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Incest आह..तनी धीरे से.....दुखाता.

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Lovely Anand

Love is life
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144
आह ....तनी धीरे से ...दुखाता
(Exclysively for Xforum)
यह उपन्यास एक ग्रामीण युवती सुगना के जीवन के बारे में है जोअपने परिवार में पनप रहे कामुक संबंधों को रोकना तो दूर उसमें शामिल होती गई। नियति के रचे इस खेल में सुगना अपने परिवार में ही कामुक और अनुचित संबंधों को बढ़ावा देती रही, उसकी क्या मजबूरी थी? क्या उसके कदम अनुचित थे? क्या वह गलत थी? यह प्रश्न पाठक उपन्यास को पढ़कर ही बता सकते हैं। उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।

इस उपन्यास में इंसेस्ट एक संयोग है।
अनुक्रमणिका
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भाग 126 (मध्यांतर)
 
Last edited:

prkin

Well-Known Member
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भाग 92
सरयू सिंह अपने मन में सुखद कल्पनाएं लिए कल्पना लोक में विचरण करने लगे. कई दृश्य धुंधले धुंधले उनके मानस पटल पर घूमने लगे कजरी… पदमा सुगना… और अब मनोरमा….. मानस पटल पर अंकित इन चार देवियों में अब भी सुगना नंबर एक पर ही थी…

सरयू सिंह को यदि यह पता न होता की सुगना उनकी पुत्री है तो वह सुगना को जीवन भर अपनी अर्धांगिनी बनाकर रखते…और सारे जहां की खुशियां उसकी झोली में अब भी डाल रहे होते….

रात बीत रही थी सूरज गोमती नदी के आंचल से निकलकर लखनऊ शहर को रोशन करने के लिए बेताब था।

अब आगे..

आज लखनऊ की सुबह बेहद सुहानी थी… गंगाधर स्टेडियम में सोनू और उसके साथियों के शपथ ग्रहण समारोह के लिए दिव्य व्यवस्था की गई थी… सफेद वस्त्रों से बने पांडाल पर गेंदे के फूल से की गई सजावट देखने लायक थी…बड़े-बड़े कई सारे तोरण द्वार बनाए गए थे। उन पर की गई सजावट सबका मन मोहने वाली थी। सुगना अपने दोनों छोटे बच्चों के साथ सज धज कर तैयार होकर और सोनू और सरयू सिंह के साथ गंगाधर स्टेडियम में प्रवेश कर रही थी।

सुगना इतनी भव्यता की आदी न थी वह आंखें फाड़ फाड़ कर गंगाधर स्टेडियम में की गई सजावट का आनंद ले रही थी.. सुगना यह बात भूल रही थी कि वह स्वयं नियति और नियंता की अनूठी कृति है।


जो स्वयं सबका मन मोहने वाली थी वह गंगाधर स्टेडियम की सजावट में खोई हुई थी वह जिस रास्ते से गुजर रही थी आसपास के लोग उसे एकटक देख रहे थे।

जाने सुगना के शरीर में ऐसा कौन सा आकर्षण था कि हर राह चलता व्यक्ति उसे एकटक देखता रह जाता सांचे में ढली मदमस्त काया साड़ी के आवरण में भी उतनी ही कामुक थी जितनी साड़ी के भीतर।

शिफॉन की साड़ी ने उसकी काया को और उभार दिया था भरी-भरी चूचियां पतली गोरी कमर और भरे पूरे नितंब हर युवा और अधेड़.. सुगना के शरीर पर एक बार अपनी निगाह जरूर फेर लेता। और जिसने उसके कोमल और मासूम चेहरे को देख लिया वह तो जैसे उसका मुरीद हो जाता। एक बार क्या बार-बार जब तक सुगना उसकी निगाहों की के दायरे में रहती वह उस खूबसूरती का आनंद लेता।

सुगना धीरे-धीरे दर्शक दीर्घा में आ गई…

सोनू ने सुगना और सरयू सिंह के बैठने का प्रबंध किया और सुगना का पुत्र सूरज सरयू सिंह की गोद में आकर उनसे खेलने लगा सूरज और सरयू सिंह का प्यार निराला था। सरयू सिंह की उम्र ने सूरज को उन्हें बाबा बोलने पर मजबूर कर दिया था ….

मधु सुगना की गोद में बैठी चारों तरफ एक नए नजारे को देख रही थी उस मासूम को क्या पता था कि आज उसके पिता सोनू एक प्रतिष्ठित पद की शपथ लेने जा रहे थे..

सूट बूट में सोनू एक दूल्हे की तरह लग रहा था था . सुगना ने अधिकतर युवकों को सूट-बूट विवाह समारोह के दौरान ही पहनते देखा था।

सुगना की निगाहें बार-बार सोनू पर टिक जाती और वह अपनी हथेलियों को मोड़ कर अपने कान के पास लाती और मन ही मन सोनू की सारी बलाइयां उतार लेती मन ही मन वह अपने अपने इष्ट देव से सोनू को हर खुशियां और उसकी हर इच्छा पूरी करने के लिए वरदान मांगती.. परंतु शायद सुगना यह नहीं जानती थी कि इस समय सोनू के दिमाग में सिर्फ और सिर्फ एक इच्छा थी और वह सिर्फ सुगना ही पूरा कर सकती थी। और वह इच्छा पाठको की इच्छा से मेल खाती थी।

सुगना की प्रार्थना भगवान ने भी सुनी और नियति ने भी जिस मिलन की प्रतीक्षा सोनू न जाने कब से कर रहा था सुगना ने अनजाने में ही अपने इष्ट देव से सोनू की खुशियों के रूप में वही मांग लिया था..

मंच पर गहमागहमी बढ़ गई…. सभी मानिंद लोक मंच पर आसीन हो चुके थे मुख्य अतिथि का इंतजार अब भी हो रहा था।


अचानक पुलिस वालों के सुरक्षा घेरे में एक महिला आती हुई दिखाई पड़ी। दर्शक दीर्घा में कुछ लोग खड़े हो गए… फिर क्या था… एक के पीछे एक धीरे धीरे सब एक दूसरे का मुंह ताकते ……..परंतु उन्हें खड़ा होते देख स्वयं भी खड़े हो जाते … कुछ ही देर में पंडाल में बैठे सभी लोग खड़े हो गए सुगना और सरयू सिंह भी उनसे अछूते न थे धीरे-धीरे महिला मंच के करीब आ गई।

सुगना की निगाह उस महिला पर पड़ते सुगना बोल उठी…

"अरे यह तो मनोरमा मैडम है…अब तक सरयू सिंह ने भी मनोरमा को देख लिया था जिस मनोरमा को बीती रात उन्होंने जी भर कर चोदा था आज वह चमकती दमकती अपने पूरे शौर्य और ऐश्वर्य में अपने काफिले के साथ इस मंच पर आ चुकी थी।

उद्घोषणा शुरू हो चुकी थी…और सभी अपने अपने मन में चल रहे विचारों को भूलकर उद्घोषणा सुनने में लग गए…

आज मनोरमा के चेहरे पर एक अजब सी चमक थी सरयू सिंह और मनोरमा की निगाहें मिली। मनोरमा ने न चाहते हुए भी सरयू सिंह के चेहरे से अपनी निगाहें हटा ली और सामने बैठी अपनी जनता को सरसरी निगाह से देखने लगी।.

मंच पर बैठने के पश्चात उसने अपनी निगाहों से सुगना को ढूंढने की कोशिश की ….सरयू सिंह के बगल में बैठी सुगना को देखकर मनोरमा ने मुस्कुरा कर सुगना का अभिवादन किया। परंतु सुगना ने अपना हाथ उठाकर मनोरमा का ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश की। सुगना के मासूमियत भरे अभिवादन से मनोरमा खुद को ना रोक पाई और उसने भी हाथ उठाकर सुगना के अभिवादन का जवाब दे दिया।


दर्शक दीर्घा में बैठे सभी लोग उस शख्स की तरफ देखने लगे जिसके लिए मनोरमा ने अपने हाथ हिलाए थे… सुगना को देखकर सब आश्चर्यचकित थे मनोरमा और सुगना के बीच के संबंध को समझ पाना उनके बस में न था…सरयू सिंह मन ही मन घबरा रहे थे की कहीं सुगना और मनोरमा अपनी बातें एक दूसरे से साझा न कर लें…

डर चेहरे से तेज खींच लेता है…. सरयू सिंह अचानक खुद को निस्तेज महसूस कर रहे थे.. वह वह अपना ध्यान मनोरमा से हटाकर सूरज के साथ खेलने लगे..

उधर मंच पर बैठी मनोरमा सरयू सिंह और सुगना को देख रही थी नियति ने दो अनुपम कलाकृतियों को पूरी तन्मयता से गढ़ा था उम्र का अंतर दरकिनार कर दें तो शायद सरयू सिंह और सुगना खजुराहो की दो मूर्तियों की भांति दिखाई पड़ रहे थे एक बार के लिए मनोरमा ने अपने प्रश्न के उत्तर में सुगना को खड़ा कर लिया परंतु उसका कोमल और तार्किक मन इस बात को मानने को तैयार न था कि सरयू सिंह अपनी पुत्री की उम्र की पुत्रवधू सुगना के साथ ऐसा संबंध रख सकते है…

मंच पर मनोरमा मैडम का उनके कद के अनुरूप भव्य स्वागत किया गया । सरयू सिंह मनोरमा की पद और प्रतिष्ठा के हमेशा से कायल थे और आज उसे सम्मानित होता देख कर स्वयं गदगद हो रहे थे। मनोरमा के सम्मान से उन्होंने खुद को जोड़ लिया था आखिर बीती रात मनोरमा और सरयू सिंह एक ऐसे रिश्ते में आ चुके थे जो शायद आगे भी जारी रह सकता था।

स्वागत भाषण के पश्चात अब बारी थी इस प्रोग्राम के सबसे काबिल और होनहार युवा एसडीएम को बुलाने..की…

सभी प्रतिभागीयों के परिवार के लोग उस व्यक्ति के नाम का इंतजार कर रहे थे जो इस ट्रेनिंग की बाद हुई परीक्षा में अव्वल आया था और जिसे इस कार्यक्रम में सबसे पहले सम्मानित किया जाना था..

प्रतिभागियों के परिवार को शायद इसका अंदाजा न रहा हो परंतु सभी प्रतिभागी यह जानते थे कि उनका कौन इस ट्रेनिंग प्रोग्राम की शान था और वही निर्विवाद रूप से इस ट्रेनिंग प्रोग्राम का सबसे होनहार व्यक्ति था।

उद्घोषक ने मंच पर आकर कहा …

अब वह वक्त आ गया है कि इस ट्रेनिंग प्रोग्राम के सबसे होनहार और लायक प्रतिभागी का नाम आप सबके सामने लाया जाए आप सब को यह जानकर हर्ष होगा कि यह वही काबिल प्रतिभागी हैं जिन्होंने पिछली बार पीसीएस परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया था…

उद्घोषक के कहने से पहले ही भीड़ से संग्राम सिंह …संग्राम सिंह…. की आवाज गूंजने लगी…

अपने सोनू का नाम भीड़ के मुख से सुनकर सुगना आह्लादित हो उठी उसने पीछे मुड़कर देखा। पीछे खड़ी भीड़ गर्व से संग्राम सिंह का नाम ले रही थी।

उद्घोषक ने भीड़ की आवाज थमने का इंतजार किया और बोला आप लोगों ने सही पहचाना वह संग्राम सिंह ही हैं मैं मंच पर उनका स्वागत करता हूं और साथ ही स्वागत करता हूं उनकी बहन सुगना जी का जिनके मार्गदर्शन और सहयोग से संग्राम सिंह जी ने यह मुकाम हासिल किया है। सुगना बगले झांक रही थी…उसे इस आमंत्रण की कतई उम्मीद न थी।

उद्घोषक ने एक बार फिर कहा मैं संग्राम सिंह जी से अनुरोध करता हूं कि अपनी बहन सुगना जी को लेकर मंच पर आएं और मनोरमा जी के द्वारा अपना पुरस्कार प्राप्त करें..

सोनू न जाने किधर से निकलकर सुगना के ठीक सामने आ गया सुगना मंच पर जाने में हिचक रही थी परंतु नाम पुकारा जा चुका था सरयू सिंह ने मधु को सुगना की गोद से लेने की कोशिश की परंतु वह ना मानी और सुगना अपनी गोद में छोटी मधु को लेकर सोनू के साथ मंच की तरफ बढ़ चली…


मंच पर पहुंचकर सुगना को एक अलग ही एहसास हो रहा था सारी निगाहें उसकी तरफ थी। मनोरमा मैडम के पास पहुंचकर मनोरमा ने सोनू और सुगना दोनों से हाथ मिलाया। सुगना की हथेली को छूकर मनोरमा को एहसास हुआ जैसे उसने किसी बेहद मुलायम चीज को छू लिया हो मनोरमा एक बार फिर वही बात सोचने लगी कि ग्रामीण परिवेश में रहने के बावजूद सुगना इतनी सुंदर और इतनी कोमल कैसे थी ।

दो सुंदर महिलाएं और सोनू कैमरे की चकाचौंध में स्वयं को व्यवस्थित कर रहे थे फोटोग्राफी पूरी होने के पश्चात उद्घोषक ने सुगना को माइक देते हुए कहा

"अपने भाई के बारे में कुछ कहना चाहेंगी?"

सुगना का गला रूंध आया अपने भाई की सफलता पर सुगना भाव विभोर थी उसके मुंह से शब्द ना निकले परंतु आंखों से बह रहे खुशी के हाथों ने सुगना की भावनाओं को जनमानस के सामने ला दिया..

सुगना ने अपने कांपते हाथों से माइक पकड़ लिया और अपने बाएं हाथ से अपने खुशी के आंसू पूछते हुए बोली..

"मेरा सोनू निराला है आज उसने हम सब का मान बढ़ाया है मैं भगवान से यही प्रार्थना करूंगी कि उसकी सारी इच्छाएं पूरी हो और वह हमेशा खुश रहे…"

तालियों की गड़गड़ाहट ने एक बार फिर सुगना को भावविभोर कर दिया उसने आगे और कुछ न कहा तथा माइक सोनू को पकड़ा दिया..


आखिरकार माइक सोनू उर्फ संग्राम सिंह के हाथों में आ गया। उसने सब को संबोधित करते हुए कहा मेरी

"मेरी सुगना दीदी मेरा अभिमान है मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है और मैंने यह निश्चय किया है कि जिसने मेरे जीवन को सजा सवार कर मुझे इस लायक बनाया है मैं जीवन भर उनकी सेवा करता रहूंगा मैं इस सफलता में अपनी मां पदमा और अपने सरयू चाचा का भी शुक्रगुजार हूं…"


पंडाल में बैठे लोग एक बार फिर तालियां बजाने लगे। सूरज भी अपनी छोटी-छोटी हथेलियों से अपने मामा सूरज के लिए ताली बजा रहा था।

सुगना और सोनू के इस भावुक क्षण में वासना न जाने कहां गायब हो गई थी समाज में सोनू और सुगना एक आदर्श भाई-बहन के रूप में प्रतिस्थापित हो चुके थे।

सोनू के पश्चात और भी प्रतिभागियों का सम्मान किया गया। सम्मान समारोह के पश्चात सुगना गंगाधर स्टेडियम से बाहर आ गई…वह मनोरमा मैडम से और कुछ बातें करना चाहती थी परंतु मंच पर उसके और मनोरमा मैडम के बीच की दूरी इतनी ज्यादा थी की उसको पाट पाना असंभव था।


सोनू आज बेहद प्रसन्न था. वह अपनी बड़ी बहन सुगना को हर खुशी से नवाजना चाहता था। ट्रेनिंग के पैसे उसके खाते में आ चुके थे और वह अपनी सुगना दीदी की पसंद की हर चीज उसके कदमों में हाजिर करना चाहता था।

बाहर धूप हो चुकी थी सुबह का सुहानापन अब गर्मी का रूप ले चुका था बच्चे असहज महसूस कर रहे थे सोनू ने सुगना से कहा

" रिक्शा कर लीहल जाओ"

"सूरज खुश हो गया और चहकते हुए बोला

"हां मामा"

सोनू ने रास्ते में चलते हुए दो रिक्शे रोक लिए अब बारी रिक्शा में बैठने की थी।


नियति दूर खड़ी नए बनते समीकरणों को देख रही थी सूरज और सरयू सिंह एक रिक्शे में बैठे और दूसरे में सोनू और सुगना। सोनू की गोद में उसकी पुत्री खेल रही थी …. बाहर भीड़ से निकल रहे लोग रिक्शे में बैठे सोनू और सुगना को देखकर अपने मन में सोच रहे थे कि यदि सोनू और सुगना पति-पत्नी होते तो शायद यह दुनिया की सबसे आदर्श जोड़ी होती। गोद में मधु सोनू और सुगना को पति-पत्नी के रूप में सोचने को मजबूर कर रही थी।

राह चलते व्यक्ति के लिए रिक्शे में बैठे स्त्री पुरुष और गोद में छोटे बच्चे को देखकर यह अनुमान लगाना संभव नहीं है कि वह भाई बहन है…

रिक्शा जैसे ही सिग्नल पर खड़ा हुआ पास के रिक्शे में बैठी एक युवा महिला ने सुगना की गोद में खेल रही मधु को देखकर कहा..

" कितनी सुंदर बच्ची है"

साथ बैठी अधेड़ महिला ने कहा

"जब बच्चे के मां बाप इतने सुंदर है तो बच्चा सुंदर होगा ही" औरत ने अपने अनुभव से रिश्ता सोच लिया।

उस औरत की आवाज सुनकर सुगना ने तपाक से जवाब दिया…

"ये मेरा भाई है पति नहीं"

शायद सुगना सोनू के बारे में ही सोच रही थी जिसकी जांघें सुगना से रगड़ खा रही थी। सुगना सचेत थी और सोनू से सुरक्षित दूरी बनाए हुए थी।

स्त्री पुरुष के बीच रिश्तों का सही अनुमान लगाना आपके अनुभव और विचार पर निर्भर करता है जिन लोगों ने मंच पर सुगना और सोनू को आदर्श भाई बहन के रूप में देखा था अब वह रिक्शे पर बैठे सोनू और सुगना को देखकर उन्हें पति पत्नी ही समझने लगे..थे..

वैसे भी रिश्ते भावनाओं के अधीन होते हैं …सामाजिक रिश्ते चाहे जितने भी प्रगाढ़ क्यों न हो यदि उनके बीच वासना ने अपना स्थान बना लिया वह रिश्तो को दीमक की तरह खा जाती है।


सोनू और सुगना जो आज से कुछ समय पहले तक एक आदर्श भाई बहन थे न जाने कब उनके रिश्तो के बीच दीमक लग चुकी थी। यदि सोनू अपने जीवन के पन्ने पलट कर देखें तो इसमें बनारस महोत्सव का ही योगदान माना जाएगा… जिसमें उसने पहली बार सुगना को सिर्फ और सिर्फ एक नाइटी में देखा था शायद उसके अंतर्वस्त्र भी उस समय उसके शरीर पर न थे…उसी महोत्सव के दौरान जब उसने सुगना को लाली समझकर पीछे से पकड़कर उठा लिया था और अपने तने हुए लंड को सुगना के नितंबों में लगभग धसा दिया था।

उसके बाद से वासना एक दीमक की तरह सोनू के दिमाग में अपना घर बना चुकी थी।भाई बहन के रिश्तो को तार-तार करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका लाली ने अदा की थी जो मुंह बोली बहन होने के बावजूद अपने पति के सहयोग से सोनू से बेहद करीब आ गई थी और अब उसके साथ हर तरह के वासना जन्य कृत्य कर रही थी।

सोनू के कोमल मन पर धीरे धीरे भाई-बहन के बीच संबंधों का मोल कम होता गया था और वासना अपना आकार बढ़ाती जा रही थी.और अब वर्तमान में सोनू सुगना को अपनी बड़ी बहन के रूप में कम अपनी अप्सरा के रूप में ज्यादा देखता था.. और उसे प्रसन्न और खुश करने के लिए जी तोड़ कोशिश करता था…


सोनू और सुगना दोनों शायद एक दूसरे के बारे में ही सोच रहे थे वक्त कब निकल गया पता ही न चला। धीरे-धीरे रिक्शा गेस्ट हाउस में पर पहुंच चुका था…

सोनू रिक्शे से उतरा और सुगना को अपने हाथों का सहारा देकर उतारने की कोशिश की… सुगना की कोमल हथेलियां अपनी हथेलियों में लेते ही सोनू को एक अजब सा एहसास हुआ उसका लंड अपनी जगह पर सतर्क हो गया। रास्ते में दिमाग में चल रही बातें ने उसके लंड पर लार की बूंदे ला दी थी..


वासना सचमुच अपना आकार बढ़ा रही थी।

कमरे में पहुंचकर सुगना और सोनू अभी अपनी पीठ सीधी ही कर रहे थे कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुई ..

"कम ईन" सोनू ने आवाज दी।


बाहर खड़े व्यक्ति ने दरवाजा खोला और अंदर आकर बोला

" सर मनोरमा मैडम की गाड़ी आई है उनका ड्राइवर आपको बुला रहा है…"

सोनू घबरा गया…वह उठकर बाहर आया और गेस्ट हाउस के बाहर मनोरमा मैडम की गाड़ी देखकर उसके ड्राइवर के पास गया और बोला

"क्या बात है?"

"मनोरमा मैडम ने यह पर्ची सुगना जी के लिए दी है"

सोनू ने कांपते हाथों से वह पर्ची ली उसके मन में न जाने क्या-क्या चल रहा था । सुगना और मनोरमा की एक दो चार बार ही मुलाकात हुई थी यह बात सोनू भली भांति जानता था परंतु मनोरमा मैडम सुगना दीदी के लिए कोई संदेश भेजें यह उसकी कल्पना से परे था।


वह भागते हुए सुगना के कमरे में आ गया और सुगना से बोला

" दीदी मनोरमा मैडम ने देख तोहरा खातिर का भेजले बाड़ी "

सोनू के हांथ में खत देखकर सुगना ने बेहद उत्सुकता से कहा

"तब पढ़त काहे नइखे"

सोनू ने पढ़ना शुरू किया..

"सुगना जी मैं मंच पर आपसे ज्यादा बातें नहीं कर पाई और आपको समय न दे पाई पर मेरी विनती है कि आप अपने बच्चों सरयू सिंह जी और सोनू के साथ मेरे घर पर आए और दोपहर का भोजन करें इसी दौरान कुछ बातें भी हो जाएंगी… मैं आपका इंतजार कर रही हूं"

मनोरमा का निमंत्रण पाकर सुगना खुश हो गई वह सचमुच मनोरमा से बातें करना चाहती थी सोनू ने जब यह खबर सरयू सिंह को दी उनके होश फाख्ता हो गए एक अनजान डर से उनकी घिग्गी बंध गई उन्होंने कहा

"सोनू बेटा हमरा पेट दुखाता तू लोग जा हम ना जाईब"

सुगना ने भी सरयू सिंह से चलने का अनुरोध किया और बोली

"मनोरमा मैडम राऊर कतना साथ देले बाड़ी आपके जाए के चाहीं"

सरयू सिंह क्या जवाब देते हैं वह मनोरमा का आमंत्रण और और खातिरदारी और अंतरंगता तीनों का आनंद बीती रात ले चुके थे और अब सुगना के साथ जाकर वह वहां कोई असहज स्थिति नहीं पैदा करना चाहते थे।

उनकी दिली इच्छा तो यह थी कि सुगना और मनोरमा कभी ना मिले परंतु नियति को नियंत्रित कर पाना उनके बस में ना था। जब वह स्थिति को नियंत्रित करने में नाकाम रहे उन्होंने पलायन करना ही उचित समझा और सब कुछ ऊपर वाले के हवाले छोड़ कर चादर तान कर सो गए।

सुगना और सोनू मनोरमा मैडम के घर जाने के लिए तैयार होने लगे दोनों ..

नियति सक्रिय थी कहानी की और कहानी की पटकथा को अपनी कल्पनाओं से आकार दे रही थी..

दोनों बच्चे एंबेसडर कार में बैठकर चहक उठे सूरज आगे ड्राइवर के बगल में बैठ कर उससे ढेरों प्रश्न पूछ रहा था जैसे कार चलाना एक ही पल में सीख लेगा..

मनोरमा की एंबेसडर कार सरयू सिंह की दोनों प्रेमिकाओं को एक दूसरे से मिलाने के लिए लखनऊ की सड़कों पर सरपट दौड़ रही थी और सोनू अपनी मैडम के घर जाने को तैयार बड़े अदब से अपने कपड़े ठीक कर रहा था..

कुछ होने वाला था…

शेष अगले भाग में…



पाठकों की संख्या मन मुताबिक होने के कारण मैं यह अपडेट कहानी के पटल पर डाल रहा हूं।

पर अपडेट 90और 91 ऑन रिक्वेस्ट ही उपल्ब्ध है..

जिन पाठकों की इस अपडेट पर प्रतिक्रिया आ जाएगी उन्हें अगला अपडेट एक बार फिर भेज दिया जाएगा आप सबका साथ ही इस कहानी को आगे बढ़ाएगा जुड़े रहिए और कहानी का आनंद लेते रहे धन्यवाद

बहुत अच्छा लेखन।
आपकी हिंदी के कुछ शब्द तो उत्कृष्ट हैं.
 

Lovely Anand

Love is life
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Bahut hi sundar or Nayab update
Thanks
Update bhut chhota hai par Maja bhut Aaya next update thoda bda aur jald dena🙏
Thaks

सरयू सिंह और सोनी और विकास का प्रकरण रोमांचक लग रहा है, सगुना और सोनू के प्रकरण में अनिशिचत सम्भावनाएँ हैं, देखते हैं वक़्त के गर्भ में क्या है ??
जीवन संभावनाओं से भरा हुआ है...और यह कहानी भी
Nice update no. 107. Totally balanced update. Thanks.
Regard...
Thanks
Shandar lekhani h aapki... par bhai week me do bar update diya Karen.. ..
Mitra samay milte hi likhta रहूंगा
सूंदर अपडेट, कहानी को नए मोड़ पर ले जाने वाला,

एक बार के संभोग के असर लाली और सोनु के सभोग पर दिखा। सोनू सुगना के गर्बपात के लिए तैयार हो गया और दोनों लखनऊ पहुच गए, देखना है ये सफर क्या नए रंग दिखाए है।
उस तरफ सरयू सिंह भी बनारस पहुच गया है विकाश और सोनी के लिए। वहा भी देखना है नियति कोई अलग खेल खेलती है क्या, सोनी और सरयू का मिलन करवाती है या सरयू को अपनी गलतफहमी का एहसास होता है।
नियति कुछ और नहीं कल्पना का एक रूप है
Update chhota h par lajawab h.
Besabri ke sath agle ki Pratiksha me....
टेडा है पर मेरा है..धन्यवाद
Waah waah kya baat h!!
Thanks
आपके समय पर update देने के लिए कष्ट उठाने का हम लोगों को खेद है। परंतु पाठक आपकी इस कहानी और इसके जरिए आपसे बहुत घनिष्ठ हो गए हैं
आपको भी ऐसा लगता होगा।
यह बात आपने सच कही
Very well
Thanks

Thanks
Waiting for the same

Bht khoob ab aayega mazaa ek baar fir sugma or sonu ka milan hone wala h or is baar umeed h sabkuch pyar se hi hoga
जुड़े रहिए
Adbhut.
Waiting for next update.
Thanks
Wahhhh bahut hi badhiya update....Sonu or sugna ke milan se story me ek alag hi energy mili or mehsoos bhi hua...ab dekhna ye hai ki Sonu or sugna kya saryu Singh ki trah jawani ka anad lete hein ya kuch or niklta hai ....

Baki apke in updates ko hm dono padh rhe hein , hmari b stroy aage badh rahi hai, bahut kuch ho rah hai lekin publicly btana thoda theek nhi rhega kyonki mere sath jo ho rah hai or jo me krna chahta hu wo reality hai or uska bharpoor anad me lena chahta hu.
Aap to Lage rahiye....धन्यवाद

आह..तनी धीरे से.....दुखाता​


आपने इतनी अछी कहानी लिखी है किरपा करके इस कहानी को आजीवन चलाते रहिए​

जरूर
आपने इतनी अछी कहानी लिखी है किरप करके इस कहानी को आजीवन चलाते (लिखते)रहे

आह..तनी धीरे से.....दुखाता​

आपने इतनी अच्छी कहानी लिखी है किरपा करके इस कहानी को आजीवन लिखते रहिए

कॉमेंट तो कर दिया श्रीमान लेकिन ये नही पता चल रहा है की आपकी प्रोफ़ायल पर किया है या कहानी पर.. पहली बार कॉमेंट कर रहा हूँ, इसलिए पता नहीं सही किया भी है या नहीं
सही जगह है=कहानी में आपका स्वागत है
कॉमेंट तो कर दिया श्रीमान लेकिन ये नही पता चल रहा है की आपकी प्रोफ़ायल पर किया है या कहानी पर.. पहली बार कॉमेंट कर रहा हूँ, इसलिए पता नहीं सही किया भी है या नहीं। आपने कहानी पर कॉमेंट करने का बोला था तो इसलिए कर रहा हूँ। 90 भाग से। अगर ग़लत किया है तो बता दीजिए कैसे होगा कहानी पर कॉमेंट या ऐसा कोई लिंक बता दीजिए जिसे देखकर मैं आपकी कहानी लार कॉमेंट कर सकूँ।

हर बार की तरह कुछ नया होता है।धन्यवाद💐💐 लेखक महोदय।
थैंक्स
Jabardast kahani hai, aisa kahani kabhi padha nahi. Bahut dhanyavaad.
Welcome to story..
borat-borat-very-nice
Next update ki pratiksha rahe gi
Thanks

लगता है कि नियति ने सोनी को भुसा बली केले का आनंद देने की ठान ली है
Ha ha ha
लवली भी आज बहुत बारिश भी हो रही है कृपया एक ओर अपडेट लिख ही दीजेए
कुछ तो लिखा है
सही कहा, सोनु और सगुना का किरदार बुढा होने तक लिखते रहिये..
जरूर
दोबारा प्रश्न पूछना आपके अविश्वास को दर्शाता है सोनू निश्चित ही इस बात पर यकीन नहीं कर पा रहा था परंतु सच तो सच था…

बहुत ही लाजवाब
थैंक्स
बहुत ही लाजवाब अपडेट
थैंक्स

सोनू सुगना की हथेली को सहलाने लगा कभी व उसकी उंगलियों के बीच अपनी उंगली फसाता कभी हाथ की ऊपरी त्वचा को अपनी हथेली से धीरे-धीरे सहलाता कभी सुगना की हथेली के बीच रेखाओं को अपनी उंगलियों से पढ़ने की कोशिश करता।


क्या मस्त लिखा है। Awsome😍😘😙😚😗
थैंक्स फॉर रीडिंग सीरियसली
so hotttttt
Thanks
Good story, please send 90,91,101, 102update of this story,
Sent welcome on srory
सुगना जो मन से नही चाहती तन की वही माँग उसे सोनू से जुड़े रहने देने के लिये विवश कर रही है।
कुछ हद तक आपकी बात सही है
Interesting developments on the saryu soni front. The sugna thread seems to be settling down also. Looking forward to seeing what happens in the fateful guesthouse room.
Thanks
बहुत ही धाँसू अपडेट दीया है अब लग रहा है की रात को फिर से सोनू ओर सुगना का मिलना संभव है लेकिन देखते ह नियति दोनो का मिलन कैसे ओर किस स्तिथि में कराती है
थैंक्स
90,91, मिल गया 101और102 का इन्तजार है। जल्दी भेजिए
Sent
Superb update.. Bravo for maintaining grip and excitement throughout in such a long story ...so excited for next update..hope next will be released soon..
Thanks
Hamesha ki trah shandar update bhai.
Thanks
सुगना को परिवार नियोजन की कोई जानकारी न थी। अब तक वह सरयू सिंह से जी भर कर चुदी थी परंतु सरयू सिंह तो जैसे कामकला के ज्ञानी थे। स्त्रियों की माहवारी से गर्भधारण के संभावित दिनों का आकलन कर पाना और उसी अनुसार संभोग के दौरान अपने वीर्य को गर्भ में छोड़ना या बाहर निकालना किया उन्हें बखूबी आता था। और कभी गलती हो भी जाए तो उनका वाह मोतीचूर का लड्डू अपना काम कर देता था परंतु सोनू को ज्ञान मिलने में अभी समय था उसकी पहली गलती ही सुगना को गर्भवती कर गई थी।


एक एक संवाद कहानी की गहराई को बताता है।
थैंक्स
Nice update
Thanks
Sir ji apne apne itne pathko ke sath jo pyar paya hai uska dyan rakhte huye sabhi pathko ko kahani ke sabhi update uplabdh karaye. Mene sirf apki kahani ke apdate pane ke liye is forum me pahli bar apni pratikriya de raha hu , is ummid ke sath ki jo apdate apne sabhi ke liye uplabdh nahi karaye me unko padh saku. Baki apke jaisa writher is forum me aaj tak nahi mila.
Welcome on story...
Pls send me
Sent
Pls send me update
90, 91
Sent
Pls send update no 101 ,102

सभी से अनुरोध है एक बार ये कहानी ज़रूर पढ़े। बहुत ही शानदार है। दूसरी कहानियों की तरह सह कुछ सेक्स नहीं होता। मेरा मानना हर कहानी के पीछे उसके शब्द होते है लेखक ने एक एक शब्द बहुत ही अच्छी तरह पिरोया है। बहुत समय बाद बहुत ही शानदार कहानी पड़ने को मिली- बहुत ही शानदार। मेरे दिए कॉमेंट से ते ना समझे की ये आम कहानी है। लेखक के शब्दों के कारण ही इस कहानी में कामुकता और अधिक बार दी है। धन्यवाद लेखक साहब🙏🏻
थैंक्स फॉर एक्सप्रेसिंग your feeling...welcome on story
श्रीमान इस कहानी का 100 से 102 पार्ट भाग भेजने कि किरपा करें
सेंट
Sirji aapki lekhni ka jaadoo sammohit kar deta hai. Brilliant writing as usual.
Thanks
लालि के चुदाई करने के बाद सोनु पानी अंदर गिराया वह बात लाली ने बहोत अच्छे तरी के सोनु को बताई कि ऐसा पानी अंदर न गिराये ऊस वजह से गिराने से सगुना गर्भवती हो गयी | अब जल्द से जल्द सगुना का सोनु टेशन कम कर दे | अब सरयु जी और सोनी कि चुदाई हो जाये |
ज्ञान जब मिले अचछा है
Lovely Anand भाई 107 ने कुछ नए प्रश्न खड़े कर दिए। क्या सुगना सोनू कभी सहमति से सबंध बनाएंगे, सरयू सिंह सोनी को शायद ही चोद पाएं फिर भी प्रश्न तो खडा हो ही गया, मनोरमा का मनोरम दृश्य क्या रंग लाएगा क्यो कि सूरज क़ा सौभाग्य वही से सुनिशिचत होगा?
थैंक्स सवालऔर जवाब इस कहानी का हिस्सा है जुड़े रहें...
Sonu ke.man me to sugna ke liye yahi chal raha hai:

मखमल गद्दे पे तुझे लिट्टा कर
टांगो को तेरी हवा में उठा कर
चोदूंगा में सारी रात
मत हो मेरी जान उदास

पास पड़ी मखमली चुत का एहसास सोनू को सोने कहा देगा
Ha ha ha..thanks
jaunpur se ham bhi bani
Wcome on story..
ज़रूर पढ़े बहुत ही कामुक कहानी है… ऐसी कहानियाँ बहुत ही कम मिलती है पड़ने को।
एक बार और लेखक को बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🏻 इस कहानी के लिए।
और इन से उम्मीद करता हूँ ऐसी ही कहानियाँ आगे भी लिखते रहेंगे।
थैंक्स
मै पिछले 14 15 वर्षों से कहानियाँ पढ़ रहा हूँ लेकिन इस जैसी कहानी नही पड़ी। बहुत बेसब्री से इंतज़ार रहता है अगली कड़ी का।
थैंक्स
For a change, No cliffhanger this time, Smooth events, Smooth episode......
Thanks
NICE Update. Continue. dekhte hai age niyati ka kya Khel hai.....
Thanks
सुगना क्या फिर से सोनू से चुदेगी?ये कुछ हजम नहीं हो रहा है। इतनी प्यारी बहन को सिर्फ चोदेगा सोनू?
देखिए क्या होता है..पर निराशा हाथ n lagegi...esaa prayas hai
Jabardast update. Excellent.
Thanks
bhot hi bhadiya likha he agle update ka intezar rahega
Thanks
Sir ji 90 91 bhej dijoye kripa ho gi
Thanks
बहुत अच्छा लेखन।
आपकी हिंदी के कुछ शब्द तो उत्कृष्ट हैं.
थैंक्स
Sex with emotions is priceless.. Loving story..
Thanks ..
 
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arushi_dayal

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परिवर्तन प्रकृति का सार है और लालच मनुष्य की नियति है। सोनू पहले भी कई बार लाली को चोद चुका है और उसे अब बदलाव की जरूरत है। सरयू सिंह सुगना से दूर रह रहे हैं इसलिए सुगना को भी अपनी शारीरिक जरूरतों के लिए किसी की जरूरत है। मुझे लगता है कि सोनू और सुगना दोनों एक-दूसरे में संतुष्टि पाएंगे। वैसे भी वर्जित फल हमेशा मीठा होता है
 

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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय मनभावन अपडेट है भाई मजा आ गया
सोनू और लाली का चुदाई कार्यक्रम चल रहा था लाली सोनू से सुगना के बारे में सवाल कर रही थी लेकीन सोनू ने चुदाई के बाद बता ने का कहकर लाली को घचाघच चोदना चालू कर दिया परंतु उसे सुगना जैसा मजा ना आरहा था
चुदाई के पश्चात जब लाली ने सोनू को उसकी करतूत की वजह से सुगना पेट से हो गयी तो सोनू के पैर के नीचे से जमीन खिसक गयी
सरयुसिंग सोनी के लिये मन में व्यभिचार पाल रहा है काम के बहाने वो बनारस पहुंच कर विकास के बारे में जानकारी लेते हुए उसके आलिशान महल नुमा घर पहुंच गये तो क्या विकास से मिलकर सच्चाई जान पायेगे
लाली और सोनू ने काफी सोच विचार के बाद सुगना का कृत्रिम गर्भपात कराने का फैसला कर जौनपुर के बहाने लखनऊ पहुंच गये और हास्पिटल से दुसरे दिन का अपाईमेंट ले लिया
गेस्ट हाऊस पहुंच कर देखा सुगना का जी मचल रहा है तो पानी की बाॅटल ले खडा हो गया सुगना ने उसकी करतूत के बारे में बोलने पर सोनू रोते हुए माफी मांगते उसे आलिंगन मे लेना चाहा लेकीन सुगना ने वो होने नहीं दिया तो पैरों के पास बैठ कर माफी मांग रहा था सुगना ने उसके सर पर हाथ फेर कर उसे शांत किया
दोनो बिस्तर पर पडे पडे एकटक छत को देख रहे नींद कोसो दूर है नियती क्या उनका मिलन करवाती हैं या और कुछ होता है देखते हैं आगे
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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