• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest आह..तनी धीरे से.....दुखाता.

whether this story to be continued?

  • yes

    Votes: 41 97.6%
  • no

    Votes: 1 2.4%

  • Total voters
    42

Lovely Anand

Love is life
1,320
6,477
144
आह ....तनी धीरे से ...दुखाता
(Exclysively for Xforum)
यह उपन्यास एक ग्रामीण युवती सुगना के जीवन के बारे में है जोअपने परिवार में पनप रहे कामुक संबंधों को रोकना तो दूर उसमें शामिल होती गई। नियति के रचे इस खेल में सुगना अपने परिवार में ही कामुक और अनुचित संबंधों को बढ़ावा देती रही, उसकी क्या मजबूरी थी? क्या उसके कदम अनुचित थे? क्या वह गलत थी? यह प्रश्न पाठक उपन्यास को पढ़कर ही बता सकते हैं। उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।

इस उपन्यास में इंसेस्ट एक संयोग है।
अनुक्रमणिका
Smart-Select-20210324-171448-Chrome
भाग 126 (मध्यांतर)
 
Last edited:

Tarahb

Member
156
332
63
अद्भुद बेहतरीन लेखन, जितनी तारीफ़ की जाए उतनी कम। सच कहूं तो आपकी इस कहानी का बेसब्री से इंतजार रहता है मुझे। मैं भी पेशे से एक अकेडमिक लेखक हूं मेरी 4 books पब्लिश हो चुकी हैं और 5th लिख रहा हूं। आपकी लेखनी से लिखे शब्दों की माला को पढ़कर लगता है आप भी अच्छे लेखक हैं। आगे देखना होगा कि क्या तीनों बहने एकसाथ कब सोनू और विकास के साथ हमबिस्तर होती हैं। काश इसी होटल के कमरे में सबका मिलन हो तो बेहतर होगा।

और हां एक बार एसडीएम मैडम की chudai भी बीच में पढ़ने को मिल जाय तो सोने पे सुहागा।

आपसे हाथ जोड़कर निवेदन रहेगा की जो कमी मैं कहानी में महसूस कर रहा हूं वो पहले नही थी लेकिन अब शायद आप भूल रहे हैं वो ये की बीच बीच में पिक्चर ऐड कर देते तो कहानी में सितारे लग जाएंगे तो पिक्चर कुछ और use कर लेते हैं तो हमारी मनोकामना पूर्ण हो सकती है।

बाकी सारे चित्रण बेस्ट हैं।

आपका शुक्रिया ऐसी कहानी लिखने के लिए
 

Tarahb

Member
156
332
63
भाग 77
सोनू अंदर कमरे में चल रही गतिविधि का अंदाज लगाने लगा वह भागते हुए अपने कमरे में गया और पीछे की लॉबी में आकर विकास के कमरे में अपनी आंख लगा दिया…

अंदर विकास ने विकास में सोनी के कहने पर उसकी बुर पर से अपने होंठ हटा लिए थे परंतु उसे अपने ऊपर आने के लिए मना लिया था..दृश्य अंदर का दृश्य बेहद उत्तेजक था...

सोनू की आंखें सोनू की आंखें फटी रह गई..


अब आगे...

सोनू उस मदमस्त सुंदरी को विकास के लंड पर उछलते देख कर मदहोश हो गया। ऐसे दृश्य उसने गंदी किताबों में ही देखे थे परंतु आज अपनी खुली आंखों से देख रहा था।

लड़की बेशक माल थी। नितंब कसाव लिए हुए थे पतली कमर पर सजे नितंब और उसके बीच की वह गहरी घाटी ……सोनू की उत्तेजना अचानक चरम पर पहुंच गईं। जब वह लड़की अपनी कमर उपर करती विकास का छोटा काला लंड निकलकर बाहर आता और कुछ ही देर में वह लड़की उसे अपने भीतर स्वयं समाहित कर लेती। गुलाबी बुर में काले लंड का आना जाना सोनू को बेहद उत्तेजित कर रहा था…विकास की किस्मत से उसे अचानक जलन होने लगी।


उसके मन में उस सुंदर बुर में अपना लंड डालने की चाहत प्रबल हो उठी। इधर मन में चाहत जगी उधर लंड विद्रोह पर उतारू हो गया। यदि सोनू के हाथ लंड तक न पहुंचते तो निश्चित ही वह लगातार उछल रहा होता।

सोनू आंखें गड़ाए अंदर के दृश्य देखता रहा और अनजाने में अपनी ही छोटी बहन के नंगे मादक जिस्म का आनंद लेता रहा। अपने खुले बालों को अपनी पीठ पर लहराती सोनी लगातार विकास के लंड पर उछल रही थी और उसका भाई सोनू उसकी बुर को देख देख कर अपना लंड हिला रहा था।

जैसे-जैसे उस सोनी की उत्तेजना बढ़ती गई उसकी कमर की रफ्तार बढ़ती गई। विकास लगातार सोनी की चुचियों को मसल रहा था वह बार-बार अपना सर उठा कर उसकी चुचियों को मुंह में भरने का प्रयास करता।

सोनी कभी आगे झुक कर अपनी चूचियां विकास के मुंह में दे देती और कभी अपनी पीठ को उठा कर विकास के मुंह से अपने निप्पलों को बाहर खींच लेती। विकास अपनी दोनों हथेलियों से उसके नितंबों को पकड़ कर अपने लंड पर व्यवस्थित कर रहा था ताकि वह सोनी के उछलने का पूरा आनंद ले सकें।

विकास की मध्यमा उंगली बार-बार सोनी की गांड को छूने का प्रयास करती कभी तो सोनी उस उत्तेजक स्पर्श से अपनी कमर और हिलाती और कभी अपने हाथ पीछे कर विकास को ऐसा करने से रोकती। प्रेम रथ को नियंत्रित करने के कई कई कंट्रोल उपलब्ध थे.. विकास सोनी के कामुक अंगो को तरह तरह से छूकर सोनी को शीघ्र स्खलित करना चाहता था उसे सोनी को स्खलित और परास्त कर उसे चोदना बेहद पसंद आता था वह उसके बाद अपनी मनमर्जी के आसन लगाता और सोनी के कामुक बदन का समुचित उपयोग करते अपना वीर्य स्खलन पूर्ण करता।


सोनू अपनी ही बहन सोने के कामुक बदन का रसपान लेते हुए अपना लंड हिला रहा था ….सोनू सोच रहा था….क्या गजब माल है …. विकास तो साला बाजी मार ले गया. सोनू ने मन ही मन फैसला कर लिया हो ना हो वह भी इस छमिया को चोदेगा जरूर।

आखिर जो लड़की यूं ही गंधर्व विवाह कर इस तरह चुद रही हो वह निश्चित की वफादार और संस्कारी ना होगी। मन में बुर की कोमल गहराइयों को महसूस करते हुए लिए सोनू अपने लंड को तेजी से आगे पीछे करता रहा..और उसका लंड लावा उगलने को तैयार हो गया…

इसी बीच विकास में सोनी को अपने ऊपर खींच लिया तथा तेजी से अपने लंड को तेजी से आगे पीछे करने लगा।

सोनी विकास के सीने पर सुस्त पड़ी हुई थी और अपनी गांड सिकोड़ रही थी। गांड का छोटा सा छेद कभी सिकुड़ता कभी फैलता। सिर्फ और सिर्फ नितंबों में हरकत हो रही थी और सोनी का शरीर पुरा निढाल पड़ा हुआ था। ऐसा लग रहा था जैसे वह चरमोत्कर्ष का आनंद ले रही थी..। विकास की हथेलियों में उसके कोमल नितंबों को पूरी तरह जकड़ा हुआ था..

उत्तेजक दृश्य को देखकर सोनू स्वयं पर और नियंत्रण न रख पाया और अपने लंड को और तेजी से हिलाने लगा। वह मन ही मन स्खलन के लिए तैयार हो चुका था।

उधर विकास ने उस लड़की को अपने सीने से उतार पीठ के बल लिटा दिया और उसकी जांघें फैला दी.. सोनी की चुदी हुई बुर विकास की निगाहों में आ गईं। बुर जैसे मुंह खोले सोनू के लंड का इंतजार कर रही थी। यह भावना इतनी प्रबल थी कि उसने सोनू के लंड को स्खलन पर मजबूर कर दिया… वीर्य की धार फूट पड़ी ठीक उसी समय विकास लड़की की जांघों के बीच से हट गया और उसका सोनू को सोनी का चेहरा दिखाई पड़ गया।


सोनी को देख सोनू हक्का-बक्का रह गया उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करें। सोनू के लंड से वीर्य की पिचकारी लगातार छूट रही थी। कुछ देर की चूदाई के दृश्य ने उसके लंड में इतनी उत्तेजना भर दी थी कि उसे रोकना नामुमकिन था। अपनी छोटी बहन को इस अवस्था में देखकर वह हतप्रभ था परंतु कमर के नीचे उत्तेजना अपना रंग दिखा रही थी। सोनू ने एक पल के लिए अपनी आंखें बंद कर लीं और झड़ता रहा परंतु सोनी की मदमस्त चूत ने उसे एक बार फिर आंखें खोलने पर मजबूर कर दिया।

सोनू अपनी ही छोटी बहन की बुर को देख लंड से वीर्य निचोड़ता रहा।

विकास एक बार फिर सोनी की जांघों के बीच आकर उसकी बुर को चूम रहा था। अपनी बहन को इस तरह विकास से चुदाते देखकर उसका मन क्षुब्ध हो गया उसे बार-बार यही अफसोस हो रहा था की काश ऐसा ना हुआ होता …उसकी आंखों का देखा झूठ हो जाता परंतु यह संभव न था ।

सोनू विकास के कमरे से सटे अपने कमरे में बैठकर सामान्य होने की कोशिश करने लगा। परंतु यह उतना ही कठिन था जितना जुए में सब कुछ आने के बाद सामान्य हो जाना।


रह रह कर सोनू के मन में टीस उठ रही थी की क्यों विकास और सोनी एक दूसरे के करीब आए,,? मनुष्य अपनी गलतियां और कामुक क्रियाकलाप भूल जाता उसे दूसरे द्वारा की गई कामुक गतिविधियां व्यभिचार ही लगती हैं। यही हाल सोनू का था एक तरफ वह स्वयं अपनी मुंहबोली बड़ी बहन लाली को कई महीनों से चोद रहा था पर अपनी ही छोटी बहन के समर्पित प्रेम प्रसंग से व्यथित और क्रोधित हो रहा था।

अपनी काम यात्रा की यात्रा को याद कर सोनू सोनी को माफ करता गया… आखिर उसने भी तो बेहद कम उम्र में लाली के काम अंगों से खेलना शुरू कर दिया था और राजेश जीजू से नजर बचाकर लाली को चोदना शुरू कर दिया था यह अलग बात थी कि जो सोनू लाली के साथ जो कर रहा था वह कहीं ना कहीं राजेश की ही इच्छा थी। कुछ देर के उथल-पुथल के बाद आखिर सोनू विकास से मिलने को तैयार हो गया।

डिंग डांग ….आखिरकार हिम्मत जुटाकर सोनू ने विकास के रूम की बेल बजा दी..

"अपने कपड़े ठीक कर लो लगता है लगता है मेरा दोस्त ही होगा"

सोनी ने स्वयं को व्यवस्थित किया और उठ कर खड़ी हो गई दरवाजा खुल चुका था और सोनू सामने खड़ा था। सोनू को देखकर सोनी की घिग्घी बंध गई।

उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करें …परंतु इतना तो उसे अवश्य पता था कि इस परिस्थिति में कोई भी झूठ कारगर नहीं होने वाला था।


वह तुरंत ही अपने भाई के पैरों पर गिर पड़ी..झुकी हुई सोनी के मादक नितंब एक बार फिर सोनू की निगाहों में आ गए जो अब कपड़ों के भीतर कैद होकर अपनी सुंदर त्वचा को छुपाने में तो कामयाब हो गए कोमल और सुडौल गोलाईयों को छुपाना असंभव था।

सोनू ने कुछ नहीं कहा अपितु सोनी को कंधे से पकड़ कर ऊपर उठाया और विकास से बोला

"अरे वाह तेरे को मेरी ही बहन मिली थी शादी करने के लिए"

विकास हकलाने लगा…

"सो…. सोनी तेरी बहन है?"

"हां भाई ….मेरी बहन है" सोनू के लिए अभिनय उतना ही कठिन हो रहा था जितना मार खाए बच्चे के लिए हंसना। परंतु सोनू वक्त की नजाकत को समझता था। विकास स्वयं हक्का-बक्का था अपनी जिस प्रेमिका की बातें कर उसने और सोनू में न जाने कितनी बार मुठ मारी थी आज वह प्रेमिका कोई और नहीं अपितु सोनू की बहन थी। परंतु जो होना था वह हो चुका था।

विकास सोनू के गले लग गया और भावुक होते हुए बोला

"भाई तेरी बहन मेरी ब…विकास की जबान रुक गई."

दोनो दोस्त हंसने लगे …सोनी भी अपनी पीठ उन दोनों की तरफ कर मुस्कुराने से खुद को ना रोक पाई। अपने भाई से माफी पाकर उसे तो मानो सातों जहान की खुशियां मिल गई थीं। क्या सोनू ने उसे सचमुच माफ कर दिया और उसके और विकास के रिश्ते को स्वीकार कर लिया था ? यह तो सोनू ही जाने पर सोनी खुश थी।


अब जब सोनू मान चुका था तो सोनी को परिवार वालों से कोई डर न था। वैसे भी सोनू अब धीरे-धीरे परिवार के मुखिया की जगह ले रहा था। सुगना दीदी का आधिपत्य साझा करने वाला यदि घर में कोई था तो वह सोनू ही था।

सोनू ने सोनी से पूछा

"सुगना दीदी के मालूम बा ई सब?"

सोनी ने एक बार फिर रोनी सूरत बना ली..


सोनू तुरंत ही समझ गया। अब जब उसने सोनी को एक बार माफ किया था तो एक बार और सही उसने अपने हाथ खोले और सोनी उसके सीने से सट गई। आज सोनी पूरी आत्मीयता से सोनू के गले लगी थी शायद इसमें उसका अपराध बोध भी था..और सोनू के प्रति कृतज्ञता भी।

जब आत्मीयता प्रगाढ़ होती है आलिंगन में निकटता बढ़ जाती है आज पहली बार सोनू ने सोनी की चुचियों को अपने सीने पर महसूस किया। निश्चित ही यह लाली से अलग थी कठोर और मुलायम .. नियति स्वयं निश्चय नहीं कर पा रही थी कि वह उन मादक सूचियों को क्या नाम दें। सोनी के मादक शरीर का स्पर्श पाकर सोनू के दिमाग में कुछ पल पहले देखे गए दृश्य घूम गये ..

उसने सोनी को स्वयं से अलग किया और बोला…तुम दोनों तैयार हो जाओ बाहर घूमने चलेंगे।

शाम हो चुकी थी सोनू ने विकास और सोनी को बाहर ले जाकर एक अच्छे रेस्टोरेंट में खाना खिलाया और फिर उन्हें अकेला छोड़ दिया। जब-जब सोनू सोनी की तरफ देखता उसे एक अजब सा एहसास होता। उसके दिमाग में बार-बार वही दृश्य घूमने और उसकी निगाहें बरबस ही सोनी के शरीर का माप लेने लगती। वह एक बार फिर अपने दिमाग में चल रहे द्वंद्व में शामिल हो गया क्या वह फिर विकास के कमरे में झांकने की हिम्मत करेगा…. छी छी अपनी ही छोटी बहन को चुदवाते हुए देखना…. नहीं मैं यह नहीं करूंगा…

सोनी इस बात से अनजान थी कि सोनू उसे चूदते हुए देख चुका था। परंतु सोनी की शर्म के लिए इतना ही काफी था कि वह अपने बड़े भाई के सामने अपने प्रेमी के साथ बैठे खाना खा रही थी।

सोनू अपने मन में बार-बार एक ही बात सोचता कि काश विकास की छमिया उसकी बहन न होकर कोई और होती ….

सोनू ने गेस्ट हाउस में अपने लिए भी कमरा बुक कराया था परंतु उसकी वहां रुकने की हिम्मत ना हुई उसे वहां रुकना असहज लग रहा था। अब जब यह बात मालूम चल ही चुकी थी कि सोनी उसकी अपनी सगी बहन है उनके कमरे के ठीक बगल में रुक कर वह उन्हें और स्वयं को असहज नहीं करना चाहता था वह अपने हॉस्टल लौट आया।

सोनू अपने बिस्तर पर पड़ा नियति के दिए इस दर्द को झेलने की कोशिश कर रहा था। उसने यह कभी भी नहीं सोचा था की सोनी की शारीरिक जरूरतें इतनी प्रबल हो जाएंगी कि उसे गंधर्व विवाह स्वीकार करना पड़ेगा। परंतु जो होना था वह हो चुका था।


विकास द्वारा सोनी के बारे में बताई गई बातें सोनू के दिमाग में घूम रही थी। विकास सोनी के साथ की गई कामुक गतिविधियों का विस्तृत विवरण सोनू को अक्सर सुनाया करता था। जब जब वह विकास के उद्धरण को याद करता उसका लंड तन जाता और वह उस अनजान नायिका के नाम पर अपना वीर्य स्खलन कर लेता। परंतु आज वह इस स्थिति में नहीं था। पर जब जब उसे वह सोनी का विकास के लंड पर उछलने का दृश्य याद आता सोनू का लंड तन कर खड़ा हो जाता और सोनू की उंगलियां बरबस उसे सहलाने लगती।

सोनू ने अपना ध्यान सोनी पर से हटाने की कोशिश की वह एक बार फिर अपनी लाली दीदी के बारे में सोचने लगा। उसने अपना ध्यान लाली दीदी की आखरी चूदाई पर ध्यान लगाने की कोशिश की। सोनू का ध्यान उस आखिरी पल पर केंद्रित हो गया जब उसकी निगाहें सुगना से मिली थी और उसने आंखें बंद कर लाली की बुर में गचागच अपना लंड आगे पीछे करना शुरू कर दिया था।

अपनी आंखें बंद करके उसने जो क्षणिक रूप से सोचा था उसे वह याद आने लगा…. सुगना दीदी के साथ ……छी….वह उस बारे में दोबारा नहीं सोचना चाहता था।

परंतु क्या यह संभव था….. एक तरफ सोनू के जेहन में अपनी नंगी छोटी बहन के विकास के लंड पर उछलने के दृश्य घूम रहे थे दूसरी तरफ उसे अपनी घृणित सोच पर अफसोस हो रहा था कैसे उसने उन उत्तेजक पलों के दौरान सुगना दीदी को चोदने की सोच ली थी….

इस उहाफोह से अनजान सोनू का लंड पूरी तरह तन चुका था और उसकी मजबूत हथेलियों में आगे पीछे हो रहा था।


सोनू ने अपना ध्यान लाली पर केंद्रित करने की कोशिश की परंतु शायद वह संभव न था। सोनी और सुगना दोनों ही सोनू के विचारों में आ चुकी थीं जैसे अपना अधिकार मांग रही हों।

सोनू वैसे तो कुटुंबीय संबंधों में विश्वास नहीं करता था परंतु परिस्थितियां उसे ऐसा सोचने पर मजबूर कर रही थी। दोनों बहने जो कामुक बदन तथा मासूम चेहरे की स्वामी थीं सोनू का ध्यान बरबस अपनी तरफ आकर्षित कर रही थीं।


अब तक के ख्याली पुलाव से सोनू का लंड वीर्य उगलने को फिर तैयार हो गया।

सोनू ने एक बार फिर लाली के चूतड़ों के बीच अपने लंड को हिलते हुए याद किया तथा अपनी आंखे बंद कर एक बार फिर अपना वीर्य स्खलन पूर्ण कर लिया… सोनू के स्खलन में आनंद तो भरपूर था परंतु स्खलन के उपरांत उसे फिर आत्मग्लानि ने घेर लिया. छी… उसकी सोच गंदी क्यों होती जा रही है? क्या यह सब सोचना उचित है? कितना निकृष्ट कार्य है यह…?

सोनू अपने अंतर्मन से जंग लड़ता हुआ छत के पंखे की तरफ देख रहा था जो धीरे धीरे घूम रहा था। सोनू के दिमाग ने आत्मसंतुष्टि के लिए एक अजब सा खेल सोच लिया पंखे की पत्तियां उसे अपनी तीनों बहनों जैसी प्रतीत हुई एक सोनी दूजी लाली और तीसरी उसकी सुगना दीदी।

क्या नियति ही उन्हें उसके पास ला रही थी? क्या यह एक संयोग मात्र था की उसकी सुगना दीदी उसके और लाली के कामुक मिलन को देख रही थीं? क्या सोनी के चूत की आग इतनी प्रबल हो गई थी कि वह अपने विवाह तक का इंतजार ना कर पाई….

सोनू ने मन ही मन कुछ सोचा और सिरहाने लगे स्विच को दबाकर पंखे को बंद कर दिया वह पंखा रुकने का इंतजार कर रहा था और अपने भाग्य में आई अपनी बहन को पहचानने की कोशिश। अंततः लाली ही सोनू के भाग्य में आई..

सोनू के चेहरे पर असंतुष्ट के भाव थे वह मन ही मन मुस्कुराया और एक बार फिर पंखे का स्विच दबा दिया.. और नियति के इशारे की प्रतीक्षा करने लगा। आजाद हुआ पिछले परिणाम से संतुष्ट न था। इस बार नियति ने उसे निराश ना किया नियति ने सोनू की इच्छा पढ़ ली…

अनुकूल परिणाम आते ही सोनू का कलेजा धक-धक करने लगा क्या यह उचित होगा? क्यों नहीं? आखिर लाली दीदी और सुगना दीदी दोनों उम्र ही तो है।

वासना से घिरा हुआ सोनू.. सुगना के बारे में सोचने लगा..

जब सोच में वासना भरी हुई तो मनुष्य के जीवन में वही घटनाक्रम आते हैं जो उसकी सोच को प्रबल करते हैं सोनू उस दिन को याद कर रहा था जब हरे भरे धान के खेत में सुगना धान के पौधे रोप रही थी। वह उसके पीछे पीछे वही कार्य दोहराने की कोशिश कर रहा था।…

कुछ देर पहले हुए वीर्य स्खलन ने सोनू को कब नींद की आगोश में ले लिया पता भी न चला अवचेतन मन में चल रहे दृश्य स्वप्न का रूप ले चुके थे..


सोनू बचपन से ही शरारती था…सोनू ने धान की रोपनी कर रही सुगना के घाघरे को ऊपर उठा दिया. आज सपने में भी सोनू वही कर रहा था जो वह बचपन में किया करता था पर तब यह एक आम शरारत थी।

पर तब की और आज की सुगना में जमीन आसमान का अंतर था। पतली और निर्जीव सी दिखने वाली टांगे अब केले के तने के जैसी सुंदर और मांसल हो चुकी थी …. उनकी खूबसूरती में खोया सोनू स्वयं में भी बदलाव महसूस कर रहा था। उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसके वह अब बच्चा नहीं रहा था। सोनू ने सुगना का लहंगा और उठा दिया….सुगना के नितंब सोनू की निगाहों के सामने आ गए दोनो गोलाईयों के बीच का भाग अपनी खूबसूरती का एहसास करा रहा था। परंतु बालों की कालीमां ने अमृत कलश के मुख पर आवरण बना दिया था। वह दृश्य देखकर सोनू मदहोश हो रहा था। अपने स्वप्न में भी उसे व दृश्य बेहद मादक और मनमोहक लग रहा था।

सोनू अपने बचपन की तरह सुगना की डांट की प्रतीक्षा कर रहा था। जो अक्सर उसे बचपन में मिला करती थी। परंतु आज ऐसा न था । सुगना उसी अवस्था में अब भी धान रोप रही थी। जब वह धान रोपने के लिए नीचे झुकती एक पल के लिए ऐसा प्रतीत होता जैसे बालों के बीच छुपी हुई गुलाब की कली उसे दिखाई पड़ जाएगी।

परंतु सोनू का इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा था अधीरता बढ़ती गई और सोनू की उत्तेजना ने उसे अपने लंड को बाहर निकालने पर मजबूर कर दिया।


सोनू का ध्यान अपने लंड पर गया जो अब पूरे शबाब में था। सोनू अपनी हथेलियों में लेकर उसे आगे पीछे करने लगा… उसका ध्यान अब भी सुगना की जांघों के बीच उस गुलाब की कली को देखने की कोशिश कर रहा था। अचानक सुगना की आवाज आई

"ए सोनू का देखा तारे?"

"कुछ भी ना दीदी"

"तब एकरा के काहे उठाओले बाड़े?" सुगना अपने घागरे की तरफ देखते हुए बोली

सोनू अपने स्वप्न में भी शर्मा जाता है परंतु हिम्मत जुटा कर बोलता है

"पहले और अब में कितना अंतर बा"

"ठीक कहा तारे"

सुगना की निगाहें सोनू के लंड की तरफ थीं.. जिसे सोनू ने ताड़ लिया और उसके कहे वाक्य का अर्थ समझ कर मुस्कुराने लगा..

अचानक सोनू को सुगना के बगल में सुगना के बगल में धान रोपती लाली भी दिखाई पड़ गई। सोनू ने वही कार्य लाली के साथ भी किया…

लाली और सुगना दोनों अपने-अपने घागरे को अपनी कमर तक उठाए धान रोप रही थी नितंबों के बीच से उनकी बुर की फांके बालों के बादल काले बादल को चीर कर अपने भाई को दर्शन देने को बेताब थीं।

सोनू से और बर्दाश्त ना हुआ उसने ने हाथ आगे किए और और सुंदरी की कमर को पकड़ कर अपने लंड को उस गुफा के घर में प्रवेश कराने की कोशिश करने लगा बुर पनियायी हुई थी परंतु उसमे प्रवेश इतना आसान न था…सोनू प्रतिरोध का सामना कर रहा था..

चटाक…. गाल पर तमाचा पड़ने की आवाज स्पष्ट थी…

शेष अगले भाग में…
अद्भुद बेहतरीन लेखन, जितनी तारीफ़ की जाए उतनी कम। सच कहूं तो आपकी इस कहानी का बेसब्री से इंतजार रहता है मुझे। मैं भी पेशे से एक अकेडमिक लेखक हूं मेरी 4 books पब्लिश हो चुकी हैं और 5th लिख रहा हूं। आपकी लेखनी से लिखे शब्दों की माला को पढ़कर लगता है आप भी अच्छे लेखक हैं। आगे देखना होगा कि क्या तीनों बहने एकसाथ कब सोनू और विकास के साथ हमबिस्तर होती हैं। काश इसी होटल के कमरे में सबका मिलन हो तो बेहतर होगा।

और हां एक बार एसडीएम मैडम की chudai भी बीच में पढ़ने को मिल जाय तो सोने पे सुहागा।

आपसे हाथ जोड़कर निवेदन रहेगा की जो कमी मैं कहानी में महसूस कर रहा हूं वो पहले नही थी लेकिन अब शायद आप भूल रहे हैं वो ये की बीच बीच में पिक्चर ऐड कर देते तो कहानी में सितारे लग जाएंगे तो पिक्चर कुछ और use कर लेते हैं तो हमारी मनोकामना पूर्ण हो सकती है।

बाकी सारे चित्रण बेस्ट हैं।

आपका शुक्रिया ऐसी कहानी लिखने के लिए
 

Lovely Anand

Love is life
1,320
6,477
144
Tamacha ......

swapna me.......

Interesting
Dhnyavaad...
बहुत ही रोमांचक अपडेट
Rasprad nahi tha kya.....ha ha ha...

Apke standard comment ko dekhkar ek aur pathak ki yadd aa gayi Jo hamesha rasparad aur romanachak likh kar apana dharm poora kiya karate the..

Phir bhi ye gupchup paathko se to behattar hai....
अद्भुद बेहतरीन लेखन, जितनी तारीफ़ की जाए उतनी कम। सच कहूं तो आपकी इस कहानी का बेसब्री से इंतजार रहता है मुझे। मैं भी पेशे से एक अकेडमिक लेखक हूं मेरी 4 books पब्लिश हो चुकी हैं और 5th लिख रहा हूं। आपकी लेखनी से लिखे शब्दों की माला को पढ़कर लगता है आप भी अच्छे लेखक हैं। आगे देखना होगा कि क्या तीनों बहने एकसाथ कब सोनू और विकास के साथ हमबिस्तर होती हैं। काश इसी होटल के कमरे में सबका मिलन हो तो बेहतर होगा।

और हां एक बार एसडीएम मैडम की chudai भी बीच में पढ़ने को मिल जाय तो सोने पे सुहागा।

आपसे हाथ जोड़कर निवेदन रहेगा की जो कमी मैं कहानी में महसूस कर रहा हूं वो पहले नही थी लेकिन अब शायद आप भूल रहे हैं वो ये की बीच बीच में पिक्चर ऐड कर देते तो कहानी में सितारे लग जाएंगे तो पिक्चर कुछ और use कर लेते हैं तो हमारी मनोकामना पूर्ण हो सकती है।

बाकी सारे चित्रण बेस्ट हैं।

आपका शुक्रिया ऐसी कहानी लिखने के लिए
Kahani ko dhyan se padhane aur samjhane ke liye shukriya..
Jude rahiye..
Indian context me kahani se match karte pic dhoondhnaa tough work hai aur time taking bhi...

If readers are ready to post the relavent pics i can add at proper palce...but for me it is lot of time consuming..

Hope u understand...
 

Tarahb

Member
156
332
63
Dhnyavaad...

Rasprad nahi tha kya.....ha ha ha...

Apke standard comment ko dekhkar ek aur pathak ki yadd aa gayi Jo hamesha rasparad aur romanachak likh kar apana dharm poora kiya karate the..

Phir bhi ye gupchup paathko se to behattar hai....

Kahani ko dhyan se padhane aur samjhane ke liye shukriya..
Jude rahiye..
Indian context me kahani se match karte pic dhoondhnaa tough work hai aur time taking bhi...

If readers are ready to post the relavent pics i can add at proper palce...but for me it is lot of time consuming..

Hope u understand... कोई दिक्कत नही। जैसे शुरुआती दौर में पिक्चर ऐड करते थे वैसे ही कुछ कुछ कभी कभी कोई खोजने से मिले तो बेहतर है नही तो वैसे भी लयबद्ध तरीके से चल रहे हो वो भी काबिले तारीफ़ है।
 

Sanjdel66

Member
107
318
63
भाग 77
सोनू अंदर कमरे में चल रही गतिविधि का अंदाज लगाने लगा वह भागते हुए अपने कमरे में गया और पीछे की लॉबी में आकर विकास के कमरे में अपनी आंख लगा दिया…

अंदर विकास ने विकास में सोनी के कहने पर उसकी बुर पर से अपने होंठ हटा लिए थे परंतु उसे अपने ऊपर आने के लिए मना लिया था..दृश्य अंदर का दृश्य बेहद उत्तेजक था...

सोनू की आंखें सोनू की आंखें फटी रह गई..


अब आगे...

सोनू उस मदमस्त सुंदरी को विकास के लंड पर उछलते देख कर मदहोश हो गया। ऐसे दृश्य उसने गंदी किताबों में ही देखे थे परंतु आज अपनी खुली आंखों से देख रहा था।

लड़की बेशक माल थी। नितंब कसाव लिए हुए थे पतली कमर पर सजे नितंब और उसके बीच की वह गहरी घाटी ……सोनू की उत्तेजना अचानक चरम पर पहुंच गईं। जब वह लड़की अपनी कमर उपर करती विकास का छोटा काला लंड निकलकर बाहर आता और कुछ ही देर में वह लड़की उसे अपने भीतर स्वयं समाहित कर लेती। गुलाबी बुर में काले लंड का आना जाना सोनू को बेहद उत्तेजित कर रहा था…विकास की किस्मत से उसे अचानक जलन होने लगी।


उसके मन में उस सुंदर बुर में अपना लंड डालने की चाहत प्रबल हो उठी। इधर मन में चाहत जगी उधर लंड विद्रोह पर उतारू हो गया। यदि सोनू के हाथ लंड तक न पहुंचते तो निश्चित ही वह लगातार उछल रहा होता।

सोनू आंखें गड़ाए अंदर के दृश्य देखता रहा और अनजाने में अपनी ही छोटी बहन के नंगे मादक जिस्म का आनंद लेता रहा। अपने खुले बालों को अपनी पीठ पर लहराती सोनी लगातार विकास के लंड पर उछल रही थी और उसका भाई सोनू उसकी बुर को देख देख कर अपना लंड हिला रहा था।

जैसे-जैसे उस सोनी की उत्तेजना बढ़ती गई उसकी कमर की रफ्तार बढ़ती गई। विकास लगातार सोनी की चुचियों को मसल रहा था वह बार-बार अपना सर उठा कर उसकी चुचियों को मुंह में भरने का प्रयास करता।

सोनी कभी आगे झुक कर अपनी चूचियां विकास के मुंह में दे देती और कभी अपनी पीठ को उठा कर विकास के मुंह से अपने निप्पलों को बाहर खींच लेती। विकास अपनी दोनों हथेलियों से उसके नितंबों को पकड़ कर अपने लंड पर व्यवस्थित कर रहा था ताकि वह सोनी के उछलने का पूरा आनंद ले सकें।

विकास की मध्यमा उंगली बार-बार सोनी की गांड को छूने का प्रयास करती कभी तो सोनी उस उत्तेजक स्पर्श से अपनी कमर और हिलाती और कभी अपने हाथ पीछे कर विकास को ऐसा करने से रोकती। प्रेम रथ को नियंत्रित करने के कई कई कंट्रोल उपलब्ध थे.. विकास सोनी के कामुक अंगो को तरह तरह से छूकर सोनी को शीघ्र स्खलित करना चाहता था उसे सोनी को स्खलित और परास्त कर उसे चोदना बेहद पसंद आता था वह उसके बाद अपनी मनमर्जी के आसन लगाता और सोनी के कामुक बदन का समुचित उपयोग करते अपना वीर्य स्खलन पूर्ण करता।


सोनू अपनी ही बहन सोने के कामुक बदन का रसपान लेते हुए अपना लंड हिला रहा था ….सोनू सोच रहा था….क्या गजब माल है …. विकास तो साला बाजी मार ले गया. सोनू ने मन ही मन फैसला कर लिया हो ना हो वह भी इस छमिया को चोदेगा जरूर।

आखिर जो लड़की यूं ही गंधर्व विवाह कर इस तरह चुद रही हो वह निश्चित की वफादार और संस्कारी ना होगी। मन में बुर की कोमल गहराइयों को महसूस करते हुए लिए सोनू अपने लंड को तेजी से आगे पीछे करता रहा..और उसका लंड लावा उगलने को तैयार हो गया…

इसी बीच विकास में सोनी को अपने ऊपर खींच लिया तथा तेजी से अपने लंड को तेजी से आगे पीछे करने लगा।

सोनी विकास के सीने पर सुस्त पड़ी हुई थी और अपनी गांड सिकोड़ रही थी। गांड का छोटा सा छेद कभी सिकुड़ता कभी फैलता। सिर्फ और सिर्फ नितंबों में हरकत हो रही थी और सोनी का शरीर पुरा निढाल पड़ा हुआ था। ऐसा लग रहा था जैसे वह चरमोत्कर्ष का आनंद ले रही थी..। विकास की हथेलियों में उसके कोमल नितंबों को पूरी तरह जकड़ा हुआ था..

उत्तेजक दृश्य को देखकर सोनू स्वयं पर और नियंत्रण न रख पाया और अपने लंड को और तेजी से हिलाने लगा। वह मन ही मन स्खलन के लिए तैयार हो चुका था।

उधर विकास ने उस लड़की को अपने सीने से उतार पीठ के बल लिटा दिया और उसकी जांघें फैला दी.. सोनी की चुदी हुई बुर विकास की निगाहों में आ गईं। बुर जैसे मुंह खोले सोनू के लंड का इंतजार कर रही थी। यह भावना इतनी प्रबल थी कि उसने सोनू के लंड को स्खलन पर मजबूर कर दिया… वीर्य की धार फूट पड़ी ठीक उसी समय विकास लड़की की जांघों के बीच से हट गया और उसका सोनू को सोनी का चेहरा दिखाई पड़ गया।


सोनी को देख सोनू हक्का-बक्का रह गया उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करें। सोनू के लंड से वीर्य की पिचकारी लगातार छूट रही थी। कुछ देर की चूदाई के दृश्य ने उसके लंड में इतनी उत्तेजना भर दी थी कि उसे रोकना नामुमकिन था। अपनी छोटी बहन को इस अवस्था में देखकर वह हतप्रभ था परंतु कमर के नीचे उत्तेजना अपना रंग दिखा रही थी। सोनू ने एक पल के लिए अपनी आंखें बंद कर लीं और झड़ता रहा परंतु सोनी की मदमस्त चूत ने उसे एक बार फिर आंखें खोलने पर मजबूर कर दिया।

सोनू अपनी ही छोटी बहन की बुर को देख लंड से वीर्य निचोड़ता रहा।

विकास एक बार फिर सोनी की जांघों के बीच आकर उसकी बुर को चूम रहा था। अपनी बहन को इस तरह विकास से चुदाते देखकर उसका मन क्षुब्ध हो गया उसे बार-बार यही अफसोस हो रहा था की काश ऐसा ना हुआ होता …उसकी आंखों का देखा झूठ हो जाता परंतु यह संभव न था ।

सोनू विकास के कमरे से सटे अपने कमरे में बैठकर सामान्य होने की कोशिश करने लगा। परंतु यह उतना ही कठिन था जितना जुए में सब कुछ आने के बाद सामान्य हो जाना।


रह रह कर सोनू के मन में टीस उठ रही थी की क्यों विकास और सोनी एक दूसरे के करीब आए,,? मनुष्य अपनी गलतियां और कामुक क्रियाकलाप भूल जाता उसे दूसरे द्वारा की गई कामुक गतिविधियां व्यभिचार ही लगती हैं। यही हाल सोनू का था एक तरफ वह स्वयं अपनी मुंहबोली बड़ी बहन लाली को कई महीनों से चोद रहा था पर अपनी ही छोटी बहन के समर्पित प्रेम प्रसंग से व्यथित और क्रोधित हो रहा था।

अपनी काम यात्रा की यात्रा को याद कर सोनू सोनी को माफ करता गया… आखिर उसने भी तो बेहद कम उम्र में लाली के काम अंगों से खेलना शुरू कर दिया था और राजेश जीजू से नजर बचाकर लाली को चोदना शुरू कर दिया था यह अलग बात थी कि जो सोनू लाली के साथ जो कर रहा था वह कहीं ना कहीं राजेश की ही इच्छा थी। कुछ देर के उथल-पुथल के बाद आखिर सोनू विकास से मिलने को तैयार हो गया।

डिंग डांग ….आखिरकार हिम्मत जुटाकर सोनू ने विकास के रूम की बेल बजा दी..

"अपने कपड़े ठीक कर लो लगता है लगता है मेरा दोस्त ही होगा"

सोनी ने स्वयं को व्यवस्थित किया और उठ कर खड़ी हो गई दरवाजा खुल चुका था और सोनू सामने खड़ा था। सोनू को देखकर सोनी की घिग्घी बंध गई।

उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करें …परंतु इतना तो उसे अवश्य पता था कि इस परिस्थिति में कोई भी झूठ कारगर नहीं होने वाला था।


वह तुरंत ही अपने भाई के पैरों पर गिर पड़ी..झुकी हुई सोनी के मादक नितंब एक बार फिर सोनू की निगाहों में आ गए जो अब कपड़ों के भीतर कैद होकर अपनी सुंदर त्वचा को छुपाने में तो कामयाब हो गए कोमल और सुडौल गोलाईयों को छुपाना असंभव था।

सोनू ने कुछ नहीं कहा अपितु सोनी को कंधे से पकड़ कर ऊपर उठाया और विकास से बोला

"अरे वाह तेरे को मेरी ही बहन मिली थी शादी करने के लिए"

विकास हकलाने लगा…

"सो…. सोनी तेरी बहन है?"

"हां भाई ….मेरी बहन है" सोनू के लिए अभिनय उतना ही कठिन हो रहा था जितना मार खाए बच्चे के लिए हंसना। परंतु सोनू वक्त की नजाकत को समझता था। विकास स्वयं हक्का-बक्का था अपनी जिस प्रेमिका की बातें कर उसने और सोनू में न जाने कितनी बार मुठ मारी थी आज वह प्रेमिका कोई और नहीं अपितु सोनू की बहन थी। परंतु जो होना था वह हो चुका था।

विकास सोनू के गले लग गया और भावुक होते हुए बोला

"भाई तेरी बहन मेरी ब…विकास की जबान रुक गई."

दोनो दोस्त हंसने लगे …सोनी भी अपनी पीठ उन दोनों की तरफ कर मुस्कुराने से खुद को ना रोक पाई। अपने भाई से माफी पाकर उसे तो मानो सातों जहान की खुशियां मिल गई थीं। क्या सोनू ने उसे सचमुच माफ कर दिया और उसके और विकास के रिश्ते को स्वीकार कर लिया था ? यह तो सोनू ही जाने पर सोनी खुश थी।


अब जब सोनू मान चुका था तो सोनी को परिवार वालों से कोई डर न था। वैसे भी सोनू अब धीरे-धीरे परिवार के मुखिया की जगह ले रहा था। सुगना दीदी का आधिपत्य साझा करने वाला यदि घर में कोई था तो वह सोनू ही था।

सोनू ने सोनी से पूछा

"सुगना दीदी के मालूम बा ई सब?"

सोनी ने एक बार फिर रोनी सूरत बना ली..


सोनू तुरंत ही समझ गया। अब जब उसने सोनी को एक बार माफ किया था तो एक बार और सही उसने अपने हाथ खोले और सोनी उसके सीने से सट गई। आज सोनी पूरी आत्मीयता से सोनू के गले लगी थी शायद इसमें उसका अपराध बोध भी था..और सोनू के प्रति कृतज्ञता भी।

जब आत्मीयता प्रगाढ़ होती है आलिंगन में निकटता बढ़ जाती है आज पहली बार सोनू ने सोनी की चुचियों को अपने सीने पर महसूस किया। निश्चित ही यह लाली से अलग थी कठोर और मुलायम .. नियति स्वयं निश्चय नहीं कर पा रही थी कि वह उन मादक सूचियों को क्या नाम दें। सोनी के मादक शरीर का स्पर्श पाकर सोनू के दिमाग में कुछ पल पहले देखे गए दृश्य घूम गये ..

उसने सोनी को स्वयं से अलग किया और बोला…तुम दोनों तैयार हो जाओ बाहर घूमने चलेंगे।

शाम हो चुकी थी सोनू ने विकास और सोनी को बाहर ले जाकर एक अच्छे रेस्टोरेंट में खाना खिलाया और फिर उन्हें अकेला छोड़ दिया। जब-जब सोनू सोनी की तरफ देखता उसे एक अजब सा एहसास होता। उसके दिमाग में बार-बार वही दृश्य घूमने और उसकी निगाहें बरबस ही सोनी के शरीर का माप लेने लगती। वह एक बार फिर अपने दिमाग में चल रहे द्वंद्व में शामिल हो गया क्या वह फिर विकास के कमरे में झांकने की हिम्मत करेगा…. छी छी अपनी ही छोटी बहन को चुदवाते हुए देखना…. नहीं मैं यह नहीं करूंगा…

सोनी इस बात से अनजान थी कि सोनू उसे चूदते हुए देख चुका था। परंतु सोनी की शर्म के लिए इतना ही काफी था कि वह अपने बड़े भाई के सामने अपने प्रेमी के साथ बैठे खाना खा रही थी।

सोनू अपने मन में बार-बार एक ही बात सोचता कि काश विकास की छमिया उसकी बहन न होकर कोई और होती ….

सोनू ने गेस्ट हाउस में अपने लिए भी कमरा बुक कराया था परंतु उसकी वहां रुकने की हिम्मत ना हुई उसे वहां रुकना असहज लग रहा था। अब जब यह बात मालूम चल ही चुकी थी कि सोनी उसकी अपनी सगी बहन है उनके कमरे के ठीक बगल में रुक कर वह उन्हें और स्वयं को असहज नहीं करना चाहता था वह अपने हॉस्टल लौट आया।

सोनू अपने बिस्तर पर पड़ा नियति के दिए इस दर्द को झेलने की कोशिश कर रहा था। उसने यह कभी भी नहीं सोचा था की सोनी की शारीरिक जरूरतें इतनी प्रबल हो जाएंगी कि उसे गंधर्व विवाह स्वीकार करना पड़ेगा। परंतु जो होना था वह हो चुका था।


विकास द्वारा सोनी के बारे में बताई गई बातें सोनू के दिमाग में घूम रही थी। विकास सोनी के साथ की गई कामुक गतिविधियों का विस्तृत विवरण सोनू को अक्सर सुनाया करता था। जब जब वह विकास के उद्धरण को याद करता उसका लंड तन जाता और वह उस अनजान नायिका के नाम पर अपना वीर्य स्खलन कर लेता। परंतु आज वह इस स्थिति में नहीं था। पर जब जब उसे वह सोनी का विकास के लंड पर उछलने का दृश्य याद आता सोनू का लंड तन कर खड़ा हो जाता और सोनू की उंगलियां बरबस उसे सहलाने लगती।

सोनू ने अपना ध्यान सोनी पर से हटाने की कोशिश की वह एक बार फिर अपनी लाली दीदी के बारे में सोचने लगा। उसने अपना ध्यान लाली दीदी की आखरी चूदाई पर ध्यान लगाने की कोशिश की। सोनू का ध्यान उस आखिरी पल पर केंद्रित हो गया जब उसकी निगाहें सुगना से मिली थी और उसने आंखें बंद कर लाली की बुर में गचागच अपना लंड आगे पीछे करना शुरू कर दिया था।

अपनी आंखें बंद करके उसने जो क्षणिक रूप से सोचा था उसे वह याद आने लगा…. सुगना दीदी के साथ ……छी….वह उस बारे में दोबारा नहीं सोचना चाहता था।

परंतु क्या यह संभव था….. एक तरफ सोनू के जेहन में अपनी नंगी छोटी बहन के विकास के लंड पर उछलने के दृश्य घूम रहे थे दूसरी तरफ उसे अपनी घृणित सोच पर अफसोस हो रहा था कैसे उसने उन उत्तेजक पलों के दौरान सुगना दीदी को चोदने की सोच ली थी….

इस उहाफोह से अनजान सोनू का लंड पूरी तरह तन चुका था और उसकी मजबूत हथेलियों में आगे पीछे हो रहा था।


सोनू ने अपना ध्यान लाली पर केंद्रित करने की कोशिश की परंतु शायद वह संभव न था। सोनी और सुगना दोनों ही सोनू के विचारों में आ चुकी थीं जैसे अपना अधिकार मांग रही हों।

सोनू वैसे तो कुटुंबीय संबंधों में विश्वास नहीं करता था परंतु परिस्थितियां उसे ऐसा सोचने पर मजबूर कर रही थी। दोनों बहने जो कामुक बदन तथा मासूम चेहरे की स्वामी थीं सोनू का ध्यान बरबस अपनी तरफ आकर्षित कर रही थीं।


अब तक के ख्याली पुलाव से सोनू का लंड वीर्य उगलने को फिर तैयार हो गया।

सोनू ने एक बार फिर लाली के चूतड़ों के बीच अपने लंड को हिलते हुए याद किया तथा अपनी आंखे बंद कर एक बार फिर अपना वीर्य स्खलन पूर्ण कर लिया… सोनू के स्खलन में आनंद तो भरपूर था परंतु स्खलन के उपरांत उसे फिर आत्मग्लानि ने घेर लिया. छी… उसकी सोच गंदी क्यों होती जा रही है? क्या यह सब सोचना उचित है? कितना निकृष्ट कार्य है यह…?

सोनू अपने अंतर्मन से जंग लड़ता हुआ छत के पंखे की तरफ देख रहा था जो धीरे धीरे घूम रहा था। सोनू के दिमाग ने आत्मसंतुष्टि के लिए एक अजब सा खेल सोच लिया पंखे की पत्तियां उसे अपनी तीनों बहनों जैसी प्रतीत हुई एक सोनी दूजी लाली और तीसरी उसकी सुगना दीदी।

क्या नियति ही उन्हें उसके पास ला रही थी? क्या यह एक संयोग मात्र था की उसकी सुगना दीदी उसके और लाली के कामुक मिलन को देख रही थीं? क्या सोनी के चूत की आग इतनी प्रबल हो गई थी कि वह अपने विवाह तक का इंतजार ना कर पाई….

सोनू ने मन ही मन कुछ सोचा और सिरहाने लगे स्विच को दबाकर पंखे को बंद कर दिया वह पंखा रुकने का इंतजार कर रहा था और अपने भाग्य में आई अपनी बहन को पहचानने की कोशिश। अंततः लाली ही सोनू के भाग्य में आई..

सोनू के चेहरे पर असंतुष्ट के भाव थे वह मन ही मन मुस्कुराया और एक बार फिर पंखे का स्विच दबा दिया.. और नियति के इशारे की प्रतीक्षा करने लगा। आजाद हुआ पिछले परिणाम से संतुष्ट न था। इस बार नियति ने उसे निराश ना किया नियति ने सोनू की इच्छा पढ़ ली…

अनुकूल परिणाम आते ही सोनू का कलेजा धक-धक करने लगा क्या यह उचित होगा? क्यों नहीं? आखिर लाली दीदी और सुगना दीदी दोनों उम्र ही तो है।

वासना से घिरा हुआ सोनू.. सुगना के बारे में सोचने लगा..

जब सोच में वासना भरी हुई तो मनुष्य के जीवन में वही घटनाक्रम आते हैं जो उसकी सोच को प्रबल करते हैं सोनू उस दिन को याद कर रहा था जब हरे भरे धान के खेत में सुगना धान के पौधे रोप रही थी। वह उसके पीछे पीछे वही कार्य दोहराने की कोशिश कर रहा था।…

कुछ देर पहले हुए वीर्य स्खलन ने सोनू को कब नींद की आगोश में ले लिया पता भी न चला अवचेतन मन में चल रहे दृश्य स्वप्न का रूप ले चुके थे..


सोनू बचपन से ही शरारती था…सोनू ने धान की रोपनी कर रही सुगना के घाघरे को ऊपर उठा दिया. आज सपने में भी सोनू वही कर रहा था जो वह बचपन में किया करता था पर तब यह एक आम शरारत थी।

पर तब की और आज की सुगना में जमीन आसमान का अंतर था। पतली और निर्जीव सी दिखने वाली टांगे अब केले के तने के जैसी सुंदर और मांसल हो चुकी थी …. उनकी खूबसूरती में खोया सोनू स्वयं में भी बदलाव महसूस कर रहा था। उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसके वह अब बच्चा नहीं रहा था। सोनू ने सुगना का लहंगा और उठा दिया….सुगना के नितंब सोनू की निगाहों के सामने आ गए दोनो गोलाईयों के बीच का भाग अपनी खूबसूरती का एहसास करा रहा था। परंतु बालों की कालीमां ने अमृत कलश के मुख पर आवरण बना दिया था। वह दृश्य देखकर सोनू मदहोश हो रहा था। अपने स्वप्न में भी उसे व दृश्य बेहद मादक और मनमोहक लग रहा था।

सोनू अपने बचपन की तरह सुगना की डांट की प्रतीक्षा कर रहा था। जो अक्सर उसे बचपन में मिला करती थी। परंतु आज ऐसा न था । सुगना उसी अवस्था में अब भी धान रोप रही थी। जब वह धान रोपने के लिए नीचे झुकती एक पल के लिए ऐसा प्रतीत होता जैसे बालों के बीच छुपी हुई गुलाब की कली उसे दिखाई पड़ जाएगी।

परंतु सोनू का इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा था अधीरता बढ़ती गई और सोनू की उत्तेजना ने उसे अपने लंड को बाहर निकालने पर मजबूर कर दिया।


सोनू का ध्यान अपने लंड पर गया जो अब पूरे शबाब में था। सोनू अपनी हथेलियों में लेकर उसे आगे पीछे करने लगा… उसका ध्यान अब भी सुगना की जांघों के बीच उस गुलाब की कली को देखने की कोशिश कर रहा था। अचानक सुगना की आवाज आई

"ए सोनू का देखा तारे?"

"कुछ भी ना दीदी"

"तब एकरा के काहे उठाओले बाड़े?" सुगना अपने घागरे की तरफ देखते हुए बोली

सोनू अपने स्वप्न में भी शर्मा जाता है परंतु हिम्मत जुटा कर बोलता है

"पहले और अब में कितना अंतर बा"

"ठीक कहा तारे"

सुगना की निगाहें सोनू के लंड की तरफ थीं.. जिसे सोनू ने ताड़ लिया और उसके कहे वाक्य का अर्थ समझ कर मुस्कुराने लगा..

अचानक सोनू को सुगना के बगल में सुगना के बगल में धान रोपती लाली भी दिखाई पड़ गई। सोनू ने वही कार्य लाली के साथ भी किया…

लाली और सुगना दोनों अपने-अपने घागरे को अपनी कमर तक उठाए धान रोप रही थी नितंबों के बीच से उनकी बुर की फांके बालों के बादल काले बादल को चीर कर अपने भाई को दर्शन देने को बेताब थीं।

सोनू से और बर्दाश्त ना हुआ उसने ने हाथ आगे किए और और सुंदरी की कमर को पकड़ कर अपने लंड को उस गुफा के घर में प्रवेश कराने की कोशिश करने लगा बुर पनियायी हुई थी परंतु उसमे प्रवेश इतना आसान न था…सोनू प्रतिरोध का सामना कर रहा था..

चटाक…. गाल पर तमाचा पड़ने की आवाज स्पष्ट थी…

शेष अगले भाग में…
Beautiful update as usual from you .. You are the best writer in this Forum
 

Kadak Londa Ravi

Roleplay Lover
304
594
94
भाग 77
सोनू अंदर कमरे में चल रही गतिविधि का अंदाज लगाने लगा वह भागते हुए अपने कमरे में गया और पीछे की लॉबी में आकर विकास के कमरे में अपनी आंख लगा दिया…

अंदर विकास ने विकास में सोनी के कहने पर उसकी बुर पर से अपने होंठ हटा लिए थे परंतु उसे अपने ऊपर आने के लिए मना लिया था..दृश्य अंदर का दृश्य बेहद उत्तेजक था...

सोनू की आंखें सोनू की आंखें फटी रह गई..


अब आगे...

सोनू उस मदमस्त सुंदरी को विकास के लंड पर उछलते देख कर मदहोश हो गया। ऐसे दृश्य उसने गंदी किताबों में ही देखे थे परंतु आज अपनी खुली आंखों से देख रहा था।

लड़की बेशक माल थी। नितंब कसाव लिए हुए थे पतली कमर पर सजे नितंब और उसके बीच की वह गहरी घाटी ……सोनू की उत्तेजना अचानक चरम पर पहुंच गईं। जब वह लड़की अपनी कमर उपर करती विकास का छोटा काला लंड निकलकर बाहर आता और कुछ ही देर में वह लड़की उसे अपने भीतर स्वयं समाहित कर लेती। गुलाबी बुर में काले लंड का आना जाना सोनू को बेहद उत्तेजित कर रहा था…विकास की किस्मत से उसे अचानक जलन होने लगी।


उसके मन में उस सुंदर बुर में अपना लंड डालने की चाहत प्रबल हो उठी। इधर मन में चाहत जगी उधर लंड विद्रोह पर उतारू हो गया। यदि सोनू के हाथ लंड तक न पहुंचते तो निश्चित ही वह लगातार उछल रहा होता।

सोनू आंखें गड़ाए अंदर के दृश्य देखता रहा और अनजाने में अपनी ही छोटी बहन के नंगे मादक जिस्म का आनंद लेता रहा। अपने खुले बालों को अपनी पीठ पर लहराती सोनी लगातार विकास के लंड पर उछल रही थी और उसका भाई सोनू उसकी बुर को देख देख कर अपना लंड हिला रहा था।

जैसे-जैसे उस सोनी की उत्तेजना बढ़ती गई उसकी कमर की रफ्तार बढ़ती गई। विकास लगातार सोनी की चुचियों को मसल रहा था वह बार-बार अपना सर उठा कर उसकी चुचियों को मुंह में भरने का प्रयास करता।

सोनी कभी आगे झुक कर अपनी चूचियां विकास के मुंह में दे देती और कभी अपनी पीठ को उठा कर विकास के मुंह से अपने निप्पलों को बाहर खींच लेती। विकास अपनी दोनों हथेलियों से उसके नितंबों को पकड़ कर अपने लंड पर व्यवस्थित कर रहा था ताकि वह सोनी के उछलने का पूरा आनंद ले सकें।

विकास की मध्यमा उंगली बार-बार सोनी की गांड को छूने का प्रयास करती कभी तो सोनी उस उत्तेजक स्पर्श से अपनी कमर और हिलाती और कभी अपने हाथ पीछे कर विकास को ऐसा करने से रोकती। प्रेम रथ को नियंत्रित करने के कई कई कंट्रोल उपलब्ध थे.. विकास सोनी के कामुक अंगो को तरह तरह से छूकर सोनी को शीघ्र स्खलित करना चाहता था उसे सोनी को स्खलित और परास्त कर उसे चोदना बेहद पसंद आता था वह उसके बाद अपनी मनमर्जी के आसन लगाता और सोनी के कामुक बदन का समुचित उपयोग करते अपना वीर्य स्खलन पूर्ण करता।


सोनू अपनी ही बहन सोने के कामुक बदन का रसपान लेते हुए अपना लंड हिला रहा था ….सोनू सोच रहा था….क्या गजब माल है …. विकास तो साला बाजी मार ले गया. सोनू ने मन ही मन फैसला कर लिया हो ना हो वह भी इस छमिया को चोदेगा जरूर।

आखिर जो लड़की यूं ही गंधर्व विवाह कर इस तरह चुद रही हो वह निश्चित की वफादार और संस्कारी ना होगी। मन में बुर की कोमल गहराइयों को महसूस करते हुए लिए सोनू अपने लंड को तेजी से आगे पीछे करता रहा..और उसका लंड लावा उगलने को तैयार हो गया…

इसी बीच विकास में सोनी को अपने ऊपर खींच लिया तथा तेजी से अपने लंड को तेजी से आगे पीछे करने लगा।

सोनी विकास के सीने पर सुस्त पड़ी हुई थी और अपनी गांड सिकोड़ रही थी। गांड का छोटा सा छेद कभी सिकुड़ता कभी फैलता। सिर्फ और सिर्फ नितंबों में हरकत हो रही थी और सोनी का शरीर पुरा निढाल पड़ा हुआ था। ऐसा लग रहा था जैसे वह चरमोत्कर्ष का आनंद ले रही थी..। विकास की हथेलियों में उसके कोमल नितंबों को पूरी तरह जकड़ा हुआ था..

उत्तेजक दृश्य को देखकर सोनू स्वयं पर और नियंत्रण न रख पाया और अपने लंड को और तेजी से हिलाने लगा। वह मन ही मन स्खलन के लिए तैयार हो चुका था।

उधर विकास ने उस लड़की को अपने सीने से उतार पीठ के बल लिटा दिया और उसकी जांघें फैला दी.. सोनी की चुदी हुई बुर विकास की निगाहों में आ गईं। बुर जैसे मुंह खोले सोनू के लंड का इंतजार कर रही थी। यह भावना इतनी प्रबल थी कि उसने सोनू के लंड को स्खलन पर मजबूर कर दिया… वीर्य की धार फूट पड़ी ठीक उसी समय विकास लड़की की जांघों के बीच से हट गया और उसका सोनू को सोनी का चेहरा दिखाई पड़ गया।


सोनी को देख सोनू हक्का-बक्का रह गया उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करें। सोनू के लंड से वीर्य की पिचकारी लगातार छूट रही थी। कुछ देर की चूदाई के दृश्य ने उसके लंड में इतनी उत्तेजना भर दी थी कि उसे रोकना नामुमकिन था। अपनी छोटी बहन को इस अवस्था में देखकर वह हतप्रभ था परंतु कमर के नीचे उत्तेजना अपना रंग दिखा रही थी। सोनू ने एक पल के लिए अपनी आंखें बंद कर लीं और झड़ता रहा परंतु सोनी की मदमस्त चूत ने उसे एक बार फिर आंखें खोलने पर मजबूर कर दिया।

सोनू अपनी ही छोटी बहन की बुर को देख लंड से वीर्य निचोड़ता रहा।

विकास एक बार फिर सोनी की जांघों के बीच आकर उसकी बुर को चूम रहा था। अपनी बहन को इस तरह विकास से चुदाते देखकर उसका मन क्षुब्ध हो गया उसे बार-बार यही अफसोस हो रहा था की काश ऐसा ना हुआ होता …उसकी आंखों का देखा झूठ हो जाता परंतु यह संभव न था ।

सोनू विकास के कमरे से सटे अपने कमरे में बैठकर सामान्य होने की कोशिश करने लगा। परंतु यह उतना ही कठिन था जितना जुए में सब कुछ आने के बाद सामान्य हो जाना।


रह रह कर सोनू के मन में टीस उठ रही थी की क्यों विकास और सोनी एक दूसरे के करीब आए,,? मनुष्य अपनी गलतियां और कामुक क्रियाकलाप भूल जाता उसे दूसरे द्वारा की गई कामुक गतिविधियां व्यभिचार ही लगती हैं। यही हाल सोनू का था एक तरफ वह स्वयं अपनी मुंहबोली बड़ी बहन लाली को कई महीनों से चोद रहा था पर अपनी ही छोटी बहन के समर्पित प्रेम प्रसंग से व्यथित और क्रोधित हो रहा था।

अपनी काम यात्रा की यात्रा को याद कर सोनू सोनी को माफ करता गया… आखिर उसने भी तो बेहद कम उम्र में लाली के काम अंगों से खेलना शुरू कर दिया था और राजेश जीजू से नजर बचाकर लाली को चोदना शुरू कर दिया था यह अलग बात थी कि जो सोनू लाली के साथ जो कर रहा था वह कहीं ना कहीं राजेश की ही इच्छा थी। कुछ देर के उथल-पुथल के बाद आखिर सोनू विकास से मिलने को तैयार हो गया।

डिंग डांग ….आखिरकार हिम्मत जुटाकर सोनू ने विकास के रूम की बेल बजा दी..

"अपने कपड़े ठीक कर लो लगता है लगता है मेरा दोस्त ही होगा"

सोनी ने स्वयं को व्यवस्थित किया और उठ कर खड़ी हो गई दरवाजा खुल चुका था और सोनू सामने खड़ा था। सोनू को देखकर सोनी की घिग्घी बंध गई।

उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करें …परंतु इतना तो उसे अवश्य पता था कि इस परिस्थिति में कोई भी झूठ कारगर नहीं होने वाला था।


वह तुरंत ही अपने भाई के पैरों पर गिर पड़ी..झुकी हुई सोनी के मादक नितंब एक बार फिर सोनू की निगाहों में आ गए जो अब कपड़ों के भीतर कैद होकर अपनी सुंदर त्वचा को छुपाने में तो कामयाब हो गए कोमल और सुडौल गोलाईयों को छुपाना असंभव था।

सोनू ने कुछ नहीं कहा अपितु सोनी को कंधे से पकड़ कर ऊपर उठाया और विकास से बोला

"अरे वाह तेरे को मेरी ही बहन मिली थी शादी करने के लिए"

विकास हकलाने लगा…

"सो…. सोनी तेरी बहन है?"

"हां भाई ….मेरी बहन है" सोनू के लिए अभिनय उतना ही कठिन हो रहा था जितना मार खाए बच्चे के लिए हंसना। परंतु सोनू वक्त की नजाकत को समझता था। विकास स्वयं हक्का-बक्का था अपनी जिस प्रेमिका की बातें कर उसने और सोनू में न जाने कितनी बार मुठ मारी थी आज वह प्रेमिका कोई और नहीं अपितु सोनू की बहन थी। परंतु जो होना था वह हो चुका था।

विकास सोनू के गले लग गया और भावुक होते हुए बोला

"भाई तेरी बहन मेरी ब…विकास की जबान रुक गई."

दोनो दोस्त हंसने लगे …सोनी भी अपनी पीठ उन दोनों की तरफ कर मुस्कुराने से खुद को ना रोक पाई। अपने भाई से माफी पाकर उसे तो मानो सातों जहान की खुशियां मिल गई थीं। क्या सोनू ने उसे सचमुच माफ कर दिया और उसके और विकास के रिश्ते को स्वीकार कर लिया था ? यह तो सोनू ही जाने पर सोनी खुश थी।


अब जब सोनू मान चुका था तो सोनी को परिवार वालों से कोई डर न था। वैसे भी सोनू अब धीरे-धीरे परिवार के मुखिया की जगह ले रहा था। सुगना दीदी का आधिपत्य साझा करने वाला यदि घर में कोई था तो वह सोनू ही था।

सोनू ने सोनी से पूछा

"सुगना दीदी के मालूम बा ई सब?"

सोनी ने एक बार फिर रोनी सूरत बना ली..


सोनू तुरंत ही समझ गया। अब जब उसने सोनी को एक बार माफ किया था तो एक बार और सही उसने अपने हाथ खोले और सोनी उसके सीने से सट गई। आज सोनी पूरी आत्मीयता से सोनू के गले लगी थी शायद इसमें उसका अपराध बोध भी था..और सोनू के प्रति कृतज्ञता भी।

जब आत्मीयता प्रगाढ़ होती है आलिंगन में निकटता बढ़ जाती है आज पहली बार सोनू ने सोनी की चुचियों को अपने सीने पर महसूस किया। निश्चित ही यह लाली से अलग थी कठोर और मुलायम .. नियति स्वयं निश्चय नहीं कर पा रही थी कि वह उन मादक सूचियों को क्या नाम दें। सोनी के मादक शरीर का स्पर्श पाकर सोनू के दिमाग में कुछ पल पहले देखे गए दृश्य घूम गये ..

उसने सोनी को स्वयं से अलग किया और बोला…तुम दोनों तैयार हो जाओ बाहर घूमने चलेंगे।

शाम हो चुकी थी सोनू ने विकास और सोनी को बाहर ले जाकर एक अच्छे रेस्टोरेंट में खाना खिलाया और फिर उन्हें अकेला छोड़ दिया। जब-जब सोनू सोनी की तरफ देखता उसे एक अजब सा एहसास होता। उसके दिमाग में बार-बार वही दृश्य घूमने और उसकी निगाहें बरबस ही सोनी के शरीर का माप लेने लगती। वह एक बार फिर अपने दिमाग में चल रहे द्वंद्व में शामिल हो गया क्या वह फिर विकास के कमरे में झांकने की हिम्मत करेगा…. छी छी अपनी ही छोटी बहन को चुदवाते हुए देखना…. नहीं मैं यह नहीं करूंगा…

सोनी इस बात से अनजान थी कि सोनू उसे चूदते हुए देख चुका था। परंतु सोनी की शर्म के लिए इतना ही काफी था कि वह अपने बड़े भाई के सामने अपने प्रेमी के साथ बैठे खाना खा रही थी।

सोनू अपने मन में बार-बार एक ही बात सोचता कि काश विकास की छमिया उसकी बहन न होकर कोई और होती ….

सोनू ने गेस्ट हाउस में अपने लिए भी कमरा बुक कराया था परंतु उसकी वहां रुकने की हिम्मत ना हुई उसे वहां रुकना असहज लग रहा था। अब जब यह बात मालूम चल ही चुकी थी कि सोनी उसकी अपनी सगी बहन है उनके कमरे के ठीक बगल में रुक कर वह उन्हें और स्वयं को असहज नहीं करना चाहता था वह अपने हॉस्टल लौट आया।

सोनू अपने बिस्तर पर पड़ा नियति के दिए इस दर्द को झेलने की कोशिश कर रहा था। उसने यह कभी भी नहीं सोचा था की सोनी की शारीरिक जरूरतें इतनी प्रबल हो जाएंगी कि उसे गंधर्व विवाह स्वीकार करना पड़ेगा। परंतु जो होना था वह हो चुका था।


विकास द्वारा सोनी के बारे में बताई गई बातें सोनू के दिमाग में घूम रही थी। विकास सोनी के साथ की गई कामुक गतिविधियों का विस्तृत विवरण सोनू को अक्सर सुनाया करता था। जब जब वह विकास के उद्धरण को याद करता उसका लंड तन जाता और वह उस अनजान नायिका के नाम पर अपना वीर्य स्खलन कर लेता। परंतु आज वह इस स्थिति में नहीं था। पर जब जब उसे वह सोनी का विकास के लंड पर उछलने का दृश्य याद आता सोनू का लंड तन कर खड़ा हो जाता और सोनू की उंगलियां बरबस उसे सहलाने लगती।

सोनू ने अपना ध्यान सोनी पर से हटाने की कोशिश की वह एक बार फिर अपनी लाली दीदी के बारे में सोचने लगा। उसने अपना ध्यान लाली दीदी की आखरी चूदाई पर ध्यान लगाने की कोशिश की। सोनू का ध्यान उस आखिरी पल पर केंद्रित हो गया जब उसकी निगाहें सुगना से मिली थी और उसने आंखें बंद कर लाली की बुर में गचागच अपना लंड आगे पीछे करना शुरू कर दिया था।

अपनी आंखें बंद करके उसने जो क्षणिक रूप से सोचा था उसे वह याद आने लगा…. सुगना दीदी के साथ ……छी….वह उस बारे में दोबारा नहीं सोचना चाहता था।

परंतु क्या यह संभव था….. एक तरफ सोनू के जेहन में अपनी नंगी छोटी बहन के विकास के लंड पर उछलने के दृश्य घूम रहे थे दूसरी तरफ उसे अपनी घृणित सोच पर अफसोस हो रहा था कैसे उसने उन उत्तेजक पलों के दौरान सुगना दीदी को चोदने की सोच ली थी….

इस उहाफोह से अनजान सोनू का लंड पूरी तरह तन चुका था और उसकी मजबूत हथेलियों में आगे पीछे हो रहा था।


सोनू ने अपना ध्यान लाली पर केंद्रित करने की कोशिश की परंतु शायद वह संभव न था। सोनी और सुगना दोनों ही सोनू के विचारों में आ चुकी थीं जैसे अपना अधिकार मांग रही हों।

सोनू वैसे तो कुटुंबीय संबंधों में विश्वास नहीं करता था परंतु परिस्थितियां उसे ऐसा सोचने पर मजबूर कर रही थी। दोनों बहने जो कामुक बदन तथा मासूम चेहरे की स्वामी थीं सोनू का ध्यान बरबस अपनी तरफ आकर्षित कर रही थीं।


अब तक के ख्याली पुलाव से सोनू का लंड वीर्य उगलने को फिर तैयार हो गया।

सोनू ने एक बार फिर लाली के चूतड़ों के बीच अपने लंड को हिलते हुए याद किया तथा अपनी आंखे बंद कर एक बार फिर अपना वीर्य स्खलन पूर्ण कर लिया… सोनू के स्खलन में आनंद तो भरपूर था परंतु स्खलन के उपरांत उसे फिर आत्मग्लानि ने घेर लिया. छी… उसकी सोच गंदी क्यों होती जा रही है? क्या यह सब सोचना उचित है? कितना निकृष्ट कार्य है यह…?

सोनू अपने अंतर्मन से जंग लड़ता हुआ छत के पंखे की तरफ देख रहा था जो धीरे धीरे घूम रहा था। सोनू के दिमाग ने आत्मसंतुष्टि के लिए एक अजब सा खेल सोच लिया पंखे की पत्तियां उसे अपनी तीनों बहनों जैसी प्रतीत हुई एक सोनी दूजी लाली और तीसरी उसकी सुगना दीदी।

क्या नियति ही उन्हें उसके पास ला रही थी? क्या यह एक संयोग मात्र था की उसकी सुगना दीदी उसके और लाली के कामुक मिलन को देख रही थीं? क्या सोनी के चूत की आग इतनी प्रबल हो गई थी कि वह अपने विवाह तक का इंतजार ना कर पाई….

सोनू ने मन ही मन कुछ सोचा और सिरहाने लगे स्विच को दबाकर पंखे को बंद कर दिया वह पंखा रुकने का इंतजार कर रहा था और अपने भाग्य में आई अपनी बहन को पहचानने की कोशिश। अंततः लाली ही सोनू के भाग्य में आई..

सोनू के चेहरे पर असंतुष्ट के भाव थे वह मन ही मन मुस्कुराया और एक बार फिर पंखे का स्विच दबा दिया.. और नियति के इशारे की प्रतीक्षा करने लगा। आजाद हुआ पिछले परिणाम से संतुष्ट न था। इस बार नियति ने उसे निराश ना किया नियति ने सोनू की इच्छा पढ़ ली…

अनुकूल परिणाम आते ही सोनू का कलेजा धक-धक करने लगा क्या यह उचित होगा? क्यों नहीं? आखिर लाली दीदी और सुगना दीदी दोनों उम्र ही तो है।

वासना से घिरा हुआ सोनू.. सुगना के बारे में सोचने लगा..

जब सोच में वासना भरी हुई तो मनुष्य के जीवन में वही घटनाक्रम आते हैं जो उसकी सोच को प्रबल करते हैं सोनू उस दिन को याद कर रहा था जब हरे भरे धान के खेत में सुगना धान के पौधे रोप रही थी। वह उसके पीछे पीछे वही कार्य दोहराने की कोशिश कर रहा था।…

कुछ देर पहले हुए वीर्य स्खलन ने सोनू को कब नींद की आगोश में ले लिया पता भी न चला अवचेतन मन में चल रहे दृश्य स्वप्न का रूप ले चुके थे..


सोनू बचपन से ही शरारती था…सोनू ने धान की रोपनी कर रही सुगना के घाघरे को ऊपर उठा दिया. आज सपने में भी सोनू वही कर रहा था जो वह बचपन में किया करता था पर तब यह एक आम शरारत थी।

पर तब की और आज की सुगना में जमीन आसमान का अंतर था। पतली और निर्जीव सी दिखने वाली टांगे अब केले के तने के जैसी सुंदर और मांसल हो चुकी थी …. उनकी खूबसूरती में खोया सोनू स्वयं में भी बदलाव महसूस कर रहा था। उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसके वह अब बच्चा नहीं रहा था। सोनू ने सुगना का लहंगा और उठा दिया….सुगना के नितंब सोनू की निगाहों के सामने आ गए दोनो गोलाईयों के बीच का भाग अपनी खूबसूरती का एहसास करा रहा था। परंतु बालों की कालीमां ने अमृत कलश के मुख पर आवरण बना दिया था। वह दृश्य देखकर सोनू मदहोश हो रहा था। अपने स्वप्न में भी उसे व दृश्य बेहद मादक और मनमोहक लग रहा था।

सोनू अपने बचपन की तरह सुगना की डांट की प्रतीक्षा कर रहा था। जो अक्सर उसे बचपन में मिला करती थी। परंतु आज ऐसा न था । सुगना उसी अवस्था में अब भी धान रोप रही थी। जब वह धान रोपने के लिए नीचे झुकती एक पल के लिए ऐसा प्रतीत होता जैसे बालों के बीच छुपी हुई गुलाब की कली उसे दिखाई पड़ जाएगी।

परंतु सोनू का इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा था अधीरता बढ़ती गई और सोनू की उत्तेजना ने उसे अपने लंड को बाहर निकालने पर मजबूर कर दिया।


सोनू का ध्यान अपने लंड पर गया जो अब पूरे शबाब में था। सोनू अपनी हथेलियों में लेकर उसे आगे पीछे करने लगा… उसका ध्यान अब भी सुगना की जांघों के बीच उस गुलाब की कली को देखने की कोशिश कर रहा था। अचानक सुगना की आवाज आई

"ए सोनू का देखा तारे?"

"कुछ भी ना दीदी"

"तब एकरा के काहे उठाओले बाड़े?" सुगना अपने घागरे की तरफ देखते हुए बोली

सोनू अपने स्वप्न में भी शर्मा जाता है परंतु हिम्मत जुटा कर बोलता है

"पहले और अब में कितना अंतर बा"

"ठीक कहा तारे"

सुगना की निगाहें सोनू के लंड की तरफ थीं.. जिसे सोनू ने ताड़ लिया और उसके कहे वाक्य का अर्थ समझ कर मुस्कुराने लगा..

अचानक सोनू को सुगना के बगल में सुगना के बगल में धान रोपती लाली भी दिखाई पड़ गई। सोनू ने वही कार्य लाली के साथ भी किया…

लाली और सुगना दोनों अपने-अपने घागरे को अपनी कमर तक उठाए धान रोप रही थी नितंबों के बीच से उनकी बुर की फांके बालों के बादल काले बादल को चीर कर अपने भाई को दर्शन देने को बेताब थीं।

सोनू से और बर्दाश्त ना हुआ उसने ने हाथ आगे किए और और सुंदरी की कमर को पकड़ कर अपने लंड को उस गुफा के घर में प्रवेश कराने की कोशिश करने लगा बुर पनियायी हुई थी परंतु उसमे प्रवेश इतना आसान न था…सोनू प्रतिरोध का सामना कर रहा था..

चटाक…. गाल पर तमाचा पड़ने की आवाज स्पष्ट थी…

शेष अगले भाग में…
राइटर साहब अपडेट तो बहुत बड़ियां दिया है लेकिन बस इतना करना की सोनी और सोनू की chudai दिखाए तो विकास का land तो तुमने पहले ही छोटा बता दिया है लेकिन जब सोनू का जाए तो सोनी की बुर चीर फाड़ के रख दे और अभी टाइम है सोनी को केसे भी करके सोनू का land के दर्शन हो जाए और सोनी उसकी कल्पना करके विकास से संभोग करे लेकिन विकास संतुष्ट नही कर पाए तब सोनी मजबूरी में सोनू को फसाने की कोशिश करे जैसे चूची दिखाए अनजान बनके या नंगी दिखे कुछ भी
जब सोनू से गले मिले तो अपनी चूची दबा दे या land पर chut दबा दे
तो बहुत ही इरोटिक लगेगा
 
Top