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Adultery आग जो लगी...! (Inc adultry cuckold)

Romain

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Update 8


गौरव और ज्योति दोनो बहोत खुश थे...गौरव ने आखिर अपने मन की कर ली थी और ज्योति भी बहोत सालो बाद एक तगड़े लंड से चूदी थी।

दोनो एकदूसरे को देख रहे थे....

G:- ऐसे क्या देख रही हो??

J:- मुझे यकीन नही हो रहा की मैने ये किया या यू कहूं हमने ये किया...

G:- मजा आया ना??

J:- बहोत.... उफ्फ मस्त चोदा उसने...

G:- मुझे भी ... जब वो तुम्हे चोद रहा था तुम्हारे चेहरे की खुशी देख कर... मुझे मजा आ रहा था .....और मुझे ये भी पता है तुम्हे और एक राउंड चुदवाना था उससे...

J:- ह्म्मम हा... मुझे लगा तुम उसे अपने साथ घर चलने बोलोगे...

G:- सब्र रखो मेरी जान .... तुम जिससे चाहो जब चाहो चुदवा लेना... बस मेरे सामने चुदवाना...

गौरव ने सागर को घर पर नहीं चलने को कहा क्यू की वो उसे घर पे जाके कैमरा ठीक से लगे है या नही चेक करना था और रात भी बहुत हो गई थी।

दोनो घर पहुंचे और फ्रेश हो कर सो गए।

सुबह बेल की आवाज से दोनो की नींद खुली...

J:- ये मालती इतने जल्दी कैसे आ गई आज?? उसको कितनी बार बोला है की संडे को जल्दी मत आया कर...

G:- जाओ ना जल्दी ...वरना वो बेल बजाती रहेगी...

ज्योति नाइटी में ही उठ के दरवाजा खोलने चली जाती है....जैसे ही दरवाजा खोलती है... और देखती है की उसके मामाजी सामने खड़े है..."मामाजी आप??"

मामाजी उसे देखे जा रहे थे बिना ब्रा के नाइटी जो बस घुटनों तक थी...ज्योति की बड़ी बड़ी चूचियों से उसकी नजर ही नहीं हट रही थी....

"उफ्फ ज्योति क्या लग रही है.... कितने दिनों बाद देख रहा हु इसे ...ये तो और भी ज्यादा सेक्सी हो गई है....थैंक यू ऊपरवाले ऐसा नजारा दिखाने के लिए"

मामा मन ही मन ऐसे सोच रहा था और पैंट में उसका लन्ड खड़ा होने लगा था।

ज्योति को जबतक समझ आता की वो किन कपड़ो में है तब मामा के होश उड़ गए थे...ज्योति जल्दी से मामा को बैठने बोलती है...और बेडरूम में आती है....गौरव को बताती है कि मामाजी आए है तो गौरव ...बाहर आता है ज्योति भी नाइटी चेंज करके सलवार सूट पहन लेती है...

G:- मामाजी आप ऐसे अचानक कैसे???

M:- अरे दामादजी... वो यहां रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर का एक वर्कशॉप है उसे अटेंड करने आया हु... अभी न्यू सोल्जर को अपने एक्सपीरियंस के बारे में बताना और उन्हें कुछ सिखाना उसने मुझे इनविटेशन मिला था तो सोचा ज्योति भी यही है तो मैं चला आया...

G:- अच्छा किया बहोत दिनों से आपसे मुलाकात नही हुई थी....तभी ज्योति चाय लेके आती है...ज्योति भी आपको बहोत याद कर रही थी...गौरव ज्योति को नॉटी नजरो से देखते हुए कहता है... ज्योति शरमा जाती है...

J:- हा मामाजी 3 4 साल बाद आपको देख रही hu... बाकी सब कैसे है?

M:- सब ठीक है...तुम्हे बहुत याद करते है...

G:- और आप तो कुछ ज्यादा ही याद करते होंगे ना...आपकी लाडली जो है... गौरव ज्योति को देखते हुए कहता है।

M:- हा वो तो है.... बहुत याद करता हु ...ऐसे बोल के ज्योति को ऊपर से नीचे तक देखा।

गौरव ने ये देख लिया..."हम्म्म मुठ मारने के टाइम याद करते होंगे"

ये सोच के गौरव को उत्तेजना महसूस होने लगी थी।

J:- आपने फोन क्यू नही किया मैं गौरव को भेज देती ना स्टेशन...

M:- अरे बेटी वो आर्मी ऑफिस से आए थे.. मैंने कहा की एक बार मिल लेता हु तुम लोगो से फिर चला जाऊंगा वहा सब अरेंजमेंट है...

G:- अरे ऐसे कैसे मामाजी यहां हमारे होते आप वहा क्यू रहेंगे...आप यही रहेंगे हमारे साथ और ऑफिस ज्यादा दूर नहीं है...

J:- हा मामाजी... वैसे कितने दिन का है वर्कशॉप?

M:- बेटी 5 दिन का है... मैं वही ठीक रहूंगा...तुम लोग तकलीफ मत करो...

J:- इसमें तकलीफ की क्या बात है...

G:- हा मामाजी बिल्कुल ज्योति सही कह रही है... आप यही रहेंगे...मैं ड्राइवर को बोल दूंगा वो आपको pick up drop कर दिया करेगा... वैसे आज से सुरु होने वाला है या कल से...??

M:- सुरु तो कल से होगा पर अभी थोड़ी देर बाद इंट्रोडक्शन का प्रोग्राम है तो मुझे जाना होगा...

J:- ठीक है आप गेस्ट रूम में चलिए फ्रेश हो जाइए तबतक मैं नाश्ता बना देती हु. ...

M:- ठीक है बेटी...

मामा चाय पी के गेस्ट रूम में चला गया...ज्योति नाश्ता बनाने लगी...

गौरव किचन में गया और ज्योति को पिछेसे हग किया..."क्या बना रही हो अपने पहले यार के लिए???

J:- क्या गौरव आप भी ना...

G:- क्या?? सच ही तो कहा ना... यही तो वो आदमी है जिसने पहली बार मेरी बीवी को छुआ था...अभी भी उसकी आखों में तुम्हारे लिए हवस कम नही हुई है...ऐसे देख रहे थे जैसे कच्चा चबा जायेंगे तुम्हे...

J:- कुछ भी... अरे अब तो उमर हो गई है उनकी...

G:- जान आर्मी वाला कभी बूढ़ा नही होता...(एक हाथ से चूची और एक हाथ से गांड दबाते हुए) और ये तुम्हारी चूचियां और गांड़ देख के तो मुर्दे का भी खड़ा हो जायेगा...

J:- अरे हा न...मुझे लगा मालती है मैं तभी नाइटी में ही दरवाजा खोलने चली गई....मुझे देख के तो वो कुछ बोल ही नहीं पाए....

G:- हा इतनी सेक्सी गदरायी औरत को देख के किसिकी भी बोलती बंद हो जाय... मुझे तो लगता है की अभी भी तुम्हे याद करके हिला रहे होंगे...

J:- कुछ भी बोलते हो... हटो मुझे काम करने दो...

G:- रुको 2 मीन...

गौरव जल्दी से अपने रूम में गया और अपना मोबाइल और हेडफोन ले आया.....उसने एक हेडफोन ज्योति को दिया और दूसरा खुद के कान में डाल दिया...

J:- क्या कर रहे हो गौरव??

G:- एक मिनट रुको तो....

गौरव ने एक app खोला और एक एक करके कैमरा की फुटेज चेक करने लगा...उसे गेस्ट रूम के बाथरूम का कैमरा मिला...वो उसे देखने लगा और उसका साउंड बढ़ा दिया...

G:- ज्योति ये देखो...ज्योति कुतुहल से देखने लगी....उसने देखा की गेस्ट रूम के बाथरूम में मामा नहा रहा था...

J:- ये क्या है?? और ये सीसीटीवी कब लगाई आपने?? और आवाज भी आ रही है....

G:- वो सब बाद में बताता हु...पहले ये तो देखो...

ज्योति ने देखा मामा अपना काला मोटा 10 इंची लंड को मसल रहा था...लंड पूरा टाइट था...

M:- aaaahhhhhh ज्योति उफ्फफ्फ क्या माल बन गई हो तुम अब sssssss ahhh जब पहली बार तुम्हारा बदन मसला था तब बहुत छोटी थी....अब एकदम भर गई हो.. काश एक बार चोदने का मौका मिल जाय... ऐसे पटक के चोदूंगा ना की क्भिबकिसी ने नही चोदा होगा....अपने लंड की रंडी बनाऊंगा तुझे.... बस एक बार मौका दे... तू खुद लंड मांगेगी मुझसे.... उफफ्फ

G:- wow ज्योति देखो मैंने कहा था...देखा बिचारे का क्या हाल बना दिया तुमने....

J:- चुप करो...मुझे तो यकीन नहीं हो रहा...

G:- किस बात का?? की मामा का लंड खड़ा भी होता है और तुम्हे अपनी रंडी बनाने के बारे में सोच रहा है इस बात का??

J:- दोनो.... आज भी नही बदले... अपनी भांजी को चोदने का सोच रहे है....

गौरव ने धीरे से अपना हाथ ज्योति के सलवार के ऊपर से चूत पे रखा...."भांजी भी तो गीली हो रही है मामा का लंड देख के...ज्योति तुम्हारी चूत मामा का लंड मांग रही है.. दोगी उसे?"

गौरव ज्योति की आखों में देखते हुए पूछता है।

J:- आह्ह्ह्ह गौरव प्लीज मत छेड़ो ना ....

G:- मुझे पता है ज्योति तुम अपनी चूत की मांग पूरी करोगी...है ना?

J:- आह्ह्ह्ह गौरव उफ्फ...

G:- मत तड़पाओ ज्योति... चाहो तो अभी जा के ले लो अपने मामा का लंड अपनी चूत में.....

J:- आह्ह्ह्ह नहीं उफ्फ....

ज्योति मामा को देखे जा रही थी...

M:- अःह्ह्ह ज्योति उफ्फ मेरी जान येस्सस्सस yessssss

मामा ज्योति का नाम लेके जोर जोर से हिला रहा था....कुछ ही मिनटों में उसका लन्ड वीर्य उगलने लगा....ज्योति और गौरव ये सब देख रहे थे....

G:- उम्मम्म ज्योति देखा तुमने अभी भी खड़ा है उनका लंड...

J:- omg सच में उफ्फ....

G:- मौका गवा दिया तुमने...

J:- हटो...जाओ यहां से...मामाजी आते ही होंगे मुझे नाश्ता बनाने दो.... और आप भी नहा के आओ जल्दी...

गौरव अपने रूम में चला गया । ज्योति नाश्ता बनाने लगी...

गौरव नहाने के लिए अपने रूम के बाथरूम में गया..."मैं सोच ही रहा था की सागर के साथ कैसे प्लान बनाया जाय लेकिन उसकी जरूरत ही नहीं है.. मामा जी जो आ गए अब... मामा को बस मौका मिल जाए वो ज्योति को चोदे बिना नही रहेंगे... ज्योति भी मना नही करेगी... मुझे दोनो को मौका देना पड़ेगा... मेरे रहते शायद मामा कुछ न करे...एक बार उनका काम हो जाय... फिर सामने बैठ के देखूंगा मामा कैसे अपनी भांजी को चोदता है"

गौरव कुछ प्लान बना रहा था।

ज्योति नाश्ता बनाते हुए सोच रही थी"मामाजी आज भी मुझे याद करके मूठ मार रहे थे....omg क्या मस्त तगड़ा लंड है उनका ...गौरव सही बोल रहे थे...मेरी चूत सच में उनका लंड मांग रही है.... आह्ह्ह्ह कितना मजा आयेगा जब उनका लंड मेरी चूत में जायेगा....उनकी भी बरसो पुरानी इच्छा पूरी हो जायेगी... उम्मम्म मामाजी आपकी भांजी इसबार आपको पूरा मजा देगी "

ज्योति ये सब सोच के उत्तेजित हो रही थी। तभी उसे मामा के आने की आहट हुई... उसने जल्दी जल्दी नाश्ता प्लेट में रखा...मामा तब तक हॉल में आके बैठ गया था...

ज्योति ने उनके पास गई और झुक के नाश्ता देने लगी...झुकने की वजह से उसकी आधी चूचियां मामा के आखों के सामने थी...मामा ने देखा और ऊपर ज्योति की आंखो में देखा...ज्योति स्माइल कर रही थी... उसने प्लेट ली और खाने लगे....

ज्योति वापस अपनी गांड़ मटकाते हुए किचन में जाने लगी...मामा उसकी गांड़ को देखे जा रहा था।

" वाह्ह्ह क्या मस्त गांड है यार... छोटी थी तब से इसकी गांड मुझे बहोत पसंद है उफ्फ"

ज्योति पानी लेके वापस आई और जानबूझ के मामा के पास बैठ गई।

J:- मामाजी आप आ ही रहे थे तो मामी को क्यू नही लेके आए....

M:- अरे बेटा... उसकी तबियत ठीक नहीं है... तुम्हे तो पता ही है ना उसकी स्पाइन का प्रॉब्लम है...ट्रेवलिंग में और तकलीफ होने लगती है"

J:- ( मन में ) हम्म्म आप जैसा घोड़ा चढ़ेगा तो क्या ही कमर ठीक रहेगी... आप जैसे को मेरी जैसी घोड़ी ही संभाल सकती है

J:- हा मम्मी बता रही थी.... आपको खयाल रखना चाहिए न थोड़ा..

M:- मैं तो खयाल रखता ही हूं बेटी.... जब से रिटायर हुआ हु तब उसे एक पल के लिए भी अकेला नहीं छोड़ता...

J:- तभी तो उनकी ये हालत हो गई होगी.... ज्योति के मुंह से निकल गया....

M:- मतलब???

J:- मतलब....वो...की ...मैं..मैं ये कह रही थी उसके पहले उनकी तबियत खराब रहती थी ना...आप आ गए तो अब अच्छी हो रही है...

M:- अच्छा सुन मैं भूल ही गया...तेरी मामी ने तेरे फेवरेट बेसन के लड्डू भेजें है...मेरी बैग में है..

J:- सच में ?? Wow मैं बहोत मिस कर रही थी...जब भी लड्डू खाती हु तब तब मामी के हाथ के लड्डू याद आते है...थैंक यू....और ऐसा बोला के ज्योति मामा को हग करती है....मामा को ये एक्सपेक्ट नहीं था....वो थोड़ा पीछे हटा...जिस वजह से ज्योति के हाथ उसके गले की जगह पे पेट पे लिपट गए और ज्योति के बूब्स उसके लंड पे दब गए.... ज्योति की गांड़ देख के उसका लन्ड पहले से ही आधा खड़ा था...बूब्स के नरम स्पर्श से एक ही सेकंड में पूरा टाइट हो गया..ज्योति को भी उसके लंड का हार्डनेस अपनी चुचियों पे फील हुआ....मामा थोड़ा संभला और एक हाथ उसकी पीठ पे रख के हग करने लगा....

M:- आज भी नही बदली...लड्डू के नाम से एकदम बच्ची बन गई हो....

ज्योति ये मौका गवाना मुनासिब नहीं समझा...वो और अपनी चूचियां लंड पे रगड़ने लगी और सर मामा के छाती पे रखा..."हा आपके लिए मामी के लिए मैं अभी भी बच्ची ही तो हूं"

मामा का लंड अब पूरे जोश में आ गया था...ज्योति की नरम चुचियों पे रगड़ने में उसे परम आनंद की प्राप्ति हो रही थी... वो धीरे धीरे ज्योति की पीठ सहलाने लगा।

M:- हा मेरी बच्ची... तू बिल्कुल वैसी ही है... याद है मुझे सब... हमेशा मुझसे ऐसेही चिपकी रहती थी तू...

ज्योति ने हग तोड़ा और मामा की आखों में देखते हुए स्माइल करने लगी....एक नजर उसकी मामा के खड़े लंड पे गई....मामा ने उसे देखा की वो लंड को देख रही है तो...वो थोड़ा संभल के बैठते हुए छुपाने की कोशिश करने लगा......

J:- हा मुझे सब याद है.....खासकर के वो वाले दिन जब आपकी शादी होने वाली थी और हमारे घर पे 3 4 दिन रुके थे...कितना मजा किया था न आपने....मतलब हमने?

मामा को वो इंसीडेंट याद आ गया जब वो रात को ज्योति के रूम में जा के उसको मसला था।

M:- हा...बहुत अच्छी तरह याद है....उसके बाद मौका ही नही मिला....

J:- हा... मौका मिलता तो और मजे करते....मामा की आखों में देखते हुए धीरे से इस अंदाज में कहा की मामा सोच में पड़ गया....

लेकिन आगे कुछ बोल पाता...तभी गौरव वहा आ गया...

G:- क्या बाते चल रही है मामा भांजी के बीच???

M:- कुछ नही...बस ऐसेही....

G:- अच्छा मामाजी आप कबतक वापस आओगे??

M:- पता नही.....इंट्रोडक्शन का प्रोग्राम है शायद 3 4 बजे तक आ जाऊंगा...

G:- ठीक है... मुझे थोड़ा ऑफिस जाना होगा 3 बजे ...अर्जेंट काम आ गया कुछ...तो आपको मैं रात को ही मिलूंगा...ज्योति डिनर में मामाजी की फेवरेट बनाना कुछ...

J:- क्या आप भी आज संडे को भी काम??

G:- अरे अब क्या करे??

M:- दामाद जी बुरा मत मानना पर ज्योति सही कह रही है...

G:- मामाजी आपकी बात सही है... पर ये थोड़ा अर्जेंट है...

M:- ठीक है...अब मैं क्या बोलूं?

G:- वो मामाजी ड्राइवर खड़ा है बाहर आपका वेट कर रहा है।

मामा दोनो को बाय बोल के निकाल गए।

गौरव ने ज्योति को अपनी बाहों में लिया..."क्या बाते हो रही थी...."

J:- कुछ नही ... उनको पुरानी बाते याद दिला के उकसा रही थी...

G:- उम्मम्म मतलब तुम अपनी चूत के आगे बेबस हो गई..

J:- हम्म्म... नहीं प्यार के आगे...

G:- मतलब???

J:- अपने पति से बहोत प्यार करती हु ना.... और उनकी इच्छा को कैसे मना करती??

G:- ohhhh ऐसी बात है?? तो मेरी प्यारी पत्नी जी कुछ सोचा है कैसे करेगी???

J:- हम्म्म नही सोचूंगी...पर आप ये कहा जाने की बात कर रहे थे??

G:- अरे वैसे तो अर्जेंट कुछ नही...पर सोचा की तुम दोनो को खुलने के लिए थोड़ा स्पेस दे दूं...

J:- OMG... बहुत समझदार हो गए हो...

दोनो हसने लगे....

दोनो इस वासना की आग में एक कदम और आगे बढ़ने लगे थे.... उधर मामा के भी तनबदन में आग लग गई थी...



पता नही ये आग कब और कैसे कैसे बुझेगी।

Jabardast update Erotica bhai
 
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Update 9


दोपहर में करीब 4 बजे मामा अपना प्रोग्राम खत्म करके वापस आए।

बेल बजाई...दरवाजा खुला ...उसे लगा ज्योति होगी...पर वो मालती थी....

मालती: - अरे मामाजी आ गए आप....

मामा के चेहरे के भाव से मालती समझ गई ...

मालती:- मैं मालती हु... मेमसाब आराम कर रही है...उन्होंने बताया था आप आने वाले हो....

दोनो अंदर आते है....

मालती:- आपको कुछ चाहिए?? मैं मेमसाब को जगा दू??

मामा:- नही नही... सोने दो... मैं भी थक गया हूं... मैं भी थोड़ा आराम करता हु...

मालती:- ठीक है... मैं थोड़ा मार्केट जा रही... वो आपके लिए डिनर में कुछ स्पेशल बनाने का बोल रही थी मेमसाब...अभी अगर आपको कुछ चाहिए तो बता दीजिए मैं अभी बना देती हु...

मामा:- नही... तुम जाओ... मैं थोड़ी देर सो लेता हु...

ऐसा बोल के मामा अपने रूम की तरफ जाने लगा... मालती भी समान लेने चली गई....मामा अपने रूम की तरफ जाते हुए ज्योति के रूम की तरफ देखा.... उसे वो पुराना किस्सा याद आ गया..."ऐसेही एक रात उसके रूम में गया था.... तब एकदम कमसिन कली थी... अब तो गदराई औरत बन गई है.... उफ्फ आज भी उसकी जवानी का मंजर आखों के सामने से हटता नही... देखू तो सही क्या कर रही है... नही नही... तब की बात और थी...सिर्फ देखने में क्या हर्ज है... लेकिन दरवाजा तो बंद लग रहा है..."

मामा ने दरवाजा थोड़ा धकेला... वो खुला था... ज्योति ने जानबूझ के दरवाजा खुला रखा था और मालती से कहा था की मामा के आते ही मार्केट चली जाना... ज्योति को पक्का यकीन था उसका ठरकी मामा उसे अकेली पा के कुछ ना कुछ तो जरूर करेगा....

दरवाजा खुलते ही अंदर का नजारा देख मामा का लंड पैंट में हिचकोले खानें लगा....ज्योति ने जानबूझ के अपनी नाइटी ऊपर कर रखी थी.... पाव फैला रखे थे ....उसकी चूत को कस के पहनी हुई लाल रंग की पैंटी बिल्कुल मामा के आखों के सामने थी....उसकी गोरी गोरी मांसल जांघो के बीच वो लाल रंग की चड्डी देख मामा की आंखे बाहर आने को होने लगी....वो ऐसा नजारा एक्सपेक्ट नही कर रहा था.... वो देख के अपना लन्ड मसलने लगा...."आह्ह्ह्ह ज्योति उम्मम...आज भी वैसी ही है...नींद में बिल्कुल इसे होश नही रहता....थोड़ा अंदर जाता हु... पास से देखू तो मेरी भांजी को जवानी में कितना निखार आया है"

मामा दबे पाव अंदर जाने लगे.... ज्योति को उनके कदमों की आहट सुनाई दे दी थी....उसका दिल जोर जोर से धड़कने लगा....

मामा ने देखा नाइटी के बटन खुले हुए थे....उसकी 36 की गोरी गोरी चूचियां उसकी सांसों के साथ ऊपर नीचे हो रहीं थी.... अंदर ब्रा नही थी....

मामा:- उफ्फ बहनचोद क्या लग रही है आह्ह्ह्ह्ह आज भी बिना ब्रा के सोती है.... मामा अपना लन्ड मसलते हुए मन में सोच रहा था....क्या मैं छू के देखू...नही नही ये दोपहर का टाइम है.... नींद कच्ची होती है...अगर जाग गई तो मेरी खैर नही.... पर इसे ऐसा देख के रहा नही जा रहा उफ्फ साली का बदन एक बार मिल जाय आह्ह्ह्ह्ह देख यार पैंटी में फसी चूत इसकी उम्मम्म यार ऐसेही इसे देखता रहा तो कंट्रोल नही होगा मुझसे...लेकिन कुछ फोटो तो खीच ही सकता हु....उसने जल्दी जल्दी अपने फोन में ज्योति की फोटो खींची ....



मामा ज्योति की अधनंगी जवानी देख मदहोश हो गया था....पर उसे डर भी लग रहा था.... वो जैसे अंदर आया वैसेही दबे पाव वापस चला गया ...

ज्योति को निराशा हुई...उसके जाने के बाद सोचने लगी..."मामाजी तो ऐसेही चले गए मुझे लगा कुछ करेंगे मैं पकड़ लूंगी और बोलूंगी की आपकी भांजी भी आपके लंड से चुदाने को बेकरार है"

तभी उसके फोन पे गौरव का फोन आया...

गौरव भी अपने ऑफिस में बैठ के सब देख रहा था.... और मामा के चले जाने से वो भी मायूस था उसे भी लगा की मामा अभी ज्योति को चोदेंगे और मजे लेगा... पर उसने देखा की मामा अपने रूम में जाके मोबाइल में ज्योति की फोटो देख के लंड मसल रहा है उसने ज्योति को कॉल किया...

G:- यार ज्योति अभी मामा ने तुम्हारी फोटो ली है...

J:- ohhhh अच्छा आप सब देख रहे हो??

G:- हा मेरी जान सब जगह कैमरा लगा दिए है मैने... और पता है मामा अभी तुम्हारी पिक्स देख के हिला रहे है...

J:- उम्मम्म्म यहां मैं खुद उनसे चुदाने को तयार बैठी हु और वो मेरी फोटो पे मुठ मार रहे है...

G:- आय हाय मेरी जान अपने मामा के लंड के लिए इतनी बेताब हो रही है.... तो एक काम करो जल्दी से गेस्ट रूम में जाओ...मामाजी ने डोर अंदर से बंद नही किया है...बिना knock किए सीधा घुस जाओ...

J:- ओह्ह्ह लेकिन...

G:- मामा का लंड चाहिए न.... जैसा मैं कहता हु वैसा करो...जाओ जल्दी उन्होंने अपना लन्ड बाहर निकल लिया है...

J:- ठीक है जाती हु....

ज्योति धीरे धीरे गेस्ट रूम के पास गई...और दरवाजा खोला और ऐसे दिखते हुए अंदर गई जैसे उसे पता ही नही था की मामाजी आ गए है और एकदम से बेड के सामने जाके खड़ी हो गई....मामा मोबाइल में ज्योति की पिक्स देख के अपना लंबा काला मोटा लंड हाथ में लिए ज्योति को देख रहे थे... ज्योति ने चौकने का नाटक करते हुए अपने मुंह पे दोनो हाथ रख दिए और एकटक मामा के लंड को देखने लगी.....ज्योति तो नाटक कर रही थी पर मामा को शॉक सा लगा उसे क्या करना चाहिए क्या नही कुछ सूझा नही... वो भी उसी हालत में ज्योति को देखने लगे.... ज्योति कभी मामा को देखती कभी उसके लंड को....दोनो स्तब्ध थे....कुछ पल ऐसेही सन्नाटे में बीता.... ज्योति हड़बड़ी में पलटी और बाहर जाने लगी लेकिन जैसे ही वो पलटी उसका पैर फिसल के वो बेड पे गिरने लगी.... उसका पैर सच में फिसला था अबकी बार कोई नाटक नही था.... मामा ने देखा की ज्योति गिरने वाली है वो अपना लन्ड छोड़ के उसे संभालने के लिए घुटनों पे आए और ज्योति की तरफ लपके..... लेकिन तब तक ज्योति बेड पे गिर गई थी और मामा उसे पकड़ने के चक्कर में आगे आ गए थे... जिसकी वजह से मामा का खड़ा लंड ज्योति के मुंह पे आ गया.... ज्योति गिरते वक्त आंखे बंद थी जब खुली तो मुंह पे मामा का लंड था... वो जल्दी से खड़ी होने लगी तो मामा का लंड उसके होठों से टकराया.... और तभी मामा ने अपना हाथ आगे बढाया तो उसके हाथ ज्योति की चुचियों पे आ गए.... ये सब इतने जल्दी हो गया की दोनो को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था क्या करे क्या नही.... लेकिन इस पल में दोनो ठहर गए....मामा के हाथ में ज्योति की चूची थी और ज्योति के होठों पे मामा का लंड.... ज्योति और मामा की नजरे मिली..... न चाहते हुए भी मामा का हाथ ज्योति की बड़ी बड़ी चूचियों पे कस गया.... और उसके दबाव से ज्योति की आह निकल गई और उसके साथ ही उसके होठ खुल गए और मामा का लंड उसके दोनो होठो के बीच थोड़ा सा आ गया...... और आदतन ज्योति की जुबान हिली और लंड को चाट ली..... मामा को जैसे ही ज्योति की जुबान का गिला स्पर्श अपने लंड पे महसूस हुआ उसका हाथ थोड़ा और जोर से ज्योति की चूची पे कस गया और लंड को हल्का सा टर्न किया.... जिससे लंड का टोपा ज्योति के मुंह की तरफ हो गया और ज्योति के चूची दबी तो उसका मुंह थोड़ा और खुल गया..... मामा ने धीरेंसे लंड को आगे किया....ज्योति की जुबान भी अपने आप ही आगे आ गई.....ज्योति और मामा एक दूसरे की आखों में देख रहे थे....खामोश थे.... सन्नाटा था....

और "टिंग टोंग" उस सन्नाटे में आवाज गूंजी.... दोनो एकदम से चौके...ज्योति एकदम से उठी... "लगता है गौरव या मालती है"

मामा भी थोड़ा संभला...और लंड को पैंट में डाला...ज्योति बाहर जाने लगी...लेकिन दरवाजे पे रुकी और पलट के मामा को देखा और स्माइल करते हुए दरवाजा खोलने के लिए चली गई....

ये सब गौरव अपने ऑफिस में लैपटॉप पे देख रहा था.......

"Ohhhh यार इस मालती को भी अभी आना था.... थोड़ा लेट आती तो मामा का लंड ज्योति के मुंह में होता यूफफ्फ यार क्या नजारा था सस्सस्स आह्ह्ह्ह ज्योति मेरी जान क्यू नही चूसा तुमने मामा का लंड उफ्फ.... चलो कोई नही मामा को सिग्नल तो मिल ही गया.... अब बस मौका मिलते ही काम हो जायेगा।"

मामा बेड पे बैठ गया..."उफ्फ इतने सालो का मेरा सपना सच ही होने वाला था.... आह्ह्ह्ह्ह ज्योति के मुंह में बस मेरा लन्ड जाने ही वाला था... ज्योति भी तो चाटने लगी थी.... अःह्ह्ह उफ्फ...लगता है उसे मेरा लन्ड पसंद आ गया....(अपने लंड को दबाते हुए) ज्यादा मत उछल अब मैं कुछ नही करने वाला सब्र रख तुझे अब मेरी प्यारी भांजी की चूत दिलाता हु...."

ज्योति ने दरवाजा खोला और किचन में मालती को कुछ समझाया...और अपने कमरे में चली गई..."उम्मम्म कितना मोटा लंड है मामा का उफ्फ ऐसा तो मैंने पहले कभी नहीं लिया आह्ह्ह कुछ देर बाद आती मालती तो वो लंड मेरी चूत में होता उम्मम्म...अब तो मामा भी समझ गए होंगे की मैं तयार हु...और अब देखो ऐसा तड़पाती हू मामा को की वो पागल हो जायेंगे और जब मुझे चोदेंगे तो पूरा बदला लेंगे आह्ह्ह्ह्ह "



तीनो अपने अपने ख्यालों में थे... प्लानिंग में थे....

वासना की आग अब धीरे धीरे अपना रौद्र रूप धारण करने की और बढ़ रही थी।



मामा थोड़ी देर बाद अपने रूम से निकाला और हॉल में आ गए... किचन में मालती कुछ काम कर रही थी.... और ज्योति हॉल में बैठ के टीवी देख रही थी.... मामा और दोनो ने एकदूसरे को देखा....ज्योति शरमाते हुए हसते हुए मामा को देख के नीचे देखने लगी.... मामा धीरे धीरे चलते हुए गया और ज्योति के साइड वाले सोफे पे बैठ गया....

मामा:- गौरव आया नही अब तक???

ज्योति:- नही... उनका हमेशा का है ... काम काम मेरी तरफ तो ध्यान ही नही देते... वैसे बोल रहे थे 8 बजे तक आ जाऊंगा....

मामा:- (मामा ये सुन के थोड़ा खुश हुआ की गौरव ध्यान नही देता )

गलत बात है ये तो.... अपनी पत्नी को वक्त देना चाहिए..

J:- हा आप ही बोलिए उनसे कुछ...

M:- हा हा क्यू नही... आने दो मैं बात करूंगा....

ज्योति ने पलट के मालती को देखा वो काम में बिजी थी....

J:- मामाजी वो तभी हो हुआ उसके लिए सॉरी... वो मुझे पता नहीं था आप आ गए हो.... मैं तो बस देखने आई थी की गेस्ट रूम मालती ने ठीक से साफ किया या नहीं....अगर मुझे पता होता तो मैं नॉक करके आती....

M:- अरे बेटा तुम क्यू सॉरी बोल रही हो... शर्मिंदा तो मैं हूं... पता नही क्या सूझा मुझे और वो मैं.....

J:- लगता है मामी की याद आ रही थी आपको....ज्योति सोफे के हैंडल पे कोहनी रख के झुकी और अपनी चीन अपने हतेली रख के मामा की आखों में देखते हुए बोली....

मामा ने देखा ज्योति की चूचियां उसकी नाइटी से आधी दिख रही थी.....

M:- अरे नही...मामी की याद नही आ रही थी...

J:- OMG मामाजी फिर किसकी याद आ रही थी आपको???

M:- बोला ना किसकी याद नही आ रही थी....बस कुछ देख लिया था उसकी वजह से थोड़ी .... मामा ज्योति की चुचियों को घूर के बोले...

J:क्या देख लिया था मामाजी?? ज्योति अपनी चुचियों को थोड़ा हिलाते हुए बोली...

M:- ज्योति वो... मैं... झूठ नही बोलूंगा लेकिन जब भी तुम आस पास होती हो मेरी हालत थोड़ी खराब हो जाती है....

ज्योति थोड़ी शरमा गई...

J:- पता है मुझे.... बहोत पहले से पता है....मामा की आखों में देखते हुए कहा...



M:- क्या पता है? और कैसे... मैं समझा नही...

J:- यहीं की आपकी हालत और नियत खराब हो जाती है मेरे आस पास...

M:- ohhh तुम्हे पता रहता था.... कैसे?

J:- हा.... हम लडकियो में 6th सेंस होता है... कौन उसे किस नियत से छु रहा है उसे पता चल जाता है.... और आप हमेशा मेरे पास ही तो मंडराते रहते थे.... बार बार मुझे छूने के बहाने ढूंढते थे....

M:- और तुम्हे अच्छा लगता था है ना?? तभी तो तुम भी मुझसे चिपकी रहती थी....बोलो है ना??

ज्योति कुछ नही बोली बस नजरे झुका के स्माइल करती रही....

M:- क्या हुआ?? बोलो ना ...मामा थोड़ा आगे सरका...ज्योति समझ गई की मामा उसे छूने के लिए आगे सरका है...वो तुरंत उठ गई और किचन में भाग गई....

"इतने आसानी से नही मामाजी थोड़ा तड़पाऊंगी आपको"

मन में सोचते हुए गांड मटकाती हुई किचन में गई और मालती से बात करने लगी....

मामा उसे देख के लंड को मसला..." आह्ह्ह लगता है ज्योति भी पहले से तयार है"

ज्योति मालती से बाते करते हुए तिरछी नजरों से मामा को देख रही थी... मामा अब बेशर्म बन गया था... वो पैंट के ऊपर से लंड मसल रहा था ज्योति को देखते हुए.....ज्योति की नजर मामा के लंड पे थी.... तभी मालती का फोन बजा..."मेमसाब वो रमेश का फोन है मैं आती हु बात करके"

मालती किचन के बैक डोर से बाहर चली गई।

मामा ने देखा और वो उठ के किचन जाने लगा। ज्योति को पता नहीं था...वो अपना काम कर रही थी...मामा की तरफ उसकी पीठ थी....थोड़ा झुकने की वजह से ज्योति की गांड़ का उभार थोड़ा प्रॉमिनेंट दिख रहा था...मामा ने देखा और पीछे से जाके ज्योति की गांड़ पे लंड सटा दिया...ज्योति चौंक गई....पीछे मुड़ के देखा...मामा स्माइल कर रहा था..."क्या बना रही है मेरी प्यारी भांजी अपने मामा के लिए""

J:- सब आपका फेवरेट ही है मामाजी...

मामा ने देखा मालती को किचन का कुछ दिखाई नहीं दे सकता...उसने ज्योति की गांड़ पे लंड दबाया...और एक हाथ से एक साइड की गांड़ को दबाया. ..."मेरी फेवरेट तो ये है... ये नहीं खिलाओगी?"

J:- धत्त...मामाजी क्या कर रहे है आप..हटिए ना...मालती है देख लेगी तो क्या सोचेगी?

मामा ने सोचा ज्यादा हड़बड़ी से काम बिगड़ जायेगा... वो थोड़ा पीछे हट जाता है..."अभी तो बोला ना तुमने की जब तुम नई नई जवानी में कदम रखा था तब मेरा ऐसा करना तुम्हे पसंद था"

J:- मैंने कब कहा?

M:- मतलब पसंद नहीं तुम्हे?

J:- मैने ये कब कहा??

ज्योति को मामा ने शब्दो में फसा लिया था...

मामा पलट के किचन टेबल से सट गया और ज्योति की तरफ देखते हुए..."मतलब तुम्हे पसंद था न...मेरा हाथ जब तुम्हारी कमसिन गांड को छूता था.... तुम्हारे उभरते हुए संतरो को छूता था..."

ज्योति को ये सब एक्सपेक्ट नही था..."omg मामाजी आप क्या बोल रहे हो?"

M:- अब समझ में आ रहा है की जब मैं इतना सब करता था फिर भी तुम कुछ नही कहती थी क्यू की तुम्हे मजा आता था...तुम्हारी चूत गीली हो जाती थी....

J:- ओहह ह मामाजी प्लीज ये सब मत बोलिए....

M:- क्यू अभी हो रही है क्या??? ज्योति तुम्हे पता नही है तुम्हारी जवानी का मैं कितना बड़ा दीवाना हु....

J:- मुझे सब पता है... पर ये वक्त इन सब बातो का नही है...मुझे डिनर रेडी करना है...गौरव आते ही होंगे....

तभी मामा ने देखा की मालती बाहर से अंदर आ रही है...उसने पलट के फ्रिज खोला और पानी की बोतल निकाल के हॉल में आ गया...ज्योति ने मालती को कुछ समझाया और वो भी हॉल में आ गई....

गौरव ये सब देख रहा था... सुन रहा था...."ये मामाजी तो राजधानी एक्सप्रेस से तेज निकले... हम्म्म हो भी क्यू ना इतने सालो से जो भरे पड़े है" चलो मैं भी निकलता हु मेरा प्लान सक्सेसफुल रहा आज का... रात का भी हो जाय तो मजा आ जायेगा।

गौरव जल्दी जल्दी सब समेटा और घर के लिए निकल पड़ा।
 

malikarman

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Update 9


दोपहर में करीब 4 बजे मामा अपना प्रोग्राम खत्म करके वापस आए।

बेल बजाई...दरवाजा खुला ...उसे लगा ज्योति होगी...पर वो मालती थी....

मालती: - अरे मामाजी आ गए आप....

मामा के चेहरे के भाव से मालती समझ गई ...

मालती:- मैं मालती हु... मेमसाब आराम कर रही है...उन्होंने बताया था आप आने वाले हो....

दोनो अंदर आते है....

मालती:- आपको कुछ चाहिए?? मैं मेमसाब को जगा दू??

मामा:- नही नही... सोने दो... मैं भी थक गया हूं... मैं भी थोड़ा आराम करता हु...

मालती:- ठीक है... मैं थोड़ा मार्केट जा रही... वो आपके लिए डिनर में कुछ स्पेशल बनाने का बोल रही थी मेमसाब...अभी अगर आपको कुछ चाहिए तो बता दीजिए मैं अभी बना देती हु...

मामा:- नही... तुम जाओ... मैं थोड़ी देर सो लेता हु...

ऐसा बोल के मामा अपने रूम की तरफ जाने लगा... मालती भी समान लेने चली गई....मामा अपने रूम की तरफ जाते हुए ज्योति के रूम की तरफ देखा.... उसे वो पुराना किस्सा याद आ गया..."ऐसेही एक रात उसके रूम में गया था.... तब एकदम कमसिन कली थी... अब तो गदराई औरत बन गई है.... उफ्फ आज भी उसकी जवानी का मंजर आखों के सामने से हटता नही... देखू तो सही क्या कर रही है... नही नही... तब की बात और थी...सिर्फ देखने में क्या हर्ज है... लेकिन दरवाजा तो बंद लग रहा है..."

मामा ने दरवाजा थोड़ा धकेला... वो खुला था... ज्योति ने जानबूझ के दरवाजा खुला रखा था और मालती से कहा था की मामा के आते ही मार्केट चली जाना... ज्योति को पक्का यकीन था उसका ठरकी मामा उसे अकेली पा के कुछ ना कुछ तो जरूर करेगा....

दरवाजा खुलते ही अंदर का नजारा देख मामा का लंड पैंट में हिचकोले खानें लगा....ज्योति ने जानबूझ के अपनी नाइटी ऊपर कर रखी थी.... पाव फैला रखे थे ....उसकी चूत को कस के पहनी हुई लाल रंग की पैंटी बिल्कुल मामा के आखों के सामने थी....उसकी गोरी गोरी मांसल जांघो के बीच वो लाल रंग की चड्डी देख मामा की आंखे बाहर आने को होने लगी....वो ऐसा नजारा एक्सपेक्ट नही कर रहा था.... वो देख के अपना लन्ड मसलने लगा...."आह्ह्ह्ह ज्योति उम्मम...आज भी वैसी ही है...नींद में बिल्कुल इसे होश नही रहता....थोड़ा अंदर जाता हु... पास से देखू तो मेरी भांजी को जवानी में कितना निखार आया है"

मामा दबे पाव अंदर जाने लगे.... ज्योति को उनके कदमों की आहट सुनाई दे दी थी....उसका दिल जोर जोर से धड़कने लगा....

मामा ने देखा नाइटी के बटन खुले हुए थे....उसकी 36 की गोरी गोरी चूचियां उसकी सांसों के साथ ऊपर नीचे हो रहीं थी.... अंदर ब्रा नही थी....

मामा:- उफ्फ बहनचोद क्या लग रही है आह्ह्ह्ह्ह आज भी बिना ब्रा के सोती है.... मामा अपना लन्ड मसलते हुए मन में सोच रहा था....क्या मैं छू के देखू...नही नही ये दोपहर का टाइम है.... नींद कच्ची होती है...अगर जाग गई तो मेरी खैर नही.... पर इसे ऐसा देख के रहा नही जा रहा उफ्फ साली का बदन एक बार मिल जाय आह्ह्ह्ह्ह देख यार पैंटी में फसी चूत इसकी उम्मम्म यार ऐसेही इसे देखता रहा तो कंट्रोल नही होगा मुझसे...लेकिन कुछ फोटो तो खीच ही सकता हु....उसने जल्दी जल्दी अपने फोन में ज्योति की फोटो खींची ....



मामा ज्योति की अधनंगी जवानी देख मदहोश हो गया था....पर उसे डर भी लग रहा था.... वो जैसे अंदर आया वैसेही दबे पाव वापस चला गया ...

ज्योति को निराशा हुई...उसके जाने के बाद सोचने लगी..."मामाजी तो ऐसेही चले गए मुझे लगा कुछ करेंगे मैं पकड़ लूंगी और बोलूंगी की आपकी भांजी भी आपके लंड से चुदाने को बेकरार है"

तभी उसके फोन पे गौरव का फोन आया...

गौरव भी अपने ऑफिस में बैठ के सब देख रहा था.... और मामा के चले जाने से वो भी मायूस था उसे भी लगा की मामा अभी ज्योति को चोदेंगे और मजे लेगा... पर उसने देखा की मामा अपने रूम में जाके मोबाइल में ज्योति की फोटो देख के लंड मसल रहा है उसने ज्योति को कॉल किया...

G:- यार ज्योति अभी मामा ने तुम्हारी फोटो ली है...

J:- ohhhh अच्छा आप सब देख रहे हो??

G:- हा मेरी जान सब जगह कैमरा लगा दिए है मैने... और पता है मामा अभी तुम्हारी पिक्स देख के हिला रहे है...

J:- उम्मम्म्म यहां मैं खुद उनसे चुदाने को तयार बैठी हु और वो मेरी फोटो पे मुठ मार रहे है...

G:- आय हाय मेरी जान अपने मामा के लंड के लिए इतनी बेताब हो रही है.... तो एक काम करो जल्दी से गेस्ट रूम में जाओ...मामाजी ने डोर अंदर से बंद नही किया है...बिना knock किए सीधा घुस जाओ...

J:- ओह्ह्ह लेकिन...

G:- मामा का लंड चाहिए न.... जैसा मैं कहता हु वैसा करो...जाओ जल्दी उन्होंने अपना लन्ड बाहर निकल लिया है...

J:- ठीक है जाती हु....

ज्योति धीरे धीरे गेस्ट रूम के पास गई...और दरवाजा खोला और ऐसे दिखते हुए अंदर गई जैसे उसे पता ही नही था की मामाजी आ गए है और एकदम से बेड के सामने जाके खड़ी हो गई....मामा मोबाइल में ज्योति की पिक्स देख के अपना लंबा काला मोटा लंड हाथ में लिए ज्योति को देख रहे थे... ज्योति ने चौकने का नाटक करते हुए अपने मुंह पे दोनो हाथ रख दिए और एकटक मामा के लंड को देखने लगी.....ज्योति तो नाटक कर रही थी पर मामा को शॉक सा लगा उसे क्या करना चाहिए क्या नही कुछ सूझा नही... वो भी उसी हालत में ज्योति को देखने लगे.... ज्योति कभी मामा को देखती कभी उसके लंड को....दोनो स्तब्ध थे....कुछ पल ऐसेही सन्नाटे में बीता.... ज्योति हड़बड़ी में पलटी और बाहर जाने लगी लेकिन जैसे ही वो पलटी उसका पैर फिसल के वो बेड पे गिरने लगी.... उसका पैर सच में फिसला था अबकी बार कोई नाटक नही था.... मामा ने देखा की ज्योति गिरने वाली है वो अपना लन्ड छोड़ के उसे संभालने के लिए घुटनों पे आए और ज्योति की तरफ लपके..... लेकिन तब तक ज्योति बेड पे गिर गई थी और मामा उसे पकड़ने के चक्कर में आगे आ गए थे... जिसकी वजह से मामा का खड़ा लंड ज्योति के मुंह पे आ गया.... ज्योति गिरते वक्त आंखे बंद थी जब खुली तो मुंह पे मामा का लंड था... वो जल्दी से खड़ी होने लगी तो मामा का लंड उसके होठों से टकराया.... और तभी मामा ने अपना हाथ आगे बढाया तो उसके हाथ ज्योति की चुचियों पे आ गए.... ये सब इतने जल्दी हो गया की दोनो को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था क्या करे क्या नही.... लेकिन इस पल में दोनो ठहर गए....मामा के हाथ में ज्योति की चूची थी और ज्योति के होठों पे मामा का लंड.... ज्योति और मामा की नजरे मिली..... न चाहते हुए भी मामा का हाथ ज्योति की बड़ी बड़ी चूचियों पे कस गया.... और उसके दबाव से ज्योति की आह निकल गई और उसके साथ ही उसके होठ खुल गए और मामा का लंड उसके दोनो होठो के बीच थोड़ा सा आ गया...... और आदतन ज्योति की जुबान हिली और लंड को चाट ली..... मामा को जैसे ही ज्योति की जुबान का गिला स्पर्श अपने लंड पे महसूस हुआ उसका हाथ थोड़ा और जोर से ज्योति की चूची पे कस गया और लंड को हल्का सा टर्न किया.... जिससे लंड का टोपा ज्योति के मुंह की तरफ हो गया और ज्योति के चूची दबी तो उसका मुंह थोड़ा और खुल गया..... मामा ने धीरेंसे लंड को आगे किया....ज्योति की जुबान भी अपने आप ही आगे आ गई.....ज्योति और मामा एक दूसरे की आखों में देख रहे थे....खामोश थे.... सन्नाटा था....

और "टिंग टोंग" उस सन्नाटे में आवाज गूंजी.... दोनो एकदम से चौके...ज्योति एकदम से उठी... "लगता है गौरव या मालती है"

मामा भी थोड़ा संभला...और लंड को पैंट में डाला...ज्योति बाहर जाने लगी...लेकिन दरवाजे पे रुकी और पलट के मामा को देखा और स्माइल करते हुए दरवाजा खोलने के लिए चली गई....

ये सब गौरव अपने ऑफिस में लैपटॉप पे देख रहा था.......

"Ohhhh यार इस मालती को भी अभी आना था.... थोड़ा लेट आती तो मामा का लंड ज्योति के मुंह में होता यूफफ्फ यार क्या नजारा था सस्सस्स आह्ह्ह्ह ज्योति मेरी जान क्यू नही चूसा तुमने मामा का लंड उफ्फ.... चलो कोई नही मामा को सिग्नल तो मिल ही गया.... अब बस मौका मिलते ही काम हो जायेगा।"

मामा बेड पे बैठ गया..."उफ्फ इतने सालो का मेरा सपना सच ही होने वाला था.... आह्ह्ह्ह्ह ज्योति के मुंह में बस मेरा लन्ड जाने ही वाला था... ज्योति भी तो चाटने लगी थी.... अःह्ह्ह उफ्फ...लगता है उसे मेरा लन्ड पसंद आ गया....(अपने लंड को दबाते हुए) ज्यादा मत उछल अब मैं कुछ नही करने वाला सब्र रख तुझे अब मेरी प्यारी भांजी की चूत दिलाता हु...."

ज्योति ने दरवाजा खोला और किचन में मालती को कुछ समझाया...और अपने कमरे में चली गई..."उम्मम्म कितना मोटा लंड है मामा का उफ्फ ऐसा तो मैंने पहले कभी नहीं लिया आह्ह्ह कुछ देर बाद आती मालती तो वो लंड मेरी चूत में होता उम्मम्म...अब तो मामा भी समझ गए होंगे की मैं तयार हु...और अब देखो ऐसा तड़पाती हू मामा को की वो पागल हो जायेंगे और जब मुझे चोदेंगे तो पूरा बदला लेंगे आह्ह्ह्ह्ह "



तीनो अपने अपने ख्यालों में थे... प्लानिंग में थे....

वासना की आग अब धीरे धीरे अपना रौद्र रूप धारण करने की और बढ़ रही थी।



मामा थोड़ी देर बाद अपने रूम से निकाला और हॉल में आ गए... किचन में मालती कुछ काम कर रही थी.... और ज्योति हॉल में बैठ के टीवी देख रही थी.... मामा और दोनो ने एकदूसरे को देखा....ज्योति शरमाते हुए हसते हुए मामा को देख के नीचे देखने लगी.... मामा धीरे धीरे चलते हुए गया और ज्योति के साइड वाले सोफे पे बैठ गया....

मामा:- गौरव आया नही अब तक???

ज्योति:- नही... उनका हमेशा का है ... काम काम मेरी तरफ तो ध्यान ही नही देते... वैसे बोल रहे थे 8 बजे तक आ जाऊंगा....

मामा:- (मामा ये सुन के थोड़ा खुश हुआ की गौरव ध्यान नही देता )

गलत बात है ये तो.... अपनी पत्नी को वक्त देना चाहिए..

J:- हा आप ही बोलिए उनसे कुछ...

M:- हा हा क्यू नही... आने दो मैं बात करूंगा....

ज्योति ने पलट के मालती को देखा वो काम में बिजी थी....

J:- मामाजी वो तभी हो हुआ उसके लिए सॉरी... वो मुझे पता नहीं था आप आ गए हो.... मैं तो बस देखने आई थी की गेस्ट रूम मालती ने ठीक से साफ किया या नहीं....अगर मुझे पता होता तो मैं नॉक करके आती....

M:- अरे बेटा तुम क्यू सॉरी बोल रही हो... शर्मिंदा तो मैं हूं... पता नही क्या सूझा मुझे और वो मैं.....

J:- लगता है मामी की याद आ रही थी आपको....ज्योति सोफे के हैंडल पे कोहनी रख के झुकी और अपनी चीन अपने हतेली रख के मामा की आखों में देखते हुए बोली....

मामा ने देखा ज्योति की चूचियां उसकी नाइटी से आधी दिख रही थी.....

M:- अरे नही...मामी की याद नही आ रही थी...

J:- OMG मामाजी फिर किसकी याद आ रही थी आपको???

M:- बोला ना किसकी याद नही आ रही थी....बस कुछ देख लिया था उसकी वजह से थोड़ी .... मामा ज्योति की चुचियों को घूर के बोले...

J:क्या देख लिया था मामाजी?? ज्योति अपनी चुचियों को थोड़ा हिलाते हुए बोली...

M:- ज्योति वो... मैं... झूठ नही बोलूंगा लेकिन जब भी तुम आस पास होती हो मेरी हालत थोड़ी खराब हो जाती है....

ज्योति थोड़ी शरमा गई...

J:- पता है मुझे.... बहोत पहले से पता है....मामा की आखों में देखते हुए कहा...



M:- क्या पता है? और कैसे... मैं समझा नही...

J:- यहीं की आपकी हालत और नियत खराब हो जाती है मेरे आस पास...

M:- ohhh तुम्हे पता रहता था.... कैसे?

J:- हा.... हम लडकियो में 6th सेंस होता है... कौन उसे किस नियत से छु रहा है उसे पता चल जाता है.... और आप हमेशा मेरे पास ही तो मंडराते रहते थे.... बार बार मुझे छूने के बहाने ढूंढते थे....

M:- और तुम्हे अच्छा लगता था है ना?? तभी तो तुम भी मुझसे चिपकी रहती थी....बोलो है ना??

ज्योति कुछ नही बोली बस नजरे झुका के स्माइल करती रही....

M:- क्या हुआ?? बोलो ना ...मामा थोड़ा आगे सरका...ज्योति समझ गई की मामा उसे छूने के लिए आगे सरका है...वो तुरंत उठ गई और किचन में भाग गई....

"इतने आसानी से नही मामाजी थोड़ा तड़पाऊंगी आपको"

मन में सोचते हुए गांड मटकाती हुई किचन में गई और मालती से बात करने लगी....

मामा उसे देख के लंड को मसला..." आह्ह्ह लगता है ज्योति भी पहले से तयार है"

ज्योति मालती से बाते करते हुए तिरछी नजरों से मामा को देख रही थी... मामा अब बेशर्म बन गया था... वो पैंट के ऊपर से लंड मसल रहा था ज्योति को देखते हुए.....ज्योति की नजर मामा के लंड पे थी.... तभी मालती का फोन बजा..."मेमसाब वो रमेश का फोन है मैं आती हु बात करके"

मालती किचन के बैक डोर से बाहर चली गई।

मामा ने देखा और वो उठ के किचन जाने लगा। ज्योति को पता नहीं था...वो अपना काम कर रही थी...मामा की तरफ उसकी पीठ थी....थोड़ा झुकने की वजह से ज्योति की गांड़ का उभार थोड़ा प्रॉमिनेंट दिख रहा था...मामा ने देखा और पीछे से जाके ज्योति की गांड़ पे लंड सटा दिया...ज्योति चौंक गई....पीछे मुड़ के देखा...मामा स्माइल कर रहा था..."क्या बना रही है मेरी प्यारी भांजी अपने मामा के लिए""

J:- सब आपका फेवरेट ही है मामाजी...

मामा ने देखा मालती को किचन का कुछ दिखाई नहीं दे सकता...उसने ज्योति की गांड़ पे लंड दबाया...और एक हाथ से एक साइड की गांड़ को दबाया. ..."मेरी फेवरेट तो ये है... ये नहीं खिलाओगी?"

J:- धत्त...मामाजी क्या कर रहे है आप..हटिए ना...मालती है देख लेगी तो क्या सोचेगी?

मामा ने सोचा ज्यादा हड़बड़ी से काम बिगड़ जायेगा... वो थोड़ा पीछे हट जाता है..."अभी तो बोला ना तुमने की जब तुम नई नई जवानी में कदम रखा था तब मेरा ऐसा करना तुम्हे पसंद था"

J:- मैंने कब कहा?

M:- मतलब पसंद नहीं तुम्हे?

J:- मैने ये कब कहा??

ज्योति को मामा ने शब्दो में फसा लिया था...

मामा पलट के किचन टेबल से सट गया और ज्योति की तरफ देखते हुए..."मतलब तुम्हे पसंद था न...मेरा हाथ जब तुम्हारी कमसिन गांड को छूता था.... तुम्हारे उभरते हुए संतरो को छूता था..."

ज्योति को ये सब एक्सपेक्ट नही था..."omg मामाजी आप क्या बोल रहे हो?"

M:- अब समझ में आ रहा है की जब मैं इतना सब करता था फिर भी तुम कुछ नही कहती थी क्यू की तुम्हे मजा आता था...तुम्हारी चूत गीली हो जाती थी....

J:- ओहह ह मामाजी प्लीज ये सब मत बोलिए....

M:- क्यू अभी हो रही है क्या??? ज्योति तुम्हे पता नही है तुम्हारी जवानी का मैं कितना बड़ा दीवाना हु....

J:- मुझे सब पता है... पर ये वक्त इन सब बातो का नही है...मुझे डिनर रेडी करना है...गौरव आते ही होंगे....

तभी मामा ने देखा की मालती बाहर से अंदर आ रही है...उसने पलट के फ्रिज खोला और पानी की बोतल निकाल के हॉल में आ गया...ज्योति ने मालती को कुछ समझाया और वो भी हॉल में आ गई....

गौरव ये सब देख रहा था... सुन रहा था...."ये मामाजी तो राजधानी एक्सप्रेस से तेज निकले... हम्म्म हो भी क्यू ना इतने सालो से जो भरे पड़े है" चलो मैं भी निकलता हु मेरा प्लान सक्सेसफुल रहा आज का... रात का भी हो जाय तो मजा आ जायेगा।

गौरव जल्दी जल्दी सब समेटा और घर के लिए निकल पड़ा।
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