकिन एक आदमी ने साहिल की पीठ पे चाकू मारा था ये तो अच्छा हुआ कि साहिल ठीक था और फिर हम सही वक्त पर हॉस्पिटल आ गए....
राजेश – (साहिल के पास आके) तू ठीक तो है ना बेटा....
साहिल – जी मै ठीक हूँ....
सुनैना –(लड़की को देख सुमन से) ये कौन है दीदी....
सुमन – (सुनंदा को देख) इनका नाम सुनंदा है , इन्होंने ही हमारी बहुत मदद की इनकी मदद से हम सब वहां से निकल हॉस्पिटल आ गए जहां साहिल का इलाज हुआ और तू जानती है सुनैना ये हमारे ही कॉलेज में टीचर की नौकरी की लिए आई है अगर ये न मिलती तो जाने आज क्या हो जाता...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) ऐसा कुछ नहीं मेरी जगह कोई और होता तो वो भी यही करता....
सरला – (साहिल को सोफे पर बैठा के सुनंदा से हाथ जोड़ के) आपका बहुत बहुत शुक्रिया सुनंदा जी आज आपने मेरे बेटे को बचा के मुझे नई जिंदगी दी है मैं आपका ये एहसान कैसे उतारूंगी....
सुनंदा – (सरला का हाथ पकड़ के) नहीं नहीं आप हाथ मत जोड़िए मैने किसी पे कोई एहसान नहीं किया , जो भी किया मेरा फर्ज था....
सरला – फिर भी आपका बहुत बहुत शुक्रिया सुनंदा जी (साहिल के बगल में बैठ के) दर्द हो रहा है बेटा...
साहिल – हा दादी अभी भी दर्द है....
सरला – ठीक है तू चल अपने कमरे में आराम कर बाद में बाते करेंगे...
बोल के सरला उठी और साहिल का हाथ पकड़ लिया साथ ही दूसरी तरफ राजेश ने साहिल का हाथ पकड़ उसे कमरे लेके जाने लगे सभी , पीछे से सुनंदा मुस्कुरा रही थी , इस तरफ साहिल को उसके कमरे में लाके बेड में बैठा दिया....
सुमन – (सरला से) मां डॉक्टर ने साहिल को पेट के बल आराम करने को कहा है , पीट पे ज़ख्म है उसकी वजह से उसे दिक्कत ना हो....
सरला – तब तो किसी ना किसी को साहिल के साथ रुकना पड़ेगा हर वक्त....
सुमन – मां मै रुक जाती हु वैसे भी मेरा कमरा बगल में ही है....
साहिल – (सरला से) दादी किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है मै संभाल सकता हूँ खुद को....
सरला – हा हा वो सब दिख रहा है मुझे , बस चुप चाप मेरी बात सुन जब तक तू पूरी तरह से ठीक नहीं होता तब तक सुमन रहेगी तेरे साथ , और इससे आगे मैं तेरी कोई बात नहीं सुनूंगी समझा....
साहिल –(मुस्कुरा के) ठीक है मेरी प्यारी दादी जैसा आप कहो वैसा करूंगा मैं....
सुमन – मा वो सुनंदा जी इस शहर में अकेली है उन्होंने हमारे लिए इतना कुछ किया तो मैने उन्हें यहां सबके साथ रहने के लिए कहा है....
सरला – ये तो बहुत अच्छी बात है सुमन , तुमने बहुत अच्छा काम किया....
सुनंदा – अगर आपकी इजाजत हो तो क्या मैं यही साहिल के साथ रुक सकती हूँ , साथ में साहिल की देख भाल भी कर दूंगी मैं....
सरला – अरे नहीं नहीं सुनंद जी आपने इतना कुछ किया है हमारे लिए आपको और परेशानी में नहीं डालेंगे....
सुनंदा – इसमें परेशानी कैसी , टीचर की जॉब लगने से पहले मैं नर्स थी एक अस्पताल में मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी साहिल की देखभाल करने में....
सरला – सच में सुनंदा जी भगवान ने शायद आपको हमारे लिए ही भेजा है , ठीक है साहिल के ठीक होने तक आप यही रुक जाईए और सुमन का भी कमरा बगल में है वो इसमें आपका साथ देगी , उसके बाद मैं आपके लिए रूम सही करवा दूंगी....
सुनंदा – जी शुक्रिया...
सरला – (लता से) लता किसी को बोल के साहिल और सुनंदा जी का समान यहां भिजवा दे और तू खाने की तैयारी कर और साहिल का खाना कमरे में ले आना (सुनंदा से) आप भी फ्रेश हो जाइए थोड़ी देर में सब साथ में खाना खाते है...
सुमन – मां वो बाबू जी (धीरेन्द्र) ने कुछ सामान भेजा है आपके लिए....
सरला – हा तो रख दे कमरे में....
सुमन – वो मां मेरा सामान ऊपर वाले कमरे में है आप एक बार देख लेते तो....
सरला – अच्छा ठीक है चल (साहिल से) तू आराम कर मै अभी आती हु...
बोल के निकल गई सरला , सुमन के साथ , साथ में बाकी सभी सुमन के कमरे में आते ही सुमन ने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया तब...
सुमन – मां आपको एक जरूरी बात बतानी है...
सरला – क्या बात है सुमन ऐसे अचानक से...
फिर सुमन ने वो सब बता दिया जो मन्दिर में हुआ कैसे वो मन्दिर में आए कैसे साहिल पर हमला हुआ और कैसे साहिल ने सबको मारा कैसे अस्पताल में आए और वहां आते ही साहिल ने जो कहा ये सारी बात सुन...
सरला –(हैरानी से) ये कैसे हो सकता है साहिल ने सबको मारा और उसे ही याद नहीं....
सुमन – मां अगर उस वक्त आप भी साहिल का वो रूप देखते शायद आपको भी यकीन नहीं होता , मां जिस रात रनवीर ने लाला का बेटा और उसके भाई और दोनों बेटो को मारा था उससे भी ज़्यादा भयानक मंजर था आज का जब साहिल उन सभी को बेहरमी से मार रहा था...
सरला – हम्ममम फर्क बस इतना सा है उस रात रनवीर ने तुझे बचाया था और आज साहिल ने तुझे और कविता को बचाया , उस वक्त वो सिर्फ चार थे और आज उससे ज्यादा , लेकिन एक बात समझ नहीं आई किसकी इतनी हिम्मत हो गई जिसने हमारे खानदान की तरफ आंख उठा के देखा होगा....
सुमन – मुझे ठीक से याद नहीं मां वो आदमी कुछ बोल तो रहा था लेकिन साहिल को उस हालत में देख मैने ध्यान नहीं दिया उसकी कही किसी बात पर....
सरला – शुक्र है ऊपर वाले का उसने कुछ भी गलत नहीं होने दिया मेरे परिवार के साथ , खेर मै मौका देख के साहिल से बात करूंगी इस बारे में , खेर वहां जो हुआ तुम इस बारे में किसी से बात मत करना , अब तुम भी फ्रेश हो जाओ खाना खा के आराम कर लो तुम्हे साहिल का भी ध्यान रखना है...
सुमन – जी मां....
इधर ये दोनों बात कर रहे थे वहीं साहिल के कमरे में...
सुनंदा – (साहिल से) तुम्हारा कमरा बहुत सुंदर है....
साहिल – हम्ममम मै भी देख रहा हूँ आज पहली बार इस कमरे को....
सुनंदा – पहली बार ऐसा क्यों बोल रहे हो तुम....
साहिल – (मुस्कुरा के) सच ही तो बोल रहा हूँ ८ से ९ साल बाद आया हूँ इस घर में सब कुछ बदल चुका है यहां पर....
लता – (अपने साथ दोनों का समान कमरे में लाते हुए) हा साहिल बाबा बदला काफी कुछ है इस घर में आपका ये कमरा आपके जाने के बाद अभी खुला है....
साहिल – (लता से) आप कौन है और मेरे नाम के साथ बाबा....
लता – (मुस्कुरा के) आपने मुझे पहचाना नहीं शायद मेरा नाम लता है मै यहां काम करती हूँ , बचपन में आप मेरे साथ बहुत खेलते थे , मै आपको साहिल बाबा बुलाती थी , आपको याद नहीं....
साहिल – (मुस्कुरा के) यहां से जाने के बाद कुछ समय के लिए हर किसी को बहुत याद करता था , और फिर दादी के सिवा सबको भूल गया मै बस याद रही तो सिर्फ एक बात की कभी वापस नहीं आऊंगा यहां पर मैं....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) एक न एक दिन तो सभी को लौट के आना ही होता है साहिल शायद यही वक्त था तुम्हारे लौटने का वापस अपने घर पर...
साहिल – हम्ममम शायद कुछ वक्त के लिए बस....
लता – ऐसा क्यों बोल रहे हो आप बाबा अब आप कही नहीं जाओगे यही रहोगे हमेशा के लिए....
साहिल – (मुस्कुरा के) देखते है कितना वक्त लगता है इस बार , खेर आप मेरा खाना रहने देना मेरी इच्छा नहीं है खाने की....
सुनंदा – (बीच में लता से) आप एक काम करो खाना लेके आओ मै खिला दूंगी साहिल को....
लता – जी ठीक है....
बोल साहिल को एक बार देख के बाहर जाने लगी , कमरे के बाहर आके...
लता – (अपने मन में – क्या हुआ है साहिल बाबा को इतने सालों बाद आज घर आए है और आते ही , लगता है दादी के कहने से आए है घर में वर्ना बातों से यही लगता है शायद वापस ही नहीं आना चाहते थे यहां कभी , गलती तो साहिल को भी नहीं है इसमें , जो हुआ उनके साथ उसके बाद कौन आना चाहेगा उस घर में)....
सोचते हुए चली गई लता जबकि कमरे में....
साहिल – (सुनंदा से) आपने क्यों मंगवा लिया खाना मेरी सच में इच्छा नहीं है खाने की....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) हो सकता है लेकिन खाना तो खाना ही पड़ेगा तुम्हे वर्ना ठीक कैसे होगे भूल गए जख्मी हो तुम खून भी बहा है तुम्हारा इसीलिए खाना तो पड़ेगा ही....
साहिल – (मुस्कुरा के) आपने कहा था कि हम स्कूल में मिले है लेकिन आपको अपने स्कूल में मैने कभी देखा ही नहीं फिर हम कब मिले थे....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) दो साल पहले हम स्कूल की पिकनिक पर मिले थे साथ में तुम्हारा दोस्त भी था....
साहिल – आपको सच में याद है और मुझे याद ही नहीं आपके बारे में....
सुनंदा – हम्ममम जैसे तुम्हे अपनी दादी के सिवा परिवार का कोई याद नहीं शायद वैसे ही...
साहिल – काफी फर्क है दोनों बातों में....
सुनंदा – और वो क्या....
साहिल – जाने दीजिए इस बात को , मै फ्रेश होके आता हु....
सुनंदा – मै मदद करती हूँ....
साहिल – नहीं मै कर लूंगा जरूरत होगी बता दूंगा आपको....
सुनंदा – ठीक है दरवाजा बंद मत करना बस जरूरत पड़े बुला लेना....
साहिल – ठीक है....
इस तरफ कविता के कमरे में अवनी , खुशी , सोनम , पूनम बैठे बात कर रहे थे....
सोनम – (कविता से) क्या हुआ था वहां पर कैसे हुआ ये सब....
कविता – गांव में रामू काका की जगह कोई और लें आया हमें जब पूछा तो बताया उसने की रामू काका की तबियत अचानक खराब होगई इसीलिए वो आया उनकी जगह उसके बाद हम निकल गए रास्ते में उस आदमी ने रास्ता बदल लिया तब एक मंदिर में गाड़ी रोकी उसने पहले तो याद नहीं आ रहा था लेकिन बाद में याद आया कि उस मंदिर में हम पहले भी आ चुके है....
पूनम – कौन से मंदिर की बात कर रही है तू....
कविता – अरे वही जब राघव चाचा की शादी में हम गए थे एक बार तब धीरेन्द्र दादा के साथ हम गए थे घूमने उस मन्दिर में तब उन्होंने क्या कहा था याद है ना....
खुशी – हा उन्होंने कहा था कि इस मन्दिर में हमारे परिवार वालों के सिवा कोई नहीं आ सकता है और जो भी आया वो यहां के मायाजाल में फंस के पागल होके आता है....
कविता – उसी मंदिर में गए थे हम लेकिन....
अवनी – लेकिन क्या कविता....
कविता – अगर दादा जी की बात सच थी तो वहां पर वो सब कैसे आए थे और वो ड्राइव जो रामू काका की जगह आया वो कैस लेके आया हमें उस मंदिर के रस्ते में....
पूनम – कौन थे वो लोग....
कविता – पता नहीं दीदी लेकिन उन्होंने मंदिर में ही हमें घेर लिया था और शायद साहिल भाई समझ गए थे तभी वो मां और मुझे लेके जाने लगे मन्दिर से लेके तभी एक आदमी ने साहिल भाई को पीछे से चाकू मार दिया उसके बाद पता नहीं क्या हुआ दीदी मै बेहोश हो हुई थी जब होश आया तो अपने आप को कार में पाया तब साहिल भाई को हॉस्पिटल में लेके आए थे हम लोग उसके बाद यहां आ गए....
सोनम – ये तो बहुत अजीब बात है कौन हो सकता है वो जिसने ऐसा किया और सबसे बड़ी बात वो उस मन्दिर में कैसे आ गए....
इन सब बातों में उलझे हुए थे यहां पर ये पांचों जबकि नीचे हाल में उसी वक्त रनवीर आ गया आते ही....
रनवीर – (राजेश से मिला जो अपनी सोच में डूबा बैठा था सोफे पर जिसे रनवीर के आने का पता नहीं चला तब) क्या हुआ भैया आप यहां क्यों बैठो हो....
अपने सामने रनबीर को देख उसे सारी बात बताता है तब....
रनवीर – (चौक के) क्या ये सब कैसे और सुमन और कविता कैसे है....
राजेश – वो ठीक है कमरे में है अपने....
रनवीर – मै मिल के आता हु....
राजेश – रनवीर तुम्हे क्या लगता है कौन कर सकता है ये सब कही लाला का हाथ तो नहीं इसमें....
रनवीर – लाला नहीं हो सकता है भईया क्योंकि वो इसका अंजाम अच्छे से जानता है , ये जरूर कोई हमारा बिजनेस का दुश्मन होगा जिसने ये बेवकूफी की होगी वरना आप खुद सोचो भईया भला मंदिर में कैस जा सकता है कोई तभी तो मारे गए सब के सब....
राजेश – हम्ममम तुम ठीक कह रहे हो रनवीर....
बोल के रनवीर जैस ही अपने कमरे में गया वहां सुमन को ना पाके बाहर आया आते ही....
रनवीर – भईया अपने सुमन को देखा कमरे में नहीं है वो....
राजेश – अरे हा मै बताना भूल गया वो ऊपर साहिल के कमरे में है....
रनवीर – वो यहां पर...
राजेश – हा मा के कहने पर आया है , देखो रनवीर वो बेटा है हमारे घर का तुम उसे पसंद नहीं करते हो ये जानता हु मैं , तो प्लीज ऐसा कुछ मत करना जिससे मां को तकलीफ हो....
रनवीर – ये जानते हुए भी कि उसने क्या किया है....
राजेश – भूल जाओ उस बात को रनवीर सिर्फ आज में जीना सीखो बस...
रनवीर – मै कभी नहीं भूल सकता हु उस बात को भईया भले आप भूल जाओ....
बोल के रनवीर ऊपर कमरे की तरफ जाने लगा साहिल के कमरे में आके जहां साहिल बाथरूम में बाहर आ रहा था वही बेड में सुनंदा बैठी थी तभी....
रनवीर –(कमरे में आके साहिल से) सुमन कहा है....
साहिल बिना ध्यान दिए बेड में बैठ गया....
साहिल – (सुनंदा से) ये दादी के बेटे है इनका नाम रनवीर है वही जिनकी बीवी और बेटी के साथ हम यहां आए है....
तभी रनवीर का ध्यान सुनंदा पर जाता है उसे आंखे फाड़े देखता रह जाता है जिसे सुनंदा देख लेती है साथ में साहिल भी देख लेता है तब....
साहिल – मुझे पता नहीं....
रनवीर – (चौक के) क क्या कहा....
साहिल – (मुस्कुरा के) पता नहीं कहा है आपकी बीवी....
रनवीर – (सुनंदा से) आप कौन है....
सुनंदा – मेरे नाम सुनंदा है , सुमन लेके आई है मुझ यहां पर....
रनवीर – हम्ममम ठीक है (साहिल से) यहां पर अपनी हद में रहना तुम समझे....
साहिल – आप ये बात दादी मा के सामने कहिएगा और ज्यादा दिक्कत हो तो दादी से मना कर दीजियेगा....
बात सुन रनवीर कमरे में बाहर चला गया तभी उसने ध्यान दिया कि बगल वाला कमरा खुले आ हुआ है वहा जाके देखा तो सुमन और सरला आपस में बात कर रही थी तब....
रनवीर – (कमरे में आके सुमन से) तुम यहां क्या कर रही हो मुझे लगा अपने कमरे में होगी...
सुमन – अपने ही कमरे में हूँ मैं....
रनवीर – क्या मतलब , ये तुम्हारा कमरा कैसे वो तो नीचे है....
सुमन – नहीं ये है अब से मेरा कमरा....
रनवीर – ये कैसी बाते कर रही हो तुम सुमन अपना कमरा छोड़ के इस कमरे में अकेले क्यों....
सुमन – अकेले कहा हूँ साहिल है बगल के कमरे में और कविता का भी कमरा है....
रनवीर – मतलब साहिल की वजह से तुम यहां पर....
सुमन – हा ताकि साहिल के करीब रह सकू....
रनवीर – जब से गांव में मिली हो उससे जाने तब से क्या हो गया है तुम्हे इतने सालों तक तो जिसके बारे में सोचा नहीं आज अचानक उसके करीब रहने की बात कर रही हो....
सुमन – अकल पे पर्दा था मेरे जो सच और झूठ में फर्क नहीं कर पाई , सबकी तरह करती गई गलती पर गलती....
रनवीर – (बात न समझ के) क्या मतलब है तुम्हारा....
सुमन – मतलब साफ है गलती को सुधारना चाहती हूँ मैं और वैसे भी बारह सालों से कौन सा घर में रहते आए हो , आपको तो घर में बाहर रहने में मजा आने लगा है बारह सालों में....
रनवीर – (मुस्कुरा के) ओह तो ये बात है इतने वक्त से तुम्हे मै वक्त नहीं दे पाया , हा मानता हूँ सुमन काम की वजह से मुझ कई बार घर के बाहर रहना पड़ता रहा है लेकिन मै वादा करता हूं अब ऐसा बिल्कुल नहीं होगा काम के साथ घर पर भी वक्त दूंगा मै चलो अब अपने कमरे में....
सुमन – अब यही मेरा कमरा है और मुझे किसी भी तरह साहिल के करीब रहना है.....
रनवीर – वो तो तुम अपने कमरे में रह कर भी रह सकती हो करीब उसके , रह तो रहा है ना वो इस घर में....
सुमन – नहीं वो जख्मी है अभी , उसे कभी भी जरूरत पड़ सकती है मेरी इसीलिए इस कमरे में रहूंगी....
रनवीर – ठीक है उसके ठीक होते ही आजाना तुम....
सुमन – तब की तब देखेंगे....
रनवीर – (कुछ पल सुमन को गौर से देखता है तब) ठीक है....
बोल के निकल जाता है रनवीर कमरे से तब....
सरला – बहुत जिद्दी है रनवीर मानेगा नहीं....
सुमन –(मुस्कुरा के) साहिल से ज्यादा नहीं है मां , लेकिन मैं भी हार नहीं मानने वाली हूँ....
सरला – वो तू देख ले , चल फ्रेश होके खान के लिए आजा नीचे मैं साहिल के पास जा रही हूँ....
बोल के सरला निकल गई साहिल के कमरे में , इधर साहिल बेड में बैठा कुछ सोच रहा था सुनंदा फ्रेश होने गई थी बाथरूम में तभी....
साहिल – (मन में सोचते हुए – इतना कुछ होगया आज और अच्छा हुआ सेमेंथा ने नहीं देखा वर्ना....
इससे पहले साहिल आगे कुछ बोलता तभी....
सेमेंथा – वर्ना क्या साहिल....
साहिल – (चौक के) तुम यहां पर कैसे....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) मैने कहा था ना तुमसे जब भी तुम मुझे याद करोगे या पुकारोगे अपने पास पाओगे....
साहिल – (अपने सिर में हाथ रख के) अरे हा यार मै सच में भूल गया था एक्सीडेंट के चक्कर में....
सेमेंथा – (हैरान होके) एक्सीडेंट , किसका एक्सीडेंट साहिल....
साहिल – (घबरा के) क क किसी का नहीं हुआ मै तो तो ऐसे ही ही बो बोला मै....
सेमेंथा – (साहिल को घूर के देखते हुए) सच सच बताओ साहिल बात क्या है....
साहिल – (मन्दिर में कैसे उसे चाकू मारा पीठ में ये बात बता के) उसके बाद मै बेहोश हो गया जब होश आया तो हॉस्पिटल में था....
सेमेंथा – (साहिल के पास आके) और तुमने मुझे बुलाया तक नहीं एक बार याद तो कर सकते थे न (दूसरी तरफ सिर घुमा के) शायद तुमने मुझे कभी अपना समझा ही नहीं साहिल , मै ही पागल थी....
साहिल – (सेमेंथा का हाथ पकड़ के) तुम्हे नहीं लगता तुम कुछ ज्यादा ही सोच रही हो....
सेमेंथा – सही तो सोच रही हूँ मैं....
साहिल – (सेमेंथा को गले लगाते हुए) जिसको कहो उसकी कसम खा के बोलने को तैयार हु मैं , ये सब इतनी जल्दी में हुआ मुझे मौका ही नहीं मिला कुछ भी सोचने का....
साहिल की बात सुन जोर से गले लगती है जिससे साहिल को पीठ में दर्द होता है....
साहिल – (दर्द में) आआआहह....
सेमेंथा – (चौक के) क्या हुआ तुम्हे....
साहिल – कितने जोर से गले लगी हो पीठ में दर्द हो रहा है....
सेमेंथा – सौरी माफ करना मुझे ध्यान नहीं रहा....
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) देखा इसी तरह मुझे भी ध्यान नहीं रहा था....
सेमेंथा – (हाथ से चुटकी बजा के) आगे से मै हर वक्त साथ रहूंगी तुम्हारे....
साहिल – वो तो ठीक है लेकिन अभी तुमने क्या किया चुटकी बजा के.....
सेमेंथा – कुछ खास नहीं तुम्हारा ज़ख्म सही कर दिया....
साहिल – (चौक के) ये क्या किया तुमने....
सेमेंथा – ऐसा क्यों बोल रहे हो....
साहिल – तुम भूल रही हो सेमेंथा मै अब अकेला नहीं हूँ इस घर में सबको पता है मेरे ज़ख्म के बारे में क्या जवाब दूंगा मै उनको....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) मैने तुम्हारा ज़ख्म सही किया है सिर्फ , ज़ख्म वही का वही है अभी भी बस तुम्हे अब तकलीफ नहीं होगी और न दर्द....
साहिल –(मुस्कुरा के) तुमने तो सच में मुझे डरा दिया था....
इससे पहले कोई कुछ बोलता तभी बाथरूम से कुछ गिरने की आवाज आती है जिसे सुन....
सेमेंथा –(आवाज सुन के) कौन है वहां पर....
साहिल – मै बताना भूल गया वो औरत जो हॉस्पिटल में लेके आई थी हमलोग को ये वही है कॉलेज में टीचर के लिए आई है और वो सुमन ने इसे यही रहने को बोला है....
साहिल ने इतना बोला था तभी बाथरूम का दरवाजा खुला वहां से सुनंदा बाहर निकली तभी सेमेंथा गौर से देखने लगी सुनंदा को तब....
सुनंदा – (साहिल से) किस्से बाते कर रहे थे तुम कोई आया था कमरे में....
साहिल – नहीं वो मै फोन पर बात कर रहा था दोस्त से अपने....
सुनंदा – (सेमेंथा को एक नजर देख हल्का मुस्कुरा के) अच्छा ठीक है तुम खड़े क्यों हो बेड में आराम करो....
साहिल – ओह हा वो मेरा मन हो गया था इसीलिए....
ठीक उसी वक्त लता आ गई सरला के साथ खाना लेके साहिल के कमरे में इधर इन तीनों ने साहिल के कमरे में खाना खाया और बाकी के लोगों ने हाल में खान खा के चले गए कमरे में सोने तब...
सुमन – (साहिल के कमरे में आके साहिल से) मेरा कमरा बगल में है और तुम्हारे कमरे से दरवाजा लगा हुआ है , जो खुला रहेगा , अगर कोई भी जरूरत हो तो बुला लेना....
साहिल – फिलहाल मै ठीक हु जरूरत नहीं है मुझे....
साहिल – (मुस्कुरा के) कोई बात नहीं मैं चक्कर लगाती रहूंगी बीच बीच में....
बोल के सुमन चली गई अपने कमरे में उसके जाते ही...
सुनंदा – (साहिल से) तुम इतना गुस्से में क्यों बात करते हो सुमन से....
साहिल – मुझे आदत नहीं किसी के सहारे की वो जबरदस्ती पीछे पड़ जाती है....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) इसे जबरदस्ती नहीं कहते साहिल इसे प्यार कहते है....
साहिल – (हस्ते हुए) प्यार वो भी ये जाने दीजिए इससे अच्छा मजाक मैने अभी तक नहीं सुना....
सुनंदा – ऐसा क्यों बोल रहे हो....
साहिल – वो मेरी कुछ नहीं लगती है इस दुनिया में मेरा अगर कोई है तो वो सिर्फ दादी और मेरा दोस्त कमल और कोई नहीं....
बोल के साहिल बेड में लेट गया दूसरी तरफ मु करके जिसे देख सुनंदा हल्का मुस्कुरा रही थी जिसे सेमेंथा देख रही थी तब सुनंदा ने हवा में हल्का सा हाथ घुमाया और साहिल गहरी नींद में सो गया तब....
सुनंदा –(सेमेंथा से) कैसी हो तुम...
सेमेंथा , सुनंदा की आवाज सुन साहिल को देखने लगी तब....
सुनंदा –(मुस्कुरा के) परेशान मत हो साहिल को गहरी नींद में सुला दिया है मैने....
बात सुनते ही सेमेंथा तुरंत सुनंदा के गले लग गई तब....
सेमेंथा – मां आप वापस आ गया अपने बताया नहीं और ये सब साहिल के साथ अचानक से कैसे....
सुनंदा – सब बताऊंगी उससे पहले हमे चलना होगा मंदिर में अभी....
सेमेंथा – मंदिर में अभी क्यों मां....
सुनंदा – ऋषिवर से मिलने , बाकी वही चल के सब पता चल जाएगा चलो फिर जल्दी से वापस भी आना है हमें....
बोल के दोनों गायब हो गए वहां से और आ गए उसी मंदिर में जहां साहिल ने सबको मारा था मंदिर में आते हो सामने जगन्नाथ बाबा मिले....
सुनंदा – (जगन्नाथ बाबा से) प्रणाम ऋषिवर....
जगन्नाथ बाबा – प्रणाम देवी , बताए देवी कैसे आना हुआ....
सुनंदा – बाबा आपने तो देखा होगा आज मेरा पुत्र वापस आ गया और आते ही उसने जो किया....
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) पता है देवी हमने पहले ही ये सब देख लिया था....
सुनंदा – बाबा अब आगे क्या और कैसे करना है....
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) देवी आगे के लिए जो करना है आपको ही करना होगा आपके पुत्र की सभी शक्तियों को आपको ही उसे प्राप्त करने में सहायता करनी होगी लेकिन....
सुनंदा – लेकिन क्या बाबा...
जगन्नाथ बाबा – आपने शायद ध्यान नहीं दिया एक बात पर देवी....
सुनंदा –(हैरानी से) कौन सी बात पर ध्यान नहीं दिया मैने ऋषिवर....
जगन्नाथ बाबा – समय का चक्र वापस घुमा है....
सुनंदा – समय का चक्र , मै कुछ समझी नहीं ऋषिवर और किसके लिए घूमा समय चक्र और क्यों....
जगन्नाथ बाबा – ये सब शिव की लीला है देवी , एक मां की अधूरी ममता उसका प्यार और बेटे का प्यार उसकी मां के प्रति जो अधूरा रह गया था उनके सच्चे प्यार के खातिर समय चक्र घूमा है आज और अब जल्द ही आपके पुत्र की भेट होने वाली है उनसे....
सुनंदा – परन्तु ऋषिवर इस बात का हमसे क्या ताल्लुख है....
जगन्नाथ बाबा – ताल्लुख है देवी , समय चक्र घूमने से आपके दूसरे पुत्र BD का ध्यान धरती लोक में आ चुका होगा और अब वो बिल्कुल भी चुप नहीं बैठेगा BD जरूर कोई चाल चलेगा आप तक आने की इसीलिए अब आपको और ज्यादा सावधान रहने की जरूरत पड़ेगी क्योंकि आपके पुत्र ने अपनी शक्ति अभी तक प्राप्त नहीं की है लेकिन इन सब के बाद जैसे ही आपके पुत्र ने अपनी पहली शक्ति प्राप्त की BD को समझते देर नहीं लगेगी आप धरती लोक में कहा छिपे हुए हो....
सुनंदा – तो ऋषिवर अब क्या करे हम....
जगन्नाथ बाबा – BD आपके पुत्र साहिल तक ना पहुंचे इसके लिए आपके पुत्र का उस लड़के के साथ होना जरूरी हो गया है....
सुनंदा – आखिर ऐसी क्या खासियत है उस लड़के में ऋषिवर.....
जगन्नाथ बाबा – उस लड़के पर शिव जी की कृपा है देवी उस लड़के ने अपने पूर्व जनम में कड़ी तपस्या की जिस वजह से शिव जी ने उसे वरदान के सरुप में काल भैरव दिया लेकिन उसे पूर्व जन्म में जितना उसे प्यार मिला उतनी ज़्यादा तकलीफ उसे इस जन्म में मिली छल कपट से उसकी मां को उससे दूर कर दिया गया उस लड़के ने हिम्मत न हारी अंत में वो मां आई अपने पुत्र के पास वापस लेकिन तब मृत्यु ने दूर कर दिया उस मां से उसके पुत्र को पश्चाताप की अग्नि में जलते हुए उस मा ने शिव जी के सामने गुहार लगाई तब काल भैरव ने उस मां के असीम प्रेम और उस लड़के का अपने मा के प्रति अधूरे प्रेम के खातिर काल भैरव ने समय चक्र को घुमा दिया और उस मा को एक मौका दिया ताकि इस बार पुत्र और मां का प्रेम अधूरा ना रह जाए लेकिन अब काल भैरव उस लड़के के साथ तो नहीं है लेकिन उनकी शक्ति उस लड़के के साथ है इसीलिए उस लड़के का साथ आपके पुत्र के लिए जरूरी है जिस वजह से आपके दूसरे पुत्र BD का ध्यान आपके पुत्र पर जल्दी नहीं जाएगा....
सुनंदा – ऋषिवा कौन है वो मां और वो लड़का....
जगन्नाथ बाबा – जल्द ही आपकी भेट होगी उस लड़के और उसकी मां से परन्तु याद रहे देवी इस लड़ाई में अब आप अकेले नहीं हो वो मां और बेटा का साथ भी होगा इसमें , आपको उनका पूरा साथ देना होगा देवी तभी आपकी वर्षों की तपस्या सफल होगी....
सुनंदा – जी ऋषिवर में साथ दूंगी उनका....
जगन्नाथ बाबा – अति उत्तम देवी (सेमेंथा से) सेमेंथा पुत्री.....
सेमेंथा – (हाथ जोड़ के) जी बाबा....
जगन्नाथ बाबा – पुत्री अब तुम्हे साहिल और अपनी मां (सुनंदा) का साथ देना है जैसा वो कहे वैसा करना पुत्री तभी तुम्हारे जन्म का असली मकसद पूरा होगा....
सेमेंथा – जी बाबा....
जगन्नाथ बाबा – हम्ममम अब आप प्रस्थान करे जल्द ही हमारी मुलाक़ात होगी और इस बीच कभी भी आपको जरूरत पड़े हमारी तो मन में याद करिएगा....
इसके साथ सुनंदा और सेमेंथा दोनों ने एक साथ जगन्नाथ बाबा को प्रणाम कर वहां से गायब हो कर साहिल के पास आ गए....
सेमेंथा – (सुनंदा से) अब क्या करना है मां....
सुनंदा – अब हमें जो करना है जल्दी ही करना होगा इससे पहले BD को पता चले साहिल के बारे में हमें उसे सुरक्षित करना होगा किसी तरह....
सेमेंथा – लेकिन कैसे मां....
सुनंदा – मैने उस बारे में सोच लिया है सेमेंथा अपने पुत्र को बचाने के लिए मै वो करूंगी जिसके बाद साहिल पर ध्यान गलती से भी नहीं जाएगा BD का जिसके बाद साहिल के लिए और भी आसान हो जाएगा अपनी शक्ति को प्राप्त करना....
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जारी रहेगा
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ये दोनों मां और बेटा कौन है जल्द ही इस बारे में पता चल जाएगा आप सबको बस इन्तजार कीजिए आने वाले UPDATES का
Superb and very awesome update loved itUPDATE 21
LOCATION....सरला सिंह का घर....
लता (नौकरानी) – (सरला से) माजी आप सब अकेले आए है साहिल कहा है और सुमन दीदी और कविता भी नहीं दिख रहे....
सरला – वो भी आ रहे है लता , अब तू सब छोड़ पहले जाके जल्दी से आरती की थाली ले आ आज साहिल कई सालों बाद घर वापस आ रहा है ना...
लता – तो क्या इसीलिए बाकी सब बाद में आयेगे...
सरला – हा और सुन साहिल का कमरा तैयार है ना कोई कमी तो नहीं रह गई है....
लता – नहीं माजी सब कुछ मैने पहले से तैयार कर दिया है....
रिकी (राजेश और रीना का बेटा) – (सरला से) दादी कौन आ रहा है....
सरला – (मुस्कुरा के) तेरा बड़ा भाई साहिल आ रहा है आज घर में....
रिकी – मेरा बड़ा भाई और आपने मुझे बताया नहीं गलत बात है दादी...
सरला – (मुस्कुर के) अरे मेरा बेटा तो नाराज हो गया अपनी दादी से....
रिकी – और नहीं तो क्या एक तो आपने कभी बताया नहीं मेरा बड़ा भाई भी है ऊपर से भैया आ रहे है अपने बताया नहीं नहीं तो मै भईया के लिए गिफ्ट लेके आता....
सरला – (चौक के) अच्छा क्या गिफ्ट लाते अपने भईया के लिए....
रिकी – मै क्यों बताऊं , आपको पता नहीं गिफ्ट के बारे में बताया नहीं जाता , दिया जाता है....
सरला – (मुस्कुर के) ओह हो मै तो सच में भूल ही गई थी इस बारे में....
रिकी – लेकिन मुझे तो सब याद रहता है दादी क्योंकि मै आप सब से ज्यादा समझदार हूँ...
सरला – (मुस्कुरा के) बिल्कुल सच बात है मेरे बेटे से ज्यादा होशियार कोई नहीं पूरे घर में , चलो जल्दी से तैयार हो जाओ तुम्हारे साहिल भईया थोड़ी देर में आने वाले है फिर हम सब मिल के उनकी आरती उतारेंगे....
रिकी – दादी साहिल भईया की आरती क्यों उतारनी है....
सरला – बेटा आपके साहिल भईया बाहर गए हुए थे पढ़ाई करने बचपन में आज बहुत सालों बाद पढ़ाई करके घर आ रहे है इसीलिए उनकी आरती उतारनी है ताकि किसी की नजर न लगे उनको...
रिकी – तो दादी आपने हमारी कभी आरती नहीं उतारी अगर हमें किसी की नजर लग गई तो...
इस वक्त सरला की हवेली में सुनैना , सोनम , पूनम , राजेश , अवनी , खुशी , लता और इन सबसे अलग बैठी रीना ये सब रिकी की मासूमियत भरी बाते सुन सभी मुस्कुरा रहे थे जबकि रिकी शरीर से बड़ा जरूर हो गया था लेकिन उसका दिमाग आज भी एक बच्चे की तरह था भोला भला बच्चा जिसे घर में सभी आज भी वैसे ही प्यार करते थे जैसे छोटे बच्चे से प्यार करते है फिलहाल आगे बढ़ते है....
सरला – (रिकी के सिर पे हाथ फेर के) ऐसे कैसे लगेगी किसी की नजर मेरे बच्चे को उसके हाथ पैर ना तोड़ दूं मै...
रिकी – तो दादी आज आप साहिल भईया के साथ हमारी भी नजर उतारोगे ना...
सरला – (मुस्कुरा के) हा बिल्कुल मेरे बच्चे....
उसके बाद सभी काफी देर तक इंतजार करते रहे साहिल , सुमन और कविता के आने का लेकिन नहीं आए तब....
सुनैना – (सरला से) बड़ी देर हो गई मां अभी तक आए नहीं ये लोग....
खुशी – मां देर तो लगेगी ना हमें भी तो घर आने में २ से ३ घंटे लग गए थे ना....
पूनम – वैसे भी चाची आज मौसम भी काफी खराब हो गया है हो सकता है उस तरफ बारिश हो रही हो इसीलिए देर हो रही हो उन्हें....
अवनी – मै कविता को कॉल करके पता करती हूँ...
लेकिन कॉल रिसीव नहीं होता कविता का जबकि अवनी कई बार कॉल करती है तब...
अवनी – ये कविता कॉल क्यों नहीं रिसीव कर रही है...
खुशी – (गुस्से में) ये कविता भी ना जब देखा अपना फोन साइलेंट करके रख देती है , मैं सुमन चाची को कॉल मिलती हूँ....
लेकिन सुमन का कॉल भी रिसीव नहीं होता....
खुशी – ये चाची का भी फोन रिसीव नहीं हो रहा है (सरला से) दादी आप जरा साहिल भईया को कॉल मिला के पूछिए ना...
सरला – हा एक मिनिट मै करती हु....
लेकिन साहिल का भी कॉल रिसीव नहीं होता जिसके बाद....
सरला – कमाल है साहिल भी रिसीव नहीं कर रहा कॉल मेरी....
सुनैना – मां हो सकता है इन लोगों ने अपना फोन बैग में रखा होगा शायद इसलिए कॉल रिसीव नहीं कर पा रहा हो....
अवनी – तीनों ने अपना फोन बैग में रखा होगा क्या मां ऐसा जरूरी तो नहीं....
सरला – मै रामू को फोन करती हूं....
लेकिन उसका फोन मिलता ही नहीं है तब....
सरल – रामू का फोन मिल ही नहीं रहा है , सब लोग ठीक तो है ना वहां पर....
राजेश – (सरला के कंधे पर हाथ रख के) मा तुम परेशान मत हो सब ठीक होगे मैं अभी धीरेन्द्र मामा से बात कर पता करता हूं....
बोल राजेश तुरंत धीरेन्द्र को कॉल करता है....
धीरेन्द्र – (कॉल रिसीव करके) हा राजेश....
राजेश – मामा जी वहां से साहिल , सुमन और कविता निकले नहीं है क्या अभी....
धीरेन्द्र – बेटा उन्हें निकले कई घंटों हो गए है....
राजेश – (चौक के) लेकिन वो लोग यहां अभी तक आए नहीं....
धीरेन्द्र – बेटा बात ऐसी है कि वो सब दिन में निकल गए थे (उसके बाद जो हुआ राजेश को सब बता दिया) राघव भी थोड़ी देर पहले घर आया है ये लो उससे बात करो...
राघव को फोन देके...
राघव – भईया मै पता करने गया था पिताजी से मिली जानकारी के बाद मैं सीधा मंदिर की तरफ चला गया गांव वालो के साथ वहा जाते ही जो देखा मैने वो बहुत भयानक नजारा था....
राजेश – (हैरानी से) ऐसा क्या देखा तुमने....
राघव – भईया वहां पर मुझे ४० लोगो को लाशें मिली....
राजेश – (चौक के) क्या लेकिन कैसे और क्या हुआ था वहां पर....
राघव – ये तो पता नहीं भईया लेकिन १० लोगो की लाश सूखे कूवे में पड़ी हुई थी और बाकी के ३० लोगों की लाश मंदिर के बाहर जमीन पर पड़ी हुई थी देख के ऐसा लगता है जैसे किसी ने बड़ी बेहरमी से मारा होगा उनको....
राजेश – (राघव की बात सुन सोचते हुए) और साहिल , सुमन और कविता वो कहा है....
राघव – वो वहा पर नहीं थे भइया और नाही आपकी कार थी वहां पर , मैने गांव के बाहर का चप्पा चप्पा छान मारा लेकिन साहिल , सुमन , कविता और आपकी कार किसी गांव वाले ने नहीं देखा रस्ते से आते जाते हुए , मैं बस अभी घर आया हूँ अपनी गाड़ी लेके गांव वालो के साथ जा रहा हु ढूंढने उनको...
राजेश – (हैरानी और घबराट से) राघव तुम वहां पता करो मैं यहां से तुरंत निकलता हूँ वहां के लिए....
इससे पहले बात आगे कोई करता तभी....
लता – (सरला से) मां जी वो लोग आ गए....
लता की आवाज सुन....
राजेश – कौन आया है लता....
लता – सुमन दीदी , कविता , साहिल और उनके साथ कोई लड़की भी है....
राजेश – (लता की बात सुन खुश होके राघव से कॉल पर) रुको राघव परेशान होने की जरूरत नहीं है साहिल , सुमन और कवित आ गए है घर में...
राघव – शुक्र है भगवान का भइया , अच्छा भईया आप उनसे बात कर के पता तो करिएगा वो आए कैसे और पता चलते हो बता दीजियेगा , रामू काका के ठीक होते ही उन्हें भिजवा दूंगा शहर में....
राजेश – हा ठीक है राघव....
बोल के कॉल कट कर दिया जिसके बाद घर के सभी बाहर जाने लगे तब...
सरला – (लता से) लता आरती की थाली तो लेके आ जरा....
तभी घर के दरवाजे से सुमन , कविता , साहिल आने लगे उनके साथ एक लड़की थी तभी....
सरला – (सबको रोक के) रुको एक मिनिट जरा साहिल की आरती उतार दूं....
साहिल – आरती लेकिन दादी....
सरला – चुप कर तू बस खड़ा रह वही पर....
जिसके बाद सरला ने पहले साहिल की आरती उतारी उसके सिर पर टिका लगाया तब....
सरला – चल अब बाया पैर आगे कर अन्दर आजा...
सरला की बात सुनते ही साहिल ने वही किया साथ में सुमन , कविता और सुनंदा ने भी अन्दर आते वक्त सरला ने देखा साहिल को धीरे धीरे चलते हुए , साहिल को इस तरह से धीरे धीरे चलते देख....
सरला – (साहिल से) क्या बात है बेटा तू इस तरह धीरे धीरे क्यों चल रहा है....
सुमन – वो मां रस्ते में कुछ लोगो ने हम पर हमला कर दिया था....
हमले की बात सुन सभी हैरान परेशान हो गए तब....
सुनैना – (सुमन से) हमला कैसा हमला दीदी और किसने किया....
सुमन – पता नहीं सुनैना लेकिन एक आदमी ने साहिल की पीठ पे चाकू मारा था ये तो अच्छा हुआ कि साहिल ठीक था और फिर हम सही वक्त पर हॉस्पिटल आ गए....
राजेश – (साहिल के पास आके) तू ठीक तो है ना बेटा....
साहिल – जी मै ठीक हूँ....
सुनैना –(लड़की को देख सुमन से) ये कौन है दीदी....
सुमन – (सुनंदा को देख) इनका नाम सुनंदा है , इन्होंने ही हमारी बहुत मदद की इनकी मदद से हम सब वहां से निकल हॉस्पिटल आ गए जहां साहिल का इलाज हुआ और तू जानती है सुनैना ये हमारे ही कॉलेज में टीचर की नौकरी की लिए आई है अगर ये न मिलती तो जाने आज क्या हो जाता...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) ऐसा कुछ नहीं मेरी जगह कोई और होता तो वो भी यही करता....
सरला – (साहिल को सोफे पर बैठा के सुनंदा से हाथ जोड़ के) आपका बहुत बहुत शुक्रिया सुनंदा जी आज आपने मेरे बेटे को बचा के मुझे नई जिंदगी दी है मैं आपका ये एहसान कैसे उतारूंगी....
सुनंदा – (सरला का हाथ पकड़ के) नहीं नहीं आप हाथ मत जोड़िए मैने किसी पे कोई एहसान नहीं किया , जो भी किया मेरा फर्ज था....
सरला – फिर भी आपका बहुत बहुत शुक्रिया सुनंदा जी (साहिल के बगल में बैठ के) दर्द हो रहा है बेटा...
साहिल – हा दादी अभी भी दर्द है....
सरला – ठीक है तू चल अपने कमरे में आराम कर बाद में बाते करेंगे...
बोल के सरला उठी और साहिल का हाथ पकड़ लिया साथ ही दूसरी तरफ राजेश ने साहिल का हाथ पकड़ उसे कमरे लेके जाने लगे सभी , पीछे से सुनंदा मुस्कुरा रही थी , इस तरफ साहिल को उसके कमरे में लाके बेड में बैठा दिया....
सुमन – (सरला से) मां डॉक्टर ने साहिल को पेट के बल आराम करने को कहा है , पीट पे ज़ख्म है उसकी वजह से उसे दिक्कत ना हो....
सरला – तब तो किसी ना किसी को साहिल के साथ रुकना पड़ेगा हर वक्त....
सुमन – मां मै रुक जाती हु वैसे भी मेरा कमरा बगल में ही है....
साहिल – (सरला से) दादी किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है मै संभाल सकता हूँ खुद को....
सरला – हा हा वो सब दिख रहा है मुझे , बस चुप चाप मेरी बात सुन जब तक तू पूरी तरह से ठीक नहीं होता तब तक सुमन रहेगी तेरे साथ , और इससे आगे मैं तेरी कोई बात नहीं सुनूंगी समझा....
साहिल –(मुस्कुरा के) ठीक है मेरी प्यारी दादी जैसा आप कहो वैसा करूंगा मैं....
सुमन – मा वो सुनंदा जी इस शहर में अकेली है उन्होंने हमारे लिए इतना कुछ किया तो मैने उन्हें यहां सबके साथ रहने के लिए कहा है....
सरला – ये तो बहुत अच्छी बात है सुमन , तुमने बहुत अच्छा काम किया....
सुनंदा – अगर आपकी इजाजत हो तो क्या मैं यही साहिल के साथ रुक सकती हूँ , साथ में साहिल की देख भाल भी कर दूंगी मैं....
सरला – अरे नहीं नहीं सुनंद जी आपने इतना कुछ किया है हमारे लिए आपको और परेशानी में नहीं डालेंगे....
सुनंदा – इसमें परेशानी कैसी , टीचर की जॉब लगने से पहले मैं नर्स थी एक अस्पताल में मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी साहिल की देखभाल करने में....
सरला – सच में सुनंदा जी भगवान ने शायद आपको हमारे लिए ही भेजा है , ठीक है साहिल के ठीक होने तक आप यही रुक जाईए और सुमन का भी कमरा बगल में है वो इसमें आपका साथ देगी , उसके बाद मैं आपके लिए रूम सही करवा दूंगी....
सुनंदा – जी शुक्रिया...
सरला – (लता से) लता किसी को बोल के साहिल और सुनंदा जी का समान यहां भिजवा दे और तू खाने की तैयारी कर और साहिल का खाना कमरे में ले आना (सुनंदा से) आप भी फ्रेश हो जाइए थोड़ी देर में सब साथ में खाना खाते है...
सुमन – मां वो बाबू जी (धीरेन्द्र) ने कुछ सामान भेजा है आपके लिए....
सरला – हा तो रख दे कमरे में....
सुमन – वो मां मेरा सामान ऊपर वाले कमरे में है आप एक बार देख लेते तो....
सरला – अच्छा ठीक है चल (साहिल से) तू आराम कर मै अभी आती हु...
बोल के निकल गई सरला , सुमन के साथ , साथ में बाकी सभी सुमन के कमरे में आते ही सुमन ने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया तब...
सुमन – मां आपको एक जरूरी बात बतानी है...
सरला – क्या बात है सुमन ऐसे अचानक से...
फिर सुमन ने वो सब बता दिया जो मन्दिर में हुआ कैसे वो मन्दिर में आए कैसे साहिल पर हमला हुआ और कैसे साहिल ने सबको मारा कैसे अस्पताल में आए और वहां आते ही साहिल ने जो कहा ये सारी बात सुन...
सरला –(हैरानी से) ये कैसे हो सकता है साहिल ने सबको मारा और उसे ही याद नहीं....
सुमन – मां अगर उस वक्त आप भी साहिल का वो रूप देखते शायद आपको भी यकीन नहीं होता , मां जिस रात रनवीर ने लाला का बेटा और उसके भाई और दोनों बेटो को मारा था उससे भी ज़्यादा भयानक मंजर था आज का जब साहिल उन सभी को बेहरमी से मार रहा था...
सरला – हम्ममम फर्क बस इतना सा है उस रात रनवीर ने तुझे बचाया था और आज साहिल ने तुझे और कविता को बचाया , उस वक्त वो सिर्फ चार थे और आज उससे ज्यादा , लेकिन एक बात समझ नहीं आई किसकी इतनी हिम्मत हो गई जिसने हमारे खानदान की तरफ आंख उठा के देखा होगा....
सुमन – मुझे ठीक से याद नहीं मां वो आदमी कुछ बोल तो रहा था लेकिन साहिल को उस हालत में देख मैने ध्यान नहीं दिया उसकी कही किसी बात पर....
सरला – शुक्र है ऊपर वाले का उसने कुछ भी गलत नहीं होने दिया मेरे परिवार के साथ , खेर मै मौका देख के साहिल से बात करूंगी इस बारे में , खेर वहां जो हुआ तुम इस बारे में किसी से बात मत करना , अब तुम भी फ्रेश हो जाओ खाना खा के आराम कर लो तुम्हे साहिल का भी ध्यान रखना है...
सुमन – जी मां....
इधर ये दोनों बात कर रहे थे वहीं साहिल के कमरे में...
सुनंदा – (साहिल से) तुम्हारा कमरा बहुत सुंदर है....
साहिल – हम्ममम मै भी देख रहा हूँ आज पहली बार इस कमरे को....
सुनंदा – पहली बार ऐसा क्यों बोल रहे हो तुम....
साहिल – (मुस्कुरा के) सच ही तो बोल रहा हूँ ८ से ९ साल बाद आया हूँ इस घर में सब कुछ बदल चुका है यहां पर....
लता – (अपने साथ दोनों का समान कमरे में लाते हुए) हा साहिल बाबा बदला काफी कुछ है इस घर में आपका ये कमरा आपके जाने के बाद अभी खुला है....
साहिल – (लता से) आप कौन है और मेरे नाम के साथ बाबा....
लता – (मुस्कुरा के) आपने मुझे पहचाना नहीं शायद मेरा नाम लता है मै यहां काम करती हूँ , बचपन में आप मेरे साथ बहुत खेलते थे , मै आपको साहिल बाबा बुलाती थी , आपको याद नहीं....
साहिल – (मुस्कुरा के) यहां से जाने के बाद कुछ समय के लिए हर किसी को बहुत याद करता था , और फिर दादी के सिवा सबको भूल गया मै बस याद रही तो सिर्फ एक बात की कभी वापस नहीं आऊंगा यहां पर मैं....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) एक न एक दिन तो सभी को लौट के आना ही होता है साहिल शायद यही वक्त था तुम्हारे लौटने का वापस अपने घर पर...
साहिल – हम्ममम शायद कुछ वक्त के लिए बस....
लता – ऐसा क्यों बोल रहे हो आप बाबा अब आप कही नहीं जाओगे यही रहोगे हमेशा के लिए....
साहिल – (मुस्कुरा के) देखते है कितना वक्त लगता है इस बार , खेर आप मेरा खाना रहने देना मेरी इच्छा नहीं है खाने की....
सुनंदा – (बीच में लता से) आप एक काम करो खाना लेके आओ मै खिला दूंगी साहिल को....
लता – जी ठीक है....
बोल साहिल को एक बार देख के बाहर जाने लगी , कमरे के बाहर आके...
लता – (अपने मन में – क्या हुआ है साहिल बाबा को इतने सालों बाद आज घर आए है और आते ही , लगता है दादी के कहने से आए है घर में वर्ना बातों से यही लगता है शायद वापस ही नहीं आना चाहते थे यहां कभी , गलती तो साहिल को भी नहीं है इसमें , जो हुआ उनके साथ उसके बाद कौन आना चाहेगा उस घर में)....
सोचते हुए चली गई लता जबकि कमरे में....
साहिल – (सुनंदा से) आपने क्यों मंगवा लिया खाना मेरी सच में इच्छा नहीं है खाने की....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) हो सकता है लेकिन खाना तो खाना ही पड़ेगा तुम्हे वर्ना ठीक कैसे होगे भूल गए जख्मी हो तुम खून भी बहा है तुम्हारा इसीलिए खाना तो पड़ेगा ही....
साहिल – (मुस्कुरा के) आपने कहा था कि हम स्कूल में मिले है लेकिन आपको अपने स्कूल में मैने कभी देखा ही नहीं फिर हम कब मिले थे....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) दो साल पहले हम स्कूल की पिकनिक पर मिले थे साथ में तुम्हारा दोस्त भी था....
साहिल – आपको सच में याद है और मुझे याद ही नहीं आपके बारे में....
सुनंदा – हम्ममम जैसे तुम्हे अपनी दादी के सिवा परिवार का कोई याद नहीं शायद वैसे ही...
साहिल – काफी फर्क है दोनों बातों में....
सुनंदा – और वो क्या....
साहिल – जाने दीजिए इस बात को , मै फ्रेश होके आता हु....
सुनंदा – मै मदद करती हूँ....
साहिल – नहीं मै कर लूंगा जरूरत होगी बता दूंगा आपको....
सुनंदा – ठीक है दरवाजा बंद मत करना बस जरूरत पड़े बुला लेना....
साहिल – ठीक है....
इस तरफ कविता के कमरे में अवनी , खुशी , सोनम , पूनम बैठे बात कर रहे थे....
सोनम – (कविता से) क्या हुआ था वहां पर कैसे हुआ ये सब....
कविता – गांव में रामू काका की जगह कोई और लें आया हमें जब पूछा तो बताया उसने की रामू काका की तबियत अचानक खराब होगई इसीलिए वो आया उनकी जगह उसके बाद हम निकल गए रास्ते में उस आदमी ने रास्ता बदल लिया तब एक मंदिर में गाड़ी रोकी उसने पहले तो याद नहीं आ रहा था लेकिन बाद में याद आया कि उस मंदिर में हम पहले भी आ चुके है....
पूनम – कौन से मंदिर की बात कर रही है तू....
कविता – अरे वही जब राघव चाचा की शादी में हम गए थे एक बार तब धीरेन्द्र दादा के साथ हम गए थे घूमने उस मन्दिर में तब उन्होंने क्या कहा था याद है ना....
खुशी – हा उन्होंने कहा था कि इस मन्दिर में हमारे परिवार वालों के सिवा कोई नहीं आ सकता है और जो भी आया वो यहां के मायाजाल में फंस के पागल होके आता है....
कविता – उसी मंदिर में गए थे हम लेकिन....
अवनी – लेकिन क्या कविता....
कविता – अगर दादा जी की बात सच थी तो वहां पर वो सब कैसे आए थे और वो ड्राइव जो रामू काका की जगह आया वो कैस लेके आया हमें उस मंदिर के रस्ते में....
पूनम – कौन थे वो लोग....
कविता – पता नहीं दीदी लेकिन उन्होंने मंदिर में ही हमें घेर लिया था और शायद साहिल भाई समझ गए थे तभी वो मां और मुझे लेके जाने लगे मन्दिर से लेके तभी एक आदमी ने साहिल भाई को पीछे से चाकू मार दिया उसके बाद पता नहीं क्या हुआ दीदी मै बेहोश हो हुई थी जब होश आया तो अपने आप को कार में पाया तब साहिल भाई को हॉस्पिटल में लेके आए थे हम लोग उसके बाद यहां आ गए....
सोनम – ये तो बहुत अजीब बात है कौन हो सकता है वो जिसने ऐसा किया और सबसे बड़ी बात वो उस मन्दिर में कैसे आ गए....
इन सब बातों में उलझे हुए थे यहां पर ये पांचों जबकि नीचे हाल में उसी वक्त रनवीर आ गया आते ही....
रनवीर – (राजेश से मिला जो अपनी सोच में डूबा बैठा था सोफे पर जिसे रनवीर के आने का पता नहीं चला तब) क्या हुआ भैया आप यहां क्यों बैठो हो....
अपने सामने रनबीर को देख उसे सारी बात बताता है तब....
रनवीर – (चौक के) क्या ये सब कैसे और सुमन और कविता कैसे है....
राजेश – वो ठीक है कमरे में है अपने....
रनवीर – मै मिल के आता हु....
राजेश – रनवीर तुम्हे क्या लगता है कौन कर सकता है ये सब कही लाला का हाथ तो नहीं इसमें....
रनवीर – लाला नहीं हो सकता है भईया क्योंकि वो इसका अंजाम अच्छे से जानता है , ये जरूर कोई हमारा बिजनेस का दुश्मन होगा जिसने ये बेवकूफी की होगी वरना आप खुद सोचो भईया भला मंदिर में कैस जा सकता है कोई तभी तो मारे गए सब के सब....
राजेश – हम्ममम तुम ठीक कह रहे हो रनवीर....
बोल के रनवीर जैस ही अपने कमरे में गया वहां सुमन को ना पाके बाहर आया आते ही....
रनवीर – भईया अपने सुमन को देखा कमरे में नहीं है वो....
राजेश – अरे हा मै बताना भूल गया वो ऊपर साहिल के कमरे में है....
रनवीर – वो यहां पर...
राजेश – हा मा के कहने पर आया है , देखो रनवीर वो बेटा है हमारे घर का तुम उसे पसंद नहीं करते हो ये जानता हु मैं , तो प्लीज ऐसा कुछ मत करना जिससे मां को तकलीफ हो....
रनवीर – ये जानते हुए भी कि उसने क्या किया है....
राजेश – भूल जाओ उस बात को रनवीर सिर्फ आज में जीना सीखो बस...
रनवीर – मै कभी नहीं भूल सकता हु उस बात को भईया भले आप भूल जाओ....
बोल के रनवीर ऊपर कमरे की तरफ जाने लगा साहिल के कमरे में आके जहां साहिल बाथरूम में बाहर आ रहा था वही बेड में सुनंदा बैठी थी तभी....
रनवीर –(कमरे में आके साहिल से) सुमन कहा है....
साहिल बिना ध्यान दिए बेड में बैठ गया....
साहिल – (सुनंदा से) ये दादी के बेटे है इनका नाम रनवीर है वही जिनकी बीवी और बेटी के साथ हम यहां आए है....
तभी रनवीर का ध्यान सुनंदा पर जाता है उसे आंखे फाड़े देखता रह जाता है जिसे सुनंदा देख लेती है साथ में साहिल भी देख लेता है तब....
साहिल – मुझे पता नहीं....
रनवीर – (चौक के) क क्या कहा....
साहिल – (मुस्कुरा के) पता नहीं कहा है आपकी बीवी....
रनवीर – (सुनंदा से) आप कौन है....
सुनंदा – मेरे नाम सुनंदा है , सुमन लेके आई है मुझ यहां पर....
रनवीर – हम्ममम ठीक है (साहिल से) यहां पर अपनी हद में रहना तुम समझे....
साहिल – आप ये बात दादी मा के सामने कहिएगा और ज्यादा दिक्कत हो तो दादी से मना कर दीजियेगा....
बात सुन रनवीर कमरे में बाहर चला गया तभी उसने ध्यान दिया कि बगल वाला कमरा खुले आ हुआ है वहा जाके देखा तो सुमन और सरला आपस में बात कर रही थी तब....
रनवीर – (कमरे में आके सुमन से) तुम यहां क्या कर रही हो मुझे लगा अपने कमरे में होगी...
सुमन – अपने ही कमरे में हूँ मैं....
रनवीर – क्या मतलब , ये तुम्हारा कमरा कैसे वो तो नीचे है....
सुमन – नहीं ये है अब से मेरा कमरा....
रनवीर – ये कैसी बाते कर रही हो तुम सुमन अपना कमरा छोड़ के इस कमरे में अकेले क्यों....
सुमन – अकेले कहा हूँ साहिल है बगल के कमरे में और कविता का भी कमरा है....
रनवीर – मतलब साहिल की वजह से तुम यहां पर....
सुमन – हा ताकि साहिल के करीब रह सकू....
रनवीर – जब से गांव में मिली हो उससे जाने तब से क्या हो गया है तुम्हे इतने सालों तक तो जिसके बारे में सोचा नहीं आज अचानक उसके करीब रहने की बात कर रही हो....
सुमन – अकल पे पर्दा था मेरे जो सच और झूठ में फर्क नहीं कर पाई , सबकी तरह करती गई गलती पर गलती....
रनवीर – (बात न समझ के) क्या मतलब है तुम्हारा....
सुमन – मतलब साफ है गलती को सुधारना चाहती हूँ मैं और वैसे भी बारह सालों से कौन सा घर में रहते आए हो , आपको तो घर में बाहर रहने में मजा आने लगा है बारह सालों में....
रनवीर – (मुस्कुरा के) ओह तो ये बात है इतने वक्त से तुम्हे मै वक्त नहीं दे पाया , हा मानता हूँ सुमन काम की वजह से मुझ कई बार घर के बाहर रहना पड़ता रहा है लेकिन मै वादा करता हूं अब ऐसा बिल्कुल नहीं होगा काम के साथ घर पर भी वक्त दूंगा मै चलो अब अपने कमरे में....
सुमन – अब यही मेरा कमरा है और मुझे किसी भी तरह साहिल के करीब रहना है.....
रनवीर – वो तो तुम अपने कमरे में रह कर भी रह सकती हो करीब उसके , रह तो रहा है ना वो इस घर में....
सुमन – नहीं वो जख्मी है अभी , उसे कभी भी जरूरत पड़ सकती है मेरी इसीलिए इस कमरे में रहूंगी....
रनवीर – ठीक है उसके ठीक होते ही आजाना तुम....
सुमन – तब की तब देखेंगे....
रनवीर – (कुछ पल सुमन को गौर से देखता है तब) ठीक है....
बोल के निकल जाता है रनवीर कमरे से तब....
सरला – बहुत जिद्दी है रनवीर मानेगा नहीं....
सुमन –(मुस्कुरा के) साहिल से ज्यादा नहीं है मां , लेकिन मैं भी हार नहीं मानने वाली हूँ....
सरला – वो तू देख ले , चल फ्रेश होके खान के लिए आजा नीचे मैं साहिल के पास जा रही हूँ....
बोल के सरला निकल गई साहिल के कमरे में , इधर साहिल बेड में बैठा कुछ सोच रहा था सुनंदा फ्रेश होने गई थी बाथरूम में तभी....
साहिल – (मन में सोचते हुए – इतना कुछ होगया आज और अच्छा हुआ सेमेंथा ने नहीं देखा वर्ना....
इससे पहले साहिल आगे कुछ बोलता तभी....
सेमेंथा – वर्ना क्या साहिल....
साहिल – (चौक के) तुम यहां पर कैसे....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) मैने कहा था ना तुमसे जब भी तुम मुझे याद करोगे या पुकारोगे अपने पास पाओगे....
साहिल – (अपने सिर में हाथ रख के) अरे हा यार मै सच में भूल गया था एक्सीडेंट के चक्कर में....
सेमेंथा – (हैरान होके) एक्सीडेंट , किसका एक्सीडेंट साहिल....
साहिल – (घबरा के) क क किसी का नहीं हुआ मै तो तो ऐसे ही ही बो बोला मै....
सेमेंथा – (साहिल को घूर के देखते हुए) सच सच बताओ साहिल बात क्या है....
साहिल – (मन्दिर में कैसे उसे चाकू मारा पीठ में ये बात बता के) उसके बाद मै बेहोश हो गया जब होश आया तो हॉस्पिटल में था....
सेमेंथा – (साहिल के पास आके) और तुमने मुझे बुलाया तक नहीं एक बार याद तो कर सकते थे न (दूसरी तरफ सिर घुमा के) शायद तुमने मुझे कभी अपना समझा ही नहीं साहिल , मै ही पागल थी....
साहिल – (सेमेंथा का हाथ पकड़ के) तुम्हे नहीं लगता तुम कुछ ज्यादा ही सोच रही हो....
सेमेंथा – सही तो सोच रही हूँ मैं....
साहिल – (सेमेंथा को गले लगाते हुए) जिसको कहो उसकी कसम खा के बोलने को तैयार हु मैं , ये सब इतनी जल्दी में हुआ मुझे मौका ही नहीं मिला कुछ भी सोचने का....
साहिल की बात सुन जोर से गले लगती है जिससे साहिल को पीठ में दर्द होता है....
साहिल – (दर्द में) आआआहह....
सेमेंथा – (चौक के) क्या हुआ तुम्हे....
साहिल – कितने जोर से गले लगी हो पीठ में दर्द हो रहा है....
सेमेंथा – सौरी माफ करना मुझे ध्यान नहीं रहा....
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) देखा इसी तरह मुझे भी ध्यान नहीं रहा था....
सेमेंथा – (हाथ से चुटकी बजा के) आगे से मै हर वक्त साथ रहूंगी तुम्हारे....
साहिल – वो तो ठीक है लेकिन अभी तुमने क्या किया चुटकी बजा के.....
सेमेंथा – कुछ खास नहीं तुम्हारा ज़ख्म सही कर दिया....
साहिल – (चौक के) ये क्या किया तुमने....
सेमेंथा – ऐसा क्यों बोल रहे हो....
साहिल – तुम भूल रही हो सेमेंथा मै अब अकेला नहीं हूँ इस घर में सबको पता है मेरे ज़ख्म के बारे में क्या जवाब दूंगा मै उनको....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) मैने तुम्हारा ज़ख्म सही किया है सिर्फ , ज़ख्म वही का वही है अभी भी बस तुम्हे अब तकलीफ नहीं होगी और न दर्द....
साहिल –(मुस्कुरा के) तुमने तो सच में मुझे डरा दिया था....
इससे पहले कोई कुछ बोलता तभी बाथरूम से कुछ गिरने की आवाज आती है जिसे सुन....
सेमेंथा –(आवाज सुन के) कौन है वहां पर....
साहिल – मै बताना भूल गया वो औरत जो हॉस्पिटल में लेके आई थी हमलोग को ये वही है कॉलेज में टीचर के लिए आई है और वो सुमन ने इसे यही रहने को बोला है....
साहिल ने इतना बोला था तभी बाथरूम का दरवाजा खुला वहां से सुनंदा बाहर निकली तभी सेमेंथा गौर से देखने लगी सुनंदा को तब....
सुनंदा – (साहिल से) किस्से बाते कर रहे थे तुम कोई आया था कमरे में....
साहिल – नहीं वो मै फोन पर बात कर रहा था दोस्त से अपने....
सुनंदा – (सेमेंथा को एक नजर देख हल्का मुस्कुरा के) अच्छा ठीक है तुम खड़े क्यों हो बेड में आराम करो....
साहिल – ओह हा वो मेरा मन हो गया था इसीलिए....
ठीक उसी वक्त लता आ गई सरला के साथ खाना लेके साहिल के कमरे में इधर इन तीनों ने साहिल के कमरे में खाना खाया और बाकी के लोगों ने हाल में खान खा के चले गए कमरे में सोने तब...
सुमन – (साहिल के कमरे में आके साहिल से) मेरा कमरा बगल में है और तुम्हारे कमरे से दरवाजा लगा हुआ है , जो खुला रहेगा , अगर कोई भी जरूरत हो तो बुला लेना....
साहिल – फिलहाल मै ठीक हु जरूरत नहीं है मुझे....
साहिल – (मुस्कुरा के) कोई बात नहीं मैं चक्कर लगाती रहूंगी बीच बीच में....
बोल के सुमन चली गई अपने कमरे में उसके जाते ही...
सुनंदा – (साहिल से) तुम इतना गुस्से में क्यों बात करते हो सुमन से....
साहिल – मुझे आदत नहीं किसी के सहारे की वो जबरदस्ती पीछे पड़ जाती है....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) इसे जबरदस्ती नहीं कहते साहिल इसे प्यार कहते है....
साहिल – (हस्ते हुए) प्यार वो भी ये जाने दीजिए इससे अच्छा मजाक मैने अभी तक नहीं सुना....
सुनंदा – ऐसा क्यों बोल रहे हो....
साहिल – वो मेरी कुछ नहीं लगती है इस दुनिया में मेरा अगर कोई है तो वो सिर्फ दादी और मेरा दोस्त कमल और कोई नहीं....
बोल के साहिल बेड में लेट गया दूसरी तरफ मु करके जिसे देख सुनंदा हल्का मुस्कुरा रही थी जिसे सेमेंथा देख रही थी तब सुनंदा ने हवा में हल्का सा हाथ घुमाया और साहिल गहरी नींद में सो गया तब....
सुनंदा –(सेमेंथा से) कैसी हो तुम...
सेमेंथा , सुनंदा की आवाज सुन साहिल को देखने लगी तब....
सुनंदा –(मुस्कुरा के) परेशान मत हो साहिल को गहरी नींद में सुला दिया है मैने....
बात सुनते ही सेमेंथा तुरंत सुनंदा के गले लग गई तब....
सेमेंथा – मां आप वापस आ गया अपने बताया नहीं और ये सब साहिल के साथ अचानक से कैसे....
सुनंदा – सब बताऊंगी उससे पहले हमे चलना होगा मंदिर में अभी....
सेमेंथा – मंदिर में अभी क्यों मां....
सुनंदा – ऋषिवर से मिलने , बाकी वही चल के सब पता चल जाएगा चलो फिर जल्दी से वापस भी आना है हमें....
बोल के दोनों गायब हो गए वहां से और आ गए उसी मंदिर में जहां साहिल ने सबको मारा था मंदिर में आते हो सामने जगन्नाथ बाबा मिले....
सुनंदा – (जगन्नाथ बाबा से) प्रणाम ऋषिवर....
जगन्नाथ बाबा – प्रणाम देवी , बताए देवी कैसे आना हुआ....
सुनंदा – बाबा आपने तो देखा होगा आज मेरा पुत्र वापस आ गया और आते ही उसने जो किया....
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) पता है देवी हमने पहले ही ये सब देख लिया था....
सुनंदा – बाबा अब आगे क्या और कैसे करना है....
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) देवी आगे के लिए जो करना है आपको ही करना होगा आपके पुत्र की सभी शक्तियों को आपको ही उसे प्राप्त करने में सहायता करनी होगी लेकिन....
सुनंदा – लेकिन क्या बाबा...
जगन्नाथ बाबा – आपने शायद ध्यान नहीं दिया एक बात पर देवी....
सुनंदा –(हैरानी से) कौन सी बात पर ध्यान नहीं दिया मैने ऋषिवर....
जगन्नाथ बाबा – समय का चक्र वापस घुमा है....
सुनंदा – समय का चक्र , मै कुछ समझी नहीं ऋषिवर और किसके लिए घूमा समय चक्र और क्यों....
जगन्नाथ बाबा – ये सब शिव की लीला है देवी , एक मां की अधूरी ममता उसका प्यार और बेटे का प्यार उसकी मां के प्रति जो अधूरा रह गया था उनके सच्चे प्यार के खातिर समय चक्र घूमा है आज और अब जल्द ही आपके पुत्र की भेट होने वाली है उनसे....
सुनंदा – परन्तु ऋषिवर इस बात का हमसे क्या ताल्लुख है....
जगन्नाथ बाबा – ताल्लुख है देवी , समय चक्र घूमने से आपके दूसरे पुत्र BD का ध्यान धरती लोक में आ चुका होगा और अब वो बिल्कुल भी चुप नहीं बैठेगा BD जरूर कोई चाल चलेगा आप तक आने की इसीलिए अब आपको और ज्यादा सावधान रहने की जरूरत पड़ेगी क्योंकि आपके पुत्र ने अपनी शक्ति अभी तक प्राप्त नहीं की है लेकिन इन सब के बाद जैसे ही आपके पुत्र ने अपनी पहली शक्ति प्राप्त की BD को समझते देर नहीं लगेगी आप धरती लोक में कहा छिपे हुए हो....
सुनंदा – तो ऋषिवर अब क्या करे हम....
जगन्नाथ बाबा – BD आपके पुत्र साहिल तक ना पहुंचे इसके लिए आपके पुत्र का उस लड़के के साथ होना जरूरी हो गया है....
सुनंदा – आखिर ऐसी क्या खासियत है उस लड़के में ऋषिवर.....
जगन्नाथ बाबा – उस लड़के पर शिव जी की कृपा है देवी उस लड़के ने अपने पूर्व जनम में कड़ी तपस्या की जिस वजह से शिव जी ने उसे वरदान के सरुप में काल भैरव दिया लेकिन उसे पूर्व जन्म में जितना उसे प्यार मिला उतनी ज़्यादा तकलीफ उसे इस जन्म में मिली छल कपट से उसकी मां को उससे दूर कर दिया गया उस लड़के ने हिम्मत न हारी अंत में वो मां आई अपने पुत्र के पास वापस लेकिन तब मृत्यु ने दूर कर दिया उस मां से उसके पुत्र को पश्चाताप की अग्नि में जलते हुए उस मा ने शिव जी के सामने गुहार लगाई तब काल भैरव ने उस मां के असीम प्रेम और उस लड़के का अपने मा के प्रति अधूरे प्रेम के खातिर काल भैरव ने समय चक्र को घुमा दिया और उस मा को एक मौका दिया ताकि इस बार पुत्र और मां का प्रेम अधूरा ना रह जाए लेकिन अब काल भैरव उस लड़के के साथ तो नहीं है लेकिन उनकी शक्ति उस लड़के के साथ है इसीलिए उस लड़के का साथ आपके पुत्र के लिए जरूरी है जिस वजह से आपके दूसरे पुत्र BD का ध्यान आपके पुत्र पर जल्दी नहीं जाएगा....
सुनंदा – ऋषिवा कौन है वो मां और वो लड़का....
जगन्नाथ बाबा – जल्द ही आपकी भेट होगी उस लड़के और उसकी मां से परन्तु याद रहे देवी इस लड़ाई में अब आप अकेले नहीं हो वो मां और बेटा का साथ भी होगा इसमें , आपको उनका पूरा साथ देना होगा देवी तभी आपकी वर्षों की तपस्या सफल होगी....
सुनंदा – जी ऋषिवर में साथ दूंगी उनका....
जगन्नाथ बाबा – अति उत्तम देवी (सेमेंथा से) सेमेंथा पुत्री.....
सेमेंथा – (हाथ जोड़ के) जी बाबा....
जगन्नाथ बाबा – पुत्री अब तुम्हे साहिल और अपनी मां (सुनंदा) का साथ देना है जैसा वो कहे वैसा करना पुत्री तभी तुम्हारे जन्म का असली मकसद पूरा होगा....
सेमेंथा – जी बाबा....
जगन्नाथ बाबा – हम्ममम अब आप प्रस्थान करे जल्द ही हमारी मुलाक़ात होगी और इस बीच कभी भी आपको जरूरत पड़े हमारी तो मन में याद करिएगा....
इसके साथ सुनंदा और सेमेंथा दोनों ने एक साथ जगन्नाथ बाबा को प्रणाम कर वहां से गायब हो कर साहिल के पास आ गए....
सेमेंथा – (सुनंदा से) अब क्या करना है मां....
सुनंदा – अब हमें जो करना है जल्दी ही करना होगा इससे पहले BD को पता चले साहिल के बारे में हमें उसे सुरक्षित करना होगा किसी तरह....
सेमेंथा – लेकिन कैसे मां....
सुनंदा – मैने उस बारे में सोच लिया है सेमेंथा अपने पुत्र को बचाने के लिए मै वो करूंगी जिसके बाद साहिल पर ध्यान गलती से भी नहीं जाएगा BD का जिसके बाद साहिल के लिए और भी आसान हो जाएगा अपनी शक्ति को प्राप्त करना....
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जारी रहेगा
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ये दोनों मां और बेटा कौन है जल्द ही इस बारे में पता चल जाएगा आप सबको बस इन्तजार कीजिए आने वाले UPDATES का
Very nive and superb bhaiUPDATE 21
LOCATION....सरला सिंह का घर....
लता (नौकरानी) – (सरला से) माजी आप सब अकेले आए है साहिल कहा है और सुमन दीदी और कविता भी नहीं दिख रहे....
सरला – वो भी आ रहे है लता , अब तू सब छोड़ पहले जाके जल्दी से आरती की थाली ले आ आज साहिल कई सालों बाद घर वापस आ रहा है ना...
लता – तो क्या इसीलिए बाकी सब बाद में आयेगे...
सरला – हा और सुन साहिल का कमरा तैयार है ना कोई कमी तो नहीं रह गई है....
लता – नहीं माजी सब कुछ मैने पहले से तैयार कर दिया है....
रिकी (राजेश और रीना का बेटा) – (सरला से) दादी कौन आ रहा है....
सरला – (मुस्कुरा के) तेरा बड़ा भाई साहिल आ रहा है आज घर में....
रिकी – मेरा बड़ा भाई और आपने मुझे बताया नहीं गलत बात है दादी...
सरला – (मुस्कुर के) अरे मेरा बेटा तो नाराज हो गया अपनी दादी से....
रिकी – और नहीं तो क्या एक तो आपने कभी बताया नहीं मेरा बड़ा भाई भी है ऊपर से भैया आ रहे है अपने बताया नहीं नहीं तो मै भईया के लिए गिफ्ट लेके आता....
सरला – (चौक के) अच्छा क्या गिफ्ट लाते अपने भईया के लिए....
रिकी – मै क्यों बताऊं , आपको पता नहीं गिफ्ट के बारे में बताया नहीं जाता , दिया जाता है....
सरला – (मुस्कुर के) ओह हो मै तो सच में भूल ही गई थी इस बारे में....
रिकी – लेकिन मुझे तो सब याद रहता है दादी क्योंकि मै आप सब से ज्यादा समझदार हूँ...
सरला – (मुस्कुरा के) बिल्कुल सच बात है मेरे बेटे से ज्यादा होशियार कोई नहीं पूरे घर में , चलो जल्दी से तैयार हो जाओ तुम्हारे साहिल भईया थोड़ी देर में आने वाले है फिर हम सब मिल के उनकी आरती उतारेंगे....
रिकी – दादी साहिल भईया की आरती क्यों उतारनी है....
सरला – बेटा आपके साहिल भईया बाहर गए हुए थे पढ़ाई करने बचपन में आज बहुत सालों बाद पढ़ाई करके घर आ रहे है इसीलिए उनकी आरती उतारनी है ताकि किसी की नजर न लगे उनको...
रिकी – तो दादी आपने हमारी कभी आरती नहीं उतारी अगर हमें किसी की नजर लग गई तो...
इस वक्त सरला की हवेली में सुनैना , सोनम , पूनम , राजेश , अवनी , खुशी , लता और इन सबसे अलग बैठी रीना ये सब रिकी की मासूमियत भरी बाते सुन सभी मुस्कुरा रहे थे जबकि रिकी शरीर से बड़ा जरूर हो गया था लेकिन उसका दिमाग आज भी एक बच्चे की तरह था भोला भला बच्चा जिसे घर में सभी आज भी वैसे ही प्यार करते थे जैसे छोटे बच्चे से प्यार करते है फिलहाल आगे बढ़ते है....
सरला – (रिकी के सिर पे हाथ फेर के) ऐसे कैसे लगेगी किसी की नजर मेरे बच्चे को उसके हाथ पैर ना तोड़ दूं मै...
रिकी – तो दादी आज आप साहिल भईया के साथ हमारी भी नजर उतारोगे ना...
सरला – (मुस्कुरा के) हा बिल्कुल मेरे बच्चे....
उसके बाद सभी काफी देर तक इंतजार करते रहे साहिल , सुमन और कविता के आने का लेकिन नहीं आए तब....
सुनैना – (सरला से) बड़ी देर हो गई मां अभी तक आए नहीं ये लोग....
खुशी – मां देर तो लगेगी ना हमें भी तो घर आने में २ से ३ घंटे लग गए थे ना....
पूनम – वैसे भी चाची आज मौसम भी काफी खराब हो गया है हो सकता है उस तरफ बारिश हो रही हो इसीलिए देर हो रही हो उन्हें....
अवनी – मै कविता को कॉल करके पता करती हूँ...
लेकिन कॉल रिसीव नहीं होता कविता का जबकि अवनी कई बार कॉल करती है तब...
अवनी – ये कविता कॉल क्यों नहीं रिसीव कर रही है...
खुशी – (गुस्से में) ये कविता भी ना जब देखा अपना फोन साइलेंट करके रख देती है , मैं सुमन चाची को कॉल मिलती हूँ....
लेकिन सुमन का कॉल भी रिसीव नहीं होता....
खुशी – ये चाची का भी फोन रिसीव नहीं हो रहा है (सरला से) दादी आप जरा साहिल भईया को कॉल मिला के पूछिए ना...
सरला – हा एक मिनिट मै करती हु....
लेकिन साहिल का भी कॉल रिसीव नहीं होता जिसके बाद....
सरला – कमाल है साहिल भी रिसीव नहीं कर रहा कॉल मेरी....
सुनैना – मां हो सकता है इन लोगों ने अपना फोन बैग में रखा होगा शायद इसलिए कॉल रिसीव नहीं कर पा रहा हो....
अवनी – तीनों ने अपना फोन बैग में रखा होगा क्या मां ऐसा जरूरी तो नहीं....
सरला – मै रामू को फोन करती हूं....
लेकिन उसका फोन मिलता ही नहीं है तब....
सरल – रामू का फोन मिल ही नहीं रहा है , सब लोग ठीक तो है ना वहां पर....
राजेश – (सरला के कंधे पर हाथ रख के) मा तुम परेशान मत हो सब ठीक होगे मैं अभी धीरेन्द्र मामा से बात कर पता करता हूं....
बोल राजेश तुरंत धीरेन्द्र को कॉल करता है....
धीरेन्द्र – (कॉल रिसीव करके) हा राजेश....
राजेश – मामा जी वहां से साहिल , सुमन और कविता निकले नहीं है क्या अभी....
धीरेन्द्र – बेटा उन्हें निकले कई घंटों हो गए है....
राजेश – (चौक के) लेकिन वो लोग यहां अभी तक आए नहीं....
धीरेन्द्र – बेटा बात ऐसी है कि वो सब दिन में निकल गए थे (उसके बाद जो हुआ राजेश को सब बता दिया) राघव भी थोड़ी देर पहले घर आया है ये लो उससे बात करो...
राघव को फोन देके...
राघव – भईया मै पता करने गया था पिताजी से मिली जानकारी के बाद मैं सीधा मंदिर की तरफ चला गया गांव वालो के साथ वहा जाते ही जो देखा मैने वो बहुत भयानक नजारा था....
राजेश – (हैरानी से) ऐसा क्या देखा तुमने....
राघव – भईया वहां पर मुझे ४० लोगो को लाशें मिली....
राजेश – (चौक के) क्या लेकिन कैसे और क्या हुआ था वहां पर....
राघव – ये तो पता नहीं भईया लेकिन १० लोगो की लाश सूखे कूवे में पड़ी हुई थी और बाकी के ३० लोगों की लाश मंदिर के बाहर जमीन पर पड़ी हुई थी देख के ऐसा लगता है जैसे किसी ने बड़ी बेहरमी से मारा होगा उनको....
राजेश – (राघव की बात सुन सोचते हुए) और साहिल , सुमन और कविता वो कहा है....
राघव – वो वहा पर नहीं थे भइया और नाही आपकी कार थी वहां पर , मैने गांव के बाहर का चप्पा चप्पा छान मारा लेकिन साहिल , सुमन , कविता और आपकी कार किसी गांव वाले ने नहीं देखा रस्ते से आते जाते हुए , मैं बस अभी घर आया हूँ अपनी गाड़ी लेके गांव वालो के साथ जा रहा हु ढूंढने उनको...
राजेश – (हैरानी और घबराट से) राघव तुम वहां पता करो मैं यहां से तुरंत निकलता हूँ वहां के लिए....
इससे पहले बात आगे कोई करता तभी....
लता – (सरला से) मां जी वो लोग आ गए....
लता की आवाज सुन....
राजेश – कौन आया है लता....
लता – सुमन दीदी , कविता , साहिल और उनके साथ कोई लड़की भी है....
राजेश – (लता की बात सुन खुश होके राघव से कॉल पर) रुको राघव परेशान होने की जरूरत नहीं है साहिल , सुमन और कवित आ गए है घर में...
राघव – शुक्र है भगवान का भइया , अच्छा भईया आप उनसे बात कर के पता तो करिएगा वो आए कैसे और पता चलते हो बता दीजियेगा , रामू काका के ठीक होते ही उन्हें भिजवा दूंगा शहर में....
राजेश – हा ठीक है राघव....
बोल के कॉल कट कर दिया जिसके बाद घर के सभी बाहर जाने लगे तब...
सरला – (लता से) लता आरती की थाली तो लेके आ जरा....
तभी घर के दरवाजे से सुमन , कविता , साहिल आने लगे उनके साथ एक लड़की थी तभी....
सरला – (सबको रोक के) रुको एक मिनिट जरा साहिल की आरती उतार दूं....
साहिल – आरती लेकिन दादी....
सरला – चुप कर तू बस खड़ा रह वही पर....
जिसके बाद सरला ने पहले साहिल की आरती उतारी उसके सिर पर टिका लगाया तब....
सरला – चल अब बाया पैर आगे कर अन्दर आजा...
सरला की बात सुनते ही साहिल ने वही किया साथ में सुमन , कविता और सुनंदा ने भी अन्दर आते वक्त सरला ने देखा साहिल को धीरे धीरे चलते हुए , साहिल को इस तरह से धीरे धीरे चलते देख....
सरला – (साहिल से) क्या बात है बेटा तू इस तरह धीरे धीरे क्यों चल रहा है....
सुमन – वो मां रस्ते में कुछ लोगो ने हम पर हमला कर दिया था....
हमले की बात सुन सभी हैरान परेशान हो गए तब....
सुनैना – (सुमन से) हमला कैसा हमला दीदी और किसने किया....
सुमन – पता नहीं सुनैना लेकिन एक आदमी ने साहिल की पीठ पे चाकू मारा था ये तो अच्छा हुआ कि साहिल ठीक था और फिर हम सही वक्त पर हॉस्पिटल आ गए....
राजेश – (साहिल के पास आके) तू ठीक तो है ना बेटा....
साहिल – जी मै ठीक हूँ....
सुनैना –(लड़की को देख सुमन से) ये कौन है दीदी....
सुमन – (सुनंदा को देख) इनका नाम सुनंदा है , इन्होंने ही हमारी बहुत मदद की इनकी मदद से हम सब वहां से निकल हॉस्पिटल आ गए जहां साहिल का इलाज हुआ और तू जानती है सुनैना ये हमारे ही कॉलेज में टीचर की नौकरी की लिए आई है अगर ये न मिलती तो जाने आज क्या हो जाता...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) ऐसा कुछ नहीं मेरी जगह कोई और होता तो वो भी यही करता....
सरला – (साहिल को सोफे पर बैठा के सुनंदा से हाथ जोड़ के) आपका बहुत बहुत शुक्रिया सुनंदा जी आज आपने मेरे बेटे को बचा के मुझे नई जिंदगी दी है मैं आपका ये एहसान कैसे उतारूंगी....
सुनंदा – (सरला का हाथ पकड़ के) नहीं नहीं आप हाथ मत जोड़िए मैने किसी पे कोई एहसान नहीं किया , जो भी किया मेरा फर्ज था....
सरला – फिर भी आपका बहुत बहुत शुक्रिया सुनंदा जी (साहिल के बगल में बैठ के) दर्द हो रहा है बेटा...
साहिल – हा दादी अभी भी दर्द है....
सरला – ठीक है तू चल अपने कमरे में आराम कर बाद में बाते करेंगे...
बोल के सरला उठी और साहिल का हाथ पकड़ लिया साथ ही दूसरी तरफ राजेश ने साहिल का हाथ पकड़ उसे कमरे लेके जाने लगे सभी , पीछे से सुनंदा मुस्कुरा रही थी , इस तरफ साहिल को उसके कमरे में लाके बेड में बैठा दिया....
सुमन – (सरला से) मां डॉक्टर ने साहिल को पेट के बल आराम करने को कहा है , पीट पे ज़ख्म है उसकी वजह से उसे दिक्कत ना हो....
सरला – तब तो किसी ना किसी को साहिल के साथ रुकना पड़ेगा हर वक्त....
सुमन – मां मै रुक जाती हु वैसे भी मेरा कमरा बगल में ही है....
साहिल – (सरला से) दादी किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है मै संभाल सकता हूँ खुद को....
सरला – हा हा वो सब दिख रहा है मुझे , बस चुप चाप मेरी बात सुन जब तक तू पूरी तरह से ठीक नहीं होता तब तक सुमन रहेगी तेरे साथ , और इससे आगे मैं तेरी कोई बात नहीं सुनूंगी समझा....
साहिल –(मुस्कुरा के) ठीक है मेरी प्यारी दादी जैसा आप कहो वैसा करूंगा मैं....
सुमन – मा वो सुनंदा जी इस शहर में अकेली है उन्होंने हमारे लिए इतना कुछ किया तो मैने उन्हें यहां सबके साथ रहने के लिए कहा है....
सरला – ये तो बहुत अच्छी बात है सुमन , तुमने बहुत अच्छा काम किया....
सुनंदा – अगर आपकी इजाजत हो तो क्या मैं यही साहिल के साथ रुक सकती हूँ , साथ में साहिल की देख भाल भी कर दूंगी मैं....
सरला – अरे नहीं नहीं सुनंद जी आपने इतना कुछ किया है हमारे लिए आपको और परेशानी में नहीं डालेंगे....
सुनंदा – इसमें परेशानी कैसी , टीचर की जॉब लगने से पहले मैं नर्स थी एक अस्पताल में मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी साहिल की देखभाल करने में....
सरला – सच में सुनंदा जी भगवान ने शायद आपको हमारे लिए ही भेजा है , ठीक है साहिल के ठीक होने तक आप यही रुक जाईए और सुमन का भी कमरा बगल में है वो इसमें आपका साथ देगी , उसके बाद मैं आपके लिए रूम सही करवा दूंगी....
सुनंदा – जी शुक्रिया...
सरला – (लता से) लता किसी को बोल के साहिल और सुनंदा जी का समान यहां भिजवा दे और तू खाने की तैयारी कर और साहिल का खाना कमरे में ले आना (सुनंदा से) आप भी फ्रेश हो जाइए थोड़ी देर में सब साथ में खाना खाते है...
सुमन – मां वो बाबू जी (धीरेन्द्र) ने कुछ सामान भेजा है आपके लिए....
सरला – हा तो रख दे कमरे में....
सुमन – वो मां मेरा सामान ऊपर वाले कमरे में है आप एक बार देख लेते तो....
सरला – अच्छा ठीक है चल (साहिल से) तू आराम कर मै अभी आती हु...
बोल के निकल गई सरला , सुमन के साथ , साथ में बाकी सभी सुमन के कमरे में आते ही सुमन ने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया तब...
सुमन – मां आपको एक जरूरी बात बतानी है...
सरला – क्या बात है सुमन ऐसे अचानक से...
फिर सुमन ने वो सब बता दिया जो मन्दिर में हुआ कैसे वो मन्दिर में आए कैसे साहिल पर हमला हुआ और कैसे साहिल ने सबको मारा कैसे अस्पताल में आए और वहां आते ही साहिल ने जो कहा ये सारी बात सुन...
सरला –(हैरानी से) ये कैसे हो सकता है साहिल ने सबको मारा और उसे ही याद नहीं....
सुमन – मां अगर उस वक्त आप भी साहिल का वो रूप देखते शायद आपको भी यकीन नहीं होता , मां जिस रात रनवीर ने लाला का बेटा और उसके भाई और दोनों बेटो को मारा था उससे भी ज़्यादा भयानक मंजर था आज का जब साहिल उन सभी को बेहरमी से मार रहा था...
सरला – हम्ममम फर्क बस इतना सा है उस रात रनवीर ने तुझे बचाया था और आज साहिल ने तुझे और कविता को बचाया , उस वक्त वो सिर्फ चार थे और आज उससे ज्यादा , लेकिन एक बात समझ नहीं आई किसकी इतनी हिम्मत हो गई जिसने हमारे खानदान की तरफ आंख उठा के देखा होगा....
सुमन – मुझे ठीक से याद नहीं मां वो आदमी कुछ बोल तो रहा था लेकिन साहिल को उस हालत में देख मैने ध्यान नहीं दिया उसकी कही किसी बात पर....
सरला – शुक्र है ऊपर वाले का उसने कुछ भी गलत नहीं होने दिया मेरे परिवार के साथ , खेर मै मौका देख के साहिल से बात करूंगी इस बारे में , खेर वहां जो हुआ तुम इस बारे में किसी से बात मत करना , अब तुम भी फ्रेश हो जाओ खाना खा के आराम कर लो तुम्हे साहिल का भी ध्यान रखना है...
सुमन – जी मां....
इधर ये दोनों बात कर रहे थे वहीं साहिल के कमरे में...
सुनंदा – (साहिल से) तुम्हारा कमरा बहुत सुंदर है....
साहिल – हम्ममम मै भी देख रहा हूँ आज पहली बार इस कमरे को....
सुनंदा – पहली बार ऐसा क्यों बोल रहे हो तुम....
साहिल – (मुस्कुरा के) सच ही तो बोल रहा हूँ ८ से ९ साल बाद आया हूँ इस घर में सब कुछ बदल चुका है यहां पर....
लता – (अपने साथ दोनों का समान कमरे में लाते हुए) हा साहिल बाबा बदला काफी कुछ है इस घर में आपका ये कमरा आपके जाने के बाद अभी खुला है....
साहिल – (लता से) आप कौन है और मेरे नाम के साथ बाबा....
लता – (मुस्कुरा के) आपने मुझे पहचाना नहीं शायद मेरा नाम लता है मै यहां काम करती हूँ , बचपन में आप मेरे साथ बहुत खेलते थे , मै आपको साहिल बाबा बुलाती थी , आपको याद नहीं....
साहिल – (मुस्कुरा के) यहां से जाने के बाद कुछ समय के लिए हर किसी को बहुत याद करता था , और फिर दादी के सिवा सबको भूल गया मै बस याद रही तो सिर्फ एक बात की कभी वापस नहीं आऊंगा यहां पर मैं....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) एक न एक दिन तो सभी को लौट के आना ही होता है साहिल शायद यही वक्त था तुम्हारे लौटने का वापस अपने घर पर...
साहिल – हम्ममम शायद कुछ वक्त के लिए बस....
लता – ऐसा क्यों बोल रहे हो आप बाबा अब आप कही नहीं जाओगे यही रहोगे हमेशा के लिए....
साहिल – (मुस्कुरा के) देखते है कितना वक्त लगता है इस बार , खेर आप मेरा खाना रहने देना मेरी इच्छा नहीं है खाने की....
सुनंदा – (बीच में लता से) आप एक काम करो खाना लेके आओ मै खिला दूंगी साहिल को....
लता – जी ठीक है....
बोल साहिल को एक बार देख के बाहर जाने लगी , कमरे के बाहर आके...
लता – (अपने मन में – क्या हुआ है साहिल बाबा को इतने सालों बाद आज घर आए है और आते ही , लगता है दादी के कहने से आए है घर में वर्ना बातों से यही लगता है शायद वापस ही नहीं आना चाहते थे यहां कभी , गलती तो साहिल को भी नहीं है इसमें , जो हुआ उनके साथ उसके बाद कौन आना चाहेगा उस घर में)....
सोचते हुए चली गई लता जबकि कमरे में....
साहिल – (सुनंदा से) आपने क्यों मंगवा लिया खाना मेरी सच में इच्छा नहीं है खाने की....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) हो सकता है लेकिन खाना तो खाना ही पड़ेगा तुम्हे वर्ना ठीक कैसे होगे भूल गए जख्मी हो तुम खून भी बहा है तुम्हारा इसीलिए खाना तो पड़ेगा ही....
साहिल – (मुस्कुरा के) आपने कहा था कि हम स्कूल में मिले है लेकिन आपको अपने स्कूल में मैने कभी देखा ही नहीं फिर हम कब मिले थे....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) दो साल पहले हम स्कूल की पिकनिक पर मिले थे साथ में तुम्हारा दोस्त भी था....
साहिल – आपको सच में याद है और मुझे याद ही नहीं आपके बारे में....
सुनंदा – हम्ममम जैसे तुम्हे अपनी दादी के सिवा परिवार का कोई याद नहीं शायद वैसे ही...
साहिल – काफी फर्क है दोनों बातों में....
सुनंदा – और वो क्या....
साहिल – जाने दीजिए इस बात को , मै फ्रेश होके आता हु....
सुनंदा – मै मदद करती हूँ....
साहिल – नहीं मै कर लूंगा जरूरत होगी बता दूंगा आपको....
सुनंदा – ठीक है दरवाजा बंद मत करना बस जरूरत पड़े बुला लेना....
साहिल – ठीक है....
इस तरफ कविता के कमरे में अवनी , खुशी , सोनम , पूनम बैठे बात कर रहे थे....
सोनम – (कविता से) क्या हुआ था वहां पर कैसे हुआ ये सब....
कविता – गांव में रामू काका की जगह कोई और लें आया हमें जब पूछा तो बताया उसने की रामू काका की तबियत अचानक खराब होगई इसीलिए वो आया उनकी जगह उसके बाद हम निकल गए रास्ते में उस आदमी ने रास्ता बदल लिया तब एक मंदिर में गाड़ी रोकी उसने पहले तो याद नहीं आ रहा था लेकिन बाद में याद आया कि उस मंदिर में हम पहले भी आ चुके है....
पूनम – कौन से मंदिर की बात कर रही है तू....
कविता – अरे वही जब राघव चाचा की शादी में हम गए थे एक बार तब धीरेन्द्र दादा के साथ हम गए थे घूमने उस मन्दिर में तब उन्होंने क्या कहा था याद है ना....
खुशी – हा उन्होंने कहा था कि इस मन्दिर में हमारे परिवार वालों के सिवा कोई नहीं आ सकता है और जो भी आया वो यहां के मायाजाल में फंस के पागल होके आता है....
कविता – उसी मंदिर में गए थे हम लेकिन....
अवनी – लेकिन क्या कविता....
कविता – अगर दादा जी की बात सच थी तो वहां पर वो सब कैसे आए थे और वो ड्राइव जो रामू काका की जगह आया वो कैस लेके आया हमें उस मंदिर के रस्ते में....
पूनम – कौन थे वो लोग....
कविता – पता नहीं दीदी लेकिन उन्होंने मंदिर में ही हमें घेर लिया था और शायद साहिल भाई समझ गए थे तभी वो मां और मुझे लेके जाने लगे मन्दिर से लेके तभी एक आदमी ने साहिल भाई को पीछे से चाकू मार दिया उसके बाद पता नहीं क्या हुआ दीदी मै बेहोश हो हुई थी जब होश आया तो अपने आप को कार में पाया तब साहिल भाई को हॉस्पिटल में लेके आए थे हम लोग उसके बाद यहां आ गए....
सोनम – ये तो बहुत अजीब बात है कौन हो सकता है वो जिसने ऐसा किया और सबसे बड़ी बात वो उस मन्दिर में कैसे आ गए....
इन सब बातों में उलझे हुए थे यहां पर ये पांचों जबकि नीचे हाल में उसी वक्त रनवीर आ गया आते ही....
रनवीर – (राजेश से मिला जो अपनी सोच में डूबा बैठा था सोफे पर जिसे रनवीर के आने का पता नहीं चला तब) क्या हुआ भैया आप यहां क्यों बैठो हो....
अपने सामने रनबीर को देख उसे सारी बात बताता है तब....
रनवीर – (चौक के) क्या ये सब कैसे और सुमन और कविता कैसे है....
राजेश – वो ठीक है कमरे में है अपने....
रनवीर – मै मिल के आता हु....
राजेश – रनवीर तुम्हे क्या लगता है कौन कर सकता है ये सब कही लाला का हाथ तो नहीं इसमें....
रनवीर – लाला नहीं हो सकता है भईया क्योंकि वो इसका अंजाम अच्छे से जानता है , ये जरूर कोई हमारा बिजनेस का दुश्मन होगा जिसने ये बेवकूफी की होगी वरना आप खुद सोचो भईया भला मंदिर में कैस जा सकता है कोई तभी तो मारे गए सब के सब....
राजेश – हम्ममम तुम ठीक कह रहे हो रनवीर....
बोल के रनवीर जैस ही अपने कमरे में गया वहां सुमन को ना पाके बाहर आया आते ही....
रनवीर – भईया अपने सुमन को देखा कमरे में नहीं है वो....
राजेश – अरे हा मै बताना भूल गया वो ऊपर साहिल के कमरे में है....
रनवीर – वो यहां पर...
राजेश – हा मा के कहने पर आया है , देखो रनवीर वो बेटा है हमारे घर का तुम उसे पसंद नहीं करते हो ये जानता हु मैं , तो प्लीज ऐसा कुछ मत करना जिससे मां को तकलीफ हो....
रनवीर – ये जानते हुए भी कि उसने क्या किया है....
राजेश – भूल जाओ उस बात को रनवीर सिर्फ आज में जीना सीखो बस...
रनवीर – मै कभी नहीं भूल सकता हु उस बात को भईया भले आप भूल जाओ....
बोल के रनवीर ऊपर कमरे की तरफ जाने लगा साहिल के कमरे में आके जहां साहिल बाथरूम में बाहर आ रहा था वही बेड में सुनंदा बैठी थी तभी....
रनवीर –(कमरे में आके साहिल से) सुमन कहा है....
साहिल बिना ध्यान दिए बेड में बैठ गया....
साहिल – (सुनंदा से) ये दादी के बेटे है इनका नाम रनवीर है वही जिनकी बीवी और बेटी के साथ हम यहां आए है....
तभी रनवीर का ध्यान सुनंदा पर जाता है उसे आंखे फाड़े देखता रह जाता है जिसे सुनंदा देख लेती है साथ में साहिल भी देख लेता है तब....
साहिल – मुझे पता नहीं....
रनवीर – (चौक के) क क्या कहा....
साहिल – (मुस्कुरा के) पता नहीं कहा है आपकी बीवी....
रनवीर – (सुनंदा से) आप कौन है....
सुनंदा – मेरे नाम सुनंदा है , सुमन लेके आई है मुझ यहां पर....
रनवीर – हम्ममम ठीक है (साहिल से) यहां पर अपनी हद में रहना तुम समझे....
साहिल – आप ये बात दादी मा के सामने कहिएगा और ज्यादा दिक्कत हो तो दादी से मना कर दीजियेगा....
बात सुन रनवीर कमरे में बाहर चला गया तभी उसने ध्यान दिया कि बगल वाला कमरा खुले आ हुआ है वहा जाके देखा तो सुमन और सरला आपस में बात कर रही थी तब....
रनवीर – (कमरे में आके सुमन से) तुम यहां क्या कर रही हो मुझे लगा अपने कमरे में होगी...
सुमन – अपने ही कमरे में हूँ मैं....
रनवीर – क्या मतलब , ये तुम्हारा कमरा कैसे वो तो नीचे है....
सुमन – नहीं ये है अब से मेरा कमरा....
रनवीर – ये कैसी बाते कर रही हो तुम सुमन अपना कमरा छोड़ के इस कमरे में अकेले क्यों....
सुमन – अकेले कहा हूँ साहिल है बगल के कमरे में और कविता का भी कमरा है....
रनवीर – मतलब साहिल की वजह से तुम यहां पर....
सुमन – हा ताकि साहिल के करीब रह सकू....
रनवीर – जब से गांव में मिली हो उससे जाने तब से क्या हो गया है तुम्हे इतने सालों तक तो जिसके बारे में सोचा नहीं आज अचानक उसके करीब रहने की बात कर रही हो....
सुमन – अकल पे पर्दा था मेरे जो सच और झूठ में फर्क नहीं कर पाई , सबकी तरह करती गई गलती पर गलती....
रनवीर – (बात न समझ के) क्या मतलब है तुम्हारा....
सुमन – मतलब साफ है गलती को सुधारना चाहती हूँ मैं और वैसे भी बारह सालों से कौन सा घर में रहते आए हो , आपको तो घर में बाहर रहने में मजा आने लगा है बारह सालों में....
रनवीर – (मुस्कुरा के) ओह तो ये बात है इतने वक्त से तुम्हे मै वक्त नहीं दे पाया , हा मानता हूँ सुमन काम की वजह से मुझ कई बार घर के बाहर रहना पड़ता रहा है लेकिन मै वादा करता हूं अब ऐसा बिल्कुल नहीं होगा काम के साथ घर पर भी वक्त दूंगा मै चलो अब अपने कमरे में....
सुमन – अब यही मेरा कमरा है और मुझे किसी भी तरह साहिल के करीब रहना है.....
रनवीर – वो तो तुम अपने कमरे में रह कर भी रह सकती हो करीब उसके , रह तो रहा है ना वो इस घर में....
सुमन – नहीं वो जख्मी है अभी , उसे कभी भी जरूरत पड़ सकती है मेरी इसीलिए इस कमरे में रहूंगी....
रनवीर – ठीक है उसके ठीक होते ही आजाना तुम....
सुमन – तब की तब देखेंगे....
रनवीर – (कुछ पल सुमन को गौर से देखता है तब) ठीक है....
बोल के निकल जाता है रनवीर कमरे से तब....
सरला – बहुत जिद्दी है रनवीर मानेगा नहीं....
सुमन –(मुस्कुरा के) साहिल से ज्यादा नहीं है मां , लेकिन मैं भी हार नहीं मानने वाली हूँ....
सरला – वो तू देख ले , चल फ्रेश होके खान के लिए आजा नीचे मैं साहिल के पास जा रही हूँ....
बोल के सरला निकल गई साहिल के कमरे में , इधर साहिल बेड में बैठा कुछ सोच रहा था सुनंदा फ्रेश होने गई थी बाथरूम में तभी....
साहिल – (मन में सोचते हुए – इतना कुछ होगया आज और अच्छा हुआ सेमेंथा ने नहीं देखा वर्ना....
इससे पहले साहिल आगे कुछ बोलता तभी....
सेमेंथा – वर्ना क्या साहिल....
साहिल – (चौक के) तुम यहां पर कैसे....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) मैने कहा था ना तुमसे जब भी तुम मुझे याद करोगे या पुकारोगे अपने पास पाओगे....
साहिल – (अपने सिर में हाथ रख के) अरे हा यार मै सच में भूल गया था एक्सीडेंट के चक्कर में....
सेमेंथा – (हैरान होके) एक्सीडेंट , किसका एक्सीडेंट साहिल....
साहिल – (घबरा के) क क किसी का नहीं हुआ मै तो तो ऐसे ही ही बो बोला मै....
सेमेंथा – (साहिल को घूर के देखते हुए) सच सच बताओ साहिल बात क्या है....
साहिल – (मन्दिर में कैसे उसे चाकू मारा पीठ में ये बात बता के) उसके बाद मै बेहोश हो गया जब होश आया तो हॉस्पिटल में था....
सेमेंथा – (साहिल के पास आके) और तुमने मुझे बुलाया तक नहीं एक बार याद तो कर सकते थे न (दूसरी तरफ सिर घुमा के) शायद तुमने मुझे कभी अपना समझा ही नहीं साहिल , मै ही पागल थी....
साहिल – (सेमेंथा का हाथ पकड़ के) तुम्हे नहीं लगता तुम कुछ ज्यादा ही सोच रही हो....
सेमेंथा – सही तो सोच रही हूँ मैं....
साहिल – (सेमेंथा को गले लगाते हुए) जिसको कहो उसकी कसम खा के बोलने को तैयार हु मैं , ये सब इतनी जल्दी में हुआ मुझे मौका ही नहीं मिला कुछ भी सोचने का....
साहिल की बात सुन जोर से गले लगती है जिससे साहिल को पीठ में दर्द होता है....
साहिल – (दर्द में) आआआहह....
सेमेंथा – (चौक के) क्या हुआ तुम्हे....
साहिल – कितने जोर से गले लगी हो पीठ में दर्द हो रहा है....
सेमेंथा – सौरी माफ करना मुझे ध्यान नहीं रहा....
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) देखा इसी तरह मुझे भी ध्यान नहीं रहा था....
सेमेंथा – (हाथ से चुटकी बजा के) आगे से मै हर वक्त साथ रहूंगी तुम्हारे....
साहिल – वो तो ठीक है लेकिन अभी तुमने क्या किया चुटकी बजा के.....
सेमेंथा – कुछ खास नहीं तुम्हारा ज़ख्म सही कर दिया....
साहिल – (चौक के) ये क्या किया तुमने....
सेमेंथा – ऐसा क्यों बोल रहे हो....
साहिल – तुम भूल रही हो सेमेंथा मै अब अकेला नहीं हूँ इस घर में सबको पता है मेरे ज़ख्म के बारे में क्या जवाब दूंगा मै उनको....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) मैने तुम्हारा ज़ख्म सही किया है सिर्फ , ज़ख्म वही का वही है अभी भी बस तुम्हे अब तकलीफ नहीं होगी और न दर्द....
साहिल –(मुस्कुरा के) तुमने तो सच में मुझे डरा दिया था....
इससे पहले कोई कुछ बोलता तभी बाथरूम से कुछ गिरने की आवाज आती है जिसे सुन....
सेमेंथा –(आवाज सुन के) कौन है वहां पर....
साहिल – मै बताना भूल गया वो औरत जो हॉस्पिटल में लेके आई थी हमलोग को ये वही है कॉलेज में टीचर के लिए आई है और वो सुमन ने इसे यही रहने को बोला है....
साहिल ने इतना बोला था तभी बाथरूम का दरवाजा खुला वहां से सुनंदा बाहर निकली तभी सेमेंथा गौर से देखने लगी सुनंदा को तब....
सुनंदा – (साहिल से) किस्से बाते कर रहे थे तुम कोई आया था कमरे में....
साहिल – नहीं वो मै फोन पर बात कर रहा था दोस्त से अपने....
सुनंदा – (सेमेंथा को एक नजर देख हल्का मुस्कुरा के) अच्छा ठीक है तुम खड़े क्यों हो बेड में आराम करो....
साहिल – ओह हा वो मेरा मन हो गया था इसीलिए....
ठीक उसी वक्त लता आ गई सरला के साथ खाना लेके साहिल के कमरे में इधर इन तीनों ने साहिल के कमरे में खाना खाया और बाकी के लोगों ने हाल में खान खा के चले गए कमरे में सोने तब...
सुमन – (साहिल के कमरे में आके साहिल से) मेरा कमरा बगल में है और तुम्हारे कमरे से दरवाजा लगा हुआ है , जो खुला रहेगा , अगर कोई भी जरूरत हो तो बुला लेना....
साहिल – फिलहाल मै ठीक हु जरूरत नहीं है मुझे....
साहिल – (मुस्कुरा के) कोई बात नहीं मैं चक्कर लगाती रहूंगी बीच बीच में....
बोल के सुमन चली गई अपने कमरे में उसके जाते ही...
सुनंदा – (साहिल से) तुम इतना गुस्से में क्यों बात करते हो सुमन से....
साहिल – मुझे आदत नहीं किसी के सहारे की वो जबरदस्ती पीछे पड़ जाती है....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) इसे जबरदस्ती नहीं कहते साहिल इसे प्यार कहते है....
साहिल – (हस्ते हुए) प्यार वो भी ये जाने दीजिए इससे अच्छा मजाक मैने अभी तक नहीं सुना....
सुनंदा – ऐसा क्यों बोल रहे हो....
साहिल – वो मेरी कुछ नहीं लगती है इस दुनिया में मेरा अगर कोई है तो वो सिर्फ दादी और मेरा दोस्त कमल और कोई नहीं....
बोल के साहिल बेड में लेट गया दूसरी तरफ मु करके जिसे देख सुनंदा हल्का मुस्कुरा रही थी जिसे सेमेंथा देख रही थी तब सुनंदा ने हवा में हल्का सा हाथ घुमाया और साहिल गहरी नींद में सो गया तब....
सुनंदा –(सेमेंथा से) कैसी हो तुम...
सेमेंथा , सुनंदा की आवाज सुन साहिल को देखने लगी तब....
सुनंदा –(मुस्कुरा के) परेशान मत हो साहिल को गहरी नींद में सुला दिया है मैने....
बात सुनते ही सेमेंथा तुरंत सुनंदा के गले लग गई तब....
सेमेंथा – मां आप वापस आ गया अपने बताया नहीं और ये सब साहिल के साथ अचानक से कैसे....
सुनंदा – सब बताऊंगी उससे पहले हमे चलना होगा मंदिर में अभी....
सेमेंथा – मंदिर में अभी क्यों मां....
सुनंदा – ऋषिवर से मिलने , बाकी वही चल के सब पता चल जाएगा चलो फिर जल्दी से वापस भी आना है हमें....
बोल के दोनों गायब हो गए वहां से और आ गए उसी मंदिर में जहां साहिल ने सबको मारा था मंदिर में आते हो सामने जगन्नाथ बाबा मिले....
सुनंदा – (जगन्नाथ बाबा से) प्रणाम ऋषिवर....
जगन्नाथ बाबा – प्रणाम देवी , बताए देवी कैसे आना हुआ....
सुनंदा – बाबा आपने तो देखा होगा आज मेरा पुत्र वापस आ गया और आते ही उसने जो किया....
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) पता है देवी हमने पहले ही ये सब देख लिया था....
सुनंदा – बाबा अब आगे क्या और कैसे करना है....
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) देवी आगे के लिए जो करना है आपको ही करना होगा आपके पुत्र की सभी शक्तियों को आपको ही उसे प्राप्त करने में सहायता करनी होगी लेकिन....
सुनंदा – लेकिन क्या बाबा...
जगन्नाथ बाबा – आपने शायद ध्यान नहीं दिया एक बात पर देवी....
सुनंदा –(हैरानी से) कौन सी बात पर ध्यान नहीं दिया मैने ऋषिवर....
जगन्नाथ बाबा – समय का चक्र वापस घुमा है....
सुनंदा – समय का चक्र , मै कुछ समझी नहीं ऋषिवर और किसके लिए घूमा समय चक्र और क्यों....
जगन्नाथ बाबा – ये सब शिव की लीला है देवी , एक मां की अधूरी ममता उसका प्यार और बेटे का प्यार उसकी मां के प्रति जो अधूरा रह गया था उनके सच्चे प्यार के खातिर समय चक्र घूमा है आज और अब जल्द ही आपके पुत्र की भेट होने वाली है उनसे....
सुनंदा – परन्तु ऋषिवर इस बात का हमसे क्या ताल्लुख है....
जगन्नाथ बाबा – ताल्लुख है देवी , समय चक्र घूमने से आपके दूसरे पुत्र BD का ध्यान धरती लोक में आ चुका होगा और अब वो बिल्कुल भी चुप नहीं बैठेगा BD जरूर कोई चाल चलेगा आप तक आने की इसीलिए अब आपको और ज्यादा सावधान रहने की जरूरत पड़ेगी क्योंकि आपके पुत्र ने अपनी शक्ति अभी तक प्राप्त नहीं की है लेकिन इन सब के बाद जैसे ही आपके पुत्र ने अपनी पहली शक्ति प्राप्त की BD को समझते देर नहीं लगेगी आप धरती लोक में कहा छिपे हुए हो....
सुनंदा – तो ऋषिवर अब क्या करे हम....
जगन्नाथ बाबा – BD आपके पुत्र साहिल तक ना पहुंचे इसके लिए आपके पुत्र का उस लड़के के साथ होना जरूरी हो गया है....
सुनंदा – आखिर ऐसी क्या खासियत है उस लड़के में ऋषिवर.....
जगन्नाथ बाबा – उस लड़के पर शिव जी की कृपा है देवी उस लड़के ने अपने पूर्व जनम में कड़ी तपस्या की जिस वजह से शिव जी ने उसे वरदान के सरुप में काल भैरव दिया लेकिन उसे पूर्व जन्म में जितना उसे प्यार मिला उतनी ज़्यादा तकलीफ उसे इस जन्म में मिली छल कपट से उसकी मां को उससे दूर कर दिया गया उस लड़के ने हिम्मत न हारी अंत में वो मां आई अपने पुत्र के पास वापस लेकिन तब मृत्यु ने दूर कर दिया उस मां से उसके पुत्र को पश्चाताप की अग्नि में जलते हुए उस मा ने शिव जी के सामने गुहार लगाई तब काल भैरव ने उस मां के असीम प्रेम और उस लड़के का अपने मा के प्रति अधूरे प्रेम के खातिर काल भैरव ने समय चक्र को घुमा दिया और उस मा को एक मौका दिया ताकि इस बार पुत्र और मां का प्रेम अधूरा ना रह जाए लेकिन अब काल भैरव उस लड़के के साथ तो नहीं है लेकिन उनकी शक्ति उस लड़के के साथ है इसीलिए उस लड़के का साथ आपके पुत्र के लिए जरूरी है जिस वजह से आपके दूसरे पुत्र BD का ध्यान आपके पुत्र पर जल्दी नहीं जाएगा....
सुनंदा – ऋषिवा कौन है वो मां और वो लड़का....
जगन्नाथ बाबा – जल्द ही आपकी भेट होगी उस लड़के और उसकी मां से परन्तु याद रहे देवी इस लड़ाई में अब आप अकेले नहीं हो वो मां और बेटा का साथ भी होगा इसमें , आपको उनका पूरा साथ देना होगा देवी तभी आपकी वर्षों की तपस्या सफल होगी....
सुनंदा – जी ऋषिवर में साथ दूंगी उनका....
जगन्नाथ बाबा – अति उत्तम देवी (सेमेंथा से) सेमेंथा पुत्री.....
सेमेंथा – (हाथ जोड़ के) जी बाबा....
जगन्नाथ बाबा – पुत्री अब तुम्हे साहिल और अपनी मां (सुनंदा) का साथ देना है जैसा वो कहे वैसा करना पुत्री तभी तुम्हारे जन्म का असली मकसद पूरा होगा....
सेमेंथा – जी बाबा....
जगन्नाथ बाबा – हम्ममम अब आप प्रस्थान करे जल्द ही हमारी मुलाक़ात होगी और इस बीच कभी भी आपको जरूरत पड़े हमारी तो मन में याद करिएगा....
इसके साथ सुनंदा और सेमेंथा दोनों ने एक साथ जगन्नाथ बाबा को प्रणाम कर वहां से गायब हो कर साहिल के पास आ गए....
सेमेंथा – (सुनंदा से) अब क्या करना है मां....
सुनंदा – अब हमें जो करना है जल्दी ही करना होगा इससे पहले BD को पता चले साहिल के बारे में हमें उसे सुरक्षित करना होगा किसी तरह....
सेमेंथा – लेकिन कैसे मां....
सुनंदा – मैने उस बारे में सोच लिया है सेमेंथा अपने पुत्र को बचाने के लिए मै वो करूंगी जिसके बाद साहिल पर ध्यान गलती से भी नहीं जाएगा BD का जिसके बाद साहिल के लिए और भी आसान हो जाएगा अपनी शक्ति को प्राप्त करना....
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जारी रहेगा
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ये दोनों मां और बेटा कौन है जल्द ही इस बारे में पता चल जाएगा आप सबको बस इन्तजार कीजिए आने वाले UPDATES का
Really niceUPDATE 21
LOCATION....सरला सिंह का घर....
लता (नौकरानी) – (सरला से) माजी आप सब अकेले आए है साहिल कहा है और सुमन दीदी और कविता भी नहीं दिख रहे....
सरला – वो भी आ रहे है लता , अब तू सब छोड़ पहले जाके जल्दी से आरती की थाली ले आ आज साहिल कई सालों बाद घर वापस आ रहा है ना...
लता – तो क्या इसीलिए बाकी सब बाद में आयेगे...
सरला – हा और सुन साहिल का कमरा तैयार है ना कोई कमी तो नहीं रह गई है....
लता – नहीं माजी सब कुछ मैने पहले से तैयार कर दिया है....
रिकी (राजेश और रीना का बेटा) – (सरला से) दादी कौन आ रहा है....
सरला – (मुस्कुरा के) तेरा बड़ा भाई साहिल आ रहा है आज घर में....
रिकी – मेरा बड़ा भाई और आपने मुझे बताया नहीं गलत बात है दादी...
सरला – (मुस्कुर के) अरे मेरा बेटा तो नाराज हो गया अपनी दादी से....
रिकी – और नहीं तो क्या एक तो आपने कभी बताया नहीं मेरा बड़ा भाई भी है ऊपर से भैया आ रहे है अपने बताया नहीं नहीं तो मै भईया के लिए गिफ्ट लेके आता....
सरला – (चौक के) अच्छा क्या गिफ्ट लाते अपने भईया के लिए....
रिकी – मै क्यों बताऊं , आपको पता नहीं गिफ्ट के बारे में बताया नहीं जाता , दिया जाता है....
सरला – (मुस्कुर के) ओह हो मै तो सच में भूल ही गई थी इस बारे में....
रिकी – लेकिन मुझे तो सब याद रहता है दादी क्योंकि मै आप सब से ज्यादा समझदार हूँ...
सरला – (मुस्कुरा के) बिल्कुल सच बात है मेरे बेटे से ज्यादा होशियार कोई नहीं पूरे घर में , चलो जल्दी से तैयार हो जाओ तुम्हारे साहिल भईया थोड़ी देर में आने वाले है फिर हम सब मिल के उनकी आरती उतारेंगे....
रिकी – दादी साहिल भईया की आरती क्यों उतारनी है....
सरला – बेटा आपके साहिल भईया बाहर गए हुए थे पढ़ाई करने बचपन में आज बहुत सालों बाद पढ़ाई करके घर आ रहे है इसीलिए उनकी आरती उतारनी है ताकि किसी की नजर न लगे उनको...
रिकी – तो दादी आपने हमारी कभी आरती नहीं उतारी अगर हमें किसी की नजर लग गई तो...
इस वक्त सरला की हवेली में सुनैना , सोनम , पूनम , राजेश , अवनी , खुशी , लता और इन सबसे अलग बैठी रीना ये सब रिकी की मासूमियत भरी बाते सुन सभी मुस्कुरा रहे थे जबकि रिकी शरीर से बड़ा जरूर हो गया था लेकिन उसका दिमाग आज भी एक बच्चे की तरह था भोला भला बच्चा जिसे घर में सभी आज भी वैसे ही प्यार करते थे जैसे छोटे बच्चे से प्यार करते है फिलहाल आगे बढ़ते है....
सरला – (रिकी के सिर पे हाथ फेर के) ऐसे कैसे लगेगी किसी की नजर मेरे बच्चे को उसके हाथ पैर ना तोड़ दूं मै...
रिकी – तो दादी आज आप साहिल भईया के साथ हमारी भी नजर उतारोगे ना...
सरला – (मुस्कुरा के) हा बिल्कुल मेरे बच्चे....
उसके बाद सभी काफी देर तक इंतजार करते रहे साहिल , सुमन और कविता के आने का लेकिन नहीं आए तब....
सुनैना – (सरला से) बड़ी देर हो गई मां अभी तक आए नहीं ये लोग....
खुशी – मां देर तो लगेगी ना हमें भी तो घर आने में २ से ३ घंटे लग गए थे ना....
पूनम – वैसे भी चाची आज मौसम भी काफी खराब हो गया है हो सकता है उस तरफ बारिश हो रही हो इसीलिए देर हो रही हो उन्हें....
अवनी – मै कविता को कॉल करके पता करती हूँ...
लेकिन कॉल रिसीव नहीं होता कविता का जबकि अवनी कई बार कॉल करती है तब...
अवनी – ये कविता कॉल क्यों नहीं रिसीव कर रही है...
खुशी – (गुस्से में) ये कविता भी ना जब देखा अपना फोन साइलेंट करके रख देती है , मैं सुमन चाची को कॉल मिलती हूँ....
लेकिन सुमन का कॉल भी रिसीव नहीं होता....
खुशी – ये चाची का भी फोन रिसीव नहीं हो रहा है (सरला से) दादी आप जरा साहिल भईया को कॉल मिला के पूछिए ना...
सरला – हा एक मिनिट मै करती हु....
लेकिन साहिल का भी कॉल रिसीव नहीं होता जिसके बाद....
सरला – कमाल है साहिल भी रिसीव नहीं कर रहा कॉल मेरी....
सुनैना – मां हो सकता है इन लोगों ने अपना फोन बैग में रखा होगा शायद इसलिए कॉल रिसीव नहीं कर पा रहा हो....
अवनी – तीनों ने अपना फोन बैग में रखा होगा क्या मां ऐसा जरूरी तो नहीं....
सरला – मै रामू को फोन करती हूं....
लेकिन उसका फोन मिलता ही नहीं है तब....
सरल – रामू का फोन मिल ही नहीं रहा है , सब लोग ठीक तो है ना वहां पर....
राजेश – (सरला के कंधे पर हाथ रख के) मा तुम परेशान मत हो सब ठीक होगे मैं अभी धीरेन्द्र मामा से बात कर पता करता हूं....
बोल राजेश तुरंत धीरेन्द्र को कॉल करता है....
धीरेन्द्र – (कॉल रिसीव करके) हा राजेश....
राजेश – मामा जी वहां से साहिल , सुमन और कविता निकले नहीं है क्या अभी....
धीरेन्द्र – बेटा उन्हें निकले कई घंटों हो गए है....
राजेश – (चौक के) लेकिन वो लोग यहां अभी तक आए नहीं....
धीरेन्द्र – बेटा बात ऐसी है कि वो सब दिन में निकल गए थे (उसके बाद जो हुआ राजेश को सब बता दिया) राघव भी थोड़ी देर पहले घर आया है ये लो उससे बात करो...
राघव को फोन देके...
राघव – भईया मै पता करने गया था पिताजी से मिली जानकारी के बाद मैं सीधा मंदिर की तरफ चला गया गांव वालो के साथ वहा जाते ही जो देखा मैने वो बहुत भयानक नजारा था....
राजेश – (हैरानी से) ऐसा क्या देखा तुमने....
राघव – भईया वहां पर मुझे ४० लोगो को लाशें मिली....
राजेश – (चौक के) क्या लेकिन कैसे और क्या हुआ था वहां पर....
राघव – ये तो पता नहीं भईया लेकिन १० लोगो की लाश सूखे कूवे में पड़ी हुई थी और बाकी के ३० लोगों की लाश मंदिर के बाहर जमीन पर पड़ी हुई थी देख के ऐसा लगता है जैसे किसी ने बड़ी बेहरमी से मारा होगा उनको....
राजेश – (राघव की बात सुन सोचते हुए) और साहिल , सुमन और कविता वो कहा है....
राघव – वो वहा पर नहीं थे भइया और नाही आपकी कार थी वहां पर , मैने गांव के बाहर का चप्पा चप्पा छान मारा लेकिन साहिल , सुमन , कविता और आपकी कार किसी गांव वाले ने नहीं देखा रस्ते से आते जाते हुए , मैं बस अभी घर आया हूँ अपनी गाड़ी लेके गांव वालो के साथ जा रहा हु ढूंढने उनको...
राजेश – (हैरानी और घबराट से) राघव तुम वहां पता करो मैं यहां से तुरंत निकलता हूँ वहां के लिए....
इससे पहले बात आगे कोई करता तभी....
लता – (सरला से) मां जी वो लोग आ गए....
लता की आवाज सुन....
राजेश – कौन आया है लता....
लता – सुमन दीदी , कविता , साहिल और उनके साथ कोई लड़की भी है....
राजेश – (लता की बात सुन खुश होके राघव से कॉल पर) रुको राघव परेशान होने की जरूरत नहीं है साहिल , सुमन और कवित आ गए है घर में...
राघव – शुक्र है भगवान का भइया , अच्छा भईया आप उनसे बात कर के पता तो करिएगा वो आए कैसे और पता चलते हो बता दीजियेगा , रामू काका के ठीक होते ही उन्हें भिजवा दूंगा शहर में....
राजेश – हा ठीक है राघव....
बोल के कॉल कट कर दिया जिसके बाद घर के सभी बाहर जाने लगे तब...
सरला – (लता से) लता आरती की थाली तो लेके आ जरा....
तभी घर के दरवाजे से सुमन , कविता , साहिल आने लगे उनके साथ एक लड़की थी तभी....
सरला – (सबको रोक के) रुको एक मिनिट जरा साहिल की आरती उतार दूं....
साहिल – आरती लेकिन दादी....
सरला – चुप कर तू बस खड़ा रह वही पर....
जिसके बाद सरला ने पहले साहिल की आरती उतारी उसके सिर पर टिका लगाया तब....
सरला – चल अब बाया पैर आगे कर अन्दर आजा...
सरला की बात सुनते ही साहिल ने वही किया साथ में सुमन , कविता और सुनंदा ने भी अन्दर आते वक्त सरला ने देखा साहिल को धीरे धीरे चलते हुए , साहिल को इस तरह से धीरे धीरे चलते देख....
सरला – (साहिल से) क्या बात है बेटा तू इस तरह धीरे धीरे क्यों चल रहा है....
सुमन – वो मां रस्ते में कुछ लोगो ने हम पर हमला कर दिया था....
हमले की बात सुन सभी हैरान परेशान हो गए तब....
सुनैना – (सुमन से) हमला कैसा हमला दीदी और किसने किया....
सुमन – पता नहीं सुनैना लेकिन एक आदमी ने साहिल की पीठ पे चाकू मारा था ये तो अच्छा हुआ कि साहिल ठीक था और फिर हम सही वक्त पर हॉस्पिटल आ गए....
राजेश – (साहिल के पास आके) तू ठीक तो है ना बेटा....
साहिल – जी मै ठीक हूँ....
सुनैना –(लड़की को देख सुमन से) ये कौन है दीदी....
सुमन – (सुनंदा को देख) इनका नाम सुनंदा है , इन्होंने ही हमारी बहुत मदद की इनकी मदद से हम सब वहां से निकल हॉस्पिटल आ गए जहां साहिल का इलाज हुआ और तू जानती है सुनैना ये हमारे ही कॉलेज में टीचर की नौकरी की लिए आई है अगर ये न मिलती तो जाने आज क्या हो जाता...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) ऐसा कुछ नहीं मेरी जगह कोई और होता तो वो भी यही करता....
सरला – (साहिल को सोफे पर बैठा के सुनंदा से हाथ जोड़ के) आपका बहुत बहुत शुक्रिया सुनंदा जी आज आपने मेरे बेटे को बचा के मुझे नई जिंदगी दी है मैं आपका ये एहसान कैसे उतारूंगी....
सुनंदा – (सरला का हाथ पकड़ के) नहीं नहीं आप हाथ मत जोड़िए मैने किसी पे कोई एहसान नहीं किया , जो भी किया मेरा फर्ज था....
सरला – फिर भी आपका बहुत बहुत शुक्रिया सुनंदा जी (साहिल के बगल में बैठ के) दर्द हो रहा है बेटा...
साहिल – हा दादी अभी भी दर्द है....
सरला – ठीक है तू चल अपने कमरे में आराम कर बाद में बाते करेंगे...
बोल के सरला उठी और साहिल का हाथ पकड़ लिया साथ ही दूसरी तरफ राजेश ने साहिल का हाथ पकड़ उसे कमरे लेके जाने लगे सभी , पीछे से सुनंदा मुस्कुरा रही थी , इस तरफ साहिल को उसके कमरे में लाके बेड में बैठा दिया....
सुमन – (सरला से) मां डॉक्टर ने साहिल को पेट के बल आराम करने को कहा है , पीट पे ज़ख्म है उसकी वजह से उसे दिक्कत ना हो....
सरला – तब तो किसी ना किसी को साहिल के साथ रुकना पड़ेगा हर वक्त....
सुमन – मां मै रुक जाती हु वैसे भी मेरा कमरा बगल में ही है....
साहिल – (सरला से) दादी किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है मै संभाल सकता हूँ खुद को....
सरला – हा हा वो सब दिख रहा है मुझे , बस चुप चाप मेरी बात सुन जब तक तू पूरी तरह से ठीक नहीं होता तब तक सुमन रहेगी तेरे साथ , और इससे आगे मैं तेरी कोई बात नहीं सुनूंगी समझा....
साहिल –(मुस्कुरा के) ठीक है मेरी प्यारी दादी जैसा आप कहो वैसा करूंगा मैं....
सुमन – मा वो सुनंदा जी इस शहर में अकेली है उन्होंने हमारे लिए इतना कुछ किया तो मैने उन्हें यहां सबके साथ रहने के लिए कहा है....
सरला – ये तो बहुत अच्छी बात है सुमन , तुमने बहुत अच्छा काम किया....
सुनंदा – अगर आपकी इजाजत हो तो क्या मैं यही साहिल के साथ रुक सकती हूँ , साथ में साहिल की देख भाल भी कर दूंगी मैं....
सरला – अरे नहीं नहीं सुनंद जी आपने इतना कुछ किया है हमारे लिए आपको और परेशानी में नहीं डालेंगे....
सुनंदा – इसमें परेशानी कैसी , टीचर की जॉब लगने से पहले मैं नर्स थी एक अस्पताल में मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी साहिल की देखभाल करने में....
सरला – सच में सुनंदा जी भगवान ने शायद आपको हमारे लिए ही भेजा है , ठीक है साहिल के ठीक होने तक आप यही रुक जाईए और सुमन का भी कमरा बगल में है वो इसमें आपका साथ देगी , उसके बाद मैं आपके लिए रूम सही करवा दूंगी....
सुनंदा – जी शुक्रिया...
सरला – (लता से) लता किसी को बोल के साहिल और सुनंदा जी का समान यहां भिजवा दे और तू खाने की तैयारी कर और साहिल का खाना कमरे में ले आना (सुनंदा से) आप भी फ्रेश हो जाइए थोड़ी देर में सब साथ में खाना खाते है...
सुमन – मां वो बाबू जी (धीरेन्द्र) ने कुछ सामान भेजा है आपके लिए....
सरला – हा तो रख दे कमरे में....
सुमन – वो मां मेरा सामान ऊपर वाले कमरे में है आप एक बार देख लेते तो....
सरला – अच्छा ठीक है चल (साहिल से) तू आराम कर मै अभी आती हु...
बोल के निकल गई सरला , सुमन के साथ , साथ में बाकी सभी सुमन के कमरे में आते ही सुमन ने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया तब...
सुमन – मां आपको एक जरूरी बात बतानी है...
सरला – क्या बात है सुमन ऐसे अचानक से...
फिर सुमन ने वो सब बता दिया जो मन्दिर में हुआ कैसे वो मन्दिर में आए कैसे साहिल पर हमला हुआ और कैसे साहिल ने सबको मारा कैसे अस्पताल में आए और वहां आते ही साहिल ने जो कहा ये सारी बात सुन...
सरला –(हैरानी से) ये कैसे हो सकता है साहिल ने सबको मारा और उसे ही याद नहीं....
सुमन – मां अगर उस वक्त आप भी साहिल का वो रूप देखते शायद आपको भी यकीन नहीं होता , मां जिस रात रनवीर ने लाला का बेटा और उसके भाई और दोनों बेटो को मारा था उससे भी ज़्यादा भयानक मंजर था आज का जब साहिल उन सभी को बेहरमी से मार रहा था...
सरला – हम्ममम फर्क बस इतना सा है उस रात रनवीर ने तुझे बचाया था और आज साहिल ने तुझे और कविता को बचाया , उस वक्त वो सिर्फ चार थे और आज उससे ज्यादा , लेकिन एक बात समझ नहीं आई किसकी इतनी हिम्मत हो गई जिसने हमारे खानदान की तरफ आंख उठा के देखा होगा....
सुमन – मुझे ठीक से याद नहीं मां वो आदमी कुछ बोल तो रहा था लेकिन साहिल को उस हालत में देख मैने ध्यान नहीं दिया उसकी कही किसी बात पर....
सरला – शुक्र है ऊपर वाले का उसने कुछ भी गलत नहीं होने दिया मेरे परिवार के साथ , खेर मै मौका देख के साहिल से बात करूंगी इस बारे में , खेर वहां जो हुआ तुम इस बारे में किसी से बात मत करना , अब तुम भी फ्रेश हो जाओ खाना खा के आराम कर लो तुम्हे साहिल का भी ध्यान रखना है...
सुमन – जी मां....
इधर ये दोनों बात कर रहे थे वहीं साहिल के कमरे में...
सुनंदा – (साहिल से) तुम्हारा कमरा बहुत सुंदर है....
साहिल – हम्ममम मै भी देख रहा हूँ आज पहली बार इस कमरे को....
सुनंदा – पहली बार ऐसा क्यों बोल रहे हो तुम....
साहिल – (मुस्कुरा के) सच ही तो बोल रहा हूँ ८ से ९ साल बाद आया हूँ इस घर में सब कुछ बदल चुका है यहां पर....
लता – (अपने साथ दोनों का समान कमरे में लाते हुए) हा साहिल बाबा बदला काफी कुछ है इस घर में आपका ये कमरा आपके जाने के बाद अभी खुला है....
साहिल – (लता से) आप कौन है और मेरे नाम के साथ बाबा....
लता – (मुस्कुरा के) आपने मुझे पहचाना नहीं शायद मेरा नाम लता है मै यहां काम करती हूँ , बचपन में आप मेरे साथ बहुत खेलते थे , मै आपको साहिल बाबा बुलाती थी , आपको याद नहीं....
साहिल – (मुस्कुरा के) यहां से जाने के बाद कुछ समय के लिए हर किसी को बहुत याद करता था , और फिर दादी के सिवा सबको भूल गया मै बस याद रही तो सिर्फ एक बात की कभी वापस नहीं आऊंगा यहां पर मैं....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) एक न एक दिन तो सभी को लौट के आना ही होता है साहिल शायद यही वक्त था तुम्हारे लौटने का वापस अपने घर पर...
साहिल – हम्ममम शायद कुछ वक्त के लिए बस....
लता – ऐसा क्यों बोल रहे हो आप बाबा अब आप कही नहीं जाओगे यही रहोगे हमेशा के लिए....
साहिल – (मुस्कुरा के) देखते है कितना वक्त लगता है इस बार , खेर आप मेरा खाना रहने देना मेरी इच्छा नहीं है खाने की....
सुनंदा – (बीच में लता से) आप एक काम करो खाना लेके आओ मै खिला दूंगी साहिल को....
लता – जी ठीक है....
बोल साहिल को एक बार देख के बाहर जाने लगी , कमरे के बाहर आके...
लता – (अपने मन में – क्या हुआ है साहिल बाबा को इतने सालों बाद आज घर आए है और आते ही , लगता है दादी के कहने से आए है घर में वर्ना बातों से यही लगता है शायद वापस ही नहीं आना चाहते थे यहां कभी , गलती तो साहिल को भी नहीं है इसमें , जो हुआ उनके साथ उसके बाद कौन आना चाहेगा उस घर में)....
सोचते हुए चली गई लता जबकि कमरे में....
साहिल – (सुनंदा से) आपने क्यों मंगवा लिया खाना मेरी सच में इच्छा नहीं है खाने की....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) हो सकता है लेकिन खाना तो खाना ही पड़ेगा तुम्हे वर्ना ठीक कैसे होगे भूल गए जख्मी हो तुम खून भी बहा है तुम्हारा इसीलिए खाना तो पड़ेगा ही....
साहिल – (मुस्कुरा के) आपने कहा था कि हम स्कूल में मिले है लेकिन आपको अपने स्कूल में मैने कभी देखा ही नहीं फिर हम कब मिले थे....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) दो साल पहले हम स्कूल की पिकनिक पर मिले थे साथ में तुम्हारा दोस्त भी था....
साहिल – आपको सच में याद है और मुझे याद ही नहीं आपके बारे में....
सुनंदा – हम्ममम जैसे तुम्हे अपनी दादी के सिवा परिवार का कोई याद नहीं शायद वैसे ही...
साहिल – काफी फर्क है दोनों बातों में....
सुनंदा – और वो क्या....
साहिल – जाने दीजिए इस बात को , मै फ्रेश होके आता हु....
सुनंदा – मै मदद करती हूँ....
साहिल – नहीं मै कर लूंगा जरूरत होगी बता दूंगा आपको....
सुनंदा – ठीक है दरवाजा बंद मत करना बस जरूरत पड़े बुला लेना....
साहिल – ठीक है....
इस तरफ कविता के कमरे में अवनी , खुशी , सोनम , पूनम बैठे बात कर रहे थे....
सोनम – (कविता से) क्या हुआ था वहां पर कैसे हुआ ये सब....
कविता – गांव में रामू काका की जगह कोई और लें आया हमें जब पूछा तो बताया उसने की रामू काका की तबियत अचानक खराब होगई इसीलिए वो आया उनकी जगह उसके बाद हम निकल गए रास्ते में उस आदमी ने रास्ता बदल लिया तब एक मंदिर में गाड़ी रोकी उसने पहले तो याद नहीं आ रहा था लेकिन बाद में याद आया कि उस मंदिर में हम पहले भी आ चुके है....
पूनम – कौन से मंदिर की बात कर रही है तू....
कविता – अरे वही जब राघव चाचा की शादी में हम गए थे एक बार तब धीरेन्द्र दादा के साथ हम गए थे घूमने उस मन्दिर में तब उन्होंने क्या कहा था याद है ना....
खुशी – हा उन्होंने कहा था कि इस मन्दिर में हमारे परिवार वालों के सिवा कोई नहीं आ सकता है और जो भी आया वो यहां के मायाजाल में फंस के पागल होके आता है....
कविता – उसी मंदिर में गए थे हम लेकिन....
अवनी – लेकिन क्या कविता....
कविता – अगर दादा जी की बात सच थी तो वहां पर वो सब कैसे आए थे और वो ड्राइव जो रामू काका की जगह आया वो कैस लेके आया हमें उस मंदिर के रस्ते में....
पूनम – कौन थे वो लोग....
कविता – पता नहीं दीदी लेकिन उन्होंने मंदिर में ही हमें घेर लिया था और शायद साहिल भाई समझ गए थे तभी वो मां और मुझे लेके जाने लगे मन्दिर से लेके तभी एक आदमी ने साहिल भाई को पीछे से चाकू मार दिया उसके बाद पता नहीं क्या हुआ दीदी मै बेहोश हो हुई थी जब होश आया तो अपने आप को कार में पाया तब साहिल भाई को हॉस्पिटल में लेके आए थे हम लोग उसके बाद यहां आ गए....
सोनम – ये तो बहुत अजीब बात है कौन हो सकता है वो जिसने ऐसा किया और सबसे बड़ी बात वो उस मन्दिर में कैसे आ गए....
इन सब बातों में उलझे हुए थे यहां पर ये पांचों जबकि नीचे हाल में उसी वक्त रनवीर आ गया आते ही....
रनवीर – (राजेश से मिला जो अपनी सोच में डूबा बैठा था सोफे पर जिसे रनवीर के आने का पता नहीं चला तब) क्या हुआ भैया आप यहां क्यों बैठो हो....
अपने सामने रनबीर को देख उसे सारी बात बताता है तब....
रनवीर – (चौक के) क्या ये सब कैसे और सुमन और कविता कैसे है....
राजेश – वो ठीक है कमरे में है अपने....
रनवीर – मै मिल के आता हु....
राजेश – रनवीर तुम्हे क्या लगता है कौन कर सकता है ये सब कही लाला का हाथ तो नहीं इसमें....
रनवीर – लाला नहीं हो सकता है भईया क्योंकि वो इसका अंजाम अच्छे से जानता है , ये जरूर कोई हमारा बिजनेस का दुश्मन होगा जिसने ये बेवकूफी की होगी वरना आप खुद सोचो भईया भला मंदिर में कैस जा सकता है कोई तभी तो मारे गए सब के सब....
राजेश – हम्ममम तुम ठीक कह रहे हो रनवीर....
बोल के रनवीर जैस ही अपने कमरे में गया वहां सुमन को ना पाके बाहर आया आते ही....
रनवीर – भईया अपने सुमन को देखा कमरे में नहीं है वो....
राजेश – अरे हा मै बताना भूल गया वो ऊपर साहिल के कमरे में है....
रनवीर – वो यहां पर...
राजेश – हा मा के कहने पर आया है , देखो रनवीर वो बेटा है हमारे घर का तुम उसे पसंद नहीं करते हो ये जानता हु मैं , तो प्लीज ऐसा कुछ मत करना जिससे मां को तकलीफ हो....
रनवीर – ये जानते हुए भी कि उसने क्या किया है....
राजेश – भूल जाओ उस बात को रनवीर सिर्फ आज में जीना सीखो बस...
रनवीर – मै कभी नहीं भूल सकता हु उस बात को भईया भले आप भूल जाओ....
बोल के रनवीर ऊपर कमरे की तरफ जाने लगा साहिल के कमरे में आके जहां साहिल बाथरूम में बाहर आ रहा था वही बेड में सुनंदा बैठी थी तभी....
रनवीर –(कमरे में आके साहिल से) सुमन कहा है....
साहिल बिना ध्यान दिए बेड में बैठ गया....
साहिल – (सुनंदा से) ये दादी के बेटे है इनका नाम रनवीर है वही जिनकी बीवी और बेटी के साथ हम यहां आए है....
तभी रनवीर का ध्यान सुनंदा पर जाता है उसे आंखे फाड़े देखता रह जाता है जिसे सुनंदा देख लेती है साथ में साहिल भी देख लेता है तब....
साहिल – मुझे पता नहीं....
रनवीर – (चौक के) क क्या कहा....
साहिल – (मुस्कुरा के) पता नहीं कहा है आपकी बीवी....
रनवीर – (सुनंदा से) आप कौन है....
सुनंदा – मेरे नाम सुनंदा है , सुमन लेके आई है मुझ यहां पर....
रनवीर – हम्ममम ठीक है (साहिल से) यहां पर अपनी हद में रहना तुम समझे....
साहिल – आप ये बात दादी मा के सामने कहिएगा और ज्यादा दिक्कत हो तो दादी से मना कर दीजियेगा....
बात सुन रनवीर कमरे में बाहर चला गया तभी उसने ध्यान दिया कि बगल वाला कमरा खुले आ हुआ है वहा जाके देखा तो सुमन और सरला आपस में बात कर रही थी तब....
रनवीर – (कमरे में आके सुमन से) तुम यहां क्या कर रही हो मुझे लगा अपने कमरे में होगी...
सुमन – अपने ही कमरे में हूँ मैं....
रनवीर – क्या मतलब , ये तुम्हारा कमरा कैसे वो तो नीचे है....
सुमन – नहीं ये है अब से मेरा कमरा....
रनवीर – ये कैसी बाते कर रही हो तुम सुमन अपना कमरा छोड़ के इस कमरे में अकेले क्यों....
सुमन – अकेले कहा हूँ साहिल है बगल के कमरे में और कविता का भी कमरा है....
रनवीर – मतलब साहिल की वजह से तुम यहां पर....
सुमन – हा ताकि साहिल के करीब रह सकू....
रनवीर – जब से गांव में मिली हो उससे जाने तब से क्या हो गया है तुम्हे इतने सालों तक तो जिसके बारे में सोचा नहीं आज अचानक उसके करीब रहने की बात कर रही हो....
सुमन – अकल पे पर्दा था मेरे जो सच और झूठ में फर्क नहीं कर पाई , सबकी तरह करती गई गलती पर गलती....
रनवीर – (बात न समझ के) क्या मतलब है तुम्हारा....
सुमन – मतलब साफ है गलती को सुधारना चाहती हूँ मैं और वैसे भी बारह सालों से कौन सा घर में रहते आए हो , आपको तो घर में बाहर रहने में मजा आने लगा है बारह सालों में....
रनवीर – (मुस्कुरा के) ओह तो ये बात है इतने वक्त से तुम्हे मै वक्त नहीं दे पाया , हा मानता हूँ सुमन काम की वजह से मुझ कई बार घर के बाहर रहना पड़ता रहा है लेकिन मै वादा करता हूं अब ऐसा बिल्कुल नहीं होगा काम के साथ घर पर भी वक्त दूंगा मै चलो अब अपने कमरे में....
सुमन – अब यही मेरा कमरा है और मुझे किसी भी तरह साहिल के करीब रहना है.....
रनवीर – वो तो तुम अपने कमरे में रह कर भी रह सकती हो करीब उसके , रह तो रहा है ना वो इस घर में....
सुमन – नहीं वो जख्मी है अभी , उसे कभी भी जरूरत पड़ सकती है मेरी इसीलिए इस कमरे में रहूंगी....
रनवीर – ठीक है उसके ठीक होते ही आजाना तुम....
सुमन – तब की तब देखेंगे....
रनवीर – (कुछ पल सुमन को गौर से देखता है तब) ठीक है....
बोल के निकल जाता है रनवीर कमरे से तब....
सरला – बहुत जिद्दी है रनवीर मानेगा नहीं....
सुमन –(मुस्कुरा के) साहिल से ज्यादा नहीं है मां , लेकिन मैं भी हार नहीं मानने वाली हूँ....
सरला – वो तू देख ले , चल फ्रेश होके खान के लिए आजा नीचे मैं साहिल के पास जा रही हूँ....
बोल के सरला निकल गई साहिल के कमरे में , इधर साहिल बेड में बैठा कुछ सोच रहा था सुनंदा फ्रेश होने गई थी बाथरूम में तभी....
साहिल – (मन में सोचते हुए – इतना कुछ होगया आज और अच्छा हुआ सेमेंथा ने नहीं देखा वर्ना....
इससे पहले साहिल आगे कुछ बोलता तभी....
सेमेंथा – वर्ना क्या साहिल....
साहिल – (चौक के) तुम यहां पर कैसे....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) मैने कहा था ना तुमसे जब भी तुम मुझे याद करोगे या पुकारोगे अपने पास पाओगे....
साहिल – (अपने सिर में हाथ रख के) अरे हा यार मै सच में भूल गया था एक्सीडेंट के चक्कर में....
सेमेंथा – (हैरान होके) एक्सीडेंट , किसका एक्सीडेंट साहिल....
साहिल – (घबरा के) क क किसी का नहीं हुआ मै तो तो ऐसे ही ही बो बोला मै....
सेमेंथा – (साहिल को घूर के देखते हुए) सच सच बताओ साहिल बात क्या है....
साहिल – (मन्दिर में कैसे उसे चाकू मारा पीठ में ये बात बता के) उसके बाद मै बेहोश हो गया जब होश आया तो हॉस्पिटल में था....
सेमेंथा – (साहिल के पास आके) और तुमने मुझे बुलाया तक नहीं एक बार याद तो कर सकते थे न (दूसरी तरफ सिर घुमा के) शायद तुमने मुझे कभी अपना समझा ही नहीं साहिल , मै ही पागल थी....
साहिल – (सेमेंथा का हाथ पकड़ के) तुम्हे नहीं लगता तुम कुछ ज्यादा ही सोच रही हो....
सेमेंथा – सही तो सोच रही हूँ मैं....
साहिल – (सेमेंथा को गले लगाते हुए) जिसको कहो उसकी कसम खा के बोलने को तैयार हु मैं , ये सब इतनी जल्दी में हुआ मुझे मौका ही नहीं मिला कुछ भी सोचने का....
साहिल की बात सुन जोर से गले लगती है जिससे साहिल को पीठ में दर्द होता है....
साहिल – (दर्द में) आआआहह....
सेमेंथा – (चौक के) क्या हुआ तुम्हे....
साहिल – कितने जोर से गले लगी हो पीठ में दर्द हो रहा है....
सेमेंथा – सौरी माफ करना मुझे ध्यान नहीं रहा....
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) देखा इसी तरह मुझे भी ध्यान नहीं रहा था....
सेमेंथा – (हाथ से चुटकी बजा के) आगे से मै हर वक्त साथ रहूंगी तुम्हारे....
साहिल – वो तो ठीक है लेकिन अभी तुमने क्या किया चुटकी बजा के.....
सेमेंथा – कुछ खास नहीं तुम्हारा ज़ख्म सही कर दिया....
साहिल – (चौक के) ये क्या किया तुमने....
सेमेंथा – ऐसा क्यों बोल रहे हो....
साहिल – तुम भूल रही हो सेमेंथा मै अब अकेला नहीं हूँ इस घर में सबको पता है मेरे ज़ख्म के बारे में क्या जवाब दूंगा मै उनको....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) मैने तुम्हारा ज़ख्म सही किया है सिर्फ , ज़ख्म वही का वही है अभी भी बस तुम्हे अब तकलीफ नहीं होगी और न दर्द....
साहिल –(मुस्कुरा के) तुमने तो सच में मुझे डरा दिया था....
इससे पहले कोई कुछ बोलता तभी बाथरूम से कुछ गिरने की आवाज आती है जिसे सुन....
सेमेंथा –(आवाज सुन के) कौन है वहां पर....
साहिल – मै बताना भूल गया वो औरत जो हॉस्पिटल में लेके आई थी हमलोग को ये वही है कॉलेज में टीचर के लिए आई है और वो सुमन ने इसे यही रहने को बोला है....
साहिल ने इतना बोला था तभी बाथरूम का दरवाजा खुला वहां से सुनंदा बाहर निकली तभी सेमेंथा गौर से देखने लगी सुनंदा को तब....
सुनंदा – (साहिल से) किस्से बाते कर रहे थे तुम कोई आया था कमरे में....
साहिल – नहीं वो मै फोन पर बात कर रहा था दोस्त से अपने....
सुनंदा – (सेमेंथा को एक नजर देख हल्का मुस्कुरा के) अच्छा ठीक है तुम खड़े क्यों हो बेड में आराम करो....
साहिल – ओह हा वो मेरा मन हो गया था इसीलिए....
ठीक उसी वक्त लता आ गई सरला के साथ खाना लेके साहिल के कमरे में इधर इन तीनों ने साहिल के कमरे में खाना खाया और बाकी के लोगों ने हाल में खान खा के चले गए कमरे में सोने तब...
सुमन – (साहिल के कमरे में आके साहिल से) मेरा कमरा बगल में है और तुम्हारे कमरे से दरवाजा लगा हुआ है , जो खुला रहेगा , अगर कोई भी जरूरत हो तो बुला लेना....
साहिल – फिलहाल मै ठीक हु जरूरत नहीं है मुझे....
साहिल – (मुस्कुरा के) कोई बात नहीं मैं चक्कर लगाती रहूंगी बीच बीच में....
बोल के सुमन चली गई अपने कमरे में उसके जाते ही...
सुनंदा – (साहिल से) तुम इतना गुस्से में क्यों बात करते हो सुमन से....
साहिल – मुझे आदत नहीं किसी के सहारे की वो जबरदस्ती पीछे पड़ जाती है....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) इसे जबरदस्ती नहीं कहते साहिल इसे प्यार कहते है....
साहिल – (हस्ते हुए) प्यार वो भी ये जाने दीजिए इससे अच्छा मजाक मैने अभी तक नहीं सुना....
सुनंदा – ऐसा क्यों बोल रहे हो....
साहिल – वो मेरी कुछ नहीं लगती है इस दुनिया में मेरा अगर कोई है तो वो सिर्फ दादी और मेरा दोस्त कमल और कोई नहीं....
बोल के साहिल बेड में लेट गया दूसरी तरफ मु करके जिसे देख सुनंदा हल्का मुस्कुरा रही थी जिसे सेमेंथा देख रही थी तब सुनंदा ने हवा में हल्का सा हाथ घुमाया और साहिल गहरी नींद में सो गया तब....
सुनंदा –(सेमेंथा से) कैसी हो तुम...
सेमेंथा , सुनंदा की आवाज सुन साहिल को देखने लगी तब....
सुनंदा –(मुस्कुरा के) परेशान मत हो साहिल को गहरी नींद में सुला दिया है मैने....
बात सुनते ही सेमेंथा तुरंत सुनंदा के गले लग गई तब....
सेमेंथा – मां आप वापस आ गया अपने बताया नहीं और ये सब साहिल के साथ अचानक से कैसे....
सुनंदा – सब बताऊंगी उससे पहले हमे चलना होगा मंदिर में अभी....
सेमेंथा – मंदिर में अभी क्यों मां....
सुनंदा – ऋषिवर से मिलने , बाकी वही चल के सब पता चल जाएगा चलो फिर जल्दी से वापस भी आना है हमें....
बोल के दोनों गायब हो गए वहां से और आ गए उसी मंदिर में जहां साहिल ने सबको मारा था मंदिर में आते हो सामने जगन्नाथ बाबा मिले....
सुनंदा – (जगन्नाथ बाबा से) प्रणाम ऋषिवर....
जगन्नाथ बाबा – प्रणाम देवी , बताए देवी कैसे आना हुआ....
सुनंदा – बाबा आपने तो देखा होगा आज मेरा पुत्र वापस आ गया और आते ही उसने जो किया....
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) पता है देवी हमने पहले ही ये सब देख लिया था....
सुनंदा – बाबा अब आगे क्या और कैसे करना है....
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) देवी आगे के लिए जो करना है आपको ही करना होगा आपके पुत्र की सभी शक्तियों को आपको ही उसे प्राप्त करने में सहायता करनी होगी लेकिन....
सुनंदा – लेकिन क्या बाबा...
जगन्नाथ बाबा – आपने शायद ध्यान नहीं दिया एक बात पर देवी....
सुनंदा –(हैरानी से) कौन सी बात पर ध्यान नहीं दिया मैने ऋषिवर....
जगन्नाथ बाबा – समय का चक्र वापस घुमा है....
सुनंदा – समय का चक्र , मै कुछ समझी नहीं ऋषिवर और किसके लिए घूमा समय चक्र और क्यों....
जगन्नाथ बाबा – ये सब शिव की लीला है देवी , एक मां की अधूरी ममता उसका प्यार और बेटे का प्यार उसकी मां के प्रति जो अधूरा रह गया था उनके सच्चे प्यार के खातिर समय चक्र घूमा है आज और अब जल्द ही आपके पुत्र की भेट होने वाली है उनसे....
सुनंदा – परन्तु ऋषिवर इस बात का हमसे क्या ताल्लुख है....
जगन्नाथ बाबा – ताल्लुख है देवी , समय चक्र घूमने से आपके दूसरे पुत्र BD का ध्यान धरती लोक में आ चुका होगा और अब वो बिल्कुल भी चुप नहीं बैठेगा BD जरूर कोई चाल चलेगा आप तक आने की इसीलिए अब आपको और ज्यादा सावधान रहने की जरूरत पड़ेगी क्योंकि आपके पुत्र ने अपनी शक्ति अभी तक प्राप्त नहीं की है लेकिन इन सब के बाद जैसे ही आपके पुत्र ने अपनी पहली शक्ति प्राप्त की BD को समझते देर नहीं लगेगी आप धरती लोक में कहा छिपे हुए हो....
सुनंदा – तो ऋषिवर अब क्या करे हम....
जगन्नाथ बाबा – BD आपके पुत्र साहिल तक ना पहुंचे इसके लिए आपके पुत्र का उस लड़के के साथ होना जरूरी हो गया है....
सुनंदा – आखिर ऐसी क्या खासियत है उस लड़के में ऋषिवर.....
जगन्नाथ बाबा – उस लड़के पर शिव जी की कृपा है देवी उस लड़के ने अपने पूर्व जनम में कड़ी तपस्या की जिस वजह से शिव जी ने उसे वरदान के सरुप में काल भैरव दिया लेकिन उसे पूर्व जन्म में जितना उसे प्यार मिला उतनी ज़्यादा तकलीफ उसे इस जन्म में मिली छल कपट से उसकी मां को उससे दूर कर दिया गया उस लड़के ने हिम्मत न हारी अंत में वो मां आई अपने पुत्र के पास वापस लेकिन तब मृत्यु ने दूर कर दिया उस मां से उसके पुत्र को पश्चाताप की अग्नि में जलते हुए उस मा ने शिव जी के सामने गुहार लगाई तब काल भैरव ने उस मां के असीम प्रेम और उस लड़के का अपने मा के प्रति अधूरे प्रेम के खातिर काल भैरव ने समय चक्र को घुमा दिया और उस मा को एक मौका दिया ताकि इस बार पुत्र और मां का प्रेम अधूरा ना रह जाए लेकिन अब काल भैरव उस लड़के के साथ तो नहीं है लेकिन उनकी शक्ति उस लड़के के साथ है इसीलिए उस लड़के का साथ आपके पुत्र के लिए जरूरी है जिस वजह से आपके दूसरे पुत्र BD का ध्यान आपके पुत्र पर जल्दी नहीं जाएगा....
सुनंदा – ऋषिवा कौन है वो मां और वो लड़का....
जगन्नाथ बाबा – जल्द ही आपकी भेट होगी उस लड़के और उसकी मां से परन्तु याद रहे देवी इस लड़ाई में अब आप अकेले नहीं हो वो मां और बेटा का साथ भी होगा इसमें , आपको उनका पूरा साथ देना होगा देवी तभी आपकी वर्षों की तपस्या सफल होगी....
सुनंदा – जी ऋषिवर में साथ दूंगी उनका....
जगन्नाथ बाबा – अति उत्तम देवी (सेमेंथा से) सेमेंथा पुत्री.....
सेमेंथा – (हाथ जोड़ के) जी बाबा....
जगन्नाथ बाबा – पुत्री अब तुम्हे साहिल और अपनी मां (सुनंदा) का साथ देना है जैसा वो कहे वैसा करना पुत्री तभी तुम्हारे जन्म का असली मकसद पूरा होगा....
सेमेंथा – जी बाबा....
जगन्नाथ बाबा – हम्ममम अब आप प्रस्थान करे जल्द ही हमारी मुलाक़ात होगी और इस बीच कभी भी आपको जरूरत पड़े हमारी तो मन में याद करिएगा....
इसके साथ सुनंदा और सेमेंथा दोनों ने एक साथ जगन्नाथ बाबा को प्रणाम कर वहां से गायब हो कर साहिल के पास आ गए....
सेमेंथा – (सुनंदा से) अब क्या करना है मां....
सुनंदा – अब हमें जो करना है जल्दी ही करना होगा इससे पहले BD को पता चले साहिल के बारे में हमें उसे सुरक्षित करना होगा किसी तरह....
सेमेंथा – लेकिन कैसे मां....
सुनंदा – मैने उस बारे में सोच लिया है सेमेंथा अपने पुत्र को बचाने के लिए मै वो करूंगी जिसके बाद साहिल पर ध्यान गलती से भी नहीं जाएगा BD का जिसके बाद साहिल के लिए और भी आसान हो जाएगा अपनी शक्ति को प्राप्त करना....
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जारी रहेगा
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ये दोनों मां और बेटा कौन है जल्द ही इस बारे में पता चल जाएगा आप सबको बस इन्तजार कीजिए आने वाले UPDATES का
Fantastic updateUPDATE 21
LOCATION....सरला सिंह का घर....
लता (नौकरानी) – (सरला से) माजी आप सब अकेले आए है साहिल कहा है और सुमन दीदी और कविता भी नहीं दिख रहे....
सरला – वो भी आ रहे है लता , अब तू सब छोड़ पहले जाके जल्दी से आरती की थाली ले आ आज साहिल कई सालों बाद घर वापस आ रहा है ना...
लता – तो क्या इसीलिए बाकी सब बाद में आयेगे...
सरला – हा और सुन साहिल का कमरा तैयार है ना कोई कमी तो नहीं रह गई है....
लता – नहीं माजी सब कुछ मैने पहले से तैयार कर दिया है....
रिकी (राजेश और रीना का बेटा) – (सरला से) दादी कौन आ रहा है....
सरला – (मुस्कुरा के) तेरा बड़ा भाई साहिल आ रहा है आज घर में....
रिकी – मेरा बड़ा भाई और आपने मुझे बताया नहीं गलत बात है दादी...
सरला – (मुस्कुर के) अरे मेरा बेटा तो नाराज हो गया अपनी दादी से....
रिकी – और नहीं तो क्या एक तो आपने कभी बताया नहीं मेरा बड़ा भाई भी है ऊपर से भैया आ रहे है अपने बताया नहीं नहीं तो मै भईया के लिए गिफ्ट लेके आता....
सरला – (चौक के) अच्छा क्या गिफ्ट लाते अपने भईया के लिए....
रिकी – मै क्यों बताऊं , आपको पता नहीं गिफ्ट के बारे में बताया नहीं जाता , दिया जाता है....
सरला – (मुस्कुर के) ओह हो मै तो सच में भूल ही गई थी इस बारे में....
रिकी – लेकिन मुझे तो सब याद रहता है दादी क्योंकि मै आप सब से ज्यादा समझदार हूँ...
सरला – (मुस्कुरा के) बिल्कुल सच बात है मेरे बेटे से ज्यादा होशियार कोई नहीं पूरे घर में , चलो जल्दी से तैयार हो जाओ तुम्हारे साहिल भईया थोड़ी देर में आने वाले है फिर हम सब मिल के उनकी आरती उतारेंगे....
रिकी – दादी साहिल भईया की आरती क्यों उतारनी है....
सरला – बेटा आपके साहिल भईया बाहर गए हुए थे पढ़ाई करने बचपन में आज बहुत सालों बाद पढ़ाई करके घर आ रहे है इसीलिए उनकी आरती उतारनी है ताकि किसी की नजर न लगे उनको...
रिकी – तो दादी आपने हमारी कभी आरती नहीं उतारी अगर हमें किसी की नजर लग गई तो...
इस वक्त सरला की हवेली में सुनैना , सोनम , पूनम , राजेश , अवनी , खुशी , लता और इन सबसे अलग बैठी रीना ये सब रिकी की मासूमियत भरी बाते सुन सभी मुस्कुरा रहे थे जबकि रिकी शरीर से बड़ा जरूर हो गया था लेकिन उसका दिमाग आज भी एक बच्चे की तरह था भोला भला बच्चा जिसे घर में सभी आज भी वैसे ही प्यार करते थे जैसे छोटे बच्चे से प्यार करते है फिलहाल आगे बढ़ते है....
सरला – (रिकी के सिर पे हाथ फेर के) ऐसे कैसे लगेगी किसी की नजर मेरे बच्चे को उसके हाथ पैर ना तोड़ दूं मै...
रिकी – तो दादी आज आप साहिल भईया के साथ हमारी भी नजर उतारोगे ना...
सरला – (मुस्कुरा के) हा बिल्कुल मेरे बच्चे....
उसके बाद सभी काफी देर तक इंतजार करते रहे साहिल , सुमन और कविता के आने का लेकिन नहीं आए तब....
सुनैना – (सरला से) बड़ी देर हो गई मां अभी तक आए नहीं ये लोग....
खुशी – मां देर तो लगेगी ना हमें भी तो घर आने में २ से ३ घंटे लग गए थे ना....
पूनम – वैसे भी चाची आज मौसम भी काफी खराब हो गया है हो सकता है उस तरफ बारिश हो रही हो इसीलिए देर हो रही हो उन्हें....
अवनी – मै कविता को कॉल करके पता करती हूँ...
लेकिन कॉल रिसीव नहीं होता कविता का जबकि अवनी कई बार कॉल करती है तब...
अवनी – ये कविता कॉल क्यों नहीं रिसीव कर रही है...
खुशी – (गुस्से में) ये कविता भी ना जब देखा अपना फोन साइलेंट करके रख देती है , मैं सुमन चाची को कॉल मिलती हूँ....
लेकिन सुमन का कॉल भी रिसीव नहीं होता....
खुशी – ये चाची का भी फोन रिसीव नहीं हो रहा है (सरला से) दादी आप जरा साहिल भईया को कॉल मिला के पूछिए ना...
सरला – हा एक मिनिट मै करती हु....
लेकिन साहिल का भी कॉल रिसीव नहीं होता जिसके बाद....
सरला – कमाल है साहिल भी रिसीव नहीं कर रहा कॉल मेरी....
सुनैना – मां हो सकता है इन लोगों ने अपना फोन बैग में रखा होगा शायद इसलिए कॉल रिसीव नहीं कर पा रहा हो....
अवनी – तीनों ने अपना फोन बैग में रखा होगा क्या मां ऐसा जरूरी तो नहीं....
सरला – मै रामू को फोन करती हूं....
लेकिन उसका फोन मिलता ही नहीं है तब....
सरल – रामू का फोन मिल ही नहीं रहा है , सब लोग ठीक तो है ना वहां पर....
राजेश – (सरला के कंधे पर हाथ रख के) मा तुम परेशान मत हो सब ठीक होगे मैं अभी धीरेन्द्र मामा से बात कर पता करता हूं....
बोल राजेश तुरंत धीरेन्द्र को कॉल करता है....
धीरेन्द्र – (कॉल रिसीव करके) हा राजेश....
राजेश – मामा जी वहां से साहिल , सुमन और कविता निकले नहीं है क्या अभी....
धीरेन्द्र – बेटा उन्हें निकले कई घंटों हो गए है....
राजेश – (चौक के) लेकिन वो लोग यहां अभी तक आए नहीं....
धीरेन्द्र – बेटा बात ऐसी है कि वो सब दिन में निकल गए थे (उसके बाद जो हुआ राजेश को सब बता दिया) राघव भी थोड़ी देर पहले घर आया है ये लो उससे बात करो...
राघव को फोन देके...
राघव – भईया मै पता करने गया था पिताजी से मिली जानकारी के बाद मैं सीधा मंदिर की तरफ चला गया गांव वालो के साथ वहा जाते ही जो देखा मैने वो बहुत भयानक नजारा था....
राजेश – (हैरानी से) ऐसा क्या देखा तुमने....
राघव – भईया वहां पर मुझे ४० लोगो को लाशें मिली....
राजेश – (चौक के) क्या लेकिन कैसे और क्या हुआ था वहां पर....
राघव – ये तो पता नहीं भईया लेकिन १० लोगो की लाश सूखे कूवे में पड़ी हुई थी और बाकी के ३० लोगों की लाश मंदिर के बाहर जमीन पर पड़ी हुई थी देख के ऐसा लगता है जैसे किसी ने बड़ी बेहरमी से मारा होगा उनको....
राजेश – (राघव की बात सुन सोचते हुए) और साहिल , सुमन और कविता वो कहा है....
राघव – वो वहा पर नहीं थे भइया और नाही आपकी कार थी वहां पर , मैने गांव के बाहर का चप्पा चप्पा छान मारा लेकिन साहिल , सुमन , कविता और आपकी कार किसी गांव वाले ने नहीं देखा रस्ते से आते जाते हुए , मैं बस अभी घर आया हूँ अपनी गाड़ी लेके गांव वालो के साथ जा रहा हु ढूंढने उनको...
राजेश – (हैरानी और घबराट से) राघव तुम वहां पता करो मैं यहां से तुरंत निकलता हूँ वहां के लिए....
इससे पहले बात आगे कोई करता तभी....
लता – (सरला से) मां जी वो लोग आ गए....
लता की आवाज सुन....
राजेश – कौन आया है लता....
लता – सुमन दीदी , कविता , साहिल और उनके साथ कोई लड़की भी है....
राजेश – (लता की बात सुन खुश होके राघव से कॉल पर) रुको राघव परेशान होने की जरूरत नहीं है साहिल , सुमन और कवित आ गए है घर में...
राघव – शुक्र है भगवान का भइया , अच्छा भईया आप उनसे बात कर के पता तो करिएगा वो आए कैसे और पता चलते हो बता दीजियेगा , रामू काका के ठीक होते ही उन्हें भिजवा दूंगा शहर में....
राजेश – हा ठीक है राघव....
बोल के कॉल कट कर दिया जिसके बाद घर के सभी बाहर जाने लगे तब...
सरला – (लता से) लता आरती की थाली तो लेके आ जरा....
तभी घर के दरवाजे से सुमन , कविता , साहिल आने लगे उनके साथ एक लड़की थी तभी....
सरला – (सबको रोक के) रुको एक मिनिट जरा साहिल की आरती उतार दूं....
साहिल – आरती लेकिन दादी....
सरला – चुप कर तू बस खड़ा रह वही पर....
जिसके बाद सरला ने पहले साहिल की आरती उतारी उसके सिर पर टिका लगाया तब....
सरला – चल अब बाया पैर आगे कर अन्दर आजा...
सरला की बात सुनते ही साहिल ने वही किया साथ में सुमन , कविता और सुनंदा ने भी अन्दर आते वक्त सरला ने देखा साहिल को धीरे धीरे चलते हुए , साहिल को इस तरह से धीरे धीरे चलते देख....
सरला – (साहिल से) क्या बात है बेटा तू इस तरह धीरे धीरे क्यों चल रहा है....
सुमन – वो मां रस्ते में कुछ लोगो ने हम पर हमला कर दिया था....
हमले की बात सुन सभी हैरान परेशान हो गए तब....
सुनैना – (सुमन से) हमला कैसा हमला दीदी और किसने किया....
सुमन – पता नहीं सुनैना लेकिन एक आदमी ने साहिल की पीठ पे चाकू मारा था ये तो अच्छा हुआ कि साहिल ठीक था और फिर हम सही वक्त पर हॉस्पिटल आ गए....
राजेश – (साहिल के पास आके) तू ठीक तो है ना बेटा....
साहिल – जी मै ठीक हूँ....
सुनैना –(लड़की को देख सुमन से) ये कौन है दीदी....
सुमन – (सुनंदा को देख) इनका नाम सुनंदा है , इन्होंने ही हमारी बहुत मदद की इनकी मदद से हम सब वहां से निकल हॉस्पिटल आ गए जहां साहिल का इलाज हुआ और तू जानती है सुनैना ये हमारे ही कॉलेज में टीचर की नौकरी की लिए आई है अगर ये न मिलती तो जाने आज क्या हो जाता...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) ऐसा कुछ नहीं मेरी जगह कोई और होता तो वो भी यही करता....
सरला – (साहिल को सोफे पर बैठा के सुनंदा से हाथ जोड़ के) आपका बहुत बहुत शुक्रिया सुनंदा जी आज आपने मेरे बेटे को बचा के मुझे नई जिंदगी दी है मैं आपका ये एहसान कैसे उतारूंगी....
सुनंदा – (सरला का हाथ पकड़ के) नहीं नहीं आप हाथ मत जोड़िए मैने किसी पे कोई एहसान नहीं किया , जो भी किया मेरा फर्ज था....
सरला – फिर भी आपका बहुत बहुत शुक्रिया सुनंदा जी (साहिल के बगल में बैठ के) दर्द हो रहा है बेटा...
साहिल – हा दादी अभी भी दर्द है....
सरला – ठीक है तू चल अपने कमरे में आराम कर बाद में बाते करेंगे...
बोल के सरला उठी और साहिल का हाथ पकड़ लिया साथ ही दूसरी तरफ राजेश ने साहिल का हाथ पकड़ उसे कमरे लेके जाने लगे सभी , पीछे से सुनंदा मुस्कुरा रही थी , इस तरफ साहिल को उसके कमरे में लाके बेड में बैठा दिया....
सुमन – (सरला से) मां डॉक्टर ने साहिल को पेट के बल आराम करने को कहा है , पीट पे ज़ख्म है उसकी वजह से उसे दिक्कत ना हो....
सरला – तब तो किसी ना किसी को साहिल के साथ रुकना पड़ेगा हर वक्त....
सुमन – मां मै रुक जाती हु वैसे भी मेरा कमरा बगल में ही है....
साहिल – (सरला से) दादी किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है मै संभाल सकता हूँ खुद को....
सरला – हा हा वो सब दिख रहा है मुझे , बस चुप चाप मेरी बात सुन जब तक तू पूरी तरह से ठीक नहीं होता तब तक सुमन रहेगी तेरे साथ , और इससे आगे मैं तेरी कोई बात नहीं सुनूंगी समझा....
साहिल –(मुस्कुरा के) ठीक है मेरी प्यारी दादी जैसा आप कहो वैसा करूंगा मैं....
सुमन – मा वो सुनंदा जी इस शहर में अकेली है उन्होंने हमारे लिए इतना कुछ किया तो मैने उन्हें यहां सबके साथ रहने के लिए कहा है....
सरला – ये तो बहुत अच्छी बात है सुमन , तुमने बहुत अच्छा काम किया....
सुनंदा – अगर आपकी इजाजत हो तो क्या मैं यही साहिल के साथ रुक सकती हूँ , साथ में साहिल की देख भाल भी कर दूंगी मैं....
सरला – अरे नहीं नहीं सुनंद जी आपने इतना कुछ किया है हमारे लिए आपको और परेशानी में नहीं डालेंगे....
सुनंदा – इसमें परेशानी कैसी , टीचर की जॉब लगने से पहले मैं नर्स थी एक अस्पताल में मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी साहिल की देखभाल करने में....
सरला – सच में सुनंदा जी भगवान ने शायद आपको हमारे लिए ही भेजा है , ठीक है साहिल के ठीक होने तक आप यही रुक जाईए और सुमन का भी कमरा बगल में है वो इसमें आपका साथ देगी , उसके बाद मैं आपके लिए रूम सही करवा दूंगी....
सुनंदा – जी शुक्रिया...
सरला – (लता से) लता किसी को बोल के साहिल और सुनंदा जी का समान यहां भिजवा दे और तू खाने की तैयारी कर और साहिल का खाना कमरे में ले आना (सुनंदा से) आप भी फ्रेश हो जाइए थोड़ी देर में सब साथ में खाना खाते है...
सुमन – मां वो बाबू जी (धीरेन्द्र) ने कुछ सामान भेजा है आपके लिए....
सरला – हा तो रख दे कमरे में....
सुमन – वो मां मेरा सामान ऊपर वाले कमरे में है आप एक बार देख लेते तो....
सरला – अच्छा ठीक है चल (साहिल से) तू आराम कर मै अभी आती हु...
बोल के निकल गई सरला , सुमन के साथ , साथ में बाकी सभी सुमन के कमरे में आते ही सुमन ने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया तब...
सुमन – मां आपको एक जरूरी बात बतानी है...
सरला – क्या बात है सुमन ऐसे अचानक से...
फिर सुमन ने वो सब बता दिया जो मन्दिर में हुआ कैसे वो मन्दिर में आए कैसे साहिल पर हमला हुआ और कैसे साहिल ने सबको मारा कैसे अस्पताल में आए और वहां आते ही साहिल ने जो कहा ये सारी बात सुन...
सरला –(हैरानी से) ये कैसे हो सकता है साहिल ने सबको मारा और उसे ही याद नहीं....
सुमन – मां अगर उस वक्त आप भी साहिल का वो रूप देखते शायद आपको भी यकीन नहीं होता , मां जिस रात रनवीर ने लाला का बेटा और उसके भाई और दोनों बेटो को मारा था उससे भी ज़्यादा भयानक मंजर था आज का जब साहिल उन सभी को बेहरमी से मार रहा था...
सरला – हम्ममम फर्क बस इतना सा है उस रात रनवीर ने तुझे बचाया था और आज साहिल ने तुझे और कविता को बचाया , उस वक्त वो सिर्फ चार थे और आज उससे ज्यादा , लेकिन एक बात समझ नहीं आई किसकी इतनी हिम्मत हो गई जिसने हमारे खानदान की तरफ आंख उठा के देखा होगा....
सुमन – मुझे ठीक से याद नहीं मां वो आदमी कुछ बोल तो रहा था लेकिन साहिल को उस हालत में देख मैने ध्यान नहीं दिया उसकी कही किसी बात पर....
सरला – शुक्र है ऊपर वाले का उसने कुछ भी गलत नहीं होने दिया मेरे परिवार के साथ , खेर मै मौका देख के साहिल से बात करूंगी इस बारे में , खेर वहां जो हुआ तुम इस बारे में किसी से बात मत करना , अब तुम भी फ्रेश हो जाओ खाना खा के आराम कर लो तुम्हे साहिल का भी ध्यान रखना है...
सुमन – जी मां....
इधर ये दोनों बात कर रहे थे वहीं साहिल के कमरे में...
सुनंदा – (साहिल से) तुम्हारा कमरा बहुत सुंदर है....
साहिल – हम्ममम मै भी देख रहा हूँ आज पहली बार इस कमरे को....
सुनंदा – पहली बार ऐसा क्यों बोल रहे हो तुम....
साहिल – (मुस्कुरा के) सच ही तो बोल रहा हूँ ८ से ९ साल बाद आया हूँ इस घर में सब कुछ बदल चुका है यहां पर....
लता – (अपने साथ दोनों का समान कमरे में लाते हुए) हा साहिल बाबा बदला काफी कुछ है इस घर में आपका ये कमरा आपके जाने के बाद अभी खुला है....
साहिल – (लता से) आप कौन है और मेरे नाम के साथ बाबा....
लता – (मुस्कुरा के) आपने मुझे पहचाना नहीं शायद मेरा नाम लता है मै यहां काम करती हूँ , बचपन में आप मेरे साथ बहुत खेलते थे , मै आपको साहिल बाबा बुलाती थी , आपको याद नहीं....
साहिल – (मुस्कुरा के) यहां से जाने के बाद कुछ समय के लिए हर किसी को बहुत याद करता था , और फिर दादी के सिवा सबको भूल गया मै बस याद रही तो सिर्फ एक बात की कभी वापस नहीं आऊंगा यहां पर मैं....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) एक न एक दिन तो सभी को लौट के आना ही होता है साहिल शायद यही वक्त था तुम्हारे लौटने का वापस अपने घर पर...
साहिल – हम्ममम शायद कुछ वक्त के लिए बस....
लता – ऐसा क्यों बोल रहे हो आप बाबा अब आप कही नहीं जाओगे यही रहोगे हमेशा के लिए....
साहिल – (मुस्कुरा के) देखते है कितना वक्त लगता है इस बार , खेर आप मेरा खाना रहने देना मेरी इच्छा नहीं है खाने की....
सुनंदा – (बीच में लता से) आप एक काम करो खाना लेके आओ मै खिला दूंगी साहिल को....
लता – जी ठीक है....
बोल साहिल को एक बार देख के बाहर जाने लगी , कमरे के बाहर आके...
लता – (अपने मन में – क्या हुआ है साहिल बाबा को इतने सालों बाद आज घर आए है और आते ही , लगता है दादी के कहने से आए है घर में वर्ना बातों से यही लगता है शायद वापस ही नहीं आना चाहते थे यहां कभी , गलती तो साहिल को भी नहीं है इसमें , जो हुआ उनके साथ उसके बाद कौन आना चाहेगा उस घर में)....
सोचते हुए चली गई लता जबकि कमरे में....
साहिल – (सुनंदा से) आपने क्यों मंगवा लिया खाना मेरी सच में इच्छा नहीं है खाने की....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) हो सकता है लेकिन खाना तो खाना ही पड़ेगा तुम्हे वर्ना ठीक कैसे होगे भूल गए जख्मी हो तुम खून भी बहा है तुम्हारा इसीलिए खाना तो पड़ेगा ही....
साहिल – (मुस्कुरा के) आपने कहा था कि हम स्कूल में मिले है लेकिन आपको अपने स्कूल में मैने कभी देखा ही नहीं फिर हम कब मिले थे....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) दो साल पहले हम स्कूल की पिकनिक पर मिले थे साथ में तुम्हारा दोस्त भी था....
साहिल – आपको सच में याद है और मुझे याद ही नहीं आपके बारे में....
सुनंदा – हम्ममम जैसे तुम्हे अपनी दादी के सिवा परिवार का कोई याद नहीं शायद वैसे ही...
साहिल – काफी फर्क है दोनों बातों में....
सुनंदा – और वो क्या....
साहिल – जाने दीजिए इस बात को , मै फ्रेश होके आता हु....
सुनंदा – मै मदद करती हूँ....
साहिल – नहीं मै कर लूंगा जरूरत होगी बता दूंगा आपको....
सुनंदा – ठीक है दरवाजा बंद मत करना बस जरूरत पड़े बुला लेना....
साहिल – ठीक है....
इस तरफ कविता के कमरे में अवनी , खुशी , सोनम , पूनम बैठे बात कर रहे थे....
सोनम – (कविता से) क्या हुआ था वहां पर कैसे हुआ ये सब....
कविता – गांव में रामू काका की जगह कोई और लें आया हमें जब पूछा तो बताया उसने की रामू काका की तबियत अचानक खराब होगई इसीलिए वो आया उनकी जगह उसके बाद हम निकल गए रास्ते में उस आदमी ने रास्ता बदल लिया तब एक मंदिर में गाड़ी रोकी उसने पहले तो याद नहीं आ रहा था लेकिन बाद में याद आया कि उस मंदिर में हम पहले भी आ चुके है....
पूनम – कौन से मंदिर की बात कर रही है तू....
कविता – अरे वही जब राघव चाचा की शादी में हम गए थे एक बार तब धीरेन्द्र दादा के साथ हम गए थे घूमने उस मन्दिर में तब उन्होंने क्या कहा था याद है ना....
खुशी – हा उन्होंने कहा था कि इस मन्दिर में हमारे परिवार वालों के सिवा कोई नहीं आ सकता है और जो भी आया वो यहां के मायाजाल में फंस के पागल होके आता है....
कविता – उसी मंदिर में गए थे हम लेकिन....
अवनी – लेकिन क्या कविता....
कविता – अगर दादा जी की बात सच थी तो वहां पर वो सब कैसे आए थे और वो ड्राइव जो रामू काका की जगह आया वो कैस लेके आया हमें उस मंदिर के रस्ते में....
पूनम – कौन थे वो लोग....
कविता – पता नहीं दीदी लेकिन उन्होंने मंदिर में ही हमें घेर लिया था और शायद साहिल भाई समझ गए थे तभी वो मां और मुझे लेके जाने लगे मन्दिर से लेके तभी एक आदमी ने साहिल भाई को पीछे से चाकू मार दिया उसके बाद पता नहीं क्या हुआ दीदी मै बेहोश हो हुई थी जब होश आया तो अपने आप को कार में पाया तब साहिल भाई को हॉस्पिटल में लेके आए थे हम लोग उसके बाद यहां आ गए....
सोनम – ये तो बहुत अजीब बात है कौन हो सकता है वो जिसने ऐसा किया और सबसे बड़ी बात वो उस मन्दिर में कैसे आ गए....
इन सब बातों में उलझे हुए थे यहां पर ये पांचों जबकि नीचे हाल में उसी वक्त रनवीर आ गया आते ही....
रनवीर – (राजेश से मिला जो अपनी सोच में डूबा बैठा था सोफे पर जिसे रनवीर के आने का पता नहीं चला तब) क्या हुआ भैया आप यहां क्यों बैठो हो....
अपने सामने रनबीर को देख उसे सारी बात बताता है तब....
रनवीर – (चौक के) क्या ये सब कैसे और सुमन और कविता कैसे है....
राजेश – वो ठीक है कमरे में है अपने....
रनवीर – मै मिल के आता हु....
राजेश – रनवीर तुम्हे क्या लगता है कौन कर सकता है ये सब कही लाला का हाथ तो नहीं इसमें....
रनवीर – लाला नहीं हो सकता है भईया क्योंकि वो इसका अंजाम अच्छे से जानता है , ये जरूर कोई हमारा बिजनेस का दुश्मन होगा जिसने ये बेवकूफी की होगी वरना आप खुद सोचो भईया भला मंदिर में कैस जा सकता है कोई तभी तो मारे गए सब के सब....
राजेश – हम्ममम तुम ठीक कह रहे हो रनवीर....
बोल के रनवीर जैस ही अपने कमरे में गया वहां सुमन को ना पाके बाहर आया आते ही....
रनवीर – भईया अपने सुमन को देखा कमरे में नहीं है वो....
राजेश – अरे हा मै बताना भूल गया वो ऊपर साहिल के कमरे में है....
रनवीर – वो यहां पर...
राजेश – हा मा के कहने पर आया है , देखो रनवीर वो बेटा है हमारे घर का तुम उसे पसंद नहीं करते हो ये जानता हु मैं , तो प्लीज ऐसा कुछ मत करना जिससे मां को तकलीफ हो....
रनवीर – ये जानते हुए भी कि उसने क्या किया है....
राजेश – भूल जाओ उस बात को रनवीर सिर्फ आज में जीना सीखो बस...
रनवीर – मै कभी नहीं भूल सकता हु उस बात को भईया भले आप भूल जाओ....
बोल के रनवीर ऊपर कमरे की तरफ जाने लगा साहिल के कमरे में आके जहां साहिल बाथरूम में बाहर आ रहा था वही बेड में सुनंदा बैठी थी तभी....
रनवीर –(कमरे में आके साहिल से) सुमन कहा है....
साहिल बिना ध्यान दिए बेड में बैठ गया....
साहिल – (सुनंदा से) ये दादी के बेटे है इनका नाम रनवीर है वही जिनकी बीवी और बेटी के साथ हम यहां आए है....
तभी रनवीर का ध्यान सुनंदा पर जाता है उसे आंखे फाड़े देखता रह जाता है जिसे सुनंदा देख लेती है साथ में साहिल भी देख लेता है तब....
साहिल – मुझे पता नहीं....
रनवीर – (चौक के) क क्या कहा....
साहिल – (मुस्कुरा के) पता नहीं कहा है आपकी बीवी....
रनवीर – (सुनंदा से) आप कौन है....
सुनंदा – मेरे नाम सुनंदा है , सुमन लेके आई है मुझ यहां पर....
रनवीर – हम्ममम ठीक है (साहिल से) यहां पर अपनी हद में रहना तुम समझे....
साहिल – आप ये बात दादी मा के सामने कहिएगा और ज्यादा दिक्कत हो तो दादी से मना कर दीजियेगा....
बात सुन रनवीर कमरे में बाहर चला गया तभी उसने ध्यान दिया कि बगल वाला कमरा खुले आ हुआ है वहा जाके देखा तो सुमन और सरला आपस में बात कर रही थी तब....
रनवीर – (कमरे में आके सुमन से) तुम यहां क्या कर रही हो मुझे लगा अपने कमरे में होगी...
सुमन – अपने ही कमरे में हूँ मैं....
रनवीर – क्या मतलब , ये तुम्हारा कमरा कैसे वो तो नीचे है....
सुमन – नहीं ये है अब से मेरा कमरा....
रनवीर – ये कैसी बाते कर रही हो तुम सुमन अपना कमरा छोड़ के इस कमरे में अकेले क्यों....
सुमन – अकेले कहा हूँ साहिल है बगल के कमरे में और कविता का भी कमरा है....
रनवीर – मतलब साहिल की वजह से तुम यहां पर....
सुमन – हा ताकि साहिल के करीब रह सकू....
रनवीर – जब से गांव में मिली हो उससे जाने तब से क्या हो गया है तुम्हे इतने सालों तक तो जिसके बारे में सोचा नहीं आज अचानक उसके करीब रहने की बात कर रही हो....
सुमन – अकल पे पर्दा था मेरे जो सच और झूठ में फर्क नहीं कर पाई , सबकी तरह करती गई गलती पर गलती....
रनवीर – (बात न समझ के) क्या मतलब है तुम्हारा....
सुमन – मतलब साफ है गलती को सुधारना चाहती हूँ मैं और वैसे भी बारह सालों से कौन सा घर में रहते आए हो , आपको तो घर में बाहर रहने में मजा आने लगा है बारह सालों में....
रनवीर – (मुस्कुरा के) ओह तो ये बात है इतने वक्त से तुम्हे मै वक्त नहीं दे पाया , हा मानता हूँ सुमन काम की वजह से मुझ कई बार घर के बाहर रहना पड़ता रहा है लेकिन मै वादा करता हूं अब ऐसा बिल्कुल नहीं होगा काम के साथ घर पर भी वक्त दूंगा मै चलो अब अपने कमरे में....
सुमन – अब यही मेरा कमरा है और मुझे किसी भी तरह साहिल के करीब रहना है.....
रनवीर – वो तो तुम अपने कमरे में रह कर भी रह सकती हो करीब उसके , रह तो रहा है ना वो इस घर में....
सुमन – नहीं वो जख्मी है अभी , उसे कभी भी जरूरत पड़ सकती है मेरी इसीलिए इस कमरे में रहूंगी....
रनवीर – ठीक है उसके ठीक होते ही आजाना तुम....
सुमन – तब की तब देखेंगे....
रनवीर – (कुछ पल सुमन को गौर से देखता है तब) ठीक है....
बोल के निकल जाता है रनवीर कमरे से तब....
सरला – बहुत जिद्दी है रनवीर मानेगा नहीं....
सुमन –(मुस्कुरा के) साहिल से ज्यादा नहीं है मां , लेकिन मैं भी हार नहीं मानने वाली हूँ....
सरला – वो तू देख ले , चल फ्रेश होके खान के लिए आजा नीचे मैं साहिल के पास जा रही हूँ....
बोल के सरला निकल गई साहिल के कमरे में , इधर साहिल बेड में बैठा कुछ सोच रहा था सुनंदा फ्रेश होने गई थी बाथरूम में तभी....
साहिल – (मन में सोचते हुए – इतना कुछ होगया आज और अच्छा हुआ सेमेंथा ने नहीं देखा वर्ना....
इससे पहले साहिल आगे कुछ बोलता तभी....
सेमेंथा – वर्ना क्या साहिल....
साहिल – (चौक के) तुम यहां पर कैसे....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) मैने कहा था ना तुमसे जब भी तुम मुझे याद करोगे या पुकारोगे अपने पास पाओगे....
साहिल – (अपने सिर में हाथ रख के) अरे हा यार मै सच में भूल गया था एक्सीडेंट के चक्कर में....
सेमेंथा – (हैरान होके) एक्सीडेंट , किसका एक्सीडेंट साहिल....
साहिल – (घबरा के) क क किसी का नहीं हुआ मै तो तो ऐसे ही ही बो बोला मै....
सेमेंथा – (साहिल को घूर के देखते हुए) सच सच बताओ साहिल बात क्या है....
साहिल – (मन्दिर में कैसे उसे चाकू मारा पीठ में ये बात बता के) उसके बाद मै बेहोश हो गया जब होश आया तो हॉस्पिटल में था....
सेमेंथा – (साहिल के पास आके) और तुमने मुझे बुलाया तक नहीं एक बार याद तो कर सकते थे न (दूसरी तरफ सिर घुमा के) शायद तुमने मुझे कभी अपना समझा ही नहीं साहिल , मै ही पागल थी....
साहिल – (सेमेंथा का हाथ पकड़ के) तुम्हे नहीं लगता तुम कुछ ज्यादा ही सोच रही हो....
सेमेंथा – सही तो सोच रही हूँ मैं....
साहिल – (सेमेंथा को गले लगाते हुए) जिसको कहो उसकी कसम खा के बोलने को तैयार हु मैं , ये सब इतनी जल्दी में हुआ मुझे मौका ही नहीं मिला कुछ भी सोचने का....
साहिल की बात सुन जोर से गले लगती है जिससे साहिल को पीठ में दर्द होता है....
साहिल – (दर्द में) आआआहह....
सेमेंथा – (चौक के) क्या हुआ तुम्हे....
साहिल – कितने जोर से गले लगी हो पीठ में दर्द हो रहा है....
सेमेंथा – सौरी माफ करना मुझे ध्यान नहीं रहा....
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) देखा इसी तरह मुझे भी ध्यान नहीं रहा था....
सेमेंथा – (हाथ से चुटकी बजा के) आगे से मै हर वक्त साथ रहूंगी तुम्हारे....
साहिल – वो तो ठीक है लेकिन अभी तुमने क्या किया चुटकी बजा के.....
सेमेंथा – कुछ खास नहीं तुम्हारा ज़ख्म सही कर दिया....
साहिल – (चौक के) ये क्या किया तुमने....
सेमेंथा – ऐसा क्यों बोल रहे हो....
साहिल – तुम भूल रही हो सेमेंथा मै अब अकेला नहीं हूँ इस घर में सबको पता है मेरे ज़ख्म के बारे में क्या जवाब दूंगा मै उनको....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) मैने तुम्हारा ज़ख्म सही किया है सिर्फ , ज़ख्म वही का वही है अभी भी बस तुम्हे अब तकलीफ नहीं होगी और न दर्द....
साहिल –(मुस्कुरा के) तुमने तो सच में मुझे डरा दिया था....
इससे पहले कोई कुछ बोलता तभी बाथरूम से कुछ गिरने की आवाज आती है जिसे सुन....
सेमेंथा –(आवाज सुन के) कौन है वहां पर....
साहिल – मै बताना भूल गया वो औरत जो हॉस्पिटल में लेके आई थी हमलोग को ये वही है कॉलेज में टीचर के लिए आई है और वो सुमन ने इसे यही रहने को बोला है....
साहिल ने इतना बोला था तभी बाथरूम का दरवाजा खुला वहां से सुनंदा बाहर निकली तभी सेमेंथा गौर से देखने लगी सुनंदा को तब....
सुनंदा – (साहिल से) किस्से बाते कर रहे थे तुम कोई आया था कमरे में....
साहिल – नहीं वो मै फोन पर बात कर रहा था दोस्त से अपने....
सुनंदा – (सेमेंथा को एक नजर देख हल्का मुस्कुरा के) अच्छा ठीक है तुम खड़े क्यों हो बेड में आराम करो....
साहिल – ओह हा वो मेरा मन हो गया था इसीलिए....
ठीक उसी वक्त लता आ गई सरला के साथ खाना लेके साहिल के कमरे में इधर इन तीनों ने साहिल के कमरे में खाना खाया और बाकी के लोगों ने हाल में खान खा के चले गए कमरे में सोने तब...
सुमन – (साहिल के कमरे में आके साहिल से) मेरा कमरा बगल में है और तुम्हारे कमरे से दरवाजा लगा हुआ है , जो खुला रहेगा , अगर कोई भी जरूरत हो तो बुला लेना....
साहिल – फिलहाल मै ठीक हु जरूरत नहीं है मुझे....
साहिल – (मुस्कुरा के) कोई बात नहीं मैं चक्कर लगाती रहूंगी बीच बीच में....
बोल के सुमन चली गई अपने कमरे में उसके जाते ही...
सुनंदा – (साहिल से) तुम इतना गुस्से में क्यों बात करते हो सुमन से....
साहिल – मुझे आदत नहीं किसी के सहारे की वो जबरदस्ती पीछे पड़ जाती है....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) इसे जबरदस्ती नहीं कहते साहिल इसे प्यार कहते है....
साहिल – (हस्ते हुए) प्यार वो भी ये जाने दीजिए इससे अच्छा मजाक मैने अभी तक नहीं सुना....
सुनंदा – ऐसा क्यों बोल रहे हो....
साहिल – वो मेरी कुछ नहीं लगती है इस दुनिया में मेरा अगर कोई है तो वो सिर्फ दादी और मेरा दोस्त कमल और कोई नहीं....
बोल के साहिल बेड में लेट गया दूसरी तरफ मु करके जिसे देख सुनंदा हल्का मुस्कुरा रही थी जिसे सेमेंथा देख रही थी तब सुनंदा ने हवा में हल्का सा हाथ घुमाया और साहिल गहरी नींद में सो गया तब....
सुनंदा –(सेमेंथा से) कैसी हो तुम...
सेमेंथा , सुनंदा की आवाज सुन साहिल को देखने लगी तब....
सुनंदा –(मुस्कुरा के) परेशान मत हो साहिल को गहरी नींद में सुला दिया है मैने....
बात सुनते ही सेमेंथा तुरंत सुनंदा के गले लग गई तब....
सेमेंथा – मां आप वापस आ गया अपने बताया नहीं और ये सब साहिल के साथ अचानक से कैसे....
सुनंदा – सब बताऊंगी उससे पहले हमे चलना होगा मंदिर में अभी....
सेमेंथा – मंदिर में अभी क्यों मां....
सुनंदा – ऋषिवर से मिलने , बाकी वही चल के सब पता चल जाएगा चलो फिर जल्दी से वापस भी आना है हमें....
बोल के दोनों गायब हो गए वहां से और आ गए उसी मंदिर में जहां साहिल ने सबको मारा था मंदिर में आते हो सामने जगन्नाथ बाबा मिले....
सुनंदा – (जगन्नाथ बाबा से) प्रणाम ऋषिवर....
जगन्नाथ बाबा – प्रणाम देवी , बताए देवी कैसे आना हुआ....
सुनंदा – बाबा आपने तो देखा होगा आज मेरा पुत्र वापस आ गया और आते ही उसने जो किया....
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) पता है देवी हमने पहले ही ये सब देख लिया था....
सुनंदा – बाबा अब आगे क्या और कैसे करना है....
जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) देवी आगे के लिए जो करना है आपको ही करना होगा आपके पुत्र की सभी शक्तियों को आपको ही उसे प्राप्त करने में सहायता करनी होगी लेकिन....
सुनंदा – लेकिन क्या बाबा...
जगन्नाथ बाबा – आपने शायद ध्यान नहीं दिया एक बात पर देवी....
सुनंदा –(हैरानी से) कौन सी बात पर ध्यान नहीं दिया मैने ऋषिवर....
जगन्नाथ बाबा – समय का चक्र वापस घुमा है....
सुनंदा – समय का चक्र , मै कुछ समझी नहीं ऋषिवर और किसके लिए घूमा समय चक्र और क्यों....
जगन्नाथ बाबा – ये सब शिव की लीला है देवी , एक मां की अधूरी ममता उसका प्यार और बेटे का प्यार उसकी मां के प्रति जो अधूरा रह गया था उनके सच्चे प्यार के खातिर समय चक्र घूमा है आज और अब जल्द ही आपके पुत्र की भेट होने वाली है उनसे....
सुनंदा – परन्तु ऋषिवर इस बात का हमसे क्या ताल्लुख है....
जगन्नाथ बाबा – ताल्लुख है देवी , समय चक्र घूमने से आपके दूसरे पुत्र BD का ध्यान धरती लोक में आ चुका होगा और अब वो बिल्कुल भी चुप नहीं बैठेगा BD जरूर कोई चाल चलेगा आप तक आने की इसीलिए अब आपको और ज्यादा सावधान रहने की जरूरत पड़ेगी क्योंकि आपके पुत्र ने अपनी शक्ति अभी तक प्राप्त नहीं की है लेकिन इन सब के बाद जैसे ही आपके पुत्र ने अपनी पहली शक्ति प्राप्त की BD को समझते देर नहीं लगेगी आप धरती लोक में कहा छिपे हुए हो....
सुनंदा – तो ऋषिवर अब क्या करे हम....
जगन्नाथ बाबा – BD आपके पुत्र साहिल तक ना पहुंचे इसके लिए आपके पुत्र का उस लड़के के साथ होना जरूरी हो गया है....
सुनंदा – आखिर ऐसी क्या खासियत है उस लड़के में ऋषिवर.....
जगन्नाथ बाबा – उस लड़के पर शिव जी की कृपा है देवी उस लड़के ने अपने पूर्व जनम में कड़ी तपस्या की जिस वजह से शिव जी ने उसे वरदान के सरुप में काल भैरव दिया लेकिन उसे पूर्व जन्म में जितना उसे प्यार मिला उतनी ज़्यादा तकलीफ उसे इस जन्म में मिली छल कपट से उसकी मां को उससे दूर कर दिया गया उस लड़के ने हिम्मत न हारी अंत में वो मां आई अपने पुत्र के पास वापस लेकिन तब मृत्यु ने दूर कर दिया उस मां से उसके पुत्र को पश्चाताप की अग्नि में जलते हुए उस मा ने शिव जी के सामने गुहार लगाई तब काल भैरव ने उस मां के असीम प्रेम और उस लड़के का अपने मा के प्रति अधूरे प्रेम के खातिर काल भैरव ने समय चक्र को घुमा दिया और उस मा को एक मौका दिया ताकि इस बार पुत्र और मां का प्रेम अधूरा ना रह जाए लेकिन अब काल भैरव उस लड़के के साथ तो नहीं है लेकिन उनकी शक्ति उस लड़के के साथ है इसीलिए उस लड़के का साथ आपके पुत्र के लिए जरूरी है जिस वजह से आपके दूसरे पुत्र BD का ध्यान आपके पुत्र पर जल्दी नहीं जाएगा....
सुनंदा – ऋषिवा कौन है वो मां और वो लड़का....
जगन्नाथ बाबा – जल्द ही आपकी भेट होगी उस लड़के और उसकी मां से परन्तु याद रहे देवी इस लड़ाई में अब आप अकेले नहीं हो वो मां और बेटा का साथ भी होगा इसमें , आपको उनका पूरा साथ देना होगा देवी तभी आपकी वर्षों की तपस्या सफल होगी....
सुनंदा – जी ऋषिवर में साथ दूंगी उनका....
जगन्नाथ बाबा – अति उत्तम देवी (सेमेंथा से) सेमेंथा पुत्री.....
सेमेंथा – (हाथ जोड़ के) जी बाबा....
जगन्नाथ बाबा – पुत्री अब तुम्हे साहिल और अपनी मां (सुनंदा) का साथ देना है जैसा वो कहे वैसा करना पुत्री तभी तुम्हारे जन्म का असली मकसद पूरा होगा....
सेमेंथा – जी बाबा....
जगन्नाथ बाबा – हम्ममम अब आप प्रस्थान करे जल्द ही हमारी मुलाक़ात होगी और इस बीच कभी भी आपको जरूरत पड़े हमारी तो मन में याद करिएगा....
इसके साथ सुनंदा और सेमेंथा दोनों ने एक साथ जगन्नाथ बाबा को प्रणाम कर वहां से गायब हो कर साहिल के पास आ गए....
सेमेंथा – (सुनंदा से) अब क्या करना है मां....
सुनंदा – अब हमें जो करना है जल्दी ही करना होगा इससे पहले BD को पता चले साहिल के बारे में हमें उसे सुरक्षित करना होगा किसी तरह....
सेमेंथा – लेकिन कैसे मां....
सुनंदा – मैने उस बारे में सोच लिया है सेमेंथा अपने पुत्र को बचाने के लिए मै वो करूंगी जिसके बाद साहिल पर ध्यान गलती से भी नहीं जाएगा BD का जिसके बाद साहिल के लिए और भी आसान हो जाएगा अपनी शक्ति को प्राप्त करना....
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जारी रहेगा
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ये दोनों मां और बेटा कौन है जल्द ही इस बारे में पता चल जाएगा आप सबको बस इन्तजार कीजिए आने वाले UPDATES का