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Incest आंधी (नफ़रत और इन्तकाम की)

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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UPDATE 2

DEVIL LOK
PART 2

एक कमरे में दो लोग आपस में बाते कर रहे थे..

औरत – (गुस्से में) आपने बोला क्यों नहीं कुछ भी सब कुछ आपकी आंखों के सामने होता चला गया आखिर क्यों चुप बैठे थे आप..

आदमी – (गुस्से में) तो तुम्हे क्या लगता है जो हुआ उससे मै बहुत खुश था नहीं बल्कि बदले की आग तो मेरे सीने में लग चुकी है पूरी तरह से जिससे इन दोनों मा बेटे को जला के खाक कर दूंगा...

औरत – उसे क्या होगा क्या ये राज्य मिल जाएगा आपको...

जी हा सही समझ रहे है ये दोनों कोई और नहीं B D और उसकी बीवी समारा है...

B D – हा मिल जाएगा क्योंकि आरव ने एक गलती कर दी है मुझे अपना रक्षक के साथ सलाहकार नियुक्त करके बस तुम देखती जाओ ये रक्षक कैसे भक्षक बन जाएगा...

समारा – तो आप रानी मा का क्या करोगे....

B D – हम्ममम उसी बात की चिंता हो रही है मुझे कैसे उस औरत को कैद करूं उसकी शक्ति हम दोनों भाइयों से काफी अधिक है पल भर में बच भी जाएगी साथ ही मिटा के रख देगी सभी को....

समारा – अब क्या करोगे आप....

B D – सिर्फ एक रास्ता है अब...

समारा – कौन सा रास्ता....

B D – योगिनी...

समारा – (चौक के) क्या ये कोई चुडैल है....

B D – (हस्ते हुए) वो चुडैल नहीं बल्कि योगिनी है जिसके तांत्रिक और अघोरियों के साथ रह के एक से एक विद्या हासिल की है तुम्हे शायद यकीन नहीं होगा ये बात जान के की वो पिछले तीन सौ सालों से मौत को धोखा देती आ रही है...

समारा – वो कैसे....

BD – हर बार उसका शरीर जब वृद्ध अवस्था में आ जाता है तभी वो एक दूसरा शरीर ढूंढती है ऐसा वैसा शरीर नहीं बल्कि स्वास्थ्य शरीर जो सिर्फ एक बच्चे का होता है जो नाबालिग हो उसे बहला फुसला के अपनी क्रिया करने लगते है जिसके बाद वो उस नाबालिग के शरीर पर अपना कब्जा कर लेती है इस क्रिया की वजह से ही वो इतने सालों से मौत को धोखा देती आ रही है....

समारा – अगर वो इतनी खतरनाक है तो वो यहां कैसे आ गई और आपको कैसे पता उसके बारे में....

B D – एक बार योगिनी अपनी क्रिया करने में लगी हुई थी तभी उस नाबालिग बच्चे के मा बाप उसे ढूंढते हुए योगिनी तक आ गए जब उन्होंने देखा योगिनी को जो अपना हाथ उस नाबालिग बच्चे की सिर पे रख के मंत्र पढ़ रही है तभी उनलोगों ने उसे मारना शुरू किया जिसकी वजह से मौका पा के योगिनी ने तुरंत एक मंत्र पढ़ा जिसके बाद जितने लोग उसे मार रहे थे वो सब राख बन गए उसी वक्त मै धरती पर ये नजारा देख रहा था तभी योगिनी की नजर मुझपे पढ़ी मुझे देखती वो जान गई थी मै कौन हूँ तब उसने मुझे मदद मांगी मैने बदले में उससे वादा लिया कि मेरे लिए काम करना है लेकिन कब क्या और कौन सा काम मै बाद बताऊंगा उसक बाद से मैने योगिनी को इस राज्य के बाहर सुनसान पहाड़ में बनी गुफा में रहने का इंतजाम किया मैने...

समारा – तो आप उससे मिलने जाएंगे...

B D – हा आज ही जाऊंगा मिलने उससे और तुम भी साथ चलोगी मेरे...

समारा – लेकिन मेरा क्या काम है वहां पर....

B D – सब पता चल जाएगा कुछ ही देर में सब सो जाएंगे तब हम चलेंगे योगिनी के पास....

समारा – उसके पास क्यों...

B D – वही हमे हमारी असली मंजिल तक जाने का रास्ता दिखाएगी (समारा से) क्या इस काम में तुम मेरा साथ दोगी...

समारा – आपकी खुशी के लिए मै कुछ भी कर सकती हूँ...

B D – (मुस्कुरा के) हम्ममम...

जिसके कुछ समय बाद B D और समारा महल से चुपके से निकल गए उस पहाड़ी की ओर जहां पर योगिनी उनका इंतजार कर रही थी गुफा के अंदर आते ही दोनों की नजर एक तरफ पड़ी जहां सामने एक अधेड़ उम्र की औरत अपनी आंखे बंद करके हवन कुंड के पास बैठी थी तभी उसकी आंख खुली अपने सामने B D और समारा को देख...

योगिनी – (मुस्कुरा के B D से) मै आप ही का इंतजार कर रही थी महाराज (समारा से) कैसी हो आप महारानी...

योगिनी की बात सुन B D मुस्कुराता है जबकि...

समारा – (थोड़ा चौक के) अच्छी हूँ और आप ये क्या...

योगिनी – (बीच में) आपके सारे सवालों का जवाब भी आपको जल्द ही मिल जाएगा महारानी (दोनों को एक तरफ इशारा करके) बैठिए यहां पर...

योगिनी के इशारों को समझ दोनों हवन कुंड के पास बैठ गए तब...

योगिनी – (दोनों से) अब बताइए क्या सेवा कर सकती हूँ मै आप दोनों की...

B D – तुम जानती हो योगिनी आज मैने क्या खोया है बस उसे पाना चाहता हूँ किसी भी हालत में...

योगिनी – हम्ममम और इस कम में क्या आपकी पत्नी आपका साथ देने को तैयार है....

समारा – हा मै अपने पति का साथ अपनी आखिरी सास तक दूंगी....

योगिनी – (मुस्कुरा के समारा से) बहुत अधिक प्रेम करती है आप अपने पति से महारानी....

समारा – हा जान से भी ज्यादा....

योगिनी – (मुस्कुरा के) लेकिन आपको जान देने की जरूरत नहीं है महारानी सिर्फ साथ देना है आपको क्या आप तैयार है...

समारा – हा हम तैयार है....

समारा की बात सुन के योगिनी के साथ B D भी मुस्कुराता है जिसके बाद...

योगिनी – (समारा से) ठीक है महारानी (अपना हाथ आगे कर समारा से) मेरा हाथ पकड़ लीजिए महारानी ताकि इस नेक काम की शुरुवात हम अभी से कर सके...

समारा – (योगिनी का हाथ पकड़ के) लेकिन इससे आप क्या करने वाली है...

योगिनी – (मुस्कुरा के) बहुत जल्द ही आपको पता चल जाएगा महारानी....

जिसके बाद योगिनी ने हवन कुंड के सामने मंत्र पढ़ते हुए दूसरे हाथ से आहुति देने लगी कुछ समय बाद समारा और योगिनी की आंखे बंद हो गई तभी समारा की आंख खुली तो अपने सामने B D को देख के....

समारा – (B D से) क्या हुआ मेरी आंख कैसे लग गई...

बोल के खड़ी होने लगी जिस वजह से समारा को कमर और पैर में दर्द होने लगा जिसके बाद...

समारा – (दर्द में करहाते हुए B D से) सुनिए जाने कैसे मेरे कमर और पैर में काफी दर्द हो रहा है....

तभी एक लड़की की आवाज आई...

लड़की – क्या हुआ महारानी...

आवाज सुन पलट के देखते हुए अचानक से समारा की आंखे बड़ी हो गई डर से...

समारा – (अपने सामने अपनी तरह दिखने वाली लड़की को देखते हुए हैरानी से) कौन हो तुम और तुम मेरी तरह कैसे दिख रही हो....

लड़की – (मुस्कुरा के आइने को समारा को दिखाते हुए) अब देख के बताइए आप महारानी क्या हम एक जैसे दिखते है या नहीं...

समारा – (आइने में अपनी जगह एक अधेड़ उम्र की औरत को देख) ये तो तुम हो लेकिन ये मै कैसे....

बोल के जैसे ही समारा ने B D और उस लड़की की तरफ देख जो हस रहे थे...

समारा – (दोनों हंसता हुए देख हैरान होके) हो क्या रहा है यहां आप दोनों हस क्यों रहे हो (लड़की से) क्या किया है तुमने मेरे साथ...

लड़की – (B D से) लगता है ये अभी तक नहीं समझ पाई है मेरे महाराज...

B D – (हस्ते हुए समारा से) मैने तुझसे कहा था ना कि योगिनी ही हमें हमारी मंजिल के रास्ता दिखाएगी और तुमने ही कहा था ना कि तुम मेरे साथ हो...

समारा – हा लेकिन....

B D – (बीच में) मेरी मंजिल का रास्ता तुझसे ही शुरू होता है समारा तेरे शरीर के बदले योगिनी मुझे डेविल की दुनिया का सबसे ताकतवर राजा बनाएगी जिसके बाद पूरे डेविल वार्ड का सिर्फ एक राजा होगा मै...

बोल के हंसने लगा साथ ही लड़की भी हंसने लगी दोनों की हसी की गूंज उठी थी जिसे देख के समारा डर से कंपनी लगी तब...

समारा – (BD से) लेकिन आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया मै तो आपकी पत्नी हूँ आपसे प्यार करती हु...

B D – (हस्ते हुए) प्यार जैसा मेरी जिंदगी में कुछ नहीं है समारा , योगिनी को एक स्वस्थ और ताकत वार शरीर चाहिए था ताकि वो सदा के लिए जवान और ताकतवर रह सके जो एक इंसान में नहीं हो सकता है इसीलिए मैने योगिनी को एक स्वस्थ और ताकतवर शरीर देने का वादा किया जिसके बदले मुझे डेविल लोक का राजा बना देगी योगिनी इसीलिए तुझसे विवाह करने के बाद मैने तुझे छुआ नहीं क्योंकि मैं जनता था अगर मैने तेरे साथ मिलन किया तो तुझमें मेरी तरह ताकत आ जाएगी और साथ ही तेरा कुंवारा पन समाप्त हो जाएगा जो योगिनी नहीं चाहती थी जानती है क्यों , क्योंकि योगिनी तेरे शरीर को अपना बना के उसमें अपनी सालों की इक्कठा की शक्तियों को जागृत करेगी जिसके बाद मै उसे भोगूगा तब मेरी ओर योगिनी की शक्तियां मिल जाएगी जिसके बाद हम दोनों हमेशा के लिए इस लोक में राज करेंगे...

बोल के हंसने लगे दोनों जिसे देख समारा आसू बहने लगी तब...

योगिनी – (समारा को देख हस्ते हुए) ओह हो देखो तो कैसे आसू बहा रही है ये अरे बेवकूफ औरत तुझे खुश होना चाहिए तूने अपने पति के लिए क्या किया है नाज होना चाहिए तुझे खुद पे और तू रो रही है...

समारा – छल किया है मेरे साथ तुम दोनों ने मै रानी मा को सब कुछ बता दूंगी...

BD – (हस्ते हुए) वो तो तब होगा जब तू यहां से चल के निकल पाए पहले खड़ी होके चल के दिखा...

जिसके बाद समारा खड़ी होके चलने की कोशिश कर रही थी कुछ दूर चलने के बाद गिर गई समारा उसे दर्द होने लग अपने पैरों में जिसे देख BD और योगिनी हंसने लगे तब BD समारा को उठा के गुफा के बाहर एक पत्थर में बैठा के...

BD – (हस्ते हुए) बस आज रात की बात है उसक बाद कल सुबह का सूरज तूने देख लिया तो किस्मत तेरी नहीं तो (बोल के हंसने लगा)...

समारा – क्या मतलब है तुम्हारा...

योगिनी – (हस्ते हुए) मतलब ये कि मैने काली शक्तियों को पूजा में अपनी पूरी जिंदगी बिता दी जिस वजह से मुझे अंधेरे में रहना पड़ता है गलती से भी अगर मैं दिन के उजाले में आ गई तो मेरा शरीर जल के भस्म हो जाएगा अब तेरे पास कल सुबह तक का वक्त है बचा सकती है तो बचा ले खुद को क्योंकि अब तेरा शरीर तो मेरा होगया और मेरा शरीर तेरा...

बोल के B D और योगिनी हस्ते हुए एक साथ निकल गए वहां से छोड़ गए समारा को उसके हाल पर दोनों के जाने के बाद समारा मन ही मन खुद को कोस रही थी कि उसने जिसे अपना जीवन साथी माना उसी ने उसके साथ कितना बड़ा छल किया उसके प्यार का क्या सिला मिल रहा है उसे याद कर के आसू बहा थी समारा तभी समारा ने कुछ सोच के गुस्से में बोल उठी...

समारा – नहीं BD मै तुझे तेरी चाल में कभी कामयाब नहीं होने दूंगी मैं सारा सच बताऊंगी रानी मा को तेरा लेकिन उससे पहले मुझे खुद को बचाना होगा वरना रानी मा को कैसे सच बताऊंगी...

मन में सोचते हुए समारा ने हिम्मत करके पैर पर खड़े होके धीरे धीरे गुफा के अंदर जाने लगी ये सोच के की शायद उसे कुछ ऐसा मिल जाय जिससे उसे मदद मिल सके धीरे धीरे गुफा के अंदर आके समारा कुछ ढूंढने लगी कुछ देर बाद समारा को गुफा में एक तरफ पड़े भाले दिखे जिसे डीके समारा की आंखे में चमक आ गई क्योंकि वो भाले में डेविल का चिन्ह था जिसका मतलब ये भाले साधारण नहीं थे बल्कि महल की सुरक्षा करने वाले सैनिकों के इस्तमाल के लिए मिलते थे उन भालों को उठा उसमें उसमें कपड़ा बांधने लगती है जिससे हाथों की पकड़ बन सके जिसके सहारे समारा चल के महल की तरफ जा सके कुछ देर की मेहनत के बाद समारा ने आखिर कार भालों को तैयार कर लिया लेकिन अब उसके सामने सबसे बड़ी मुसीबत थी गुफा से बाहर निकल महल में जाने उसे काफी वक्त लग सकता है इस बीच सुबह हो गई तो शरीर जल के खाक हो जाएगा सूरज की किरणों से इसीलिए समारा से आज की रात और कल पूरा दिन भर गुफा में रहना ठीक समझा जिसके बाद समारा गुफा के अंदर इंतजार करने लगी अगली रात होने का...

जबकि इस तरफ BD और योगिनी दोनों महल में आ गए अपने कमरे में आते ही...

योगिनी – (BD के गले लगते हुए) सालों से इस पल की प्रतीक्षा कर रही थी मै...

BD – (मुस्कुरा के) मै भी योगिनी लेकिन क्या अभी हम आगे बढ़ना चाहिए...

योगिनी – आगे तो हम जरूर बढ़ेंगे लेकिन उससे पहले आपको इस महल का राजा बनना पड़ेगा और उसके लिए आपको चाहिए वो ताकत जिसके बाद आप राजा बनोगे...

BD – लेके कैसे योगिनी वो शक्तियों तो राजा को मिलती है जो आरव को मिलेगी उसके विवाह के वक्त...

योगिनी – (हस्ते हुए) मिल सकती है वो शक्ति आपको उसके लिए बस आपको अपनी मां को भोगना होगा...

BD – (चौक के) ये तुम क्या कह रही हो...

योगिनी – हा महाराज ये काम आपको करना होगा वैसे भी राजा का हक अपने राज्य की हर स्त्री पर होता है फिर वो आपकी मां क्यों ना हो...

BD –(मुस्कुरा के) उसे भोगने के बाद उसके जैसी सारी शक्ति मेरे पास आ जाएगी लेकिन ये होगा कैस...

योगिनी – (मुस्कुरा के) वो मै बताऊंगी आपको...

जिसके बाद दोनों मुस्कुराने लगे...
.
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✍️✍️जारी रहेगा
Acchi suruwaat hai👌🏻👌🏻 characters develop hone do aur bhi maja aayega, awesome update 👌🏻👌🏻👌🏻
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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UPDATE 3

DEVIL LOK

PART 3

अगली सुबह से डेविल लोक में चहल पहल मची हुई थी क्योंकि रानी मा अपने बेटे आरव की विवाह की तैयारी में लगी हुई थी अपने राज्य को लोगो को बोल के पूरे महल को सजाने का काम शुरू करवा दिया था जबकि इस तरफ आरव और उसकी बीवी परी दोनों इस वक्त महल के बाहर बने बगीचे में भी टहल रहे थे...

आरव – (परी के पैरों में बंधी पायल की झंकार सुन रहे थे जब वो आरव के बगीचे में टहल रही थी) तुम्हारी पायल की झंकार कितनी मधुर है परी जैसे ये पायल की झंकार ना हो के मेरे दिल की धड़कन हो...

परी – (मुस्कुरा के) ये पायल भी आपका दिया तोहफा है मेरे लिए...

आरव – एक बात बताओ परी विवाह के वक्त आप क्या पहनोगे...

परी – जो मेरे राजा बोलो वही...

आरव – मै चाहता हूँ कल विवाह के वक्त तुम्भी शादी का लाल जोड़ा पहनो साथ ही ये पायल भी...

परी – अच्छा फिर आप कहेंगे कि मंडप में भी बैठने साथ में...

आरव – (मुस्कुरा के) तुम सच में मेरे दिल की बात जान लेती हो परी....

परी – (मुस्कुरा के) हमारा विवाह तो पहले ही हो चुका है फिर कल क्यों....

आरव – क्योंकि मैं चाहता हूँ कल ही सबको पता चल जाए कि हमारी एक नहीं बल्कि 4 बीवियां है...

परी – (हस्ते हुए) वो तो वैसे भी सबको पता है लेकिन आपके मन में चल कुछ और रहा है...

आरव – (मुस्कुरा के) में चाहता हूँ कल तुम भी हमारे साथ मंडप में रहो तीनों बीवियों के साथ...

परी – नहीं मै सिर्फ आपके साथ अपना हर लम्हा बिताना चाहती हूँ सिर्फ आपके साथ अकेले में बाकी मंडप में मै आपके साथ रहूंगी ही हर वक्त और आप अब जिद नहीं करेंगे इस बात के लिए...

बोल के परी मुस्कुराने लगी...

आरव – (मुस्कुरा के) जैसी आपकी आज्ञा हो महारानी साहेबा लेकिन हम सिर्फ यही चाहते थे कि आप भी साथ रहे मंडप में ताकि आपको बुरा न लगे...

परी – मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगेगा क्योंकि मैं आपसे सबसे ज्यादा प्यार करती हु आपकी कोई भी बात मुझे कभी गलत नहीं लगेगी...

इन दोनों की बातों का सिलसिला ऐसे ही चलता रहा यहां जबकि महल के बाहर बनी गैलरी में इस वक्त BD और योगिनी ये दोनों मिल के आरव और परी को देख रहे थे प्यार भरी बाते करते हुए जिसे देख...

योगिनी – क्या सोच रहे है आप...

BD – बहुत खूबसूरत है परी और आज तो कुछ ज्यादा ही सुंदर लग रही है (योगिनी से) योगिनी मै परी को पाना चाहता हूँ किसी भी कीमत पर...

योगिनी – (मुस्कुरा के) लगता है दिल आ गया है आपका परी पे...

BD – जब से इसे देखा है तब से इसे पाने की लालसा जागी है दिल में...

योगिनी – (मुस्कुरा के) ओह तो आप परी को भोगना चाहत है...

BD – हा योगिनी...

योगिनी – (मुस्कुरा के) तब तो मुझे कुछ ऐसा करना होगा जिससे आपका काम आसानी से बन जाय...

BD – और वो कैसे...

योगिनी – क्यों न मै अपनी तरह आपके शरीर को किसी के साथ बदल दू तो...

BD – मेरा शरीर किसके साथ बदलोगी...

योगिनी –आपके भाई आरव के साथ...

BD – (मुस्कुरा के) सच में अगर ऐसा हो गया तो...

योगिनी – तो दुनिया के लिए आरव सिर्फ नाम का राजा होगा असली राजा तो आप होगे और आप परी के साथ आरव की तीनों बीवियों को भोग सकेंगे...

BD – (खुश होके) उसके बाद मुझे मा का भी डर नहीं होगा सारी ताकत मेरे पास होगी...

योगिनी – नहीं भोगना तो आपको अपनी मां को भी पड़ेगा क्योंकि सिर्फ वही एक ऐसी दिक्कत है जो आपको रोक सकती है उनकी ताकत को आप कम आंकने की सोचना भी मत डेविल लोक की शक्तियां जब आपके अन्दर समाएगी जो राजा को मिलती है उसका अंदाजा आपको पूरी तरह से होने में कुछ वक्त लग सकता है लेकिन आपकी मां उतने में जाने क्या कुछ कर जाय जिससे आपकी इतने सालों की सारी मेहनत बेकार हो जाएगी...

BD – तो तुम बताओ कैसे भोगु उस औरत को...

योगिनी – उसके लिए कुछ ऐसा करना पड़ेगा जिससे आपकी मां खुद राजी हो जाएं...

BD – कैसे होगा ये...

योगिनी – आज रात को ही मै अपनी सारी शक्तियों को पाने की क्रिया करूंगी ताकि मेरी सारी शक्तियां जल्द से जल्द जागृत हो जाएं जिसके लिए मुझे ध्यान में जाना होगा आज रात को सबके सोने के बाद मै ये कार्य करूगी सुबह तक मेरा कार्य सफल हो जाएगा उसके बाद मै बताऊंगी क्या और कैसे करना है आपको...

एक तरफ योगिनी और BD मिल के योजना बना रहे थे डेविल लोक में खुद का राज कायम करने के लिए दूसरी तरफ आरव और परी इन सब बातों से अंजान अपनी प्रेम लीला में व्यस्त थे तीसरी तरफ रानी सुनंदा महल को सजाने की तैयारी में लगी थी अपने बेटे आरव के विवाह के लिए जबकि महल से दूर एक गुफा में समारा इंतजार कर रही थी सूरज ढलने का इन सब बातों से दिन बीत गया शाम होने को आई तब समारा भालों का सहारा लेके गुफा से बाहर निकल के महल की तरह जाने लगी जिसमें उसे काफी वक्त लग सकता है क्योंकि इस वक्त समारा एक अधेड़ उम्र की औरत के शरीर में थी जिसमें ताकत की कमी थी लेकिन समारा पूरे हौसले के साथ आगे बढ़ती जा रही थी...

रात के वक्त जब सब सोने की तैयारी कर रहे थे तब...

योगिनी – (मतलब समारा अपनी दासी से जिसका नाम अग्निशा था) ए दासी सुन...

अग्निशा – (योगिनी याने समारा को देख) मन में – आज महारानी इस तरह से कैसे बात कर रही है मेरे से...

योगिनी (समारा) – सुनाई नहीं दे रहा है क्या तुझे बुला रही हूँ...

अग्निशा – (अपनी सोच से बाहर आके) जी महारानी...

योगिनी (समारा) – हमारा एक काम करो बाजार जाके (एक पत्रिका देते हुए) इसमें लिखे समान लेके आओ जल्दी से...

अग्निशा – महारानी इस वक्त कैसे आधी रात हो गई है अभी हर कोई अपने घर में आराम कर रहा होगा...

योगिनी (समारा) – तो उनको जगा देना बोल देना महल में ले जाना है समान कल राजा का विवाह है ना माने तो दंड मिलेगा...

बोल के योगिनी (समारा) चली जाती है उसे जाता हुए देख...

अग्निशा – (मन में) ये आज महारानी को क्या हो गया है इस तरह से कैसे बात कर रही है मुझसे इन्होंने आज तक तो कभी मुझे दासी नहीं कहा मेरा नाम लेके बुलाती थी...

सोचते सोचते अग्निशा चली गई महल के बाहर योगिनी (समारा) के लिए समान लेने जबकि दूसरी तरफ समारा धीरे धीरे चलते चलते महल की तरफ बढ़ती जा रही थी आखिर कार समारा की मेहनत रंग लाई वो महल के द्वार के बाहर तक आ गई थी द्वार में आके सोचने लगी कैसे महल के अंदर जया जाय लेकिन तभी समारा ने देखा उसकी दासी अग्निशा आ रही है बाहर से महल में जाने के लिए उसे देख....

समारा – (पुकारने हुए) अग्नि...

अग्निशा –(अपना नाम सुन आवाज की दिशा पे देखती है जहां एक बूढ़ी औरत खड़ी दिखती है उसके पास जाके) कौन हो आप और आपको मेरा नाम कैसे पता...

समारा – मुझे ये भी पता है कि तेरा नाम अग्निशा है तुझे प्यार से अग्नि बोलती हूँ...

अग्निशा – लेकिन इस नाम से तो सिर्फ महारानी समारा पुकारती है मुझे...

समारा – मै जानती हु अग्नि मै ही तुझे इस नाम से पुकारती हु...

अग्निशा – क्या मतलब है आपका और आप है कौन कहा से आई है वो भी इतनी रात में...

समारा – मेरी बात ध्यान से सुनो अग्नि मै सच बोल रही हूँ मै ही समारा हूँ और जिसे तुम महल में देख रही हो वो शरीर मेरा है लेकिन आत्मा एक चुडैल की है जिसने मेरा शरीर छल से ले लिया...

अग्निशा – (कुछ न समझते हुए) क्या बोले जा रही हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है जाके आराम करो कल मिलना रात में राजा के विवाह में खाना भी मिलेगा सबको....

समारा – (अग्नि को अपनी बात का यकीन दिलाने के लिए बोलती है) अग्नि तुम्हारी मुद्रिका तुमसे खो गई थी न तब मैने ही अपनी मुद्रिका तुम्हे दी थी जिस वजह से आज भी तुम इस महल की दासी हो नहीं तो तुम्हे कब का निकाल दिया जाता...

तभी समारा की बात सुन अग्निशा के कदम रुक जाते है पलट के औरत को देख के...

अग्निशा – ये बात तो मेरे और महारानी समारा के इलावा कोई नहीं जानता है इसका मतलब आप सच में महारानी समारा हो...

समारा – हा अग्नि मै ही समारा हूँ और मेरे इलावा कौन तुझे अग्नि नाम लेके बुलाता है...

अग्निशा –(अपने मू पर हाथ रख के) आपके साथ ये किसने किया...

समारा – मै तुझे सब कुछ बताऊंगी अग्नि मुझे किसी तरह से बिना किसी की नजर में आए महल में ले चल रानी मा के पास...

अग्निशा – लेकिन इस वक्त सब सो रहे है ऐसे करिए आप मेरे साथ चलिए महल में मै बोल दूंगी द्वार पल को की मेरी मू बोली चाची हो आप....

BD और योगिनी इस बात से अंजान की उनकी चाल को नाकामयाब करने के लिए महल में समारा आ चुकी है जबकि योगिनी BD के साथ अपने कमरे में बैठ अपने ध्यान में लगीं हुई थी ताकि उसकी शक्तियां जागृत हो जाएं इस तरफ अग्निशा अपने साथ समारा को लिए महल में अन्दर अपने कमरे मे चली आती है जहां समारा को खाना खिला के आराम करने देती है अगले दिन सुबह तक योगिनी अपने शक्तियां हासिल कर लेती है...

योगिनी – (अपने ध्यान से खड़ी होके BD से) मै कामयाब हो गई ये देखिए (अपने हाथ में कंगन दिखा के) ये है मेरी शक्तियां...

BD – ये कंगन किस लिए...

योगिनी – (मुस्कुरा के) सालों में मैने जितनी शक्तियां हासिल की है एक बार में शरीर में धारण करना इतना आसान नहीं होता धीरे धीरे धारण की जाती है शक्तियां इसीलिए मैने अपनी सारी शक्तियों को इन कंगन में इक्कठा किया है (बोल के कंगन अपने हाथ में पहन के) आज रात से ही आपके मकसद को पूरा करेंगे हम मिल के...

बोल के दोनों मुस्कुराने लगे जबकि इस तरफ समारा बेड में लेती हुई थी अग्निशा के इंतजार में जो उसे बोल के गई थी कि किसी तरह रानी मा सुनंदा को लेके आएगी समारा के पास लेकिन अग्निशा की कोशिश के बावजूद वो सुनंदा के पास नहीं जा पा रही थी क्योंकि आज आरव के विवाह की तैयारी चल रही थी जिसमें महल के सभी कर्मचारी किसी ना किसी काम में लगे हुए थे धीरे धीरे करके रात होने को आई तब योगिनी ने रसोई घर में जाके जहां महल के सैनिकों के लिए भोजन बन रहा था उसने चुपके से बिना किसी की नजर में आए खाने में एक द्रव्य मिला दिया जिसके बाद BD के पास आके...

योगिनी – मैने सैनिकों के खाने में द्रव्य मिला दिया है अब महल के सैनिकों को वफादारी सिर्फ आपके प्रति होगी ना कि कीसी और के (द्रव्य देते हुए BD को) इसे पी केलीजिए इसके बाद सैनिक सिर्फ आपका हुकुम मानेंगे किसी गुलाम की तरह...

बात सुन BD उसे पी लेता है रात के वक्त महल के बाहर मंडप में एक तरफ आरव बैठा था उसके दूसरी तरफ पश्चिम राज्य के राजा की बेटी लिसा उत्तर राज्य के राजा की बेटी एंजिला और पूरब राज्य के राजा नागेंद्र की बहन शीना दुल्हन के लिबास में बैठी हुई थी जहां महल के कुलगुरु ज्ञानेन्द्र उनका विवाह करवा रहे थे जिसके बाद उन्होंने आरव को अपना हाथ आगे करने को बोला जिसके बाद आरव की चौथी पत्नी परी को बुला के उसके भी हाथ आगे करवाया और अब आरव की चारों पत्नियों को हाथ आगे कर आरव के हाथ में हाथ रखने को कहा तब कुल गुरु ज्ञानेन्द्र उसमें कमंडल से जल डाल के मंत्र पड़ने लगे जिसके बाद एक रोशनी आई जो सीधा जाके आरव , परी , लिसा , एंजिला और शीना के अन्दर समा गई जिसके बाद...

कुलगुरु ज्ञानेन्द्र – (मुस्कुरा के सभी से) विवाह पूर्ण हुआ...

जिसके बाद सभी के चेहरे पर खुशी साफ झलकने लगी तब आरव और उनकी पत्नियों ने सभी का आशीर्वाद लिया और भोजन करके महल की तरफ चले गए तभी मौका पाके अग्निशा रानी सुनंदा के पास जाती जहां उसके साथ इस वक्त महल के कुछ लोग साथ थे...

अग्निशा – (रानी सुनंदा से) रानी मां आपसे एक जरूरी बात कहनी है...

सुनंदा – हा बोलो क्या बात है...

अग्निशा – रानी मा मेरी मू बोली चाची आई हुई है वो आपसे मिलना चाहती है उनके पैरों में बहुत तकलीफ है क्या आप मेरे कक्ष में उनसे मिलेगी वो कल सुबह यहां से जाना चाहती है...

रानी सुनंदा – (मुस्कुरा के) ठीक है चलो हम जरूर मिलेगे उनसे...

बोल के सुनंद जाने लगती है अग्निशा के साथ उसके कक्ष में जबकि इस तरफ BD के कमरे में...

योगिनी – मैने तैयारी कर ली है महाराज क्या आप तैयार है राजा बनने के लिए....

BD – हा तैयार हूँ मै...

योगिनी – बस अब आपको किसी तरह अपने भाई से अकेले में मिलना होगा और जो मै बताऊंगी आपको वो करना होगा जिसके बाद आप अपने भाई के शरीरी में होगे....

BD – लेकिन फिर आरव का क्या होगा....

योगिनी – (मुस्कुरा के BD से) ये लीजिए महाराज (हाथ में द्रव्य देते हुए साथ में कान में मंत्र बोलती है) जब आप अपने भाई से अकेले में मिलो तब आप इस द्रव्य को पी लीजिए गा और उसके बाद अपने भाई के सिर पे हाथ रख ये मंत्र पढ़िए गा जिसके बाद आप अपने भाई के शरीर में होगे और आपका भाई आपके मूर्छित शरीर में होगा जो इस द्रव्य से होगा मूर्छित...

जिसके बाद BD निकल जाता है आरव के कमरे की तरफ अपना काम करने के लिए जबकि इस तरफ योगिनी बहुत खुश होती ही तभी उसके दिमाग में ख्याल आता है समारा का...

योगिनी – (समारा को याद कर) ओह इस चक्कर में उस महारानी को कैसे भूल गई जरा पता तो लगाऊं जिंदा है या मर गई...

बोल के योगिनी ध्यान में चली जाती है और तभी गुस्से में अपनी आंख खोल देती है क्योंकि योगिनी ने देख लिया था समारा को जो इस वक्त महल में है रानी सुनंदा के साथ...

सुनंदा जैसे ही अग्निशा के कमरे में जाती है अपने सामने अधेड़ उम्र की औरत को देखती है तब अग्निशा , सुनंदा को सारी सच्चाई बताती है जिसे सुन पहले तो सुनंदा को यकीन नहीं होता जिसके बाद समारा के सिर पे हाथ रखती है तभी उसे झटका लगता है तब...

समारा – (सुनंदा के पैरों में गिर के) मुझे माफ कर दीजिए मा मैने बहुत बड़ी गलती कर दी...

सुनंदा – (समारा को संभालते हुए) नहीं मेरी बच्ची तूने कोई गलती नहीं की तू कहा जानती थी सच क्या था बस घबरा मत मेरी बच्ची अब मै आ गई हु कुछ नहीं होगा तुझे मैं कुछ नहीं होने दूंगी तुझे (अग्निशा से) अग्निशा उस योगिनी के कमरे में जाके उसे किसी तरह यहां लेके आना होगा तुम्हे बोल देना रानी मा का आदेश है...

अग्निशा – जी रानी मा...

बोल के अग्निशा निकल जाती है कमरे से जबकि इस तरफ योगिनी ध्यान में ये सब देख तुरंत अपने कमरे से बाहर निकल दौड़ के जाके BD को रोक उसे सारी बात बता देती है जिसके बाद BD गुस्से में आ जाता है कमरे में आता है तब...

BD – (गुस्से में) बहुत बड़ी गलती कर दी हमने उस समारा को कम आका मैने...

योगिनी – ये वक्त इन सब बातों का नहीं है महाराज ये वक्त फैसला लेने का है अगर आपको राजा बनना है तो आपको अपने भाई आरव का शरीर नहीं बल्कि आपको खुद आरव को मारना होगा और उसकी जगह लेनी होगी...

BD – (गुस्से में) मंजूर है हमें...

योगिनी – (मन में मंत्र पड़ती है जिसके बाद उसके हाथ में एक तलवार आती है जिसे BD को देके) ये लीजिए महाराज तलवार इस तलवार के सामने किसी भी प्रकार की कोई भी शक्ति काम नहीं करेगी अपने गुलाम सैनिकों के साथ हमला बोल दीजिए जाके...

जिसके बाद BD निकल जाता है सैनिकों के साथ आरव के कमरे में लेकिन इससे पहले BD अपने कमरे से बाहर निकलता की तभी कमरे के बाहर खड़ी अग्निशा दोनों की सारी बात सुन लेती है जैसे ही BD कमरे से बाहर निकलने वाला होता है तभी अग्निशा दरवाजे से निकल जाती है रानी सुनंदा के कमरे में उन्हें सारी बात बता देती है तब...

सुनंदा – (अग्निशा से) तुरंत जाके रत्नेश को बुलाओ तुम मै जाती हु आरव के पास...

बोल के जैसे ही सुनंदा कमरे से बाहर निकलने को होती है तभी उसके सामने योगिनी आ जाती है जिसे देख...

योगिनी – (मुस्कुरा के) क्या बात है रानी मा बहुत जल्दी में है आप...

बोल के अपनी शक्ति से वर करती है योगिनी , सुनंदा पे लेकिन सुनंदा पे कोई असर नहीं होता लेकिन जब सुनंदा वार करती है शक्ति से तब कुछ नहीं होता जिसे देख...

योगिनी – (मुस्कुरा के) आपकी शक्ति को काट नही है मेरे पास रानी मा लेकिन कुछ पल के लिए रोक सकती हूँ आपकी शक्तियों को तब तक आपक बेटा अपना काम कर चुका होगा...

तभी योगिनी के पीछे से आके अग्निशा उसके सिर में वार करती है जिस वजह से योगिनी बेहोश हो जाती है जिसे देख...

सुनंदा – (योगिनी के शरीर को देख अग्निशा से) अग्निशा जल्दी से समारा को यहां लेके आओ...

जिसके बाद अग्निशा तुरंत समारा को लेके आती है सुनंदा के पास...

सुनंदा – (समारा से) जल्दी से अपना हाथ (योगिनी की तरफ इशारा करके) इसके हाथ में रखो...

जैसे ही समारा अपना हाथ योगिनी के हाथ में रखती है तभी सुनंदा समारा के शरीरी पे हाथ रख कुछ बोलती है और तुरंत समारा जाग जाती है जिसके बाद...

समारा – (सुनंदा से) मा मै वापस आ गई...

सुनंदा – (समारा और अग्निशा से) अग्निशा जाके रत्नेश को बुला के लेके आओ और समारा तुम इस औरत के शरीर को कमरे में बंद कर दो और इसके ये कंगन उतार फेक देना...

बोल के सुनंद निकल जाती है आरव के कमरे की तरफ जबकि इस तरफ जब सुनंदा और योगिनी का सामना हो रहा था तब BD आचुका था आरव के कमरे में जहां आरव अपनी चारों पत्नियों से बाते कर रहा था इस बात से अंजान काल के रूप में उसका भाई उसकी तरफ बढ़ता जा रहा है तभी आरव के कमरे में दरवाजा खटखटाया जाता है जिसे देख...

आरव – (दरवाजा खोल सामने अपने भाई को देख) क्या हुआ भाई इतनी रात में इस वक्त...

BD – (मुस्कुरा के) तुम्हे विवाह का तोहफा देने आया हु भाई...

बोल के आरव के सीने में तलवार उतार दी जिसे देख अचानक से आरव की चारों पत्नियों की चीख निकल गई तभी...

आरव ने दरवाजे से ही BD को एक लात मारी और दरवाजा बंद कर दिया सीने में तलवार लिए आरव ने अपनी चारों पत्नियों को बोला...

आरव – जितनी जल्दी हो सके निकल जाओ यहां से तुम चारों...

परी – (रोते हुए) मै आपको छोड़ के कही नहीं जाऊंगी...

आरव – परी ये वक्त रोने का नहीं है अपने साथ लिसा , शीना और एंजिला को बचाओ...

शीना – (रोते हुए) चाहे कुछ भी हो हम आपको छोड़ के कही नहीं जाएंगे....

इससे पहले आरव कुछ बोलता तभी आरव जमीन में गिर गया दर्द के चलते जिसे देख एंजिला ने आरव के सीने से तलवार को निकलने के लिए उसमें हाथ लगाया ही था कि तभी एंजिला को एक झटका लगा...

परी – क्या हुआ एंजिला....

एंजिला – (हैरानी से) दीदी ये काले जादू से बनी जहरीली तलवार है इसकी वजह से ही इनकी तकलीफ बढ़ती जा रही है...

लिसा – (बाते सुन के) हमे अपनी शक्ति का इस्तेमाल करना चाहिए उससे हम इन्हें बचा सकते है...

तीनों की बात सुन के...

परी – कैसे करना है मै भी साथ दोगी तुम तीनों का...

लिसा – दीदी अपनी शक्ति का इस्तमाल करने के लिए आपको अपने दिल से उसे याद करिए तो शक्तियां काम करने लगेगी....

इसके बाद चारों मिल के कोशिश करते है लेकिन पहली बार में हर कोई कामयाब हो ऐसा मुमकिन नहीं लेकिन यहां पर ऐसा हुआ चारों की शक्तियों ने काम किया लेकिन तभी चारों को एक तेज झटका लगा क्योंकि जैसे ही शक्ति आरव के शरीर से टकराई वैसे पलट के वापस आ गई लेकिन तभी दरवाजा तोड़ने की कोशिश की जा रही थी बाहर से जिसे BD कर रहा था सैनिकों के साथ एक जोर दार झटके के साथ दरवाजा टूटा और BD कमरे में आने लगा तभी पीछे से सुनंदा ने आके BD के शरीर में अपनी शक्ति का वार किया जिसके बाद BD दूर जा के गिरा लेकिन तुरंत खुद को सम्भल के आरव की तरफ बढ़ने लगा उसके सीने से तलवार निकलने के लिए जबकि सुनंदा की नजर जैसे ही आरव पर पड़ी सब कुछ भूल के आरव के पास दौड़ पड़ी...

सुनंदा – (रोते हुए) आरव मेरे बच्चे मै तुझे कुछ नहीं होने दूंगी...

बोल के सुनंदा तलवार को निकालने लगी आरव के शरीर से तलवार निकलते वक्त सुनंदा को कई झटके लग रहे थे लेकिन सुनंदा रुकी नहीं इस वक्त सुनंदा का पूरा ध्यान सिर्फ आरव के सीने से तलवार निकालने में था इस मौके का फायदा उठा के BD ने पास आके आरव की चारों पत्नियों को लात मार के दूर किया फिर सुनंदा को लात मार के दूर किया और एक झटके में आरव के शरीर से तलवार निकाल के उसके उसके सिर को धड़ से अलग कर दिया ये नजारा देख परी बेहोश हो गई उसके साथ लिसा , शीना भी लेकिन एंजिला के जैसे पैर वही जम से गए जबकि सुनंदा ये नजारा देख जैसी उसका कलेजा फटने लग एक बेजान पुतले की तरह सिर्फ आरव के कटे सिर को देखती रही जबकि...

BD – (गुस्से में बोला) सोचा था प्यार से करूंगा ये काम लेकिन उस समारा की वजह से सारा खेल बिगड़ गया मेरा (परी , लिसा, अलीशा और एंजिला को देख के) कोई बात नहीं आरव न सही तो मै हूँ ना तुम चारों का पति वैसे भी भाई के बाद उसकी हर चीज पे अधिकार उसके भाई का ही होता है चारों के बाद (सुनंदा को देख) अपनी मां को भोग कर मै डेविल राज का राजा बन जाऊंगा पूरा डेविल राज्य सिर्फ मेरा होगा...

BD अपने भाई आरव को मार के खुशी से इतना कुछ बोले जा रहा था तभी उसके पीछे से सुनंद ने वार किया जिससे BD दूर जा गिरा इससे पहले सुनंदा वर करती तभी योगिनी आ गई समारा की गर्दन में चाकू लगा के....

योगिनी – (सुनंदा से) रुक जा वर्ना इसकी गर्दन धड़ से अलग कर दूंगी मै...

सुनंदा – (ये नजारा देख रुक जाती है और मन में बोलती है) मन में – गुरुदेव मदद करिए हमारी....

तभी BD खड़ा होके मुस्कुराने लगता है पास आके...

BD – (योगिनी से) योगिनी मुझे आज के आज ही सब कुछ हासिल करना है बदले में मै तुझे (सुनंदा की तरफ इशारा करके) इसका शरीर दूंगा...

योगिनी – (खुश होके) जरूर महाराज ऐसा ही होगा....

BD – (सुनंदा से) जिस राज्य में मेरा हक होना चाहिए था वो तूने अपने चहीते बेटे को दे दिया था ना देख तेरी वजह से क्या हाल हो गया तेरे चहीते बेटे का अगर तू चाहती है इसके आगे कुछ अनर्थ ना हो चुप चाप से बात मान जा मेरी वर्ना तेरे चहीते बेटे का जो हाल हुआ है उससे बुरा हाल करूंगा उसकी तीनों पत्नियों का...

बोल के जब BD ने देखा सुनंदा शांत है जिसे देख BD ने आगे कदम बढ़ाया आरव की चारों बीवियों की तरफ इससे पहले BD उन्हें छूता तभी राज गुरु ज्ञानेन्द्र प्रकट हो गए रत्नेश और अग्निशा के साथ आते ही उन्होंने अपनी छड़ी को जमीन में जोर से मारा जिस वजह से सुनंदा , परी , लिसा , एंजिला , शीना और समारा को छोड़ के BD और योगिनी दूर जा गिरे जब तक ये दोनों संभालते तब तक राज गुरु ज्ञानेन्द्र ने सभी के चारों तरफ ऊर्जा से बना एक गोला बना दिया जिसके बाद...

सुनंदा – (गुस्से में BD से) जिस राज्य को पाने के लिए तूने अपने भाई को मारा अपनी मां का अपमान किया अपनी बीवी के प्यार का अपमान किया इन सब का हिसाब तुझे देना होगा करले जितना राज करना है डेविल लोक में लेकिन जल्द ही मेरा आरव आएगा तुझे सब कुछ छीन के तेरा सर्वनाश करेगा...

जिसके बाद सभी एक साथ वहां से गायब हो गए साथ ही आरव का शरीर भी...
.
बीच के कुछ हिस्सों को मैने डिटेल में नहीं लिखा क्योंकि उन हिस्सों को कहानी के FLASHBACK में दिखाऊंगा
.
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जारी रहेगा✍️✍️
 

vihan27

Be Loyal To Your Future, Not Your Past..
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UPDATE 3

DEVIL LOK

PART 3

अगली सुबह से डेविल लोक में चहल पहल मची हुई थी क्योंकि रानी मा अपने बेटे आरव की विवाह की तैयारी में लगी हुई थी अपने राज्य को लोगो को बोल के पूरे महल को सजाने का काम शुरू करवा दिया था जबकि इस तरफ आरव और उसकी बीवी परी दोनों इस वक्त महल के बाहर बने बगीचे में भी टहल रहे थे...

आरव – (परी के पैरों में बंधी पायल की झंकार सुन रहे थे जब वो आरव के बगीचे में टहल रही थी) तुम्हारी पायल की झंकार कितनी मधुर है परी जैसे ये पायल की झंकार ना हो के मेरे दिल की धड़कन हो...

परी – (मुस्कुरा के) ये पायल भी आपका दिया तोहफा है मेरे लिए...

आरव – एक बात बताओ परी विवाह के वक्त आप क्या पहनोगे...

परी – जो मेरे राजा बोलो वही...

आरव – मै चाहता हूँ कल विवाह के वक्त तुम्भी शादी का लाल जोड़ा पहनो साथ ही ये पायल भी...

परी – अच्छा फिर आप कहेंगे कि मंडप में भी बैठने साथ में...

आरव – (मुस्कुरा के) तुम सच में मेरे दिल की बात जान लेती हो परी....

परी – (मुस्कुरा के) हमारा विवाह तो पहले ही हो चुका है फिर कल क्यों....

आरव – क्योंकि मैं चाहता हूँ कल ही सबको पता चल जाए कि हमारी एक नहीं बल्कि 4 बीवियां है...

परी – (हस्ते हुए) वो तो वैसे भी सबको पता है लेकिन आपके मन में चल कुछ और रहा है...

आरव – (मुस्कुरा के) में चाहता हूँ कल तुम भी हमारे साथ मंडप में रहो तीनों बीवियों के साथ...

परी – नहीं मै सिर्फ आपके साथ अपना हर लम्हा बिताना चाहती हूँ सिर्फ आपके साथ अकेले में बाकी मंडप में मै आपके साथ रहूंगी ही हर वक्त और आप अब जिद नहीं करेंगे इस बात के लिए...

बोल के परी मुस्कुराने लगी...

आरव – (मुस्कुरा के) जैसी आपकी आज्ञा हो महारानी साहेबा लेकिन हम सिर्फ यही चाहते थे कि आप भी साथ रहे मंडप में ताकि आपको बुरा न लगे...

परी – मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगेगा क्योंकि मैं आपसे सबसे ज्यादा प्यार करती हु आपकी कोई भी बात मुझे कभी गलत नहीं लगेगी...

इन दोनों की बातों का सिलसिला ऐसे ही चलता रहा यहां जबकि महल के बाहर बनी गैलरी में इस वक्त BD और योगिनी ये दोनों मिल के आरव और परी को देख रहे थे प्यार भरी बाते करते हुए जिसे देख...

योगिनी – क्या सोच रहे है आप...

BD – बहुत खूबसूरत है परी और आज तो कुछ ज्यादा ही सुंदर लग रही है (योगिनी से) योगिनी मै परी को पाना चाहता हूँ किसी भी कीमत पर...

योगिनी – (मुस्कुरा के) लगता है दिल आ गया है आपका परी पे...

BD – जब से इसे देखा है तब से इसे पाने की लालसा जागी है दिल में...

योगिनी – (मुस्कुरा के) ओह तो आप परी को भोगना चाहत है...

BD – हा योगिनी...

योगिनी – (मुस्कुरा के) तब तो मुझे कुछ ऐसा करना होगा जिससे आपका काम आसानी से बन जाय...

BD – और वो कैसे...

योगिनी – क्यों न मै अपनी तरह आपके शरीर को किसी के साथ बदल दू तो...

BD – मेरा शरीर किसके साथ बदलोगी...

योगिनी –आपके भाई आरव के साथ...

BD – (मुस्कुरा के) सच में अगर ऐसा हो गया तो...

योगिनी – तो दुनिया के लिए आरव सिर्फ नाम का राजा होगा असली राजा तो आप होगे और आप परी के साथ आरव की तीनों बीवियों को भोग सकेंगे...

BD – (खुश होके) उसके बाद मुझे मा का भी डर नहीं होगा सारी ताकत मेरे पास होगी...

योगिनी – नहीं भोगना तो आपको अपनी मां को भी पड़ेगा क्योंकि सिर्फ वही एक ऐसी दिक्कत है जो आपको रोक सकती है उनकी ताकत को आप कम आंकने की सोचना भी मत डेविल लोक की शक्तियां जब आपके अन्दर समाएगी जो राजा को मिलती है उसका अंदाजा आपको पूरी तरह से होने में कुछ वक्त लग सकता है लेकिन आपकी मां उतने में जाने क्या कुछ कर जाय जिससे आपकी इतने सालों की सारी मेहनत बेकार हो जाएगी...

BD – तो तुम बताओ कैसे भोगु उस औरत को...

योगिनी – उसके लिए कुछ ऐसा करना पड़ेगा जिससे आपकी मां खुद राजी हो जाएं...

BD – कैसे होगा ये...

योगिनी – आज रात को ही मै अपनी सारी शक्तियों को पाने की क्रिया करूंगी ताकि मेरी सारी शक्तियां जल्द से जल्द जागृत हो जाएं जिसके लिए मुझे ध्यान में जाना होगा आज रात को सबके सोने के बाद मै ये कार्य करूगी सुबह तक मेरा कार्य सफल हो जाएगा उसके बाद मै बताऊंगी क्या और कैसे करना है आपको...

एक तरफ योगिनी और BD मिल के योजना बना रहे थे डेविल लोक में खुद का राज कायम करने के लिए दूसरी तरफ आरव और परी इन सब बातों से अंजान अपनी प्रेम लीला में व्यस्त थे तीसरी तरफ रानी सुनंदा महल को सजाने की तैयारी में लगी थी अपने बेटे आरव के विवाह के लिए जबकि महल से दूर एक गुफा में समारा इंतजार कर रही थी सूरज ढलने का इन सब बातों से दिन बीत गया शाम होने को आई तब समारा भालों का सहारा लेके गुफा से बाहर निकल के महल की तरह जाने लगी जिसमें उसे काफी वक्त लग सकता है क्योंकि इस वक्त समारा एक अधेड़ उम्र की औरत के शरीर में थी जिसमें ताकत की कमी थी लेकिन समारा पूरे हौसले के साथ आगे बढ़ती जा रही थी...

रात के वक्त जब सब सोने की तैयारी कर रहे थे तब...

योगिनी – (मतलब समारा अपनी दासी से जिसका नाम अग्निशा था) ए दासी सुन...

अग्निशा – (योगिनी याने समारा को देख) मन में – आज महारानी इस तरह से कैसे बात कर रही है मेरे से...

योगिनी (समारा) – सुनाई नहीं दे रहा है क्या तुझे बुला रही हूँ...

अग्निशा – (अपनी सोच से बाहर आके) जी महारानी...

योगिनी (समारा) – हमारा एक काम करो बाजार जाके (एक पत्रिका देते हुए) इसमें लिखे समान लेके आओ जल्दी से...

अग्निशा – महारानी इस वक्त कैसे आधी रात हो गई है अभी हर कोई अपने घर में आराम कर रहा होगा...

योगिनी (समारा) – तो उनको जगा देना बोल देना महल में ले जाना है समान कल राजा का विवाह है ना माने तो दंड मिलेगा...

बोल के योगिनी (समारा) चली जाती है उसे जाता हुए देख...

अग्निशा – (मन में) ये आज महारानी को क्या हो गया है इस तरह से कैसे बात कर रही है मुझसे इन्होंने आज तक तो कभी मुझे दासी नहीं कहा मेरा नाम लेके बुलाती थी...

सोचते सोचते अग्निशा चली गई महल के बाहर योगिनी (समारा) के लिए समान लेने जबकि दूसरी तरफ समारा धीरे धीरे चलते चलते महल की तरफ बढ़ती जा रही थी आखिर कार समारा की मेहनत रंग लाई वो महल के द्वार के बाहर तक आ गई थी द्वार में आके सोचने लगी कैसे महल के अंदर जया जाय लेकिन तभी समारा ने देखा उसकी दासी अग्निशा आ रही है बाहर से महल में जाने के लिए उसे देख....

समारा – (पुकारने हुए) अग्नि...

अग्निशा –(अपना नाम सुन आवाज की दिशा पे देखती है जहां एक बूढ़ी औरत खड़ी दिखती है उसके पास जाके) कौन हो आप और आपको मेरा नाम कैसे पता...

समारा – मुझे ये भी पता है कि तेरा नाम अग्निशा है तुझे प्यार से अग्नि बोलती हूँ...

अग्निशा – लेकिन इस नाम से तो सिर्फ महारानी समारा पुकारती है मुझे...

समारा – मै जानती हु अग्नि मै ही तुझे इस नाम से पुकारती हु...

अग्निशा – क्या मतलब है आपका और आप है कौन कहा से आई है वो भी इतनी रात में...

समारा – मेरी बात ध्यान से सुनो अग्नि मै सच बोल रही हूँ मै ही समारा हूँ और जिसे तुम महल में देख रही हो वो शरीर मेरा है लेकिन आत्मा एक चुडैल की है जिसने मेरा शरीर छल से ले लिया...

अग्निशा – (कुछ न समझते हुए) क्या बोले जा रही हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है जाके आराम करो कल मिलना रात में राजा के विवाह में खाना भी मिलेगा सबको....

समारा – (अग्नि को अपनी बात का यकीन दिलाने के लिए बोलती है) अग्नि तुम्हारी मुद्रिका तुमसे खो गई थी न तब मैने ही अपनी मुद्रिका तुम्हे दी थी जिस वजह से आज भी तुम इस महल की दासी हो नहीं तो तुम्हे कब का निकाल दिया जाता...

तभी समारा की बात सुन अग्निशा के कदम रुक जाते है पलट के औरत को देख के...

अग्निशा – ये बात तो मेरे और महारानी समारा के इलावा कोई नहीं जानता है इसका मतलब आप सच में महारानी समारा हो...

समारा – हा अग्नि मै ही समारा हूँ और मेरे इलावा कौन तुझे अग्नि नाम लेके बुलाता है...

अग्निशा –(अपने मू पर हाथ रख के) आपके साथ ये किसने किया...

समारा – मै तुझे सब कुछ बताऊंगी अग्नि मुझे किसी तरह से बिना किसी की नजर में आए महल में ले चल रानी मा के पास...

अग्निशा – लेकिन इस वक्त सब सो रहे है ऐसे करिए आप मेरे साथ चलिए महल में मै बोल दूंगी द्वार पल को की मेरी मू बोली चाची हो आप....

BD और योगिनी इस बात से अंजान की उनकी चाल को नाकामयाब करने के लिए महल में समारा आ चुकी है जबकि योगिनी BD के साथ अपने कमरे में बैठ अपने ध्यान में लगीं हुई थी ताकि उसकी शक्तियां जागृत हो जाएं इस तरफ अग्निशा अपने साथ समारा को लिए महल में अन्दर अपने कमरे मे चली आती है जहां समारा को खाना खिला के आराम करने देती है अगले दिन सुबह तक योगिनी अपने शक्तियां हासिल कर लेती है...

योगिनी – (अपने ध्यान से खड़ी होके BD से) मै कामयाब हो गई ये देखिए (अपने हाथ में कंगन दिखा के) ये है मेरी शक्तियां...

BD – ये कंगन किस लिए...

योगिनी – (मुस्कुरा के) सालों में मैने जितनी शक्तियां हासिल की है एक बार में शरीर में धारण करना इतना आसान नहीं होता धीरे धीरे धारण की जाती है शक्तियां इसीलिए मैने अपनी सारी शक्तियों को इन कंगन में इक्कठा किया है (बोल के कंगन अपने हाथ में पहन के) आज रात से ही आपके मकसद को पूरा करेंगे हम मिल के...

बोल के दोनों मुस्कुराने लगे जबकि इस तरफ समारा बेड में लेती हुई थी अग्निशा के इंतजार में जो उसे बोल के गई थी कि किसी तरह रानी मा सुनंदा को लेके आएगी समारा के पास लेकिन अग्निशा की कोशिश के बावजूद वो सुनंदा के पास नहीं जा पा रही थी क्योंकि आज आरव के विवाह की तैयारी चल रही थी जिसमें महल के सभी कर्मचारी किसी ना किसी काम में लगे हुए थे धीरे धीरे करके रात होने को आई तब योगिनी ने रसोई घर में जाके जहां महल के सैनिकों के लिए भोजन बन रहा था उसने चुपके से बिना किसी की नजर में आए खाने में एक द्रव्य मिला दिया जिसके बाद BD के पास आके...

योगिनी – मैने सैनिकों के खाने में द्रव्य मिला दिया है अब महल के सैनिकों को वफादारी सिर्फ आपके प्रति होगी ना कि कीसी और के (द्रव्य देते हुए BD को) इसे पी केलीजिए इसके बाद सैनिक सिर्फ आपका हुकुम मानेंगे किसी गुलाम की तरह...

बात सुन BD उसे पी लेता है रात के वक्त महल के बाहर मंडप में एक तरफ आरव बैठा था उसके दूसरी तरफ पश्चिम राज्य के राजा की बेटी लिसा उत्तर राज्य के राजा की बेटी एंजिला और पूरब राज्य के राजा नागेंद्र की बहन शीना दुल्हन के लिबास में बैठी हुई थी जहां महल के कुलगुरु ज्ञानेन्द्र उनका विवाह करवा रहे थे जिसके बाद उन्होंने आरव को अपना हाथ आगे करने को बोला जिसके बाद आरव की चौथी पत्नी परी को बुला के उसके भी हाथ आगे करवाया और अब आरव की चारों पत्नियों को हाथ आगे कर आरव के हाथ में हाथ रखने को कहा तब कुल गुरु ज्ञानेन्द्र उसमें कमंडल से जल डाल के मंत्र पड़ने लगे जिसके बाद एक रोशनी आई जो सीधा जाके आरव , परी , लिसा , एंजिला और शीना के अन्दर समा गई जिसके बाद...

कुलगुरु ज्ञानेन्द्र – (मुस्कुरा के सभी से) विवाह पूर्ण हुआ...

जिसके बाद सभी के चेहरे पर खुशी साफ झलकने लगी तब आरव और उनकी पत्नियों ने सभी का आशीर्वाद लिया और भोजन करके महल की तरफ चले गए तभी मौका पाके अग्निशा रानी सुनंदा के पास जाती जहां उसके साथ इस वक्त महल के कुछ लोग साथ थे...

अग्निशा – (रानी सुनंदा से) रानी मां आपसे एक जरूरी बात कहनी है...

सुनंदा – हा बोलो क्या बात है...

अग्निशा – रानी मा मेरी मू बोली चाची आई हुई है वो आपसे मिलना चाहती है उनके पैरों में बहुत तकलीफ है क्या आप मेरे कक्ष में उनसे मिलेगी वो कल सुबह यहां से जाना चाहती है...

रानी सुनंदा – (मुस्कुरा के) ठीक है चलो हम जरूर मिलेगे उनसे...

बोल के सुनंद जाने लगती है अग्निशा के साथ उसके कक्ष में जबकि इस तरफ BD के कमरे में...

योगिनी – मैने तैयारी कर ली है महाराज क्या आप तैयार है राजा बनने के लिए....

BD – हा तैयार हूँ मै...

योगिनी – बस अब आपको किसी तरह अपने भाई से अकेले में मिलना होगा और जो मै बताऊंगी आपको वो करना होगा जिसके बाद आप अपने भाई के शरीरी में होगे....

BD – लेकिन फिर आरव का क्या होगा....

योगिनी – (मुस्कुरा के BD से) ये लीजिए महाराज (हाथ में द्रव्य देते हुए साथ में कान में मंत्र बोलती है) जब आप अपने भाई से अकेले में मिलो तब आप इस द्रव्य को पी लीजिए गा और उसके बाद अपने भाई के सिर पे हाथ रख ये मंत्र पढ़िए गा जिसके बाद आप अपने भाई के शरीर में होगे और आपका भाई आपके मूर्छित शरीर में होगा जो इस द्रव्य से होगा मूर्छित...

जिसके बाद BD निकल जाता है आरव के कमरे की तरफ अपना काम करने के लिए जबकि इस तरफ योगिनी बहुत खुश होती ही तभी उसके दिमाग में ख्याल आता है समारा का...

योगिनी – (समारा को याद कर) ओह इस चक्कर में उस महारानी को कैसे भूल गई जरा पता तो लगाऊं जिंदा है या मर गई...

बोल के योगिनी ध्यान में चली जाती है और तभी गुस्से में अपनी आंख खोल देती है क्योंकि योगिनी ने देख लिया था समारा को जो इस वक्त महल में है रानी सुनंदा के साथ...

सुनंदा जैसे ही अग्निशा के कमरे में जाती है अपने सामने अधेड़ उम्र की औरत को देखती है तब अग्निशा , सुनंदा को सारी सच्चाई बताती है जिसे सुन पहले तो सुनंदा को यकीन नहीं होता जिसके बाद समारा के सिर पे हाथ रखती है तभी उसे झटका लगता है तब...

समारा – (सुनंदा के पैरों में गिर के) मुझे माफ कर दीजिए मा मैने बहुत बड़ी गलती कर दी...

सुनंदा – (समारा को संभालते हुए) नहीं मेरी बच्ची तूने कोई गलती नहीं की तू कहा जानती थी सच क्या था बस घबरा मत मेरी बच्ची अब मै आ गई हु कुछ नहीं होगा तुझे मैं कुछ नहीं होने दूंगी तुझे (अग्निशा से) अग्निशा उस योगिनी के कमरे में जाके उसे किसी तरह यहां लेके आना होगा तुम्हे बोल देना रानी मा का आदेश है...

अग्निशा – जी रानी मा...

बोल के अग्निशा निकल जाती है कमरे से जबकि इस तरफ योगिनी ध्यान में ये सब देख तुरंत अपने कमरे से बाहर निकल दौड़ के जाके BD को रोक उसे सारी बात बता देती है जिसके बाद BD गुस्से में आ जाता है कमरे में आता है तब...

BD – (गुस्से में) बहुत बड़ी गलती कर दी हमने उस समारा को कम आका मैने...

योगिनी – ये वक्त इन सब बातों का नहीं है महाराज ये वक्त फैसला लेने का है अगर आपको राजा बनना है तो आपको अपने भाई आरव का शरीर नहीं बल्कि आपको खुद आरव को मारना होगा और उसकी जगह लेनी होगी...

BD – (गुस्से में) मंजूर है हमें...

योगिनी – (मन में मंत्र पड़ती है जिसके बाद उसके हाथ में एक तलवार आती है जिसे BD को देके) ये लीजिए महाराज तलवार इस तलवार के सामने किसी भी प्रकार की कोई भी शक्ति काम नहीं करेगी अपने गुलाम सैनिकों के साथ हमला बोल दीजिए जाके...

जिसके बाद BD निकल जाता है सैनिकों के साथ आरव के कमरे में लेकिन इससे पहले BD अपने कमरे से बाहर निकलता की तभी कमरे के बाहर खड़ी अग्निशा दोनों की सारी बात सुन लेती है जैसे ही BD कमरे से बाहर निकलने वाला होता है तभी अग्निशा दरवाजे से निकल जाती है रानी सुनंदा के कमरे में उन्हें सारी बात बता देती है तब...

सुनंदा – (अग्निशा से) तुरंत जाके रत्नेश को बुलाओ तुम मै जाती हु आरव के पास...

बोल के जैसे ही सुनंदा कमरे से बाहर निकलने को होती है तभी उसके सामने योगिनी आ जाती है जिसे देख...

योगिनी – (मुस्कुरा के) क्या बात है रानी मा बहुत जल्दी में है आप...

बोल के अपनी शक्ति से वर करती है योगिनी , सुनंदा पे लेकिन सुनंदा पे कोई असर नहीं होता लेकिन जब सुनंदा वार करती है शक्ति से तब कुछ नहीं होता जिसे देख...

योगिनी – (मुस्कुरा के) आपकी शक्ति को काट नही है मेरे पास रानी मा लेकिन कुछ पल के लिए रोक सकती हूँ आपकी शक्तियों को तब तक आपक बेटा अपना काम कर चुका होगा...

तभी योगिनी के पीछे से आके अग्निशा उसके सिर में वार करती है जिस वजह से योगिनी बेहोश हो जाती है जिसे देख...

सुनंदा – (योगिनी के शरीर को देख अग्निशा से) अग्निशा जल्दी से समारा को यहां लेके आओ...

जिसके बाद अग्निशा तुरंत समारा को लेके आती है सुनंदा के पास...

सुनंदा – (समारा से) जल्दी से अपना हाथ (योगिनी की तरफ इशारा करके) इसके हाथ में रखो...

जैसे ही समारा अपना हाथ योगिनी के हाथ में रखती है तभी सुनंदा समारा के शरीरी पे हाथ रख कुछ बोलती है और तुरंत समारा जाग जाती है जिसके बाद...

समारा – (सुनंदा से) मा मै वापस आ गई...

सुनंदा – (समारा और अग्निशा से) अग्निशा जाके रत्नेश को बुला के लेके आओ और समारा तुम इस औरत के शरीर को कमरे में बंद कर दो और इसके ये कंगन उतार फेक देना...

बोल के सुनंद निकल जाती है आरव के कमरे की तरफ जबकि इस तरफ जब सुनंदा और योगिनी का सामना हो रहा था तब BD आचुका था आरव के कमरे में जहां आरव अपनी चारों पत्नियों से बाते कर रहा था इस बात से अंजान काल के रूप में उसका भाई उसकी तरफ बढ़ता जा रहा है तभी आरव के कमरे में दरवाजा खटखटाया जाता है जिसे देख...

आरव – (दरवाजा खोल सामने अपने भाई को देख) क्या हुआ भाई इतनी रात में इस वक्त...

BD – (मुस्कुरा के) तुम्हे विवाह का तोहफा देने आया हु भाई...

बोल के आरव के सीने में तलवार उतार दी जिसे देख अचानक से आरव की चारों पत्नियों की चीख निकल गई तभी...

आरव ने दरवाजे से ही BD को एक लात मारी और दरवाजा बंद कर दिया सीने में तलवार लिए आरव ने अपनी चारों पत्नियों को बोला...

आरव – जितनी जल्दी हो सके निकल जाओ यहां से तुम चारों...

परी – (रोते हुए) मै आपको छोड़ के कही नहीं जाऊंगी...

आरव – परी ये वक्त रोने का नहीं है अपने साथ लिसा , शीना और एंजिला को बचाओ...

शीना – (रोते हुए) चाहे कुछ भी हो हम आपको छोड़ के कही नहीं जाएंगे....

इससे पहले आरव कुछ बोलता तभी आरव जमीन में गिर गया दर्द के चलते जिसे देख एंजिला ने आरव के सीने से तलवार को निकलने के लिए उसमें हाथ लगाया ही था कि तभी एंजिला को एक झटका लगा...

परी – क्या हुआ एंजिला....

एंजिला – (हैरानी से) दीदी ये काले जादू से बनी जहरीली तलवार है इसकी वजह से ही इनकी तकलीफ बढ़ती जा रही है...

लिसा – (बाते सुन के) हमे अपनी शक्ति का इस्तेमाल करना चाहिए उससे हम इन्हें बचा सकते है...

तीनों की बात सुन के...

परी – कैसे करना है मै भी साथ दोगी तुम तीनों का...

लिसा – दीदी अपनी शक्ति का इस्तमाल करने के लिए आपको अपने दिल से उसे याद करिए तो शक्तियां काम करने लगेगी....

इसके बाद चारों मिल के कोशिश करते है लेकिन पहली बार में हर कोई कामयाब हो ऐसा मुमकिन नहीं लेकिन यहां पर ऐसा हुआ चारों की शक्तियों ने काम किया लेकिन तभी चारों को एक तेज झटका लगा क्योंकि जैसे ही शक्ति आरव के शरीर से टकराई वैसे पलट के वापस आ गई लेकिन तभी दरवाजा तोड़ने की कोशिश की जा रही थी बाहर से जिसे BD कर रहा था सैनिकों के साथ एक जोर दार झटके के साथ दरवाजा टूटा और BD कमरे में आने लगा तभी पीछे से सुनंदा ने आके BD के शरीर में अपनी शक्ति का वार किया जिसके बाद BD दूर जा के गिरा लेकिन तुरंत खुद को सम्भल के आरव की तरफ बढ़ने लगा उसके सीने से तलवार निकलने के लिए जबकि सुनंदा की नजर जैसे ही आरव पर पड़ी सब कुछ भूल के आरव के पास दौड़ पड़ी...

सुनंदा – (रोते हुए) आरव मेरे बच्चे मै तुझे कुछ नहीं होने दूंगी...

बोल के सुनंदा तलवार को निकालने लगी आरव के शरीर से तलवार निकलते वक्त सुनंदा को कई झटके लग रहे थे लेकिन सुनंदा रुकी नहीं इस वक्त सुनंदा का पूरा ध्यान सिर्फ आरव के सीने से तलवार निकालने में था इस मौके का फायदा उठा के BD ने पास आके आरव की चारों पत्नियों को लात मार के दूर किया फिर सुनंदा को लात मार के दूर किया और एक झटके में आरव के शरीर से तलवार निकाल के उसके उसके सिर को धड़ से अलग कर दिया ये नजारा देख परी बेहोश हो गई उसके साथ लिसा , शीना भी लेकिन एंजिला के जैसे पैर वही जम से गए जबकि सुनंदा ये नजारा देख जैसी उसका कलेजा फटने लग एक बेजान पुतले की तरह सिर्फ आरव के कटे सिर को देखती रही जबकि...

BD – (गुस्से में बोला) सोचा था प्यार से करूंगा ये काम लेकिन उस समारा की वजह से सारा खेल बिगड़ गया मेरा (परी , लिसा, अलीशा और एंजिला को देख के) कोई बात नहीं आरव न सही तो मै हूँ ना तुम चारों का पति वैसे भी भाई के बाद उसकी हर चीज पे अधिकार उसके भाई का ही होता है चारों के बाद (सुनंदा को देख) अपनी मां को भोग कर मै डेविल राज का राजा बन जाऊंगा पूरा डेविल राज्य सिर्फ मेरा होगा...

BD अपने भाई आरव को मार के खुशी से इतना कुछ बोले जा रहा था तभी उसके पीछे से सुनंद ने वार किया जिससे BD दूर जा गिरा इससे पहले सुनंदा वर करती तभी योगिनी आ गई समारा की गर्दन में चाकू लगा के....

योगिनी – (सुनंदा से) रुक जा वर्ना इसकी गर्दन धड़ से अलग कर दूंगी मै...

सुनंदा – (ये नजारा देख रुक जाती है और मन में बोलती है) मन में – गुरुदेव मदद करिए हमारी....

तभी BD खड़ा होके मुस्कुराने लगता है पास आके...

BD – (योगिनी से) योगिनी मुझे आज के आज ही सब कुछ हासिल करना है बदले में मै तुझे (सुनंदा की तरफ इशारा करके) इसका शरीर दूंगा...

योगिनी – (खुश होके) जरूर महाराज ऐसा ही होगा....

BD – (सुनंदा से) जिस राज्य में मेरा हक होना चाहिए था वो तूने अपने चहीते बेटे को दे दिया था ना देख तेरी वजह से क्या हाल हो गया तेरे चहीते बेटे का अगर तू चाहती है इसके आगे कुछ अनर्थ ना हो चुप चाप से बात मान जा मेरी वर्ना तेरे चहीते बेटे का जो हाल हुआ है उससे बुरा हाल करूंगा उसकी तीनों पत्नियों का...

बोल के जब BD ने देखा सुनंदा शांत है जिसे देख BD ने आगे कदम बढ़ाया आरव की चारों बीवियों की तरफ इससे पहले BD उन्हें छूता तभी राज गुरु ज्ञानेन्द्र प्रकट हो गए रत्नेश और अग्निशा के साथ आते ही उन्होंने अपनी छड़ी को जमीन में जोर से मारा जिस वजह से सुनंदा , परी , लिसा , एंजिला , शीना और समारा को छोड़ के BD और योगिनी दूर जा गिरे जब तक ये दोनों संभालते तब तक राज गुरु ज्ञानेन्द्र ने सभी के चारों तरफ ऊर्जा से बना एक गोला बना दिया जिसके बाद...

सुनंदा – (गुस्से में BD से) जिस राज्य को पाने के लिए तूने अपने भाई को मारा अपनी मां का अपमान किया अपनी बीवी के प्यार का अपमान किया इन सब का हिसाब तुझे देना होगा करले जितना राज करना है डेविल लोक में लेकिन जल्द ही मेरा आरव आएगा तुझे सब कुछ छीन के तेरा सर्वनाश करेगा...

जिसके बाद सभी एक साथ वहां से गायब हो गए साथ ही आरव का शरीर भी...
.
बीच के कुछ हिस्सों को मैने डिटेल में नहीं लिखा क्योंकि उन हिस्सों को कहानी के FLASHBACK में दिखाऊंगा
.
.
जारी रहेगा✍️✍️
Bahut badhiya kahani hai bhai, ha flow me aayegi ye bhi dheere dheere....
Writer to tum kamal ke ho but lagta hai ab albela ek side hi padi rahegi aur sara focus isi kahani pe rahega....
 

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UPDATE 3

DEVIL LOK

PART 3

अगली सुबह से डेविल लोक में चहल पहल मची हुई थी क्योंकि रानी मा अपने बेटे आरव की विवाह की तैयारी में लगी हुई थी अपने राज्य को लोगो को बोल के पूरे महल को सजाने का काम शुरू करवा दिया था जबकि इस तरफ आरव और उसकी बीवी परी दोनों इस वक्त महल के बाहर बने बगीचे में भी टहल रहे थे...

आरव – (परी के पैरों में बंधी पायल की झंकार सुन रहे थे जब वो आरव के बगीचे में टहल रही थी) तुम्हारी पायल की झंकार कितनी मधुर है परी जैसे ये पायल की झंकार ना हो के मेरे दिल की धड़कन हो...

परी – (मुस्कुरा के) ये पायल भी आपका दिया तोहफा है मेरे लिए...

आरव – एक बात बताओ परी विवाह के वक्त आप क्या पहनोगे...

परी – जो मेरे राजा बोलो वही...

आरव – मै चाहता हूँ कल विवाह के वक्त तुम्भी शादी का लाल जोड़ा पहनो साथ ही ये पायल भी...

परी – अच्छा फिर आप कहेंगे कि मंडप में भी बैठने साथ में...

आरव – (मुस्कुरा के) तुम सच में मेरे दिल की बात जान लेती हो परी....

परी – (मुस्कुरा के) हमारा विवाह तो पहले ही हो चुका है फिर कल क्यों....

आरव – क्योंकि मैं चाहता हूँ कल ही सबको पता चल जाए कि हमारी एक नहीं बल्कि 4 बीवियां है...

परी – (हस्ते हुए) वो तो वैसे भी सबको पता है लेकिन आपके मन में चल कुछ और रहा है...

आरव – (मुस्कुरा के) में चाहता हूँ कल तुम भी हमारे साथ मंडप में रहो तीनों बीवियों के साथ...

परी – नहीं मै सिर्फ आपके साथ अपना हर लम्हा बिताना चाहती हूँ सिर्फ आपके साथ अकेले में बाकी मंडप में मै आपके साथ रहूंगी ही हर वक्त और आप अब जिद नहीं करेंगे इस बात के लिए...

बोल के परी मुस्कुराने लगी...

आरव – (मुस्कुरा के) जैसी आपकी आज्ञा हो महारानी साहेबा लेकिन हम सिर्फ यही चाहते थे कि आप भी साथ रहे मंडप में ताकि आपको बुरा न लगे...

परी – मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगेगा क्योंकि मैं आपसे सबसे ज्यादा प्यार करती हु आपकी कोई भी बात मुझे कभी गलत नहीं लगेगी...

इन दोनों की बातों का सिलसिला ऐसे ही चलता रहा यहां जबकि महल के बाहर बनी गैलरी में इस वक्त BD और योगिनी ये दोनों मिल के आरव और परी को देख रहे थे प्यार भरी बाते करते हुए जिसे देख...

योगिनी – क्या सोच रहे है आप...

BD – बहुत खूबसूरत है परी और आज तो कुछ ज्यादा ही सुंदर लग रही है (योगिनी से) योगिनी मै परी को पाना चाहता हूँ किसी भी कीमत पर...

योगिनी – (मुस्कुरा के) लगता है दिल आ गया है आपका परी पे...

BD – जब से इसे देखा है तब से इसे पाने की लालसा जागी है दिल में...

योगिनी – (मुस्कुरा के) ओह तो आप परी को भोगना चाहत है...

BD – हा योगिनी...

योगिनी – (मुस्कुरा के) तब तो मुझे कुछ ऐसा करना होगा जिससे आपका काम आसानी से बन जाय...

BD – और वो कैसे...

योगिनी – क्यों न मै अपनी तरह आपके शरीर को किसी के साथ बदल दू तो...

BD – मेरा शरीर किसके साथ बदलोगी...

योगिनी –आपके भाई आरव के साथ...

BD – (मुस्कुरा के) सच में अगर ऐसा हो गया तो...

योगिनी – तो दुनिया के लिए आरव सिर्फ नाम का राजा होगा असली राजा तो आप होगे और आप परी के साथ आरव की तीनों बीवियों को भोग सकेंगे...

BD – (खुश होके) उसके बाद मुझे मा का भी डर नहीं होगा सारी ताकत मेरे पास होगी...

योगिनी – नहीं भोगना तो आपको अपनी मां को भी पड़ेगा क्योंकि सिर्फ वही एक ऐसी दिक्कत है जो आपको रोक सकती है उनकी ताकत को आप कम आंकने की सोचना भी मत डेविल लोक की शक्तियां जब आपके अन्दर समाएगी जो राजा को मिलती है उसका अंदाजा आपको पूरी तरह से होने में कुछ वक्त लग सकता है लेकिन आपकी मां उतने में जाने क्या कुछ कर जाय जिससे आपकी इतने सालों की सारी मेहनत बेकार हो जाएगी...

BD – तो तुम बताओ कैसे भोगु उस औरत को...

योगिनी – उसके लिए कुछ ऐसा करना पड़ेगा जिससे आपकी मां खुद राजी हो जाएं...

BD – कैसे होगा ये...

योगिनी – आज रात को ही मै अपनी सारी शक्तियों को पाने की क्रिया करूंगी ताकि मेरी सारी शक्तियां जल्द से जल्द जागृत हो जाएं जिसके लिए मुझे ध्यान में जाना होगा आज रात को सबके सोने के बाद मै ये कार्य करूगी सुबह तक मेरा कार्य सफल हो जाएगा उसके बाद मै बताऊंगी क्या और कैसे करना है आपको...

एक तरफ योगिनी और BD मिल के योजना बना रहे थे डेविल लोक में खुद का राज कायम करने के लिए दूसरी तरफ आरव और परी इन सब बातों से अंजान अपनी प्रेम लीला में व्यस्त थे तीसरी तरफ रानी सुनंदा महल को सजाने की तैयारी में लगी थी अपने बेटे आरव के विवाह के लिए जबकि महल से दूर एक गुफा में समारा इंतजार कर रही थी सूरज ढलने का इन सब बातों से दिन बीत गया शाम होने को आई तब समारा भालों का सहारा लेके गुफा से बाहर निकल के महल की तरह जाने लगी जिसमें उसे काफी वक्त लग सकता है क्योंकि इस वक्त समारा एक अधेड़ उम्र की औरत के शरीर में थी जिसमें ताकत की कमी थी लेकिन समारा पूरे हौसले के साथ आगे बढ़ती जा रही थी...

रात के वक्त जब सब सोने की तैयारी कर रहे थे तब...

योगिनी – (मतलब समारा अपनी दासी से जिसका नाम अग्निशा था) ए दासी सुन...

अग्निशा – (योगिनी याने समारा को देख) मन में – आज महारानी इस तरह से कैसे बात कर रही है मेरे से...

योगिनी (समारा) – सुनाई नहीं दे रहा है क्या तुझे बुला रही हूँ...

अग्निशा – (अपनी सोच से बाहर आके) जी महारानी...

योगिनी (समारा) – हमारा एक काम करो बाजार जाके (एक पत्रिका देते हुए) इसमें लिखे समान लेके आओ जल्दी से...

अग्निशा – महारानी इस वक्त कैसे आधी रात हो गई है अभी हर कोई अपने घर में आराम कर रहा होगा...

योगिनी (समारा) – तो उनको जगा देना बोल देना महल में ले जाना है समान कल राजा का विवाह है ना माने तो दंड मिलेगा...

बोल के योगिनी (समारा) चली जाती है उसे जाता हुए देख...

अग्निशा – (मन में) ये आज महारानी को क्या हो गया है इस तरह से कैसे बात कर रही है मुझसे इन्होंने आज तक तो कभी मुझे दासी नहीं कहा मेरा नाम लेके बुलाती थी...

सोचते सोचते अग्निशा चली गई महल के बाहर योगिनी (समारा) के लिए समान लेने जबकि दूसरी तरफ समारा धीरे धीरे चलते चलते महल की तरफ बढ़ती जा रही थी आखिर कार समारा की मेहनत रंग लाई वो महल के द्वार के बाहर तक आ गई थी द्वार में आके सोचने लगी कैसे महल के अंदर जया जाय लेकिन तभी समारा ने देखा उसकी दासी अग्निशा आ रही है बाहर से महल में जाने के लिए उसे देख....

समारा – (पुकारने हुए) अग्नि...

अग्निशा –(अपना नाम सुन आवाज की दिशा पे देखती है जहां एक बूढ़ी औरत खड़ी दिखती है उसके पास जाके) कौन हो आप और आपको मेरा नाम कैसे पता...

समारा – मुझे ये भी पता है कि तेरा नाम अग्निशा है तुझे प्यार से अग्नि बोलती हूँ...

अग्निशा – लेकिन इस नाम से तो सिर्फ महारानी समारा पुकारती है मुझे...

समारा – मै जानती हु अग्नि मै ही तुझे इस नाम से पुकारती हु...

अग्निशा – क्या मतलब है आपका और आप है कौन कहा से आई है वो भी इतनी रात में...

समारा – मेरी बात ध्यान से सुनो अग्नि मै सच बोल रही हूँ मै ही समारा हूँ और जिसे तुम महल में देख रही हो वो शरीर मेरा है लेकिन आत्मा एक चुडैल की है जिसने मेरा शरीर छल से ले लिया...

अग्निशा – (कुछ न समझते हुए) क्या बोले जा रही हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है जाके आराम करो कल मिलना रात में राजा के विवाह में खाना भी मिलेगा सबको....

समारा – (अग्नि को अपनी बात का यकीन दिलाने के लिए बोलती है) अग्नि तुम्हारी मुद्रिका तुमसे खो गई थी न तब मैने ही अपनी मुद्रिका तुम्हे दी थी जिस वजह से आज भी तुम इस महल की दासी हो नहीं तो तुम्हे कब का निकाल दिया जाता...

तभी समारा की बात सुन अग्निशा के कदम रुक जाते है पलट के औरत को देख के...

अग्निशा – ये बात तो मेरे और महारानी समारा के इलावा कोई नहीं जानता है इसका मतलब आप सच में महारानी समारा हो...

समारा – हा अग्नि मै ही समारा हूँ और मेरे इलावा कौन तुझे अग्नि नाम लेके बुलाता है...

अग्निशा –(अपने मू पर हाथ रख के) आपके साथ ये किसने किया...

समारा – मै तुझे सब कुछ बताऊंगी अग्नि मुझे किसी तरह से बिना किसी की नजर में आए महल में ले चल रानी मा के पास...

अग्निशा – लेकिन इस वक्त सब सो रहे है ऐसे करिए आप मेरे साथ चलिए महल में मै बोल दूंगी द्वार पल को की मेरी मू बोली चाची हो आप....

BD और योगिनी इस बात से अंजान की उनकी चाल को नाकामयाब करने के लिए महल में समारा आ चुकी है जबकि योगिनी BD के साथ अपने कमरे में बैठ अपने ध्यान में लगीं हुई थी ताकि उसकी शक्तियां जागृत हो जाएं इस तरफ अग्निशा अपने साथ समारा को लिए महल में अन्दर अपने कमरे मे चली आती है जहां समारा को खाना खिला के आराम करने देती है अगले दिन सुबह तक योगिनी अपने शक्तियां हासिल कर लेती है...

योगिनी – (अपने ध्यान से खड़ी होके BD से) मै कामयाब हो गई ये देखिए (अपने हाथ में कंगन दिखा के) ये है मेरी शक्तियां...

BD – ये कंगन किस लिए...

योगिनी – (मुस्कुरा के) सालों में मैने जितनी शक्तियां हासिल की है एक बार में शरीर में धारण करना इतना आसान नहीं होता धीरे धीरे धारण की जाती है शक्तियां इसीलिए मैने अपनी सारी शक्तियों को इन कंगन में इक्कठा किया है (बोल के कंगन अपने हाथ में पहन के) आज रात से ही आपके मकसद को पूरा करेंगे हम मिल के...

बोल के दोनों मुस्कुराने लगे जबकि इस तरफ समारा बेड में लेती हुई थी अग्निशा के इंतजार में जो उसे बोल के गई थी कि किसी तरह रानी मा सुनंदा को लेके आएगी समारा के पास लेकिन अग्निशा की कोशिश के बावजूद वो सुनंदा के पास नहीं जा पा रही थी क्योंकि आज आरव के विवाह की तैयारी चल रही थी जिसमें महल के सभी कर्मचारी किसी ना किसी काम में लगे हुए थे धीरे धीरे करके रात होने को आई तब योगिनी ने रसोई घर में जाके जहां महल के सैनिकों के लिए भोजन बन रहा था उसने चुपके से बिना किसी की नजर में आए खाने में एक द्रव्य मिला दिया जिसके बाद BD के पास आके...

योगिनी – मैने सैनिकों के खाने में द्रव्य मिला दिया है अब महल के सैनिकों को वफादारी सिर्फ आपके प्रति होगी ना कि कीसी और के (द्रव्य देते हुए BD को) इसे पी केलीजिए इसके बाद सैनिक सिर्फ आपका हुकुम मानेंगे किसी गुलाम की तरह...

बात सुन BD उसे पी लेता है रात के वक्त महल के बाहर मंडप में एक तरफ आरव बैठा था उसके दूसरी तरफ पश्चिम राज्य के राजा की बेटी लिसा उत्तर राज्य के राजा की बेटी एंजिला और पूरब राज्य के राजा नागेंद्र की बहन शीना दुल्हन के लिबास में बैठी हुई थी जहां महल के कुलगुरु ज्ञानेन्द्र उनका विवाह करवा रहे थे जिसके बाद उन्होंने आरव को अपना हाथ आगे करने को बोला जिसके बाद आरव की चौथी पत्नी परी को बुला के उसके भी हाथ आगे करवाया और अब आरव की चारों पत्नियों को हाथ आगे कर आरव के हाथ में हाथ रखने को कहा तब कुल गुरु ज्ञानेन्द्र उसमें कमंडल से जल डाल के मंत्र पड़ने लगे जिसके बाद एक रोशनी आई जो सीधा जाके आरव , परी , लिसा , एंजिला और शीना के अन्दर समा गई जिसके बाद...

कुलगुरु ज्ञानेन्द्र – (मुस्कुरा के सभी से) विवाह पूर्ण हुआ...

जिसके बाद सभी के चेहरे पर खुशी साफ झलकने लगी तब आरव और उनकी पत्नियों ने सभी का आशीर्वाद लिया और भोजन करके महल की तरफ चले गए तभी मौका पाके अग्निशा रानी सुनंदा के पास जाती जहां उसके साथ इस वक्त महल के कुछ लोग साथ थे...

अग्निशा – (रानी सुनंदा से) रानी मां आपसे एक जरूरी बात कहनी है...

सुनंदा – हा बोलो क्या बात है...

अग्निशा – रानी मा मेरी मू बोली चाची आई हुई है वो आपसे मिलना चाहती है उनके पैरों में बहुत तकलीफ है क्या आप मेरे कक्ष में उनसे मिलेगी वो कल सुबह यहां से जाना चाहती है...

रानी सुनंदा – (मुस्कुरा के) ठीक है चलो हम जरूर मिलेगे उनसे...

बोल के सुनंद जाने लगती है अग्निशा के साथ उसके कक्ष में जबकि इस तरफ BD के कमरे में...

योगिनी – मैने तैयारी कर ली है महाराज क्या आप तैयार है राजा बनने के लिए....

BD – हा तैयार हूँ मै...

योगिनी – बस अब आपको किसी तरह अपने भाई से अकेले में मिलना होगा और जो मै बताऊंगी आपको वो करना होगा जिसके बाद आप अपने भाई के शरीरी में होगे....

BD – लेकिन फिर आरव का क्या होगा....

योगिनी – (मुस्कुरा के BD से) ये लीजिए महाराज (हाथ में द्रव्य देते हुए साथ में कान में मंत्र बोलती है) जब आप अपने भाई से अकेले में मिलो तब आप इस द्रव्य को पी लीजिए गा और उसके बाद अपने भाई के सिर पे हाथ रख ये मंत्र पढ़िए गा जिसके बाद आप अपने भाई के शरीर में होगे और आपका भाई आपके मूर्छित शरीर में होगा जो इस द्रव्य से होगा मूर्छित...

जिसके बाद BD निकल जाता है आरव के कमरे की तरफ अपना काम करने के लिए जबकि इस तरफ योगिनी बहुत खुश होती ही तभी उसके दिमाग में ख्याल आता है समारा का...

योगिनी – (समारा को याद कर) ओह इस चक्कर में उस महारानी को कैसे भूल गई जरा पता तो लगाऊं जिंदा है या मर गई...

बोल के योगिनी ध्यान में चली जाती है और तभी गुस्से में अपनी आंख खोल देती है क्योंकि योगिनी ने देख लिया था समारा को जो इस वक्त महल में है रानी सुनंदा के साथ...

सुनंदा जैसे ही अग्निशा के कमरे में जाती है अपने सामने अधेड़ उम्र की औरत को देखती है तब अग्निशा , सुनंदा को सारी सच्चाई बताती है जिसे सुन पहले तो सुनंदा को यकीन नहीं होता जिसके बाद समारा के सिर पे हाथ रखती है तभी उसे झटका लगता है तब...

समारा – (सुनंदा के पैरों में गिर के) मुझे माफ कर दीजिए मा मैने बहुत बड़ी गलती कर दी...

सुनंदा – (समारा को संभालते हुए) नहीं मेरी बच्ची तूने कोई गलती नहीं की तू कहा जानती थी सच क्या था बस घबरा मत मेरी बच्ची अब मै आ गई हु कुछ नहीं होगा तुझे मैं कुछ नहीं होने दूंगी तुझे (अग्निशा से) अग्निशा उस योगिनी के कमरे में जाके उसे किसी तरह यहां लेके आना होगा तुम्हे बोल देना रानी मा का आदेश है...

अग्निशा – जी रानी मा...

बोल के अग्निशा निकल जाती है कमरे से जबकि इस तरफ योगिनी ध्यान में ये सब देख तुरंत अपने कमरे से बाहर निकल दौड़ के जाके BD को रोक उसे सारी बात बता देती है जिसके बाद BD गुस्से में आ जाता है कमरे में आता है तब...

BD – (गुस्से में) बहुत बड़ी गलती कर दी हमने उस समारा को कम आका मैने...

योगिनी – ये वक्त इन सब बातों का नहीं है महाराज ये वक्त फैसला लेने का है अगर आपको राजा बनना है तो आपको अपने भाई आरव का शरीर नहीं बल्कि आपको खुद आरव को मारना होगा और उसकी जगह लेनी होगी...

BD – (गुस्से में) मंजूर है हमें...

योगिनी – (मन में मंत्र पड़ती है जिसके बाद उसके हाथ में एक तलवार आती है जिसे BD को देके) ये लीजिए महाराज तलवार इस तलवार के सामने किसी भी प्रकार की कोई भी शक्ति काम नहीं करेगी अपने गुलाम सैनिकों के साथ हमला बोल दीजिए जाके...

जिसके बाद BD निकल जाता है सैनिकों के साथ आरव के कमरे में लेकिन इससे पहले BD अपने कमरे से बाहर निकलता की तभी कमरे के बाहर खड़ी अग्निशा दोनों की सारी बात सुन लेती है जैसे ही BD कमरे से बाहर निकलने वाला होता है तभी अग्निशा दरवाजे से निकल जाती है रानी सुनंदा के कमरे में उन्हें सारी बात बता देती है तब...

सुनंदा – (अग्निशा से) तुरंत जाके रत्नेश को बुलाओ तुम मै जाती हु आरव के पास...

बोल के जैसे ही सुनंदा कमरे से बाहर निकलने को होती है तभी उसके सामने योगिनी आ जाती है जिसे देख...

योगिनी – (मुस्कुरा के) क्या बात है रानी मा बहुत जल्दी में है आप...

बोल के अपनी शक्ति से वर करती है योगिनी , सुनंदा पे लेकिन सुनंदा पे कोई असर नहीं होता लेकिन जब सुनंदा वार करती है शक्ति से तब कुछ नहीं होता जिसे देख...

योगिनी – (मुस्कुरा के) आपकी शक्ति को काट नही है मेरे पास रानी मा लेकिन कुछ पल के लिए रोक सकती हूँ आपकी शक्तियों को तब तक आपक बेटा अपना काम कर चुका होगा...

तभी योगिनी के पीछे से आके अग्निशा उसके सिर में वार करती है जिस वजह से योगिनी बेहोश हो जाती है जिसे देख...

सुनंदा – (योगिनी के शरीर को देख अग्निशा से) अग्निशा जल्दी से समारा को यहां लेके आओ...

जिसके बाद अग्निशा तुरंत समारा को लेके आती है सुनंदा के पास...

सुनंदा – (समारा से) जल्दी से अपना हाथ (योगिनी की तरफ इशारा करके) इसके हाथ में रखो...

जैसे ही समारा अपना हाथ योगिनी के हाथ में रखती है तभी सुनंदा समारा के शरीरी पे हाथ रख कुछ बोलती है और तुरंत समारा जाग जाती है जिसके बाद...

समारा – (सुनंदा से) मा मै वापस आ गई...

सुनंदा – (समारा और अग्निशा से) अग्निशा जाके रत्नेश को बुला के लेके आओ और समारा तुम इस औरत के शरीर को कमरे में बंद कर दो और इसके ये कंगन उतार फेक देना...

बोल के सुनंद निकल जाती है आरव के कमरे की तरफ जबकि इस तरफ जब सुनंदा और योगिनी का सामना हो रहा था तब BD आचुका था आरव के कमरे में जहां आरव अपनी चारों पत्नियों से बाते कर रहा था इस बात से अंजान काल के रूप में उसका भाई उसकी तरफ बढ़ता जा रहा है तभी आरव के कमरे में दरवाजा खटखटाया जाता है जिसे देख...

आरव – (दरवाजा खोल सामने अपने भाई को देख) क्या हुआ भाई इतनी रात में इस वक्त...

BD – (मुस्कुरा के) तुम्हे विवाह का तोहफा देने आया हु भाई...

बोल के आरव के सीने में तलवार उतार दी जिसे देख अचानक से आरव की चारों पत्नियों की चीख निकल गई तभी...

आरव ने दरवाजे से ही BD को एक लात मारी और दरवाजा बंद कर दिया सीने में तलवार लिए आरव ने अपनी चारों पत्नियों को बोला...

आरव – जितनी जल्दी हो सके निकल जाओ यहां से तुम चारों...

परी – (रोते हुए) मै आपको छोड़ के कही नहीं जाऊंगी...

आरव – परी ये वक्त रोने का नहीं है अपने साथ लिसा , शीना और एंजिला को बचाओ...

शीना – (रोते हुए) चाहे कुछ भी हो हम आपको छोड़ के कही नहीं जाएंगे....

इससे पहले आरव कुछ बोलता तभी आरव जमीन में गिर गया दर्द के चलते जिसे देख एंजिला ने आरव के सीने से तलवार को निकलने के लिए उसमें हाथ लगाया ही था कि तभी एंजिला को एक झटका लगा...

परी – क्या हुआ एंजिला....

एंजिला – (हैरानी से) दीदी ये काले जादू से बनी जहरीली तलवार है इसकी वजह से ही इनकी तकलीफ बढ़ती जा रही है...

लिसा – (बाते सुन के) हमे अपनी शक्ति का इस्तेमाल करना चाहिए उससे हम इन्हें बचा सकते है...

तीनों की बात सुन के...

परी – कैसे करना है मै भी साथ दोगी तुम तीनों का...

लिसा – दीदी अपनी शक्ति का इस्तमाल करने के लिए आपको अपने दिल से उसे याद करिए तो शक्तियां काम करने लगेगी....

इसके बाद चारों मिल के कोशिश करते है लेकिन पहली बार में हर कोई कामयाब हो ऐसा मुमकिन नहीं लेकिन यहां पर ऐसा हुआ चारों की शक्तियों ने काम किया लेकिन तभी चारों को एक तेज झटका लगा क्योंकि जैसे ही शक्ति आरव के शरीर से टकराई वैसे पलट के वापस आ गई लेकिन तभी दरवाजा तोड़ने की कोशिश की जा रही थी बाहर से जिसे BD कर रहा था सैनिकों के साथ एक जोर दार झटके के साथ दरवाजा टूटा और BD कमरे में आने लगा तभी पीछे से सुनंदा ने आके BD के शरीर में अपनी शक्ति का वार किया जिसके बाद BD दूर जा के गिरा लेकिन तुरंत खुद को सम्भल के आरव की तरफ बढ़ने लगा उसके सीने से तलवार निकलने के लिए जबकि सुनंदा की नजर जैसे ही आरव पर पड़ी सब कुछ भूल के आरव के पास दौड़ पड़ी...

सुनंदा – (रोते हुए) आरव मेरे बच्चे मै तुझे कुछ नहीं होने दूंगी...

बोल के सुनंदा तलवार को निकालने लगी आरव के शरीर से तलवार निकलते वक्त सुनंदा को कई झटके लग रहे थे लेकिन सुनंदा रुकी नहीं इस वक्त सुनंदा का पूरा ध्यान सिर्फ आरव के सीने से तलवार निकालने में था इस मौके का फायदा उठा के BD ने पास आके आरव की चारों पत्नियों को लात मार के दूर किया फिर सुनंदा को लात मार के दूर किया और एक झटके में आरव के शरीर से तलवार निकाल के उसके उसके सिर को धड़ से अलग कर दिया ये नजारा देख परी बेहोश हो गई उसके साथ लिसा , शीना भी लेकिन एंजिला के जैसे पैर वही जम से गए जबकि सुनंदा ये नजारा देख जैसी उसका कलेजा फटने लग एक बेजान पुतले की तरह सिर्फ आरव के कटे सिर को देखती रही जबकि...

BD – (गुस्से में बोला) सोचा था प्यार से करूंगा ये काम लेकिन उस समारा की वजह से सारा खेल बिगड़ गया मेरा (परी , लिसा, अलीशा और एंजिला को देख के) कोई बात नहीं आरव न सही तो मै हूँ ना तुम चारों का पति वैसे भी भाई के बाद उसकी हर चीज पे अधिकार उसके भाई का ही होता है चारों के बाद (सुनंदा को देख) अपनी मां को भोग कर मै डेविल राज का राजा बन जाऊंगा पूरा डेविल राज्य सिर्फ मेरा होगा...

BD अपने भाई आरव को मार के खुशी से इतना कुछ बोले जा रहा था तभी उसके पीछे से सुनंद ने वार किया जिससे BD दूर जा गिरा इससे पहले सुनंदा वर करती तभी योगिनी आ गई समारा की गर्दन में चाकू लगा के....

योगिनी – (सुनंदा से) रुक जा वर्ना इसकी गर्दन धड़ से अलग कर दूंगी मै...

सुनंदा – (ये नजारा देख रुक जाती है और मन में बोलती है) मन में – गुरुदेव मदद करिए हमारी....

तभी BD खड़ा होके मुस्कुराने लगता है पास आके...

BD – (योगिनी से) योगिनी मुझे आज के आज ही सब कुछ हासिल करना है बदले में मै तुझे (सुनंदा की तरफ इशारा करके) इसका शरीर दूंगा...

योगिनी – (खुश होके) जरूर महाराज ऐसा ही होगा....

BD – (सुनंदा से) जिस राज्य में मेरा हक होना चाहिए था वो तूने अपने चहीते बेटे को दे दिया था ना देख तेरी वजह से क्या हाल हो गया तेरे चहीते बेटे का अगर तू चाहती है इसके आगे कुछ अनर्थ ना हो चुप चाप से बात मान जा मेरी वर्ना तेरे चहीते बेटे का जो हाल हुआ है उससे बुरा हाल करूंगा उसकी तीनों पत्नियों का...

बोल के जब BD ने देखा सुनंदा शांत है जिसे देख BD ने आगे कदम बढ़ाया आरव की चारों बीवियों की तरफ इससे पहले BD उन्हें छूता तभी राज गुरु ज्ञानेन्द्र प्रकट हो गए रत्नेश और अग्निशा के साथ आते ही उन्होंने अपनी छड़ी को जमीन में जोर से मारा जिस वजह से सुनंदा , परी , लिसा , एंजिला , शीना और समारा को छोड़ के BD और योगिनी दूर जा गिरे जब तक ये दोनों संभालते तब तक राज गुरु ज्ञानेन्द्र ने सभी के चारों तरफ ऊर्जा से बना एक गोला बना दिया जिसके बाद...

सुनंदा – (गुस्से में BD से) जिस राज्य को पाने के लिए तूने अपने भाई को मारा अपनी मां का अपमान किया अपनी बीवी के प्यार का अपमान किया इन सब का हिसाब तुझे देना होगा करले जितना राज करना है डेविल लोक में लेकिन जल्द ही मेरा आरव आएगा तुझे सब कुछ छीन के तेरा सर्वनाश करेगा...

जिसके बाद सभी एक साथ वहां से गायब हो गए साथ ही आरव का शरीर भी...
.
बीच के कुछ हिस्सों को मैने डिटेल में नहीं लिखा क्योंकि उन हिस्सों को कहानी के FLASHBACK में दिखाऊंगा
.
.
जारी रहेगा✍️✍️
Good One Bhai...and Nice start to the story...
maine tumko DM kiya tha...not sure if you saw it..
Maine bhi ek naya story start kiya hai...ho sake to ek baar us par bhi nazar daal lo.
Look forward to your updates and comments as well.

DEVIL MAXIMUM
 

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"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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Bahut badhiya kahani hai bhai, ha flow me aayegi ye bhi dheere dheere....
Writer to tum kamal ke ho but lagta hai ab albela ek side hi padi rahegi aur sara focus isi kahani pe rahega....
😂😂 Esa nahi hai mere bhai Albela band nahi hogi esa karna hota to kab ka Admin ko bol ke reply off karva deta
Lekin nahi Story maine readers ke kehne par start ki hai or ab to ALBELA story aadhe se jyada se aage Jaa chuki hai use bich me nahi choodduuugaga mai
 
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Good One Bhai...and Nice start to the story...
maine tumko DM kiya tha...not sure if you saw it..
Maine bhi ek naya story start kiya hai...ho sake to ek baar us par bhi nazar daal lo.
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Ha maine dekha tha bhai but us time mai such mai kafi busy chal rha tha Married ke bad office work load kafi ho gya tha isileye time nahi de paa rha tha bhai lekin jald he comment aayga aapki bhi story me
 
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parkas

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UPDATE 3

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PART 3

अगली सुबह से डेविल लोक में चहल पहल मची हुई थी क्योंकि रानी मा अपने बेटे आरव की विवाह की तैयारी में लगी हुई थी अपने राज्य को लोगो को बोल के पूरे महल को सजाने का काम शुरू करवा दिया था जबकि इस तरफ आरव और उसकी बीवी परी दोनों इस वक्त महल के बाहर बने बगीचे में भी टहल रहे थे...

आरव – (परी के पैरों में बंधी पायल की झंकार सुन रहे थे जब वो आरव के बगीचे में टहल रही थी) तुम्हारी पायल की झंकार कितनी मधुर है परी जैसे ये पायल की झंकार ना हो के मेरे दिल की धड़कन हो...

परी – (मुस्कुरा के) ये पायल भी आपका दिया तोहफा है मेरे लिए...

आरव – एक बात बताओ परी विवाह के वक्त आप क्या पहनोगे...

परी – जो मेरे राजा बोलो वही...

आरव – मै चाहता हूँ कल विवाह के वक्त तुम्भी शादी का लाल जोड़ा पहनो साथ ही ये पायल भी...

परी – अच्छा फिर आप कहेंगे कि मंडप में भी बैठने साथ में...

आरव – (मुस्कुरा के) तुम सच में मेरे दिल की बात जान लेती हो परी....

परी – (मुस्कुरा के) हमारा विवाह तो पहले ही हो चुका है फिर कल क्यों....

आरव – क्योंकि मैं चाहता हूँ कल ही सबको पता चल जाए कि हमारी एक नहीं बल्कि 4 बीवियां है...

परी – (हस्ते हुए) वो तो वैसे भी सबको पता है लेकिन आपके मन में चल कुछ और रहा है...

आरव – (मुस्कुरा के) में चाहता हूँ कल तुम भी हमारे साथ मंडप में रहो तीनों बीवियों के साथ...

परी – नहीं मै सिर्फ आपके साथ अपना हर लम्हा बिताना चाहती हूँ सिर्फ आपके साथ अकेले में बाकी मंडप में मै आपके साथ रहूंगी ही हर वक्त और आप अब जिद नहीं करेंगे इस बात के लिए...

बोल के परी मुस्कुराने लगी...

आरव – (मुस्कुरा के) जैसी आपकी आज्ञा हो महारानी साहेबा लेकिन हम सिर्फ यही चाहते थे कि आप भी साथ रहे मंडप में ताकि आपको बुरा न लगे...

परी – मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगेगा क्योंकि मैं आपसे सबसे ज्यादा प्यार करती हु आपकी कोई भी बात मुझे कभी गलत नहीं लगेगी...

इन दोनों की बातों का सिलसिला ऐसे ही चलता रहा यहां जबकि महल के बाहर बनी गैलरी में इस वक्त BD और योगिनी ये दोनों मिल के आरव और परी को देख रहे थे प्यार भरी बाते करते हुए जिसे देख...

योगिनी – क्या सोच रहे है आप...

BD – बहुत खूबसूरत है परी और आज तो कुछ ज्यादा ही सुंदर लग रही है (योगिनी से) योगिनी मै परी को पाना चाहता हूँ किसी भी कीमत पर...

योगिनी – (मुस्कुरा के) लगता है दिल आ गया है आपका परी पे...

BD – जब से इसे देखा है तब से इसे पाने की लालसा जागी है दिल में...

योगिनी – (मुस्कुरा के) ओह तो आप परी को भोगना चाहत है...

BD – हा योगिनी...

योगिनी – (मुस्कुरा के) तब तो मुझे कुछ ऐसा करना होगा जिससे आपका काम आसानी से बन जाय...

BD – और वो कैसे...

योगिनी – क्यों न मै अपनी तरह आपके शरीर को किसी के साथ बदल दू तो...

BD – मेरा शरीर किसके साथ बदलोगी...

योगिनी –आपके भाई आरव के साथ...

BD – (मुस्कुरा के) सच में अगर ऐसा हो गया तो...

योगिनी – तो दुनिया के लिए आरव सिर्फ नाम का राजा होगा असली राजा तो आप होगे और आप परी के साथ आरव की तीनों बीवियों को भोग सकेंगे...

BD – (खुश होके) उसके बाद मुझे मा का भी डर नहीं होगा सारी ताकत मेरे पास होगी...

योगिनी – नहीं भोगना तो आपको अपनी मां को भी पड़ेगा क्योंकि सिर्फ वही एक ऐसी दिक्कत है जो आपको रोक सकती है उनकी ताकत को आप कम आंकने की सोचना भी मत डेविल लोक की शक्तियां जब आपके अन्दर समाएगी जो राजा को मिलती है उसका अंदाजा आपको पूरी तरह से होने में कुछ वक्त लग सकता है लेकिन आपकी मां उतने में जाने क्या कुछ कर जाय जिससे आपकी इतने सालों की सारी मेहनत बेकार हो जाएगी...

BD – तो तुम बताओ कैसे भोगु उस औरत को...

योगिनी – उसके लिए कुछ ऐसा करना पड़ेगा जिससे आपकी मां खुद राजी हो जाएं...

BD – कैसे होगा ये...

योगिनी – आज रात को ही मै अपनी सारी शक्तियों को पाने की क्रिया करूंगी ताकि मेरी सारी शक्तियां जल्द से जल्द जागृत हो जाएं जिसके लिए मुझे ध्यान में जाना होगा आज रात को सबके सोने के बाद मै ये कार्य करूगी सुबह तक मेरा कार्य सफल हो जाएगा उसके बाद मै बताऊंगी क्या और कैसे करना है आपको...

एक तरफ योगिनी और BD मिल के योजना बना रहे थे डेविल लोक में खुद का राज कायम करने के लिए दूसरी तरफ आरव और परी इन सब बातों से अंजान अपनी प्रेम लीला में व्यस्त थे तीसरी तरफ रानी सुनंदा महल को सजाने की तैयारी में लगी थी अपने बेटे आरव के विवाह के लिए जबकि महल से दूर एक गुफा में समारा इंतजार कर रही थी सूरज ढलने का इन सब बातों से दिन बीत गया शाम होने को आई तब समारा भालों का सहारा लेके गुफा से बाहर निकल के महल की तरह जाने लगी जिसमें उसे काफी वक्त लग सकता है क्योंकि इस वक्त समारा एक अधेड़ उम्र की औरत के शरीर में थी जिसमें ताकत की कमी थी लेकिन समारा पूरे हौसले के साथ आगे बढ़ती जा रही थी...

रात के वक्त जब सब सोने की तैयारी कर रहे थे तब...

योगिनी – (मतलब समारा अपनी दासी से जिसका नाम अग्निशा था) ए दासी सुन...

अग्निशा – (योगिनी याने समारा को देख) मन में – आज महारानी इस तरह से कैसे बात कर रही है मेरे से...

योगिनी (समारा) – सुनाई नहीं दे रहा है क्या तुझे बुला रही हूँ...

अग्निशा – (अपनी सोच से बाहर आके) जी महारानी...

योगिनी (समारा) – हमारा एक काम करो बाजार जाके (एक पत्रिका देते हुए) इसमें लिखे समान लेके आओ जल्दी से...

अग्निशा – महारानी इस वक्त कैसे आधी रात हो गई है अभी हर कोई अपने घर में आराम कर रहा होगा...

योगिनी (समारा) – तो उनको जगा देना बोल देना महल में ले जाना है समान कल राजा का विवाह है ना माने तो दंड मिलेगा...

बोल के योगिनी (समारा) चली जाती है उसे जाता हुए देख...

अग्निशा – (मन में) ये आज महारानी को क्या हो गया है इस तरह से कैसे बात कर रही है मुझसे इन्होंने आज तक तो कभी मुझे दासी नहीं कहा मेरा नाम लेके बुलाती थी...

सोचते सोचते अग्निशा चली गई महल के बाहर योगिनी (समारा) के लिए समान लेने जबकि दूसरी तरफ समारा धीरे धीरे चलते चलते महल की तरफ बढ़ती जा रही थी आखिर कार समारा की मेहनत रंग लाई वो महल के द्वार के बाहर तक आ गई थी द्वार में आके सोचने लगी कैसे महल के अंदर जया जाय लेकिन तभी समारा ने देखा उसकी दासी अग्निशा आ रही है बाहर से महल में जाने के लिए उसे देख....

समारा – (पुकारने हुए) अग्नि...

अग्निशा –(अपना नाम सुन आवाज की दिशा पे देखती है जहां एक बूढ़ी औरत खड़ी दिखती है उसके पास जाके) कौन हो आप और आपको मेरा नाम कैसे पता...

समारा – मुझे ये भी पता है कि तेरा नाम अग्निशा है तुझे प्यार से अग्नि बोलती हूँ...

अग्निशा – लेकिन इस नाम से तो सिर्फ महारानी समारा पुकारती है मुझे...

समारा – मै जानती हु अग्नि मै ही तुझे इस नाम से पुकारती हु...

अग्निशा – क्या मतलब है आपका और आप है कौन कहा से आई है वो भी इतनी रात में...

समारा – मेरी बात ध्यान से सुनो अग्नि मै सच बोल रही हूँ मै ही समारा हूँ और जिसे तुम महल में देख रही हो वो शरीर मेरा है लेकिन आत्मा एक चुडैल की है जिसने मेरा शरीर छल से ले लिया...

अग्निशा – (कुछ न समझते हुए) क्या बोले जा रही हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है जाके आराम करो कल मिलना रात में राजा के विवाह में खाना भी मिलेगा सबको....

समारा – (अग्नि को अपनी बात का यकीन दिलाने के लिए बोलती है) अग्नि तुम्हारी मुद्रिका तुमसे खो गई थी न तब मैने ही अपनी मुद्रिका तुम्हे दी थी जिस वजह से आज भी तुम इस महल की दासी हो नहीं तो तुम्हे कब का निकाल दिया जाता...

तभी समारा की बात सुन अग्निशा के कदम रुक जाते है पलट के औरत को देख के...

अग्निशा – ये बात तो मेरे और महारानी समारा के इलावा कोई नहीं जानता है इसका मतलब आप सच में महारानी समारा हो...

समारा – हा अग्नि मै ही समारा हूँ और मेरे इलावा कौन तुझे अग्नि नाम लेके बुलाता है...

अग्निशा –(अपने मू पर हाथ रख के) आपके साथ ये किसने किया...

समारा – मै तुझे सब कुछ बताऊंगी अग्नि मुझे किसी तरह से बिना किसी की नजर में आए महल में ले चल रानी मा के पास...

अग्निशा – लेकिन इस वक्त सब सो रहे है ऐसे करिए आप मेरे साथ चलिए महल में मै बोल दूंगी द्वार पल को की मेरी मू बोली चाची हो आप....

BD और योगिनी इस बात से अंजान की उनकी चाल को नाकामयाब करने के लिए महल में समारा आ चुकी है जबकि योगिनी BD के साथ अपने कमरे में बैठ अपने ध्यान में लगीं हुई थी ताकि उसकी शक्तियां जागृत हो जाएं इस तरफ अग्निशा अपने साथ समारा को लिए महल में अन्दर अपने कमरे मे चली आती है जहां समारा को खाना खिला के आराम करने देती है अगले दिन सुबह तक योगिनी अपने शक्तियां हासिल कर लेती है...

योगिनी – (अपने ध्यान से खड़ी होके BD से) मै कामयाब हो गई ये देखिए (अपने हाथ में कंगन दिखा के) ये है मेरी शक्तियां...

BD – ये कंगन किस लिए...

योगिनी – (मुस्कुरा के) सालों में मैने जितनी शक्तियां हासिल की है एक बार में शरीर में धारण करना इतना आसान नहीं होता धीरे धीरे धारण की जाती है शक्तियां इसीलिए मैने अपनी सारी शक्तियों को इन कंगन में इक्कठा किया है (बोल के कंगन अपने हाथ में पहन के) आज रात से ही आपके मकसद को पूरा करेंगे हम मिल के...

बोल के दोनों मुस्कुराने लगे जबकि इस तरफ समारा बेड में लेती हुई थी अग्निशा के इंतजार में जो उसे बोल के गई थी कि किसी तरह रानी मा सुनंदा को लेके आएगी समारा के पास लेकिन अग्निशा की कोशिश के बावजूद वो सुनंदा के पास नहीं जा पा रही थी क्योंकि आज आरव के विवाह की तैयारी चल रही थी जिसमें महल के सभी कर्मचारी किसी ना किसी काम में लगे हुए थे धीरे धीरे करके रात होने को आई तब योगिनी ने रसोई घर में जाके जहां महल के सैनिकों के लिए भोजन बन रहा था उसने चुपके से बिना किसी की नजर में आए खाने में एक द्रव्य मिला दिया जिसके बाद BD के पास आके...

योगिनी – मैने सैनिकों के खाने में द्रव्य मिला दिया है अब महल के सैनिकों को वफादारी सिर्फ आपके प्रति होगी ना कि कीसी और के (द्रव्य देते हुए BD को) इसे पी केलीजिए इसके बाद सैनिक सिर्फ आपका हुकुम मानेंगे किसी गुलाम की तरह...

बात सुन BD उसे पी लेता है रात के वक्त महल के बाहर मंडप में एक तरफ आरव बैठा था उसके दूसरी तरफ पश्चिम राज्य के राजा की बेटी लिसा उत्तर राज्य के राजा की बेटी एंजिला और पूरब राज्य के राजा नागेंद्र की बहन शीना दुल्हन के लिबास में बैठी हुई थी जहां महल के कुलगुरु ज्ञानेन्द्र उनका विवाह करवा रहे थे जिसके बाद उन्होंने आरव को अपना हाथ आगे करने को बोला जिसके बाद आरव की चौथी पत्नी परी को बुला के उसके भी हाथ आगे करवाया और अब आरव की चारों पत्नियों को हाथ आगे कर आरव के हाथ में हाथ रखने को कहा तब कुल गुरु ज्ञानेन्द्र उसमें कमंडल से जल डाल के मंत्र पड़ने लगे जिसके बाद एक रोशनी आई जो सीधा जाके आरव , परी , लिसा , एंजिला और शीना के अन्दर समा गई जिसके बाद...

कुलगुरु ज्ञानेन्द्र – (मुस्कुरा के सभी से) विवाह पूर्ण हुआ...

जिसके बाद सभी के चेहरे पर खुशी साफ झलकने लगी तब आरव और उनकी पत्नियों ने सभी का आशीर्वाद लिया और भोजन करके महल की तरफ चले गए तभी मौका पाके अग्निशा रानी सुनंदा के पास जाती जहां उसके साथ इस वक्त महल के कुछ लोग साथ थे...

अग्निशा – (रानी सुनंदा से) रानी मां आपसे एक जरूरी बात कहनी है...

सुनंदा – हा बोलो क्या बात है...

अग्निशा – रानी मा मेरी मू बोली चाची आई हुई है वो आपसे मिलना चाहती है उनके पैरों में बहुत तकलीफ है क्या आप मेरे कक्ष में उनसे मिलेगी वो कल सुबह यहां से जाना चाहती है...

रानी सुनंदा – (मुस्कुरा के) ठीक है चलो हम जरूर मिलेगे उनसे...

बोल के सुनंद जाने लगती है अग्निशा के साथ उसके कक्ष में जबकि इस तरफ BD के कमरे में...

योगिनी – मैने तैयारी कर ली है महाराज क्या आप तैयार है राजा बनने के लिए....

BD – हा तैयार हूँ मै...

योगिनी – बस अब आपको किसी तरह अपने भाई से अकेले में मिलना होगा और जो मै बताऊंगी आपको वो करना होगा जिसके बाद आप अपने भाई के शरीरी में होगे....

BD – लेकिन फिर आरव का क्या होगा....

योगिनी – (मुस्कुरा के BD से) ये लीजिए महाराज (हाथ में द्रव्य देते हुए साथ में कान में मंत्र बोलती है) जब आप अपने भाई से अकेले में मिलो तब आप इस द्रव्य को पी लीजिए गा और उसके बाद अपने भाई के सिर पे हाथ रख ये मंत्र पढ़िए गा जिसके बाद आप अपने भाई के शरीर में होगे और आपका भाई आपके मूर्छित शरीर में होगा जो इस द्रव्य से होगा मूर्छित...

जिसके बाद BD निकल जाता है आरव के कमरे की तरफ अपना काम करने के लिए जबकि इस तरफ योगिनी बहुत खुश होती ही तभी उसके दिमाग में ख्याल आता है समारा का...

योगिनी – (समारा को याद कर) ओह इस चक्कर में उस महारानी को कैसे भूल गई जरा पता तो लगाऊं जिंदा है या मर गई...

बोल के योगिनी ध्यान में चली जाती है और तभी गुस्से में अपनी आंख खोल देती है क्योंकि योगिनी ने देख लिया था समारा को जो इस वक्त महल में है रानी सुनंदा के साथ...

सुनंदा जैसे ही अग्निशा के कमरे में जाती है अपने सामने अधेड़ उम्र की औरत को देखती है तब अग्निशा , सुनंदा को सारी सच्चाई बताती है जिसे सुन पहले तो सुनंदा को यकीन नहीं होता जिसके बाद समारा के सिर पे हाथ रखती है तभी उसे झटका लगता है तब...

समारा – (सुनंदा के पैरों में गिर के) मुझे माफ कर दीजिए मा मैने बहुत बड़ी गलती कर दी...

सुनंदा – (समारा को संभालते हुए) नहीं मेरी बच्ची तूने कोई गलती नहीं की तू कहा जानती थी सच क्या था बस घबरा मत मेरी बच्ची अब मै आ गई हु कुछ नहीं होगा तुझे मैं कुछ नहीं होने दूंगी तुझे (अग्निशा से) अग्निशा उस योगिनी के कमरे में जाके उसे किसी तरह यहां लेके आना होगा तुम्हे बोल देना रानी मा का आदेश है...

अग्निशा – जी रानी मा...

बोल के अग्निशा निकल जाती है कमरे से जबकि इस तरफ योगिनी ध्यान में ये सब देख तुरंत अपने कमरे से बाहर निकल दौड़ के जाके BD को रोक उसे सारी बात बता देती है जिसके बाद BD गुस्से में आ जाता है कमरे में आता है तब...

BD – (गुस्से में) बहुत बड़ी गलती कर दी हमने उस समारा को कम आका मैने...

योगिनी – ये वक्त इन सब बातों का नहीं है महाराज ये वक्त फैसला लेने का है अगर आपको राजा बनना है तो आपको अपने भाई आरव का शरीर नहीं बल्कि आपको खुद आरव को मारना होगा और उसकी जगह लेनी होगी...

BD – (गुस्से में) मंजूर है हमें...

योगिनी – (मन में मंत्र पड़ती है जिसके बाद उसके हाथ में एक तलवार आती है जिसे BD को देके) ये लीजिए महाराज तलवार इस तलवार के सामने किसी भी प्रकार की कोई भी शक्ति काम नहीं करेगी अपने गुलाम सैनिकों के साथ हमला बोल दीजिए जाके...

जिसके बाद BD निकल जाता है सैनिकों के साथ आरव के कमरे में लेकिन इससे पहले BD अपने कमरे से बाहर निकलता की तभी कमरे के बाहर खड़ी अग्निशा दोनों की सारी बात सुन लेती है जैसे ही BD कमरे से बाहर निकलने वाला होता है तभी अग्निशा दरवाजे से निकल जाती है रानी सुनंदा के कमरे में उन्हें सारी बात बता देती है तब...

सुनंदा – (अग्निशा से) तुरंत जाके रत्नेश को बुलाओ तुम मै जाती हु आरव के पास...

बोल के जैसे ही सुनंदा कमरे से बाहर निकलने को होती है तभी उसके सामने योगिनी आ जाती है जिसे देख...

योगिनी – (मुस्कुरा के) क्या बात है रानी मा बहुत जल्दी में है आप...

बोल के अपनी शक्ति से वर करती है योगिनी , सुनंदा पे लेकिन सुनंदा पे कोई असर नहीं होता लेकिन जब सुनंदा वार करती है शक्ति से तब कुछ नहीं होता जिसे देख...

योगिनी – (मुस्कुरा के) आपकी शक्ति को काट नही है मेरे पास रानी मा लेकिन कुछ पल के लिए रोक सकती हूँ आपकी शक्तियों को तब तक आपक बेटा अपना काम कर चुका होगा...

तभी योगिनी के पीछे से आके अग्निशा उसके सिर में वार करती है जिस वजह से योगिनी बेहोश हो जाती है जिसे देख...

सुनंदा – (योगिनी के शरीर को देख अग्निशा से) अग्निशा जल्दी से समारा को यहां लेके आओ...

जिसके बाद अग्निशा तुरंत समारा को लेके आती है सुनंदा के पास...

सुनंदा – (समारा से) जल्दी से अपना हाथ (योगिनी की तरफ इशारा करके) इसके हाथ में रखो...

जैसे ही समारा अपना हाथ योगिनी के हाथ में रखती है तभी सुनंदा समारा के शरीरी पे हाथ रख कुछ बोलती है और तुरंत समारा जाग जाती है जिसके बाद...

समारा – (सुनंदा से) मा मै वापस आ गई...

सुनंदा – (समारा और अग्निशा से) अग्निशा जाके रत्नेश को बुला के लेके आओ और समारा तुम इस औरत के शरीर को कमरे में बंद कर दो और इसके ये कंगन उतार फेक देना...

बोल के सुनंद निकल जाती है आरव के कमरे की तरफ जबकि इस तरफ जब सुनंदा और योगिनी का सामना हो रहा था तब BD आचुका था आरव के कमरे में जहां आरव अपनी चारों पत्नियों से बाते कर रहा था इस बात से अंजान काल के रूप में उसका भाई उसकी तरफ बढ़ता जा रहा है तभी आरव के कमरे में दरवाजा खटखटाया जाता है जिसे देख...

आरव – (दरवाजा खोल सामने अपने भाई को देख) क्या हुआ भाई इतनी रात में इस वक्त...

BD – (मुस्कुरा के) तुम्हे विवाह का तोहफा देने आया हु भाई...

बोल के आरव के सीने में तलवार उतार दी जिसे देख अचानक से आरव की चारों पत्नियों की चीख निकल गई तभी...

आरव ने दरवाजे से ही BD को एक लात मारी और दरवाजा बंद कर दिया सीने में तलवार लिए आरव ने अपनी चारों पत्नियों को बोला...

आरव – जितनी जल्दी हो सके निकल जाओ यहां से तुम चारों...

परी – (रोते हुए) मै आपको छोड़ के कही नहीं जाऊंगी...

आरव – परी ये वक्त रोने का नहीं है अपने साथ लिसा , शीना और एंजिला को बचाओ...

शीना – (रोते हुए) चाहे कुछ भी हो हम आपको छोड़ के कही नहीं जाएंगे....

इससे पहले आरव कुछ बोलता तभी आरव जमीन में गिर गया दर्द के चलते जिसे देख एंजिला ने आरव के सीने से तलवार को निकलने के लिए उसमें हाथ लगाया ही था कि तभी एंजिला को एक झटका लगा...

परी – क्या हुआ एंजिला....

एंजिला – (हैरानी से) दीदी ये काले जादू से बनी जहरीली तलवार है इसकी वजह से ही इनकी तकलीफ बढ़ती जा रही है...

लिसा – (बाते सुन के) हमे अपनी शक्ति का इस्तेमाल करना चाहिए उससे हम इन्हें बचा सकते है...

तीनों की बात सुन के...

परी – कैसे करना है मै भी साथ दोगी तुम तीनों का...

लिसा – दीदी अपनी शक्ति का इस्तमाल करने के लिए आपको अपने दिल से उसे याद करिए तो शक्तियां काम करने लगेगी....

इसके बाद चारों मिल के कोशिश करते है लेकिन पहली बार में हर कोई कामयाब हो ऐसा मुमकिन नहीं लेकिन यहां पर ऐसा हुआ चारों की शक्तियों ने काम किया लेकिन तभी चारों को एक तेज झटका लगा क्योंकि जैसे ही शक्ति आरव के शरीर से टकराई वैसे पलट के वापस आ गई लेकिन तभी दरवाजा तोड़ने की कोशिश की जा रही थी बाहर से जिसे BD कर रहा था सैनिकों के साथ एक जोर दार झटके के साथ दरवाजा टूटा और BD कमरे में आने लगा तभी पीछे से सुनंदा ने आके BD के शरीर में अपनी शक्ति का वार किया जिसके बाद BD दूर जा के गिरा लेकिन तुरंत खुद को सम्भल के आरव की तरफ बढ़ने लगा उसके सीने से तलवार निकलने के लिए जबकि सुनंदा की नजर जैसे ही आरव पर पड़ी सब कुछ भूल के आरव के पास दौड़ पड़ी...

सुनंदा – (रोते हुए) आरव मेरे बच्चे मै तुझे कुछ नहीं होने दूंगी...

बोल के सुनंदा तलवार को निकालने लगी आरव के शरीर से तलवार निकलते वक्त सुनंदा को कई झटके लग रहे थे लेकिन सुनंदा रुकी नहीं इस वक्त सुनंदा का पूरा ध्यान सिर्फ आरव के सीने से तलवार निकालने में था इस मौके का फायदा उठा के BD ने पास आके आरव की चारों पत्नियों को लात मार के दूर किया फिर सुनंदा को लात मार के दूर किया और एक झटके में आरव के शरीर से तलवार निकाल के उसके उसके सिर को धड़ से अलग कर दिया ये नजारा देख परी बेहोश हो गई उसके साथ लिसा , शीना भी लेकिन एंजिला के जैसे पैर वही जम से गए जबकि सुनंदा ये नजारा देख जैसी उसका कलेजा फटने लग एक बेजान पुतले की तरह सिर्फ आरव के कटे सिर को देखती रही जबकि...

BD – (गुस्से में बोला) सोचा था प्यार से करूंगा ये काम लेकिन उस समारा की वजह से सारा खेल बिगड़ गया मेरा (परी , लिसा, अलीशा और एंजिला को देख के) कोई बात नहीं आरव न सही तो मै हूँ ना तुम चारों का पति वैसे भी भाई के बाद उसकी हर चीज पे अधिकार उसके भाई का ही होता है चारों के बाद (सुनंदा को देख) अपनी मां को भोग कर मै डेविल राज का राजा बन जाऊंगा पूरा डेविल राज्य सिर्फ मेरा होगा...

BD अपने भाई आरव को मार के खुशी से इतना कुछ बोले जा रहा था तभी उसके पीछे से सुनंद ने वार किया जिससे BD दूर जा गिरा इससे पहले सुनंदा वर करती तभी योगिनी आ गई समारा की गर्दन में चाकू लगा के....

योगिनी – (सुनंदा से) रुक जा वर्ना इसकी गर्दन धड़ से अलग कर दूंगी मै...

सुनंदा – (ये नजारा देख रुक जाती है और मन में बोलती है) मन में – गुरुदेव मदद करिए हमारी....

तभी BD खड़ा होके मुस्कुराने लगता है पास आके...

BD – (योगिनी से) योगिनी मुझे आज के आज ही सब कुछ हासिल करना है बदले में मै तुझे (सुनंदा की तरफ इशारा करके) इसका शरीर दूंगा...

योगिनी – (खुश होके) जरूर महाराज ऐसा ही होगा....

BD – (सुनंदा से) जिस राज्य में मेरा हक होना चाहिए था वो तूने अपने चहीते बेटे को दे दिया था ना देख तेरी वजह से क्या हाल हो गया तेरे चहीते बेटे का अगर तू चाहती है इसके आगे कुछ अनर्थ ना हो चुप चाप से बात मान जा मेरी वर्ना तेरे चहीते बेटे का जो हाल हुआ है उससे बुरा हाल करूंगा उसकी तीनों पत्नियों का...

बोल के जब BD ने देखा सुनंदा शांत है जिसे देख BD ने आगे कदम बढ़ाया आरव की चारों बीवियों की तरफ इससे पहले BD उन्हें छूता तभी राज गुरु ज्ञानेन्द्र प्रकट हो गए रत्नेश और अग्निशा के साथ आते ही उन्होंने अपनी छड़ी को जमीन में जोर से मारा जिस वजह से सुनंदा , परी , लिसा , एंजिला , शीना और समारा को छोड़ के BD और योगिनी दूर जा गिरे जब तक ये दोनों संभालते तब तक राज गुरु ज्ञानेन्द्र ने सभी के चारों तरफ ऊर्जा से बना एक गोला बना दिया जिसके बाद...

सुनंदा – (गुस्से में BD से) जिस राज्य को पाने के लिए तूने अपने भाई को मारा अपनी मां का अपमान किया अपनी बीवी के प्यार का अपमान किया इन सब का हिसाब तुझे देना होगा करले जितना राज करना है डेविल लोक में लेकिन जल्द ही मेरा आरव आएगा तुझे सब कुछ छीन के तेरा सर्वनाश करेगा...

जिसके बाद सभी एक साथ वहां से गायब हो गए साथ ही आरव का शरीर भी...
.
बीच के कुछ हिस्सों को मैने डिटेल में नहीं लिखा क्योंकि उन हिस्सों को कहानी के FLASHBACK में दिखाऊंगा
.
.
जारी रहेगा✍️✍️
Bahut hi badhiya update diya hai DEVIL MAXIMUM bhai....
Nice and beautiful update....
 

Sushil@10

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UPDATE 3

DEVIL LOK

PART 3

अगली सुबह से डेविल लोक में चहल पहल मची हुई थी क्योंकि रानी मा अपने बेटे आरव की विवाह की तैयारी में लगी हुई थी अपने राज्य को लोगो को बोल के पूरे महल को सजाने का काम शुरू करवा दिया था जबकि इस तरफ आरव और उसकी बीवी परी दोनों इस वक्त महल के बाहर बने बगीचे में भी टहल रहे थे...

आरव – (परी के पैरों में बंधी पायल की झंकार सुन रहे थे जब वो आरव के बगीचे में टहल रही थी) तुम्हारी पायल की झंकार कितनी मधुर है परी जैसे ये पायल की झंकार ना हो के मेरे दिल की धड़कन हो...

परी – (मुस्कुरा के) ये पायल भी आपका दिया तोहफा है मेरे लिए...

आरव – एक बात बताओ परी विवाह के वक्त आप क्या पहनोगे...

परी – जो मेरे राजा बोलो वही...

आरव – मै चाहता हूँ कल विवाह के वक्त तुम्भी शादी का लाल जोड़ा पहनो साथ ही ये पायल भी...

परी – अच्छा फिर आप कहेंगे कि मंडप में भी बैठने साथ में...

आरव – (मुस्कुरा के) तुम सच में मेरे दिल की बात जान लेती हो परी....

परी – (मुस्कुरा के) हमारा विवाह तो पहले ही हो चुका है फिर कल क्यों....

आरव – क्योंकि मैं चाहता हूँ कल ही सबको पता चल जाए कि हमारी एक नहीं बल्कि 4 बीवियां है...

परी – (हस्ते हुए) वो तो वैसे भी सबको पता है लेकिन आपके मन में चल कुछ और रहा है...

आरव – (मुस्कुरा के) में चाहता हूँ कल तुम भी हमारे साथ मंडप में रहो तीनों बीवियों के साथ...

परी – नहीं मै सिर्फ आपके साथ अपना हर लम्हा बिताना चाहती हूँ सिर्फ आपके साथ अकेले में बाकी मंडप में मै आपके साथ रहूंगी ही हर वक्त और आप अब जिद नहीं करेंगे इस बात के लिए...

बोल के परी मुस्कुराने लगी...

आरव – (मुस्कुरा के) जैसी आपकी आज्ञा हो महारानी साहेबा लेकिन हम सिर्फ यही चाहते थे कि आप भी साथ रहे मंडप में ताकि आपको बुरा न लगे...

परी – मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगेगा क्योंकि मैं आपसे सबसे ज्यादा प्यार करती हु आपकी कोई भी बात मुझे कभी गलत नहीं लगेगी...

इन दोनों की बातों का सिलसिला ऐसे ही चलता रहा यहां जबकि महल के बाहर बनी गैलरी में इस वक्त BD और योगिनी ये दोनों मिल के आरव और परी को देख रहे थे प्यार भरी बाते करते हुए जिसे देख...

योगिनी – क्या सोच रहे है आप...

BD – बहुत खूबसूरत है परी और आज तो कुछ ज्यादा ही सुंदर लग रही है (योगिनी से) योगिनी मै परी को पाना चाहता हूँ किसी भी कीमत पर...

योगिनी – (मुस्कुरा के) लगता है दिल आ गया है आपका परी पे...

BD – जब से इसे देखा है तब से इसे पाने की लालसा जागी है दिल में...

योगिनी – (मुस्कुरा के) ओह तो आप परी को भोगना चाहत है...

BD – हा योगिनी...

योगिनी – (मुस्कुरा के) तब तो मुझे कुछ ऐसा करना होगा जिससे आपका काम आसानी से बन जाय...

BD – और वो कैसे...

योगिनी – क्यों न मै अपनी तरह आपके शरीर को किसी के साथ बदल दू तो...

BD – मेरा शरीर किसके साथ बदलोगी...

योगिनी –आपके भाई आरव के साथ...

BD – (मुस्कुरा के) सच में अगर ऐसा हो गया तो...

योगिनी – तो दुनिया के लिए आरव सिर्फ नाम का राजा होगा असली राजा तो आप होगे और आप परी के साथ आरव की तीनों बीवियों को भोग सकेंगे...

BD – (खुश होके) उसके बाद मुझे मा का भी डर नहीं होगा सारी ताकत मेरे पास होगी...

योगिनी – नहीं भोगना तो आपको अपनी मां को भी पड़ेगा क्योंकि सिर्फ वही एक ऐसी दिक्कत है जो आपको रोक सकती है उनकी ताकत को आप कम आंकने की सोचना भी मत डेविल लोक की शक्तियां जब आपके अन्दर समाएगी जो राजा को मिलती है उसका अंदाजा आपको पूरी तरह से होने में कुछ वक्त लग सकता है लेकिन आपकी मां उतने में जाने क्या कुछ कर जाय जिससे आपकी इतने सालों की सारी मेहनत बेकार हो जाएगी...

BD – तो तुम बताओ कैसे भोगु उस औरत को...

योगिनी – उसके लिए कुछ ऐसा करना पड़ेगा जिससे आपकी मां खुद राजी हो जाएं...

BD – कैसे होगा ये...

योगिनी – आज रात को ही मै अपनी सारी शक्तियों को पाने की क्रिया करूंगी ताकि मेरी सारी शक्तियां जल्द से जल्द जागृत हो जाएं जिसके लिए मुझे ध्यान में जाना होगा आज रात को सबके सोने के बाद मै ये कार्य करूगी सुबह तक मेरा कार्य सफल हो जाएगा उसके बाद मै बताऊंगी क्या और कैसे करना है आपको...

एक तरफ योगिनी और BD मिल के योजना बना रहे थे डेविल लोक में खुद का राज कायम करने के लिए दूसरी तरफ आरव और परी इन सब बातों से अंजान अपनी प्रेम लीला में व्यस्त थे तीसरी तरफ रानी सुनंदा महल को सजाने की तैयारी में लगी थी अपने बेटे आरव के विवाह के लिए जबकि महल से दूर एक गुफा में समारा इंतजार कर रही थी सूरज ढलने का इन सब बातों से दिन बीत गया शाम होने को आई तब समारा भालों का सहारा लेके गुफा से बाहर निकल के महल की तरह जाने लगी जिसमें उसे काफी वक्त लग सकता है क्योंकि इस वक्त समारा एक अधेड़ उम्र की औरत के शरीर में थी जिसमें ताकत की कमी थी लेकिन समारा पूरे हौसले के साथ आगे बढ़ती जा रही थी...

रात के वक्त जब सब सोने की तैयारी कर रहे थे तब...

योगिनी – (मतलब समारा अपनी दासी से जिसका नाम अग्निशा था) ए दासी सुन...

अग्निशा – (योगिनी याने समारा को देख) मन में – आज महारानी इस तरह से कैसे बात कर रही है मेरे से...

योगिनी (समारा) – सुनाई नहीं दे रहा है क्या तुझे बुला रही हूँ...

अग्निशा – (अपनी सोच से बाहर आके) जी महारानी...

योगिनी (समारा) – हमारा एक काम करो बाजार जाके (एक पत्रिका देते हुए) इसमें लिखे समान लेके आओ जल्दी से...

अग्निशा – महारानी इस वक्त कैसे आधी रात हो गई है अभी हर कोई अपने घर में आराम कर रहा होगा...

योगिनी (समारा) – तो उनको जगा देना बोल देना महल में ले जाना है समान कल राजा का विवाह है ना माने तो दंड मिलेगा...

बोल के योगिनी (समारा) चली जाती है उसे जाता हुए देख...

अग्निशा – (मन में) ये आज महारानी को क्या हो गया है इस तरह से कैसे बात कर रही है मुझसे इन्होंने आज तक तो कभी मुझे दासी नहीं कहा मेरा नाम लेके बुलाती थी...

सोचते सोचते अग्निशा चली गई महल के बाहर योगिनी (समारा) के लिए समान लेने जबकि दूसरी तरफ समारा धीरे धीरे चलते चलते महल की तरफ बढ़ती जा रही थी आखिर कार समारा की मेहनत रंग लाई वो महल के द्वार के बाहर तक आ गई थी द्वार में आके सोचने लगी कैसे महल के अंदर जया जाय लेकिन तभी समारा ने देखा उसकी दासी अग्निशा आ रही है बाहर से महल में जाने के लिए उसे देख....

समारा – (पुकारने हुए) अग्नि...

अग्निशा –(अपना नाम सुन आवाज की दिशा पे देखती है जहां एक बूढ़ी औरत खड़ी दिखती है उसके पास जाके) कौन हो आप और आपको मेरा नाम कैसे पता...

समारा – मुझे ये भी पता है कि तेरा नाम अग्निशा है तुझे प्यार से अग्नि बोलती हूँ...

अग्निशा – लेकिन इस नाम से तो सिर्फ महारानी समारा पुकारती है मुझे...

समारा – मै जानती हु अग्नि मै ही तुझे इस नाम से पुकारती हु...

अग्निशा – क्या मतलब है आपका और आप है कौन कहा से आई है वो भी इतनी रात में...

समारा – मेरी बात ध्यान से सुनो अग्नि मै सच बोल रही हूँ मै ही समारा हूँ और जिसे तुम महल में देख रही हो वो शरीर मेरा है लेकिन आत्मा एक चुडैल की है जिसने मेरा शरीर छल से ले लिया...

अग्निशा – (कुछ न समझते हुए) क्या बोले जा रही हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है जाके आराम करो कल मिलना रात में राजा के विवाह में खाना भी मिलेगा सबको....

समारा – (अग्नि को अपनी बात का यकीन दिलाने के लिए बोलती है) अग्नि तुम्हारी मुद्रिका तुमसे खो गई थी न तब मैने ही अपनी मुद्रिका तुम्हे दी थी जिस वजह से आज भी तुम इस महल की दासी हो नहीं तो तुम्हे कब का निकाल दिया जाता...

तभी समारा की बात सुन अग्निशा के कदम रुक जाते है पलट के औरत को देख के...

अग्निशा – ये बात तो मेरे और महारानी समारा के इलावा कोई नहीं जानता है इसका मतलब आप सच में महारानी समारा हो...

समारा – हा अग्नि मै ही समारा हूँ और मेरे इलावा कौन तुझे अग्नि नाम लेके बुलाता है...

अग्निशा –(अपने मू पर हाथ रख के) आपके साथ ये किसने किया...

समारा – मै तुझे सब कुछ बताऊंगी अग्नि मुझे किसी तरह से बिना किसी की नजर में आए महल में ले चल रानी मा के पास...

अग्निशा – लेकिन इस वक्त सब सो रहे है ऐसे करिए आप मेरे साथ चलिए महल में मै बोल दूंगी द्वार पल को की मेरी मू बोली चाची हो आप....

BD और योगिनी इस बात से अंजान की उनकी चाल को नाकामयाब करने के लिए महल में समारा आ चुकी है जबकि योगिनी BD के साथ अपने कमरे में बैठ अपने ध्यान में लगीं हुई थी ताकि उसकी शक्तियां जागृत हो जाएं इस तरफ अग्निशा अपने साथ समारा को लिए महल में अन्दर अपने कमरे मे चली आती है जहां समारा को खाना खिला के आराम करने देती है अगले दिन सुबह तक योगिनी अपने शक्तियां हासिल कर लेती है...

योगिनी – (अपने ध्यान से खड़ी होके BD से) मै कामयाब हो गई ये देखिए (अपने हाथ में कंगन दिखा के) ये है मेरी शक्तियां...

BD – ये कंगन किस लिए...

योगिनी – (मुस्कुरा के) सालों में मैने जितनी शक्तियां हासिल की है एक बार में शरीर में धारण करना इतना आसान नहीं होता धीरे धीरे धारण की जाती है शक्तियां इसीलिए मैने अपनी सारी शक्तियों को इन कंगन में इक्कठा किया है (बोल के कंगन अपने हाथ में पहन के) आज रात से ही आपके मकसद को पूरा करेंगे हम मिल के...

बोल के दोनों मुस्कुराने लगे जबकि इस तरफ समारा बेड में लेती हुई थी अग्निशा के इंतजार में जो उसे बोल के गई थी कि किसी तरह रानी मा सुनंदा को लेके आएगी समारा के पास लेकिन अग्निशा की कोशिश के बावजूद वो सुनंदा के पास नहीं जा पा रही थी क्योंकि आज आरव के विवाह की तैयारी चल रही थी जिसमें महल के सभी कर्मचारी किसी ना किसी काम में लगे हुए थे धीरे धीरे करके रात होने को आई तब योगिनी ने रसोई घर में जाके जहां महल के सैनिकों के लिए भोजन बन रहा था उसने चुपके से बिना किसी की नजर में आए खाने में एक द्रव्य मिला दिया जिसके बाद BD के पास आके...

योगिनी – मैने सैनिकों के खाने में द्रव्य मिला दिया है अब महल के सैनिकों को वफादारी सिर्फ आपके प्रति होगी ना कि कीसी और के (द्रव्य देते हुए BD को) इसे पी केलीजिए इसके बाद सैनिक सिर्फ आपका हुकुम मानेंगे किसी गुलाम की तरह...

बात सुन BD उसे पी लेता है रात के वक्त महल के बाहर मंडप में एक तरफ आरव बैठा था उसके दूसरी तरफ पश्चिम राज्य के राजा की बेटी लिसा उत्तर राज्य के राजा की बेटी एंजिला और पूरब राज्य के राजा नागेंद्र की बहन शीना दुल्हन के लिबास में बैठी हुई थी जहां महल के कुलगुरु ज्ञानेन्द्र उनका विवाह करवा रहे थे जिसके बाद उन्होंने आरव को अपना हाथ आगे करने को बोला जिसके बाद आरव की चौथी पत्नी परी को बुला के उसके भी हाथ आगे करवाया और अब आरव की चारों पत्नियों को हाथ आगे कर आरव के हाथ में हाथ रखने को कहा तब कुल गुरु ज्ञानेन्द्र उसमें कमंडल से जल डाल के मंत्र पड़ने लगे जिसके बाद एक रोशनी आई जो सीधा जाके आरव , परी , लिसा , एंजिला और शीना के अन्दर समा गई जिसके बाद...

कुलगुरु ज्ञानेन्द्र – (मुस्कुरा के सभी से) विवाह पूर्ण हुआ...

जिसके बाद सभी के चेहरे पर खुशी साफ झलकने लगी तब आरव और उनकी पत्नियों ने सभी का आशीर्वाद लिया और भोजन करके महल की तरफ चले गए तभी मौका पाके अग्निशा रानी सुनंदा के पास जाती जहां उसके साथ इस वक्त महल के कुछ लोग साथ थे...

अग्निशा – (रानी सुनंदा से) रानी मां आपसे एक जरूरी बात कहनी है...

सुनंदा – हा बोलो क्या बात है...

अग्निशा – रानी मा मेरी मू बोली चाची आई हुई है वो आपसे मिलना चाहती है उनके पैरों में बहुत तकलीफ है क्या आप मेरे कक्ष में उनसे मिलेगी वो कल सुबह यहां से जाना चाहती है...

रानी सुनंदा – (मुस्कुरा के) ठीक है चलो हम जरूर मिलेगे उनसे...

बोल के सुनंद जाने लगती है अग्निशा के साथ उसके कक्ष में जबकि इस तरफ BD के कमरे में...

योगिनी – मैने तैयारी कर ली है महाराज क्या आप तैयार है राजा बनने के लिए....

BD – हा तैयार हूँ मै...

योगिनी – बस अब आपको किसी तरह अपने भाई से अकेले में मिलना होगा और जो मै बताऊंगी आपको वो करना होगा जिसके बाद आप अपने भाई के शरीरी में होगे....

BD – लेकिन फिर आरव का क्या होगा....

योगिनी – (मुस्कुरा के BD से) ये लीजिए महाराज (हाथ में द्रव्य देते हुए साथ में कान में मंत्र बोलती है) जब आप अपने भाई से अकेले में मिलो तब आप इस द्रव्य को पी लीजिए गा और उसके बाद अपने भाई के सिर पे हाथ रख ये मंत्र पढ़िए गा जिसके बाद आप अपने भाई के शरीर में होगे और आपका भाई आपके मूर्छित शरीर में होगा जो इस द्रव्य से होगा मूर्छित...

जिसके बाद BD निकल जाता है आरव के कमरे की तरफ अपना काम करने के लिए जबकि इस तरफ योगिनी बहुत खुश होती ही तभी उसके दिमाग में ख्याल आता है समारा का...

योगिनी – (समारा को याद कर) ओह इस चक्कर में उस महारानी को कैसे भूल गई जरा पता तो लगाऊं जिंदा है या मर गई...

बोल के योगिनी ध्यान में चली जाती है और तभी गुस्से में अपनी आंख खोल देती है क्योंकि योगिनी ने देख लिया था समारा को जो इस वक्त महल में है रानी सुनंदा के साथ...

सुनंदा जैसे ही अग्निशा के कमरे में जाती है अपने सामने अधेड़ उम्र की औरत को देखती है तब अग्निशा , सुनंदा को सारी सच्चाई बताती है जिसे सुन पहले तो सुनंदा को यकीन नहीं होता जिसके बाद समारा के सिर पे हाथ रखती है तभी उसे झटका लगता है तब...

समारा – (सुनंदा के पैरों में गिर के) मुझे माफ कर दीजिए मा मैने बहुत बड़ी गलती कर दी...

सुनंदा – (समारा को संभालते हुए) नहीं मेरी बच्ची तूने कोई गलती नहीं की तू कहा जानती थी सच क्या था बस घबरा मत मेरी बच्ची अब मै आ गई हु कुछ नहीं होगा तुझे मैं कुछ नहीं होने दूंगी तुझे (अग्निशा से) अग्निशा उस योगिनी के कमरे में जाके उसे किसी तरह यहां लेके आना होगा तुम्हे बोल देना रानी मा का आदेश है...

अग्निशा – जी रानी मा...

बोल के अग्निशा निकल जाती है कमरे से जबकि इस तरफ योगिनी ध्यान में ये सब देख तुरंत अपने कमरे से बाहर निकल दौड़ के जाके BD को रोक उसे सारी बात बता देती है जिसके बाद BD गुस्से में आ जाता है कमरे में आता है तब...

BD – (गुस्से में) बहुत बड़ी गलती कर दी हमने उस समारा को कम आका मैने...

योगिनी – ये वक्त इन सब बातों का नहीं है महाराज ये वक्त फैसला लेने का है अगर आपको राजा बनना है तो आपको अपने भाई आरव का शरीर नहीं बल्कि आपको खुद आरव को मारना होगा और उसकी जगह लेनी होगी...

BD – (गुस्से में) मंजूर है हमें...

योगिनी – (मन में मंत्र पड़ती है जिसके बाद उसके हाथ में एक तलवार आती है जिसे BD को देके) ये लीजिए महाराज तलवार इस तलवार के सामने किसी भी प्रकार की कोई भी शक्ति काम नहीं करेगी अपने गुलाम सैनिकों के साथ हमला बोल दीजिए जाके...

जिसके बाद BD निकल जाता है सैनिकों के साथ आरव के कमरे में लेकिन इससे पहले BD अपने कमरे से बाहर निकलता की तभी कमरे के बाहर खड़ी अग्निशा दोनों की सारी बात सुन लेती है जैसे ही BD कमरे से बाहर निकलने वाला होता है तभी अग्निशा दरवाजे से निकल जाती है रानी सुनंदा के कमरे में उन्हें सारी बात बता देती है तब...

सुनंदा – (अग्निशा से) तुरंत जाके रत्नेश को बुलाओ तुम मै जाती हु आरव के पास...

बोल के जैसे ही सुनंदा कमरे से बाहर निकलने को होती है तभी उसके सामने योगिनी आ जाती है जिसे देख...

योगिनी – (मुस्कुरा के) क्या बात है रानी मा बहुत जल्दी में है आप...

बोल के अपनी शक्ति से वर करती है योगिनी , सुनंदा पे लेकिन सुनंदा पे कोई असर नहीं होता लेकिन जब सुनंदा वार करती है शक्ति से तब कुछ नहीं होता जिसे देख...

योगिनी – (मुस्कुरा के) आपकी शक्ति को काट नही है मेरे पास रानी मा लेकिन कुछ पल के लिए रोक सकती हूँ आपकी शक्तियों को तब तक आपक बेटा अपना काम कर चुका होगा...

तभी योगिनी के पीछे से आके अग्निशा उसके सिर में वार करती है जिस वजह से योगिनी बेहोश हो जाती है जिसे देख...

सुनंदा – (योगिनी के शरीर को देख अग्निशा से) अग्निशा जल्दी से समारा को यहां लेके आओ...

जिसके बाद अग्निशा तुरंत समारा को लेके आती है सुनंदा के पास...

सुनंदा – (समारा से) जल्दी से अपना हाथ (योगिनी की तरफ इशारा करके) इसके हाथ में रखो...

जैसे ही समारा अपना हाथ योगिनी के हाथ में रखती है तभी सुनंदा समारा के शरीरी पे हाथ रख कुछ बोलती है और तुरंत समारा जाग जाती है जिसके बाद...

समारा – (सुनंदा से) मा मै वापस आ गई...

सुनंदा – (समारा और अग्निशा से) अग्निशा जाके रत्नेश को बुला के लेके आओ और समारा तुम इस औरत के शरीर को कमरे में बंद कर दो और इसके ये कंगन उतार फेक देना...

बोल के सुनंद निकल जाती है आरव के कमरे की तरफ जबकि इस तरफ जब सुनंदा और योगिनी का सामना हो रहा था तब BD आचुका था आरव के कमरे में जहां आरव अपनी चारों पत्नियों से बाते कर रहा था इस बात से अंजान काल के रूप में उसका भाई उसकी तरफ बढ़ता जा रहा है तभी आरव के कमरे में दरवाजा खटखटाया जाता है जिसे देख...

आरव – (दरवाजा खोल सामने अपने भाई को देख) क्या हुआ भाई इतनी रात में इस वक्त...

BD – (मुस्कुरा के) तुम्हे विवाह का तोहफा देने आया हु भाई...

बोल के आरव के सीने में तलवार उतार दी जिसे देख अचानक से आरव की चारों पत्नियों की चीख निकल गई तभी...

आरव ने दरवाजे से ही BD को एक लात मारी और दरवाजा बंद कर दिया सीने में तलवार लिए आरव ने अपनी चारों पत्नियों को बोला...

आरव – जितनी जल्दी हो सके निकल जाओ यहां से तुम चारों...

परी – (रोते हुए) मै आपको छोड़ के कही नहीं जाऊंगी...

आरव – परी ये वक्त रोने का नहीं है अपने साथ लिसा , शीना और एंजिला को बचाओ...

शीना – (रोते हुए) चाहे कुछ भी हो हम आपको छोड़ के कही नहीं जाएंगे....

इससे पहले आरव कुछ बोलता तभी आरव जमीन में गिर गया दर्द के चलते जिसे देख एंजिला ने आरव के सीने से तलवार को निकलने के लिए उसमें हाथ लगाया ही था कि तभी एंजिला को एक झटका लगा...

परी – क्या हुआ एंजिला....

एंजिला – (हैरानी से) दीदी ये काले जादू से बनी जहरीली तलवार है इसकी वजह से ही इनकी तकलीफ बढ़ती जा रही है...

लिसा – (बाते सुन के) हमे अपनी शक्ति का इस्तेमाल करना चाहिए उससे हम इन्हें बचा सकते है...

तीनों की बात सुन के...

परी – कैसे करना है मै भी साथ दोगी तुम तीनों का...

लिसा – दीदी अपनी शक्ति का इस्तमाल करने के लिए आपको अपने दिल से उसे याद करिए तो शक्तियां काम करने लगेगी....

इसके बाद चारों मिल के कोशिश करते है लेकिन पहली बार में हर कोई कामयाब हो ऐसा मुमकिन नहीं लेकिन यहां पर ऐसा हुआ चारों की शक्तियों ने काम किया लेकिन तभी चारों को एक तेज झटका लगा क्योंकि जैसे ही शक्ति आरव के शरीर से टकराई वैसे पलट के वापस आ गई लेकिन तभी दरवाजा तोड़ने की कोशिश की जा रही थी बाहर से जिसे BD कर रहा था सैनिकों के साथ एक जोर दार झटके के साथ दरवाजा टूटा और BD कमरे में आने लगा तभी पीछे से सुनंदा ने आके BD के शरीर में अपनी शक्ति का वार किया जिसके बाद BD दूर जा के गिरा लेकिन तुरंत खुद को सम्भल के आरव की तरफ बढ़ने लगा उसके सीने से तलवार निकलने के लिए जबकि सुनंदा की नजर जैसे ही आरव पर पड़ी सब कुछ भूल के आरव के पास दौड़ पड़ी...

सुनंदा – (रोते हुए) आरव मेरे बच्चे मै तुझे कुछ नहीं होने दूंगी...

बोल के सुनंदा तलवार को निकालने लगी आरव के शरीर से तलवार निकलते वक्त सुनंदा को कई झटके लग रहे थे लेकिन सुनंदा रुकी नहीं इस वक्त सुनंदा का पूरा ध्यान सिर्फ आरव के सीने से तलवार निकालने में था इस मौके का फायदा उठा के BD ने पास आके आरव की चारों पत्नियों को लात मार के दूर किया फिर सुनंदा को लात मार के दूर किया और एक झटके में आरव के शरीर से तलवार निकाल के उसके उसके सिर को धड़ से अलग कर दिया ये नजारा देख परी बेहोश हो गई उसके साथ लिसा , शीना भी लेकिन एंजिला के जैसे पैर वही जम से गए जबकि सुनंदा ये नजारा देख जैसी उसका कलेजा फटने लग एक बेजान पुतले की तरह सिर्फ आरव के कटे सिर को देखती रही जबकि...

BD – (गुस्से में बोला) सोचा था प्यार से करूंगा ये काम लेकिन उस समारा की वजह से सारा खेल बिगड़ गया मेरा (परी , लिसा, अलीशा और एंजिला को देख के) कोई बात नहीं आरव न सही तो मै हूँ ना तुम चारों का पति वैसे भी भाई के बाद उसकी हर चीज पे अधिकार उसके भाई का ही होता है चारों के बाद (सुनंदा को देख) अपनी मां को भोग कर मै डेविल राज का राजा बन जाऊंगा पूरा डेविल राज्य सिर्फ मेरा होगा...

BD अपने भाई आरव को मार के खुशी से इतना कुछ बोले जा रहा था तभी उसके पीछे से सुनंद ने वार किया जिससे BD दूर जा गिरा इससे पहले सुनंदा वर करती तभी योगिनी आ गई समारा की गर्दन में चाकू लगा के....

योगिनी – (सुनंदा से) रुक जा वर्ना इसकी गर्दन धड़ से अलग कर दूंगी मै...

सुनंदा – (ये नजारा देख रुक जाती है और मन में बोलती है) मन में – गुरुदेव मदद करिए हमारी....

तभी BD खड़ा होके मुस्कुराने लगता है पास आके...

BD – (योगिनी से) योगिनी मुझे आज के आज ही सब कुछ हासिल करना है बदले में मै तुझे (सुनंदा की तरफ इशारा करके) इसका शरीर दूंगा...

योगिनी – (खुश होके) जरूर महाराज ऐसा ही होगा....

BD – (सुनंदा से) जिस राज्य में मेरा हक होना चाहिए था वो तूने अपने चहीते बेटे को दे दिया था ना देख तेरी वजह से क्या हाल हो गया तेरे चहीते बेटे का अगर तू चाहती है इसके आगे कुछ अनर्थ ना हो चुप चाप से बात मान जा मेरी वर्ना तेरे चहीते बेटे का जो हाल हुआ है उससे बुरा हाल करूंगा उसकी तीनों पत्नियों का...

बोल के जब BD ने देखा सुनंदा शांत है जिसे देख BD ने आगे कदम बढ़ाया आरव की चारों बीवियों की तरफ इससे पहले BD उन्हें छूता तभी राज गुरु ज्ञानेन्द्र प्रकट हो गए रत्नेश और अग्निशा के साथ आते ही उन्होंने अपनी छड़ी को जमीन में जोर से मारा जिस वजह से सुनंदा , परी , लिसा , एंजिला , शीना और समारा को छोड़ के BD और योगिनी दूर जा गिरे जब तक ये दोनों संभालते तब तक राज गुरु ज्ञानेन्द्र ने सभी के चारों तरफ ऊर्जा से बना एक गोला बना दिया जिसके बाद...

सुनंदा – (गुस्से में BD से) जिस राज्य को पाने के लिए तूने अपने भाई को मारा अपनी मां का अपमान किया अपनी बीवी के प्यार का अपमान किया इन सब का हिसाब तुझे देना होगा करले जितना राज करना है डेविल लोक में लेकिन जल्द ही मेरा आरव आएगा तुझे सब कुछ छीन के तेरा सर्वनाश करेगा...

जिसके बाद सभी एक साथ वहां से गायब हो गए साथ ही आरव का शरीर भी...
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बीच के कुछ हिस्सों को मैने डिटेल में नहीं लिखा क्योंकि उन हिस्सों को कहानी के FLASHBACK में दिखाऊंगा
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जारी रहेगा✍️✍️
Beautiful update and nice story
 
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