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Nice update broUPDATE 7
शाम के समय शहर के बीचों बीच में खड़ी एक अलीशा हवेली के कमरे में सरला देवी (दादी) अपने कमरे में किसी गहरी सोच में डूबी हुई थी उनके चेहरे को देख के इस लग रहा था मानो किसी गहरी चिंता में डूबी हुई है तभी उनके कमरे में उनकी पोती (खुशी) हाथ में चाय लिए आती है...
खुशी – (कमरे में चाय लाते हुए) दादी चाय...
लेकिन जैसे सरला देवी का ध्यान इस वक्त कही और था जबकि कई बार खुशी ने चाय के बारे में बोला सरला देवी से लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया तब...
खुशी – (सरल देवी के कंधे पे हाथ रख के) दादी क्या बात है आप ठीक हो...
सरला देवी – (अपनी सोच से बाहर आके अपने कंधे पर अपनी पोती खुशी का हाथ देख) अरे बेटा तू कब आई कोई काम था क्या...
खुशी – दादी मै कब से आपको आवाज दे रही थी क्या हुआ दादी आप ठीक हो ना...
सरला देवी – (हल्का मुस्कुरा के) हा बेटा मै ठीक हूँ तू बता कोई काम था क्या...
खुशी – चाय देने आई थी आपको दादी...
सरला देवी – अच्छा रख दे मै पी लूंगी...
खुशी – (चाय टेबल पे रख के) क्या बात है दादी आप किस ख्याल में डूबी हो बताओ ना...
सरला देवी – कही नहीं बेटा बस ऐसे ही कुछ सोच रही थी...
खुशी – किस बारे में सोच रहे थे आप...
सरला देवी – (खुशी को देख हल्का मुस्कुरा के) कुछ नहीं बेटा तू छोड़ और बता कुछ नया हुआ क्या घर में...
खुशी – (मुस्कुरा के) होना क्या है आज दादी जाने किस ख्याल में खोई हुई थी देख के ऐसा लगता था जैसे दादी की जगह फूलन देवी हो...
बोल के हंसने लगी जिसे देख सरला देवी हंसने लगी तब...
सरला देवी – (गुस्से का नाटक करते हुए) अच्छा मै फूलन देवी हूँ रुक तुझे अभी बताती हु खुशी की बच्ची बहुत बोलने लगी है तू...
बोल के सरला देवी खुशी के पीछे आई तब तक खुशी कमरे के बाहर आ गई साथ में सरला देवी भी तब...
खुशी – (अपने कमरे में जाने के लिए सीडीओ में चढ़ते हुए पलट के बोली) और नहीं तो क्या कहा मेरी ऐश्वर्या राय दादी आज फूलन देवी बन गई...
बोल के अपने कमरे में चली गई हस्ते हुए उसके जाते ही सरला देवी भी हंसने लगी तभी सुमन और सुनैना हाल में आ गई आते ही...
सुमन (साहिल की मां) – (सरला देवी से) क्या हुआ मा...
सरला देवी – (हस्ते हुए) कुछ नहीं खुशी की बात सुन के हसी आ गई...
तभी पलट के अचानक से सरला देवी की नजर दीवार पे बने एक छोटे से छेद में गई जिसे देख सरला देवी की हसी जैसे कही गायब हो गई अब सरला देवी की चेहरे से हसी की जगह गंभीरता आ गई साथ ही आंख से आंसू की एक बूंद जिसे देख...
सुनैना (साहिल की छोटी चाची) – (सरला देवी के कंधे पे हाथ रख के) क्या हुआ मा...
सरला देवी – (बिना पलटे सुनैना से) कुछ नहीं बहू ऐसा लगता है मेरे मरने के बाद भी मेरी आत्म भटकती रहेगी अपने बच्चे की चिंता लिए...
सरला देवी की बात सुन सुमन और सुनैना समझ जाते है कि साहिल के बारे में सोच रही है सरला देवी तभी...
सुमन – मा आप कुछ ज्याद नहीं सोच रही है और ये क्या बात बोले जा रही हो आप बुरी चीजों के बारे में कभी सोचा नहीं करते आपका परिवार आपके साथ है हमेशा बस आप ऐसी बाते मत सोचा करिए मा...
सरला देवी – एक मा के लिए उसका बच्चा क्या होता है ये तो वही मा समझ सकती है सिर्फ बाकी किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है सुमन...
आज पहली बार सुमन ने अपनी सास सरला देवी के मू से बहु की जगह अपना नाम सुन के चुप हो गई जिसके बाद....
सरला देवी – इन्होंने (अपने पति) इतनी मेहनत से इतनी बड़ी हवेली बना दी लेकिन उन्हें क्या पता इतनी बड़ी हवेली में रहने वाले लोगों का दिल कितना छोटा है जो सालों से सिर्फ नफरत की आग में जल रहे है इतनी भी शर्म नहीं रही उनमें अपनी इस नफरत की आग में अपने बच्चों को भी शामिल कर दिया सुमन शायद इसीलिए ऊपर वाले ने सजा दी है हमें जो हमारे बाद हमारे नाम का चिराग जलाने वाला होते हुए भी हमें नसीब में नहीं दिया शायद इसीलिए ऊपर वाले ने सिर्फ बेटियां दे दी हमें...
सरला देवी की ऐसी कड़वी बात सुन के सुमन और सुनैना ने अपने मू पे हाथ रख लिया साथ ही दोनों की आंखों से आंसू निकल आए तभी घर में एक आदमी आया आते ही...
आदमी – (सरला देवी से) प्रणाम काकी आपने बुलाया मुझे...
सरला देवी – हा रामू मैने इसीलिए बुलाया है कि कल हम सब गांव जा रहे है तुम गाड़ियों को अच्छे से देख लो क्योंकि कल मुझे कही जाना है उसके बाद वही से गांव जाऊंगी...
रामू – ठीक है काकी मै देख लेता हु...
बोल के रामू चला गया उसके जाने के बाद...
सरला देवी – (बिना देखे सुनैना और सुमन से) कल गांव जा रहे है हम याद रखना गलती से भी कोई गलती न होने पाय किसी से भी साथ ही बच्चों को भी समझा देना वर्ना कही और घर देख लेना अपने रहने के लिए अपने जिगर के टुकड़े के लिए जितना बरदाश करना था कर लिया मैने अब और नहीं...
बोल के सरला देवी अपने कमरे में चली गई उनके जाने के बाद सुमन और सुनैना रोते हुए अपने कमरे में चली गई जैसे ही सुमन अपने कमरे में आई तभी उसकी बेटी कविता ने अपनी मां को रोते देखा....
कविता (साहिल की बहन) – (अपनी मां को रोता देख) क्या हुआ मा आप रो क्यों रहे हो बताओ...
लेकिन सुमन कुछ नहीं बोलती फिर...
कविता – आखिर बात क्या है मा क्यों रोए जा रही हो आप...
सुमन – (अपने आंसू पोछते हुए) कुछ नहीं बस ऐसे ही रोना आ गया...
कविता – क्यों झूठ बोल रही हो मा ऐसे ही कोई रोता ही क्या भला अब बताओ भी बात क्या है...
सुमन – नहीं कोई बात नहीं है बस अपने मम्मी पापा की याद आ गई थी मुझे....
कविता – ओह मै तो डर गई थी जाने क्या होगया आपको....
सुमन – चल जाने दे कल चलने की तैयारी कर ली है ना तूने अपनी...
कविता – हा कर ली है मा...
सुमन – ठीक है और हा ध्यान रखना एक बात का कल वो मिलेगा गांव में कोई बात चित मत करना उसके बारे में तेरी दादी ने बोला बताने को वर्ना घर में आने नहीं देगी दादी किसी को हवेली में समझी अब जाके बाकी बच्चों को भी बता दे....
जिसके बाद कविता कमरे से निकल तो गई लेकिन अपनी किसी सोच में डूबे हुए जाने लगी थी जबकि इधर सुनैना के कमरे में उसकी दोनों बेटियां ने जब अपनी मां को रोता हुआ कमरे में आता देखा तब उन्होंने भी पूछा लेकिन जवाब नहीं मिला जिसके बाद सुनैना ने भी अपनी दोनों बेटी को वही कहा जो सुमन ने बोला अपनी बेटी को गांव के लिए जिसके बाद खुशी और अवनी भी कमरे से बाहर निकली सोनम और पूनम (साहिल की कजिन बहन) के कमरे में जाने के लिए बाहर निकलते ही कविता मिली और मिलते ही...
कविता – तुम दोनों कहा जा रहे हो...
खुशी – हम तो सोनम और पूनम दीदी के कमरे में जा रहे है लेकिन आप कहा जा रही हो...
मै तुम दोनों के पास आ रही थी वो कल गांव चल रहे है हम सब तो मा ने बोला कि सबको बता दे...
खुशी – (बीच में) की उस कातिल से कोई बात ना करे यही ना...
कविता – हा लेकिन तुम्हे कैसे पता...
खुशी – अभी मा भी जाने क्यों रोते हुए कमरे में आई हमने पूछा भी क्यों रो रही है लेकिन नहीं बताया कुछ भी...
कविता – हा यही हाल मेरे मा का भी था...
अवनी – हो ना हो उस कमीने की जरूर बात हुई है जिस वजह से हमारी मां बोल रही है हमें इस बारे में लेकिन समझ में नहीं आई बात की मा किस बात को लेके रो रही थी...
बोलते बोलते तीनों सोनम और पूनम के कमर एम आ गए आते ही उन्हें सब कुछ बता दिया जिसके बाद...
सोनम – देख यार वैसे भी हमारा कोई मतलब नहीं उस कातिल से जो हम उसके बारे में बात करके अपना मन खराब करे वो उसका और दादी का मैटर है हमारा क्या लेना देना हम सिर्फ शादी में चल रहे है शादी होते ही हम अपने घर में होगे और रही उसकी बात तो शायद धीरेन्द्र दादा ने उसकी औकात के हिसाब से उसे बुलाया होगा ताकि काम करवा सके उससे वैसे भी उसका इस घर से कोई ताल्लुख नहीं तो हमें ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है इस बारे में...
पूनम – और न ही तुम लोगों को सोचने की जरूरत है वैसे भी गली के कुत्ते की तरह है तोड़ रहा होगा वहा पर मुफ्त की रोटियां....
खेर आप लोगों को समझ में आया ही होगा कि यहां क्या और किसके बारे में बाते चल रही है चलो चलते है गांव की तरफ जहां साहिल और कमल घूमने निकले है दोनों ही अपनी मस्ती में गांव के खेतों में घूम रहे थे चलते चलते उन्हें खेतों में काम करने वाले कई लोग दिखे साथ ही उन सब ने भी इन दोनों को देखा वजह ये थी कि साहिल और कमल अपनी मस्ती चलते जा रहे थे लेकिन खेतों में काम करने वालों की नजर इसीलिए चली गई इन दोनों पे क्योंकि ये दोनों चलते चलते जंगल की तरफ जा रहे थे तभी साहिल और कमल ने मस्ती की एक दूसरे से जिसके बाद साहिल तेजी से भागा और उसके पीछे कमल भागा हस्ते हुए और तभी एक गांव वाले ने आवाज लगाई चुकी साहिल तेजी से आगे की तरफ भाग रहा था तो उसे आवाज नहीं सुनाई दी लेकिन कमल आवाज सुन रुक गया तभी गांव वाला कमल के पास आके...
गांव वाला – (कमल से) बेटा कहा भागे जा रहे हो तुम...
कमल – कही नहीं काका वो मेरा दोस्त मस्ती कर रहा था उसके पीछे भाग रहा था लेकिन बात क्या है काका....
गांव वाला – बेटा तुम उस जंगल की तरफ मत जाओ वो श्रापित है जंगल...
कमल – (चौक के) कौन सा जंगल काका कैसा जंगल....
गांव वाला – वही बेटा जहां तुम और तुम्हारा दोस्त भाग रहे थे...
कमल – (गांव वाले की बात सुन जैसे ही पलता देखा साहिल नहीं है वहां पर) ये साहिल कहा गया...
बोल के कमल आगे जंगल की तरफ जाने लगा जिसे देख गांव वाले ने कमल का हाथ पकड़ लिया तब....
गांव वाला – रुक जाओ बेटा मत जाओ उस जंगल में वहां पर जाने वाला कभी वापस नहीं आया....
कमल – (गांव वाले से अपना हाथ छुड़ा के) ऐसी बेतुकी बातों को मै नहीं मानता काका...
तभी वहां पे गांव के और लोग भी आ गए जो कमल को रोकने लगे थे लेकिन कमल मानने को तैयार नहीं था काफी बहस होने लगी तभी एक रौबदार आवाज आई जिसे सभी गांव वाले उसे देख...
सभी गांव वाले – प्रणाम राघव बाबू...
राघव – प्रणाम क्या बात है आज सब यहां पे...
तभी एक गांव वाले ने सारी बात बताई राघव को जिसे सुन के....
राघव – (कमल से बात करता है) कौन हो तुम बेटा यहां गांव में किस लिए आए हो...
तभी कमल सारी बात बताता है जिसे सुन के...
राघव – तुम्हारा कहने का मतलब है साहिल जंगल में चल गया (कुछ सोच के सभी गांव वालो से) मशाल लेके आओ हमें जाना होगा इस जंगल में अभी....
यहां ये सब चल रहा था जबकि साहिल जब तेजी से भाग के जंगल में आया था तभी कुछ देर बाद साहिल ने पलट के देखा तो खुद को अकेले पाया जंगल में इसे पहले साहिल कुछ समझ पाता तभी उसे किसी की चीख सुनाई दी जो साहिल के आस पास कही से आ रही थी आवाज की दिशा में थोड़ा आगे बढ़ा ही था साहिल तभी उसने देखा एक लड़की जो पैर पकड़ के पेड़ के नीचे बैठी थी जब साहिल उसके पास गया तभी...
साहिल – (लड़की से) आप क्यों रो रहे हो क्या हुआ आपको...
लड़की – (साहिल तरफ देख) आप मुझसे बात कर रहे हो...
साहिल – हा आपके इलावा कौन है यहां पर और आपके पैर में क्या हुआ है....
लड़की – मेरे पैर में काटा लग गया है...
साहिल – लाइए मै देख लेता हु...
लड़की – नहीं नहीं आप रहने दो मै ठीक हो जाऊंगी अपने आप...
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) हा लेकिन उससे आपका दर्द तो कम नहीं होगा ना वर्ना आप अपने घर कैसे जाओगे यहां से...
तभी साहिल लड़की के पैर को देखता जहां पे काटा लगा हुआ था उसे धीरे से निकलता है जिसके बाद लड़की जमीन में पैर रखती है उसे फिर से हल्का दर्द होता है तभी...
साहिल – एक मिनिट मै कुछ करता हु...
तब साहिल अपनी जेब से रुमाल निकाल के उसे अच्छे से लड़की के पैर में बांधता है...
साहिल – अब पैर नीचे रख के खड़ी हो जाओ...
जैसे ही लड़की खड़ी होती है उसे अब दर्द नहीं होता है तब हल्का सा मुस्कुरा के....
लड़की – शुक्रिया आपक आपने मेरी मदद की...
साहिल – कोई बात नहीं लेकिन आप अकेले इस जंगल में क्या कर रहे हो...
लड़की – (मुस्कुरा के) आप भी तो अकेले हो जंगल में...
साहिल – हा मै अपने दोस्त के साथ था थोड़ी मस्ती कर रहे थे तभी मैने आपकी आवाज सुनी तो यहां आ गया...
लड़की – अकेले जंगल में आपको डर नहीं लगा...
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) पहले डरता था मै लेकिन अब डर नहीं लगता है किसी का भी , क्या मै आपको जंगल के बाहर तक छोड़ दूं....
लड़की – (एक तरफ इशारा करके) वो मेरा घर है मै यही रहती हु...
साहिल – (लड़की के घर की तरफ देखता है जो काफी सुंदर लगता है वहां से साहिल को सड़क भी दिखती है जिसके बाद) ओह तो यहां से सड़क भी जाती है और मै सोच रहा था आप इस जंगल में घर कैसे बनवाया होगा...
लड़की – आइए मेरे घर में...
साहिल – अरे नहीं अभी मुझे जाना होगा वो क्या है ना मै यहां शादी में आया हु जो अगले हफ्ते है आप भी गांव में रहते हो आप तो आओगे ना शादी में...
लड़की – अगर आप बुलाओगे तो जरूर आओगी....
साहिल – (पहले मुस्कुराता है फिर अचानक से) अरे इतनी देर से हम बात कर रहे है लेकिन मैने तो अपना नाम बताया नहीं आपको मेरा नाम साहिल है और आपका....
लड़की – मेरा नाम सेमेंनथा है...
साहिल – बहुत खूबसूरत नाम है आपका अच्छा चलता हूँ ख्याल रखिएगा आप अपना...
सेमेंनथा – फिर कब आओगे तुम....
साहिल – कल आऊंगा मै उसके बाद का कह नहीं सकता क्योंकि शादी में नहीं बल्कि शादी के साथ उसमें होने वाले काम में हाथ भी बताने आया हु मै वैसे आप तो आओगे ना शादी में....
सेमेंनथा – आप बुलाओगे तो जरूर आऊंगी...
साहिल – अच्छा ठीक है मै कल आपको न्योता देने आऊंगा पक्का अच्छा चलता हूँ मै...
बोल के साहिल जाने लगा तभी पीछे से...
सेमेंनथा – साहिल सुनो...
साहिल – (पलट के) जी कहिए...
सेमेंनथा – आप इस तरफ से आए हो इस तरफ से जाओ आप आपका दोस्त शायद ढूंढ रहा होगा आपको...
साहिल – ओह शुक्रिया सेमेंनथा अच्छा किया बता दिया वर्ना मैं गलता रस्ते चल जाता (फिर चारों तरफ देख के) अब याद हो गया मुझे ये जगह मै कल आऊंगा फिर से...
बोलके साहिल निकल जाता है जंगल से उसके जाने के बाद सेमेंनथा मुस्कुरा रही होती है तभी अचानक से सेमेंनथा गायब हो जाती है और आ जाती है मंदिर के बाहर जहां एक पुजारी बैठा होता है उसे देख...
सेमेंनथा – (पुजारी को प्रणाम करती है) प्रणाम बाबा (जगन्नाथ)...
जगन्नाथ – क्या बात है पुत्री आप बहुत खुश लग रही हो...
सेमेंनथा – (मुस्कुरा के) हा बाबा आज बरसो के बाद कोई मिला मुझे जो मुझे देख सकता है क्या ये वही है बाबा...
जगन्नाथ – हा पुत्री ये वही है....
सेमेंनथा –(खुश होके) वो मुझे कल शादी में आने का न्योता देने आने वाला है...
जगन्नाथ – हम्ममम कल उसे अपने बारे में बता देना पुत्री....
इस तरफ साहिल जंगल से बाहर आता तो देखता है उसका दोस्त कमल के साथ गांव के कुछ लोग थे जो बात कर रहे थे उनके पास जाके...
साहिल – तू यहां पर है मुझे लगा तू मेरे पीछे आया होगा....
कमल – तू आ गया अच्छा हुआ वर्ना हम तो तुझे ढूंढने आ रहे थे...
साहिल – ढूंढने मुझे लेकिन क्यों...
राघव – (बीच में) तुम्हे उस जंगल में नहीं जाना चाहिए था बेटा...
साहिल – जी आप कौन...
राघव – (मुस्कुरा के) मै तुम्हारा चाचा हूँ बेटा धीरेन्द्र जी का बेटा राघव...
साहिल बात सुन उनके पैर छू के...
साहिल – प्रणाम चाचा...
राघव – (मुस्कुरा के साहिल के सिर पे हाथ रख के) खुश रहो साहिल बेटा और बताओ तुम यहां कैसे हवेली में बोर हो रहे थे क्या...
साहिल – वो दादा जी ने कहा आज से कल अभी काम नहीं है इसीलिए हम दोनों गांव घूमने आ गए...
राघव – (मुस्कुरा के) अच्छा किया बेटा लेकिन अब ध्यान रखना इस जंगल में मत जाना जंगली जानवरों से भरा हुआ है ये जंगल आए दिन जंगली जानवर कभी कभी बाहर आ जाते है खेतों की तरफ इसीलिए यहां कोई नहीं आता है....
साहिल इससे पहले कुछ बोलता तभी कमल बोला...
कमल – चाचा जी शाम होने को आइए घर चले बहुत जोर की भूख लग रही है...
राघव –(मुस्कुरा के) तुम दोनों घर चलो मुझे थोड़ा वक्त लगेगा घर आने में गांव वालो से काम है मुझे...
जिसके बाद साहिल और कमल दोनों निकल गए घर की तरफ दोनों के जाते ही एक गांव वाला बोला...
गांव वाला – (राघव से) मालिक आज तक जो भी इस जंगल में गया कभी वापस नहीं आया लेकिन ये लड़का आ गया वापिस कैसे...
राघव – (मुस्कुरा के) काका ये कोई मामूली लड़का नहीं है ये हमारे प्रताप दादा का पोता है रनवीर भैया का बेटा साहिल है....
गांव वाला – सच में ये रनवीर का बेटा है कितना बड़ा हो गया है मालिक जब छोटा था तब देखा था इसको बहुत खेलता है आपके साथ बचपन में...
राघव – हा काका उसके बाद किस्मत ने जो खेल खेला है इसके साथ तब से आज तक बेचारा परिवार के प्यार को तरस गया है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा मै पिता जी से बात करूंगा ताकि साहिल अब से हमारे साथ रहे हमेशा के लिए....
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जारी रहेगा![]()
Bahut hi badhiya update diya hai DEVIL MAXIMUM bhai....UPDATE 7
शाम के समय शहर के बीचों बीच में खड़ी एक अलीशा हवेली के कमरे में सरला देवी (दादी) अपने कमरे में किसी गहरी सोच में डूबी हुई थी उनके चेहरे को देख के इस लग रहा था मानो किसी गहरी चिंता में डूबी हुई है तभी उनके कमरे में उनकी पोती (खुशी) हाथ में चाय लिए आती है...
खुशी – (कमरे में चाय लाते हुए) दादी चाय...
लेकिन जैसे सरला देवी का ध्यान इस वक्त कही और था जबकि कई बार खुशी ने चाय के बारे में बोला सरला देवी से लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया तब...
खुशी – (सरल देवी के कंधे पे हाथ रख के) दादी क्या बात है आप ठीक हो...
सरला देवी – (अपनी सोच से बाहर आके अपने कंधे पर अपनी पोती खुशी का हाथ देख) अरे बेटा तू कब आई कोई काम था क्या...
खुशी – दादी मै कब से आपको आवाज दे रही थी क्या हुआ दादी आप ठीक हो ना...
सरला देवी – (हल्का मुस्कुरा के) हा बेटा मै ठीक हूँ तू बता कोई काम था क्या...
खुशी – चाय देने आई थी आपको दादी...
सरला देवी – अच्छा रख दे मै पी लूंगी...
खुशी – (चाय टेबल पे रख के) क्या बात है दादी आप किस ख्याल में डूबी हो बताओ ना...
सरला देवी – कही नहीं बेटा बस ऐसे ही कुछ सोच रही थी...
खुशी – किस बारे में सोच रहे थे आप...
सरला देवी – (खुशी को देख हल्का मुस्कुरा के) कुछ नहीं बेटा तू छोड़ और बता कुछ नया हुआ क्या घर में...
खुशी – (मुस्कुरा के) होना क्या है आज दादी जाने किस ख्याल में खोई हुई थी देख के ऐसा लगता था जैसे दादी की जगह फूलन देवी हो...
बोल के हंसने लगी जिसे देख सरला देवी हंसने लगी तब...
सरला देवी – (गुस्से का नाटक करते हुए) अच्छा मै फूलन देवी हूँ रुक तुझे अभी बताती हु खुशी की बच्ची बहुत बोलने लगी है तू...
बोल के सरला देवी खुशी के पीछे आई तब तक खुशी कमरे के बाहर आ गई साथ में सरला देवी भी तब...
खुशी – (अपने कमरे में जाने के लिए सीडीओ में चढ़ते हुए पलट के बोली) और नहीं तो क्या कहा मेरी ऐश्वर्या राय दादी आज फूलन देवी बन गई...
बोल के अपने कमरे में चली गई हस्ते हुए उसके जाते ही सरला देवी भी हंसने लगी तभी सुमन और सुनैना हाल में आ गई आते ही...
सुमन (साहिल की मां) – (सरला देवी से) क्या हुआ मा...
सरला देवी – (हस्ते हुए) कुछ नहीं खुशी की बात सुन के हसी आ गई...
तभी पलट के अचानक से सरला देवी की नजर दीवार पे बने एक छोटे से छेद में गई जिसे देख सरला देवी की हसी जैसे कही गायब हो गई अब सरला देवी की चेहरे से हसी की जगह गंभीरता आ गई साथ ही आंख से आंसू की एक बूंद जिसे देख...
सुनैना (साहिल की छोटी चाची) – (सरला देवी के कंधे पे हाथ रख के) क्या हुआ मा...
सरला देवी – (बिना पलटे सुनैना से) कुछ नहीं बहू ऐसा लगता है मेरे मरने के बाद भी मेरी आत्म भटकती रहेगी अपने बच्चे की चिंता लिए...
सरला देवी की बात सुन सुमन और सुनैना समझ जाते है कि साहिल के बारे में सोच रही है सरला देवी तभी...
सुमन – मा आप कुछ ज्याद नहीं सोच रही है और ये क्या बात बोले जा रही हो आप बुरी चीजों के बारे में कभी सोचा नहीं करते आपका परिवार आपके साथ है हमेशा बस आप ऐसी बाते मत सोचा करिए मा...
सरला देवी – एक मा के लिए उसका बच्चा क्या होता है ये तो वही मा समझ सकती है सिर्फ बाकी किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है सुमन...
आज पहली बार सुमन ने अपनी सास सरला देवी के मू से बहु की जगह अपना नाम सुन के चुप हो गई जिसके बाद....
सरला देवी – इन्होंने (अपने पति) इतनी मेहनत से इतनी बड़ी हवेली बना दी लेकिन उन्हें क्या पता इतनी बड़ी हवेली में रहने वाले लोगों का दिल कितना छोटा है जो सालों से सिर्फ नफरत की आग में जल रहे है इतनी भी शर्म नहीं रही उनमें अपनी इस नफरत की आग में अपने बच्चों को भी शामिल कर दिया सुमन शायद इसीलिए ऊपर वाले ने सजा दी है हमें जो हमारे बाद हमारे नाम का चिराग जलाने वाला होते हुए भी हमें नसीब में नहीं दिया शायद इसीलिए ऊपर वाले ने सिर्फ बेटियां दे दी हमें...
सरला देवी की ऐसी कड़वी बात सुन के सुमन और सुनैना ने अपने मू पे हाथ रख लिया साथ ही दोनों की आंखों से आंसू निकल आए तभी घर में एक आदमी आया आते ही...
आदमी – (सरला देवी से) प्रणाम काकी आपने बुलाया मुझे...
सरला देवी – हा रामू मैने इसीलिए बुलाया है कि कल हम सब गांव जा रहे है तुम गाड़ियों को अच्छे से देख लो क्योंकि कल मुझे कही जाना है उसके बाद वही से गांव जाऊंगी...
रामू – ठीक है काकी मै देख लेता हु...
बोल के रामू चला गया उसके जाने के बाद...
सरला देवी – (बिना देखे सुनैना और सुमन से) कल गांव जा रहे है हम याद रखना गलती से भी कोई गलती न होने पाय किसी से भी साथ ही बच्चों को भी समझा देना वर्ना कही और घर देख लेना अपने रहने के लिए अपने जिगर के टुकड़े के लिए जितना बरदाश करना था कर लिया मैने अब और नहीं...
बोल के सरला देवी अपने कमरे में चली गई उनके जाने के बाद सुमन और सुनैना रोते हुए अपने कमरे में चली गई जैसे ही सुमन अपने कमरे में आई तभी उसकी बेटी कविता ने अपनी मां को रोते देखा....
कविता (साहिल की बहन) – (अपनी मां को रोता देख) क्या हुआ मा आप रो क्यों रहे हो बताओ...
लेकिन सुमन कुछ नहीं बोलती फिर...
कविता – आखिर बात क्या है मा क्यों रोए जा रही हो आप...
सुमन – (अपने आंसू पोछते हुए) कुछ नहीं बस ऐसे ही रोना आ गया...
कविता – क्यों झूठ बोल रही हो मा ऐसे ही कोई रोता ही क्या भला अब बताओ भी बात क्या है...
सुमन – नहीं कोई बात नहीं है बस अपने मम्मी पापा की याद आ गई थी मुझे....
कविता – ओह मै तो डर गई थी जाने क्या होगया आपको....
सुमन – चल जाने दे कल चलने की तैयारी कर ली है ना तूने अपनी...
कविता – हा कर ली है मा...
सुमन – ठीक है और हा ध्यान रखना एक बात का कल वो मिलेगा गांव में कोई बात चित मत करना उसके बारे में तेरी दादी ने बोला बताने को वर्ना घर में आने नहीं देगी दादी किसी को हवेली में समझी अब जाके बाकी बच्चों को भी बता दे....
जिसके बाद कविता कमरे से निकल तो गई लेकिन अपनी किसी सोच में डूबे हुए जाने लगी थी जबकि इधर सुनैना के कमरे में उसकी दोनों बेटियां ने जब अपनी मां को रोता हुआ कमरे में आता देखा तब उन्होंने भी पूछा लेकिन जवाब नहीं मिला जिसके बाद सुनैना ने भी अपनी दोनों बेटी को वही कहा जो सुमन ने बोला अपनी बेटी को गांव के लिए जिसके बाद खुशी और अवनी भी कमरे से बाहर निकली सोनम और पूनम (साहिल की कजिन बहन) के कमरे में जाने के लिए बाहर निकलते ही कविता मिली और मिलते ही...
कविता – तुम दोनों कहा जा रहे हो...
खुशी – हम तो सोनम और पूनम दीदी के कमरे में जा रहे है लेकिन आप कहा जा रही हो...
मै तुम दोनों के पास आ रही थी वो कल गांव चल रहे है हम सब तो मा ने बोला कि सबको बता दे...
खुशी – (बीच में) की उस कातिल से कोई बात ना करे यही ना...
कविता – हा लेकिन तुम्हे कैसे पता...
खुशी – अभी मा भी जाने क्यों रोते हुए कमरे में आई हमने पूछा भी क्यों रो रही है लेकिन नहीं बताया कुछ भी...
कविता – हा यही हाल मेरे मा का भी था...
अवनी – हो ना हो उस कमीने की जरूर बात हुई है जिस वजह से हमारी मां बोल रही है हमें इस बारे में लेकिन समझ में नहीं आई बात की मा किस बात को लेके रो रही थी...
बोलते बोलते तीनों सोनम और पूनम के कमर एम आ गए आते ही उन्हें सब कुछ बता दिया जिसके बाद...
सोनम – देख यार वैसे भी हमारा कोई मतलब नहीं उस कातिल से जो हम उसके बारे में बात करके अपना मन खराब करे वो उसका और दादी का मैटर है हमारा क्या लेना देना हम सिर्फ शादी में चल रहे है शादी होते ही हम अपने घर में होगे और रही उसकी बात तो शायद धीरेन्द्र दादा ने उसकी औकात के हिसाब से उसे बुलाया होगा ताकि काम करवा सके उससे वैसे भी उसका इस घर से कोई ताल्लुख नहीं तो हमें ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है इस बारे में...
पूनम – और न ही तुम लोगों को सोचने की जरूरत है वैसे भी गली के कुत्ते की तरह है तोड़ रहा होगा वहा पर मुफ्त की रोटियां....
खेर आप लोगों को समझ में आया ही होगा कि यहां क्या और किसके बारे में बाते चल रही है चलो चलते है गांव की तरफ जहां साहिल और कमल घूमने निकले है दोनों ही अपनी मस्ती में गांव के खेतों में घूम रहे थे चलते चलते उन्हें खेतों में काम करने वाले कई लोग दिखे साथ ही उन सब ने भी इन दोनों को देखा वजह ये थी कि साहिल और कमल अपनी मस्ती चलते जा रहे थे लेकिन खेतों में काम करने वालों की नजर इसीलिए चली गई इन दोनों पे क्योंकि ये दोनों चलते चलते जंगल की तरफ जा रहे थे तभी साहिल और कमल ने मस्ती की एक दूसरे से जिसके बाद साहिल तेजी से भागा और उसके पीछे कमल भागा हस्ते हुए और तभी एक गांव वाले ने आवाज लगाई चुकी साहिल तेजी से आगे की तरफ भाग रहा था तो उसे आवाज नहीं सुनाई दी लेकिन कमल आवाज सुन रुक गया तभी गांव वाला कमल के पास आके...
गांव वाला – (कमल से) बेटा कहा भागे जा रहे हो तुम...
कमल – कही नहीं काका वो मेरा दोस्त मस्ती कर रहा था उसके पीछे भाग रहा था लेकिन बात क्या है काका....
गांव वाला – बेटा तुम उस जंगल की तरफ मत जाओ वो श्रापित है जंगल...
कमल – (चौक के) कौन सा जंगल काका कैसा जंगल....
गांव वाला – वही बेटा जहां तुम और तुम्हारा दोस्त भाग रहे थे...
कमल – (गांव वाले की बात सुन जैसे ही पलता देखा साहिल नहीं है वहां पर) ये साहिल कहा गया...
बोल के कमल आगे जंगल की तरफ जाने लगा जिसे देख गांव वाले ने कमल का हाथ पकड़ लिया तब....
गांव वाला – रुक जाओ बेटा मत जाओ उस जंगल में वहां पर जाने वाला कभी वापस नहीं आया....
कमल – (गांव वाले से अपना हाथ छुड़ा के) ऐसी बेतुकी बातों को मै नहीं मानता काका...
तभी वहां पे गांव के और लोग भी आ गए जो कमल को रोकने लगे थे लेकिन कमल मानने को तैयार नहीं था काफी बहस होने लगी तभी एक रौबदार आवाज आई जिसे सभी गांव वाले उसे देख...
सभी गांव वाले – प्रणाम राघव बाबू...
राघव – प्रणाम क्या बात है आज सब यहां पे...
तभी एक गांव वाले ने सारी बात बताई राघव को जिसे सुन के....
राघव – (कमल से बात करता है) कौन हो तुम बेटा यहां गांव में किस लिए आए हो...
तभी कमल सारी बात बताता है जिसे सुन के...
राघव – तुम्हारा कहने का मतलब है साहिल जंगल में चल गया (कुछ सोच के सभी गांव वालो से) मशाल लेके आओ हमें जाना होगा इस जंगल में अभी....
यहां ये सब चल रहा था जबकि साहिल जब तेजी से भाग के जंगल में आया था तभी कुछ देर बाद साहिल ने पलट के देखा तो खुद को अकेले पाया जंगल में इसे पहले साहिल कुछ समझ पाता तभी उसे किसी की चीख सुनाई दी जो साहिल के आस पास कही से आ रही थी आवाज की दिशा में थोड़ा आगे बढ़ा ही था साहिल तभी उसने देखा एक लड़की जो पैर पकड़ के पेड़ के नीचे बैठी थी जब साहिल उसके पास गया तभी...
साहिल – (लड़की से) आप क्यों रो रहे हो क्या हुआ आपको...
लड़की – (साहिल तरफ देख) आप मुझसे बात कर रहे हो...
साहिल – हा आपके इलावा कौन है यहां पर और आपके पैर में क्या हुआ है....
लड़की – मेरे पैर में काटा लग गया है...
साहिल – लाइए मै देख लेता हु...
लड़की – नहीं नहीं आप रहने दो मै ठीक हो जाऊंगी अपने आप...
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) हा लेकिन उससे आपका दर्द तो कम नहीं होगा ना वर्ना आप अपने घर कैसे जाओगे यहां से...
तभी साहिल लड़की के पैर को देखता जहां पे काटा लगा हुआ था उसे धीरे से निकलता है जिसके बाद लड़की जमीन में पैर रखती है उसे फिर से हल्का दर्द होता है तभी...
साहिल – एक मिनिट मै कुछ करता हु...
तब साहिल अपनी जेब से रुमाल निकाल के उसे अच्छे से लड़की के पैर में बांधता है...
साहिल – अब पैर नीचे रख के खड़ी हो जाओ...
जैसे ही लड़की खड़ी होती है उसे अब दर्द नहीं होता है तब हल्का सा मुस्कुरा के....
लड़की – शुक्रिया आपक आपने मेरी मदद की...
साहिल – कोई बात नहीं लेकिन आप अकेले इस जंगल में क्या कर रहे हो...
लड़की – (मुस्कुरा के) आप भी तो अकेले हो जंगल में...
साहिल – हा मै अपने दोस्त के साथ था थोड़ी मस्ती कर रहे थे तभी मैने आपकी आवाज सुनी तो यहां आ गया...
लड़की – अकेले जंगल में आपको डर नहीं लगा...
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) पहले डरता था मै लेकिन अब डर नहीं लगता है किसी का भी , क्या मै आपको जंगल के बाहर तक छोड़ दूं....
लड़की – (एक तरफ इशारा करके) वो मेरा घर है मै यही रहती हु...
साहिल – (लड़की के घर की तरफ देखता है जो काफी सुंदर लगता है वहां से साहिल को सड़क भी दिखती है जिसके बाद) ओह तो यहां से सड़क भी जाती है और मै सोच रहा था आप इस जंगल में घर कैसे बनवाया होगा...
लड़की – आइए मेरे घर में...
साहिल – अरे नहीं अभी मुझे जाना होगा वो क्या है ना मै यहां शादी में आया हु जो अगले हफ्ते है आप भी गांव में रहते हो आप तो आओगे ना शादी में...
लड़की – अगर आप बुलाओगे तो जरूर आओगी....
साहिल – (पहले मुस्कुराता है फिर अचानक से) अरे इतनी देर से हम बात कर रहे है लेकिन मैने तो अपना नाम बताया नहीं आपको मेरा नाम साहिल है और आपका....
लड़की – मेरा नाम सेमेंनथा है...
साहिल – बहुत खूबसूरत नाम है आपका अच्छा चलता हूँ ख्याल रखिएगा आप अपना...
सेमेंनथा – फिर कब आओगे तुम....
साहिल – कल आऊंगा मै उसके बाद का कह नहीं सकता क्योंकि शादी में नहीं बल्कि शादी के साथ उसमें होने वाले काम में हाथ भी बताने आया हु मै वैसे आप तो आओगे ना शादी में....
सेमेंनथा – आप बुलाओगे तो जरूर आऊंगी...
साहिल – अच्छा ठीक है मै कल आपको न्योता देने आऊंगा पक्का अच्छा चलता हूँ मै...
बोल के साहिल जाने लगा तभी पीछे से...
सेमेंनथा – साहिल सुनो...
साहिल – (पलट के) जी कहिए...
सेमेंनथा – आप इस तरफ से आए हो इस तरफ से जाओ आप आपका दोस्त शायद ढूंढ रहा होगा आपको...
साहिल – ओह शुक्रिया सेमेंनथा अच्छा किया बता दिया वर्ना मैं गलता रस्ते चल जाता (फिर चारों तरफ देख के) अब याद हो गया मुझे ये जगह मै कल आऊंगा फिर से...
बोलके साहिल निकल जाता है जंगल से उसके जाने के बाद सेमेंनथा मुस्कुरा रही होती है तभी अचानक से सेमेंनथा गायब हो जाती है और आ जाती है मंदिर के बाहर जहां एक पुजारी बैठा होता है उसे देख...
सेमेंनथा – (पुजारी को प्रणाम करती है) प्रणाम बाबा (जगन्नाथ)...
जगन्नाथ – क्या बात है पुत्री आप बहुत खुश लग रही हो...
सेमेंनथा – (मुस्कुरा के) हा बाबा आज बरसो के बाद कोई मिला मुझे जो मुझे देख सकता है क्या ये वही है बाबा...
जगन्नाथ – हा पुत्री ये वही है....
सेमेंनथा –(खुश होके) वो मुझे कल शादी में आने का न्योता देने आने वाला है...
जगन्नाथ – हम्ममम कल उसे अपने बारे में बता देना पुत्री....
इस तरफ साहिल जंगल से बाहर आता तो देखता है उसका दोस्त कमल के साथ गांव के कुछ लोग थे जो बात कर रहे थे उनके पास जाके...
साहिल – तू यहां पर है मुझे लगा तू मेरे पीछे आया होगा....
कमल – तू आ गया अच्छा हुआ वर्ना हम तो तुझे ढूंढने आ रहे थे...
साहिल – ढूंढने मुझे लेकिन क्यों...
राघव – (बीच में) तुम्हे उस जंगल में नहीं जाना चाहिए था बेटा...
साहिल – जी आप कौन...
राघव – (मुस्कुरा के) मै तुम्हारा चाचा हूँ बेटा धीरेन्द्र जी का बेटा राघव...
साहिल बात सुन उनके पैर छू के...
साहिल – प्रणाम चाचा...
राघव – (मुस्कुरा के साहिल के सिर पे हाथ रख के) खुश रहो साहिल बेटा और बताओ तुम यहां कैसे हवेली में बोर हो रहे थे क्या...
साहिल – वो दादा जी ने कहा आज से कल अभी काम नहीं है इसीलिए हम दोनों गांव घूमने आ गए...
राघव – (मुस्कुरा के) अच्छा किया बेटा लेकिन अब ध्यान रखना इस जंगल में मत जाना जंगली जानवरों से भरा हुआ है ये जंगल आए दिन जंगली जानवर कभी कभी बाहर आ जाते है खेतों की तरफ इसीलिए यहां कोई नहीं आता है....
साहिल इससे पहले कुछ बोलता तभी कमल बोला...
कमल – चाचा जी शाम होने को आइए घर चले बहुत जोर की भूख लग रही है...
राघव –(मुस्कुरा के) तुम दोनों घर चलो मुझे थोड़ा वक्त लगेगा घर आने में गांव वालो से काम है मुझे...
जिसके बाद साहिल और कमल दोनों निकल गए घर की तरफ दोनों के जाते ही एक गांव वाला बोला...
गांव वाला – (राघव से) मालिक आज तक जो भी इस जंगल में गया कभी वापस नहीं आया लेकिन ये लड़का आ गया वापिस कैसे...
राघव – (मुस्कुरा के) काका ये कोई मामूली लड़का नहीं है ये हमारे प्रताप दादा का पोता है रनवीर भैया का बेटा साहिल है....
गांव वाला – सच में ये रनवीर का बेटा है कितना बड़ा हो गया है मालिक जब छोटा था तब देखा था इसको बहुत खेलता है आपके साथ बचपन में...
राघव – हा काका उसके बाद किस्मत ने जो खेल खेला है इसके साथ तब से आज तक बेचारा परिवार के प्यार को तरस गया है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा मै पिता जी से बात करूंगा ताकि साहिल अब से हमारे साथ रहे हमेशा के लिए....
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जारी रहेगा![]()
Nice updateUPDATE 7
शाम के समय शहर के बीचों बीच में खड़ी एक अलीशा हवेली के कमरे में सरला देवी (दादी) अपने कमरे में किसी गहरी सोच में डूबी हुई थी उनके चेहरे को देख के इस लग रहा था मानो किसी गहरी चिंता में डूबी हुई है तभी उनके कमरे में उनकी पोती (खुशी) हाथ में चाय लिए आती है...
खुशी – (कमरे में चाय लाते हुए) दादी चाय...
लेकिन जैसे सरला देवी का ध्यान इस वक्त कही और था जबकि कई बार खुशी ने चाय के बारे में बोला सरला देवी से लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया तब...
खुशी – (सरल देवी के कंधे पे हाथ रख के) दादी क्या बात है आप ठीक हो...
सरला देवी – (अपनी सोच से बाहर आके अपने कंधे पर अपनी पोती खुशी का हाथ देख) अरे बेटा तू कब आई कोई काम था क्या...
खुशी – दादी मै कब से आपको आवाज दे रही थी क्या हुआ दादी आप ठीक हो ना...
सरला देवी – (हल्का मुस्कुरा के) हा बेटा मै ठीक हूँ तू बता कोई काम था क्या...
खुशी – चाय देने आई थी आपको दादी...
सरला देवी – अच्छा रख दे मै पी लूंगी...
खुशी – (चाय टेबल पे रख के) क्या बात है दादी आप किस ख्याल में डूबी हो बताओ ना...
सरला देवी – कही नहीं बेटा बस ऐसे ही कुछ सोच रही थी...
खुशी – किस बारे में सोच रहे थे आप...
सरला देवी – (खुशी को देख हल्का मुस्कुरा के) कुछ नहीं बेटा तू छोड़ और बता कुछ नया हुआ क्या घर में...
खुशी – (मुस्कुरा के) होना क्या है आज दादी जाने किस ख्याल में खोई हुई थी देख के ऐसा लगता था जैसे दादी की जगह फूलन देवी हो...
बोल के हंसने लगी जिसे देख सरला देवी हंसने लगी तब...
सरला देवी – (गुस्से का नाटक करते हुए) अच्छा मै फूलन देवी हूँ रुक तुझे अभी बताती हु खुशी की बच्ची बहुत बोलने लगी है तू...
बोल के सरला देवी खुशी के पीछे आई तब तक खुशी कमरे के बाहर आ गई साथ में सरला देवी भी तब...
खुशी – (अपने कमरे में जाने के लिए सीडीओ में चढ़ते हुए पलट के बोली) और नहीं तो क्या कहा मेरी ऐश्वर्या राय दादी आज फूलन देवी बन गई...
बोल के अपने कमरे में चली गई हस्ते हुए उसके जाते ही सरला देवी भी हंसने लगी तभी सुमन और सुनैना हाल में आ गई आते ही...
सुमन (साहिल की मां) – (सरला देवी से) क्या हुआ मा...
सरला देवी – (हस्ते हुए) कुछ नहीं खुशी की बात सुन के हसी आ गई...
तभी पलट के अचानक से सरला देवी की नजर दीवार पे बने एक छोटे से छेद में गई जिसे देख सरला देवी की हसी जैसे कही गायब हो गई अब सरला देवी की चेहरे से हसी की जगह गंभीरता आ गई साथ ही आंख से आंसू की एक बूंद जिसे देख...
सुनैना (साहिल की छोटी चाची) – (सरला देवी के कंधे पे हाथ रख के) क्या हुआ मा...
सरला देवी – (बिना पलटे सुनैना से) कुछ नहीं बहू ऐसा लगता है मेरे मरने के बाद भी मेरी आत्म भटकती रहेगी अपने बच्चे की चिंता लिए...
सरला देवी की बात सुन सुमन और सुनैना समझ जाते है कि साहिल के बारे में सोच रही है सरला देवी तभी...
सुमन – मा आप कुछ ज्याद नहीं सोच रही है और ये क्या बात बोले जा रही हो आप बुरी चीजों के बारे में कभी सोचा नहीं करते आपका परिवार आपके साथ है हमेशा बस आप ऐसी बाते मत सोचा करिए मा...
सरला देवी – एक मा के लिए उसका बच्चा क्या होता है ये तो वही मा समझ सकती है सिर्फ बाकी किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है सुमन...
आज पहली बार सुमन ने अपनी सास सरला देवी के मू से बहु की जगह अपना नाम सुन के चुप हो गई जिसके बाद....
सरला देवी – इन्होंने (अपने पति) इतनी मेहनत से इतनी बड़ी हवेली बना दी लेकिन उन्हें क्या पता इतनी बड़ी हवेली में रहने वाले लोगों का दिल कितना छोटा है जो सालों से सिर्फ नफरत की आग में जल रहे है इतनी भी शर्म नहीं रही उनमें अपनी इस नफरत की आग में अपने बच्चों को भी शामिल कर दिया सुमन शायद इसीलिए ऊपर वाले ने सजा दी है हमें जो हमारे बाद हमारे नाम का चिराग जलाने वाला होते हुए भी हमें नसीब में नहीं दिया शायद इसीलिए ऊपर वाले ने सिर्फ बेटियां दे दी हमें...
सरला देवी की ऐसी कड़वी बात सुन के सुमन और सुनैना ने अपने मू पे हाथ रख लिया साथ ही दोनों की आंखों से आंसू निकल आए तभी घर में एक आदमी आया आते ही...
आदमी – (सरला देवी से) प्रणाम काकी आपने बुलाया मुझे...
सरला देवी – हा रामू मैने इसीलिए बुलाया है कि कल हम सब गांव जा रहे है तुम गाड़ियों को अच्छे से देख लो क्योंकि कल मुझे कही जाना है उसके बाद वही से गांव जाऊंगी...
रामू – ठीक है काकी मै देख लेता हु...
बोल के रामू चला गया उसके जाने के बाद...
सरला देवी – (बिना देखे सुनैना और सुमन से) कल गांव जा रहे है हम याद रखना गलती से भी कोई गलती न होने पाय किसी से भी साथ ही बच्चों को भी समझा देना वर्ना कही और घर देख लेना अपने रहने के लिए अपने जिगर के टुकड़े के लिए जितना बरदाश करना था कर लिया मैने अब और नहीं...
बोल के सरला देवी अपने कमरे में चली गई उनके जाने के बाद सुमन और सुनैना रोते हुए अपने कमरे में चली गई जैसे ही सुमन अपने कमरे में आई तभी उसकी बेटी कविता ने अपनी मां को रोते देखा....
कविता (साहिल की बहन) – (अपनी मां को रोता देख) क्या हुआ मा आप रो क्यों रहे हो बताओ...
लेकिन सुमन कुछ नहीं बोलती फिर...
कविता – आखिर बात क्या है मा क्यों रोए जा रही हो आप...
सुमन – (अपने आंसू पोछते हुए) कुछ नहीं बस ऐसे ही रोना आ गया...
कविता – क्यों झूठ बोल रही हो मा ऐसे ही कोई रोता ही क्या भला अब बताओ भी बात क्या है...
सुमन – नहीं कोई बात नहीं है बस अपने मम्मी पापा की याद आ गई थी मुझे....
कविता – ओह मै तो डर गई थी जाने क्या होगया आपको....
सुमन – चल जाने दे कल चलने की तैयारी कर ली है ना तूने अपनी...
कविता – हा कर ली है मा...
सुमन – ठीक है और हा ध्यान रखना एक बात का कल वो मिलेगा गांव में कोई बात चित मत करना उसके बारे में तेरी दादी ने बोला बताने को वर्ना घर में आने नहीं देगी दादी किसी को हवेली में समझी अब जाके बाकी बच्चों को भी बता दे....
जिसके बाद कविता कमरे से निकल तो गई लेकिन अपनी किसी सोच में डूबे हुए जाने लगी थी जबकि इधर सुनैना के कमरे में उसकी दोनों बेटियां ने जब अपनी मां को रोता हुआ कमरे में आता देखा तब उन्होंने भी पूछा लेकिन जवाब नहीं मिला जिसके बाद सुनैना ने भी अपनी दोनों बेटी को वही कहा जो सुमन ने बोला अपनी बेटी को गांव के लिए जिसके बाद खुशी और अवनी भी कमरे से बाहर निकली सोनम और पूनम (साहिल की कजिन बहन) के कमरे में जाने के लिए बाहर निकलते ही कविता मिली और मिलते ही...
कविता – तुम दोनों कहा जा रहे हो...
खुशी – हम तो सोनम और पूनम दीदी के कमरे में जा रहे है लेकिन आप कहा जा रही हो...
मै तुम दोनों के पास आ रही थी वो कल गांव चल रहे है हम सब तो मा ने बोला कि सबको बता दे...
खुशी – (बीच में) की उस कातिल से कोई बात ना करे यही ना...
कविता – हा लेकिन तुम्हे कैसे पता...
खुशी – अभी मा भी जाने क्यों रोते हुए कमरे में आई हमने पूछा भी क्यों रो रही है लेकिन नहीं बताया कुछ भी...
कविता – हा यही हाल मेरे मा का भी था...
अवनी – हो ना हो उस कमीने की जरूर बात हुई है जिस वजह से हमारी मां बोल रही है हमें इस बारे में लेकिन समझ में नहीं आई बात की मा किस बात को लेके रो रही थी...
बोलते बोलते तीनों सोनम और पूनम के कमर एम आ गए आते ही उन्हें सब कुछ बता दिया जिसके बाद...
सोनम – देख यार वैसे भी हमारा कोई मतलब नहीं उस कातिल से जो हम उसके बारे में बात करके अपना मन खराब करे वो उसका और दादी का मैटर है हमारा क्या लेना देना हम सिर्फ शादी में चल रहे है शादी होते ही हम अपने घर में होगे और रही उसकी बात तो शायद धीरेन्द्र दादा ने उसकी औकात के हिसाब से उसे बुलाया होगा ताकि काम करवा सके उससे वैसे भी उसका इस घर से कोई ताल्लुख नहीं तो हमें ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है इस बारे में...
पूनम – और न ही तुम लोगों को सोचने की जरूरत है वैसे भी गली के कुत्ते की तरह है तोड़ रहा होगा वहा पर मुफ्त की रोटियां....
खेर आप लोगों को समझ में आया ही होगा कि यहां क्या और किसके बारे में बाते चल रही है चलो चलते है गांव की तरफ जहां साहिल और कमल घूमने निकले है दोनों ही अपनी मस्ती में गांव के खेतों में घूम रहे थे चलते चलते उन्हें खेतों में काम करने वाले कई लोग दिखे साथ ही उन सब ने भी इन दोनों को देखा वजह ये थी कि साहिल और कमल अपनी मस्ती चलते जा रहे थे लेकिन खेतों में काम करने वालों की नजर इसीलिए चली गई इन दोनों पे क्योंकि ये दोनों चलते चलते जंगल की तरफ जा रहे थे तभी साहिल और कमल ने मस्ती की एक दूसरे से जिसके बाद साहिल तेजी से भागा और उसके पीछे कमल भागा हस्ते हुए और तभी एक गांव वाले ने आवाज लगाई चुकी साहिल तेजी से आगे की तरफ भाग रहा था तो उसे आवाज नहीं सुनाई दी लेकिन कमल आवाज सुन रुक गया तभी गांव वाला कमल के पास आके...
गांव वाला – (कमल से) बेटा कहा भागे जा रहे हो तुम...
कमल – कही नहीं काका वो मेरा दोस्त मस्ती कर रहा था उसके पीछे भाग रहा था लेकिन बात क्या है काका....
गांव वाला – बेटा तुम उस जंगल की तरफ मत जाओ वो श्रापित है जंगल...
कमल – (चौक के) कौन सा जंगल काका कैसा जंगल....
गांव वाला – वही बेटा जहां तुम और तुम्हारा दोस्त भाग रहे थे...
कमल – (गांव वाले की बात सुन जैसे ही पलता देखा साहिल नहीं है वहां पर) ये साहिल कहा गया...
बोल के कमल आगे जंगल की तरफ जाने लगा जिसे देख गांव वाले ने कमल का हाथ पकड़ लिया तब....
गांव वाला – रुक जाओ बेटा मत जाओ उस जंगल में वहां पर जाने वाला कभी वापस नहीं आया....
कमल – (गांव वाले से अपना हाथ छुड़ा के) ऐसी बेतुकी बातों को मै नहीं मानता काका...
तभी वहां पे गांव के और लोग भी आ गए जो कमल को रोकने लगे थे लेकिन कमल मानने को तैयार नहीं था काफी बहस होने लगी तभी एक रौबदार आवाज आई जिसे सभी गांव वाले उसे देख...
सभी गांव वाले – प्रणाम राघव बाबू...
राघव – प्रणाम क्या बात है आज सब यहां पे...
तभी एक गांव वाले ने सारी बात बताई राघव को जिसे सुन के....
राघव – (कमल से बात करता है) कौन हो तुम बेटा यहां गांव में किस लिए आए हो...
तभी कमल सारी बात बताता है जिसे सुन के...
राघव – तुम्हारा कहने का मतलब है साहिल जंगल में चल गया (कुछ सोच के सभी गांव वालो से) मशाल लेके आओ हमें जाना होगा इस जंगल में अभी....
यहां ये सब चल रहा था जबकि साहिल जब तेजी से भाग के जंगल में आया था तभी कुछ देर बाद साहिल ने पलट के देखा तो खुद को अकेले पाया जंगल में इसे पहले साहिल कुछ समझ पाता तभी उसे किसी की चीख सुनाई दी जो साहिल के आस पास कही से आ रही थी आवाज की दिशा में थोड़ा आगे बढ़ा ही था साहिल तभी उसने देखा एक लड़की जो पैर पकड़ के पेड़ के नीचे बैठी थी जब साहिल उसके पास गया तभी...
साहिल – (लड़की से) आप क्यों रो रहे हो क्या हुआ आपको...
लड़की – (साहिल तरफ देख) आप मुझसे बात कर रहे हो...
साहिल – हा आपके इलावा कौन है यहां पर और आपके पैर में क्या हुआ है....
लड़की – मेरे पैर में काटा लग गया है...
साहिल – लाइए मै देख लेता हु...
लड़की – नहीं नहीं आप रहने दो मै ठीक हो जाऊंगी अपने आप...
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) हा लेकिन उससे आपका दर्द तो कम नहीं होगा ना वर्ना आप अपने घर कैसे जाओगे यहां से...
तभी साहिल लड़की के पैर को देखता जहां पे काटा लगा हुआ था उसे धीरे से निकलता है जिसके बाद लड़की जमीन में पैर रखती है उसे फिर से हल्का दर्द होता है तभी...
साहिल – एक मिनिट मै कुछ करता हु...
तब साहिल अपनी जेब से रुमाल निकाल के उसे अच्छे से लड़की के पैर में बांधता है...
साहिल – अब पैर नीचे रख के खड़ी हो जाओ...
जैसे ही लड़की खड़ी होती है उसे अब दर्द नहीं होता है तब हल्का सा मुस्कुरा के....
लड़की – शुक्रिया आपक आपने मेरी मदद की...
साहिल – कोई बात नहीं लेकिन आप अकेले इस जंगल में क्या कर रहे हो...
लड़की – (मुस्कुरा के) आप भी तो अकेले हो जंगल में...
साहिल – हा मै अपने दोस्त के साथ था थोड़ी मस्ती कर रहे थे तभी मैने आपकी आवाज सुनी तो यहां आ गया...
लड़की – अकेले जंगल में आपको डर नहीं लगा...
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) पहले डरता था मै लेकिन अब डर नहीं लगता है किसी का भी , क्या मै आपको जंगल के बाहर तक छोड़ दूं....
लड़की – (एक तरफ इशारा करके) वो मेरा घर है मै यही रहती हु...
साहिल – (लड़की के घर की तरफ देखता है जो काफी सुंदर लगता है वहां से साहिल को सड़क भी दिखती है जिसके बाद) ओह तो यहां से सड़क भी जाती है और मै सोच रहा था आप इस जंगल में घर कैसे बनवाया होगा...
लड़की – आइए मेरे घर में...
साहिल – अरे नहीं अभी मुझे जाना होगा वो क्या है ना मै यहां शादी में आया हु जो अगले हफ्ते है आप भी गांव में रहते हो आप तो आओगे ना शादी में...
लड़की – अगर आप बुलाओगे तो जरूर आओगी....
साहिल – (पहले मुस्कुराता है फिर अचानक से) अरे इतनी देर से हम बात कर रहे है लेकिन मैने तो अपना नाम बताया नहीं आपको मेरा नाम साहिल है और आपका....
लड़की – मेरा नाम सेमेंनथा है...
साहिल – बहुत खूबसूरत नाम है आपका अच्छा चलता हूँ ख्याल रखिएगा आप अपना...
सेमेंनथा – फिर कब आओगे तुम....
साहिल – कल आऊंगा मै उसके बाद का कह नहीं सकता क्योंकि शादी में नहीं बल्कि शादी के साथ उसमें होने वाले काम में हाथ भी बताने आया हु मै वैसे आप तो आओगे ना शादी में....
सेमेंनथा – आप बुलाओगे तो जरूर आऊंगी...
साहिल – अच्छा ठीक है मै कल आपको न्योता देने आऊंगा पक्का अच्छा चलता हूँ मै...
बोल के साहिल जाने लगा तभी पीछे से...
सेमेंनथा – साहिल सुनो...
साहिल – (पलट के) जी कहिए...
सेमेंनथा – आप इस तरफ से आए हो इस तरफ से जाओ आप आपका दोस्त शायद ढूंढ रहा होगा आपको...
साहिल – ओह शुक्रिया सेमेंनथा अच्छा किया बता दिया वर्ना मैं गलता रस्ते चल जाता (फिर चारों तरफ देख के) अब याद हो गया मुझे ये जगह मै कल आऊंगा फिर से...
बोलके साहिल निकल जाता है जंगल से उसके जाने के बाद सेमेंनथा मुस्कुरा रही होती है तभी अचानक से सेमेंनथा गायब हो जाती है और आ जाती है मंदिर के बाहर जहां एक पुजारी बैठा होता है उसे देख...
सेमेंनथा – (पुजारी को प्रणाम करती है) प्रणाम बाबा (जगन्नाथ)...
जगन्नाथ – क्या बात है पुत्री आप बहुत खुश लग रही हो...
सेमेंनथा – (मुस्कुरा के) हा बाबा आज बरसो के बाद कोई मिला मुझे जो मुझे देख सकता है क्या ये वही है बाबा...
जगन्नाथ – हा पुत्री ये वही है....
सेमेंनथा –(खुश होके) वो मुझे कल शादी में आने का न्योता देने आने वाला है...
जगन्नाथ – हम्ममम कल उसे अपने बारे में बता देना पुत्री....
इस तरफ साहिल जंगल से बाहर आता तो देखता है उसका दोस्त कमल के साथ गांव के कुछ लोग थे जो बात कर रहे थे उनके पास जाके...
साहिल – तू यहां पर है मुझे लगा तू मेरे पीछे आया होगा....
कमल – तू आ गया अच्छा हुआ वर्ना हम तो तुझे ढूंढने आ रहे थे...
साहिल – ढूंढने मुझे लेकिन क्यों...
राघव – (बीच में) तुम्हे उस जंगल में नहीं जाना चाहिए था बेटा...
साहिल – जी आप कौन...
राघव – (मुस्कुरा के) मै तुम्हारा चाचा हूँ बेटा धीरेन्द्र जी का बेटा राघव...
साहिल बात सुन उनके पैर छू के...
साहिल – प्रणाम चाचा...
राघव – (मुस्कुरा के साहिल के सिर पे हाथ रख के) खुश रहो साहिल बेटा और बताओ तुम यहां कैसे हवेली में बोर हो रहे थे क्या...
साहिल – वो दादा जी ने कहा आज से कल अभी काम नहीं है इसीलिए हम दोनों गांव घूमने आ गए...
राघव – (मुस्कुरा के) अच्छा किया बेटा लेकिन अब ध्यान रखना इस जंगल में मत जाना जंगली जानवरों से भरा हुआ है ये जंगल आए दिन जंगली जानवर कभी कभी बाहर आ जाते है खेतों की तरफ इसीलिए यहां कोई नहीं आता है....
साहिल इससे पहले कुछ बोलता तभी कमल बोला...
कमल – चाचा जी शाम होने को आइए घर चले बहुत जोर की भूख लग रही है...
राघव –(मुस्कुरा के) तुम दोनों घर चलो मुझे थोड़ा वक्त लगेगा घर आने में गांव वालो से काम है मुझे...
जिसके बाद साहिल और कमल दोनों निकल गए घर की तरफ दोनों के जाते ही एक गांव वाला बोला...
गांव वाला – (राघव से) मालिक आज तक जो भी इस जंगल में गया कभी वापस नहीं आया लेकिन ये लड़का आ गया वापिस कैसे...
राघव – (मुस्कुरा के) काका ये कोई मामूली लड़का नहीं है ये हमारे प्रताप दादा का पोता है रनवीर भैया का बेटा साहिल है....
गांव वाला – सच में ये रनवीर का बेटा है कितना बड़ा हो गया है मालिक जब छोटा था तब देखा था इसको बहुत खेलता है आपके साथ बचपन में...
राघव – हा काका उसके बाद किस्मत ने जो खेल खेला है इसके साथ तब से आज तक बेचारा परिवार के प्यार को तरस गया है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा मै पिता जी से बात करूंगा ताकि साहिल अब से हमारे साथ रहे हमेशा के लिए....
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जारी रहेगा![]()
Super dhamakedar update BhaiUPDATE 7
शाम के समय शहर के बीचों बीच में खड़ी एक अलीशा हवेली के कमरे में सरला देवी (दादी) अपने कमरे में किसी गहरी सोच में डूबी हुई थी उनके चेहरे को देख के इस लग रहा था मानो किसी गहरी चिंता में डूबी हुई है तभी उनके कमरे में उनकी पोती (खुशी) हाथ में चाय लिए आती है...
खुशी – (कमरे में चाय लाते हुए) दादी चाय...
लेकिन जैसे सरला देवी का ध्यान इस वक्त कही और था जबकि कई बार खुशी ने चाय के बारे में बोला सरला देवी से लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया तब...
खुशी – (सरल देवी के कंधे पे हाथ रख के) दादी क्या बात है आप ठीक हो...
सरला देवी – (अपनी सोच से बाहर आके अपने कंधे पर अपनी पोती खुशी का हाथ देख) अरे बेटा तू कब आई कोई काम था क्या...
खुशी – दादी मै कब से आपको आवाज दे रही थी क्या हुआ दादी आप ठीक हो ना...
सरला देवी – (हल्का मुस्कुरा के) हा बेटा मै ठीक हूँ तू बता कोई काम था क्या...
खुशी – चाय देने आई थी आपको दादी...
सरला देवी – अच्छा रख दे मै पी लूंगी...
खुशी – (चाय टेबल पे रख के) क्या बात है दादी आप किस ख्याल में डूबी हो बताओ ना...
सरला देवी – कही नहीं बेटा बस ऐसे ही कुछ सोच रही थी...
खुशी – किस बारे में सोच रहे थे आप...
सरला देवी – (खुशी को देख हल्का मुस्कुरा के) कुछ नहीं बेटा तू छोड़ और बता कुछ नया हुआ क्या घर में...
खुशी – (मुस्कुरा के) होना क्या है आज दादी जाने किस ख्याल में खोई हुई थी देख के ऐसा लगता था जैसे दादी की जगह फूलन देवी हो...
बोल के हंसने लगी जिसे देख सरला देवी हंसने लगी तब...
सरला देवी – (गुस्से का नाटक करते हुए) अच्छा मै फूलन देवी हूँ रुक तुझे अभी बताती हु खुशी की बच्ची बहुत बोलने लगी है तू...
बोल के सरला देवी खुशी के पीछे आई तब तक खुशी कमरे के बाहर आ गई साथ में सरला देवी भी तब...
खुशी – (अपने कमरे में जाने के लिए सीडीओ में चढ़ते हुए पलट के बोली) और नहीं तो क्या कहा मेरी ऐश्वर्या राय दादी आज फूलन देवी बन गई...
बोल के अपने कमरे में चली गई हस्ते हुए उसके जाते ही सरला देवी भी हंसने लगी तभी सुमन और सुनैना हाल में आ गई आते ही...
सुमन (साहिल की मां) – (सरला देवी से) क्या हुआ मा...
सरला देवी – (हस्ते हुए) कुछ नहीं खुशी की बात सुन के हसी आ गई...
तभी पलट के अचानक से सरला देवी की नजर दीवार पे बने एक छोटे से छेद में गई जिसे देख सरला देवी की हसी जैसे कही गायब हो गई अब सरला देवी की चेहरे से हसी की जगह गंभीरता आ गई साथ ही आंख से आंसू की एक बूंद जिसे देख...
सुनैना (साहिल की छोटी चाची) – (सरला देवी के कंधे पे हाथ रख के) क्या हुआ मा...
सरला देवी – (बिना पलटे सुनैना से) कुछ नहीं बहू ऐसा लगता है मेरे मरने के बाद भी मेरी आत्म भटकती रहेगी अपने बच्चे की चिंता लिए...
सरला देवी की बात सुन सुमन और सुनैना समझ जाते है कि साहिल के बारे में सोच रही है सरला देवी तभी...
सुमन – मा आप कुछ ज्याद नहीं सोच रही है और ये क्या बात बोले जा रही हो आप बुरी चीजों के बारे में कभी सोचा नहीं करते आपका परिवार आपके साथ है हमेशा बस आप ऐसी बाते मत सोचा करिए मा...
सरला देवी – एक मा के लिए उसका बच्चा क्या होता है ये तो वही मा समझ सकती है सिर्फ बाकी किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है सुमन...
आज पहली बार सुमन ने अपनी सास सरला देवी के मू से बहु की जगह अपना नाम सुन के चुप हो गई जिसके बाद....
सरला देवी – इन्होंने (अपने पति) इतनी मेहनत से इतनी बड़ी हवेली बना दी लेकिन उन्हें क्या पता इतनी बड़ी हवेली में रहने वाले लोगों का दिल कितना छोटा है जो सालों से सिर्फ नफरत की आग में जल रहे है इतनी भी शर्म नहीं रही उनमें अपनी इस नफरत की आग में अपने बच्चों को भी शामिल कर दिया सुमन शायद इसीलिए ऊपर वाले ने सजा दी है हमें जो हमारे बाद हमारे नाम का चिराग जलाने वाला होते हुए भी हमें नसीब में नहीं दिया शायद इसीलिए ऊपर वाले ने सिर्फ बेटियां दे दी हमें...
सरला देवी की ऐसी कड़वी बात सुन के सुमन और सुनैना ने अपने मू पे हाथ रख लिया साथ ही दोनों की आंखों से आंसू निकल आए तभी घर में एक आदमी आया आते ही...
आदमी – (सरला देवी से) प्रणाम काकी आपने बुलाया मुझे...
सरला देवी – हा रामू मैने इसीलिए बुलाया है कि कल हम सब गांव जा रहे है तुम गाड़ियों को अच्छे से देख लो क्योंकि कल मुझे कही जाना है उसके बाद वही से गांव जाऊंगी...
रामू – ठीक है काकी मै देख लेता हु...
बोल के रामू चला गया उसके जाने के बाद...
सरला देवी – (बिना देखे सुनैना और सुमन से) कल गांव जा रहे है हम याद रखना गलती से भी कोई गलती न होने पाय किसी से भी साथ ही बच्चों को भी समझा देना वर्ना कही और घर देख लेना अपने रहने के लिए अपने जिगर के टुकड़े के लिए जितना बरदाश करना था कर लिया मैने अब और नहीं...
बोल के सरला देवी अपने कमरे में चली गई उनके जाने के बाद सुमन और सुनैना रोते हुए अपने कमरे में चली गई जैसे ही सुमन अपने कमरे में आई तभी उसकी बेटी कविता ने अपनी मां को रोते देखा....
कविता (साहिल की बहन) – (अपनी मां को रोता देख) क्या हुआ मा आप रो क्यों रहे हो बताओ...
लेकिन सुमन कुछ नहीं बोलती फिर...
कविता – आखिर बात क्या है मा क्यों रोए जा रही हो आप...
सुमन – (अपने आंसू पोछते हुए) कुछ नहीं बस ऐसे ही रोना आ गया...
कविता – क्यों झूठ बोल रही हो मा ऐसे ही कोई रोता ही क्या भला अब बताओ भी बात क्या है...
सुमन – नहीं कोई बात नहीं है बस अपने मम्मी पापा की याद आ गई थी मुझे....
कविता – ओह मै तो डर गई थी जाने क्या होगया आपको....
सुमन – चल जाने दे कल चलने की तैयारी कर ली है ना तूने अपनी...
कविता – हा कर ली है मा...
सुमन – ठीक है और हा ध्यान रखना एक बात का कल वो मिलेगा गांव में कोई बात चित मत करना उसके बारे में तेरी दादी ने बोला बताने को वर्ना घर में आने नहीं देगी दादी किसी को हवेली में समझी अब जाके बाकी बच्चों को भी बता दे....
जिसके बाद कविता कमरे से निकल तो गई लेकिन अपनी किसी सोच में डूबे हुए जाने लगी थी जबकि इधर सुनैना के कमरे में उसकी दोनों बेटियां ने जब अपनी मां को रोता हुआ कमरे में आता देखा तब उन्होंने भी पूछा लेकिन जवाब नहीं मिला जिसके बाद सुनैना ने भी अपनी दोनों बेटी को वही कहा जो सुमन ने बोला अपनी बेटी को गांव के लिए जिसके बाद खुशी और अवनी भी कमरे से बाहर निकली सोनम और पूनम (साहिल की कजिन बहन) के कमरे में जाने के लिए बाहर निकलते ही कविता मिली और मिलते ही...
कविता – तुम दोनों कहा जा रहे हो...
खुशी – हम तो सोनम और पूनम दीदी के कमरे में जा रहे है लेकिन आप कहा जा रही हो...
मै तुम दोनों के पास आ रही थी वो कल गांव चल रहे है हम सब तो मा ने बोला कि सबको बता दे...
खुशी – (बीच में) की उस कातिल से कोई बात ना करे यही ना...
कविता – हा लेकिन तुम्हे कैसे पता...
खुशी – अभी मा भी जाने क्यों रोते हुए कमरे में आई हमने पूछा भी क्यों रो रही है लेकिन नहीं बताया कुछ भी...
कविता – हा यही हाल मेरे मा का भी था...
अवनी – हो ना हो उस कमीने की जरूर बात हुई है जिस वजह से हमारी मां बोल रही है हमें इस बारे में लेकिन समझ में नहीं आई बात की मा किस बात को लेके रो रही थी...
बोलते बोलते तीनों सोनम और पूनम के कमर एम आ गए आते ही उन्हें सब कुछ बता दिया जिसके बाद...
सोनम – देख यार वैसे भी हमारा कोई मतलब नहीं उस कातिल से जो हम उसके बारे में बात करके अपना मन खराब करे वो उसका और दादी का मैटर है हमारा क्या लेना देना हम सिर्फ शादी में चल रहे है शादी होते ही हम अपने घर में होगे और रही उसकी बात तो शायद धीरेन्द्र दादा ने उसकी औकात के हिसाब से उसे बुलाया होगा ताकि काम करवा सके उससे वैसे भी उसका इस घर से कोई ताल्लुख नहीं तो हमें ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है इस बारे में...
पूनम – और न ही तुम लोगों को सोचने की जरूरत है वैसे भी गली के कुत्ते की तरह है तोड़ रहा होगा वहा पर मुफ्त की रोटियां....
खेर आप लोगों को समझ में आया ही होगा कि यहां क्या और किसके बारे में बाते चल रही है चलो चलते है गांव की तरफ जहां साहिल और कमल घूमने निकले है दोनों ही अपनी मस्ती में गांव के खेतों में घूम रहे थे चलते चलते उन्हें खेतों में काम करने वाले कई लोग दिखे साथ ही उन सब ने भी इन दोनों को देखा वजह ये थी कि साहिल और कमल अपनी मस्ती चलते जा रहे थे लेकिन खेतों में काम करने वालों की नजर इसीलिए चली गई इन दोनों पे क्योंकि ये दोनों चलते चलते जंगल की तरफ जा रहे थे तभी साहिल और कमल ने मस्ती की एक दूसरे से जिसके बाद साहिल तेजी से भागा और उसके पीछे कमल भागा हस्ते हुए और तभी एक गांव वाले ने आवाज लगाई चुकी साहिल तेजी से आगे की तरफ भाग रहा था तो उसे आवाज नहीं सुनाई दी लेकिन कमल आवाज सुन रुक गया तभी गांव वाला कमल के पास आके...
गांव वाला – (कमल से) बेटा कहा भागे जा रहे हो तुम...
कमल – कही नहीं काका वो मेरा दोस्त मस्ती कर रहा था उसके पीछे भाग रहा था लेकिन बात क्या है काका....
गांव वाला – बेटा तुम उस जंगल की तरफ मत जाओ वो श्रापित है जंगल...
कमल – (चौक के) कौन सा जंगल काका कैसा जंगल....
गांव वाला – वही बेटा जहां तुम और तुम्हारा दोस्त भाग रहे थे...
कमल – (गांव वाले की बात सुन जैसे ही पलता देखा साहिल नहीं है वहां पर) ये साहिल कहा गया...
बोल के कमल आगे जंगल की तरफ जाने लगा जिसे देख गांव वाले ने कमल का हाथ पकड़ लिया तब....
गांव वाला – रुक जाओ बेटा मत जाओ उस जंगल में वहां पर जाने वाला कभी वापस नहीं आया....
कमल – (गांव वाले से अपना हाथ छुड़ा के) ऐसी बेतुकी बातों को मै नहीं मानता काका...
तभी वहां पे गांव के और लोग भी आ गए जो कमल को रोकने लगे थे लेकिन कमल मानने को तैयार नहीं था काफी बहस होने लगी तभी एक रौबदार आवाज आई जिसे सभी गांव वाले उसे देख...
सभी गांव वाले – प्रणाम राघव बाबू...
राघव – प्रणाम क्या बात है आज सब यहां पे...
तभी एक गांव वाले ने सारी बात बताई राघव को जिसे सुन के....
राघव – (कमल से बात करता है) कौन हो तुम बेटा यहां गांव में किस लिए आए हो...
तभी कमल सारी बात बताता है जिसे सुन के...
राघव – तुम्हारा कहने का मतलब है साहिल जंगल में चल गया (कुछ सोच के सभी गांव वालो से) मशाल लेके आओ हमें जाना होगा इस जंगल में अभी....
यहां ये सब चल रहा था जबकि साहिल जब तेजी से भाग के जंगल में आया था तभी कुछ देर बाद साहिल ने पलट के देखा तो खुद को अकेले पाया जंगल में इसे पहले साहिल कुछ समझ पाता तभी उसे किसी की चीख सुनाई दी जो साहिल के आस पास कही से आ रही थी आवाज की दिशा में थोड़ा आगे बढ़ा ही था साहिल तभी उसने देखा एक लड़की जो पैर पकड़ के पेड़ के नीचे बैठी थी जब साहिल उसके पास गया तभी...
साहिल – (लड़की से) आप क्यों रो रहे हो क्या हुआ आपको...
लड़की – (साहिल तरफ देख) आप मुझसे बात कर रहे हो...
साहिल – हा आपके इलावा कौन है यहां पर और आपके पैर में क्या हुआ है....
लड़की – मेरे पैर में काटा लग गया है...
साहिल – लाइए मै देख लेता हु...
लड़की – नहीं नहीं आप रहने दो मै ठीक हो जाऊंगी अपने आप...
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) हा लेकिन उससे आपका दर्द तो कम नहीं होगा ना वर्ना आप अपने घर कैसे जाओगे यहां से...
तभी साहिल लड़की के पैर को देखता जहां पे काटा लगा हुआ था उसे धीरे से निकलता है जिसके बाद लड़की जमीन में पैर रखती है उसे फिर से हल्का दर्द होता है तभी...
साहिल – एक मिनिट मै कुछ करता हु...
तब साहिल अपनी जेब से रुमाल निकाल के उसे अच्छे से लड़की के पैर में बांधता है...
साहिल – अब पैर नीचे रख के खड़ी हो जाओ...
जैसे ही लड़की खड़ी होती है उसे अब दर्द नहीं होता है तब हल्का सा मुस्कुरा के....
लड़की – शुक्रिया आपक आपने मेरी मदद की...
साहिल – कोई बात नहीं लेकिन आप अकेले इस जंगल में क्या कर रहे हो...
लड़की – (मुस्कुरा के) आप भी तो अकेले हो जंगल में...
साहिल – हा मै अपने दोस्त के साथ था थोड़ी मस्ती कर रहे थे तभी मैने आपकी आवाज सुनी तो यहां आ गया...
लड़की – अकेले जंगल में आपको डर नहीं लगा...
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) पहले डरता था मै लेकिन अब डर नहीं लगता है किसी का भी , क्या मै आपको जंगल के बाहर तक छोड़ दूं....
लड़की – (एक तरफ इशारा करके) वो मेरा घर है मै यही रहती हु...
साहिल – (लड़की के घर की तरफ देखता है जो काफी सुंदर लगता है वहां से साहिल को सड़क भी दिखती है जिसके बाद) ओह तो यहां से सड़क भी जाती है और मै सोच रहा था आप इस जंगल में घर कैसे बनवाया होगा...
लड़की – आइए मेरे घर में...
साहिल – अरे नहीं अभी मुझे जाना होगा वो क्या है ना मै यहां शादी में आया हु जो अगले हफ्ते है आप भी गांव में रहते हो आप तो आओगे ना शादी में...
लड़की – अगर आप बुलाओगे तो जरूर आओगी....
साहिल – (पहले मुस्कुराता है फिर अचानक से) अरे इतनी देर से हम बात कर रहे है लेकिन मैने तो अपना नाम बताया नहीं आपको मेरा नाम साहिल है और आपका....
लड़की – मेरा नाम सेमेंनथा है...
साहिल – बहुत खूबसूरत नाम है आपका अच्छा चलता हूँ ख्याल रखिएगा आप अपना...
सेमेंनथा – फिर कब आओगे तुम....
साहिल – कल आऊंगा मै उसके बाद का कह नहीं सकता क्योंकि शादी में नहीं बल्कि शादी के साथ उसमें होने वाले काम में हाथ भी बताने आया हु मै वैसे आप तो आओगे ना शादी में....
सेमेंनथा – आप बुलाओगे तो जरूर आऊंगी...
साहिल – अच्छा ठीक है मै कल आपको न्योता देने आऊंगा पक्का अच्छा चलता हूँ मै...
बोल के साहिल जाने लगा तभी पीछे से...
सेमेंनथा – साहिल सुनो...
साहिल – (पलट के) जी कहिए...
सेमेंनथा – आप इस तरफ से आए हो इस तरफ से जाओ आप आपका दोस्त शायद ढूंढ रहा होगा आपको...
साहिल – ओह शुक्रिया सेमेंनथा अच्छा किया बता दिया वर्ना मैं गलता रस्ते चल जाता (फिर चारों तरफ देख के) अब याद हो गया मुझे ये जगह मै कल आऊंगा फिर से...
बोलके साहिल निकल जाता है जंगल से उसके जाने के बाद सेमेंनथा मुस्कुरा रही होती है तभी अचानक से सेमेंनथा गायब हो जाती है और आ जाती है मंदिर के बाहर जहां एक पुजारी बैठा होता है उसे देख...
सेमेंनथा – (पुजारी को प्रणाम करती है) प्रणाम बाबा (जगन्नाथ)...
जगन्नाथ – क्या बात है पुत्री आप बहुत खुश लग रही हो...
सेमेंनथा – (मुस्कुरा के) हा बाबा आज बरसो के बाद कोई मिला मुझे जो मुझे देख सकता है क्या ये वही है बाबा...
जगन्नाथ – हा पुत्री ये वही है....
सेमेंनथा –(खुश होके) वो मुझे कल शादी में आने का न्योता देने आने वाला है...
जगन्नाथ – हम्ममम कल उसे अपने बारे में बता देना पुत्री....
इस तरफ साहिल जंगल से बाहर आता तो देखता है उसका दोस्त कमल के साथ गांव के कुछ लोग थे जो बात कर रहे थे उनके पास जाके...
साहिल – तू यहां पर है मुझे लगा तू मेरे पीछे आया होगा....
कमल – तू आ गया अच्छा हुआ वर्ना हम तो तुझे ढूंढने आ रहे थे...
साहिल – ढूंढने मुझे लेकिन क्यों...
राघव – (बीच में) तुम्हे उस जंगल में नहीं जाना चाहिए था बेटा...
साहिल – जी आप कौन...
राघव – (मुस्कुरा के) मै तुम्हारा चाचा हूँ बेटा धीरेन्द्र जी का बेटा राघव...
साहिल बात सुन उनके पैर छू के...
साहिल – प्रणाम चाचा...
राघव – (मुस्कुरा के साहिल के सिर पे हाथ रख के) खुश रहो साहिल बेटा और बताओ तुम यहां कैसे हवेली में बोर हो रहे थे क्या...
साहिल – वो दादा जी ने कहा आज से कल अभी काम नहीं है इसीलिए हम दोनों गांव घूमने आ गए...
राघव – (मुस्कुरा के) अच्छा किया बेटा लेकिन अब ध्यान रखना इस जंगल में मत जाना जंगली जानवरों से भरा हुआ है ये जंगल आए दिन जंगली जानवर कभी कभी बाहर आ जाते है खेतों की तरफ इसीलिए यहां कोई नहीं आता है....
साहिल इससे पहले कुछ बोलता तभी कमल बोला...
कमल – चाचा जी शाम होने को आइए घर चले बहुत जोर की भूख लग रही है...
राघव –(मुस्कुरा के) तुम दोनों घर चलो मुझे थोड़ा वक्त लगेगा घर आने में गांव वालो से काम है मुझे...
जिसके बाद साहिल और कमल दोनों निकल गए घर की तरफ दोनों के जाते ही एक गांव वाला बोला...
गांव वाला – (राघव से) मालिक आज तक जो भी इस जंगल में गया कभी वापस नहीं आया लेकिन ये लड़का आ गया वापिस कैसे...
राघव – (मुस्कुरा के) काका ये कोई मामूली लड़का नहीं है ये हमारे प्रताप दादा का पोता है रनवीर भैया का बेटा साहिल है....
गांव वाला – सच में ये रनवीर का बेटा है कितना बड़ा हो गया है मालिक जब छोटा था तब देखा था इसको बहुत खेलता है आपके साथ बचपन में...
राघव – हा काका उसके बाद किस्मत ने जो खेल खेला है इसके साथ तब से आज तक बेचारा परिवार के प्यार को तरस गया है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा मै पिता जी से बात करूंगा ताकि साहिल अब से हमारे साथ रहे हमेशा के लिए....
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जारी रहेगा![]()