IncestNepal
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Superb BhaiUpdate 04
कार्तिक के दिलो दिमाग मे बस उसकी माँ सुधा की ही तस्वीर छा गयी थी
वेसे आप अपनो से जितना दूर रहो उतना प्यार ज्यादा बढ़ जाता है
कार्तिक चार महीने पहले घर गया तबसे वो घर नही गया था
उसको कुछ भी करके घर जाना था
उसको अनजाने में हुए वाकये को फिरसे दोहराना था
आखिर कार ऊपर वाले ने उसकी बात सुनली । दरअसल कार्तिक जिस कॉलेज में था वो पुरानी थी तो उसका रिनोवेशन करने के लिए सब स्टूडेंट को एक वीक की छुट्टी मिल गयी थी इसलिए कार्तिक को भी घर आना पड़ा । कार्तिक के मनमे लड्डू फुट रहे थे कि घर जाकर क्या क्या करुगा
उसने सुधा को फोन करके बता दिया था । डेड तो घरपे थे नही ऑफिस के कामकाज से बाहर थे विदेश में । सुधा भी अकेली बोर हो गयी थी उसने सोचा चलो बेटा आ रहा है घरपे तो कुछ वक्त अच्छा कट जाएगा । कुछ घूम भी लेगे
टिंग टोंग डिंग डाँग
सुधा बेल का आवाज सुन दौड़के दरवाजा खोलने गई । दरवाजा खोलते ही वो कार्तिक को देख उसके गले लग गई । कार्तिक भी मोमको देख खुश हो गया । दोनो एक दूसरे को गले लग गए ।
दोनो के दिलमे एक दूसरे के प्रति प्यार उमड़ रहा था
फर्क सिर्फ इतना था कि सुधा के प्यार में ममता थी जबकि कार्तिक के प्यारमे प्यार के साथ साथ वासनाए भी हावी हो रही थी
आ बेटा अंदर आ सवेरे से मुसाफ़री करके थक गया होगा शाम होनेको है अभी तेरे इंतेज़ार में मैने खाना भी नही खाया बस हल्का फुल्का नास्ता किया था थोड़ी देर पहले फ्रेश होजा खाना परोसती हु में ।
जैसे ही दोनों अंदर आते है सुधा के मोबाइल फोन की घंटी बजती है
फ़ोन पे बात करके सुधा एकदम हक्की बक्की रह गयी और वहां पड़े चेयर पर बैठ के फक फक रोने लगी
"अरे मम्मी क्या हुआ" अचानक ऐसे अपनी माँ को रोते हुए देख कार्तिक तुरन्त उसके पास चला गया
सुधाने रोते हुए बताया कि सुधा के पापा अचानक बीमार हो गए है उसे जल्दी जाना होगा तुरंत ही । सुधा के अलावा उनका कोई नही था सुधाने कई बार बोला था उनको अपने साथ रहने के लिए लेकिन सुधा के मोम डेड बेटी के उपकार का बोझ अपने सिर नही लेना चाहते इसलिए नही आये थे
सुधा ने अपने आपको सम्भालते हुए कार्तिक को बोला बेटा तुम खालो जल्दी फिर निकलते है में नही खाने वाली मेरे मुंह से निवाला नही उतरेगा वेसे भी दो घंटे पहले मेने नास्ता किया था बोलके कार्तिकने अपने पापा नायरको भी इस घटना के बारेमे बता दिया ।
मम्मी चलो जल्दी निकलते है बातो का वक्त नही है अभी । जाने का रास्ता 6 घंटे का है अभी शामके सात बज रहे है तुरन्त ट्रेन पकड़नी पड़ेगी फेस्टिवल सीजन है तो पता नही ट्रेन में जगह मिलेगी की नही खाने का जुगाड़ ट्रेन में कही कर देंगे सोचके दोनो फटाफट तैयार होके रिक्शा पकड़के आ गए । किस्मत अच्छी थी कि सामने प्लेटफॉर्म में उनको जहा जाना था उसकी ही ट्रेन खड़ी थी । वो लोग एक स्लीपर क्लास में चड गए कार्तिक बोला मम्मी मेरे दोस्त के पापा रेलवे में है में उनको बोलके टीटी का नंबर लेके सीट का इन्तज़ाम करता हु ये बोलके उसने तुरन्त बात करके टीटी को बुला लिया ओर एक्स्ट्रा पैसा देके बात करली । टीटी बोला देखिए ट्रैन फूल है लेकिन बाजू के डिब्बे में एक सीट खाली है ऐन मोके पे वो मुसाफिर नही आया है आप चाहे तो वहा बेठ सकते हो ।
मन तो नही मान रहा था लेकिन कुछ भी करके पहोचना था इसलिए दोनों टीटी के बताए डिब्बे में जाकर उस बर्थ पे बेठ गए । अभी दस नही बजा था तो सब नीचे की सीट पे बैठे थे । कार्तिक सुधा से सट के बैठा था इसलिए सुधा की कमर का हिस्सा कार्तिक को छू रहा था । उसको अब अचानक चार महीने पहले हुई घटना याद आ गई इसलिए कार्तिक अब धीरे धीरे वासना के नशे में डूबने लगा था । वो सोच रहा था कि आज अच्छा मौका है कुछ करने का लेकिन एक अच्छा संस्कारी लड़का होने के नाते उसका दिल नही मान रहा था।
तभी सुधा के मोबाइल पे फिरसे उसकी मम्मी का फोन आता है ओर वो बताती है कि सुधा के पापा की तबियत अब सुधर रही है ओर डॉक्टर वहा मौजूद है तो चिंता मत करना और आराम से आना । ये सुनके कार्तिक ओर सुधा की जानमें जान आयी । कार्तिक बोला मम्मी तुमने रो रो के अपनी हालात केसी करदी मेने बोला न सब ठीक हो जाएगा देखो अब चिंता मत करना । दोनो ने ट्रेन में ही खाना मंगाकर खा लिया अब सब लोग सोने के लिए जाते है सब अपनी अपनी बर्थ सीट को नीचे करके सोने में व्यस्त हो गए ।
सुधा ओर कार्तिक को नीचेवाली स्लीपर सीट मिली थी लेकिन एक ही इसलिए वो लोग जैसे तैसे एडजस्ट करके सोने लगे । तभी कार्तिक बोला मम्मा आपको अनकंफर्टेबल फील होगा आप सो जाओ में ऐसे ही बैठता हु। अरे ना ना बेटा उसमे क्या मेरे बेटे से क्या उनकफर्टेबल फील करुँगी आजा तुजे मेरी कसम वेसे भी मेरा बेटा बहोत दिन बाद आया है ।
दोनो चिपक के सोने लगे । कार्तिकने आने के टाइम ढीला बरमूडा पहनकर अच्छा काम किया था। सुधा थकी हुई थी सो वो सो गई ।लेकिन कार्तिक की हालत खराब थी उसको तो सुधा की गाँड ही नजर आ रही थी दिल मे । सुधा की सांसें उपर नीचे हो रही थी । सोये हुए तकरीबन 3 घंटे हो गए थे लोग भी आजुबाजू घोड़े बेचके सो रहे थे ।
कार्तिक ने धीरे से सुधा की गाँड पे साड़ी के ऊपर हाथ रखा फिर तुरंत ही हटा लिया
कार्तिक के लिए ये सब नया था तो थोड़ा डर भी रहा था । वाह कुछ सेकंड ही सही लेकिन क्या अहसाह था । कार्तिक का दिल जोरो से धडक रहा था । कार्तिक को ये भी पता था कि उसकी माँ सुधा एकदम गहरी नींद में हो फिर जागती नही है । वेसे भी बिचारि तबसे रो रो के हालात खराब थी थक गई थी ओर फोन पे उसके पापा की तबियत थोड़ी सही हो गयी सुनके वो आराम से सो रही थी ।
सुधा का क्लीवेज कार्तिक को क्लीयर दिख रहा था ।
अरे देखने की बात छोड़ो उसके स्तन कार्तिक से सटे हुए थे ।
कयोकि दोनो एकहि सीट पे जो सोये हुए थे । फिर कार्तिक ने फिरसे सुधा की गाँड पे हाथ गुमाया ।
इसबार ऐसे ही हाथ रहने दिया सुधा ने पतली साड़ी पहनी थी तो उसकी पेंटि लाइन कार्तिक के हाथों को फील हो रही थी ।
कार्तिक ने मनमे सोचा ऊपर वाला भी अजीब खिलाड़ी है जिसके बारे में वो चार महीने से सोच रहा था वो अचानक उसे मिल जाएगी सोचा नहीथा ।