Office and Stressful life
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाअपडेट १५
जैसे ही भूरा गर्दन ऊपर करके दुधिया को सूंघने लगता है तो ये सब देख रागिनी काकी बड़ा अजीब सा महसूस करती है हरिया का सांड भूरा का बड़ा सा लन्ड देख रागिनी काकी हड़बड़ा कर एक पत्थर पर बैठ जाती है मुझे तो ऐसा लग रहा था की रागिनी काकी की गाय दूधिया से ज्यादा चुदासी तो काकी खुद है मैं भूरा को दूधिया के पास बांध देता हू और रागिनी काकी के पास आकर बैठ जाता हूं , इधर भूरा पीछे से सूंघता हुआ दुधिया के ऊपर चढ़ जाता है , दुधिया तो पहले से गरम थी वह थोड़ा सा भी नहीं हिलती मगर बहुत तेज से चिल्लाती है जब भूरा अपना मोटा लंड रागिनी काकी की गाय के पीछे से उसकी चूत में घुसा के दनादन ठोकने लगता है।
ये सब देख रागिनी काकी के हाथ पांव कांपने लगते हैं, वह उठके वहां से जाने लगती है तो मैं उनका हाथ पकड़ के उन्हें अपने पास वहीं बैठा देता हूं।
"छोड़ो मुझे, ये क्या कर रहे हो बेटा," रागिनी काकी हिचकिचाते हुए बोली
"देखो ना काकी तुम्हारी दुधिया को कैसे भूरा ठोक रहा है"
"तुझे अपनी काकी से ऐसी बात करते हुए शर्म नहीं आती" रागिनी काकी थोड़ा गुस्से में बोली
"इतनी शर्म आ रही है तो यहां क्यों चली आई, मैं अकेले तुम्हारी गाय को ठुकवा लाता मगर तुम्हें तो देखना था कि हरिया का सांड तुम्हारी गाय की कैसे लेता है"
रागिनी काकी चुप हो जाती है, और फिर अचानक मैं उन्हें अपनी बाहों में दबोच लेता हूं और उनकी ब्लाउज के अंदर कैद उनकी बड़ी बड़ी चूचियों को हवस की नजर से घूरने लगता हूं।
"छोड़ो मुझे, ऐसे क्या देख रहे हो"
मैं बिना कुछ कहे रागिनी काकी को अपनी छाती से लगा लेता हूं और अपने होंठ को उनकी गर्दन पर रख देता हूं।
"आह्ह्ह्ह छोड़ मुझे, पागल तो नहीं हो गया है तू बेटा"
"हां मैं पागल हो गया हूं" कहकर रागिनी काकी की गर्दन को चूमते हुए उनके रसीले होंठों को चूसने लगता हूं।
मुझे पता नहीं क्या हो गया था , मैं जैसे खुद पर काबू खो बैठा था लेकिन तभी भूरा चिल्लाते हुए दुधिया की चूत में झड़ने लगता है और मैं होश में आता हूं और रागिनी काकी को छोड़ देता हूं।
तभी रागिनी काकी आगे बढ़कर मुझे थप्पड़ मारने ही वाली थी कि कुछ सोचकर रुक जाती है।
"कमीने तुझसे थोड़ा हंस कर बात क्या कर ली कि तू तो हवस के पुजारी की तरह ऊपर चढ़ने लगा, अभी तेरी ताई को सब कुछ बताकर आती हूं।" कहकर रागिनी काकी वहां से जाने लगती हैं
मेरी तो जैसे गांड़ ही फट जाती है और मैं तुरंत काकी का हाथ पकड़ लेता हूं
"नहीं काकी मुझे पता नही क्या हो गया था, मुझसे भूल हो गई मुझे माफ कर दो"
रागिनी काकी मेरा हाथ झटक कर बाहर चली जाती है और मैं पीछे दौड़कर दुबारा से उनका हाथ पकड़ लेता हूं
"काकी आगे से दुबारा गलती नहीं होगी प्लीज ताईजी से कुछ मत कहो"
"कमीने इस बार तुझे माफ कर रही हूं मगर आगे से ऐसी कोई हरकत मेरे साथ करने का सोचा भी ना तो पूरे गांव के सामने तेरी इज्जत की धज्जियां उड़ा दूंगी।"
मैं फिर बिना कुछ कहे वहां से निकल जाता हूं, कल रात ताईजी के साथ कांड कर दिया और आज जोश में आके बहुत बड़ी भूल कर बैठा था, जो मछली कुछ दिन में चारा निगल लेती वो मूर्खता के कारण हाथ से छटक गई थी, इतनी बेज्जती तो मेरी कभी नहीं हुई और इस बेज्जती को मैं भूलूंगा नहीं, एक बार ताईजी को मना लूं बस फिर रागिनी काकी को अपनी बांसुरी से ऐसा बजाऊंगा कि इसकी गांड़ दिन रात मेरी बांसुरी की धुन पर थिरकती रहेगी।