Office and Stressful life
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Bot badiya updateअपडेट १४
सुबह मेरी आंख खुली तो ९ बज चुके थे, मेरा लन्ड अभी तक धोती के बाहर था मैं बहुत डर गया था और शर्मिंदा महसूस कर रहा था, फिर मैं घर के पिछवाड़े में चला गया मूतकर थोड़ा बहुत कसरत किया उसके बाद नहाने चल गया, गुसलखाने से बाहर निकला तो ताईजी रसोईघर में थी, मैं भी रसोई में जाने लगा पर मेरी हिम्मत नही हुई फिर भी मुझे प्यास लगी थी इसलिए मैं रसोई में चला गया और फ्रिज खोलकर पानी पीने लगा जैसे ही मैंने फ्रिज खोला तो ताईजी ने पीछे मुड़कर मेरी तरफ घूरकर देखा और वापस से काम में लग गई, मैं गटागट पानी पिया और बाहर चला गया, मैं आंगन में चारपाई पर बैठ गया। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की अब क्या कर सकता हूं मैं तो ताईजी को प्लान करके चोदना चाहता था लेकिन रात को सब कुछ अचानक हो गया। तभी मुझे रसोईघर में बर्तन गिरने की आवाज आई जो ताईजी ने रसोई में जमीन पर रखा था उन्होंने इतनी तेज आवाज से बर्तन इसलिए रखा था ताकि मुझे पता चल जाए कि खाना लग गया है मैं चुपचाप रसोई से थाली उठा लिया और चटाई पर बैठकर खाने लगा, ताईजी रसोई में ही बैठकर चुपचाप भोजन कर रही थी और बहुत गुस्से में थी मुझसे नजर तक नहीं मिला रही थी।
कुछ देर बाद मैं कोचिंग जाने के लिए तैयार हो गया और तुरंत साइकिल से कोचिंग के लिए निकल गया, चौराहे पर मुझे राज अपनी साइकिल पर इंतजार कर रहा था।
"और भाई आने में बड़ी देर लगा दिया, मैंने अपना काम कर दिया है अब तुझे आगे का काम संभालना है।"
"साले तू तो बड़ा तेज है अब आगे क्या करना है मुझे तो बड़ा डर लग रहा है"
"जो कुछ करना है तुझे करना है बस जैसे मैंने कहा था वैसा करना, जा मां घर पर बहुत परेशान है"
"ठीक है मैं अपनी तरफ से कोशिश करूंगा"
" चल मैं कोचिंग जाता हूं ऑल द बेस्ट"
फिर मैं राज के घर चला गया और घर के अंदर घुस गया, मुझे पता था कि रागिनी काकी तबेले में होंगी इसलिए फिर घर के पिछवाड़े में आ गया जहां छोटा सा तबेला बना था वहां रागिनी काकी गाय को पानी से नहला रही थी उन्होंने बैंगनी रंग की पुरानी साड़ी और ढीला सा ब्लाउज पहना था मेरा दिल किया कि रागिनी काकी को पीछे से दबोच कर चूम लूं लेकिन इस बार मुझे प्लान के अनुसार चलना था नही तो राज के द्वारा बिछाया हुआ जाल बर्बाद हो सकता था।
"अरे बलराम तू ? राज घर पर नही है कोचिंग गया है तू नही गया?" रागिनी काकी पलट कर मुझे देखते हुए बोली
"काकी मैं कोचिंग जा ही रहा था लेकिन मुझे रास्ते में राज मिल गया उसने कहा कि गाय की तबियत ठीक नहीं है और मां बहुत परेशान हो रही है, मुझे जानवरों के बारे में जानकारी थी तो सोचा पहले आपकी मदद कर देता हूं फिर बाद में कोचिंग चला जाऊंगा"
"बेटा अच्छा हुआ तू आ गया , देख ना मेरी गाय बहुत परेशान कर रही है और सुबह से चारा भी नहीं खा रही, देख के बता इसे क्या हुआ है?"
जब से मैं इस गांव में आया था तब से मेरा चैन चुराने वाली और कोई नहीं बल्कि रागिनी काकी ही थी उसका कसा हुआ गठीला बदन पांव के ताल पर थिरकते हुए मोटे मोटे भरे हुए चूतड़ और हिलती हुई बडी बडी चूचियां देख देख कर मैं रागिनी काकी का दीवाना हो गया था कितनी बार मैने चाहा की बस एक बार रागिनी काकी मुझसे ठुकवा ले मगर थोड़ी बहुत नटखट बातों के अलावा कभी बात आगे ही नहीं बढ़ पाई। रागिनी काकी को कस के चोदने की इच्छा तो मुझे बहुत पहले से थी मगर मैं रागिनी काकी के मामले में जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था क्यूंकि आखिर वह मेरे दोस्त राज की माँ जो थी, लेकिन अब राज भी मेरा साथ दे रहा था मैं जानता था आज नहीं तो कल रागिनी मुझे देगी ज़रूर मगर ये वक्त काटना मेरे लिए ज़हर पीने जैसा था।
"देख ना क्या सोच रहा है?"
"क्या काकी?"
"अरे मेरी गाय को देखेगा या नहीं"
"हां देखता हूं" कहकर मैंने गाय के पेट पर हाथ रखा और नौटंकी करते हुए गाय के शरीर पर इधर उधर हाथ फेरने लगा।
"पता नही सुबह से अजीब–अजीब आवाजें कर रही है न कुछ खाती है और न पीती है"
ये राज ने ही किया था क्योंकि गाय के गर्भवती होने का वक्त हो चला था और उसकी वासना जगाने के लिए राज ने कुछ गोलियां खिला दी थीं।
तभी मैं रागिनी काकी को देखकर हंसने लगा।
"क्या बात है मुझे भी बताएगा, मुस्कुराए जा रहा है" रागिनी काकी मुझे घूरती हुई बोली
"काकी इसका समय आ गया है, गांव में कोई सांड है क्या?"
रागिनी काकी मेरी बात सुनकर बुरी तरह शर्मा गई, गांव में बस एक सांड था जो हरिया ने पाल रखा था हरिया का सांड एक काम बड़े ज़ोरदार तरीके से करता था और वो था गांव के गायों को गर्भवती करना, जब भी कोई गाय गरम हो जाती थी तो हरिया का सांड ही उसको अपने नीचे ले के शांत करता था, हरिया को सांड पालने का शौक इसलिए था क्योंकि जब भी गांव की कोई औरत अपनी गाय लेकर आती थी हरिया के सांड से गर्भवती करवाने के लिए तो हरिया को छेड़ने और मस्ती करने का मौका मिल जाता था, ऐसा मुझे राज ने बताया था।
"बताओ काकी गांव में कोई सांड है? नही तो आपकी गाय की तबियत और बिगड़ जाएगी"
रागिनी काकी अब समझ गई थी कि उनकी गाय को क्या हुआ है।
"एक सांड है हरिया का"
"काकी तो चलिए ना नहीं तो आपकी गाय पागल हो जाएगी" मैं अपनी हंसी दबाते हुए बोला
रागिनी काकी अपनी गाय को लेकर मेरे साथ हरिया के घर चल पड़ती हैं।
तभी रेखा मौसी मुझे रास्ते में मिल जाती हैं।
"अरे रेखा मौसी कहां भागे जा रही हो हम तुम्हारे पास ही आ रहे थे"
"बबुआ मैं तो हवेली जा रही थी तू बता क्या काम आ गया"
मैं गाय की तरफ इशारा करते हुए और रेखा मौसी समझ जाती हैं कि क्या बात है।
"जा पीछे तबेले में बंधा है मेरा सांड जा ठुकवा ले इसको"
रागिनी काकी मुंह बंद करके हंसी रोकने की कोशिश करती हैं।
"और ये ले घर की चाभी, कोई चीज की जरूरत पड़े तो निःसंकोच ले लेना।"
"चाभी किसलिए मौसी घर पर कोई नहीं है क्या?" मुस्कुराते हुए
"मेरा मर्द तो हवेली की चौकीदारी कर रहा है, कम्मो तेरे भईया की दुकान पर गई है और मालती सुबह से हवेली में काम कर रही है, मैं भी हवेली जा रही हूं किसी महत्वपूर्ण काम से मालकिन ने आने के लिए कहा है।"
रेखा मौसी की बात सुनकर मैं खुश हो गया।
"चलो काकी ठुकवा लो अपनी गाय को" मुस्कुराते हुए
रागिनी काकी शर्मा जाती है और कुछ देर बाद हम रेखा मौसी के घर पहुंच जाते हैं, हरिया का सांड घर के पिछवाड़े में खूंटे से बंधा हुआ था।
"काकी इस सांड का नाम क्या है?"
"भूरा"
"और आपकी गाय का नाम?"
"दुधिया"
दुधिया को देखते ही भूरा ने अपना बड़ा सा लाल लाल लन्ड बाहर निकाल देता है और दुधिया को सूंघने लगता है।
Wo to theek hai sirअपडेट थोड़ा छोटा दिया है , अभी ऑफिस से निकला हूं शाम के वक्त थोड़ा बहुत लिखा तो सोचा पोस्ट कर देता हूं अभी घर पहुंच कर खाना खाऊंगा।
आप सभी के कमेंट्स के लिए दिल से आभार व्यक्त करता हूं मैं समझ सकता हूं कि कहानी आपको बहुत पसंद आ रही है, आप मेरी परिस्थिति भी समझिए।
Bhai, aap jo keh rahe ho..woh the theek hain aur aisa hua to accha bhi rahega..lekin aapne आवारा kaa comment nahi padha kya? woh office mein bahut busy hain and raat ko 10.00pm ghar aa rahe hain...phir bhi update de rahe hain...aapko is baat par khush hona chahiye..Wo to theek hai sir
Par aap bhi to readers ko samjhiye jo story acchi hoti hai ya to usme bahut late update aaye hai aur fir story close ho jati hai ya update hi dena band kar dete hai
Aap week me 3 update diya karo aur update ka size bhi bada karo sir jisse aap ko bhi load nhi pade ga aur readers ko bhi accha lage ga
Are bhai mai bhi aap ki baat samjh rah hu aur maine bhi comments padhe hai mere bolne ka matalab ye to tha hi nhi aur ha bich me time mile usme update likh liya kare aur fir jab pura ho jaye to do din baad post kar diya kare jisse unke pas bhi time ho jaye ga aur hame bhi update padh ke maja aa jayeBhai, aap jo keh rahe ho..woh the theek hain aur aisa hua to accha bhi rahega..lekin aapne आवारा kaa comment nahi padha kya? woh office mein bahut busy hain and raat ko 10.00pm ghar aa rahe hain...phir bhi update de rahe hain...aapko is baat par khush hona chahiye..
yaad rakho...everyone has life outside this forum and more importantly to work and take care of themselves and their families.
Kehna bahut aasaan hain ki hafte mein 3 aur woh bhi "lambe" update de do kar ke..
aap hi kyun nahi aisa ek accha story likhte aur hafte mein "3 lambe" updates de do...sab aapke saath khush rahenge..NOM to you..but you need to be sensitive to other's comments and priorities as well.