• Update - 3
शाम के सात बज रहे थे. शिमला की हसीन वादियों में दीपेश और सुनीता हाथ में हाथ डाले सैर कर रहे थे.
करीब आधा घंटा पहले निकले थे वो बंगले से और घूमते घूमते काफी दूर निकल आए थे और इस वक्त वो एक मार्किट से गुजर रहे थे. दोनों के चेहरे पर सुकून और खुशी साफ़ दिखाई दे रही थी.
“कितना अच्छा लग रहा है यहाँ,” सुनीता मुस्कुराते हुए बोली.
“हाँ वाकई... अच्छा हुआ कि हमें बंगला मिल गया वरना दिक्कत होती,” दीपेश ने भी मुस्कुराते हुए जवाब दिया.
“तुमने सही डिसिजन लिया,” सुनीता फिर से मुस्कुराते हुए बोली.
“ज्यादा मत मुस्कुराओ हनी... तुम हँसते हुए बहुत खुबसूरत लगती हो. ऐसा न हो कि किसी का दिल आ जाए तुम पर यहाँ. ऐसा हो गया तो मेरा क्या होगा?” दीपेश ने कहा.
“मस्का लगा रहे हो... हैं न?”
“अरे नहीं. मस्का क्यों लगाऊंगा भला मैं. क्या तुम नहीं जानती कि तुम कितनी खुबसूरत हो? पूरे तीस साल की हो मगर अभी भी किसी कॉलेज गर्ल जैसी लगती हो,” दीपेश ने कन्धा मारते हुए कहा.
सुनीता शरमाते हुए मुस्कुरा दी. बात तो सही ही कह रहा था उसका पति. एक बच्चे की माँ होने के बावजूद भी वो बहुत ही आकर्षक दिखती थी. ये सब अपने आप ही मुमकिन नहीं हो गया था. सुबह सुबह वो जो रोज योगा करती थी उसी का नतीजा था ये. और दीपेश से ऐसी तारीफ़ सुन कर वो मन ही मन खुद से कह रही थी कि चाहे जिंदगी कितनी भी बिजी हो जाए वो सुबह के बीस मिनट योगा को देगी ही देगी.
“तुम भी कम नहीं हो. अभी भी पहले जैसे ही दिखते हो. कोई नहीं कह सकता कि तुम पैंतीस साल के हो.”
“झूठ मत बोलो. मेरा पेट देखो. कितना बाहर निकल आया है.”
“तभी तो कहती हूँ कि तुम भी मेरे साथ योगा किया करो सुबह. देखना तुम भी मेरी तरह फिट हो जाओगे.”
“ना बाबा ना. मैं इतनी सुबह नहीं उठ सकता. मैं तो इवनिंग जिम ज्वाइन करूँगा.”
“पिछले दो साल से बोल रहे हो तुम ये... अभी तक तो किया नहीं.”
“अरे यार… वक्त ही कहाँ मिलता है.”
“वक्त कभी नहीं मिलता दीपेश. वक्त हमें निकलना पड़ता है. जैसे हमने अब निकाला है.”
“ठीक है... ठीक है... ये सब छोडो और ये बताओ कि कौन सी मिनी स्कर्ट पहनोगी तुम बंगले पर पहुँच कर.”
“मैं वो यहाँ नहीं पहनने वाली,” सुनीता झट से बोली.
“क्यों?” सुरेश उदास स्वर में बोला.
“बहुत छोटी स्कर्ट दिलवाई है तुमने. ऐसी स्कर्ट पहनता है क्या कोई?”
“जिसे रात में अपने पति का मूड बनाना हो वो पहनते हैं.”
“अच्छा जी… तुम्हें बड़ी जानकारी है.”
“और नहीं तो क्या.”
“मैंने तो पहले कभी ऐसे कपडे पहने नहीं.”
“अरे कुछ बदलाव करते हैं ना यार. एक बार ट्राई करो तुम्हें अच्छा लगेगा.”
“ठीक है बाबा... मैं तो यूँ ही मजाक कर रही थी. जब तुमने इतने प्यार से स्कर्ट दिलवाई है तो मैं पहनूंगी क्यों नहीं.”
“ये हुई ना बात. देखना एक दम मस्त लगोगी तुम उसमें.”
“देखेंगे...” सुनीता शरमाते हुए बोली.
दीपेश चलता चलता रुक गया. सुनीता भी रुक गई.
“क्या हुआ?” सुनीता बोली.
“वो देखो... वो पहाड़ कितना अच्छा लग रहा है...”
शाम ढलने को थी. डूबते सूरज की रौशनी में एक पहाड़ बहुत सुंदर लग रहा था.
“वाओ... कितना अच्छा लग रहा है ये पहाड़... काश यहाँ बर्फ भी देखने को मिलती...”
“अभी जून में कहाँ बर्फ दिखेगी यहाँ... हल्की हल्की ठण्ड लग रही है वही काफी हैं...”
तभी एक लड़का उनके पास आया और बोला, “साहिब मालिश करवाएंगे?”
“मालिश?” दीपेश ने कहा.
“हाँ साहिब. सात सौ रुपये में आपके पूरे शरीर की मालिश करूँगा. बहुत आराम मिलेगा आपको.”
“700 रूपये में?”
लड़का कोई 20 या 21 साल का था. रंग थोडा सांवला था. नैन नक्स ज्यादा मनभावन नहीं थे. बस ठीक ठीक थे. देखने में गरीब घर से लग रहा था. वो तो वैसे स्वाभाविक ही था. गरीब न होता तो क्यों मालिश करता घूमता. पर उसे देख कर ये अहसास भी हो रहा था सुनीता को कि वो ठीक से मालिश नहीं कर पाएगा.
दीपेश अक्सर शरदपुर में मालिश करवाता रहता था एक दो महीने में मगर जिस से वो करवाता था वो एक्सपर्ट था मालिश में. उसे पता था कि शरीर के किस भाग में कैसे मालिश करनी है. इस लड़के को देख कर ऐसा नहीं लगता था कि वो ठीक तरीके से मालिश कर पाएगा. एक दम नौसिखिया लग रहा था.
“दीपेश छोडो. घर वापिस चल कर करवा लेना मालिश,” सुनीता धीरे से दीपेश के कान में बोली.
“अरे देखो न कितने सस्ते में मालिश कर रहा है.”
“मुझे नहीं लगता कि ठीक से कर पाएगा ये मालिश...”
शायद लड़के ने सुनीता की ये बात सुन ली. वो तुरंत बोला, “मैं बहुत अच्छे से मालिश करूँगा मेमसाब. बिल्कुल शिकायत का मौका नहीं दूंगा.”
सुनीता दीपेश की बाजू पकड़ कर उसे लड़के से थोडा दूर ले गई और बोली, “मुझे ये नौसिखिया लग रहा है.”
“सुनीता… क्या बिगड़ेगा अपना? सिर्फ 700 रुपये की ही तो बात है,” दीपेश धीरे से बोला.
“देख लो… जैसा तुम्हारा मन कहे.”
“कुछ तो थोडा बहुत फायदा होगा ही. देखते है...”
“कहाँ करवाओगे मालिश?”
“बंगले पर और कहाँ...”
“बंगले पर बुला लेंगे इसे...?”
“और नहीं तो क्या...?”
“वहां ठीक रहेगा...”
“हाँ हाँ बिल्कुल...” दीपेश बोल कर लड़के की तरफ चल दिया. उसके पीछे पीछे सुनीता भी आ गई.
“क्या नाम है तुम्हारा?” दीपेश ने पूछा.
“जी... दीपू,” लड़का मुस्कुराते हुए बोला.
“दीपू?”
“जी नाम तो मेरा दीपक है पर सभी मुझे दीपू कहकर बुलाते हैं इसलिए मैंने आपको भी वही बोल दिया.”
“देखो हम नजदीक ही एक बंगले पर ठहरे हुए हैं. यहाँ से करीब तीस मिनट पैदल का रास्ता है. तुम आ पाओगे वहां?”
“हाँ हाँ आ जाऊँगा साहब... उसका एड्रेस दे देते तो आसानी होगी मुझे ढूंढने में...”
“वो पहाड़ी की चोटी पर है... आसपास कोई दूसरा बंगला या घर नहीं है... पहाड़ी से उतर कर एक छोटा सा बस स्टॉप है... बस इतना ही पता है मुझे...”
“समझ गया साहब... शायद मैंने देखा है बंगला... एक बार वहाँ आपके ही जैसे साहिब की मालिश करने गया था...”
सुनीता ने गहरी सांस ली. शक्ल से ही लग रहा था कि लड़का झूठ बोल रहा है. कौन करवाएगा ऐसे लड़के से मालिश?
“किस वक्त आऊँ साहिब?” दीपू बोला.
“हम बंगले पर ही जा रहे हैं. तुम आ जाओ तीस या चालीस मिनट बाद.”
“ठीक है साहब मैं पहुँच जाऊँगा,” दीपू ने कहा.
दीपेश और सुनीता वापस बंगले की तरफ चल दिए. जब वो दीपू से दूर आ गए तो सुनीता बोली, “मुझे तो ये सब ठीक नहीं लग रहा. एक जवान लड़का हमारे कमरे में आयेगा शाम के वक्त.”
“अरे कुछ नहीं होता. लोग बुलाते हैं मालिश वालों को. क्या दिक्कत है इसमें?”
“तुमने उसे जल्दी बुला लिया. डिनर भी तो करेंगे हम लोग.”
“अरे मेरा तो बिल्कुल मन नहीं है डिनर का. लंच बहुत हैवी हो गया था. लालू अच्छा खाना बनाता है. बस एक गिलास दूध लूँगा मालिश के बाद. तुम्हें भूख होगी तो तुम बनवा लेना कुछ. मैं तो आराम से मालिश करवाऊंगा.”
“मन तो मेरा भी नहीं है पर मैं सलाद वगैरह खा लूंगी. तुम उसे जल्द से जल्द रफा दफा करना मालिश करवा कर. मुझे आज की रात कोई डिस्टर्बेंस नहीं चाहिए.”
“मरी जा रही हो मेरे सामने स्कर्ट में आने को, हैं ना?”
“शट अप... मैं कोई मरी नहीं जा रही.”
“जस्ट जोकिंग हनी. चिंता मत करो मैं उसे जल्दी भगा दूंगा. तुम बस एक घंटा देना मुझे. चलो अब तेज क़दमों से जल्दी से बंगले पर पहुँचते हैं. ये न हो कि वो हमसे पहले पहुँच जाए और लालू उसे वहाँ से भगा दे.”
“अच्छा होगा अगर वो भगा दे तो.”
“तुम बेचारे से इतना चिढ़ी हुई क्यों हो?”
“अरे अचानक तुमने ये मालिश का प्लान बना लिया... मुझे अच्छा नहीं लग रहा.”
“बस एक घंटे की बात है हनी. फिर हम खूब मस्ती करेंगे.”
Thanks.