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Superb update..कोमल अपनी सास की बात को सुनकर उनके गले लग जाती है और रोने लगती है तो मीना बोलती है कि
मीना : बेटी मैं जानती हूं जो दुख तुमको इस वक्त हो रहा है उसे सहना तुम्हारे लिए कठिन हो सकता है लेकिन अगर इस वक्त तुम ही कमजोर पड़ गयी तो तुम्हारी भाभी और उस बच्चे को संभालना और भी ज्यादा मुश्किल हो जाएगा ।
रानी परी भी आगे आकर उसके सर पर अपना हाथ फेरती हुई बोली कि
रानी परी : तुम नही जानती हो बेटी तुमने तो सिर्फ सुनकर इतना दुख हो रहा है सोचो उस लड़की पर क्या बीत रही होगी जिसने अपनी आंखों के सामने अपने प्यार को मरते देख कर उसके गले लग कर रो भी नही सकी और अगर वह आज जिंदा है तो केवल अपने भतीजे के कारण ही है जब मैंने उसे तुम्हारे बारे में बताया तो वह यही बोली कि वह खानदान की आखिरी निशानी को तुम्हे देकर खुद को खत्म कर लेगी इसलिए तुमको मजबूत बनना ही होगा ।
इधर सुरेखा के बोलने से संजय तुरन्त घर पर आता है और उसे सारी बातों का पता चलता है तो वह रानी परी बोलता है कि
संजय : मैं समझ नही पा रहा हु कि मैं आपको किस तरह से धन्यवाद दु क्यूंकि आपकी वजह से आज मैं उस ग्लानि से मुक्त हुआ हूं जिसकी वजह से पिछले कुछ महीनों से मैं रातो को सो नही पा रहा था क्यूंकि मुझे इस बात की जानकारी 6 महीने पहले ही मिल गयी थी और मैंने पूरी कोशिश करने के बाद भी छोटी भाभी के बारे में कुछ भी पता लगाने में सफल नही हो सका और ना ही मुझमे इतनी हिम्मत थी कि मैं इस बुरी खबर को कोमल को बता सकता लेकिन आज आपने मेरी दोनो ही दुविधा को दूर कर दिया ।
कोमल संजय की बात सुनकर उसकी तरफ देखती है और बोलती है कि
कोमल : मतलब कि आप इतने दिनों से यह बात जानते थे इसके बाद भी आपने मुझे बताया तक नही ।मैं यंहा पर उन लोगो को याद करती रही और आपने यह बताना भी जरूरी नही समझा ।
इतना बोल कर कोमल और तेज से रोने लगती है तो संजय आगे बढ़कर उसे गले लगा कर चुप कराते हुए बोला
संजय : मैं इसलिए नही बता रहा था कि छोटी भाभी के बारे में कुछ पता नही चल रहा था और पुलिस को उनके हत्यारो के बारे में कुछ मालूम नही चल रहा था और ना ही वह छोटी भाभी को खोजने में सफल हो पा रहे थे मैंने सोचा था कि जब छोटी भाभी मिल जाती तो तुम्हे सब कुछ बता देता ।
कोमल : तो इसका मतलब यह हुआ कि अगर आपको पता नही चलता तो कभी भी मुझे नही बताते।
इस बात पर रानी परी कोमल को समझाते हुए बोली
रानी परी : पुत्री जो भी होता है वह अच्छे के लिए ही होता है ।अभी तक उन हत्यारो का पता नही चला है और अगर वह जान जाते कि मधु बेटी कंहा पर है तो वह फिर से हमला करने की कोशिश करते और हो सकता है इस बार वह नही बच पाती।कम से कम वह जंहा पर भी रही वह सुरक्षित तो रही ।
जब मीना ने देखा कि यह लोग बातो में लगे हुए है तो वह बोली
मीना : बेटा मुझे लगता है कि तुम लोगो को बिना विलम्ब किये तुरन्त उस जगह के लिए निकलना चाहिए जंहा पर मधु बेटी है ।अब वह उस जंगल मे रहे है यह मुझे थोड़ा भी बर्दाश्त नही है।
संजय अपनी माँ की बात सुनकर बोलता है
संजय : आप बिलकुल भी चिंता ना करे ।हम अभी वंहा के लिए निकल रहे है और यह आप क्या बोल रही है आप साथ नही चलोगी क्या ।
मीना : नही बेटा मैं यंहा पर अपनी बेटी की आने की स्वागत की तैयारी करूँगी ।तुम लोग जाओ और जल्द से जल्द उसे यंहा पर लेकर आओ।
इस बात पर रानी परी बोली कि
रानी परी : आप तो जानती है कि कोमल का गांव यंहा से पांच घंटे की दूरी पर है और मधु जंहा पर इस वक्त है वंहा पर कोई गाड़ी से नही जा सकता है ।हम लोगों को पैदल ही कुछ दूर तक जाना पड़ेगा इसलिये आज आना तो संभव हो नही पायेगा।
इस पर मीना जी बोली
मीना : मैं सब कुछ जान कर ही बोल रही हु इसलिए आप सब लोग जाए।
पर कोमल कुछ सोच रही थी और उसे इस तरह सोच में देखकर संजय बोला
संजय : क्या बात है कोमल तुम क्या सोच रही हो। तुम अब भी नाराज हो जो उन लोगो को यंहा पर लाने में संकोच कर रही हो ।
कोमल : अरे नही यह आप कैसी बाते कर रहे है ।अब भला उन लोगो से कैसी नाराजगी जो इस दुनिया मे है ही नही । मैं तो यह सोच रही थी कि वंहा पर वह इतने दुखद घटना के होने के बाद क्या माँ जी जो बोल रहीं है स्वागत के लिए यह ठीक होगा ।मेरे हिसाब से यह ठीक नही रहेगा ।
संजय उसकी बात सुनकर सोचता है कि कोमल जो बोल रही है वह ठीक ही तो है फिर इस बात पर सभी तैयार होते है कि अभी ऐसा कुछ नही होगा ।इसके बाद कोमल संजय और रानी परी गाड़ी से उस जंगल की तरफ चल देती है जंहा पर मधु है ।
उधर सुनैना मानसी को लेकर मारिया के साथ सहर लेकर आ जाती है और आज सुनैना के अंदर की माँ जाग चुकी थी जो कि ताकत के घमण्ड में कही दब सी गयी थी ।वह अपनी बेटी की हालत को देख कर खुल कर रोना चाहती थी और उसे बताना चाहती थी कि वह उसकी माँ है पर वह चाह कर भी ऐसा नही कर पा रही थी ।मारिया भी सुनैना की मन कि भावनाओ को समझ चुकी थी पर मानसी के सामने कुछ भी बोलना उसे ठीक नही लगा । जब वह घर पहुचे तो सुनैना ने मारिया से बोला
सुनैना : मारिया मानसी को लेकर जाओ इसकी हालत ठीक करो अब मैं इसे इस हालत में एक मिनट भी नही देख सकती हूं।
इतना बोल कर वह अपने कमरे की तरफ चल देती है । इधर मारिया मानसी को लेकर एक तरफ चल देती है जंहा मानसी उस महल रूपी घर के हर चीज को बड़ी आश्चर्य से देख रही थी फिर मानसी बोली कि
मानसी : आंटी जी अगर आप बुरा ना माने तो क्या मैं आपसे कुछ पूछ सकती हूं।
मारिया जो कि खुद शैतान की पुजारन थी या यूं कह ले कि वह गुलाम थी वह भी मानसी की कोमल और सहज भावना से पिघल गई और बोली
मारिया : बेटी तुम्हे कुछ भी बोलने के लिए इजाजत लेनी की जरूरत नही है तुम बिना किसी संकोच के बोल सकती हो।
मानसी : आंटी जो आंटी मुझे लेकर आई है वह कौन है ।क्यूंकि मेरी माँ के मरने के बाद तो नाना नानी ने मुझसे मिलने तक नही आते है और ना ही आज तक मेरी कोई खबर ली है ।मैंने इन्हें पहले तो कभी नही देखा और यह मुझे यंहा पर क्यों लेकर आई है।
मारिया : बेटी यह तुम्हारी माँ की दूर की बहन है जो कि तुम्हारे नाना नानी से गुस्सा है और उन्हें जब तुम्हारे बारे में पता चला तो वह तुमको यंहा अपने पास ले कर आ गयी और आज से यही तुम्हारा घर है और तुम उन्हें मासी या माँ कहकर बुला सकती हो ।
इसके बाद मारिया दो तीन लड़कियों को बुलाती है और फिर उन्हें सबकुछ समझा कर मानसी के साथ भेज देती है फिर खुद मारिया सुनैना के कमरे की तरफ चल देती है और जब कमरे में पहुचती है तो देखती है कि सुनैना काफी व्यथित है और सोच में इधर उधर घूम रही है तो मारिया बोलती है
मारिया : क्या बात है आज आप बहुत दुखी दिखाई दे रही है ।
सुनैना उसकी बात सुनकर एक बार उसे घूर कर देखती है और फिर बोलती है
सुनैना : क्या तुम सच मे नही जानती हो कि मेरे दुख का कारण क्या है।
मारिया : जानती हूं बस आपके मुख से मैं सुनना चाहती हु।
सुनैना : मैं इसलिए दुखी हूं आज तक मैं अपनी ही बेटी के दुखों को नही समझ सकी कि मेरे बाद उस मासूम के साथ क्या कर रहे होंगे वह सब मैं उन सब की जिंदगी नरक बना दूंगी ।
मारिया : चाहती तो मैं भी यही हु पर मैं ऐसा ना करूँगी और ना ही आपको करने का सलाह दूंगी।
सुनैना : तुम क्या चाहती हो कि मैं उन्हें उनकी गलतियों के लिए माफ कर दु पर तुम जानती हो कि मैं ऐसा कभी नही करूँगी क्योंकि मैं कोई भगवान की पुजारन नही बल्कि खुद वो बला हु जिससे आज पुरी इंसानियत कांपती है और तुम मुझे ऐसा करने से रोकोगी।।
मारिया तुरन्त घुटनो के बल बैठ जाती है क्यूंकि इस वक्त सुनैना अपने शैतानी रूप में परिवर्तित होने लगी थी और मारिया जानती थी कि सुनैना को रोक पाना किसी के लिए भी सम्भव नही है सिवाय महामहिम के इसलिए वह घुटनो के बल होकर बोलती है
मारिया : मेरी गलतियों को माफ करे मालकिन मैं आपकी अवहेलना नही करना चाहती थी मैं तो बस इतना चाहती हु कि उन लोगो ने जिसके साथ वह गलतिय किये है ।उनको सजा भी वही दे और यह सब तो आपने ही कहा है ना वंहा पर ।
अभी वह कुछ और बोलती इसके पहले ही महामहिम की आवाज वंहा पर गूँजती है
महामहिम : सुनैना वह तुम्हारी गुलाम है इसलिए तुमको उसके साथ क्या करना है इसके बारे में मैं कुछ नही बोलूंगा मैं बस इतना ही कहूंगा कि वह जो कह रही है बिल्कुल ठीक बोल रही है।
सुनैना : महामहिम अगर आप यही चाहते है तो ऐसा ही होगा परन्तु वह तो एक मासूम सी बच्ची है वह कैसे बदला ले सकेगी।
महामहिम : उसके अंदर तुम्हारा अंश है इसलिए उसे कमजोर समझने की भूल मत करना और तुम उसे इस काबिल बनाओ कि वह अंधेरे की सेवा कर सके और अगर वह तुम्हारा साथ देती है तो समझ लो कि तुमको रोकना किसी के लिए भी संभव नही होगा।
zabardast updateकोमल अपनी सास की बात को सुनकर उनके गले लग जाती है और रोने लगती है तो मीना बोलती है कि
मीना : बेटी मैं जानती हूं जो दुख तुमको इस वक्त हो रहा है उसे सहना तुम्हारे लिए कठिन हो सकता है लेकिन अगर इस वक्त तुम ही कमजोर पड़ गयी तो तुम्हारी भाभी और उस बच्चे को संभालना और भी ज्यादा मुश्किल हो जाएगा ।
रानी परी भी आगे आकर उसके सर पर अपना हाथ फेरती हुई बोली कि
रानी परी : तुम नही जानती हो बेटी तुमने तो सिर्फ सुनकर इतना दुख हो रहा है सोचो उस लड़की पर क्या बीत रही होगी जिसने अपनी आंखों के सामने अपने प्यार को मरते देख कर उसके गले लग कर रो भी नही सकी और अगर वह आज जिंदा है तो केवल अपने भतीजे के कारण ही है जब मैंने उसे तुम्हारे बारे में बताया तो वह यही बोली कि वह खानदान की आखिरी निशानी को तुम्हे देकर खुद को खत्म कर लेगी इसलिए तुमको मजबूत बनना ही होगा ।
इधर सुरेखा के बोलने से संजय तुरन्त घर पर आता है और उसे सारी बातों का पता चलता है तो वह रानी परी बोलता है कि
संजय : मैं समझ नही पा रहा हु कि मैं आपको किस तरह से धन्यवाद दु क्यूंकि आपकी वजह से आज मैं उस ग्लानि से मुक्त हुआ हूं जिसकी वजह से पिछले कुछ महीनों से मैं रातो को सो नही पा रहा था क्यूंकि मुझे इस बात की जानकारी 6 महीने पहले ही मिल गयी थी और मैंने पूरी कोशिश करने के बाद भी छोटी भाभी के बारे में कुछ भी पता लगाने में सफल नही हो सका और ना ही मुझमे इतनी हिम्मत थी कि मैं इस बुरी खबर को कोमल को बता सकता लेकिन आज आपने मेरी दोनो ही दुविधा को दूर कर दिया ।
कोमल संजय की बात सुनकर उसकी तरफ देखती है और बोलती है कि
कोमल : मतलब कि आप इतने दिनों से यह बात जानते थे इसके बाद भी आपने मुझे बताया तक नही ।मैं यंहा पर उन लोगो को याद करती रही और आपने यह बताना भी जरूरी नही समझा ।
इतना बोल कर कोमल और तेज से रोने लगती है तो संजय आगे बढ़कर उसे गले लगा कर चुप कराते हुए बोला
संजय : मैं इसलिए नही बता रहा था कि छोटी भाभी के बारे में कुछ पता नही चल रहा था और पुलिस को उनके हत्यारो के बारे में कुछ मालूम नही चल रहा था और ना ही वह छोटी भाभी को खोजने में सफल हो पा रहे थे मैंने सोचा था कि जब छोटी भाभी मिल जाती तो तुम्हे सब कुछ बता देता ।
कोमल : तो इसका मतलब यह हुआ कि अगर आपको पता नही चलता तो कभी भी मुझे नही बताते।
इस बात पर रानी परी कोमल को समझाते हुए बोली
रानी परी : पुत्री जो भी होता है वह अच्छे के लिए ही होता है ।अभी तक उन हत्यारो का पता नही चला है और अगर वह जान जाते कि मधु बेटी कंहा पर है तो वह फिर से हमला करने की कोशिश करते और हो सकता है इस बार वह नही बच पाती।कम से कम वह जंहा पर भी रही वह सुरक्षित तो रही ।
जब मीना ने देखा कि यह लोग बातो में लगे हुए है तो वह बोली
मीना : बेटा मुझे लगता है कि तुम लोगो को बिना विलम्ब किये तुरन्त उस जगह के लिए निकलना चाहिए जंहा पर मधु बेटी है ।अब वह उस जंगल मे रहे है यह मुझे थोड़ा भी बर्दाश्त नही है।
संजय अपनी माँ की बात सुनकर बोलता है
संजय : आप बिलकुल भी चिंता ना करे ।हम अभी वंहा के लिए निकल रहे है और यह आप क्या बोल रही है आप साथ नही चलोगी क्या ।
मीना : नही बेटा मैं यंहा पर अपनी बेटी की आने की स्वागत की तैयारी करूँगी ।तुम लोग जाओ और जल्द से जल्द उसे यंहा पर लेकर आओ।
इस बात पर रानी परी बोली कि
रानी परी : आप तो जानती है कि कोमल का गांव यंहा से पांच घंटे की दूरी पर है और मधु जंहा पर इस वक्त है वंहा पर कोई गाड़ी से नही जा सकता है ।हम लोगों को पैदल ही कुछ दूर तक जाना पड़ेगा इसलिये आज आना तो संभव हो नही पायेगा।
इस पर मीना जी बोली
मीना : मैं सब कुछ जान कर ही बोल रही हु इसलिए आप सब लोग जाए।
पर कोमल कुछ सोच रही थी और उसे इस तरह सोच में देखकर संजय बोला
संजय : क्या बात है कोमल तुम क्या सोच रही हो। तुम अब भी नाराज हो जो उन लोगो को यंहा पर लाने में संकोच कर रही हो ।
कोमल : अरे नही यह आप कैसी बाते कर रहे है ।अब भला उन लोगो से कैसी नाराजगी जो इस दुनिया मे है ही नही । मैं तो यह सोच रही थी कि वंहा पर वह इतने दुखद घटना के होने के बाद क्या माँ जी जो बोल रहीं है स्वागत के लिए यह ठीक होगा ।मेरे हिसाब से यह ठीक नही रहेगा ।
संजय उसकी बात सुनकर सोचता है कि कोमल जो बोल रही है वह ठीक ही तो है फिर इस बात पर सभी तैयार होते है कि अभी ऐसा कुछ नही होगा ।इसके बाद कोमल संजय और रानी परी गाड़ी से उस जंगल की तरफ चल देती है जंहा पर मधु है ।
उधर सुनैना मानसी को लेकर मारिया के साथ सहर लेकर आ जाती है और आज सुनैना के अंदर की माँ जाग चुकी थी जो कि ताकत के घमण्ड में कही दब सी गयी थी ।वह अपनी बेटी की हालत को देख कर खुल कर रोना चाहती थी और उसे बताना चाहती थी कि वह उसकी माँ है पर वह चाह कर भी ऐसा नही कर पा रही थी ।मारिया भी सुनैना की मन कि भावनाओ को समझ चुकी थी पर मानसी के सामने कुछ भी बोलना उसे ठीक नही लगा । जब वह घर पहुचे तो सुनैना ने मारिया से बोला
सुनैना : मारिया मानसी को लेकर जाओ इसकी हालत ठीक करो अब मैं इसे इस हालत में एक मिनट भी नही देख सकती हूं।
इतना बोल कर वह अपने कमरे की तरफ चल देती है । इधर मारिया मानसी को लेकर एक तरफ चल देती है जंहा मानसी उस महल रूपी घर के हर चीज को बड़ी आश्चर्य से देख रही थी फिर मानसी बोली कि
मानसी : आंटी जी अगर आप बुरा ना माने तो क्या मैं आपसे कुछ पूछ सकती हूं।
मारिया जो कि खुद शैतान की पुजारन थी या यूं कह ले कि वह गुलाम थी वह भी मानसी की कोमल और सहज भावना से पिघल गई और बोली
मारिया : बेटी तुम्हे कुछ भी बोलने के लिए इजाजत लेनी की जरूरत नही है तुम बिना किसी संकोच के बोल सकती हो।
मानसी : आंटी जो आंटी मुझे लेकर आई है वह कौन है ।क्यूंकि मेरी माँ के मरने के बाद तो नाना नानी ने मुझसे मिलने तक नही आते है और ना ही आज तक मेरी कोई खबर ली है ।मैंने इन्हें पहले तो कभी नही देखा और यह मुझे यंहा पर क्यों लेकर आई है।
मारिया : बेटी यह तुम्हारी माँ की दूर की बहन है जो कि तुम्हारे नाना नानी से गुस्सा है और उन्हें जब तुम्हारे बारे में पता चला तो वह तुमको यंहा अपने पास ले कर आ गयी और आज से यही तुम्हारा घर है और तुम उन्हें मासी या माँ कहकर बुला सकती हो ।
इसके बाद मारिया दो तीन लड़कियों को बुलाती है और फिर उन्हें सबकुछ समझा कर मानसी के साथ भेज देती है फिर खुद मारिया सुनैना के कमरे की तरफ चल देती है और जब कमरे में पहुचती है तो देखती है कि सुनैना काफी व्यथित है और सोच में इधर उधर घूम रही है तो मारिया बोलती है
मारिया : क्या बात है आज आप बहुत दुखी दिखाई दे रही है ।
सुनैना उसकी बात सुनकर एक बार उसे घूर कर देखती है और फिर बोलती है
सुनैना : क्या तुम सच मे नही जानती हो कि मेरे दुख का कारण क्या है।
मारिया : जानती हूं बस आपके मुख से मैं सुनना चाहती हु।
सुनैना : मैं इसलिए दुखी हूं आज तक मैं अपनी ही बेटी के दुखों को नही समझ सकी कि मेरे बाद उस मासूम के साथ क्या कर रहे होंगे वह सब मैं उन सब की जिंदगी नरक बना दूंगी ।
मारिया : चाहती तो मैं भी यही हु पर मैं ऐसा ना करूँगी और ना ही आपको करने का सलाह दूंगी।
सुनैना : तुम क्या चाहती हो कि मैं उन्हें उनकी गलतियों के लिए माफ कर दु पर तुम जानती हो कि मैं ऐसा कभी नही करूँगी क्योंकि मैं कोई भगवान की पुजारन नही बल्कि खुद वो बला हु जिससे आज पुरी इंसानियत कांपती है और तुम मुझे ऐसा करने से रोकोगी।।
मारिया तुरन्त घुटनो के बल बैठ जाती है क्यूंकि इस वक्त सुनैना अपने शैतानी रूप में परिवर्तित होने लगी थी और मारिया जानती थी कि सुनैना को रोक पाना किसी के लिए भी सम्भव नही है सिवाय महामहिम के इसलिए वह घुटनो के बल होकर बोलती है
मारिया : मेरी गलतियों को माफ करे मालकिन मैं आपकी अवहेलना नही करना चाहती थी मैं तो बस इतना चाहती हु कि उन लोगो ने जिसके साथ वह गलतिय किये है ।उनको सजा भी वही दे और यह सब तो आपने ही कहा है ना वंहा पर ।
अभी वह कुछ और बोलती इसके पहले ही महामहिम की आवाज वंहा पर गूँजती है
महामहिम : सुनैना वह तुम्हारी गुलाम है इसलिए तुमको उसके साथ क्या करना है इसके बारे में मैं कुछ नही बोलूंगा मैं बस इतना ही कहूंगा कि वह जो कह रही है बिल्कुल ठीक बोल रही है।
सुनैना : महामहिम अगर आप यही चाहते है तो ऐसा ही होगा परन्तु वह तो एक मासूम सी बच्ची है वह कैसे बदला ले सकेगी।
महामहिम : उसके अंदर तुम्हारा अंश है इसलिए उसे कमजोर समझने की भूल मत करना और तुम उसे इस काबिल बनाओ कि वह अंधेरे की सेवा कर सके और अगर वह तुम्हारा साथ देती है तो समझ लो कि तुमको रोकना किसी के लिए भी संभव नही होगा।