Office and Stressful life
No time to write
wait few more days
Take care of yourself and your family
No time to write
wait few more days
Take care of yourself and your family
Last edited:
badal badalkar chut maarne se lund me tetanus ho jaata hai.... Jokes apart seriously mat lena aur agar badal badalkar chut maarne ka shaukh ho toh chut maarne se pehle apne shehjaade ko sherwani pehnana mat bhoolna nahi toh tetanus se bhi khatarnaak ek beemari hoti hai HIV....Waah.Yeh kounsi beemari hui Covid 19 ke baad आवारा ?Lund ko Tetnus?
Thanks your answer is convinsing, thanks for putting your position, agreed but request try to submit little early, sorry if you felt bad about it.Tumhe bas update se matlab hota hai , kabhi mere comments bhi padh liya karo tabhi tumhe meri paristhiti ka pata chalega.... pehli baat mai yahan phokat me likhta hoon aur dusri baat mujhe apni personal aur professional life ko bhi manage karke chalna padta hai aur iske baad jab mai mann bana kar kuch likhne aata hoon toh tumhare jaise kuch readers ke comments dekhkar mood off ho jaata hai , aap kahani ko accha ya bura kahiye koi baat nahi lekin please mujhe Gyan mat peliye ki kahani ko kaise chalana hai mujhe aap sabhi se behtar pata hai nahi toh aap khud koi kahani likh kar dekhiye tab aapko apni aukaat pata chal jayegi
Good One@baba_jiTumhe bas update se matlab hota hai , kabhi mere comments bhi padh liya karo tabhi tumhe meri paristhiti ka pata chalega.... pehli baat mai yahan phokat me likhta hoon aur dusri baat mujhe apni personal aur professional life ko bhi manage karke chalna padta hai aur iske baad jab mai mann bana kar kuch likhne aata hoon toh tumhare jaise kuch readers ke comments dekhkar mood off ho jaata hai , aap kahani ko accha ya bura kahiye koi baat nahi lekin please mujhe Gyan mat peliye ki kahani ko kaise chalana hai mujhe aap sabhi se behtar pata hai nahi toh aap khud koi kahani likh kar dekhiye tab aapko apni aukaat pata chal jayegi
Bhai aap story bahot achhe se likh rahe ho..lekin usse pehle apna kaam, health aur family hai..baad me time Milne par aap story me update do..!!Thanks for the support brother
बहुत ही सुंदर लाजवाब और रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गयाअपडेट ९
स्टोररूम में बोरियां रखकर मैं सभ्या चाची के ऊपर आने का इंतजार करने लगा, थोड़ी देर बाद मुझे किसी के सीढ़ियों से ऊपर चढ़ने की आवाज आई तो पता चला कि सभ्या चाची ऊपर आ रही है मैं तुरंत स्टोररूम के फाटक के पीछे छुपकर खड़ा हो गया और जैसे ही सभ्य चाची स्टोररूम के अंदर आई तो पीछे से मैंने उन्हें अपनी बाजूओं में जकड़ लिया और उनके कूल्हों और चूचियों पर हाथ फेर दिया मानो जैसे हल्के से स्पर्श किया हो, सभ्या चाची एक वक्त के लिए डर गई लेकिन चिल्लाई नहीं।
"मैं तो डर ही गई थी ऐसा लगा कि कोई चोर आ गया, अब मुझे छोड़ेगा या नहीं" सभ्या चाची कसमसाती हुई बोली
"फिर उठाऊंगा कैसे?" मैं सभ्या चाची को झटके से पलटकर उनकी कमर को जकड़ते हुए बोला
"दम है तो उठा के........ सभ्या चाची इतना ही कह पाई थी कि मैंने उनकी मोटी चर्बीदार गांड को अपने दोनों हाथों से दबोचकर उन्हें ऊपर उठा दिया।
सभ्या चाची लगभग कुंतल भर की थी, पहली बार मैं किसी भारी वजन की औरत को उठाए हुए था, मैंने उन्हें 10 सेकंड्स तक हवा में उठाए रखा, सभ्या चाची अपना मुंह फाड़ फाड़कर मुझे देखे जा रही थी और फिर मैंने उन्हें नीचे उतार दिया।
"ऐसे क्या देख रही हो चाची, अब पता चल गया ना कि मेरे बाजूओं में कितना दम है"
"सच में तू बहुत ताकतवर है रे, मैं हार गई तू जीत गया"
"अब एक दिन के लिए आप मेरी दासी बनकर रहोगी लेकिन दिन मैं चयन करूंगा, तब तक के लिए आप निश्चिंत हो जाओ"
तभी नीचे से ताईजी की आवाज आती है "अरे कहां मर गई सभ्या"
फिर सभ्या चाची मुझसे बिना कुछ कहे स्टोररूम से नीचे रसोईघर में चली गई और फिर कुछ देर छत पर कसरत करने के बाद मैं घर के पिछवाड़े में नहाने चला गया, शीला भाभी पूजा के लिए व्यवस्था कर चुकी थी, ताईजी और सभ्या चाची रसोईघर में प्रसाद बना रही थीं और पीहू दीदी अपने कमरे में तैयार हो रही थी, भीमा भईया आंगन में गद्दे बिछा रहे थे।
कुछ देर बाद पंडित जी भी आ गए, मैंने पंडित जी को प्रणाम किया, इधर भीमा भईया और शीला भाभी पूजा के लिए गद्दे पर बैठ गए थे, थोड़ी देर के बाद पूजा आरंभ हुई पंडित जी ने हवन करना शुरू कर दिया था, ताईजी भी नहाकर तैयार हो गई थी और आंगन में भीमा भईया और शीला भाभी के साथ गद्दे पर बैठ गई थी, उधर धीरे धीरे गांव के लोग आना शुरू हो गए थे।
मैं भी नहाकर धोती और कुर्ता पहन के आंगन में पीछे गद्दे पर बैठा था, कुछ देर बाद मुझे प्यास लगी तो मैं रसोईघर में जाने के लिए उठकर खड़ा हो गया लेकिन रसोईघर में जाने का कोई रास्ता ही नहीं था क्योंकि आंगन में गद्दे पर गांव के बहुत सारे लोग बैठे हुए थे उन्हें लांघ कर तो मैं जा नहीं सकता था।
तभी पीछे से शहनाज़ खाला बोली "क्या हुआ बेटा उठ क्यों गए बैठ जाओ"
"खाला मुझे प्यास लग रही है और रसोईघर में जाने के लिए जगह तक नहीं है"
"कोई बात नहीं बेटा, मेरे घर चले जाओ वहां किसी से अपनी प्यास बुझा लेना"
"शुक्रिया खाला" कहकर मैं शहनाज़ खाला के घर चला गया।
पड़ोस में ही शहनाज़ खाला का घर था, मैं धड़ल्ले से घर में दाखिल हो गया तो मुझे एक कमरे से किसी के गाना गुनगुनाने की आवाज आई, "झुमका गिरा से बरेली के बाजार में" ये गाना गुनगुना रहा था, मैं ऐसा करना तो नही चाहता था लेकिन मुझे देखना था कि कमरे के अंदर आखिर है कौन? क्योंकि मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आवाज के पीछे कोई औरत है या मर्द! मैं चुपके से कमरे के फाटक पर आ गया और जैसे ही मैंने अंदर का नजारा देखा तो मेरे होश उड़ गए, मैंने देखा कि शादाब भाईजान आईने में खुद को निहारते हुए लिपस्टिक लगा रहे थे और उन्होंने हरे रंग का सलवार कमीज पहना हुआ था।
तभी मुझे रुबीना भाभीजान नजर आई सीढ़ियों से नीचे आती हुई तो मैं चुपके से घर के बाहर चला गया और वापस से पूजा में बैठ गया फिर कुछ देर बाद पूजा समाप्त हुई तो मैं प्रसाद बांटने लगा, धीरे धीरे गांव के लोग भईया भाभी को आश्रीवाद देकर और प्रसाद लेकर चले गए।
अब 12 बज चुके थे, मैं थोड़ा बहुत आराम करके भोजन करने के लिए आंगन में आ गया तो मैंने देखा कि भीमा भईया चारपाई पर बैठे हैं और ताईजी शीला भाभी के साथ रसोईघर में खाना बना रही थीं। शादाब भाईजान के बारे में सोच–सोच कर मैं थोड़ा विचलित हो गया था।
"बलराम क्या बात है, तू परेशान सा लग रहा है गांव में किसी ने तुझे कुछ कहा क्या"
"ऐसी कोई बात नही है भईया, आज मैंने कुछ ऐसा देख लिया जिसकी मैंने सपने में कभी कल्पना भी नहीं की थी"
"क्या मैं भी जान सकता हूं कि ऐसा क्या देखा लिया मेरे प्यारे भाई ने?"
"भईया पड़ोस में शादाब भाईजान हैं ना, उन्हें आज मैंने सलवार कमीज पहने देखा था" मैं धीरे से भीमा भईया के कान में बोला
"हाहाहाहा क्या तुझे पता नही कि शादाब गाँडू है" भीमा भईया मुस्कुराते हुए धीरे से बोले
"क्या?"
"अरे भाई वो गाँडू है, गांड मरवाने का शौकीन है"
"क्या वह समलैंगिक हैं?"
"पता नहीं लेकिन शादाब कई बार गांव में अपनी गांड मरवाते पकड़ा गया है"
"लेकिन क्या रुबीना भाभीजान जानती हैं कि शादाब भाईजान गाँडू हैं"
"शादी के पहले तक तो नहीं जानती थी लेकिन अब तो जानती ही होगी"
तभी ताईजी और शीला भाभी खाना लेकर आती है और हम साथ में भोजन करते है फिर मैं अपने कमरे में सोने चला आता हूं।