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Shandar jabardast update
वक्त बर्बाद न बिन बात की बातों में कीजिए।
आज की रात मजा चूत का होटों से लीजिए।
Behtreen update
Nice update bro
ग्रामीण परिवेश पर आधारित स्टोरी की बात ही कुछ और होती है । गांव की मिट्टी , लहलहाते हुए फसल , एक दूसरे से जुड़े हुए लोग , गांव के त्योहार और मेले सब-कुछ शहरों से इतर एक अलग ही पहचान दिलाता है । एक स्वर्गिक सुख का अनुभव कराता है ।
यह प्रमुखतः तीन परिवारों की कहानी है - लल्लू , भूरा और छोटू । किस तरह से यह परिवार अपने संस्कारों को त्याग कर हवस और सेक्स का गुलाम बन जाता है , या फिर इन्सेस्ट के सफर पर निकल पड़ता है , वह दिखाने का प्रयास इस कहानी मे किया गया है ।
फाॅरविडेन और वर्जित संबंधो का रोमांच उत्तेजना के एहसास से रुबरू कराने का प्रयास है यह ।
बहुत बढ़िया लिख रहे है आप ।
Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
ये लता और उसकी सगी बेटी नंदिनी के बीच समलैंगिक संबंध की शुरुवात हो गई जिससे दोनों को परम आनंद प्राप्त हुआ ये सिलसिला कायम रह जाये तो मजा आ जायेगा
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
मित्र.
काफी दिनों पश्चात सारे अपडेट्स पढ़ने का अवसर मिला.. मज़ा आ गया.. पात्र आलेखन और द्रश्य विवरण इतना सटीक और वास्तविक है.. की पढ़ने वाला आँख बंद कर लें तो एक पल के लिए खुद को ही लल्लू, छोटू और भूरा के बीच महसूस करेगा.. !! बहुत ही उमदा.. यूं ही लिखते रहिए..
सस्नेह
वखारिया
update de de bhai
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति मित्र
गजब की कहानी है , सब कुछ सचित्र और संजीव सा मालूम पड़ता है
चाहे वो गाव के घूमककड़ो की यारी हो या फिर पिछड़े हुए समाज मे महिलाओ पर थोपे गये संस्कार और मर्यादाओ की बेड़ीया हो या फिर भूत प्रेत बाधा वाली किस्से कहानिया सब कुछ आस पास घट रहा हो और अपने ही गाव घर की बात हो ऐसा मह्सूस हो रहा है ।
लता ताई के झुल्ते चुचे और पुष्पा की फैली गाड़ सब किरदार आन्खो मे बस से गये हो ।
किसी पुराने और अनुभवी एक पाठक मित्र द्वारा कभी मेरे लिए ये बात कही गई थी वो आज आपको समर्पित है
Brilliant updates with awasome writting skills. Keep it up
Fantastic update Bhai... waiting more
Guruji waiting for next update
Thank you bhai...agle update kaa intezaar hai besabri se
hope update jaldi hi aayega...thanks.
Arthur Morgan
Update de do bhai
अपडेट क्यों नहीं आ रहे
Main bhi ek kahani likh raha hoon to jaanta hoon ki daily updates dena impossible hai par hafte me do updates to diye jaa hi sakte hain Arthur Morgan Bhai Aapki story sachmuch bahot acchi hai isliye mujhe bhi aapki iss story ke updates ki sheeghrata se pratiksha rehti hai Week me do updates dene ka prayas karein mitra
Arthur Morgan बहुत ही खूबसूरत और शानदार प्रस्तुति कहानी में एक लगाव है पढ़ने के लिए जो जरूरी होता है । बहुत सुन्दर रचना ….,
Will be eagerly waiting for next update
Waiting for next update
Bhai ek hafte m ek update nhi de paa rhe yarr
Agr itni hi busy life h to strt kyu krte ho forum
Bhai update kab de rahe ho
Or aap tabiyat kaisi h agr thik nhi h to Aram karo bad me update Dena bhai kyu ki khud se jada story nhi h bhai
Shandar jabardast super hot erotic updateअध्याय 9ये सोच कर ही उसका हाथ खुद की चूत पर पहुंच गया वो अपने हाथ से अपनी चूत को मसलती हुई सोचने लगी कि क्या सच में आज उसने अपनी मां का मूत चख लिया, पर उससे भी बड़ी बात उसे ये सब गलत क्यूं नहीं लग रहा, अच्छा क्यूं लग रहा है। ये ही सोच उसने अपनी जीभ होंठों पर फिराई तो उसे अपनी मां के पेशाब का स्वाद मिला जिसे चख कर उसके बदन में बिजली दौड़ गई। आगे...
नंदिनी अपनी सोच में थी वहीं लता को तो लग रहा था वो जैसे मर चुकी है, उसकी जान ही चूत के रास्ते से निकल चुकी है, चंद्रमा की रोशनी में अपने आंगन में खाट पर बिल्कुल नंगी पड़ी हुई लता की आंखें बंद थीं, सांसें इतनी गहरी थी कि सीना हर बार दूध में आते हुए उबाल की तरह ऊपर उठता और फिर नीचे बैठ जाता, कुछ देर तक यूं ही लेटी रही, कुछ पल बाद आंखें खोलीं तो बेटी पर नजर पड़ी, नंदिनी की नजर भी अपनी मां के नंगे बदन पर थी और उसका हाथ उसकी जांघों के बीच था जो कि सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत को मसल रहा था,
झड़ने के बाद लता तो थोड़ा शांत हो चुकी थी और एक बार फिर से उसे ग्लानि और संशय ने साथ ही अनेकों सवालों ने घेर लिया, वो सोचने लगी कि आज दिन से ही उसके साथ हो क्या रहा है, मैंने अपनी ही बेटी के साथ ये सब किया, उससे अपनी चूत चटवाई उसके मुंह पर मूता, कैसी पापिनी मां हूं मैं? आज तक ऐसा पाप ऐसी नीच हरकत किसी मां ने अपनी बेटी के साथ नहीं की होगी जैसी मैंने कर दी है,
इधर नंदनी इन सब से अलग थी उसका सारा ध्यान अपनी चूत की खुजली पर था जो मिटने का नाम नहीं ले रही थी, सलवार के ऊपर से सहलाने से बात न बनते देख नंदिनी खड़ी हुई और कुछ ही पलों में उसने अपनी सलवार को खोल कर टांगों से निकाल दिया और फिर बिस्तर पर चढ़ने को हुई तो उसने अपनी मां के बदन को देखा, और फिर कुछ सोच कर अपनी चड्डी और फिर सूट और समीज भी निकाल कर पूरी नंगी हो गई, अपनी मां की तरह उसके सामने नंगे होने पर नंदिनी के मन में उत्तेजना और बढ़ने लगी, वहीं लता जो कि अपनी ही उलझन में थी उसने ध्यान ही नहीं दिया कि उसकी बेटी भी उसी की तरह पूरी नंगी हो चुकी है, नंदिनी नंगी होकर बिस्तर पर अपनी मां के ऊपर लेट गई और जब लता को अपने बदन से नंदिनी के नंगे बदन का स्पर्श हुआ तब जाकर लता को ज्ञात हुआ कि नंदिनी नंगी है और ये सोच कर ही एक बार फिर से उसके बदन में बिजली दौड़ पड़ी, वहीं नंदिनी की उत्तेजना का तो अभी कोई सानी ही नहीं था, उसका पूरा बदन बिल्कुल मचल रहा था, इसी गर्मी को मिटाने के लिए वो अपने बदन को अपनी मां के बदन से घिसने लगी, अपनी टांगों को मां की टांगों में घिसने लगी और इसी घिसने और घिसाने के बीच एक ऐसी स्तिथि हुई कि दोनों मां और बेटी की चूत एक दूसरे से टकराई, जिनके टकराते ही दोनों के बदन में ऐसा करंट दौड़ा जैसे दो नंगी तारों को जोड़ने पर होता है,
एक पल को तो दोनों ज्यों की त्यों रुक गईं और उस अदभुत पल को अपने मन में समाने का प्रयास करने लगीं, पर नंदिनी की चूत की खुजली ने उसे ज्यादा देर रुकने नहीं दिया, उसकी कमर अपने आप हिलने लगी और दोनों की चूत आपस में रगड़ खाने लगी, उस रगड़ से जो मज़ा और उत्तेजना उत्पन्न हो रही थी, वो दोनों ने ही आज तक नहीं अनुभव की थी, ऐसा अदभुत आनंद भी होता है जगत में जिससे नंदिनी तो थी ही साथ ही लता जैसी औरत भी अज्ञात थी, बेटी की चूत की रगड़ पाते ही एक बार फिर से उसके मन के सारे विचार सारी ग्लानि धुआं हो गई,
इधर नंदिनी तो बिलकुल बावरी सी होकर अपनी चूत को अपनी मां की चूत से घिसने लगी, उसके हाथ मां की चुचियों पर कस गए, लता के हाथ भी स्वतह ही नंदिनी के गोल मटोल चूतड़ों पर कस गए,
लता के चेहरे के सामने उसकी बेटी का चेहरा था, लता ने अपनी बेटी के चेहरे पर हवस और आनंद के भाव देखे तो उसके मन को खुशी सी हुई, फिर उसने नंदिनी के तपते रसीले होंठों को देखा तो वो खुद को रोक नहीं पाई और अपने होंठों को उसके होंठों से मिला दिया,
नंदिनी तो हर क्रिया प्रतिक्रिया के लिए तैयार थी, जैसे ही उसकी मां के होंठों ने उसके होंठों को स्पर्श किया वो भी उसके होंठों पर टूट पड़ी, अब दोनों मां बेटी हर तरह से एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे, होंठ मिले हुए थे, नंदिनी के हाथ मां की चुचियों को मसल रहे थे तो लता के बेटी के चूतड़ों को, वहीं दोनों की चूत भी आपस में रगड़ रहीं थीं, जल्दी ही दोनों की चूत की और बदन की रगड़न से एक ऐसी ऊर्जा निकली जिसने दोनों के ही बदन को उनके चरमसुख के शिखर पर चढ़ा दिया, और दोनों ही एक साथ स्खलित होनें लगी, दोनों की आहें एक दूसरे के मुंह में घुट गई, और जब झड़ने के बाद दोनों के होंठ अलग हुए तो दोनों बुरी तरह से हाँफ रहे थे, ऐसा स्खलन मां बेटी दोनों ने ही कभी अनुभव नहीं किया था, उनके स्खलन का वेग ऐसा था कि झड़ने के बाद दोनों ही नही हिलीं और उसी तरह से सो गईं।
इधर छोटू के यहां भी रात होने तक सारे काम निपट चुके थे, फुलवा ने पुड़िया वाले बाबा के कहे अनुसार अपनी बहु पुष्पा को समझा दिया था कि उसे हफ्ते भर तक छोटू के साथ ही सोना था साथ ही पुड़िया बाबा द्वारा दी हुई दवाई भी उसे दूध में मिला कर पिला दी गई थी, पुष्पा और सुधा के बीच भी बात चीत हो रही थी, उतनी खुल कर नहीं पर काम की तो हो ही रही, एक ओर छोटू को दुख था कि अब चाचा चाची की चुदाई रात को देखना मुश्किल था क्योंकि एक तो मां के साथ सोना था ऊपर से कल रात की घटना के बाद अगर किसी ने उसे दोबारा देख लिया तो इस बार बात नहीं संभाल पाएगा, फिर उसने सोचा कि अभी कुछ दिन शांत ही रहे तो बढ़िया है, ये हफ्ता उसे ऐसे ही बिताना चाहिए,
ये ही सोच कर वो खाट पर लेट गया, कुछ देर बाद सारा काम खतम करके पुष्पा भी आ गई,
पुष्पा: ए लल्ला थोड़ा उधर हो जगह बना हमारे लिए।
छोटू: अरे मां बेकार में तुम परेशान हो रही हों, खाट छोटी है हम दोनों लोग नहीं सो पायेंगे।
पुष्पा: अरे लल्ला, सोना तो पड़ेगा ही, बाबा ने कहा है तो।
छोटू: मैं नहीं मानता बाबा की बात मां,
पुष्पा: धत्त चुप कर, अभी अम्मा सुन लेंगी न तो घर सिर पर उठा लेंगी।
छोटू को भी मां की बात ही सही लगी वो अभी और कुछ नहीं झेलना चाहता था, इसलिए एक ओर को सरक गया, और जगह बनाई, वैसे तो पुष्पा भी जानती थी की बचपन की बात अलग थी पर अब छोटू भी बढ़ा हो गया है तो दोनों के लिए उस खाट पर जगह पर्याप्त नहीं थी, पर सास को मना करना या उनके आदेश के विपरीत जाना, ऐसे उसके संस्कार नहीं थे, तो वो भी जितनी जगह थी उसमें ही खाट पर लेट गई, पुष्पा पीठ पर लेटी तो छोटू उसकी ओर करवट लेकर लेटा था, बाकी लोग भी लेट चुके थे और सोने भी लगे थे, छोटू ने थोड़ा ठीक से लेटने के लिए अपना एक पैर मां के पैरों पर चढ़ा कर रख दिया और एक हाथ उसके पेट पर, और सोने की कोशिश करने लगा, पुष्पा ने भी अपना हाथ छोटू की पीठ पर रख लिया ताकि दोनों ही आराम से सो सकें।
छोटू आंखें बंद करके सोने की कोशिश करने लगा तो आंखें बंद करने के कुछ ही देर बाद उसकी आंखों के सामने लता ताई के साथ जो कुछ हुआ वो याद आने लगा वो अपना सिर झटक कर सोने की कोशिश करने लगा पर जितना उस सोच को हटाने की कोशिश करता उतना भयंकर रूप रख कर वो उसके दिमाग से खेलती, ये सब सोचते हुए कब उसका लंड बिल्कुल कड़क हो गया उसे ज्ञात ही नहीं हुआ, वो तो जब उसके लंड का टोपा उसकी मां की कमर से चुभा तो उसे ये अंदाजा हुआ कि उसके लंड की हालत क्या है, वो तो बिल्कुल सहम गया, छोटू ने सोचा भी नहीं था कि मां के साथ सोने पर ये परेशानी हो सकती है उसने तुरंत अपनी कमर पीछे कर ली, और खुद को शांत करने की कोशिश करने लगा, अपनी मां के बारे में तो कोई गलत विचार उसके मन में कभी नहीं आए थे, तो इसलिए उनके बगल में लेट कर लंड खड़ा होना बहुत ही हैरानी की बात थी, छोटू खुद को मन ही मन गालियां देने लगा कोसने लगा कि आखिर उसे अपने ही लंड पर नियंत्रण क्यूं नहीं है, पर जितना ही वो खुद को कोस रहा था उसका लंड और कठोर होता जा रहा था उसे बदन में एक अलग ही गर्मी सी लग रही थी, लंड में भी लग रहा था एक अलग ही खिंचाव सा था आज जैसा उसे पहले अनुभव नहीं हुआ था, लंड हर पल के साथ ठुमके मार रहा था, इतना कड़क और उत्तेजित तो जब मुठियानें जाता था तब भी नहीं होता था जितना आज हो रहा था, छोटू को ये ही बात समझ नहीं आ रही थी कि आज उसे ये हो क्या रहा था।
वैसे इस समय दोष छोटू का भी नहीं था कहीं कहीं भाग्य भी अपने खेल दिखाता है और ऐसा ही कुछ छोटू के साथ हो रहा था, खेल क्या था इसे जानने के लिए थोड़ा पीछे चलते हैं जब फुलवा और छोटू पुड़िया बाबा की कुटिया में गए थे और जब बाबा ने कालीचरण को दो पुड़िया दी थीं एक उसकी सम्भोग की ताकत बढ़ाने के लिए और एक छोटू के लिए, तो गलती से कालीचरण ने पुड़िया बदल कर अपनी वाली छोटू को दे दी थी और खुद छोटू की पुड़िया ले गया था, अब छोटू पर उसी पुड़िया का असर हो रहा था जो कि पुष्पा ने उसे दूध में घोल कर पिला दी थी, बाबा की पुड़िया थी भी असरदार जो बुड्ढों के मुरझाए लंड में ताकत भर देती थी वो छोटू के जवान लंड पर क्या असर कर रही होगी इसका अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है।
बेचारा छोटू इस परेशानी को झेल रहा था, वो सारे जतन करके देख रहा था कभी कुछ और सोचने की कोशिश करता तो कभी खुद को कोसता पर कोई भी उपाय काम नहीं कर रहा था, अंत में उसने एक उपाय सोचा कि चुपचाप जाकर हिला कर आ जाता हूं तभी शांति मिलेगी, ये सोच कर उसने चुप चाप उठने की कोशिश की, और खाट से खड़ा हुआ और चुपके से जैसे ही आगे बढ़ने को हुआ उसका हाथ उसकी मां ने पकड़ लिया, और छोटू सहम गया, वो समझा आज पकड़ा गया अब क्या बोलूं,
पुष्पा: कहां जा रहा है,
छोटू: वो वो कहीं नहीं मां, मैं तो, बस वो।
पुष्पा: क्या मैं तो कर रहा है,
छोटू कुछ सोचता है और बोल पड़ता है: मां वो गर्मी लग रही है, इसलिए उठ गया।
पुष्पा: अब गर्मी तो है ही लल्ला, एक काम कर अपनी कमीज और पजामा उतार के सो जा,
छोटू: अरे उनसे उतारने से कुछ नहीं होगा।
पुष्पा: तू भी ना बिल्कुल जिद्दी है ना खुद सोएगा न मुझे सोने देगा, चुपचाप उतार और सो।
पुष्पा ने थोड़ा सख्ती में कहा तो छोटू को चुपचाप बात माननी पड़ी पर समस्या ये थी कि कपड़े उतारे तो कैसे कच्छे में उसका तना लंड तो उसकी मां के सामने आ जाएगा।
वो ये सब सोच ही रहा था की पुष्पा बोली: तू लेट चुपचाप से मैं पेशाब करके आती हूं,
और वो उठ कर नाली की ओर चली गई
छोटू की जान में जान आई, पुष्पा के जाते ही उसने अपने कपड़े उतारे और सिर्फ कच्छे में आ गया, जिसमे उसका तना लंड लिपिस्टिक के पेड़ की तरह खड़ा हुआ था, वो तुरंत खाट पर लेटा, पहले पीठ पर लेटा तो उसका लंड सीधा ऊपर की ओर था और उसे लगा ऐसे तो मां उसके लंड को देख ही लेंगी, इसलिए वो अंदर की ओर करवट कर के और एक हाथ अपने सिर के नीचे और दूसरा अपने लंड के ऊपर रख कर लेट गया ताकि उसका लंड ढंक जाए, और आंखें बंद कर सोने की कोशिश करने लगा,
पुष्पा जल्दी ही पेशाब कर के आई, और छोटू को कपड़े उतार सोते देखा तो उसके मासूम चेहरे को देख कर हर मां की तरह उसे भी अपने बेटे पर लाड़ आया, खाट पर लेटने से पहले उसने सोचा कि सच में गर्मी तो बहुत है, उसने नजर घुमा कर आस पास देखा तो सब सो रहे थे, फुलवा और नीलम एक साथ सोते थे, वहीं दूसरी खाट पर उसके पति सो रहे थे, राजेश वैसे तो आंगन में ही सोता था पर आज गर्मी की वजह से अपने दादा के साथ बाहर चबूतरे पर सो रहा था,
पुष्पा ने फिर अपनी साड़ी को भी उतार कर खाट के एक ओर रख दिया और पेटीकोट और ब्लाऊज पहन कर बिस्तर पर एक ओर करवट कर के लेट गई, क्योंकि करवट लेकर लेटने पर ही दोनों के लिए पर्याप्त जगह हो रही थी, लेट कर उसने अपना हाथ पीछे किया और छोटू का हाथ पकड़ कर प्यार से अपने पेट पर रख लिया पर सिर्फ प्यार के कारण से नहीं बल्कि ये सोच कर भी कि दोबारा कहीं छोटू उठ कर जाए तो उसे पता चल जाए, अब छोटू के साथ परेशानी हो गई जिस हाथ से उसने अपना लंड छुपा रखा था वो अब उसकी मां के पेट पर था, वो सोया नहीं था बस सोने की कोशिश कर रहा था, अपनी मां के पेट का स्पर्श पाकर उसके बदन में फिर से एक और उत्तेजना की लहर दौड़ गई, उसका लंड और तन्ना गया, और वो अपने आप को कोसने लगा, इसी दौरान पुष्पा और अच्छे से लेटने के लिए पीछे की ओर सरक गई जिससे उसका बदन छोटू के बदन से चिपक गया,
अब परिस्थिति कुछ ऐसी थी, कि छोटू सिर्फ अपने कच्छे में लेटा था और उसके आगे उससे बदन से सट कर उसकी मां ब्लाउज और पेटीकोट में थी, छोटू का हाथ मां के पेट पर था, जैसे ही बदन से बदन चिपका छोटू ने सोचा आज तो मारा गया, अब मां को मेरे खड़े लंड का पता चल जायेगा क्योंकि पीछे होने से अब उसका लंड सीधा पुष्पा के चूतड़ों में चुभ रहा था पेटिकोट के ऊपर से ही, छोटू ने तो अपनी जान बचाने के लिए जो एक आखिरी उपाय सूझा उसे ही अपना लिया और आंखें बंद कर सोने का नाटक करने लगा,
इधर पुष्पा को भी चूतड़ों में कुछ चुभता हुआ लगा तो वो सोचने लगी क्या चुभ रहा है, उसके मन में एक पल को भी नहीं आया कि ये बेटे का लंड हो सकता है, क्योंकि ऐसा कभी विचार ही उसके मन में नहीं आया था, उसके लिए तो छोटू अभी भी बच्चा ही था और बच्चों की नून्नू थोड़े ही चुभती है, और बिना सोचे विचारे ही यूं ही पुष्पा ने अपना हाथ पीछे किया ये जानने के लिए कि आखिर ये क्या है ताकि उसे हटा सके, और ऐसा ही सोच कर पुष्पा ने अपना हाथ पीछे कर उसे पकड़ लिया, कच्छे के ऊपर से ही पकड़ कर पुष्पा को ज्यों ही एहसास हुआ कि ये क्या है तो वो बिल्कुल हैरान हो गई, उसने सोचा भी नहीं था कि उसके बेटे का लंड ऐसा हो सकता है इतना बड़ा, कड़क, हाय दैय्या क्या हुआ है इसके नुन्नू को, और फिर जैसे ही उसे ये विचार आया कि उसने उसे पकड़ रखा है उसने तुरंत अपना हाथ पीछे खींच लिया, और तुरंत आगे हाथ कर जो अनुभव किया वो सोचने लगी,
हाय दैय्या ये सब क्या हो रहा है, लल्ला की नुन्नि इतनी बड़ी, अरी नुन्नी कहां वो तो अच्छा खासा लंड है, इतना कड़क इतना बड़ा कैसे हो गया, उसे अपने बदन में भी एक उत्तेजना का संचार होता हुआ अनुभव हो रहा था, अपनी चूत में भी नमी आती हुई लगी, पर पुष्पा ने अपना ध्यान इन सब से हटा कर इस पर लगाया कि ऐसा क्यूं हो रहा है,
ये सब सोचते समय उसके चूतड़ों पर छोटू का लंड दोबारा से चुभने लगा था और पुष्पा को हर पल मुश्किल होता जा रहा था।
लल्ला का लंड इस समय इतना कड़क क्यों है, इसके पापा का तो तब होता है जब वो उत्तेजित होते हैं, तो इसका मतलब लल्ला भी उत्तेजित है, पर यहां तो मेरे अलावा कौन है, क्या लल्ला मेरे बारे में गलत विचार करता है फिर खुद ही जवाब देने लगी, नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता, लल्ला अपनी मां के बारे में ऐसा नहीं सोच सकता, वहीं छोटू आंखें बंद किए ज्यों का त्यों लेटा हुआ था और तनिक भी नहीं हिल रहा था उसे डर लग रहा था कि कहीं थोड़ा भी हिला तो उसके सोने का नाटक पकड़ा जाएगा, एक पल को उसे झटका लगा था जब उसकी मां ने उसके लंड को पकड़ा था तबसे ही वो और डर गया था क्योंकि मां को पता चल गया था कि उसका लंड खड़ा है,
इधर पुष्पा अपना पूरा दिमाग लगा रही थी और सारा गणित लगा रही थी कि ऐसा क्यूं हो रहा है, क्या ये उदयभान की लुगाई का असर है, हां ज़रूर उस कलमुही ने ही कुछ किया है मेरे लल्ला के साथ, ना जाने कब पीछा छोड़ेगी नासपीटी, हां पक्का उसी का किया धरा है नहीं तो सोते हुए वो भी अपनी मां के बगल में बेटे का लंड क्यों खड़ा होगा, ऊपर से इतना कड़क है इतना गरम है ये जरूर कोई काली शक्ति के कारण से है, पर क्या करूं? अम्मा को जगाऊं? नहीं नहीं बेकार में वो पूरा घर जगा देंगी, पर अम्मा ने कहा था कि उन्हें बाबा ने बताया है, कि शादी से पहले मां ही बेटे की रक्षक होती है तो मुझे ही लल्ला की रक्षा करनी होगी, पर कैसे, मैं तो कुछ जानती नहीं साथ सोने को कहा था वो कर ही रही हूं और क्या कर सकती हूं, शायद जिस अंग पर वो अपना काला जादू दिखा रही है मुझे उसे ही बचाना चाहिए, अभी पूरा बदन तो ठीक है बस लल्ला का लंड ही कुछ असाधारण तरीके से कठोर हो रखा है इसलिए जरूर इस पर ही उस चुड़ैल का असर है, मुझे कुछ भी करके उसे अपने लल्ला से दूर करना होगा।
पर करूं कैसे? कुछ सोच पुष्पा, क्या कर सकती है तू अभी, सोच सोच,
वैसे उसका असर लल्ला के लंड पर है ना तो मुझे लल्ला के लंड पर अपना अधिकार दिखा कर उसे भगाना होगा, पर मैं मां होकर अपने बेटे के लंड पर कैसे अधिकार जाता सकती हूं?
अरे पर मां से ज्यादा अधिकार और किसका होता है बेटे पर, और कौनसा तू ये काम ऐसे ही कर रही है तू तो अपने बेटे कि रक्षा करने के लिए कर रही है और एक मां बेटे के लिए किसी भी हद तक जा सकती है, ये सोच कर और अपने मन को ढाढस बंधा कर अपना हाथ पीछे किया और फिर से छोटू के लंड को पकड़ लिया,
छोटू तो अपनी मां की हरकत से बिक्कुल सुन्न पड़ गया, उसे समझ नहीं आया कि उसकी मां उसका लंड क्यों पकड़ रही है,
पुष्पा ने जैसे ही दोबारा से लुंड को छुआ तो उसके बदन में भी तरंगें उठने लगी। पर उन को दबाते हुए पुष्पा आगे का सोचने लगी, कि क्या करे, अभी तो उसने अपने बेटे का लंड कच्छे के ऊपर से ही छुआ था और लंड उसके हाथों में ठुमके मारने लगा,
छोटू से तो संभाले वैसे ही नहीं संभल रहा था वो बस आंखे बंद किए सोने का नाटक करते हुए अपनी जान बचाने की प्रार्थना कर रहा था,
पुष्पा ने अपने हाथ में अपने बेटे का लंड फूलता और ठुमकता हुआ महसूस किया तो उसका बदन भी मचलने लगा, पुष्पा को समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करे, वहीं मन ही मन उसे बेटे का लंड पकड़ना अच्छा लग रहा था, लंड को ठुमकते पाकर वो मन ही मन सोचने लगी: देखो तो कलमुही ने कैसा जादू किया है कैसे हाथ में ठुमक रहा है, हाय मेरे लल्ला को मुझे बचाना होगा,ये सोच कर वो सीधी लेट गई क्यूंकि हाथ पीछे किए हुए लगातार उसके हाथ में भी दर्द हो रहा था, अब तक जहां उसकी पीठ छोटू से लग रही थी अब उसकी कमर छोटी की ओर हो गई,
पुष्पा ने कच्छे के ऊपर से ही छोटू के लंड को थामें रखा, वो मन में सोचने लगी: छोटू को ऐसे शांति नहीं मिलेगी, इसके लंड को शांत करना पड़ेगा, नहीं तो लल्ला पूरी रात इसी तरह तड़पता रहेगा,
पुष्पा ने छोटू के लंड के ठुमके महसूस करते हुए सोचा, फिर सोचने लगी मैं कैसे कर सकती हूं, पर मुझे ही करना होगा, ये सोच पुष्पा ने अपने चेहरे को थोड़ा सा उठाया और नीचे की ओर देखते हुए दोनों हाथों को छोटू के कच्छे की ओर ले गई और छोटी के कच्छे को पकड़कर नीचे करते हुए उसके लंड को बाहर निकाल लिया,
लंड कच्छे से बाहर आते ही झूलने लगा, वहीं छोटू को कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या हो रहा है उसकी मां ये सब क्या कर रही है, पुष्पा तो चांद की रोशनी में बेटे के लंड को बस टक टकी लगा कर देखती ही रह गई, इतना कड़क और लंबा मोटा लंड है उसके बेटे का अह्ह उसके मुंह से अपने आप निकल गई, वो सोचने लगी कब बेटा इतना बड़ा हो गया पता ही नहीं चला, पुष्पा के हाथ ने छोटू के लंड को थाम लिया, बेटे के नंगे लंड को छूते ही पुष्पा को उसकी गर्मी का एहसास हुआ और उसके स्वयं के बदन में बिजली दौड़ गई, उसकी चूत में खुजली होने लगी, उसका बदन उत्तेजना से भर गया, एक पल को तो वो बहकने लगी,
पुष्पा : अरे ये मुझे क्या हो रहा है, ये मेरा बेटा है मुझे उसके साथ ऐसा नहीं महसूस होना चाहिए, मुझे तो इसकी बुरी आत्मा से रक्षा करनी है, ऐसा सोच कर वो अपनी उत्तेजना को दबाने का प्रयास करने लगी,
वहीं छोटू को जैसे ही अपने लंड पर अपनी मां की उंगलियों का स्पर्श प्राप्त हुआ उसके पूरे बदन में बिजली दौड़ गई, उसे लगा कि उसकी जान ही निकल जायेगी, इतना उत्तेजित तो वो लता ताई के सामने भी नही हुआ था जितना अभी था, उत्तेजना के मारे उसके लंड पर रस की बूंदें उभार आईं, जो कि चांदनी में चमकने लगी, जिस पर पुष्पा की भी नजर पड़ी तो उसने बिना सोचे ही अपने अंगूठे को छोटू के लंड के टोपे पर फिरा दिया, उसे पोछने के लिए, पर ये हरकत छोटू के लिए असहनीय हो गई और अगले ही पल छोटू का बदन थरथराने लगा उसकी कमर झटके खाने लगी,
इससे पहले पुष्पा कुछ समझ पाती कि क्या हो रहा है छोटू का लंड पिचकारी छोड़ने लगा और पिचकारी सीधी उसके बदन पर गिरने लगी कोई पेट पर गिरती तो कोई ब्लाउज पर और कोई पेटिकोट पर, कुछ देर में छोटू का झड़ना खत्म हुआ तब तक उसके लंड ने अच्छे से मां के बदन को रंग दिया था।
जारी रहेगी।।
Fantastic updateअध्याय 9ये सोच कर ही उसका हाथ खुद की चूत पर पहुंच गया वो अपने हाथ से अपनी चूत को मसलती हुई सोचने लगी कि क्या सच में आज उसने अपनी मां का मूत चख लिया, पर उससे भी बड़ी बात उसे ये सब गलत क्यूं नहीं लग रहा, अच्छा क्यूं लग रहा है। ये ही सोच उसने अपनी जीभ होंठों पर फिराई तो उसे अपनी मां के पेशाब का स्वाद मिला जिसे चख कर उसके बदन में बिजली दौड़ गई। आगे...
नंदिनी अपनी सोच में थी वहीं लता को तो लग रहा था वो जैसे मर चुकी है, उसकी जान ही चूत के रास्ते से निकल चुकी है, चंद्रमा की रोशनी में अपने आंगन में खाट पर बिल्कुल नंगी पड़ी हुई लता की आंखें बंद थीं, सांसें इतनी गहरी थी कि सीना हर बार दूध में आते हुए उबाल की तरह ऊपर उठता और फिर नीचे बैठ जाता, कुछ देर तक यूं ही लेटी रही, कुछ पल बाद आंखें खोलीं तो बेटी पर नजर पड़ी, नंदिनी की नजर भी अपनी मां के नंगे बदन पर थी और उसका हाथ उसकी जांघों के बीच था जो कि सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत को मसल रहा था,
झड़ने के बाद लता तो थोड़ा शांत हो चुकी थी और एक बार फिर से उसे ग्लानि और संशय ने साथ ही अनेकों सवालों ने घेर लिया, वो सोचने लगी कि आज दिन से ही उसके साथ हो क्या रहा है, मैंने अपनी ही बेटी के साथ ये सब किया, उससे अपनी चूत चटवाई उसके मुंह पर मूता, कैसी पापिनी मां हूं मैं? आज तक ऐसा पाप ऐसी नीच हरकत किसी मां ने अपनी बेटी के साथ नहीं की होगी जैसी मैंने कर दी है,
इधर नंदनी इन सब से अलग थी उसका सारा ध्यान अपनी चूत की खुजली पर था जो मिटने का नाम नहीं ले रही थी, सलवार के ऊपर से सहलाने से बात न बनते देख नंदिनी खड़ी हुई और कुछ ही पलों में उसने अपनी सलवार को खोल कर टांगों से निकाल दिया और फिर बिस्तर पर चढ़ने को हुई तो उसने अपनी मां के बदन को देखा, और फिर कुछ सोच कर अपनी चड्डी और फिर सूट और समीज भी निकाल कर पूरी नंगी हो गई, अपनी मां की तरह उसके सामने नंगे होने पर नंदिनी के मन में उत्तेजना और बढ़ने लगी, वहीं लता जो कि अपनी ही उलझन में थी उसने ध्यान ही नहीं दिया कि उसकी बेटी भी उसी की तरह पूरी नंगी हो चुकी है, नंदिनी नंगी होकर बिस्तर पर अपनी मां के ऊपर लेट गई और जब लता को अपने बदन से नंदिनी के नंगे बदन का स्पर्श हुआ तब जाकर लता को ज्ञात हुआ कि नंदिनी नंगी है और ये सोच कर ही एक बार फिर से उसके बदन में बिजली दौड़ पड़ी, वहीं नंदिनी की उत्तेजना का तो अभी कोई सानी ही नहीं था, उसका पूरा बदन बिल्कुल मचल रहा था, इसी गर्मी को मिटाने के लिए वो अपने बदन को अपनी मां के बदन से घिसने लगी, अपनी टांगों को मां की टांगों में घिसने लगी और इसी घिसने और घिसाने के बीच एक ऐसी स्तिथि हुई कि दोनों मां और बेटी की चूत एक दूसरे से टकराई, जिनके टकराते ही दोनों के बदन में ऐसा करंट दौड़ा जैसे दो नंगी तारों को जोड़ने पर होता है,
एक पल को तो दोनों ज्यों की त्यों रुक गईं और उस अदभुत पल को अपने मन में समाने का प्रयास करने लगीं, पर नंदिनी की चूत की खुजली ने उसे ज्यादा देर रुकने नहीं दिया, उसकी कमर अपने आप हिलने लगी और दोनों की चूत आपस में रगड़ खाने लगी, उस रगड़ से जो मज़ा और उत्तेजना उत्पन्न हो रही थी, वो दोनों ने ही आज तक नहीं अनुभव की थी, ऐसा अदभुत आनंद भी होता है जगत में जिससे नंदिनी तो थी ही साथ ही लता जैसी औरत भी अज्ञात थी, बेटी की चूत की रगड़ पाते ही एक बार फिर से उसके मन के सारे विचार सारी ग्लानि धुआं हो गई,
इधर नंदिनी तो बिलकुल बावरी सी होकर अपनी चूत को अपनी मां की चूत से घिसने लगी, उसके हाथ मां की चुचियों पर कस गए, लता के हाथ भी स्वतह ही नंदिनी के गोल मटोल चूतड़ों पर कस गए,
लता के चेहरे के सामने उसकी बेटी का चेहरा था, लता ने अपनी बेटी के चेहरे पर हवस और आनंद के भाव देखे तो उसके मन को खुशी सी हुई, फिर उसने नंदिनी के तपते रसीले होंठों को देखा तो वो खुद को रोक नहीं पाई और अपने होंठों को उसके होंठों से मिला दिया,
नंदिनी तो हर क्रिया प्रतिक्रिया के लिए तैयार थी, जैसे ही उसकी मां के होंठों ने उसके होंठों को स्पर्श किया वो भी उसके होंठों पर टूट पड़ी, अब दोनों मां बेटी हर तरह से एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे, होंठ मिले हुए थे, नंदिनी के हाथ मां की चुचियों को मसल रहे थे तो लता के बेटी के चूतड़ों को, वहीं दोनों की चूत भी आपस में रगड़ रहीं थीं, जल्दी ही दोनों की चूत की और बदन की रगड़न से एक ऐसी ऊर्जा निकली जिसने दोनों के ही बदन को उनके चरमसुख के शिखर पर चढ़ा दिया, और दोनों ही एक साथ स्खलित होनें लगी, दोनों की आहें एक दूसरे के मुंह में घुट गई, और जब झड़ने के बाद दोनों के होंठ अलग हुए तो दोनों बुरी तरह से हाँफ रहे थे, ऐसा स्खलन मां बेटी दोनों ने ही कभी अनुभव नहीं किया था, उनके स्खलन का वेग ऐसा था कि झड़ने के बाद दोनों ही नही हिलीं और उसी तरह से सो गईं।
इधर छोटू के यहां भी रात होने तक सारे काम निपट चुके थे, फुलवा ने पुड़िया वाले बाबा के कहे अनुसार अपनी बहु पुष्पा को समझा दिया था कि उसे हफ्ते भर तक छोटू के साथ ही सोना था साथ ही पुड़िया बाबा द्वारा दी हुई दवाई भी उसे दूध में मिला कर पिला दी गई थी, पुष्पा और सुधा के बीच भी बात चीत हो रही थी, उतनी खुल कर नहीं पर काम की तो हो ही रही, एक ओर छोटू को दुख था कि अब चाचा चाची की चुदाई रात को देखना मुश्किल था क्योंकि एक तो मां के साथ सोना था ऊपर से कल रात की घटना के बाद अगर किसी ने उसे दोबारा देख लिया तो इस बार बात नहीं संभाल पाएगा, फिर उसने सोचा कि अभी कुछ दिन शांत ही रहे तो बढ़िया है, ये हफ्ता उसे ऐसे ही बिताना चाहिए,
ये ही सोच कर वो खाट पर लेट गया, कुछ देर बाद सारा काम खतम करके पुष्पा भी आ गई,
पुष्पा: ए लल्ला थोड़ा उधर हो जगह बना हमारे लिए।
छोटू: अरे मां बेकार में तुम परेशान हो रही हों, खाट छोटी है हम दोनों लोग नहीं सो पायेंगे।
पुष्पा: अरे लल्ला, सोना तो पड़ेगा ही, बाबा ने कहा है तो।
छोटू: मैं नहीं मानता बाबा की बात मां,
पुष्पा: धत्त चुप कर, अभी अम्मा सुन लेंगी न तो घर सिर पर उठा लेंगी।
छोटू को भी मां की बात ही सही लगी वो अभी और कुछ नहीं झेलना चाहता था, इसलिए एक ओर को सरक गया, और जगह बनाई, वैसे तो पुष्पा भी जानती थी की बचपन की बात अलग थी पर अब छोटू भी बढ़ा हो गया है तो दोनों के लिए उस खाट पर जगह पर्याप्त नहीं थी, पर सास को मना करना या उनके आदेश के विपरीत जाना, ऐसे उसके संस्कार नहीं थे, तो वो भी जितनी जगह थी उसमें ही खाट पर लेट गई, पुष्पा पीठ पर लेटी तो छोटू उसकी ओर करवट लेकर लेटा था, बाकी लोग भी लेट चुके थे और सोने भी लगे थे, छोटू ने थोड़ा ठीक से लेटने के लिए अपना एक पैर मां के पैरों पर चढ़ा कर रख दिया और एक हाथ उसके पेट पर, और सोने की कोशिश करने लगा, पुष्पा ने भी अपना हाथ छोटू की पीठ पर रख लिया ताकि दोनों ही आराम से सो सकें।
छोटू आंखें बंद करके सोने की कोशिश करने लगा तो आंखें बंद करने के कुछ ही देर बाद उसकी आंखों के सामने लता ताई के साथ जो कुछ हुआ वो याद आने लगा वो अपना सिर झटक कर सोने की कोशिश करने लगा पर जितना उस सोच को हटाने की कोशिश करता उतना भयंकर रूप रख कर वो उसके दिमाग से खेलती, ये सब सोचते हुए कब उसका लंड बिल्कुल कड़क हो गया उसे ज्ञात ही नहीं हुआ, वो तो जब उसके लंड का टोपा उसकी मां की कमर से चुभा तो उसे ये अंदाजा हुआ कि उसके लंड की हालत क्या है, वो तो बिल्कुल सहम गया, छोटू ने सोचा भी नहीं था कि मां के साथ सोने पर ये परेशानी हो सकती है उसने तुरंत अपनी कमर पीछे कर ली, और खुद को शांत करने की कोशिश करने लगा, अपनी मां के बारे में तो कोई गलत विचार उसके मन में कभी नहीं आए थे, तो इसलिए उनके बगल में लेट कर लंड खड़ा होना बहुत ही हैरानी की बात थी, छोटू खुद को मन ही मन गालियां देने लगा कोसने लगा कि आखिर उसे अपने ही लंड पर नियंत्रण क्यूं नहीं है, पर जितना ही वो खुद को कोस रहा था उसका लंड और कठोर होता जा रहा था उसे बदन में एक अलग ही गर्मी सी लग रही थी, लंड में भी लग रहा था एक अलग ही खिंचाव सा था आज जैसा उसे पहले अनुभव नहीं हुआ था, लंड हर पल के साथ ठुमके मार रहा था, इतना कड़क और उत्तेजित तो जब मुठियानें जाता था तब भी नहीं होता था जितना आज हो रहा था, छोटू को ये ही बात समझ नहीं आ रही थी कि आज उसे ये हो क्या रहा था।
वैसे इस समय दोष छोटू का भी नहीं था कहीं कहीं भाग्य भी अपने खेल दिखाता है और ऐसा ही कुछ छोटू के साथ हो रहा था, खेल क्या था इसे जानने के लिए थोड़ा पीछे चलते हैं जब फुलवा और छोटू पुड़िया बाबा की कुटिया में गए थे और जब बाबा ने कालीचरण को दो पुड़िया दी थीं एक उसकी सम्भोग की ताकत बढ़ाने के लिए और एक छोटू के लिए, तो गलती से कालीचरण ने पुड़िया बदल कर अपनी वाली छोटू को दे दी थी और खुद छोटू की पुड़िया ले गया था, अब छोटू पर उसी पुड़िया का असर हो रहा था जो कि पुष्पा ने उसे दूध में घोल कर पिला दी थी, बाबा की पुड़िया थी भी असरदार जो बुड्ढों के मुरझाए लंड में ताकत भर देती थी वो छोटू के जवान लंड पर क्या असर कर रही होगी इसका अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है।
बेचारा छोटू इस परेशानी को झेल रहा था, वो सारे जतन करके देख रहा था कभी कुछ और सोचने की कोशिश करता तो कभी खुद को कोसता पर कोई भी उपाय काम नहीं कर रहा था, अंत में उसने एक उपाय सोचा कि चुपचाप जाकर हिला कर आ जाता हूं तभी शांति मिलेगी, ये सोच कर उसने चुप चाप उठने की कोशिश की, और खाट से खड़ा हुआ और चुपके से जैसे ही आगे बढ़ने को हुआ उसका हाथ उसकी मां ने पकड़ लिया, और छोटू सहम गया, वो समझा आज पकड़ा गया अब क्या बोलूं,
पुष्पा: कहां जा रहा है,
छोटू: वो वो कहीं नहीं मां, मैं तो, बस वो।
पुष्पा: क्या मैं तो कर रहा है,
छोटू कुछ सोचता है और बोल पड़ता है: मां वो गर्मी लग रही है, इसलिए उठ गया।
पुष्पा: अब गर्मी तो है ही लल्ला, एक काम कर अपनी कमीज और पजामा उतार के सो जा,
छोटू: अरे उनसे उतारने से कुछ नहीं होगा।
पुष्पा: तू भी ना बिल्कुल जिद्दी है ना खुद सोएगा न मुझे सोने देगा, चुपचाप उतार और सो।
पुष्पा ने थोड़ा सख्ती में कहा तो छोटू को चुपचाप बात माननी पड़ी पर समस्या ये थी कि कपड़े उतारे तो कैसे कच्छे में उसका तना लंड तो उसकी मां के सामने आ जाएगा।
वो ये सब सोच ही रहा था की पुष्पा बोली: तू लेट चुपचाप से मैं पेशाब करके आती हूं,
और वो उठ कर नाली की ओर चली गई
छोटू की जान में जान आई, पुष्पा के जाते ही उसने अपने कपड़े उतारे और सिर्फ कच्छे में आ गया, जिसमे उसका तना लंड लिपिस्टिक के पेड़ की तरह खड़ा हुआ था, वो तुरंत खाट पर लेटा, पहले पीठ पर लेटा तो उसका लंड सीधा ऊपर की ओर था और उसे लगा ऐसे तो मां उसके लंड को देख ही लेंगी, इसलिए वो अंदर की ओर करवट कर के और एक हाथ अपने सिर के नीचे और दूसरा अपने लंड के ऊपर रख कर लेट गया ताकि उसका लंड ढंक जाए, और आंखें बंद कर सोने की कोशिश करने लगा,
पुष्पा जल्दी ही पेशाब कर के आई, और छोटू को कपड़े उतार सोते देखा तो उसके मासूम चेहरे को देख कर हर मां की तरह उसे भी अपने बेटे पर लाड़ आया, खाट पर लेटने से पहले उसने सोचा कि सच में गर्मी तो बहुत है, उसने नजर घुमा कर आस पास देखा तो सब सो रहे थे, फुलवा और नीलम एक साथ सोते थे, वहीं दूसरी खाट पर उसके पति सो रहे थे, राजेश वैसे तो आंगन में ही सोता था पर आज गर्मी की वजह से अपने दादा के साथ बाहर चबूतरे पर सो रहा था,
पुष्पा ने फिर अपनी साड़ी को भी उतार कर खाट के एक ओर रख दिया और पेटीकोट और ब्लाऊज पहन कर बिस्तर पर एक ओर करवट कर के लेट गई, क्योंकि करवट लेकर लेटने पर ही दोनों के लिए पर्याप्त जगह हो रही थी, लेट कर उसने अपना हाथ पीछे किया और छोटू का हाथ पकड़ कर प्यार से अपने पेट पर रख लिया पर सिर्फ प्यार के कारण से नहीं बल्कि ये सोच कर भी कि दोबारा कहीं छोटू उठ कर जाए तो उसे पता चल जाए, अब छोटू के साथ परेशानी हो गई जिस हाथ से उसने अपना लंड छुपा रखा था वो अब उसकी मां के पेट पर था, वो सोया नहीं था बस सोने की कोशिश कर रहा था, अपनी मां के पेट का स्पर्श पाकर उसके बदन में फिर से एक और उत्तेजना की लहर दौड़ गई, उसका लंड और तन्ना गया, और वो अपने आप को कोसने लगा, इसी दौरान पुष्पा और अच्छे से लेटने के लिए पीछे की ओर सरक गई जिससे उसका बदन छोटू के बदन से चिपक गया,
अब परिस्थिति कुछ ऐसी थी, कि छोटू सिर्फ अपने कच्छे में लेटा था और उसके आगे उससे बदन से सट कर उसकी मां ब्लाउज और पेटीकोट में थी, छोटू का हाथ मां के पेट पर था, जैसे ही बदन से बदन चिपका छोटू ने सोचा आज तो मारा गया, अब मां को मेरे खड़े लंड का पता चल जायेगा क्योंकि पीछे होने से अब उसका लंड सीधा पुष्पा के चूतड़ों में चुभ रहा था पेटिकोट के ऊपर से ही, छोटू ने तो अपनी जान बचाने के लिए जो एक आखिरी उपाय सूझा उसे ही अपना लिया और आंखें बंद कर सोने का नाटक करने लगा,
इधर पुष्पा को भी चूतड़ों में कुछ चुभता हुआ लगा तो वो सोचने लगी क्या चुभ रहा है, उसके मन में एक पल को भी नहीं आया कि ये बेटे का लंड हो सकता है, क्योंकि ऐसा कभी विचार ही उसके मन में नहीं आया था, उसके लिए तो छोटू अभी भी बच्चा ही था और बच्चों की नून्नू थोड़े ही चुभती है, और बिना सोचे विचारे ही यूं ही पुष्पा ने अपना हाथ पीछे किया ये जानने के लिए कि आखिर ये क्या है ताकि उसे हटा सके, और ऐसा ही सोच कर पुष्पा ने अपना हाथ पीछे कर उसे पकड़ लिया, कच्छे के ऊपर से ही पकड़ कर पुष्पा को ज्यों ही एहसास हुआ कि ये क्या है तो वो बिल्कुल हैरान हो गई, उसने सोचा भी नहीं था कि उसके बेटे का लंड ऐसा हो सकता है इतना बड़ा, कड़क, हाय दैय्या क्या हुआ है इसके नुन्नू को, और फिर जैसे ही उसे ये विचार आया कि उसने उसे पकड़ रखा है उसने तुरंत अपना हाथ पीछे खींच लिया, और तुरंत आगे हाथ कर जो अनुभव किया वो सोचने लगी,
हाय दैय्या ये सब क्या हो रहा है, लल्ला की नुन्नि इतनी बड़ी, अरी नुन्नी कहां वो तो अच्छा खासा लंड है, इतना कड़क इतना बड़ा कैसे हो गया, उसे अपने बदन में भी एक उत्तेजना का संचार होता हुआ अनुभव हो रहा था, अपनी चूत में भी नमी आती हुई लगी, पर पुष्पा ने अपना ध्यान इन सब से हटा कर इस पर लगाया कि ऐसा क्यूं हो रहा है,
ये सब सोचते समय उसके चूतड़ों पर छोटू का लंड दोबारा से चुभने लगा था और पुष्पा को हर पल मुश्किल होता जा रहा था।
लल्ला का लंड इस समय इतना कड़क क्यों है, इसके पापा का तो तब होता है जब वो उत्तेजित होते हैं, तो इसका मतलब लल्ला भी उत्तेजित है, पर यहां तो मेरे अलावा कौन है, क्या लल्ला मेरे बारे में गलत विचार करता है फिर खुद ही जवाब देने लगी, नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता, लल्ला अपनी मां के बारे में ऐसा नहीं सोच सकता, वहीं छोटू आंखें बंद किए ज्यों का त्यों लेटा हुआ था और तनिक भी नहीं हिल रहा था उसे डर लग रहा था कि कहीं थोड़ा भी हिला तो उसके सोने का नाटक पकड़ा जाएगा, एक पल को उसे झटका लगा था जब उसकी मां ने उसके लंड को पकड़ा था तबसे ही वो और डर गया था क्योंकि मां को पता चल गया था कि उसका लंड खड़ा है,
इधर पुष्पा अपना पूरा दिमाग लगा रही थी और सारा गणित लगा रही थी कि ऐसा क्यूं हो रहा है, क्या ये उदयभान की लुगाई का असर है, हां ज़रूर उस कलमुही ने ही कुछ किया है मेरे लल्ला के साथ, ना जाने कब पीछा छोड़ेगी नासपीटी, हां पक्का उसी का किया धरा है नहीं तो सोते हुए वो भी अपनी मां के बगल में बेटे का लंड क्यों खड़ा होगा, ऊपर से इतना कड़क है इतना गरम है ये जरूर कोई काली शक्ति के कारण से है, पर क्या करूं? अम्मा को जगाऊं? नहीं नहीं बेकार में वो पूरा घर जगा देंगी, पर अम्मा ने कहा था कि उन्हें बाबा ने बताया है, कि शादी से पहले मां ही बेटे की रक्षक होती है तो मुझे ही लल्ला की रक्षा करनी होगी, पर कैसे, मैं तो कुछ जानती नहीं साथ सोने को कहा था वो कर ही रही हूं और क्या कर सकती हूं, शायद जिस अंग पर वो अपना काला जादू दिखा रही है मुझे उसे ही बचाना चाहिए, अभी पूरा बदन तो ठीक है बस लल्ला का लंड ही कुछ असाधारण तरीके से कठोर हो रखा है इसलिए जरूर इस पर ही उस चुड़ैल का असर है, मुझे कुछ भी करके उसे अपने लल्ला से दूर करना होगा।
पर करूं कैसे? कुछ सोच पुष्पा, क्या कर सकती है तू अभी, सोच सोच,
वैसे उसका असर लल्ला के लंड पर है ना तो मुझे लल्ला के लंड पर अपना अधिकार दिखा कर उसे भगाना होगा, पर मैं मां होकर अपने बेटे के लंड पर कैसे अधिकार जाता सकती हूं?
अरे पर मां से ज्यादा अधिकार और किसका होता है बेटे पर, और कौनसा तू ये काम ऐसे ही कर रही है तू तो अपने बेटे कि रक्षा करने के लिए कर रही है और एक मां बेटे के लिए किसी भी हद तक जा सकती है, ये सोच कर और अपने मन को ढाढस बंधा कर अपना हाथ पीछे किया और फिर से छोटू के लंड को पकड़ लिया,
छोटू तो अपनी मां की हरकत से बिक्कुल सुन्न पड़ गया, उसे समझ नहीं आया कि उसकी मां उसका लंड क्यों पकड़ रही है,
पुष्पा ने जैसे ही दोबारा से लुंड को छुआ तो उसके बदन में भी तरंगें उठने लगी। पर उन को दबाते हुए पुष्पा आगे का सोचने लगी, कि क्या करे, अभी तो उसने अपने बेटे का लंड कच्छे के ऊपर से ही छुआ था और लंड उसके हाथों में ठुमके मारने लगा,
छोटू से तो संभाले वैसे ही नहीं संभल रहा था वो बस आंखे बंद किए सोने का नाटक करते हुए अपनी जान बचाने की प्रार्थना कर रहा था,
पुष्पा ने अपने हाथ में अपने बेटे का लंड फूलता और ठुमकता हुआ महसूस किया तो उसका बदन भी मचलने लगा, पुष्पा को समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करे, वहीं मन ही मन उसे बेटे का लंड पकड़ना अच्छा लग रहा था, लंड को ठुमकते पाकर वो मन ही मन सोचने लगी: देखो तो कलमुही ने कैसा जादू किया है कैसे हाथ में ठुमक रहा है, हाय मेरे लल्ला को मुझे बचाना होगा,ये सोच कर वो सीधी लेट गई क्यूंकि हाथ पीछे किए हुए लगातार उसके हाथ में भी दर्द हो रहा था, अब तक जहां उसकी पीठ छोटू से लग रही थी अब उसकी कमर छोटी की ओर हो गई,
पुष्पा ने कच्छे के ऊपर से ही छोटू के लंड को थामें रखा, वो मन में सोचने लगी: छोटू को ऐसे शांति नहीं मिलेगी, इसके लंड को शांत करना पड़ेगा, नहीं तो लल्ला पूरी रात इसी तरह तड़पता रहेगा,
पुष्पा ने छोटू के लंड के ठुमके महसूस करते हुए सोचा, फिर सोचने लगी मैं कैसे कर सकती हूं, पर मुझे ही करना होगा, ये सोच पुष्पा ने अपने चेहरे को थोड़ा सा उठाया और नीचे की ओर देखते हुए दोनों हाथों को छोटू के कच्छे की ओर ले गई और छोटी के कच्छे को पकड़कर नीचे करते हुए उसके लंड को बाहर निकाल लिया,
लंड कच्छे से बाहर आते ही झूलने लगा, वहीं छोटू को कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या हो रहा है उसकी मां ये सब क्या कर रही है, पुष्पा तो चांद की रोशनी में बेटे के लंड को बस टक टकी लगा कर देखती ही रह गई, इतना कड़क और लंबा मोटा लंड है उसके बेटे का अह्ह उसके मुंह से अपने आप निकल गई, वो सोचने लगी कब बेटा इतना बड़ा हो गया पता ही नहीं चला, पुष्पा के हाथ ने छोटू के लंड को थाम लिया, बेटे के नंगे लंड को छूते ही पुष्पा को उसकी गर्मी का एहसास हुआ और उसके स्वयं के बदन में बिजली दौड़ गई, उसकी चूत में खुजली होने लगी, उसका बदन उत्तेजना से भर गया, एक पल को तो वो बहकने लगी,
पुष्पा : अरे ये मुझे क्या हो रहा है, ये मेरा बेटा है मुझे उसके साथ ऐसा नहीं महसूस होना चाहिए, मुझे तो इसकी बुरी आत्मा से रक्षा करनी है, ऐसा सोच कर वो अपनी उत्तेजना को दबाने का प्रयास करने लगी,
वहीं छोटू को जैसे ही अपने लंड पर अपनी मां की उंगलियों का स्पर्श प्राप्त हुआ उसके पूरे बदन में बिजली दौड़ गई, उसे लगा कि उसकी जान ही निकल जायेगी, इतना उत्तेजित तो वो लता ताई के सामने भी नही हुआ था जितना अभी था, उत्तेजना के मारे उसके लंड पर रस की बूंदें उभार आईं, जो कि चांदनी में चमकने लगी, जिस पर पुष्पा की भी नजर पड़ी तो उसने बिना सोचे ही अपने अंगूठे को छोटू के लंड के टोपे पर फिरा दिया, उसे पोछने के लिए, पर ये हरकत छोटू के लिए असहनीय हो गई और अगले ही पल छोटू का बदन थरथराने लगा उसकी कमर झटके खाने लगी,
इससे पहले पुष्पा कुछ समझ पाती कि क्या हो रहा है छोटू का लंड पिचकारी छोड़ने लगा और पिचकारी सीधी उसके बदन पर गिरने लगी कोई पेट पर गिरती तो कोई ब्लाउज पर और कोई पेटिकोट पर, कुछ देर में छोटू का झड़ना खत्म हुआ तब तक उसके लंड ने अच्छे से मां के बदन को रंग दिया था।
जारी रहेगी।।