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Incest आह..तनी धीरे से.....दुखाता.

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Lovely Anand

Love is life
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आह ....तनी धीरे से ...दुखाता
(Exclysively for Xforum)
यह उपन्यास एक ग्रामीण युवती सुगना के जीवन के बारे में है जोअपने परिवार में पनप रहे कामुक संबंधों को रोकना तो दूर उसमें शामिल होती गई। नियति के रचे इस खेल में सुगना अपने परिवार में ही कामुक और अनुचित संबंधों को बढ़ावा देती रही, उसकी क्या मजबूरी थी? क्या उसके कदम अनुचित थे? क्या वह गलत थी? यह प्रश्न पाठक उपन्यास को पढ़कर ही बता सकते हैं। उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।

इस उपन्यास में इंसेस्ट एक संयोग है।
अनुक्रमणिका
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भाग 126 (मध्यांतर)
 
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Napster

Well-Known Member
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प्रतिक्षारत हैं
आप जैसे लेखनी के जादूगर की प्रतिक्षा रहेगी फोरम पर बस लौट आवो
यही प्रार्थना 🙏
 

Lovely Anand

Love is life
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मैं इस फोरम पर आज भी जुड़ा हूं और आगे भी शायद जुड़ा रहूंगा ... यदि आप जैसे पाठक जो कहानी पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे होते तो शायद यह कहानी बंद करने की नौबत ना आती...
आज यदि इस कहानी के इस फोरम पर बंद होने का यदि कोई कारण है तो वह है सिर्फ और सिर्फ पाठकों की बेरुखी खैर कोई बात नहीं जिन लोगों ने इंटरेस्ट दिखाया है उन्हें आगे के एपिसोड शीघ्र ही मिलेंगे और मिलते रहेंगे तब तक जब तक संवाद कायम रहेगा अन्यथा हर आदमी की अपनी अलग दुनिया है.... उसमें मस्त रहें और स्वस्थ रहें...
 
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Lovely Anand

Love is life
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भाग 90

मनोरमां मधु को गोद में लिए खड़ी हो गई और सरयू सिंह टेबल पर पड़ी मोमबत्ती लेकर। मनोरमा सरयू सिंह के आगे चलने का इंतजार कर रही थी परंतु सरयू सिंह मनोरमा के पीछे ही खड़े थे अंततः मनोरमा को ही आगे आगे चलना पड़ा…. शायद सरयू सिंह अपनी मनोरमा मैडम को लेडीस फर्स्ट कहकर आगे जाने के लिए प्रेरित कर रहे थे परंतु असल बात पाठक भी जानते हैं और सरयू सिंह भी..



सरयू सिंह ने न जाने मन में क्या सोचा और वह शराब की बोतल को भी अपने दूसरे हाथ में ले लिया। आगे-आगे मनोरमा बलखाती हुई चल रही थी और पीछे पीछे अपना खड़ा लंड लिए हुए सरयू सिंह।


अब आगे...



मनोरमा के कमरे में पहुंचकर सरयू सिंह ने एक अजब सी खुशबू महसूस की… सरयू सिंह मोमबत्ती की रोशनी में मनोरमा के कमरे की खूबसूरती का मुआयना करने लगे उधर मनोरमा पिंकी को पालने में डालने झुकी.. और सरयू सिंह ने उसके नितंबों के बीच से अचानक उस स्वर्गद्वार के दर्शन कर लिए… जिसके मुहाने पर वह लगभग पहुंच चुके थे..


उन्होंने मोमबत्ती नीचे की ताकि उस दिव्य दर्शन का रसास्वादन कर सकें.. शायद मोमबत्ती की रोशनी के इधर-उधर होने से मनोरमा ने अपनी स्थिति का अंदाजा लगा लिया और वह तुरंत ही खड़ी हो गई.. और पलट कर पीछे सरयू सिंह की तरफ देखा..


मनोरमा की तीखी नजरें और झूठे गुस्से को देख कर सरयू सिंह सहम गए…अचानक उन्हें ध्यान आया कि जिस सुंदर युवती की बुर को वह ललचाई निगाहों से देख रहे हैं वह उनकी मैडम मनोरमा है…पूरे शौर्य और ऐश्वर्य से भरी हुई मनोरमा आज नग्न अवस्था में सरयू सिंह को सिर्फ और सिर्फ कामातुर महिला दिखाई पड़ रही थी।


मैडम शब्द सरयू सिंह को रास आ गया वैसे भी वह शराब के नशे में आ चुके थे और मनोरमा मैडम के कद और मान सम्मान को भूल कर अब वह उन्हें ललचाई और वासना भरी निगाहों से देख रहे थे..


मनोरमा जड़वत खड़ी रही। सरयू सिंह ने मनोरमा के खूबसूरत शरीर का मुआयना किया और जैसे-जैसे सरयू सिंह की निगाहें मनोरमा के उभरे हुए सीने से होती हुई जांघों के बीच गहरी घाटी पर गईं मनोरमा की जांघें एक दूसरे से रगड़ खाने लगी। पैर का अंगूठा अपने साथी पर चढ़कर दबाव बनाने लगा… मनोरमा बेचैन हो उठी… उत्तेजना चरम पर थी। सरयू सिंह और उसके बीच की दूरी दो कदम की थी….पर न सरयू सिंह कदम बढ़ा रहे थे न अपनी हया में लिपटी मनोरमा।


जांघों की रगड़ ने बुर के होंठो पर आए प्रेमरस को छलका दिया जिसे मनोरमा ने बखूबी महसूस किया उसने उसे सरयू सिंह की नजरों से बचाने को कोशिश की और लड़खड़ा गई।


परंतु सरयू सिंह आगे बढ़े उनकी हथेलियों ने मनोरमा के नितंबों को सहारा दिया और मनोरमा एक बार फिर सरयू सिंह की गोद में आ गई…इस आपाधापी में सरयू जिस ने शराब को बोतल को अपने हाथ से न गिरने दिया पर मोमबत्ती को गिराने से न बचा पाए…और मोमबत्ती बुझ गई पर उनके हाथ में मनोरमा के रूप में खूबसूरत चांद आ चुका था..


सरयू सिंह मनोरमा के बिस्तर के किनारे बैठ चुके थे। उन्होंने अपने दोनो पैर आपस में सटा लिए और मनोरमा अपने दोनो पैर उनके पैरों के दोनों तरफ करके उनकी गोद में बैठ गई…चेहरा सरयू सिंह की तरफ..


अंधेरे ने दूरियां मिटा दी..और नंगी मनोरमा अमरबेल की तरह सरयू सिंह से लिपट गई।


जाने कामुकता और वासना में ऐसा कौन सा आकर्षण है जो स्त्री पुरुष को स्वतः ही एक होने पर मजबूर कर देता है ऐसा लग रहा था जैसे मनोरमा और सरयू सिंह ने एक दूसरे के बीच की जगह को भर दिया था पेट से पेट जांघों से जांघें.. गालों से गाल परंतु जो आकर्षण मनोरमा के खूबसूरत और रसीले होठों में था वह वह अद्भुत था सरयू सिंह ने मनोरमा के रसीले होंठ अपने होंठों के बीच ले लिए और संतरे की खूबसूरत फांकों से संतरे का रस चूसने को कोशिश करने लगे।


मनोरमा कसमसा रही थी और सरयू सिंह से लगातार सटती जा रही थी …. सरयू सिंह के लंड का दबाव अपने पेट पर महसूस कर मनोरमा से रहा न गया। उसने ऊपर उठने को कोशिश की और सरयू सिंह ने मनोरमा को मनोदशा पढ़ ली। सरयू सिंह खुद को व्यवस्थित किया अपने एक हाथ से मनोरमा के नितंबों को सहारा दिया और सरयू सिंह के लंड ने मनोरमा के निचले होठों को चूम लिया…


न जाने ऐसे मौकों पर जिह्वा न जाने कहां विलुप्त हो जाती है। न सरयू सिंह कुछ बोल रहे थे ना मनोरमा पर यह प्यार अद्भुत था….


सरयू सिंह के तने हुए लंड को अपनी बुर के मुहाने पर महसूस कर मनोरमा सिहर उठी उसने अपनी जांघें सीधी की और वह सरयू सिंह की हथेलियों से छलक कर नीचे आ गई।


परंतु नीचे आने पर लंड बुर में धंसता चला गया मनोरमा के पैर पर अब भी हवा में थे जब तक वह जमीन को छूते लंड गर्भाशय के मुख पर दस्तक दे रहा था।


सरयू सिंह इस अद्भुत अनुभव को महसूस कर मदहोश हुए जा रहे थे उन्होंने मनोरमा की कमर पर हाथ रख उसे अपने लंड को अपने मैडम की अनोखी गुफा में फिसल जाने दिया और उस अद्भुत अहसास को महसूस कर मनोरमा को अपने आगोश में लेते चले गए दूसरे हाथ में पकड़ी हुई शराब की बोतल निश्चित ही इस प्रेम मिलन में बाधा डाल रही थी परंतु जिस शराब ने सरयू सिंह को इतना साहस दिया था वह उसे अपने हाथों से जुदा ना कर रहे थे।


मनोरमा अपने कोमल बदन में उस खूटे जैसे लंड को लेकर एक अजब सा दबाव महसूस कर रही थी …वह तो भला हो पिछले कुछ मिनटों से चल रहे उत्तेजक दौर का जिसने मनोरमा की बुर को पूरी तरह चिपचिपा कर दिया था अन्यथा यदि कहीं सरयू सिंह का लंड ऐसे ही मनोरमा की बुर में जाता वह निश्चित ही चीख उठती।


कमरे में अंधेरा था खिड़कियों पर परदे लगे हुए थे परंतु बाहर कड़क रही बिजली के प्रकाश को रोक पाना असंभव था रोशनदान से अब भी बिजली कड़कने की रोशनी कमरे में आ रही थी और खूबसूरत मनोरमा का चेहरा बार-बार सरयू सिंह की निगाह में आ रहा था जब-जब बिजली कड़कती मनोरमा अपनी आंखें बंद कर लेते और सरयू सिंह जी भर कर मनोरमा का चेहरा देख लेते..


मनोरमा और सरयू सिंह इसी अवस्था में कुछ देर रहे सरयू सिंह अपने पैर हिलाकर लंड को मनोरमा की बुर में और व्यवस्थित करते रहे तभी मनोरमा ने सरयू सिंह के कान में कहा…


"बोतल को रख दीजिए हाथ में क्यों पकड़े हैं..?"


"इसमें बची हुई है गिर जाएगी"


मनोरमा मुस्कुराने लगी जिसशराब को सरयू सिंह अब से कुछ देर पहले गंदा बता रहा थे अब वह उसके गिरने की चिंता कर रहे थे उसने मुस्कुराते हुए कहा


"तो लाइए खत्म कर देते हैं"


"सरयू सिंह प्रसन्न हो गए और अपने लंड पर बैठी हुई मनोरमा के होठों से शराब की बोतल को लगा दिया.."


मनोरमा ने दो घूंट वाइन के लिए और बोली


"आप भी लेंगे…"


सरयू सिंह ने हामी भरी और मनोरमा उनके होठों पर शराब गिराने लगी..


सरयू सिंह अपनी मैडम के साथ शराब की घुट पिए जा रहे थे. और उनका मतवाला लंड अपनी महबूबा से नजदीकियां बढ़ा रहा था जाने सरयू सिंह के लंड में क्या खास बात थी वह हर बुर से वैसे ही दोस्ती कर लेता था जैसे उसका सृजन ही उस बुर के लिए हुआ हो।


नशा अपने मुकाम पर था। पीने पिलाने के दौर में न जाने कब शराब की बोतल छलक कर उन दोनों प्रेमियों के बीच गिर गई और शराब मनोरमा की चूचियों और पेट से होते हुए नीचे आने लगी।


सरयू सिंह सरयू सिंह शराब का एक कतरा भी व्यर्थ नहीं देना जाने देना चाहते थे वह मनोरमा के गले और कंधों को चुमते हुए नीचे आने लगे।


परंतु अपने सर को अब और को झुका पाना संभव न था। उन्होंने मनोरमा को अपने शरीर से दूर किया और मनोरमा की चूचियों की घाटी तक पहुंच गए।


आगे की राह और कठिन हो रही थी परंतु चूचियों की गंध ने सरयू सिंह में अजब सी स्पूर्ति भर दी। उन्होंने एक ही झटके में मनोरमा को उठा लिया और बिस्तर पर लगभग पटक दिया वह स्वयं भी बिस्तर पर आ गए और खुलकर मनोरमा की शराब से सनी हुई चूचियां चाटने लगे।


शराब की मादक गंध और मनोरमा की मदमस्त चूचियां सरयू सिंह को बेसुध किए दे रही थी वह बार-बार अपना बड़ा सा मुंह खोलकर दूधिया चुचियों को अपने मुंह में भर लेते और चुचियों से लिपटी हुई शराब का अंश अंश अपने जीभ में समेट लेते।


उधर लंड बुर से बाहर खड़ा उछल रहा था परंतु सरयू सिंह मनोरमा की चूचियों चूसने में पूरी तरह व्यस्त थे..मनोरमा बार-बार जांघें फैलाए उन्हें आमंत्रित करती परंतु के लिए संभोग के लिए सरयू सिंह को खुल कर बोल पाने की हिम्मत न जुटा पा रही थी…


अचानक वह हुआ जिसका अंदाजा किसी को ना था लखनऊ शहर में जो बत्ती गुल हुई थी वह अचानक ही आ गई कमरे में दूधिया प्रकाश फैल गया और मनोरमा ने अपनी आंखें बंद कर ली परंतु सरयू सिंह भौचक रह गए उन्होंने अचानक ही मनोरमा की चूचियां छोड़ दी और स्वयं को मनोरमा के शरीर से अलग कर लिया ..


मनोरमा की नंगी जांघों के बीच बैठे सरयू सिंह सामने लेटी हुई नग्न अप्सरा को देख रहे थे जिस मनोरमा मैडम ने अपने प्रभुत्व और मर्यादित व्यक्तित्व से पूरे जिले पर अपना प्रभुत्व जमाया हुआ था वह आज सरयू सिंह के सामने अपने दोनों हाथों से अपनी आंखें मीचे नंगी पड़ी हुई थी..


मनोरमा का कलेजा धक-धक कर रहा था जो उसकी उछलती हुई चुचियों से स्पष्ट दिखाई पड़ रहा आगे क्या होगा यह कहना कठिन था…


कुछ देर सरयू सिंह यूं ही मनोरमा को ताकते रहे दूसरी चूची पर लगी वाइन ने उन्हें एक बार फिर उनका मार्गदर्शन किया और वह मनोरमा की चूची पर टूट पड़े मनोरमा और सरयू सिंह के बीच अब जो हो रहा था उसने मनोरमा को अपनी आंखों पर से उंगली हटाने पर मजबूर कर दिया वह बीच-बीच में अपनी आंखें खोल कर सरयू सिंह को अपनी चूचियां चूसते हुए देखते और अपनी जांघें…ऐठने लगती..


अंततः मनोरमा से और बर्दाश्त ना हुआ उसने सरयू सिंह के सर पर हाथ फेरा और उन्हें अपने ऊपर खींचने की कोशिश की।


सरयू सिंह कामकला के हमेशा से पारखी थे स्त्री की इच्छा को पहचानना उन्हें बखूबी आता था अचानक ही वह चुचियों को छोड़कर मनोरमा के पास आए और उसकी बंद आंखों को चुमते हुए बोले


"मैडम आज आप"


इतना कहकर सरयू सिंह मनोरमा के बगल में लेट गए और मनोरमा मुस्कुराते हुए उठ कर बैठ गई। सरयू सिंह ने अपनी आंखें बंद कर ली ताकि मनोरमा खुलकर आनंद ले सके सरयू सिंह की बंद आंखें देखकर मनोरमा उत्साहित हो गई उसने सरयू सिंह के गठीले बदन का जी भर कर मुआयना किया और… खूबसूरत लंड को देखकर वह उसे अपने हाथों में लेने को मचल उठी।


मनोरमा ने सरयू सिंह के लंड को अपने हाथों में ले लिया जो अभी भी उसके बुर के रस से सना हुआ था। मनोरमा ने ऐसा खूबसूरत लंड अपनी जिंदगी में आज से पहले कभी नहीं देखा था। उसने उसे जी भर कर उसे सह लाया और खुद को उसे चूमने से न रोक पाई…


और जब एक बार मनोरमा के होंठों ने उस अनजान लंड को अपना लिया वह मनोरमा के मुख में दाखिल होता चला गया मनोरमा वैसे भी सेक्रेटरी साहब का लंड चूसने में महारत हासिल कर चुकी थी परंतु वह सरयू सिंह को अपने कौशल से इस स्खलित नहीं करना चाह रही थी उसे अद्भुत चूदाई का आनंद लेना था।


सरयू सिंह ने अपनी आंखें खोली और अपनी अप्सरा जैसी मैडम को अपना लंड चूसते देखकर खुद को इस दुनिया का शहंशाह समझने लगे…


सरयू सिंह अपनी कमर को उछाल उछाल कर कर अपने लंड को मनोरमा के मुख में और गहरे तक उतारने की कोशिश करने लगे।


सरयू सिंह की उत्तेजना को मनोरमा ने बखूबी भाप लिया और उसने सरयू सिंह के लंड को मझधार में छोड़ कर खुद उनके सीने के पास आ गई। मनोरमा ने सरयू सिंह के गालों और होठों को चूमना शुरू कर दिया। स्त्री और पुरुष के बीच प्रेम अपनी पराकाष्ठा तभी प्राप्त करता है जब शरीर के सारे अंग एक दूसरे में समा जाने को आतुर होते हैं यही चरम है यही आनंद है यही अति है यही अंत है।


मनोरमा की जांघों के बीच वह खूबसूरत लंड आ चुका था मनोरमा ने अपनी जांघें फैलाई और और बुर ने उस घमंडी जादुई मूसल को आत्मसात कर लिया । कहने सुनने को कुछ बाकी न था और मनोरमा ने सरयू सिंह के लंड को एक बार फिर अपनी बुर में जगह दे दी जैसे जैसे वह लंड पर बैठती गई लंड मनोरमा के शरीर में उतरता चला गया और मनोरमा के अधूरे जीवन को तृप्त करता गया। मनोरमा को अब अपनी नाभि तक तनाव महसूस हो रहा था।


मनोरमा उस अद्भुत अहसास को महसूस कर रही थी।और अपनी कमर को आगे पीछे कर उस लंड को अपने शरीर में और अंदर तक ले जाना चाह रही थी। शराब उसे अपनी उत्तेजना और आनंद को एक नए मुकाम तक ले जाने में मदद कर रही थी।


मनोरमा की कमर तेजी से हिलने लगी …सरयू सिंह का लंड तो खूबसूरत और मुलायम पाटों के बीच पिस रहा था। वह अपने दोनों हाथ सरयू सिंह के कंधे पर रखकर अपनी कमर को तेजी से उछालने लगी।


सरयू सिंह अपनी हथेलियों से मनोरमा को छूने की कोशिश कर रहे थे परंतु मनोरमा बार-बार उनके हाथ नीचे कर दे रही थी। आज वह पूरी तरह अपनी स्वेच्छा और मर्जी से अपने हिस्से का आनंद भोगना चाह रही थी।


मनोरमा की कमर की रफ्तार लगातार बढ़ती जा रही थी। सरयू सिंह अपनी आंखें बंद किए हुए थे और मनोरमा की बढ़ती उत्तेजना का आनंद ले रहे थे।


उनका लंड भी पूरी तरह उत्तेजित और इस अद्भुत सुख सुख से रूबरू हो रहा था सरयू सिंह अपनी कमर को आगे पीछे करने की कोशिश करते परंतु मनोरमा उन्हें रोक देती आखिर मनोरमा की गति बढ़ती गई और यही वह पल था जब सरयू सिंह ने मनोरमा अपनी तरफ खींच लिया ।


सरयू सिंह यह बात भली-भांति जानते थे इस स्खलित हो रही योनि के अंदर लंड का तेज आवागमन स्खलन के सुख को दुगना कर देता है । उन्होंने मनोरमा की एक न सुनी और अपने दाहिने हाथ से मनोरमा को अपने सीने से हटा लिया और बाएं हाथ से उसकी कमर को पकड़ कर उसे गचा गच चोदने लगे। मनोरमा उत्तेजना से तड़प रही थी परंतु कुछ बोल पाने की स्थिति में न थी उसके गाल सरयू सिंह के गाल ल से सटे हुए थे और सरयू सिंह अपना लंड तेजी से उसके बुर में आगे पीछे कर रहे थे।


मनोरमा की बुर थिरक रही थी और इस स्खलित हो रही थी। बुर की धड़कन और थिरकन लंड महसूस कर रहा था ….परंतु शराब के नशे में जैसे सरयू सिंह को एक अलग ताकत से भर दिया था वैसे ही इनके बलशाली लंड को भी। वो स्खलित होने का नाम नहीं ले रहा था।


अंततः मनोरमा निढाल हो गई। सरयू सिंह का लंड अब भी उछल रहा था परंतु मनोरमा एकदम स्थिर हो चुकी थी । सांसे तेज धौकनी की तरह चल रही थीं। पसीने से लथपथ मनोरमा सरयू सिंह के ऊपर लेटी हुई थी।


सरयू सिंह ने अपने लंड के आवागमन को पूरी तरह विराम दे दिया था…वह मनोरमा की स्थिति को भलीभांति समझ रहे थे और उसकी पीठ को धीरे-धीरे सहला रहे थे मनोरमा एक मासूम और अबोध की तरह उनके सीने पर लपटी अपनी इस अद्भुत चूदाई के सुख को महसूस कर रही थी और तृप्त हो रही थी कुछ देर यूं ही दोनों पड़े रहे।


अचानक मनोरमा में एक ऐसा प्रश्न पूछ लिया जिसका उत्तर देना सरयू सिंह के लिए बेहद कठिन था सरयू सिंह को पसीने छूटने लगे मनोरमा मैडम के प्रश्न का उत्तर देना इतना आसान न था और प्रश्न से बचना उतना ही कठिन..


मनोरमा ने मनोरमा में अपनी बड़ी-बड़ी आंखें खोल कर सरयू सिंह के गाल को सह लाते हुए पूछा


"बताइए ना…?".


शेष अगले भाग में….

 
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raniaayush

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मैं इस फोरम पर आज भी जुड़ा हूं और आगे भी शायद जुड़ा रहूंगा ... यदि आप जैसे पाठक जो कहानी पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे होते तो शायद यह कहानी बंद करने की नौबत ना आती...
आज यदि इस कहानी के इस फोरम पर बंद होने का यदि कोई कारण है तो वह है सिर्फ और सिर्फ पाठकों की बेरुखी खैर कोई बात नहीं जिन लोगों ने इंटरेस्ट दिखाया है उन्हें आगे के एपिसोड शीघ्र ही मिलेंगे और मिलते रहेंगे तब तक जब तक संवाद कायम रहेगा अन्यथा हर आदमी की अपनी अलग दुनिया है.... उसमें मस्त रहें और स्वस्थ रहें...
Kabhi kbhi vyastata ho jati hai.
 

Raiazada7

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To user bhi to hum naye hai DOST....
Jb se user bne hai...tbse comments bhi de rhe baki itni narazgi kyu...
Fr se kahunga all the best for future buddy🤗🤗
Waise aapki aagya ho to apki badai 89 comment nhi DOST...pure 89000000000 comments kr de...ya isse bhi jyde kyuki aap likhte bahut best really...mai aapki kahani pdh k hi aaya tha iss forum pe...phle sirf ak reader tha but user apne banaya DOST... Thanks buddy
 
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Reactions: Napster and Sanju@

raniaayush

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इतना भी क्या रूठना लेखक जी....देखलो बिना अपडेट के इतने कमेंट आ रहे हैं। कहानी बंद करनी है तो ठीक है, लेकिन पाठकों को दोष दे कर नहीं।
 
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