अम्मी किचन में थी और अब्बू,मैं और आदिल सोफ़े पे बैठे थे।आदिल का तो मुँह ही लटक गया था।उसकी मायूसी साफ साफ उसके चेहरे पे नज़र आ रही थी।अब्बू हमसे दिन भर का हाल पूछ रहे थे ।ऊपर से तो हम ठीक थे लेकिन अंदर से कितने बेहाल थे ये कैसे बयां करते।दिल बैठ से गया था।आदिल थोड़ी देर बाद उठ के अपने कमरे में चला गया लेकिन मैं वही था,सोफ़े पे बैठा।किंकर्तव्यविमूढ़ सा।समझ ही नही आ रहा था कि सब सच में हुआ भी या में कोई स्वपन में ही था, कोई ख्वाब ही देख रहा था।नही सपना तो नही था।मेरे हाथों में अम्मी के कोमल कोमल चुचों का एहसास तो अभी भी था,आजतक इतनी कोमल चीज़ कभी छुई ही नही थी मैंने तो।होंठो पे वो कपड़ो के ऊपर से ही हल्की हल्की मिठास का स्वाद तो अभी तक था।ये सपना तो नही था लेकिन वो अब्बू के आने के बाद अम्मी की किचन में जाते वक्त वो मुस्कान।वो मुझे देख कर मुस्कुराना कोई सामान्य मुस्कुराहट नही थी।उसमें एक शरारत थी,एक नटखटपन था,निगाहों में भी तो शैतानी भारी थी।तो फिर क्या अम्मी भी.......नही नही शायद ये मेरा भ्रम था।शायद अपनी वासना के कारण मुझे अम्मी का स्वभाव भी अपनी तरह लग रहा था,शायद मैं गलत था।लेकिन.......लेकिन क्या हो अगर ये मेरा भ्रम न हो,क्या हो अगर वो निगाहें मेरी निगाहों की भूख को पढ़ चुकी हो,क्या हो अगर वो नटखट मुस्कान न्योता हो,आमंत्रण हो उस दावत का जो अधूरी रह गयी।इस लेकिन के बारे में सोचने से मेरा लण्ड मेरी पैंट में हिचकोले मारने लगा था।अब्बू बगल में ही बैठे टी वी पी समाचार देख रहे थे।तभी अम्मी चाय लेकर आई और टेबल पे रख के बगल में अब्बू के करीब बैठ गयी।
अब्बू: अरे वाह,दिन भर की थकान के बाद हमारी खूबसूरत बेग़म के हाथ की स्वादिष्ट चाय मिल जाए तो मज़ा ही आ जाता है।सारी थकान ही उतर जाती है।
अम्मी: अरे आप भी न,बच्चे इतने बड़े हो गए है और आप इनके सामने ही शुरू हो जाते है
अब्बू: अरे कहाँ बड़े हो गए,अभी तो दोनों बच्चे है।
अम्मी: (हंसते हुए) हाँ वैसे ठीक ही कहा आपने,बड़े तो हो गए है लेकिन हरकते अभी भी बच्चो वाली है इनकी।
अब्बू:अरे ऐसे क्यों बोल रही हो।शाहिद कितना समझदार हो गया है।वाहिद(फूफा) और गुल्लों(फूफी) भी यही बोल रहे थे।मैं तो काम में बिजी था और तुम गुल्लों का ख्याल रखने अस्पताल रहती थी।घर पे सब चीज़ें अकेली इसी ने तो संभाली।
अम्मी: हाँ वो तो है लेकिन उसका इनाम भी वसूल कर लिया इन दोनों ने
मैं: कहाँ मिला इनाम पूरा।अधूरा ही रह गया वो तो।(अम्मी की तरफ देखते हुए शरारती अंदाज़ में)
अम्मी: बदमाश अब्बू ने नया फ़ोन दिलवाया न तुम दोनों को
मैं: ओ वो.....मुझे तो लगा.....
अम्मी ने चुप कराने के अंदाज़ से मुझे देखा।निगाहों से डाँटते हुए।उन्हें डर लगा की मैं कही कुछ बोल न दूँ।
अब्बू: क्या लगा तुम्हे?
मैं: अब्बू मुझे लगा कि अम्मी ने जो ट्रीट दी वो उसकी बात कर रही है।अम्मी हम पूरा कहाँ पी पाए थे।
मेरी ये बात सुनके अम्मी के तो जैसे चेहरे की हवाइयाँ ही उड़ गई थी।उन्हें समझ ही नही आ रहा था कि वो क्या करें।
अम्मी: शाहिद चुप रहो,तुमने प्रॉमिस किया था ।
मैं:अम्मी आपने भी तो प्रॉमिस पूरा नही करा, ठीक से ट्रीट तो दी नही।मैं तो दूध टेस्त भी नही कर पाया
अब तो अम्मी के माथे पे पसीना आ गया था।वो आँखों ही आंखों से मुझे चुप रहने का इशारा कर रही थी।उनका वही हाल था जो शिकारी के जाल में फंसे मासूम जानवर का होता है।
अब्बू:अरे क्या मसला है।मुझे भी बताओ कोई।क्या नही पिलाया तुम्हारी अम्मी ने।ये दूध वुध क्या है।
मैं: अब्बू अम्मी ने मुझे और आदिल को मिल्कशेक की ट्रीट दी थी रेस्टोरेंट में।लेकिन अभी हमारा आर्डर आया ही था कि आप की कॉल आ गयी थी और हमे आर्डर छोड़ कर ही आना पड़ा था।हाथ को तो आया पर मुँह न लगा।
ये बात बोल के में अम्मी की तरफ देख के मुस्कुरा दिया।अम्मी की तो मानो जान में जान आयी हो।उन्होंने मुझे झूठे ग़ुस्से से देखा।
अब्बू: अरे भाई सॉरी,मेरी वजह से तुम लोगो की ट्रीट कैंसल हो गयी।कोई बात नही।में फिर से बोल देता हूँ आपकी अम्मी को जितनी चाहे उतनी ट्रीट ले लेना।ठीक है नगमा,बच्चों को फिर से पिला देना।
अम्मी: राय आप इन बदमाशों को जानते नही,बहुत शरारती हो गए है ये।(मेरी तरफ प्यार से देखते हुए)
अब्बू: भई बेटे किसके है(हंसते हुए) अच्छा याद से पिला देना जब बोले तो।हम नही चाहते कि वे लोग बोले कि अब्बू की वजह से इनकी ट्रीट कैंसिल हो गयी।
मैं:अब्बू ये भी बोल दी जिये कि अम्मी पिलाते वक़्त कंजूसी न करें।
अम्मी ने फिर मुझे प्यार से डांटने वाली निगाहों से देखा।
अब्बू: नगमा सुन रही हो न,जितना इन्हें पीना हो पिला देना।
अम्मी: (नज़रे झुका के शर्माते हुए) जी
अम्मी उठती है और चाय का कप नमकीन की प्लेट उठा के किचन में ले जाती है।कुछ ही देर बाद अम्मी मुझे किचन से आवाज़ देती है।
अम्मी: शाहिद इधर आना बीटा।ऊपर वाले शेल्फ से कुछ सामान उतारना है।
मैं उठकर किचन में जाता हूँ।अम्मी हाथ में हाथ रखे खड़े होकर मुझे देखती है।फिर पास आके प्यार से मेरे कान को मोड़ती है।
अम्मी: बदमाश,क्या कर रहे थे अब्बू के सामने हाँ!जानते हो मैं कितना डर गई थी।
मैं(मुस्कुराते हुए) : अम्मी हमारी ट्रीट तो सच में अधूरी रह गयी थी,मैन गलत कुछ बोल(मासूम बनते हुए)
अम्मी: (मुस्कुराते हुए)अच्छा जी,फिर अपनी ट्रीट भी अपने अब्बू से ही ले लेना जिनसे शिकायत लगा रहे थे।
मैं(अम्मी को हग करते हुऐ) : सॉरी अम्मी.....मैं तो ऐसे ही मज़ाक कर रहा था।सॉरी सॉरी।अम्मी अबसे नही करूँगा लेकिन देखो अब तो अब्बू ने भी परमिशन दे दी न।अम्मी टेस्ट करने दो न(बोलकर फिर अम्मी के चूचे को हाथ में लेकर दबाता हूँ)
अम्मी खुद से दूर करती है।
अम्मी: शाहिद ये क्या बदमाशी है।ये सब अभी नही, अभी अब्बू घर पे है।बाद में।
मैं:अम्मी पक्का न
अम्मी: अरे हाँ बाबा एकदम पक्का वाला पक्का,चलो अब अपने रूम में जाकर पढ़ाई करो।
मैं(खुश होते हुए) : जी बेगम साहिबा जो हुक्म आपका (झुक के सलाम करता हूँ)
देख के अम्मी के चेहरे पे बड़ी से खूबसूरत मुस्कान आ जाती है।
अपने कमरे में जाते हुए मेरे चेहरे पे भी उतनी सी बड़ी मुशकुराहट है।कमरे का दरवाज़ा खोल के अंदर आता हूँ।आदिल फ़ोन पे इयरफोन लगा कि कुछ देख रहा था।मुझे देखते ही बंद कर देता है लेकिन अपनी पैंट में खड़े अपने लण्ड के उभार को नही छुपा पाता।
आज जो हुआ उससे पहले अगर ऐसा कुछ होता था तो हम थोड़े अम्बेरस हो जाते थे,थोड़ी शर्म आती थी लेकिन इस वक़्त ऐसा कुछ नही था।
आदिल मुझे देख के मुस्कुरा रहा था।उसी ने पहले बात शुरू की।
आदिल: यार भैया अपनी किस्मत ही खराब थी न आज,इतने करीब आके भी।
मैं: हाँ यार,सही कहा
आदिल: भैया काश हमे अम्मी के चूचे देखने को मिल सके फिर से
आदिल के मुँह से अम्मी के बारे में ऐसा मैन पहली बार सुना था।अम्मी को हम चाहते है ये जानते तो दोनों ही थे लेकिन कभी एक दूसरे से इस बारे में बात नही की थी।एक सीमा थी जिसे आज हमने लांघ दिया था और अब हमारे बीच में कीच छुपाने जैसा बचा नही था।
मैं: किस्मत सही रही तो जरूर देख पाएंगे।
आदिल: भी वैसे एक बात बोलू
मैं: हाँ बोल।
आदिल: आपको अम्मी अच्छी लगती है?
मैं: क्यों तुझे नही लगती क्या?
आदिल: मैं उस तरह से नही पूछ रहा,अम्मी आपको नादिया की तरह अच्छी लगती है ना?
नदिया मेरी स्कूल की क्रश का नाम था जो आदिल की क्लास में ही थी।बहुत ही प्यारी सी शक्ल,एकदम गोरी,हंसते हुए गालो पे डिंपल पड़ते थे,छोटी छोटी चुचिया थी लेकिन गांड टाइट थी।वैसे तो मुझे पता चल गया था कि वो भी मुझे पसंद करती है लेकिन बेहद शर्मीले स्वभाव के कारण मैं उसे कभी प्रोपोज़ नही कर पाया था।लड़की होने की वजह से उसने भी कभी पहल नही की।बस स्कूल में जब मौका मिलता तो मुझे देखती रहती।बहाने बना के मेरी क्लास के बगल से निकलती मुझे देखने के लिए।आदिल से बहाने बना बना के मेरे बारे में बातें करती थी।सुनने में आता है कि स्कूल फेयरवेल के दिन उसने मुझे प्रोपोज़ करने का प्लान बनाया था लेकिन चार दिन पहले ही मुझे जॉन्डिस हो गया था और मैं फेयरवेल अटेंड ही नही कर पाया।उसके बाद सीधा बोर्ड एग्जाम देने जाता था अब्बू के साथ और खत्म होते ही कार में आ जाता था।फिर कॉलेज में एडमिशन हो गया और मैंने स्कूल छोड़ दिया।जॉन्डिस होने के दौरान ही जब अम्मी मेरा ख्याल रखती थी तो पहली बार अम्मी की तरफ मैं एक मर्द की तरह आकर्षित हुआ और फिर वो आकर्षण धीरे धीरे बढ़ता ही गया।अम्मी को अब मैं एक हसीन और बेहद सेक्सी औरत की तरह देखने लगा था।हालांकि आदिल मुझे बताता था कि नादिया उससे मेरे बारे में पूछती है लेकिन तब तक वो मेरी नज़र और ज़िगर दोनों से उतर चुकी थी।उसकी जगह दुनिया की सबसे हसीन औरत ने ले ली थी।जिसे मैं चाह के भी नही पा सकता था।
आदिल: भैया....भैया कहाँ खो गए?भैया(मेरा हाथ हिलाते हुए पूछा)
भैया अम्मी आपको नादिया की तरह लगती है ना।
मैं: नही ऐसा तो कुछ नही।
आदिल: रहने दो,मुझसे मत छुपाओ,अम्मी के ऊपर आप पागलो की तरह टूट रहे थे
मैं: वो तो....वो.. राय तूने ही तो कहा था टेस्ट करना है अम्मी का दूध।मेरा भी मन कर गया पी के देखने का
आदिल: बस पी के देखने का?मुझे तो ऐसा लग रहा था आप अम्मी को खा ही जाओगे।अब मुझसे मत छुपाओ।मैं तो साफ साफ बता देता हूं।मुझे अम्मी पे क्रश है।में उन्हें अपनी गर्ल फ्रेंड बनाना चाहता हूँ, उन्हें अब्बू की तरह प्यार करना चाहता हूँ।
मैं: आदिल ये क्या बोल रहा है,वो अपनी अम्मी है।
आदिल: भैया आप मुझसे तो झूठ बोल सकते हो,खुद से नही।आज जो हुआ उसके बाद तो नही।मैं ये सब पहले से ही जानता हूँ।जब आप नह के निकलते थे तो अम्मी की ब्रा और पैंटी कहाँ से आ जाती थी अपने बाथरूम में,उनपे वो शैम्पू तो नही गिरा होता था न।भैया अब हम बच्चे नही है,सब समझते है।जब हम और कुछ नही छुपाते तो ये क्यों चुप रहे है।
मैं चुप रहा।आदिल ने फिर दबाव डालते हुए पूछा।
आदिल: भैया बोलो ना।चुप क्यों हो?क्या आप अम्मी से प्यार नही करते,क्या आप उनके जिस्म को फील नही करना चाहते,क्या आप अम्मी को अपनी बाहों में नही देखना चाहते।
मैं: हाँ हाँ चाहता हूँ, बेहद ज्यादा चाहता हूँ।
आदिल: तो भैया रोक क्यों रहे हैं हम खुद को।
बहुत हो गया अब।भैया मैं अम्मी को प्यार करना चाहता हूं और मैं जानता हूँ कि आप भी चाहते हो।तो फिर क्या हम मिल के अपनी मंजिल तक नही पोहोच सकते।
मैं: हाँ, कोशिश तो कर सकते है आदि।
आदिल: तो फिर मिलाओ हाथ,आज से शुरू होगा अपनी मिशन अम्मी।
मैं: मिशन अम्मी(हंसते हुए) इतना खतरनाक नाम।(हाथ मिलता हूँ)
आदिल: काम भी तो खतरनाक है।वैसे भैया एक वादा करो मुझे।
मैं: कैसा वादा?
आदिल: भैया मैन आज एक बात पे गौर किया,अम्मी ने बेशक मेरी बात को तवज्जो नही दी,हंसी मजाक में निकाल दिया लेकिन जब आप भी फ़ोर्स करने लगे तब अम्मी अचानक से मान गयी,अब्बू के आने के बाद भी अम्मी आपको देख के ही मुस्कुरा रही थी।मुझपे तो उतना ध्यान ही नही दिया।
मैं: अरे पागल ऐसा कुछ नही है।अम्मी हम दोनों से बराबर प्यार करती है।और फिर जो बातें अम्मी से तू करता है वो मैं नही कर सकता।अम्मी के जिस्म को तू छूता रहता है,मैं नही।मुझे तो मॉर्निंग हग्स भी नही मिलते तेरी तरह।
आदिल:भैया वो तो मैं भी जानता हूं।लेकिन अब हमें अम्मी बेटे वाला प्यार नही देखना।मैन ऑब्जर्व किया कि अम्मी आपसे थोड़ी ज्यादा खुल रही थी।तो मैं ये कह रहा था कि बातों की लाइन्स में क्रॉस कर के अम्मी को कम्फ़र्टेबल बनाऊंगा लेकिन असली लाइन को पार करने की कोशिश पहले आप करोगे।
मैं: ह्म्म्म ठीक है।
आदिल: एक और बात,अगर अम्मी हमसे एक साथ नही पटी तो जिससे पहले पटेंगी वो दूसरे की भी हेल्प करवाएगा।
मैं(हंसते हुए) :ये भी बोलने की बात है।अम्मी ने हमे खिड ही तो शेयरिंग सिखाई है ना।
आदिल: भैया अब हमें मौका कब मिलेगा लेकिन।
मैं: देखते है आदि....देखते है(सोचता हूं कि अम्मी ने खुद ही वादा किया है तो एक मौका तो मिलेगा ही)
सोचते हुए बेड पे लेट जाता हूं।ना जाने कब नींद आ जाती है।