• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance उनसे कहना- 'आई एम सॉरी !'

Champ_AK_81

Well-Known Member
5,758
13,146
189
:banned: No one can steal the story of legendary writer Romeo sir. :slap: Copyright not allowed. :nono:
 

Riyansh

Active Member
1,259
2,540
143
:congrats: for new thread
 

Riyansh

Active Member
1,259
2,540
143
Waiting for new update
 

Riyansh

Active Member
1,259
2,540
143
:banned: No one can steal the story of legendary writer Romeo sir. :slap: Copyright not allowed. :nono:
pn story mast thi. bibi ne pati ku fasa dia tha.
 

Romeo 22

Well-Known Member
9,734
5,415
189
Thank you friends, Update post kar raha hun, reply soon :love:
 
  • Like
Reactions: Riyansh

Romeo 22

Well-Known Member
9,734
5,415
189

Update 1



“ बाबा की रानी हूँ ,आंखो का पानी हूँ,
बह जाना है जिसे, दो पल कहानी हूँ,
अम्मा की बिटिया हूँ,आंगन की मिटियां हूँ,
टूक टूक निहारे जो परदेसी चिट्ठीयां हूँ,.”


उस छोटे से कमरे के एक कोने में पडे छोटे से टेबल पर रखे मोबाइल पर यही गीत बज रहा था और कविता वहीं नीचे रखे स्टोव पर रोटियां सेंक रही थी...उसकी आंखों से आंसू बह कर तवे पर गिर रहे थे और गिरने के साथ ही भाप की तरह उड़ते जाते थे ! पापा चाहे कितने भी नाराज़ होते थे ये गीत कविता का रामबाण होता था पापा को मनाने का लेकिन आज 12 दिन हो गये थे घर से आये ,पापा के लिये मर गयी थी वो ! लाड करने वाली माँ ,जान छिड़कने वाला बड़ा भाई और दुनिया के सबसे अच्छे पापा..सबकुछ ही तो छोड़ आयी थी कविता ! डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद वो आंटा गूथ पायी थी और अब रोटी बना रही थी तो हाथ बार बार जल जा रहा था ! घर पर कभी कोई काम नहीं किया था उसने ! जब भी मम्मी कुछ काम करने के लिये कहती तो पापा कहते थी ज़िंदगी भर तो ये सब करना ही है अभी से क्या जरूरत है ! पढने दो उसे अभी ! कविता को पापा बहुत याद आ रहे थे ! वो लाड़-प्यार,वो अपना प्यारा सा घर, वो मम्मी के हाथ का खाना ..सबकुछ बहुत याद आ रहा था ! कविता का जहन पिछ्ले 2 महीने में उसकी ज़िंदगी मे आये इस भूचाल में उलझा जा रहा था –

कॉलेज के दूसरे साल में और जीवन के बीसवें बरस मे उसे भी पहली पहली बार इश्क़ हो गया था ! विरेंदर उसके कॉलेज में ही पढता था !कविता बी.ए कर रही थी और विरेंदर एम.ए ! 2 साल की मुहब्बत में विरेंदर उसकी जिंदगी मे इस कदर शामिल हो गया था की उसके बिना जीने की सोचती भी नही थी वो ! विरेंदर की फेमिली में सिर्फ एक बड़ी बहन थी जो शादी के बाद अपने घर रहती थी ! विरेंदर कॉलेज के बाद खुद की मिठाई की दुकान पर बैठता था !

उस दिन पहली बार उसने अपने पापा को इतने गुस्से मे देखा था जब घर पर ये बात पता चली थी की वो किसी लड़के के साथ पिक्चर देखने गयी थी ! किसी जान पहचान वाले ने उन्हें साथ में देख लिया था और घर पर कह दिया था ! बडी मुश्कील से उसने मां को कहा था की वो किसी लड़के को पसंद करती है ! कविता अक्सर विरेंदर से कहती थी मेरे पापा मुझे बहुत प्यार करते हैं ,पापा मेरी खुशी के लिये कुछ भी कर सकते हैं..वो जरूर मान जायेंगे ! आज लग रहा था,कितने बड़े भुलावे में थी वो !

एक हफ्ते के अंदर उसकी शादी के लिये रिश्ता आ गया था .. “लड़का भरतपुर मे इंजीनियर है,अच्छा घर है,अच्छे लोग हैं ..शादी वहीं होगी” –पापा ने फैसला सुना दिया था ! उसके बाद विरेंदर से बड़ी मुश्किल से मिल पायी थी वो ! घर छोड़ना या विरेंदर को छोडना.....2 साल की मुहब्बत या बीस साल का प्यार...एक को चुनना था उसे ! जाने क्यूं 2 साल की मुह्ब्बत 20 साल के उस प्यार पर भारी पड़ गयी थी ! कविता आज तक पापा की किसी बात के खिलाफ नही गयी थी, उसके अपने हर फैसले के पिछे पापा की हाँ होती थी पर आज जिंदगी के सबसे बड़े फैसले में पापा उसके साथ नहीं थे !

विरेदर के साथ घर से भाग आयी थी वो..दो दिन मुम्बई में उसके एक दोस्त के यहां रुके थे और तीसरे दिन चॉल मे ये एक छोटा सा कमरा किराये पर लिया था ! घर से आने के तीसरे दिन ही मंदिर मे शादी कर ली थी दोनों ने ! विरेंदर ने कहा था की जल्दी ही यहां से चले जायेंगे ! आज 10वां दिन था इस चौल में ! एक बार घर पर कॉल किया था उसने - “ये समझ लेना मर गये हम सब तुम्हारे लिये और तुम हमारे लिये” पापा ने कहा था ,कविता के आंसू पापा को पिघला नहीं पाये थे ,बाबा की रानी बाबा के लिये मर चुकी थी !

कविता का ध्यान चौल में लगे टीन के उस दरवाजे पर हो रही दस्तक पर गया, साड़ी के पल्लू से आंसू पोंछते हुये उसने उठ्कर दरवाज़ा खोला ! सामने विरेंदर खड़ा था ..

“कैसी हो जान...अरे मना किया था न तुम्हें कुछ भी करने के लिये..मैं कर देता ना आकर..”उसने कविता को बाहों मे भरते हुए कहा !

“खाली ही थी तो...छोडिये रोटी जल जायेगी...” उसने विरेंदर के दोनों हाथों को अपनी कमर से अलग किया तो नज़र उसके काले नीले हो रही हथेली पर पड़ी ! विरेंदर ने एक ऑटोमोबाईल की दुकान पर मेकनीक की नौकरी कर ली थी, उसके हाथों में दो तीन जगह छाले पड़े हुये थे ! कविता की आंख एक बार फिरसे भर आयी ! उसने विरेंदर के हाथों को चूम लिया ! विरेंदर उसे देखता रहा ..जून का महिना था और गर्मी चरम पर थी और पसीने से कविता लग्भग भीग चुकी थी..,कमरा हल्के धुयें से भर गया था, कमरे में कोई खिड़की भी नहीं थी..ना लाइट....ना फैन..!विरेंदर को दुख हो रहा था..उसने कविता के गालों को सहलाते हुये कहा-

“मैं तुम्हें कुछ नहीं दे पाया ना जान,.!..बस कुछ दिनों की बात है फिर हम यहां से चले जायेंगे ” उसने कविता को खुद में समेट लिया! कविता को लगा “गलत कहते हैं लोग की सिर्फ प्यार के सहारे ज़िंदगी नही कटती”

“मैं आपके साथ ऐसे ही सारी ज़िंदगी बिता लूंगी विरेंदर...मुझे कुछ नहीं चाहिये ” उसने विरेंदर की आंखो मे देखते हुये बड़े प्यार से कहा और उससे लिपट गयी ! दोनों एकदुसरे के आगोश मे खोते जा रहे थे ,तवे पर रखी रोटी से धुआं निकलने लगा था !

 

Romeo 22

Well-Known Member
9,734
5,415
189
first update post kar diya hai, agar aapne ye story read nahi ki h to plz read it:love:
 
  • Like
Reactions: Riyansh
Top