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Nice startजंगल मे बने शिव मंदिर में पुजारी पूजा कर रहा था कि अचानक से उसे आभास हुआ कि जैसे कोई मंदिर के बाहर कोई है ।जब वह बाहर जाकर देखा तो पाया कि एक औरत हाथ मे एक बच्चा लिए हुए जख्मी हालत में पड़ी हुई है तो पुजारी जी उस औरत को अंदर ले कर गए मंदिर में बिठाया और बोले
पुजारी : तुम कौन हो पुत्री और इसे घने वन में क्या कर रही हो ।तुम्हारी यह दशा किसने की है ।
औरत : पुजारी जी हम ठाकुर विश्वप्रताप की छोटी बहू मधु ठाकुर है और यह बच्चा मेरी जेठानी का है और हमारी इस हालत के जिम्मेदार और कोई नही बल्कि हमारे चचेरे ससुर है जिन्होंने हमारे पूरे परिवार की हत्या कर दी है ।मैं बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचा कर आये है उसके आदमियो से ।
पुजारी : पुत्री तूम भगवान के शरण मे आयी हो अब तुम्हे डरने की कोई जरूरत नही है। तुम अगर चाहो तो यंहा मंदिर के पास रह सकती हो ।प्रभु कृपा से यंहा पर वह सभी वस्तु उपलब्ध है जो कि एक इंसान को जीने के लिए जरूरी है ।
इसके बाद पुजारी उठा और भगवान के चरणों से कुछ फल लाकर उस औरत को दिए और बोले
पुजारी : यह फल खा लो पुत्री तुम्हारी भूख और यह चोट दोनो ही सही हो जाएंगी।
औरत : आपका बहुत बहुत आभार पुजारी जी मैं जिंदा रहू या नही पर हमारे खानदान का आखिरी चिराग है जिसे मैं आपको समर्पित कर रही हु।
पुजारी : पुत्री तुम बिल्कुल निश्चिन्त रहो यंहा तुम्हे कुछ भी नही होगा ।तुम्हारी आयु अभी बहुत लंबी है और इस बालक की भी और अब तुम यंहा पर विश्राम करो तब तक मैं तुम्हारे रहने का इन्तजाम करता हु
यह बोल कर पुजारी जी बाहर मंदिर के पीछे चले जाते है और अपनी आंखें बंद करके कुछ मंत्र पढ़ते है तो सामने एक प्रकाश प्रकट होता है और उसमें से एक महिला निकलती है जिसे पुजारी जी प्रणाम करते है और बोलते है
पुजारी : महारानी जैसा आपने कहा मैंने वैसा कर दिया है । इस जगह पर मंदिर की स्थापना करके इस जगह को पवित्र कर दिया है जिसकी वजह से यंहा पर दुष्ट सक्तिया प्रवेश नही कर पाएंगी और यह स्थान भी बाहरी दुनिया के लिए अदृश्य रहेगी ।इस जगह को केवल यही दोनो देख पाएंगे जब तक यह बालक अठारह वर्ष का नही हो जाता है।
औरत : पुजारी जी आप नही जानते है कि आपने हमारे ऊपर कितना बड़ा एहसान किया है ।अगर यह बालक दुष्ट सक्तियो के हाथ लग जाता तो कितना बड़ा अनर्थ हो जाता इस बात का आप अंदाजा भी नही लगा सकते थे।
इसके बाद उस औरत ने अपने हाथ आगे किये और एक बहुत सुंदर झोपड़ी का निर्माण हो गया।
इसके बाद वह औरत बोली
औरत : पुजारी जी आप उस बालक की माता को यंहा रहने के लिए बोल दीजिये यंहा पर उन्हें किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नही होंगी और हां एक बात उसे अवश्य बता दीजियेगा की किसी भी हालत में वह बालक और वह खुद इस सुरक्षा घेरे से बाहर नहीं जा सके
पुजारी : महारानी आप बिल्कुल भी चिंता ना करें आपने जैसा था वैसा ही होगा मैं इस बात का पूरा ख्याल रखूंगा की वह लोग इस सुरक्षा घेरे से बाहर नहीं जाए।
इसके बाद वह औरत वंहा से अंतर्ध्यान हो गयी फिर पुजारी उस महिला के पास पहुच गए और बोले
पुजारी : पुत्री मंदिर के पीछे एक छोटा सा विश्राम स्थल है । अबसे वही तुम्हारा निवास स्थान होगा जब तक तुम चाहो।
इतना बोल कर पुजारी ने देखा कि अब भी उस महिला का हालत पहले ही जैसी है तो वह बोले
पुजारी : पुत्री तुमने अभी तक प्रशाद ग्रहण नही किया। तुम इस प्रशाद को ग्रहण करो ताकि तुम ठीक हो सको।
फिर उस महिला ने उस प्रशाद को ग्रहण किया और उस प्रशाद को खाते ही उस महिला के सभी चोट आश्चर्य जनक रूप से ठीक हो गए तो वह बोली
महिला : पुजारी जी आप कोई साधारण महात्मा नही है ।आप तो कोई दिव्य पुरुष है ।
पुजारी : नही पुत्री ऐसी कोई बात नही है ।यह चमत्कार मेरा नही बल्कि उस महाकाल का है जिसकी वजह से यह संसार है और रही बात दिव्य होने की तो यह बालक जो तुम्हारे गोद मे यह दिव्य है इसके उपर महाकाल का आशीर्वाद है ।
वही मधु ठाकुर का चचेरा ससुर ठाकुर विजय प्रताप अपने आदमियों पर गुस्सा कर रहा था
ठाकुर विजय : तुम सब किसी काम के नही हो।तुम सबकी नजरों के सामने से वह एक मामूली सी लड़की उसको ले कर भाग गई और तुम सब कुछ नही कर सके ।
Mast update broठाकुर की बात सुनकर कोई भी कुछ नही बोल रहा था तो ठाकुर बोला
ठाकुर विजय : अब अगर तुम लोगो ने मेरी बात का जवाब नही दिया तो सालो यही पर तुम सबको गोली मार दूंगा।
तब उनमे से एक बोला
आदमी 1 : मालिक हम लोगो की बात का यकीन कीजिये छोटी मालकिन उस लड़के को लेकर जंगल मे चली में गयी है और आप तो जानते ही है कि उस जंगल मे जाने वाला आज तक कोई भी जिंदा वापस लौट कर नही आया है।
ठाकुर विजय : यह बात तो बिल्कुल ठीक बोल रहा है उस जंगल मे जाने वाले आज तक लौट कर नही आये है लेकिन इसका मतलब यह नही है कि तुम सब शांति से बैठ जाओ ।उसे हर उस जगह जा कर खोजो जंहा पर उसके मिलने की संभावना है ।
इसके बाद ठाकुर अंदर चला गया और उसके आदमी वंहा से निकल गए ।जब ठाकुर अंदर पहुचा तो अंदर उसकी बहन और बीवी बैठी हुई बाते कर रही थी ठाकुर को देख कर उसकी बहन बोली
मालती (ठाकुर बहन): तो भैया आपने वह काम कर ही दिया जिसके लिए इतने सालों से तड़प रहे थे ।आखिर उसके पूरे परिवार का समूल नाश कर ही दिया।
ठाकुर :अभी कंहा किया अभी तो उसकी छोटी बहू और वह पिल्ला जिंदा है ।पता नही कैसे उस साली को भनक लग गयी और वह उस बच्चे को लेकर निकल गयी।
ठाकुर की बीवी कुछ सोचते हुए बोली
राधा (ठाकुर विजय की बीवी): वह सब तो ठीक है पर आपने यह सोचा है कि जब हमारे बच्चे और उनकी पत्निया लौट कर आएंगी तो उन्हें क्या जवाब देंगे ।आप तो जानते ही है कि वह सब बड़े भैया से कितना प्यार करते है ।
ठाकुर विजय : देखो इन सबका कत्ल हो चुका है इस बारे में किसी को कोई खबर नही है और जिन्होंने यह काम किया है ।मैंने उन सबको भी खत्म करने का इन्तजाम कर दिया है ।मैंने उन सबके खाने में जहर डाल दिया है जिसकी वजह से वह सब भी कुछ घण्टो में भगवान को प्यारे हो जाएंगे। छोटे बेटे का तो प्रॉब्लम नही है क्यूंकि वह मेरे प्लान में बराबर का भागीदार था वह सब कुछ जानता है ।बस प्रॉब्लम बड़े बेटे का है लेकिन उसे किस तरह समझाना है वह मैं देख लूंगा।
वही एक जगह पर एक आदमी अपनी बीवी के साथ घूम रहा था कि अचानक से उसे अपने पीछे किसी के होने का आभास हुआ और जब वह पीछे मुड़ कर देखा तो उसे दो काले साये दिखाई दिए जो कि अपनी लाल आंखों से उन्हें घूर रहे थे तो वह आदमी बोला
आदमी : कौन हो तुम लोग और क्या चाहते हो हमसे ।
साया 1 : हम कौन है यह बड़ी बात नही है हा इतना तुम सोच लो कि हम दोनों तुम्हारी हर ख्वाइश को पूरा कर सकते है।
आदमी : हमारी खवाइश तुम पूरी कर सकते हो कैसे और फिर तुम लोग ऐसा क्यों करोगे क्यूंकि बिना किसी लालच के कोई किसी का मदद नही करता ।
तब दूसरी साया बोली जो कि एक महिला की थी
साया 2 : हमारी पास वह सक्तिया है जिसके दम पर हम जो चाहे कर सकते है लेकिन हमारे पास सरीर नही है जिसकी वजह से हमारी काम वासना पूरी नही हो पाती है और हम चाह कर भी कुछ नही कर सकते है ।तब हमने अंधेरे के सम्राट की पूजा की तब उन्होंने बताया था कि जो कोई भी हमे देख पायेगा वही हमारी सक्तियो और आत्माओ को अपने अंदर रखने की छमता रखता है ।हम कई सौ वर्षों से तुम दोनों का इन्तजार कर रहे है अगर तुम लोग हमारी आत्माओ को अपने अंदर आने की इजाजत दो तो हम तुम्हे दुनिया के सबसे ताकतवर आदमी बना देंगे
उनकी बात सुनकर वह दोनों एक दूसरे की तरफ देखे फिर उसमें से वह औरत बोली
औरत : अगर हमने तुम्हारी बात मान ली तो इस बात की क्या भरोशा की तुम दोनों हमको धोखा नही दोगे । शरीर तो हमारी होगी पर उस पर कब्जा तुम दोनों का ही होगा ना।
साया 1 : नही ऐसा कुछ भी नही होगा हम सिर्फ तुम्हारे अंदर रहेंगे हमारी जब तक तुम दोनों हमारी इच्छा पूरी करते रहोगे हम तुम्हारे ऊपर हावी नही होंगे क्यूंकि ऐसा हमारे सम्राट ने बोला है ।जब भी तुम दोनों हमारी बताई हुई रास्तो पर चलते रहोगे तुमको किसी प्रकार की कोई दिक्कत नही होगी।
आदमी : ठीक है हमे मंजूर है ।
साया 1 : आज से एक बात का ध्यान रहे कि तुम दोनों इन्शान के रूप में शैतान हो इसलिये किसी भी पवित्र जगह या पवित्र वस्तु के पास नही जाओगे नही तो तुमको बहुत तकलीफ होगी।
इतना बोल कर वह दोनों साया उस पति पत्नी के अंदर समा गए ।यह दोनों और कोई नही बल्कि ठाकुर विजय के बड़े बेटे ठाकुर राजवीर सिंह और उसकी बीवी ठाकुर अनुराधा सिंह थी ।
वही दूसरी तरफ मधु ठाकुर अपने भतीजे को लेकर पुजारी जी के साथ मंदिर के पीछे आ गयी और उस कुटिया में प्रवेश करने पर देखा कि वंहा पर हर वस्तु थी जो कि जिने के लिए जरूरी थी ।यंहा तक की उनके लिए वस्त्र भी थे । तब वह पुजारी जी से बोली
मधु ठाकुर : पुजारी जी यंहा पर देख कर ऐसा लग रहा है कि कोई यंहा पर रहता हो ।
पुजारी जी : नही पुत्री यंहा पर कोई भी नही रहता है ।यह सब तुम्हारे और तुम्हारे पुत्र के लिए ही है ।यह सब महाकाल के आशीर्वाद से संभव हुआ है
Fantastic update broपुजारी जी की बात को सुनकर मधु कुछ नही बोली लेकिन उसके मन मे चल रहे सवालो को पुजारी जी समझ गए और बोले
पुजारी जी : पुत्री हम जानते है कि तुम्हारे मन मे बहुत से सवाल उमड़ रहे है लेकिन उन सबका उत्तर तुम्हे सही वक्त आने पर खुद ही पता चल जाएगा ।इसलिए तुम बिना किसी संकोच के यंहा आराम से रहो।
मधु: पर पुजारी जी मेरा तो ठीक है लेकिन आप यह बताये की इस जंगल मे मेरे बेटे आर्या का क्या भविष्य होगा।
पुजारी : पुत्री अपनी सारी चिंता महाकाल के ऊपर छोड़ दो ।वह है ना हम सबकी चिंता करने के लिय हम परेशान हो कर क्या पा लेंगे ।वैसे इस बालक की चिंता बिल्कुल भी मत करो इसका भविष्य तो बहुत ही उज्जवल है। अब तुम विश्राम करो मैं जा रहा हु अपनी पूजा करने ।अगर किसी भी प्रकार की जरूरत हो तो बिना किसी संकोच के मांग लेना।
इसके बाद पुजारी वंहा से चला गया ।वही मधु पूरी कुटिया की निरीक्षण करने लगी ।जब वह रसोई में गयी तो देखा कि वंहा पर दूध भी था जिसे देख कर उसे बच्चे का ख्याल आया कि वह तो कबसे भूखा होगा।तो वह बच्चे को दूध पिलाने लगी।
वही वो दोनों साया जब ठाकुर राजवीर और अनुराधा के सरीर में प्रवेश किया तो वह दोनों कुछ देर के लिये बेहोश हो गए और वह वही उसी जगह गिर गए लेकिन कुछ देर बाद जब उनको होश आया तो वह खुद को एक घर में पाए ।जब वह बिस्तर से उठ कर सामने देखा तो उनके सामने दो लड़कियां उनके सामने खड़ी थी
तब राजवीर ठाकुर बोला
राजवीर : कौन हो तुम लोग और हम इस वक्त कंहा पर है।
तब उनमे से एक बोली
लड़की 1 : मालिक हम आपके गुलाम है और हमने आपको इस वक्त आपके शहर वाले बंगले पर ले कर आये है ।मेरा नाम मारिया है और यह है जेनी हम आपकी हेड सर्वेंट है ।
राजवीर : वह सब तो ठीक है पर तुम हमारी गुलाम कैसे हो गयी ।
मारिया :मालिक आप याद करे आपके बेहोश होने से पहले क्या हुआ था आपके साथ ।अब आप एक मामूली इन्शान नही बल्कि इस दुनिया के सबसे ताकतवर आदमी बन चुके है । अब आप जो चाहे कर सकते है ।
राजवीर : वह सब ठीक है अगर ऐसी बात है तो मुझे अपने अंदर वह ताकत महसूस क्यों नही हो रही है।
जेनी : वह इसलिए मालिक क्योंकि अभी आपको एक क्रिया करनी बाकी है ।अगर आपको अपनी ताकत जागृत करनी है तो आपको दो इंसानी लड़कियों की बलि देनी होगी और उसके रक्त का पान करना होगा।
मारिया : जिसकी वजह से आप इन्शान से शैतान बन जाएंगे और आप दोनों को आपकी सक्तिया मिल जाएगी।
अनुराधा : तो इसमें इतना सोचना किस लिये तुम दोनों जाओ और बलि की तैयारी करो।
इतना सुनकर वह दोनों वंहा से चली गयी और इसके बाद राजवीर बोला
राजवीर : एक बार और सोच लो अनुराधा क्या यह जो हम करने जा रहे है वह ठीक होगा ।
अनुराधा : इसमे इतना सोचना किस लिए मुझे ताकत चाहिए और इसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े मैं वह सब करूँगी।अगर आपको नही करना है तो आप पीछे हट सकते है लेकिन मैं नही।
राजवीर के दिमाग पर शैतान इसलिए हावी नही हो पा रहा था क्यूंकि उसके हाथो में हनुमान जी का चित्र अंकित था जिसकी वजह शैतान चाह कर भी कुछ नही कर पा रहा था ।वही दूसरी तरफ मारिया और जेनी ने गर्ल स्कूल से दो लड़कियों को उठा लिया और किसी को कोई खबर नही हुई।मारिया उन दोनों लड़कियों को सम्मोहित करके मूर्ति के पास बिठा दिया और इसके बाद मारिया ने अनुराधा और राजवीर दोनो को बुलाया जिसके बाद वह दोनों बंगले के अंदर तहखाने में बने गुप्त मंदिर में पहुच गए (यह तहखाना पहले नही था मारिया ने इन दोनों को लाने के बाद ही बनाया था)। अब राजवीर तो शैतान के कब्जे में था नही तो वह बोला
राजवीर : अनुराधा मैं तुम्हे ऐसा कुछ भी नही करने दूंगा ।मैं तुम्हे इन मासूमो की बलि नही देने दूंगा।
अनुराधा :अब तुम ऐसा कुछ भी नही कर पाओगे क्यूंकि मैं नही रूक सकती अगर तुमने मुझे रोकने की कोशिश की तो मैं तुम्हे भी खत्म कर दूंगी।
इतना सुनते ही राजवीर अनुराधा की तरफ झपटा पर अनुराधा को पहले से इस बात का अंदाजा हो चुका था इसलिये उसने पहले ही मारिया को सजग कर दिया था तो मारिया ने उसे जादुई फन्दे में बांध दिया ।इसके बाद मारिया आगे बढ़ी और मूर्ति के नीचे पढ़ी तलवार से उन दोनों लड़कियों की गर्दन उड़ा दिया इसके बाद दोनों के रक्त को एक कटोरे में भरा और मूर्ति के चरणों मे कुछ बूंदे अर्पित करने के बाद वह रक्त से भरी कटोरी पूरा पी लिया ।इसके बाद कुछ ही समय बिता की वह मूर्ति जीवित हो उठी और अट्हास करती हुई बोली
मूर्ति : हम तेरी बलि से बहुत खुश है और तुझे पृथ्वी पर मौजूद सारी काली सक्तियो की मालकिन बनाता हूँ।
इतना बोल कर उस मूर्ति से एक काली रोशनी निकली और राजवीर के सरीर पर टकराई जिसकी वजह से उसके अंदर स्थित वह साया बाहर आ गया और तुरन्त जमीन पर बैठ गया और बोला
साया : महामहिम मुझे माफ़ कर दे ।मैं अपना कार्य नही कर सका।
मूर्ति : यह तू कैसे भूल गया कि अंधेरे के कानून में माफी नही होती इसके बाद भी मैंने तुझे एक बार तेरी गलतियों को माफ करके तुझे मौका दिया था लेकिन उसका नतीजा क्या हुआ तूने फिर से अंधेरे को निराश किया इसलिए अब तुझे माफी नही मिल सकती।
इसके बाद वह मूर्ति अनुराधा से बोली
मूर्ति : अब इन दोनों का क्या करना है यह तू देख ले लेकिन एक बात का हमेशा ख्याल रखना कि अगर अंधेरा महेरबान हो कर तुझे सक्तिया दे सकता है तो विफल होने पर तुझे सजा भी दे सकता है ।
अनुराधा : महामहिम मैं आपको निराश नही करूँगी ।
इसके बाद उस मूर्ति के हाथो से एक रोशनी निकली और अनुराधा पर पड़ी और फिर उसके बाद वह काले धुंए से घिर गई और जब वहछटा तो अनुराधा एक नए रूप में थी
इसके बाद वह मूर्ति अपने सामान्य रूप में आ गयी । तब वह साया बोला
साया :मुझे माफ़ कर दो मैं तुमसे माफी मांगता हूं ।
अनुराधा : मैंने तो तुम्हे अपना सब कुछ माना था लेकिन तूने मेरे साथ नाइंसाफी और धोखा देने का सोच रहा था ।तू सक्तिया पाने के बाद मुझे कैद करने वाला था ना ।
साया : नही यह सच नहीं है मैं ऐसा कुछ भी करने का नही सोचा था ।
अनुराधा : शायद तू यह भूल रहा है कि मैं इस वक्त कौन हूं और मुझसे तेरा कोई भी विचार नही छुपा हुआ है ।सक्तियो कि तलाश हम दोनों को थी लेकिन तूने अपनी औकात दिखा दिया तो इसकी सजा तो तुझे मिलेगी ना।
इतना बोल कर अनुराधा ने अपने हाथ आगे किया और उसकी हाथो से एक काली रोशनी निकली और उस साया पर टकराया और वह साया आग में जलने लगा और कुछ ही देर में वह खत्म हो गया तो इस पर मारिया बोली
मारिया : मालकिन अगर गलती की माफी दे तो एक बात पुछु।
अनुराधा : हा मारिया तुम बिना किसी संकोच के पूछो ।
मारिया : मालकिन इसको मारने की जगह अगर आप कैद कर लेती तो यह आगे आपके काम आ सकता था ।
अनुराधा : अपने दुश्मनों को कभी वक्त देना नही चाहिए कि वह कुछ कर सके ।वह महामहिम के डर से मेरा गुलामी तो करता पर वक्त आने पर मुझे धोखा भी दे सकता था ।
मारिया : मालकिन अब इनका क्या करना है ।क्या हम इन्हें छोड़ दे।
अनुराधा राजवीर की तरफ बढ़ी और बोली
अनुराधा : हा अब क्या करे जैसे भी है हमारे पति है तो इन्हें तो माफ् करना ही पड़ेगा।
इस पर राजवीर बोलता है कि
राजवीर : तुझ जैसी औरत जो ताकत के लिए किसी का खून पी सकती है वह मेरी पत्नी नही हो सकती ।मैं तेरी सच्चाई दुनिया को बता दूंगा।
उसकी बात सुनकर अनुराधा हस्ते हुए बोली
अनुराधा : आप मुझे अभी तक समझ नही पाए मेरी जान मैं तो ताकत के लिए जब खून पी सकती हूं तो उसे बचाने के लिए आपको मारना कौन सी बड़ी बात है।।
इस बात पर मारिया बोलती है
मारिया : मालकिन आप क्यों कष्ट करती है यह मैं ही कर देती हूं।
अनुराधा : नही मारिया यह मेरे पति है इनका ख्याल रखना मेरी जिम्मेदारी है और अगर तुमने इन्हें मारा तो इन्हें दर्द होगा जो मैं नही देख सकती। इनको मैं प्यार से मारूंगी
इतना बोल कर अनुराधा आगे बढ़ी और राजवीर के होंठो को अपने कब्जे में लिया और कुछ देर तक उन्हें चूसने के बाद फिर उसके सर पर अपना हाथ रखा और फिर उसके सरीर से प्राण अपने अंदर खिंच लिया और राजवीर की मौत हो गयी।
इसके बाद वह मारिया से बोली
अनुराधा : अब इनके साथ यह सरीर भी छोड़ना ही पड़ेगा नही तो मुसीबत बढ़ सकती है
Excellent updateमारिया अनुराधा की बात को सुनकर चोंक जाती है बोलती है कि
मारिया : मैं कुछ समझी नही आप क्या बोलना चाहती है ।
अनुराधा : अब इसमे समझने वाली कौन सी बात है ।मेरी शादी हो चुकी है और अब जब मैंने पॉवर के लिए इसे खत्म कर ही दिया है तो मैं सोच रही थी कि अब दुनिया के सामने एक नई पहचान के साथ आउ लेकिन उसके लिए यह जरूरी है कि मैं अपने इस पहचान को खत्म कर दु ।
मारिया : तो मालकिन इसके लिए आपने क्या सोचा है।
अनुराधा : तो इसमें सोचना क्या है ।अब इसको देख कर कोई यह तो नही कहेगा कि इसकी हत्या की गयी है और अब रही बात मेरी तो यंहा पर भी वही होगा। तुम बस एक काम करो इन दोनो लड़कियों के सरीर को एक ऊपर एक रख दो और उन दोनों लड़कियों का सर उनके सरीर से जोड़ दो।
मारिया : इससे क्या होगा मालकिन अगर आप इन दोनों में से किसी एक के सरीर में प्रवेश करना चाहती है तो दोनों की क्या जरूरत है।
अनुराधा : जरूरत है मारिया क्यूंकि यह दोनों ही अपना स्वतंत्रत अस्तित्व रखती है अगर इनमे से किसी एक सरीर में प्रवेश किया तो मुझे उसकी पहचान अपनानी पड़ेगी जबकि मैं ऐसा नही चाहती हु और जब इन दोनों का सरीर एक होगा तो यह दोनों का मिलाजुला रूप होगा जो की एक नई पहचान होगी । आई बात समझ में या नहीं।
मारिया : जी मालकिन मैं समझ गयी ।
इतना बोल कर मारिया ने उन दोनों सरीर को जादू से रखने जा रही थी तो अनुराधा रोकती हुई बोली
अनुराधा : नही मारिया ऐसा नही करना इसको तुम अपने हाथों से रखो और जोड़ो।
मारिया : पर ऐसा क्यों मालकिन आप ऐसा क्यों चाहती है।
अनुराधा : तुम सवाल बहुत पूछती हो मारिया जितना बोलू बस उतना करो ।समय के साथ तुमको जवाब मिल जाएगा।
इसके बाद मारिया ने उन दोनों सरीर को एक साथ रखा और दोनों को कटे हुए सर को उनके धड़ के साथ जोड़ दिया । उसके बाद अनुराधा ने अपना हाथ आगे किया तो काला धुंआ निकला और उन दोनों लड़कियों के सरीर को घेर लिया और वह दोनों दिखाई नही दे रहे थे ।जब कुछ देर बाद वह धुंआ हटा तो वंहा पर दो की जगह एक लड़की की शरीर था और वह दोनों का मिला जुला रूप थी ।अनुराधा उसे पास से जाकर देखी तो बोली
अनुराधा : महामहिम के सहयोग से बहुत ही सुंदर रूप मिल रहा है मुझे और जानती हो मारिया यह शरीर जो कि अंधेरे की शक्तियों से बना है तो यह हमेशा इसी तरह से रहेगा यानि कि मैं हमेशा के लिए जवान ही रहूंगी ।
मारिया कुछ बोलती नही है केवल मुस्कुरा कर रह जाती है ।इसके बाद अनुराधा उस लड़की के शरीर पर अपने अंगूठे को हल्का सा काट कर उसके सर से लेकर पैर तक अपना खून गिराती है और फिर कुछ मन्त्र पढ़ती है इसके बाद अनुराधा का शरीर जमीन पर गिर जाता है और वह मूर्ति के पास उन दो लड़कियों से बनी हुई देह में हलचल होती है और फिर वह उठ कर बैठ जाती है । अनुराधा जब अपना शरीर छोड़ कर उस दूसरी शरीर मे प्रवेश करती है तो अनुराधा की शरीर अपने पहले वाले रूप में आ जाता है।
इसके बाद अनुराधा के कहने पर मारिया उन दोनों के बॉडी को ऊपर बेडरूम में पहुचा देती है ।इसके बाद अनुराधा बोलती है
अनुराधा : मारिया अब मेरी पुरानी पहचान इसके साथ ही खत्म हो जायेगी । अब ऐसा करो कि तुम पोलिस को फोन करके यंहा के बारे में खबर कर दो और वह तहखाना जो तुमने बनाया था उसे भी गायब कर दो ।
मारिया : जी मालकिन जैसा आप कहे ।
अनुराधा : एक बात और मारिया अब हमको दुनिया के सामने जाना ही है तो यह जो तुम मुझे मालकिन बोलती हो इसे बंद कर दो और अब मेरी इस नए रूप के साथ नया पहचान और नया नाम है सुनैना इसलिए आज से तुम दुनिया के सामने मुझे अपनी फ्रेंड बताओगी समझ गयी मेरे बातो को।
अभी मारिया कुछ बोलती इससे पहले ही किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी तो मारिया ने जाकर दरवाजा खोला तो अंदर कुछ लोग आए वह लोग कोई और नही बल्कि अंधेरे के गुलाम है जो इंसानी दुनिया मे अपनी एक पहचान बना रखी है ।वह सब आये और(अनुराधा को सुनैना ही लिखूंगा)सुनैना के सामने घुटनो के बल बैठ गए और उनमें से एक बोला
आदमी 1 :अंधेरे के नई रानी को हम गुलामो का नमन । हे रानी हम आपकी सेवा में कुछ तोहफे लाये है ।
अपने लिए रानी शब्द सुनकर सुनैना चकित रह जाती है अभी वह कुछ बोलती इससे पहले ही उसके दिमाग मे अंधेरे के महामहिम की आवाज गूँजती है
महामहिम : इसमे चौकने की कोई जरूरत नही है। यह सब मामूली गुलाम है जिनको सामने हम नही आते है।इस ब्रह्मांड के हर उस ग्रह जिसपर जीवन है उसपर अंधेरे का साम्राज्य है और उन हर ग्रहों का एक एक मालिक है जैसे कि पृथ्वी ग्रह की मालकिन तुम हो इसलिए तेरे सामने यह सब झुकेंगे और तुम मेरे सामने यानी कि यह तेरे गुलाम है और तू मेरी ।
सुनैना : महामहिम एक सवाल है अगर आपकी इज्जाजत हो तो पुछु।
महामहिम : तू यही जानना चाहती है ना कि यह सब तेरे बारे में कैसे जान गए तो सुन इनके अंदर अंधेरे का अंश है जो कि इस वक्त तेरी गुलाम है पृथ्वी पर इसलिए उसी अंश ने उन्हें यंहा आने के लिए प्रेरित किया है और अंधेरे ने तुझे ताकत दी और तूने अपने दिमाग से उसे इस्तमाल करके खुद को और ताकत वर बना ली ।यंहा तक कि तूने जो अपनी नई पहचान बनाई है उसका भी सारा इन्तजाम कर दिया है अंधेरे ने ताकि तुझे कोई दिक्कत ना हो समाज मे । अब तू अपना काम कर यह मारिया तेरे हर काम मे मदद करेगी यह सिर्फ तेरे हुक्म की गुलाम है ।
इसके बाद वह आवाज आनी बन्द हो गयी तो उसमें से एक आदमी आगे बढ़ कर मारिया को कुछ देता है और बोला
आदमी : यह आपकी पहचान है और इसमें प्रोपर्टी के पेपर बिजनेस और आपकी सक्तियो के प्रताप से जो हम सबका है वह आज से आपका है और हम सब सिर्फ आपके गुलाम है ।
सुनैना : ठीक है अभी तुम लोग जाओ और आज तक जो भी करते आये हो उसको करते रहो और आगे से किसी भी प्रकार की दिक्कत हो तो मारिया से बात कर सकते हों ।वह तुम सबकी हर सम्भव मदद करेगी और आज से अपने काम मे तेजी लाओ । अभी तुम लोग जा सकते हो ।
इसके बाद वह सभी लोग चले गए और फिर मारिया ने पुलिस को फोन करके यंहा के बारे में बता दिया और फिर सुनैना मारिया व जेनी के साथ सहर से बाहर एक बंगले में चली गयी जो कि अभी मिली थी ।
उसकी सुंदरता तो देखने लायक थी ।अब वह सब कुछ था उसके पास जिसकी वह कि खवाइश रखती थी ।वही दूसरी तरफ जब पुलिस ने ठाकुर विजय को जब यह खबर मिली कि उसके बड़े बेटे और बहू की लाश मिली है उसके सहर वाले घर मे तो उसके होश ही उड़ गए।
अभी कुछ इण्ट्रो हो जाये सब इण्ट्रो आर्या के जन्म के समय के हिसाब से होगी )
ठाकुर राणा सिंह जी(अब जिंदा नही है ) घर के मुखिया थे ।
ठाकुर बलवंत सिंह (अब जिंदा नही है) आर्या के पिता उम्र 30 साल थी
गीता सिंह (जिंदा नही है ) उम्र 26 साल आर्या की माँ
पंकज ठाकुर (जिंदा नह है) उम्र 23 शाल थी आर्या के चाचा
मधु ठाकुर (आर्या की मुह बोली माँ और चाची) उम्र 19 साल साइज 34 28 36 खूबसूरती ऐसी की जो कोई देखे खो जाए ।कम उम्र में शादी हो गयी और शादी के 2 महीने बाद ही यह घटना हुई जिसमें इनका सब कुछ तबाह हो गया।
कोमल सिंह उम्र 25 आर्या की बुआ और इन्होंने घर वालो के मर्जी के खिलाफ शादी की थी इसलिए राणा जी ने इन्हें घर से निकाल दिया इनके बारे में किसी को कोई खबर नही है
(इनके परिवार का इण्ट्रो समय आने पर दूंगा)
ठाकुर विजय सिंह राणा जी के चचेरे भाई और गांव के मुखिया उम्र 45 साल
राधा देवी ठाकुर की बीवी और ठाकुर की तरह हरामी उम्र 43 साल
मालती ठाकुर की विधवा बहन उम्र 35 साल अपने पति के मरने के बाद उसकी सारी प्रोपर्टी अपने नाम कराकर भाई के घर रहती है
इसके दो बेटियां है अभी दोनो ही छोटी है
रुचि
शालिनी
राजवीर ठाकुर उम्र 24 साल अब यह मरा कैसे यह तो बता दिया हु ।अब इससे ज्यादा रोल नही है।
अनुराधा उर्फ सुनैना अनुराधा की उम्र 22 साल थी जब उसने वह सब किया
इसकी भी एक बेटी है
मानसी सिंह
विनोद सिंह विजय का छोटा बेटा और बहुत बड़ा हरामी अपने बाप से भी बड़ा
ऋतु सिंह विजय की बीवी और उसी की तरह हरामी है और घमंडी बहुत है
अभी जल्द ही शादी हुई है इसलिए बच्चा नही है
यह थी परिवार की इण्ट्रो आगे जब दुसरो लोको की बारी आएगी तब इण्ट्रो दूंगा
Excellent updateआज मधु को उस मंदिर में आये हुए पूरे 2 साल बीत चुके थे ।इस बीच ऐसा कुछ भी नही हुआ जो बताया जाए । वह अपनी नॉर्मल जिंदगी जी रही थी ।पुजारी जी के मदद से उसने अपनी गुजर बसर करने के लिए हर जरूरी चीज मिल गयी थी । वह अपना पूरा समय आया को पालने में और इसके अलावा कुछ समय मिलता तो वह मंदिर में पूजा पाठ और साफ सफाई पर ध्यान देती ।हा इस बीच एक चीज हुई जो कि नॉर्मल नही थी और वह थी आर्या की ग्रोथ एक नॉर्मल बच्चे से कई गुना तेज बढ़ रहा था और वही दूसरी तरफ सुनैना ने दुनिया भर में फैले अपने गुलामो की मदद से दुनिया भर में काम वासना लोभ आपराधिक प्रविर्ती जैसे दुर्विचारो को चरम पर पहुचा दिया था ।आज हर इंसान इन विकारो से इतना ग्रस्त हो गया था कि अंधेरे की ताकत कई गुना बढ़ चुकी थी जिससे खुश हो कर अंधेरे के सम्राट महामहिम ने सुनैना को पूरे ब्रह्मांड की एक नायिका के रूप में घोषित कर दिया था ।सुनैना अपने दिमाग के बल पर आज के वक्त में महामहिम के बाद सबसे ताकतवर बन चुकी थी ।वही दूसरी तरफ ठाकुर विजय अपने बड़े बेटे और बहू की लाश देखने के बाद टूट से गये थे ।अब उन्हें ऐसा लग रहा था कि इस सब के कारण वही है ।उधर उनका छोटा बेटा अपने बड़े भाई के मौत के बाद पूरा बिजनेस खुद सम्भाल रहा था । वही ऋतु ने इस बीच एक बच्ची को जन्म दिया । वह मानसी को तो पहले से ही पसन्द नही करती थी और जबसे उसके सास सुसर ने अपने बेटे के मरने के बाद से अपने ही दुखो में खोये हुए थे उन्हें तो और कुछ से मतलब ही नही रह गया था इसका फायदा उठा कर ऋतु मानसी पर बहुत ही जुल्म किया करती थी और सुनैना के फैलाये जा रहे दुर्गुणों के कारण उसकी क्रूरता और भी बढ़ गयी थी ।आज मानसी का जीवन नरक से बदतर हो गई थी ।जिसके बारे में मारिया को पता चल चुका था ।ऐसा नही था कि इस बारे में सुनैना नही जानती थी पर अभी वह इस बात पर ध्यान ना देकर अपनी ताकत बढ़ाने में लगी हुई थी पर जब मारिया से यह बर्दाश्त के बाहर हो गया क्यूंकि इस समय ऋतु ने जुल्म की इंतहा कर दी थी उस लड़की पर उसे कई दिनों से सिर्फ पानी पर रखी हुई थी तो इसी बात को लेकर आज मारिया सुनैना के पास पहुच गई जो कि ध्यान में बैठी हुई थी ।जब सुनैना को आभास हुआ कि कोई है उसके पास तो वह अपने ध्यान से बाहर आई जब उसने मारिया को सामने देखी तो बोली
सुनैना : क्या बात है मारिया तुम कुछ परेशान दिख रही हो कोई बात कहना है तुमको
मारिया उसके सामने घुटनो के बल झुक कर प्रणाम करती है और बोलती है
मारिया : अगर आप हमारी गुस्ताखी को माफ करे तो मैं आपसे कुछ कहने की इज्जाजत चाहूंगी।
सुनैना : मैं तुम्हारे मन मे चल रहे भाव से अनजान नही हु पर तुम जानती हो कि मैं अपने सभी पुराने नातो से मुक्त हो चुकी हूं इसलिए मैं उस बारे में कुछ नही कर सकती ।
अभी इसके आगे वह कुछ और बोलती इससे पहले ही उसके सामने महामहिम खुद प्रकट हो चुके थे और उन्हें देखते है मारिया और सुनैना घुटनो के बल झुक जाती है तब महामहिम बोले
महामहिम : नही सुनैना तुम सभी बन्धनों से मुक्त हो सकती हो पर माँ के बंधन से नही हो सकती हो और दूसरी बात यह है कि उसके अंदर वह क्षमता है जो कि तुम्हारे ताकत को कई गुना बढ़ा सकती हो ।
इतना बोल कर वह गायब हो जाते है । अब यंहा पर ऐसा नही था कि महामहिम को उस लड़की पर दया आ गयी थी क्यूंकि यह भावना तो उसके अंदर है ही नही बल्कि वह उसको इसलिए सुनैना के पास लाने के लिए बोला था क्यूंकि एक मानसी ही है जिसकी मदद से सुनैना अंधेरे की मदद से उसके मकसद को पूरा कर सकती है क्यूंकि मानसी जिस ग्रह नक्षत्र में पैदा हुई थी उस नक्षत्र में जन्मी बालिका ही उस दरवाजे को खोल सकती है जिसकी मदद से वह नरक का दरवाजा खोल सकती है जो कई हजार सालो से उसमे कैद है पर उसके लिए उसका 21 वर्ष की जब होगी तभी कर सकती है ।
इधर मारिया ने महामहिम के जाने के बाद बोलती है
मारिया : अब तो आपको कोई भी आपत्ति नही होनी चाहिए क्यूंकि अब तो महामहिम ने भी बोल दिया है।
सुनैना : तुम्हारी बात तो ठीक है लेकिन मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही है क्या अब मैं उसके पास जाऊं भी तो कैसे और उसे अपने पास कैसे रख सकती हूं।
मारिया : यह आप बोल रही हैं मुझे यकीन नहीं हो रहा है क्योंकि ऐसा कोई भी काम नहीं है जो आप नहीं कर सकती हैं फिर यह तो बहुत छोटा सा काम है।
सुनैना : जो तुम्हे छोटा काम दिख रहा है वह काम कितना मुश्किल है यह तुम्हे नही पता ।
मारिया : वही तो मैं भी पूछना चाहती हूं कि ऐसा क्या मुश्किल है जो आपको करना असंभव दिख रहा है अगर आप चाहे तो पल भर में उसे वहां से गायब कर के यहां पर ला सकती हैं फिर ऐसी क्या बात है।
सुनैना : बात यह है कि मैं उसे अपने पास रखूंगी भी तो किस रिश्ते से अब उसमें मैं यह तो बोल नहींं सकती कि वह मेरी बेटी है और दूसरा क्या बोलूं क्योंकि जब वह मेरे पास आएगी आज वह छोटी है तो कोई भी सवाल नही करेगी लेकिन आगे जाकर उसके मन मे भी तो सवाल आ सकते है ना।
मारिया : तो इसमें इतना सोचने की क्या बात है आप खुद की बहन बन जाइए और बोल दीजिए कि मैं तुम्हारी मां की सहेली हूं इसलिए तुम्हारी मौसी हूं अब ऐसा तो है नहीं कि आपके परिवार वाले या आपके ससुराल वाले आपके सभीी दोस्तों को जानते होंगे और अगर कोई जानता भी था तो वह तो अब रहा नही।
सुनैना : यह तो तुमने बिल्कुल ठीक कहा इस बारे में तो मैंने सोचा ही नही ऐसा करने से कोई शक भी नही करेगा और जैसे वंहा के हालात है तो इस बात का किसी को कोई फर्क पड़ने वाला भी नही है।
वही दूसरी तरफ आज आर्या का दूसरा जन्मदिन था तो आज मधु ने पुजारी जी से बोल कर मंदिर में आर्या के लिए पूजा करवा रही थी । पूजा हो जाने के बाद उसकी आँखों से कुछ अंशुओ की बूंदे गिर पड़ी जिसे देख कर पुजारी जी बोले
पुजारी : पुत्री बीती बातो को याद करने से तकलीफ के सिवा और कुछ भी नही मिलने वाला है इसलिए उन दुखद घटनाओ को याद करके कोई फायदा नही है ।
मधु : बाबा मैं खुद के लिए दुखी नहीं हूं बल्कि इसलिए दुखी हु कि जिस आर्या को महलो का सुख मिलना चाहिए वह आज इस तरह जंगलो में पलने के लिए विवश है ।मैं यंहा पर इसका सही ढंग से पोषण भी नही कर पा रही हु ।
पुजारी : पुत्री यह दो साल आर्या के लिए संकट के थे इसलिए ऐसा बिता पर वह समय जल्द ही आने वाला है जब तुम्हे कोई अपना मिलेगा।
मधु : बाबा आप भी जानते है कि उस दुष्ट के आदमी आज भी मुझे और इसे खोज रहे है तो ऐसे में अगर मैं अपने मायके जाउंगी तो संकट उन लोगो पर भी आ सकता है।
वही परीलोक में रानी परी राजगुरु के साथ बैठी हुई बाते कर रही थी
रानी परी : गुरदेव अब वह समय आ गया है जब आर्या और मधु को उस जंगल से बाहर की दुनिया की तरफ लाना होगा क्यूंकि जिस बुराई से उसे लड़ना है उसके बीच मे रह कर पलने से उसके अंदर वह क्षमता पैदा होगी कि वह बुराई से लड़ सके।
राजगुरु : हा रानी साहिबा आप ठीक बोल रही है अगर ऐसा नही हुआ तो वह आगे जाकर कमजोर हो जाएगा फिर आप तो जानती ही है कि क्या हो सकता है।
रानी परी : ठीक है गुरदेव फिर इसके लिए जो भी उचित है वह आप बोले हम जरूर करेंगे।
राजगुरु : अभी हमे कुछ करने की जरूरत नही है। आर्या में सारी शक्तियां पहले से ही जाग्रत अवस्था मे है इसलिए वह सामान्य बालको से भिन्न है पर मैंने महाकाल के आशीर्वाद से उसकी सक्तियो को 18 शाल तक के लिए बांध दिया है जिससे कि उसके जान को खतरा ना हो और मैं खुद पुजारी के रूप में वंहा रह कर के उसकी सुरक्षा और पालन पोषण की सारी व्यवस्था करता ही हु पर अब उसे बाहरी दुनिया मे जाना ही होगा।
रानी परी : गुरदेव बिना शक्तियों के वह शिक्षा कैसे ग्रहण करेगा। जो कि एक आम इंसान के लिए संभव नही है।
राजगुरु : आप भूल रही है रानी की उसकी शक्तियां सिर्फ सुप्त अवस्था मे ना कि उसके पास से गायब है वह उसके अंदर ही है जिसकी वजह से एक आम इंसान तो रहेगा ही नही कभी।
रानी परी : तो उसको कंहा रखने के लिए सोच रहे है ।
राजगुरु : अब उसके परिवार में एक ही ऐसा है जिसके बारे में विजय नही जानता है और उसकी सक्तिया बंधी होने के कारण दुष्ट सक्तियो के लिए तो पहले से सुरक्षित है वह चाह के भी उसको ना तो खोज सकेंगे और ना ही उसका कुछ बिगाड़ सकते है।
Nice update broरानी परी राजगुरु की बात को सुनकर समझ नही पाई की वह किसकी बात कर रहे है तो वह बोली
रानी परी : गुरदेव आप किसकी बात कर रहे है मैं कुछ समझ नही पाई ।आखिर ऐसा कौन है जिसके पास वह दोनो सुरक्षित रह सकती है।
राजगुरु : आज के समय मे आर्या और मधु के अलावा उसके परिवार की एक मात्र जीवित सदस्य है कोमल जो कि आर्या की बुआ है और एक वही है जंहा पर उसकी उचित तौर पर पालन पोषण हो सकता है किन्तु उसमे भी एक समस्या है ।
रानी परी : कैसी समस्या है गुरदेव ।
राजगुरु : कोमल और मधु दोनो ही एक दूसरे से पूरी तरह से अनजान है ऐसे में उनको मिलाना कठिन हो सकता है ।
रानी परी उनकी बात सुनकर मुस्कुराते हुए कहती है
रानी परी : ऐसा कुछ भी नही होगा आप बिलकुल निश्चिन्त रहे ।मैं खुद उन दोनो की भेंट करवाउंगी ।
राजगुरु : अगर आप ऐसा कर पाती है तो हमारी बहुत बड़ी समस्या हल हो जाएगी ।
रानी परी : तो इसके लिए सबसे पहले आप मुझे मधु से भेंट करवाइये उसके बाद ही मैं कोमल के यंहा पर जाकर उसकी जानकारी उसे दूंगी और यह कोशिश करूँगी की उन दोनों का मिलन जल्द से जल्द हो सके ।
राजगुरु : ठीक है अगर आपकी यही इच्छा है तो ऐसा ही करते है ।मैं आपको उससे भेंट करवा देता हूं।
इधर मधु भी आर्या के साथ उसको नहला कर तैयार करने के बाद भोजन बनाती है खुद के लिए और पुजारी जी के लिए वही बाहर आर्या भी अपने खेल में मग्न था लेकिन जब काफी देर हो जाती है और पुजारी जी अभी तक नही आये तो मधु बाहर मंदिर पर जाकर देखने के लिए कुटिया से बाहर आती है और जैसे ही उसकी नजर आर्या पर पड़ती है उसकी जान निकल जाती है क्यूंकि आर्या एक जहरीले सांप को पकड़ कर खेल रहा था जिसकी वजह से वह सांप गुस्से में फुंकार मार रहा था पर आर्या डरने की जगह और भी हस रहा था तब मधु उसकी तरफ भाग कर जाती है और किसी तरह से उसके हाथों से उस सांप को छुड़ा कर जंगल की तरफ छोड़ देती है और आर्या को गले लगा लेती है और रोने लगती है तभी पुजारी जी वंहा पर आ जाते है और मधु को इस तरह रोते हुए देख कर बोलते है
पुजारी जी : क्या बात है तुम इस तरह क्यों रो रही हो ।
मधु : बाबा आज तो मेरे जीने का एक मात्र सहारा जिसके लिए मैं सारी दुखो को झेल कर भी आज जिंदा हु वह बहुत बड़े खतरे में पड़ गया था ।आर्या ने खेल खेल में जहरीले सांप को पकड़ लिया था वह तो अच्छा हुआ कि उस सांप ने इसे काटा नही वरना अनर्थ हो जाता ।
पुजारी जी : नही पुत्री ऐसा कुछ भी नही होता क्यूंकि मैंने इसे महाकाल कवच से सुरक्षित किया हुआ है जिसकी वजह से इसका कोई कुछ भी नही बिगाड़ सकता है और वैसे भी तुम चिंता मत करो अब ज्यादा दिन तक तुम्हे यंहा पर नही रहना होगा ।मैंने तुम्हें बोला था ना कि जल्द ही तुम्हे कोई अपना मिलेगा जो कि तुम्हे सारे दुखो से मुक्त करेगा इनसे मिलो (रानी परी की तरफ इशारा करते हुए जो कि इस समय एक सामान्य महिला के रूप थी ) यह मेरी बहन है और यह उसी सहर में रहती है जंहा पर तुम्हारे पति की बहन कोमल अपने परिवार के साथ रहती है।
पुजारी जी की बात सुनकर मधु को झटका लगता है क्यूंकि वह इस बात से बिल्कुल भी अनजान थी कि उसके पति का कोई बहन भी है तो वह बोलती है कि
मधु : बाबा आपको कोई भर्म हुआ है जंहा तक मैं जानती हूं मेरी कोई ननद नही है और अगर होती तो मेरी शादी में उससे मुलाकात हुई होती ना।
पुजारी जी : नही पुत्री ऐसा है कि तुम्हे उसके बारे में कोई जानकारी नही है और ना ही उसे है कि तुम लोगो के साथ क्या हुआ है ।पिछले पांच सालों से वह यंहा पर लौट कर कभी आयी ही नही और तुम्हारे ससुर की वजह से तुम्हारे पति भी उनसे चोरी से मिलते थे पर इस डर से की अगर पिता जी को इस बात का पता चल गया तो वह नाराज हो जाएंगे इसलिए उन्होंने इस बारे में तुम्हे कभी नही बताया ।
मधु : तो क्या वह उनको कुछ भी नही पता है कि हमारे साथ क्या हुआ है ।
रानी परी : (साधारण महिला के भेष में) : नही पुत्री वह कुछ भी नही जानती है तुम्हारी सास मेरी ही गांव की है इसलिए हम लोग अक्सर मिला करते थे और वह मुझसे ही अपनी पुत्री कोमल का हाल चाल लिया करती थी किन्तु पिछले दो सालों से मैं बाहर गयी हुई थी तो मुझे कुछ पता नही चला और जब यंहा पर आई तो मुझे उस दुखद घटना के बारे में मालूम चला और फिर जब मैं भैया से मिलने के लिए यंहा पर आई तो तुम्हारे बारे में मुझे मालूम हुआ मुझे तुम्हारे साथ हुई दुर्घटना का बहुत दुख है
मधु : माँ जी अब तो मैं उस दुखद पल को याद भी नही करती हूं ।अगर आर्या की जिम्मेदारी मेरे सर पर नही होती तो अब तक मैंने खुद को खत्म कर लिया होता ।अब अगर ऐसा है तो मैं इसकी जिम्मेदारी उन्हें देकर अपनी इस मनहूस जिंदगी से छुटकारा ले लुंगी।
पुजारी जी : नही पुत्री तुम ऐसा सोचना भी मत भविष्य में तुमको इसका मार्गदर्शन करना होगा और एक माँ की पूरी जिम्मेदारी तुम्हे निभानी होगी ।इन दो सालों में तुम्हे यह तो पता चल ही गया है कि आर्या एक असाधरण लड़का है और आगे इसे ऐसे बहुत से कार्य करने है जिसमे इसकी मदद तुम्हारे सिवा और कोई नही कर सकेगा क्यूंकि यह तुम्हारे सिवा और किसी की बात नही मानेगा ।
रानी परी : अभी तो केवल मैं तुमसे मिलने और बालक को देखने के लिए आई हुई थी और अब मैं चलती हु जल्द ही मैं फिर वापस आउंगी और उस बार मैं अकेले नही बल्कि तुम्हारी ननद कोमल भी मेरे साथ ही होगी।
वही दूसरी तरफ मारिया और सुनैना मानसी को लेने के लिए बाई रोड जा रही थी क्यूंकि वह नही चाहती थी कि कोई उन दोनों के बारे में जाने लेकिन इसका मतलब यह भी नही था कि वह आम लोगो की तरह जा रही थी सुनैना के गाड़ी के आगे पीछे गाड़ियों का रेला सा लगा हुआ था जिसमे एक से बढ़कर एक खतरनाक हथियार से लैस आदमी बैठे हुए थे। वंहा ऋतु आज भी हर रोज की तरह मानसी को बुरा भला बोल रही थी और उस छोटी सी बच्ची मानसी पर जुल्म कर रही थी वही पास के रूम में ठाकुर विजय हर रोज की तरह आज भी अपने बुरे कर्मो को याद करके रो रहे थे और उनकी बीवी उनको शान्त करा रही थी कि अचानक उनके कानों में ऋतु के चिल्लाने की आवाज आती है तो ठाकुर विजय अपनी बीवी से बोलते है
विजय : राधा जा कर देख अब क्या हो गया है क्यों उस बिन मा बाप के बच्ची के ऊपर वह चिल्ला रही है।
राधा अपने पति की बात मानकर जाकर बाहर देखती है तो उसका कलेजा मुह में आ जाता है क्यूंकि ऋतु उसे बुरी तरह से पिट रही थी तो राधा दौड़ कर जा कर मानसी को छुड़वाती है और बोलती है
राधा : बहु तुममे इतना भी रहम नही है क्यों इस बिन मा बाप की बच्ची पर तु इतना जुल्म कर रही है ।तूने तो इसकी पूरी जिंदगी ही नरक बना कर रखी हुई है । हमने पहले ही इतने गुनाह किये हुए है जिसकी सजा हम भुगत रहे है और तू उसके बाद भी इस बेचारी पर जुल्म कर रही है।
ऋतु : मा जी आप तो बीच में ना ही आओ तो अच्छा होगा आज इसकी गलती की सजा इसे देकर ही रहूंगी।
राधा : अब क्या गलती कर दी इस बच्ची ने जो तू इतना जुल्म कर रही है ।
ऋतु : इसने मेरी इतनी महंगी साड़ी जला दी है तो क्या मैं इसकी पूजा करू ।अब इसके मा बाप तो मर गए और इसे छोड़ गए हमारी जिंदगी में नरक घोलने के लिए।
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Zabardast update dostऋतु की बात सुनकर राधा जी अभी कुछ बोलती इससे पहले ही एक आवाज सुनकर वह दोनों चौक जाती है यह कोई और नही बल्कि सुनैना थी जो कि काफी देर से इन लोगो की बातों को सुन और देख रही थी ।यह बात अलग थी कि वह अभी घर मे कदम रखी है लेकिन उसे यह बात सुनने के लिए यंहा पर होना कोई जरूरी नही था तो वह बोली
सुनैना : ऋतु एक शब्द और नही बोलना मानसी के खिलाफ वरना तुम्हारी जिंदगी मैं नरक से भी बदतर कर दूंगी ।
सुनैना अपनी बेटी को इस हाल में देख कर उसके आंखों में आँशु आ गए ।मानसी कंहा पहले गुड़िया की तरह दिखती थी और कितनी मासूम सी थी किन्तु आज उसके चहेरे से मासूमियत गायब सी हो गयी थी । उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि मानो वह कितनी दिनों से भूखी हो तो वह बोली कि
सुनैना : तुम सब ने इस मासूम सी बच्ची पर इतना जुल्म किया कि इसकी मासूमियत ही छीन लिया तुम सबने ।
उसकी बात सुनकर ऋतु जो पहले से गुस्से में थी सुनैना की बातों ने उसमे घी का काम किया और वह भड़कती हुई बोली
ऋतु : तुम होती कौन हो हमारे बीच मे बोलने वाली और तू अंदर तक कैसे आ गयी।
ऋतु के इस तरह बोलने से मारिया आगे बढ़ कर कुछ बोलने को होती है लेकिन सुनैना उसे रोक देती है और बोलती है कि
सुनैना : मैं कौन हूं इस बारे में अगर तुम ना ही जानो तो अच्छा रहेगा तुम्हारे लिए और मुझे आने के लिए किसी के परमिशन की जरूरत नही है ।मैं तो यंहा पर अपनी बहन की बेटी को देखने के लिए आई हूं पर यंहा पर तो उस फूल सी बच्ची की क्या हालत बना दी है।
सुनैना कि बात सुनकर वह दोनों भी नही समझ पाती हैंकि उसके कहने का मतलब क्या है तो राधा जी बोलती है कि
राधा : बेटी तुम कौन हो मैंने तुम्हें पहचाना नही और कौन है तुम्हारी बहन ।
सुनैना :आंटी जी मैं अनुराधा बहन हु और पिछले तीन सालों से बाहर थी कल आयी तो मुझे सब कुछ पता चला तो मैं उसकी बेटी से मिलने के लिए आ गयी और यंहा पर यह इस लड़की को मार रही थी तो मुझसे देखा नही गया इसलिए बोल दी ।
उधर बाहर खड़ी गाड़ियों और उसके साथ हथियार बन्द आदमियो को देख कर किसी ने विनोद को खबर कर दी तो वह भी अपने अड्डे से तुरन्त घर की तरफ निकल लिया वहीं सुनैना की बात सुनकर ऋतु फिर से अपना मुंह खोली और बोली
ऋतु : अभी यह कलमुँही कम थी जो एक और आ गयी । आ तू भी मुफ्त की रोटी खा ले ।
उसकी बात सुनकर सुनैना हस्ती हैं और बोलती है कि
सुनैना : तू शायद खुद को बहुत बड़ा तोप समझती है लेकिन तेरी औकात मेरे सामने एक चींटी से ज्यादा नही है इसलिए तू अब अपना मुंह बंद रख और चिंता मत कर आज से मेरी बेटी यंहा पर नही रहेगी बल्कि मेरे साथ जाएगी।
उसकी बात सुनकर जंहा ऋतु खुश हो जाती है वही राधा थोड़ी चिंता में पड़ जाती है। उसे इस तरह चिंता में देख कर सुनैना बोलती है कि
सुनैना : आंटी जी आप बिलकुल भी चिंता ना करे मेरे पास सब कुछ है बस कोई अपना कहने वाला कोई नही है ।अब दीदी की लड़की को अपनी बेटी बना कर पालूंगी और आप जब भी याद करेंगी मैं इसे आपसे मिलने के लिए खुद लेकर आउंगी।
वही जब विनोद घर के बाहर इतनी सारी गाड़िया देखता है और वह भी एक से बढ़कर एक महंगी गाड़िया तो उसके होश ही उड़ जाते है और वह सोचता है कि कौन है जो आया है यही सब कुछ सोचते हुए वह घर मे दाखिल होता है और जैसे ही उसकी नजर मारिया पर पड़ती है उसके होश उड़ जाते है क्यूंकि उसके भी माफिया से है और वह मारिया को कई मीटिंग में देख चुका है और उसके बारे में उसे पता है कि सभी माफिया की बॉस है वह उसे खुद के घर मे पाकर उसके होश ही उड़ जाते है फिर उसकी नजर सुनैना पर पड़ती है तो वह उसे देखते ही रह जाता है ।फिर खुद को संभाल कर वह मारिया के पास जाता है और बोलता है
विनोद : मैम आप मुझ गरीब के घर पर अगर कोई काम था तो मुझे आदेश कर दिया होता यह गुलाम वह काम खुद कर देता आपको यंहा तक आने की कष्ट नही करना पड़ा होता।
वही ऋतु और राधा दोनो यह देखकर चकित रह जाती है कि जो विनोद किसी से सीधे मुह बात नही करता है वह दूसरी वाली लड़की के सामने हाथ जोड़े खड़ा है ।वही विनोद के बोलने से मारिया का ध्यान उसकी तरफ जाता है और वह उसे देख कर ही उसके बारे में सब कुछ जान जाती है तो वह बोलती है
मारिया : नही मिस्टर बिनोद वह मैडम को अपनी बहन की लड़की से मिलने और उसे खुद के साथ ले जाने के लिए आई है ।
जब विनोद सुनता है कि इसकी भी बोस आयी है साथ में जिसे कुछ गिने चुने लोगो के अलावा और कोई नही देखा है तो वह यह सुनकर बहुत खुश होता है और बोलता है
विनोद : तो क्या बड़ी मैडम भी आई हुई है क्या नाम है उनका है सुनैना जी।
सुनैना उसकी बात सुन लेती है और बोलती है
सुनैना : हा मिस्टर बिनोद मैं भी यही पर हु और इस वक्त मैं तुम्हारी हरकतों की वजह से मेरा दिमाग पहले से ही हिला हुआ है जो गलती तुमने की थी वह तो अभी तक सुधारी नही है और यंहा तुम्हारे घर मे एक मासूम बच्ची पर जुल्म हो रहा है और तुम उसे भी नही रोक रहे हो ।
मारिया :देख तू झूठ बोलने की कोशिश तो बिल्कुल भी मत करना क्यूंकि यह बात तो अच्छी तरह से जानता है कि अगर मैं खुद पर आ गयी तो पत्थर को जुबान खुलवा लेती हूं और तू तो जीता जागता है इसलिए सच बोल
विनोद : मैडम हमे माफ कर दे हमसे गलती हो गयी ।हा मैं मानता हूं कि हमसे गलती हो गयी है हमने जान बूझ कर यह सब कर रहे थे क्यूंकि भैया ने अपनी पूरी सम्पति इसके नाम कर दिए है इसलिए मैं बचपन से ही इसे
दबाव में रख रहा था ।
उसकी बात सुनकर जंहा पर राधा सॉकड रह जाती है वही सुनैना बोलती है
सुनैना : तूने जिस सम्पति के लिए इसके ऊपर जुल्म किया वह मैं तुझे बिख के रूप में दे रही हु और तू यह मत सोचना की मैंने तुझे माफ कर दिया बल्कि तुझे समय दे रही हु की तू अपने बचाव के लिए जो चाहे कर ले क्यूंकि तुझे सजा मैं नही बल्कि यही लड़की देगी जिसके ऊपर तूने जुल्म किया है ।
इतना बोल कर वह राधा जी की तरफ मुडती है और उनसे बोलती है
सुनैना : आंटी जी आप ने मेरी बच्ची के लिये इतना सोची इसके लिए मैं आपकी आभारी हूं ।अगर कभी भी मदद की जरूरत पड़े तो याद कीजियेगा मैं जरूर आउंगी और हा अब आप मानसी के लिये बिल्कुल भी चिंता ना करे।
इसके बाद वह मानसी को लेकर निकल जाती है और उसके जाने के बाद ऋतु विनोद पर भड़कती हुई बोलती है
ऋतु : आप उन दो मामूली लड़कियों के आगे हाथ जोड़ते हुए शर्म नही आई और उसने आपके सामने उसको लेकर चली गयी और आप कुछ भी नही कर सके ।
राधा : हा बेटा कौन थी वह लड़की जो अभी आयी हुई थी और तुम उसके सामने भीगी बिल्ली बन गए थे ।मैंने तो आज तक तुझे किसी से भी डरते हुए नही देखा।
बिनोद : माँ आप जानती नही है कि वह दोनों कौन थी अगर वह चाहे तो पल भर में हमारा पूरा वजूद ही खत्म कर दे और कोई उसका कुछ भी नही बिगाड़ पायेगा । बड़े से बड़े माफिया और अधिकारी उसके सामने घुटनो के बल खड़े रहते है ।कोई भी उनके खिलाफ एक भी शब्द नही बोलता है और वह जो दूसरी लड़की थी जो अनुराधा को अपनी बहन बता रही थी अगर वह सच है तो यकीन मानो हमने बहुत बड़ी मुशीबत मोल ले ली है।।
इधर रानी परी मधु के यंहा से निकलने के बाद सीधे कोमल के घर से कुछ दूर पर प्रकट हुई और फिर उसके घर की तरफ चल दी और गेटमैन से बोली कि
रानी परी : मुझे कोमल से मिलना है उससे बोलो की ...... जगह से उनकी माँ की दोस्त मिलने के लिए आई हुई है ।कूछ बात करनी है।
Nice update broकोमल ने जिसके साथ भाग कर शादी की थी वह ठाकुर नही था इसलिए उसके पिता जी ने इस रिश्ते के लिए मना कर दिया था पर वह लड़का काफी पैसे वाले घर से था और आज वह खुद का बिजनेस ही सम्भाल रहा था ।
कोमल के परिवार का इण्ट्रो
विश्वजीत राय (ससुर) उम्र 55साल
मीना राय ( सास) उम्र 52 साल
संजय राय (पति) उम्र 28 साल
कोमल उम्र 26
कोमल की एक बेटी है
चाँदनी
सुरेखा (ननद) उम्र 21 साल
(कहानी आगे)
चौकीदार जब घर में जाकर यह बताता है तो कोमल पहले तो बहुत खुश होती है लेकिन जब उसे याद आता है तो कि उसके घर वालो ने कितना जलील किया था जब वह शादी करके घर गयी थी तो वह दुखी हो जाती है और बोलती है कि
कोमल : जाकर उनसे बोल दीजिये कि यंहा पर कोमल नाम की कोई भी नही रहता है ।
कोमल की सास जो कि उसे बेटी मानती थी और वह जानती थी कि कोमल को उसके पिता के द्वारा कही गयी बातो को वह अभी तक भूल नही पाई है इसलिए वह ऐसा बोल रही है इसलिये वह चौकीदार को रोकते हुए बोलती है कि
मीना :तुम उन्हें आदर के साथ अंदर ले कर आओ।
कोमल अपनी सास की बात सुनकर बोलती है
कोमल : माँ आप जानती हो कि मैं उन लोगो से कोई मतलब नही रखना चाहती हु फिर आप उन्हें अंदर क्यों बुला रही है।
मीना : बहु अगर वह तुम्हारे परिवार में से होती तो मैं उन्हें कभी नही बुलाती पर वह तुम्हारी माँ की दोस्त है हो सकता है कुछ जरूरी बात हो जो तुम्हे जानना जरूरी हो । अब इतने दिनों बाद कोई आया है हो ना हो कोई जरूरी बात जरूर है ।
कोमल भी अपनी सास की बात सुनकर सोच में पड़ जाती है क्यूंकि जंहा तक वह जानती है माँ कभी भी पिता जी के विरोध में जाकर कोई काम नही करेंगी ।तब तक रानी परी भी अंदर आ जाती है तो मीणा जी उन्हें आदर के साथ बैठाती है और कोमल चाय नास्ता करवाने के बाद आकर उनके पास बैठ जाती है और बोलती हैकि
कोमल : आंटी जी मैंने तो आपको कभी देखा नही है माँ के साथ मे और वैसे भी आज इतने सालों बाद उनको मेरी याद कैसे आ गयी।
रानी परी जानती थी कि कोमल के मन मे उसके माता पिता के लिए क्या भाव है और वह यह भी जानती थी कि कोई भी बेटी हो चाहे वह अपने माँ बाप से कितना भी नाराज क्यों ना हो लेकिन उनकी मौत की खबर किसी सदमे से कम नही हो सकती है इसलिए सोच रही थी कि वह यह बात कैसे बताये कि उसके पूरे परिवार में उसे जानने वाला कोई भी नही है इसलिए वह बोली
रानी परी : बेटी मैं तुम्हारी माँ के गांव की हु तुमने मुझे नही देखा है इसलिए तुम मेरे बारे में नही जानती होगी और मुझे यंहा पर तुम्हारी माँ ने नही बल्कि मैं अपने मन से आई हूं ।
कोमल इतना सुनकर ही बीच मे बोल पड़ी कि
कोमल(अपने सास से ) : देखा माँ मैं जानती थी ऐसा ही कुछ होगा इसलिए मैं मिलना ही नही चाहती थी लेकिन आपको लगा कि शायद मेरी माँ की ममता जाग गयी हो और मेरी खबर लेने के लिये भेजी है ।
रानी परी: बेटी पहले मेरी पूरी बात सुन लो इसके बाद ही कुछ बोलना तुम्हारे मायके से कोई भेज ही नही सकता है क्यूंकि वहां पर कोई ऐसा है ही नही जो तुम्हे जानता हो ।
रानी परी की बात सुनकर कोमल को डर लगने लगा और वह कुछ बोलने की कोशिश कर रही थी पर उसके मुंह से जैसे आवाज ही नही निकल रही थी लेकिन तभी बीच में मीना जी बोल पड़ी
मीना : आप यह क्या बोल रही है माना कि कोई माँ बाप अपने बच्चों से नाराज हो सकते है लेकिन भूल जाये वह भी पूरा परिवार एक साथ ऐसा कैसे हो सकता है ।
रानी परी : बेटी अपने दिल को मजबूत कर लो क्यूंकि जो बात मैं तुम्हे बताने जा रही हु वह बहुत ही दुखद है।
कोमल रोते हुए बोलती है
कोमल : घर पर सब ठीक तो है ना आंटी आप की बातों से मुझे कुछ अशुभ होने की आशंका हो रही है।
रानी परी : बेटी तुम्हारे घर मे इस वक्त सिर्फ दो लोग ही है और वह दोनों ही तम्हे नही जानते है ।उसमें से भी एक मात्र अभी छोटा बच्चा है।
उनकी बात सुनकर जंहा कोमल रोने लगती है वही मीना जी सॉकड रह जाती है और बोलती है कि
मीना : आप क्या बोलना चाहती है खुल कर बातये ऐसे में हमे कुछ भी समझ मे नही आ रहा है।
रानी परी : बात यह है कि दो साल पहले ही कोमल के मायके वालों की हत्या कर दी गयी उस वक्त केवल इसकी छोटी भाभी जो कि इसके बड़े भाई के बच्चे को लेकर बाहर किसी काम से गयी थी सिर्फ वही दोनो बच पाए है और बाकी के पूरे परिवार की किसी ने निर्ममता से हत्या कर दी कोई भी जिंदा नही बचा है । उस घर की छोटी बहू किसी तरह से उन हत्यारो से बचते हुए उस घर की आखिरी चिराग को सुरक्षित बचा कर जंगलो में भटकती रही वही पर उसकी भेट मेरे भाई से हुई जो कि भगवान शिव के मंदिर के पुजारी है तो वह बच्चे के साथ उसी मन्दिर में रहने लगी ।कल जब मैं वंहा मिलने के लिए अपने भाई के पास गई तो इन सबके बारे में मालूम हुआ मैं भी इसी सहर में रहती हूं तो तुम्हारी माँ को कभी कभार तुम्हारा हाल बता दिया करती थी वैसे तो वह लोग वंहा पर हर प्रकार से सुरक्षित है फिर भी मैंने सोचा कि अगर आप लोगो को बता दु तो अच्छा रहेगा ।
मीना : वह लोग इतने दिनों से खतरे में है और यंहा पर नही आ सके।
रानी परी : ऐसी बात नही है बहन जी वह क्या है कि मधु यानी कि इसकी छोटी भाभी की शादी के कुछ ही महीनों के बाद यह घटना हो गयी और वह इसके बारे में जानती भी नही थी।(फिर कोमल से बोलती है ) अच्छा तो बेटी मैं चलती हु । तुम अपना ख्याल रखना ।
कोमल जो अभी तक उस सदमे से उभरी नही थी वह रानी परी की जाने की बात सुनकर सदमे से बाहर आती है और रोते हुए बोलती है
कोमल : आंटी जी ऐसे कैसे जा सकती है जब आपने इतना कष्ट करके मेरे घर की खबर दी और आप यह जानती है कि वह इस वक्त मुसीबतों के जाल में फशे हुए है और जब आज उन्हें मेरी मदद की जरूरत है तो आप ऐसे ही चले जाएंगी (फिर मिना जी की तरफ घूम के) मा मैं चाहती हु कि
मीना जी (बीच मे ही बात को काटते हुए): बेटी तुम्हे कुछ भी बोलने की जरूरत नही है मैं सब समझ गयी हु (सुरेखा से जो अपनी भाभी को रोते हुए देख कर आ गयी थी ) बेटी अपने भाई को फोन करके बोल की जल्द से जल्द घर आ जाये।