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Incest उफ्फ अम्मी(एक अनार दो बेकरार)

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Nice story bhai.
I really liked the way you showed reality in characters where everyone is aware of each other emotions. Like how wasim can understand that mother and son had a misunderstanding but don't know the reason and can also see through nadiya. You did not make him a dummy character who cannot see what is going on around him for the sake of plot.
Everyone is showed that they can use their brains for real and it makes the story interesting.
Thank you so much for understanding buddy.what I am doing right now is development of each character.i don't want any of my character to remain just for sake of it.right now shahid seems to be in limelight but aadil too will come once I m satisfied with shahid.nagma is core character so she will find a place in most updates.others who seems lyk side or irrelevant characters will also get character development once story get further
 
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नादिया क्लास खत्म होते ही वार्ड की तरफ अपना रुख करती है।आज एक्स्ट्रा क्लास भी लग गयी थी।शाहिद से मिलने की बेचैनी में तेज़ी से कदम बढ़ाती है।सुबह उसे बिना बताए ही आना पड़ा था।बताती भी कैसे,सोते हुए कितना प्यारा कितना मासूम लग रहा था वो उसे।जगाने का मन ही नही किया उसका।काल रात कई बातें अधूरी रह गयी थी,कई बातें आँखों ने तो बयाँ कर दी थी लेकिन होंठो पे लानी भी ज़रूरी थी।पूरे दो साल बाद शाहिद उससे मिला था लेकिन ऐसा लग रहा था कि एक पल भी वो दोनों कभी अलग ही नही हुए थे,वो अभी भी बारहवीं का जैसे शर्मिला से लड़का हो और ये अभी भी दसवीं की वो लड़की जो बहाने बना बना कर उसकी क्लास के सामने से गुजरती थी और उसे खिड़कियों से देखा करती।उसे देख कर कभी वो मुस्कुरा देता तो नादिया के पूरे शरीर में एक मदहोश कम्पन्न सी हो जाती थी।कैसे उस स्कूल वाले शर्मीले लड़के ने बिना शर्माए नादिया का हाथ अपने हाथ में ले लिया था,वो भी वार्ड में बिना किसी संकोच के,बिना किसी की परवाह किये बगैर।ये बातें नादिया के मन में खुशी की तरंगें पैदा कर रही थी।उसे बार बार शाहिद की बातें याद आ रही थी ।कैसे वो उसके हुस्न की तारीफ़ कर रहा था,कैसे प्यार से बिना पलके झुकाए वो उसकी तरफ देख रहा था,कैसे अपने परिवार के आने पर भी उसने नादिया को अपने साथ रुकने को कहा था और उसका हाथ पकड़ कर ये भी तो कहा था कि अब कही नही जाऊंगा और न तुम्हे जाने दूँगा।
वार्ड आते ही नादिया की दिल की धड़कन और उसके कदम तेज़ होते गए।वार्ड में पहुंचते ही वो शाहिद के बेड की तरफ बढ़ी लेकिन वहाँ तो कोई और ही था।

उसने वार्ड बॉय को आवाज़ लगाई

"भैया इस बेड पर जो पेशेंट था वो कहाँ गया,कही और शिफ्ट कर दिया क्या,उसे कुछ हो गया था क्या?"
एक साथ ताबड़तोड़ कई सवाल नादिया ने वार्ड बॉय पे दाग दिए।

वार्डबॉय : सिस्टर जी मैं तो शाम को आया हूँ अपनी शिफ्ट पे।तब से ये पेशेंट ही था यहां।इससे पहले का मुझे कुछ नही पता

नादिया : ठीक है

तेज़ी से रिकॉर्ड रूम की तरफ जाती है और शाहिद के बारे में पता करती है

"ओह वो,उसे तो उसके घर वाले सुबह ही लेकर चले गए" रिकॉर्ड चेक करते हुए नर्स ने बताया

"दीदी उसने यहां किसी के लिए कोई मैसेज वगैरह छोड़ा क्या" नादिया ने परेशान होते हुए पूछा

"अरे यहां किसके लिए मैसेज देगा" नर्स ने सवालिया नज़रो से पूछा।ये वार्ड की शाम की शिफ्ट की नर्स थी।वो नादिया और शाहिद के बारे में नही जानती थी।

"नही दीदी वैसे ही,ओके थैंक्स दीदी"
उदास मन करे हुए नादिया बाहर जाने लगी।उसे इस वक़्त फिर से शाहिद की कही बात याद आ रही थी "न जाऊंगा न जाने दूँगा"

दुखी मन से नादिया हॉस्पिटल से निकल कर पार्किंग की तरफ़ बढ़ी।अपने बैग में से स्कूटी की चाभी ढूंढ़ते हुए उसका ध्यान अपने फ़ोन की नोटिफिकेशन लाइट पर पड़ा।नादिया ने फ़ोन उठाया और देखा तो 12 मिस्ड कॉल्स की नोटिफिकेशन थी।कॉल किसी अपरिचित नंबर से था।नादिया शाहिद के इस तरह से बिना बताए चले जाने से दुखी थी ऊपर से उसे लगा कि कोई मनचला उसे तंग कर रहा है।नादिया के यौवन और जवानी के चलते कितने ही लड़के उसके पीछे दीवाने थे।कई आवारा और मनचले उसे ऐसे ही फ़ोन कर कर के पटाने की कोशिश करते रहते थे।वो उस नंबर को ब्लॉक कर ही रही थी कि तभी उसी नंबर से फिर से कॉल आयी।

"हेलो देखो तुम जो भी हो,आई एम वार्निंग यू,अब अगर तुम्हें मुझे फ़ोन कर के तंग किया तो पुलिस को नंबर दे दूंगी" नादिया ने ग़ुस्से में चिल्लाते हुए कहा

"अरे सॉरी यार गलती हो गयी,इतना ग़ुस्सा, बाप रे बाप! मैने तो बस थैंक यू और सॉरी बोलने के लिए फ़ोन किया था,थैंक यू मेरा ख्याल रखने के लिए और सॉरी तुमसे बिना मिले ही घर आ जाने के लिए।लेकिन मुझे नही पता था वो भोली भाली प्यारी सी नर्स इतना ग़ुस्सा भी दिखा सकती है"

"कौन?शाहिद इज दैट यू?"

"और कोई भी है क्या जो इतनी बेसब्री से कॉल पे कॉल करता है?12,13 तो मिस कॉल्स होंगी ही"

"ओह सॉरी सॉरी सॉरी सॉरी.....मुझे लगा कोई ऐसे ही तंग कर रहा है"
शाहिद की आवाज़ सुनते ही नादिया की उदासी और उसका ग़ुस्सा पल में उड़नछू हो गया।
"शाहिद सॉरी अगेन।वो मैं पहचान ही नही पाई"

"पहचानोगी कैसे,आवाज़ सुनने से पहले ही धड़ाधड़ धड़ाधड़ गोलियां चला दी"

"सॉरी शाहिद,माफ़ कर दो यार"

"नही ऐसे तो माफ़ी नही मिलेगी"

"फिर?"
नादिया ने मुस्कुराते हुए पूछा

"बताऊंगा,लेकिन फ़ोन पे नही"

"फ़ोन पे नही तो कहां"

"मिलने आओ तो बताऊंगा"

"मिलने?शाहिद अभी आज ही घर गए हो,चाहोगे फिर भी बाहर नही आ सकते हो"
चेहरे पे खूबसूरत मुस्कान लिए नादिया ने पूछा।

"बाहर जाने को किसने कहा"

"तो फिर कहाँ"

"मेरे घर पे"

"क्या?तुम्हारे घर पे?"
बेहद खुश होते हुए नादिया ने पूछा

"यार नादिया आई एम आलरेडी मिसिंग यू।आ जाओ न मिलने।प्लीज"

"लेकिन शाहिद"

"शाहिद वाहिद कुछ नही,मैंने बोल दिया तो बोल दिया"

इस तरफ नादिया को तो विश्वास ही नही हो रहा था।उसने जवाब में बस "ओके" बोल कर फ़ोन रख दिया।जबसे उसे शाहिद की आवाज़ सुनाई दी थी तबसे तो उसके चेहरे की मुस्कान ही नही जा रही थी।

मैसेज की रिंग से नादिया का ध्यान फिर से फ़ोन की स्क्रीन की तरफ गया।शाहिद ने घर का पता भेजा था।नीचे एक क्यूट से स्माइली बना था और "मिसिंग यू ऑलरेडी,कम सून" लिखा था।

नादिया के चेहरे की मुस्कान और निखर गयी।तेज़ी से अपनी स्कूटी उसने उस पते की तरफ दौड़ा दी।

पते पे पहुँच कर नादिया थोड़ी घबड़ाते हुए आगे बढ़ी पहली बार शाहिद के घर जो जा रही थी।डोरबेल बजाने पर नगमा ने दरवाज़ा खोला

"हेलो आंटी"

"अरे बेटा तुम,आओ आओ,हॉस्पिटल का कुछ काम रह गया था क्या"

"नही आंटी,मैं तो.....वो....आंटी मैं वो...."

तभी एक बैसाखी का सहारा लिए शाहिद की पीछे से आवाज़ आयी
"वेलकम नादिया,आओ आओ,प्लीज कम इनसाइड"

शाहिद को ऐसे चलते देख कर नगमा से रहा न गया और उसने टोका
"शाहिद तुम्हे रेस्ट करने को कहा है ना डॉक्टर ने,ऐसे चल क्यों रहे हो?"

"अम्मी प्लीज,आपको मेरी चिंता करने की जरूरत नही,मैं अपना ख्याल रख सकता हूँ"
शाहिद ने रूखी आवाज़ में बोला और नादिया की तरफ बढ़ा।

नादिया : शाहिद आंटी ठीक कह रही है,तुम्हे ज्यादा से ज्यादा रेस्ट करना चाहिए वरना फ्रैक्चर बढ़ सकता है

शाहिद : हॉं हाँ मैम, आई कैन अंडरस्टैंड,तुम आओ तो सही

नगमा: बच्चो तुम लोग बैठो मैं तुम्हारे लिए कुछ लेकर आती हूँ,नादिया,बेटा तुम चाय लोगी या कॉफ़ी।

नादिया : थैंक्स आंटी,बस एक ग्लास पानी

नगमा : बिल्कुल भी नही,पहली बार हमारे घर पर आई हो और बस पानी,मैने शाहिद के लिए हलवा बनाया है,उसका मनपसंद,तुम्हारे लिए भी लाती हूँ।

नादिया : ओके आंटी (स्माइल देते हुए)

शाहिद के साथ ड्राइंग रूम के काउच की तरफ बढ़ती है

शाहिद : यहाँ नही

नादिया : फिर?

शाहिद : उस रूम में

नादिया बिना किसी सवाल के रूम की तरफ चल देती है,रूम का दरवाजा खोलती है आगे बढ़कर और शाहिद को अंदर बेड पे बैठने में मदद करती है।फिर खुद बगल में एक चेयर पर बैठ जाती है।

नादिया : अच्छा,अब बताओ क्यों बुलाया मुझे?

शाहिद : क्या?

नादिया: मुझे क्यों बुलाया यहॉं

शाहिद : क्या?सुनाई नही दे रहा कुछ

नादिया : (चेहरे पर मुस्कान लिए आँखें तरेरते हुए)
शाहिद चोट हाथ और पैर पर लगी है नाकि कान में,बताओ न

शाहिद : यार पता नही तुम क्या बोल रही हो,कुछ सुनाई नही दे रहा,इतनी दूर जो बैठी हो

नादिया की मुस्कुराहट और खिल गयी ये सुन कर और उसने अपनी चेयर आगे खिसका ली

नादिया : अब ठीक है?

शाहिद (अपने कानों को पकड़ के हिलाते है ना सुनाई देने की एक्टिंग करते हुए)
:अभी भी ठीक से साफ साफ नही आ रही आवाज़

नादिया उठ के बेड पे आके शाहिद के सामने बैठ जाती है

नादिया : अब सुनाई दे रहा है या डॉक्टर को बुलाना पड़ेगा।

शाहिद (हँसते हुए) : हाँ अब काफी बेहतर है

नादिया : बदमाश,अच्छा अब बताओ तो क्यों बुलाया

शाहिद : अरे वो कहते है न खुश रहने से जल्दी ठीक हो जाते हैं।

नादिया : तो?

शाहिद : "अ थिंग ऑफ ब्यूटी इज अ जॉय फॉरएवर", मैं नही कहता जॉन कीट्स ने कहा था और तुमसे ब्यूटीफुल लड़की तो मैंने देखी ही नही अभी तक

नादिया : बाप रे बाप,आदिल बताता था तुम्हारे कॉलेज में इतनी लड़कियाँ ही नही है,इतना फ़्लर्ट करना कहाँ से सीखा?रोमांटिक पोयम्स एन आल....वाह (हंसते हुए)

शाहिद बिना पलके झुकाए नादिया को देखे जा रहा था।

नादिया : ऐसे क्या देख रहे हो (थोड़ा शर्माते हुए)

शाहिद बिना जवाब दिए नादिया को वैसे ही प्यार से देखता रहता है,नादिया शर्मा के आंखें नीचे झुका लेती है।

नादिया : अच्छा ये बताओ अब तुम्हारा डिस्चार्ज तो शाम को होना था न ,तो फिर सुबह सुबह ही कैसे...

शाहिद : अरे यार वो अब्बू ने डॉक्टर साहब से बात कर ली थी,उन्होंने ले जाने की परमिशन दे दी तो अब्बू सुबह ही लेते आये,सॉरी तुमसे मिल नही पाया।

नादिया : मुझे तो लगा तुम फिर से.....

शाहिद (नादिया का हाथ अपने हाथों में लेते हुए) : तुमसे कहा था न,ना जाऊंगा और न तुम्हे कहीं जाने दूँगा

नादिया बेहद प्यार से शाहिद की आंखों में देखती है।शाहिद भी नादिया का हाथ थामे उतने ही प्यार से उसकी तरफ देखता है।तभी दरवाज़े पे खटखटाने की आवाज़ आती है और नादिया जैसे तंद्रा से निकल के झट से बेड से उठ कुर्सी बे बैठ जाती है।नगमा एक ट्रे में दो बाउल में मूंग दाल हलवा लेकर आती है और बेड पे रख देती है।

नगमा : लो बच्चो,नादिया बेटा और माँग लेना,शर्माना मत,शाहिद का तो इतना मनपसंद है ये कि वो तो किचन से चुरा चुरा के खाता है ये(नगमा हंसते हुए नादिया को बताती है)

"अम्मी मुझे नही खाना" शाहिद बीच में टोकते हुए बोलता है।

नगमा के चेहरे से हँसी तुरंत गायब हो जाती है।

नगमा : लेकिन शाहिद तुम्हे तो ये बहुत पसंद....वो तेरे अब्बू कह रहे थे कि तूने उन्हें आते वक्त स्वीट शॉप से ये लाने को कहा था तो मैंने सोचा....बेटा बहुत प्यार से बनाया है,तेरे लिए,बहुत टाइम और मेहनत लगती है

शाहिद : सॉरी अम्मी जो मैंने आपका इतना टाइम बर्बाद करवाया,मेरी वजह से आपको इतनी मेहनत करनी पड़ी

नगमा : नही शाहिद,मेरा वो मतलब नही था बेटा, तू गलत समझ रहा है

शाहिद : अम्मी प्लीज,ले जाइए इसे मुझे नही खाना।

नगमा रुहांसा मुँह बनाये ट्रे में शाहिद का बाउल लेकर कमरे से बाहर चली जाती है।
ये देख कर नादिया को हॉस्पिटल में भी नगमा के प्रति शाहिद के बर्ताव की याद आ गयी।उसे समझ आ गया था कि शाहिद अपनी अम्मी से किसी बात से नाराज़ है,किस बात से ये तो उसे भी नही पता और ना इस वक़्त इस बारे में कुछ पूछना सही रहेगा।नादिया लेकिन ये भी जानती थी कि शाहिद अपनी अम्मी से कितना प्यार करता है।बेहोशी में उसने शाहिद को अम्मी का नाम लेते सुना जो था।

नादिया : शाहिद,सॉरी मैं तुम्हारी फैमिली मेंमबर तो नही हूँ फिर भी बोल रही हूँ। आंटी के साथ जो भी नाराज़गी हुई हो तुम्हारी लेकिन तुम्हारा बर्ताव ये ठीक नही था।आंटी को उस दिन हॉस्पिटल में देखा मैने, कितनी परेशान लग रही थी,एक सेकंड के लिए भी तुम्हारे चेहरे से नज़र नही हटाई थी उन्होंने,तुम्हे देख कर बस रोये जा रही थी,उस वक़्त भी शायद तुम नाराज़ थे सो उनसे बात नही की।उनकी उदासी साफ साफ उनके चेहरे से झलक रही थी और आज भी।शाहिद मैं ये भी जानती हूँ कि तुम ये सब बस दिखावा कर रहे हो।तुम ऑन्टी से नाराज़ होकर न केवल उन्हें बल्कि खुद को भी सज़ा दे रहे हो,जानते हो जब तुम बेहोश थे उस वक़्त बेहोसी में भी तुम अम्मी अम्मी बड़बड़ा रहे थे।अपने सब कॉन्शियस माइंड में भी तुम जिससे दूर नही रह पाए उससे ऐसा बर्ताव कब तक कर सकोगे?आई एम सॉरी जो मै तुम्हारे घर के मामलों में बाहर की होते हुए दखल दे रही हूँ लेकिन मुझसे ऑन्टी की उदासी और तुम्हारा उनके प्रति ये बर्ताव देखा नही गया शाहिद।

शाहिद थोड़ी देर चुप रहा।फिर ड्रॉर पे रखी हॉस्पिटल की फ़ाइल से एक पन्ना निकाल कर नादिया को दिया।वो शाहिद की एडमिट स्लीप थी।नीचे घर के सदस्य वाले खाने में नादिया ने अपना नाम और नंबर लिखा था।

शाहिद : फिर कभी मत कहना कि तुम घर से अलग हो।

नादिया ये सब देख कर भावुक हो गयी।उससे रहा न गया और उसने उठकर शाहिद को उठकर गले लगा लिया।

शाहिद : अरे वाह,मुझे पता होता तो मैं ऐसे फिल्मी डायलॉग्स पहले मार देता (हंसते हुए बोलता है और एक हाथ से नादिया को हग करता है।)

अब बस अपनी भावनाओं को शब्दों में बयान करना बचा था।नादिया शाहिद का चेहरा अपने दोनों हाथों में लेती है।बेहद प्यार से उसकी आँखों में देखती है।

नादिया : शाहिद...(नज़रे झुकाते हुए) आई.....आई

शाहिद : अरे आगे भी बोलो न

नादिया : शाहिद आई लव.....

शाहिद : क्या....

नादिया : आई लव्ड दिस हलवा (हंसते हुए पीछे भाग के खड़ी हो जाती है)
नेक्स्ट टाइम आऊंगी तो आंटी से बनाना सीखूंगी।तबतक तुम भी आंटी से अपनी नाराजगी खत्म कर देना प्लीज।ओके अब मैं लेट हो गयी हूँ आलरेडी, चलती हूँ, तुम रेस्ट करो।बाये।(हँसती हुई रूम से बाहर निकल जाती है।शाहिद मुस्कुराता हुआ दरवाज़े को देखता रह जाता है।
 

jonny khan

Nawab hai hum .... Mumbaikar
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Nyc updates dear ..!!!!
yaar ab story apni disha bhatak rahi hai story ki heorine nagma hai na ke nadiya, main yeh story roman english main padh hai ...
 
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