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Adultery उल्टा सीधा

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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अध्याय 3

कहानी सुनते सुनते लल्लू और नंदिनी सो गए तो कुंवर पाल ने भी आंखें मूंद ली और नींद की गहराई में खो गए, सब नींद के आगोश में चले गए सिर्फ मगन के जो कि हर बार की तरह ही सबके सोने के बाद अपनी खाट से आहिस्ता से उठे और धीरे धीरे कमरे की ओर बढ़ गए जहां उनकी पत्नी लता सो रही थी, अब आगे...

मगन हल्के कदमों से चलते हुए कमरे के बाहर पहुंचा और फिर सावधानी से किवाड़ को धीरे से धकेलते हुए खोल कर अंदर घुस गया और फिर तुरंत किवाड़ को वैसे ही बंद कर दिया वैसे भी ये उसका लगभग रोज का ही काम था, कमरे के अंदर मिट्टी के तेल का एक दिया जल रहा था जिससे निकलती पीली रोशनी कमरे में बिखरी हुई थी, मगन ने किवाड़ लगाकर मुड़कर देखा तो उसकी नज़र बिस्तर पर पड़ी और देख कर वो रुक गया,

बिस्तर पर लता उसकी पत्नी लेटी हुई सो रही थी, उसे सोते देख मगन के होंठो पर मुस्कान फैल गई, कितनी सुंदर लग रही थी लता सोते हुए, मगन सोचने लगा ये वही छरहरी सी लड़की है जिसे वो बीस बरस पहले ब्याह के लाया था, सोलह बरस की बिलकुल भोली सी नाजुक सी गुड़िया थी, बदन बिलकुल पतला सा था नंदिनी अभी जैसी लगती है उससे भी आधी लगती थी, पर आज देखो बीस बरस बाद दो संतानों को जन्म देने के बाद उसका बदन बिलकुल भर गया था,
सोते होने की वजह से लता का पल्लू नीचे सरका हुआ था, मगन की नजर अपनी पत्नी की छाती पर पड़ी जहां ब्याह के समय तो बस चुचियों के नाम पर सिर्फ तिकोनी सी छाया थी अब वहां ब्लाउज में बंद दो पपीते थे, उसकी चूचियों के भारीपन की कहानी तो उसका ब्लाउज कह रहा था जो कि उसकी हर सांस के साथ ऊपर नीचे हो रहा था, और इस कदर चूचियों पर कसा हुआ था कि लग रहा था कि लता ने थोड़ी तेज से सांस ली तो अभी सारे बटन टूट कर गिर जायेंगे और उसकी चूचियां कैद से आजाद हो जाएंगी।
ब्लाउज के नीचे उसका गोरा भरा हुआ पेट था, पर पेट पर चर्बी उतनी थी जिसे मोटापा नहीं कहा जा सकता, कमर में पड़ी हुई सिलवट उसकी कमर की कामुकता को और बढ़ाती थी, तभी लता ने एक और करवट बदली और अपनी पीठ मगन की ओर करदी, जिससे मगन के सामने उसकी पत्नी का एक और खजाना या गया, लता की फैली हुई गांड का मगन दीवाना था, अभी भी साड़ी में लिपटी देख मगन का लंड लुंगी में ठुमके मार रहा था, ऐसी गोल मटोल और भरी हुई गांड थी लता की कि मानो लगता था साड़ी के अंदर दो तरबूज छुपा रखे हों, पिछले बीस बरस से भोगने के बाद भी लता का कामुक भरा हुआ गदराया बदन देख कर मगन का लंड आज भी हिचकोले मरने लगता था, वैसे सच कहा जाए तो सिर्फ मगन का ही नहीं गांव के सारे मर्द ही लता को देख आहें भरते थे।

मगन अपने ख्यालों की दुनिया से बाहर आया और बिस्तर की ओर बढ़ा, दोनों पति पत्नी का हर रात का यही कार्यक्रम होता था, बाहर सबके सोने के बाद मगन छुपके से कमरे में आता था और फिर अपनी पत्नी के भरे गदराये बदन को खूब भोगता था, आज भी वैसा ही कुछ होना था पर लता आज इंतज़ार करते हुए सो गई थी, मगन बिस्तर के पास पहुंचा और उसने लता के चेहरे को देखा, मगन खुद को बहुत भाग्यशाली मानता था जो उसे इतनी सुंदर पत्नी मिली थी, गोरे रंग की लता के नैन नक्श बड़े सुंदर थे जिन्हें मगन अभी एक तक देखे जा रहा था, लता के मुलायम रसीले होंठों को देखकर ही मगन के मुंह में पानी आने लगा और वो खुद को रोक नहीं पाया और मुंह आगे लेजाकर उसने अपने होंठों को लता के होंठों से मिला दिया, और उनका रस पीने लगा, लता शायद आज ज़्यादा ही नींद में थी जो कि उसके होंठों को चूसे जाने पर भी उसकी नींद नहीं टूट रही थी, मगन अपनी पत्नी के रसीले होंठों को चूसते हुए अपने हाथ को उसके चिकने भरे हुए पेट पर रख कर सहलाने लगा, कुछ पल लता के होंठो को चूसने के बाद मगन ने उन्हें छोड़ा और फिर लता के कामुक भरे हुए पेट को सहलाते हुए झुका और झुककर अपने होंठों को उसके पेट पर टिका दिया और उसके पेट को चाटने लगा, लता अपनी साड़ी नाभी से ऊपर बांधती थी, अब गांवों में तो ऐसे ही बांधी जाती थी क्यूंकि नाभी को औरत का कामुक हिस्सा माना जाता है, और उस हिस्से को सिर्फ प्रेमी या पति ही देखे ऐसा माना जाता था, नाभी से तीन इंच नीचे बांधने का दौर तो उस समय शहर में भी नहीं आया था,
लता के पेट को चाटते हुए मगन का मन हुआ लता की नाभी से खेलने का, उसे लता की नाभी बहुत पसंद थी, उसके भरे हुए पेट के बीच एक गोल कुएं जैसी नाभी उसके पेट की सुन्दरता में चार चांद लगा देती थी, मगन ने धीरे से लता की कमर के दोनों ओर उसकी साड़ी में उंगलियों को फंसाया और उसे नीचे की ओर खिसकाने की कोशिश करने लगा एक दो बार के प्रयास के बाद मगन को सफलता भी मिली और साड़ी थोड़ी ढीली हो गई जिससे इतनी नीचे खिसक गई की लता की सुंदर गोल गहरी नाभी उसके सामने आ गई, जिसे देख कर मगन खुद को रोक नहीं पाया और अपना मुंह नाभी पर लगा कर अपनी जीभ से नाभी को चूसने लगा, लता को नाभी पर जैसे ही ये एहसास हुआ वो नींद में भी कसमसाने लगी और कुछ ही पलों में उसकी नींद भी खुल गई।

लता ने आंखें खोल कर देखा तो पाया कि उसका पति बिस्तर के नीचे घुटने टिकाकर उसके पर झुककर उसकी नाभी को जीभ से चूस रहा है, लता का एक हाथ उठकर मगन के सिर पर पहुंच गया और उसके बालों में हाथ फिराते हुए वो बोली: अह्ह्ह्ह जी, आप भी ना, कम से कम एक दिन तो आराम से सो जाते।
मगन को जब ज्ञात हुआ कि लता जाग गई है तो उसकी नाभी से मुंह हटाकर और उसके पेट को सहलाते हुए वो बोला: तुम्हें तो पता है मेरी रानी जब तक तुम्हारा प्यार ना मिले मुझे नींद नहीं आती।
लता ये सुनकर मुस्कुरा कर बोली: हां जानती हूं कैसा प्यार है तुम्हारा, हवस को प्यार का नाम देते हो,
मगन: वो तो अपना अपना नज़रिया है कोई उसे हवस कहता है और कोई प्रेम। तुम नहीं चाहती मैं तुम्हें प्यार करूं?
मगन भी ऊपर होकर लता को बाहों में भर कर बिस्तर पर ही लेट गया,
लता: मैं तो बस तुम्हारे लिए कहती हूं, दिन भर तुम खेत में मेहनत करते हो और फिर रात को मुझपर, कहीं कमज़ोर हो गए तो?
लता ने प्यार से मगन के नंगे सीने पर हाथ फिराते हुए कहा।
मगन: अरे मेरी भोली रानी, खेत की मेहनत से मैं थकता हूं, पर तुम्हारे साथ मेहनत करने से मेरी सारी थकान मिट जाती है,
लता: बातों में तुमसे मैं आज तक जीती हूं जो आज जीतूंगी,

मगन: तो समय क्यों गंवा रही हो,
मगन आगे होकर लता के होंठो को फिर से जकड़ लेता है इस बार लता भी उसका पूरी तरह साथ देने लगती है, वैसे लता मगन को थोड़े बहुत नखरे ज़रूर दिखाती थी चुदाई से पहले पर उसे भी चुदाई की उतनी ही तलब होती थी जितनी मगन को, पिछले बीस बरसो से कुछ ही रातें ऐसी बीती होंगी जब दोनों ने एक दूसरे के साथ चुदाई का ये खेल न खेला हो, तो लता को भी ऐसी आदत लग चुकी थी कि अब एक रात बिना चुदे गुजारना उसके लिए भी मुस्किल होता था, उसे मगन के लंड की ऐसी लत लगी थी की जब तक उसे वो अपनी गीली गरम चूत में ना ले ले उसे आराम नहीं मिलता था, दोनों एक दूसरे के होंठों को ऐसे चूस रहे थे मानों वर्षों से बिछड़े हुए प्रेमी आज मिले हों, मगन के हाथ लता की कमर से होते हुए उसके पीछे पहुंच गए और वो लता के मांसल गोल मटोल चूतड़ों को मसलने लगा, लता भी पीछे नहीं थी उसका हाथ भी मगन की धोती के अंदर घुस चुका था और मगन के कच्छे के ऊपर से उसके कड़क लंड को सहला रहा था, दोनों के होंठ अलग हुए तो चिंगारी और भड़क उठी थी, मगन ने अपनी पत्नी की आंखों में देखा और कहा: अब रहा नही जा रहा अह्ह्ह,
लता: तो मत रहो न मेरे राजा ओह्ह्ह्ह, घुसा दो ना अपना मूसल मेरी ओखली में और पीस दो ना मेरा बदन।
मगन ये सुनकर और उत्तेजित हो उठा और तुरंत उसने उठकर अपनी लुंगी और कच्छे को निकल फेंका और पूरा नंगा होकर लता के पैरों में लिपटी साड़ी को पेटीकोट समेत ऊपर की तरफ उठा कर चढ़ाने लगा जिसमें लता ने भी अपने मोटे चूतड़ों को उठाकर चढ़ाने में मदद की, कुछ ही पलों में लता की साड़ी और पेटिकोट उसकी कमर पर चढ़ा हुआ था, और उसकी रसीली गरम चूत उसके पति के सामने थी उस समय गांव की औरतों के लिए चड्डी या आजकल की भाषा में कहें तो पैंटी पहनना उतना ही दूभर था जितना गांव में बिजली का होना, ख़ैर लता की चूत मगन के सामने थी जो कि दूर से ही गीली नजर आ रही थी, मगन ने भी देर नहीं की और तुरंत लता के ऊपर चढ़ गया और अपने लंड पर थूक लगा कर उसे लता की चूत के द्वार से भिड़ाया और फिर अंदर धकेल दिया, लता के हाथ मगन की पीठ पर कस गए जब उसकी चूत में घुसते लंड का एहसास हुआ तो, दो तीन झटको में मगन ने अपना पूरा लंड लता की चूत में उतार दिया, और फिर लय बनाकर थापें लगाने लगा, इस बात का ध्यान रखते हुए कि आवाज़ बाहर न जाए।

लता: अह्ह्ह्ह्ह लल्लू ओह्ह्ह के पापा अह्ह्ह्ह उहम्म्म।
मगन: ओह्ह्ह्ह् मज़ा आ रहा है अह्ह्ह्हह रानी, उह्ह्ह्ह क्या चूत है तुम्हारी, अह्ह्ह्ह्।
मगन ने थोड़ा ऊपर होकर ब्लाउज के बटन खोलने की कोशिश करते हुए कहा, जिसमें खुद लता ने मदद कर दी और खुद ही ब्लाउज के बटन खोल दिए, ब्लाउज के खुलते ही लता की चूचियां बाहर कूद पड़ीं जिन्हे तुरंत मगन ने अपने एक एक हाथ में जकड़ लिया, पर लता की चूचियां एक हाथ में कहां सामने वाली थीं,
लता: ओह्ह तुम्हारी ही है मेरे राजा, अह्ह्ह् मेरे चोदू राजा चोदते जाओ, अह्ह्ह्ह।
मगन: हां अह्ह्ह्ह्ह चोदूंगा मेरी रानी, अह्ह्ह्ह्ह चोद चोद के सारी खुजली मिटा दूंगा, अह्ह्ह्ह्ह।
मगन लता की चूचियों को मसलते हुए उसकी चूत में धक्के लगाते हुए आहें भरते हुए बोला,
ऐसी ही आहें निकलवाने वाली चुदाई काफी देर तक चली और फिर अपनी पत्नी की चूत को अपने रस से भरने के बाद मगन शांत हुआ, लता तो पहले ही दो बार झड़ चुकी थी, खैर चुदाई खत्म हुई तो मगन चुपचाप उठ कर बाहर आकर अपनी खाट पर सो गया।

इधर कुछ देर पहले की ही बात है छोटू खाना पीना खाकर आंगन में लेटा हुआ था, उसके घर में अगल बगल लेते हुए सब सो चुके थे, पर उसकी आंखों से नींद गायब थी क्योंकि उसके दिमाग में कुछ और ही द्वंद चल रहा था,
छोटू(मन में): अरे यार क्या करूं, आज जल्दी सो जाऊं?, कल जल्दी उठना भी है, कुछ समझ नहीं आ रहा, सोने का मन भी नही कर रहा।
छोटू कुछ पल सोचते हुए अपना सिर उठा कर इधर उधर देखता है तो पाता है सब सो रहे हैं, ये देखकर वो वापिस सिर नीचे कर के लेट जाता है और कुछ सोचने लगता है, कुछ पल बाद वो खाट पर उठ कर बैठ जाता है, और थोड़ा इंतज़ार करने के बाद धीरे धीरे खाट से उतरता है ताकि ज़्यादा आवाज़ न हो। खाट से उतर कर वो सावधानी से इधर उधर देखता है और फिर दबे पांव जहां जानवर बांधते हैं उस ओर चल देता है, वहां जाकर एक बार फिर से आंगन में नज़र मारकर वो सुनिश्चित करता है कि सब सो रहे हैं कि नहीं, सब ठीक जान कर वो एक कोने की ओर आता है और दीवार के सहारे जो भूसा और चारे के बोरे रखे थे उन पर चढ़ने लगता है, और जल्दी ही चढ़ने में सफल हो जाता है, बोरे पर खड़े हो कर वो थोड़ा उचक कर दीवार में बने मोखले में अपना सिर लगा देता है, और दूसरी ओर का दृश्य देख कर एक बार फिर से उसके बदन में रोज की तरह बिजली दौड़ने लगती है,
सीधे से बात की जाए तो ये है कि छोटू के घर में दो ही कमरे हैं एक में उसका परिवार रहता है और दूसरे में उसके चाचा चाची का, जानवरों के लिए पड़ा छप्पर जो है वो उसके चाचा संजय के कमरे की एक दीवार से टिका हुआ है और उसी तरफ कमरे का एक मौखला या रोशनदान भी था तो हमारे छोटू उस्ताद उसी मौखले का भरपूर फायदा उठा रहे हैं, वैसे उठाएं भी क्यों न जब सामने का दृश्य इतना मनोहर और कामुक हो तो,
छोटू देखता है कि कमरे में एक दिया जल रहा है और उसकी रोशनी में उसे बिस्तर पर अपनी चाची सुधा दिखती हैं जो बिल्कुल नंगी हैं और उनके नीचे चाचा भी दिखते हैं जो कि पूरा नंगे हैं, और अभी चाची अपनी चूत में चाचा का लंड लेकर उछल रही हैं, पर छोटू का सारा ध्यान तो चाची की मोटी चूचियों पर है जो हर झटके के साथ ऊपर नीचे हो रही हैं, चाची का सपाट पेट उसके बीच गोल गहरी नाभी अह्ह्ह्ह्ह ये देख छोटू के पूरे बदन में झुरझुरी होने लगती है, तभी उसके चाचा हाथ ऊपर लाकर चाची की चूचियों को मसलने लगते हैं, तो छोटू को अपने चाचा की किस्मत से जलन होने लगती है, छोटू का हाथ अपने आप ही पजामे में पहुंच भी जाता है और पजामे के अंदर ठुमकते उसके कड़क लंड को बाहर निकाल लाता है, छोटू की नजर तो अंदर ही टिकी रहती है, इसका फायदा उसका लंड उठता है और हाथ को आदेश करता है तो हाथ तुरंत ही उसे मुठियाना शुरू कर देता है,
पिछले कुछ दिनों से ही ताका झांकी का प्रोग्राम शुरू हुआ था और इसी कारण से छोटू सुबह उठने में लेट हो जाता था, क्योंकि रात को अपने चाचा चाची की चुदाई देखकर खुद को शांत करके सोना आप समझ ही सकते हैं कितनी मेहनत का काम है, हालांकि पहले दिन छोटू को बहुत ग्लानि हुई कि वो अपने मां बाप जैसे चाचा चाची को इस अवस्था में देख रहा है और उनके बारे में गलत विचार ला रहा है, उसने खुद के खूब कोसा, और प्रण भी लिया की आगे से ऐसा नहीं करूंगा, पर काम के आगे किसकी चली है, और ये तो ठहरा अपना छोटू, तो तब से ही झड़ने के बाद बेचारा रोज दृढ़ निश्चय करता कि अब से नहीं करूंगा, पर अगली रात फिर से आ जाता अपनी जगह।
वैसी ही रात आज थी पर आज की रात कुछ खास भी थी, क्योंकि अब तक जितनी बार भी उसने चाचा चाची की चुदाई देखी थी तो उसमे सुधा चाची को पूरा नंगा नहीं देखा था खास कर उनकी छाती को, क्यूंकि चुदते हुए भी वो ब्लाउज पहने रखती थी, पर आज वो पूरी नंगी थी, और उनकी उन्नत चूचियों की उछल कूद देख आज छोटू का मन गुलाठी मार रहा था, वो आज कुछ ज्यादा ही जोश में आ रहा था, और उसका हाथ भी उसी तेजी से उसके लंड पर चल रहा था, उसने एक पल को अपने हाथ को रोका और दोनों हाथों से अपने पजामे को कमर से नीचे सरका दिया, सुधा चाची को नंगा देख कर उसे भी नंगा होने का मन किया तो उसने तुरंत पजामे को पैरों में सरका दिया और फिर पैरों से भी एक एक पैर करके निकलने लगा, पर उसका सारा ध्यान कमरे के अंदर था, जैसे ही उसने पजामे से पैर बाहर निकाल कर रखा तो उसका पैर बोरे पर पड़ने की जगह पजामे पर ही पड़ गया और वो तुरंत नीचे सरकता हुआ आने लगा और उसके साथ ही बोरे भी, अचानक ये होने से उसकी गांड फट गई की कहीं आवाज सुन कर चाचा चाची को न पता चल जाए, अगले ही पल पहले बोरा गिरा और उसके ऊपर छोटू, पर क्योंकि बोरा भुस का था तो ज़्यादा आवाज़ नहीं हुई और नहीं छोटू को चोट लगी पर छोटू की गांड डर के मारे लूप लूप करने लगी, उसने सोचा अगर किसी ने भुस को ऐसे देखा तो कोई भी समझ जाएगा, वैसे भी कहते हैं ना कि चोर की दाढ़ी में तिनका वोही हाल छोटू का था,
वो तुरंत उठा और भुस का बोरा उठा कर जैसा था वैसा रखने लगा ये सब करते हुए उसे याद नहीं रहा कि वो नीचे से नंगा है उसका पजामा उतरा हुआ पड़ा है, पर छोटू ने तुरंत ही बोरे को जैसा था वैसा रख दिया रख कर हाथ जैसे ही हटाया कि उसे एक आवाज़ आई और उसे लगा आज उसका आखिरी दिन होने वाला है, और उसी पल उसकी नज़र नीचे पड़े पजामे पर पड़ी तो उसे याद आया वो नीचे से नंगा भी है, छोटू के तो मानो तोते उड़ गए ये सोचकर कि किसी ने उसे इस हालत में यहां देख लिया तो क्या होगा, बस यही सोचकर छोटू ने तुरंत पजामा उठाया और दूसरी ओर लपका, इधर बेचारी भैंस जो बोरे गिरने की वजह उठ गई थी उसने अचानक से छोटू को सफेद पजामा लहराते आता देखा तो वो डर गई, छोटू ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया पर जैसे ही छोटू भैंस के पास आया भैंस ने सिर झुकाकर छोटू को अपने सींगों में टांग कर फेंक दिया और छोटू उछल कर सीधा दूसरी भैंस पर गिरा जो अपने ऊपर छोटू के गिरते ही चिल्लाने लगी, छोटू का पजामा उछल कर छप्पर में अटक गया, और छोटू भैंस से टकराकर नीचे से नंगा होकर नीचे पड़ा था,
ये सब आवाज़ सुनकर आंगन में जो भी सोए थे तुरंत उठकर भागे, और पास आने लगे तो छोटू की गांड फट गई की अब क्या होगा तो अंत में उसे कुछ नहीं सूझा तो उसे बस एक उपाय दिखा, इधर उसकी दादी दादा मां बाप साथ ही उसके चाचा का बेटा राजेश और बेटी नीलम ये सब भी तेज़ी से दौड़ कर उसके पास पहुंचे,
राजेश: अरे क्या हुआ,
सोमपाल: कुछ आवाज़ आई
सुभाष: हां भैंस भी चिल्लाई,
सारे लोग तुरंत भैंस के पीछे आकर देखते हैं तो दंग रह जाते हैं छोटू नीचे पड़ा हुआ है नीचे से बिल्कुल नंगा ऊपर एक बनियान है और सो रहा है, छोटू को इस हालत में देख नीलम मुंह फेर लेती है और पीछे मुड़ जाती है, किसी को समझ नहीं आता क्या हो रहा है,
सुभाष: ए छोटू ए यहां क्या कर रहा है ऐसे उठ?
पर छोटू वैसा ही पड़ा रहता है और कुछ प्रतिक्रिया नहीं देता, बाकी सब भी उसे जगाने की कोशिश करते हैं पर छोटू कोई प्रतिक्रिया नहीं देता, राजेश छप्पर से उसका पजामा उतरता है और वो और सुभाष मिलकर उसे पहनाते हैं, इतने में सुधा और संजय भी बाहर आ जाते हैं, छोटू को फिर उठाकर बिस्तर पर लिटाया जाता है, छोटू अभी भी आंखें मीचे पड़ा हुआ है, उसकी मां पुष्पा तो रोना शुरू कर देती है: हाय हमारे लाल को क्या हो गया हाय हमारे लाल को क्या हो गया,
उसकी मां तो सिर्फ रोती हैं, पर उसकी दादी फुलवा तो आस पास भटकती आत्माओं और भूत प्रेतों को गाली सुनाने लगती हैं,
फुलवा: हमारी मानो ये जरूर उस उदयभान की लुगाई का काम है, कलमुही ज़िंदा रही तो भी गांव के लड़कों को अपने जाल में फांसती रही, रांड को मरने के बाद भी चैन नहीं, आ इतनी प्यास है तो सामने आ तेरी सारी प्यास बुझा दूंगी, छिनाल, नासपीटी।
सुभाष : शांत हो जाओ अम्मा।
फुलवा: अरे शांत कैसे हो जाऊं, उस दारी ने हमारे लल्ला को पकड़ा है, हमारे नाती को, छिनार को मरने के बाद भी चैन नहीं लेने दूंगी, कल ही इसका इलाज़ करवाती हूं,
छोटू मन ही मन सोच रहा था बच गया, हालांकि उदयभान की मृतक लुगाई को उसके कारण क्या क्या सुनना पड़ रहा था , पर छोटू ने मन ही मन उससे माफी मांगी की तुम तो मर ही गई हो मुझे ज़िंदा रहना है तो तुम्हारा सहारा लेना पड़ेगा। छोटू को मन ही मन ये उपाय ही ठीक लगा क्योंकि कौनसा उदयभान की लुगाई अपनी सफाई पेश करने आ रही थी।
आगे अगले अध्याय में, अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर दें।
Shandar super hot lovely update 💓💓
 

insotter

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अध्याय 3

कहानी सुनते सुनते लल्लू और नंदिनी सो गए तो कुंवर पाल ने भी आंखें मूंद ली और नींद की गहराई में खो गए, सब नींद के आगोश में चले गए सिर्फ मगन के जो कि हर बार की तरह ही सबके सोने के बाद अपनी खाट से आहिस्ता से उठे और धीरे धीरे कमरे की ओर बढ़ गए जहां उनकी पत्नी लता सो रही थी, अब आगे...

मगन हल्के कदमों से चलते हुए कमरे के बाहर पहुंचा और फिर सावधानी से किवाड़ को धीरे से धकेलते हुए खोल कर अंदर घुस गया और फिर तुरंत किवाड़ को वैसे ही बंद कर दिया वैसे भी ये उसका लगभग रोज का ही काम था, कमरे के अंदर मिट्टी के तेल का एक दिया जल रहा था जिससे निकलती पीली रोशनी कमरे में बिखरी हुई थी, मगन ने किवाड़ लगाकर मुड़कर देखा तो उसकी नज़र बिस्तर पर पड़ी और देख कर वो रुक गया,

बिस्तर पर लता उसकी पत्नी लेटी हुई सो रही थी, उसे सोते देख मगन के होंठो पर मुस्कान फैल गई, कितनी सुंदर लग रही थी लता सोते हुए, मगन सोचने लगा ये वही छरहरी सी लड़की है जिसे वो बीस बरस पहले ब्याह के लाया था, सोलह बरस की बिलकुल भोली सी नाजुक सी गुड़िया थी, बदन बिलकुल पतला सा था नंदिनी अभी जैसी लगती है उससे भी आधी लगती थी, पर आज देखो बीस बरस बाद दो संतानों को जन्म देने के बाद उसका बदन बिलकुल भर गया था,
सोते होने की वजह से लता का पल्लू नीचे सरका हुआ था, मगन की नजर अपनी पत्नी की छाती पर पड़ी जहां ब्याह के समय तो बस चुचियों के नाम पर सिर्फ तिकोनी सी छाया थी अब वहां ब्लाउज में बंद दो पपीते थे, उसकी चूचियों के भारीपन की कहानी तो उसका ब्लाउज कह रहा था जो कि उसकी हर सांस के साथ ऊपर नीचे हो रहा था, और इस कदर चूचियों पर कसा हुआ था कि लग रहा था कि लता ने थोड़ी तेज से सांस ली तो अभी सारे बटन टूट कर गिर जायेंगे और उसकी चूचियां कैद से आजाद हो जाएंगी।
ब्लाउज के नीचे उसका गोरा भरा हुआ पेट था, पर पेट पर चर्बी उतनी थी जिसे मोटापा नहीं कहा जा सकता, कमर में पड़ी हुई सिलवट उसकी कमर की कामुकता को और बढ़ाती थी, तभी लता ने एक और करवट बदली और अपनी पीठ मगन की ओर करदी, जिससे मगन के सामने उसकी पत्नी का एक और खजाना या गया, लता की फैली हुई गांड का मगन दीवाना था, अभी भी साड़ी में लिपटी देख मगन का लंड लुंगी में ठुमके मार रहा था, ऐसी गोल मटोल और भरी हुई गांड थी लता की कि मानो लगता था साड़ी के अंदर दो तरबूज छुपा रखे हों, पिछले बीस बरस से भोगने के बाद भी लता का कामुक भरा हुआ गदराया बदन देख कर मगन का लंड आज भी हिचकोले मरने लगता था, वैसे सच कहा जाए तो सिर्फ मगन का ही नहीं गांव के सारे मर्द ही लता को देख आहें भरते थे।

मगन अपने ख्यालों की दुनिया से बाहर आया और बिस्तर की ओर बढ़ा, दोनों पति पत्नी का हर रात का यही कार्यक्रम होता था, बाहर सबके सोने के बाद मगन छुपके से कमरे में आता था और फिर अपनी पत्नी के भरे गदराये बदन को खूब भोगता था, आज भी वैसा ही कुछ होना था पर लता आज इंतज़ार करते हुए सो गई थी, मगन बिस्तर के पास पहुंचा और उसने लता के चेहरे को देखा, मगन खुद को बहुत भाग्यशाली मानता था जो उसे इतनी सुंदर पत्नी मिली थी, गोरे रंग की लता के नैन नक्श बड़े सुंदर थे जिन्हें मगन अभी एक तक देखे जा रहा था, लता के मुलायम रसीले होंठों को देखकर ही मगन के मुंह में पानी आने लगा और वो खुद को रोक नहीं पाया और मुंह आगे लेजाकर उसने अपने होंठों को लता के होंठों से मिला दिया, और उनका रस पीने लगा, लता शायद आज ज़्यादा ही नींद में थी जो कि उसके होंठों को चूसे जाने पर भी उसकी नींद नहीं टूट रही थी, मगन अपनी पत्नी के रसीले होंठों को चूसते हुए अपने हाथ को उसके चिकने भरे हुए पेट पर रख कर सहलाने लगा, कुछ पल लता के होंठो को चूसने के बाद मगन ने उन्हें छोड़ा और फिर लता के कामुक भरे हुए पेट को सहलाते हुए झुका और झुककर अपने होंठों को उसके पेट पर टिका दिया और उसके पेट को चाटने लगा, लता अपनी साड़ी नाभी से ऊपर बांधती थी, अब गांवों में तो ऐसे ही बांधी जाती थी क्यूंकि नाभी को औरत का कामुक हिस्सा माना जाता है, और उस हिस्से को सिर्फ प्रेमी या पति ही देखे ऐसा माना जाता था, नाभी से तीन इंच नीचे बांधने का दौर तो उस समय शहर में भी नहीं आया था,
लता के पेट को चाटते हुए मगन का मन हुआ लता की नाभी से खेलने का, उसे लता की नाभी बहुत पसंद थी, उसके भरे हुए पेट के बीच एक गोल कुएं जैसी नाभी उसके पेट की सुन्दरता में चार चांद लगा देती थी, मगन ने धीरे से लता की कमर के दोनों ओर उसकी साड़ी में उंगलियों को फंसाया और उसे नीचे की ओर खिसकाने की कोशिश करने लगा एक दो बार के प्रयास के बाद मगन को सफलता भी मिली और साड़ी थोड़ी ढीली हो गई जिससे इतनी नीचे खिसक गई की लता की सुंदर गोल गहरी नाभी उसके सामने आ गई, जिसे देख कर मगन खुद को रोक नहीं पाया और अपना मुंह नाभी पर लगा कर अपनी जीभ से नाभी को चूसने लगा, लता को नाभी पर जैसे ही ये एहसास हुआ वो नींद में भी कसमसाने लगी और कुछ ही पलों में उसकी नींद भी खुल गई।

लता ने आंखें खोल कर देखा तो पाया कि उसका पति बिस्तर के नीचे घुटने टिकाकर उसके पर झुककर उसकी नाभी को जीभ से चूस रहा है, लता का एक हाथ उठकर मगन के सिर पर पहुंच गया और उसके बालों में हाथ फिराते हुए वो बोली: अह्ह्ह्ह जी, आप भी ना, कम से कम एक दिन तो आराम से सो जाते।
मगन को जब ज्ञात हुआ कि लता जाग गई है तो उसकी नाभी से मुंह हटाकर और उसके पेट को सहलाते हुए वो बोला: तुम्हें तो पता है मेरी रानी जब तक तुम्हारा प्यार ना मिले मुझे नींद नहीं आती।
लता ये सुनकर मुस्कुरा कर बोली: हां जानती हूं कैसा प्यार है तुम्हारा, हवस को प्यार का नाम देते हो,
मगन: वो तो अपना अपना नज़रिया है कोई उसे हवस कहता है और कोई प्रेम। तुम नहीं चाहती मैं तुम्हें प्यार करूं?
मगन भी ऊपर होकर लता को बाहों में भर कर बिस्तर पर ही लेट गया,
लता: मैं तो बस तुम्हारे लिए कहती हूं, दिन भर तुम खेत में मेहनत करते हो और फिर रात को मुझपर, कहीं कमज़ोर हो गए तो?
लता ने प्यार से मगन के नंगे सीने पर हाथ फिराते हुए कहा।
मगन: अरे मेरी भोली रानी, खेत की मेहनत से मैं थकता हूं, पर तुम्हारे साथ मेहनत करने से मेरी सारी थकान मिट जाती है,
लता: बातों में तुमसे मैं आज तक जीती हूं जो आज जीतूंगी,

मगन: तो समय क्यों गंवा रही हो,
मगन आगे होकर लता के होंठो को फिर से जकड़ लेता है इस बार लता भी उसका पूरी तरह साथ देने लगती है, वैसे लता मगन को थोड़े बहुत नखरे ज़रूर दिखाती थी चुदाई से पहले पर उसे भी चुदाई की उतनी ही तलब होती थी जितनी मगन को, पिछले बीस बरसो से कुछ ही रातें ऐसी बीती होंगी जब दोनों ने एक दूसरे के साथ चुदाई का ये खेल न खेला हो, तो लता को भी ऐसी आदत लग चुकी थी कि अब एक रात बिना चुदे गुजारना उसके लिए भी मुस्किल होता था, उसे मगन के लंड की ऐसी लत लगी थी की जब तक उसे वो अपनी गीली गरम चूत में ना ले ले उसे आराम नहीं मिलता था, दोनों एक दूसरे के होंठों को ऐसे चूस रहे थे मानों वर्षों से बिछड़े हुए प्रेमी आज मिले हों, मगन के हाथ लता की कमर से होते हुए उसके पीछे पहुंच गए और वो लता के मांसल गोल मटोल चूतड़ों को मसलने लगा, लता भी पीछे नहीं थी उसका हाथ भी मगन की धोती के अंदर घुस चुका था और मगन के कच्छे के ऊपर से उसके कड़क लंड को सहला रहा था, दोनों के होंठ अलग हुए तो चिंगारी और भड़क उठी थी, मगन ने अपनी पत्नी की आंखों में देखा और कहा: अब रहा नही जा रहा अह्ह्ह,
लता: तो मत रहो न मेरे राजा ओह्ह्ह्ह, घुसा दो ना अपना मूसल मेरी ओखली में और पीस दो ना मेरा बदन।
मगन ये सुनकर और उत्तेजित हो उठा और तुरंत उसने उठकर अपनी लुंगी और कच्छे को निकल फेंका और पूरा नंगा होकर लता के पैरों में लिपटी साड़ी को पेटीकोट समेत ऊपर की तरफ उठा कर चढ़ाने लगा जिसमें लता ने भी अपने मोटे चूतड़ों को उठाकर चढ़ाने में मदद की, कुछ ही पलों में लता की साड़ी और पेटिकोट उसकी कमर पर चढ़ा हुआ था, और उसकी रसीली गरम चूत उसके पति के सामने थी उस समय गांव की औरतों के लिए चड्डी या आजकल की भाषा में कहें तो पैंटी पहनना उतना ही दूभर था जितना गांव में बिजली का होना, ख़ैर लता की चूत मगन के सामने थी जो कि दूर से ही गीली नजर आ रही थी, मगन ने भी देर नहीं की और तुरंत लता के ऊपर चढ़ गया और अपने लंड पर थूक लगा कर उसे लता की चूत के द्वार से भिड़ाया और फिर अंदर धकेल दिया, लता के हाथ मगन की पीठ पर कस गए जब उसकी चूत में घुसते लंड का एहसास हुआ तो, दो तीन झटको में मगन ने अपना पूरा लंड लता की चूत में उतार दिया, और फिर लय बनाकर थापें लगाने लगा, इस बात का ध्यान रखते हुए कि आवाज़ बाहर न जाए।

लता: अह्ह्ह्ह्ह लल्लू ओह्ह्ह के पापा अह्ह्ह्ह उहम्म्म।
मगन: ओह्ह्ह्ह् मज़ा आ रहा है अह्ह्ह्हह रानी, उह्ह्ह्ह क्या चूत है तुम्हारी, अह्ह्ह्ह्।
मगन ने थोड़ा ऊपर होकर ब्लाउज के बटन खोलने की कोशिश करते हुए कहा, जिसमें खुद लता ने मदद कर दी और खुद ही ब्लाउज के बटन खोल दिए, ब्लाउज के खुलते ही लता की चूचियां बाहर कूद पड़ीं जिन्हे तुरंत मगन ने अपने एक एक हाथ में जकड़ लिया, पर लता की चूचियां एक हाथ में कहां सामने वाली थीं,
लता: ओह्ह तुम्हारी ही है मेरे राजा, अह्ह्ह् मेरे चोदू राजा चोदते जाओ, अह्ह्ह्ह।
मगन: हां अह्ह्ह्ह्ह चोदूंगा मेरी रानी, अह्ह्ह्ह्ह चोद चोद के सारी खुजली मिटा दूंगा, अह्ह्ह्ह्ह।
मगन लता की चूचियों को मसलते हुए उसकी चूत में धक्के लगाते हुए आहें भरते हुए बोला,
ऐसी ही आहें निकलवाने वाली चुदाई काफी देर तक चली और फिर अपनी पत्नी की चूत को अपने रस से भरने के बाद मगन शांत हुआ, लता तो पहले ही दो बार झड़ चुकी थी, खैर चुदाई खत्म हुई तो मगन चुपचाप उठ कर बाहर आकर अपनी खाट पर सो गया।

इधर कुछ देर पहले की ही बात है छोटू खाना पीना खाकर आंगन में लेटा हुआ था, उसके घर में अगल बगल लेते हुए सब सो चुके थे, पर उसकी आंखों से नींद गायब थी क्योंकि उसके दिमाग में कुछ और ही द्वंद चल रहा था,
छोटू(मन में): अरे यार क्या करूं, आज जल्दी सो जाऊं?, कल जल्दी उठना भी है, कुछ समझ नहीं आ रहा, सोने का मन भी नही कर रहा।
छोटू कुछ पल सोचते हुए अपना सिर उठा कर इधर उधर देखता है तो पाता है सब सो रहे हैं, ये देखकर वो वापिस सिर नीचे कर के लेट जाता है और कुछ सोचने लगता है, कुछ पल बाद वो खाट पर उठ कर बैठ जाता है, और थोड़ा इंतज़ार करने के बाद धीरे धीरे खाट से उतरता है ताकि ज़्यादा आवाज़ न हो। खाट से उतर कर वो सावधानी से इधर उधर देखता है और फिर दबे पांव जहां जानवर बांधते हैं उस ओर चल देता है, वहां जाकर एक बार फिर से आंगन में नज़र मारकर वो सुनिश्चित करता है कि सब सो रहे हैं कि नहीं, सब ठीक जान कर वो एक कोने की ओर आता है और दीवार के सहारे जो भूसा और चारे के बोरे रखे थे उन पर चढ़ने लगता है, और जल्दी ही चढ़ने में सफल हो जाता है, बोरे पर खड़े हो कर वो थोड़ा उचक कर दीवार में बने मोखले में अपना सिर लगा देता है, और दूसरी ओर का दृश्य देख कर एक बार फिर से उसके बदन में रोज की तरह बिजली दौड़ने लगती है,
सीधे से बात की जाए तो ये है कि छोटू के घर में दो ही कमरे हैं एक में उसका परिवार रहता है और दूसरे में उसके चाचा चाची का, जानवरों के लिए पड़ा छप्पर जो है वो उसके चाचा संजय के कमरे की एक दीवार से टिका हुआ है और उसी तरफ कमरे का एक मौखला या रोशनदान भी था तो हमारे छोटू उस्ताद उसी मौखले का भरपूर फायदा उठा रहे हैं, वैसे उठाएं भी क्यों न जब सामने का दृश्य इतना मनोहर और कामुक हो तो,
छोटू देखता है कि कमरे में एक दिया जल रहा है और उसकी रोशनी में उसे बिस्तर पर अपनी चाची सुधा दिखती हैं जो बिल्कुल नंगी हैं और उनके नीचे चाचा भी दिखते हैं जो कि पूरा नंगे हैं, और अभी चाची अपनी चूत में चाचा का लंड लेकर उछल रही हैं, पर छोटू का सारा ध्यान तो चाची की मोटी चूचियों पर है जो हर झटके के साथ ऊपर नीचे हो रही हैं, चाची का सपाट पेट उसके बीच गोल गहरी नाभी अह्ह्ह्ह्ह ये देख छोटू के पूरे बदन में झुरझुरी होने लगती है, तभी उसके चाचा हाथ ऊपर लाकर चाची की चूचियों को मसलने लगते हैं, तो छोटू को अपने चाचा की किस्मत से जलन होने लगती है, छोटू का हाथ अपने आप ही पजामे में पहुंच भी जाता है और पजामे के अंदर ठुमकते उसके कड़क लंड को बाहर निकाल लाता है, छोटू की नजर तो अंदर ही टिकी रहती है, इसका फायदा उसका लंड उठता है और हाथ को आदेश करता है तो हाथ तुरंत ही उसे मुठियाना शुरू कर देता है,
पिछले कुछ दिनों से ही ताका झांकी का प्रोग्राम शुरू हुआ था और इसी कारण से छोटू सुबह उठने में लेट हो जाता था, क्योंकि रात को अपने चाचा चाची की चुदाई देखकर खुद को शांत करके सोना आप समझ ही सकते हैं कितनी मेहनत का काम है, हालांकि पहले दिन छोटू को बहुत ग्लानि हुई कि वो अपने मां बाप जैसे चाचा चाची को इस अवस्था में देख रहा है और उनके बारे में गलत विचार ला रहा है, उसने खुद के खूब कोसा, और प्रण भी लिया की आगे से ऐसा नहीं करूंगा, पर काम के आगे किसकी चली है, और ये तो ठहरा अपना छोटू, तो तब से ही झड़ने के बाद बेचारा रोज दृढ़ निश्चय करता कि अब से नहीं करूंगा, पर अगली रात फिर से आ जाता अपनी जगह।
वैसी ही रात आज थी पर आज की रात कुछ खास भी थी, क्योंकि अब तक जितनी बार भी उसने चाचा चाची की चुदाई देखी थी तो उसमे सुधा चाची को पूरा नंगा नहीं देखा था खास कर उनकी छाती को, क्यूंकि चुदते हुए भी वो ब्लाउज पहने रखती थी, पर आज वो पूरी नंगी थी, और उनकी उन्नत चूचियों की उछल कूद देख आज छोटू का मन गुलाठी मार रहा था, वो आज कुछ ज्यादा ही जोश में आ रहा था, और उसका हाथ भी उसी तेजी से उसके लंड पर चल रहा था, उसने एक पल को अपने हाथ को रोका और दोनों हाथों से अपने पजामे को कमर से नीचे सरका दिया, सुधा चाची को नंगा देख कर उसे भी नंगा होने का मन किया तो उसने तुरंत पजामे को पैरों में सरका दिया और फिर पैरों से भी एक एक पैर करके निकलने लगा, पर उसका सारा ध्यान कमरे के अंदर था, जैसे ही उसने पजामे से पैर बाहर निकाल कर रखा तो उसका पैर बोरे पर पड़ने की जगह पजामे पर ही पड़ गया और वो तुरंत नीचे सरकता हुआ आने लगा और उसके साथ ही बोरे भी, अचानक ये होने से उसकी गांड फट गई की कहीं आवाज सुन कर चाचा चाची को न पता चल जाए, अगले ही पल पहले बोरा गिरा और उसके ऊपर छोटू, पर क्योंकि बोरा भुस का था तो ज़्यादा आवाज़ नहीं हुई और नहीं छोटू को चोट लगी पर छोटू की गांड डर के मारे लूप लूप करने लगी, उसने सोचा अगर किसी ने भुस को ऐसे देखा तो कोई भी समझ जाएगा, वैसे भी कहते हैं ना कि चोर की दाढ़ी में तिनका वोही हाल छोटू का था,
वो तुरंत उठा और भुस का बोरा उठा कर जैसा था वैसा रखने लगा ये सब करते हुए उसे याद नहीं रहा कि वो नीचे से नंगा है उसका पजामा उतरा हुआ पड़ा है, पर छोटू ने तुरंत ही बोरे को जैसा था वैसा रख दिया रख कर हाथ जैसे ही हटाया कि उसे एक आवाज़ आई और उसे लगा आज उसका आखिरी दिन होने वाला है, और उसी पल उसकी नज़र नीचे पड़े पजामे पर पड़ी तो उसे याद आया वो नीचे से नंगा भी है, छोटू के तो मानो तोते उड़ गए ये सोचकर कि किसी ने उसे इस हालत में यहां देख लिया तो क्या होगा, बस यही सोचकर छोटू ने तुरंत पजामा उठाया और दूसरी ओर लपका, इधर बेचारी भैंस जो बोरे गिरने की वजह उठ गई थी उसने अचानक से छोटू को सफेद पजामा लहराते आता देखा तो वो डर गई, छोटू ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया पर जैसे ही छोटू भैंस के पास आया भैंस ने सिर झुकाकर छोटू को अपने सींगों में टांग कर फेंक दिया और छोटू उछल कर सीधा दूसरी भैंस पर गिरा जो अपने ऊपर छोटू के गिरते ही चिल्लाने लगी, छोटू का पजामा उछल कर छप्पर में अटक गया, और छोटू भैंस से टकराकर नीचे से नंगा होकर नीचे पड़ा था,
ये सब आवाज़ सुनकर आंगन में जो भी सोए थे तुरंत उठकर भागे, और पास आने लगे तो छोटू की गांड फट गई की अब क्या होगा तो अंत में उसे कुछ नहीं सूझा तो उसे बस एक उपाय दिखा, इधर उसकी दादी दादा मां बाप साथ ही उसके चाचा का बेटा राजेश और बेटी नीलम ये सब भी तेज़ी से दौड़ कर उसके पास पहुंचे,
राजेश: अरे क्या हुआ,
सोमपाल: कुछ आवाज़ आई
सुभाष: हां भैंस भी चिल्लाई,
सारे लोग तुरंत भैंस के पीछे आकर देखते हैं तो दंग रह जाते हैं छोटू नीचे पड़ा हुआ है नीचे से बिल्कुल नंगा ऊपर एक बनियान है और सो रहा है, छोटू को इस हालत में देख नीलम मुंह फेर लेती है और पीछे मुड़ जाती है, किसी को समझ नहीं आता क्या हो रहा है,
सुभाष: ए छोटू ए यहां क्या कर रहा है ऐसे उठ?
पर छोटू वैसा ही पड़ा रहता है और कुछ प्रतिक्रिया नहीं देता, बाकी सब भी उसे जगाने की कोशिश करते हैं पर छोटू कोई प्रतिक्रिया नहीं देता, राजेश छप्पर से उसका पजामा उतरता है और वो और सुभाष मिलकर उसे पहनाते हैं, इतने में सुधा और संजय भी बाहर आ जाते हैं, छोटू को फिर उठाकर बिस्तर पर लिटाया जाता है, छोटू अभी भी आंखें मीचे पड़ा हुआ है, उसकी मां पुष्पा तो रोना शुरू कर देती है: हाय हमारे लाल को क्या हो गया हाय हमारे लाल को क्या हो गया,
उसकी मां तो सिर्फ रोती हैं, पर उसकी दादी फुलवा तो आस पास भटकती आत्माओं और भूत प्रेतों को गाली सुनाने लगती हैं,
फुलवा: हमारी मानो ये जरूर उस उदयभान की लुगाई का काम है, कलमुही ज़िंदा रही तो भी गांव के लड़कों को अपने जाल में फांसती रही, रांड को मरने के बाद भी चैन नहीं, आ इतनी प्यास है तो सामने आ तेरी सारी प्यास बुझा दूंगी, छिनाल, नासपीटी।
सुभाष : शांत हो जाओ अम्मा।
फुलवा: अरे शांत कैसे हो जाऊं, उस दारी ने हमारे लल्ला को पकड़ा है, हमारे नाती को, छिनार को मरने के बाद भी चैन नहीं लेने दूंगी, कल ही इसका इलाज़ करवाती हूं,
छोटू मन ही मन सोच रहा था बच गया, हालांकि उदयभान की मृतक लुगाई को उसके कारण क्या क्या सुनना पड़ रहा था , पर छोटू ने मन ही मन उससे माफी मांगी की तुम तो मर ही गई हो मुझे ज़िंदा रहना है तो तुम्हारा सहारा लेना पड़ेगा। छोटू को मन ही मन ये उपाय ही ठीक लगा क्योंकि कौनसा उदयभान की लुगाई अपनी सफाई पेश करने आ रही थी।
आगे अगले अध्याय में, अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर दें।
Nice 👍 update bro keep it up 👍
 
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अध्याय 3

कहानी सुनते सुनते लल्लू और नंदिनी सो गए तो कुंवर पाल ने भी आंखें मूंद ली और नींद की गहराई में खो गए, सब नींद के आगोश में चले गए सिर्फ मगन के जो कि हर बार की तरह ही सबके सोने के बाद अपनी खाट से आहिस्ता से उठे और धीरे धीरे कमरे की ओर बढ़ गए जहां उनकी पत्नी लता सो रही थी, अब आगे...

मगन हल्के कदमों से चलते हुए कमरे के बाहर पहुंचा और फिर सावधानी से किवाड़ को धीरे से धकेलते हुए खोल कर अंदर घुस गया और फिर तुरंत किवाड़ को वैसे ही बंद कर दिया वैसे भी ये उसका लगभग रोज का ही काम था, कमरे के अंदर मिट्टी के तेल का एक दिया जल रहा था जिससे निकलती पीली रोशनी कमरे में बिखरी हुई थी, मगन ने किवाड़ लगाकर मुड़कर देखा तो उसकी नज़र बिस्तर पर पड़ी और देख कर वो रुक गया,

बिस्तर पर लता उसकी पत्नी लेटी हुई सो रही थी, उसे सोते देख मगन के होंठो पर मुस्कान फैल गई, कितनी सुंदर लग रही थी लता सोते हुए, मगन सोचने लगा ये वही छरहरी सी लड़की है जिसे वो बीस बरस पहले ब्याह के लाया था, सोलह बरस की बिलकुल भोली सी नाजुक सी गुड़िया थी, बदन बिलकुल पतला सा था नंदिनी अभी जैसी लगती है उससे भी आधी लगती थी, पर आज देखो बीस बरस बाद दो संतानों को जन्म देने के बाद उसका बदन बिलकुल भर गया था,
सोते होने की वजह से लता का पल्लू नीचे सरका हुआ था, मगन की नजर अपनी पत्नी की छाती पर पड़ी जहां ब्याह के समय तो बस चुचियों के नाम पर सिर्फ तिकोनी सी छाया थी अब वहां ब्लाउज में बंद दो पपीते थे, उसकी चूचियों के भारीपन की कहानी तो उसका ब्लाउज कह रहा था जो कि उसकी हर सांस के साथ ऊपर नीचे हो रहा था, और इस कदर चूचियों पर कसा हुआ था कि लग रहा था कि लता ने थोड़ी तेज से सांस ली तो अभी सारे बटन टूट कर गिर जायेंगे और उसकी चूचियां कैद से आजाद हो जाएंगी।
ब्लाउज के नीचे उसका गोरा भरा हुआ पेट था, पर पेट पर चर्बी उतनी थी जिसे मोटापा नहीं कहा जा सकता, कमर में पड़ी हुई सिलवट उसकी कमर की कामुकता को और बढ़ाती थी, तभी लता ने एक और करवट बदली और अपनी पीठ मगन की ओर करदी, जिससे मगन के सामने उसकी पत्नी का एक और खजाना या गया, लता की फैली हुई गांड का मगन दीवाना था, अभी भी साड़ी में लिपटी देख मगन का लंड लुंगी में ठुमके मार रहा था, ऐसी गोल मटोल और भरी हुई गांड थी लता की कि मानो लगता था साड़ी के अंदर दो तरबूज छुपा रखे हों, पिछले बीस बरस से भोगने के बाद भी लता का कामुक भरा हुआ गदराया बदन देख कर मगन का लंड आज भी हिचकोले मरने लगता था, वैसे सच कहा जाए तो सिर्फ मगन का ही नहीं गांव के सारे मर्द ही लता को देख आहें भरते थे।

मगन अपने ख्यालों की दुनिया से बाहर आया और बिस्तर की ओर बढ़ा, दोनों पति पत्नी का हर रात का यही कार्यक्रम होता था, बाहर सबके सोने के बाद मगन छुपके से कमरे में आता था और फिर अपनी पत्नी के भरे गदराये बदन को खूब भोगता था, आज भी वैसा ही कुछ होना था पर लता आज इंतज़ार करते हुए सो गई थी, मगन बिस्तर के पास पहुंचा और उसने लता के चेहरे को देखा, मगन खुद को बहुत भाग्यशाली मानता था जो उसे इतनी सुंदर पत्नी मिली थी, गोरे रंग की लता के नैन नक्श बड़े सुंदर थे जिन्हें मगन अभी एक तक देखे जा रहा था, लता के मुलायम रसीले होंठों को देखकर ही मगन के मुंह में पानी आने लगा और वो खुद को रोक नहीं पाया और मुंह आगे लेजाकर उसने अपने होंठों को लता के होंठों से मिला दिया, और उनका रस पीने लगा, लता शायद आज ज़्यादा ही नींद में थी जो कि उसके होंठों को चूसे जाने पर भी उसकी नींद नहीं टूट रही थी, मगन अपनी पत्नी के रसीले होंठों को चूसते हुए अपने हाथ को उसके चिकने भरे हुए पेट पर रख कर सहलाने लगा, कुछ पल लता के होंठो को चूसने के बाद मगन ने उन्हें छोड़ा और फिर लता के कामुक भरे हुए पेट को सहलाते हुए झुका और झुककर अपने होंठों को उसके पेट पर टिका दिया और उसके पेट को चाटने लगा, लता अपनी साड़ी नाभी से ऊपर बांधती थी, अब गांवों में तो ऐसे ही बांधी जाती थी क्यूंकि नाभी को औरत का कामुक हिस्सा माना जाता है, और उस हिस्से को सिर्फ प्रेमी या पति ही देखे ऐसा माना जाता था, नाभी से तीन इंच नीचे बांधने का दौर तो उस समय शहर में भी नहीं आया था,
लता के पेट को चाटते हुए मगन का मन हुआ लता की नाभी से खेलने का, उसे लता की नाभी बहुत पसंद थी, उसके भरे हुए पेट के बीच एक गोल कुएं जैसी नाभी उसके पेट की सुन्दरता में चार चांद लगा देती थी, मगन ने धीरे से लता की कमर के दोनों ओर उसकी साड़ी में उंगलियों को फंसाया और उसे नीचे की ओर खिसकाने की कोशिश करने लगा एक दो बार के प्रयास के बाद मगन को सफलता भी मिली और साड़ी थोड़ी ढीली हो गई जिससे इतनी नीचे खिसक गई की लता की सुंदर गोल गहरी नाभी उसके सामने आ गई, जिसे देख कर मगन खुद को रोक नहीं पाया और अपना मुंह नाभी पर लगा कर अपनी जीभ से नाभी को चूसने लगा, लता को नाभी पर जैसे ही ये एहसास हुआ वो नींद में भी कसमसाने लगी और कुछ ही पलों में उसकी नींद भी खुल गई।

लता ने आंखें खोल कर देखा तो पाया कि उसका पति बिस्तर के नीचे घुटने टिकाकर उसके पर झुककर उसकी नाभी को जीभ से चूस रहा है, लता का एक हाथ उठकर मगन के सिर पर पहुंच गया और उसके बालों में हाथ फिराते हुए वो बोली: अह्ह्ह्ह जी, आप भी ना, कम से कम एक दिन तो आराम से सो जाते।
मगन को जब ज्ञात हुआ कि लता जाग गई है तो उसकी नाभी से मुंह हटाकर और उसके पेट को सहलाते हुए वो बोला: तुम्हें तो पता है मेरी रानी जब तक तुम्हारा प्यार ना मिले मुझे नींद नहीं आती।
लता ये सुनकर मुस्कुरा कर बोली: हां जानती हूं कैसा प्यार है तुम्हारा, हवस को प्यार का नाम देते हो,
मगन: वो तो अपना अपना नज़रिया है कोई उसे हवस कहता है और कोई प्रेम। तुम नहीं चाहती मैं तुम्हें प्यार करूं?
मगन भी ऊपर होकर लता को बाहों में भर कर बिस्तर पर ही लेट गया,
लता: मैं तो बस तुम्हारे लिए कहती हूं, दिन भर तुम खेत में मेहनत करते हो और फिर रात को मुझपर, कहीं कमज़ोर हो गए तो?
लता ने प्यार से मगन के नंगे सीने पर हाथ फिराते हुए कहा।
मगन: अरे मेरी भोली रानी, खेत की मेहनत से मैं थकता हूं, पर तुम्हारे साथ मेहनत करने से मेरी सारी थकान मिट जाती है,
लता: बातों में तुमसे मैं आज तक जीती हूं जो आज जीतूंगी,

मगन: तो समय क्यों गंवा रही हो,
मगन आगे होकर लता के होंठो को फिर से जकड़ लेता है इस बार लता भी उसका पूरी तरह साथ देने लगती है, वैसे लता मगन को थोड़े बहुत नखरे ज़रूर दिखाती थी चुदाई से पहले पर उसे भी चुदाई की उतनी ही तलब होती थी जितनी मगन को, पिछले बीस बरसो से कुछ ही रातें ऐसी बीती होंगी जब दोनों ने एक दूसरे के साथ चुदाई का ये खेल न खेला हो, तो लता को भी ऐसी आदत लग चुकी थी कि अब एक रात बिना चुदे गुजारना उसके लिए भी मुस्किल होता था, उसे मगन के लंड की ऐसी लत लगी थी की जब तक उसे वो अपनी गीली गरम चूत में ना ले ले उसे आराम नहीं मिलता था, दोनों एक दूसरे के होंठों को ऐसे चूस रहे थे मानों वर्षों से बिछड़े हुए प्रेमी आज मिले हों, मगन के हाथ लता की कमर से होते हुए उसके पीछे पहुंच गए और वो लता के मांसल गोल मटोल चूतड़ों को मसलने लगा, लता भी पीछे नहीं थी उसका हाथ भी मगन की धोती के अंदर घुस चुका था और मगन के कच्छे के ऊपर से उसके कड़क लंड को सहला रहा था, दोनों के होंठ अलग हुए तो चिंगारी और भड़क उठी थी, मगन ने अपनी पत्नी की आंखों में देखा और कहा: अब रहा नही जा रहा अह्ह्ह,
लता: तो मत रहो न मेरे राजा ओह्ह्ह्ह, घुसा दो ना अपना मूसल मेरी ओखली में और पीस दो ना मेरा बदन।
मगन ये सुनकर और उत्तेजित हो उठा और तुरंत उसने उठकर अपनी लुंगी और कच्छे को निकल फेंका और पूरा नंगा होकर लता के पैरों में लिपटी साड़ी को पेटीकोट समेत ऊपर की तरफ उठा कर चढ़ाने लगा जिसमें लता ने भी अपने मोटे चूतड़ों को उठाकर चढ़ाने में मदद की, कुछ ही पलों में लता की साड़ी और पेटिकोट उसकी कमर पर चढ़ा हुआ था, और उसकी रसीली गरम चूत उसके पति के सामने थी उस समय गांव की औरतों के लिए चड्डी या आजकल की भाषा में कहें तो पैंटी पहनना उतना ही दूभर था जितना गांव में बिजली का होना, ख़ैर लता की चूत मगन के सामने थी जो कि दूर से ही गीली नजर आ रही थी, मगन ने भी देर नहीं की और तुरंत लता के ऊपर चढ़ गया और अपने लंड पर थूक लगा कर उसे लता की चूत के द्वार से भिड़ाया और फिर अंदर धकेल दिया, लता के हाथ मगन की पीठ पर कस गए जब उसकी चूत में घुसते लंड का एहसास हुआ तो, दो तीन झटको में मगन ने अपना पूरा लंड लता की चूत में उतार दिया, और फिर लय बनाकर थापें लगाने लगा, इस बात का ध्यान रखते हुए कि आवाज़ बाहर न जाए।

लता: अह्ह्ह्ह्ह लल्लू ओह्ह्ह के पापा अह्ह्ह्ह उहम्म्म।
मगन: ओह्ह्ह्ह् मज़ा आ रहा है अह्ह्ह्हह रानी, उह्ह्ह्ह क्या चूत है तुम्हारी, अह्ह्ह्ह्।
मगन ने थोड़ा ऊपर होकर ब्लाउज के बटन खोलने की कोशिश करते हुए कहा, जिसमें खुद लता ने मदद कर दी और खुद ही ब्लाउज के बटन खोल दिए, ब्लाउज के खुलते ही लता की चूचियां बाहर कूद पड़ीं जिन्हे तुरंत मगन ने अपने एक एक हाथ में जकड़ लिया, पर लता की चूचियां एक हाथ में कहां सामने वाली थीं,
लता: ओह्ह तुम्हारी ही है मेरे राजा, अह्ह्ह् मेरे चोदू राजा चोदते जाओ, अह्ह्ह्ह।
मगन: हां अह्ह्ह्ह्ह चोदूंगा मेरी रानी, अह्ह्ह्ह्ह चोद चोद के सारी खुजली मिटा दूंगा, अह्ह्ह्ह्ह।
मगन लता की चूचियों को मसलते हुए उसकी चूत में धक्के लगाते हुए आहें भरते हुए बोला,
ऐसी ही आहें निकलवाने वाली चुदाई काफी देर तक चली और फिर अपनी पत्नी की चूत को अपने रस से भरने के बाद मगन शांत हुआ, लता तो पहले ही दो बार झड़ चुकी थी, खैर चुदाई खत्म हुई तो मगन चुपचाप उठ कर बाहर आकर अपनी खाट पर सो गया।

इधर कुछ देर पहले की ही बात है छोटू खाना पीना खाकर आंगन में लेटा हुआ था, उसके घर में अगल बगल लेते हुए सब सो चुके थे, पर उसकी आंखों से नींद गायब थी क्योंकि उसके दिमाग में कुछ और ही द्वंद चल रहा था,
छोटू(मन में): अरे यार क्या करूं, आज जल्दी सो जाऊं?, कल जल्दी उठना भी है, कुछ समझ नहीं आ रहा, सोने का मन भी नही कर रहा।
छोटू कुछ पल सोचते हुए अपना सिर उठा कर इधर उधर देखता है तो पाता है सब सो रहे हैं, ये देखकर वो वापिस सिर नीचे कर के लेट जाता है और कुछ सोचने लगता है, कुछ पल बाद वो खाट पर उठ कर बैठ जाता है, और थोड़ा इंतज़ार करने के बाद धीरे धीरे खाट से उतरता है ताकि ज़्यादा आवाज़ न हो। खाट से उतर कर वो सावधानी से इधर उधर देखता है और फिर दबे पांव जहां जानवर बांधते हैं उस ओर चल देता है, वहां जाकर एक बार फिर से आंगन में नज़र मारकर वो सुनिश्चित करता है कि सब सो रहे हैं कि नहीं, सब ठीक जान कर वो एक कोने की ओर आता है और दीवार के सहारे जो भूसा और चारे के बोरे रखे थे उन पर चढ़ने लगता है, और जल्दी ही चढ़ने में सफल हो जाता है, बोरे पर खड़े हो कर वो थोड़ा उचक कर दीवार में बने मोखले में अपना सिर लगा देता है, और दूसरी ओर का दृश्य देख कर एक बार फिर से उसके बदन में रोज की तरह बिजली दौड़ने लगती है,
सीधे से बात की जाए तो ये है कि छोटू के घर में दो ही कमरे हैं एक में उसका परिवार रहता है और दूसरे में उसके चाचा चाची का, जानवरों के लिए पड़ा छप्पर जो है वो उसके चाचा संजय के कमरे की एक दीवार से टिका हुआ है और उसी तरफ कमरे का एक मौखला या रोशनदान भी था तो हमारे छोटू उस्ताद उसी मौखले का भरपूर फायदा उठा रहे हैं, वैसे उठाएं भी क्यों न जब सामने का दृश्य इतना मनोहर और कामुक हो तो,
छोटू देखता है कि कमरे में एक दिया जल रहा है और उसकी रोशनी में उसे बिस्तर पर अपनी चाची सुधा दिखती हैं जो बिल्कुल नंगी हैं और उनके नीचे चाचा भी दिखते हैं जो कि पूरा नंगे हैं, और अभी चाची अपनी चूत में चाचा का लंड लेकर उछल रही हैं, पर छोटू का सारा ध्यान तो चाची की मोटी चूचियों पर है जो हर झटके के साथ ऊपर नीचे हो रही हैं, चाची का सपाट पेट उसके बीच गोल गहरी नाभी अह्ह्ह्ह्ह ये देख छोटू के पूरे बदन में झुरझुरी होने लगती है, तभी उसके चाचा हाथ ऊपर लाकर चाची की चूचियों को मसलने लगते हैं, तो छोटू को अपने चाचा की किस्मत से जलन होने लगती है, छोटू का हाथ अपने आप ही पजामे में पहुंच भी जाता है और पजामे के अंदर ठुमकते उसके कड़क लंड को बाहर निकाल लाता है, छोटू की नजर तो अंदर ही टिकी रहती है, इसका फायदा उसका लंड उठता है और हाथ को आदेश करता है तो हाथ तुरंत ही उसे मुठियाना शुरू कर देता है,
पिछले कुछ दिनों से ही ताका झांकी का प्रोग्राम शुरू हुआ था और इसी कारण से छोटू सुबह उठने में लेट हो जाता था, क्योंकि रात को अपने चाचा चाची की चुदाई देखकर खुद को शांत करके सोना आप समझ ही सकते हैं कितनी मेहनत का काम है, हालांकि पहले दिन छोटू को बहुत ग्लानि हुई कि वो अपने मां बाप जैसे चाचा चाची को इस अवस्था में देख रहा है और उनके बारे में गलत विचार ला रहा है, उसने खुद के खूब कोसा, और प्रण भी लिया की आगे से ऐसा नहीं करूंगा, पर काम के आगे किसकी चली है, और ये तो ठहरा अपना छोटू, तो तब से ही झड़ने के बाद बेचारा रोज दृढ़ निश्चय करता कि अब से नहीं करूंगा, पर अगली रात फिर से आ जाता अपनी जगह।
वैसी ही रात आज थी पर आज की रात कुछ खास भी थी, क्योंकि अब तक जितनी बार भी उसने चाचा चाची की चुदाई देखी थी तो उसमे सुधा चाची को पूरा नंगा नहीं देखा था खास कर उनकी छाती को, क्यूंकि चुदते हुए भी वो ब्लाउज पहने रखती थी, पर आज वो पूरी नंगी थी, और उनकी उन्नत चूचियों की उछल कूद देख आज छोटू का मन गुलाठी मार रहा था, वो आज कुछ ज्यादा ही जोश में आ रहा था, और उसका हाथ भी उसी तेजी से उसके लंड पर चल रहा था, उसने एक पल को अपने हाथ को रोका और दोनों हाथों से अपने पजामे को कमर से नीचे सरका दिया, सुधा चाची को नंगा देख कर उसे भी नंगा होने का मन किया तो उसने तुरंत पजामे को पैरों में सरका दिया और फिर पैरों से भी एक एक पैर करके निकलने लगा, पर उसका सारा ध्यान कमरे के अंदर था, जैसे ही उसने पजामे से पैर बाहर निकाल कर रखा तो उसका पैर बोरे पर पड़ने की जगह पजामे पर ही पड़ गया और वो तुरंत नीचे सरकता हुआ आने लगा और उसके साथ ही बोरे भी, अचानक ये होने से उसकी गांड फट गई की कहीं आवाज सुन कर चाचा चाची को न पता चल जाए, अगले ही पल पहले बोरा गिरा और उसके ऊपर छोटू, पर क्योंकि बोरा भुस का था तो ज़्यादा आवाज़ नहीं हुई और नहीं छोटू को चोट लगी पर छोटू की गांड डर के मारे लूप लूप करने लगी, उसने सोचा अगर किसी ने भुस को ऐसे देखा तो कोई भी समझ जाएगा, वैसे भी कहते हैं ना कि चोर की दाढ़ी में तिनका वोही हाल छोटू का था,
वो तुरंत उठा और भुस का बोरा उठा कर जैसा था वैसा रखने लगा ये सब करते हुए उसे याद नहीं रहा कि वो नीचे से नंगा है उसका पजामा उतरा हुआ पड़ा है, पर छोटू ने तुरंत ही बोरे को जैसा था वैसा रख दिया रख कर हाथ जैसे ही हटाया कि उसे एक आवाज़ आई और उसे लगा आज उसका आखिरी दिन होने वाला है, और उसी पल उसकी नज़र नीचे पड़े पजामे पर पड़ी तो उसे याद आया वो नीचे से नंगा भी है, छोटू के तो मानो तोते उड़ गए ये सोचकर कि किसी ने उसे इस हालत में यहां देख लिया तो क्या होगा, बस यही सोचकर छोटू ने तुरंत पजामा उठाया और दूसरी ओर लपका, इधर बेचारी भैंस जो बोरे गिरने की वजह उठ गई थी उसने अचानक से छोटू को सफेद पजामा लहराते आता देखा तो वो डर गई, छोटू ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया पर जैसे ही छोटू भैंस के पास आया भैंस ने सिर झुकाकर छोटू को अपने सींगों में टांग कर फेंक दिया और छोटू उछल कर सीधा दूसरी भैंस पर गिरा जो अपने ऊपर छोटू के गिरते ही चिल्लाने लगी, छोटू का पजामा उछल कर छप्पर में अटक गया, और छोटू भैंस से टकराकर नीचे से नंगा होकर नीचे पड़ा था,
ये सब आवाज़ सुनकर आंगन में जो भी सोए थे तुरंत उठकर भागे, और पास आने लगे तो छोटू की गांड फट गई की अब क्या होगा तो अंत में उसे कुछ नहीं सूझा तो उसे बस एक उपाय दिखा, इधर उसकी दादी दादा मां बाप साथ ही उसके चाचा का बेटा राजेश और बेटी नीलम ये सब भी तेज़ी से दौड़ कर उसके पास पहुंचे,
राजेश: अरे क्या हुआ,
सोमपाल: कुछ आवाज़ आई
सुभाष: हां भैंस भी चिल्लाई,
सारे लोग तुरंत भैंस के पीछे आकर देखते हैं तो दंग रह जाते हैं छोटू नीचे पड़ा हुआ है नीचे से बिल्कुल नंगा ऊपर एक बनियान है और सो रहा है, छोटू को इस हालत में देख नीलम मुंह फेर लेती है और पीछे मुड़ जाती है, किसी को समझ नहीं आता क्या हो रहा है,
सुभाष: ए छोटू ए यहां क्या कर रहा है ऐसे उठ?
पर छोटू वैसा ही पड़ा रहता है और कुछ प्रतिक्रिया नहीं देता, बाकी सब भी उसे जगाने की कोशिश करते हैं पर छोटू कोई प्रतिक्रिया नहीं देता, राजेश छप्पर से उसका पजामा उतरता है और वो और सुभाष मिलकर उसे पहनाते हैं, इतने में सुधा और संजय भी बाहर आ जाते हैं, छोटू को फिर उठाकर बिस्तर पर लिटाया जाता है, छोटू अभी भी आंखें मीचे पड़ा हुआ है, उसकी मां पुष्पा तो रोना शुरू कर देती है: हाय हमारे लाल को क्या हो गया हाय हमारे लाल को क्या हो गया,
उसकी मां तो सिर्फ रोती हैं, पर उसकी दादी फुलवा तो आस पास भटकती आत्माओं और भूत प्रेतों को गाली सुनाने लगती हैं,
फुलवा: हमारी मानो ये जरूर उस उदयभान की लुगाई का काम है, कलमुही ज़िंदा रही तो भी गांव के लड़कों को अपने जाल में फांसती रही, रांड को मरने के बाद भी चैन नहीं, आ इतनी प्यास है तो सामने आ तेरी सारी प्यास बुझा दूंगी, छिनाल, नासपीटी।
सुभाष : शांत हो जाओ अम्मा।
फुलवा: अरे शांत कैसे हो जाऊं, उस दारी ने हमारे लल्ला को पकड़ा है, हमारे नाती को, छिनार को मरने के बाद भी चैन नहीं लेने दूंगी, कल ही इसका इलाज़ करवाती हूं,
छोटू मन ही मन सोच रहा था बच गया, हालांकि उदयभान की मृतक लुगाई को उसके कारण क्या क्या सुनना पड़ रहा था , पर छोटू ने मन ही मन उससे माफी मांगी की तुम तो मर ही गई हो मुझे ज़िंदा रहना है तो तुम्हारा सहारा लेना पड़ेगा। छोटू को मन ही मन ये उपाय ही ठीक लगा क्योंकि कौनसा उदयभान की लुगाई अपनी सफाई पेश करने आ रही थी।
आगे अगले अध्याय में, अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर दें।
Amazing Update
Chacha chachi ko dekhne wala bilkul reality ki yaad dila di 😉

Keep Writing Bhai
 

urc4me

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Romanchak update. Pratiksha agle rasprad update ki
 

Motaland2468

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अध्याय 3

कहानी सुनते सुनते लल्लू और नंदिनी सो गए तो कुंवर पाल ने भी आंखें मूंद ली और नींद की गहराई में खो गए, सब नींद के आगोश में चले गए सिर्फ मगन के जो कि हर बार की तरह ही सबके सोने के बाद अपनी खाट से आहिस्ता से उठे और धीरे धीरे कमरे की ओर बढ़ गए जहां उनकी पत्नी लता सो रही थी, अब आगे...

मगन हल्के कदमों से चलते हुए कमरे के बाहर पहुंचा और फिर सावधानी से किवाड़ को धीरे से धकेलते हुए खोल कर अंदर घुस गया और फिर तुरंत किवाड़ को वैसे ही बंद कर दिया वैसे भी ये उसका लगभग रोज का ही काम था, कमरे के अंदर मिट्टी के तेल का एक दिया जल रहा था जिससे निकलती पीली रोशनी कमरे में बिखरी हुई थी, मगन ने किवाड़ लगाकर मुड़कर देखा तो उसकी नज़र बिस्तर पर पड़ी और देख कर वो रुक गया,

बिस्तर पर लता उसकी पत्नी लेटी हुई सो रही थी, उसे सोते देख मगन के होंठो पर मुस्कान फैल गई, कितनी सुंदर लग रही थी लता सोते हुए, मगन सोचने लगा ये वही छरहरी सी लड़की है जिसे वो बीस बरस पहले ब्याह के लाया था, सोलह बरस की बिलकुल भोली सी नाजुक सी गुड़िया थी, बदन बिलकुल पतला सा था नंदिनी अभी जैसी लगती है उससे भी आधी लगती थी, पर आज देखो बीस बरस बाद दो संतानों को जन्म देने के बाद उसका बदन बिलकुल भर गया था,
सोते होने की वजह से लता का पल्लू नीचे सरका हुआ था, मगन की नजर अपनी पत्नी की छाती पर पड़ी जहां ब्याह के समय तो बस चुचियों के नाम पर सिर्फ तिकोनी सी छाया थी अब वहां ब्लाउज में बंद दो पपीते थे, उसकी चूचियों के भारीपन की कहानी तो उसका ब्लाउज कह रहा था जो कि उसकी हर सांस के साथ ऊपर नीचे हो रहा था, और इस कदर चूचियों पर कसा हुआ था कि लग रहा था कि लता ने थोड़ी तेज से सांस ली तो अभी सारे बटन टूट कर गिर जायेंगे और उसकी चूचियां कैद से आजाद हो जाएंगी।
ब्लाउज के नीचे उसका गोरा भरा हुआ पेट था, पर पेट पर चर्बी उतनी थी जिसे मोटापा नहीं कहा जा सकता, कमर में पड़ी हुई सिलवट उसकी कमर की कामुकता को और बढ़ाती थी, तभी लता ने एक और करवट बदली और अपनी पीठ मगन की ओर करदी, जिससे मगन के सामने उसकी पत्नी का एक और खजाना या गया, लता की फैली हुई गांड का मगन दीवाना था, अभी भी साड़ी में लिपटी देख मगन का लंड लुंगी में ठुमके मार रहा था, ऐसी गोल मटोल और भरी हुई गांड थी लता की कि मानो लगता था साड़ी के अंदर दो तरबूज छुपा रखे हों, पिछले बीस बरस से भोगने के बाद भी लता का कामुक भरा हुआ गदराया बदन देख कर मगन का लंड आज भी हिचकोले मरने लगता था, वैसे सच कहा जाए तो सिर्फ मगन का ही नहीं गांव के सारे मर्द ही लता को देख आहें भरते थे।

मगन अपने ख्यालों की दुनिया से बाहर आया और बिस्तर की ओर बढ़ा, दोनों पति पत्नी का हर रात का यही कार्यक्रम होता था, बाहर सबके सोने के बाद मगन छुपके से कमरे में आता था और फिर अपनी पत्नी के भरे गदराये बदन को खूब भोगता था, आज भी वैसा ही कुछ होना था पर लता आज इंतज़ार करते हुए सो गई थी, मगन बिस्तर के पास पहुंचा और उसने लता के चेहरे को देखा, मगन खुद को बहुत भाग्यशाली मानता था जो उसे इतनी सुंदर पत्नी मिली थी, गोरे रंग की लता के नैन नक्श बड़े सुंदर थे जिन्हें मगन अभी एक तक देखे जा रहा था, लता के मुलायम रसीले होंठों को देखकर ही मगन के मुंह में पानी आने लगा और वो खुद को रोक नहीं पाया और मुंह आगे लेजाकर उसने अपने होंठों को लता के होंठों से मिला दिया, और उनका रस पीने लगा, लता शायद आज ज़्यादा ही नींद में थी जो कि उसके होंठों को चूसे जाने पर भी उसकी नींद नहीं टूट रही थी, मगन अपनी पत्नी के रसीले होंठों को चूसते हुए अपने हाथ को उसके चिकने भरे हुए पेट पर रख कर सहलाने लगा, कुछ पल लता के होंठो को चूसने के बाद मगन ने उन्हें छोड़ा और फिर लता के कामुक भरे हुए पेट को सहलाते हुए झुका और झुककर अपने होंठों को उसके पेट पर टिका दिया और उसके पेट को चाटने लगा, लता अपनी साड़ी नाभी से ऊपर बांधती थी, अब गांवों में तो ऐसे ही बांधी जाती थी क्यूंकि नाभी को औरत का कामुक हिस्सा माना जाता है, और उस हिस्से को सिर्फ प्रेमी या पति ही देखे ऐसा माना जाता था, नाभी से तीन इंच नीचे बांधने का दौर तो उस समय शहर में भी नहीं आया था,
लता के पेट को चाटते हुए मगन का मन हुआ लता की नाभी से खेलने का, उसे लता की नाभी बहुत पसंद थी, उसके भरे हुए पेट के बीच एक गोल कुएं जैसी नाभी उसके पेट की सुन्दरता में चार चांद लगा देती थी, मगन ने धीरे से लता की कमर के दोनों ओर उसकी साड़ी में उंगलियों को फंसाया और उसे नीचे की ओर खिसकाने की कोशिश करने लगा एक दो बार के प्रयास के बाद मगन को सफलता भी मिली और साड़ी थोड़ी ढीली हो गई जिससे इतनी नीचे खिसक गई की लता की सुंदर गोल गहरी नाभी उसके सामने आ गई, जिसे देख कर मगन खुद को रोक नहीं पाया और अपना मुंह नाभी पर लगा कर अपनी जीभ से नाभी को चूसने लगा, लता को नाभी पर जैसे ही ये एहसास हुआ वो नींद में भी कसमसाने लगी और कुछ ही पलों में उसकी नींद भी खुल गई।

लता ने आंखें खोल कर देखा तो पाया कि उसका पति बिस्तर के नीचे घुटने टिकाकर उसके पर झुककर उसकी नाभी को जीभ से चूस रहा है, लता का एक हाथ उठकर मगन के सिर पर पहुंच गया और उसके बालों में हाथ फिराते हुए वो बोली: अह्ह्ह्ह जी, आप भी ना, कम से कम एक दिन तो आराम से सो जाते।
मगन को जब ज्ञात हुआ कि लता जाग गई है तो उसकी नाभी से मुंह हटाकर और उसके पेट को सहलाते हुए वो बोला: तुम्हें तो पता है मेरी रानी जब तक तुम्हारा प्यार ना मिले मुझे नींद नहीं आती।
लता ये सुनकर मुस्कुरा कर बोली: हां जानती हूं कैसा प्यार है तुम्हारा, हवस को प्यार का नाम देते हो,
मगन: वो तो अपना अपना नज़रिया है कोई उसे हवस कहता है और कोई प्रेम। तुम नहीं चाहती मैं तुम्हें प्यार करूं?
मगन भी ऊपर होकर लता को बाहों में भर कर बिस्तर पर ही लेट गया,
लता: मैं तो बस तुम्हारे लिए कहती हूं, दिन भर तुम खेत में मेहनत करते हो और फिर रात को मुझपर, कहीं कमज़ोर हो गए तो?
लता ने प्यार से मगन के नंगे सीने पर हाथ फिराते हुए कहा।
मगन: अरे मेरी भोली रानी, खेत की मेहनत से मैं थकता हूं, पर तुम्हारे साथ मेहनत करने से मेरी सारी थकान मिट जाती है,
लता: बातों में तुमसे मैं आज तक जीती हूं जो आज जीतूंगी,

मगन: तो समय क्यों गंवा रही हो,
मगन आगे होकर लता के होंठो को फिर से जकड़ लेता है इस बार लता भी उसका पूरी तरह साथ देने लगती है, वैसे लता मगन को थोड़े बहुत नखरे ज़रूर दिखाती थी चुदाई से पहले पर उसे भी चुदाई की उतनी ही तलब होती थी जितनी मगन को, पिछले बीस बरसो से कुछ ही रातें ऐसी बीती होंगी जब दोनों ने एक दूसरे के साथ चुदाई का ये खेल न खेला हो, तो लता को भी ऐसी आदत लग चुकी थी कि अब एक रात बिना चुदे गुजारना उसके लिए भी मुस्किल होता था, उसे मगन के लंड की ऐसी लत लगी थी की जब तक उसे वो अपनी गीली गरम चूत में ना ले ले उसे आराम नहीं मिलता था, दोनों एक दूसरे के होंठों को ऐसे चूस रहे थे मानों वर्षों से बिछड़े हुए प्रेमी आज मिले हों, मगन के हाथ लता की कमर से होते हुए उसके पीछे पहुंच गए और वो लता के मांसल गोल मटोल चूतड़ों को मसलने लगा, लता भी पीछे नहीं थी उसका हाथ भी मगन की धोती के अंदर घुस चुका था और मगन के कच्छे के ऊपर से उसके कड़क लंड को सहला रहा था, दोनों के होंठ अलग हुए तो चिंगारी और भड़क उठी थी, मगन ने अपनी पत्नी की आंखों में देखा और कहा: अब रहा नही जा रहा अह्ह्ह,
लता: तो मत रहो न मेरे राजा ओह्ह्ह्ह, घुसा दो ना अपना मूसल मेरी ओखली में और पीस दो ना मेरा बदन।
मगन ये सुनकर और उत्तेजित हो उठा और तुरंत उसने उठकर अपनी लुंगी और कच्छे को निकल फेंका और पूरा नंगा होकर लता के पैरों में लिपटी साड़ी को पेटीकोट समेत ऊपर की तरफ उठा कर चढ़ाने लगा जिसमें लता ने भी अपने मोटे चूतड़ों को उठाकर चढ़ाने में मदद की, कुछ ही पलों में लता की साड़ी और पेटिकोट उसकी कमर पर चढ़ा हुआ था, और उसकी रसीली गरम चूत उसके पति के सामने थी उस समय गांव की औरतों के लिए चड्डी या आजकल की भाषा में कहें तो पैंटी पहनना उतना ही दूभर था जितना गांव में बिजली का होना, ख़ैर लता की चूत मगन के सामने थी जो कि दूर से ही गीली नजर आ रही थी, मगन ने भी देर नहीं की और तुरंत लता के ऊपर चढ़ गया और अपने लंड पर थूक लगा कर उसे लता की चूत के द्वार से भिड़ाया और फिर अंदर धकेल दिया, लता के हाथ मगन की पीठ पर कस गए जब उसकी चूत में घुसते लंड का एहसास हुआ तो, दो तीन झटको में मगन ने अपना पूरा लंड लता की चूत में उतार दिया, और फिर लय बनाकर थापें लगाने लगा, इस बात का ध्यान रखते हुए कि आवाज़ बाहर न जाए।

लता: अह्ह्ह्ह्ह लल्लू ओह्ह्ह के पापा अह्ह्ह्ह उहम्म्म।
मगन: ओह्ह्ह्ह् मज़ा आ रहा है अह्ह्ह्हह रानी, उह्ह्ह्ह क्या चूत है तुम्हारी, अह्ह्ह्ह्।
मगन ने थोड़ा ऊपर होकर ब्लाउज के बटन खोलने की कोशिश करते हुए कहा, जिसमें खुद लता ने मदद कर दी और खुद ही ब्लाउज के बटन खोल दिए, ब्लाउज के खुलते ही लता की चूचियां बाहर कूद पड़ीं जिन्हे तुरंत मगन ने अपने एक एक हाथ में जकड़ लिया, पर लता की चूचियां एक हाथ में कहां सामने वाली थीं,
लता: ओह्ह तुम्हारी ही है मेरे राजा, अह्ह्ह् मेरे चोदू राजा चोदते जाओ, अह्ह्ह्ह।
मगन: हां अह्ह्ह्ह्ह चोदूंगा मेरी रानी, अह्ह्ह्ह्ह चोद चोद के सारी खुजली मिटा दूंगा, अह्ह्ह्ह्ह।
मगन लता की चूचियों को मसलते हुए उसकी चूत में धक्के लगाते हुए आहें भरते हुए बोला,
ऐसी ही आहें निकलवाने वाली चुदाई काफी देर तक चली और फिर अपनी पत्नी की चूत को अपने रस से भरने के बाद मगन शांत हुआ, लता तो पहले ही दो बार झड़ चुकी थी, खैर चुदाई खत्म हुई तो मगन चुपचाप उठ कर बाहर आकर अपनी खाट पर सो गया।

इधर कुछ देर पहले की ही बात है छोटू खाना पीना खाकर आंगन में लेटा हुआ था, उसके घर में अगल बगल लेते हुए सब सो चुके थे, पर उसकी आंखों से नींद गायब थी क्योंकि उसके दिमाग में कुछ और ही द्वंद चल रहा था,
छोटू(मन में): अरे यार क्या करूं, आज जल्दी सो जाऊं?, कल जल्दी उठना भी है, कुछ समझ नहीं आ रहा, सोने का मन भी नही कर रहा।
छोटू कुछ पल सोचते हुए अपना सिर उठा कर इधर उधर देखता है तो पाता है सब सो रहे हैं, ये देखकर वो वापिस सिर नीचे कर के लेट जाता है और कुछ सोचने लगता है, कुछ पल बाद वो खाट पर उठ कर बैठ जाता है, और थोड़ा इंतज़ार करने के बाद धीरे धीरे खाट से उतरता है ताकि ज़्यादा आवाज़ न हो। खाट से उतर कर वो सावधानी से इधर उधर देखता है और फिर दबे पांव जहां जानवर बांधते हैं उस ओर चल देता है, वहां जाकर एक बार फिर से आंगन में नज़र मारकर वो सुनिश्चित करता है कि सब सो रहे हैं कि नहीं, सब ठीक जान कर वो एक कोने की ओर आता है और दीवार के सहारे जो भूसा और चारे के बोरे रखे थे उन पर चढ़ने लगता है, और जल्दी ही चढ़ने में सफल हो जाता है, बोरे पर खड़े हो कर वो थोड़ा उचक कर दीवार में बने मोखले में अपना सिर लगा देता है, और दूसरी ओर का दृश्य देख कर एक बार फिर से उसके बदन में रोज की तरह बिजली दौड़ने लगती है,
सीधे से बात की जाए तो ये है कि छोटू के घर में दो ही कमरे हैं एक में उसका परिवार रहता है और दूसरे में उसके चाचा चाची का, जानवरों के लिए पड़ा छप्पर जो है वो उसके चाचा संजय के कमरे की एक दीवार से टिका हुआ है और उसी तरफ कमरे का एक मौखला या रोशनदान भी था तो हमारे छोटू उस्ताद उसी मौखले का भरपूर फायदा उठा रहे हैं, वैसे उठाएं भी क्यों न जब सामने का दृश्य इतना मनोहर और कामुक हो तो,
छोटू देखता है कि कमरे में एक दिया जल रहा है और उसकी रोशनी में उसे बिस्तर पर अपनी चाची सुधा दिखती हैं जो बिल्कुल नंगी हैं और उनके नीचे चाचा भी दिखते हैं जो कि पूरा नंगे हैं, और अभी चाची अपनी चूत में चाचा का लंड लेकर उछल रही हैं, पर छोटू का सारा ध्यान तो चाची की मोटी चूचियों पर है जो हर झटके के साथ ऊपर नीचे हो रही हैं, चाची का सपाट पेट उसके बीच गोल गहरी नाभी अह्ह्ह्ह्ह ये देख छोटू के पूरे बदन में झुरझुरी होने लगती है, तभी उसके चाचा हाथ ऊपर लाकर चाची की चूचियों को मसलने लगते हैं, तो छोटू को अपने चाचा की किस्मत से जलन होने लगती है, छोटू का हाथ अपने आप ही पजामे में पहुंच भी जाता है और पजामे के अंदर ठुमकते उसके कड़क लंड को बाहर निकाल लाता है, छोटू की नजर तो अंदर ही टिकी रहती है, इसका फायदा उसका लंड उठता है और हाथ को आदेश करता है तो हाथ तुरंत ही उसे मुठियाना शुरू कर देता है,
पिछले कुछ दिनों से ही ताका झांकी का प्रोग्राम शुरू हुआ था और इसी कारण से छोटू सुबह उठने में लेट हो जाता था, क्योंकि रात को अपने चाचा चाची की चुदाई देखकर खुद को शांत करके सोना आप समझ ही सकते हैं कितनी मेहनत का काम है, हालांकि पहले दिन छोटू को बहुत ग्लानि हुई कि वो अपने मां बाप जैसे चाचा चाची को इस अवस्था में देख रहा है और उनके बारे में गलत विचार ला रहा है, उसने खुद के खूब कोसा, और प्रण भी लिया की आगे से ऐसा नहीं करूंगा, पर काम के आगे किसकी चली है, और ये तो ठहरा अपना छोटू, तो तब से ही झड़ने के बाद बेचारा रोज दृढ़ निश्चय करता कि अब से नहीं करूंगा, पर अगली रात फिर से आ जाता अपनी जगह।
वैसी ही रात आज थी पर आज की रात कुछ खास भी थी, क्योंकि अब तक जितनी बार भी उसने चाचा चाची की चुदाई देखी थी तो उसमे सुधा चाची को पूरा नंगा नहीं देखा था खास कर उनकी छाती को, क्यूंकि चुदते हुए भी वो ब्लाउज पहने रखती थी, पर आज वो पूरी नंगी थी, और उनकी उन्नत चूचियों की उछल कूद देख आज छोटू का मन गुलाठी मार रहा था, वो आज कुछ ज्यादा ही जोश में आ रहा था, और उसका हाथ भी उसी तेजी से उसके लंड पर चल रहा था, उसने एक पल को अपने हाथ को रोका और दोनों हाथों से अपने पजामे को कमर से नीचे सरका दिया, सुधा चाची को नंगा देख कर उसे भी नंगा होने का मन किया तो उसने तुरंत पजामे को पैरों में सरका दिया और फिर पैरों से भी एक एक पैर करके निकलने लगा, पर उसका सारा ध्यान कमरे के अंदर था, जैसे ही उसने पजामे से पैर बाहर निकाल कर रखा तो उसका पैर बोरे पर पड़ने की जगह पजामे पर ही पड़ गया और वो तुरंत नीचे सरकता हुआ आने लगा और उसके साथ ही बोरे भी, अचानक ये होने से उसकी गांड फट गई की कहीं आवाज सुन कर चाचा चाची को न पता चल जाए, अगले ही पल पहले बोरा गिरा और उसके ऊपर छोटू, पर क्योंकि बोरा भुस का था तो ज़्यादा आवाज़ नहीं हुई और नहीं छोटू को चोट लगी पर छोटू की गांड डर के मारे लूप लूप करने लगी, उसने सोचा अगर किसी ने भुस को ऐसे देखा तो कोई भी समझ जाएगा, वैसे भी कहते हैं ना कि चोर की दाढ़ी में तिनका वोही हाल छोटू का था,
वो तुरंत उठा और भुस का बोरा उठा कर जैसा था वैसा रखने लगा ये सब करते हुए उसे याद नहीं रहा कि वो नीचे से नंगा है उसका पजामा उतरा हुआ पड़ा है, पर छोटू ने तुरंत ही बोरे को जैसा था वैसा रख दिया रख कर हाथ जैसे ही हटाया कि उसे एक आवाज़ आई और उसे लगा आज उसका आखिरी दिन होने वाला है, और उसी पल उसकी नज़र नीचे पड़े पजामे पर पड़ी तो उसे याद आया वो नीचे से नंगा भी है, छोटू के तो मानो तोते उड़ गए ये सोचकर कि किसी ने उसे इस हालत में यहां देख लिया तो क्या होगा, बस यही सोचकर छोटू ने तुरंत पजामा उठाया और दूसरी ओर लपका, इधर बेचारी भैंस जो बोरे गिरने की वजह उठ गई थी उसने अचानक से छोटू को सफेद पजामा लहराते आता देखा तो वो डर गई, छोटू ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया पर जैसे ही छोटू भैंस के पास आया भैंस ने सिर झुकाकर छोटू को अपने सींगों में टांग कर फेंक दिया और छोटू उछल कर सीधा दूसरी भैंस पर गिरा जो अपने ऊपर छोटू के गिरते ही चिल्लाने लगी, छोटू का पजामा उछल कर छप्पर में अटक गया, और छोटू भैंस से टकराकर नीचे से नंगा होकर नीचे पड़ा था,
ये सब आवाज़ सुनकर आंगन में जो भी सोए थे तुरंत उठकर भागे, और पास आने लगे तो छोटू की गांड फट गई की अब क्या होगा तो अंत में उसे कुछ नहीं सूझा तो उसे बस एक उपाय दिखा, इधर उसकी दादी दादा मां बाप साथ ही उसके चाचा का बेटा राजेश और बेटी नीलम ये सब भी तेज़ी से दौड़ कर उसके पास पहुंचे,
राजेश: अरे क्या हुआ,
सोमपाल: कुछ आवाज़ आई
सुभाष: हां भैंस भी चिल्लाई,
सारे लोग तुरंत भैंस के पीछे आकर देखते हैं तो दंग रह जाते हैं छोटू नीचे पड़ा हुआ है नीचे से बिल्कुल नंगा ऊपर एक बनियान है और सो रहा है, छोटू को इस हालत में देख नीलम मुंह फेर लेती है और पीछे मुड़ जाती है, किसी को समझ नहीं आता क्या हो रहा है,
सुभाष: ए छोटू ए यहां क्या कर रहा है ऐसे उठ?
पर छोटू वैसा ही पड़ा रहता है और कुछ प्रतिक्रिया नहीं देता, बाकी सब भी उसे जगाने की कोशिश करते हैं पर छोटू कोई प्रतिक्रिया नहीं देता, राजेश छप्पर से उसका पजामा उतरता है और वो और सुभाष मिलकर उसे पहनाते हैं, इतने में सुधा और संजय भी बाहर आ जाते हैं, छोटू को फिर उठाकर बिस्तर पर लिटाया जाता है, छोटू अभी भी आंखें मीचे पड़ा हुआ है, उसकी मां पुष्पा तो रोना शुरू कर देती है: हाय हमारे लाल को क्या हो गया हाय हमारे लाल को क्या हो गया,
उसकी मां तो सिर्फ रोती हैं, पर उसकी दादी फुलवा तो आस पास भटकती आत्माओं और भूत प्रेतों को गाली सुनाने लगती हैं,
फुलवा: हमारी मानो ये जरूर उस उदयभान की लुगाई का काम है, कलमुही ज़िंदा रही तो भी गांव के लड़कों को अपने जाल में फांसती रही, रांड को मरने के बाद भी चैन नहीं, आ इतनी प्यास है तो सामने आ तेरी सारी प्यास बुझा दूंगी, छिनाल, नासपीटी।
सुभाष : शांत हो जाओ अम्मा।
फुलवा: अरे शांत कैसे हो जाऊं, उस दारी ने हमारे लल्ला को पकड़ा है, हमारे नाती को, छिनार को मरने के बाद भी चैन नहीं लेने दूंगी, कल ही इसका इलाज़ करवाती हूं,
छोटू मन ही मन सोच रहा था बच गया, हालांकि उदयभान की मृतक लुगाई को उसके कारण क्या क्या सुनना पड़ रहा था , पर छोटू ने मन ही मन उससे माफी मांगी की तुम तो मर ही गई हो मुझे ज़िंदा रहना है तो तुम्हारा सहारा लेना पड़ेगा। छोटू को मन ही मन ये उपाय ही ठीक लगा क्योंकि कौनसा उदयभान की लुगाई अपनी सफाई पेश करने आ रही थी।
आगे अगले अध्याय में, अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर दें।
Zabardast update bro.bas update regular dete rehna or story me pics or gif bhi add karo plz
 
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Zabardast bechaara chotu ....bach gaya nahi aaj toh kaam sa ho gaya tha...
हहाहा सही कहा भाई, बहुत बहुत धन्यवाद
 
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