नयना की मुराद पुरी तो हुई पर एक झटके के साथ ,
अंशुल को उसे एक हसबैंड के साथ साथ एक सगे भाई के रूप मे भी ट्रीट करना होगा । शायद तीनो लोग - अंशुल , उसकी मम्मी पदमा और नयना की यही नियति भी थी । इन्सेस्टियस रिलेशनशिप मे बंधकर अपने जीवन यात्रा तय करने की ।
लेकिन एक खतरा भी है कि अंशुल और पदमा के नाजायज सम्बन्ध की जानकारी नयना को कभी न कभी लगनी ही है । उस वक्त वह क्या करेगी ? अंशुल का जिस्मानी सम्बन्ध उसकी मां लाजवंती से स्थापित हुआ था लेकिन वह इसलिए इसे इग्नोर कर गई क्योंकि लाजवंती उसकी सौतेली मां थी । पर क्या पदमा देवी और अंशुल के इस अवैध संबंध को वह इग्नोर कर पायेगी ?
इधर पदमा देवी कुछ अधिक ही पसेजिव है अंशुल के प्रति । वह नयना , जो उसी की पुत्री है , को सौतन के रूप मे क्या स्वीकार कर सकेगी ?
यह मैडम अपनी कामोतेजना के वशीभूत अपने हसबैंड को नित्य नींद की गोलियां खिलाती आई है । अब नौबत यहां तक आ गया कि वह अपने हसबैंड को अपने राह से हमेशा दूर करने के लिए खौफनाक मंशा भी पाल रही है ।
यह सोच और ऐसा कोई भी कदम इनके लिए आत्मघाती कदम होगा । अपने जिस्मानी भूख के लिए किसी की हत्या करना बिल्कुल ही गलत कार्य है ।
अंशुल के अबतक के क्रियाकलाप साबित करते है कि वह मैच्योर उम्र की औरतों का दिवाना है । पदमा देवी , धन्नो देवी , लाजवंती देवी और सुरीली देवी इसका स्पष्ट उदाहरण है । लेकिन इतने रंगीन मिजाज होने के बावजूद वह रिश्ते निभाने मे संवेदनशील भी है । यह हमने आरुषि के मामले मे देखा ।
कुछ चीजें अभी तक सस्पेंस के दायरे मे है । जैसे - उसका अपनी मां के साथ सेक्सुअल सम्बन्ध , उसके पास अधिक मात्रा मे धन की उपलब्धता ।
स्टोरी अब तक सही जा रही है । सेक्सुअल सीन्स मे इरोटिका का वर्णन भी अत्यंत ही कामोत्तेजक है । और किरदार के बारे मे कहूं तो नयना अब तक सभी किरदार पर हावी होती हुई नजर आई है ।
पुराने फिल्मी गीत का उल्लेख बिल्कुल सही समय पर किया हुआ है ।
आउटस्टैंडिंग डियर ।