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Incest आंधी (नफ़रत और इन्तकाम की)

fuckeravi123

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UPDATE 12


इस वक्त धीरेन्द्र की हवेली में आज किसी ने खाना नहीं खाया था आज जो कुछ भी हुआ उसके बाद हर किसी की भूख जैसे मर सी गई थी साहिल को अटैक से होश में आने के बाद सरला देवी (दादी) ने साहिल को एक मां की तरह संभाला जैसा वो पिछले 12 सालों से करती आ रही थी। जिसके बाद कमल अपने साथ साहिल को ले गया कमरे में सोने के लिए लेकिन अटैक से होश में आते ही साहिल ने जो भी बोला उससे आज साहिल के पूरे परिवार वालों के दिमाग में एक सवाल घर कर गया था कि अगर साहिल ने नहीं मारा था प्रताप सिंह को तो किसने मारा था और साहिल पर इल्जाम कैसे आया और क्यों। उन सब के मन में ये बात पक्की हो गई थी कि हो ना हो इस बारे में सरला देवी जरूर जानती है तभी इतने सालों से साहिल का साथ दे रही है अब सवाल ये था कि सरला देवी क्यों छुपा रही है ये बात सभी घर वालों से। जबकि इस तरफ सबकी तरह शायद आज नींद तो साहिल की आंखों से कोसों दूर थीं। साहिल बेड में लेटा हुआ था कमल के साथ की तभी साहिल उठ कर अपने बैग से कुछ ढूंढने लगता है तब...

कमल –(सिगरेट का पैकेट देते हुए साहिल को) इसे ढूंढ रहा है ना ले...

सिगरेट का पैकेट लेके कमरे की बाल्कनी में चला गया सिगरेट पीने लगा उसे देख कमल भी पास आके सिगरेट पीने लगा इस बात से अंजान हवेली के ऊपर बने सभी कमरों की एक ही बाल्कनी है जहां साहिल के बगल वाले कमरा जो निधि का था जिसमें निधि के साथ कविता और सुमन थी नींद उनकी आंखों में नहीं थी वो भी इस वक्त बाल्कनी में खड़ी थी तभी उन्होंने साहिल को देखा जो कमरे से बाल्कनी में आके सिगरेट पीने लगा था बिना उनकी तरफ ध्यान दिए चाह के भी सुमन और कविता में हिम्मत नहीं हो रही थी साहिल के पास जाने की जबकि साहिल के कमरे के दूसरी तरफ के कमरे में सुनैना , सुनीता और अमृता थे ये तीनों भी बाल्कनी में खड़े थे इन्होंने भी साहिल को बाल्कनी में सिगरेट पीते देख रहे थे जबकि इस तरफ साहिल तो अंजान था इस बात से लेकिन कमल ने देख लिया था सभी को पर बोला कुछ नहीं तब...

साहिल – (सिगरेट पीते हुए कमल को बिना देखे) कल सुबह होते ही हम दोनों वापस निकल जाएंगे यहां से...

कमल – (बात सुन के) हम्ममम और दादी को क्या बोलेंगे...

साहिल – मै बाद में बात कर लूंगा दादी से....

कमल – दादी नाराज हो जाएगी यार...

साहिल – (बिना कमल की तरफ देखे) आज जो हुआ उसके बाद भी लगता है तुझे कल कुछ नहीं होगा , जाने और क्या क्या प्लान बना के आए होगे ये लोग मै नहीं चाहता मेरी वजह से शादी के माहोल में कोई दिक्कत आए उससे अच्छा निकल चलते है हम यहां से और दादी नाराज नहीं होगी समझ जाएगी बात को....

कमल – हम्ममम ठीक है जैसा तू बोले चलते है कल सुबह वापस....

साहिल –(सिगरेट फेक के) ठीक है चल बैग पैक करके सोते है...

बोल के दोनों निकल गए कमरे में जबकि साहिल की वापस जाने वाली बात सभी ने सुन ली थी जिसे सुन के....

निधि – (सुमन से) लीजिए भाभी सबकी मन मांगी मुराद पूरी होने वाली है कल सुबह चला जाएगा साहिल यहां से अब तो आप बहुत खुश होगी न...

बोल के निधि गुस्से में चली गई अपने बेड में सोने...

जबकि सुमन बिना निधि की बात पर ध्यान दिए तुरंत ही निकल गई निधि के कमरे से दादी के कमरे की तरफ जहां दादी अपने कमरे में बेड में बैठी हुई थी तभी सुमन अन्दर आ गई उसके साथ कविता भी आई जिसे देख...

दादी – (सुमन और कविता को देख) तुम दोनों इस वक्त क्या बात है....

सुमन –(रोते हुए दादी के पैर में गिर के) मुझे माफ कर दीजिए मा बहुत बड़ी गलती हो गई मुझसे पागल थी जो सबकुछ सामने होते हुए भी देख ना पाई मा माफ कर दीजिए मा मुझे...

बोल के रोती रही सुमन साथ में कविता एक जगह खड़ी रो रही थी तब...

दादी – (मुस्कुरा के) साहिल कल वापस जा रहा है ना इसीलिए तुम इतना परेशान हो रही हो....

सुमन – (रोते हुए दादी की तरफ देख हा में सिर हीला के) रोक लीजिए उसे मत जाने दीजिए उसे मा....

दादी – मै जानती हु साहिल को वो ऐसा ही करेगा लेकिन तुम क्यों परेशान हो रही है 12 सालों में तो तुमने सोचा नहीं फिर आज किस लिए क्योंकि आज जो हुआ उसमें साहिल गलत नहीं था इसीलिए या फिर उसे अटैक आने के बाद जो हुआ इसीलिए...

सुमन – (रोते हुए) मा मुझे कुछ नहीं जानना बस मुझे मेरा साहिल वापस चाहिए....

दादी – ये जानते हुए भी कि वो कातिल है तेरे ससुर जी का....

सुमन – नहीं मा वो ऐसा नहीं है मै जान चुकी हूँ मा....

दादी – (मुस्कुरा के) मतलब तो यही हुआ ना सुमन आज तुझे पता चल गया कि साहिल कातिल नहीं है इसीलिए तू उसे रोकना चाहती है तभी आई हो मेरे पास और अगर आज भी तुझे पता ना चलता तो....

सुमन – मा आपको जो सजा देनी है दे दो मुझे लेकिन उसे रोक लो मा मै नहीं चाहती वो दूर हो जाय फिर से मुझसे...

दादी – दूर भी तो तुम सब ने किया था उसे और अब तुम चाहती हो मै उसे जाने से रोक लू....

सुमन – मै जानती हु मा लेकिन ये सच नहीं है , मा मैने कभी ऐसा नहीं सोचा था लेकिन साहिल के प्रति सभी घरवालों की कड़वी बात सुन सुन के मै पागल हो गई थी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करू क्या ना करू...

दादी – और बाकियों की तरह तुमने भी छोड़ दिया उसे मरने के लिए अकेला ये तक नहीं सोचा एक छोटा बच्चा कहा जाएगा कैसे रहेगा....

सुमन – मानती हूँ मा गलती मुझसे भी हुई वो भी बहुत बड़ी लेकिन अब नहीं मा अब मै ऐसा नहीं होने दे सकती मा बस उसे रोक लो मा बदले में आप जो कहो मै करने को तैयार हूँ...

दादी – चल तेरी बात मान भी लू एक बार लेकिन बाकी लोगों का क्या और क्या पता वो क्या क्या तैयारी करके आए हो साहिल के लिए....

सुमन – छोड़ दूंगी मै सबको साहिल के लिए....

दादी – अच्छा और यही फैसला तुमने पहले लिया होता तो आज तुम्हे मेरे सामने इस तरह से नहीं आना पड़ता सुमन और ना ही साहिल की ऐसी हालत होती....

सुमन – मा एक बार बस एक मौका दीजिए मा मै कविता की कसम खाती हूँ साहिल को बहुत प्यार दूंगी भले लड़ना पड़े मुझे सभी से अपनी आखिरी सास तक उसका साथ दूंगी मै...

कविता – दादी , मा सही बोल रही है कसम खाती हूँ मै भी साथ दूंगी अपने भाई का...

दादी – (दोनों की बात सुन गौर से देखती है दोनों को तब) सोच लो तुम दोनों क्या सहन कर पाओगी साहिल की नफरत को...

सुमन – सब कुछ सहन करूगी मै पलट के जवाब तक नहीं दूंगी हस्ते हस्ते उसकी नफरत सहन कर लूंगी बस आप साहिल को रोक लो मै चाहती हूं साहिल घर में रहे हमारे साथ हमेशा के लिए बस....

दादी – ठीक है तुम चिंता मत करो साहिल कही नहीं जाएगा...

सुमन – (हल्का मुस्कुर के) ठीक है मा...

बोल के सुमन और कविता गले लग गई दादी के...

दादी – (मुस्कुरा के) चलो अब आराम करो तुम लोग...

जिसके बाद सुमन और कविता जाने लगी तभी...

दादी – (दोनों को बीच में टोक के) और कुछ नहीं जानना है तुम्हे सुमन...

सुमन – (रुक के) और क्या जानना है मां....

दादी – यहीं की अगर साहिल ने नहीं मारा अपने दादा को तो किसने मारा है...

सुमन – (चौक के) क्या मतलब है मां (कुछ सोच के) इसका मतलब आप जानते हो किसने मारा था बाबू जी को और अगर आप जानती थी तो बोला क्यों नहीं आपने उस वक्त मां और कौन है वो जिसने ये घिनौना काम किया है...

दादी – (सुमन और कविता को देख के) सुन पाओगी उसका नाम तुम दोनों...

कविता –(गुस्से में) जान से मार दूंगी मै उस कुत्ते को जिसकी वजह से मेरे भाई ने इतने साल पूरे परिवार की जिल्लत झेली है....

सुमन – मा कौन है वो क्या नाम है उसका....

दादी – (सुमन और कविता को देख के) तेरा पति रनवीर सिंह (कविता से) तेरा पिता रनवीर सिंह है वो कातिल जिसने मेरी मांग का सिंदूर उजाड़ दिया जिसने अपने ही बच्चे को अपने बाप का कातिल बना दिया पूरे परिवार की नजरों में....

सुमन – (दादी की बात सुन के) ये नहीं हो सकता मा कह दो आप झूठ बोल रही हो ये नहीं हो सकता मा...

कविता – हा दादी मेरे पापा ऐसा नहीं कर सकते वो तो बहुत प्यार करते थे दादा जी को वो कैसे....

दादी – क्यों यकीन नहीं हो रहा है ना सुमन क्योंकि वो तेरा पति है (कविता से) क्यों कविता वो तेरा पिता है इसीलिए फिर साहिल क्या है तुम दोनों के लिए वो कातिल है इस बात पे यकीन कैसे कर लिया तुम दोनों ने बोलो है जवाब इसका। नहीं ना लेकिन यही सच है रनवीर ने मारा है अपने पिता को मेरी आंखों के सामने...

दादी की बात सुन के सुमन और कविता मू में हाथ रख के रोने लगे जमीन में बैठ के...

सुमन – (रोते हुए) कह दो मा ये झूठ है वो ऐसा नहीं कर सकते है मा भला अपने पिता को क्यों मारेगे वो और अगर उन्होंने मारा तो साहिल के हाथ में बंदूक कैसे आ गई...

दादी – अच्छा तो जरा ये बता साहिल ने अपने दादा को मारा किसने कही थी ये बात याद है तुझे....

सुमन – इन्होंने (रनवीर) ने कही थी बात हम सभी को....

दादी – और बंदूक कहा से आई साहिल के पास...

सुमन – साहिल ने वो बंदूक को अपने पिता रनवीर के कमरे से उठाई थी....

दादी – (मुस्कुरा के) और ये बात किसने बताई पूरे परिवार को....

सुमन – रनवीर ने बताई थी मा लेकिन...

दादी – (बीच में टोक के) रनवीर ने बताया और मान लिया तुम सब ने उस बात को ये भी नहीं सोचा कि बंदूक उठाना और उसे चलाने में कितना अंतर है क्या एक बच्चा बंदूक का ट्रिगर दबा सकता है क्या ये बात सोची उस वक्त किसी ने भी नहीं ना और साहिल क्यों लेके आया था बंदूक तेरे कमरे से....

सुमन – रनवीर को मारने के लिए...

दादी – (मुस्कुरा के) और ये बात भी रनवीर ने बोली होगी सबको...

सुमन – हा मां क्योंकि साहिल बहुत गुस्से में था रनवीर से उस दिन और जब ये सब हुआ तब हाल में कोई नहीं था हम सब कमरे में थे अपने , गोली की आवाज सुनते ही हम सब दौड़े चले आए हाल में और जब बाबू जी को जमीन में पड़ा देख उनके कपड़ों में खून देख डर गए हम सब तब रनवीर और बड़े भइया ने तुरंत बाबू जी को अपनी गाड़ी में अस्पताल लेके निकल गए साथ में हम सब भी...

दादी – जब तुझे इतना सब याद है तब तो सुमन तुझे ये भी याद होगा उस वक्त दिन में क्या हुआ था...

दादी की बात सुन सुमन उस दिन के बारे में सोचने लगी थी तभी...

कविता – दादी उस दिन ऐसा क्या हुआ था बताओ....

दादी – बताती हु आज तुम दोनों को वो सच (सुमन से) तुझे याद है सुमन जिस दिन ये सब हुआ उस दिन दोपहर के वक्त जब साहिल स्कूल से घर आ रहा था साइकिल से तब उसकी साइकिल का ब्रेक टूट गया था लेकिन जैसे ही साहिल घर के बाहर आया साइकिल से तभी रीना सामने आ गई और साहिल की साइकिल रीना को सिर्फ छू गई थी जिस बात का रीना ने कितना बवाल किया ये दिखाने के लिए की साहिल ने जान भुज के रीना को टक्कर मारी है और रीना को पैर में दर्द हो रहा था जिस वजह से रनवीर ने गुस्से में साहिल को बहुत मारा था उस वक्त और घर से निकल जाने को बोला लेकिन तब साहिल के दादा ने आके रोका रनवीर को तब रनवीर ने अपने पिता से कहा था कि वो

(साहिल को घर से निकाल देगे क्योंकि साहिल घर में रह के दिन भर परेशान करता है सबको जाने कितनी बार रीना को चोट पहुंचाई)...

दादी – ऐसी बातों का फायदा रीना हर बार उठाती थी दर्द का बहाना करके जिस वजह से रनवीर ने उस दिन यहां तक बोल दिया अपने पिता से की साहिल की पढ़ाई बंद करवा देगा लेकिन तब साहिल के दादा ने भी बोल दिया था वो पढ़ाएंगे साहिल को आगे उसके लिए रनवीर को परेशान होने की जरूरत नहीं है और सुमन अगर तुम्हे याद हो तो उस दिन से लेके शाम तक साहिल अपने दादा और मेरे साथ था पूरा वक्त तभी शाम को मै रसोई में जा रही थी चाय लेने इनके (अपने पति) के लिए उस वक्त साहिल मेरे साथ था तभी किसी का फोन आया साहिल के दादा को वो फोन पर बात करने लगे उसी बीच रनवीर अपने कमरे से निकल के हाल में आया और अपने पिता से बात करने लगा था जाने क्या बात हो रही थी दोनों में तभी मैंने साहिल को चाय दी अपने दादा को देने के लिए जैसे ही साहिल निकला रसोई से तभी मुझे ध्यान आया कि मैने आज इनको (अपने पति) को दवा नहीं दी शाम की उसके लिए जैसे ही मै रसोई से बाहर निकली तभी मैंने देखा रनवीर ने अपने पिता को गोली मार दी गोली लगते ही वो (पति) जमीन पर गिर गए और मै बस देखती रही अपने सोचने की हालत खो बैठी थी मै बस देखती रही अपनी आंखों से सब कुछ तभी रनवीर गया साहिल के पास उस वक्त मैने देखा रनवीर को जो अपनी बंदूक को साहिल के हाथ में थमा रहा था बेचारा साहिल उसके चेहरे पर अपने दादा के खून के छीटे पड़े हुए थे और वो अपने दादा को इस हालत में देख जैसे पत्थर बन गया था तभी सारे घर वाले नीचे आ गए हॉल में और जल्दी से इनको (पति) को हॉस्पिटल लेके जाने लगे उस वक्त मेरी हालत ऐसी थी सब कुछ देख रही थी अपनी आंखों से लेकिन कुछ बोल नहीं पा रही थी और ना कुछ कर पा रही थी बस एक पुतले की तरह चलती हुई सबके साथ कब अस्पताल आई पता नहीं चला मुझे , जब अस्पताल में उनकी (पति) आखिरी सांसे चल रही थी तब उन्होंने मुझे हिला के यही कहा कि साहिल का ख्याल रखने को उसके बाद उन्होंने अपना दम तोड़ दिया...

इतना बोल के दादी रोने लगी तभी कविता दादी के पास आ गले लग जाती है तब....

दादी – उनके दम तोड़ने के काफी देर बार अचानक मुझे साहिल का ध्यान आया जो उस वक्त अस्पताल में नहीं था तब मैने रामू (ड्राइवर) को बोल के साहिल के पास भिजवा दिया ख्याल रखने को। घर आने के कुछ समय बाद रामू ने मुझे बताया कि साहिल तब से गुम सूम है बिना कुछ बात किए...

कविता – (रोते हुए अलग होके) दादी इतने सालों से आप अकेले इतना दर्द झेल रहे थे आपने बताया क्यों नहीं किसी को इस बारे में...

दादी – (रोते हुए) मै क्या करती बेटा जिस दिन तेरे दादा के साथ ये सब हुआ था उस नजारे को मै भूल नहीं पा रही थी मैने देखा था रनवीर को उसने साहिल के साथ क्या किया लेकिन मैं हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी कैसे अपने पति से किए वादे को निभाऊं लेकिन दूसरे दिन मै सम्भल चुकी थी तब साहिल मेरे साथ गुम सूम बैठा था तभी रनवीर जाने कहा से आया और आते ही साहिल पर हाथ उठाया जिससे साहिल जमीन में गिर गया बस उस दिन जाने कहा से मुझमें हिम्मत आगई और मैने रनवीर को बहुत खरी खोटी सुनादी मै तो सारा सच बोलने वाली थी उस दिन सबको लेकिन जब मैने देखा कि बड़ों के साथ उन्होंने अपने बच्चों के दिल में साहिल के खिलाफ जहर भर दिया है तब मुझे साहिल को उस घर से दूर रखना सही लगा और जब साहिल को दूर किया तभी मुझे पता चला साहिल पे आने वाले अटैक के बारे में तब मैने साहिल को कई बड़े से बड़े डॉक्टरों को दिखाया पानी की तरह पैसे बहाते चली गई लेकिन कही पर भी राहत नहीं मिली मेरे बच्चे को मेरे सामने दिक्कत ये थी कि मै हर वक्त साहिल के साथ नहीं रह सकती थी इस समस्या का हल ढूंढ रही थी मै तभी एक दिन सुनीता ने बताया NGO के बारे में जहा मैं गई थी वहां मैने एक लड़के को देखा जो बिल्कुल साहिल की उम्र का था लेकिन उस वक्त साहिल बहुत भोला भला था जबकि वो लड़का उससे भी तेज था मैने उससे बात की उसे साहिल के बारे में बताया वो मेरी पूरी बात गौर से सुनता रहा तब मैने उसे साहिल के साथ रहने को कहा वो मेरी बात मान गया उसके बाद से मैने उसे साहिल से मिलाया 2 दिन में दोनों की अच्छी दोस्ती हो गई उसके बाद से वो साहिल के साथ रहने लगा मै जब भी नहीं होती तो वो साहिल का ख्याल रखता जब भी अटैक आता साहिल को वो संभालता था साहिल को , साथ ही मेरे से हर रोज बात करता सारे दिन की बात बताता था मुझे , जानती हो वो लड़का कोई और नहीं कमल है साहिल का सबसे खास दोस्त वो भी यही है उसके साथ , (सुमन से) अब तू खुद सोच साहिल बंदूक लेने तेरे कमरे में कैसे आता जबकि तेरा कमरा ऊपर फ्लोर पे है लेकिन साहिल तो नीचे था पूरा वक्त मेरे साथ....

सुमन – (रोते हुए दादी से) आखिर रनवीर ने क्यों किया ऐसा...

दादी – सुमन वो क्या बात थी ये मुझे नहीं पता लेकिन ये बात पक्की थी कि घर में इस बात का कोई यकीन नहीं करता कि रनवीर ने मारा अपने पिता को क्योंकि सब जानते थे कि रनवीर अपने पिता से कितना प्यार करता था उनके मरने के बाद उनके नाम से रनवीर ने वो काम किए जिसे पूरे परिवार की नजरों में रनवीर से काबिल बेटा कोई नहीं है जैसे और उस हादसे के बाद से तुम जानती हो कि रनवीर कितना रहता था घर में ज्यादा तर वक्त सिर्फ बाहर रहता है कभी कभी तो मुझे पता नहीं चलता रनवीर कब घर आया और चला गया एक तरह से मैने तो उससे बात करना छोड़ दिया था क्योंकि मुझे डर था कि अपने पिता की तरह रनवीर मार ना दे साहिल को इसीलिए किसी को पता नहीं चलने दिया कि साहिल कहा रहता है और मै खुद साहिल से मिलने तभी जाती थी जब घर में किसी का भी ध्यान ना हो मुझपे...

बोल के दादी चुप हो गई कुछ देर उसके बाद...

दादी – सुमन तुझे ये सब बाते बताने का कारण ये है कि मै साहिल को घर में लाना चाहती हूँ ताकि मेरे मरने से पहले मै अपने बच्चे को खुश देख सकू पूरे परिवार के साथ...

कविता – दादी ऐसी बाते मत बोलो आप...

दादी – बेटा मेरी जिंदगी में अब बचे कितने साल है ज्यादा से ज्यादा 2 , 4 या 5 साल बस (सुमन से) सुमन अब मै साहिल को तुझे सौंप रही हूँ कैसे भी करके तुझे ही उसे संभालना होगा तभी मरने के बाद मेरी आत्म को शांति मिलेगी...

सुमन – ऐसा मत बोलिए मा साहिल को हम सब मिलके संभालेगे रही रनवीर की बात वो कुछ नहीं कर पाएगा साहिल का...

दादी – हम्ममम ठीक है चलो अब जाओ आराम करो तुम लोग कल से काफी काम करने को होगे घर में और ध्यान रहे ये बात इस कमरे से बाहर ना जाएं किसी को पता नहीं चलना चाहिए साहिल के दादा के बारे में...

सुमन – जी मां...

बोल के सुमन और कविता जाने लगे तभी सुमन वापस आके दादी से...

सुमन – (माथे से सिंदूर मिटा अपना मंगल सूत्र निकाल के दादी को देते हुए) मां शादी के वक्त ये आपने दिया था मुझे पहनाने के लिए रनवीर को और अब ये मेरे किसी काम का नहीं है आज से मेरा और रनवीर का रिश्ता खत्म होगया हमेशा के लिए अब इसे आप रख लीजिए...

दादी को देके सुमन चली गई कविता के साथ कमरे में आ गई निधि के कमरे में तब सुमन ने निधि को देखा जो दूसरी तरफ मू करके जाग रही थी....

सुमन – (निधि के कंधे पर हाथ रख के) मै जानती हु तू जाग रही है अभी भी निधि....

निधि – तो आपको क्या फर्क पड़ता है उल्टा आपको खुश होना चाहिए कल साहिल चला जाएगा यहां से फिर कभी वापस नहीं आएगा किसी के पास....

सुमन – हा साहिल जरूर जाएगा लेकिन अपने घर में हमेशा के लिए अपने परिवार के साथ रहने के लिए...

निधि – (पलट के सुमन को देखते हुए) मतलब जो यहां हुआ वो कम था जो अब आप साहिल को अपने घर ले जाके उसके साथ....

कविता – (बीच में) नहीं बुआ ऐसा कुछ नहीं होगा भईया के साथ वो भी हमारे साथ रहेगा परिवार की तरह खुश रहेगा मेरा भाई और कुछ नहीं....

निधि – सच बोल रही हो तुम....

सुमन – हा निधि मै कविता की कसम खा के बोलती हूँ जैसा तू सोच रही है वैसा कुछ नहीं होगा बहुत बड़ी गलती की है मैने लेकिन अब मै उस गलती को सुधारूगी इसके लिए भले मुझे साहिल की नफरत झेलनी पड़े मै पलट के जवाब तक नहीं दूंगी सब हस के सह लुंगी लेकिन साहिल को अब कही जाने नहीं दूंगी...

इसके बाद निधि गले लग गई सुमन के तब...

कविता – (निधि से) बुआ आपने बोला था कि 5 साल तक आपने पढ़ाया है साहिल को तब तो आप उनके बारे में बहुत कुछ जानती होगी बताओ न उनके बारे में कुछ...

सुमन – हा जानना तो बहुत कुछ है निधि तेरे से हमे साहिल के बारे में लेकिन अभी वक्त बहुत ज्यादा हो रहा है और कल सुबह काफी काम है तू कल बताना हमें साहिल के बारे में...

निधि – जी भाभी मै आपको सब कुछ बताऊंगी साहिल के बारे में....

इधर दादी के कमरे से सुमन और कविता के जाने के बाद दादी के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आगई...

दादी – (मुस्कुराते हुए) यही तो मै चाहती थी सुमन सबसे मुश्किल काम आज पूरा हुआ मेरा अब आगे का काम साहिल के लिए और आसान हो जाएगा....

इन सब के बीच में एक शख्स ऐसा भी था जो वहां हवेली में मौजूद नहीं था वो कोई और नहीं वो थी सेमेंथा जो तब से गायब है जब साहिल को अटैक के बाद होश आया था तब सेमेंथा ने साहिल के सिर में हाथ रख के देखा था क्या हुआ था साहिल के साथ बचपन में ये सब देखने के बाद सेमेंथा वहां से तुरंत गायब हो गई और आ गई हाइवे की रोड में जहां बहुत सी गाड़िया तेजी से आ जा रही थी तभी सेमेंथा की नजर एक गाड़ी पर पड़ी उसे देखते ही सेमेंथा ने अपने हाथ की एक उंगली से हवा में एक झटका दिया जिसके बाद वो गाड़ी अचानक से रोड में तेजी से पलटते हुए चली जा रही थी और जाके बिजली की ट्रांसफार्मर से टकरा गई जिसके बाद उस गाड़ी में एक ब्लास्ट हो गया ये नजारा सेमेंथा एक कोने में खड़ी होके देख रही थी लेकिन उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था अगली सुबह साढ़े चार बजे कमल और साहिल अपना बैग लेके चुप चाप कमरे से निकल के हॉल से होते हुए हवेली के बाहर जा रहे थे तभी...

धीरेन्द्र – (दोनों को पीछे से आवाज देके) जा रहे हो तुम दोनों यहां से....

धीरेन्द्र की आवाज सुन साहिल और कमल पलट के देखते है तब...

साहिल – दादा जी आप इतनी जल्दी जाग गए...

धीरेन्द्र – (मुस्कुरा के) बेटा ये गांव है और हम गांव वालो की शुरू से आदत रही है सुबह 4 बजे उठने की लेकिन मेरा सवाल तो कुछ और था तुमसे साहिल...

साहिल – दादा जी आपके घर में शादी है मै नहीं चाहता कि मेरी वजह से खुशी भरा माहोल में सबका मन खराब हो इसीलिए मेरा यहां से चले जाना ही बेहतर रहेगा...

धीरेन्द्र – पहली बात तो बेटा ये घर मेरा नहीं तुम्हारा भी है और दूसरी बात दुनिया में किसी की वजह से कुछ नहीं होता है बेटा ये कुदरत का खेल है जो होना होता है वो हो कर ही रहता है इसमें तुम मै कोई कुछ नहीं कर सकता है अगर तुम मुझे सच में अपना दादा मानते हो तो तुम मत जाओ यहां से...

धीरेन्द्र की बात सुन साहिल सोचने लगा तभी कमल ने साहिल के कंधे पे हाथ रखा तब साहिल ने कमल की तरफ देख तो कमल ने हा में सिर हिलाया तब...

साहिल – ठीक है दादा जी मै नहीं जाऊंगा बस शादी निपट जाय फिर चला जाऊंगा....

धीरेन्द्र – (मुस्कुरा के) शाबाश बेटा चलो कमरे में जाके आराम करो और मुझे ठीक 7 बजे मिलना आज बहुत काम करना है तुम दोनों के...

जिसके बाद दोनों अपने कमरे में आके सो गए रात भर नींद ना आने के कारण दोनों को कब नींद आ गई पता नहीं चला सुबह उनकी नींद खुली दादी के जगाने से...

दादी –(साहिल और कमल को उठाते हुए) उठ जाओ बेटा और कितनी देर तक सोओगे देखो घड़ी में 12 बज रहे है...

वक्त का सुन के दोनों एक दम से उठ गए...

साहिल – (चौक के) क्या 12 बज गए दादा जी ने सुबह 7 बजे बुलाया था जाने इतनी गहरी नींद कैसे आ गई...

दादी – (मुस्कुरा के) कोई बात नहीं बेटा मैने बोल दिया था उनको पहले से ही चलो तुम दोनों तैयार होके नीचे आ जाओ नाश्ता करने...

बोल के दादी चली गई कुछ देर में दोनों तैयार होके नीचे आ गए नाश्ता करने जहां सभी बैठे थे टेबल पर दोनों के आने के इंतजार में दोनों के आते ही सबने नाश्ता करना शुरू कर दिया नाश्ते के वक्त दादी बोली साहिल और कमल से....

दादी – साहिल बेटा तुझसे एक बात बोलनी है...

साहिल – क्या दादी...

दादी – मैने तेरे लिए एक फैसला लिया है अगर तुझे एतराज ना हो तो...

साहिल – (मुस्कुरा के) दादी सालों से आप ही मेरे लिए हर फैसला लेते आए हो तब मुझे एतराज नहीं हुआ तो भला अब क्यों एतराज होगा , मुझे आपका हर फैसला मंजूर है दादी...

साहिल की कही बात से दादी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई साथ ही नाश्ते की टेबल पर बैठे साहिल के परिवार के चेहरे पर भी तब...

दादी – बेटा मै चाहती हूँ कि यहां से तू हमारे साथ चल अपने घर में वही पर तू रह हम सबके साथ और आगे की पढ़ाई करेगा...

दादी की कही इस बात से अब सभी घरवालों का सारा ध्यान सिर्फ साहिल के जवाब पर था क्या वो राजी होता है इस बात के लिए कि नहीं जबकि बगल में बैठा कमल दादी की कही बात पर मुस्कुरा रहा था तब...

साहिल – ठीक है दादी आपने जो सोचा होगा अच्छा ही सोचा होगा मेरे लिए...

साहिल के जवाब से अब सबके चेहरे पे मुस्कुराहट वापस आ गई तब...

कमल – दादी...

दादी – हा कमल....

कमल – दादी आप तो जानती है कि साहिल और आपके इलावा मेरा...

दादी – (मुस्कुरा के कमल को बीच में टोक के) मै जानती हु तेरे दिमाग में क्या चल रहा है लेकिन तू ये क्यों भूल रहा है कि मेरे लिए तू और साहिल एक है जहां साहिल होगा वहा तू भी होगा समझा अपने आप को अलग समझने की सोचना भी मत सपने में भी तू भी मेरा पोता समझा...

ये बात सुन के कमल अपनी कुर्सी से खड़ा होके दादी के गले लग गया तब...

दादी – (गले से अलग किया कमल के आंख में आंसू देख उसे पोछ के) पगले रोता क्यों है , तू अकेला नहीं है तू तो मेरे परिवार का हिस्सा सालों पहले बन गया था इसीलिए रोया मत कर अब...

दादी की बात कमल मुस्कुरा के वापस अपनी जगह आके नाश्ता करने लगा सबके साथ जबकि दादी के इस फैसले से सुमन और कविता बहुत खुश थी साथ में बाकी के घर वाले भी खेर नाश्ते के बाद साहिल और कमल निकल गए शादी के काम करने जो धीरेन्द्र ने आते ही दोनों को दे दिया था काम , साहिल को राघव के साथ बाहर का काम के लिए भेजा गया जबकि कमल को हवेली में रोक के काम दिया गया...
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जारी रहेगा✍️✍️
Nice update Bhai 💯
 

parkas

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UPDATE 12


इस वक्त धीरेन्द्र की हवेली में आज किसी ने खाना नहीं खाया था आज जो कुछ भी हुआ उसके बाद हर किसी की भूख जैसे मर सी गई थी साहिल को अटैक से होश में आने के बाद सरला देवी (दादी) ने साहिल को एक मां की तरह संभाला जैसा वो पिछले 12 सालों से करती आ रही थी। जिसके बाद कमल अपने साथ साहिल को ले गया कमरे में सोने के लिए लेकिन अटैक से होश में आते ही साहिल ने जो भी बोला उससे आज साहिल के पूरे परिवार वालों के दिमाग में एक सवाल घर कर गया था कि अगर साहिल ने नहीं मारा था प्रताप सिंह को तो किसने मारा था और साहिल पर इल्जाम कैसे आया और क्यों। उन सब के मन में ये बात पक्की हो गई थी कि हो ना हो इस बारे में सरला देवी जरूर जानती है तभी इतने सालों से साहिल का साथ दे रही है अब सवाल ये था कि सरला देवी क्यों छुपा रही है ये बात सभी घर वालों से। जबकि इस तरफ सबकी तरह शायद आज नींद तो साहिल की आंखों से कोसों दूर थीं। साहिल बेड में लेटा हुआ था कमल के साथ की तभी साहिल उठ कर अपने बैग से कुछ ढूंढने लगता है तब...

कमल –(सिगरेट का पैकेट देते हुए साहिल को) इसे ढूंढ रहा है ना ले...

सिगरेट का पैकेट लेके कमरे की बाल्कनी में चला गया सिगरेट पीने लगा उसे देख कमल भी पास आके सिगरेट पीने लगा इस बात से अंजान हवेली के ऊपर बने सभी कमरों की एक ही बाल्कनी है जहां साहिल के बगल वाले कमरा जो निधि का था जिसमें निधि के साथ कविता और सुमन थी नींद उनकी आंखों में नहीं थी वो भी इस वक्त बाल्कनी में खड़ी थी तभी उन्होंने साहिल को देखा जो कमरे से बाल्कनी में आके सिगरेट पीने लगा था बिना उनकी तरफ ध्यान दिए चाह के भी सुमन और कविता में हिम्मत नहीं हो रही थी साहिल के पास जाने की जबकि साहिल के कमरे के दूसरी तरफ के कमरे में सुनैना , सुनीता और अमृता थे ये तीनों भी बाल्कनी में खड़े थे इन्होंने भी साहिल को बाल्कनी में सिगरेट पीते देख रहे थे जबकि इस तरफ साहिल तो अंजान था इस बात से लेकिन कमल ने देख लिया था सभी को पर बोला कुछ नहीं तब...

साहिल – (सिगरेट पीते हुए कमल को बिना देखे) कल सुबह होते ही हम दोनों वापस निकल जाएंगे यहां से...

कमल – (बात सुन के) हम्ममम और दादी को क्या बोलेंगे...

साहिल – मै बाद में बात कर लूंगा दादी से....

कमल – दादी नाराज हो जाएगी यार...

साहिल – (बिना कमल की तरफ देखे) आज जो हुआ उसके बाद भी लगता है तुझे कल कुछ नहीं होगा , जाने और क्या क्या प्लान बना के आए होगे ये लोग मै नहीं चाहता मेरी वजह से शादी के माहोल में कोई दिक्कत आए उससे अच्छा निकल चलते है हम यहां से और दादी नाराज नहीं होगी समझ जाएगी बात को....

कमल – हम्ममम ठीक है जैसा तू बोले चलते है कल सुबह वापस....

साहिल –(सिगरेट फेक के) ठीक है चल बैग पैक करके सोते है...

बोल के दोनों निकल गए कमरे में जबकि साहिल की वापस जाने वाली बात सभी ने सुन ली थी जिसे सुन के....

निधि – (सुमन से) लीजिए भाभी सबकी मन मांगी मुराद पूरी होने वाली है कल सुबह चला जाएगा साहिल यहां से अब तो आप बहुत खुश होगी न...

बोल के निधि गुस्से में चली गई अपने बेड में सोने...

जबकि सुमन बिना निधि की बात पर ध्यान दिए तुरंत ही निकल गई निधि के कमरे से दादी के कमरे की तरफ जहां दादी अपने कमरे में बेड में बैठी हुई थी तभी सुमन अन्दर आ गई उसके साथ कविता भी आई जिसे देख...

दादी – (सुमन और कविता को देख) तुम दोनों इस वक्त क्या बात है....

सुमन –(रोते हुए दादी के पैर में गिर के) मुझे माफ कर दीजिए मा बहुत बड़ी गलती हो गई मुझसे पागल थी जो सबकुछ सामने होते हुए भी देख ना पाई मा माफ कर दीजिए मा मुझे...

बोल के रोती रही सुमन साथ में कविता एक जगह खड़ी रो रही थी तब...

दादी – (मुस्कुरा के) साहिल कल वापस जा रहा है ना इसीलिए तुम इतना परेशान हो रही हो....

सुमन – (रोते हुए दादी की तरफ देख हा में सिर हीला के) रोक लीजिए उसे मत जाने दीजिए उसे मा....

दादी – मै जानती हु साहिल को वो ऐसा ही करेगा लेकिन तुम क्यों परेशान हो रही है 12 सालों में तो तुमने सोचा नहीं फिर आज किस लिए क्योंकि आज जो हुआ उसमें साहिल गलत नहीं था इसीलिए या फिर उसे अटैक आने के बाद जो हुआ इसीलिए...

सुमन – (रोते हुए) मा मुझे कुछ नहीं जानना बस मुझे मेरा साहिल वापस चाहिए....

दादी – ये जानते हुए भी कि वो कातिल है तेरे ससुर जी का....

सुमन – नहीं मा वो ऐसा नहीं है मै जान चुकी हूँ मा....

दादी – (मुस्कुरा के) मतलब तो यही हुआ ना सुमन आज तुझे पता चल गया कि साहिल कातिल नहीं है इसीलिए तू उसे रोकना चाहती है तभी आई हो मेरे पास और अगर आज भी तुझे पता ना चलता तो....

सुमन – मा आपको जो सजा देनी है दे दो मुझे लेकिन उसे रोक लो मा मै नहीं चाहती वो दूर हो जाय फिर से मुझसे...

दादी – दूर भी तो तुम सब ने किया था उसे और अब तुम चाहती हो मै उसे जाने से रोक लू....

सुमन – मै जानती हु मा लेकिन ये सच नहीं है , मा मैने कभी ऐसा नहीं सोचा था लेकिन साहिल के प्रति सभी घरवालों की कड़वी बात सुन सुन के मै पागल हो गई थी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करू क्या ना करू...

दादी – और बाकियों की तरह तुमने भी छोड़ दिया उसे मरने के लिए अकेला ये तक नहीं सोचा एक छोटा बच्चा कहा जाएगा कैसे रहेगा....

सुमन – मानती हूँ मा गलती मुझसे भी हुई वो भी बहुत बड़ी लेकिन अब नहीं मा अब मै ऐसा नहीं होने दे सकती मा बस उसे रोक लो मा बदले में आप जो कहो मै करने को तैयार हूँ...

दादी – चल तेरी बात मान भी लू एक बार लेकिन बाकी लोगों का क्या और क्या पता वो क्या क्या तैयारी करके आए हो साहिल के लिए....

सुमन – छोड़ दूंगी मै सबको साहिल के लिए....

दादी – अच्छा और यही फैसला तुमने पहले लिया होता तो आज तुम्हे मेरे सामने इस तरह से नहीं आना पड़ता सुमन और ना ही साहिल की ऐसी हालत होती....

सुमन – मा एक बार बस एक मौका दीजिए मा मै कविता की कसम खाती हूँ साहिल को बहुत प्यार दूंगी भले लड़ना पड़े मुझे सभी से अपनी आखिरी सास तक उसका साथ दूंगी मै...

कविता – दादी , मा सही बोल रही है कसम खाती हूँ मै भी साथ दूंगी अपने भाई का...

दादी – (दोनों की बात सुन गौर से देखती है दोनों को तब) सोच लो तुम दोनों क्या सहन कर पाओगी साहिल की नफरत को...

सुमन – सब कुछ सहन करूगी मै पलट के जवाब तक नहीं दूंगी हस्ते हस्ते उसकी नफरत सहन कर लूंगी बस आप साहिल को रोक लो मै चाहती हूं साहिल घर में रहे हमारे साथ हमेशा के लिए बस....

दादी – ठीक है तुम चिंता मत करो साहिल कही नहीं जाएगा...

सुमन – (हल्का मुस्कुर के) ठीक है मा...

बोल के सुमन और कविता गले लग गई दादी के...

दादी – (मुस्कुरा के) चलो अब आराम करो तुम लोग...

जिसके बाद सुमन और कविता जाने लगी तभी...

दादी – (दोनों को बीच में टोक के) और कुछ नहीं जानना है तुम्हे सुमन...

सुमन – (रुक के) और क्या जानना है मां....

दादी – यहीं की अगर साहिल ने नहीं मारा अपने दादा को तो किसने मारा है...

सुमन – (चौक के) क्या मतलब है मां (कुछ सोच के) इसका मतलब आप जानते हो किसने मारा था बाबू जी को और अगर आप जानती थी तो बोला क्यों नहीं आपने उस वक्त मां और कौन है वो जिसने ये घिनौना काम किया है...

दादी – (सुमन और कविता को देख के) सुन पाओगी उसका नाम तुम दोनों...

कविता –(गुस्से में) जान से मार दूंगी मै उस कुत्ते को जिसकी वजह से मेरे भाई ने इतने साल पूरे परिवार की जिल्लत झेली है....

सुमन – मा कौन है वो क्या नाम है उसका....

दादी – (सुमन और कविता को देख के) तेरा पति रनवीर सिंह (कविता से) तेरा पिता रनवीर सिंह है वो कातिल जिसने मेरी मांग का सिंदूर उजाड़ दिया जिसने अपने ही बच्चे को अपने बाप का कातिल बना दिया पूरे परिवार की नजरों में....

सुमन – (दादी की बात सुन के) ये नहीं हो सकता मा कह दो आप झूठ बोल रही हो ये नहीं हो सकता मा...

कविता – हा दादी मेरे पापा ऐसा नहीं कर सकते वो तो बहुत प्यार करते थे दादा जी को वो कैसे....

दादी – क्यों यकीन नहीं हो रहा है ना सुमन क्योंकि वो तेरा पति है (कविता से) क्यों कविता वो तेरा पिता है इसीलिए फिर साहिल क्या है तुम दोनों के लिए वो कातिल है इस बात पे यकीन कैसे कर लिया तुम दोनों ने बोलो है जवाब इसका। नहीं ना लेकिन यही सच है रनवीर ने मारा है अपने पिता को मेरी आंखों के सामने...

दादी की बात सुन के सुमन और कविता मू में हाथ रख के रोने लगे जमीन में बैठ के...

सुमन – (रोते हुए) कह दो मा ये झूठ है वो ऐसा नहीं कर सकते है मा भला अपने पिता को क्यों मारेगे वो और अगर उन्होंने मारा तो साहिल के हाथ में बंदूक कैसे आ गई...

दादी – अच्छा तो जरा ये बता साहिल ने अपने दादा को मारा किसने कही थी ये बात याद है तुझे....

सुमन – इन्होंने (रनवीर) ने कही थी बात हम सभी को....

दादी – और बंदूक कहा से आई साहिल के पास...

सुमन – साहिल ने वो बंदूक को अपने पिता रनवीर के कमरे से उठाई थी....

दादी – (मुस्कुरा के) और ये बात किसने बताई पूरे परिवार को....

सुमन – रनवीर ने बताई थी मा लेकिन...

दादी – (बीच में टोक के) रनवीर ने बताया और मान लिया तुम सब ने उस बात को ये भी नहीं सोचा कि बंदूक उठाना और उसे चलाने में कितना अंतर है क्या एक बच्चा बंदूक का ट्रिगर दबा सकता है क्या ये बात सोची उस वक्त किसी ने भी नहीं ना और साहिल क्यों लेके आया था बंदूक तेरे कमरे से....

सुमन – रनवीर को मारने के लिए...

दादी – (मुस्कुरा के) और ये बात भी रनवीर ने बोली होगी सबको...

सुमन – हा मां क्योंकि साहिल बहुत गुस्से में था रनवीर से उस दिन और जब ये सब हुआ तब हाल में कोई नहीं था हम सब कमरे में थे अपने , गोली की आवाज सुनते ही हम सब दौड़े चले आए हाल में और जब बाबू जी को जमीन में पड़ा देख उनके कपड़ों में खून देख डर गए हम सब तब रनवीर और बड़े भइया ने तुरंत बाबू जी को अपनी गाड़ी में अस्पताल लेके निकल गए साथ में हम सब भी...

दादी – जब तुझे इतना सब याद है तब तो सुमन तुझे ये भी याद होगा उस वक्त दिन में क्या हुआ था...

दादी की बात सुन सुमन उस दिन के बारे में सोचने लगी थी तभी...

कविता – दादी उस दिन ऐसा क्या हुआ था बताओ....

दादी – बताती हु आज तुम दोनों को वो सच (सुमन से) तुझे याद है सुमन जिस दिन ये सब हुआ उस दिन दोपहर के वक्त जब साहिल स्कूल से घर आ रहा था साइकिल से तब उसकी साइकिल का ब्रेक टूट गया था लेकिन जैसे ही साहिल घर के बाहर आया साइकिल से तभी रीना सामने आ गई और साहिल की साइकिल रीना को सिर्फ छू गई थी जिस बात का रीना ने कितना बवाल किया ये दिखाने के लिए की साहिल ने जान भुज के रीना को टक्कर मारी है और रीना को पैर में दर्द हो रहा था जिस वजह से रनवीर ने गुस्से में साहिल को बहुत मारा था उस वक्त और घर से निकल जाने को बोला लेकिन तब साहिल के दादा ने आके रोका रनवीर को तब रनवीर ने अपने पिता से कहा था कि वो

(साहिल को घर से निकाल देगे क्योंकि साहिल घर में रह के दिन भर परेशान करता है सबको जाने कितनी बार रीना को चोट पहुंचाई)...

दादी – ऐसी बातों का फायदा रीना हर बार उठाती थी दर्द का बहाना करके जिस वजह से रनवीर ने उस दिन यहां तक बोल दिया अपने पिता से की साहिल की पढ़ाई बंद करवा देगा लेकिन तब साहिल के दादा ने भी बोल दिया था वो पढ़ाएंगे साहिल को आगे उसके लिए रनवीर को परेशान होने की जरूरत नहीं है और सुमन अगर तुम्हे याद हो तो उस दिन से लेके शाम तक साहिल अपने दादा और मेरे साथ था पूरा वक्त तभी शाम को मै रसोई में जा रही थी चाय लेने इनके (अपने पति) के लिए उस वक्त साहिल मेरे साथ था तभी किसी का फोन आया साहिल के दादा को वो फोन पर बात करने लगे उसी बीच रनवीर अपने कमरे से निकल के हाल में आया और अपने पिता से बात करने लगा था जाने क्या बात हो रही थी दोनों में तभी मैंने साहिल को चाय दी अपने दादा को देने के लिए जैसे ही साहिल निकला रसोई से तभी मुझे ध्यान आया कि मैने आज इनको (अपने पति) को दवा नहीं दी शाम की उसके लिए जैसे ही मै रसोई से बाहर निकली तभी मैंने देखा रनवीर ने अपने पिता को गोली मार दी गोली लगते ही वो (पति) जमीन पर गिर गए और मै बस देखती रही अपने सोचने की हालत खो बैठी थी मै बस देखती रही अपनी आंखों से सब कुछ तभी रनवीर गया साहिल के पास उस वक्त मैने देखा रनवीर को जो अपनी बंदूक को साहिल के हाथ में थमा रहा था बेचारा साहिल उसके चेहरे पर अपने दादा के खून के छीटे पड़े हुए थे और वो अपने दादा को इस हालत में देख जैसे पत्थर बन गया था तभी सारे घर वाले नीचे आ गए हॉल में और जल्दी से इनको (पति) को हॉस्पिटल लेके जाने लगे उस वक्त मेरी हालत ऐसी थी सब कुछ देख रही थी अपनी आंखों से लेकिन कुछ बोल नहीं पा रही थी और ना कुछ कर पा रही थी बस एक पुतले की तरह चलती हुई सबके साथ कब अस्पताल आई पता नहीं चला मुझे , जब अस्पताल में उनकी (पति) आखिरी सांसे चल रही थी तब उन्होंने मुझे हिला के यही कहा कि साहिल का ख्याल रखने को उसके बाद उन्होंने अपना दम तोड़ दिया...

इतना बोल के दादी रोने लगी तभी कविता दादी के पास आ गले लग जाती है तब....

दादी – उनके दम तोड़ने के काफी देर बार अचानक मुझे साहिल का ध्यान आया जो उस वक्त अस्पताल में नहीं था तब मैने रामू (ड्राइवर) को बोल के साहिल के पास भिजवा दिया ख्याल रखने को। घर आने के कुछ समय बाद रामू ने मुझे बताया कि साहिल तब से गुम सूम है बिना कुछ बात किए...

कविता – (रोते हुए अलग होके) दादी इतने सालों से आप अकेले इतना दर्द झेल रहे थे आपने बताया क्यों नहीं किसी को इस बारे में...

दादी – (रोते हुए) मै क्या करती बेटा जिस दिन तेरे दादा के साथ ये सब हुआ था उस नजारे को मै भूल नहीं पा रही थी मैने देखा था रनवीर को उसने साहिल के साथ क्या किया लेकिन मैं हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी कैसे अपने पति से किए वादे को निभाऊं लेकिन दूसरे दिन मै सम्भल चुकी थी तब साहिल मेरे साथ गुम सूम बैठा था तभी रनवीर जाने कहा से आया और आते ही साहिल पर हाथ उठाया जिससे साहिल जमीन में गिर गया बस उस दिन जाने कहा से मुझमें हिम्मत आगई और मैने रनवीर को बहुत खरी खोटी सुनादी मै तो सारा सच बोलने वाली थी उस दिन सबको लेकिन जब मैने देखा कि बड़ों के साथ उन्होंने अपने बच्चों के दिल में साहिल के खिलाफ जहर भर दिया है तब मुझे साहिल को उस घर से दूर रखना सही लगा और जब साहिल को दूर किया तभी मुझे पता चला साहिल पे आने वाले अटैक के बारे में तब मैने साहिल को कई बड़े से बड़े डॉक्टरों को दिखाया पानी की तरह पैसे बहाते चली गई लेकिन कही पर भी राहत नहीं मिली मेरे बच्चे को मेरे सामने दिक्कत ये थी कि मै हर वक्त साहिल के साथ नहीं रह सकती थी इस समस्या का हल ढूंढ रही थी मै तभी एक दिन सुनीता ने बताया NGO के बारे में जहा मैं गई थी वहां मैने एक लड़के को देखा जो बिल्कुल साहिल की उम्र का था लेकिन उस वक्त साहिल बहुत भोला भला था जबकि वो लड़का उससे भी तेज था मैने उससे बात की उसे साहिल के बारे में बताया वो मेरी पूरी बात गौर से सुनता रहा तब मैने उसे साहिल के साथ रहने को कहा वो मेरी बात मान गया उसके बाद से मैने उसे साहिल से मिलाया 2 दिन में दोनों की अच्छी दोस्ती हो गई उसके बाद से वो साहिल के साथ रहने लगा मै जब भी नहीं होती तो वो साहिल का ख्याल रखता जब भी अटैक आता साहिल को वो संभालता था साहिल को , साथ ही मेरे से हर रोज बात करता सारे दिन की बात बताता था मुझे , जानती हो वो लड़का कोई और नहीं कमल है साहिल का सबसे खास दोस्त वो भी यही है उसके साथ , (सुमन से) अब तू खुद सोच साहिल बंदूक लेने तेरे कमरे में कैसे आता जबकि तेरा कमरा ऊपर फ्लोर पे है लेकिन साहिल तो नीचे था पूरा वक्त मेरे साथ....

सुमन – (रोते हुए दादी से) आखिर रनवीर ने क्यों किया ऐसा...

दादी – सुमन वो क्या बात थी ये मुझे नहीं पता लेकिन ये बात पक्की थी कि घर में इस बात का कोई यकीन नहीं करता कि रनवीर ने मारा अपने पिता को क्योंकि सब जानते थे कि रनवीर अपने पिता से कितना प्यार करता था उनके मरने के बाद उनके नाम से रनवीर ने वो काम किए जिसे पूरे परिवार की नजरों में रनवीर से काबिल बेटा कोई नहीं है जैसे और उस हादसे के बाद से तुम जानती हो कि रनवीर कितना रहता था घर में ज्यादा तर वक्त सिर्फ बाहर रहता है कभी कभी तो मुझे पता नहीं चलता रनवीर कब घर आया और चला गया एक तरह से मैने तो उससे बात करना छोड़ दिया था क्योंकि मुझे डर था कि अपने पिता की तरह रनवीर मार ना दे साहिल को इसीलिए किसी को पता नहीं चलने दिया कि साहिल कहा रहता है और मै खुद साहिल से मिलने तभी जाती थी जब घर में किसी का भी ध्यान ना हो मुझपे...

बोल के दादी चुप हो गई कुछ देर उसके बाद...

दादी – सुमन तुझे ये सब बाते बताने का कारण ये है कि मै साहिल को घर में लाना चाहती हूँ ताकि मेरे मरने से पहले मै अपने बच्चे को खुश देख सकू पूरे परिवार के साथ...

कविता – दादी ऐसी बाते मत बोलो आप...

दादी – बेटा मेरी जिंदगी में अब बचे कितने साल है ज्यादा से ज्यादा 2 , 4 या 5 साल बस (सुमन से) सुमन अब मै साहिल को तुझे सौंप रही हूँ कैसे भी करके तुझे ही उसे संभालना होगा तभी मरने के बाद मेरी आत्म को शांति मिलेगी...

सुमन – ऐसा मत बोलिए मा साहिल को हम सब मिलके संभालेगे रही रनवीर की बात वो कुछ नहीं कर पाएगा साहिल का...

दादी – हम्ममम ठीक है चलो अब जाओ आराम करो तुम लोग कल से काफी काम करने को होगे घर में और ध्यान रहे ये बात इस कमरे से बाहर ना जाएं किसी को पता नहीं चलना चाहिए साहिल के दादा के बारे में...

सुमन – जी मां...

बोल के सुमन और कविता जाने लगे तभी सुमन वापस आके दादी से...

सुमन – (माथे से सिंदूर मिटा अपना मंगल सूत्र निकाल के दादी को देते हुए) मां शादी के वक्त ये आपने दिया था मुझे पहनाने के लिए रनवीर को और अब ये मेरे किसी काम का नहीं है आज से मेरा और रनवीर का रिश्ता खत्म होगया हमेशा के लिए अब इसे आप रख लीजिए...

दादी को देके सुमन चली गई कविता के साथ कमरे में आ गई निधि के कमरे में तब सुमन ने निधि को देखा जो दूसरी तरफ मू करके जाग रही थी....

सुमन – (निधि के कंधे पर हाथ रख के) मै जानती हु तू जाग रही है अभी भी निधि....

निधि – तो आपको क्या फर्क पड़ता है उल्टा आपको खुश होना चाहिए कल साहिल चला जाएगा यहां से फिर कभी वापस नहीं आएगा किसी के पास....

सुमन – हा साहिल जरूर जाएगा लेकिन अपने घर में हमेशा के लिए अपने परिवार के साथ रहने के लिए...

निधि – (पलट के सुमन को देखते हुए) मतलब जो यहां हुआ वो कम था जो अब आप साहिल को अपने घर ले जाके उसके साथ....

कविता – (बीच में) नहीं बुआ ऐसा कुछ नहीं होगा भईया के साथ वो भी हमारे साथ रहेगा परिवार की तरह खुश रहेगा मेरा भाई और कुछ नहीं....

निधि – सच बोल रही हो तुम....

सुमन – हा निधि मै कविता की कसम खा के बोलती हूँ जैसा तू सोच रही है वैसा कुछ नहीं होगा बहुत बड़ी गलती की है मैने लेकिन अब मै उस गलती को सुधारूगी इसके लिए भले मुझे साहिल की नफरत झेलनी पड़े मै पलट के जवाब तक नहीं दूंगी सब हस के सह लुंगी लेकिन साहिल को अब कही जाने नहीं दूंगी...

इसके बाद निधि गले लग गई सुमन के तब...

कविता – (निधि से) बुआ आपने बोला था कि 5 साल तक आपने पढ़ाया है साहिल को तब तो आप उनके बारे में बहुत कुछ जानती होगी बताओ न उनके बारे में कुछ...

सुमन – हा जानना तो बहुत कुछ है निधि तेरे से हमे साहिल के बारे में लेकिन अभी वक्त बहुत ज्यादा हो रहा है और कल सुबह काफी काम है तू कल बताना हमें साहिल के बारे में...

निधि – जी भाभी मै आपको सब कुछ बताऊंगी साहिल के बारे में....

इधर दादी के कमरे से सुमन और कविता के जाने के बाद दादी के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आगई...

दादी – (मुस्कुराते हुए) यही तो मै चाहती थी सुमन सबसे मुश्किल काम आज पूरा हुआ मेरा अब आगे का काम साहिल के लिए और आसान हो जाएगा....

इन सब के बीच में एक शख्स ऐसा भी था जो वहां हवेली में मौजूद नहीं था वो कोई और नहीं वो थी सेमेंथा जो तब से गायब है जब साहिल को अटैक के बाद होश आया था तब सेमेंथा ने साहिल के सिर में हाथ रख के देखा था क्या हुआ था साहिल के साथ बचपन में ये सब देखने के बाद सेमेंथा वहां से तुरंत गायब हो गई और आ गई हाइवे की रोड में जहां बहुत सी गाड़िया तेजी से आ जा रही थी तभी सेमेंथा की नजर एक गाड़ी पर पड़ी उसे देखते ही सेमेंथा ने अपने हाथ की एक उंगली से हवा में एक झटका दिया जिसके बाद वो गाड़ी अचानक से रोड में तेजी से पलटते हुए चली जा रही थी और जाके बिजली की ट्रांसफार्मर से टकरा गई जिसके बाद उस गाड़ी में एक ब्लास्ट हो गया ये नजारा सेमेंथा एक कोने में खड़ी होके देख रही थी लेकिन उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था अगली सुबह साढ़े चार बजे कमल और साहिल अपना बैग लेके चुप चाप कमरे से निकल के हॉल से होते हुए हवेली के बाहर जा रहे थे तभी...

धीरेन्द्र – (दोनों को पीछे से आवाज देके) जा रहे हो तुम दोनों यहां से....

धीरेन्द्र की आवाज सुन साहिल और कमल पलट के देखते है तब...

साहिल – दादा जी आप इतनी जल्दी जाग गए...

धीरेन्द्र – (मुस्कुरा के) बेटा ये गांव है और हम गांव वालो की शुरू से आदत रही है सुबह 4 बजे उठने की लेकिन मेरा सवाल तो कुछ और था तुमसे साहिल...

साहिल – दादा जी आपके घर में शादी है मै नहीं चाहता कि मेरी वजह से खुशी भरा माहोल में सबका मन खराब हो इसीलिए मेरा यहां से चले जाना ही बेहतर रहेगा...

धीरेन्द्र – पहली बात तो बेटा ये घर मेरा नहीं तुम्हारा भी है और दूसरी बात दुनिया में किसी की वजह से कुछ नहीं होता है बेटा ये कुदरत का खेल है जो होना होता है वो हो कर ही रहता है इसमें तुम मै कोई कुछ नहीं कर सकता है अगर तुम मुझे सच में अपना दादा मानते हो तो तुम मत जाओ यहां से...

धीरेन्द्र की बात सुन साहिल सोचने लगा तभी कमल ने साहिल के कंधे पे हाथ रखा तब साहिल ने कमल की तरफ देख तो कमल ने हा में सिर हिलाया तब...

साहिल – ठीक है दादा जी मै नहीं जाऊंगा बस शादी निपट जाय फिर चला जाऊंगा....

धीरेन्द्र – (मुस्कुरा के) शाबाश बेटा चलो कमरे में जाके आराम करो और मुझे ठीक 7 बजे मिलना आज बहुत काम करना है तुम दोनों के...

जिसके बाद दोनों अपने कमरे में आके सो गए रात भर नींद ना आने के कारण दोनों को कब नींद आ गई पता नहीं चला सुबह उनकी नींद खुली दादी के जगाने से...

दादी –(साहिल और कमल को उठाते हुए) उठ जाओ बेटा और कितनी देर तक सोओगे देखो घड़ी में 12 बज रहे है...

वक्त का सुन के दोनों एक दम से उठ गए...

साहिल – (चौक के) क्या 12 बज गए दादा जी ने सुबह 7 बजे बुलाया था जाने इतनी गहरी नींद कैसे आ गई...

दादी – (मुस्कुरा के) कोई बात नहीं बेटा मैने बोल दिया था उनको पहले से ही चलो तुम दोनों तैयार होके नीचे आ जाओ नाश्ता करने...

बोल के दादी चली गई कुछ देर में दोनों तैयार होके नीचे आ गए नाश्ता करने जहां सभी बैठे थे टेबल पर दोनों के आने के इंतजार में दोनों के आते ही सबने नाश्ता करना शुरू कर दिया नाश्ते के वक्त दादी बोली साहिल और कमल से....

दादी – साहिल बेटा तुझसे एक बात बोलनी है...

साहिल – क्या दादी...

दादी – मैने तेरे लिए एक फैसला लिया है अगर तुझे एतराज ना हो तो...

साहिल – (मुस्कुरा के) दादी सालों से आप ही मेरे लिए हर फैसला लेते आए हो तब मुझे एतराज नहीं हुआ तो भला अब क्यों एतराज होगा , मुझे आपका हर फैसला मंजूर है दादी...

साहिल की कही बात से दादी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई साथ ही नाश्ते की टेबल पर बैठे साहिल के परिवार के चेहरे पर भी तब...

दादी – बेटा मै चाहती हूँ कि यहां से तू हमारे साथ चल अपने घर में वही पर तू रह हम सबके साथ और आगे की पढ़ाई करेगा...

दादी की कही इस बात से अब सभी घरवालों का सारा ध्यान सिर्फ साहिल के जवाब पर था क्या वो राजी होता है इस बात के लिए कि नहीं जबकि बगल में बैठा कमल दादी की कही बात पर मुस्कुरा रहा था तब...

साहिल – ठीक है दादी आपने जो सोचा होगा अच्छा ही सोचा होगा मेरे लिए...

साहिल के जवाब से अब सबके चेहरे पे मुस्कुराहट वापस आ गई तब...

कमल – दादी...

दादी – हा कमल....

कमल – दादी आप तो जानती है कि साहिल और आपके इलावा मेरा...

दादी – (मुस्कुरा के कमल को बीच में टोक के) मै जानती हु तेरे दिमाग में क्या चल रहा है लेकिन तू ये क्यों भूल रहा है कि मेरे लिए तू और साहिल एक है जहां साहिल होगा वहा तू भी होगा समझा अपने आप को अलग समझने की सोचना भी मत सपने में भी तू भी मेरा पोता समझा...

ये बात सुन के कमल अपनी कुर्सी से खड़ा होके दादी के गले लग गया तब...

दादी – (गले से अलग किया कमल के आंख में आंसू देख उसे पोछ के) पगले रोता क्यों है , तू अकेला नहीं है तू तो मेरे परिवार का हिस्सा सालों पहले बन गया था इसीलिए रोया मत कर अब...

दादी की बात कमल मुस्कुरा के वापस अपनी जगह आके नाश्ता करने लगा सबके साथ जबकि दादी के इस फैसले से सुमन और कविता बहुत खुश थी साथ में बाकी के घर वाले भी खेर नाश्ते के बाद साहिल और कमल निकल गए शादी के काम करने जो धीरेन्द्र ने आते ही दोनों को दे दिया था काम , साहिल को राघव के साथ बाहर का काम के लिए भेजा गया जबकि कमल को हवेली में रोक के काम दिया गया...
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जारी रहेगा✍️✍️
Bahut hi shaandar update diya hai DEVIL MAXIMUM bhai....
Nice and beautiful update....
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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UPDATE 13


उस हादसे के बाद रीना और रागिनी जैसे टूट सी गई थी दोनों बहने उस रात से एक ही कमरे में एक साथ दो गई थी उनके साथ रीना की दोनों बेटी सोनम और पूनम भी साथ थी जबकि रीना और रागिनी को इतनी भी हिम्मत नहीं हो रही थी कि किसी से बात कर सके आज उनका भी वैसा ही हाल था जैसे उस रात के हादसे से पहले साहिल का हाल था जिसे कोई बात नहीं करता था उस रात साहिल ने गुस्से में भले ही अपनी मां सुमन को देख के बोल रहा था लेकिन साहिल की कही बात से राघव और सुरेश सोचने पर मजबूर हो गए थे कि वो गुस्से में आके क्या करने जा रहे थे अपने बच्चों के बारे में ना सोच के की उनके इस फैसले से बच्चों पर क्या असर पड़ेगा इसीलिए वो भी शांत हो गए और उन्होंने सोच लिया था कि बच्चों की वजह से वो चुप रहेंगे लेकिन अपनी बीवी से किसी प्रकार का कोई मतलब नहीं रखेंगे जबकि इस वक्त एक कमरे में साहिल की दोनों बुआ सुनीता और अमृता और दादी बात कर रहे थे आपस में...

अमृता – (सरला देवी से) मा आखिर बात क्या है इतने सालों से आप क्या छुपा रही हो कौन है वो जिसने पिता जी को मारा है और क्यों साहिल के साथ इतने सालों से ये ज्यादती हुई आखिर क्यों मा...

दादी – ज्यादती करने वाले भी कौन है सब अपने ही तो है जो बिना कुछ सोचे समझे पड़ गए एक बच्चे के पीछे हाथ धो के इतना भी नहीं सोचा किसीने उस वक्त तो अब क्यों सोचना सिर्फ इसीलिए क्योंकि कल रात साहिल को अटैक से होश आने के बाद उसने जो बोला इस बात से साहिल बेगुनाह होगया ये भी हो सकता है साहिल नाटक कर रहा हो सभी को दिखाने के लिए क्यों अमृता...

अमृता – मा अब तुम बात को मत बदलो मेरे मन में साहिल के लिए ऐसा कुछ नहीं था कभी भी...

दादी – अच्छा तो तेरे बच्चों के मन में कहा से आ गया साहिल के लिए इतना कुछ , अब ये मत बोलना कि मै झूठ बोल रही हूँ कल सब कुछ मैने अपनी आंखों से देखा और कानों से सुना है सभी बच्चों के मू से साहिल के लिए किस तरह जहर उगल रहे थे मुझे तो आज साहिल के लिए अपने फैसले पर भी शक हो रहा है कही साहिल को घर में ले जाके मै कही गलती तो नहीं कर रही हूँ...

अमृता – ऐसा क्यों सोच रही हो मा ऐसा कुछ नहीं होगा सब ठीक होगा...

दादी – जानती हु सब ठीक होगा क्योंकि आज साहिल पहले की तरह नहीं है वो पलट के वार और जवाब देना अच्छे से जनता है लेकिन क्या करू दादी के साथ मा हूँ उसकी चिंता रहेगी मुझे अपने बच्चे की...

अमृता – चिंता मत करो मा साहिल खुश रहेगा घर में सबके साथ और कोई कुछ नहीं करेगा साहिल के साथ मैने देखा है कल से सभी बच्चों ने कल रात जो देखा उसके बाद से कोई सोया नहीं सभी के मन में साहिल की बात चल रही है , मै जानती हु मा कि साहिल ने कुछ नहीं किया था ऐसा होता तो आप उसका साथ ना देती कभी और मै अपने पिता से बहुत प्यार करती हु मा आज भी बस एक बार बता दो मा कौन है जिसने पिता जी को मारा था...

दादी – अमृता तू जितनी बार पूछेगी मै जवाब नहीं दूंगी और अगर तुझे जवाब चाहिए तो पहले जा के साहिल के सवालों का जवाब देदे उसके सवालों का जवाब देने के बाद आना मेरे पास तब मै जवाब दूंगी तेरे सवाल का...

तभी इनकी बातों के बीच में कमल कमरे में आता है और सब चुप हो जाते है तब...

कमल – दादी आपने बुलाया मुझे...

दादी – (मुस्कुरा के) कमल तुम जानते हो मैने तुम्हे NGO से एडॉप्ट किस लिए किया था और क्यों पता है तुम्हे...

कमल – हा दादी साहिल के लिए किया था आपने मुझे एडॉप्ट...

दादी – नहीं कमल असल में उस वक्त मेरे दिमाग में ये ख्याल आया ही नहीं था लेकिन किसी और के मन में आया था वो तुझे एडॉप्ट करना चाहती थी उसको बेटा नहीं था उसने अपनी बेटी से वादा किया था कि उसके लिए भाई लाएगी और NGO में एक नजर में तू उसे भा गया लेकिन फिर उसी वक्त उसे साहिल का ख्याल आया तब उसने मुझे सारी बात बताई तब मैने तुझे एडॉप्ट किया था जनता है असल में एडॉप्ट के कागजात में तेरे मा बाप का नाम उनका ही है बस एडॉप्ट के बाद उन्होंने तुझे मुझे दे दिया था...

कमल – कौन है वो दादी...

दादी – (एक तरफ इशारा करके) ये मेरी बेटी सुनीता ये है तेरी मां...

कमल –(सुनीता को देख जिसकी आंख में आंसू थे जो कमल को देख रही थी) कल रात से मै यही सोच रहा था कि अगर आप साहिल की बुआ हो तो एक शहर में रहके आप क्यों नहीं आए कभी साहिल से मिलने जबकि दादी लगातार आती रहती थी सोचा आपसे पूछूं लेकिन कल रात जो हुआ उसके बाद मैने ध्यान नहीं दिया इस बात पे जबकि आपसे मै रोज मिलता था आपके रेस्टोरेंट में साहिल और मै रोज आते थे खाना खाने लेकिन आपने एक बार भी नहीं बताया कि आप कौन है...

सुनीता – कैसे बताती मै कल रात जो हुआ उसके डर से नहीं बताती थी मै जब भी तू अकेला आता था रेस्टोरेंट में बस उसी वक्त तेरा खाना देर से पैक करने को बोल देती थी ताकि बाते करती रहूं तुझसे और जब तुम साहिल के साथ खाना खाने आते थे रेस्टोरेंट में तब डर लगता था तेरे सामने आने में कही साहिल गुस्से की वजह से फिर से उसे अटैक ना आए...

बोल के सुनीता तुरंत कमल के गले लग जाती है रोने लगती है...

कमल – (सुनीता की आंख से आंसू पोछते हुए) इसीलिए आप हर बार कम पैसे लेती थी है ना...

सुनीता – अपने ही बच्चे को खाना खिलाने के पैसे कैसे लेती तुझे शक ना हो इसीलिए पैसे लिया करती थी...

कमल – मा...

सुनीता – (कमल को देख के) फिर से बोल...

कमल – मा...

बोल के गले लग गई कमल के सुनीता थोड़े देर बाद अलग होके...

सुनीता – मैने मा को बोल दिया है अब तू मेरे साथ रहेगा...

कमल – लेकिन मा मै साहिल को नहीं छोड़ सकता...

दादी – तू चिंता मत कर कमल बस एक काम करना मैने तेरे स्कूल में बात कर ली है बस तुझे अपने सर्टिफिकेट का बहाना बनाना होगा साहिल के सामने जब हम यहां से निकलेंगे घर के लिए तब तू अपनी मां सुनीता के साथ चले जाना घर पर कुछ दिन के लिए क्योंकि सुनीता का पति काम के सिलसिले से 2 साल के लिए अमेरिका जा रहा है उसके बाद सुनीता तेरे और बेटियों के साथ हमारे घर आ जाएगी रहने तब तक के लिए मै चाहती हूँ साहिल हमारे साथ अकेले रहे शायद कुछ हद तक उसकी कड़वाहट कम हो परिवार के लिए...

कमल – लेकिन दादी इस बीच साहिल को फिर से अटैक आया तब...

दादी – हम उसके साथ रहेंगे कमल उसकी मां सुमन और बहन कविता भी साथ है उसके...

कमल – क्या साहिल इनके साथ...

दादी – (बीच में) कोशिश करनी होगी बेटा सबको ताकि साहिल परिवार का हिस्सा बन जाय फिर से हमारे...

कमल – ठीक है दादी...

दादी – (सुनीता से) लो सुनीता मैने तुझे तेरा बेटा वापस दे दिया अब तू सम्भाल इस शैतान को बहुत तंग करता रहता है ये मुझे...

बोल के सभी मुस्कुराने लगे तब सुमन कमरे में आती जो बाहर से इनकी बाते सुन रही थी तब...

सुमन – (कमल के पास आके) शुक्रिया कमल तुमने इतने साल साहिल को संभाला उसके लिए (हाथ जोड़ के) मै...

कमल – (सुमन का हाथ पकड़ के) ये क्या कर रही है आप साहिल मेरा भाई है मैने उसे कभी गैर समझा ही नहीं बस थोड़ा सब्र रखिएगा आप बहुत नफरत है उसके दिल में परिवार के लिए जाने कैसे ये सब होगा मुझे समझ नहीं आ रहा है...

सुमन – वो जितनी नफरत कर ले मै सब सहन करूगी लेकिन अब दूर नहीं रहने दूंगी चाहे उसके लिए मुझे लड़ना क्यों न पड़े किसी से भी...

अमृता – (जो इतनी देर से चुप बैठी थी वो बोली सुनीता से) सारा क्रेडिट तूने और मा ने ले लिया मेरे बारे में कुछ नहीं बोला कितनी गलत बात है सुनीता भूल गई मैने ही कमल को ढूंढा था तेरे लिए...

सुनीता – नहीं दीदी आपको भला कैसे भूल सकती हूँ (कमल से) कमल जनता है अमृता दीदी ने बताया था तेरे बारे में मुझे तभी मै तुझे आई थी देखने अमृता दीदी के साथ...

कमल – (अमृता को ध्यान से देखते हुए) ओह तेरी की इसीलिए मै सोच रहा था कि आपको कहा देखा है मैने आप ही हमारे घर के सामने वाले फ्लैट में रहती हो ना...

अमृता – (मुस्कुरा के) हा बेटा मै ही रहती हु वहा पर और मैने ही मा को बोल के वो फ्लैट तुझे और साहिल को दिलवाया था रहने के लिए रेंट का बहाना बना के जिसे तुम समझते थे कि दादी देती रहती है रेंट मुझे...

कमल – (अमृता के गले लगते हुए) मानना पड़ेगा आप सबको पूरा फूलप्रूफ प्लान बनाया आप सब ने मेरे और साहिल के लिए किसी को पता तक चलने ना दिया...

अमृता – (मुस्कुरा के) अब तो पता चल गया ना तुझे बस साहिल को मत बताना अभी...

सुनीता – (अमृता से) लेकिन क्यों दीदी...

अमृता – (मुस्कुरा के) सुनीता ये कमल कुछ नहीं छुपाता है साहिल से इसीलिए मना कर रही थी साहिल को बताने के लिए वक्त आने पर सब बता देगे साहिल को सच....

दादी – (कमल से) चलो अच्छा अब काम पे लग जाओ तुम (सुनीता , अमृता और सुमन से) तुम लोग भी जाके तैयारी में लग जाओ शादी है 2 दिन बाद बहुत काम है अभी...

बोल के सब चले गए कमरे से जबकि इस तरफ साहिल हवेली के बाहर गया हुआ था राघव के साथ शादी के काम निपटाने में जैसे टेंट और डेकोरेशन वाले से बात करना शादी में क्या क्या और कैसे डेकोरेट करना है जबकि इस तरफ सही में लगने वाले बाकी जरूरी समानों को लेने में लगा हुआ था राघव जबकि साहिल की तरफ जब साहिल इन कामों को निपटा के खाली होके पेड़ की छांव में बैठा तब कोई आया साहिल के पास आते ही...

लड़की – कैसे हो साहिल...

साहिल – (पलट के सामने सेमेंथा को देख) अरे कहा थी तुम कल रात से दिखी नहीं...

सेमेंथा – (मुस्कुरा के) वही हॉल में थी साहिल सबके साथ जब तुम्हे अटैक आया...

साहिल – ओह शायद मेरा ध्यान नहीं गया होगा तुम पर खेर आओ बैठो तुम...

सेमेंथा – देख रही हूँ शादी के काम में लगे हुए हो तुम और तुम्हारे कपड़े तक खराब हो गए देखो कितनी मिट्टी लगी हुई है तुम्हारे कपड़ो में...

साहिल – (मुस्कुरा के) काम की भागा दौड़ी में ये सब चलता रहता है सेमेंथा...

तभी सेमेंथा एक चुटकी बजाती है जिससे साहिल के कपड़े पहले जैसे सफ़ा हो जाते है तब...

सेमेंथा – (साहिल को देख मुस्कुरा के) अब ठीक लग रहे है कपड़े तुम्हारे...

साहिल – (अपने कपड़ो को देख जो सफा हो गए थे ये देख चौक के) ये कैसे हुआ...

सेमेंथा – (मुस्कुरा के) मैने किया ये क्यों अच्छा नहीं लगा...

साहिल – (मुस्कुरा के) अरे मै तो भूल गया था तुम्हारे बारे में अच्छा और क्या क्या कर सकती हो तुम...

सेमेंथा – जो तुम चाहो वो कर सकती हूँ...

साहिल – अच्छा तो मुझे पानी पीना है मिलेगा...

तभी सेमेंथा चुटकी बजा के साहिल के सामने पानी की बोतल ले आती है तब...

साहिल – (पानी पी के) अरे वाह तुम तो सच में कमाल की हो सेमेंथा अच्छा तब तो तुम्हे कोई दिक्कत नहीं होती होगी ना जब प्यास लगे तो चुटकी बजा के पानी पी लिया जब भूख लगे तो चुटकी बजा के खाना खा लिया क्यों...

सेमेंथा – नहीं साहिल मै ये सब इस्तमाल नहीं करती हु...

साहिल – क्या मतलब इस बात का...

समेंथा – साहिल मै इन सबका इस्तमाल नहीं करती हु क्योंकि जब मुझे परी लोक से निकाला गया था तब मेरी मां ने मुझे (अपने हाथ में अंगूठी दिखाते हुए साहिल को) ये अंगूठी दी थी ताकि मुझे इन सब चीजों का इस्तमाल करने को जरूरत न पड़े लेकिन...

साहिल – लेकिन क्या सेमेंथा...

सेमेंथा – (मुस्कुरा के) जिस दिन मै अपने राजकुमार की हो जाऊंगी उस दिन से ये अंगूठी किसी काम की नहीं रहेगी तब मै भी इन सब चीजों का इस्तमाल करने लगूंगी...

साहिल – (मुस्कुरा के) ओह हो राजकुमार वाह क्या बात है...

सेमेंथा – चीड़ाओ मत साहिल....

साहिल – (मुस्कुरा के) अच्छा ठीक है वैसे बहुत प्यार करती है तुम्हारी मां तुमसे सच में बहुत नसीब वाली हो तुम इतना सब तुम्हारे साथ होने के बाद भी तुम्हारी मां को तुम्हारी कितनी फिक्र थी इसीलिए उन्होंने तुम्हे तुम्हारी शक्ति नहीं ली साथ में ये अंगूठी दे दी...

समेंथा – (साहिल की बात सुन उसका मतलब समझ गई थी इसीलिए बात बदल के) अच्छा साहिल तुम्हारा काम हो गया यहां पे...

साहिल – हा हो गया मै हवेली जा रहा था...

सेमेंथा – ठीक है तुम चलो मै भी आती हूँ...

साहिल – क्यों साथ में नहीं चलोगी...

सेमेंथा – (मुस्कुरा के) चलोगी साथ में लेकिन अभी मुझे जंगल जाना है किसी से मिलने....

साहिल – किसी से मिलने लेकिन तुमने तो कहा था तुम्हे कोई नहीं देख सुन सकता है...

सेमेंथा – तुम्हे सब बताऊंगी साहिल लेकिन अभी नहीं बस भरोसा रखो मुझपे जल्द ही तुम्हे बताऊंगी सब कुछ....

बोल के सेमेंथा वहां से गायब हो गई तब...

साहिल – (मुस्कुरा के) कमाल की लड़की है ये चलो इंतजार करूंगा इसकी भी बात जानने का...

बोल के हवेली की तरफ जाने वाले रस्ते में पैदल चलते रहे बाते करते हुए तभी साहिल के बगल से तेजी से 2 गाड़ी निकली जिस वजह से सड़क पर पड़ी मिट्टी उड़ते हुए साहिल पर आ गई तब...

साहिल – (गुस्से में चिल्ला के गाड़ी वाले को) सूरदास की औलाद अंधा है क्या...

तभी दोनों गाड़िया अचानक से रुक गई तब उसमें में एक बुद्धा आदमी निकला साथ ही 4 पहलवान और आखिर में एक आदमी जिसने काफी महंगे कपड़े पहने थे जैसे कोई बहुत बड़ा बिजनेसमैंन हो इसके साथ एक और आदमी निकला उसके जैसे कपड़े पहने हुए था...


New introduction villian...


लाला – उम्र 65 धीरेन्द्र के गांव का एक रसूखदार और घमंडी इंसान कहने को तो शहर में इसका काफी बड़ा कारोबार है लेकिन असल में इसके सारे काम गैर कानूनी है जैसे ड्रग्स , किडनैपिंग अपने ट्रांसपोर्ट के जरिए स्मगलिंग करना , नकली दवाई बनाना सभी गैर कानूनी काम है इसके लेकिन कोई नहीं जानता इस बारे में अगर कोई भी ऐसी बात होती है तो ये पुलिस और नेताओं की जेब भर देता है जिस वजह से शहर हो या गांव इसकी एक अच्छी छवि बनी हुई है हर जगह पर....

मुनीम – उम्र 60 साल ये है लाला का मुनीम जो उसके सारे गैर कानूनी कामों का लेखा जोखा रखता है ये हर वक्त लाला के साथ रहता है....


लाल का परिवार...


विजय (बड़ा बेटा) – उम्र 55 अपने बाप के साथ सारे गैर कानूनी काम करता है इसने अपने बाप के सारे गैर कानूनी काम को अपने दिमाग से खड़ा किया हुआ है लेकिन कहते है ना कमीने इंसानों को ही संस्कारी स्त्री लिखी होती है वैसा ही हाल कुछ इसका है तभी इसके जैसे कमीने इंसान को राधिका जैसे सुंदर और सुशील लड़की मिली थी....

राधिका (विजय की बीवी) – उम्र 40 सुंदर सुशील और शांत किस्म की औरत इसे सिर्फ अपने दोनों बच्चों से मतलब है और अपने पति से बेहद नफरत करती है....

आनंद (विजय और राधिका का एक लौटा बेटा) – उम्र 26 पहले ये बहुत ही अच्छा और सीधा साधा था लेकिन फिर इसके बाप ने इसे एक आवारा इंसान बना दिया जिसे औरतों और लड़कियों का बहुत शौक है अपनी राते रंगीन करने के लिए शहर में रह के इसने औरतों को लड़कियों को बिस्तर में ले आया बिल्कुल अपने बाप की तरह...

सिमी – उम्र 20 एक सीधी सादी अच्छी लड़की बिल्कुल अपनी मां की तरह...

बाकी लाला के कई पहलवान है जो इनकी रक्षा के लिए है इनके साथ...

लाला – (अपनी गाड़ी उतर साहिल को देख के मुनीम से) कौन है ये मुनीम शकल बड़ी जानी पहचानी लग रही है इसकी...

तभी गाड़ियों की आवाज सुन के खेत में काम कर रहे कुछ गांव वाले आते है देखने...(ये वही गांव वाले थे जिन्होंने कमल को रोक था जंगल में जाने से तब ये साहिल से मिले थे जहां राघव भी था उस वक्त उनके साथ तब राघव ने बताया था गांव वालो को साहिल के बारे में)...

तब...

मुनीम – (साहिल से) ए लौंडे कौन है तू जनता नहीं इनको कौन है ये...

गांव वाला – (बीच में आके लाला के सामने हाथ जोड़ के) माफ करिएगा लाला जी ये लड़का नया है गांव में ये आपके बारे में नहीं जानता है...

लाला – अच्छा वैसे है कौन ये लड़का इसकी शकल बड़ी जानी पहचानी सी लग रही है...

गांव वाला – लाला जी ये स्वर्गीय प्रताप जी का पोता है इसका नाम साहिल है ये धीरेन्द्र जी की बेटी की शादी में आया है यहां पर...

गांव वाले के मू से प्रताप का नाम सुन साथ ये जान के की ये उसका पोता है तभी लाला की गुस्से में आंखे लाल होने लगी लेकिन गांव वालो के सामने कुछ बोलना सही नहीं समझा लाला ने तब...

लाला – (साहिल से) तो तुम प्रताप के पोते और रनवीर के बेटे हो तभी तुम्हारी शकल जानी पहचानी सी लग रही है बिल्कुल अपने बाप रनवीर पे गए हो तुम , उसी की तरह घमंड और गुस्सा दिख रहा है तुम्हारे अंदर लेकिन शायद बड़ों से बात करने का सलीका नहीं है तुममें...

साहिल – (मुस्कुरा के) जब बड़ों का सलीका ही ऐसा हो अपने से छोटो के साथ तो छोटो का क्या कसूर इसमें...

लाला – (साहिल के उलटे जवाब से गुस्से को काबू में रखते हुए मुनीम से) चलो मुनीम यहां से...

गुस्से में साहिल को घूरते हुए लाला निकल गया अपनी गाड़ी से तब...

गांव वाला – (साहिल से) साहिल बेटा आपको इनके मू नहीं लगाना चाहिए था क्या आपको नहीं पता इनके बारे में...

साहिल – नहीं काका कौन है ये और ये इस तरह से बात क्यों कर रहे थे मेरे साथ...

गांव वाला – (साहिल की बात सुन समझ गया कि इसे कुछ नहीं पता इसीलिए बात बदल के) कुछ नहीं बेटा छोड़ो उसे और बताओ तुम कहा जा रहे हो अभी...

साहिल – काका मै हवेली जा रहा हूँ...

गांव वाला – अच्छा मै भी हवेली जा रहा हूँ धीरेन्द्र जी से काम है मुझे चलो साथ में चलते है...

गांव वाले की इस तरह से बात को टालता देख साहिल कुछ नहीं बोला उससे लेकिन उसे समझ आ गई थी ये बात की उससे कुछ तो छुपाया जा रहा है लेकिन अभी साहिल ने ये बात करना जरूरी नहीं समझा , गांव वाले के साथ हवेली निकल आया साहिल और हवेली के अन्दर चला गया तभी गांव वाले को धीरेन्द्र जी दिखे हाल में बैठे हुए जहां साहिल सीडीओ से अपने कमरे में जा रहा था वही हाल में धीरेन्द्र के साथ दादी , राजेश और धीरज बैठे बाते कर रहे थे तभी...

गांव वाला – (धीरेन्द्र के पास आके) प्रणाम मालिक...

धीरेन्द्र – अरे भाई क्या बात है आज यहां का रास्ता कैसे भूल गए तुम...

गांव वाला – बात ही कुछ ऐसी है मालिक इसीलिए आना पड़ा मुझे...

धीरेन्द्र – ऐसी क्या बात है घर में सब कुशल मंगल है ना...

गांव वाला – घर में सब ठीक है मालिक वो अभी रस्ते में (फिर जो हुआ सब बता के) बस इसीलिए साहिल के साथ यहां तक आया उसे छोड़ने के लिए...

धीरेन्द्र – (गांव वाले की सारी बात सुन के) तुमने ये बहुत अच्छा किया जो तुम आ गए साहिल के साथ गलती मेरी है मुझे ध्यान रखना चाहिए था इस बात का खेर मेरा एक काम कर दो तुम 2 दिन बाद शादी है यहां और उसके बाद सब चले जाएंगे यहां से तब तक के लिए तुम अपने लोगों को बोल देना वो नजर रखे हर किसी पर और कोई ऐसी वैसी बात लगे तो फ़ौरन बता देना मुझे या राघव को...

गांव वाला – जी मालिक अच्छा इजाजत दीजिए मुझे फिर मिलते है...

बोल के चला गया गांव वाला उसके जाते ही...

राजेश – क्या बात है मामा जी...

धीरेन्द्र – शादी के काम काज के चक्कर में मै भूल गया था लाला के बारे में राजेश...

धीरज – (लाला का नाम सुन) ये अभी तक इसी गांव में है...

धीरेन्द्र – हा बेटा और कहा होगा लाला आज तो अनजाने में सही लाला की मुलाकात साहिल से हुई है...

राजेश – मामा जी मुझे नहीं लगता लाला कुछ भी ऐसी वैसी हरकत करेगा...

धीरेन्द्र – हम्ममम बात सही है तुम्हारी राजेश लेकिन कुत्ते की पूछ का कोई भरोसा नहीं होता है उम्मीद करता हु तुम्हारी बात सही हो राजेश...

जबकि इस तरफ साहिल जैसे ही कमरे में आया अपने सामने किसी को देख...

साहिल –(हैरानी से) तुम यहां पर...
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जारी रहेगा✍️✍️
 
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