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ये कहानी पूरी तरह से मनगढ़ंत व काल्पनिक है. इसके सभी पात्र अट्ठारह वर्ष से ऊपर हैं. इसका किसी जीवित या मृत व्यक्ति, धर्म, संप्रदाय, जाती और स्थान से कोई संबंध नहीं है. अगर पाठकों को पढ़ते वक़्त ऐसा एहसास होता है कि ये इनमें से किसी के बारे में है तो ये मात्र संयोग है. ये कहानी किसी भी तरह से व्यभिचार और गलत व्यवहार को बढ़ावा नहीं देती. ये सिर्फ़ और सिर्फ़ मनोरंजन के लिए लिखी गई है.।
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