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Incest आह..तनी धीरे से.....दुखाता.

whether this story to be continued?

  • yes

    Votes: 41 97.6%
  • no

    Votes: 1 2.4%

  • Total voters
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Lovely Anand

Love is life
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144
आह ....तनी धीरे से ...दुखाता
(Exclysively for Xforum)
यह उपन्यास एक ग्रामीण युवती सुगना के जीवन के बारे में है जोअपने परिवार में पनप रहे कामुक संबंधों को रोकना तो दूर उसमें शामिल होती गई। नियति के रचे इस खेल में सुगना अपने परिवार में ही कामुक और अनुचित संबंधों को बढ़ावा देती रही, उसकी क्या मजबूरी थी? क्या उसके कदम अनुचित थे? क्या वह गलत थी? यह प्रश्न पाठक उपन्यास को पढ़कर ही बता सकते हैं। उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।

इस उपन्यास में इंसेस्ट एक संयोग है।
अनुक्रमणिका
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भाग 126 (मध्यांतर)
 
Last edited:
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भाग -76
नियति का खेल तो देखिए जिस कमरे में विकास के दोस्तों ने उसके सुहागरात की व्यवस्था की थी यह वही कमरा था जिसने मनोरमा मैडम रुकी थी और उसी कमरे में सोनी की बहन सुगना को चोदते और सुगना के अपवित्र छेद का उद्घाटन कर अपने व्यभिचार को पराकाष्ठा तक ले जाते ले जाते सरयू सिंह बेहोश हो गए थे…।

वह कमरा सुगना के परिवार के लिए शुभ है या अशुभ यह कहना कठिन था पर सोनी उसी कमरे में धड़कते हृदय के साथ प्रवेश कर रही थी।

जैसे ही सोनी बाथरूम में फ्रेश होने के लिए गई बिस्तर पर लेटे विकास में सोनू के ट्रेनिंग हॉस्टल में फोन लगा दिया…


अब आगे…


हेलो….मधुबन हॉस्टल….

जी कहिए…

जरा सोनू को बुला दीजिए….

कौन सोनू….

माफ कीजिएगा मैं संग्राम सिंह की बात कर रहा हूं…

विकास को अपनी गलती का एहसास हुआ

आप कौन?

उनका दोस्त विकास..

ठीक है लाइन पे रहिए..

छोटू जा संग्राम सर को बुला ला…कहना किसी विकास का फोन है….

विकास के कानों में यह आवाज धीमी सुनाई पड़ी शायद फोन उठाने वाले ने रिसीवर दूर कर दिया था…

कुछ देर इंतजार के बाद विकास के कानों में छी

चिरपरिचित आवाज सुनाई पड़ी…

अरे विकास …क्या हाल है …?

भाई तेरी सलाह काम आई मैंने अपनी छमिया से आज विवाह कर लिया है…..

अरे वाह क्या बात है ….अभी तू कहां है..

रेडिएंट होटल में….

विकास ने आज दिन भर के हुए घटनाक्रम को संक्षेप में सोनू को बता दिया…

अभी कहां है मेरी भाभी…सोनू ने मुस्कुराते हुए पूछा

अंदर शायद नहा रही है..

यार तू तो छुपा रुस्तम निकला मैंने तो यूं ही सलाह दी थी तू तो सच में छमिया को बिस्तर पर खींच लाया..

विकास मुस्कुरा रहा था और अपनी विजय पर प्रफुल्लित हो रहा था..

चल अब रखता हूं लगता है आने वाली है…

जी भर कर चोदना.. और हां पहली बार है जरा संभाल के…कोई ऊंच-नीच हो गई तो तेरा गंधर्व विवाह लोड़े लग जाएगा….

हां भाई हां तू तो ऐसे सलाह दे रहा है जैसे वह तेरी बहन हो…

सोनू को विकास की यह बात अच्छी ना लगी..

"जा भाई तू पटक कर चोद उसको मुझे क्या लेना देना.".

सोनू में फोन रख दिया…

सोनू विकास की किस्मत पर नाज कर रहा था अमीर बाप का लड़का अमेरिका में पढ़ने जा रहा था और उसने अपनी माशूका से विवाह कर आज उसे अपने बिस्तर पर खींच लाया था .. सोनू ने एक लंबी सांस भरी और अपने कमरे की तरफ चल पड़ा। बिस्तर पर लेट अपने पूरी तरह तन चुके लंड को व्यवस्थित करते हुए सोनू के मन के उस अनजान नायिका की चूदाई के दृश्य घूमने लगे.

सोनू के दिमाग में विकास द्वारा उद्धृत की गई उसकी छमिया की कामुक तस्वीर अवश्य थी परंतु आज तक वह उससे मिला न था। वह बार-बार विकास से जिद करता परंतु विकास उसे किसी न किसी बहाने से टाल देता था उसे बार-बार यह डर सताता कि कहीं उसकी छमिया सोनू के साथ नजदीकी न बढ़ाने लगे। विकास यह बात भली-भांति जानता था की सोनू हर मायने में उससे बीस था।

जैसे यह विवाह निराला था वैसे ही सुहागरात की रस्में न दूध न वो फूल मालाओं की सजावट बस चंद फूल बिस्तर पर बिखरे पड़े थे न सहेलियां न दूल्हे के साथी सब कुछ आनन-फानन में आयोजित किया प्रतीत हो रहा था।

सोनी ने भी अपनी विवाहिता साड़ी बाथरूम में उतारकर उसे सहेज कर रख दिया था साड़ी निश्चित ही महंगी थी और सोनी के लिए यादगार भी।

सोनी विकास द्वारा लाई गई पारदर्शी नाइटी में अपनी चूत पर हाथ रखे बिस्तर की तरफ आ रही थी। चेहरे पर शर्म की लाली थी या नग्नता के एहसास की कहना कठिन था परंतु सोनी आज अत्यंत मादक लग रही थी । यदि सोनी अपने हाथ अपनी कुंवारी बुर पर ना रखती तो बुर की दरार निश्चित ही विकास की आंखों के सामने आ जाती। विकास से रहा न गया वह बिस्तर से उठ कर सोनी के पास गया और उसे अपनी बाहों में भर लिया।

सोनी के लगभग नग्न शरीर को अपनी बाहों में लिए विकास बिस्तर पर आ गया और….. तभी कमरे की डोरबेल बजी…

डिंग डांग…

पहले से घबराई सोनी और डर गई उसने अपनी आंखों में कौतूहल लिए अपनी भौंहों सिकोड़ा और फुसफुसाते हुए विकास से पूछा..

*कौन है..?"

विकास का दिमाग खराब हो गया वह गुस्से में आ गया और वहीं से चिल्लाया

कुछ नहीं चाहिए बाद में आना…

परंतु बाहर खड़े व्यक्ति ने एक बार फिर कमरे की डोर बेल बजा दी।

विकास पास पड़े तौलिए को लपेटकर चेहरे पर झल्लाहट लिए …दरवाजे की तरफ गया…और बिस्तर पर लगभग नग्न पड़ी सोनी ने स्वयं को सफेद चादर से ढक लिया….

विकास ने थोड़ा सा दरवाजा खोला.. और बड़ी मुश्किल से अपना सर बाहर निकाल कर बोला

" बोला ना कुछ नहीं चाहिए…"

सामने ट्रेन में दूध लिए वेटर खड़ा था और उसके पीछे उसके तीनो दोस्त जिन्होंने इस विवाह को अंजाम तक पहुंचाने में महती भूमिका अदा की थी…

विकास ने दूध का गिलास उठा लिया और मुस्कुराने लगा। वेटर के जाते ही विकास ने अनुरोध किया भाई "अब अकेला छोड़ दो …."


विकास ने कमरे का दरवाजा बंद किया और एक बार फिर मन में उत्साह लिए सोनी की तरफ बढ़ने लगा जो दरवाजा बंद होने की आवाज से अपना चेहरा चादर से बाहर निकाल चुकी थी।

धमाचौकड़ी होने वाली थी…

आइए नवविवाहिता पति पत्नी को अकेले छोड़ देते हैं और सुगना के पास चलते हैं ..

सुगना और लाली के बच्चे स्कूल जा चुके थे घर में सिर्फ और सिर्फ सूरज तथा छोटी मधु बची हुई थी जो नीचे जमीन पर खेल रही थी।


सुगना सूरज और मधु को देखकर विद्यानंद की बातों में उलझ गई। नियति ने यह कौन सा खेल रचा था। दोनों मासूम बच्चे आने वाले समय न जाने किस पाप की सजा भुगतने वाले थे। सूरज अपनी प्यारी बहन मधु से कैसे संबंध बनाएगा? क्या भाई और बहन के बीच एसे संबंध बनना उचित होगा ? क्या विद्यानंद ने यूं ही गलत बातें कहीं थीं? परंतु विद्यानंद की बातों में सच्चाई अवश्य थी अन्यथा उन्हें कैसे पता होता कि उसका पुत्र व्यभिचार से उत्पन्न हुआ है?

सुगना कभी सूरज के मासूम चेहरे को देखती कभी मधु के। जितनी आत्मीयता से वह एक दूसरे से खेल रहे थे कालांतर में प्यार का रूप बदलना कितना कठिन होगा


भाई बहन के पावन संबंध में वासना का कोई स्थान न था परंतु आने वाले समय में सुगना को यह दुरूह कार्य भी करवाना था। भाई बहन के बीच यह सब कैसे होगा?

अचानक सुगना को लाली के घर से लाई गई किताब की याद आ गई। अपनी अलमारी से वह किताब निकाल लाई जिसे उसने बच्चों और सोनी की निगाह से छुपा कर रखा था। वह बिस्तर पर लेट कर उस किताब को पढ़ने लगी। पन्ने पलटते हुए उसके दिल की धड़कन तेज हो गई जिस कहानी को पढ़ रही थी वह यकीन योग्य न थी पर कौतूहल कायम रखती थी।

कहानी में लिखे अश्लील शब्द सुगना के शांत मन में हलचल मचा रहे थे..

कुछ वाक्यांश कहानी से…

आपा बहुत सुंदर हो एक बार….. सिर्फ एक बार मुझे अपनी चूची दिखा दो…..मैं सिर्फ देखूंगा … कुछ नहीं करूंगा?

नहीं…… यह गलत है मैं तेरी आपा हूं तू अपनी आपा से ऐसे कैसे बात कर सकता है …

आपा बस एक बार …. फिर …..कभी नहीं कहूंगा

झूठ बोलता है तू देखा तो तूने पहले भी है…

नहीं आपा वह तो बस गलती से नहाते हुए देखा था…

छी तू कितना गंदा है..


दीदी इसमें मेरी गलती नहीं ….तुम हो ही इतनी खूबसूरत. मैं तुम्हारा भाई जरूर हूं पर हूं तो एक लड़का ही बस एक बार दिखा दो ना…

ठीक है पर खबरदार जो तूने मुझे छूने की कोशिश की चल दूर हट….

फातिमा रहीम से दूर हट कर अपनी टॉप उतार देती है और रहीम के सामने जन्नत का नजारा पेश कर देती है

सुगना और आगे ना पढ़ पाई उसका कलेजा धक-धक करने लगा। यह कैसे हो सकता है यह तो पाप है उसके दिलो-दिमाग में तरह तरह के ख्याल आने लगे वह अनजाने में ही अपने जहन में सोनू के ख्याल लाने लगी।


उसने अपनी वासना पर विजय पाई और पुस्तक को तुरंत ही बंद कर दिया परंतु उसका शरीर जैसे उसका साथ छोड़ चुका था जांघों के बीच बुर न जाने कब पनिया गई थी। यह असर सोनू का था या उस कहानी के लेखक का यह कहना कठिन था पर सुगना का मन अस्थिर था वह अपने दिलोदिमाग में एक अजब सी उद्वेलना लिए हुए थी।

वासना के विविध रूप होते हैं और हर नया रूप एक अलग किस्म का आकर्षण पैदा करता है अब जब सुगना ने कहानी तक पढ़ ली थी अपनी सांसे काबू में आते ही उसने एक बार फिर पुस्तक उठा ली और कांपते हाथों से पन्ने पलटने लगी…

आगे कहानी में फातिमा रहीम के सामने पूरी तरह नग्न होती है और रहीम उसकी बुर पर अपने हाथ फिराता है। अचानक सुगना को किताब से तीव्र नफरत हो गई। सुगना का सब्र टूट गया उसने किताब दो टुकड़ों में फाड़ दी

"छी हरामजादे कैसी कैसी किताबे लिखते हैं" आज पहली बार सुगना जैसी व्यवहार कुशल मृदुभाषी सुंदरी के मुख से लेखक के प्रति अपशब्द निकले थे। परंतु उसकी पनियाई बुर उसके गुस्से को नजर अंदाज कर रही थी। शुक्र है उसने किताब के दो टुकड़े ही किए थे। नियत मुस्कुरा रही थी और सुगना अपने मन के अंतर्द्वंद से लड़ रहे थी।

सुगना अपनी सांसों पर नियंत्रण पाने का प्रयास कर रही थी और बिस्तर पर एक किनारे पड़ी हुई उस फटी पुस्तक को देख रही थी जो अब दो टुकड़ों में विभक्त तथा उपेक्षित रूप में पड़ी हुई थी.

बच्चों के आगमन की आहट से सुगना को उस वासना के भवसागर से दूर किया और वह दरवाजा खोलने के लिए बढ़ चली.

मालती अपने कंधे पर भारी झोला लटकाए हुए घर के अंदर दाखिल हुई और सीधा सुगना के कमरे में आ गई सुगना को अचानक ध्यान आया कि वह जिल्द वाली किताब अब ही बिस्तर पर ही पड़ी थी। दो टुकड़ों में विभक्त हो जाने के बावजूद भी वह वह बच्चों के हाथ में आने पर असहज स्थिति पैदा कर सकती थी।

सुगना भाग कर गई और उस किताब को उठाकर अलमारी के पीछे फेंक दिया…और चैन की सांस ली।


इधर सुगना मालती के खान पान की व्यवस्था में लग गई उधर सोनी अपनी सुहागरात मना कर घर वापस आ रही थी। आज भी विकास में उसे कॉलोनी के गेट पर छोड़ दिया था। वह थकी मांदी लड़खड़ाते कदमों से सुगना के घर में प्रवेश कर रही थी…

माथे पर लगा सिंदूर न जाने कब विलुप्त हो गया था वह सुहागन बन कर अपनी अस्मिता खोने के पश्चात एक बार फिर कुंवारी हो गई थी। परंतु जांघों के बीच जिस पवित्रता को उसने खोया था वह सोनी ही जानती थी उसका दिल अब भी रह-रहकर अपनी बड़ी हुई धड़कन का एहसास करा रहा था अपनी अस्मिता खोने का डर और मन में चल रहा भूचाल सोनी को अस्थिर किया हुआ था। सुगना एक परिपक्व युवती थी उसने तुरंत ही ताड़ लिया और सोनी से बोली

"का भईल सोनी काहे उदास बाड़े?"


सोनी क्या बोलती वह तेज कदमों से चलते हुए अपने कमरे में आ गई और बिस्तर पर पेट के बल लेट अपने जीवन में आए इस बदलाव को महसूस करने लगी उसने गलत किया था या सही …उसके मन का द्वंद कायम था.

सुगना अपनी बहन को अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी वह पीछे पीछे आ गई और सोनी की पीठ को सहलाते हुए बोली

"का भईल बा अतना काहे उदास बाड़े ?"

"कुछ ना दीदी हम जा तानी नहाए तनी सा चाह पिया दे मिजाज हल्का हो जाई"

सुनना सोनी के लिए चाय बनाने चली गई और सोनी बाथरूम में जाकर अपनी अस्मिता पर लगे दाग को मिटाने का प्रयास करने लगी..


शायद ये इतना आसान न था विकास का रंग जो सोनी के दिलों दिमाग पर चढ़ा था अब वह उसकी चूत में भी अपना अंश छोड़ चुका था विकास का वीर्य कहीं उसे गर्भवती न कर दे यह सोनी की चिंता को और बढ़ा रहा था।

आज का एक और दिन बीत चुका था परंतु आज का दिन बेहद अहम था सुगना के लिए भी और सोनी के लिए भी ।

आज सुगना ने जो पढ़ा था वह यकीन योग्य न था परंतु सुगना को इस बात का विश्वास था कि पुस्तकों में लिखी बातें कहीं ना कहीं सच होती हैं।


क्या सच में कोई युवा मर्द अपनी बड़ी बहन के बारे में ऐसा सोच सकता है? जितना ही इस बारे में सोचती उतना ही उसके ख्यालों में सोनू आता कभी अपनी मासूमियत लिए और कभी अपने पूर्ण मर्दाना रूप में। सुगना के मस्तिष्क पटल पर दृश्य तेजी से घूम रहे थे दिमाग सुगना का दिमाग बार-बार उस दृश्य पर अटक जा रहा था जब सोनू लाली की कमर को पकड़े हुए अपना लंड तेजी से उसकी फूली हुई बुर में आगे पीछे कर रहा था। आंखें बंद किए हुए सोनू का चेहरा ऊपर था। सुगना बार-बार यह सोचती कि सोनू ने अपनी आंखें क्यों बंद कर ली थी।

छी छी छी सोनू ऐसा नहीं सोच सकता। पर वह अपनी कमर की रफ्तार और तेज क्यों कर गया था। जितने जटिल प्रश्न उतने ही जटिल उनके उत्तर । सुगना का दिमाग उत्तर दे पाने में असमर्थ था पर वासना अनुकूल उत्तर खोज लेती है।


सुगना रह रह कर उसी उत्तर पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही थी जो पूर्णता अमर्यादित और पाप की श्रेणी में गिना जाता था। सोनू निश्चित ही ऐसा नहीं सोचता होगा ऐसा सुगना अपने आप को समझा रही थी पर नियति कुछ और चाहती थी। वैसे भी सुगना और सोनू पूरी तरह से भाई-बहन न थे। सोनू पदमा और उसके फौजी पति का पुत्र का वही सुगना सरयू सिंह और पदमा के वासना जन्य संबंधों की देन थी.. माता एक होने के बावजूद दोनों के पिता अलग-अलग थे।

अगले 1 हफ्ते सोनी के लिए हनीमून जैसे रहे हनीमून जैसे रहे वह विकास के साथ दिन भर घूमते और मौका और एकांत देखकर अपनी सलवार उतार चुदने को तैयार हो जाती। दो-तीन बार की च**** में ही सोनी विकास के ल** की हो गई अब व्यस्त हो गई और अपने क्षेत्र वैवाहिक जीवन का आनंद उठाने लगी हनीमून पर जा पाना संभव न था परंतु नियति ने सोनी और विकास को एक मौका दे दिया विकास को लखनऊ पासपोर्ट के कार्य हेतु जाना था उसने सोनी से भी चलने के लिए कहा दोनों ने रणनीति बनाई और सोनी सुगना को मनाने चल पड़ी ।

दीदी हमरा ट्रेनिंग खातिर लखनऊ जाए के बा 2 दिन लागी

"अकेले कैसे जयबे? "

"दुगो और सहेली जाता री सो"


थोड़ी देर समझाने पर सुगना तैयार हो गई और सोनी से बोली

" सोनू के फोन करके बता दे तनी तोरा के स्टेशन पर ले लेवे आ जायी," सुगना की आवाज में अधिकार बोध था आखिर वह सोनू की बड़ी बहन थी।

सोनू का नाम सुनते ही सोनी घबरा गई वह किसी भी हाल में अपने और विकास के संबंधों की जानकारी सोनू को नहीं देना चाहती थी। उसने सुगना की बात पर हामी तो भर दी परंतु मन ही मन यह फैसला कर लिया कि वह सोनू को फोन नहीं करेगी उसे पता था सुगना सोनू से इस बात की तस्दीक नहीं करेंगी बाद में जो होगा देखा जाएगा। जैसे एक झूठ वैसे सौ।

2 दिनों बाद सोनी और विकास लखनऊ जाने के लिए ट्रेन में बैठ चुके थे। सोनी ने सोनू को फोन न किया परंतु विकास वह तो सोनू से अपनी विजय गाथा साझा करने को उतावला था उसने सोनू को अपने आने की सूचना दे दी। सोनू ने भी अपने प्रिय दोस्त के लिए गेस्ट हाउस में उसके रहने की व्यवस्था करा दी थी। और उत्सुकता से विकास और उसकी उस छमिया का इंतजार करने लगा जिसे कल्पना कर उसने भी कई बार अपने लंड का मानमर्दन किया था …..

हर एक दोस्त कमिना होता है यह बात जितनी आज सच है उतनी तब भी थी। सोनू ने विकास और उसकी माशूका के रहने की व्यवस्था तो कर दी थी परंतु अंदर के दृश्य देखने के लिए वह लालायित था उसने विकास के लिए निर्धारित कमरे के बगल में एक कमरा और बुक कर लिया। दोनों कमरों के पीछे वाला भाग कामन था।


सोनू ने अंदर झांकने की व्यवस्था कर ली उसे पता था विकास इस सुंदर कमरे में अपनी माशूका को चोदने का कोई मौका नहीं छोड़ेगा

वैसे भी, खूबसूरत कमरे मिलन को आमंत्रित करते हैं

सोनू प्रफुल्लित मन से अपने दोस्त सोनू और उसकी अनजान माशूका की प्रतीक्षा करने लगा जिसके मादक बदन की कल्पना कर उसने न जाने कितनी बार मुठ मारी थी। सोनू ने अपनी जिस माशूका को अब तक सोनू से छुपा कर रखा था वह उसकी निगाहों के सामने आने वाली थी सोनू अति उत्साहित था।


पर इसे सोनू का सौभाग्य कहे या दुर्भाग्य वह और उसकी माशूका को लेने स्टेशन ना जा पाया। विकास सोनू को स्टेशन पर न पाकर दुखी हो गया। उसने बाहर निकल कर पीसीओ से एक बार फिर सोनू के ट्रेनिंग सेंटर में फोन किया परंतु रिसेप्शन ने उसे या कि अभी क्लासेस चल रही है वह बात नहीं करा सकता आप 5:00 बजे के बाद फोन करिएगा।

दोपहर के 2:00 बज रहे थे और सोनी गेस्ट हाउस के लिए चल पड़े। प्रेम में पहुंचते ही कमरे में पहुंचते ही विकास और सोनी गेस्ट हाउस की खूबसूरती में खो गए।

जैसे ही सोनी नहा कर बाहर आई विकास उस पर टूट पड़ा। कुछ ही देर में सोनी बिस्तर पर अपनी जान से फैलाए लेटी हुई थी और विकास उसकी जांघों के बीच जीभ से उसकी बुर की गहराई नाप रहा था इसलिए कुछ दिनों के संभोग में हर रोज विकास कुछ नया करने की कोशिश करता था और सोनी को खुलकर संभोग सुख का आनंद लेने के लिए प्रेरित करता था।

सोनी सोनी मुखमैथुन की उत्तेजना को झेल पाने में असमर्थ थी वह बार-बार काश कि सर को अपनी ऊपर से दूर धकेल रही थी परंतु विकास मानने को तैयार नाथ आखिर सोनी में दबी आवाज में कहां…

"अरे छोड़ दो जल्दी से कर लो नहीं तो तुम्हारा दोस्त आता ही होगा.."

"अरे वो साला गोली दे गया वो 5:00 बजे से पहले नहीं आएगा साले को आज ही पढ़ाई करनी थी….. "

नियति ने अनजाने में ही विकास के संबोधन को सच कर दिया था…

परंतु सोनू गोलीबाज न था। वह सचमुच अपरिहार्य कारणों बस स्टेशन ना पहुंच पाया परंतु जैसे ही उसे ट्रेनिंग क्लास से छुट्टी मिली वह भागता हुआ गेस्ट हाउस गया अपने दोस्त और उसकी माशूका से मिलने। कमरे के दरवाजे पर पहुंचते ही उसे सोनी की आवाज सुनाई पड़ गई जो विकास को जल्दी करने के लिए कह रही थी.

उत्तेजना धीमे बोलने की वजह से सोनी की आवाज को पहचानना सोनू के बस में ना था वैसे भी उसके दिमाग में सोनी का चेहरा नहीं आ सकता था।

सोनू अंदर कमरे में चल रही गतिविधि का अंदाज लगाने लगा वह भागते हुए अपने कमरे में गया और पीछे की लॉबी में आकर विकास के कमरे में अपनी आंख लगा दिया…


अंदर विकास ने विकास में सोनी के कहने पर उसकी बुर पर से अपने होंठ हटा लिए थे परंतु उसे अपने ऊपर आने के लिए मना लिया था..दृश्य अंदर का दृश्य बेहद उत्तेजक था...




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सोनू की आंखें सोनू की आंखें फटी रह गई..


शेष अगले भाग में..
Writer sahab Soni ki seel Sonu kholta to or uttejak hota or alg see feeling hoti lekin koi nhi ab to ye dekhana h ki vikas ka kya size h or Sonu ka kya size h uttejak banane ke liye Sonu ko chehra na dikhe or rat ko andhere me vikas thak Jaye or Soni ko masti chade or wo garmi me andhere me Sonu se puri tareeke se apna ched bedardi se khulwa le or pani chutne se pehle laight a jaye lekin dono Sonu or Soni jism ki garmi ke karan ruk na paye to kuchh erotic feeling mahsus ho baki writer sahab ko jo uchit lage baki story bahut bdiya h
 

Lovely Anand

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मतलब विकास ने चोदाई तो की लेकिन सही तरीके से सील नही तोड़ पाया अब सोनू खोल के रख दे

सर जी आपने तो हमारा सपना ही तोड़ दिया हमने तो सोचा था कि सोनू सोनी की सील तोड़ेगा लेकिन आपने तो विकास से ही सील तुड़वा दी की ऐसा तो नहीं की विकास से सील ही न टूटी हो सही से विकास के औजार में उतना बड़ा न हो और अब सोनू सही तरीके से सोनू सील खोले
अपने मन की बातें खुलकर कहने के लिए धन्यवाद दरअसल कहानी की मांग सोनू और सोनी का मिलन रोक रही है अभी आग कहीं और धधक रही है नियति पात्रों से न्याय करने की पूरी कोशिश कर रही है और इस कथा जिसमें इंसेस्ट होते हुए भी नहीं है की प्रासंगिकता बनाए रखने का प्रयास कर रही है।
Writing skill and narration of a incest feelings... above imagination. Keep writing sir.
बहुत-बहुत धन्यवाद यूं ही जुड़े रहे और अपने सुझाव देते रहे।
Writer sahab Soni ki seel Sonu kholta to or uttejak hota or alg see feeling hoti lekin koi nhi ab to ye dekhana h ki vikas ka kya size h or Sonu ka kya size h uttejak banane ke liye Sonu ko chehra na dikhe or rat ko andhere me vikas thak Jaye or Soni ko masti chade or wo garmi me andhere me Sonu se puri tareeke se apna ched bedardi se khulwa le or pani chutne se pehle laight a jaye lekin dono Sonu or Soni jism ki garmi ke karan ruk na paye to kuchh erotic feeling mahsus ho baki writer sahab ko jo uchit lage baki story bahut bdiya h
अपने मन की बातें खुलकर कहने के लिए धन्यवाद दरअसल कहानी की मांग सोनू और सोनी का मिलन रोक रही है अभी आग कहीं और धधक रही है नियति पात्रों से न्याय करने की पूरी कोशिश कर रही है और इस कथा जिसमें इंसेस्ट होते हुए भी नहीं है की प्रासंगिकता बनाए रखने का प्रयास कर रही है
फिर भी फिर भी आपकी मांग को कहानी में समायोजित करने का पूरा प्रयास करूंगा
 
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Lovely Anand

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मतलब विकास ने चोदाई तो की लेकिन सही तरीके से सील नही तोड़ पाया अब सोनू खोल के रख दे

सर जी आपने तो हमारा सपना ही तोड़ दिया हमने तो सोचा था कि सोनू सोनी की सील तोड़ेगा लेकिन आपने तो विकास से ही सील तुड़वा दी की ऐसा तो नहीं की विकास से सील ही न टूटी हो सही से विकास के औजार में उतना बड़ा न हो और अब सोनू सही तरीके से सोनू सील खोले
अपने मन की बातें खुलकर कहने के लिए धन्यवाद दरअसल कहानी की मांग सोनू और सोनी का मिलन रोक रही है अभी आग कहीं और धधक रही है नियति पात्रों से न्याय करने की पूरी कोशिश कर रही है और इस कथा जिसमें इंसेस्ट होते हुए भी नहीं है की प्रासंगिकता बनाए रखने का प्रयास कर रही है
Writing skill and narration of a incest feelings... above imagination. Keep writing sir.

Writer sahab Soni ki seel Sonu kholta to or uttejak hota or alg see feeling hoti lekin koi nhi ab to ye dekhana h ki vikas ka kya size h or Sonu ka kya size h uttejak banane ke liye Sonu ko chehra na dikhe or rat ko andhere me vikas thak Jaye or Soni ko masti chade or wo garmi me andhere me Sonu se puri tareeke se apna ched bedardi se khulwa le or pani chutne se pehle laight a jaye lekin dono Sonu or Soni jism ki garmi ke karan ruk na paye to kuchh erotic feeling mahsus ho baki writer sahab ko jo uchit lage baki story bahut bdiya h
अपने मन की बातें खुलकर कहने के लिए धन्यवाद दरअसल कहानी की मांग सोनू और सोनी का मिलन रोक रही है अभी आग कहीं और धधक रही है नियति पात्रों से न्याय करने की पूरी कोशिश कर रही है और इस कथा जिसमें इंसेस्ट होते हुए भी नहीं है की प्रासंगिकता बनाए रखने का प्रयास कर रही है
Wow what a nice update and pic Sir
धन्यवाद जी।
 

Royal boy034

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भाग -76
नियति का खेल तो देखिए जिस कमरे में विकास के दोस्तों ने उसके सुहागरात की व्यवस्था की थी यह वही कमरा था जिसने मनोरमा मैडम रुकी थी और उसी कमरे में सोनी की बहन सुगना को चोदते और सुगना के अपवित्र छेद का उद्घाटन कर अपने व्यभिचार को पराकाष्ठा तक ले जाते ले जाते सरयू सिंह बेहोश हो गए थे…।

वह कमरा सुगना के परिवार के लिए शुभ है या अशुभ यह कहना कठिन था पर सोनी उसी कमरे में धड़कते हृदय के साथ प्रवेश कर रही थी।

जैसे ही सोनी बाथरूम में फ्रेश होने के लिए गई बिस्तर पर लेटे विकास में सोनू के ट्रेनिंग हॉस्टल में फोन लगा दिया…


अब आगे…


हेलो….मधुबन हॉस्टल….

जी कहिए…

जरा सोनू को बुला दीजिए….

कौन सोनू….

माफ कीजिएगा मैं संग्राम सिंह की बात कर रहा हूं…

विकास को अपनी गलती का एहसास हुआ

आप कौन?

उनका दोस्त विकास..

ठीक है लाइन पे रहिए..

छोटू जा संग्राम सर को बुला ला…कहना किसी विकास का फोन है….

विकास के कानों में यह आवाज धीमी सुनाई पड़ी शायद फोन उठाने वाले ने रिसीवर दूर कर दिया था…

कुछ देर इंतजार के बाद विकास के कानों में छी

चिरपरिचित आवाज सुनाई पड़ी…

अरे विकास …क्या हाल है …?

भाई तेरी सलाह काम आई मैंने अपनी छमिया से आज विवाह कर लिया है…..

अरे वाह क्या बात है ….अभी तू कहां है..

रेडिएंट होटल में….

विकास ने आज दिन भर के हुए घटनाक्रम को संक्षेप में सोनू को बता दिया…

अभी कहां है मेरी भाभी…सोनू ने मुस्कुराते हुए पूछा

अंदर शायद नहा रही है..

यार तू तो छुपा रुस्तम निकला मैंने तो यूं ही सलाह दी थी तू तो सच में छमिया को बिस्तर पर खींच लाया..

विकास मुस्कुरा रहा था और अपनी विजय पर प्रफुल्लित हो रहा था..

चल अब रखता हूं लगता है आने वाली है…

जी भर कर चोदना.. और हां पहली बार है जरा संभाल के…कोई ऊंच-नीच हो गई तो तेरा गंधर्व विवाह लोड़े लग जाएगा….

हां भाई हां तू तो ऐसे सलाह दे रहा है जैसे वह तेरी बहन हो…

सोनू को विकास की यह बात अच्छी ना लगी..

"जा भाई तू पटक कर चोद उसको मुझे क्या लेना देना.".

सोनू में फोन रख दिया…

सोनू विकास की किस्मत पर नाज कर रहा था अमीर बाप का लड़का अमेरिका में पढ़ने जा रहा था और उसने अपनी माशूका से विवाह कर आज उसे अपने बिस्तर पर खींच लाया था .. सोनू ने एक लंबी सांस भरी और अपने कमरे की तरफ चल पड़ा। बिस्तर पर लेट अपने पूरी तरह तन चुके लंड को व्यवस्थित करते हुए सोनू के मन के उस अनजान नायिका की चूदाई के दृश्य घूमने लगे.

सोनू के दिमाग में विकास द्वारा उद्धृत की गई उसकी छमिया की कामुक तस्वीर अवश्य थी परंतु आज तक वह उससे मिला न था। वह बार-बार विकास से जिद करता परंतु विकास उसे किसी न किसी बहाने से टाल देता था उसे बार-बार यह डर सताता कि कहीं उसकी छमिया सोनू के साथ नजदीकी न बढ़ाने लगे। विकास यह बात भली-भांति जानता था की सोनू हर मायने में उससे बीस था।

जैसे यह विवाह निराला था वैसे ही सुहागरात की रस्में न दूध न वो फूल मालाओं की सजावट बस चंद फूल बिस्तर पर बिखरे पड़े थे न सहेलियां न दूल्हे के साथी सब कुछ आनन-फानन में आयोजित किया प्रतीत हो रहा था।

सोनी ने भी अपनी विवाहिता साड़ी बाथरूम में उतारकर उसे सहेज कर रख दिया था साड़ी निश्चित ही महंगी थी और सोनी के लिए यादगार भी।

सोनी विकास द्वारा लाई गई पारदर्शी नाइटी में अपनी चूत पर हाथ रखे बिस्तर की तरफ आ रही थी। चेहरे पर शर्म की लाली थी या नग्नता के एहसास की कहना कठिन था परंतु सोनी आज अत्यंत मादक लग रही थी । यदि सोनी अपने हाथ अपनी कुंवारी बुर पर ना रखती तो बुर की दरार निश्चित ही विकास की आंखों के सामने आ जाती। विकास से रहा न गया वह बिस्तर से उठ कर सोनी के पास गया और उसे अपनी बाहों में भर लिया।

सोनी के लगभग नग्न शरीर को अपनी बाहों में लिए विकास बिस्तर पर आ गया और….. तभी कमरे की डोरबेल बजी…

डिंग डांग…

पहले से घबराई सोनी और डर गई उसने अपनी आंखों में कौतूहल लिए अपनी भौंहों सिकोड़ा और फुसफुसाते हुए विकास से पूछा..

*कौन है..?"

विकास का दिमाग खराब हो गया वह गुस्से में आ गया और वहीं से चिल्लाया

कुछ नहीं चाहिए बाद में आना…

परंतु बाहर खड़े व्यक्ति ने एक बार फिर कमरे की डोर बेल बजा दी।

विकास पास पड़े तौलिए को लपेटकर चेहरे पर झल्लाहट लिए …दरवाजे की तरफ गया…और बिस्तर पर लगभग नग्न पड़ी सोनी ने स्वयं को सफेद चादर से ढक लिया….

विकास ने थोड़ा सा दरवाजा खोला.. और बड़ी मुश्किल से अपना सर बाहर निकाल कर बोला

" बोला ना कुछ नहीं चाहिए…"

सामने ट्रेन में दूध लिए वेटर खड़ा था और उसके पीछे उसके तीनो दोस्त जिन्होंने इस विवाह को अंजाम तक पहुंचाने में महती भूमिका अदा की थी…

विकास ने दूध का गिलास उठा लिया और मुस्कुराने लगा। वेटर के जाते ही विकास ने अनुरोध किया भाई "अब अकेला छोड़ दो …."


विकास ने कमरे का दरवाजा बंद किया और एक बार फिर मन में उत्साह लिए सोनी की तरफ बढ़ने लगा जो दरवाजा बंद होने की आवाज से अपना चेहरा चादर से बाहर निकाल चुकी थी।

धमाचौकड़ी होने वाली थी…

आइए नवविवाहिता पति पत्नी को अकेले छोड़ देते हैं और सुगना के पास चलते हैं ..

सुगना और लाली के बच्चे स्कूल जा चुके थे घर में सिर्फ और सिर्फ सूरज तथा छोटी मधु बची हुई थी जो नीचे जमीन पर खेल रही थी।


सुगना सूरज और मधु को देखकर विद्यानंद की बातों में उलझ गई। नियति ने यह कौन सा खेल रचा था। दोनों मासूम बच्चे आने वाले समय न जाने किस पाप की सजा भुगतने वाले थे। सूरज अपनी प्यारी बहन मधु से कैसे संबंध बनाएगा? क्या भाई और बहन के बीच एसे संबंध बनना उचित होगा ? क्या विद्यानंद ने यूं ही गलत बातें कहीं थीं? परंतु विद्यानंद की बातों में सच्चाई अवश्य थी अन्यथा उन्हें कैसे पता होता कि उसका पुत्र व्यभिचार से उत्पन्न हुआ है?

सुगना कभी सूरज के मासूम चेहरे को देखती कभी मधु के। जितनी आत्मीयता से वह एक दूसरे से खेल रहे थे कालांतर में प्यार का रूप बदलना कितना कठिन होगा


भाई बहन के पावन संबंध में वासना का कोई स्थान न था परंतु आने वाले समय में सुगना को यह दुरूह कार्य भी करवाना था। भाई बहन के बीच यह सब कैसे होगा?

अचानक सुगना को लाली के घर से लाई गई किताब की याद आ गई। अपनी अलमारी से वह किताब निकाल लाई जिसे उसने बच्चों और सोनी की निगाह से छुपा कर रखा था। वह बिस्तर पर लेट कर उस किताब को पढ़ने लगी। पन्ने पलटते हुए उसके दिल की धड़कन तेज हो गई जिस कहानी को पढ़ रही थी वह यकीन योग्य न थी पर कौतूहल कायम रखती थी।

कहानी में लिखे अश्लील शब्द सुगना के शांत मन में हलचल मचा रहे थे..

कुछ वाक्यांश कहानी से…

आपा बहुत सुंदर हो एक बार….. सिर्फ एक बार मुझे अपनी चूची दिखा दो…..मैं सिर्फ देखूंगा … कुछ नहीं करूंगा?

नहीं…… यह गलत है मैं तेरी आपा हूं तू अपनी आपा से ऐसे कैसे बात कर सकता है …

आपा बस एक बार …. फिर …..कभी नहीं कहूंगा

झूठ बोलता है तू देखा तो तूने पहले भी है…

नहीं आपा वह तो बस गलती से नहाते हुए देखा था…

छी तू कितना गंदा है..


दीदी इसमें मेरी गलती नहीं ….तुम हो ही इतनी खूबसूरत. मैं तुम्हारा भाई जरूर हूं पर हूं तो एक लड़का ही बस एक बार दिखा दो ना…

ठीक है पर खबरदार जो तूने मुझे छूने की कोशिश की चल दूर हट….

फातिमा रहीम से दूर हट कर अपनी टॉप उतार देती है और रहीम के सामने जन्नत का नजारा पेश कर देती है

सुगना और आगे ना पढ़ पाई उसका कलेजा धक-धक करने लगा। यह कैसे हो सकता है यह तो पाप है उसके दिलो-दिमाग में तरह तरह के ख्याल आने लगे वह अनजाने में ही अपने जहन में सोनू के ख्याल लाने लगी।


उसने अपनी वासना पर विजय पाई और पुस्तक को तुरंत ही बंद कर दिया परंतु उसका शरीर जैसे उसका साथ छोड़ चुका था जांघों के बीच बुर न जाने कब पनिया गई थी। यह असर सोनू का था या उस कहानी के लेखक का यह कहना कठिन था पर सुगना का मन अस्थिर था वह अपने दिलोदिमाग में एक अजब सी उद्वेलना लिए हुए थी।

वासना के विविध रूप होते हैं और हर नया रूप एक अलग किस्म का आकर्षण पैदा करता है अब जब सुगना ने कहानी तक पढ़ ली थी अपनी सांसे काबू में आते ही उसने एक बार फिर पुस्तक उठा ली और कांपते हाथों से पन्ने पलटने लगी…

आगे कहानी में फातिमा रहीम के सामने पूरी तरह नग्न होती है और रहीम उसकी बुर पर अपने हाथ फिराता है। अचानक सुगना को किताब से तीव्र नफरत हो गई। सुगना का सब्र टूट गया उसने किताब दो टुकड़ों में फाड़ दी

"छी हरामजादे कैसी कैसी किताबे लिखते हैं" आज पहली बार सुगना जैसी व्यवहार कुशल मृदुभाषी सुंदरी के मुख से लेखक के प्रति अपशब्द निकले थे। परंतु उसकी पनियाई बुर उसके गुस्से को नजर अंदाज कर रही थी। शुक्र है उसने किताब के दो टुकड़े ही किए थे। नियत मुस्कुरा रही थी और सुगना अपने मन के अंतर्द्वंद से लड़ रहे थी।

सुगना अपनी सांसों पर नियंत्रण पाने का प्रयास कर रही थी और बिस्तर पर एक किनारे पड़ी हुई उस फटी पुस्तक को देख रही थी जो अब दो टुकड़ों में विभक्त तथा उपेक्षित रूप में पड़ी हुई थी.

बच्चों के आगमन की आहट से सुगना को उस वासना के भवसागर से दूर किया और वह दरवाजा खोलने के लिए बढ़ चली.

मालती अपने कंधे पर भारी झोला लटकाए हुए घर के अंदर दाखिल हुई और सीधा सुगना के कमरे में आ गई सुगना को अचानक ध्यान आया कि वह जिल्द वाली किताब अब ही बिस्तर पर ही पड़ी थी। दो टुकड़ों में विभक्त हो जाने के बावजूद भी वह वह बच्चों के हाथ में आने पर असहज स्थिति पैदा कर सकती थी।

सुगना भाग कर गई और उस किताब को उठाकर अलमारी के पीछे फेंक दिया…और चैन की सांस ली।


इधर सुगना मालती के खान पान की व्यवस्था में लग गई उधर सोनी अपनी सुहागरात मना कर घर वापस आ रही थी। आज भी विकास में उसे कॉलोनी के गेट पर छोड़ दिया था। वह थकी मांदी लड़खड़ाते कदमों से सुगना के घर में प्रवेश कर रही थी…

माथे पर लगा सिंदूर न जाने कब विलुप्त हो गया था वह सुहागन बन कर अपनी अस्मिता खोने के पश्चात एक बार फिर कुंवारी हो गई थी। परंतु जांघों के बीच जिस पवित्रता को उसने खोया था वह सोनी ही जानती थी उसका दिल अब भी रह-रहकर अपनी बड़ी हुई धड़कन का एहसास करा रहा था अपनी अस्मिता खोने का डर और मन में चल रहा भूचाल सोनी को अस्थिर किया हुआ था। सुगना एक परिपक्व युवती थी उसने तुरंत ही ताड़ लिया और सोनी से बोली

"का भईल सोनी काहे उदास बाड़े?"


सोनी क्या बोलती वह तेज कदमों से चलते हुए अपने कमरे में आ गई और बिस्तर पर पेट के बल लेट अपने जीवन में आए इस बदलाव को महसूस करने लगी उसने गलत किया था या सही …उसके मन का द्वंद कायम था.

सुगना अपनी बहन को अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी वह पीछे पीछे आ गई और सोनी की पीठ को सहलाते हुए बोली

"का भईल बा अतना काहे उदास बाड़े ?"

"कुछ ना दीदी हम जा तानी नहाए तनी सा चाह पिया दे मिजाज हल्का हो जाई"

सुनना सोनी के लिए चाय बनाने चली गई और सोनी बाथरूम में जाकर अपनी अस्मिता पर लगे दाग को मिटाने का प्रयास करने लगी..


शायद ये इतना आसान न था विकास का रंग जो सोनी के दिलों दिमाग पर चढ़ा था अब वह उसकी चूत में भी अपना अंश छोड़ चुका था विकास का वीर्य कहीं उसे गर्भवती न कर दे यह सोनी की चिंता को और बढ़ा रहा था।

आज का एक और दिन बीत चुका था परंतु आज का दिन बेहद अहम था सुगना के लिए भी और सोनी के लिए भी ।

आज सुगना ने जो पढ़ा था वह यकीन योग्य न था परंतु सुगना को इस बात का विश्वास था कि पुस्तकों में लिखी बातें कहीं ना कहीं सच होती हैं।


क्या सच में कोई युवा मर्द अपनी बड़ी बहन के बारे में ऐसा सोच सकता है? जितना ही इस बारे में सोचती उतना ही उसके ख्यालों में सोनू आता कभी अपनी मासूमियत लिए और कभी अपने पूर्ण मर्दाना रूप में। सुगना के मस्तिष्क पटल पर दृश्य तेजी से घूम रहे थे दिमाग सुगना का दिमाग बार-बार उस दृश्य पर अटक जा रहा था जब सोनू लाली की कमर को पकड़े हुए अपना लंड तेजी से उसकी फूली हुई बुर में आगे पीछे कर रहा था। आंखें बंद किए हुए सोनू का चेहरा ऊपर था। सुगना बार-बार यह सोचती कि सोनू ने अपनी आंखें क्यों बंद कर ली थी।

छी छी छी सोनू ऐसा नहीं सोच सकता। पर वह अपनी कमर की रफ्तार और तेज क्यों कर गया था। जितने जटिल प्रश्न उतने ही जटिल उनके उत्तर । सुगना का दिमाग उत्तर दे पाने में असमर्थ था पर वासना अनुकूल उत्तर खोज लेती है।


सुगना रह रह कर उसी उत्तर पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही थी जो पूर्णता अमर्यादित और पाप की श्रेणी में गिना जाता था। सोनू निश्चित ही ऐसा नहीं सोचता होगा ऐसा सुगना अपने आप को समझा रही थी पर नियति कुछ और चाहती थी। वैसे भी सुगना और सोनू पूरी तरह से भाई-बहन न थे। सोनू पदमा और उसके फौजी पति का पुत्र का वही सुगना सरयू सिंह और पदमा के वासना जन्य संबंधों की देन थी.. माता एक होने के बावजूद दोनों के पिता अलग-अलग थे।

अगले 1 हफ्ते सोनी के लिए हनीमून जैसे रहे हनीमून जैसे रहे वह विकास के साथ दिन भर घूमते और मौका और एकांत देखकर अपनी सलवार उतार चुदने को तैयार हो जाती। दो-तीन बार की च**** में ही सोनी विकास के ल** की हो गई अब व्यस्त हो गई और अपने क्षेत्र वैवाहिक जीवन का आनंद उठाने लगी हनीमून पर जा पाना संभव न था परंतु नियति ने सोनी और विकास को एक मौका दे दिया विकास को लखनऊ पासपोर्ट के कार्य हेतु जाना था उसने सोनी से भी चलने के लिए कहा दोनों ने रणनीति बनाई और सोनी सुगना को मनाने चल पड़ी ।

दीदी हमरा ट्रेनिंग खातिर लखनऊ जाए के बा 2 दिन लागी

"अकेले कैसे जयबे? "

"दुगो और सहेली जाता री सो"


थोड़ी देर समझाने पर सुगना तैयार हो गई और सोनी से बोली

" सोनू के फोन करके बता दे तनी तोरा के स्टेशन पर ले लेवे आ जायी," सुगना की आवाज में अधिकार बोध था आखिर वह सोनू की बड़ी बहन थी।

सोनू का नाम सुनते ही सोनी घबरा गई वह किसी भी हाल में अपने और विकास के संबंधों की जानकारी सोनू को नहीं देना चाहती थी। उसने सुगना की बात पर हामी तो भर दी परंतु मन ही मन यह फैसला कर लिया कि वह सोनू को फोन नहीं करेगी उसे पता था सुगना सोनू से इस बात की तस्दीक नहीं करेंगी बाद में जो होगा देखा जाएगा। जैसे एक झूठ वैसे सौ।

2 दिनों बाद सोनी और विकास लखनऊ जाने के लिए ट्रेन में बैठ चुके थे। सोनी ने सोनू को फोन न किया परंतु विकास वह तो सोनू से अपनी विजय गाथा साझा करने को उतावला था उसने सोनू को अपने आने की सूचना दे दी। सोनू ने भी अपने प्रिय दोस्त के लिए गेस्ट हाउस में उसके रहने की व्यवस्था करा दी थी। और उत्सुकता से विकास और उसकी उस छमिया का इंतजार करने लगा जिसे कल्पना कर उसने भी कई बार अपने लंड का मानमर्दन किया था …..

हर एक दोस्त कमिना होता है यह बात जितनी आज सच है उतनी तब भी थी। सोनू ने विकास और उसकी माशूका के रहने की व्यवस्था तो कर दी थी परंतु अंदर के दृश्य देखने के लिए वह लालायित था उसने विकास के लिए निर्धारित कमरे के बगल में एक कमरा और बुक कर लिया। दोनों कमरों के पीछे वाला भाग कामन था।


सोनू ने अंदर झांकने की व्यवस्था कर ली उसे पता था विकास इस सुंदर कमरे में अपनी माशूका को चोदने का कोई मौका नहीं छोड़ेगा

वैसे भी, खूबसूरत कमरे मिलन को आमंत्रित करते हैं

सोनू प्रफुल्लित मन से अपने दोस्त सोनू और उसकी अनजान माशूका की प्रतीक्षा करने लगा जिसके मादक बदन की कल्पना कर उसने न जाने कितनी बार मुठ मारी थी। सोनू ने अपनी जिस माशूका को अब तक सोनू से छुपा कर रखा था वह उसकी निगाहों के सामने आने वाली थी सोनू अति उत्साहित था।


पर इसे सोनू का सौभाग्य कहे या दुर्भाग्य वह और उसकी माशूका को लेने स्टेशन ना जा पाया। विकास सोनू को स्टेशन पर न पाकर दुखी हो गया। उसने बाहर निकल कर पीसीओ से एक बार फिर सोनू के ट्रेनिंग सेंटर में फोन किया परंतु रिसेप्शन ने उसे या कि अभी क्लासेस चल रही है वह बात नहीं करा सकता आप 5:00 बजे के बाद फोन करिएगा।

दोपहर के 2:00 बज रहे थे और सोनी गेस्ट हाउस के लिए चल पड़े। प्रेम में पहुंचते ही कमरे में पहुंचते ही विकास और सोनी गेस्ट हाउस की खूबसूरती में खो गए।

जैसे ही सोनी नहा कर बाहर आई विकास उस पर टूट पड़ा। कुछ ही देर में सोनी बिस्तर पर अपनी जान से फैलाए लेटी हुई थी और विकास उसकी जांघों के बीच जीभ से उसकी बुर की गहराई नाप रहा था इसलिए कुछ दिनों के संभोग में हर रोज विकास कुछ नया करने की कोशिश करता था और सोनी को खुलकर संभोग सुख का आनंद लेने के लिए प्रेरित करता था।

सोनी सोनी मुखमैथुन की उत्तेजना को झेल पाने में असमर्थ थी वह बार-बार काश कि सर को अपनी ऊपर से दूर धकेल रही थी परंतु विकास मानने को तैयार नाथ आखिर सोनी में दबी आवाज में कहां…

"अरे छोड़ दो जल्दी से कर लो नहीं तो तुम्हारा दोस्त आता ही होगा.."

"अरे वो साला गोली दे गया वो 5:00 बजे से पहले नहीं आएगा साले को आज ही पढ़ाई करनी थी….. "

नियति ने अनजाने में ही विकास के संबोधन को सच कर दिया था…

परंतु सोनू गोलीबाज न था। वह सचमुच अपरिहार्य कारणों बस स्टेशन ना पहुंच पाया परंतु जैसे ही उसे ट्रेनिंग क्लास से छुट्टी मिली वह भागता हुआ गेस्ट हाउस गया अपने दोस्त और उसकी माशूका से मिलने। कमरे के दरवाजे पर पहुंचते ही उसे सोनी की आवाज सुनाई पड़ गई जो विकास को जल्दी करने के लिए कह रही थी.

उत्तेजना धीमे बोलने की वजह से सोनी की आवाज को पहचानना सोनू के बस में ना था वैसे भी उसके दिमाग में सोनी का चेहरा नहीं आ सकता था।

सोनू अंदर कमरे में चल रही गतिविधि का अंदाज लगाने लगा वह भागते हुए अपने कमरे में गया और पीछे की लॉबी में आकर विकास के कमरे में अपनी आंख लगा दिया…


अंदर विकास ने विकास में सोनी के कहने पर उसकी बुर पर से अपने होंठ हटा लिए थे परंतु उसे अपने ऊपर आने के लिए मना लिया था..दृश्य अंदर का दृश्य बेहद उत्तेजक था...




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सोनू की आंखें सोनू की आंखें फटी रह गई..


शेष अगले भाग में..
सोनू की नजरे मर गयी होगी ऐशा नजारा देख कर
 

Lutgaya

Well-Known Member
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लवली भाई आप की सोच को पकडना नामुमकिन है।
सोनू सुगना संबधों की दास्तान लिखने के लिए पटल तैयार किया जा रहा है या सिर्फ चाशनी चटाकर ही दूर से रसगुल्लो के लिए तडपाया जायेगा।
 

Lovely Anand

Love is life
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Nice update
Thanks
कहानी में गजब ट्विस्ट ले आते हैं लेखक महोदय।
Jab pasand nahi aaye to bataiyega...
लवली भाई आप की सोच को पकडना नामुमकिन है।
सोनू सुगना संबधों की दास्तान लिखने के लिए पटल तैयार किया जा रहा है या सिर्फ चाशनी चटाकर ही दूर से रसगुल्लो के लिए तडपाया जायेगा।
Sonu aur sugna aaj kal yahi chal raha hai...
Dekhiye kya hota hai...
 
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