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Incest आह..तनी धीरे से.....दुखाता.

whether this story to be continued?

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Lovely Anand

Love is life
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आह ....तनी धीरे से ...दुखाता
(Exclysively for Xforum)
यह उपन्यास एक ग्रामीण युवती सुगना के जीवन के बारे में है जोअपने परिवार में पनप रहे कामुक संबंधों को रोकना तो दूर उसमें शामिल होती गई। नियति के रचे इस खेल में सुगना अपने परिवार में ही कामुक और अनुचित संबंधों को बढ़ावा देती रही, उसकी क्या मजबूरी थी? क्या उसके कदम अनुचित थे? क्या वह गलत थी? यह प्रश्न पाठक उपन्यास को पढ़कर ही बता सकते हैं। उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।

इस उपन्यास में इंसेस्ट एक संयोग है।
अनुक्रमणिका
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भाग 126 (मध्यांतर)
 
Last edited:

Rockstar_Rocky

Well-Known Member
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प्रिय लेखक महोदय Lovely Anand

मैं आपका दुःख समझ सकता हूँ| जब आप इतनी शिद्द्त से लिखें और कोई सरहाना करने वाला न हो तो लिखने का मन नहीं करता| इस में कसूर आपका नहीं है, बल्कि उन पाठकों का है जो आपसे अधिक की अपेक्षा रखते हैं| INCEST category में जो लिखा जाता है उसे सोच कर ही सब पाठक यहाँ आते हैं, परन्तु जब उनकी अपेक्षा पूरी नहीं होती तो वो वापस चले जाते हैं|
Update late आना भी एक कारण है, जिसका मेरे अनुसार एक ही उपाए है की आप बता दें की अगली update कब दे रहे हैं और उस date पर update आ जाए तो पाठकगण निराश नहीं होते| अब आप भी व्यस्त व्यक्ति हैं, कहानी लिखने से आपका घर थोड़े ही चलता है जो आप अपना सारा समय कहानी लिखने में लगा दें, ये बात सभी पाठकगण नहीं समझते| मैं जब update देता हूँ या लिखता हूँ तो मैं हमेशा अपने पाठगणों को सूचित कर के रखता हूँ की update कब आएगी और यदि कभी update आने में देर हो जाए तो मैं उसकी भी नियमित सूचना देता हूँ|

अब आते हैं अभी तक जो मैंने पढ़ा उस पर मेरे review पर;

आपका लेखन उम्दा है और कई दृश्यों को पढ़ने या सोचने में बड़ा ही आनंद आता है| बाकी पाठकों की तरह मेरी भी आपकी इस कहानी से बहुत सी अपेक्षाएं रहीं हैं, जैसे की सुगना की माँ और सरयू के संबंध, सुगना और सरयू के संबंध, सुगना-राजेश के संबंध आदि| परन्तु आपने कहानी को जिस तरह से मोड़ दिया उससे मेरी सभी इच्छाएं खत्म हो गईं| मुझे घोर निराशा ही हाथ लगी! हाँ ये बात जर्रूर है की मैं ये जानने को उत्सुक था की आगे क्या होता है परन्तु आप जिस मनोस्थिति से गुज़र रहे उसे देख कर लगता नहीं है की ये कहानी आगे बढ़ भी पाएगी| ये कहानी भी उन अच्छी कहानी की तरह गुम हो जाएगी जिन्हें या तो पाठकों का प्यार नहीं मिला अथवा लेखक ही आगे लिखने को इच्छुक नहीं था|

वैसे एक सुझाव के लिए मैं कहना चाहूँगा की यदि आप एक अंतिम update दे कर इस कहानी का अंत कर दें तो अच्छा रहता, आगे आपकी मर्ज़ी है!
 

khemucha

Active Member
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कुछ समय के लिए फोरम पर और कहानियां पढ़ते रहिए मेरी इस कहानी में शायद अब दम नहीं बचा और मैं भी अभी इस कहानी पर अपने उत्साह में कमी महसूस कर रहा हूं यह लेखन समय आने पर दोबारा चालू होगा या नहीं यह मैं नहीं जानता परंतु आप के इंतजार के लिए शुक्रिया
Maine aapki kahani abhi theek sae pahdi nahi hai ... bus kuch updates sample kiye hain ... par watchlist mae daal diya hai ki ek baar theek sae pahdunga ... par ab lagta hai iss kahani mae bhi viraam ya purn viraam aa gaya hai ... yeh writers bloock(ho jata hai) ki wajeh sae hai yah readers ki berukhi ki wajeh se ... pata nahi ... par aap ke likhne ki yogyeta aur kala ko manna padega ... aik bahut sundar kahani piroi hai aapne ... kya pata aap wapas ayen ya nahi ... to maine socha abhi mauka hai kuch feedback ka ... kahani par ... useful lage to use kariye ... nahi to kachra-peti paas to hogi hi ...

aapne Saryu Singh, Kajri aur sughna ke characters ko jiss sundarta sae develop kiya hai aur darshaya hai ... woh bahut hi sarahniye hai ... mujhe lagta hai sabhi pathakon ke dil kae kareeb hain teeno ... par yeh khoobi hi iss kahani ki kamjori bhi hai ... kyuki baaki paatron mae woh baat nahi hai ... sugna ki maa ko chood kar ... sonu ke character mae koi dam nahi hai ... aur Laali aur Rajesh sae to grina hoti hai ... koi character hi nahi hai un dono ka ...

ho sakta hai ki aapko bhi yeh baat sata rahi hogi ... ki sugna jaise heere ko laali aur rajesh ke bistar ki daldal mae jhonk kar ab kya kiya jaye ... manta houn ki saryu singh ki umar ho chali hai aur sugna ko naya saathi chahiye agle kuch saalon kae liye ... par abhi tak koi yogye saathi dur-dur tak nazar nahi aya hai kahani mae ... Saryu, kajri aur sugna ke beech ek sundarta hai ... vicharon ki pavitrata hai ... ek apna pan hai ... aapsi pyaar hai ... jo uss rajesh ke bistar mai kabhi nahi milega ... sugna ka rajesh se impregnate hona saryu dwara ... scene to unique tha ... but it leaves a very baad taste in the mouth ... meri nazar sae yeh kahani ko gumrah kar dega ...

aur mahaotsav kae dauran jo baaten sugna ko apne putr kae baare mae jo pata chaleen hai ... unse to ek epic story ki neev rakh di hai aapne ... 200-300 updates to kahin nahi jaa rahe ... par agar aap is neev to yahin cchodna chahate ... sundar imarat ki jagah ek khandar cchodna chahate hain ... to yeh aapki marzi hi nahi balki aapka haq bhi hai ... kahani meri watchlist mae rahegi ,,, agar wapas aaoge to pata chalega ...

aur rahi pathakon ki berukhi ki baat ... to aise forums par jaise writers ko apni marzi se kahaniyan likhne aur cchodne ka adhikaar hai ... waise hi readers ko apni marzi se like/dislike aur comment karne na karne ka adhikar hai ... naa hum aapse update ki demand(request ki baat alag hai) kar sakte hai ... naa app humse comment ki demand(again, request ki baat alag hai) kar sakte hain ... aapne sahi kaha hai ... yeh ek chauraya hai ... balki mai to kahunga ek maidaan hai ... jahan writers swayam apni iccha sae - apne andar ek chah ko ujagar karne kae liye - aaten hai ... apni kala ka pradarshan karte hai aur chale jaate hain koi cchaap cchod kar to koi mayus ho kar ... par yeh nigodi readers ki bheed ghoom ghoom kar anand leti rehti hai ... yahan koi kisi ka nahi hai ... sab apni apne marzi ka malik hai ... sab apni koi zaroorat poori karne ko aaten hain writers bhi aur readers bhi ... bina koi len-den kae ...

... ab iss maidaan mae koi monalisa ki pradarshni karta hai to koi bandariya ka naach dikhata hai ... aap samjhdaar hain ... to aap khud andaza laga sakte hai ki bheed kahan zyada hogi ... never confuse quality with quantity - yeh mera manna hai ... log abhi bhi leonardo da vinci ko yaad karte hai ... par kissi ko kissi bhi madari ka naam yaad hai kya ...

mere man me bhi kabhi kabhi vichaar ufanta hai ki mai bhi kuch likhun ... do-teen mast plots dimaag mae ghoom rahe hai ... par abhi tak likhne ka dhairye nahi juta paya houn ... likhna bahut kathin aur lagan ka kaam hai ... ek ek scene likhne mae halat khasta ho jaati hai ... aur yahan aapne 62 updates de daale ... iske liye mai sada aapka abhaari rahounga ki aapne apna keemti waqt nikala hummare manoranjan kae liye ... asha karta houn ki phir mulakat hogi iss forum par ... jaise maine upar kaha hai ... kahani meri watchlist mae rahegi ...
 
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Lovely Anand

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प्रिय लेखक महोदय Lovely Anand

मैं आपका दुःख समझ सकता हूँ| जब आप इतनी शिद्द्त से लिखें और कोई सरहाना करने वाला न हो तो लिखने का मन नहीं करता| इस में कसूर आपका नहीं है, बल्कि उन पाठकों का है जो आपसे अधिक की अपेक्षा रखते हैं| INCEST category में जो लिखा जाता है उसे सोच कर ही सब पाठक यहाँ आते हैं, परन्तु जब उनकी अपेक्षा पूरी नहीं होती तो वो वापस चले जाते हैं|
Update late आना भी एक कारण है, जिसका मेरे अनुसार एक ही उपाए है की आप बता दें की अगली update कब दे रहे हैं और उस date पर update आ जाए तो पाठकगण निराश नहीं होते| अब आप भी व्यस्त व्यक्ति हैं, कहानी लिखने से आपका घर थोड़े ही चलता है जो आप अपना सारा समय कहानी लिखने में लगा दें, ये बात सभी पाठकगण नहीं समझते| मैं जब update देता हूँ या लिखता हूँ तो मैं हमेशा अपने पाठगणों को सूचित कर के रखता हूँ की update कब आएगी और यदि कभी update आने में देर हो जाए तो मैं उसकी भी नियमित सूचना देता हूँ|

अब आते हैं अभी तक जो मैंने पढ़ा उस पर मेरे review पर;

आपका लेखन उम्दा है और कई दृश्यों को पढ़ने या सोचने में बड़ा ही आनंद आता है| बाकी पाठकों की तरह मेरी भी आपकी इस कहानी से बहुत सी अपेक्षाएं रहीं हैं, जैसे की सुगना की माँ और सरयू के संबंध, सुगना और सरयू के संबंध, सुगना-राजेश के संबंध आदि| परन्तु आपने कहानी को जिस तरह से मोड़ दिया उससे मेरी सभी इच्छाएं खत्म हो गईं| मुझे घोर निराशा ही हाथ लगी! हाँ ये बात जर्रूर है की मैं ये जानने को उत्सुक था की आगे क्या होता है परन्तु आप जिस मनोस्थिति से गुज़र रहे उसे देख कर लगता नहीं है की ये कहानी आगे बढ़ भी पाएगी| ये कहानी भी उन अच्छी कहानी की तरह गुम हो जाएगी जिन्हें या तो पाठकों का प्यार नहीं मिला अथवा लेखक ही आगे लिखने को इच्छुक नहीं था|

वैसे एक सुझाव के लिए मैं कहना चाहूँगा की यदि आप एक अंतिम update दे कर इस कहानी का अंत कर दें तो अच्छा रहता, आगे आपकी मर्ज़ी है!

आपकी इतनी विस्तृत प्रतिक्रिया देखकर मैं खुद को उत्तर देने से रोक नहीं पाया...

मैं इस फोरम पर उस समय आया था जब मैं अपनी पहली कहानी " छाया" लिख चुका था जिसमें सेक्स तो था परंतु मर्यादा के आवरण में इस कहानी को मैंने पूरे मन से लिखा था उस कहानी को इस फोरम पर पोस्ट करते समय मुझे कई अच्छे और संजीदा पाठकों का साथ मिला और निश्चय ही उनकी प्रतिक्रियाएं उत्साहवर्धक थी मेरी नजर में भी वह कहानी अच्छी थी परंतु इस फोरम के कई पाठक या यूं कहूं अधिकतर पाठक कहानियों में सेक्स और मेरी नजरों में वाहियात सेक्स को ज्यादा प्रधानता देते हैं मैंने अपने इस कहानी में पाठकों की इच्छा को ध्यान में रखकर सेक्स को प्रधानता दी और कहानी के मर्म को धीरे धीरे आगे बढ़ाता रहा ..

सुगना और सरयू सिंह के आगे निश्चित ही कोई किरदार अभी टिक नहीं पा रहा है इसका कारण भी स्पष्ट है इन दोनों किरदार पर कहानी के लगभग 80% भाग लिखे गए हैं जबकि बाकी किरदारों पर अभी कहानी अपनी रफ्तार ही पकड़ रही है कुछ किरदार जैसे राजेश और रतन ऐसे हैं जिनका कहानी में आगमन एक गेस्ट कलाकार के रूप में ही हुआ है परंतु इनका औचित्य कहानी के चरम पर पहुंचने पर ही समझ में आएगा।।


मैं इस कहानी के अगले 8- 10 भाग लिख चुका हूँ और अपने खाली समय में इस कहानी को पूरा भी करूंगा परंतु यह कहानी आने वाले समय में उन्हीं पाठकों तक पहुंचेगी जिनको इसका इंतजार है मैंने पहले भी एक दो बार यह करने की कोशिश की थी परंतु मेरी एक प्रिय पाठिका कोमल रानी और कुछ चुनिंदा पाठकों की सलाह पर मैंने कहानी वापस फोरम में पोस्ट करना शुरू कर दिया।
कहानी के व्यूज़ देख कर मैंने अंदाज लगाया है की इस कहानी को पढ़ने वाले लगभग 1500 से ढाई हजार पाठक हैं बड़े अफसोस का विषय है कि इन पाठकों में से मेरे आग्रह करने के बाद भी उन्होंने इस कहानी पर अपने विचार नहीं रखें इतना तो तय है की यदि वह कहानी अब तक पढ़ रहे हैं तो निश्चित ही उन्हें यह कुछ हद तक पसंद अवश्य आ रही होगी ऐसे पाठक अपने विचार अच्छे या बुरे देकर इस कहानी को और परिमार्जित कर सकते थे परंतु न जाने उनकी क्या मजबूरियां है वही जाने...

मेरे लिए इस कहानी को इस फोरम पर डालने का एकमात्र प्रलोभन पाठकों की प्रतिक्रियाएं पढ़ना था जिसमें कुछ पाठकों को छोड़कर बाकी पाठकों ने गुपचुप तरीके से इस कहानी का आनंद लिया है...

खैर शिकवा शिकायत का वक्त खत्म हो चुका है मैं आज भी अपनी कहानी पर उन पाठकों की तलाश में आता हूं जो हिम्मत दिखाकर अपने विचार अच्छे या बुरे साझा कर रहे हैं।

समय आने पर इस कहानी के बाकी अपडेट भी मेरे पाठकों तक आएंगे जरूर बशर्ते वह पढ़ना चाहें

मैंने अभी कुछ समय के लिए चौराहे पर खड़े होकर गाना छोड़ दिया है। जब महफिल सजेगी मैं फिर हाजिर हो जाऊंगा... तब तक के लिए अपने उन चुनिंदा पाठकों से क्षमा प्रार्थी हूं जिन्होंने इस कहानी से अपना जुड़ाव दिखाया है और अपडेट का इंतजार कर रहे हैं..
 
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Lovely Anand

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aur mahaotsav kae dauran jo baaten sugna ko apne putr kae baare mae jo pata chaleen hai ... unse to ek epic story ki neev rakh di hai aapne ... 200-300 updates to kahin nahi jaa rahe ... par agar aap is neev to yahin cchodna chahate ... sundar imarat ki jagah ek khandar cchodna chahate hain ... to yeh aapki marzi hi nahi balki aapka haq bhi hai ... kahani meri watchlist mae rahegi ,,, agar wapas aaoge to pata chalega ...

aur rahi pathakon ki berukhi ki baat ... to aise forums par jaise writers ko apni marzi se kahaniyan likhne aur cchodne ka adhikaar hai ... waise hi readers ko apni marzi se like/dislike aur comment karne na karne ka adhikar hai ... naa hum aapse update ki demand(request ki baat alag hai) kar sakte hai ... naa app humse comment ki demand(again, request ki baat alag hai) kar sakte hain ... aapne sahi kaha hai ... yeh ek chauraya hai ... balki mai to kahunga ek maidaan hai ... jahan writers swayam apni iccha sae - apne andar ek chah ko ujagar karne kae liye - aaten hai ... apni kala ka pradarshan karte hai aur chale jaate hain koi cchaap cchod kar to koi mayus ho kar ... par yeh nigodi readers ki bheed ghoom ghoom kar anand leti rehti hai ... yahan koi kisi ka nahi hai ... sab apni apne marzi ka malik hai ... sab apni koi zaroorat poori karne ko aaten hain writers bhi aur readers bhi ... bina koi len-den kae ...

... ab iss maidaan mae koi monalisa ki pradarshni karta hai to koi bandariya ka naach dikhata hai ... aap samjhdaar hain ... to aap khud andaza laga sakte hai ki bheed kahan zyada hogi ... never confuse quality with quantity - yeh mera manna hai ... log abhi bhi leonardo da vinci ko yaad karte hai ... par kissi ko kissi bhi madari ka naam yaad hai kya ...

mere man me bhi kabhi kabhi vichaar ufanta hai ki mai bhi kuch likhun ... do-teen mast plots dimaag mae ghoom rahe hai ... par abhi tak likhne ka dhairye nahi juta paya houn ... likhna bahut kathin aur lagan ka kaam hai ... ek ek scene likhne mae halat khasta ho jaati hai ... aur yahan aapne 62 updates de daale ... iske liye mai sada aapka abhaari rahounga ki aapne apna keemti waqt nikala hummare manoranjan kae liye ... asha karta houn ki phir mulakat hogi iss forum par ... jaise maine upar kaha hai ... kahani meri watchlist mae rahegi ...
आप की विस्तृत प्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद काश कि आपका साथ मुझे कुछ समय पहले से मिला होता तो शायद पात्रों के चरित्र निर्माण में आपकी भूमिका भी अहम होती आपने भी कहानी को सरसरी तौर पर पढ़कर भी कहानी का मर्म समझ लिया है और अपने एक संजीदा पाठक होने का परिचय दिया है ऐसे पाठकों का लगातार साथ ही लेखक की ऊर्जा होती है जुड़े रहे।
 
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Lovely Anand

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Waiting for update bro
MST story waiting for next update

इस कहानी पर आप दोनों की पहली प्रतिक्रिया देख कर अच्छा लगा...जुड़े रहें
 
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