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घबराते हुए उसने धक्का देकर अपने ससुर को अपने ऊपर से हटाया और बिस्तर से उठ कर अंदर की ओर भागी उसकी साड़ी प्यारेलाल के नीचे दब कर वहीं रह गई वो नंगी ही घर के अंदर की ओर भागी, आंखों में आंसुओं की धार बह रही थी, और मन जैसे फटने को हो रहा था और हों भी क्यों न कहां कुछ देर पहले तक वो एक संस्कारी पतिव्रता औरत थी और कहां उसने अपने पति को धोखा देकर किसी और से चुदवा लिया था और वो भी कोई और नहीं अपने ससुर से।
अंदर आकर वो सीधे कमरे में गई और बिस्तर पर लेट कर सुबकने लगी, काफी देर तक रोने के बाद उसे एहसास हुआ कि वो अभी भी नंगी है तो उसने तुरंत उठ कर कपड़े पहने और रोते रोते ही सो गई। अब आगे....
अगली सुबह हुई तो तड़के ही फुलवा उठी और अपने टोटके के लिए चल दी पिछली सुबह की तरह ही उसने नदी में स्नान किया और फिर नंगी होकर पेड़ के पास आई, पर आज वो थोड़ा असहज महसूस कर रही थी कल जो भी हुआ उसे सोच कर उसके मन में एक असहजता का आभास हो रहा था और साथ ही उत्तेजना का भी, उसने एक बार अच्छे से चारों ओर देखा अपने मन की जिज्ञासा शांत करने के लिए, उसे कोई आस पास नहीं दिखा, वो फिर झुककर बैठ गई और विधि अनुसार मंत्र पढ़ने लगी, कुछ देर ही हुई थी कि उसे अपने चूतड़ों पर एक हाथ का आभास हुआ और उसके बदन में बिजली दौड़ गई, अगले ही पल उसकी चूत के होंठों को फैलाता हुआ एक गरम लंड उसकी चूत में समाने लगा, उसके दांत अपने आप पिस गए और उसके हाथों ने अपने नीचे की घास को कस कर पकड़ लिया, एक दो झटके लगे और लंड उसकी चूत में जड़ तक समाया हुआ था, फुलवा के मुंह से सिसकियां निकलने लगीं उसके लिए मंत्र बोलना भी लगभग रुक ही गया पर वो फिर भी कोशिश कर रही थी, लंड ने धीरे धीरे अंदर बाहर होना शुरू कर दिया और फुलवा का बदन मचलने लगा, विधि के अनुसार वो आंखें नहीं खोल सकती थी जब तक मंत्र न पूरे हो जाएं तो आंखे बंद करके फुलवा अपनी चूत में इसी तरह धक्के लगवाने लगी तभी उसने महसूस किया जो हाथ उसकी कमर पर थे वो सरकते हुए उसकी कमर और फिर उसकी पपीते की आकार की चूचियों पर आ गए और उन्हें मसलने लगे, फुलवा तो इस हमले से पागल सी होने लगी और उसका बदन झटके खाने लगा,
ऐसे खुले में किसी अनजान व्यक्ति से चुदाई करवाना और फिर इस तरह अपने बदन से खेलने देना ये सब फुलवा के लिए बहुत उत्तेजक था, ऊपर से गरम कड़क लंड उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था, और उसे एक ऐसा अहसास दे रहा था जो जीवन में पहले कभी नहीं हुआ था, अपने पति के अलावा किसी और से चुदने का जो गलत होकर भी जो एक अलग एहसास था वो उसे पागल कर रहा था, जो भी उसकी चुदाई कर रहा था वो चुदाई की कला में निपुण था तभी तो कैसे उसके बदन से खेलना है उसे अच्छे से पता था उसके धक्के ऐसे थे कि फुलवा के वजूद को हिला रहे थे, चूचियों का मर्दन और तगड़े लंड की चुदाई का कुछ ऐसा असर फुलवा पर हुआ कि उसका बदन कांपने लगा और उसका पूरा बदन ऐंठने लगा, पर जो उसे चोद रहा था उसने अपने हाथों को उसकी चूचियों से हटाया और उसे ऐसे जकड़ लिया कि वो गिरे न और न ही उसके लंड से अलग हो, और ऐसे पकड़े हुए ही कुछ और धक्के उसकी चूत में लगा दिए, बस फुलवा के लिए इतना काफी था और वो स्खलित होने लगी, उसकी चूत पानी छोड़ने लगी और अपने रस से उस कड़क लंड को भिगोने लगी, फुलवा का स्खलन इतना ज़ोरदार था कि वो तो स्खलित होते ही मानो बेहोश हो गई, और बेजान होकर वहीं मिट्टी पर गिर पड़ी, उसकी आँखें बंद पहले से ही थी, फुलवा की ये हालत देख उस अनजान साए ने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और उसे पलट दिया, अब फुलवा अपनी पीठ पर उसके सामने बिल्कुल नंगी पड़ी थी, वो अनजान साया फुलवा को देखते हुए अपने लंड को अपने हाथों से पकड़ कर हिलाने लगा और कुछ ही पलों में उसके लंड से धार निकली जो कि फुलवा के चेहरे और छाती पर गिरी,
इसी तरह एक के बाद एक कई धारों ने फुलवा के चेहरे और छाती को उसके रस से सना दिया,
कुछ पल बाद फुलवा को होश आया तो उसने खुद को पेड़ के बगल में नंगा पाया वो तुरंत उठ कर बैठ गई, और इधर उधर अपने कपड़े तलाशने लगी, इसी बीच उसका ध्यान उसकी छाती पर गया तो उसने हाथ लगा कर रस को अपनी उंगलियां में समेत कर उठाया और नाक के पास लाकर सूंघने लगी वो समझ गई कि वो क्या है, दूसरा हाथ अपने आप उसकी चूत पर पहुंच गया जो अपने रस से सराबोर थी, अपनी चूत को सहलाते हुए फुलवा ने अपनी रस से सनी उंगलियों को देखा तो उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान आ गई।
जहां पत्नी नदी किनारे पूरी नंगी होकर चुद रही थी सोमपाल सुबह उठ कर खेत की ओर चल दिए, इतने में ही पीछे से कुंवरपाल ने आवाज लगाई तो रुक गए,
कुंवरपाल: अरे रुक जा हम भी चल रहे,
कुंवरपाल ने हाथ में लोटा पकड़े आते हुए कहा,
सोमपाल: आ जा आजा, प्यारे कहां है?
कुंवर पाल: अरे आया नहीं वो आज वैसे तो सबसे पहले जाग जाता है,
सोमपाल: लगता है रात की ताड़ी का तगड़ा असर हुआ है, चल चबूतरे से ही उठाते हैं सो रहा होगा अभी,
इस पर दोनों हंसने लगे, और आगे प्यारेलाल के चबूतरे की ओर बढ़ गए, जा कर देखा तो प्यारेलाल अभी भी सो रहा था,
सोमपाल: इसकी तो हालत कुछ ज्यादा ही बिगड़ गई भाई, देख कैसे सो रहा है,
कुंवरपाल: बिगड़ गई या बन गई देख तो बेशर्म को,
कुंवरपाल ने प्यारेलाल की खुली धोती की ओर इशारा करते हुए कहा जिसके बीच उसका लंड नंगा सोता हुआ दिखाई दे रहा था,
सोमपाल: धत्त तेरी की, अरे उठा इसे नहीं तो बच्चा औरतें आने लगी तो थू थू हो जाएगी,
कुंवारपा तुरंत अपने लौटे से पानी अपने हाथ में लेता है और छींटे प्यारेलाल के चेहरे पर मारता है और अगले ही पल प्यारेलाल हड़बड़ा के उठता है और इधर उधर देखता है, और अपने दोनों यारों को अपने अगल बगल खड़ा पाता है, तुरंत उठ कर बैठ जाता है,
कुंवरपाल: उठ धी के लंड, ऐसे सो रहा है कुछ शर्म लाज है कि नहीं,
प्यारेलाल: हैं क्या हुआ?
सोमपाल: अरे क्या हुआ क्या, अपनी धोती देख।
प्यारेलाल तुरंत नीचे देखता है और अपनी धोती और कच्छे को खुला देख चौंक जाता है और तुरंत खाट से उठ कर सही से बांधता है और बांधते हुए उसे रात जो हुआ वो याद आने लगता है,
कुंवरपाल: अब क्या हुआ ऐसे बावरों की तरह क्यों सोच रहा है?
प्यारेलाल: यार रात को बहुत अजीब किस्सा हुआ है,
सोमपाल: ऐसा क्या हो गया जो तू अपनी सुध बुध खोकर अधनंगा सो रहा था,
प्यारेलाल: बताता हूं बैठो तो सही,
प्यारेलाल दोनों को खाट पर बैठाता हैं और फिर फुसफुसा कर दोनों को बताने लगता है,
प्यारेलाल: अरे यार रात को लल्ला की अम्मा आई थी मुझसे मिलने और उसकी चुदाई की मैंने,
सोमपाल: का भौजी आई थी मिलने और तूने उनकी चुदाई की, सही में बौरा गया है तू,
प्यारेलाल: अरे मेरी बात तो सुनो,
फिर प्यारेलाल रात की पूरी बात सुनाता है, उसकी कहानी खत्म होने पर दोनों हंसने लगते हैं,
कुंवरपाल: साले तुझपे ताड़ी का नशा झेला नहीं जाता, इसीलिए ऐसे सपने आते हैं तुझे,
सोमपाल: और क्या साले कम से कम मरी हुई भौजी को अब तो आराम करने दे,
प्यारेलाल: अरे यार तुम समझ नहीं रहे मैं सच बोल रहा हूं,
कुंवरपाल: अब चल सुन लिया तेरा सच सिधारी हुई भौजी को अपनी हवस के लिए परेशान कर रहा है, अब उठ खेत चल रहे हैं,
प्यारेलाल भीं अपना सिर खुजाता हुआ खड़ा होता है उसे भी लगने लगता है उसने सपना ही देखा है तो वो खड़ा होता हैं और अपना बिस्तर समेटने लगता है, कि तभी उसकी नज़र एक जगह रुक जाती है और वो ज्यों का त्यों अटक जाता है,
सोमपाल: क्या हुआ अब रुक क्यों गया? फिर से भौजी दिखने लगी,
प्यारेलाल: अरे नहीं तुम लोगों को मैं झूठा लग रहा हूं तो ये बताओ कि ये तुम्हारी भौजी की ये धोती यहां कैसे आई?
प्यारेलाल ने खाट के नीचे पड़ी धोती उठा कर दोनों को दिखाते हुए कहा,
सोमपाल: ये भौजी की धोती है?
प्यारेलाल: हां उसी की है?
कुंवरपाल: तो साले तू ही लाकर सो गया होगा रात में नशे में,
सोमपाल: और क्या नशे में तूने ही सब किया है।
प्यारेलाल: साले तुम दोनों बच्चों जैसी बातें कर रहे हो, रुको,
ये कहकर उसने धोती को अपने बिस्तर के नीचे ही दबा दिया।
प्यारेलाल: आगे चलते हुए बातें करते हैं।
प्यारेलाल ने खाट के नीचे रखा लौटा उठाया और तीनों खेत की ओर चल दिए,
सोमपाल: अब बता कि तू ही लाया था न धोती रात को,
प्यारेलाल: नहीं, उसके कपड़े तो उसके सिधारने के बाद कमरे में संदूक में बंद करके रख दिए थे,
कुंवरपाल: तो धोती तूने नहीं निकाली संदूक से?
प्यारेलाल: अरे नहीं यार तुम दोनों बताओ लड़कों के ब्याह के बाद हम लोग कभी अपने घर के कमरों में भी गए हैं संदूक छूना तो दूर की बात है,
सोमपाल: हां यार ये बात तो है, बहु आने के बाद तो कमरे में जाने का सवाल ही नहीं उठता,
कुंवरपाल: हां मैं भी नहीं गया कभी,
प्यारेलाल: अब खुद सोचो कि मैं धोती कैसे निकालूंगा।
कुंवरपाल: देख कह तो तू सही रहा है पर फिर भी ईमानदारी से बता तू नहीं लाया धोती कहीं से भी,
प्यारेलाल: भूरा की कसम यार ना मैं धोती लाया और न ही मैं कुछ झूठ बोल रहा हूं, रात तुम्हारी भौजी ही आई थी और मैंने उसकी चुदाई की भी।
ये सुनकर दोनों सोच में पड़ जाते हैं, कुछ देर सोचने के बाद सोमपाल कहता है: कुछ सोचते हैं इस बारे में।
तीनों आगे बढ़ जाते हैं।
पुष्पा की नींद खुली तो उसने खुद को अपने बेटे की बाहों में नंगा पाया वो भी पूरा नंगा था पुष्पा कुछ देर आँखें खोल कर अपने बेटे के चेहरे को देखती रही सोते हुए बहुत प्यारा लग रहा था, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका बेटा इतना बड़ा हो गया था कि उसके बदन को रात भर उसने अच्छे से मसला था, कुछ पल बाद पुष्पा उठी और धीरे से छोटू के हाथ को अपने ऊपर से हटाया और उसे सीधा कर दिया और खुद उठ कर बैठ गई, उसके बदन में एक अजीब सा मीठा मीठा दर्द हो रहा था, जो उसकी रात भर हुई बदन तोड़ चुदाई का साक्ष्य था,
उठ कर वो अपने कपड़े ढूंढने लगी, और इधर उधर देखते हुए उसकी नज़र छोटू के आधे खड़े लंड पर पड़ी, उसे देख उसके बदन में फिर से एक सिरहन होने लगी, कुछ पल वो टक टकी लगाकर उसे देखती रही और फिर खुद को संभाला और उठ कर अपने कपड़े पहने, खुद बिल्कुल तैयार हुई और फिर छोटू को उठाया,
पुष्पा: उठ बेटा उठ कपड़े पहन ले अपने,
छोटू नींद में ही उठा और अपना पजामा वगैरा पहन कर दोबारा सो गया, फिर पुष्पा बाहर निकली, बाहर निकलते हुए वो मन ही मन सोच रही थी कि आज उसके साथ कुछ अजीब हो रहा था, कल जब वो उठी थी तो उसे इतनी ग्लानि हुई थी पूरा दिन उसके मन में अपने लिए घृणा का भाव आ रहा था, सुबह तो उसके आंसू ही नहीं थम रहे थे, पर आज उसने उससे भी बड़ा पाप किया था अपने ही बेटे के साथ पर आज उसके मन में कोई ग्लानि नहीं हो रही थी, वो चाह रही थी बार बार अपने आपको कोसने की कोशिश कर रही थी पर आज उसे मन से बुरा लग ही नहीं रहा था, बल्कि उसे आज बहुत हल्का हल्का लग रहा था, बदन में एक मीठा मीठा सा दर्द का एहसास हो रहा था वहीं मन में एक सुख का अनुभव था, वो समझ नहीं पा रही थी कि ऐसा क्यों हो रहा है,
ख़ैर जल्दी ही सुधा भी जाग गई और दोनों बाहर जाकर अपनी टोली से मिलीं और फिर खेतों की ओर चल दीं। आज पुष्पा भी खूब चहक चहक कर सबसे मज़ाक कर रही थी जो कि उसका स्वभाव भी था, चारों में सिर्फ एक का मुंह आज बंद था और वो थी रत्ना, उसके दिमाग में तो अपने ससुर के साथ की चुदाई ही चल रही थी, वो जितना उसे अपने दिमाग से निकालने की कोशिश करती वो सब उतना ही उसके दिमाग में आता,
यहां औरतें अपनी बातों में व्यस्त थीं वहीं भूरा तेजी से भागता हुआ जा रहा था सड़क पर इधर उधर देख कर वो खेत में अंदर घुसने के लिए जैसे ही मुड़ता है अचानक किसी से टकरा जाता है टकराने पर हैरान होकर सामने देखता है तो उसका मुंह बन जाता है।
भूरा: तू यहां क्या कर रहा है?
वो सामने खड़े लल्लू को देख कर तुनक कर कहता है,
लल्लू: क्यों बे इस खेत पर तेरा नाम लिखा है का?
भूरा: छोड़ मुझे तुझसे बात ही नहीं करनी,
ये कह भूरा उठ के मूड कर जाने लगता है,
लल्लू: क्यों आज बिना काम निपटाए ही जा रहा है?
भूरा: मुझे कोई काम नहीं है।
लल्लू: अच्छा तो ऐसे भाग के कहां जा रहा था अपनी गांड मरवाने?
भूरा: देख भेंचो मैं तुझे गाली नहीं दे रहा तो तू भी मत दे, वैसे भी मुझे तुझसे कोई मतलब नहीं।
ये कहकर भूरा चल देता है तो लल्लू उसकी कमीज पीछे से पकड़ लेता है।
लल्लू: अच्छा ठीक है अब बुरा मत मान यार, भूल जा बीती बातें।
भूरा: मुझे न भूलना कुछ और न याद करना है।
लल्लू: अरे यार समझ ना कल जिस टेम तू आया था उस टेम मेरी गांड किलस रही थी बहुत बुरी। एक तो मेरे बाप ने पूरी रात भर खेत करवाया उसके बाद भी सुबह सोचा तेरे साथ सुबह का प्रोग्राम करूंगा तो उसमें भी अड़चन लगा दी और मैं बुरा किलस गया और सारा गुस्सा तुझ पर निकल गया,
भूरा कुछ देर चुप रहता है,
लल्लू: अब मुंह बना कर रखेगा तो आज का भी प्रोग्राम निकल जाएगा, चल जल्दी। नहीं तो मेरी गांड देखनी पड़ेगी। ये सुन भूरा को हंसी आ जाती है वैसे भी भूरा अपने दोस्त से ज़्यादा देर गुस्सा नहीं रह सकता था, इसलिए तुरंत तैयार हो गया, भूरा: आज छोड़ रहा हूं आगे से ऐसा किया तो तेरी गांड चीर दूंगा।
लल्लू: हां भाई चीर लियो अब जल्दी चल। दोनों फुर्ती में और सावधानी से अंदर बढ़ने लगते हैं, कि तभी भूरा की कुछ ध्यान आता है और उसके कदम रुक जाते हैं, वो सोचने लगता है अगर लल्लू ने देख लिया और उसे पता चल गया कि उसकी और मेरी मां सुधा चाची और पुष्पा चाची भी यहीं बैठती है तो क्या होगा वो तो मेरी जान ले लेगा, अब क्या करूं कैसे रोकूं उसे,
लल्लू पीछे मूड कर उसे देखता हैं और फुसफुसाते हुए आगे बढ़ने का इशारा करता है और फिर से आगे बढ़ने लगता है, भूरा को समझ नहीं आता क्या करे, उसका दिमाग तेजी से चलने लगता है तभी उसके दिमाग में एक बात आती है कि लल्लू को थोड़े ही पता मैं ये सब कल भी देख चुका हूं मुझे बस ऐसे दिखाना कि मैं पहली बार देख रहा हूं,
ये सोचते हुए वो आगे बढ़ता है और धीरे धीरे दोनों खेत के किनारे पहुंच जाते हैं, दूसरी ओर से आती हुई आवाजों को सुन लल्लू के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वो भूरा को चुप रहने का इशारा करते हुए धीरे धीरे आगे बढ़ कर घुटनों के बल आगे होता है और अपना चेहरा आगे कर सावधानी से झाड़ियों के बीच आगे कर झांकता है और सामने का नज़ारा देख उसकी आंखें चौड़ी हो जाती हैं, वो तुरंत खुशी से पलट कर भूरा को देखता है और उसे तुंरत आगे आ कर देखने को कहता है, मन तो भूरा का था ही वो भी लल्लू के बगल में जगह लेता है और अपनी आँखें फिर से लगा देता है, आज भी कल जैसा ही नज़ारा था चार एक से बढ़कर एक गांड़ उसकी आंखों के सामने थीं, पर वो जानता था ये सुन्दर चूतड़ किस किस के हैं, उसका लंड तुरंत कड़क हो जाता है, तभी उसे अपनी बगल में कुछ आहट होती है तो वो उधर देखता है तो पाता है कि लल्लू ने तो अपना लंड निकाल कर मुठियाना भी शुरू कर दिया था,
लल्लू: ओह भेंचो आज तो भाग खुल गए यार एक की जगह चार चार मोटी मोटी सुंदर गांड देखने को मिल रही हैं।
लल्लू ने फुसफुसाते हुए कहा,
भूरा: हां यार सारी एक से बढ़कर एक हैं पता नहीं ये कौन कौन हैं?
भूरा ने भी फुसफुसाते हुए जवाब दिया,
लल्लू: जो भी हो यार हैं बड़ी मस्त, अरे रुक ये दूसरे नंबर वाली तो पुष्पा चाची की ही है, मुझे अच्छे से याद है उनकी।
भूरा: हां यार वही लग रही हैं मुझे तो, पर बाकी की तीन समझ नहीं आ रहीं,
भूरा ने अपना नाटक जारी रखते हुए कहा,
लल्लू: हां यार पर बाकी की गांड भी बड़ी मस्त हैं पता चल जाता कौन हैं तो मज़ा आ जाता,
भूरा मन ही मन सोचता है साले पता चल जायगा तो तेरी फट जाएगी,
उधर चारों औरतें भी आपस में बातें कर रहीं थीं,
लल्लू तभी भूरा को चुप रहने का इशारा करता है और धीरे से कहता है कि चुप रह इनकी बातें सुनते हैं क्या पता चल जाए कौन कौन हैं।
दोनों कान लगाकर सुनने लगते हैं तो सबसे पहले लल्लू को एक आवाज सुनाई देती है जिसे सुनकर वो तुरंत कहता है: अरे ये तो पक्का सुधा चाची हैं पुष्पा चाची के बगल में, हाय उनकी गांड है सबमें छोटी पर चूतड़ बड़े मस्त हैं गोल मटोल से।
भूरा: हां यार पुष्पा और सुधा चाची दोनों ही मस्त हैं एक दम।
लल्लू: अब ये दोनों किनारों वाली का और पता लगाना है,
तभी उसके कानों में एक आवाज पड़ती है, अरे आज तू चुप क्यों है रत्ना?
और रत्ना सुनकर वो चौंक जाता है क्योंकि रत्ना तो भूरा की मां का नाम था, मतलब एक कोने वाली भूरा की मां है, वो सोचने लगता है अब भूरा क्या करेगा पर तभी उसका दिमाग घूमता है और वो सोचता है पर जिसने ये बोला वो आवाज तो.... मेरी मां की है,
ये खयाल आते ही उसका लंड रस छोड़ने लगता है, एक के बाद एक धार उसके लंड से छूटने लगती है उसकी आँखें अपनी मां के चूतड़ों पर टिकी की टिकी रह जाती है, इधर भूरा भी झड़ रहा होता हैं और वो भी अपनी मां की गांड को टक टकी लगाकर देख रहा होता है, झड़ने के बाद दोनों शांत होते हैं तो लल्लू तुरंत अपना पजामा ऊपर कर बापिस चल देता है और भूरा उसके पीछे पीछे।
भूरा तो पहले ही ये झेल चुका था पर वो जता नहीं सकता था वो लल्लू के पीछे पीछे चल देता है लल्लू सोचता हुआ चलता चला जाता है और सीधा नदी के किनारे आकर रुकता है, दोनों शांत होकर खड़े रहते हैं काफी देर की चुप्पी के बाद लल्लू बोलता है,
लल्लू: भेंचो बहुत बड़ा कांड हो गया यार पाप हो गया,
भूरा: हां यार भेंचो ऐसा तो सोचा भी नहीं था कि ऐसा हो सकता है, हमारी बुद्धि ही काम न करी।
लल्लू: ये सब न हमारे कर्मों की सजा है भाई, हमने छोटू के साथ धोखा किया और उसकी मां को गलत हालत में देखा और हिलाया, तो उसी की सज़ा हमें मिली और आज हमने अपनी मां को देख कर हिला लिया।
भूरा: हां भाई बहुत बड़ी गलती हो गई है हमसे अब का करें कुछ समझ नहीं आ रहा?
लल्लू: हां यार भेंचो हमारे दिमाग को न जाने हुआ क्या है? अपनी ही मां की गांड देख कर कैसे हिला सकते हैं हम लोग? इतना बड़ा पाप कैसे कर सकते हैं?
भूरा: पता नहीं यार पर हमें पता थोड़े ही था कि वो चूतड़ हमारी मां के हैं, देखने में अच्छे लगे तो शायद इसीलिए हमने ये सब किया,
ये सुनकर लल्लू थोड़ा चुप हो जाता है, और कुछ सोचने लगता है,
लल्लू: एक काम करते हैं जो हुआ उसे दिमाग से निकालने की कोशिश करते हैं, और सब भूल कर आज के बाद कभी ऐसा नहीं करेंगे।
भूरा: ठीक है,
लल्लू: आंखें बंद करते हैं और इस सब को अपने दिमाग से हटाते हैं,
लल्लू ये कहकर अपनी आँखें बंद करता है पर वो जिस दृश्य को हटाने की कोशिश करता है वही उसे दिखाई देता है और वो दृश्य होता है उसकी मां की गांड का, चारों औरतों में उसकी मां के चूतड़ सबसे बड़े थे और दरार भी गहरी नज़र आ रही थी, उसकी आंखों के सामने से उसकी मां के चूतड़ हट नहीं रहे थे,
तभी उसे अपने बगल से अह मां ऐसी सिसकी सुनाई देती है तो वो आंखें खोल कर देखता है और चौंक जाता है, वो देखता है कि भूरा की आंखें बंद हैं पर वो अपने हाथ से पजामे के ऊपर से ही लंड सहलाता हुआ सिसकियां ले रहा है वो भी अपनी मां के नाम की।
लल्लू तुरंत उसे हाथ मारकर जैसे होश में लाता है।
लल्लू: साले तुझे मैंने कहा कि उस बात को दिमाग से निकाल तू कुछ और ही करने लगा, माना तब अनजाने में हुआ पर अभी जान बुझ कर करना तो महा पाप है।
भूरा उसे कुछ पल देखता है और फिर अपना पजामा नीचे खिसका कर अपने कड़क लंड को बाहर निकाल लेता है और कहता है: भाई अब पापी कह ले या महा पापी पर अभी अगर मैंने नहीं हिलाया तो मैं पागल हो जाऊंगा।
ये कहकर भूरा अपने लंड को मुठियाने लगता है आँखें फिर से बंद हो जाती हैं और मुंह से सिसकियां निकलने लगती हैं: अह्ह मां कितने मस्त चूतड़ हैं तुम्हारे, अह्ह मां,
लल्लू उसे आँखें फाड़े देख रहा होता है इसलिए नहीं कि वो अपनी मां के नाम की मुठ्ठी मार रहा था बल्कि इसलिए कि साले में इतनी हिम्मत है कि ये जानते हुए भी गलत है फिर भी कर पा रहा है और यहां वो नाटक कर रहा है, जबकि चाहता तो वो भी यही है कि अपने मां के चूतड़ों को याद करके खूब लंड हिलाए,
कुछ पल यूं ही खड़े रहने के बाद आखिर वो फैसला कर लेता है और फिर उसका पजामा भी नीचे होता है और आंखे बंद कर अपनी मां के नाम की मुठ्ठी लगाने लगता है,
लल्लू: अह्ह मां इतने मस्त और भरे चूतड़ मैंने किसी के नहीं देखे, अह्ह मन करता है अपना लंड घुसा दूं तुम्हारे चूतड़ों के बीच।
दोनों इसी तरह से अपनी अपनी मां को याद करके अपने अपने लंड हिलाते हैं और फिर पानी गिराने के बाद शांत होते हैं,
झड़ने के बाद दोनों पीछे ऐसे ही लेट जाते हैं,
भूरा: अह्ह यार मज़ा आ गया।
लल्लू: सही में यार इतना तगड़ा तो मैं किसी के लिए भी नहीं झड़ा जितना अपनी मां के चूतड़ों को याद करके झड़ा।
भूरा: तो गलत भी नहीं है यार ताई के चूतड़ हैं भी तो इतने मोटे
लल्लू भूरा के मुंह से ये सुनकर आंखें चढ़ाकर उसे देखने लगता है, पर अगले ही पल मुस्कुराने लगता है।
लल्लू: वैसे तो अगर तू मेरी मां के बारे में कुछ बोलता तो तेरी गांड छील देता पर हम जिस मोड पर आ गए हैं वहां सब चलता है, वैसे साले चाची की गांड भी कम नहीं थी, एक दम कसी हुई लग रही थी,
भूरा: हां यार ये तो सही कहा तूने,
लल्लू: वैसे हमने सोचा भी नहीं था कि हम पूरे गांव की औरतों की गांड देखने के पीछे पड़ेंगे, और सबसे मस्त गांडे हमारे अपने घरों में होंगी।
दोनों को ऐसे खुल कर बात करने में मजा आ रहा था,
भूरा: अरे हमारा तो ठीक है साले छोटूआ की किस्मत तेज है साले के घर में दो दो हैं।
लल्लू: हां यार ये तो सही कहा तूने। और दोनों ही कम नहीं हैं।
भूरा: पर तुझे क्या लगता है छुटुआ कभी हमारे जितना खुल पाएगा?
लल्लू: खुलेगा नहीं तो खोलना पड़ेगा, साले को अपने साथ लेना पड़ेगा।
भूरा: कुछ योजना बनानी पड़ेगी।
लल्लू: हां बनायेंगे पर मेरा फिर से खड़ा हो गया मां के बारे में सोच कर एक बार और हिलाते हैं।
दोनों फिर से एक एक बार अपना पानी गिराते हैं और फिर बातें करते हुए गांव के अंदर की ओर चल देते हैं।
Bahut hi gajab bhai, kya likhte ho yaar saare scene bilkul mast banaate ho upar se characters ke beech ki baatein bilkul lively lagti hain, aur likhne mein kamukta ka jo tadka lagate ho bhai gajab hai, likhte raho isi tarah.
घबराते हुए उसने धक्का देकर अपने ससुर को अपने ऊपर से हटाया और बिस्तर से उठ कर अंदर की ओर भागी उसकी साड़ी प्यारेलाल के नीचे दब कर वहीं रह गई वो नंगी ही घर के अंदर की ओर भागी, आंखों में आंसुओं की धार बह रही थी, और मन जैसे फटने को हो रहा था और हों भी क्यों न कहां कुछ देर पहले तक वो एक संस्कारी पतिव्रता औरत थी और कहां उसने अपने पति को धोखा देकर किसी और से चुदवा लिया था और वो भी कोई और नहीं अपने ससुर से।
अंदर आकर वो सीधे कमरे में गई और बिस्तर पर लेट कर सुबकने लगी, काफी देर तक रोने के बाद उसे एहसास हुआ कि वो अभी भी नंगी है तो उसने तुरंत उठ कर कपड़े पहने और रोते रोते ही सो गई। अब आगे....
अगली सुबह हुई तो तड़के ही फुलवा उठी और अपने टोटके के लिए चल दी पिछली सुबह की तरह ही उसने नदी में स्नान किया और फिर नंगी होकर पेड़ के पास आई, पर आज वो थोड़ा असहज महसूस कर रही थी कल जो भी हुआ उसे सोच कर उसके मन में एक असहजता का आभास हो रहा था और साथ ही उत्तेजना का भी, उसने एक बार अच्छे से चारों ओर देखा अपने मन की जिज्ञासा शांत करने के लिए, उसे कोई आस पास नहीं दिखा, वो फिर झुककर बैठ गई और विधि अनुसार मंत्र पढ़ने लगी, कुछ देर ही हुई थी कि उसे अपने चूतड़ों पर एक हाथ का आभास हुआ और उसके बदन में बिजली दौड़ गई, अगले ही पल उसकी चूत के होंठों को फैलाता हुआ एक गरम लंड उसकी चूत में समाने लगा, उसके दांत अपने आप पिस गए और उसके हाथों ने अपने नीचे की घास को कस कर पकड़ लिया, एक दो झटके लगे और लंड उसकी चूत में जड़ तक समाया हुआ था, फुलवा के मुंह से सिसकियां निकलने लगीं उसके लिए मंत्र बोलना भी लगभग रुक ही गया पर वो फिर भी कोशिश कर रही थी, लंड ने धीरे धीरे अंदर बाहर होना शुरू कर दिया और फुलवा का बदन मचलने लगा, विधि के अनुसार वो आंखें नहीं खोल सकती थी जब तक मंत्र न पूरे हो जाएं तो आंखे बंद करके फुलवा अपनी चूत में इसी तरह धक्के लगवाने लगी तभी उसने महसूस किया जो हाथ उसकी कमर पर थे वो सरकते हुए उसकी कमर और फिर उसकी पपीते की आकार की चूचियों पर आ गए और उन्हें मसलने लगे, फुलवा तो इस हमले से पागल सी होने लगी और उसका बदन झटके खाने लगा,
ऐसे खुले में किसी अनजान व्यक्ति से चुदाई करवाना और फिर इस तरह अपने बदन से खेलने देना ये सब फुलवा के लिए बहुत उत्तेजक था, ऊपर से गरम कड़क लंड उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था, और उसे एक ऐसा अहसास दे रहा था जो जीवन में पहले कभी नहीं हुआ था, अपने पति के अलावा किसी और से चुदने का जो गलत होकर भी जो एक अलग एहसास था वो उसे पागल कर रहा था, जो भी उसकी चुदाई कर रहा था वो चुदाई की कला में निपुण था तभी तो कैसे उसके बदन से खेलना है उसे अच्छे से पता था उसके धक्के ऐसे थे कि फुलवा के वजूद को हिला रहे थे, चूचियों का मर्दन और तगड़े लंड की चुदाई का कुछ ऐसा असर फुलवा पर हुआ कि उसका बदन कांपने लगा और उसका पूरा बदन ऐंठने लगा, पर जो उसे चोद रहा था उसने अपने हाथों को उसकी चूचियों से हटाया और उसे ऐसे जकड़ लिया कि वो गिरे न और न ही उसके लंड से अलग हो, और ऐसे पकड़े हुए ही कुछ और धक्के उसकी चूत में लगा दिए, बस फुलवा के लिए इतना काफी था और वो स्खलित होने लगी, उसकी चूत पानी छोड़ने लगी और अपने रस से उस कड़क लंड को भिगोने लगी, फुलवा का स्खलन इतना ज़ोरदार था कि वो तो स्खलित होते ही मानो बेहोश हो गई, और बेजान होकर वहीं मिट्टी पर गिर पड़ी, उसकी आँखें बंद पहले से ही थी, फुलवा की ये हालत देख उस अनजान साए ने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और उसे पलट दिया, अब फुलवा अपनी पीठ पर उसके सामने बिल्कुल नंगी पड़ी थी, वो अनजान साया फुलवा को देखते हुए अपने लंड को अपने हाथों से पकड़ कर हिलाने लगा और कुछ ही पलों में उसके लंड से धार निकली जो कि फुलवा के चेहरे और छाती पर गिरी,
इसी तरह एक के बाद एक कई धारों ने फुलवा के चेहरे और छाती को उसके रस से सना दिया,
कुछ पल बाद फुलवा को होश आया तो उसने खुद को पेड़ के बगल में नंगा पाया वो तुरंत उठ कर बैठ गई, और इधर उधर अपने कपड़े तलाशने लगी, इसी बीच उसका ध्यान उसकी छाती पर गया तो उसने हाथ लगा कर रस को अपनी उंगलियां में समेत कर उठाया और नाक के पास लाकर सूंघने लगी वो समझ गई कि वो क्या है, दूसरा हाथ अपने आप उसकी चूत पर पहुंच गया जो अपने रस से सराबोर थी, अपनी चूत को सहलाते हुए फुलवा ने अपनी रस से सनी उंगलियों को देखा तो उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान आ गई।
जहां पत्नी नदी किनारे पूरी नंगी होकर चुद रही थी सोमपाल सुबह उठ कर खेत की ओर चल दिए, इतने में ही पीछे से कुंवरपाल ने आवाज लगाई तो रुक गए,
कुंवरपाल: अरे रुक जा हम भी चल रहे,
कुंवरपाल ने हाथ में लोटा पकड़े आते हुए कहा,
सोमपाल: आ जा आजा, प्यारे कहां है?
कुंवर पाल: अरे आया नहीं वो आज वैसे तो सबसे पहले जाग जाता है,
सोमपाल: लगता है रात की ताड़ी का तगड़ा असर हुआ है, चल चबूतरे से ही उठाते हैं सो रहा होगा अभी,
इस पर दोनों हंसने लगे, और आगे प्यारेलाल के चबूतरे की ओर बढ़ गए, जा कर देखा तो प्यारेलाल अभी भी सो रहा था,
सोमपाल: इसकी तो हालत कुछ ज्यादा ही बिगड़ गई भाई, देख कैसे सो रहा है,
कुंवरपाल: बिगड़ गई या बन गई देख तो बेशर्म को,
कुंवरपाल ने प्यारेलाल की खुली धोती की ओर इशारा करते हुए कहा जिसके बीच उसका लंड नंगा सोता हुआ दिखाई दे रहा था,
सोमपाल: धत्त तेरी की, अरे उठा इसे नहीं तो बच्चा औरतें आने लगी तो थू थू हो जाएगी,
कुंवारपा तुरंत अपने लौटे से पानी अपने हाथ में लेता है और छींटे प्यारेलाल के चेहरे पर मारता है और अगले ही पल प्यारेलाल हड़बड़ा के उठता है और इधर उधर देखता है, और अपने दोनों यारों को अपने अगल बगल खड़ा पाता है, तुरंत उठ कर बैठ जाता है,
कुंवरपाल: उठ धी के लंड, ऐसे सो रहा है कुछ शर्म लाज है कि नहीं,
प्यारेलाल: हैं क्या हुआ?
सोमपाल: अरे क्या हुआ क्या, अपनी धोती देख।
प्यारेलाल तुरंत नीचे देखता है और अपनी धोती और कच्छे को खुला देख चौंक जाता है और तुरंत खाट से उठ कर सही से बांधता है और बांधते हुए उसे रात जो हुआ वो याद आने लगता है,
कुंवरपाल: अब क्या हुआ ऐसे बावरों की तरह क्यों सोच रहा है?
प्यारेलाल: यार रात को बहुत अजीब किस्सा हुआ है,
सोमपाल: ऐसा क्या हो गया जो तू अपनी सुध बुध खोकर अधनंगा सो रहा था,
प्यारेलाल: बताता हूं बैठो तो सही,
प्यारेलाल दोनों को खाट पर बैठाता हैं और फिर फुसफुसा कर दोनों को बताने लगता है,
प्यारेलाल: अरे यार रात को लल्ला की अम्मा आई थी मुझसे मिलने और उसकी चुदाई की मैंने,
सोमपाल: का भौजी आई थी मिलने और तूने उनकी चुदाई की, सही में बौरा गया है तू,
प्यारेलाल: अरे मेरी बात तो सुनो,
फिर प्यारेलाल रात की पूरी बात सुनाता है, उसकी कहानी खत्म होने पर दोनों हंसने लगते हैं,
कुंवरपाल: साले तुझपे ताड़ी का नशा झेला नहीं जाता, इसीलिए ऐसे सपने आते हैं तुझे,
सोमपाल: और क्या साले कम से कम मरी हुई भौजी को अब तो आराम करने दे,
प्यारेलाल: अरे यार तुम समझ नहीं रहे मैं सच बोल रहा हूं,
कुंवरपाल: अब चल सुन लिया तेरा सच सिधारी हुई भौजी को अपनी हवस के लिए परेशान कर रहा है, अब उठ खेत चल रहे हैं,
प्यारेलाल भीं अपना सिर खुजाता हुआ खड़ा होता है उसे भी लगने लगता है उसने सपना ही देखा है तो वो खड़ा होता हैं और अपना बिस्तर समेटने लगता है, कि तभी उसकी नज़र एक जगह रुक जाती है और वो ज्यों का त्यों अटक जाता है,
सोमपाल: क्या हुआ अब रुक क्यों गया? फिर से भौजी दिखने लगी,
प्यारेलाल: अरे नहीं तुम लोगों को मैं झूठा लग रहा हूं तो ये बताओ कि ये तुम्हारी भौजी की ये धोती यहां कैसे आई?
प्यारेलाल ने खाट के नीचे पड़ी धोती उठा कर दोनों को दिखाते हुए कहा,
सोमपाल: ये भौजी की धोती है?
प्यारेलाल: हां उसी की है?
कुंवरपाल: तो साले तू ही लाकर सो गया होगा रात में नशे में,
सोमपाल: और क्या नशे में तूने ही सब किया है।
प्यारेलाल: साले तुम दोनों बच्चों जैसी बातें कर रहे हो, रुको,
ये कहकर उसने धोती को अपने बिस्तर के नीचे ही दबा दिया।
प्यारेलाल: आगे चलते हुए बातें करते हैं।
प्यारेलाल ने खाट के नीचे रखा लौटा उठाया और तीनों खेत की ओर चल दिए,
सोमपाल: अब बता कि तू ही लाया था न धोती रात को,
प्यारेलाल: नहीं, उसके कपड़े तो उसके सिधारने के बाद कमरे में संदूक में बंद करके रख दिए थे,
कुंवरपाल: तो धोती तूने नहीं निकाली संदूक से?
प्यारेलाल: अरे नहीं यार तुम दोनों बताओ लड़कों के ब्याह के बाद हम लोग कभी अपने घर के कमरों में भी गए हैं संदूक छूना तो दूर की बात है,
सोमपाल: हां यार ये बात तो है, बहु आने के बाद तो कमरे में जाने का सवाल ही नहीं उठता,
कुंवरपाल: हां मैं भी नहीं गया कभी,
प्यारेलाल: अब खुद सोचो कि मैं धोती कैसे निकालूंगा।
कुंवरपाल: देख कह तो तू सही रहा है पर फिर भी ईमानदारी से बता तू नहीं लाया धोती कहीं से भी,
प्यारेलाल: भूरा की कसम यार ना मैं धोती लाया और न ही मैं कुछ झूठ बोल रहा हूं, रात तुम्हारी भौजी ही आई थी और मैंने उसकी चुदाई की भी।
ये सुनकर दोनों सोच में पड़ जाते हैं, कुछ देर सोचने के बाद सोमपाल कहता है: कुछ सोचते हैं इस बारे में।
तीनों आगे बढ़ जाते हैं।
पुष्पा की नींद खुली तो उसने खुद को अपने बेटे की बाहों में नंगा पाया वो भी पूरा नंगा था पुष्पा कुछ देर आँखें खोल कर अपने बेटे के चेहरे को देखती रही सोते हुए बहुत प्यारा लग रहा था, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका बेटा इतना बड़ा हो गया था कि उसके बदन को रात भर उसने अच्छे से मसला था, कुछ पल बाद पुष्पा उठी और धीरे से छोटू के हाथ को अपने ऊपर से हटाया और उसे सीधा कर दिया और खुद उठ कर बैठ गई, उसके बदन में एक अजीब सा मीठा मीठा दर्द हो रहा था, जो उसकी रात भर हुई बदन तोड़ चुदाई का साक्ष्य था,
उठ कर वो अपने कपड़े ढूंढने लगी, और इधर उधर देखते हुए उसकी नज़र छोटू के आधे खड़े लंड पर पड़ी, उसे देख उसके बदन में फिर से एक सिरहन होने लगी, कुछ पल वो टक टकी लगाकर उसे देखती रही और फिर खुद को संभाला और उठ कर अपने कपड़े पहने, खुद बिल्कुल तैयार हुई और फिर छोटू को उठाया,
पुष्पा: उठ बेटा उठ कपड़े पहन ले अपने,
छोटू नींद में ही उठा और अपना पजामा वगैरा पहन कर दोबारा सो गया, फिर पुष्पा बाहर निकली, बाहर निकलते हुए वो मन ही मन सोच रही थी कि आज उसके साथ कुछ अजीब हो रहा था, कल जब वो उठी थी तो उसे इतनी ग्लानि हुई थी पूरा दिन उसके मन में अपने लिए घृणा का भाव आ रहा था, सुबह तो उसके आंसू ही नहीं थम रहे थे, पर आज उसने उससे भी बड़ा पाप किया था अपने ही बेटे के साथ पर आज उसके मन में कोई ग्लानि नहीं हो रही थी, वो चाह रही थी बार बार अपने आपको कोसने की कोशिश कर रही थी पर आज उसे मन से बुरा लग ही नहीं रहा था, बल्कि उसे आज बहुत हल्का हल्का लग रहा था, बदन में एक मीठा मीठा सा दर्द का एहसास हो रहा था वहीं मन में एक सुख का अनुभव था, वो समझ नहीं पा रही थी कि ऐसा क्यों हो रहा है,
ख़ैर जल्दी ही सुधा भी जाग गई और दोनों बाहर जाकर अपनी टोली से मिलीं और फिर खेतों की ओर चल दीं। आज पुष्पा भी खूब चहक चहक कर सबसे मज़ाक कर रही थी जो कि उसका स्वभाव भी था, चारों में सिर्फ एक का मुंह आज बंद था और वो थी रत्ना, उसके दिमाग में तो अपने ससुर के साथ की चुदाई ही चल रही थी, वो जितना उसे अपने दिमाग से निकालने की कोशिश करती वो सब उतना ही उसके दिमाग में आता,
यहां औरतें अपनी बातों में व्यस्त थीं वहीं भूरा तेजी से भागता हुआ जा रहा था सड़क पर इधर उधर देख कर वो खेत में अंदर घुसने के लिए जैसे ही मुड़ता है अचानक किसी से टकरा जाता है टकराने पर हैरान होकर सामने देखता है तो उसका मुंह बन जाता है।
भूरा: तू यहां क्या कर रहा है?
वो सामने खड़े लल्लू को देख कर तुनक कर कहता है,
लल्लू: क्यों बे इस खेत पर तेरा नाम लिखा है का?
भूरा: छोड़ मुझे तुझसे बात ही नहीं करनी,
ये कह भूरा उठ के मूड कर जाने लगता है,
लल्लू: क्यों आज बिना काम निपटाए ही जा रहा है?
भूरा: मुझे कोई काम नहीं है।
लल्लू: अच्छा तो ऐसे भाग के कहां जा रहा था अपनी गांड मरवाने?
भूरा: देख भेंचो मैं तुझे गाली नहीं दे रहा तो तू भी मत दे, वैसे भी मुझे तुझसे कोई मतलब नहीं।
ये कहकर भूरा चल देता है तो लल्लू उसकी कमीज पीछे से पकड़ लेता है।
लल्लू: अच्छा ठीक है अब बुरा मत मान यार, भूल जा बीती बातें।
भूरा: मुझे न भूलना कुछ और न याद करना है।
लल्लू: अरे यार समझ ना कल जिस टेम तू आया था उस टेम मेरी गांड किलस रही थी बहुत बुरी। एक तो मेरे बाप ने पूरी रात भर खेत करवाया उसके बाद भी सुबह सोचा तेरे साथ सुबह का प्रोग्राम करूंगा तो उसमें भी अड़चन लगा दी और मैं बुरा किलस गया और सारा गुस्सा तुझ पर निकल गया,
भूरा कुछ देर चुप रहता है,
लल्लू: अब मुंह बना कर रखेगा तो आज का भी प्रोग्राम निकल जाएगा, चल जल्दी। नहीं तो मेरी गांड देखनी पड़ेगी। ये सुन भूरा को हंसी आ जाती है वैसे भी भूरा अपने दोस्त से ज़्यादा देर गुस्सा नहीं रह सकता था, इसलिए तुरंत तैयार हो गया, भूरा: आज छोड़ रहा हूं आगे से ऐसा किया तो तेरी गांड चीर दूंगा।
लल्लू: हां भाई चीर लियो अब जल्दी चल। दोनों फुर्ती में और सावधानी से अंदर बढ़ने लगते हैं, कि तभी भूरा की कुछ ध्यान आता है और उसके कदम रुक जाते हैं, वो सोचने लगता है अगर लल्लू ने देख लिया और उसे पता चल गया कि उसकी और मेरी मां सुधा चाची और पुष्पा चाची भी यहीं बैठती है तो क्या होगा वो तो मेरी जान ले लेगा, अब क्या करूं कैसे रोकूं उसे,
लल्लू पीछे मूड कर उसे देखता हैं और फुसफुसाते हुए आगे बढ़ने का इशारा करता है और फिर से आगे बढ़ने लगता है, भूरा को समझ नहीं आता क्या करे, उसका दिमाग तेजी से चलने लगता है तभी उसके दिमाग में एक बात आती है कि लल्लू को थोड़े ही पता मैं ये सब कल भी देख चुका हूं मुझे बस ऐसे दिखाना कि मैं पहली बार देख रहा हूं,
ये सोचते हुए वो आगे बढ़ता है और धीरे धीरे दोनों खेत के किनारे पहुंच जाते हैं, दूसरी ओर से आती हुई आवाजों को सुन लल्लू के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वो भूरा को चुप रहने का इशारा करते हुए धीरे धीरे आगे बढ़ कर घुटनों के बल आगे होता है और अपना चेहरा आगे कर सावधानी से झाड़ियों के बीच आगे कर झांकता है और सामने का नज़ारा देख उसकी आंखें चौड़ी हो जाती हैं, वो तुरंत खुशी से पलट कर भूरा को देखता है और उसे तुंरत आगे आ कर देखने को कहता है, मन तो भूरा का था ही वो भी लल्लू के बगल में जगह लेता है और अपनी आँखें फिर से लगा देता है, आज भी कल जैसा ही नज़ारा था चार एक से बढ़कर एक गांड़ उसकी आंखों के सामने थीं, पर वो जानता था ये सुन्दर चूतड़ किस किस के हैं, उसका लंड तुरंत कड़क हो जाता है, तभी उसे अपनी बगल में कुछ आहट होती है तो वो उधर देखता है तो पाता है कि लल्लू ने तो अपना लंड निकाल कर मुठियाना भी शुरू कर दिया था,
लल्लू: ओह भेंचो आज तो भाग खुल गए यार एक की जगह चार चार मोटी मोटी सुंदर गांड देखने को मिल रही हैं।
लल्लू ने फुसफुसाते हुए कहा,
भूरा: हां यार सारी एक से बढ़कर एक हैं पता नहीं ये कौन कौन हैं?
भूरा ने भी फुसफुसाते हुए जवाब दिया,
लल्लू: जो भी हो यार हैं बड़ी मस्त, अरे रुक ये दूसरे नंबर वाली तो पुष्पा चाची की ही है, मुझे अच्छे से याद है उनकी।
भूरा: हां यार वही लग रही हैं मुझे तो, पर बाकी की तीन समझ नहीं आ रहीं,
भूरा ने अपना नाटक जारी रखते हुए कहा,
लल्लू: हां यार पर बाकी की गांड भी बड़ी मस्त हैं पता चल जाता कौन हैं तो मज़ा आ जाता,
भूरा मन ही मन सोचता है साले पता चल जायगा तो तेरी फट जाएगी,
उधर चारों औरतें भी आपस में बातें कर रहीं थीं,
लल्लू तभी भूरा को चुप रहने का इशारा करता है और धीरे से कहता है कि चुप रह इनकी बातें सुनते हैं क्या पता चल जाए कौन कौन हैं।
दोनों कान लगाकर सुनने लगते हैं तो सबसे पहले लल्लू को एक आवाज सुनाई देती है जिसे सुनकर वो तुरंत कहता है: अरे ये तो पक्का सुधा चाची हैं पुष्पा चाची के बगल में, हाय उनकी गांड है सबमें छोटी पर चूतड़ बड़े मस्त हैं गोल मटोल से।
भूरा: हां यार पुष्पा और सुधा चाची दोनों ही मस्त हैं एक दम।
लल्लू: अब ये दोनों किनारों वाली का और पता लगाना है,
तभी उसके कानों में एक आवाज पड़ती है, अरे आज तू चुप क्यों है रत्ना?
और रत्ना सुनकर वो चौंक जाता है क्योंकि रत्ना तो भूरा की मां का नाम था, मतलब एक कोने वाली भूरा की मां है, वो सोचने लगता है अब भूरा क्या करेगा पर तभी उसका दिमाग घूमता है और वो सोचता है पर जिसने ये बोला वो आवाज तो.... मेरी मां की है,
ये खयाल आते ही उसका लंड रस छोड़ने लगता है, एक के बाद एक धार उसके लंड से छूटने लगती है उसकी आँखें अपनी मां के चूतड़ों पर टिकी की टिकी रह जाती है, इधर भूरा भी झड़ रहा होता हैं और वो भी अपनी मां की गांड को टक टकी लगाकर देख रहा होता है, झड़ने के बाद दोनों शांत होते हैं तो लल्लू तुरंत अपना पजामा ऊपर कर बापिस चल देता है और भूरा उसके पीछे पीछे।
भूरा तो पहले ही ये झेल चुका था पर वो जता नहीं सकता था वो लल्लू के पीछे पीछे चल देता है लल्लू सोचता हुआ चलता चला जाता है और सीधा नदी के किनारे आकर रुकता है, दोनों शांत होकर खड़े रहते हैं काफी देर की चुप्पी के बाद लल्लू बोलता है,
लल्लू: भेंचो बहुत बड़ा कांड हो गया यार पाप हो गया,
भूरा: हां यार भेंचो ऐसा तो सोचा भी नहीं था कि ऐसा हो सकता है, हमारी बुद्धि ही काम न करी।
लल्लू: ये सब न हमारे कर्मों की सजा है भाई, हमने छोटू के साथ धोखा किया और उसकी मां को गलत हालत में देखा और हिलाया, तो उसी की सज़ा हमें मिली और आज हमने अपनी मां को देख कर हिला लिया।
भूरा: हां भाई बहुत बड़ी गलती हो गई है हमसे अब का करें कुछ समझ नहीं आ रहा?
लल्लू: हां यार भेंचो हमारे दिमाग को न जाने हुआ क्या है? अपनी ही मां की गांड देख कर कैसे हिला सकते हैं हम लोग? इतना बड़ा पाप कैसे कर सकते हैं?
भूरा: पता नहीं यार पर हमें पता थोड़े ही था कि वो चूतड़ हमारी मां के हैं, देखने में अच्छे लगे तो शायद इसीलिए हमने ये सब किया,
ये सुनकर लल्लू थोड़ा चुप हो जाता है, और कुछ सोचने लगता है,
लल्लू: एक काम करते हैं जो हुआ उसे दिमाग से निकालने की कोशिश करते हैं, और सब भूल कर आज के बाद कभी ऐसा नहीं करेंगे।
भूरा: ठीक है,
लल्लू: आंखें बंद करते हैं और इस सब को अपने दिमाग से हटाते हैं,
लल्लू ये कहकर अपनी आँखें बंद करता है पर वो जिस दृश्य को हटाने की कोशिश करता है वही उसे दिखाई देता है और वो दृश्य होता है उसकी मां की गांड का, चारों औरतों में उसकी मां के चूतड़ सबसे बड़े थे और दरार भी गहरी नज़र आ रही थी, उसकी आंखों के सामने से उसकी मां के चूतड़ हट नहीं रहे थे,
तभी उसे अपने बगल से अह मां ऐसी सिसकी सुनाई देती है तो वो आंखें खोल कर देखता है और चौंक जाता है, वो देखता है कि भूरा की आंखें बंद हैं पर वो अपने हाथ से पजामे के ऊपर से ही लंड सहलाता हुआ सिसकियां ले रहा है वो भी अपनी मां के नाम की।
लल्लू तुरंत उसे हाथ मारकर जैसे होश में लाता है।
लल्लू: साले तुझे मैंने कहा कि उस बात को दिमाग से निकाल तू कुछ और ही करने लगा, माना तब अनजाने में हुआ पर अभी जान बुझ कर करना तो महा पाप है।
भूरा उसे कुछ पल देखता है और फिर अपना पजामा नीचे खिसका कर अपने कड़क लंड को बाहर निकाल लेता है और कहता है: भाई अब पापी कह ले या महा पापी पर अभी अगर मैंने नहीं हिलाया तो मैं पागल हो जाऊंगा।
ये कहकर भूरा अपने लंड को मुठियाने लगता है आँखें फिर से बंद हो जाती हैं और मुंह से सिसकियां निकलने लगती हैं: अह्ह मां कितने मस्त चूतड़ हैं तुम्हारे, अह्ह मां,
लल्लू उसे आँखें फाड़े देख रहा होता है इसलिए नहीं कि वो अपनी मां के नाम की मुठ्ठी मार रहा था बल्कि इसलिए कि साले में इतनी हिम्मत है कि ये जानते हुए भी गलत है फिर भी कर पा रहा है और यहां वो नाटक कर रहा है, जबकि चाहता तो वो भी यही है कि अपने मां के चूतड़ों को याद करके खूब लंड हिलाए,
कुछ पल यूं ही खड़े रहने के बाद आखिर वो फैसला कर लेता है और फिर उसका पजामा भी नीचे होता है और आंखे बंद कर अपनी मां के नाम की मुठ्ठी लगाने लगता है,
लल्लू: अह्ह मां इतने मस्त और भरे चूतड़ मैंने किसी के नहीं देखे, अह्ह मन करता है अपना लंड घुसा दूं तुम्हारे चूतड़ों के बीच।
दोनों इसी तरह से अपनी अपनी मां को याद करके अपने अपने लंड हिलाते हैं और फिर पानी गिराने के बाद शांत होते हैं,
झड़ने के बाद दोनों पीछे ऐसे ही लेट जाते हैं,
भूरा: अह्ह यार मज़ा आ गया।
लल्लू: सही में यार इतना तगड़ा तो मैं किसी के लिए भी नहीं झड़ा जितना अपनी मां के चूतड़ों को याद करके झड़ा।
भूरा: तो गलत भी नहीं है यार ताई के चूतड़ हैं भी तो इतने मोटे
लल्लू भूरा के मुंह से ये सुनकर आंखें चढ़ाकर उसे देखने लगता है, पर अगले ही पल मुस्कुराने लगता है।
लल्लू: वैसे तो अगर तू मेरी मां के बारे में कुछ बोलता तो तेरी गांड छील देता पर हम जिस मोड पर आ गए हैं वहां सब चलता है, वैसे साले चाची की गांड भी कम नहीं थी, एक दम कसी हुई लग रही थी,
भूरा: हां यार ये तो सही कहा तूने,
लल्लू: वैसे हमने सोचा भी नहीं था कि हम पूरे गांव की औरतों की गांड देखने के पीछे पड़ेंगे, और सबसे मस्त गांडे हमारे अपने घरों में होंगी।
दोनों को ऐसे खुल कर बात करने में मजा आ रहा था,
भूरा: अरे हमारा तो ठीक है साले छोटूआ की किस्मत तेज है साले के घर में दो दो हैं।
लल्लू: हां यार ये तो सही कहा तूने। और दोनों ही कम नहीं हैं।
भूरा: पर तुझे क्या लगता है छुटुआ कभी हमारे जितना खुल पाएगा?
लल्लू: खुलेगा नहीं तो खोलना पड़ेगा, साले को अपने साथ लेना पड़ेगा।
भूरा: कुछ योजना बनानी पड़ेगी।
लल्लू: हां बनायेंगे पर मेरा फिर से खड़ा हो गया मां के बारे में सोच कर एक बार और हिलाते हैं।
दोनों फिर से एक एक बार अपना पानी गिराते हैं और फिर बातें करते हुए गांव के अंदर की ओर चल देते हैं।
घबराते हुए उसने धक्का देकर अपने ससुर को अपने ऊपर से हटाया और बिस्तर से उठ कर अंदर की ओर भागी उसकी साड़ी प्यारेलाल के नीचे दब कर वहीं रह गई वो नंगी ही घर के अंदर की ओर भागी, आंखों में आंसुओं की धार बह रही थी, और मन जैसे फटने को हो रहा था और हों भी क्यों न कहां कुछ देर पहले तक वो एक संस्कारी पतिव्रता औरत थी और कहां उसने अपने पति को धोखा देकर किसी और से चुदवा लिया था और वो भी कोई और नहीं अपने ससुर से।
अंदर आकर वो सीधे कमरे में गई और बिस्तर पर लेट कर सुबकने लगी, काफी देर तक रोने के बाद उसे एहसास हुआ कि वो अभी भी नंगी है तो उसने तुरंत उठ कर कपड़े पहने और रोते रोते ही सो गई। अब आगे....
अगली सुबह हुई तो तड़के ही फुलवा उठी और अपने टोटके के लिए चल दी पिछली सुबह की तरह ही उसने नदी में स्नान किया और फिर नंगी होकर पेड़ के पास आई, पर आज वो थोड़ा असहज महसूस कर रही थी कल जो भी हुआ उसे सोच कर उसके मन में एक असहजता का आभास हो रहा था और साथ ही उत्तेजना का भी, उसने एक बार अच्छे से चारों ओर देखा अपने मन की जिज्ञासा शांत करने के लिए, उसे कोई आस पास नहीं दिखा, वो फिर झुककर बैठ गई और विधि अनुसार मंत्र पढ़ने लगी, कुछ देर ही हुई थी कि उसे अपने चूतड़ों पर एक हाथ का आभास हुआ और उसके बदन में बिजली दौड़ गई, अगले ही पल उसकी चूत के होंठों को फैलाता हुआ एक गरम लंड उसकी चूत में समाने लगा, उसके दांत अपने आप पिस गए और उसके हाथों ने अपने नीचे की घास को कस कर पकड़ लिया, एक दो झटके लगे और लंड उसकी चूत में जड़ तक समाया हुआ था, फुलवा के मुंह से सिसकियां निकलने लगीं उसके लिए मंत्र बोलना भी लगभग रुक ही गया पर वो फिर भी कोशिश कर रही थी, लंड ने धीरे धीरे अंदर बाहर होना शुरू कर दिया और फुलवा का बदन मचलने लगा, विधि के अनुसार वो आंखें नहीं खोल सकती थी जब तक मंत्र न पूरे हो जाएं तो आंखे बंद करके फुलवा अपनी चूत में इसी तरह धक्के लगवाने लगी तभी उसने महसूस किया जो हाथ उसकी कमर पर थे वो सरकते हुए उसकी कमर और फिर उसकी पपीते की आकार की चूचियों पर आ गए और उन्हें मसलने लगे, फुलवा तो इस हमले से पागल सी होने लगी और उसका बदन झटके खाने लगा,
ऐसे खुले में किसी अनजान व्यक्ति से चुदाई करवाना और फिर इस तरह अपने बदन से खेलने देना ये सब फुलवा के लिए बहुत उत्तेजक था, ऊपर से गरम कड़क लंड उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था, और उसे एक ऐसा अहसास दे रहा था जो जीवन में पहले कभी नहीं हुआ था, अपने पति के अलावा किसी और से चुदने का जो गलत होकर भी जो एक अलग एहसास था वो उसे पागल कर रहा था, जो भी उसकी चुदाई कर रहा था वो चुदाई की कला में निपुण था तभी तो कैसे उसके बदन से खेलना है उसे अच्छे से पता था उसके धक्के ऐसे थे कि फुलवा के वजूद को हिला रहे थे, चूचियों का मर्दन और तगड़े लंड की चुदाई का कुछ ऐसा असर फुलवा पर हुआ कि उसका बदन कांपने लगा और उसका पूरा बदन ऐंठने लगा, पर जो उसे चोद रहा था उसने अपने हाथों को उसकी चूचियों से हटाया और उसे ऐसे जकड़ लिया कि वो गिरे न और न ही उसके लंड से अलग हो, और ऐसे पकड़े हुए ही कुछ और धक्के उसकी चूत में लगा दिए, बस फुलवा के लिए इतना काफी था और वो स्खलित होने लगी, उसकी चूत पानी छोड़ने लगी और अपने रस से उस कड़क लंड को भिगोने लगी, फुलवा का स्खलन इतना ज़ोरदार था कि वो तो स्खलित होते ही मानो बेहोश हो गई, और बेजान होकर वहीं मिट्टी पर गिर पड़ी, उसकी आँखें बंद पहले से ही थी, फुलवा की ये हालत देख उस अनजान साए ने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और उसे पलट दिया, अब फुलवा अपनी पीठ पर उसके सामने बिल्कुल नंगी पड़ी थी, वो अनजान साया फुलवा को देखते हुए अपने लंड को अपने हाथों से पकड़ कर हिलाने लगा और कुछ ही पलों में उसके लंड से धार निकली जो कि फुलवा के चेहरे और छाती पर गिरी,
इसी तरह एक के बाद एक कई धारों ने फुलवा के चेहरे और छाती को उसके रस से सना दिया,
कुछ पल बाद फुलवा को होश आया तो उसने खुद को पेड़ के बगल में नंगा पाया वो तुरंत उठ कर बैठ गई, और इधर उधर अपने कपड़े तलाशने लगी, इसी बीच उसका ध्यान उसकी छाती पर गया तो उसने हाथ लगा कर रस को अपनी उंगलियां में समेत कर उठाया और नाक के पास लाकर सूंघने लगी वो समझ गई कि वो क्या है, दूसरा हाथ अपने आप उसकी चूत पर पहुंच गया जो अपने रस से सराबोर थी, अपनी चूत को सहलाते हुए फुलवा ने अपनी रस से सनी उंगलियों को देखा तो उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान आ गई।
जहां पत्नी नदी किनारे पूरी नंगी होकर चुद रही थी सोमपाल सुबह उठ कर खेत की ओर चल दिए, इतने में ही पीछे से कुंवरपाल ने आवाज लगाई तो रुक गए,
कुंवरपाल: अरे रुक जा हम भी चल रहे,
कुंवरपाल ने हाथ में लोटा पकड़े आते हुए कहा,
सोमपाल: आ जा आजा, प्यारे कहां है?
कुंवर पाल: अरे आया नहीं वो आज वैसे तो सबसे पहले जाग जाता है,
सोमपाल: लगता है रात की ताड़ी का तगड़ा असर हुआ है, चल चबूतरे से ही उठाते हैं सो रहा होगा अभी,
इस पर दोनों हंसने लगे, और आगे प्यारेलाल के चबूतरे की ओर बढ़ गए, जा कर देखा तो प्यारेलाल अभी भी सो रहा था,
सोमपाल: इसकी तो हालत कुछ ज्यादा ही बिगड़ गई भाई, देख कैसे सो रहा है,
कुंवरपाल: बिगड़ गई या बन गई देख तो बेशर्म को,
कुंवरपाल ने प्यारेलाल की खुली धोती की ओर इशारा करते हुए कहा जिसके बीच उसका लंड नंगा सोता हुआ दिखाई दे रहा था,
सोमपाल: धत्त तेरी की, अरे उठा इसे नहीं तो बच्चा औरतें आने लगी तो थू थू हो जाएगी,
कुंवारपा तुरंत अपने लौटे से पानी अपने हाथ में लेता है और छींटे प्यारेलाल के चेहरे पर मारता है और अगले ही पल प्यारेलाल हड़बड़ा के उठता है और इधर उधर देखता है, और अपने दोनों यारों को अपने अगल बगल खड़ा पाता है, तुरंत उठ कर बैठ जाता है,
कुंवरपाल: उठ धी के लंड, ऐसे सो रहा है कुछ शर्म लाज है कि नहीं,
प्यारेलाल: हैं क्या हुआ?
सोमपाल: अरे क्या हुआ क्या, अपनी धोती देख।
प्यारेलाल तुरंत नीचे देखता है और अपनी धोती और कच्छे को खुला देख चौंक जाता है और तुरंत खाट से उठ कर सही से बांधता है और बांधते हुए उसे रात जो हुआ वो याद आने लगता है,
कुंवरपाल: अब क्या हुआ ऐसे बावरों की तरह क्यों सोच रहा है?
प्यारेलाल: यार रात को बहुत अजीब किस्सा हुआ है,
सोमपाल: ऐसा क्या हो गया जो तू अपनी सुध बुध खोकर अधनंगा सो रहा था,
प्यारेलाल: बताता हूं बैठो तो सही,
प्यारेलाल दोनों को खाट पर बैठाता हैं और फिर फुसफुसा कर दोनों को बताने लगता है,
प्यारेलाल: अरे यार रात को लल्ला की अम्मा आई थी मुझसे मिलने और उसकी चुदाई की मैंने,
सोमपाल: का भौजी आई थी मिलने और तूने उनकी चुदाई की, सही में बौरा गया है तू,
प्यारेलाल: अरे मेरी बात तो सुनो,
फिर प्यारेलाल रात की पूरी बात सुनाता है, उसकी कहानी खत्म होने पर दोनों हंसने लगते हैं,
कुंवरपाल: साले तुझपे ताड़ी का नशा झेला नहीं जाता, इसीलिए ऐसे सपने आते हैं तुझे,
सोमपाल: और क्या साले कम से कम मरी हुई भौजी को अब तो आराम करने दे,
प्यारेलाल: अरे यार तुम समझ नहीं रहे मैं सच बोल रहा हूं,
कुंवरपाल: अब चल सुन लिया तेरा सच सिधारी हुई भौजी को अपनी हवस के लिए परेशान कर रहा है, अब उठ खेत चल रहे हैं,
प्यारेलाल भीं अपना सिर खुजाता हुआ खड़ा होता है उसे भी लगने लगता है उसने सपना ही देखा है तो वो खड़ा होता हैं और अपना बिस्तर समेटने लगता है, कि तभी उसकी नज़र एक जगह रुक जाती है और वो ज्यों का त्यों अटक जाता है,
सोमपाल: क्या हुआ अब रुक क्यों गया? फिर से भौजी दिखने लगी,
प्यारेलाल: अरे नहीं तुम लोगों को मैं झूठा लग रहा हूं तो ये बताओ कि ये तुम्हारी भौजी की ये धोती यहां कैसे आई?
प्यारेलाल ने खाट के नीचे पड़ी धोती उठा कर दोनों को दिखाते हुए कहा,
सोमपाल: ये भौजी की धोती है?
प्यारेलाल: हां उसी की है?
कुंवरपाल: तो साले तू ही लाकर सो गया होगा रात में नशे में,
सोमपाल: और क्या नशे में तूने ही सब किया है।
प्यारेलाल: साले तुम दोनों बच्चों जैसी बातें कर रहे हो, रुको,
ये कहकर उसने धोती को अपने बिस्तर के नीचे ही दबा दिया।
प्यारेलाल: आगे चलते हुए बातें करते हैं।
प्यारेलाल ने खाट के नीचे रखा लौटा उठाया और तीनों खेत की ओर चल दिए,
सोमपाल: अब बता कि तू ही लाया था न धोती रात को,
प्यारेलाल: नहीं, उसके कपड़े तो उसके सिधारने के बाद कमरे में संदूक में बंद करके रख दिए थे,
कुंवरपाल: तो धोती तूने नहीं निकाली संदूक से?
प्यारेलाल: अरे नहीं यार तुम दोनों बताओ लड़कों के ब्याह के बाद हम लोग कभी अपने घर के कमरों में भी गए हैं संदूक छूना तो दूर की बात है,
सोमपाल: हां यार ये बात तो है, बहु आने के बाद तो कमरे में जाने का सवाल ही नहीं उठता,
कुंवरपाल: हां मैं भी नहीं गया कभी,
प्यारेलाल: अब खुद सोचो कि मैं धोती कैसे निकालूंगा।
कुंवरपाल: देख कह तो तू सही रहा है पर फिर भी ईमानदारी से बता तू नहीं लाया धोती कहीं से भी,
प्यारेलाल: भूरा की कसम यार ना मैं धोती लाया और न ही मैं कुछ झूठ बोल रहा हूं, रात तुम्हारी भौजी ही आई थी और मैंने उसकी चुदाई की भी।
ये सुनकर दोनों सोच में पड़ जाते हैं, कुछ देर सोचने के बाद सोमपाल कहता है: कुछ सोचते हैं इस बारे में।
तीनों आगे बढ़ जाते हैं।
पुष्पा की नींद खुली तो उसने खुद को अपने बेटे की बाहों में नंगा पाया वो भी पूरा नंगा था पुष्पा कुछ देर आँखें खोल कर अपने बेटे के चेहरे को देखती रही सोते हुए बहुत प्यारा लग रहा था, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका बेटा इतना बड़ा हो गया था कि उसके बदन को रात भर उसने अच्छे से मसला था, कुछ पल बाद पुष्पा उठी और धीरे से छोटू के हाथ को अपने ऊपर से हटाया और उसे सीधा कर दिया और खुद उठ कर बैठ गई, उसके बदन में एक अजीब सा मीठा मीठा दर्द हो रहा था, जो उसकी रात भर हुई बदन तोड़ चुदाई का साक्ष्य था,
उठ कर वो अपने कपड़े ढूंढने लगी, और इधर उधर देखते हुए उसकी नज़र छोटू के आधे खड़े लंड पर पड़ी, उसे देख उसके बदन में फिर से एक सिरहन होने लगी, कुछ पल वो टक टकी लगाकर उसे देखती रही और फिर खुद को संभाला और उठ कर अपने कपड़े पहने, खुद बिल्कुल तैयार हुई और फिर छोटू को उठाया,
पुष्पा: उठ बेटा उठ कपड़े पहन ले अपने,
छोटू नींद में ही उठा और अपना पजामा वगैरा पहन कर दोबारा सो गया, फिर पुष्पा बाहर निकली, बाहर निकलते हुए वो मन ही मन सोच रही थी कि आज उसके साथ कुछ अजीब हो रहा था, कल जब वो उठी थी तो उसे इतनी ग्लानि हुई थी पूरा दिन उसके मन में अपने लिए घृणा का भाव आ रहा था, सुबह तो उसके आंसू ही नहीं थम रहे थे, पर आज उसने उससे भी बड़ा पाप किया था अपने ही बेटे के साथ पर आज उसके मन में कोई ग्लानि नहीं हो रही थी, वो चाह रही थी बार बार अपने आपको कोसने की कोशिश कर रही थी पर आज उसे मन से बुरा लग ही नहीं रहा था, बल्कि उसे आज बहुत हल्का हल्का लग रहा था, बदन में एक मीठा मीठा सा दर्द का एहसास हो रहा था वहीं मन में एक सुख का अनुभव था, वो समझ नहीं पा रही थी कि ऐसा क्यों हो रहा है,
ख़ैर जल्दी ही सुधा भी जाग गई और दोनों बाहर जाकर अपनी टोली से मिलीं और फिर खेतों की ओर चल दीं। आज पुष्पा भी खूब चहक चहक कर सबसे मज़ाक कर रही थी जो कि उसका स्वभाव भी था, चारों में सिर्फ एक का मुंह आज बंद था और वो थी रत्ना, उसके दिमाग में तो अपने ससुर के साथ की चुदाई ही चल रही थी, वो जितना उसे अपने दिमाग से निकालने की कोशिश करती वो सब उतना ही उसके दिमाग में आता,
यहां औरतें अपनी बातों में व्यस्त थीं वहीं भूरा तेजी से भागता हुआ जा रहा था सड़क पर इधर उधर देख कर वो खेत में अंदर घुसने के लिए जैसे ही मुड़ता है अचानक किसी से टकरा जाता है टकराने पर हैरान होकर सामने देखता है तो उसका मुंह बन जाता है।
भूरा: तू यहां क्या कर रहा है?
वो सामने खड़े लल्लू को देख कर तुनक कर कहता है,
लल्लू: क्यों बे इस खेत पर तेरा नाम लिखा है का?
भूरा: छोड़ मुझे तुझसे बात ही नहीं करनी,
ये कह भूरा उठ के मूड कर जाने लगता है,
लल्लू: क्यों आज बिना काम निपटाए ही जा रहा है?
भूरा: मुझे कोई काम नहीं है।
लल्लू: अच्छा तो ऐसे भाग के कहां जा रहा था अपनी गांड मरवाने?
भूरा: देख भेंचो मैं तुझे गाली नहीं दे रहा तो तू भी मत दे, वैसे भी मुझे तुझसे कोई मतलब नहीं।
ये कहकर भूरा चल देता है तो लल्लू उसकी कमीज पीछे से पकड़ लेता है।
लल्लू: अच्छा ठीक है अब बुरा मत मान यार, भूल जा बीती बातें।
भूरा: मुझे न भूलना कुछ और न याद करना है।
लल्लू: अरे यार समझ ना कल जिस टेम तू आया था उस टेम मेरी गांड किलस रही थी बहुत बुरी। एक तो मेरे बाप ने पूरी रात भर खेत करवाया उसके बाद भी सुबह सोचा तेरे साथ सुबह का प्रोग्राम करूंगा तो उसमें भी अड़चन लगा दी और मैं बुरा किलस गया और सारा गुस्सा तुझ पर निकल गया,
भूरा कुछ देर चुप रहता है,
लल्लू: अब मुंह बना कर रखेगा तो आज का भी प्रोग्राम निकल जाएगा, चल जल्दी। नहीं तो मेरी गांड देखनी पड़ेगी। ये सुन भूरा को हंसी आ जाती है वैसे भी भूरा अपने दोस्त से ज़्यादा देर गुस्सा नहीं रह सकता था, इसलिए तुरंत तैयार हो गया, भूरा: आज छोड़ रहा हूं आगे से ऐसा किया तो तेरी गांड चीर दूंगा।
लल्लू: हां भाई चीर लियो अब जल्दी चल। दोनों फुर्ती में और सावधानी से अंदर बढ़ने लगते हैं, कि तभी भूरा की कुछ ध्यान आता है और उसके कदम रुक जाते हैं, वो सोचने लगता है अगर लल्लू ने देख लिया और उसे पता चल गया कि उसकी और मेरी मां सुधा चाची और पुष्पा चाची भी यहीं बैठती है तो क्या होगा वो तो मेरी जान ले लेगा, अब क्या करूं कैसे रोकूं उसे,
लल्लू पीछे मूड कर उसे देखता हैं और फुसफुसाते हुए आगे बढ़ने का इशारा करता है और फिर से आगे बढ़ने लगता है, भूरा को समझ नहीं आता क्या करे, उसका दिमाग तेजी से चलने लगता है तभी उसके दिमाग में एक बात आती है कि लल्लू को थोड़े ही पता मैं ये सब कल भी देख चुका हूं मुझे बस ऐसे दिखाना कि मैं पहली बार देख रहा हूं,
ये सोचते हुए वो आगे बढ़ता है और धीरे धीरे दोनों खेत के किनारे पहुंच जाते हैं, दूसरी ओर से आती हुई आवाजों को सुन लल्लू के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वो भूरा को चुप रहने का इशारा करते हुए धीरे धीरे आगे बढ़ कर घुटनों के बल आगे होता है और अपना चेहरा आगे कर सावधानी से झाड़ियों के बीच आगे कर झांकता है और सामने का नज़ारा देख उसकी आंखें चौड़ी हो जाती हैं, वो तुरंत खुशी से पलट कर भूरा को देखता है और उसे तुंरत आगे आ कर देखने को कहता है, मन तो भूरा का था ही वो भी लल्लू के बगल में जगह लेता है और अपनी आँखें फिर से लगा देता है, आज भी कल जैसा ही नज़ारा था चार एक से बढ़कर एक गांड़ उसकी आंखों के सामने थीं, पर वो जानता था ये सुन्दर चूतड़ किस किस के हैं, उसका लंड तुरंत कड़क हो जाता है, तभी उसे अपनी बगल में कुछ आहट होती है तो वो उधर देखता है तो पाता है कि लल्लू ने तो अपना लंड निकाल कर मुठियाना भी शुरू कर दिया था,
लल्लू: ओह भेंचो आज तो भाग खुल गए यार एक की जगह चार चार मोटी मोटी सुंदर गांड देखने को मिल रही हैं।
लल्लू ने फुसफुसाते हुए कहा,
भूरा: हां यार सारी एक से बढ़कर एक हैं पता नहीं ये कौन कौन हैं?
भूरा ने भी फुसफुसाते हुए जवाब दिया,
लल्लू: जो भी हो यार हैं बड़ी मस्त, अरे रुक ये दूसरे नंबर वाली तो पुष्पा चाची की ही है, मुझे अच्छे से याद है उनकी।
भूरा: हां यार वही लग रही हैं मुझे तो, पर बाकी की तीन समझ नहीं आ रहीं,
भूरा ने अपना नाटक जारी रखते हुए कहा,
लल्लू: हां यार पर बाकी की गांड भी बड़ी मस्त हैं पता चल जाता कौन हैं तो मज़ा आ जाता,
भूरा मन ही मन सोचता है साले पता चल जायगा तो तेरी फट जाएगी,
उधर चारों औरतें भी आपस में बातें कर रहीं थीं,
लल्लू तभी भूरा को चुप रहने का इशारा करता है और धीरे से कहता है कि चुप रह इनकी बातें सुनते हैं क्या पता चल जाए कौन कौन हैं।
दोनों कान लगाकर सुनने लगते हैं तो सबसे पहले लल्लू को एक आवाज सुनाई देती है जिसे सुनकर वो तुरंत कहता है: अरे ये तो पक्का सुधा चाची हैं पुष्पा चाची के बगल में, हाय उनकी गांड है सबमें छोटी पर चूतड़ बड़े मस्त हैं गोल मटोल से।
भूरा: हां यार पुष्पा और सुधा चाची दोनों ही मस्त हैं एक दम।
लल्लू: अब ये दोनों किनारों वाली का और पता लगाना है,
तभी उसके कानों में एक आवाज पड़ती है, अरे आज तू चुप क्यों है रत्ना?
और रत्ना सुनकर वो चौंक जाता है क्योंकि रत्ना तो भूरा की मां का नाम था, मतलब एक कोने वाली भूरा की मां है, वो सोचने लगता है अब भूरा क्या करेगा पर तभी उसका दिमाग घूमता है और वो सोचता है पर जिसने ये बोला वो आवाज तो.... मेरी मां की है,
ये खयाल आते ही उसका लंड रस छोड़ने लगता है, एक के बाद एक धार उसके लंड से छूटने लगती है उसकी आँखें अपनी मां के चूतड़ों पर टिकी की टिकी रह जाती है, इधर भूरा भी झड़ रहा होता हैं और वो भी अपनी मां की गांड को टक टकी लगाकर देख रहा होता है, झड़ने के बाद दोनों शांत होते हैं तो लल्लू तुरंत अपना पजामा ऊपर कर बापिस चल देता है और भूरा उसके पीछे पीछे।
भूरा तो पहले ही ये झेल चुका था पर वो जता नहीं सकता था वो लल्लू के पीछे पीछे चल देता है लल्लू सोचता हुआ चलता चला जाता है और सीधा नदी के किनारे आकर रुकता है, दोनों शांत होकर खड़े रहते हैं काफी देर की चुप्पी के बाद लल्लू बोलता है,
लल्लू: भेंचो बहुत बड़ा कांड हो गया यार पाप हो गया,
भूरा: हां यार भेंचो ऐसा तो सोचा भी नहीं था कि ऐसा हो सकता है, हमारी बुद्धि ही काम न करी।
लल्लू: ये सब न हमारे कर्मों की सजा है भाई, हमने छोटू के साथ धोखा किया और उसकी मां को गलत हालत में देखा और हिलाया, तो उसी की सज़ा हमें मिली और आज हमने अपनी मां को देख कर हिला लिया।
भूरा: हां भाई बहुत बड़ी गलती हो गई है हमसे अब का करें कुछ समझ नहीं आ रहा?
लल्लू: हां यार भेंचो हमारे दिमाग को न जाने हुआ क्या है? अपनी ही मां की गांड देख कर कैसे हिला सकते हैं हम लोग? इतना बड़ा पाप कैसे कर सकते हैं?
भूरा: पता नहीं यार पर हमें पता थोड़े ही था कि वो चूतड़ हमारी मां के हैं, देखने में अच्छे लगे तो शायद इसीलिए हमने ये सब किया,
ये सुनकर लल्लू थोड़ा चुप हो जाता है, और कुछ सोचने लगता है,
लल्लू: एक काम करते हैं जो हुआ उसे दिमाग से निकालने की कोशिश करते हैं, और सब भूल कर आज के बाद कभी ऐसा नहीं करेंगे।
भूरा: ठीक है,
लल्लू: आंखें बंद करते हैं और इस सब को अपने दिमाग से हटाते हैं,
लल्लू ये कहकर अपनी आँखें बंद करता है पर वो जिस दृश्य को हटाने की कोशिश करता है वही उसे दिखाई देता है और वो दृश्य होता है उसकी मां की गांड का, चारों औरतों में उसकी मां के चूतड़ सबसे बड़े थे और दरार भी गहरी नज़र आ रही थी, उसकी आंखों के सामने से उसकी मां के चूतड़ हट नहीं रहे थे,
तभी उसे अपने बगल से अह मां ऐसी सिसकी सुनाई देती है तो वो आंखें खोल कर देखता है और चौंक जाता है, वो देखता है कि भूरा की आंखें बंद हैं पर वो अपने हाथ से पजामे के ऊपर से ही लंड सहलाता हुआ सिसकियां ले रहा है वो भी अपनी मां के नाम की।
लल्लू तुरंत उसे हाथ मारकर जैसे होश में लाता है।
लल्लू: साले तुझे मैंने कहा कि उस बात को दिमाग से निकाल तू कुछ और ही करने लगा, माना तब अनजाने में हुआ पर अभी जान बुझ कर करना तो महा पाप है।
भूरा उसे कुछ पल देखता है और फिर अपना पजामा नीचे खिसका कर अपने कड़क लंड को बाहर निकाल लेता है और कहता है: भाई अब पापी कह ले या महा पापी पर अभी अगर मैंने नहीं हिलाया तो मैं पागल हो जाऊंगा।
ये कहकर भूरा अपने लंड को मुठियाने लगता है आँखें फिर से बंद हो जाती हैं और मुंह से सिसकियां निकलने लगती हैं: अह्ह मां कितने मस्त चूतड़ हैं तुम्हारे, अह्ह मां,
लल्लू उसे आँखें फाड़े देख रहा होता है इसलिए नहीं कि वो अपनी मां के नाम की मुठ्ठी मार रहा था बल्कि इसलिए कि साले में इतनी हिम्मत है कि ये जानते हुए भी गलत है फिर भी कर पा रहा है और यहां वो नाटक कर रहा है, जबकि चाहता तो वो भी यही है कि अपने मां के चूतड़ों को याद करके खूब लंड हिलाए,
कुछ पल यूं ही खड़े रहने के बाद आखिर वो फैसला कर लेता है और फिर उसका पजामा भी नीचे होता है और आंखे बंद कर अपनी मां के नाम की मुठ्ठी लगाने लगता है,
लल्लू: अह्ह मां इतने मस्त और भरे चूतड़ मैंने किसी के नहीं देखे, अह्ह मन करता है अपना लंड घुसा दूं तुम्हारे चूतड़ों के बीच।
दोनों इसी तरह से अपनी अपनी मां को याद करके अपने अपने लंड हिलाते हैं और फिर पानी गिराने के बाद शांत होते हैं,
झड़ने के बाद दोनों पीछे ऐसे ही लेट जाते हैं,
भूरा: अह्ह यार मज़ा आ गया।
लल्लू: सही में यार इतना तगड़ा तो मैं किसी के लिए भी नहीं झड़ा जितना अपनी मां के चूतड़ों को याद करके झड़ा।
भूरा: तो गलत भी नहीं है यार ताई के चूतड़ हैं भी तो इतने मोटे
लल्लू भूरा के मुंह से ये सुनकर आंखें चढ़ाकर उसे देखने लगता है, पर अगले ही पल मुस्कुराने लगता है।
लल्लू: वैसे तो अगर तू मेरी मां के बारे में कुछ बोलता तो तेरी गांड छील देता पर हम जिस मोड पर आ गए हैं वहां सब चलता है, वैसे साले चाची की गांड भी कम नहीं थी, एक दम कसी हुई लग रही थी,
भूरा: हां यार ये तो सही कहा तूने,
लल्लू: वैसे हमने सोचा भी नहीं था कि हम पूरे गांव की औरतों की गांड देखने के पीछे पड़ेंगे, और सबसे मस्त गांडे हमारे अपने घरों में होंगी।
दोनों को ऐसे खुल कर बात करने में मजा आ रहा था,
भूरा: अरे हमारा तो ठीक है साले छोटूआ की किस्मत तेज है साले के घर में दो दो हैं।
लल्लू: हां यार ये तो सही कहा तूने। और दोनों ही कम नहीं हैं।
भूरा: पर तुझे क्या लगता है छुटुआ कभी हमारे जितना खुल पाएगा?
लल्लू: खुलेगा नहीं तो खोलना पड़ेगा, साले को अपने साथ लेना पड़ेगा।
भूरा: कुछ योजना बनानी पड़ेगी।
लल्लू: हां बनायेंगे पर मेरा फिर से खड़ा हो गया मां के बारे में सोच कर एक बार और हिलाते हैं।
दोनों फिर से एक एक बार अपना पानी गिराते हैं और फिर बातें करते हुए गांव के अंदर की ओर चल देते हैं।
घबराते हुए उसने धक्का देकर अपने ससुर को अपने ऊपर से हटाया और बिस्तर से उठ कर अंदर की ओर भागी उसकी साड़ी प्यारेलाल के नीचे दब कर वहीं रह गई वो नंगी ही घर के अंदर की ओर भागी, आंखों में आंसुओं की धार बह रही थी, और मन जैसे फटने को हो रहा था और हों भी क्यों न कहां कुछ देर पहले तक वो एक संस्कारी पतिव्रता औरत थी और कहां उसने अपने पति को धोखा देकर किसी और से चुदवा लिया था और वो भी कोई और नहीं अपने ससुर से।
अंदर आकर वो सीधे कमरे में गई और बिस्तर पर लेट कर सुबकने लगी, काफी देर तक रोने के बाद उसे एहसास हुआ कि वो अभी भी नंगी है तो उसने तुरंत उठ कर कपड़े पहने और रोते रोते ही सो गई। अब आगे....
अगली सुबह हुई तो तड़के ही फुलवा उठी और अपने टोटके के लिए चल दी पिछली सुबह की तरह ही उसने नदी में स्नान किया और फिर नंगी होकर पेड़ के पास आई, पर आज वो थोड़ा असहज महसूस कर रही थी कल जो भी हुआ उसे सोच कर उसके मन में एक असहजता का आभास हो रहा था और साथ ही उत्तेजना का भी, उसने एक बार अच्छे से चारों ओर देखा अपने मन की जिज्ञासा शांत करने के लिए, उसे कोई आस पास नहीं दिखा, वो फिर झुककर बैठ गई और विधि अनुसार मंत्र पढ़ने लगी, कुछ देर ही हुई थी कि उसे अपने चूतड़ों पर एक हाथ का आभास हुआ और उसके बदन में बिजली दौड़ गई, अगले ही पल उसकी चूत के होंठों को फैलाता हुआ एक गरम लंड उसकी चूत में समाने लगा, उसके दांत अपने आप पिस गए और उसके हाथों ने अपने नीचे की घास को कस कर पकड़ लिया, एक दो झटके लगे और लंड उसकी चूत में जड़ तक समाया हुआ था, फुलवा के मुंह से सिसकियां निकलने लगीं उसके लिए मंत्र बोलना भी लगभग रुक ही गया पर वो फिर भी कोशिश कर रही थी, लंड ने धीरे धीरे अंदर बाहर होना शुरू कर दिया और फुलवा का बदन मचलने लगा, विधि के अनुसार वो आंखें नहीं खोल सकती थी जब तक मंत्र न पूरे हो जाएं तो आंखे बंद करके फुलवा अपनी चूत में इसी तरह धक्के लगवाने लगी तभी उसने महसूस किया जो हाथ उसकी कमर पर थे वो सरकते हुए उसकी कमर और फिर उसकी पपीते की आकार की चूचियों पर आ गए और उन्हें मसलने लगे, फुलवा तो इस हमले से पागल सी होने लगी और उसका बदन झटके खाने लगा,
ऐसे खुले में किसी अनजान व्यक्ति से चुदाई करवाना और फिर इस तरह अपने बदन से खेलने देना ये सब फुलवा के लिए बहुत उत्तेजक था, ऊपर से गरम कड़क लंड उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था, और उसे एक ऐसा अहसास दे रहा था जो जीवन में पहले कभी नहीं हुआ था, अपने पति के अलावा किसी और से चुदने का जो गलत होकर भी जो एक अलग एहसास था वो उसे पागल कर रहा था, जो भी उसकी चुदाई कर रहा था वो चुदाई की कला में निपुण था तभी तो कैसे उसके बदन से खेलना है उसे अच्छे से पता था उसके धक्के ऐसे थे कि फुलवा के वजूद को हिला रहे थे, चूचियों का मर्दन और तगड़े लंड की चुदाई का कुछ ऐसा असर फुलवा पर हुआ कि उसका बदन कांपने लगा और उसका पूरा बदन ऐंठने लगा, पर जो उसे चोद रहा था उसने अपने हाथों को उसकी चूचियों से हटाया और उसे ऐसे जकड़ लिया कि वो गिरे न और न ही उसके लंड से अलग हो, और ऐसे पकड़े हुए ही कुछ और धक्के उसकी चूत में लगा दिए, बस फुलवा के लिए इतना काफी था और वो स्खलित होने लगी, उसकी चूत पानी छोड़ने लगी और अपने रस से उस कड़क लंड को भिगोने लगी, फुलवा का स्खलन इतना ज़ोरदार था कि वो तो स्खलित होते ही मानो बेहोश हो गई, और बेजान होकर वहीं मिट्टी पर गिर पड़ी, उसकी आँखें बंद पहले से ही थी, फुलवा की ये हालत देख उस अनजान साए ने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और उसे पलट दिया, अब फुलवा अपनी पीठ पर उसके सामने बिल्कुल नंगी पड़ी थी, वो अनजान साया फुलवा को देखते हुए अपने लंड को अपने हाथों से पकड़ कर हिलाने लगा और कुछ ही पलों में उसके लंड से धार निकली जो कि फुलवा के चेहरे और छाती पर गिरी,
इसी तरह एक के बाद एक कई धारों ने फुलवा के चेहरे और छाती को उसके रस से सना दिया,
कुछ पल बाद फुलवा को होश आया तो उसने खुद को पेड़ के बगल में नंगा पाया वो तुरंत उठ कर बैठ गई, और इधर उधर अपने कपड़े तलाशने लगी, इसी बीच उसका ध्यान उसकी छाती पर गया तो उसने हाथ लगा कर रस को अपनी उंगलियां में समेत कर उठाया और नाक के पास लाकर सूंघने लगी वो समझ गई कि वो क्या है, दूसरा हाथ अपने आप उसकी चूत पर पहुंच गया जो अपने रस से सराबोर थी, अपनी चूत को सहलाते हुए फुलवा ने अपनी रस से सनी उंगलियों को देखा तो उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान आ गई।
जहां पत्नी नदी किनारे पूरी नंगी होकर चुद रही थी सोमपाल सुबह उठ कर खेत की ओर चल दिए, इतने में ही पीछे से कुंवरपाल ने आवाज लगाई तो रुक गए,
कुंवरपाल: अरे रुक जा हम भी चल रहे,
कुंवरपाल ने हाथ में लोटा पकड़े आते हुए कहा,
सोमपाल: आ जा आजा, प्यारे कहां है?
कुंवर पाल: अरे आया नहीं वो आज वैसे तो सबसे पहले जाग जाता है,
सोमपाल: लगता है रात की ताड़ी का तगड़ा असर हुआ है, चल चबूतरे से ही उठाते हैं सो रहा होगा अभी,
इस पर दोनों हंसने लगे, और आगे प्यारेलाल के चबूतरे की ओर बढ़ गए, जा कर देखा तो प्यारेलाल अभी भी सो रहा था,
सोमपाल: इसकी तो हालत कुछ ज्यादा ही बिगड़ गई भाई, देख कैसे सो रहा है,
कुंवरपाल: बिगड़ गई या बन गई देख तो बेशर्म को,
कुंवरपाल ने प्यारेलाल की खुली धोती की ओर इशारा करते हुए कहा जिसके बीच उसका लंड नंगा सोता हुआ दिखाई दे रहा था,
सोमपाल: धत्त तेरी की, अरे उठा इसे नहीं तो बच्चा औरतें आने लगी तो थू थू हो जाएगी,
कुंवारपा तुरंत अपने लौटे से पानी अपने हाथ में लेता है और छींटे प्यारेलाल के चेहरे पर मारता है और अगले ही पल प्यारेलाल हड़बड़ा के उठता है और इधर उधर देखता है, और अपने दोनों यारों को अपने अगल बगल खड़ा पाता है, तुरंत उठ कर बैठ जाता है,
कुंवरपाल: उठ धी के लंड, ऐसे सो रहा है कुछ शर्म लाज है कि नहीं,
प्यारेलाल: हैं क्या हुआ?
सोमपाल: अरे क्या हुआ क्या, अपनी धोती देख।
प्यारेलाल तुरंत नीचे देखता है और अपनी धोती और कच्छे को खुला देख चौंक जाता है और तुरंत खाट से उठ कर सही से बांधता है और बांधते हुए उसे रात जो हुआ वो याद आने लगता है,
कुंवरपाल: अब क्या हुआ ऐसे बावरों की तरह क्यों सोच रहा है?
प्यारेलाल: यार रात को बहुत अजीब किस्सा हुआ है,
सोमपाल: ऐसा क्या हो गया जो तू अपनी सुध बुध खोकर अधनंगा सो रहा था,
प्यारेलाल: बताता हूं बैठो तो सही,
प्यारेलाल दोनों को खाट पर बैठाता हैं और फिर फुसफुसा कर दोनों को बताने लगता है,
प्यारेलाल: अरे यार रात को लल्ला की अम्मा आई थी मुझसे मिलने और उसकी चुदाई की मैंने,
सोमपाल: का भौजी आई थी मिलने और तूने उनकी चुदाई की, सही में बौरा गया है तू,
प्यारेलाल: अरे मेरी बात तो सुनो,
फिर प्यारेलाल रात की पूरी बात सुनाता है, उसकी कहानी खत्म होने पर दोनों हंसने लगते हैं,
कुंवरपाल: साले तुझपे ताड़ी का नशा झेला नहीं जाता, इसीलिए ऐसे सपने आते हैं तुझे,
सोमपाल: और क्या साले कम से कम मरी हुई भौजी को अब तो आराम करने दे,
प्यारेलाल: अरे यार तुम समझ नहीं रहे मैं सच बोल रहा हूं,
कुंवरपाल: अब चल सुन लिया तेरा सच सिधारी हुई भौजी को अपनी हवस के लिए परेशान कर रहा है, अब उठ खेत चल रहे हैं,
प्यारेलाल भीं अपना सिर खुजाता हुआ खड़ा होता है उसे भी लगने लगता है उसने सपना ही देखा है तो वो खड़ा होता हैं और अपना बिस्तर समेटने लगता है, कि तभी उसकी नज़र एक जगह रुक जाती है और वो ज्यों का त्यों अटक जाता है,
सोमपाल: क्या हुआ अब रुक क्यों गया? फिर से भौजी दिखने लगी,
प्यारेलाल: अरे नहीं तुम लोगों को मैं झूठा लग रहा हूं तो ये बताओ कि ये तुम्हारी भौजी की ये धोती यहां कैसे आई?
प्यारेलाल ने खाट के नीचे पड़ी धोती उठा कर दोनों को दिखाते हुए कहा,
सोमपाल: ये भौजी की धोती है?
प्यारेलाल: हां उसी की है?
कुंवरपाल: तो साले तू ही लाकर सो गया होगा रात में नशे में,
सोमपाल: और क्या नशे में तूने ही सब किया है।
प्यारेलाल: साले तुम दोनों बच्चों जैसी बातें कर रहे हो, रुको,
ये कहकर उसने धोती को अपने बिस्तर के नीचे ही दबा दिया।
प्यारेलाल: आगे चलते हुए बातें करते हैं।
प्यारेलाल ने खाट के नीचे रखा लौटा उठाया और तीनों खेत की ओर चल दिए,
सोमपाल: अब बता कि तू ही लाया था न धोती रात को,
प्यारेलाल: नहीं, उसके कपड़े तो उसके सिधारने के बाद कमरे में संदूक में बंद करके रख दिए थे,
कुंवरपाल: तो धोती तूने नहीं निकाली संदूक से?
प्यारेलाल: अरे नहीं यार तुम दोनों बताओ लड़कों के ब्याह के बाद हम लोग कभी अपने घर के कमरों में भी गए हैं संदूक छूना तो दूर की बात है,
सोमपाल: हां यार ये बात तो है, बहु आने के बाद तो कमरे में जाने का सवाल ही नहीं उठता,
कुंवरपाल: हां मैं भी नहीं गया कभी,
प्यारेलाल: अब खुद सोचो कि मैं धोती कैसे निकालूंगा।
कुंवरपाल: देख कह तो तू सही रहा है पर फिर भी ईमानदारी से बता तू नहीं लाया धोती कहीं से भी,
प्यारेलाल: भूरा की कसम यार ना मैं धोती लाया और न ही मैं कुछ झूठ बोल रहा हूं, रात तुम्हारी भौजी ही आई थी और मैंने उसकी चुदाई की भी।
ये सुनकर दोनों सोच में पड़ जाते हैं, कुछ देर सोचने के बाद सोमपाल कहता है: कुछ सोचते हैं इस बारे में।
तीनों आगे बढ़ जाते हैं।
पुष्पा की नींद खुली तो उसने खुद को अपने बेटे की बाहों में नंगा पाया वो भी पूरा नंगा था पुष्पा कुछ देर आँखें खोल कर अपने बेटे के चेहरे को देखती रही सोते हुए बहुत प्यारा लग रहा था, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका बेटा इतना बड़ा हो गया था कि उसके बदन को रात भर उसने अच्छे से मसला था, कुछ पल बाद पुष्पा उठी और धीरे से छोटू के हाथ को अपने ऊपर से हटाया और उसे सीधा कर दिया और खुद उठ कर बैठ गई, उसके बदन में एक अजीब सा मीठा मीठा दर्द हो रहा था, जो उसकी रात भर हुई बदन तोड़ चुदाई का साक्ष्य था,
उठ कर वो अपने कपड़े ढूंढने लगी, और इधर उधर देखते हुए उसकी नज़र छोटू के आधे खड़े लंड पर पड़ी, उसे देख उसके बदन में फिर से एक सिरहन होने लगी, कुछ पल वो टक टकी लगाकर उसे देखती रही और फिर खुद को संभाला और उठ कर अपने कपड़े पहने, खुद बिल्कुल तैयार हुई और फिर छोटू को उठाया,
पुष्पा: उठ बेटा उठ कपड़े पहन ले अपने,
छोटू नींद में ही उठा और अपना पजामा वगैरा पहन कर दोबारा सो गया, फिर पुष्पा बाहर निकली, बाहर निकलते हुए वो मन ही मन सोच रही थी कि आज उसके साथ कुछ अजीब हो रहा था, कल जब वो उठी थी तो उसे इतनी ग्लानि हुई थी पूरा दिन उसके मन में अपने लिए घृणा का भाव आ रहा था, सुबह तो उसके आंसू ही नहीं थम रहे थे, पर आज उसने उससे भी बड़ा पाप किया था अपने ही बेटे के साथ पर आज उसके मन में कोई ग्लानि नहीं हो रही थी, वो चाह रही थी बार बार अपने आपको कोसने की कोशिश कर रही थी पर आज उसे मन से बुरा लग ही नहीं रहा था, बल्कि उसे आज बहुत हल्का हल्का लग रहा था, बदन में एक मीठा मीठा सा दर्द का एहसास हो रहा था वहीं मन में एक सुख का अनुभव था, वो समझ नहीं पा रही थी कि ऐसा क्यों हो रहा है,
ख़ैर जल्दी ही सुधा भी जाग गई और दोनों बाहर जाकर अपनी टोली से मिलीं और फिर खेतों की ओर चल दीं। आज पुष्पा भी खूब चहक चहक कर सबसे मज़ाक कर रही थी जो कि उसका स्वभाव भी था, चारों में सिर्फ एक का मुंह आज बंद था और वो थी रत्ना, उसके दिमाग में तो अपने ससुर के साथ की चुदाई ही चल रही थी, वो जितना उसे अपने दिमाग से निकालने की कोशिश करती वो सब उतना ही उसके दिमाग में आता,
यहां औरतें अपनी बातों में व्यस्त थीं वहीं भूरा तेजी से भागता हुआ जा रहा था सड़क पर इधर उधर देख कर वो खेत में अंदर घुसने के लिए जैसे ही मुड़ता है अचानक किसी से टकरा जाता है टकराने पर हैरान होकर सामने देखता है तो उसका मुंह बन जाता है।
भूरा: तू यहां क्या कर रहा है?
वो सामने खड़े लल्लू को देख कर तुनक कर कहता है,
लल्लू: क्यों बे इस खेत पर तेरा नाम लिखा है का?
भूरा: छोड़ मुझे तुझसे बात ही नहीं करनी,
ये कह भूरा उठ के मूड कर जाने लगता है,
लल्लू: क्यों आज बिना काम निपटाए ही जा रहा है?
भूरा: मुझे कोई काम नहीं है।
लल्लू: अच्छा तो ऐसे भाग के कहां जा रहा था अपनी गांड मरवाने?
भूरा: देख भेंचो मैं तुझे गाली नहीं दे रहा तो तू भी मत दे, वैसे भी मुझे तुझसे कोई मतलब नहीं।
ये कहकर भूरा चल देता है तो लल्लू उसकी कमीज पीछे से पकड़ लेता है।
लल्लू: अच्छा ठीक है अब बुरा मत मान यार, भूल जा बीती बातें।
भूरा: मुझे न भूलना कुछ और न याद करना है।
लल्लू: अरे यार समझ ना कल जिस टेम तू आया था उस टेम मेरी गांड किलस रही थी बहुत बुरी। एक तो मेरे बाप ने पूरी रात भर खेत करवाया उसके बाद भी सुबह सोचा तेरे साथ सुबह का प्रोग्राम करूंगा तो उसमें भी अड़चन लगा दी और मैं बुरा किलस गया और सारा गुस्सा तुझ पर निकल गया,
भूरा कुछ देर चुप रहता है,
लल्लू: अब मुंह बना कर रखेगा तो आज का भी प्रोग्राम निकल जाएगा, चल जल्दी। नहीं तो मेरी गांड देखनी पड़ेगी। ये सुन भूरा को हंसी आ जाती है वैसे भी भूरा अपने दोस्त से ज़्यादा देर गुस्सा नहीं रह सकता था, इसलिए तुरंत तैयार हो गया, भूरा: आज छोड़ रहा हूं आगे से ऐसा किया तो तेरी गांड चीर दूंगा।
लल्लू: हां भाई चीर लियो अब जल्दी चल। दोनों फुर्ती में और सावधानी से अंदर बढ़ने लगते हैं, कि तभी भूरा की कुछ ध्यान आता है और उसके कदम रुक जाते हैं, वो सोचने लगता है अगर लल्लू ने देख लिया और उसे पता चल गया कि उसकी और मेरी मां सुधा चाची और पुष्पा चाची भी यहीं बैठती है तो क्या होगा वो तो मेरी जान ले लेगा, अब क्या करूं कैसे रोकूं उसे,
लल्लू पीछे मूड कर उसे देखता हैं और फुसफुसाते हुए आगे बढ़ने का इशारा करता है और फिर से आगे बढ़ने लगता है, भूरा को समझ नहीं आता क्या करे, उसका दिमाग तेजी से चलने लगता है तभी उसके दिमाग में एक बात आती है कि लल्लू को थोड़े ही पता मैं ये सब कल भी देख चुका हूं मुझे बस ऐसे दिखाना कि मैं पहली बार देख रहा हूं,
ये सोचते हुए वो आगे बढ़ता है और धीरे धीरे दोनों खेत के किनारे पहुंच जाते हैं, दूसरी ओर से आती हुई आवाजों को सुन लल्लू के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वो भूरा को चुप रहने का इशारा करते हुए धीरे धीरे आगे बढ़ कर घुटनों के बल आगे होता है और अपना चेहरा आगे कर सावधानी से झाड़ियों के बीच आगे कर झांकता है और सामने का नज़ारा देख उसकी आंखें चौड़ी हो जाती हैं, वो तुरंत खुशी से पलट कर भूरा को देखता है और उसे तुंरत आगे आ कर देखने को कहता है, मन तो भूरा का था ही वो भी लल्लू के बगल में जगह लेता है और अपनी आँखें फिर से लगा देता है, आज भी कल जैसा ही नज़ारा था चार एक से बढ़कर एक गांड़ उसकी आंखों के सामने थीं, पर वो जानता था ये सुन्दर चूतड़ किस किस के हैं, उसका लंड तुरंत कड़क हो जाता है, तभी उसे अपनी बगल में कुछ आहट होती है तो वो उधर देखता है तो पाता है कि लल्लू ने तो अपना लंड निकाल कर मुठियाना भी शुरू कर दिया था,
लल्लू: ओह भेंचो आज तो भाग खुल गए यार एक की जगह चार चार मोटी मोटी सुंदर गांड देखने को मिल रही हैं।
लल्लू ने फुसफुसाते हुए कहा,
भूरा: हां यार सारी एक से बढ़कर एक हैं पता नहीं ये कौन कौन हैं?
भूरा ने भी फुसफुसाते हुए जवाब दिया,
लल्लू: जो भी हो यार हैं बड़ी मस्त, अरे रुक ये दूसरे नंबर वाली तो पुष्पा चाची की ही है, मुझे अच्छे से याद है उनकी।
भूरा: हां यार वही लग रही हैं मुझे तो, पर बाकी की तीन समझ नहीं आ रहीं,
भूरा ने अपना नाटक जारी रखते हुए कहा,
लल्लू: हां यार पर बाकी की गांड भी बड़ी मस्त हैं पता चल जाता कौन हैं तो मज़ा आ जाता,
भूरा मन ही मन सोचता है साले पता चल जायगा तो तेरी फट जाएगी,
उधर चारों औरतें भी आपस में बातें कर रहीं थीं,
लल्लू तभी भूरा को चुप रहने का इशारा करता है और धीरे से कहता है कि चुप रह इनकी बातें सुनते हैं क्या पता चल जाए कौन कौन हैं।
दोनों कान लगाकर सुनने लगते हैं तो सबसे पहले लल्लू को एक आवाज सुनाई देती है जिसे सुनकर वो तुरंत कहता है: अरे ये तो पक्का सुधा चाची हैं पुष्पा चाची के बगल में, हाय उनकी गांड है सबमें छोटी पर चूतड़ बड़े मस्त हैं गोल मटोल से।
भूरा: हां यार पुष्पा और सुधा चाची दोनों ही मस्त हैं एक दम।
लल्लू: अब ये दोनों किनारों वाली का और पता लगाना है,
तभी उसके कानों में एक आवाज पड़ती है, अरे आज तू चुप क्यों है रत्ना?
और रत्ना सुनकर वो चौंक जाता है क्योंकि रत्ना तो भूरा की मां का नाम था, मतलब एक कोने वाली भूरा की मां है, वो सोचने लगता है अब भूरा क्या करेगा पर तभी उसका दिमाग घूमता है और वो सोचता है पर जिसने ये बोला वो आवाज तो.... मेरी मां की है,
ये खयाल आते ही उसका लंड रस छोड़ने लगता है, एक के बाद एक धार उसके लंड से छूटने लगती है उसकी आँखें अपनी मां के चूतड़ों पर टिकी की टिकी रह जाती है, इधर भूरा भी झड़ रहा होता हैं और वो भी अपनी मां की गांड को टक टकी लगाकर देख रहा होता है, झड़ने के बाद दोनों शांत होते हैं तो लल्लू तुरंत अपना पजामा ऊपर कर बापिस चल देता है और भूरा उसके पीछे पीछे।
भूरा तो पहले ही ये झेल चुका था पर वो जता नहीं सकता था वो लल्लू के पीछे पीछे चल देता है लल्लू सोचता हुआ चलता चला जाता है और सीधा नदी के किनारे आकर रुकता है, दोनों शांत होकर खड़े रहते हैं काफी देर की चुप्पी के बाद लल्लू बोलता है,
लल्लू: भेंचो बहुत बड़ा कांड हो गया यार पाप हो गया,
भूरा: हां यार भेंचो ऐसा तो सोचा भी नहीं था कि ऐसा हो सकता है, हमारी बुद्धि ही काम न करी।
लल्लू: ये सब न हमारे कर्मों की सजा है भाई, हमने छोटू के साथ धोखा किया और उसकी मां को गलत हालत में देखा और हिलाया, तो उसी की सज़ा हमें मिली और आज हमने अपनी मां को देख कर हिला लिया।
भूरा: हां भाई बहुत बड़ी गलती हो गई है हमसे अब का करें कुछ समझ नहीं आ रहा?
लल्लू: हां यार भेंचो हमारे दिमाग को न जाने हुआ क्या है? अपनी ही मां की गांड देख कर कैसे हिला सकते हैं हम लोग? इतना बड़ा पाप कैसे कर सकते हैं?
भूरा: पता नहीं यार पर हमें पता थोड़े ही था कि वो चूतड़ हमारी मां के हैं, देखने में अच्छे लगे तो शायद इसीलिए हमने ये सब किया,
ये सुनकर लल्लू थोड़ा चुप हो जाता है, और कुछ सोचने लगता है,
लल्लू: एक काम करते हैं जो हुआ उसे दिमाग से निकालने की कोशिश करते हैं, और सब भूल कर आज के बाद कभी ऐसा नहीं करेंगे।
भूरा: ठीक है,
लल्लू: आंखें बंद करते हैं और इस सब को अपने दिमाग से हटाते हैं,
लल्लू ये कहकर अपनी आँखें बंद करता है पर वो जिस दृश्य को हटाने की कोशिश करता है वही उसे दिखाई देता है और वो दृश्य होता है उसकी मां की गांड का, चारों औरतों में उसकी मां के चूतड़ सबसे बड़े थे और दरार भी गहरी नज़र आ रही थी, उसकी आंखों के सामने से उसकी मां के चूतड़ हट नहीं रहे थे,
तभी उसे अपने बगल से अह मां ऐसी सिसकी सुनाई देती है तो वो आंखें खोल कर देखता है और चौंक जाता है, वो देखता है कि भूरा की आंखें बंद हैं पर वो अपने हाथ से पजामे के ऊपर से ही लंड सहलाता हुआ सिसकियां ले रहा है वो भी अपनी मां के नाम की।
लल्लू तुरंत उसे हाथ मारकर जैसे होश में लाता है।
लल्लू: साले तुझे मैंने कहा कि उस बात को दिमाग से निकाल तू कुछ और ही करने लगा, माना तब अनजाने में हुआ पर अभी जान बुझ कर करना तो महा पाप है।
भूरा उसे कुछ पल देखता है और फिर अपना पजामा नीचे खिसका कर अपने कड़क लंड को बाहर निकाल लेता है और कहता है: भाई अब पापी कह ले या महा पापी पर अभी अगर मैंने नहीं हिलाया तो मैं पागल हो जाऊंगा।
ये कहकर भूरा अपने लंड को मुठियाने लगता है आँखें फिर से बंद हो जाती हैं और मुंह से सिसकियां निकलने लगती हैं: अह्ह मां कितने मस्त चूतड़ हैं तुम्हारे, अह्ह मां,
लल्लू उसे आँखें फाड़े देख रहा होता है इसलिए नहीं कि वो अपनी मां के नाम की मुठ्ठी मार रहा था बल्कि इसलिए कि साले में इतनी हिम्मत है कि ये जानते हुए भी गलत है फिर भी कर पा रहा है और यहां वो नाटक कर रहा है, जबकि चाहता तो वो भी यही है कि अपने मां के चूतड़ों को याद करके खूब लंड हिलाए,
कुछ पल यूं ही खड़े रहने के बाद आखिर वो फैसला कर लेता है और फिर उसका पजामा भी नीचे होता है और आंखे बंद कर अपनी मां के नाम की मुठ्ठी लगाने लगता है,
लल्लू: अह्ह मां इतने मस्त और भरे चूतड़ मैंने किसी के नहीं देखे, अह्ह मन करता है अपना लंड घुसा दूं तुम्हारे चूतड़ों के बीच।
दोनों इसी तरह से अपनी अपनी मां को याद करके अपने अपने लंड हिलाते हैं और फिर पानी गिराने के बाद शांत होते हैं,
झड़ने के बाद दोनों पीछे ऐसे ही लेट जाते हैं,
भूरा: अह्ह यार मज़ा आ गया।
लल्लू: सही में यार इतना तगड़ा तो मैं किसी के लिए भी नहीं झड़ा जितना अपनी मां के चूतड़ों को याद करके झड़ा।
भूरा: तो गलत भी नहीं है यार ताई के चूतड़ हैं भी तो इतने मोटे
लल्लू भूरा के मुंह से ये सुनकर आंखें चढ़ाकर उसे देखने लगता है, पर अगले ही पल मुस्कुराने लगता है।
लल्लू: वैसे तो अगर तू मेरी मां के बारे में कुछ बोलता तो तेरी गांड छील देता पर हम जिस मोड पर आ गए हैं वहां सब चलता है, वैसे साले चाची की गांड भी कम नहीं थी, एक दम कसी हुई लग रही थी,
भूरा: हां यार ये तो सही कहा तूने,
लल्लू: वैसे हमने सोचा भी नहीं था कि हम पूरे गांव की औरतों की गांड देखने के पीछे पड़ेंगे, और सबसे मस्त गांडे हमारे अपने घरों में होंगी।
दोनों को ऐसे खुल कर बात करने में मजा आ रहा था,
भूरा: अरे हमारा तो ठीक है साले छोटूआ की किस्मत तेज है साले के घर में दो दो हैं।
लल्लू: हां यार ये तो सही कहा तूने। और दोनों ही कम नहीं हैं।
भूरा: पर तुझे क्या लगता है छुटुआ कभी हमारे जितना खुल पाएगा?
लल्लू: खुलेगा नहीं तो खोलना पड़ेगा, साले को अपने साथ लेना पड़ेगा।
भूरा: कुछ योजना बनानी पड़ेगी।
लल्लू: हां बनायेंगे पर मेरा फिर से खड़ा हो गया मां के बारे में सोच कर एक बार और हिलाते हैं।
दोनों फिर से एक एक बार अपना पानी गिराते हैं और फिर बातें करते हुए गांव के अंदर की ओर चल देते हैं।
घबराते हुए उसने धक्का देकर अपने ससुर को अपने ऊपर से हटाया और बिस्तर से उठ कर अंदर की ओर भागी उसकी साड़ी प्यारेलाल के नीचे दब कर वहीं रह गई वो नंगी ही घर के अंदर की ओर भागी, आंखों में आंसुओं की धार बह रही थी, और मन जैसे फटने को हो रहा था और हों भी क्यों न कहां कुछ देर पहले तक वो एक संस्कारी पतिव्रता औरत थी और कहां उसने अपने पति को धोखा देकर किसी और से चुदवा लिया था और वो भी कोई और नहीं अपने ससुर से।
अंदर आकर वो सीधे कमरे में गई और बिस्तर पर लेट कर सुबकने लगी, काफी देर तक रोने के बाद उसे एहसास हुआ कि वो अभी भी नंगी है तो उसने तुरंत उठ कर कपड़े पहने और रोते रोते ही सो गई। अब आगे....
अगली सुबह हुई तो तड़के ही फुलवा उठी और अपने टोटके के लिए चल दी पिछली सुबह की तरह ही उसने नदी में स्नान किया और फिर नंगी होकर पेड़ के पास आई, पर आज वो थोड़ा असहज महसूस कर रही थी कल जो भी हुआ उसे सोच कर उसके मन में एक असहजता का आभास हो रहा था और साथ ही उत्तेजना का भी, उसने एक बार अच्छे से चारों ओर देखा अपने मन की जिज्ञासा शांत करने के लिए, उसे कोई आस पास नहीं दिखा, वो फिर झुककर बैठ गई और विधि अनुसार मंत्र पढ़ने लगी, कुछ देर ही हुई थी कि उसे अपने चूतड़ों पर एक हाथ का आभास हुआ और उसके बदन में बिजली दौड़ गई, अगले ही पल उसकी चूत के होंठों को फैलाता हुआ एक गरम लंड उसकी चूत में समाने लगा, उसके दांत अपने आप पिस गए और उसके हाथों ने अपने नीचे की घास को कस कर पकड़ लिया, एक दो झटके लगे और लंड उसकी चूत में जड़ तक समाया हुआ था, फुलवा के मुंह से सिसकियां निकलने लगीं उसके लिए मंत्र बोलना भी लगभग रुक ही गया पर वो फिर भी कोशिश कर रही थी, लंड ने धीरे धीरे अंदर बाहर होना शुरू कर दिया और फुलवा का बदन मचलने लगा, विधि के अनुसार वो आंखें नहीं खोल सकती थी जब तक मंत्र न पूरे हो जाएं तो आंखे बंद करके फुलवा अपनी चूत में इसी तरह धक्के लगवाने लगी तभी उसने महसूस किया जो हाथ उसकी कमर पर थे वो सरकते हुए उसकी कमर और फिर उसकी पपीते की आकार की चूचियों पर आ गए और उन्हें मसलने लगे, फुलवा तो इस हमले से पागल सी होने लगी और उसका बदन झटके खाने लगा,
ऐसे खुले में किसी अनजान व्यक्ति से चुदाई करवाना और फिर इस तरह अपने बदन से खेलने देना ये सब फुलवा के लिए बहुत उत्तेजक था, ऊपर से गरम कड़क लंड उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था, और उसे एक ऐसा अहसास दे रहा था जो जीवन में पहले कभी नहीं हुआ था, अपने पति के अलावा किसी और से चुदने का जो गलत होकर भी जो एक अलग एहसास था वो उसे पागल कर रहा था, जो भी उसकी चुदाई कर रहा था वो चुदाई की कला में निपुण था तभी तो कैसे उसके बदन से खेलना है उसे अच्छे से पता था उसके धक्के ऐसे थे कि फुलवा के वजूद को हिला रहे थे, चूचियों का मर्दन और तगड़े लंड की चुदाई का कुछ ऐसा असर फुलवा पर हुआ कि उसका बदन कांपने लगा और उसका पूरा बदन ऐंठने लगा, पर जो उसे चोद रहा था उसने अपने हाथों को उसकी चूचियों से हटाया और उसे ऐसे जकड़ लिया कि वो गिरे न और न ही उसके लंड से अलग हो, और ऐसे पकड़े हुए ही कुछ और धक्के उसकी चूत में लगा दिए, बस फुलवा के लिए इतना काफी था और वो स्खलित होने लगी, उसकी चूत पानी छोड़ने लगी और अपने रस से उस कड़क लंड को भिगोने लगी, फुलवा का स्खलन इतना ज़ोरदार था कि वो तो स्खलित होते ही मानो बेहोश हो गई, और बेजान होकर वहीं मिट्टी पर गिर पड़ी, उसकी आँखें बंद पहले से ही थी, फुलवा की ये हालत देख उस अनजान साए ने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और उसे पलट दिया, अब फुलवा अपनी पीठ पर उसके सामने बिल्कुल नंगी पड़ी थी, वो अनजान साया फुलवा को देखते हुए अपने लंड को अपने हाथों से पकड़ कर हिलाने लगा और कुछ ही पलों में उसके लंड से धार निकली जो कि फुलवा के चेहरे और छाती पर गिरी,
इसी तरह एक के बाद एक कई धारों ने फुलवा के चेहरे और छाती को उसके रस से सना दिया,
कुछ पल बाद फुलवा को होश आया तो उसने खुद को पेड़ के बगल में नंगा पाया वो तुरंत उठ कर बैठ गई, और इधर उधर अपने कपड़े तलाशने लगी, इसी बीच उसका ध्यान उसकी छाती पर गया तो उसने हाथ लगा कर रस को अपनी उंगलियां में समेत कर उठाया और नाक के पास लाकर सूंघने लगी वो समझ गई कि वो क्या है, दूसरा हाथ अपने आप उसकी चूत पर पहुंच गया जो अपने रस से सराबोर थी, अपनी चूत को सहलाते हुए फुलवा ने अपनी रस से सनी उंगलियों को देखा तो उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान आ गई।
जहां पत्नी नदी किनारे पूरी नंगी होकर चुद रही थी सोमपाल सुबह उठ कर खेत की ओर चल दिए, इतने में ही पीछे से कुंवरपाल ने आवाज लगाई तो रुक गए,
कुंवरपाल: अरे रुक जा हम भी चल रहे,
कुंवरपाल ने हाथ में लोटा पकड़े आते हुए कहा,
सोमपाल: आ जा आजा, प्यारे कहां है?
कुंवर पाल: अरे आया नहीं वो आज वैसे तो सबसे पहले जाग जाता है,
सोमपाल: लगता है रात की ताड़ी का तगड़ा असर हुआ है, चल चबूतरे से ही उठाते हैं सो रहा होगा अभी,
इस पर दोनों हंसने लगे, और आगे प्यारेलाल के चबूतरे की ओर बढ़ गए, जा कर देखा तो प्यारेलाल अभी भी सो रहा था,
सोमपाल: इसकी तो हालत कुछ ज्यादा ही बिगड़ गई भाई, देख कैसे सो रहा है,
कुंवरपाल: बिगड़ गई या बन गई देख तो बेशर्म को,
कुंवरपाल ने प्यारेलाल की खुली धोती की ओर इशारा करते हुए कहा जिसके बीच उसका लंड नंगा सोता हुआ दिखाई दे रहा था,
सोमपाल: धत्त तेरी की, अरे उठा इसे नहीं तो बच्चा औरतें आने लगी तो थू थू हो जाएगी,
कुंवारपा तुरंत अपने लौटे से पानी अपने हाथ में लेता है और छींटे प्यारेलाल के चेहरे पर मारता है और अगले ही पल प्यारेलाल हड़बड़ा के उठता है और इधर उधर देखता है, और अपने दोनों यारों को अपने अगल बगल खड़ा पाता है, तुरंत उठ कर बैठ जाता है,
कुंवरपाल: उठ धी के लंड, ऐसे सो रहा है कुछ शर्म लाज है कि नहीं,
प्यारेलाल: हैं क्या हुआ?
सोमपाल: अरे क्या हुआ क्या, अपनी धोती देख।
प्यारेलाल तुरंत नीचे देखता है और अपनी धोती और कच्छे को खुला देख चौंक जाता है और तुरंत खाट से उठ कर सही से बांधता है और बांधते हुए उसे रात जो हुआ वो याद आने लगता है,
कुंवरपाल: अब क्या हुआ ऐसे बावरों की तरह क्यों सोच रहा है?
प्यारेलाल: यार रात को बहुत अजीब किस्सा हुआ है,
सोमपाल: ऐसा क्या हो गया जो तू अपनी सुध बुध खोकर अधनंगा सो रहा था,
प्यारेलाल: बताता हूं बैठो तो सही,
प्यारेलाल दोनों को खाट पर बैठाता हैं और फिर फुसफुसा कर दोनों को बताने लगता है,
प्यारेलाल: अरे यार रात को लल्ला की अम्मा आई थी मुझसे मिलने और उसकी चुदाई की मैंने,
सोमपाल: का भौजी आई थी मिलने और तूने उनकी चुदाई की, सही में बौरा गया है तू,
प्यारेलाल: अरे मेरी बात तो सुनो,
फिर प्यारेलाल रात की पूरी बात सुनाता है, उसकी कहानी खत्म होने पर दोनों हंसने लगते हैं,
कुंवरपाल: साले तुझपे ताड़ी का नशा झेला नहीं जाता, इसीलिए ऐसे सपने आते हैं तुझे,
सोमपाल: और क्या साले कम से कम मरी हुई भौजी को अब तो आराम करने दे,
प्यारेलाल: अरे यार तुम समझ नहीं रहे मैं सच बोल रहा हूं,
कुंवरपाल: अब चल सुन लिया तेरा सच सिधारी हुई भौजी को अपनी हवस के लिए परेशान कर रहा है, अब उठ खेत चल रहे हैं,
प्यारेलाल भीं अपना सिर खुजाता हुआ खड़ा होता है उसे भी लगने लगता है उसने सपना ही देखा है तो वो खड़ा होता हैं और अपना बिस्तर समेटने लगता है, कि तभी उसकी नज़र एक जगह रुक जाती है और वो ज्यों का त्यों अटक जाता है,
सोमपाल: क्या हुआ अब रुक क्यों गया? फिर से भौजी दिखने लगी,
प्यारेलाल: अरे नहीं तुम लोगों को मैं झूठा लग रहा हूं तो ये बताओ कि ये तुम्हारी भौजी की ये धोती यहां कैसे आई?
प्यारेलाल ने खाट के नीचे पड़ी धोती उठा कर दोनों को दिखाते हुए कहा,
सोमपाल: ये भौजी की धोती है?
प्यारेलाल: हां उसी की है?
कुंवरपाल: तो साले तू ही लाकर सो गया होगा रात में नशे में,
सोमपाल: और क्या नशे में तूने ही सब किया है।
प्यारेलाल: साले तुम दोनों बच्चों जैसी बातें कर रहे हो, रुको,
ये कहकर उसने धोती को अपने बिस्तर के नीचे ही दबा दिया।
प्यारेलाल: आगे चलते हुए बातें करते हैं।
प्यारेलाल ने खाट के नीचे रखा लौटा उठाया और तीनों खेत की ओर चल दिए,
सोमपाल: अब बता कि तू ही लाया था न धोती रात को,
प्यारेलाल: नहीं, उसके कपड़े तो उसके सिधारने के बाद कमरे में संदूक में बंद करके रख दिए थे,
कुंवरपाल: तो धोती तूने नहीं निकाली संदूक से?
प्यारेलाल: अरे नहीं यार तुम दोनों बताओ लड़कों के ब्याह के बाद हम लोग कभी अपने घर के कमरों में भी गए हैं संदूक छूना तो दूर की बात है,
सोमपाल: हां यार ये बात तो है, बहु आने के बाद तो कमरे में जाने का सवाल ही नहीं उठता,
कुंवरपाल: हां मैं भी नहीं गया कभी,
प्यारेलाल: अब खुद सोचो कि मैं धोती कैसे निकालूंगा।
कुंवरपाल: देख कह तो तू सही रहा है पर फिर भी ईमानदारी से बता तू नहीं लाया धोती कहीं से भी,
प्यारेलाल: भूरा की कसम यार ना मैं धोती लाया और न ही मैं कुछ झूठ बोल रहा हूं, रात तुम्हारी भौजी ही आई थी और मैंने उसकी चुदाई की भी।
ये सुनकर दोनों सोच में पड़ जाते हैं, कुछ देर सोचने के बाद सोमपाल कहता है: कुछ सोचते हैं इस बारे में।
तीनों आगे बढ़ जाते हैं।
पुष्पा की नींद खुली तो उसने खुद को अपने बेटे की बाहों में नंगा पाया वो भी पूरा नंगा था पुष्पा कुछ देर आँखें खोल कर अपने बेटे के चेहरे को देखती रही सोते हुए बहुत प्यारा लग रहा था, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका बेटा इतना बड़ा हो गया था कि उसके बदन को रात भर उसने अच्छे से मसला था, कुछ पल बाद पुष्पा उठी और धीरे से छोटू के हाथ को अपने ऊपर से हटाया और उसे सीधा कर दिया और खुद उठ कर बैठ गई, उसके बदन में एक अजीब सा मीठा मीठा दर्द हो रहा था, जो उसकी रात भर हुई बदन तोड़ चुदाई का साक्ष्य था,
उठ कर वो अपने कपड़े ढूंढने लगी, और इधर उधर देखते हुए उसकी नज़र छोटू के आधे खड़े लंड पर पड़ी, उसे देख उसके बदन में फिर से एक सिरहन होने लगी, कुछ पल वो टक टकी लगाकर उसे देखती रही और फिर खुद को संभाला और उठ कर अपने कपड़े पहने, खुद बिल्कुल तैयार हुई और फिर छोटू को उठाया,
पुष्पा: उठ बेटा उठ कपड़े पहन ले अपने,
छोटू नींद में ही उठा और अपना पजामा वगैरा पहन कर दोबारा सो गया, फिर पुष्पा बाहर निकली, बाहर निकलते हुए वो मन ही मन सोच रही थी कि आज उसके साथ कुछ अजीब हो रहा था, कल जब वो उठी थी तो उसे इतनी ग्लानि हुई थी पूरा दिन उसके मन में अपने लिए घृणा का भाव आ रहा था, सुबह तो उसके आंसू ही नहीं थम रहे थे, पर आज उसने उससे भी बड़ा पाप किया था अपने ही बेटे के साथ पर आज उसके मन में कोई ग्लानि नहीं हो रही थी, वो चाह रही थी बार बार अपने आपको कोसने की कोशिश कर रही थी पर आज उसे मन से बुरा लग ही नहीं रहा था, बल्कि उसे आज बहुत हल्का हल्का लग रहा था, बदन में एक मीठा मीठा सा दर्द का एहसास हो रहा था वहीं मन में एक सुख का अनुभव था, वो समझ नहीं पा रही थी कि ऐसा क्यों हो रहा है,
ख़ैर जल्दी ही सुधा भी जाग गई और दोनों बाहर जाकर अपनी टोली से मिलीं और फिर खेतों की ओर चल दीं। आज पुष्पा भी खूब चहक चहक कर सबसे मज़ाक कर रही थी जो कि उसका स्वभाव भी था, चारों में सिर्फ एक का मुंह आज बंद था और वो थी रत्ना, उसके दिमाग में तो अपने ससुर के साथ की चुदाई ही चल रही थी, वो जितना उसे अपने दिमाग से निकालने की कोशिश करती वो सब उतना ही उसके दिमाग में आता,
यहां औरतें अपनी बातों में व्यस्त थीं वहीं भूरा तेजी से भागता हुआ जा रहा था सड़क पर इधर उधर देख कर वो खेत में अंदर घुसने के लिए जैसे ही मुड़ता है अचानक किसी से टकरा जाता है टकराने पर हैरान होकर सामने देखता है तो उसका मुंह बन जाता है।
भूरा: तू यहां क्या कर रहा है?
वो सामने खड़े लल्लू को देख कर तुनक कर कहता है,
लल्लू: क्यों बे इस खेत पर तेरा नाम लिखा है का?
भूरा: छोड़ मुझे तुझसे बात ही नहीं करनी,
ये कह भूरा उठ के मूड कर जाने लगता है,
लल्लू: क्यों आज बिना काम निपटाए ही जा रहा है?
भूरा: मुझे कोई काम नहीं है।
लल्लू: अच्छा तो ऐसे भाग के कहां जा रहा था अपनी गांड मरवाने?
भूरा: देख भेंचो मैं तुझे गाली नहीं दे रहा तो तू भी मत दे, वैसे भी मुझे तुझसे कोई मतलब नहीं।
ये कहकर भूरा चल देता है तो लल्लू उसकी कमीज पीछे से पकड़ लेता है।
लल्लू: अच्छा ठीक है अब बुरा मत मान यार, भूल जा बीती बातें।
भूरा: मुझे न भूलना कुछ और न याद करना है।
लल्लू: अरे यार समझ ना कल जिस टेम तू आया था उस टेम मेरी गांड किलस रही थी बहुत बुरी। एक तो मेरे बाप ने पूरी रात भर खेत करवाया उसके बाद भी सुबह सोचा तेरे साथ सुबह का प्रोग्राम करूंगा तो उसमें भी अड़चन लगा दी और मैं बुरा किलस गया और सारा गुस्सा तुझ पर निकल गया,
भूरा कुछ देर चुप रहता है,
लल्लू: अब मुंह बना कर रखेगा तो आज का भी प्रोग्राम निकल जाएगा, चल जल्दी। नहीं तो मेरी गांड देखनी पड़ेगी। ये सुन भूरा को हंसी आ जाती है वैसे भी भूरा अपने दोस्त से ज़्यादा देर गुस्सा नहीं रह सकता था, इसलिए तुरंत तैयार हो गया, भूरा: आज छोड़ रहा हूं आगे से ऐसा किया तो तेरी गांड चीर दूंगा।
लल्लू: हां भाई चीर लियो अब जल्दी चल। दोनों फुर्ती में और सावधानी से अंदर बढ़ने लगते हैं, कि तभी भूरा की कुछ ध्यान आता है और उसके कदम रुक जाते हैं, वो सोचने लगता है अगर लल्लू ने देख लिया और उसे पता चल गया कि उसकी और मेरी मां सुधा चाची और पुष्पा चाची भी यहीं बैठती है तो क्या होगा वो तो मेरी जान ले लेगा, अब क्या करूं कैसे रोकूं उसे,
लल्लू पीछे मूड कर उसे देखता हैं और फुसफुसाते हुए आगे बढ़ने का इशारा करता है और फिर से आगे बढ़ने लगता है, भूरा को समझ नहीं आता क्या करे, उसका दिमाग तेजी से चलने लगता है तभी उसके दिमाग में एक बात आती है कि लल्लू को थोड़े ही पता मैं ये सब कल भी देख चुका हूं मुझे बस ऐसे दिखाना कि मैं पहली बार देख रहा हूं,
ये सोचते हुए वो आगे बढ़ता है और धीरे धीरे दोनों खेत के किनारे पहुंच जाते हैं, दूसरी ओर से आती हुई आवाजों को सुन लल्लू के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वो भूरा को चुप रहने का इशारा करते हुए धीरे धीरे आगे बढ़ कर घुटनों के बल आगे होता है और अपना चेहरा आगे कर सावधानी से झाड़ियों के बीच आगे कर झांकता है और सामने का नज़ारा देख उसकी आंखें चौड़ी हो जाती हैं, वो तुरंत खुशी से पलट कर भूरा को देखता है और उसे तुंरत आगे आ कर देखने को कहता है, मन तो भूरा का था ही वो भी लल्लू के बगल में जगह लेता है और अपनी आँखें फिर से लगा देता है, आज भी कल जैसा ही नज़ारा था चार एक से बढ़कर एक गांड़ उसकी आंखों के सामने थीं, पर वो जानता था ये सुन्दर चूतड़ किस किस के हैं, उसका लंड तुरंत कड़क हो जाता है, तभी उसे अपनी बगल में कुछ आहट होती है तो वो उधर देखता है तो पाता है कि लल्लू ने तो अपना लंड निकाल कर मुठियाना भी शुरू कर दिया था,
लल्लू: ओह भेंचो आज तो भाग खुल गए यार एक की जगह चार चार मोटी मोटी सुंदर गांड देखने को मिल रही हैं।
लल्लू ने फुसफुसाते हुए कहा,
भूरा: हां यार सारी एक से बढ़कर एक हैं पता नहीं ये कौन कौन हैं?
भूरा ने भी फुसफुसाते हुए जवाब दिया,
लल्लू: जो भी हो यार हैं बड़ी मस्त, अरे रुक ये दूसरे नंबर वाली तो पुष्पा चाची की ही है, मुझे अच्छे से याद है उनकी।
भूरा: हां यार वही लग रही हैं मुझे तो, पर बाकी की तीन समझ नहीं आ रहीं,
भूरा ने अपना नाटक जारी रखते हुए कहा,
लल्लू: हां यार पर बाकी की गांड भी बड़ी मस्त हैं पता चल जाता कौन हैं तो मज़ा आ जाता,
भूरा मन ही मन सोचता है साले पता चल जायगा तो तेरी फट जाएगी,
उधर चारों औरतें भी आपस में बातें कर रहीं थीं,
लल्लू तभी भूरा को चुप रहने का इशारा करता है और धीरे से कहता है कि चुप रह इनकी बातें सुनते हैं क्या पता चल जाए कौन कौन हैं।
दोनों कान लगाकर सुनने लगते हैं तो सबसे पहले लल्लू को एक आवाज सुनाई देती है जिसे सुनकर वो तुरंत कहता है: अरे ये तो पक्का सुधा चाची हैं पुष्पा चाची के बगल में, हाय उनकी गांड है सबमें छोटी पर चूतड़ बड़े मस्त हैं गोल मटोल से।
भूरा: हां यार पुष्पा और सुधा चाची दोनों ही मस्त हैं एक दम।
लल्लू: अब ये दोनों किनारों वाली का और पता लगाना है,
तभी उसके कानों में एक आवाज पड़ती है, अरे आज तू चुप क्यों है रत्ना?
और रत्ना सुनकर वो चौंक जाता है क्योंकि रत्ना तो भूरा की मां का नाम था, मतलब एक कोने वाली भूरा की मां है, वो सोचने लगता है अब भूरा क्या करेगा पर तभी उसका दिमाग घूमता है और वो सोचता है पर जिसने ये बोला वो आवाज तो.... मेरी मां की है,
ये खयाल आते ही उसका लंड रस छोड़ने लगता है, एक के बाद एक धार उसके लंड से छूटने लगती है उसकी आँखें अपनी मां के चूतड़ों पर टिकी की टिकी रह जाती है, इधर भूरा भी झड़ रहा होता हैं और वो भी अपनी मां की गांड को टक टकी लगाकर देख रहा होता है, झड़ने के बाद दोनों शांत होते हैं तो लल्लू तुरंत अपना पजामा ऊपर कर बापिस चल देता है और भूरा उसके पीछे पीछे।
भूरा तो पहले ही ये झेल चुका था पर वो जता नहीं सकता था वो लल्लू के पीछे पीछे चल देता है लल्लू सोचता हुआ चलता चला जाता है और सीधा नदी के किनारे आकर रुकता है, दोनों शांत होकर खड़े रहते हैं काफी देर की चुप्पी के बाद लल्लू बोलता है,
लल्लू: भेंचो बहुत बड़ा कांड हो गया यार पाप हो गया,
भूरा: हां यार भेंचो ऐसा तो सोचा भी नहीं था कि ऐसा हो सकता है, हमारी बुद्धि ही काम न करी।
लल्लू: ये सब न हमारे कर्मों की सजा है भाई, हमने छोटू के साथ धोखा किया और उसकी मां को गलत हालत में देखा और हिलाया, तो उसी की सज़ा हमें मिली और आज हमने अपनी मां को देख कर हिला लिया।
भूरा: हां भाई बहुत बड़ी गलती हो गई है हमसे अब का करें कुछ समझ नहीं आ रहा?
लल्लू: हां यार भेंचो हमारे दिमाग को न जाने हुआ क्या है? अपनी ही मां की गांड देख कर कैसे हिला सकते हैं हम लोग? इतना बड़ा पाप कैसे कर सकते हैं?
भूरा: पता नहीं यार पर हमें पता थोड़े ही था कि वो चूतड़ हमारी मां के हैं, देखने में अच्छे लगे तो शायद इसीलिए हमने ये सब किया,
ये सुनकर लल्लू थोड़ा चुप हो जाता है, और कुछ सोचने लगता है,
लल्लू: एक काम करते हैं जो हुआ उसे दिमाग से निकालने की कोशिश करते हैं, और सब भूल कर आज के बाद कभी ऐसा नहीं करेंगे।
भूरा: ठीक है,
लल्लू: आंखें बंद करते हैं और इस सब को अपने दिमाग से हटाते हैं,
लल्लू ये कहकर अपनी आँखें बंद करता है पर वो जिस दृश्य को हटाने की कोशिश करता है वही उसे दिखाई देता है और वो दृश्य होता है उसकी मां की गांड का, चारों औरतों में उसकी मां के चूतड़ सबसे बड़े थे और दरार भी गहरी नज़र आ रही थी, उसकी आंखों के सामने से उसकी मां के चूतड़ हट नहीं रहे थे,
तभी उसे अपने बगल से अह मां ऐसी सिसकी सुनाई देती है तो वो आंखें खोल कर देखता है और चौंक जाता है, वो देखता है कि भूरा की आंखें बंद हैं पर वो अपने हाथ से पजामे के ऊपर से ही लंड सहलाता हुआ सिसकियां ले रहा है वो भी अपनी मां के नाम की।
लल्लू तुरंत उसे हाथ मारकर जैसे होश में लाता है।
लल्लू: साले तुझे मैंने कहा कि उस बात को दिमाग से निकाल तू कुछ और ही करने लगा, माना तब अनजाने में हुआ पर अभी जान बुझ कर करना तो महा पाप है।
भूरा उसे कुछ पल देखता है और फिर अपना पजामा नीचे खिसका कर अपने कड़क लंड को बाहर निकाल लेता है और कहता है: भाई अब पापी कह ले या महा पापी पर अभी अगर मैंने नहीं हिलाया तो मैं पागल हो जाऊंगा।
ये कहकर भूरा अपने लंड को मुठियाने लगता है आँखें फिर से बंद हो जाती हैं और मुंह से सिसकियां निकलने लगती हैं: अह्ह मां कितने मस्त चूतड़ हैं तुम्हारे, अह्ह मां,
लल्लू उसे आँखें फाड़े देख रहा होता है इसलिए नहीं कि वो अपनी मां के नाम की मुठ्ठी मार रहा था बल्कि इसलिए कि साले में इतनी हिम्मत है कि ये जानते हुए भी गलत है फिर भी कर पा रहा है और यहां वो नाटक कर रहा है, जबकि चाहता तो वो भी यही है कि अपने मां के चूतड़ों को याद करके खूब लंड हिलाए,
कुछ पल यूं ही खड़े रहने के बाद आखिर वो फैसला कर लेता है और फिर उसका पजामा भी नीचे होता है और आंखे बंद कर अपनी मां के नाम की मुठ्ठी लगाने लगता है,
लल्लू: अह्ह मां इतने मस्त और भरे चूतड़ मैंने किसी के नहीं देखे, अह्ह मन करता है अपना लंड घुसा दूं तुम्हारे चूतड़ों के बीच।
दोनों इसी तरह से अपनी अपनी मां को याद करके अपने अपने लंड हिलाते हैं और फिर पानी गिराने के बाद शांत होते हैं,
झड़ने के बाद दोनों पीछे ऐसे ही लेट जाते हैं,
भूरा: अह्ह यार मज़ा आ गया।
लल्लू: सही में यार इतना तगड़ा तो मैं किसी के लिए भी नहीं झड़ा जितना अपनी मां के चूतड़ों को याद करके झड़ा।
भूरा: तो गलत भी नहीं है यार ताई के चूतड़ हैं भी तो इतने मोटे
लल्लू भूरा के मुंह से ये सुनकर आंखें चढ़ाकर उसे देखने लगता है, पर अगले ही पल मुस्कुराने लगता है।
लल्लू: वैसे तो अगर तू मेरी मां के बारे में कुछ बोलता तो तेरी गांड छील देता पर हम जिस मोड पर आ गए हैं वहां सब चलता है, वैसे साले चाची की गांड भी कम नहीं थी, एक दम कसी हुई लग रही थी,
भूरा: हां यार ये तो सही कहा तूने,
लल्लू: वैसे हमने सोचा भी नहीं था कि हम पूरे गांव की औरतों की गांड देखने के पीछे पड़ेंगे, और सबसे मस्त गांडे हमारे अपने घरों में होंगी।
दोनों को ऐसे खुल कर बात करने में मजा आ रहा था,
भूरा: अरे हमारा तो ठीक है साले छोटूआ की किस्मत तेज है साले के घर में दो दो हैं।
लल्लू: हां यार ये तो सही कहा तूने। और दोनों ही कम नहीं हैं।
भूरा: पर तुझे क्या लगता है छुटुआ कभी हमारे जितना खुल पाएगा?
लल्लू: खुलेगा नहीं तो खोलना पड़ेगा, साले को अपने साथ लेना पड़ेगा।
भूरा: कुछ योजना बनानी पड़ेगी।
लल्लू: हां बनायेंगे पर मेरा फिर से खड़ा हो गया मां के बारे में सोच कर एक बार और हिलाते हैं।
दोनों फिर से एक एक बार अपना पानी गिराते हैं और फिर बातें करते हुए गांव के अंदर की ओर चल देते हैं।
घबराते हुए उसने धक्का देकर अपने ससुर को अपने ऊपर से हटाया और बिस्तर से उठ कर अंदर की ओर भागी उसकी साड़ी प्यारेलाल के नीचे दब कर वहीं रह गई वो नंगी ही घर के अंदर की ओर भागी, आंखों में आंसुओं की धार बह रही थी, और मन जैसे फटने को हो रहा था और हों भी क्यों न कहां कुछ देर पहले तक वो एक संस्कारी पतिव्रता औरत थी और कहां उसने अपने पति को धोखा देकर किसी और से चुदवा लिया था और वो भी कोई और नहीं अपने ससुर से।
अंदर आकर वो सीधे कमरे में गई और बिस्तर पर लेट कर सुबकने लगी, काफी देर तक रोने के बाद उसे एहसास हुआ कि वो अभी भी नंगी है तो उसने तुरंत उठ कर कपड़े पहने और रोते रोते ही सो गई। अब आगे....
अगली सुबह हुई तो तड़के ही फुलवा उठी और अपने टोटके के लिए चल दी पिछली सुबह की तरह ही उसने नदी में स्नान किया और फिर नंगी होकर पेड़ के पास आई, पर आज वो थोड़ा असहज महसूस कर रही थी कल जो भी हुआ उसे सोच कर उसके मन में एक असहजता का आभास हो रहा था और साथ ही उत्तेजना का भी, उसने एक बार अच्छे से चारों ओर देखा अपने मन की जिज्ञासा शांत करने के लिए, उसे कोई आस पास नहीं दिखा, वो फिर झुककर बैठ गई और विधि अनुसार मंत्र पढ़ने लगी, कुछ देर ही हुई थी कि उसे अपने चूतड़ों पर एक हाथ का आभास हुआ और उसके बदन में बिजली दौड़ गई, अगले ही पल उसकी चूत के होंठों को फैलाता हुआ एक गरम लंड उसकी चूत में समाने लगा, उसके दांत अपने आप पिस गए और उसके हाथों ने अपने नीचे की घास को कस कर पकड़ लिया, एक दो झटके लगे और लंड उसकी चूत में जड़ तक समाया हुआ था, फुलवा के मुंह से सिसकियां निकलने लगीं उसके लिए मंत्र बोलना भी लगभग रुक ही गया पर वो फिर भी कोशिश कर रही थी, लंड ने धीरे धीरे अंदर बाहर होना शुरू कर दिया और फुलवा का बदन मचलने लगा, विधि के अनुसार वो आंखें नहीं खोल सकती थी जब तक मंत्र न पूरे हो जाएं तो आंखे बंद करके फुलवा अपनी चूत में इसी तरह धक्के लगवाने लगी तभी उसने महसूस किया जो हाथ उसकी कमर पर थे वो सरकते हुए उसकी कमर और फिर उसकी पपीते की आकार की चूचियों पर आ गए और उन्हें मसलने लगे, फुलवा तो इस हमले से पागल सी होने लगी और उसका बदन झटके खाने लगा,
ऐसे खुले में किसी अनजान व्यक्ति से चुदाई करवाना और फिर इस तरह अपने बदन से खेलने देना ये सब फुलवा के लिए बहुत उत्तेजक था, ऊपर से गरम कड़क लंड उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था, और उसे एक ऐसा अहसास दे रहा था जो जीवन में पहले कभी नहीं हुआ था, अपने पति के अलावा किसी और से चुदने का जो गलत होकर भी जो एक अलग एहसास था वो उसे पागल कर रहा था, जो भी उसकी चुदाई कर रहा था वो चुदाई की कला में निपुण था तभी तो कैसे उसके बदन से खेलना है उसे अच्छे से पता था उसके धक्के ऐसे थे कि फुलवा के वजूद को हिला रहे थे, चूचियों का मर्दन और तगड़े लंड की चुदाई का कुछ ऐसा असर फुलवा पर हुआ कि उसका बदन कांपने लगा और उसका पूरा बदन ऐंठने लगा, पर जो उसे चोद रहा था उसने अपने हाथों को उसकी चूचियों से हटाया और उसे ऐसे जकड़ लिया कि वो गिरे न और न ही उसके लंड से अलग हो, और ऐसे पकड़े हुए ही कुछ और धक्के उसकी चूत में लगा दिए, बस फुलवा के लिए इतना काफी था और वो स्खलित होने लगी, उसकी चूत पानी छोड़ने लगी और अपने रस से उस कड़क लंड को भिगोने लगी, फुलवा का स्खलन इतना ज़ोरदार था कि वो तो स्खलित होते ही मानो बेहोश हो गई, और बेजान होकर वहीं मिट्टी पर गिर पड़ी, उसकी आँखें बंद पहले से ही थी, फुलवा की ये हालत देख उस अनजान साए ने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और उसे पलट दिया, अब फुलवा अपनी पीठ पर उसके सामने बिल्कुल नंगी पड़ी थी, वो अनजान साया फुलवा को देखते हुए अपने लंड को अपने हाथों से पकड़ कर हिलाने लगा और कुछ ही पलों में उसके लंड से धार निकली जो कि फुलवा के चेहरे और छाती पर गिरी,
इसी तरह एक के बाद एक कई धारों ने फुलवा के चेहरे और छाती को उसके रस से सना दिया,
कुछ पल बाद फुलवा को होश आया तो उसने खुद को पेड़ के बगल में नंगा पाया वो तुरंत उठ कर बैठ गई, और इधर उधर अपने कपड़े तलाशने लगी, इसी बीच उसका ध्यान उसकी छाती पर गया तो उसने हाथ लगा कर रस को अपनी उंगलियां में समेत कर उठाया और नाक के पास लाकर सूंघने लगी वो समझ गई कि वो क्या है, दूसरा हाथ अपने आप उसकी चूत पर पहुंच गया जो अपने रस से सराबोर थी, अपनी चूत को सहलाते हुए फुलवा ने अपनी रस से सनी उंगलियों को देखा तो उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान आ गई।
जहां पत्नी नदी किनारे पूरी नंगी होकर चुद रही थी सोमपाल सुबह उठ कर खेत की ओर चल दिए, इतने में ही पीछे से कुंवरपाल ने आवाज लगाई तो रुक गए,
कुंवरपाल: अरे रुक जा हम भी चल रहे,
कुंवरपाल ने हाथ में लोटा पकड़े आते हुए कहा,
सोमपाल: आ जा आजा, प्यारे कहां है?
कुंवर पाल: अरे आया नहीं वो आज वैसे तो सबसे पहले जाग जाता है,
सोमपाल: लगता है रात की ताड़ी का तगड़ा असर हुआ है, चल चबूतरे से ही उठाते हैं सो रहा होगा अभी,
इस पर दोनों हंसने लगे, और आगे प्यारेलाल के चबूतरे की ओर बढ़ गए, जा कर देखा तो प्यारेलाल अभी भी सो रहा था,
सोमपाल: इसकी तो हालत कुछ ज्यादा ही बिगड़ गई भाई, देख कैसे सो रहा है,
कुंवरपाल: बिगड़ गई या बन गई देख तो बेशर्म को,
कुंवरपाल ने प्यारेलाल की खुली धोती की ओर इशारा करते हुए कहा जिसके बीच उसका लंड नंगा सोता हुआ दिखाई दे रहा था,
सोमपाल: धत्त तेरी की, अरे उठा इसे नहीं तो बच्चा औरतें आने लगी तो थू थू हो जाएगी,
कुंवारपा तुरंत अपने लौटे से पानी अपने हाथ में लेता है और छींटे प्यारेलाल के चेहरे पर मारता है और अगले ही पल प्यारेलाल हड़बड़ा के उठता है और इधर उधर देखता है, और अपने दोनों यारों को अपने अगल बगल खड़ा पाता है, तुरंत उठ कर बैठ जाता है,
कुंवरपाल: उठ धी के लंड, ऐसे सो रहा है कुछ शर्म लाज है कि नहीं,
प्यारेलाल: हैं क्या हुआ?
सोमपाल: अरे क्या हुआ क्या, अपनी धोती देख।
प्यारेलाल तुरंत नीचे देखता है और अपनी धोती और कच्छे को खुला देख चौंक जाता है और तुरंत खाट से उठ कर सही से बांधता है और बांधते हुए उसे रात जो हुआ वो याद आने लगता है,
कुंवरपाल: अब क्या हुआ ऐसे बावरों की तरह क्यों सोच रहा है?
प्यारेलाल: यार रात को बहुत अजीब किस्सा हुआ है,
सोमपाल: ऐसा क्या हो गया जो तू अपनी सुध बुध खोकर अधनंगा सो रहा था,
प्यारेलाल: बताता हूं बैठो तो सही,
प्यारेलाल दोनों को खाट पर बैठाता हैं और फिर फुसफुसा कर दोनों को बताने लगता है,
प्यारेलाल: अरे यार रात को लल्ला की अम्मा आई थी मुझसे मिलने और उसकी चुदाई की मैंने,
सोमपाल: का भौजी आई थी मिलने और तूने उनकी चुदाई की, सही में बौरा गया है तू,
प्यारेलाल: अरे मेरी बात तो सुनो,
फिर प्यारेलाल रात की पूरी बात सुनाता है, उसकी कहानी खत्म होने पर दोनों हंसने लगते हैं,
कुंवरपाल: साले तुझपे ताड़ी का नशा झेला नहीं जाता, इसीलिए ऐसे सपने आते हैं तुझे,
सोमपाल: और क्या साले कम से कम मरी हुई भौजी को अब तो आराम करने दे,
प्यारेलाल: अरे यार तुम समझ नहीं रहे मैं सच बोल रहा हूं,
कुंवरपाल: अब चल सुन लिया तेरा सच सिधारी हुई भौजी को अपनी हवस के लिए परेशान कर रहा है, अब उठ खेत चल रहे हैं,
प्यारेलाल भीं अपना सिर खुजाता हुआ खड़ा होता है उसे भी लगने लगता है उसने सपना ही देखा है तो वो खड़ा होता हैं और अपना बिस्तर समेटने लगता है, कि तभी उसकी नज़र एक जगह रुक जाती है और वो ज्यों का त्यों अटक जाता है,
सोमपाल: क्या हुआ अब रुक क्यों गया? फिर से भौजी दिखने लगी,
प्यारेलाल: अरे नहीं तुम लोगों को मैं झूठा लग रहा हूं तो ये बताओ कि ये तुम्हारी भौजी की ये धोती यहां कैसे आई?
प्यारेलाल ने खाट के नीचे पड़ी धोती उठा कर दोनों को दिखाते हुए कहा,
सोमपाल: ये भौजी की धोती है?
प्यारेलाल: हां उसी की है?
कुंवरपाल: तो साले तू ही लाकर सो गया होगा रात में नशे में,
सोमपाल: और क्या नशे में तूने ही सब किया है।
प्यारेलाल: साले तुम दोनों बच्चों जैसी बातें कर रहे हो, रुको,
ये कहकर उसने धोती को अपने बिस्तर के नीचे ही दबा दिया।
प्यारेलाल: आगे चलते हुए बातें करते हैं।
प्यारेलाल ने खाट के नीचे रखा लौटा उठाया और तीनों खेत की ओर चल दिए,
सोमपाल: अब बता कि तू ही लाया था न धोती रात को,
प्यारेलाल: नहीं, उसके कपड़े तो उसके सिधारने के बाद कमरे में संदूक में बंद करके रख दिए थे,
कुंवरपाल: तो धोती तूने नहीं निकाली संदूक से?
प्यारेलाल: अरे नहीं यार तुम दोनों बताओ लड़कों के ब्याह के बाद हम लोग कभी अपने घर के कमरों में भी गए हैं संदूक छूना तो दूर की बात है,
सोमपाल: हां यार ये बात तो है, बहु आने के बाद तो कमरे में जाने का सवाल ही नहीं उठता,
कुंवरपाल: हां मैं भी नहीं गया कभी,
प्यारेलाल: अब खुद सोचो कि मैं धोती कैसे निकालूंगा।
कुंवरपाल: देख कह तो तू सही रहा है पर फिर भी ईमानदारी से बता तू नहीं लाया धोती कहीं से भी,
प्यारेलाल: भूरा की कसम यार ना मैं धोती लाया और न ही मैं कुछ झूठ बोल रहा हूं, रात तुम्हारी भौजी ही आई थी और मैंने उसकी चुदाई की भी।
ये सुनकर दोनों सोच में पड़ जाते हैं, कुछ देर सोचने के बाद सोमपाल कहता है: कुछ सोचते हैं इस बारे में।
तीनों आगे बढ़ जाते हैं।
पुष्पा की नींद खुली तो उसने खुद को अपने बेटे की बाहों में नंगा पाया वो भी पूरा नंगा था पुष्पा कुछ देर आँखें खोल कर अपने बेटे के चेहरे को देखती रही सोते हुए बहुत प्यारा लग रहा था, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका बेटा इतना बड़ा हो गया था कि उसके बदन को रात भर उसने अच्छे से मसला था, कुछ पल बाद पुष्पा उठी और धीरे से छोटू के हाथ को अपने ऊपर से हटाया और उसे सीधा कर दिया और खुद उठ कर बैठ गई, उसके बदन में एक अजीब सा मीठा मीठा दर्द हो रहा था, जो उसकी रात भर हुई बदन तोड़ चुदाई का साक्ष्य था,
उठ कर वो अपने कपड़े ढूंढने लगी, और इधर उधर देखते हुए उसकी नज़र छोटू के आधे खड़े लंड पर पड़ी, उसे देख उसके बदन में फिर से एक सिरहन होने लगी, कुछ पल वो टक टकी लगाकर उसे देखती रही और फिर खुद को संभाला और उठ कर अपने कपड़े पहने, खुद बिल्कुल तैयार हुई और फिर छोटू को उठाया,
पुष्पा: उठ बेटा उठ कपड़े पहन ले अपने,
छोटू नींद में ही उठा और अपना पजामा वगैरा पहन कर दोबारा सो गया, फिर पुष्पा बाहर निकली, बाहर निकलते हुए वो मन ही मन सोच रही थी कि आज उसके साथ कुछ अजीब हो रहा था, कल जब वो उठी थी तो उसे इतनी ग्लानि हुई थी पूरा दिन उसके मन में अपने लिए घृणा का भाव आ रहा था, सुबह तो उसके आंसू ही नहीं थम रहे थे, पर आज उसने उससे भी बड़ा पाप किया था अपने ही बेटे के साथ पर आज उसके मन में कोई ग्लानि नहीं हो रही थी, वो चाह रही थी बार बार अपने आपको कोसने की कोशिश कर रही थी पर आज उसे मन से बुरा लग ही नहीं रहा था, बल्कि उसे आज बहुत हल्का हल्का लग रहा था, बदन में एक मीठा मीठा सा दर्द का एहसास हो रहा था वहीं मन में एक सुख का अनुभव था, वो समझ नहीं पा रही थी कि ऐसा क्यों हो रहा है,
ख़ैर जल्दी ही सुधा भी जाग गई और दोनों बाहर जाकर अपनी टोली से मिलीं और फिर खेतों की ओर चल दीं। आज पुष्पा भी खूब चहक चहक कर सबसे मज़ाक कर रही थी जो कि उसका स्वभाव भी था, चारों में सिर्फ एक का मुंह आज बंद था और वो थी रत्ना, उसके दिमाग में तो अपने ससुर के साथ की चुदाई ही चल रही थी, वो जितना उसे अपने दिमाग से निकालने की कोशिश करती वो सब उतना ही उसके दिमाग में आता,
यहां औरतें अपनी बातों में व्यस्त थीं वहीं भूरा तेजी से भागता हुआ जा रहा था सड़क पर इधर उधर देख कर वो खेत में अंदर घुसने के लिए जैसे ही मुड़ता है अचानक किसी से टकरा जाता है टकराने पर हैरान होकर सामने देखता है तो उसका मुंह बन जाता है।
भूरा: तू यहां क्या कर रहा है?
वो सामने खड़े लल्लू को देख कर तुनक कर कहता है,
लल्लू: क्यों बे इस खेत पर तेरा नाम लिखा है का?
भूरा: छोड़ मुझे तुझसे बात ही नहीं करनी,
ये कह भूरा उठ के मूड कर जाने लगता है,
लल्लू: क्यों आज बिना काम निपटाए ही जा रहा है?
भूरा: मुझे कोई काम नहीं है।
लल्लू: अच्छा तो ऐसे भाग के कहां जा रहा था अपनी गांड मरवाने?
भूरा: देख भेंचो मैं तुझे गाली नहीं दे रहा तो तू भी मत दे, वैसे भी मुझे तुझसे कोई मतलब नहीं।
ये कहकर भूरा चल देता है तो लल्लू उसकी कमीज पीछे से पकड़ लेता है।
लल्लू: अच्छा ठीक है अब बुरा मत मान यार, भूल जा बीती बातें।
भूरा: मुझे न भूलना कुछ और न याद करना है।
लल्लू: अरे यार समझ ना कल जिस टेम तू आया था उस टेम मेरी गांड किलस रही थी बहुत बुरी। एक तो मेरे बाप ने पूरी रात भर खेत करवाया उसके बाद भी सुबह सोचा तेरे साथ सुबह का प्रोग्राम करूंगा तो उसमें भी अड़चन लगा दी और मैं बुरा किलस गया और सारा गुस्सा तुझ पर निकल गया,
भूरा कुछ देर चुप रहता है,
लल्लू: अब मुंह बना कर रखेगा तो आज का भी प्रोग्राम निकल जाएगा, चल जल्दी। नहीं तो मेरी गांड देखनी पड़ेगी।
ये सुन भूरा को हंसी आ जाती है वैसे भी भूरा अपने दोस्त से ज़्यादा देर गुस्सा नहीं रह सकता था, इसलिए तुरंत तैयार हो गया, भूरा: आज छोड़ रहा हूं आगे से ऐसा किया तो तेरी गांड चीर दूंगा।
लल्लू: हां भाई चीर लियो अब जल्दी चल।
दोनों फुर्ती में और सावधानी से अंदर बढ़ने लगते हैं, कि तभी भूरा की कुछ ध्यान आता है और उसके कदम रुक जाते हैं, वो सोचने लगता है अगर लल्लू ने देख लिया और उसे पता चल गया कि उसकी और मेरी मां सुधा चाची और पुष्पा चाची भी यहीं बैठती है तो क्या होगा वो तो मेरी जान ले लेगा, अब क्या करूं कैसे रोकूं उसे,
लल्लू पीछे मूड कर उसे देखता हैं और फुसफुसाते हुए आगे बढ़ने का इशारा करता है और फिर से आगे बढ़ने लगता है, भूरा को समझ नहीं आता क्या करे, उसका दिमाग तेजी से चलने लगता है तभी उसके दिमाग में एक बात आती है कि लल्लू को थोड़े ही पता मैं ये सब कल भी देख चुका हूं मुझे बस ऐसे दिखाना कि मैं पहली बार देख रहा हूं,
ये सोचते हुए वो आगे बढ़ता है और धीरे धीरे दोनों खेत के किनारे पहुंच जाते हैं, दूसरी ओर से आती हुई आवाजों को सुन लल्लू के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वो भूरा को चुप रहने का इशारा करते हुए धीरे धीरे आगे बढ़ कर घुटनों के बल आगे होता है और अपना चेहरा आगे कर सावधानी से झाड़ियों के बीच आगे कर झांकता है और सामने का नज़ारा देख उसकी आंखें चौड़ी हो जाती हैं, वो तुरंत खुशी से पलट कर भूरा को देखता है और उसे तुंरत आगे आ कर देखने को कहता है, मन तो भूरा का था ही वो भी लल्लू के बगल में जगह लेता है और अपनी आँखें फिर से लगा देता है, आज भी कल जैसा ही नज़ारा था चार एक से बढ़कर एक गांड़ उसकी आंखों के सामने थीं, पर वो जानता था ये सुन्दर चूतड़ किस किस के हैं, उसका लंड तुरंत कड़क हो जाता है, तभी उसे अपनी बगल में कुछ आहट होती है तो वो उधर देखता है तो पाता है कि लल्लू ने तो अपना लंड निकाल कर मुठियाना भी शुरू कर दिया था,
लल्लू: ओह भेंचो आज तो भाग खुल गए यार एक की जगह चार चार मोटी मोटी सुंदर गांड देखने को मिल रही हैं।
लल्लू ने फुसफुसाते हुए कहा,
भूरा: हां यार सारी एक से बढ़कर एक हैं पता नहीं ये कौन कौन हैं?
भूरा ने भी फुसफुसाते हुए जवाब दिया,
लल्लू: जो भी हो यार हैं बड़ी मस्त, अरे रुक ये दूसरे नंबर वाली तो पुष्पा चाची की ही है, मुझे अच्छे से याद है उनकी।
भूरा: हां यार वही लग रही हैं मुझे तो, पर बाकी की तीन समझ नहीं आ रहीं,
भूरा ने अपना नाटक जारी रखते हुए कहा,
लल्लू: हां यार पर बाकी की गांड भी बड़ी मस्त हैं पता चल जाता कौन हैं तो मज़ा आ जाता,
भूरा मन ही मन सोचता है साले पता चल जायगा तो तेरी फट जाएगी,
उधर चारों औरतें भी आपस में बातें कर रहीं थीं,
लल्लू तभी भूरा को चुप रहने का इशारा करता है और धीरे से कहता है कि चुप रह इनकी बातें सुनते हैं क्या पता चल जाए कौन कौन हैं।
दोनों कान लगाकर सुनने लगते हैं तो सबसे पहले लल्लू को एक आवाज सुनाई देती है जिसे सुनकर वो तुरंत कहता है: अरे ये तो पक्का सुधा चाची हैं पुष्पा चाची के बगल में, हाय उनकी गांड है सबमें छोटी पर चूतड़ बड़े मस्त हैं गोल मटोल से।
भूरा: हां यार पुष्पा और सुधा चाची दोनों ही मस्त हैं एक दम।
लल्लू: अब ये दोनों किनारों वाली का और पता लगाना है,
तभी उसके कानों में एक आवाज पड़ती है, अरे आज तू चुप क्यों है रत्ना?
और रत्ना सुनकर वो चौंक जाता है क्योंकि रत्ना तो भूरा की मां का नाम था, मतलब एक कोने वाली भूरा की मां है, वो सोचने लगता है अब भूरा क्या करेगा पर तभी उसका दिमाग घूमता है और वो सोचता है पर जिसने ये बोला वो आवाज तो.... मेरी मां की है,
ये खयाल आते ही उसका लंड रस छोड़ने लगता है, एक के बाद एक धार उसके लंड से छूटने लगती है उसकी आँखें अपनी मां के चूतड़ों पर टिकी की टिकी रह जाती है, इधर भूरा भी झड़ रहा होता हैं और वो भी अपनी मां की गांड को टक टकी लगाकर देख रहा होता है, झड़ने के बाद दोनों शांत होते हैं तो लल्लू तुरंत अपना पजामा ऊपर कर बापिस चल देता है और भूरा उसके पीछे पीछे।
भूरा तो पहले ही ये झेल चुका था पर वो जता नहीं सकता था वो लल्लू के पीछे पीछे चल देता है लल्लू सोचता हुआ चलता चला जाता है और सीधा नदी के किनारे आकर रुकता है, दोनों शांत होकर खड़े रहते हैं काफी देर की चुप्पी के बाद लल्लू बोलता है,
लल्लू: भेंचो बहुत बड़ा कांड हो गया यार पाप हो गया,
भूरा: हां यार भेंचो ऐसा तो सोचा भी नहीं था कि ऐसा हो सकता है, हमारी बुद्धि ही काम न करी।
लल्लू: ये सब न हमारे कर्मों की सजा है भाई, हमने छोटू के साथ धोखा किया और उसकी मां को गलत हालत में देखा और हिलाया, तो उसी की सज़ा हमें मिली और आज हमने अपनी मां को देख कर हिला लिया।
भूरा: हां भाई बहुत बड़ी गलती हो गई है हमसे अब का करें कुछ समझ नहीं आ रहा?
लल्लू: हां यार भेंचो हमारे दिमाग को न जाने हुआ क्या है? अपनी ही मां की गांड देख कर कैसे हिला सकते हैं हम लोग? इतना बड़ा पाप कैसे कर सकते हैं?
भूरा: पता नहीं यार पर हमें पता थोड़े ही था कि वो चूतड़ हमारी मां के हैं, देखने में अच्छे लगे तो शायद इसीलिए हमने ये सब किया,
ये सुनकर लल्लू थोड़ा चुप हो जाता है, और कुछ सोचने लगता है,
लल्लू: एक काम करते हैं जो हुआ उसे दिमाग से निकालने की कोशिश करते हैं, और सब भूल कर आज के बाद कभी ऐसा नहीं करेंगे।
भूरा: ठीक है,
लल्लू: आंखें बंद करते हैं और इस सब को अपने दिमाग से हटाते हैं,
लल्लू ये कहकर अपनी आँखें बंद करता है पर वो जिस दृश्य को हटाने की कोशिश करता है वही उसे दिखाई देता है और वो दृश्य होता है उसकी मां की गांड का, चारों औरतों में उसकी मां के चूतड़ सबसे बड़े थे और दरार भी गहरी नज़र आ रही थी, उसकी आंखों के सामने से उसकी मां के चूतड़ हट नहीं रहे थे,
तभी उसे अपने बगल से अह मां ऐसी सिसकी सुनाई देती है तो वो आंखें खोल कर देखता है और चौंक जाता है, वो देखता है कि भूरा की आंखें बंद हैं पर वो अपने हाथ से पजामे के ऊपर से ही लंड सहलाता हुआ सिसकियां ले रहा है वो भी अपनी मां के नाम की।
लल्लू तुरंत उसे हाथ मारकर जैसे होश में लाता है।
लल्लू: साले तुझे मैंने कहा कि उस बात को दिमाग से निकाल तू कुछ और ही करने लगा, माना तब अनजाने में हुआ पर अभी जान बुझ कर करना तो महा पाप है।
भूरा उसे कुछ पल देखता है और फिर अपना पजामा नीचे खिसका कर अपने कड़क लंड को बाहर निकाल लेता है और कहता है: भाई अब पापी कह ले या महा पापी पर अभी अगर मैंने नहीं हिलाया तो मैं पागल हो जाऊंगा।
ये कहकर भूरा अपने लंड को मुठियाने लगता है आँखें फिर से बंद हो जाती हैं और मुंह से सिसकियां निकलने लगती हैं: अह्ह मां कितने मस्त चूतड़ हैं तुम्हारे, अह्ह मां,
लल्लू उसे आँखें फाड़े देख रहा होता है इसलिए नहीं कि वो अपनी मां के नाम की मुठ्ठी मार रहा था बल्कि इसलिए कि साले में इतनी हिम्मत है कि ये जानते हुए भी गलत है फिर भी कर पा रहा है और यहां वो नाटक कर रहा है, जबकि चाहता तो वो भी यही है कि अपने मां के चूतड़ों को याद करके खूब लंड हिलाए,
कुछ पल यूं ही खड़े रहने के बाद आखिर वो फैसला कर लेता है और फिर उसका पजामा भी नीचे होता है और आंखे बंद कर अपनी मां के नाम की मुठ्ठी लगाने लगता है,
लल्लू: अह्ह मां इतने मस्त और भरे चूतड़ मैंने किसी के नहीं देखे, अह्ह मन करता है अपना लंड घुसा दूं तुम्हारे चूतड़ों के बीच।
दोनों इसी तरह से अपनी अपनी मां को याद करके अपने अपने लंड हिलाते हैं और फिर पानी गिराने के बाद शांत होते हैं,
झड़ने के बाद दोनों पीछे ऐसे ही लेट जाते हैं,
भूरा: अह्ह यार मज़ा आ गया।
लल्लू: सही में यार इतना तगड़ा तो मैं किसी के लिए भी नहीं झड़ा जितना अपनी मां के चूतड़ों को याद करके झड़ा।
भूरा: तो गलत भी नहीं है यार ताई के चूतड़ हैं भी तो इतने मोटे
लल्लू भूरा के मुंह से ये सुनकर आंखें चढ़ाकर उसे देखने लगता है, पर अगले ही पल मुस्कुराने लगता है।
लल्लू: वैसे तो अगर तू मेरी मां के बारे में कुछ बोलता तो तेरी गांड छील देता पर हम जिस मोड पर आ गए हैं वहां सब चलता है, वैसे साले चाची की गांड भी कम नहीं थी, एक दम कसी हुई लग रही थी,
भूरा: हां यार ये तो सही कहा तूने,
लल्लू: वैसे हमने सोचा भी नहीं था कि हम पूरे गांव की औरतों की गांड देखने के पीछे पड़ेंगे, और सबसे मस्त गांडे हमारे अपने घरों में होंगी।
दोनों को ऐसे खुल कर बात करने में मजा आ रहा था,
भूरा: अरे हमारा तो ठीक है साले छोटूआ की किस्मत तेज है साले के घर में दो दो हैं।
लल्लू: हां यार ये तो सही कहा तूने। और दोनों ही कम नहीं हैं।
भूरा: पर तुझे क्या लगता है छुटुआ कभी हमारे जितना खुल पाएगा?
लल्लू: खुलेगा नहीं तो खोलना पड़ेगा, साले को अपने साथ लेना पड़ेगा।
भूरा: कुछ योजना बनानी पड़ेगी।
लल्लू: हां बनायेंगे पर मेरा फिर से खड़ा हो गया मां के बारे में सोच कर एक बार और हिलाते हैं।
दोनों फिर से एक एक बार अपना पानी गिराते हैं और फिर बातें करते हुए गांव के अंदर की ओर चल देते हैं।