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Incest आह..तनी धीरे से.....दुखाता.

whether this story to be continued?

  • yes

    Votes: 41 97.6%
  • no

    Votes: 1 2.4%

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    42

Lovely Anand

Love is life
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आह ....तनी धीरे से ...दुखाता
(Exclysively for Xforum)
यह उपन्यास एक ग्रामीण युवती सुगना के जीवन के बारे में है जोअपने परिवार में पनप रहे कामुक संबंधों को रोकना तो दूर उसमें शामिल होती गई। नियति के रचे इस खेल में सुगना अपने परिवार में ही कामुक और अनुचित संबंधों को बढ़ावा देती रही, उसकी क्या मजबूरी थी? क्या उसके कदम अनुचित थे? क्या वह गलत थी? यह प्रश्न पाठक उपन्यास को पढ़कर ही बता सकते हैं। उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।

इस उपन्यास में इंसेस्ट एक संयोग है।
अनुक्रमणिका
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भाग 126 (मध्यांतर)
 
Last edited:

Hoshizaki

Nudes not allowed as AV
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Sir 90 and 91 updet dijiye
Me ek baar phir se puri story padhna cahta hu😍

Ek aur baat sir mene is se jada shandar story aaj tak nahi padhi
 
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Lovely Anand

Love is life
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पाठकों आप सभी को मेरा नमस्कार ,

मुझे इस फोरम के आयोजकों की तरफ से मैसेज प्राप्त हुआ है की कहानी में कई जगह आपत्तिजनक कंटेंट मौजूद है।
इस कहानी को लिखने का मेरा उद्देश्य मेरे पाठकों का मनोरंजन था और कुछ भी नहीं। फिर भी अनजाने में गलती होना स्वाभाविक है और इसका मुझे खेद है । इस त्रुटिसुधार के लिए मैंने यह कहानी अस्थाई रूप से रोक दी है और स्वयं द्वारा पोस्ट किए गए सभी अपडेट हटा लिए हैं।

मैं इस फोरम के आयोजकों से यह अनुरोध करता हूं कि वह इस कहानी को मेरे पेज से और इस फोरम से हटा दें।

कुछ जगह मैंने नोटिस किया है कि मेरे अपडेट पर कमेंट करने वाले पाठकों ने मेरे अपडेट को भी उद्धृत किया है जो अभी भी कहानी के पटल पर दिखाई पड़ रहा है... मैं उसे हटा पाने में नाकाम हूं
फोरम के आयोजकों से विनम्र निवेदन है कि मेरे मदद करें।

यदि आयोजक मंडल इस कहानी के सभी अपडेट को पड़कर आपत्तिजनक विषय को मुझे बता कर मेरी सहायता कर सकें तो मैं शीघ्र ही उन्हे हटा पाऊंगा।

वैसे मैं स्वयं भी अपने विवेक से यह कार्य कर रहा हूं। जब तक यह कार्य पूरा नहीं हो जाता मैं पुराने अपडेट पोस्ट नहीं कर पाऊंगा और न हीं आगे के अपडेट्स...

आप सभी आप सभी के मनोरंजन में आए इस अवरोध के लिए क्षमा प्रार्थी हूं। अब तक के आप सभी के सक्रिय सहयोग के लिए बहुत बहुत धन्यवाद...
 
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Lutgaya

Well-Known Member
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पाठकों आप सभी को मेरा नमस्कार ,

मुझे इस फोरम के आयोजकों की तरफ से मैसेज प्राप्त हुआ है की कहानी में कई जगह आपत्तिजनक कंटेंट मौजूद है।
इस कहानी को लिखने का मेरा उद्देश्य मेरे पाठकों का मनोरंजन था और कुछ भी नहीं। फिर भी अनजाने में गलती होना स्वाभाविक है और इसका मुझे खेद है । इस त्रुटिसुधार के लिए मैंने यह कहानी अस्थाई रूप से रोक दी है और स्वयं द्वारा पोस्ट किए गए सभी अपडेट हटा लिए हैं।

मैं इस फोरम के आयोजकों से यह अनुरोध करता हूं कि वह इस कहानी को मेरे पेज से और इस फोरम से हटा दें।


कुछ जगह मैंने नोटिस किया है कि मेरे अपडेट पर कमेंट करने वाले पाठकों ने मेरे अपडेट को भी उद्धृत किया है जो अभी भी कहानी के पटल पर दिखाई पड़ रहा है... मैं उसे हटा पाने में नाकाम हूं
फोरम के आयोजकों से विनम्र निवेदन है कि मेरे मदद करें।

यदि आयोजक मंडल इस कहानी के सभी अपडेट को पड़कर आपत्तिजनक विषय को मुझे बता कर मेरी सहायता कर सकें तो मैं शीघ्र ही उन्हे हटा पाऊंगा।

वैसे मैं स्वयं भी अपने विवेक से यह कार्य कर रहा हूं। जब तक यह कार्य पूरा नहीं हो जाता मैं पुराने अपडेट पोस्ट नहीं कर पाऊंगा और न हीं आगे के अपडेट्स...

आप सभी आप सभी के मनोरंजन में आए इस अवरोध के लिए क्षमा प्रार्थी हूं। अब तक के आप सभी के सक्रिय सहयोग के लिए बहुत बहुत धन्यवाद...

आप सभी पाठकों से करबद्ध होकर यह प्रार्थना है कि इस कहानी को किसी और फोरम या पटल पर कॉपी पेस्ट मत करिएगा यह उचित नहीं होगा...
लेकिन ऐसा क्या आपत्तिजनक लगा।
शायद विद्यानन्द और आश्रम पर ऐतराज हो।
 
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Umakant007

चरित्रं विचित्रं..
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A very disappointing & Heartbreaking 💔 message by beloved writer Lovely Anand .

This decision is not good for readers, writer & for this site... 1 of the best story is stuck in between it's Best moment...

I don't understand... Which part is objectionable in story? And after 117 updates and 1.5 years of story starts why now moderator are having objection?
 

Rekha rani

Well-Known Member
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पाठकों आप सभी को मेरा नमस्कार ,

मुझे इस फोरम के आयोजकों की तरफ से मैसेज प्राप्त हुआ है की कहानी में कई जगह आपत्तिजनक कंटेंट मौजूद है।
इस कहानी को लिखने का मेरा उद्देश्य मेरे पाठकों का मनोरंजन था और कुछ भी नहीं। फिर भी अनजाने में गलती होना स्वाभाविक है और इसका मुझे खेद है । इस त्रुटिसुधार के लिए मैंने यह कहानी अस्थाई रूप से रोक दी है और स्वयं द्वारा पोस्ट किए गए सभी अपडेट हटा लिए हैं।

मैं इस फोरम के आयोजकों से यह अनुरोध करता हूं कि वह इस कहानी को मेरे पेज से और इस फोरम से हटा दें।


कुछ जगह मैंने नोटिस किया है कि मेरे अपडेट पर कमेंट करने वाले पाठकों ने मेरे अपडेट को भी उद्धृत किया है जो अभी भी कहानी के पटल पर दिखाई पड़ रहा है... मैं उसे हटा पाने में नाकाम हूं
फोरम के आयोजकों से विनम्र निवेदन है कि मेरे मदद करें।

यदि आयोजक मंडल इस कहानी के सभी अपडेट को पड़कर आपत्तिजनक विषय को मुझे बता कर मेरी सहायता कर सकें तो मैं शीघ्र ही उन्हे हटा पाऊंगा।

वैसे मैं स्वयं भी अपने विवेक से यह कार्य कर रहा हूं। जब तक यह कार्य पूरा नहीं हो जाता मैं पुराने अपडेट पोस्ट नहीं कर पाऊंगा और न हीं आगे के अपडेट्स...

आप सभी आप सभी के मनोरंजन में आए इस अवरोध के लिए क्षमा प्रार्थी हूं। अब तक के आप सभी के सक्रिय सहयोग के लिए बहुत बहुत धन्यवाद...

आप सभी पाठकों से करबद्ध होकर यह प्रार्थना है कि इस कहानी को किसी और फोरम या पटल पर कॉपी पेस्ट मत करिएगा यह उचित नहीं होगा...
कुछ कारण बताया है क्या कहा आपत्ति उठी है , कहानी इतने समय से चल रही है अभी तक कोई आपत्तिजनक पोस्ट आयी तो है नही, पता नही कहा क्या किसको दिक्कत हुई है
 

mkssgh

New Member
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अपडेट 90 और 91 सिर्फ उन्हीं पाठकों के लिए उपलब्ध है जो कहानी के पटल पर आकर कहानी के बारे में अपने अच्छे या बुरे विचार रख रहे हैं यदि आप भी यह अपडेट पढ़ना चाहते हैं तो कृपया कहानी के पेज पर आकर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें प्रतिक्रिया छोटी, बड़ी, लंबी कामा, फुलस्टॉप कुछ भी हो सकती है परंतु आपकी उपस्थिति आवश्यक है मैं आपको अपडेट 90 और 91 आपके डायरेक्ट मैसेज पर भेज दूंगा

धन्यवाद
Good updae
 
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mkssgh

New Member
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############################

भाग -1

ट्यूबवेल के खंडहरनुमा कमरे में एक खुरदरी चटाई पर बाइस वर्षीय सुंदर सुगना अपनी जांघें फैलाएं चुदवाने के लिए आतुर थी।

वह अभी-अभी ट्यूबवेल के पानी से नहा कर आई थी। पानी की बूंदे उसके गोरे शरीर पर अभी भी चमक रही थीं सरयू सिंह अपनी धोती खोल रहे थे उनका मदमस्त लंड अपनी प्यारी बहू को चोदने के लिए उछल रहा था। कुछ देर पहले ही वह सुगना को ट्यूबवेल के पानी से नहाते हुए देख रहे थे और तब से ही अपने लंड की मसाज कर रहे थे। लंड का सुपाड़ा उत्तेजना के कारण रिस रहे वीर्य से भीग गया था।

सरयू सिंह अपनी लार को अपनी हथेलियों में लेकर अपने लंड पर मल रहे थे उनका काला और मजबूत लंड चमकने लगा था। सुगना की निगाह जब उस लंड पर पड़ती उसके शरीर में एक सिहरन पैदा होती और उसके रोएं खड़े हो जाते। सुगना की चूत सुगना के डर को नजरअंदाज करते हुए पनिया गयी थी। दोनों होठों के बीच से गुलाबी रंग का जादुई छेद उभरकर दिखाई पड़ रहा था. सुगना ने अपनी आंखें बंद किए हुए दोनों हाथों को ऊपर उठा दिया सरयू सिंह के लिए यह खुला आमंत्रण था।

कुछ ही देर में वह फनफनता हुआ लंड सुगना की गोरी चूत में अपनी जगह तलाशने लगा। सुगना सिहर उठी। उसकी सांसे तेज हो गयीं उसने अपनी दोनों जांघों को अपने हाथों से पूरी ताकत से अलग कर रखा था।

लंड का सुपाड़ा अंदर जाते ही सुगना कराहते हुए बोली

"बाबूजी तनी धीरे से ….दुखाता"

सरयू सिंह यह सुनकर बेचैन हो उठे। वह सुगना को बेतहाशा चूमने लगे जैसे जैसे वह चूमते गए उनका लंड भी सुगना की चूत की गहराइयों में उतरता गया। जब तक वह सुगना के गर्भाशय के मुख को चूमता सुगना हाफने लगी थी।

उसकी कोमल चूत उसके बाबूजी के लंड के लिए हमेशा छोटी पड़ती। सरयू सिंह अब अपने मुसल को आगे पीछे करना शुरू कर दिए। सुगना की चूत इस मुसल के आने जाने से फुलने पिचकने लगी। जब मुसल अंदर जाता सुगना की सांस बाहर आती और जैसे ही सरयू सिंह अपना लंड बाहर निकालते सुगना सांस ले लेती। सरयू सिंह ने सुगना की दोनों जाघें अब अपनी बड़ी-बड़ी हथेलियों से पकड़ लीं और उसे उसके कंधे से सट्टा दिया। पास पड़ा हुआ पुराना तकिया सुगना के कोमल चूतड़ों के नीचे रखा और अपने काले और मजबूत लंड से सुगना की गोरी और कोमल चूत को चोदना शुरू कर दिया। सुगना आनंद से अभिभूत हो चली थी। वाह आंखें बंद किए इस अद्भुत चुदाई का आनंद ले रही थी। जब उसकी नजरें सरयू सिंह से मिलती दोनों ही शर्म से पानी पानी हो जाते पर सरयू सिंह का लंड उछलने लगता।

उसकी गोरी चूचियां हर धक्के के साथ उछलतीं तथा सरयू सिंह को चूसने के लिए आमंत्रित करतीं। सरयू सिंह ने जैसे ही सुगना की चुचियों को अपने मुंह में भरा सुगना ने "बाबूजी………"की मादक और धीमी आवाज निकाली और पानी छोड़ना शुरू कर दिया। सरयू सिंह का लंड भी सुगना की उत्तेजक आवाज को और बढ़ाने के लिए उछलने लगा और अपना वीर्य उगलना शुरू कर दिया।

वीर्य स्खलन प्रारंभ होते ही सरयू सिंह ने अपना लंड बाहर खींचने की कोशिश की पर सुगना ने अपने दोनों पैरों को उनकी कमर पर लपेट लिया और अपनी तरफ खींचें रखी। सरयू सिंह सुगना की गोरी कोमल जांघों की मजबूत पकड़ की वजह से अपने लिंग को बाहर ना निकाल पाए तभी सुगना ने कहा

"बाबूजी --- बाबूजी… आ…..ईई…..हां ऐसे ही….।" सुगना स्खलित हो चूकी थी पर वह आज उसके मन मे कुछ और ही था।

सरयू सिंह अपनी प्यारी बहू का यह कामुक आग्रह न ठुकरा पाए और अपना वीर्य निकालते निकालते भी लंड को तीन चार बार आगे पीछे किया और अपने वीर्य की अंतिम बूंद को भी गर्भाशय के मुख पर छोड़ दिया. वीर्य सुगना की चूत में भर चुका था। दोनो कुछ देर उसी अवस्था मे रहे।

सरयू सिंह सुगना को मन ही मन उसे घंटों चोदना चाहते थे पर सुगना जैसी सुकुमारी की गोरी चूत का कसाव उनके लंड से तुरंत वीर्य खींच लेता था।

लंड निकल जाने के बाद सुगना ने एक बार फिर अपने हांथों से दोनों जाँघें पकड़कर अपनी चूत को ऊपर उठा लिया। सरयू सिंह का वीर्य उसकी चूत से निकलकर बाहर बहने को तैयार था पर सुगना अपनी दोनों जाँघे उठाए हुए बैलेंस बनाए हुए थी। वह वीर्य की एक भी बूंद को भी बाहर नहीं जाने देना चाहती थी। उसकी दिये रूपी चूत में तेल रूपी वीर्य लभालभ भरा हुआ था। थोड़ा भी हिलने पर छलक आता जो सुगना को कतई गवारा नहीं था। वह मन ही मन गर्भवती होने का फैसला कर चुकी थी।

उस दिन सुगना ने जो किया था उस का जश्न मनाने वह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आई हुई थी। लेबर रूम में तड़पते हुए वह उस दिन की चुदाई का अफसोस भी कर रही थी पर आने वाली खुशी को याद कर वह लेबर पेन को सह भी रही थी।

सरयू सिंह सलेमपुर गांव के पटवारी थे । वह बेहद ही शालीन स्वभाव के व्यक्ति थे। वह दोहरे व्यक्तित्व के धनी थे समाज और बाहरी दुनिया के लिए वह एक आदर्श पुरुष थे पर सुगना और कुछ महिलाओं के लिए कामदेव के अवतार।

उनके पास दो और गांवों का प्रभार था लखनपुर और सीतापुर ।

सरयू सिंह की बहू सुगना सीतापुर की रहने वाली थी उसकी मां एक फौजी की विधवा थी।

बाहर प्राथमिक समुदायिक केंद्र में कई सारे लोग इकट्ठा थे एक नर्स लेबर रूम से बाहर आई और पुराने कपड़े में लिपटे हुए एक नवजात शिशु को सरयू सिंह को सौंप दिया और कहा...

चाचा जी इसका चेहरा आप से हूबहू मिलता है...

सरयू सिंह ने उस बच्चे को बड़ी आत्मीयता से चूम लिया। उनके कलेजे में जो ठंडक पड़ रही थी उसका अंदाजा उन्हें ही था। कहते हैं होठों की मुस्कान और आंखों की चमक आदमी की खुशी को स्पष्ट कर देती हैं वह उन्हें चाह कर भी नहीं छुपा सकता। वही हाल सरयू सिंह का था। कहने को तो आज दादा बने थे पर हकीकत वह और सुगना ही जानती थी। तभी हरिया (उनका पड़ोसी) बोल पड़ा

"भैया, मैं कहता था ना सुगना बिटिया जरूर मां बनेगी आपका वंश आगे चलेगा"

सरयू सिंह खुशी से चहक रहे थे उन्होंने अपनी जेब से दो 50 के नोट निकालें एक उस नर्स को दिया तथा दूसरा हरिया के हाथ में दे कर बोले जा मिठाई ले आ और सबको मिठाई खिला।

सरयू सिंह ने नर्स से सुगना का हाल जानना चाहा उसने बताया बहुरानी ठीक है कुछ घंटों बाद आप उसे घर ले जा सकते हैं।

सरयू सिंह पास पड़ी बेंच पर बैठकर आंखें मूंदे हुए अपनी यादों में खो गए।

मकर संक्रांति का दिन था। सुगना खेतों से सब्जियां तोड़ रही थी उसने हरे रंग की साड़ी पहन रखी थी जब वह सब्जियां तोड़ने के लिए नीचे झुकती उसकी गोल- गोल चूचियां पीले रंग के ब्लाउज से बाहर झांकने लगती। सरयू सिंह कुछ ही दूर पर क्यारी बना रहे थे। हाथों में फावड़ा लिए वह खेतों में मेहनत कर रहे थे शायद इसी वजह से आज 50 वर्ष की उम्र में भी वह अद्भुत कद काठी के मालिक थे।

(मैं सरयू सिंह)

उस दिन सुगना सब्जियां तोड़ने अकेले ही आई थी। घूंघट से उसका चेहरा ढका हुआ पर उसकी चूचियों की झलक पाकर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया। खिली हुई धूप में सुगना का गोरा बदन चमक रहा था मेरा मन सुगना को चोदने के लिए मचल गया।

चोद तो उसे मैं पहले भी कई बार चुका था पर आज खुले आसमान के नीचे… मजा आ जाएगा मेरा मन प्रफुल्लित हो उठा। कुछ देर तक मुझे उसकी चूचियां दिखाई देती रही पर थोड़ी ही देर बाद उसकी मदहोश कर देने वाली गांड भी साड़ी के पीछे से झलकने लगी। मेरा मन अब क्यारी बनाने में मन नहीं लग रहा था मुझे तो सुगना की क्यारी जोतने का मन कर रहा था। मैं फावड़ा रखकर अपने मुसल जैसे ल** को सहलाने लगा सुगना की निगाह मुझ पर पढ़ चुकी थी वह शरमा गई। और उठकर पास चल रहे ट्यूबवेल पर नहाने चली गई।

ट्यूबवेल ठीक बगल में ही था। ट्यूबवेल की धार में नहाना मुझे भी आनंदित करता था और सुगना को भी। सुगना ही क्या उस तीन इंच मोटे पाइप से निकलती हुई पानी की मोटी धार जब शरीर पर पड़ती वह हर स्त्री पुरुष को आनंद से भर देती। सुगना उस मोटी धार के नीचे नहा रही थी। सुगना को आज पहली बार मैं खुले में पानी की मोटी धार के नीचे नहाते हुए देख रहा था।

पानी की धार उसकी चुचियों पर पड़ रही थी वह अपनी चुचियों को उस मोटी धार के नीचे लाती और फिर हटा देती। पानी की धार का प्रहार उसकी कोमल चुचियां ज्यादा देर तक सहन नहीं कर पातीं। वह अपने छोटे छोटे हाथों से पानी की धार को नियंत्रण में लाने का प्रयास करती। हाथों से टकराकर पानी उसके चेहरे को भिगो देता वाह पानी से खेल रही थी और मैं उसे देख कर उत्तेजित हो रहा था।

अचानक मैंने देखा पानी की वह मोटी धार उसकी दोनों जांघों के बीच गिरने लगी सुगना खड़ी हो गई थी वह अपने चेहरे को पानी से धो रही थी पर मोटी धार उसकी मखमली चूत को भिगो रही थी। कभी वह अपने कूल्हों को पीछे ले जाती कभी आगे ऐसा लग रहा था जैसे वह पानी की धार को अपनी चूत पर नियंत्रित करने का प्रयास कर रही थी।

उस दिन ट्यूबवेल के कमरे में, मैं और सुगना बहुत जल्दी स्खलित हो गए थे। सुगना के मेरे वीर्य के एक अंश को एक बालक बना दिया था।

मैं उसके साथ एकांत में मिलना चाहता था हमें कई सारी बातें करनी थीं।

"ल भैया मिठाई आ गइल"

हरिया की बातें सुनकर सरयू सिंह अपनी मीठी यादों से वापस बाहर आ गए…



शेष आगे।
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कहानी की नायिका - सुगना
 
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mkssgh

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धन्यवाद
Update page 90 91
 
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