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Incest उफ्फ अम्मी(एक अनार दो बेकरार)

Kachhap

Renbow
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लगे रहो स्टोरी बहुत बढ़िया है
 
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हमारे अब्बू की बहन और हमारी फूफी-गुलनाज भी उसी सोसाइटी में रहती हैं। हम उन्हें गुल्लों फूफी कहते हैं। वह मेरी अम्मी के बहुत करीब है और किसी भी चीज के लिए हमेशा मेरी अम्मी के साथ खड़ी रहती है। वह हमारे परिवार के साथ बहुत अच्छी है और हम भी उन्हें पसंद करते हैं। उनके पति भी हमारे अब्बू की ही कंपनी में काम करते हैं लेकिन एक अलग टीम में हैं। गुलनाज़ फ़ूफ़ी की शादी हुए लगभग 12,13 साल बीत चुके थे लेकिन उनकी कोई औलाद नही थी।फूफी इस बात से बेहद उदास और परेशान रहती थी।निक़ाह के 5,6 साल बाद भी घर को कोई वारिस न दे पाने के कारण उनके ससुराल वाले उन्हें हमेशा ताना देते रहते थे।यहां तक कि फूफू का दूसरा निक़ाह कराने की भी बात हुई लेकिन फूफू ने खुद मन कर दिया और फूफी को लेकर काफी साल पहले शहर चले आये।अब 13 साल बाद उनके घर किलकारियां गूंजने का दिन आया।फूफी के बेटा पैदा हुआ।इस बात से हम सब बहुत खुश थे,ख़ासकर अब्बू और अम्मी।अम्मी तो कई सालों से दुआ कर रही थी फूफी की गोद भरने की।आखिर उनकी दुआ कबूल हो ही गयी।

अम्मी अब्बू आदिल और मैं एक साथ फूफी को हॉस्पिटल में देखने गये।पहुँचते ही अम्मी ने फूफी को मुबारकबाद दी और माथा चूमा।साथ ही ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ भी दी लेकिन फूफी कुछ उदास सी लग रही थी।अम्मी में भी इस बात पे गौर किया और फूफी से इसका कारण पूछा।इतना ही तज की फूफी अम्मी से लिपट कर फूट फूट के रोने लगी।फूफी को ऐसा देख अम्मी ने हमे बाहर जाने को कहा।मैं और आदिल बाहर आ गए।थोड़ी देर बाद अब्बू अम्मी भी बाहर आ गए।हमने उस वक्त पूछना तो वाज़िब नही समझा लेकिन घर पहुँचते ही अकेले में अम्मी से पूछा कि फूफी क्यों रो रही थी।अम्मी ने इस बात को "कुछ नही,ऐसे ही" कह के टाल दिया।हमे लगा कि अम्मी हमसे कुछ छुपा रही है तो हमने फिर से पूछा।अम्मी ने अबकी बार कहा कि ये हमारे जानने की बात नही है।लेकिन हम भी कहाँ मानने वाले थे।जानने की जिद्द पकड़ जो ली थी।आखिर में अम्मी को बताना ही पड़ा।अम्मी ने बताया कि कई साल से दवाईयां लेने के कारण फूफी को साइड इफ़ेक्ट हो गया है जिसकी वजह से उनका दूध नही बन पा रहा।बच्चे को अम्मी के दूध की सख्त आवस्यकता है वरना उसके स्वास्थ्य पे असर पड़ सकता है।इसलिए फूफी काफी चिंतित थी।इस बात को सुन कर हम भी थोड़ा उदास हुए।

अगले दिन हम कॉलेज से आये तो अम्मी तो अम्मी घर पे नही थी।पता चला कि वो हॉस्पिटल गयी हुई है।थोड़ी देर बाद अम्मी घर आयीं तो हमने उनसे फूफी और उनके बेटे की ख़ैरियत पूछी।अम्मी आज काफी खुश लग रही थी।पूछने पर उन्होंने बताया कि हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने फूफी की समस्या का एक समाधान बताया है।अगर फूफी अपने बच्चे को दूध नही पिला पा रही तो कोई और औरत पिला सकती है।हमने पूछा कि कौन तो अम्मी ने बताया कि वो ख़ुद फूफी के बेटे को दूध पिलाएगी।ये बात सुनकर में और आदिल दोनों ही कंफ्यूज हो गए।ऐसा कैसे हो सकता है आदिल ने पूछा।अम्मी ने बताया कि कुछ मेडिकेशन लेने से उनका दूध बनने लगेगा और फिर वो फूफी के बेटे को दूध पिला सकती है।मैन कहा कि फिर वो मेडिकेशन डॉक्टर सीधा फूफी को ही क्यों नही दे देते तो अम्मी में बताया कि इसके कुछ कॉम्प्लिकेशन यानी गलत परिणाम भी हो सकते है अभी फूफी के स्वास्थ्य पे।
अम्मी इस बात को लेकर एक दम आस्वस्त थी कि वो ये काम ज़रूर करेंगी।रात को ही उन्होंने अब्बू से इस बारे में बात कर ली थी।अब्बू ने भी हाँ कर दी थी।वो इस बात से बेहद खुश थे कि उन्हें अम्मी जैसी बीवी मिली है जो उनके परिवार के बारे में इतना सोचती है।अगले दिन से अम्मी ने मेडिकेशन शुरू भी कर दिया और कुछ ही दिन में अम्मी का दूध भी बनने लगा।

अम्मी बच्चे को दूध पिलाने के लिए दिन में दो बार अस्पताल जाने लगीं। हमने देखा कि अम्मी इस बात से बहुत खुश थीं।उनके सूट में अब उनके चूचे पहले से बड़े होने की वजह से बेहद टाइट,एकदम कसे हुए हो गए थे।अम्मी के बढ़े देय बड़े बड़े चूचे देख कर तो मेरा पसीना ही छूट जाता था।कभी कभी हॉस्पिटल से आने के बाद मैं अम्मी के सूट पे से उनके गीले निपल पे भी गौर करता था।अब तो दिन में कई कई बार अम्मी के बारे में सोचते हुए मुठ मारने लगा था। आदिल भी इन सब बातों पे गौर करता था और कभी-कभी अम्मी से इस बारे में हंसी मजाक भी कर लेता था। अम्मी भी इन सब बातों को हंसी में उड़ा देती ।अम्मी को अस्पताल जाते अब 10दिन हो गए थे।इस दौरान दो चीजें हद से ज्यादा बढ़ गयी थी।एक तो अम्मी के बड़े बड़े चूचे और दूसरी उनके जिस्म के प्रति हमारी भूख और तड़प।आदिल अम्मी से चिपकने का एक बहाना तक नही छोड़ता था और ना मैं अम्मी के साथ वक़्त बिताने और उनसे हंसी मजाक करने का।अब तो हमने अम्मी के जिस्म की तारीफें भी शुरू कर दी थी।अम्मी भी अपनी तारीफ सुनके शरमातें हुए हमें प्यार से डाँटती थी।आदिल तो अब खुल के अम्मी के बढ़े हुए चुचों की बात करने लगा था लेकिन अम्मी उसे भी हंसी मजाक में टाल देती।हम भी कोशिश करते थे कि अब्बू या किसी और क सामने ऐसी कोई हरकत या मज़ाक ना करें। इस बात को लेकर हम तीनों में एक अनकहा समझौता था,एक साइलेंट अंडरस्टैंडिंग।

एक दिन अम्मी के अस्पताल से लौटने के समय मैं और मेरा भाई हॉल में टीवी देख रहे थे। अम्मी हमारे साथ देखने बैठी गयी।आदिल जाके अम्मी के लिए पानी लाया।अम्मी ने खुश होते हुए उसका माथा चूम लिया।आदिल भी एक हाथ अम्मी के कंधे पे रख एक हाथ उनके पेट पे रख उन्हें हग करके बैठ गया।मैं भी अम्मी से चिपक के बैठ गया और अम्मी एक हाथ मेरे कंधे पे रख के मेरे बालों को सहलाने लगी। उन्होंने लाल सूट और काले रंग का सलवार पहना हुआ था। उस में वो बहुत सुंदर लग रही थी,एकदम स्वर्ग से उतरी अप्सरा,जन्नत की हूर। अम्मी काफी थक गई थी और गर्मी के मारे अपना दुपट्टा हटा दिया था।उनके सूट में से उनका क्लीवेज साफ साफ दिखाई दे रहा था।मुझे तो ये देख कर पसीना आने लगा था और लण्ड में हरकत भी महसूस होने लगी। आदिल तो भूखे शिकारी की तरह अम्मी के बूब्स को देख रहा था और लगातार अम्मी के क्लीवेज को घूर रहा था। हम एक अच्छा समय बिता रहे थे और एक-दूसरे के बारे में मज़ेदार बातें कर रहे थे।फिर आदिल ने अपना सिर अम्मी के कंधे पर रख दिया और बड़ी मासूमियत से स्तनपान के बारे में पूछना शुरू कर दिया।अम्मी भी इतने दिनों में हमसे काफी खुल गयी थी और इसके बारे में कभी कभी हमसे बात भी करती थी।आदिल के साथ अब मैं भी शामिल हो गया था। हमने पूछा कि क्या बच्चे को दूध पिलाते हुए और पिलाने के बाद दर्द होता है।अम्मी ने कहा कि कभी-कभी पिलाते वक़्त होता है,कभी कभी ज्यादा दूध हो जाने से भी होता है लेकिन फिर बच्चे को दूध पिला के ठीक हो जाता है,कभी कभी ज्यादा दूध होने से सोने में दिक्कत होती है और थोड़ा बहुत दूध लीक भी हो जाता है खुद से।

इस बार मैंने अम्मी से मासूम बनते हुए पूछा कि अम्मी आज फूफी के बच्चे ने दूध नही पिया क्या?
अम्मी हैरान हुई और बताया कि कम पिया,शायद उसका पेट भर हुआ था,अब थोड़ा थोड़ा दूध फूफी के भी बनने लगा है और वो भी पिलाती है बच्चे को।लेकिन इस बात का मुझे कैसे पता चला।

मैन अम्मी के चुचियो की तरफ दिखाते हुए कहा कि दूध लीक हुआ है,यहां गीला गीला हो रखा है।
अम्मी शर्माते हुए मुस्कुराने लगी।
अम्मी ने प्यार से मेरे गाल भीचते हुए कहा-"बदमाश अम्मी के दूध देखता है"

मैन भी कह दिया कि इसमें बदमाशी कैसे।मेरा तो हक़ है इनपे।बदमाशी तो फूफी का बेटा कर रहा है जो हमारे होते हुए हमारी अम्मी का दूध भी रहा है।
ये सुनकर अम्मी ज़ोर ज़ोर से हसने लगी और उनके साथ हम लोग भी।

अचानक आदिल ने बहुत मासूमियत से पूछा, "अम्मी मैं भी तुम्हारे दूध का स्वाद लेना चाहता हूँ।मुझे भी आपका दूध टेस्त करना है" यह सुनकर मैं हैरान हो गया और सोचा कि अम्मी नाराज़ हो जाएगी लेकिन उसने हँसते हुए कहा "तुम शरारती हो गए हो हो ... दूध केवल बच्चों के लिए है।तुम दोनों को अम्मी ने दूध पिलाया था लेकिन तब जब तुम बच्चे थे ”। आदिल ने एक मासूम चेहरा बनाया और कहा "अम्मी क्या मैं अब आपका बच्चा नहीं हूँ" अम्मी ये सुनकर फिर से हँसी और कहा "हाँ, तुम दोनों हमेशा मेरे बच्चे बने रहोगे लेकिन वास्तविकता यह है कि तुम दोनों अब बड़े लड़के बन गए हो और अम्मी का दूध बड़े लड़कों के लिए नहीं है"।

मुझे लगा था कि आदिल की ऐसी बातें सुनकर अम्मी ग़ुस्सा हो जाएंगी लेकिन ऐसा न होते देख मैंने भी हिम्मत और साहस करके अम्मी से इसके बारे में पूछना शुरू कर दिया। मैंने भी कहा "अम्मी मैं भी जानना चाहता हूँ कि इसका स्वाद कैसा है"। अम्मी ने मुझे आश्चर्य से देखा और सवाल किया "शाहिद तुम भी? आदिल तो अभी बच्चा है लेकिन तुम तो समझदार हो ना?तुम भी ऐसी बातें कर रहे हो?"

लेकिन अब हमने थोड़ी हिम्मत जुटा ली थी। हम अम्मी के हंसने के दौरान यह बात बार बार पूछते रहे। अब्बू घर पर नहीं थे और हम बार बार अम्मी से रिक्वेस्ट कर रहे थे। हम दोनों अम्मी के पास अगल-बगल बैठे थे। हम दोनों ही दोनों तरफ से रिक्वेस्ट कर रहे थे,दूसरे शब्दो में कहे तो एक तरीके से गिड़गिड़ा रहे थे।

हमे ऐसा करते देख अम्मी हँस रही थी।काफी मिन्नतें करने के बाद अम्मी ने अंत में कहा कि ठीक है, वह हमें अपने दूध का स्वाद चखने देगी लेकिन केवल इस एक बार और हमें वादा करना होगा कि किसी को भी इसका पता न चले,अब्बू तक को कुछ नहीं पता लगना चाहिए।
अम्मी की हाँ सुनने के बाद पहले तो मुझे विश्वास ही नही हुआ।क्या सच में अम्मी मान गयी या ये बस मेरा भ्रम है?क्या सच में आज अम्मी के चूचे देखने को,छूने को,महसूस करने को मिलेंगे?वो चूचे जिनके बारे में न जाने कितनी बार सोचते हुए मैंने लण्ड से पानी की धार निकाली क्या उन्ही चुचों की धार पी पाऊंगा आज।कही मैं सपने में तो नही हूँ।मुझे समझ ही नही आ रहा था कुछ।सब कुछ शून्य से हो गया था कुछ पल के लिए।तभी अम्मी ने मुझे हिलाते हुए पूछा "शाहिद कहाँ खो गए"।मैन देखा कि आदिल तो भूखे शेर की तरह अम्मी के सूट के ऊपर से ही चुचों को चूसने लगा था।उसका हाथ अब अम्मी के चुचियो को दबोचे हुए था और मुह सूट के ऊपर से से चूचे चूस रहा था।मैं भी बिना कोई समय बर्बाद करे अम्मी की चुचियो पर टूट पड़ा और सूट के ऊपर से ही मसलते हुए मुह लगा दिया।

अम्मी की आह निकल गयी।फिर हंसते हुए उन्होंने कहा "शाहिद,आदिल सूट तो हटा लेने दो।इतने बड़े हो गुए की दूध पीना ही भूल गए।कपड़े पे से दूध कैसे पियोगे मेरे प्यारे बदमाशों"

ये सुनते ही मैन मुँह हटाया और एक हाथ अम्मी के पेट पे ले जाते हुए सूट ऊपर उठाने लगे।मेरी आँखों में भूख थी,अम्मी भी इस भूख को देख सकती थी।
अम्मी -"उफ्फ हो शाहिद आराम से,अम्मी कही भागी थोड़ी जा रही है"।
अभी तक अम्मी को पेट से नंगा कर दिया था और सूट अम्मी के चुचों तक ले आया था लेकिन बड़े बड़े चूचे होने के कारण सूट उस जगह बहुत टाइट हो गया था।साथ ही सोफे पे होने की वजह से पीछे से अम्मी की पीठ पे दबा हुआ था।अम्मी ये समझ गयी और अपने आप सोफे से आगे खिसक गई।अब आराम से अम्मी के सूट हो ऊपर उठ सकता था।अम्मी के सफेद गोरे पेट को देख कर कल्पना ही करी जा सकती थी कि आगे जन्नत आने वाली है।मैने सूट ऊपर करने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि तभी दरवाज़े की घंटी बज गए।शाम हो गयी थी और शायद अब्बू आ गए थे।अम्मी झटके से हमसे दूर हुई,अपने सूट को संभाला,चुन्नी करी और दरवाज़े की तरफ दौड़ी।मैने आदिल के चेहरे की तरफ देखा,ऐसा लग रहा था किसी ने किसी छोटे बच्चे से उसकी सबसे पसंदीदा चीज़ छीन ली हो।मेरे चेहरे पे भी उदासी के बादल छा गए थे।कितना करीब था मैं,बस एक मिनट की भी और देरी हो गयी होती तो......यही सोचते हुए मन डूबा जा रहा था।अब्बू अंदर आये और आके हमारे साथ बैठ गए।अम्मी किचन की तरफ जा रही थी,जाते जाते अम्मी ने बड़ी दया से मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा के किचन में चली गयी अब्बू के लिए चाय बनाने।
 
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दोस्तों व्यू तो हो रही है कहानी,लेकिन कमेंट नही आ रहे।मुझे पता नही चल रहा कि कहानी आपको पसंद आ रही है या नही और मैं इसे आगे लिखू या नही।कृपया कर के कमेंट जरूर करें और बताएं कि कहानी आगे लिखू या नही।आपके कमैंट्स ही मुझे मोटीवेट करए है लिखने के लिए।
 
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