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Romance उनसे कहना- 'आई एम सॉरी !'

Stone cold

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Update 1


“ बाबा की रानी हूँ ,आंखो का पानी हूँ,
बह जाना है जिसे, दो पल कहानी हूँ,
अम्मा की बिटिया हूँ,आंगन की मिटियां हूँ,
टूक टूक निहारे जो परदेसी चिट्ठीयां हूँ,.”


उस छोटे से कमरे के एक कोने में पडे छोटे से टेबल पर रखे मोबाइल पर यही गीत बज रहा था और कविता वहीं नीचे रखे स्टोव पर रोटियां सेंक रही थी...उसकी आंखों से आंसू बह कर तवे पर गिर रहे थे और गिरने के साथ ही भाप की तरह उड़ते जाते थे ! पापा चाहे कितने भी नाराज़ होते थे ये गीत कविता का रामबाण होता था पापा को मनाने का लेकिन आज 12 दिन हो गये थे घर से आये ,पापा के लिये मर गयी थी वो ! लाड करने वाली माँ ,जान छिड़कने वाला बड़ा भाई और दुनिया के सबसे अच्छे पापा..सबकुछ ही तो छोड़ आयी थी कविता ! डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद वो आंटा गूथ पायी थी और अब रोटी बना रही थी तो हाथ बार बार जल जा रहा था ! घर पर कभी कोई काम नहीं किया था उसने ! जब भी मम्मी कुछ काम करने के लिये कहती तो पापा कहते थी ज़िंदगी भर तो ये सब करना ही है अभी से क्या जरूरत है ! पढने दो उसे अभी ! कविता को पापा बहुत याद आ रहे थे ! वो लाड़-प्यार,वो अपना प्यारा सा घर, वो मम्मी के हाथ का खाना ..सबकुछ बहुत याद आ रहा था ! कविता का जहन पिछ्ले 2 महीने में उसकी ज़िंदगी मे आये इस भूचाल में उलझा जा रहा था –

कॉलेज के दूसरे साल में और जीवन के बीसवें बरस मे उसे भी पहली पहली बार इश्क़ हो गया था ! विरेंदर उसके कॉलेज में ही पढता था !कविता बी.ए कर रही थी और विरेंदर एम.ए ! 2 साल की मुहब्बत में विरेंदर उसकी जिंदगी मे इस कदर शामिल हो गया था की उसके बिना जीने की सोचती भी नही थी वो ! विरेंदर की फेमिली में सिर्फ एक बड़ी बहन थी जो शादी के बाद अपने घर रहती थी ! विरेंदर कॉलेज के बाद खुद की मिठाई की दुकान पर बैठता था !

उस दिन पहली बार उसने अपने पापा को इतने गुस्से मे देखा था जब घर पर ये बात पता चली थी की वो किसी लड़के के साथ पिक्चर देखने गयी थी ! किसी जान पहचान वाले ने उन्हें साथ में देख लिया था और घर पर कह दिया था ! बडी मुश्कील से उसने मां को कहा था की वो किसी लड़के को पसंद करती है ! कविता अक्सर विरेंदर से कहती थी मेरे पापा मुझे बहुत प्यार करते हैं ,पापा मेरी खुशी के लिये कुछ भी कर सकते हैं..वो जरूर मान जायेंगे ! आज लग रहा था,कितने बड़े भुलावे में थी वो !

एक हफ्ते के अंदर उसकी शादी के लिये रिश्ता आ गया था .. “लड़का भरतपुर मे इंजीनियर है,अच्छा घर है,अच्छे लोग हैं ..शादी वहीं होगी” –पापा ने फैसला सुना दिया था ! उसके बाद विरेंदर से बड़ी मुश्किल से मिल पायी थी वो ! घर छोड़ना या विरेंदर को छोडना.....2 साल की मुहब्बत या बीस साल का प्यार...एक को चुनना था उसे ! जाने क्यूं 2 साल की मुह्ब्बत 20 साल के उस प्यार पर भारी पड़ गयी थी ! कविता आज तक पापा की किसी बात के खिलाफ नही गयी थी, उसके अपने हर फैसले के पिछे पापा की हाँ होती थी पर आज जिंदगी के सबसे बड़े फैसले में पापा उसके साथ नहीं थे !

विरेदर के साथ घर से भाग आयी थी वो..दो दिन मुम्बई में उसके एक दोस्त के यहां रुके थे और तीसरे दिन चॉल मे ये एक छोटा सा कमरा किराये पर लिया था ! घर से आने के तीसरे दिन ही मंदिर मे शादी कर ली थी दोनों ने ! विरेंदर ने कहा था की जल्दी ही यहां से चले जायेंगे ! आज 10वां दिन था इस चौल में ! एक बार घर पर कॉल किया था उसने - “ये समझ लेना मर गये हम सब तुम्हारे लिये और तुम हमारे लिये” पापा ने कहा था ,कविता के आंसू पापा को पिघला नहीं पाये थे ,बाबा की रानी बाबा के लिये मर चुकी थी !

कविता का ध्यान चौल में लगे टीन के उस दरवाजे पर हो रही दस्तक पर गया, साड़ी के पल्लू से आंसू पोंछते हुये उसने उठ्कर दरवाज़ा खोला ! सामने विरेंदर खड़ा था ..

“कैसी हो जान...अरे मना किया था न तुम्हें कुछ भी करने के लिये..मैं कर देता ना आकर..”उसने कविता को बाहों मे भरते हुए कहा !

“खाली ही थी तो...छोडिये रोटी जल जायेगी...” उसने विरेंदर के दोनों हाथों को अपनी कमर से अलग किया तो नज़र उसके काले नीले हो रही हथेली पर पड़ी ! विरेंदर ने एक ऑटोमोबाईल की दुकान पर मेकनीक की नौकरी कर ली थी, उसके हाथों में दो तीन जगह छाले पड़े हुये थे ! कविता की आंख एक बार फिरसे भर आयी ! उसने विरेंदर के हाथों को चूम लिया ! विरेंदर उसे देखता रहा ..जून का महिना था और गर्मी चरम पर थी और पसीने से कविता लग्भग भीग चुकी थी..,कमरा हल्के धुयें से भर गया था, कमरे में कोई खिड़की भी नहीं थी..ना लाइट....ना फैन..!विरेंदर को दुख हो रहा था..उसने कविता के गालों को सहलाते हुये कहा-

“मैं तुम्हें कुछ नहीं दे पाया ना जान,.!..बस कुछ दिनों की बात है फिर हम यहां से चले जायेंगे ” उसने कविता को खुद में समेट लिया! कविता को लगा “गलत कहते हैं लोग की सिर्फ प्यार के सहारे ज़िंदगी नही कटती”

“मैं आपके साथ ऐसे ही सारी ज़िंदगी बिता लूंगी विरेंदर...मुझे कुछ नहीं चाहिये ” उसने विरेंदर की आंखो मे देखते हुये बड़े प्यार से कहा और उससे लिपट गयी ! दोनों एकदुसरे के आगोश मे खोते जा रहे थे ,तवे पर रखी रोटी से धुआं निकलने लगा था !

Nice update bhai

Lag ta hai Story ka main character kavita hai... filhal to nayi pyaar ki raang chadhi hui hai dekhte hai kab tak ye raag rehta hai..
 

Riyansh

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Superb update he bhai fantastic
wese story tou pdha he pn fir bi paduga
dui dukhi logo k kahani.
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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:congrats:for start a new thread
Dhashu update
Waiting for more...
 
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Romeo 22

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Update 2


दोनो को मुम्बई आये हुये एक महिने से ज्यादा हो गया था ! विरेंदर को एक BPO मे जॉब मिल गयी थी ! उसने इंगलिश मे एम.ए किया था तो उसकी इंग्लिश बहुत अच्छी थी और इसी वजह से उसकी सेलरी भी ठीक थी ! चौल से निकलकर वो लोग एक ठीक ठाक एरिये में कमरा लेकर रहने लगे थे !एक छोटा सा कमरा था एक रसोई और बाथरूम ! कविता उसी एक कमरे में अपने सपनों का घरोंदा बसाने लगी थी ! विरेंदर का प्यार उसके लिये दिन प्रतिदिन और बढ़ता ही जा रहा था ! वो दिवानों की तरह कविता की हर बात मानता ! कभी जुही चौपाटी पर घूमने जाते तो कभी बाहर पिक्चर देखने और कभी कभी बाहर डिनर करने ! सेलरी बहुत ज्यादा तो नहीं थी लेकिन कविता खुश थी !!उसने जो चाहा था उसे मिल गया था ! जब जीवन मे सच्चा प्यार हो तो फिर किसी और चीज के होने न होने से फर्क नहीं पड़ता ! लेकिन उन रिश्तों को भूलना भी इतना आसान था क्या जिनकी बुनियाद पर ज़िंदगी के बीस बरस बीते थे ;

“पापा की बहुत याद आती है !” थाली मे खाना परोसते हुये कविता ने बुझे हुये लहजे मे कहा ! फर्श पर पालथी मारकर बैठे हुये विरेंदर ने उसकी ओर देखा..

“कुछ दिन और रुक जाओ जान ! चलेंगे हम एक दिन.. उनका गुस्सा थोड़ा और कम हो जाये फिर !” उसने कविता की आंखो मे झांकते हुये कहा !

“सच मे विरेंदर??..आप चलेंगे वहाँ ! आप कितने अच्छे हो !..आई लव यू...उम्म्ममुआह्ह्ह्ह्ह..” उसने चहकते हुये विरेंदर को गाल को चूम लिया,फिर खुद ही उदास हो गयी..
“पापा नहीं मानेंगे..वो हमे कभी माफ नहीं करेंगे...:उसकी आंखे भर आयीं !

“जरूर मान जायेंगे..जब इअतने दिन बाद तुमको अपने सामने देखेंगें तो..तुम कहती थी ना “बाबा की रानी हूँ” फिर ?? “ विरेंदर ने उसे दुलारते हुये कहा !

“हाँ...चल कर पापा को पकड़ कर खूब रोयुंगी..फिर जरूर मान जायेंगे...है ना ?” वो खूब खुश हो गयी थी !
“हाँ बिल्कुल...चलो अब खाना दे दो भूख लग रही है बहुत तेज वाली !”

“ओह ! हाँ ..सोरी मैं भूल गयी..” उसने थाली मे खाना निकाला और फिर दोनों एक साथ एक ही थाली से खाने लगे ! खाने के बाद कविता बरतन समेटती उन्हें धोने चली गयी जबकी विरेंदर बेड पर चढकर अपनी छोटी सी सेकेंड हैंड टी.वी को चलाकर चैनेल बदलने लगा ! जुलाई का महिना था और रात में लगभग 11 बजे के आसपास खूब झमाझम बारिश शुरु हो गयी ! विरेंदर कविता के मखमली जिस्म को अपनी बाहों मे कसे उसके सुर्ख लाल होठों को बेरहमी से चूम रहा था ,कविता मधहोशी मे कभी उस से छूटने को जोर लगाती तो कभी उसके साथ चुम्बन मे डूब जाती ! बाहर होती बारिश को सुरुर और प्रेम-अगन में पागल दो जिस्म ..!कविता के होठों से निची आते हुये विरेंदर उसके गले के चूमने लगा ! और हर चुम्बन के साथ कविता और पागल हुये जा रही थी..उसके जिस्म पर बस दो झीने से वस्त्र थे जो उसके अंगो से फूटती यौवन की कलियों को छुपा पाने मे असमर्थे थे ! काले रंग के उन दो छोटे अंतरंग वस्त्रों मे उसका यौवन ढकने की बजाय और उभर रहा था ! गले से निचे आते हुये विरेंदर ने अपने होठों को उन वस्त्रों के उपर से ही कविता के वक्षों पर फिराने लगा ! कभी उन जवानी की पहाडियों पर दाँत गड़ा दे रहा था तो कभी उनके बीच की घाटी मे जीभ डाल कर चूम लेता ! कविता उसके बालों मे हाथ फिराते हुये उसके सिर को अपने उभारों पर दबा ले रही थी ! विरेंदर कविता के एक स्तन को ब्रा के उपर से ही मुंह मे भरकर चुसने लगा और दुसरे को अपनी मजबूत हथेली मे पकड़कर बेरहमी से मसलने लगा ! कविता के मुंह से सिसकियां निकलने लगीं !

“जान !..”कविता ने मदहोशी की आवाज़ मे विरेंदर को पुकारा ! दो बार बुलाने के बाद विरेन्दर ने सर उठाकर देखा...

“वो निकाल कर ना....” आज भी कविता विरेंदर से उतना ही शर्माती थी जितना पहली रात को शरमायी थी !

“क्या?”विरेंदर ने नादानी से पुछा..

“ये बुद्धू..” कविता ने हाथ अपने ब्रा पर रख दिये ! और आंखे बंद कर ली !

“ओह..अच्छा ! जानती हो..तुम्हारी ये मासूमियत तुम्हारे इस खूबसूरत जिस्म से ज्यादा पागल कर देती है मुझे...थैंक्स जान ...!” मुस्कुराते हुये विरेंदर ने कहा और अपने हाथ ब्रा के अंदर डालकर कविता के निप्पल पकड़ कर उमेठ दिये ! वो दर्द और मजे से सिसक उठी !

“जानवर हो आप पूरे...ये कहा था क्या मैंने...??”कविता ने बनावटी गुस्से से कहा !

“लो जी अभी लो...”विरेंदर ने निपप्प्ल से हाथ हटाया और हाथ मे फसाकर एक झटके से उसके ब्रा को खींच लिया ! चर्रर्रर्रर्र की आवाज़ के साथ ब्रा उसके हाथ में झूल गया उसको एक ओर फेंकते हुये विरेंदर एक बार फिर से कविता के स्तनों पर टूट पड़ा ! ..एक स्तन को मुहं में लेकर पीते हुये वो दुसरे को हथेली में दबाये बेरहमी से निचोड‌ रहा था !

“विरेंदर...प्लीज़्ज़्ज़....आह...उम्म्म...लाइट्स..बंद्..कर दो ना..प्लीज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़..”


“जो हुक्म मल्लिका-ए हुस्न...” विरेंदर ने बिस्तर से छ्लांग लगायी और एक पल मे लाईट बंद करता हुआ फिर से कविता के उपर टूट पड़ा ! कविता की सिस्कियां आहों मे बदल रही थीं और गहरा होती रात के साथ वो सिस्कियां और वो आहें और गहरी होती जा रही थीं ! बाहर बारिश सावन के आने की आहट थी ,अंदर प्रेम और यौवन की बारिश दो तपते जिस्मों के संगम की गवाह बन रही थी ! विरेंदर और कविता के प्रेम के एक और खूब्सूरत दिन का अंत एक मदहोश और रंगीन रात के साथ हुआ था !

आज शुक्रवार था !विरेंदर ऑफीस जाने के लिये नहाकर कपडे पहन रहा था और कविता किचन मे नाश्ता बना रही थी ! कविता नाश्ता लेकर आयी तो विरेंदर किसी से फोन पर बात कर रहा था..करीब 2 मिनट बाद उसने फोन रखा !

“कविता ,शालिनी का फोन था...” विरेंदर ने कहा ! शालीनी विरेंदर की दीदी का नाम था जो अहमदाबाद मे रहती थीं ! रविवार को वो आने को कह रही थीं उन दोनों से मिलने ऐसा विरेंदर ने बताया उसे और ये सुनकर कविता बहुत खुश थी ! ससुराल के ताल्लुक से किसी अपने के ना होने का अहसास उसे बहुत शिद्दत से महसूस होता था और जब विरेंदर ने बताया की दीदी आना चाहती है तो कविता ने फौरन उन्हें आने को बोलने को कह दिया !

विरेंदर भी खुश था ..”सब ठीक हो जायेगा जान...ऐसे ही एक दिन पापा भी आयेंगे ना..है ना? “ कविता ने विरेंदर के गले लगते हुये कहा !

“हाँ मेरी जिंदगी..जरुर आयेंगे..लेकिन पहले हम चलेंगे उन्हे मनाने फिर..चलो अब मैं लेट हो रहा हूं..!..अपना ख्याल रखना ” विरेंदर ने कविता के होठों को चूम लिया और बाहर निकल गया !
कविता आज बहुत खुश थी दीदी के आने का सुनकर ! उनके इस घर में भी कोई मेहमान आने वाला था..और विरेंदर की खुशी से वो और भी खुश थी ..विरेंदर के इर्द गिर्द ही तो उसके सारे सपने और उसकी ज़िंदगी थी..उसके कपड़े समेटती हुयी वो बाथरूम मे पहुंची ही थी कि दरवाज़े पर दस्तक हुयी ! कविता सोच में पड़ गयी ! यहां पर इस वक़्त कौन हो सकता है..वो तो यहाँ किसी को जानते भी नहीं ...हिचकते हुये वो दरवाज़े की ओर बढ़ गयी !

 
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Romeo 22

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2nd Update de diya hai, Please read karake review den :love:
 

Romeo 22

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Update 3

कविता ने दरवाज़ा खोला तो सामन एक लड़की खड़ी थी ..सांवला रंग..तीखे नैन नक्श और खूब बड़ी बड़ी आंखे..!
“नमस्ते ! मेरा नाम श्वेता है ..हम यहीं आपके पड़ोस मे रहते हैं..”

“जी नमस्ते ,मैं कविता !”

“हम लोग गांव गये थे..कल शाम को आये तो वर्मा अंकल ने बताया की उन्होंने नये किरायेदार रख लिये हैं हमने सोचा चलो मिल्कर आती हैं..” लड़की बातों से सीधी लग रही थी

“जी अच्छा किया आपने..हम तो यहाँ किसी को नहीं जानते...तो इसलिये..”कविता ने कहा !

“अरे कोई बात नहीं..आपके घर के दाहिनी ओर से तीसरा घर हमारा है...कभी भी आइये..बस मैं और मेरे भईया ही रहते हैं..”

“जी जरूर..अभी मेरे हसबैंड ऑफीस गये हैं..किसी दिन उनके साथ आउंगी...आप अंदर आइये ना..”कविता को लगा 10 मिनट से वो दरवाज़े पर खड़ी है !

वो लड़की कविता के साथ अंदर आ गयी..और फिर जब लड़्कियों के बातों का सिलसिला चला तो वक़्त की किसे परवाह...कविता को श्वेता अच्छी लगी थी और उसने अपनी सारी कहानी उसे सुना दी !

“तो आपने लव मैरेज किया है...नाइस यार..लकी हो आप दोनों..”

“ह्म्म्म..लकी तो हूँ शायद..लेकिन प्यार पाने के लिये बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है..”कविता ने खोये खोये से लहजे में कहा !

“जी..मै समझती हूं..अच्छा आप बोर हो जाती होंगी घर पर...नहीं??”

“होती तो हूँ...लेकिन कोई बात नहीं..”कविता ने कहा !

“हमारा एक स्कूल चलता है यहीं पास में..अभी 2 साल पहले शुरु किया है..हम नये टीचर रख रहे हैं..गर आप चाहें तो...” लड़की ने कहा !

“अरे नहीं..मैं तो बस..”

“मैने ऐसे ही कह दिया..अगर आप का मन करे तो..अपने हब्बी से पुछ लिजिये वो हाँ कहें तो ही..वरना ऐसे घूमने भी आ सकती हैं आप...जब भी मन करे..”

“आप भी वहां पे टीचर हैं क्या..”कविता ने पुछा

“जी..मैं मेरे भईया हैं, और मेरा छोटा भाई भी आने वाला है..फिर शायद मुझे घर जाना पड़े..मम्मी की तबियत ठीक नहीं रहती है....हमारा घर पुणे में है..”

“अच्छा..देखुंगी मैं..”कविता ने कहा !

“जी जरूर सोचियेगा..काफी स्टुडेंट्स हो गये हैं अब त !!....थोड़ी ईक्स्ट्रा इनकम भी हो जायेगी आपकी और घर पर बोर भी नहीं होंगे...मैं एक दोस्त की तरह कह रही हूँ..बाकी आपको जैसा सही लगे...” लडकी ने कहा और चलने को तैयार हो गयी !

कविता उसे बाहर छोड़ कर आयी और जाते जाते वो कविता को अपना फोन नंम्बर देती गयी !

कविता को टीचिंग का शौक था लेकिन घर छोड़ने के बाद उसने सिर्फ विरेंदर के सपने याद रखे थे अपने सपने वो अपने घर पर ही छोड़ आयी थी..जिन सपनों से विरेंदर जुड़ा था सिर्फ वही याद थे ! आज श्वेता की बातों ने जाने अनजाने फिर से उन सपनों की याद ताजा कर दी थी ! कविता ने दरवाज़ा बंद किया और कपडे लेकर बाथरूम मे घुस गयी !

शाम को विरेंदर घर लौटा तो कुछ बुझा बुझा सा था और काफी लेट भी आया था ! तकरीबन 11 बजे, नहीं तो आम तौर पर 9.30-10 तक आ जाता था !खाना खाने के बाद कविता उसके सर को अपनी गोद मे रखे तेल मालिश कर रहे थी..विरेंदर आंखे बंद किये हुये उसके हाथों की नर्मी को अपने सर पर महसूस कर रहा था !

“विरेन !..”कविता प्यार से विरेंदर को कभी कभी विरेन बुलाती थी !

“ह्म्म...”

“आप कुछ परेशान लग रहे हैं..कोई बात है क्या..”

“नहीं जान ! बस ऑफीस की थोड़ी टेंसन रहती है..पता नहीं कब निकाल दे..ऐसी जॉब का कोई भरोसा नहीं होता..”

“ज्यादा मत सोचा करो आप..हम आपके साथ हर हाल मे रह लेंगे..”

“आई नो दैट जान !”विरेंदर ने उसके हाथ को चूम लिया !

“एक बात बतायें..वो आज हमारे पड़ोस की एक लड़की आयी थी..श्वेता ! ..”

“अच्छा जी ! पडोसन मिल गयी आपको..फिर तो बढीयां है..गप्पे मारने के लिये कोई तो रहेगा..” विरेंदर ने मुस्कुराते हुये कहा !

“अरे नहीं ! वो पढाती हैं..उनका खुद का स्कूल है..”

“ओह..”

“हाँ..एक बात कहें..”

“हाँ बोलो ना”

“वो कह रही थीं की हम भी वहां आकर पढायें..वैसे भी यहाँ दिन भर बोर ही होते हैं आपके जाने के बाद...” कविता ने कहा ..

“अगर आप कहें तो..”उसने बड़े प्यार से विरेंदर की ओर देखते हुये पुछा !

“क्या जरुरत है पढ़ाने की..यार अब मैं इतना भी बेकार नहीं हूं की हम दोनों के लिये ना कमा सकूं.” विरेंदर ने बेरुखी से कहा !

“मेरा वो मत्लब नहीं था विरेन..सोरी !” कविता की आवाज़ मे उदासी थी !

“कोई बात नहीं..ये सब फालतू की बातें मत सोचा करो..जब तक मैं हूँ तुम्हें कुछ करने की जरुरत नहीं है...हां अगर मर गया.....”

“ऐसा मत कहा करो आप..प्लीज़....मेरी जान निकल जाती है आपके कहने भर से.. मेरी उमर लग जाये आपको...”कविता ने उसके होठों पर हाथ रख दिया था..आंखो से टप टप आंसू गर रहे थे और वो जोर से विरेंदर से लिपट गयी थी !...

“अरे पागल..वो तो मैं ऐसे ही कहता हूं,जिससे तुम मुझसे ऐसे ही लिपट जाओ..”विरेंदर ने उसे अपने बाहों में भर लिया और अपने होठ उसके होठों पर रख दिये !आंखे बंद किये हुये कविता विरेंदर के हाथों को अपने जिस्म पर रेंगते हुये महसूस कर रही थी ! उसका मन के किसी कोने में रौशन एक छोटा सा दिया बुझ गया था !

रात के दुसरे पहर में आंखे बंद किये हुये दोनों एकदुसरे के लिये तो सो रहे थे,लेकिन नींद ना कविता की आंखों में थी ना विरेंदर के !
 
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Update 4

दुसरे दिन शाम के 4 बजे तक विरेंदर की बहन शालिनी आ पहुँची ! कविता ने पूरे मन से उनका स्वागत किया और वो खुश भी बहुत थी ! विरेंदर भी घर पर ही था !!

शालिनी को कविता बहुत पसंद आयी थी..मन का सारा गुस्सा झाग की तरह शांत हो गया था-

“पता है तुझे ,जब मैंने पहली बार तुम दोनों के घर से भागकर शादी करने की बात सुनी थी तो मुझे भी बहुत गुस्सा आया था, एक ही भाई था मेरा जिसकी शादी के कितने अरमान थे, लेकिन आज कविता से मिल्कर मैं बहुत खुश हूँ..” शालिनी ने कहा ! खाने के बाद फर्श पर ही बिस्तर लगा था और तीनों एक साथ सो रहे थे !


“क्या करता यार..इसके पापा कभी नहीं मानते..और एक वो साला भी है इसका भाई..हिटलर की औलाद..” विरेंदर ने मुस्कुराते हुये कहा ! कविता ने घूर कर देखा !


“हमारे पापा और भाई को कुछ मत कहना आप..” उसने तुनक कर कहा,

“थैंक यू सो मच दीदी आप यहाँ आयीं..अब तक ये घर नहीं था,किसी बड़े के होने से ही घर घर होता है ..” कविता ने शालिनी के गले मे बाहें डाल दी ..4-5 घंटो मे ही वो शालिनी से बहुत घुल मिल गयी थी !

“मैं खुश हूँ कविता..बहुत खुश..!! अच्छा सुन विरेंदर ! जॉब की ज्यादा टेंशन मत लिया कर,कविता कह रही थी तू कुछ परेशान है...अगर यहां नौकरी की कोई प्रोबल्म हो जाये तो अहमदाबाद आ जाना..तेरे जीजा का बिजिनेस काफी फैल गया है..उनके साथ ही तू भी लग जाना..एक ही तो भाई है मेरा..” शालिनी ने विरेंदर के बालों मे प्यार से हाथ फेरते हुये कहा !


“ह्म्म देखुंगा..अभी तो ऐसी कोई बात नहीं है..कोई दिक्कत नहीं है..” विरेंदर ने सपाट लहजे मे कहा !

बातों में आधी रात गुजर गयी और फिर विरेंदर सो गया ,कविता और शालिनी बातें करती रहीं !मेरा..सुबह सबके जगने से पहले ही कविता ने उठकर नाश्ता तैयार कर दिया था ! विरेंदर ने हाफ-डे लिया था ऑफीस से क्युंकी शालिनी को आज ही जाना था !

सबने साथ नाश्ता किया और उसके बाद शालिनी विरेंदर को लेकर मार्केट चली गयी ! 2 घंटे बाद वो लोग वापस आये तब तक कविता लंच तैयार कर चुकी थी, सबने लंच किया ! खाने के बाद शालिनी चलने को तैयार हुयी तो कविता बहुत उदास हो गयी !

“क्या दीदी,कम से कम एक दो दिन तो रुकती आप,ऐसे भी कोई आता है क्या..”

“फिर आउंगी मेरी छोटी भाभी..अभी तो जाना पड़ेगा..तुम्हारे जीजु को कल बाहर जाना है..अभी तो बस देखने आयी थी कौन है वो जो मेरे मासूम भाई को ले उड़ी थी” शालिनी ने कविता को गले से लगाते हुए कहा ! कविता मुस्कुरा कर रह गयी !

शालिनी ने एक बड़ी सी लॉकेट वाला मंगलसूत्र,एक सोने की रिंग और एक ईयर रिंग और कविता की ओर बढ़ा दिया

“ये लो,तुम्हारी मुंह दिखायी..” शालिनी ने मुस्कुराते हुये कहा !

“दीदी आप आ गयी वही बहुत है..”

“रख लो पागल..ससुराल से शगुन के गहने आते हैं, और तेरा पूरा ससुराल तो मैं ही हूं ना, अब शादी के समय मैं दे नहीं पायी तो वही समझ कर रख ले..” शालिनी बोली !

कविता ने विरेंदर की ओर देखा...

“उसकी ओर क्या देख रही है..ये तेरी मेरी बात है ना..और वो क्या मना कर देगा क्या..” शालिनी ने गुस्सा होते हुये कहा ,तो कविता ने झट से उसके हाथ से वो जेवर थाम लिये !विरेंदर कुछ नहीं बोला !

“सॉरी दीदी !”

“कोई बात नहीं..मैं बहुत खुश हूं तुम दोनों को खुस देखकर..आना तुम लोग अहमदाबाद, जब भी टाइम मिले”

“जी” कविता शालिनी के गले से लग गयी ! कविता को गले लगाकर शालिनी ने उसके माथे को चूम लिया

“हमेशा खुश रहना दोनों” वो विरेंदर के साथ स्टेशन के लिये चल पड़ी!

रात के 12 बज रहे थे ..कविता बिन खाये पीये विरेंदर का इंत्जार कर रही थी..आज बहुत लेट हो गया था उसे और कविता बार बार कॉल कर रही थी पर वो फोन नहीं उठा रहा था ! लगभग 12.30 बजे दरवाज़े पर दस्तक हुयी ,पर दस्तक काफी तेज थी.. “विरेंदर तो ऐसे नॉक नहीं करते..पर इतनी रात को और कौन हो सकता है..”


“कौन !” उसने बिना दरवाज़ खोले ही तेज आवाज़ मे पुछा !

“क्युं किसी और का इंत्ज़ार कर रही थी क्या तुम..मैं हूं विरेंदर ”

कविता जवाब सुनकर एकदम सन्न रह गयी..उसने कुछ गलत तो नहीं पुछा था पर इस जवाब का मतलब ? आवाज़ विरेन्दर की ही थी उसने झट से दरवाज़ा खोला...

“इतनी देर लगती है क्या दरवाज़ा खोलने में “ विरेंदर के कदम और आवाज़ दोनों लड़खड़ा रहे थे ,वो अंदर आते ही बेड पर पसर गया !

“विरेन ! आप ठीक तो हैं ना...आपने शराब.....” कविता सदमे में थी !

“ क्यूं..तुमसे पुछकर सबकुछ करूं..हैं ??..यही चाहती हो ना तुम..”

“मुझसे ऐसी क्या गल्ती हो गयी विरेन..”कविता के आंख से आंसू बहने लगे,

“कुछ नहीं..तुमसे क्या गल्ती होगी..गल्ती तो मुझसे हुई है..तुम्हें पहचानने में..बहुत बड़ी गल्ती हो गयी..” विरेंदर बड़बड़ाये जा रहा था !

“मैंने ऐसा क्या कर दिया विरेंदर..ऐसी बात क्यूं कर रहे हो आप..प्लीज़्ज़...”

“तो क्यूं कहा तुने शालिनी से की मैं कम कमाता हूं,क्युं कहा की मेरी नौकरी का भरोसा नहीं..बोल...और क्युं लिये तुने वो जेवर उस से.....तुझे दौलत चाहिये ना..मैं लाकर दुंगा तुझे..मैं..लाकर..दूंगा...तुझे....दौलत्त्त्त....” विरेंदर होश मे नहीं था उसकी आंखें बंद हो रही थी !

“आप थोड़ा सा खा लिजिये वीरेन,थोडी देर सो लिजिये....सुबह बात करेंगे..प्लीज़्ज़...” कविता लगातर रो रही थी और खुद को सम्भाले रखने की जी तोड़ कोशिस कर रही थी !

“नहीं!!!!!!!!..अभी बात करेंगे...बोल्लो...तुमने क्यूं कहा ..क्यूं...क्या मैं तुम्हारे लायक नहीं हूं..बोलो....”विरेंदर की आवाज़ तेज होती जा रही थी !

कविता डर से कांपने लगी थी..

“मैंने ऐसा नहीं कहा विरेन...जब दीदी ने पुछा आपकी जॉब के बारे में तो मैंने सिर्फ वही कहा जो आप कह रहे थे की जॉब सेक्योर नहीं है..बस..और कुछ नहीं कहा.....” कविता विरेन से थोडी दूरी पर खडी डर से कांप रही थी..आजतक उससे ऐसी कभी किसी ने बात नहीं की थी ..

“झूठ..तुझे हमेसा से पैसे चाहिये थे... कल स्कूल मे पढ़ाने को बोल रही थी और आज झट से वो जेवर ले लिये...”


“दीदी को बुरा लगता विरेन अगर मैं नहीं लेती तो...मैं वो जेवर कभी नहीं पहनूंगी... फिर भी अगर आपका दिल दुखा तो आई एम सोरी..प्लीज़्ज़. प्लीज़्ज़...आपके सिवा कौन है अब मेरा....खा लिजिये..थोड़ा सा...” जाने कौन से मिट्टी की बनी थी कविता !

विरेन कुछ नहीं बोला बस उसे घूरता रहा....कविता के आंसू गालों पर लुढक रहे थे,उसकी आंखें लाल हो रही थीं..विरेंदर ने मुहं फेर लिया कविता चंद पल उसकी ओर देखती रही और अचानक से फर्श पर गिर पड़ी ! विरेंदर एकटक उसे देखता रहा और फिर भाग कर उसके पास पहुंचा और उसे बाहों मे भरकर चीखकर रोने लगा....

“आई एम सोरी जान...प्लीज़ आंखे खोलो...आई एम सोरी....आई एम सोरी...” वो लगातार उसके माथे और उसके गालों को चूम रहा था और उसके चेहरे को अपने सीने मे छुपा ले रहा था ! कविता की आंखे बंद थी पर आंसू बहे जा रहे थे...विरेंदर कविता के सर को गोद मे रखे अपने हाथ से अपने गालों पर थप्पड़ मारने लगा..वो लगातार चिल्लाये जा रहा था... “आई एम सोरी....आई एम सोरी...”
 

Mak

Recuérdame!
Divine
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Aaila story start kar di.. :reading:
 
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