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Incest आह..तनी धीरे से.....दुखाता.

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Lovely Anand

Love is life
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144
आह ....तनी धीरे से ...दुखाता
(Exclysively for Xforum)
यह उपन्यास एक ग्रामीण युवती सुगना के जीवन के बारे में है जोअपने परिवार में पनप रहे कामुक संबंधों को रोकना तो दूर उसमें शामिल होती गई। नियति के रचे इस खेल में सुगना अपने परिवार में ही कामुक और अनुचित संबंधों को बढ़ावा देती रही, उसकी क्या मजबूरी थी? क्या उसके कदम अनुचित थे? क्या वह गलत थी? यह प्रश्न पाठक उपन्यास को पढ़कर ही बता सकते हैं। उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।

इस उपन्यास में इंसेस्ट एक संयोग है।
अनुक्रमणिका
Smart-Select-20210324-171448-Chrome
भाग 126 (मध्यांतर)
 
Last edited:

Lovely Anand

Love is life
1,320
6,474
144
Nice update no. 112. Waiting for the next.

Regards
Tku
Gazab ki update Lovely Bhai,

Soni aur Vikar ka rishta ho gaya, aur dusri taraf Saryu singh ke sapne bhi tut gaye.........

Vikas bhi Sugna ke aakarshan se bach nahi paya.........ho sakta he aage chalkar wo sugna se sambandh bhi bana le.......

Aashram ke verginity test ho raha he..aakhir kyu??? Ratan aur Madhavi ka Milan pehle karana uske baad Ratan aur Moni ka........

Keep posting Bhai
आश्रम में हो रहा टेस्ट एक विशेष प्रयोजन के लिए जो आने वाले अपडेट में पता चलेगा। Jude Rahane ke liye dhanyvad
Waiting for next garmagaram update
Thanks
जबरदस्त अपडेट है ।एक तरफ तो सोनी ओर विकास का विवाह और दूसरी तरफ सुगना ने सोनू ओर लाली को मिलने से फिलहाल तो रोक दिया है वही रतन ओर माधवी के बीच दूरियां कम हो रही है । देखते है आने वाले अपडेट में क्या क्या घटित होने वाला है



थैंक u bhai
 

sunoanuj

Well-Known Member
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Bahut hi behtarin update .., KLPD ho gayi saryu ke saath .. par kahani kanhi or bhi ghum gayi Moni Ratan and Madhvi yanha bhi kuch niyati ne khichdi pakani shuru kar do hai …
 

Lutgaya

Well-Known Member
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भाग 112

तभी दरवाजे पर ठक ठक की आवाज हुई सोनू ने आगे बढ़कर दरवाजा खोला…. बाहर दो बड़ी बड़ी कार खड़ी थीं …हाथों में सजी-धजी फलों और मिठाई की टोकरी लिए तीन चार व्यक्ति बाहर खड़े थे और उनके पीछे लाल रंग का चमकदार बैग लिए हांथ जोड़े दो संभ्रांत पुरुष..

उनकी वेशभूषा और फलों तथा मिठाइयों की की गई पैकिंग को देखकर यह अंदाज लगाया जा सकता था कि उनका सोनू के घर आने का क्या प्रयोजन था…

सोनू ने उन्हें अंदर आने के लिए निमंत्रित किया और अंदर आकर हाल में रखी कुर्सियों को व्यवस्थित कर उन्हें बैठाने लगा…

लग रहा था जैसे सुगना और सोनू के परिवार में कोई नया सदस्य आने वाला था…


अब आगे…

सभी आगंतुक अंदर हाल में आ चुके थे और उनके पीछे पीछे अपनी गोद में सूरज को लिए सरयू सिंह जो सूरज को बाहर घुमा कर वापस आ चुके थे। शारीरिक कद काठी में सरयू सिंह कईयों पर भारी थी। आगंतुक कपड़ों और चेहरे मोहरे से संभ्रांत जरूर सही परंतु व्यक्तित्व के मामले में निश्चित ही सरयू सिंह से कमतर थे।

पुरुषों की सुंदरता शारीरिक कद काठी और उनके गठीले शरीर के कारण ज्यादा होती है .. सरयू सिंह का तपा हुआ शरीर पुरुषत्व का अनूठा नमूना था।


सरयू सिंह को अंदर आते देख वह दोनों संभ्रांत पुरुष अभिवादन की मुद्रा में खड़े हो गए उन्होंने हाथ जोड़कर उनका अभिवादन किया….

सरयू सिंह के कुछ कहने से पहले ही सोनू बोल उठा

"चाचा …. यह मेरे दोस्त विकास के पिताजी हैं और यह विकास के चाचा जी"


इससे पहले की सोनू सरयू सिंह का परिचय देता विकास के पिता ने बेहद अदब के साथ कहा

"जहां तक मैं समझ रहा हूं आप सरयू सिंह जी हैं?" चेहरे पर मुस्कुराहट और आखों में प्रश्न लिए विकास के पिता ने कहा…सोनू ने विकास के पिता की बात में हां में हां मिलाई और बोला..


"आपने सही पहचाना यही हमारे पूज्य सरयू चाचा हैं " लग रहा था जैसे विकास ने सरयू सिंह के व्यक्तित्व के बारे में अपने घर परिवार को निश्चित ही बता दिया था..

अगल-बगल रखी मिठाई की टोकरी और फलों को देखकर सरयू सिंह बेचैन हो उठे.…इससे पहले कि वह कुछ सोच पाते विकास के पिता ने कहा

" हमें आपकी सोनी पसंद है यदि आपकी अनुमति हो तो हम सोनी को अपने घर की लक्ष्मी बनाने के लिए तैयार हैं"

सुगना और लाली हाल में हो रही बातें सुन रही थी सुगना की खुशी का ठिकाना ना रहा विकास निश्चित थी एक योग्य लड़का था। विवाहित स्त्रियों को पुरुषों की जिस अंदरूनी योग्यता की लालसा रहती है शायद विवाह के दौरान उन दिनों उसकी कोई अहमियत न थी। हष्ट पुष्ट युवकों को मर्दानगी से भरा स्वाभाविक रूप से मान लिया जाता था।

विकास सोनू का दोस्त था और सुगना और लाली दोनों ही सोनू का पुरुषत्व देख चुकी थी.. निश्चित ही विकास भी सोनू की तरह ही मर्दानगी से भरा होगा ऐसा लाली और सुगना ने सोचा। सोनी के भविष्य को लेकर सुगना प्रसन्न हो गई विकास में वैसे भी कोई कमी न थी और और जो थी शायद सोनी को पता न थी। जिसने भुसावल केला देखा ना हो उसे उसकी ताकत और मिठास का क्या अंदाजा होगा? विकास के पास जो था सोनी उसमें खुश थी …उसकी गुलाब की कली जैसी बुर के लिए वह छोटा लंड की उतना ही मजेदार था…पर बीती रात सरयू सिंह की धोती के उभार ने सोनी के मन में कुछ अजब भाव पैदा किए थे जो अभी अस्पष्ट थे.

सरयू सिंह अचानक आए इस प्रस्ताव से हड़बड़ा से गए उन्होंने सोनू की तरफ देखा ..आखिरकार सोनू भी अब इस परिवार का एक जिम्मेदार व्यक्ति था। सोनू ने अपनी पलके झुका कर सरयू सिंह को भरोसा दिलाया और विकास के पिता की तरफ मुखातिब हुआ और बोला ..

"चाचा जी को भी विकास पसंद है। हम सब को यह रिश्ता स्वीकार है…_

सभी मेहमानों के चेहरे पर मुस्कुराहट दौड़ गई और सब का साथ देने के लिए सरयू सिंह को भी अपने चेहरे पर मुस्कुराहट लानी पड़ी। नियति सरयू सिंह की स्थिति को देख रही थी और उनके मन में चल रही वेदना को समझने का प्रयास कर रही थी। जिस बात को वह सुगना से साझा करना चाहते थे वह बात अब उस बात का औचित्य न था उन्होंने उसे अपने सीने में दफन करना ही उचित समझा।


सरयू सिंह को यह युग तेजी से बदलता हुआ दिखाई पड़ रहा था। उन्होंने आज तक लड़की वालों को लड़के वालों के घर रिश्ता लेकर जाते देखा था परंतु यह मामला उल्टा था।

बहरहाल लाली और सुगना ने आगंतुकों का भरपूर स्वागत किया ..और कुछ ही देर में तरह-तरह के पकवान बनाकर सबका दिल जीत लिया।


की कला ग्रामीण समाज से जुड़े युवतियों में प्रचुर मात्रा में होती है शहरी लोग उस संस्कार को सीखने में पूरा जीवन भी बता दें तो भी शायद वह अपनत्व और प्यार अपने व्यवहार में ला पाना कठिन होगा।


अब तक इस रिश्ते की प्रमुख कड़ी सोनी को भी अपने घर में चल रहे घटनाक्रम की खबर लग चुकी थी। निश्चित ही उसे यह जानकारी देने वाला कोई और नहीं विकास स्वयं था। वह आज विकास के साथ सिनेमा हॉल न जाकर वापस अपने घर ही आ रही थी।

दोनों ने साथ में अंदर प्रवेश किया और बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया। विकास और सोनी ने जब सरयू सिंह के चरण छुए सरयू सिंह बरबस ही अपने स्वभाव बस सोनी और विकास को खुश रखने का आशीर्वाद दिया उनकी निगाहें एक बार फिर सोनी के नितंबों पर गई पर परंतु अब परिस्थितियां बदल चुकी थी।


सोनी और विकास ने पहले जो भी किया हो पर इस वक्त वह उन्हें स्वीकार्य थे। सरयू सिंह की वासना परवान चढ़ने से पहले ही फना हो गई थी परंतु सोनी का क्या ? उसने सरयू सिंह का वह रूप देख लिया था जो शायद उसके कोमल मन पर असर कर चुका था।

भोजन के उपरांत सोनी और विकास के विवाह कार्यक्रम की रूपरेखा तय की जाने लगी सरयू सिंह ने विवाह स्थल के बारे में जानना चाहा उन्हें शादी में होने वाले खर्च का अंदाज लगाना था…

विकास के परिवार और उनके परिवार की हैसियत में कोई मेल न था। सरयू सिंह के मन में आए प्रश्न का विकास के पिता ने उत्तर दिया वह बोले…

"सोनी बेटी हमारे घर की लक्ष्मी है हमें आपकी बेटी चाहिए और कुछ नहीं । आपसे अनुरोध है की विवाह कार्यक्रम बनारस शहर में ही रखा जाए आपका घर भी तो बनारस में है यहां पर मेहमानों को अच्छी और माकूल व्यवस्थाएं प्रदान करना आसान होगा। वैसे आप चाहे तो हम बारात लेकर आपके गांव भी आ सकते हैं"

सरयू सिंह विकास की पिता की सहृदयता के कायल हो गए सच में वह सभ्रांत व्यक्ति थे न सिर्फ वेशभूषा और पहनावे अपितु उसके विचार भी उतने ही मृदुल और सराहनीय थे। सरयू सिंह ने अपने हाथ जोड़ लिए

विकास के पिता ने आगे कहा

" हां एक बात और विवाह के खर्चों को लेकर आप परेशान मत होईएगा सारा आयोजन विकास और उसके दोस्त मिलकर करेंगे सोनू भी तो विकास का दोस्त ही है। जो खर्चा आपसे हो पाएगा वह आप करिएगा जो हमसे हो पाएगा हम करेंगे। आखिर यह मिलन हम दो परिवारों का भी है।


सरयू सिंह विकास के पिता की बातों से प्रभावित हो भावनात्मक हो गए और उन्होंने उठ कर दिल से उनका अभिवादन किया। सरयू सिंह के सारे मलाल और आशंकाएं दूर हो चुकी थी।

विकास और सोनी का रिश्ता तय हो चुका था। आज घर में खुशियों का माहौल था। विकास ने लाली और सुगना के चरण छुए सुगना और लाली ने उसे जी भर कर आशीर्वाद दिया पर सुगना ने विकास को छेड़ दिया…

"अच्छा यह बात थी… तभी आप दीपावली के दिन सोनी के पीछे पीछे सलेमपुर तक पहुंच गए थे सोनी अपने घरवालों से भी ज्यादा प्यारी हो गई थी।"

इस मजाक का सुगना को हक भी था । उधर विकास कहीं और खोया हुआ था। जैसे ही विकास ने सुगना के चरण छुए उसे एक अजब सा एहसास हुआ वह आलता लगे हुए चमकते गोरे …पैर उस पर उंगलियों में चांदी की अंगूठी…पैर की त्वचा का वह मखमली स्पर्श…. विकास सतर्क हो गया… जैसे जैसे वह ऊपर उठता गया सुगना के मादक बदन की खुशबू उसके नथुनों ने भी महसूस की और आंखें घुटनों के ऊपर साड़ी में कैद सुगना की सुदृढ़ जांघें देखती हुई ऊपर उठने लगी। और जब आंखों का यह सफर सुगना की कटावतार कमर पर आया विकास ने अपनी आंखें बंद कर ली. उसके मन में वासना का अंकुर फूटा परंतु विकास की प्रवृत्ति ऐसी न थी…वह उठकर सीधा खड़ा हो गया।


न जाने सुगना किस मिट्टी की बनी थी हर व्यक्ति जो उसके करीब आता उसके मन में एक न एक बार उसकी खूबसूरती और उसका गदराया हुआ तन घूम जाता और सुगना उसके मन में वासना के तार छेड़ देती।

अचानक विकास के चाचा ने अपने भाई से मुखातिब होते हुए कहा…

"भाई साहब आप तो एक बात भूल ही गए…"

सरयू सिंह उनकी बात से आश्चर्य चकित होते हुए उन्हें देखने लगे..

उसने अपने बड़े भ्राता विकास के पिता के कान में कुछ कहा और फिर विकास के पिता मुस्कुराते हुए बोले

"अरे खुशी में मैं एक बात भूल ही गया…यदि आप सब की अनुमति हो तो कल दोनों बच्चों की रिंग सेरेमनी करा देते हैं। आप सब यहां बनारस में है ही और मेरे तो सारे रिश्तेदार बनारस में ही है। आप अपने रिश्तेदारों को कल बुला लीजिए दरअसल विकास को वापस विदेश जाना है इसलिए समय कम है।

"पर इतनी जल्दी इस सब की व्यवस्था?" सरयू सिंह ने अपना स्वाभाविक प्रश्न किया

"मैंने कहा ना आप परेशान मत होइए यह बनारस शहर है यहां व्यवस्था में समय नहीं लगता आप सिर्फ अपने रिश्तेदारों को एकत्रित करने की कोशिश कीजिए। रेडिएंट होटल हमारा अपना होटल है मंगनी का कार्यक्रम वहीं पर होगा"


रेडिएंट होटल का नाम सुनकर सरयू सिंह सन्न रह गए। यह वही होटल था जहां बनारस महोत्सव के आखिरी दिन उन्होंने अपनी प्यारी बहू सुगना की बुर को कसकर चोदने के बाद उसके दूसरे छेद का भी उद्घाटन किया था। और अपनी वासना को चरम पर ले जाकर स्खलित होने का प्रयास किया था… परंतु वह ऐसा न कर पाए थे और मूर्छित होकर गिर पड़े थे। सारे दृश्य उनके दिमाग में एक-एक करके घूमने लगे। वह सुगना को चोदते समय उसकी केलाइडोस्कोप की तरह फूलती और पिचकती छोटी सी गांड… उन्हे सदा आकर्षित करती थी। कैसे उन्होंने उस छोटी सी गांड में अपना मोटा मुसल बेरहमी से डाल दिया था…. एक एक दृश्य याद आ रहा था कैसे उनके मन में पहली बार सुगना के लिए क्रोध आया था। सुगना ने जो पिछली रात रतन के घर बिताई थी उसका क्रोध उन पर छाया था। सुगना कराह रही थी पर सरयू सिंह की उस अनोखी इच्छा और अनूठी वासना को शांत करने का प्रयास कर रही थी.. जैसे-जैसे वह दृश्य सरयू सिंह की आंखों के सामने घूमते गए उनका लंड अपनी ताकत को याद कर जागने लगा। अचानक विकास के चाचा ने कहा

"सरयू जी आप कहां खो गए..?"

सरयू सिंह अपने ख्यालों से बाहर आए और एक बार फिर अपने चेहरे पर मुस्कुराहट लाते हुए बोले..

"सब कुछ इतनी जल्दी में हो रहा है यकीन ही नहीं हो रहा"

विकास के चाचा ने फिर कहा


"अब जब दोनों बच्चे एक दूसरे को पसंद करते हैं तो हमें उनकी इच्छा का मान रखना ही पड़ेगा वैसे भी सोनी जैसी खूबसूरत और पढ़ी-लिखी लड़की को कौन अपने घर की बहू नहीं बनाना चाहेगा.."

विकास के पिता ने हाथ जोड़कर सरयू सिंह के घर परिवार वालों से इजाजत ली….

सरयू सिंह ने अपने झोले से 1001 रुपए निकालकर विकास के हाथ में शगुन के तौर पर दिया और अपने दोनों हाथ जोड़कर आगंतुकों को ससम्मान विदा किया वह मन ही मन कल की तैयारियों के बारे में सोचने लगे।

विकास अपने परिवार के साथ लौट रहा था। सोनी और उसकी आंखों में एक अजब सी चमक थी। दोनों एक दूसरे के साथ वैवाहिक जीवन जीना प्रारंभ कर चुके थे परंतु आज उसे सामाजिक मान्यता मिल गई थी। उन दोनों की खुशी का ठिकाना न था। सोनी सुगना के गले लगे गई और आज इस आलिंगन की प्रगाढ़ता चरम पर थी। सुगना की चूचियों ने सोनी की चूचियों का अंदाजा लिया और सुगना को यकीन हो गया की सोनी की चूचियां पुरुष हथेली का संसर्ग प्राप्त कर चुकी है।

खैर अब जो होना था हो चुका था। लाली भी सुगना और सोनी के करीब आ गई। तीनों बहने एक दूसरे से गुत्थमगुत्था हो गई।

आज किशोरी सोनी तरुणीयों में शामिल ही गई थी। लाली ने सोनी को छेड़ते हुए कहा

"अब रोज हमारा से एक घंटा ट्रेनिंग ले लीहा .. विकास जी के कब्जा में रखें में काम आई "

सुगना मुस्कुरा उठी और बोली "चला लोग सब तैयारी करल जाओ"

सुगना के चेहरे पर यह मुस्कुराहट कई दिनों बाद आई थी। सोनू सुगना के खुशहाल चेहरे को देखकर प्रसन्न हो गया। लाली के मजाक ने सुगना के चेहरे पर भी लालिमा ला दी थी। सोनू की बड़ी बहन और ख्वाबों खयालों की अप्सरा आज खुश थी और सोनू उसे खुश देखकर बागबाग था।


सरयू सिंह और सोनू कल की तैयारियों के लिए विचार विमर्श करने लगे। सरयू सिंह की स्थिति देखने लायक थी.. वह उसी सुकन्या के विवाह की तैयारियों में व्यस्त हो गए जिस चोदने का अरमान लिए वह पिछले कुछ दिनों से घूम रहे थे…और उसे अंजाम तक पहुंचाने की जुगत लगाते लगाते बनारस तक आ गए थे.

बहरहाल सरयू सिंह ने जो सोचा था और उनके मन में जो वासना आई थी उसका एक अंश सोनी स्वयं देख चुकी थी। धोती के पीछे छुपे उस दिव्यास्त्र का आभास सोनी ने कर लिया था। नियति किसी भी घटनाक्रम को व्यर्थ नहीं जाने देती… सोनी के मन में जो उत्सुकता आई थी उसने दिमाग के एक कोने में अपनी जगह बना ली थी। वह इस समय तो अपने ख्वाबों की दुनिया में खोई हुई थी परंतु आने वाले समय में उसकी उत्सुकता क्या रंग दिखाएगी यह तो भविष्य के गर्भ में दफन था…

हाल में अपने भूतपूर्व सरयू सिंह और वर्तमान प्रेमी सोनू के साथ बैठकर सुगना सोनी की रिंग सेरेमनी की तैयारियों पर विचार विमर्श कर रही थी।

रिश्तेदारों को लाने की बात पर सुगना ने अपना प्रस्ताव रखा

"बाबूजी सोनू के गाड़ी लेकर भेज दी.. मां के भी लेले आई है और जो अपन रिश्तेदार बड़े लोग उन लोग के भी लेले आई"


सरयू सिंह सुगना की बात पर कभी कोई प्रश्न ना उठाते थे उन्हें पता था इस परिवार के लिए सुगना का हर निर्णय परिवार की उन्नति के लिए था। उन्होंने सुगना की बात का समर्थन करते हुए कहा

"हां वहां सलेमपुर जाकर एक गाड़ी और कर लीह एक गाड़ी में अतना आदमी ना आई"

सोनू के गांव जाने की बात सुनकर लाली थोड़ा दुखी हो गई आज रात वह सोनू से जमकर चुदने वाली थी परंतु सुगना के इस प्रस्ताव ने उसकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया था। बहरहाल लाली के दुख से ज्यादा उसके मन में आज सोनी को लेकर खुशियां थी…

सुगना ने आज रात के लिए सोनू और लाली को दूर कर दिया था और खुश हो गई थी। सोनू को लाली से दूर रखना अनिवार्य था…और सुगना उसमें स्वाभाविक रूप से सफल हो गई थी।

सरयू सिंह, सुगना और लाली ने यहां बनारस की व्यवस्था संभाली.. सरयू सिंह रस्मो रिवाज के सारे सामान खरीदने के लिए लिस्ट बनाने लगे। सुगना और लाली …सबके लिए नए और माकूल कपड़े खरीदने चली गईं…सोनी के लिए वस्त्र खरीदने का जिम्मा विकास और उसकी मां ने स्वयं उठा रखा था। सोनी ने बच्चों को घर में संभालने की जिम्मेदारी ले ली।

"काश मोनी भी आज के दिन एहिजा रहीत!"


अचानक सोनी ने मोनी का नाम लेकर सब को मायूस कर दिया…

मोनी का खूबसूरत चेहरा सबकी निगाहों में घूम गया जो इस समय विद्यानंद के आश्रम में एक अनोखी परीक्षा से गुजर रही थी..

अपने कक्ष में अपने बिस्तर पर लेटी हुई मोनी बेसुध थी हाथ पैर जैसे उसके वश में न थे। तभी दो महिलाएं उसके कमरे में आई। उन्होंने मोनी के सर को हिला कर देखा निश्चित ही मोनी अचेतन थी।

"डॉक्टर चेक कर लीजिए…यह नहीं जागेगी" साथ आई महिला ने कहा। और डॉक्टर ने मोनी के अक्कू ढक रहा श्वेत उठाने लगी। आज नियति मोनी की पुष्ट जांघों को पहली बार देख रही थी जो सादगी की प्रतीक थीं। न पैरों में आलता न घुटनों पर कोई कालापन एकदम बेदाग…जितना मोनी का मन साफ था उतना ही तन। धीरे-धीरे श्वेत वस्त्र ऊपर उठता हुआ जांघों के जोड़ पर आ गया …और खूबसूरत सुनहरे बालों के बीच वह दिव्य त्रिकोण दिखाई पड़ने लगा जिसका मोनी के लिए अब तक कोई उपयोग न था।


जिस तरह किसी अबोध के लिए कोहिनूर का कोई मोल नहीं होता उसी प्रकार मोनी के लिए उसकी जांघों के बीच छुपा खजाने कि कोई विशेष अहमियत न थी।

डॉक्टर ने साथ आई महिला की मदद से मोनी की दोनों जांघें फैलाई और उस अनछुई कोमल बुर की दोनों फांकों को अपनी उंगलियों से ही अलग करने की कोशिश की …परंतु मोनी की बुर को फांके उंगलियों से छलक कर पुट …की धीमी ध्वनि के साथ फिर एक दूसरे के पास आ गई। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे मोनी अपनी अवचेतन अवस्था में भी अपने भीतर छुपी गुलाब की कली को किसी और को नहीं दिखाना चाह रही थी।

डॉक्टर ने डॉक्टर ने एक बार फिर कोशिश की। छोटी सी गुलाब की कली की पंखुड़ियों को फैला कर न जाने वह क्या देखना चाह रही थी …जितना ही वह उसे अपनी उंगलियों से फैलाती गई उतनी ही गुलाबी लालिमा और मांसल बुर और उजागर होती।

परंतु एक हद के बाद अंदर देख पाना संभव न था..डॉक्टर ने साथ आई महिला से कहा

"पास"


साथ चल रही महिला ने अपने रजिस्टर में कुछ दर्ज किया और मुस्कुराते हुए बोली। मुझे पूरा विश्वास था कि यह निश्चित ही कुंवारी होगी चाल ढाल और रहन-सहन से यह बात स्पष्ट होती है कि जैसे इसे विपरीत लिंग में कोई आकर्षण नहीं है..

"देखना है कि क्या आगे भी ऐसा ही रहेगा…" डॉक्टर मुस्कुरा रही थी….

मोनी को वापस उसी प्रकार उसके श्वेत वस्त्रों से ढक दिया गया और डॉक्टर अपनी महिला साथी के साथ अगले कक्ष में प्रवेश कर गई…

इसी प्रकार अलग-अलग कक्षाओं में जाकर उस डॉक्टर सहयोगी ने कई नई युवतियों का कौमार्य परीक्षण किया तथा अपने रजिस्टर में दर्ज करती चली गई.


बाहर जीप में बैठा रतन डाक्टर का इंतजार कर रहा था। यह डाक्टर कोई और नहीं अपितु वह खूबसूरत अंग्रेजन माधवी थी जो दीपावली की रात रतन के बनाए खूबसूरत भवन की महिला विंग की देखरेख कर रही थी….।

रतन पास बैठी माधवी को बार-बार देख रहा था उसकी भरी-भरी चूचियां रतन का ध्यान बरबस ही खींच रही थीं। रतन का बलशाली लंड पजामे के भीतर तन रहा था। उसे दीपावली की वह खूबसूरत रात याद आने लगी …माधवी ने रतन कि निगाहों को पढ़ लिया वह इसके पहले भी आंखों में उसके प्रति उपजी वासना को देख चुकी थी।

"रतन जी आश्रम में ध्यान लगाइए मुझमें नहीं.."माधवी ने अपने चेहरे पर मुस्कुराहट लाते हुए कहा…रतन शरमा गया और उसने अपने तने लंड को एक तरफ किया और उसने जीप की रफ्तार बढ़ा दी…रतन माधवी को पाने के लिए तड़प रहा था। उसने अपने ही बनाए उस अनोखे कूपे में माधवी के कामुक बदन न सिर्फ जी भर कर देखा था अपितु उसके कोमल बदन को अपने कठोर हाथों से जी भर स्पर्श किया वह सुख अद्भुत था। रतन ने जो मेहनत माधवी के तराशे हुए बदन पर की थी उसने उसका असर भी देखा था…. माधवी की जांघों के बीच अमृत की बूंदें छलक आई थी….परंतु मिलन अधूरा था…

जीप तेज गति से विद्यालय में के आश्रम की तरह बढ़ रही थी।

यह महज संजोग था या नियति की चाल…उधर बनारस में रेडिएंट होटल के तीन कमरे सुगना और सरयू सिंह के परिवार के लिए सजाए जा रहे थे उनमें से एक वही कमरा था जिसमें सरयू सिंह ने बनारस महोत्सव के आखिरी दिन सुगना को जमकर चोदा था …. यह कमरा सुगना और उसके परिवार के लिए अहम होने वाला था…

शेष अगले भाग में …
Lovely Anand भाई इस अपड़ेट ने मेरे मन की इच्छा पूरी कर दी।विकास और सोनी के रिश्ते को मान्यता मिल गई। अब अगर सोनी स२यू में कुछ हो तो वो कहानी में एक नया रंग लायेगा।
ग्रामीण संस्कारों की जो बात आपने कही वो निशचित रूप से शहरी सभ्यता के लिए कडवा सत्य है।
झ्स प्रकार के संदेश कहानी में कुछ अलग अहसास दिलाते हैं।
साधुवाद
 
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Lovely Anand

Love is life
1,320
6,474
144
Nice update no. 112. Waiting for the next.

Regards
Thanks
Gazab ki update Lovely Bhai,

Soni aur Vikar ka rishta ho gaya, aur dusri taraf Saryu singh ke sapne bhi tut gaye.........

Vikas bhi Sugna ke aakarshan se bach nahi paya.........ho sakta he aage chalkar wo sugna se sambandh bhi bana le.......

Aashram ke verginity test ho raha he..aakhir kyu??? Ratan aur Madhavi ka Milan pehle karana uske baad Ratan aur Moni ka........

Keep posting Bhai

Waiting for next garmagaram update

जबरदस्त अपडेट है ।एक तरफ तो सोनी ओर विकास का विवाह और दूसरी तरफ सुगना ने सोनू ओर लाली को मिलने से फिलहाल तो रोक दिया है वही रतन ओर माधवी के बीच दूरियां कम हो रही है । देखते है आने वाले अपडेट में क्या क्या घटित होने वाला है

Sundar update

Nice bro
4 din mein pura padh Dala

Bhai aap likhate to Accha ho par agar aap ke pas samay ho to Thora aur long update diya Karen. To aur achha lagega..

The story continues but with a new twist. Well done.

Bahut hi behtarin update .., KLPD ho gayi saryu ke saath .. par kahani kanhi or bhi ghum gayi Moni Ratan and Madhvi yanha bhi kuch niyati ne khichdi pakani shuru kar do hai …

Nice update
Humke ta khali e 7 din aur soni saryu singh ke milan ke intezaar ba
Chaple raha guru

Lovely Anand भाई इस अपड़ेट ने मेरे मन की इच्छा पूरी कर दी।विकास और सोनी के रिश्ते को मान्यता मिल गई। अब अगर सोनी स२यू में कुछ हो तो वो कहानी में एक नया रंग लायेगा।
ग्रामीण संस्कारों की जो बात आपने कही वो निशचित रूप से शहरी सभ्यता के लिए कडवा सत्य है।
झ्स प्रकार के संदेश कहानी में कुछ अलग अहसास दिलाते हैं।
साधुवाद





आप सभी को धन्यवाद
 
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lambalaunda2020

New Member
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Lovely Anand bhai ji aapki kahani itni jabardast hai ke saari kahani ek flow mein hi pad li jo updates missing thhe unko chod kar , kyunki last tak padne ki itni aag lagi ke socha missing update ki demand baad mein kar lenge your written skills is unmatched, so u request you kindly send updates 90,91 ,101,102,109 so i read missing puzzle of this beautiful picture
 
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