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Incest उत्तर दक्षिण

IncestNepal

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Update 04

कार्तिक के दिलो दिमाग मे बस उसकी माँ सुधा की ही तस्वीर छा गयी थी

वेसे आप अपनो से जितना दूर रहो उतना प्यार ज्यादा बढ़ जाता है

कार्तिक चार महीने पहले घर गया तबसे वो घर नही गया था

उसको कुछ भी करके घर जाना था

उसको अनजाने में हुए वाकये को फिरसे दोहराना था

आखिर कार ऊपर वाले ने उसकी बात सुनली । दरअसल कार्तिक जिस कॉलेज में था वो पुरानी थी तो उसका रिनोवेशन करने के लिए सब स्टूडेंट को एक वीक की छुट्टी मिल गयी थी इसलिए कार्तिक को भी घर आना पड़ा । कार्तिक के मनमे लड्डू फुट रहे थे कि घर जाकर क्या क्या करुगा

उसने सुधा को फोन करके बता दिया था । डेड तो घरपे थे नही ऑफिस के कामकाज से बाहर थे विदेश में । सुधा भी अकेली बोर हो गयी थी उसने सोचा चलो बेटा आ रहा है घरपे तो कुछ वक्त अच्छा कट जाएगा । कुछ घूम भी लेगे

टिंग टोंग डिंग डाँग

सुधा बेल का आवाज सुन दौड़के दरवाजा खोलने गई । दरवाजा खोलते ही वो कार्तिक को देख उसके गले लग गई । कार्तिक भी मोमको देख खुश हो गया । दोनो एक दूसरे को गले लग गए ।

दोनो के दिलमे एक दूसरे के प्रति प्यार उमड़ रहा था

फर्क सिर्फ इतना था कि सुधा के प्यार में ममता थी जबकि कार्तिक के प्यारमे प्यार के साथ साथ वासनाए भी हावी हो रही थी

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आ बेटा अंदर आ सवेरे से मुसाफ़री करके थक गया होगा शाम होनेको है अभी तेरे इंतेज़ार में मैने खाना भी नही खाया बस हल्का फुल्का नास्ता किया था थोड़ी देर पहले फ्रेश होजा खाना परोसती हु में ।

जैसे ही दोनों अंदर आते है सुधा के मोबाइल फोन की घंटी बजती है

फ़ोन पे बात करके सुधा एकदम हक्की बक्की रह गयी और वहां पड़े चेयर पर बैठ के फक फक रोने लगी

"अरे मम्मी क्या हुआ" अचानक ऐसे अपनी माँ को रोते हुए देख कार्तिक तुरन्त उसके पास चला गया

सुधाने रोते हुए बताया कि सुधा के पापा अचानक बीमार हो गए है उसे जल्दी जाना होगा तुरंत ही । सुधा के अलावा उनका कोई नही था सुधाने कई बार बोला था उनको अपने साथ रहने के लिए लेकिन सुधा के मोम डेड बेटी के उपकार का बोझ अपने सिर नही लेना चाहते इसलिए नही आये थे

सुधा ने अपने आपको सम्भालते हुए कार्तिक को बोला बेटा तुम खालो जल्दी फिर निकलते है में नही खाने वाली मेरे मुंह से निवाला नही उतरेगा वेसे भी दो घंटे पहले मेने नास्ता किया था बोलके कार्तिकने अपने पापा नायरको भी इस घटना के बारेमे बता दिया ।

मम्मी चलो जल्दी निकलते है बातो का वक्त नही है अभी । जाने का रास्ता 6 घंटे का है अभी शामके सात बज रहे है तुरन्त ट्रेन पकड़नी पड़ेगी फेस्टिवल सीजन है तो पता नही ट्रेन में जगह मिलेगी की नही खाने का जुगाड़ ट्रेन में कही कर देंगे सोचके दोनो फटाफट तैयार होके रिक्शा पकड़के आ गए । किस्मत अच्छी थी कि सामने प्लेटफॉर्म में उनको जहा जाना था उसकी ही ट्रेन खड़ी थी । वो लोग एक स्लीपर क्लास में चड गए कार्तिक बोला मम्मी मेरे दोस्त के पापा रेलवे में है में उनको बोलके टीटी का नंबर लेके सीट का इन्तज़ाम करता हु ये बोलके उसने तुरन्त बात करके टीटी को बुला लिया ओर एक्स्ट्रा पैसा देके बात करली । टीटी बोला देखिए ट्रैन फूल है लेकिन बाजू के डिब्बे में एक सीट खाली है ऐन मोके पे वो मुसाफिर नही आया है आप चाहे तो वहा बेठ सकते हो ।

मन तो नही मान रहा था लेकिन कुछ भी करके पहोचना था इसलिए दोनों टीटी के बताए डिब्बे में जाकर उस बर्थ पे बेठ गए । अभी दस नही बजा था तो सब नीचे की सीट पे बैठे थे । कार्तिक सुधा से सट के बैठा था इसलिए सुधा की कमर का हिस्सा कार्तिक को छू रहा था । उसको अब अचानक चार महीने पहले हुई घटना याद आ गई इसलिए कार्तिक अब धीरे धीरे वासना के नशे में डूबने लगा था । वो सोच रहा था कि आज अच्छा मौका है कुछ करने का लेकिन एक अच्छा संस्कारी लड़का होने के नाते उसका दिल नही मान रहा था।

तभी सुधा के मोबाइल पे फिरसे उसकी मम्मी का फोन आता है ओर वो बताती है कि सुधा के पापा की तबियत अब सुधर रही है ओर डॉक्टर वहा मौजूद है तो चिंता मत करना और आराम से आना । ये सुनके कार्तिक ओर सुधा की जानमें जान आयी । कार्तिक बोला मम्मी तुमने रो रो के अपनी हालात केसी करदी मेने बोला न सब ठीक हो जाएगा देखो अब चिंता मत करना । दोनो ने ट्रेन में ही खाना मंगाकर खा लिया अब सब लोग सोने के लिए जाते है सब अपनी अपनी बर्थ सीट को नीचे करके सोने में व्यस्त हो गए ।

सुधा ओर कार्तिक को नीचेवाली स्लीपर सीट मिली थी लेकिन एक ही इसलिए वो लोग जैसे तैसे एडजस्ट करके सोने लगे । तभी कार्तिक बोला मम्मा आपको अनकंफर्टेबल फील होगा आप सो जाओ में ऐसे ही बैठता हु। अरे ना ना बेटा उसमे क्या मेरे बेटे से क्या उनकफर्टेबल फील करुँगी आजा तुजे मेरी कसम वेसे भी मेरा बेटा बहोत दिन बाद आया है ।

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दोनो चिपक के सोने लगे । कार्तिकने आने के टाइम ढीला बरमूडा पहनकर अच्छा काम किया था। सुधा थकी हुई थी सो वो सो गई ।लेकिन कार्तिक की हालत खराब थी उसको तो सुधा की गाँड ही नजर आ रही थी दिल मे । सुधा की सांसें उपर नीचे हो रही थी । सोये हुए तकरीबन 3 घंटे हो गए थे लोग भी आजुबाजू घोड़े बेचके सो रहे थे ।

कार्तिक ने धीरे से सुधा की गाँड पे साड़ी के ऊपर हाथ रखा फिर तुरंत ही हटा लिया

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कार्तिक के लिए ये सब नया था तो थोड़ा डर भी रहा था । वाह कुछ सेकंड ही सही लेकिन क्या अहसाह था । कार्तिक का दिल जोरो से धडक रहा था । कार्तिक को ये भी पता था कि उसकी माँ सुधा एकदम गहरी नींद में हो फिर जागती नही है । वेसे भी बिचारि तबसे रो रो के हालात खराब थी थक गई थी ओर फोन पे उसके पापा की तबियत थोड़ी सही हो गयी सुनके वो आराम से सो रही थी ।

सुधा का क्लीवेज कार्तिक को क्लीयर दिख रहा था ।
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अरे देखने की बात छोड़ो उसके स्तन कार्तिक से सटे हुए थे ।
कयोकि दोनो एकहि सीट पे जो सोये हुए थे । फिर कार्तिक ने फिरसे सुधा की गाँड पे हाथ गुमाया ।

इसबार ऐसे ही हाथ रहने दिया सुधा ने पतली साड़ी पहनी थी तो उसकी पेंटि लाइन कार्तिक के हाथों को फील हो रही थी ।

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कार्तिक ने मनमे सोचा ऊपर वाला भी अजीब खिलाड़ी है जिसके बारे में वो चार महीने से सोच रहा था वो अचानक उसे मिल जाएगी सोचा नहीथा ।
Superb Bhai
 

A.A.G.

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Nice story..!!
Bhai kahani sudha aur kartik ki badhiya hai..please hosake toh balbir ko sudha ke sath mat involve karna..sundha aur kartik ka romance dekhne me maja aayega..kaise dono ek dusre ke pyaar me padte hai..sudha bas kartik ki hi honi chahiye..!!
 
Last edited:

andyking302

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Update - 02

सुधा ओर बलबीर अब शोरूम के पास आ चुके थे । सुधा गाड़ी से उतर रही थी तभी नितम्ब का थोड़ा हिस्सा बलबीर को लग गया । बलबीर तो पहले से ही गरम था और गरम हो गया ।
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थैंक्स भाईसाब थोडा जल्दी में हु बादमे मिलेंगे बोलते हुए सुधा जल्दी से गाडिसे उतरकर जाने लगी पीछे से बलबीर उसकी गांड को ताड़ते हुए बोला भाभीजी संभलकर रॉड क्रॉस करिये ओर हमारी शॉप में जरूर से आना अच्छा डिस्काउंट देंगे ।

उधर कार्तिक अपनी माँ के नामका मुठ मारते हुए बहोत गरम हो चुका था । उसकी आंखें बंद थी वो जल्दी नही झड़ना चाहता था । उसका रूम पार्टनर बाहर गया था वो अकेला था तो उसे जल्दी भी नही थी झड़ने की इसलिए आराम से शिश्न को हिला रहा था । और चार महीने पहले हुए घटना को याद कर रहा था ।

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वो घटना कुछ इस प्रकारथी करीब चार महीने पहले एक वीक के मिनी वेकेशन पर कार्तिक घर पे आया हुआ था । वो एक सीधा सादा पढ़ाकू लड़का था । उसको पढ़ने से मतलब था बस । वो यौन क्रिया के बारेंमें सब जानता तो था उसने दोस्तो से देखा भी था पोर्न भी देखा था एक दो बार फिरभी वो कॅरियर पे फोकस करने वास्ते बस ये सब मे रुचि नही ले रहा था ।

आज वेकेशन पे आये हुए उसका दूसरा दिन था । वो किसी कामसे बाहर अपने दोस्त से मिलने जाने वाला था ।

"मोम में बहार अपने दोस्त की बर्थडे पार्टिमे जा रहा हु मुजे देर लग जायेगी" कहके उसने एक छोटा गिफ्ट पैक अपने पास रख लिया और लिविंग रूम में आया तभी उसे प्यास लगी । क्योकि दोस्त का घर दूर था और गर्मी का मौसम भी था । तो उसने गिफ्ट वहां रख दी और कीचन में जाके पानी पीने लगा और तुरंत बहार निकल गया ।

"संभाल के जाना बेटा" बोलके सुधा ने उसको बाय बाय किया ।

आज सुधा का पति नायर भी घरपे नही था वो किसी सरकारी काम से बाहर गया था । तंदुरस्त हुस्न की मालिक सुधा घर काम करके थक गई थी । इस हप्ते फेस्टिवल जो था । सुधा ने सोचा अब जाके नहा लेती हूं ।

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इनका बाथरूम बीच मे था एक साइड सुधा का कमरा था बाथरूम के दूसरे साइड कार्तिक का कमरा था । सुधा स्योर थी कि कार्तिक तो लेट आने वाला है और घरपे कोई है नही है तो उसने बाथरूम में जाके बाथरूम का दरवाजा थोड़ा ओपन रख लिया ताकि थोडी सी हवा पास हो सके
थकी हुई सुधा जल्दबाजी में घरका मेन डुर बंध करना भूल ही गयी थी वेसे भी इनकी सॉसाइटी एक अच्छे रेप्युटेड इलाके में थी तो डर की कोई बात नही थी ।

सुधा ने अपने कपड़े उतारे ओर शावर लेना चालू किया ।

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ठंडा पानी बदन पे पड़ते ही सुधा को रोमांच का अहसास हुआ । सुधा अपने आपको आयने में निहारने लगी । आम जीवनमे भले ही वो सीधी सादी थी थी तो वो एक औरत ही न । नायर साहब भी रोज थके हुए आते थे ओर महीनों में एकाद बार ही सेक्स करते थे । सुधा को अपने जीवनमे कुछ अधूरापन महसूस हो रहा था ।

उधर कार्तिक को गए हुए सिर्फ पांच मिनट ही हुआ था कि उसको याद आया वो दोस्त के लिए गिफ्ट लाया था वो घरपे ही भूल गया उसने सोचा अभी लेके आता हूं सोचके बाइक फिरसे घरके तरफ मोड़ दी । थोड़ी देरमें वो पहोचा ओर बाइक को उसने वहां घरके दूर मेन गेट पे ही खड़ा करके जल्दी से घरमें आने लगा । अंदर आके उसने अपनी गिफ्ट उठायी तभी उसको सुसु आई तो वो बाथरूम के पास सटे हुए टॉयलेट के पास जाने लगा ।

उधर ये सबसे बेखबर सुधा थोड़ा दरवाजा ओपन रखके अपने बदन पर हाथ घुमाती नहा रही थी । कार्तिक की नजर अचानक से बाथरूम के दरवाजे पे अटक गई । उसको अचानक यह अहसास हुआ कि ये क्या देख लिया उसने । दरवाजा थोड़ा खुला था । तो सुधा की गांड उसको दिखाई दी । पहली बार कार्तिक ने अपने जीवन मे किसी महिला को नग्न देखा था । और वो भी अपनी माँ को । उसके मनमे गलत ओर बूरे खयाल एकसाथे आने लगे । लेकिन था तो वो जवान लड़का । अचानक उसके लिंग में ज़नज़नाहट सी हो गयी । उसका लंड एकदम से खड़ा हो गया ।

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उधर सुधा साबुन लगा रही थी कि अचानक उसके हाथसे साबुन गिर गया तो सुधा निचे साबुन लेके के लिये मुड़ी ।

वेसे ही उसकी गांड के दो भाग चौडे हो गए बीचमे भूरे रंगका छेद दिख गया ।

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कार्तिक तो मानो सुन्न रह गया देखके वो इतना डर गया कि उसे याद ही नही रहा वो पेशाब करने आया था । आवाज न हो इसतरह वो चुपचाप घरसे बाहर निकल गया गिफ्ट लेके ओर बाइक भगाकर दोस्त के घर पहोच गया ।


"यस यस यस आह आह ऊऊऊऊऊऊ ओह्ह मोम ओह मोम" कहते हुए हॉस्टल के रूम में आखिरकार यह सब घटनाको याद।करके कार्तिक के लंड से बहोत सारा वीर्य
बाहर गिर पड़ा ।

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उधर बलबीर शोरूम में बैठे बैठे सुधा को याद कर रहा था कि कब मुलाकात होगी सुधा से ।


सुधा भी घर आके जाने अनजाने बलबीर के बारे में सोच रही थी ।
शानदार जबरदस्त भाई
 

andyking302

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Update 03

'डिंग डाँग टिंग टोंग'


डूरबेल की घंटी सुनके पम्मी दौड़के दरवाजा खोलने गई ।

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दरवाजा खुलते ही अपने पापा को देख पम्मी खुशी के मारे बलबीर के गले लग गई ।
"मेरे प्यारे पापा आ गए" बोलके एकदम खुशियो के मारे उसका दिल भर गया ।

"अरे अरे पगली गिर जाऊंगा में" बलबीर अपने आपको संभालते हुए पम्मी को गले लगाते हुए बोले

पम्मी 22 साल की एक बेहत ही खूबसूरत लड़की । चौतीस की उसकी छातिया 28 की नाजुक कमर चूतड़ थे 36 के एकदम परफेक्ट मटेरियल था सुन्दरताका । उसे देखके कोई भी पागल हो जाएगा । 20 सालमे ही उसका विवाह उसी के पसंद के लड़के से किया गया था । वो भी लव मैरेज ।

लेकिन पम्मी के नसिबमे शायद खुशिया नही लिखी थी । शादीके सिक्स मंथ बाद एक कार दुर्घटना में उसके पति की मृत्यु हो गयी थी । तबसे लेके आजतक डेढ़ साल हो गए वो अकेली ही थी । उसके ससुराल वालोंने उसे उनके लड़के की मृत्यु के लिये जिम्मेदार ठहराकर करमजली बोलके घरसे निकाल दिया था तबसे उसकी दूसरी शादी की इच्छा ही मर गयी थी। अभी वो हायर स्टडी कर रही थी यहां चेन्नई में ही एक अच्छे कॉलेजमे कम्यूटर में MCA कर रही थी। लाइफ अच्छे से कट रही थी ।

संजोग से बलबीर की बीबी भी पम्मी जब दस सालकी थी तबी एक बीमारी से ये दुनिया छोड़ के चली गयी थी । तबसे बलबीरने ही पम्मी को मा बाप दोनो का प्यार दिया था । उसकी सब ज़रूरियात बलबीर चुटकीओमे पूरा करता था। कभी किसी चीज़ की कमी नही आने दी । पम्मी भी अपने डेडी बलबीर का बहोत ख्याल रखती थी ।

"पापा मेरे लिके एपल का मेकबुक लेपटॉप लाये की नही" पम्मी ने घरमे आते ही पूछा

"गाड़ी की डिक्की में है निकाल दे बेटा" बलबीर अपना टीशर्ट उतारकर बोला ।

पम्मी दौड़के गाड़ी की डिक्की खोलके लेप्टोप का बॉक्स ला देती है ।

बड़ा ही महँगा मॉडल लाये थे उसके पापा तकरीबन डेढ़ लाख का ।

पम्मी ये देखके खुश हो गयी और आके बलबीर को पीछे से चिपकते हुए बोली "थैंक्स पापा आप दुनियाके नंबर वन पापा हो"
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बलबीर टीशर्ट निकालके खड़ा था उसने ऊपर कुछ नही पहना था । पम्मी को उसके पापा के पसीने की महक आ गयी। स्पोर्ट डीओ ओर मर्द दा पसीना मिक्स होकर अजीब सी स्मेल छोड़ रहा था। वो पम्मी की नाको के अंदर तक घुस गया ।

"पागल हो क्या बेटा कितनी बड़ी हो गयी हो बचपना छोड़ दो"

"उहू में कितनी भी बड़ी हो जाऊं मेरे पापा की तो नन्ही सी गुड़िया ही रहूगी ना" पम्मी मुस्कराते हुए बोली ।

"ओके बाबा ओके में थक गया हूं और पेटमे चूहे दौड़ रहे है अपने पापा को खाना ख़िलादो" बलबीर ने पेट पे हाथ घुमाते बोला ।

"अरे मेरे पापा शेर है शेर, उनके जैसी बॉडी पूरे शहर में किसीकी नही हो सकती, वो कभी नही थकते" कहते हुए पम्मी हसके अपने पापा को चिढ़ाने लगी ओर बोली "चलिए फ्रेश होकर डाइनिंग टेबल के उपर आ जाईये" बोलकर मुडकर किचन की ओर जाने लगी ।

ना चाहते हुए भी बलबीर की नजर पम्मी की गांड पे चली गयी
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पम्मी ने टाइट लेगीस पहनि थी तो उसमे से उसकी 36 की गांड कहर ढा रही थी । कुछ सेकंड के लिए ही सही बलबीर की नजर वहां चली गयी लेकिन मनमे कोई खराब भाव नही आया क्योकि बचपन से ही पम्मी को बलबीर ने प्यार से पाला था । लेकिन पम्मी की गाँड देखके बलबीर को दो घंटे पहले बुलेट पे बिठाई हुई उसकी साउथ वाली पडॉशन सुधा की याद जरूर आ गयी ।

वो बाथरूम में जाकर नँगा हो गया लंडके टोपे पे देखा तो वीर्य की छोटी दो बूंदे थी । उसको सुधा फिर याद आ गयी । फटाफट उसने लंडको हिला दिया वीर्य निकालके जल्दी से बाथ लेके चेंज करके खाना खाने टेबल पे आके बेथ गया । सामने पम्मी उसका इंतजार कर रही थी । पम्मी बोली पापा आज आपने मुजे बहोत खुश कर दिया है तो मैने आपकी पसंदीदा पंजाबी चोले, बटर चिकन, ओर दाल मखनी बनाई है । साथ मे गाजर का हलवा ।


ओ मेरी प्यारी बेटिया मेरा कितना खयाल रखती है बोलके बलबीर खाना खाने लगा ।
Nice bhai
 

andyking302

Well-Known Member
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Update 04

कार्तिक के दिलो दिमाग मे बस उसकी माँ सुधा की ही तस्वीर छा गयी थी

वेसे आप अपनो से जितना दूर रहो उतना प्यार ज्यादा बढ़ जाता है

कार्तिक चार महीने पहले घर गया तबसे वो घर नही गया था

उसको कुछ भी करके घर जाना था

उसको अनजाने में हुए वाकये को फिरसे दोहराना था

आखिर कार ऊपर वाले ने उसकी बात सुनली । दरअसल कार्तिक जिस कॉलेज में था वो पुरानी थी तो उसका रिनोवेशन करने के लिए सब स्टूडेंट को एक वीक की छुट्टी मिल गयी थी इसलिए कार्तिक को भी घर आना पड़ा । कार्तिक के मनमे लड्डू फुट रहे थे कि घर जाकर क्या क्या करुगा

उसने सुधा को फोन करके बता दिया था । डेड तो घरपे थे नही ऑफिस के कामकाज से बाहर थे विदेश में । सुधा भी अकेली बोर हो गयी थी उसने सोचा चलो बेटा आ रहा है घरपे तो कुछ वक्त अच्छा कट जाएगा । कुछ घूम भी लेगे

टिंग टोंग डिंग डाँग

सुधा बेल का आवाज सुन दौड़के दरवाजा खोलने गई । दरवाजा खोलते ही वो कार्तिक को देख उसके गले लग गई । कार्तिक भी मोमको देख खुश हो गया । दोनो एक दूसरे को गले लग गए ।

दोनो के दिलमे एक दूसरे के प्रति प्यार उमड़ रहा था

फर्क सिर्फ इतना था कि सुधा के प्यार में ममता थी जबकि कार्तिक के प्यारमे प्यार के साथ साथ वासनाए भी हावी हो रही थी

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आ बेटा अंदर आ सवेरे से मुसाफ़री करके थक गया होगा शाम होनेको है अभी तेरे इंतेज़ार में मैने खाना भी नही खाया बस हल्का फुल्का नास्ता किया था थोड़ी देर पहले फ्रेश होजा खाना परोसती हु में ।

जैसे ही दोनों अंदर आते है सुधा के मोबाइल फोन की घंटी बजती है

फ़ोन पे बात करके सुधा एकदम हक्की बक्की रह गयी और वहां पड़े चेयर पर बैठ के फक फक रोने लगी

"अरे मम्मी क्या हुआ" अचानक ऐसे अपनी माँ को रोते हुए देख कार्तिक तुरन्त उसके पास चला गया

सुधाने रोते हुए बताया कि सुधा के पापा अचानक बीमार हो गए है उसे जल्दी जाना होगा तुरंत ही । सुधा के अलावा उनका कोई नही था सुधाने कई बार बोला था उनको अपने साथ रहने के लिए लेकिन सुधा के मोम डेड बेटी के उपकार का बोझ अपने सिर नही लेना चाहते इसलिए नही आये थे

सुधा ने अपने आपको सम्भालते हुए कार्तिक को बोला बेटा तुम खालो जल्दी फिर निकलते है में नही खाने वाली मेरे मुंह से निवाला नही उतरेगा वेसे भी दो घंटे पहले मेने नास्ता किया था बोलके कार्तिकने अपने पापा नायरको भी इस घटना के बारेमे बता दिया ।

मम्मी चलो जल्दी निकलते है बातो का वक्त नही है अभी । जाने का रास्ता 6 घंटे का है अभी शामके सात बज रहे है तुरन्त ट्रेन पकड़नी पड़ेगी फेस्टिवल सीजन है तो पता नही ट्रेन में जगह मिलेगी की नही खाने का जुगाड़ ट्रेन में कही कर देंगे सोचके दोनो फटाफट तैयार होके रिक्शा पकड़के आ गए । किस्मत अच्छी थी कि सामने प्लेटफॉर्म में उनको जहा जाना था उसकी ही ट्रेन खड़ी थी । वो लोग एक स्लीपर क्लास में चड गए कार्तिक बोला मम्मी मेरे दोस्त के पापा रेलवे में है में उनको बोलके टीटी का नंबर लेके सीट का इन्तज़ाम करता हु ये बोलके उसने तुरन्त बात करके टीटी को बुला लिया ओर एक्स्ट्रा पैसा देके बात करली । टीटी बोला देखिए ट्रैन फूल है लेकिन बाजू के डिब्बे में एक सीट खाली है ऐन मोके पे वो मुसाफिर नही आया है आप चाहे तो वहा बेठ सकते हो ।

मन तो नही मान रहा था लेकिन कुछ भी करके पहोचना था इसलिए दोनों टीटी के बताए डिब्बे में जाकर उस बर्थ पे बेठ गए । अभी दस नही बजा था तो सब नीचे की सीट पे बैठे थे । कार्तिक सुधा से सट के बैठा था इसलिए सुधा की कमर का हिस्सा कार्तिक को छू रहा था । उसको अब अचानक चार महीने पहले हुई घटना याद आ गई इसलिए कार्तिक अब धीरे धीरे वासना के नशे में डूबने लगा था । वो सोच रहा था कि आज अच्छा मौका है कुछ करने का लेकिन एक अच्छा संस्कारी लड़का होने के नाते उसका दिल नही मान रहा था।

तभी सुधा के मोबाइल पे फिरसे उसकी मम्मी का फोन आता है ओर वो बताती है कि सुधा के पापा की तबियत अब सुधर रही है ओर डॉक्टर वहा मौजूद है तो चिंता मत करना और आराम से आना । ये सुनके कार्तिक ओर सुधा की जानमें जान आयी । कार्तिक बोला मम्मी तुमने रो रो के अपनी हालात केसी करदी मेने बोला न सब ठीक हो जाएगा देखो अब चिंता मत करना । दोनो ने ट्रेन में ही खाना मंगाकर खा लिया अब सब लोग सोने के लिए जाते है सब अपनी अपनी बर्थ सीट को नीचे करके सोने में व्यस्त हो गए ।

सुधा ओर कार्तिक को नीचेवाली स्लीपर सीट मिली थी लेकिन एक ही इसलिए वो लोग जैसे तैसे एडजस्ट करके सोने लगे । तभी कार्तिक बोला मम्मा आपको अनकंफर्टेबल फील होगा आप सो जाओ में ऐसे ही बैठता हु। अरे ना ना बेटा उसमे क्या मेरे बेटे से क्या उनकफर्टेबल फील करुँगी आजा तुजे मेरी कसम वेसे भी मेरा बेटा बहोत दिन बाद आया है ।

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दोनो चिपक के सोने लगे । कार्तिकने आने के टाइम ढीला बरमूडा पहनकर अच्छा काम किया था। सुधा थकी हुई थी सो वो सो गई ।लेकिन कार्तिक की हालत खराब थी उसको तो सुधा की गाँड ही नजर आ रही थी दिल मे । सुधा की सांसें उपर नीचे हो रही थी । सोये हुए तकरीबन 3 घंटे हो गए थे लोग भी आजुबाजू घोड़े बेचके सो रहे थे ।

कार्तिक ने धीरे से सुधा की गाँड पे साड़ी के ऊपर हाथ रखा फिर तुरंत ही हटा लिया

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कार्तिक के लिए ये सब नया था तो थोड़ा डर भी रहा था । वाह कुछ सेकंड ही सही लेकिन क्या अहसाह था । कार्तिक का दिल जोरो से धडक रहा था । कार्तिक को ये भी पता था कि उसकी माँ सुधा एकदम गहरी नींद में हो फिर जागती नही है । वेसे भी बिचारि तबसे रो रो के हालात खराब थी थक गई थी ओर फोन पे उसके पापा की तबियत थोड़ी सही हो गयी सुनके वो आराम से सो रही थी ।

सुधा का क्लीवेज कार्तिक को क्लीयर दिख रहा था ।
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अरे देखने की बात छोड़ो उसके स्तन कार्तिक से सटे हुए थे ।
कयोकि दोनो एकहि सीट पे जो सोये हुए थे । फिर कार्तिक ने फिरसे सुधा की गाँड पे हाथ गुमाया ।

इसबार ऐसे ही हाथ रहने दिया सुधा ने पतली साड़ी पहनी थी तो उसकी पेंटि लाइन कार्तिक के हाथों को फील हो रही थी ।

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कार्तिक ने मनमे सोचा ऊपर वाला भी अजीब खिलाड़ी है जिसके बारे में वो चार महीने से सोच रहा था वो अचानक उसे मिल जाएगी सोचा नहीथा ।
शानदार जबरदस्त भाई
 

Mastram123456

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Update 05
कार्तिकने सोचा ऐसा मौका दुसरी बार मिले न मिले अभी फायदा ले लेते है जो होगा देखा जाएगा ।
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कार्तिक पूरी तरह से वासना में डूब चुका था ।

तभी थोड़ी हलचल हुई कार्तिकने तुरन्त हाथ हटा लिया । कार्तिक का दील जोरो से धडक रहा था । सुधा को शायद जगह कम पड़ रही थी इसलिए उसने नींदमें पैरो को ऊपर किया इससे उसकी सिल्की साडी घुटनो तक आ गयी ।
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वेसे लाइट बंध थी लेकिन बाहर से आ रही चांद की रोशनी में सुधा को कार्तिक सही तरीके से देख सकता था । उसने देखा सुधा की गोरी गोरी पिंडलियां दिख रही थी ।

कार्तिक ने फिरसे एकबार कन्फर्म किया कि सुधा घोड़े बेचके सो रही थी । कार्तिकने अब अपना हाथ सुधा की टांगो पे रख लिया । वो हाथ घुमा रहा था । सुधा ओर कार्तिक के होंठो के बीच बस थोड़ा ही फांसला था । सुधा गरम गरम सांसे छोड़ रही थी । कार्तिक से अब रहा नही गया उसने धीरे से अपने होठों को सुधा के होठ से मिलाया । ओर छोटी सी किस करली । कार्तिक के लिये ये नया अनुभव था ।

कार्तिक ने अब अपने हाथों से सुधा की साड़ी को ऊपर उठा लिया । और फिरसे आजुबाजु देखा सब लोग गहरी नींद में थे । रातके दो बजे थे ट्रैन अपनी पूरी रफ्तार से चल रही थी इधर कार्तिक का लंडभी टाइट हो के रॉकेट बन चुका था उसके लंडमे बह रहा रक्त प्रवाह बुलेट ट्रेन बन चुका था । साड़ी ऊपर करने की वहज से सुधा ने पहनी लाल रंग की पेंटी अब एकदम क्लियर दिख रही थी ।
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सुधा की गाँड का कटाव अब क्लीन दिखने लगा था । सुधा कार्तिक धीरे धीरे गाँड पे हाथ घुमा रहा था ।

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उसने हिम्मत करके नीचे की ओर से पेंटिं में हाथ डालना शरू किया । धीरे से बिना हिले उसका पूरा हाथ पेंटिं के अंदर चला गया था । वाह क्या मखमली अहसास था । वासना अब पूरी तरह से भड़क चुकी थी । उसका हाथ अब गाँड की गोलाई के थोड़ा नीचे चला गया ।
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उसकी दो उंगली अब सुधा की चूत से बस थोड़ी ही दूर थी । उसने तभी ट्रेनमे एक झटका लगा और उसकी दो उंगलियो नर सुधा की चूत को आख़ीर छू ही लिया । वाह क्या अहसास था ।
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कार्तिक का लंड एकदम तन गया था तभी सुधा ने नींदमें कार्तिक को ओर दबोच लिया जिससे चलते आगे की ओर से कार्तिक का लंड सुधा की चूत से सट गया । कार्तिक की हालत पागलो जैसी थी । कार्तिक ने धीरे से पीछे से चुत को सहलाया । हालांकि जगह कम थी इसलिए उंगलियों का आगे का हिस्सा ही टच हो रहा था । फिरभी कार्तिक के लिए ये अनुभव किसी सपने से कम नही था । कार्तिक ने साड़ी को ओर ऊपर उठाना चाहा तभी कोई बड़ा स्टेशन आ गया और ट्रेन रुक गयी कार्तिक ने मौके की नजाकत को देखते हुए जल्दी से हाथ हटा कर साड़ी को सही कर लिया और सुधा की नींद टूट गयी । सुधा ने धीरे से पूछा बेटा देख तो कोनसा स्टेशन आया तभी कार्तिकने देखा इसके बाद का अगला स्टेशन पे वो लोगो को उतरना था । दोनो सीट पे बेठ गए । बिस मिनट पे उनका अगला स्टेशन आ ने वाला था । सुधा ने पानी की बोतल मांगी और पानी पीने लगी । कार्तिक ने पास में पड़ी छोटी चादर उठा के अपने गोद मे रखली ताकि सुधा उसका तना हुआ लंड न देख ले । थोड़ी देरमें स्टेशन आ गया । दोनो उतर के टेक्सी करके सुधा के पापा के घर पहोच गए । थोड़ी देरमें सुबह हो गयी ।

उधर चेन्नई में अर्ली मॉर्निंग पम्मी पेशाब करने के लिए उठी । वो बहोत नींद में थी क्योंकि अपने पापा बलबीरने दिए हुए नए लेपटॉप में उसने मिडनाइट तक प्रोजेक्ट वर्क किया था । वो उठी और टॉयलेट की तरफ जाने लगी तभी उसका पैर चीज़ से टकरा गया उसके पैरमे मोच आ गयी ।

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पम्मी का पैर मुड़ गया नींदमें होने की वजह से उसको कुछ खयाल नही रहा वो धड़ाम से गिर गयी ओर जोरसे चिल्लाई "पापा"

बलबीर एकदम नींदसे जाग गया और टॉयलेट की ओर जाने लगा ओर बोला "क्या हुआ बेटा"
 

A.A.G.

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Update 05
कार्तिकने सोचा ऐसा मौका दुसरी बार मिले न मिले अभी फायदा ले लेते है जो होगा देखा जाएगा ।
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कार्तिक पूरी तरह से वासना में डूब चुका था ।

तभी थोड़ी हलचल हुई कार्तिकने तुरन्त हाथ हटा लिया । कार्तिक का दील जोरो से धडक रहा था । सुधा को शायद जगह कम पड़ रही थी इसलिए उसने नींदमें पैरो को ऊपर किया इससे उसकी सिल्की साडी घुटनो तक आ गयी ।
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वेसे लाइट बंध थी लेकिन बाहर से आ रही चांद की रोशनी में सुधा को कार्तिक सही तरीके से देख सकता था । उसने देखा सुधा की गोरी गोरी पिंडलियां दिख रही थी ।

कार्तिक ने फिरसे एकबार कन्फर्म किया कि सुधा घोड़े बेचके सो रही थी । कार्तिकने अब अपना हाथ सुधा की टांगो पे रख लिया । वो हाथ घुमा रहा था । सुधा ओर कार्तिक के होंठो के बीच बस थोड़ा ही फांसला था । सुधा गरम गरम सांसे छोड़ रही थी । कार्तिक से अब रहा नही गया उसने धीरे से अपने होठों को सुधा के होठ से मिलाया । ओर छोटी सी किस करली । कार्तिक के लिये ये नया अनुभव था ।

कार्तिक ने अब अपने हाथों से सुधा की साड़ी को ऊपर उठा लिया । और फिरसे आजुबाजु देखा सब लोग गहरी नींद में थे । रातके दो बजे थे ट्रैन अपनी पूरी रफ्तार से चल रही थी इधर कार्तिक का लंडभी टाइट हो के रॉकेट बन चुका था उसके लंडमे बह रहा रक्त प्रवाह बुलेट ट्रेन बन चुका था । साड़ी ऊपर करने की वहज से सुधा ने पहनी लाल रंग की पेंटी अब एकदम क्लियर दिख रही थी ।
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सुधा की गाँड का कटाव अब क्लीन दिखने लगा था । सुधा कार्तिक धीरे धीरे गाँड पे हाथ घुमा रहा था ।

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उसने हिम्मत करके नीचे की ओर से पेंटिं में हाथ डालना शरू किया । धीरे से बिना हिले उसका पूरा हाथ पेंटिं के अंदर चला गया था । वाह क्या मखमली अहसास था । वासना अब पूरी तरह से भड़क चुकी थी । उसका हाथ अब गाँड की गोलाई के थोड़ा नीचे चला गया ।
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उसकी दो उंगली अब सुधा की चूत से बस थोड़ी ही दूर थी । उसने तभी ट्रेनमे एक झटका लगा और उसकी दो उंगलियो नर सुधा की चूत को आख़ीर छू ही लिया । वाह क्या अहसास था ।
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कार्तिक का लंड एकदम तन गया था तभी सुधा ने नींदमें कार्तिक को ओर दबोच लिया जिससे चलते आगे की ओर से कार्तिक का लंड सुधा की चूत से सट गया । कार्तिक की हालत पागलो जैसी थी । कार्तिक ने धीरे से पीछे से चुत को सहलाया । हालांकि जगह कम थी इसलिए उंगलियों का आगे का हिस्सा ही टच हो रहा था । फिरभी कार्तिक के लिए ये अनुभव किसी सपने से कम नही था । कार्तिक ने साड़ी को ओर ऊपर उठाना चाहा तभी कोई बड़ा स्टेशन आ गया और ट्रेन रुक गयी कार्तिक ने मौके की नजाकत को देखते हुए जल्दी से हाथ हटा कर साड़ी को सही कर लिया और सुधा की नींद टूट गयी । सुधा ने धीरे से पूछा बेटा देख तो कोनसा स्टेशन आया तभी कार्तिकने देखा इसके बाद का अगला स्टेशन पे वो लोगो को उतरना था । दोनो सीट पे बेठ गए । बिस मिनट पे उनका अगला स्टेशन आ ने वाला था । सुधा ने पानी की बोतल मांगी और पानी पीने लगी । कार्तिक ने पास में पड़ी छोटी चादर उठा के अपने गोद मे रखली ताकि सुधा उसका तना हुआ लंड न देख ले । थोड़ी देरमें स्टेशन आ गया । दोनो उतर के टेक्सी करके सुधा के पापा के घर पहोच गए । थोड़ी देरमें सुबह हो गयी ।

उधर चेन्नई में अर्ली मॉर्निंग पम्मी पेशाब करने के लिए उठी । वो बहोत नींद में थी क्योंकि अपने पापा बलबीरने दिए हुए नए लेपटॉप में उसने मिडनाइट तक प्रोजेक्ट वर्क किया था । वो उठी और टॉयलेट की तरफ जाने लगी तभी उसका पैर चीज़ से टकरा गया उसके पैरमे मोच आ गयी ।

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पम्मी का पैर मुड़ गया नींदमें होने की वजह से उसको कुछ खयाल नही रहा वो धड़ाम से गिर गयी ओर जोरसे चिल्लाई "पापा"

बलबीर एकदम नींदसे जाग गया और टॉयलेट की ओर जाने लगा ओर बोला "क्या हुआ बेटा"
nice update..!!
kartik ko toh jannat naseeb huyi apni maa sudha ko chhukar lekin jald hi iss jannat pe sirf kartik ka hi raaj hoga..!!
 
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