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Adulteryउस रात पापा ने मुझे चोद दिया, एक कामुक तंत्र कथा (अनीता )
अगले दिन नंदिता का call आया,
गरिमा ने उसे सब बता दिया था कि क्या करना चाहती हूँ मैं रिज़वान के साथ..
Anita यार मस्त मस्त मस्त मस्त वाह क्या सोचा हैँ तूने
वाह लागे दे rizwan की वाट ..
वो हसते हुए बोली
बदले मे मैं बोल उठी
नंदिता देखना क्या हाल करूंगी उस रिज़वान् का मैं.
साला कुत्ता जिंदगी भर मुँह छिपाता फिरेगा
मेरे सूरज को पीटा उसने, मैं नंदिता उसकी लाइफ पीट दूंगी, ऐसी गाँड़ मरूंगी कि साला potty नहीं जा पाएगा कई दिन.
बदले मे वो जोर से हसी
हा हा हा anita my बेबी..
मज़ा आ गया सुन कर
सुन जब वो फस जाये मुझे बताना, मैं भी आउंगी वहाँ
मुझे देखना हैँ, बोल बताएगी ना?
इस बात पर मैं धीरे से बोली
हाँ बुलाऊंगी, वादा हैँ, सूरज को शांति मिलेगी, जब वो बदनाम होगा.
मैं अनापशनाप बोल रही थी, और उस तरफ नंदिता जोर जोर से हस रही थी
फिर मैं भी हसने लगी..
हमारी हसी मेरे पुरे घर मे गुंज रही थी,
.......................................
और लो उसी दोपहर करीब 2 बजे एक पैकेट लेकर लोकल डिलीवरी बॉय आ गया
मैं जानती थी कि क्या हैँ इसमें,
मैंने उसको thanks कहा और दरवाज़ा बन्द करके अंदर क़ी तरफ चल दी
जब पैकेट खोला तो उसमे से काले रंग का करीब 10 इंच लम्बा, starp-on dildo निकला,
smooth टच feel, मगर बेहद बढ़ा
उसे देखते ही मुझे पापा का लण्ड याद आ गया,
और मेरे अंदर सुरसुरी सि दौड़ उठी,
उफ्फ्फ पापा.. मेरे मुँह से निकला
मैंने strapon dildo को उठया और धीरे से उसकी बेल्ट क़ी सहायता से उसे पहन लिया
मानो मेरे अंदर जीवन का संचार फिर होना लगा हो
दिमाग के तंत्र फिर से धीरे धीरे अपने कार्य मे लगने लगे...
और तभी मेरे मस्तिष्क तंत्र से एक स्वरूप उभर कर मेरे सामने आया.......
DIDLO STRAPON............
हाँ..उसकी बेलट्स को अपनी कमर और जांघो पर सही तरीके से कसना शुरू किया....
अहह...कसकर जब शीशे मे देखा... उफ़फ्फ्फ्फफ्फ्फ़ fuck.. क्या रूप निकल कर आया था मेरा...
मेरे सामने की तरफ एक लण्ड खड़ा हुआ था.. जैसे फुफकार रहा हो गर्व से.....
जाने मुझे क्यों लगा.. जैसा उस लण्ड ने मुझसे कहा था...
“मैं हूँ ना “
..... ये सोच मैं जोर से हस दी... ये लण्ड तो शाहरुख खान निकला.... हा हा हा हा
अपने उंगलियों को लण्ड पर घुमाया तो महसूस हुआ जैसे ये शरीर का ही हिस्सा हैँ.... उफ्फ्फ्फ़ मेरे हाथ कांप गये.. इतने बड़े लण्ड पर हाथ फेरते हुये....
अपनी कमर को दाएं बाएँ हिलाया तो लण्ड भी हाथी की सूंड की तरह हिलने लगा...
उफ्फ्फ क्या अहसास था... अजीब अलग सा... जैसे मेरा शरीर उस लण्ड को धारण कर रहा हो.....
शीशे मे खुद को निहारती रही...... और तभी रिज़वान का अक्स शीशे मे उभरा....
वो धीरे से मेरी तरफ देख कर मुस्कुराया....
मैं जानती
हाँ सच नहीं हैँ यें ........
उ फ्फ्फ्फ़ मेरी निगाह नहीं हट रही थी उसपर से.. नफ़रत मे..
वो जोर से हसा....
मैं भी जोर से चिल्लाई..रिज़वान तुझे ये मेरा लण्ड पसन्द हैँ.. ... मेरा लण्ड... .. हा हा हा हा....
मैंने आँख बंद करली... आँख खोली तो वो रिज़वान का अक्स अब शीशे के अंदर नहीं था......
उफ्फ्फ्फ़ साला कमीना... ख्याल मे भी अक्स बनकर सामने आ आ कर डरा रहा हैँ....
नहीं.. सुरेश मेरा था ... उसे तकलीफ देकर तूने अपनी शामत बुला ली हैँ
तुझे हाँ मेरा ये लण्ड पसन्द आएगा... ते.. मैं जोर से शीशे की तरफ देख कर जोर से बोली....
.....
हा हा हा हा.. मैं हस दी रिज़वान का अब कोई अक्स नहीं आया अब... हा हा हा डर गया ना.... रिज़वान कमीने तु...
..... मैं मन ही मन मुस्कुरा उठी...
... मन मे रिज़वान के प्रति नफरत और तेज होने लगी...
मै.. मैंने लण्ड पर हाथ फेरा.. और निश्चय कर लिया.. पूरी जान लगा कर उसको को चोदुँगी कि वो जिंदगी को भूल जायगा... Viral होगा पूरी दिल्ली मे...
रिज़वान से नफरत का आलम अब ये था कि मन कर रहा था यही लण्ड फेक कर मारु उसके मुँह पर...
कि सिर्फ एक दिन मे मेरी जिन्दगी के मायने बदल गये थे... खुशनुमा जिन्दगी एक दम से एक sex competition मे बदल गई थी ....
साला रिज़वान कुत्ता.......
गली देती हुई......मैं अपना लण्ड हाथ मे पकड़े वहीं पर ही बैठ गई....साला रिज़वान कुत्ता.......
गली देती हुई......मैं अपना लण्ड हाथ मे पकड़े.. खुद को शीशे मे देखने लगी ...
.................
शाम कब हुई पता ही नहीं चला,
और जब पापा मार्किट से लोटे तो मैं उठ कर उसको छिपा कर खाने बनाने चल दी.
...
पापा ने पुछा
क्या हुआ anita, गुमसुम हो बहुत...
बोल बेटा मैं कुछ मदद कर सकता हूँ
उनके यें पूछने पर मैंने मुस्कुरा कर उनकी तरफ देखा
नहीं पापा सब ठीक हैँ
बोलने के साथ ही मेरी निगाह उनके पैंट के अंदर लण्ड कि तरफ चली गई
मन हुआ कि आगे बढ़ कर पापा का लण्ड पकड़ लूँ
और हाथ जोड़ कर भीख मांगू
कि पापा प्लीज आज चोद दो ना
प्लीज....
ना जाने क्यूँ यें ख्याल आते ही मेरी सांस तेज चलने लगी
sex मेरे सिर चढ़ने लगा...
और मुँह से निकला
पापा.. एक बार और सूरज को बुलाना पड़ेगा..
मेरी इस बात पर पापा ने चौंक कर मेरी तरफ देखा
मगर क्यूँ बेटा जी?
उनके सवाल पर मैं बोली
पापा जी वो सूरज से पैसो के बारे मे नहीं पूछ पाई
पैसे कहाँ हैँ यें पता करना ही होगा
पापा ने धीरे से chair पर बैठते हुए
गौर से मेरी तरफ देखा
उनकी निगाह मेरे बूब्स की तरफ गई
हल्की टीशर्ट मे मेरे निप्पल उभर आये थे
उन्होंने कहा
हाँ बेटा यें तो बहुत जरुरी हैँ
मगर आज रात को मुझे noida जाना होगा बेटा
अभी अभी खबर आई हैँ कि राजेश कि तबियत ठीक नहीं उसके पास जाना ही होगा कल आ जाऊंगा मैं
फिर पूरी रात सूरज को बुला कर पूछना...और मैं भी तेरे काम आऊंगा
आख़री बात बोलते बोलते उनकी आवाज़ मे अजीब से लड़खड़ाहट थी
मैंने निगाह नीचे कर ली
तो क्या पापा को शक हो गया हैँ कि उन्होंने मुझे बुरी तरह पीस डाला था
आगे कुछ सोचती पापा मेरे पास आ गये और बोले
वस एक रात कि बात हैँ ना बेटा
नाराज़ ना हो, कल रात मैं होंगा और सूरज भी होगा और तुम भी....
वो मुस्कुरा कर अपने कमरे की तरफ बढ़ गये. अजीब सि मुस्कुराहट थी उनके चेहरे पर
.।... मैं जायदा सोच ना सकी, कियुँकि मेरे मन मे एक ख्याल आया
मतलब पापा आज रात नहीं होंगे
मतलब घर अकेला होगा
मतलब आज रात ही रिज़वान का शिकार कर सकती हूँ
मैंने जल्दी से रिज़वान् का नंबर डायल किया
उधर से आवाज़ आई
अहह हाआआ क्या बात हैँ anita जी आपने call किया, जाहे नसीब हमारे
बताइये anita जी क्या खिदमत करें
मैं लड़खड़ाती आवाज़ मे बोल उठी,
रिज़वान जी आप आज रात आ सकते हैँ मेरे घर?
बहुत मन हैँ साथ डिनर का.
वो कियुँकि आज कोई नहीं हैँ घर पर
दूसरी तरफ से सन्नाटा रहा,
मैं फिर बोली
रिज़वान जी....
तो उधर से आवाज़ आई
बहुत गरम हो तुम anita जी, इतनी जल्दी बुला लिया, गर्मी जायदा हैँ ना? आपके अंदर
इस तरह का सवाल सुनकर मैं हिल गई
यूँ लगा जैसे मैं sex मे भुखी कुतिया हूँ, जो एक फ्लैट के लिए रण्डी बन रही हैँ
बोलो anita जी क्या चाहिए आपको...... वो फ्लैट?.
L इतना साफ पूछना डायरेक्ट.. मैं कोई जवाब ना दे सकी
यूँ लगा जैसे वो हल्के नशे मे बात कर रहा हैँ
बोल ना anita.. तुझे फ्लैट चाहिए?
मुझे कुछ ना सुझा तो मुँह से निकल गया अपने आप..
हाँ वो.. वो... मेरे पास आधी कीमत है फ्लैट की.. इसीलिए वो मैं...
वो हसने लगा..
हा हा हा हा anita तेरा बदन देखकर ही मैं पागल हो रहा हूँ.
हा हा हा तुझे सिर्फ 22 लाख मे फ्लैट चाहिए?
चल वहीं तेरे पास आकर बात करता हूँ हा हा हा
एड्रेस send कर अपना
और मैंने अपना एड्रेस बता दिया
उसने बताया कि वो रात 9बजे आ जायगा.....
......
खेल शुरू हो चूका था....
मैंने नंदिता को call करके बताया कि 11 बजे वो आ सकती हैँ जब तक उसे ड्रग के नशे मे करके बाँध चुकी होंगी मैं....
....
अब आर पार का मामला था...
डर का यें आलम था जैसे दिल सीने से बाहर निकल जायगा
सूरज कि तस्वीर की तरफ देखा तो मैं रो पड़ी..
सूरज सूरज आज बदला लुंगी मैं...
मैं रोती रही...
फीर मैंने पापा के नीचे आने की आवाज़ सुनी...
उनके हाथ मे एक सूटकेस था छोटा सा
बेटा मैं कल शाम तक आ जाऊंगा, car मैं लें जा रहा हूँ
अपना ख्याल रखना
कहते हुए वो मुझे घूरते हुए बाहर की तरफ चल दिए...
उनकी निगाह मेरी कमर को घूर रगी थी
...
पापा के जाने के बाद..
मैंने उस ड्रग को किचन के फ्रीज़ मे छिपा दिया की रिज़वान् को फ्रीज़ से सौदा, पानी या कुछ देते वक़्त मिला दूंगी यें दवाई....
UPDATE-14
फ्लैट का दरवाजा खोलते वक़्त मेरा प्लान तैयार था.. और सारे हथियार भी मेरे पास पुरे थे...
बैडरूम मे पहुँच.. मैंने अलमीरा से वो didlo निकला...
उसे देख मैं मुस्कुरा गई...
आज तु देगा सज़ा उस भैंसे को.. कहते हुये मैंने उसे चूम लिया .....
अपनी जुबान निकाल उसे head को चाट लिया...
मैं बहुत खुश थी... उसकी ड्रिंक मे Rohypnol मिला कर उसे senseless करके यहीं बाँध दूंगी और फिर इतना चोदुँगी.... कि साला रोयेगा मुँह फाड़कर.. हा हा हा हा
मैं हसने लगी...
मैंने वो didlo वापस रख दिया.. पुरी रात रिज़वान को चोदुँगी.. इतना कि वो कभी यहाँ नहीं आएगा... फिर कभी... उसकी रिकॉर्डिंग बना कर viral कर दूंगी . चुदाई की..
फिर साला कुछ नहीं कर पाएगा...जीवन भर बस रोता रहेगा
मैंने दोबारा नहा कर deo की महक अपने जिस्म पर स्प्रे की और short टॉप एंड short का सेट पहन लिया..
आज रिज़वान का बचना ना मुमकिन हैँ...
घड़ी मे देखा 9 बजने वाले हैँ..
तभी doorbell बज उठी... मैं समझ गई वो ही होगा... साला 5 minutes पहले ही आ गया..
मैंने आगे बढ़कर दरवाजा खोला...
साला भैंसा सामने ही खड़ा था.. वो मुझे इस तरह घूर रहा था जैसे खा जायगा..
अनीता जी..9 बजे और लो हम आ गये..
मेरे बिना कुछ बोले ही वो अंदर आ गया..
मुझे खुद एक तरफ हटना पढ़ा वरना वो मुझसे ही टकरा जाता..
ओह्ह साला पूरा 6 फुट से भी लम्बा इंसान हैँ ये... बाप रे बाँध भी पाऊँगी इसे, अगर ये रोहाइपनौल के सरूर जमीन पर गिर गया..
बड़ी खूबसूरत लालनटोप लग रही हो.. आप तो आज...
वो अपने खींसे (दाँत ) निकलता हुआ बोला.. उसके हाथ मे एक बैग था..
मैंने दरवाजा बंद कर दिया... अब फ्लैट मे बस वो और मैं थे.. दिल ना जाने क्यों धडकने लगा...
वो लगातार मेरे बूब्स को घूर रहा था...
अनीता जी.. वाह क्या फिगर हैँ आपका...
मैं चुप रही.. अब जाने क्यों हाथ पैर फूल रहे थे...
अनीता जी .. आओ पास जरा.. यहाँ बैठो.. एक peg हो जाये.... आओ...
उसने बैग से एक wine की बोतल निकाल ली... ठक की आवाज़ के साथ बोतल टेबल पर थी...
मैं बात संभालती हुयी बोली गिलास तो लें आउ मैं..
ना जी ना... गिलास भी मेरे होंगे आज तो...
घर के गिलास मे मजा ना आता हमें..
बोलते हुये उसने 2 कांच के वाइन गिलास टेबल पर बैग से निकाल रख दिए....
देखो जी..
हैँ ना?
साले ने इस तरह बोला जैसे मैं उसकी प्रॉपर्टी हूँ...
कुत्ता साला... मेरे मुँह से गंदी गालियां निकलते निकलते बची...
उसकी निगाह मुझे लगातार घूर रही थी...
मुझे लग रहा था जैसे उसकी नज़र मुझे छू रही हैँ... हल्की घबराहट और सुस्सूरी पुरे बदन मे दौड़ उठी...
अब वो मेरी जांघो को घूर रहा था..
मैं धीरे धीरे चलते हुये उसके पास आ कर बैठ गई...medicine किचन मे थी..
मैंने प्लान किया एक peg के बाद उसे और पीने को बोलूंगी फिर tablet किसी भी तरह मिला ही दूंगी..
Fail और pass मे बस कुछ minutes का फासला था अब.. लो जी पीओ...
एक लार्ज peg मेरे सामने था... और उसकी निगाह मेरी गर्दन.. तो कभी मेरी बूब्स पर लगातार घूम रही थी..
मैंने एक घूंट लिया...
आप भी पीओ ना... मैं खुद को संभालती हुई बोली..
ऐसे नहीं पीते हम अनीता जी...
पीने का मजा हमें एक कपड़ो मे. नहीं आता..
बोलते हुये उसने अपनी शर्ट उतार दी..
ओह्ह्ह no ये क्या... इतनी बेशर्मी....
हा हँहा वो हसा...
अरे अब तो हम भी दोस्त हैँ.. अब क्या पर्दा.. कोई पर्दा नहीं हैँ जी... अब ये ठन बन कर पीने से अपने को चढ़ती नहीं..
ऐसे चढ़ती हैँ... ठीक हैँ ना बोलो.. ऐसे ठीक हैँ ना?
उसके पूछने पर... मैं बस हम्म जी जी हाँ ठीक हैँ.. बस इतना बोल पाई..
मुझे किसी भी तरह बस मेडिसिन मिलानी थी इसकी ड्रिंक मे....
अरे अनीता जी यूँ पिओगी... खींच जाओ एक ही साँस मे... खींचो पूरा...
और जाने क्यों मैं पूरा peg पी गई.. सीने मे जलन उफ्फ्फ्फ़
हा हा हा हा अब हुई ना बात.. वाह्ह्ह
आप तो इस शराब से भी बढ़ कर हो...
हा हा हा..
मैं. उठी और बोली अभी आई किचन से soda लें आउ. वाहन फ्रिज मे हैँ..
हाँ सौड़ा लें आओ आप चिल्ड सा.. मजा आ जायगा..
आज टकरायगी बर्फ और आग रखा साथ..
वो मुझे घूरता हुआ बोला...
मैं उसका मतलब समझ रही थी.. वो क्या बोल रहा हैँ..
मगर मुझे अपना काम करना था..
मैं पलटी और किचन की तरफ चल दी...
मुझे साफ महसूस हो रहा था कि वो पीछे से मेरी गाण्ड घूर रहा होगा.. कुत्ता..
किचन मे जाकर मैंने सबसे पहले flunitrazepam (Rohypnol) क़ी tablets का strip निकली...
तभी एक दम से मेरे पीछे आवाज़ आई
ओ anita ... बर्फ भी होंगी फ्रिज मे तो.. ला मैं लेलु..
वो किचन मे घुस आया था..
और flunitrazepam (Rohypnol)क़ी tablets का पत्ता मेरे हाथ से हड़बड़ी मे गिर गई...
इससे पहले मैं झुकती... वो टेबलेट उछल कर दरवाजे क़ी तरफ चली गई... उसके पैरों के पास...
उफ्फ्फ्फ़ मेरा दिल दहल गया...
मैं आगे बढ़ी कि जल्दी से उसे उठा लू मगर.....
रिज़वान मुझसे ज्यादा फुर्तीला निकला.. उसने झट से शीशी उठा ली...
ओह्ह हो अनीता जी ... ये flunitrazepam (Rohypnol)लेकर क्या कर रही हैँ..
वो मुस्कुराने लगा...
मेरी हालत ऐसी हो गई जैसे किसी साँप ने मुझे डस लिया हो....
क्यों ..... मुझे देने जा रही थी तु...?
मैं हकला गई...
न न न नहीं वो वो...
......
वो आगे बड़ा....
चुप साली... चुप...
तुझे क्या लगता हैँ.. मैं नहीं जानता तेरे अंदर क्या चल रहा हैँ...
कहते हुये उसने अपना लण्ड पैंट के ऊपर से ही पकड़ा और सहलाने लगा...
साली तु सोचती है कि तू मुझे फसा रही थी...
ना ना मैं तुझे फसा रहा था कुतिया...
कहते हुये उसने मेरा हाथ पकड़ा और जोरदार झटका दिया मैं उसके साथ खिंचती चली गई....
वो मुझे खिंचता हुआ सीधे बैडरूम मे लें गया.... एक धक्का... और मैं बेड पर गिरी...
साली तुझे क्या लगता है मुझे नहीं पता कि तेरे पति का नाम सूरज है
वो नामर्द डरपोक इंसान
देख रण्डी सुन उसके भाई का एक्सीडेंट मेरी गलती से नहीं हुआ था ....
वो खुद मेरी खड़ी गाड़ी मे पूरी तेज स्पीड से आ टकराया
और बिना हेलमेट के कारण उसका सिर फट गया
मगर तेरे नामर्द पति ने मुझे blackmail करना चाहा .
2 करोड़ मांग रहा था,
रण्डी इसीलिए तेरे पति को सिर्फ दो थप्पड़ लगाए थे मैंने
समझी रांड पूरी बात?
वो एक सांस मे बोलता चला गया
मगर अब साली आज तुझे असली. मर्द क्या होता हैँ मैं बताऊंगा...
मेरा हलक सूखने लगा था... डर के मारे कुछ सूझ नहीं रहा था..
रिज़वान की सूरज के भाई की मौत मे कोई गलती नहीं थी, मगर अब मैं फ़स गई थी।
तभी वो बोला
तु चिल्लाना चाहती हैँ. भगना चाहती हैँ तो जा भाग...
मगर तुझे मर्द का सुख देने के बाद ही जाऊंगा मैं
समझी........ रण्डी...
............
उफ्फ्फ मैंने आँख बंद कर ली... ये ये क्या हो रहा हैँ इतनी जल्दी ये बदलाव.. कैसे...
ये सपना हैँ....
नहीं... ये सच नहीं हो सकता...
आह्हः अअअ मेरी हल्की चीख निकल गई..
रिज़वान ने मुझे बाल पकड़ कर उठया और बेड पर उल्टा पटक दिया... मैं समझ पाती कुछ तब तक वो अपनी शर्ट जो उसके कंधो पर लटकी थी.. उससे मेरे हाथ खींच कर बाँध दिए...
उफ्फ्फ्फ़ मेरे समझने से पहले ये हो चूका था...
तुम जो भी कर रहे हो ठीक नहीं... मुझे कुछ किया तो बर्बाद कर दूंगी तुम्हे मैं..
मैंने साहस कर एक धमकी दे डाली..
मगर वो हसने लगा हा हा हा हा साली तु मुझे बर्बाद करेगी.. तु मुझे बर्बाद करेगी...
देख मैं कैसे करता हूँ तुझे बर्बाद... देख तु..
उसने मेरी गाण्ड पर एक जोरदार थप्पड़ मारा..
अह्ह्ह माँ... मैं सिसक उठी...
और वो मेरी गाँड़ अपने पंजो मे लेकर मसलने लगा...
क्या गाण्ड हैँ तेरी मदरचोद रण्डी.. बहनकीलोड़ी... आज तेरी चूत का भोसड़ा बनाऊगा..
आज लण्ड क्या होता हैँ मैं दिखाऊंगा .
उफ्फ्फ्फ़ मैं तड़फ उठी उसके मेरी गाण्ड के मीट को इस तरह मसलने से.. बुरी तरह अह्ह्ह
दोनों गाण्ड के हिस्से उसके पंजो मे फसे थे, उसके पंजे पूरी ताकत से बस मसले जा रहे थे...
उसने मेरे बाल फिर पकड़े और खींच कर मुझे जमीन पर बैठा दिया.
रण्डी घुटनों पर बैठ.. चुप चाप बैठ...
मेरी आँख से आँसू की एक बूँद निकल आई.... उफ्फ्फ ज़ालिम...
........
अब इस वक़्त....उसने मेरे दोनों तरफ के गालों को अपने अंगूठे और उंगलियों से कस कर दबाया,
तो मेरे गालों का मेरे जबड़ों पर अत्यधिक दवाब के कारण मेरे दाँत की उपरी पंक्ति और ऊपर उठती हुई खुलती चली गई..
•और फलस्वरूप मेरा मुँह लगभग पूरी तरह “O” के आकर मे पूरी तरह खुल गया.....
मैं उसके बलशाली हाथों कि तरफ देखती हुई उस कोशिश करने लगी कि अपने शरीर को उस बंधन से आज़ाद करा सकूँ जो उसने मेरे दोनों हाथों को मेरी पीठ के पीछे करके अपनी शर्ट से कस कर बाँधा हुआ था.....
इस वक़्त मैं उसके सामने अपने घुटनों के बल बैठी हुई उसकी दया पर जिन्दा थी...
पूरी ताकत लगा कर उसने मेरा मुँह और खोल दिया..
मादरचोदी.. हरामजादी.. इधर देख मेरी आँखों मे...... देख कुतिया रंडी.. इधर देख...
वो पूरी ताकत से मुझ पर गुस्से से चिल्लाया...
मेरे पुरे शरीर मे डर के मारे झुरझुरी दौड़ गई... और ना चाहतें हुए भी मैंने तुरंत उसकी आँखों मे देखा, जहाँ मुझे हवस और दरिंदगी दिखाई दीं..
.
बहनचोद कुतिया... मेरी गाण्ड मरेगी?
क्यों रांड... तेरी चूत मे हैँ इतनी दम कि रिज़वान खान की गाण्ड मार सके?
उसकी बात पर मैं कुछ ना बोल सकी.. बस उसकी आँखों मे देखती रही..
NOTE : दोस्तों मेरे मन मे सवाल दौड़ रहा था, रिज़वान khan को कैसे पता कि मैं उसकी गाँड़ मारने वाली थी
मगर जायदा सोच पाती तभी..
रिज़वान खान ने दूसरे हाथ की एक ऊँगली मेरे पूरी तरह खुले खुले होठों पर रखी..
वाह्ह्ह एक बात तो हैँ साली कुतिया तेरे होंठ बड़े मस्त हैँ.. गुलाबी शहद भरे.. कोमल गुदगुदे.. वाह हाहाहा
वो जोर से हसा.... रंडी तेरे होंठ पर तो मूतने का दिल कर रहा हैँ....
हा हा हा हा हा....
साली उफ्फ्फ तेरे ये रसभरे होंठ... अहह
कहते हुए रिज़वान अपनी उंगलियाँ मेरे ऊपरी होंठ पर घूमाने लगा
गोल गोल.. कभी ऊपर वाले होंठ पर तो कभी नीचे वाले होंठ पर...
उसकी छुअन से मेरे होठों मे हल्की गुदगुदी हो रही थी और मैं घुटनों पर बैठी..
ऊपर चेहरा किये उसकी आँखों मे अपनी अपमानजनक शिकस्त (हार ) देख रही थी... और सच तो ये हैँ मैंने अपनी हार दिल से स्वीकार भी कर ली हैँ...
रिज़वान की इस हरकत पर मैं मन ही मन बुरी तरह डर गई..
उसका हाथ उसकी जीन्स की बेल्ट को खोल रहा था... उफ्फ्फ्फ़
उसने बेल्ट का हुक खोल, जीन्स का बटन भी खोल दिया....
रंडी... प्यास लगी हैँ तुझे?
बोल साली... ये कहते हुए उसने और जोर से मेरे गालो पर दवाब बढ़ाया
उफ्फ्फ्फ़ मुँह और ज्यादा खुल गया.. मेरे दांतो मे मेरे गालों के अंदर का भाग बुरी तरह से दवाब दे रहा था... दर्द की लकीर ने मुझे सिस्कारने पर विवश कर दिया...
वो बस मुस्कराता हुआ अपनी पैंट उतरने लगा...
पैंट के नीचे उसका लाल रंग की फ्रैंची.. उसके नीचे नाग के समान उभरापन....
अगले ही पल उसकी पैंट जमीन पर पड़ी थी... और जैसे ही उसके अपने अंडरवियर की इलास्टिक नीचे खींची..
मर गई.... उफ्फ्फ्फ़ उसका वही विशाल काला लण्ड मेरे सामने फूफकारके एकदम सामने आया कि उसका अगला मशरूम जैसा गहरा लाल गोल भाग कस कर मेरी नाक से टकराया...
उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़फ उसके 11इंच के विशाल नाग जैसे लण्ड की अजीब मरदाना महक मेरी नाक से होती हुयी मेरे दिमाग मे घुसती चली गई.......
इस तरह लण्ड के दर्शन मुझे पहली बार हो रहे हैँ .. और आज मेरे चेहरे के बिलकुल करीब होने पर.. मैं उसकी विशालता और भयानकता देख सच मे डर गई हूँ..
मैंने डर के मारे उसकी तरफ देखा..
रांड देख लें... अपने यार को...
कैसा लगा बता.. बोल सेक्सी कुतिया..
देख लें ठीक से... पूजा करेगी आज के बाद तु इस हरामी लण्ड की..
कहते हुए रिज़वान ने लण्ड को बिना छुए अपनी कमर हिलाते हुए दाएं बाएँ घुमाया....
उफ्फ्फ्फ़ सच मे बहुत बड़ा हैँ ये.....
और तभी लण्ड का चाँटा कस कर मेरे गाल के उपरी भाग पर पड़ा
,
जो रिज़वान के उंगलियों के ऊपर हैँ.
धाड़... उफ़ क्या चाँटा हैँ..
अह्ह्ह निकल गई मेरे खुले हुए होठों से..
ओओओ अ अ नं नं न न जैसी आवाज़ निकली थी मेरे मुँह से..
धाड़ दूसरा थप्पड़ मेरे नाक के बगल पर
ओ ओ अ अ अहह ननन
और उसका लण्ड मेरे होठों के ऊपर आकर रुका...
हा हा हा हा हा हा
रिज़वान की हसीं और मेरी हालत पर हसना
मेरे गरूर का अपमान हैँ..
लण्ड को पकड़ रिज़वान ने मेरे होठों पर गोल गोल घूमना शुरू किया..
उफ्फ्फ्फ़ लण्ड जैसे लिपस्टिक लगा रहा हो मेरे खूबसूरत होठों पर...
मैंने होंठ बंद करना चाहा मगर रिज़वान के अंगूठे ने ऐसा नहीं होने दिया...
लण्ड की महक... उफ्फ्फ्फ़ उसने लण्ड सरका कर मेरे माथे पर रख दिया.... और हसने लगा...
हा ह हा हा .. साली देखा मेरा लण्ड... बोल टाइट चूत की मस्त सेक्सी कुतिया...
बोल...
मैंने धीरे से ना के इशारे मे अपना सिर हिला दिया...
मेरे पुरे चेहरे पर उसका लण्ड घूम रहा था..
कभी आँखों के ऊपर... कभी नाक पर.. गालो ओर.. माथे पर... ठोड़ी पर.. होठों पर.....
उफ्फ्फ्फ़ ये क्या पागल हैँ.... हवसी.... हैँ....
मैं चुप क्यों हूँ..?
मैं नहीं जानती.... बस चुप सी ये सब महसूस कर रही थी
गरम.... सख्त.... महक से भरा... उसका विशाल. लण्ड....
उफ्फफ्फ्फ़...
तु कौन हैँ? रिज़वान ने मुझसे पुछा... बता कौन हैँ तु?
उसने अपना हाथ मेरे गलो से हटा लिया...
मैं बोल सकती थी... गाल दर्द कर रहे थे अंदर से.
बोल कौन हैँ तु...?
उसके सवाल पर मैंने कहा...
मैं अनीता हूँ....
... लण्ड हिला कर उसने मेरे मुँह पर मार दिया अह्ह्ह्ह गाल पर लण्ड की ठोंकर पडी...
साली तु अनीता थी... अब रण्डी हैँ मेरी...
रण्डी हैँ तु.. मेरी.. समझी?
बोल कौन हैँ तु.....?
इस बार उसने पुछा तो मैं कुछ ना बोली...
उसकी आँखों मे देखती चुपचाप रही...
उसने हाथ बड़ा कर मेरे निप्पल्स पकड़े.. और धीरे धीरे मरोड़ने लगा.. अह्ह्ह्हह
शरीर कांप गया मेरा... एक तरंग सी निप्पल्स से उठती हुई सीधा नाभि से होती हुई मेरी चूत तक टकराई...
उफ्फ्फफ्फ्फ़....
ब्रा नहीं पहने हुई थी मैं... आअह्ह्ह माँ
ऐसा लगा जैसे ये कंपन मेरी चूत गीली कर देगी...
उसने निप्पल्स को छोड़ दिया और फिर.. किचन से कैंची उठा लाया...
अगले ही पल मेरा टॉप सामने से काट दिया गया था..
अह्ह्ह्हह मेरे बूब्स गर्व के साथ अकड़ कर सामने आगये...
उफ्फ्फफ्फ्फ़ नहीई...
हा ह हा हा... साली क्या मस्त चूचियाँ हैँ तेरी...
गोल गोल गोरी गोरी उफ्फ्फ मस्त...
भूरे निप्पल्स उफ्फ्फ साली तुझ पर उस गांडू सूरज का अधिकार नहीं था .. तेरे पर सिर्फ मेरे इस लण्ड का अधिकार हैँ...
कहते हुये उसने अपना लण्ड मेरे दाएं निपल पर रख दिया..
उफ़ क्या अहसास था मैं तड़फ उठी..
वो धीरे धीरे अपना लण्ड मेरे निपल पर रगड़ने लगा....
गोल गोल घूमता.. कभी लण्ड के दवाब से निपल को मुँह दबा देता..
अह्ह्ह्ह माँ उफ्फ्फ्फ़ please stop.. मैं इतना ही बोल पाई कि उसने..
लण्ड से एक जोरदार थप्पड़ मेरे निपल पर दे मारा .. उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ मैं तड़फ उठी..
दर्द और मस्ती कि मिलिजुली लहर का वो अहसास..
उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.
उसने फिर मेरे दोनों निप्पल को पकड़ा और मरोड़ता हुआ उन दोनों निप्पलस को खींच कर पास लें आया....
अह्ह्ह्हह मैं उस खिचाव से कराह उठी....
अगले ही पल उसने अपना लण्ड मेरे बूब्स के बीच मे नीचे कि तरफ से ठेल दिया.....
अह्ह्ह्ह क्या अहसास था वो... मोटा गरम लण्ड ...... उफ्फ्फ मेरे बूब्स के बीच मे सरकता हुआ....
अह्ह्ह्ह....
उस ज़ालिम ने लण्ड खिंचा बाहर और लण्ड के गोल head पर..
. ढेर सारा थूक उगल दिया... थू थू....
उफ़ वोही गीला लण्ड फिर दोबारा मेरे बूब्स के बीच घुसेड़ दिआ...
अह्ह्ह इस बार का अहसास अलग था..
फिसलता हुआ लण्ड बूब्स के clevage से बाहर आ गया.... लम्बा उफ्फ्फ मेरे गले तक..... और फिर ज़ालिम कमीने ने हिलना शुरू किया..
उसके हिलने पर लण्ड आगे पीछे हो रहा था...
उफ्फ्फ्फ़ उस घर्षण से मेरी साँस तेज होने लगी.... उफ़ क्या अहसास था वो...
Uffffffff ufff उफ्फ्फ
उसके लण्ड की अकड़ जैसे मेरे जिस्म से मेरी सारी अकड़, गरूर जलन और मेरे attitude को सोखती जा रही हो...
ना चाहतें हुए भी मेरी सांसे भारी होने लगी थी...
अजीब सा अहसास जब वो लण्ड आगे करता तो उसका लण्ड घिसता हुआ मेरे बूब्स के बीच से मेरी गर्दन तक चला आता और.......
उफ्फ्फ वो चिकना गोल सख्त लण्ड का मशरुम head उभर कर skin से बाहर आना और उसकी महक जैसे मेरे गुस्से पर पानी डाल रहे थे...
दिल मे एक guilty का अहसास भी था कहीं भीतर मेरे...... की इसके इतने करीब और इस तरह.... उफ़ no
चिल्लाना चाहती थी.. अंदर से एक आवाज़ आ रही थी मेरे.. की लात मार कस कर और भाग बाहर की तरफ.. जोर से चिल्ला.. कोई तो सुनेगा..
मगर जैसेही वो निपल्स को हल्के से मरोड़ता उफ्फ्फ अपने नाखुनो से उन्हें कुरेदता.... अह्ह्ह्हह अपना लण्ड मेरे गोरे बूब्स के बीच धक्के से आगे करता.... ओह्ह मां
ना जाने क्यों मेरी आवाज़ अंदर ही पिघल जाती... और बस सिसकी निकलती...
मेरी guilt और वो लात मारने का ख्याल थोड़ा और दूर चला जाता.. जैसे मुझे मेरा जहन, मेरा अस्तित्व और मेरा प्रतिरोध मुझे छोड़ रहा हो... धीरे धीरे....
और मैं गिर रही थी.. नीचे और नीचे. अपनी सिसकियों की गहरी मांद मे..
जहान मुझे कोई पुकारने वाला नहीं था.. जहाँ मुझे कोई बचाने वाला नहीं था...
जहाँ मेरी प्रतिरोधक शक्तियाँ भी मेरे ऊपर मुस्कुरा रही थी.......
. हाँ मैं गिर रही थी उसकी बड़ी गहरी विभस्त आँखों मे......... साँसो का हकला तूफ़ान मेरे सीने मे पंपने लगा था उसकी आँखों मे झाँकते हुये.....
वो मुझे देख कुटिलता से मुस्कुरा रहा था...
लण्ड पसन्द आया?
उसने बड़ी बेशर्मी से मुझसे पुछा...
मैंने कोई जवाब नहीं दिया...
उसके इस सवाल से बस मेरे अंदर एक झुरझुरी सी दौड़ गई और मैंने साफ महसूस किया कि मेरे माथे पर पसीने कि कुछ बूँदे उभर आई हैँ..
हम्म्म्म जी......
ये शब्द खुद ब खुद निकल. आये...
उसकी आँखों मे एक चमक दौड़ गई...
वो पीछे हटा और मेरे बूब्स को सख्ती से पकड़ ऊपर खींचने लगा.. अह्ह्ह्ह मैं उठती चली गई...
दर्द से बचने के लिऐ मैं खड़ी होती चली गई....
अब मैं उसके सामने ख़डी थी... उसने मेरा चेहरा अपने दोनों हाथों मे भरा और झुकते हुए मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिए .......
उफ्फ्फ्फ़ उसके भद्दे कुरूप मोटे होठों ने मेरे कोमल. सर्फ़ गुलाबी होठों पर पूरी तरह क़बजा कर लिया...
मममम सी आवाज़ उसके गले से निकली और मुँह खोलते हुये मेरे होतो को चूसते हुये अपने दांतो के बीच उसने भर लिया.... अह्हह्ह्ह्ह
उसकी मोटी जुबान मेरे होठों पर बुरी तरह लिबलिबा रही थी..
चाट रही थी.. कुचल रही थी..
उफ्फ्फ उसके दांतो होठों को दबाते... कुरेदते तो कभी काटते.. उफ़ दोहरे हमले से मेरी ममम मममम न्नन्न जैसी आवाज़ ही निकल पर रही थी
तभी उस कुत्ते ने तीसरा हमला कर दिया.. उसका एक हाथ मेरे बाएं बूब्स पर आया और....
उफ्फफ्फ्फ़ पूरी ताकत से मरोड़ दिया
मैंने पीछे हटने कि कोशिश कि मगर उसका दूसरे हाथ ने मेरी कमर पर से होते हुये मेरी पसलियों से मुझे समेट मुझे कब्जे मे भर लिया...
आअह्ह्ह ममममम
बूब्स को जैसे वो कुचल देना चाहता हो.. उफ्फ्फ्फ़
मेरे होठों को वो कुत्ता भभोड़ कर चाट खा -चाट और चूस रहा था...
कभी मुट्ठी मे बूब्स दबाता तो कभी उसकी उंगलियाँ मेरे निपल को खिंचती हुई कुरेद और मरोड़ देती.... अहह माँ
इतना व्हशिपन उफ्फ्फ्फ़ ये इसकी हवस... उफ्फफ्फ्फ़.
मैं तड़फ रही थी उसकी मजबूत बाहों मे...
इस तरह जकडे जाने का अहसास बिलकुल नया था मेरे लिऐ...
ये पगलपन और दरिंदगी नई थी मेरे लिऐ...
अह्हह्ह्ह्ह ये ये मुझे अब.. अह्ह्ह्ह
उसने अब पागलपन और हवस का दूसरा पत्ता फेका....
उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह उसकी जुबान अब मेरे पुरे चेहरा को चटनी लगी... गाड़ा saliva मेरे चेहरे पर फिसलता.... मुझे गीला कर रहा था...
अपनी जुबान सख्त करके कभी मेरी आँखों मे घुमा देता तो उफ्फफ्फ्फ़ कभी मेरी नाक के छेदो मे जुबान का नोक घुसेड़ता..
उसकी गीले मोटी जुबान मेरा माथा... मेरे गाल.. नाक. आँखों पर सख्ती से फिसल रहे थे...
अह्ह्ह्ह मेरे माथे का पसीना...
उफ़ उसकी saliva से मिलकर एक नई महक पैदा करने लगा था..... उसने मुँह खोला और गालो को भर लिया..
आआईई अह्ह्ह तीर्व जलन.. अहह दांतो का निशान गहरा छप चूका होगा
Ahhhhh
मेरे होंठ उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्हही ईई अआइ...
दांतो मे दबा कर अपनी तरफ यूँ खीचा उस ज़ालिम ने कि मेरा चेहरा मे उस ओर खिंचता चला गया.....
उईई मरोड़ दिया ज़ालिम ने इस बार ओह्ह बूब्स को.....
मैं गुड़िया बनी उसके हाथों का खिलौना थी शयद अब.......
A Sex डॉल
माँ अह्ह्ह्ह कंपन सी उठ पड़ी... उफ्फफ्फ्फ़
जुबान गर्दन को गीली करती हुए मेरी बूब्स पर आ गई.... उफ्फ्फ अह्ह्ह मममम
मुँह खुला और अह्हह्ह्ह्ह yess
जब उसकी मुँह ने पुरे निप्पल के area को मुँह मे भर लिया...
जुबान कि गीली रगड.....
अह्ह्ह निप्पल के point tip पर यूँ महसूस हुई जैसे कोई सिरहन चटक कर आई हो वहाँ...
गुदगुदी का तीर्व अहसास..
मममममम
मुँह मे बूब्स को इस प्रकार चूसते हुये खिंचा की...
बूब्स फिसलता हुआ उसके मुँह मे समाता चला गया..
आहहहह
मेरा शरीर कमान की तरह अकड़ गया और मैंने ना जाने कब अपने बूब्स उसकी मुँह की तरफ और अधिक धकेल दिए...
दांतो से nipple दबा अंदर से उसकी जुबान निप्पल के tip point को कुरेद रही थी सहला रही थी..
जैसे मेरे दिल के अंदर जाने का वो रास्ता हो... उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़फ्फ्फ्फफ्फ्फ़....
दोनों हाथों से दोनों बूब्स को पकड़ कर मिला दिया उसने और अब बारी बारी दोनों निपल्स को चूमने और चाटने लगा...
दाँत निपोर कर आगे लता और दांतो से निपल्स को कुरेदता...
मेरे बुब्स पर लाल लाल दांतो की निशान..... पुरे गीले ....
उफ़ हवा का ठंडापन उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़...
वो थोड़ा और झुका..... मेरी short साइड के पकड़ी और मेरी जांघो... Calf... Anklets से होती हुई मेरी short जमीन पर पड़ी मुझे मुँह चिड़ा रही थी कि बड़ी आई थी बदला लेना.. अब पछता....
उफ्फफ्फ्फ़
मैं मन की हालत विचित्र थी... बदला लेने की तमन्ना अब भी थी मगर दिमाग़ और प्रतिरोध शक्ति दूर ख़डी मुझे पर हस रही थी.....
अगर ऐसा ना होता तो क्यों मैं खुद अपने पैरों को उठती जब वो मेरी शॉर्ट्स anklet से उतार जमीन पर डाल रहा था..
सच हैँ शायद मैं उसकी orders के नीचे आ चुकी थी...
अह्ह्ह वाह क्या गोरी चूत हैँ तेरी साली रांड... एक दम. चिकनी.....
हा हा हा...
तेरी गाण्ड भी चिकनी है और तेरी चूत भी चिकनी.....
सूरज की नहीं तू, राण्ड मेरी है
सूरज का नाम सुनते ही मन उछल पढ़ा.. मैं वर्तमान मे लौटने लगी.. कि ये क्या कर रही हूँ मैं.. क्यों क्यों मुझे रोकना होगा इसे...
.
मगर उसकी साँसे के मेरी चूत की दरार पर टकराने का अहसास होते ही..... अह्ह्ह मेरी आँखें बंद होती चली गई....
उसकी सख्त उँगलियों ने मेरी कमर को. पकड़ा......
एक धक्का..... उफ्फ्फ्फ़ और मैं पीछे बेड पर पीठ के बल गिर पड़ी.....
अह्ह्ह
मैंने महसूस किया उफ्फ्फ्फ़ मेरे घुटने कस कर पकड़े गये हैँ उसके पंजो के द्वारा.....
और खोल दिया उसने मेरी दोनों टांगे.... अहह अलग -अलग दिशा मे....
मेरी गुलाबी गोरी चूत जिसपर हल्का गहरा रंग की लालिमा भी छाई थी... उफ़ उसका चुम्बन.. मेरी जांघो पर...
कुत्ता अह्ह्ह
मेरे मुँह से सिसकी फूट पड़ी... अह्ह्ह ममम
चुम्बन उफ्फ्फ उसकी जुबान का वही अंदाज़ अह्ह्ह... मेरी जांघो के आंतरिक भाग को चाटता गीला करता हुआ वो ऊपर की तरफ बढ़ रहा था....
अह्हह्ह्ह्ह माँ उफ्फ्फफ्फ्फ़
अब उसकी जुबान मेरी चूत के दाने से टकराई.....
आह कमीना अह्हह्ह्ह्ह उफ्फ्फ आँखें बंद.....
हल्का चुम्बन उफ़ चूत के दाने पर....
उफ्फ्फ्फ़
और मुँह खुलने का अहसास हुआ उसके....
आहहहहहह पूरी चूत का देना और आधी चूत गई भर ली उसने अपने मुँह मे.....
मेरी आँखें ऊपर चढ़ गई.... होंठ पुरे खुल गये आआआ आइएह्ह्ह माँ
उफ्फ्फ आहहहह
दांतो ने दरिंदगी दिखाई.. आअई इ
और जुबान ने मलहम लगाया
उफ्फ्फफ्फ्फ़
जुबान दाने को कुरेदने लगी.... मईया मेरी.... उफ्फ्फ्फ़ god ओह्ह्हमा..
Yes yes... Yessssssss मेरे होठों ने साफ कहा... एस्स्स्स yesssss eat me please
वो समझ गया कि अनीता फस गई हैँ अब उसके हाथ मे...
मेरी yes.... उसके लिऐ ग्रीन signal था....
उसने जोश मे भरकर मेरी चूत को भभोड़ दिया.....
आअह्ह्हई
जुबान सख्त हुई और मोटी लम्बी गीली गन्दी जुबान...
मेरी मखमली चूत के अंदर घुसती चली गई..
मेरी जांघो को जबरजस्ती पूरा खोल दिया उसने.. और जुबान का प्रहार मेरी भीतर तक...
आआआआआइईई उफ्फ्फ्फ़ YESSSS...
गोल गोल घूमता अपनी जुबान से जैसे वो मेरे जिस्म के भीतर जाने का रास्ता ढूंढ रहा हो...
अह्ह्ह्ह उसके हाथ अब फिसलकर मेरी गाण्ड पर कस गये... मेरी गइल गाण्ड को उसने हाथों मे भर लिया... कियुँकि मैंने ना जाने कब मस्ती की तरंग मे अपनी कमर उठा दी थी.. ऊपर ऊपर हाँ ऊपर...
मेरी गाँड़ मे माँस को बुरी तरह मसलते हुये वो मेरी चूत को जैसे पी रहा था... चाट और खा रहा था....
मैं मछली की तरफ मचल रही थी उसके सामने..... उसके नीचे..... उसके हाथों मे... एक गुड़िया बन.....
उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़
इस बार उसकी जुबान फिसली और मेरी गाण्ड के छेद मे रगड गई..
अह्ह्ह्ह गुदगुदी का अहसास..... तरंग..... कंपकपी...... उफ्फ्फ्फ़
जुबान और होठों ने अपना काम. किया..... मार डाला उफ्फ्फ
गाण्ड को चबाता और छेद को जुबान सा चाटता उफ्फ्फ्फ़ माँ सख्त जुबान मेरी गाण्ड के छेद को धक्का दे अंदर घुसी..
उफ्फ्फफ्फ्फ़ मस्ती सी छा गई....
उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़फ अहसास स्वर्ग का यही हैँ......
दूसरी तरफ मेरी चूत मे उसकी दो मोटी उंगलियां अंदर तक घुसती चली गई
अहहहहहहहहहह ओह्ह्ह्ह
गाण्ड मे जुबान...... चूत मे दो उँगलियाँ
एक साथ..... साथ साथ.....
अपना काम. कर रही थी
... Please Kill Me.... Please...
मेरे मुँह से ये शब्द निकले तो वो और बुरी तरह मेरी गाण्ड को भभोड़ने लगा...
आहहहहह
वो पीछे हुआ... और मेरे सामने पैंट पूरी उतार नंगा खड़ा हो गया...
मैं उसे देख डर गई...
उफ्फ्फ ये लण्ड... ये भारी शरीर....
मार डालेगा ये मुझे....
उसने मेरे कंधे पकड़ कर मुझे उठाया और मेरे दोनों हाथ खोल दिए....
मैं नंगी खड़ी थी उसके सामने....
मन ने आवाज़ दी.. अब भी कुछ नहीं बिगड़है.. भाग बचा खुद को... करिश्मा भाग...
तभी मुझे याद आया पापा की revolver उनकी अलमारी मे रखी है
अगला update क्या Revolver तक मुझे पहुँचा देगा? पता नहीं यें तो कल ही पता पड़ेगा, जब कहानी खुद आगे बढ़ेगी
UPDATE-14
फ्लैट का दरवाजा खोलते वक़्त मेरा प्लान तैयार था.. और सारे हथियार भी मेरे पास पुरे थे...
बैडरूम मे पहुँच.. मैंने अलमीरा से वो didlo निकला...
उसे देख मैं मुस्कुरा गई...
आज तु देगा सज़ा उस भैंसे को.. कहते हुये मैंने उसे चूम लिया .....
अपनी जुबान निकाल उसे head को चाट लिया...
मैं बहुत खुश थी... उसकी ड्रिंक मे Rohypnol मिला कर उसे senseless करके यहीं बाँध दूंगी और फिर इतना चोदुँगी.... कि साला रोयेगा मुँह फाड़कर.. हा हा हा हा
मैं हसने लगी...
मैंने वो didlo वापस रख दिया.. पुरी रात रिज़वान को चोदुँगी.. इतना कि वो कभी यहाँ नहीं आएगा... फिर कभी... उसकी रिकॉर्डिंग बना कर viral कर दूंगी . चुदाई की..
फिर साला कुछ नहीं कर पाएगा...जीवन भर बस रोता रहेगा
मैंने दोबारा नहा कर deo की महक अपने जिस्म पर स्प्रे की और short टॉप एंड short का सेट पहन लिया..
आज रिज़वान का बचना ना मुमकिन हैँ...
घड़ी मे देखा 9 बजने वाले हैँ..
तभी doorbell बज उठी... मैं समझ गई वो ही होगा... साला 5 minutes पहले ही आ गया..
मैंने आगे बढ़कर दरवाजा खोला...
साला भैंसा सामने ही खड़ा था.. वो मुझे इस तरह घूर रहा था जैसे खा जायगा..
अनीता जी..9 बजे और लो हम आ गये..
मेरे बिना कुछ बोले ही वो अंदर आ गया..
मुझे खुद एक तरफ हटना पढ़ा वरना वो मुझसे ही टकरा जाता..
ओह्ह साला पूरा 6 फुट से भी लम्बा इंसान हैँ ये... बाप रे बाँध भी पाऊँगी इसे, अगर ये रोहाइपनौल के सरूर जमीन पर गिर गया..
बड़ी खूबसूरत लालनटोप लग रही हो.. आप तो आज...
वो अपने खींसे (दाँत ) निकलता हुआ बोला.. उसके हाथ मे एक बैग था..
मैंने दरवाजा बंद कर दिया... अब फ्लैट मे बस वो और मैं थे.. दिल ना जाने क्यों धडकने लगा...
वो लगातार मेरे बूब्स को घूर रहा था...
अनीता जी.. वाह क्या फिगर हैँ आपका...
मैं चुप रही.. अब जाने क्यों हाथ पैर फूल रहे थे...
अनीता जी .. आओ पास जरा.. यहाँ बैठो.. एक peg हो जाये.... आओ...
उसने बैग से एक wine की बोतल निकाल ली... ठक की आवाज़ के साथ बोतल टेबल पर थी...
मैं बात संभालती हुयी बोली गिलास तो लें आउ मैं..
ना जी ना... गिलास भी मेरे होंगे आज तो...
घर के गिलास मे मजा ना आता हमें..
बोलते हुये उसने 2 कांच के वाइन गिलास टेबल पर बैग से निकाल रख दिए....
देखो जी..
हैँ ना?
साले ने इस तरह बोला जैसे मैं उसकी प्रॉपर्टी हूँ...
कुत्ता साला... मेरे मुँह से गंदी गालियां निकलते निकलते बची...
उसकी निगाह मुझे लगातार घूर रही थी...
मुझे लग रहा था जैसे उसकी नज़र मुझे छू रही हैँ... हल्की घबराहट और सुस्सूरी पुरे बदन मे दौड़ उठी...
अब वो मेरी जांघो को घूर रहा था..
मैं धीरे धीरे चलते हुये उसके पास आ कर बैठ गई...medicine किचन मे थी..
मैंने प्लान किया एक peg के बाद उसे और पीने को बोलूंगी फिर tablet किसी भी तरह मिला ही दूंगी..
Fail और pass मे बस कुछ minutes का फासला था अब.. लो जी पीओ...
एक लार्ज peg मेरे सामने था... और उसकी निगाह मेरी गर्दन.. तो कभी मेरी बूब्स पर लगातार घूम रही थी..
मैंने एक घूंट लिया...
आप भी पीओ ना... मैं खुद को संभालती हुई बोली..
ऐसे नहीं पीते हम अनीता जी...
पीने का मजा हमें एक कपड़ो मे. नहीं आता..
बोलते हुये उसने अपनी शर्ट उतार दी..
ओह्ह्ह no ये क्या... इतनी बेशर्मी....
हा हँहा वो हसा...
अरे अब तो हम भी दोस्त हैँ.. अब क्या पर्दा.. कोई पर्दा नहीं हैँ जी... अब ये ठन बन कर पीने से अपने को चढ़ती नहीं..
ऐसे चढ़ती हैँ... ठीक हैँ ना बोलो.. ऐसे ठीक हैँ ना?
उसके पूछने पर... मैं बस हम्म जी जी हाँ ठीक हैँ.. बस इतना बोल पाई..
मुझे किसी भी तरह बस मेडिसिन मिलानी थी इसकी ड्रिंक मे....
अरे अनीता जी यूँ पिओगी... खींच जाओ एक ही साँस मे... खींचो पूरा...
और जाने क्यों मैं पूरा peg पी गई.. सीने मे जलन उफ्फ्फ्फ़
हा हा हा हा अब हुई ना बात.. वाह्ह्ह
आप तो इस शराब से भी बढ़ कर हो...
हा हा हा..
मैं. उठी और बोली अभी आई किचन से soda लें आउ. वाहन फ्रिज मे हैँ..
हाँ सौड़ा लें आओ आप चिल्ड सा.. मजा आ जायगा..
आज टकरायगी बर्फ और आग रखा साथ..
वो मुझे घूरता हुआ बोला...
मैं उसका मतलब समझ रही थी.. वो क्या बोल रहा हैँ..
मगर मुझे अपना काम करना था..
मैं पलटी और किचन की तरफ चल दी...
मुझे साफ महसूस हो रहा था कि वो पीछे से मेरी गाण्ड घूर रहा होगा.. कुत्ता..
किचन मे जाकर मैंने सबसे पहले flunitrazepam (Rohypnol) क़ी tablets का strip निकली...
तभी एक दम से मेरे पीछे आवाज़ आई
ओ anita ... बर्फ भी होंगी फ्रिज मे तो.. ला मैं लेलु..
वो किचन मे घुस आया था..
और flunitrazepam (Rohypnol)क़ी tablets का पत्ता मेरे हाथ से हड़बड़ी मे गिर गई...
इससे पहले मैं झुकती... वो टेबलेट उछल कर दरवाजे क़ी तरफ चली गई... उसके पैरों के पास...
उफ्फ्फ्फ़ मेरा दिल दहल गया...
मैं आगे बढ़ी कि जल्दी से उसे उठा लू मगर.....
रिज़वान मुझसे ज्यादा फुर्तीला निकला.. उसने झट से शीशी उठा ली...
ओह्ह हो अनीता जी ... ये flunitrazepam (Rohypnol)लेकर क्या कर रही हैँ..
वो मुस्कुराने लगा...
मेरी हालत ऐसी हो गई जैसे किसी साँप ने मुझे डस लिया हो....
क्यों ..... मुझे देने जा रही थी तु...?
मैं हकला गई...
न न न नहीं वो वो...
......
वो आगे बड़ा....
चुप साली... चुप...
तुझे क्या लगता हैँ.. मैं नहीं जानता तेरे अंदर क्या चल रहा हैँ...
कहते हुये उसने अपना लण्ड पैंट के ऊपर से ही पकड़ा और सहलाने लगा...
साली तु सोचती है कि तू मुझे फसा रही थी...
ना ना मैं तुझे फसा रहा था कुतिया...
कहते हुये उसने मेरा हाथ पकड़ा और जोरदार झटका दिया मैं उसके साथ खिंचती चली गई....
वो मुझे खिंचता हुआ सीधे बैडरूम मे लें गया.... एक धक्का... और मैं बेड पर गिरी...
साली तुझे क्या लगता है मुझे नहीं पता कि तेरे पति का नाम सूरज है
वो नामर्द डरपोक इंसान
देख रण्डी सुन उसके भाई का एक्सीडेंट मेरी गलती से नहीं हुआ था ....
वो खुद मेरी खड़ी गाड़ी मे पूरी तेज स्पीड से आ टकराया
और बिना हेलमेट के कारण उसका सिर फट गया
मगर तेरे नामर्द पति ने मुझे blackmail करना चाहा .
2 करोड़ मांग रहा था,
रण्डी इसीलिए तेरे पति को सिर्फ दो थप्पड़ लगाए थे मैंने
समझी रांड पूरी बात?
वो एक सांस मे बोलता चला गया
मगर अब साली आज तुझे असली. मर्द क्या होता हैँ मैं बताऊंगा...
मेरा हलक सूखने लगा था... डर के मारे कुछ सूझ नहीं रहा था..
रिज़वान की सूरज के भाई की मौत मे कोई गलती नहीं थी, मगर अब मैं फ़स गई थी।
तभी वो बोला
तु चिल्लाना चाहती हैँ. भगना चाहती हैँ तो जा भाग...
मगर तुझे मर्द का सुख देने के बाद ही जाऊंगा मैं
समझी........ रण्डी...
............
उफ्फ्फ मैंने आँख बंद कर ली... ये ये क्या हो रहा हैँ इतनी जल्दी ये बदलाव.. कैसे...
ये सपना हैँ....
नहीं... ये सच नहीं हो सकता...
आह्हः अअअ मेरी हल्की चीख निकल गई..
रिज़वान ने मुझे बाल पकड़ कर उठया और बेड पर उल्टा पटक दिया... मैं समझ पाती कुछ तब तक वो अपनी शर्ट जो उसके कंधो पर लटकी थी.. उससे मेरे हाथ खींच कर बाँध दिए...
उफ्फ्फ्फ़ मेरे समझने से पहले ये हो चूका था...
तुम जो भी कर रहे हो ठीक नहीं... मुझे कुछ किया तो बर्बाद कर दूंगी तुम्हे मैं..
मैंने साहस कर एक धमकी दे डाली..
मगर वो हसने लगा हा हा हा हा साली तु मुझे बर्बाद करेगी.. तु मुझे बर्बाद करेगी...
देख मैं कैसे करता हूँ तुझे बर्बाद... देख तु..
उसने मेरी गाण्ड पर एक जोरदार थप्पड़ मारा..
अह्ह्ह माँ... मैं सिसक उठी...
और वो मेरी गाँड़ अपने पंजो मे लेकर मसलने लगा...
क्या गाण्ड हैँ तेरी मदरचोद रण्डी.. बहनकीलोड़ी... आज तेरी चूत का भोसड़ा बनाऊगा..
आज लण्ड क्या होता हैँ मैं दिखाऊंगा .
उफ्फ्फ्फ़ मैं तड़फ उठी उसके मेरी गाण्ड के मीट को इस तरह मसलने से.. बुरी तरह अह्ह्ह
दोनों गाण्ड के हिस्से उसके पंजो मे फसे थे, उसके पंजे पूरी ताकत से बस मसले जा रहे थे...
उसने मेरे बाल फिर पकड़े और खींच कर मुझे जमीन पर बैठा दिया.
रण्डी घुटनों पर बैठ.. चुप चाप बैठ...
मेरी आँख से आँसू की एक बूँद निकल आई.... उफ्फ्फ ज़ालिम...
........
अब इस वक़्त....उसने मेरे दोनों तरफ के गालों को अपने अंगूठे और उंगलियों से कस कर दबाया,
तो मेरे गालों का मेरे जबड़ों पर अत्यधिक दवाब के कारण मेरे दाँत की उपरी पंक्ति और ऊपर उठती हुई खुलती चली गई..
•और फलस्वरूप मेरा मुँह लगभग पूरी तरह “O” के आकर मे पूरी तरह खुल गया.....
मैं उसके बलशाली हाथों कि तरफ देखती हुई उस कोशिश करने लगी कि अपने शरीर को उस बंधन से आज़ाद करा सकूँ जो उसने मेरे दोनों हाथों को मेरी पीठ के पीछे करके अपनी शर्ट से कस कर बाँधा हुआ था.....
इस वक़्त मैं उसके सामने अपने घुटनों के बल बैठी हुई उसकी दया पर जिन्दा थी...
पूरी ताकत लगा कर उसने मेरा मुँह और खोल दिया..
मादरचोदी.. हरामजादी.. इधर देख मेरी आँखों मे...... देख कुतिया रंडी.. इधर देख...
वो पूरी ताकत से मुझ पर गुस्से से चिल्लाया...
मेरे पुरे शरीर मे डर के मारे झुरझुरी दौड़ गई... और ना चाहतें हुए भी मैंने तुरंत उसकी आँखों मे देखा, जहाँ मुझे हवस और दरिंदगी दिखाई दीं..
.
बहनचोद कुतिया... मेरी गाण्ड मरेगी?
क्यों रांड... तेरी चूत मे हैँ इतनी दम कि रिज़वान खान की गाण्ड मार सके?
उसकी बात पर मैं कुछ ना बोल सकी.. बस उसकी आँखों मे देखती रही..
NOTE : दोस्तों मेरे मन मे सवाल दौड़ रहा था, रिज़वान khan को कैसे पता कि मैं उसकी गाँड़ मारने वाली थी
मगर जायदा सोच पाती तभी..
रिज़वान खान ने दूसरे हाथ की एक ऊँगली मेरे पूरी तरह खुले खुले होठों पर रखी..
वाह्ह्ह एक बात तो हैँ साली कुतिया तेरे होंठ बड़े मस्त हैँ.. गुलाबी शहद भरे.. कोमल गुदगुदे.. वाह हाहाहा
वो जोर से हसा.... रंडी तेरे होंठ पर तो मूतने का दिल कर रहा हैँ....
हा हा हा हा हा....
साली उफ्फ्फ तेरे ये रसभरे होंठ... अहह
कहते हुए रिज़वान अपनी उंगलियाँ मेरे ऊपरी होंठ पर घूमाने लगा
गोल गोल.. कभी ऊपर वाले होंठ पर तो कभी नीचे वाले होंठ पर...
उसकी छुअन से मेरे होठों मे हल्की गुदगुदी हो रही थी और मैं घुटनों पर बैठी..
ऊपर चेहरा किये उसकी आँखों मे अपनी अपमानजनक शिकस्त (हार ) देख रही थी... और सच तो ये हैँ मैंने अपनी हार दिल से स्वीकार भी कर ली हैँ...
रिज़वान की इस हरकत पर मैं मन ही मन बुरी तरह डर गई..
उसका हाथ उसकी जीन्स की बेल्ट को खोल रहा था... उफ्फ्फ्फ़
उसने बेल्ट का हुक खोल, जीन्स का बटन भी खोल दिया....
रंडी... प्यास लगी हैँ तुझे?
बोल साली... ये कहते हुए उसने और जोर से मेरे गालो पर दवाब बढ़ाया
उफ्फ्फ्फ़ मुँह और ज्यादा खुल गया.. मेरे दांतो मे मेरे गालों के अंदर का भाग बुरी तरह से दवाब दे रहा था... दर्द की लकीर ने मुझे सिस्कारने पर विवश कर दिया...
वो बस मुस्कराता हुआ अपनी पैंट उतरने लगा...
पैंट के नीचे उसका लाल रंग की फ्रैंची.. उसके नीचे नाग के समान उभरापन....
अगले ही पल उसकी पैंट जमीन पर पड़ी थी... और जैसे ही उसके अपने अंडरवियर की इलास्टिक नीचे खींची..
मर गई.... उफ्फ्फ्फ़ उसका वही विशाल काला लण्ड मेरे सामने फूफकारके एकदम सामने आया कि उसका अगला मशरूम जैसा गहरा लाल गोल भाग कस कर मेरी नाक से टकराया...
उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़फ उसके 11इंच के विशाल नाग जैसे लण्ड की अजीब मरदाना महक मेरी नाक से होती हुयी मेरे दिमाग मे घुसती चली गई.......
इस तरह लण्ड के दर्शन मुझे पहली बार हो रहे हैँ .. और आज मेरे चेहरे के बिलकुल करीब होने पर.. मैं उसकी विशालता और भयानकता देख सच मे डर गई हूँ..
मैंने डर के मारे उसकी तरफ देखा..
रांड देख लें... अपने यार को...
कैसा लगा बता.. बोल सेक्सी कुतिया..
देख लें ठीक से... पूजा करेगी आज के बाद तु इस हरामी लण्ड की..
कहते हुए रिज़वान ने लण्ड को बिना छुए अपनी कमर हिलाते हुए दाएं बाएँ घुमाया....
उफ्फ्फ्फ़ सच मे बहुत बड़ा हैँ ये.....
और तभी लण्ड का चाँटा कस कर मेरे गाल के उपरी भाग पर पड़ा
,
जो रिज़वान के उंगलियों के ऊपर हैँ.
धाड़... उफ़ क्या चाँटा हैँ..
अह्ह्ह निकल गई मेरे खुले हुए होठों से..
ओओओ अ अ नं नं न न जैसी आवाज़ निकली थी मेरे मुँह से..
धाड़ दूसरा थप्पड़ मेरे नाक के बगल पर
ओ ओ अ अ अहह ननन
और उसका लण्ड मेरे होठों के ऊपर आकर रुका...
हा हा हा हा हा हा
रिज़वान की हसीं और मेरी हालत पर हसना
मेरे गरूर का अपमान हैँ..
लण्ड को पकड़ रिज़वान ने मेरे होठों पर गोल गोल घूमना शुरू किया..
उफ्फ्फ्फ़ लण्ड जैसे लिपस्टिक लगा रहा हो मेरे खूबसूरत होठों पर...
मैंने होंठ बंद करना चाहा मगर रिज़वान के अंगूठे ने ऐसा नहीं होने दिया...
लण्ड की महक... उफ्फ्फ्फ़ उसने लण्ड सरका कर मेरे माथे पर रख दिया.... और हसने लगा...
हा ह हा हा .. साली देखा मेरा लण्ड... बोल टाइट चूत की मस्त सेक्सी कुतिया...
बोल...
मैंने धीरे से ना के इशारे मे अपना सिर हिला दिया...
मेरे पुरे चेहरे पर उसका लण्ड घूम रहा था..
कभी आँखों के ऊपर... कभी नाक पर.. गालो ओर.. माथे पर... ठोड़ी पर.. होठों पर.....
उफ्फ्फ्फ़ ये क्या पागल हैँ.... हवसी.... हैँ....
मैं चुप क्यों हूँ..?
मैं नहीं जानती.... बस चुप सी ये सब महसूस कर रही थी
गरम.... सख्त.... महक से भरा... उसका विशाल. लण्ड....
उफ्फफ्फ्फ़...
तु कौन हैँ? रिज़वान ने मुझसे पुछा... बता कौन हैँ तु?
उसने अपना हाथ मेरे गलो से हटा लिया...
मैं बोल सकती थी... गाल दर्द कर रहे थे अंदर से.
बोल कौन हैँ तु...?
उसके सवाल पर मैंने कहा...
मैं अनीता हूँ....
... लण्ड हिला कर उसने मेरे मुँह पर मार दिया अह्ह्ह्ह गाल पर लण्ड की ठोंकर पडी...
साली तु अनीता थी... अब रण्डी हैँ मेरी...
रण्डी हैँ तु.. मेरी.. समझी?
बोल कौन हैँ तु.....?
इस बार उसने पुछा तो मैं कुछ ना बोली...
उसकी आँखों मे देखती चुपचाप रही...
उसने हाथ बड़ा कर मेरे निप्पल्स पकड़े.. और धीरे धीरे मरोड़ने लगा.. अह्ह्ह्हह
शरीर कांप गया मेरा... एक तरंग सी निप्पल्स से उठती हुई सीधा नाभि से होती हुई मेरी चूत तक टकराई...
उफ्फ्फफ्फ्फ़....
ब्रा नहीं पहने हुई थी मैं... आअह्ह्ह माँ
ऐसा लगा जैसे ये कंपन मेरी चूत गीली कर देगी...
उसने निप्पल्स को छोड़ दिया और फिर.. किचन से कैंची उठा लाया...
अगले ही पल मेरा टॉप सामने से काट दिया गया था..
अह्ह्ह्हह मेरे बूब्स गर्व के साथ अकड़ कर सामने आगये...
उफ्फ्फफ्फ्फ़ नहीई...
हा ह हा हा... साली क्या मस्त चूचियाँ हैँ तेरी...
गोल गोल गोरी गोरी उफ्फ्फ मस्त...
भूरे निप्पल्स उफ्फ्फ साली तुझ पर उस गांडू सूरज का अधिकार नहीं था .. तेरे पर सिर्फ मेरे इस लण्ड का अधिकार हैँ...
कहते हुये उसने अपना लण्ड मेरे दाएं निपल पर रख दिया..
उफ़ क्या अहसास था मैं तड़फ उठी..
वो धीरे धीरे अपना लण्ड मेरे निपल पर रगड़ने लगा....
गोल गोल घूमता.. कभी लण्ड के दवाब से निपल को मुँह दबा देता..
अह्ह्ह्ह माँ उफ्फ्फ्फ़ please stop.. मैं इतना ही बोल पाई कि उसने..
लण्ड से एक जोरदार थप्पड़ मेरे निपल पर दे मारा .. उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ मैं तड़फ उठी..
दर्द और मस्ती कि मिलिजुली लहर का वो अहसास..
उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.
उसने फिर मेरे दोनों निप्पल को पकड़ा और मरोड़ता हुआ उन दोनों निप्पलस को खींच कर पास लें आया....
अह्ह्ह्हह मैं उस खिचाव से कराह उठी....
अगले ही पल उसने अपना लण्ड मेरे बूब्स के बीच मे नीचे कि तरफ से ठेल दिया.....
अह्ह्ह्ह क्या अहसास था वो... मोटा गरम लण्ड ...... उफ्फ्फ मेरे बूब्स के बीच मे सरकता हुआ....
अह्ह्ह्ह....
उस ज़ालिम ने लण्ड खिंचा बाहर और लण्ड के गोल head पर..
. ढेर सारा थूक उगल दिया... थू थू....
उफ़ वोही गीला लण्ड फिर दोबारा मेरे बूब्स के बीच घुसेड़ दिआ...
अह्ह्ह इस बार का अहसास अलग था..
फिसलता हुआ लण्ड बूब्स के clevage से बाहर आ गया.... लम्बा उफ्फ्फ मेरे गले तक..... और फिर ज़ालिम कमीने ने हिलना शुरू किया..
उसके हिलने पर लण्ड आगे पीछे हो रहा था...
उफ्फ्फ्फ़ उस घर्षण से मेरी साँस तेज होने लगी.... उफ़ क्या अहसास था वो...
Uffffffff ufff उफ्फ्फ
उसके लण्ड की अकड़ जैसे मेरे जिस्म से मेरी सारी अकड़, गरूर जलन और मेरे attitude को सोखती जा रही हो...
ना चाहतें हुए भी मेरी सांसे भारी होने लगी थी...
अजीब सा अहसास जब वो लण्ड आगे करता तो उसका लण्ड घिसता हुआ मेरे बूब्स के बीच से मेरी गर्दन तक चला आता और.......
उफ्फ्फ वो चिकना गोल सख्त लण्ड का मशरुम head उभर कर skin से बाहर आना और उसकी महक जैसे मेरे गुस्से पर पानी डाल रहे थे...
दिल मे एक guilty का अहसास भी था कहीं भीतर मेरे...... की इसके इतने करीब और इस तरह.... उफ़ no
चिल्लाना चाहती थी.. अंदर से एक आवाज़ आ रही थी मेरे.. की लात मार कस कर और भाग बाहर की तरफ.. जोर से चिल्ला.. कोई तो सुनेगा..
मगर जैसेही वो निपल्स को हल्के से मरोड़ता उफ्फ्फ अपने नाखुनो से उन्हें कुरेदता.... अह्ह्ह्हह अपना लण्ड मेरे गोरे बूब्स के बीच धक्के से आगे करता.... ओह्ह मां
ना जाने क्यों मेरी आवाज़ अंदर ही पिघल जाती... और बस सिसकी निकलती...
मेरी guilt और वो लात मारने का ख्याल थोड़ा और दूर चला जाता.. जैसे मुझे मेरा जहन, मेरा अस्तित्व और मेरा प्रतिरोध मुझे छोड़ रहा हो... धीरे धीरे....
और मैं गिर रही थी.. नीचे और नीचे. अपनी सिसकियों की गहरी मांद मे..
जहान मुझे कोई पुकारने वाला नहीं था.. जहाँ मुझे कोई बचाने वाला नहीं था...
जहाँ मेरी प्रतिरोधक शक्तियाँ भी मेरे ऊपर मुस्कुरा रही थी.......
. हाँ मैं गिर रही थी उसकी बड़ी गहरी विभस्त आँखों मे......... साँसो का हकला तूफ़ान मेरे सीने मे पंपने लगा था उसकी आँखों मे झाँकते हुये.....
वो मुझे देख कुटिलता से मुस्कुरा रहा था...
लण्ड पसन्द आया?
उसने बड़ी बेशर्मी से मुझसे पुछा...
मैंने कोई जवाब नहीं दिया...
उसके इस सवाल से बस मेरे अंदर एक झुरझुरी सी दौड़ गई और मैंने साफ महसूस किया कि मेरे माथे पर पसीने कि कुछ बूँदे उभर आई हैँ..
हम्म्म्म जी......
ये शब्द खुद ब खुद निकल. आये...
उसकी आँखों मे एक चमक दौड़ गई...
वो पीछे हटा और मेरे बूब्स को सख्ती से पकड़ ऊपर खींचने लगा.. अह्ह्ह्ह मैं उठती चली गई...
दर्द से बचने के लिऐ मैं खड़ी होती चली गई....
अब मैं उसके सामने ख़डी थी... उसने मेरा चेहरा अपने दोनों हाथों मे भरा और झुकते हुए मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिए .......
उफ्फ्फ्फ़ उसके भद्दे कुरूप मोटे होठों ने मेरे कोमल. सर्फ़ गुलाबी होठों पर पूरी तरह क़बजा कर लिया...
मममम सी आवाज़ उसके गले से निकली और मुँह खोलते हुये मेरे होतो को चूसते हुये अपने दांतो के बीच उसने भर लिया.... अह्हह्ह्ह्ह
उसकी मोटी जुबान मेरे होठों पर बुरी तरह लिबलिबा रही थी..
चाट रही थी.. कुचल रही थी..
उफ्फ्फ उसके दांतो होठों को दबाते... कुरेदते तो कभी काटते.. उफ़ दोहरे हमले से मेरी ममम मममम न्नन्न जैसी आवाज़ ही निकल पर रही थी
तभी उस कुत्ते ने तीसरा हमला कर दिया.. उसका एक हाथ मेरे बाएं बूब्स पर आया और....
उफ्फफ्फ्फ़ पूरी ताकत से मरोड़ दिया
मैंने पीछे हटने कि कोशिश कि मगर उसका दूसरे हाथ ने मेरी कमर पर से होते हुये मेरी पसलियों से मुझे समेट मुझे कब्जे मे भर लिया...
आअह्ह्ह ममममम
बूब्स को जैसे वो कुचल देना चाहता हो.. उफ्फ्फ्फ़
मेरे होठों को वो कुत्ता भभोड़ कर चाट खा -चाट और चूस रहा था...
कभी मुट्ठी मे बूब्स दबाता तो कभी उसकी उंगलियाँ मेरे निपल को खिंचती हुई कुरेद और मरोड़ देती.... अहह माँ
इतना व्हशिपन उफ्फ्फ्फ़ ये इसकी हवस... उफ्फफ्फ्फ़.
मैं तड़फ रही थी उसकी मजबूत बाहों मे...
इस तरह जकडे जाने का अहसास बिलकुल नया था मेरे लिऐ...
ये पगलपन और दरिंदगी नई थी मेरे लिऐ...
अह्हह्ह्ह्ह ये ये मुझे अब.. अह्ह्ह्ह
उसने अब पागलपन और हवस का दूसरा पत्ता फेका....
उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह उसकी जुबान अब मेरे पुरे चेहरा को चटनी लगी... गाड़ा saliva मेरे चेहरे पर फिसलता.... मुझे गीला कर रहा था...
अपनी जुबान सख्त करके कभी मेरी आँखों मे घुमा देता तो उफ्फफ्फ्फ़ कभी मेरी नाक के छेदो मे जुबान का नोक घुसेड़ता..
उसकी गीले मोटी जुबान मेरा माथा... मेरे गाल.. नाक. आँखों पर सख्ती से फिसल रहे थे...
अह्ह्ह्ह मेरे माथे का पसीना...
उफ़ उसकी saliva से मिलकर एक नई महक पैदा करने लगा था..... उसने मुँह खोला और गालो को भर लिया..
आआईई अह्ह्ह तीर्व जलन.. अहह दांतो का निशान गहरा छप चूका होगा
Ahhhhh
मेरे होंठ उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्हही ईई अआइ...
दांतो मे दबा कर अपनी तरफ यूँ खीचा उस ज़ालिम ने कि मेरा चेहरा मे उस ओर खिंचता चला गया.....
उईई मरोड़ दिया ज़ालिम ने इस बार ओह्ह बूब्स को.....
मैं गुड़िया बनी उसके हाथों का खिलौना थी शयद अब.......
A Sex डॉल
माँ अह्ह्ह्ह कंपन सी उठ पड़ी... उफ्फफ्फ्फ़
जुबान गर्दन को गीली करती हुए मेरी बूब्स पर आ गई.... उफ्फ्फ अह्ह्ह मममम
मुँह खुला और अह्हह्ह्ह्ह yess
जब उसकी मुँह ने पुरे निप्पल के area को मुँह मे भर लिया...
जुबान कि गीली रगड.....
अह्ह्ह निप्पल के point tip पर यूँ महसूस हुई जैसे कोई सिरहन चटक कर आई हो वहाँ...
गुदगुदी का तीर्व अहसास..
मममममम
मुँह मे बूब्स को इस प्रकार चूसते हुये खिंचा की...
बूब्स फिसलता हुआ उसके मुँह मे समाता चला गया..
आहहहह
मेरा शरीर कमान की तरह अकड़ गया और मैंने ना जाने कब अपने बूब्स उसकी मुँह की तरफ और अधिक धकेल दिए...
दांतो से nipple दबा अंदर से उसकी जुबान निप्पल के tip point को कुरेद रही थी सहला रही थी..
जैसे मेरे दिल के अंदर जाने का वो रास्ता हो... उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़फ्फ्फ्फफ्फ्फ़....
दोनों हाथों से दोनों बूब्स को पकड़ कर मिला दिया उसने और अब बारी बारी दोनों निपल्स को चूमने और चाटने लगा...
दाँत निपोर कर आगे लता और दांतो से निपल्स को कुरेदता...
मेरे बुब्स पर लाल लाल दांतो की निशान..... पुरे गीले ....
उफ़ हवा का ठंडापन उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़...
वो थोड़ा और झुका..... मेरी short साइड के पकड़ी और मेरी जांघो... Calf... Anklets से होती हुई मेरी short जमीन पर पड़ी मुझे मुँह चिड़ा रही थी कि बड़ी आई थी बदला लेना.. अब पछता....
उफ्फफ्फ्फ़
मैं मन की हालत विचित्र थी... बदला लेने की तमन्ना अब भी थी मगर दिमाग़ और प्रतिरोध शक्ति दूर ख़डी मुझे पर हस रही थी.....
अगर ऐसा ना होता तो क्यों मैं खुद अपने पैरों को उठती जब वो मेरी शॉर्ट्स anklet से उतार जमीन पर डाल रहा था..
सच हैँ शायद मैं उसकी orders के नीचे आ चुकी थी...
अह्ह्ह वाह क्या गोरी चूत हैँ तेरी साली रांड... एक दम. चिकनी.....
हा हा हा...
तेरी गाण्ड भी चिकनी है और तेरी चूत भी चिकनी.....
सूरज की नहीं तू, राण्ड मेरी है
सूरज का नाम सुनते ही मन उछल पढ़ा.. मैं वर्तमान मे लौटने लगी.. कि ये क्या कर रही हूँ मैं.. क्यों क्यों मुझे रोकना होगा इसे...
.
मगर उसकी साँसे के मेरी चूत की दरार पर टकराने का अहसास होते ही..... अह्ह्ह मेरी आँखें बंद होती चली गई....
उसकी सख्त उँगलियों ने मेरी कमर को. पकड़ा......
एक धक्का..... उफ्फ्फ्फ़ और मैं पीछे बेड पर पीठ के बल गिर पड़ी.....
अह्ह्ह
मैंने महसूस किया उफ्फ्फ्फ़ मेरे घुटने कस कर पकड़े गये हैँ उसके पंजो के द्वारा.....
और खोल दिया उसने मेरी दोनों टांगे.... अहह अलग -अलग दिशा मे....
मेरी गुलाबी गोरी चूत जिसपर हल्का गहरा रंग की लालिमा भी छाई थी... उफ़ उसका चुम्बन.. मेरी जांघो पर...
कुत्ता अह्ह्ह
मेरे मुँह से सिसकी फूट पड़ी... अह्ह्ह ममम
चुम्बन उफ्फ्फ उसकी जुबान का वही अंदाज़ अह्ह्ह... मेरी जांघो के आंतरिक भाग को चाटता गीला करता हुआ वो ऊपर की तरफ बढ़ रहा था....
अह्हह्ह्ह्ह माँ उफ्फ्फफ्फ्फ़
अब उसकी जुबान मेरी चूत के दाने से टकराई.....
आह कमीना अह्हह्ह्ह्ह उफ्फ्फ आँखें बंद.....
हल्का चुम्बन उफ़ चूत के दाने पर....
उफ्फ्फ्फ़
और मुँह खुलने का अहसास हुआ उसके....
आहहहहहह पूरी चूत का देना और आधी चूत गई भर ली उसने अपने मुँह मे.....
मेरी आँखें ऊपर चढ़ गई.... होंठ पुरे खुल गये आआआ आइएह्ह्ह माँ
उफ्फ्फ आहहहह
दांतो ने दरिंदगी दिखाई.. आअई इ
और जुबान ने मलहम लगाया
उफ्फ्फफ्फ्फ़
जुबान दाने को कुरेदने लगी.... मईया मेरी.... उफ्फ्फ्फ़ god ओह्ह्हमा..
Yes yes... Yessssssss मेरे होठों ने साफ कहा... एस्स्स्स yesssss eat me please
वो समझ गया कि अनीता फस गई हैँ अब उसके हाथ मे...
मेरी yes.... उसके लिऐ ग्रीन signal था....
उसने जोश मे भरकर मेरी चूत को भभोड़ दिया.....
आअह्ह्हई
जुबान सख्त हुई और मोटी लम्बी गीली गन्दी जुबान...
मेरी मखमली चूत के अंदर घुसती चली गई..
मेरी जांघो को जबरजस्ती पूरा खोल दिया उसने.. और जुबान का प्रहार मेरी भीतर तक...
आआआआआइईई उफ्फ्फ्फ़ YESSSS...
गोल गोल घूमता अपनी जुबान से जैसे वो मेरे जिस्म के भीतर जाने का रास्ता ढूंढ रहा हो...
अह्ह्ह्ह उसके हाथ अब फिसलकर मेरी गाण्ड पर कस गये... मेरी गइल गाण्ड को उसने हाथों मे भर लिया... कियुँकि मैंने ना जाने कब मस्ती की तरंग मे अपनी कमर उठा दी थी.. ऊपर ऊपर हाँ ऊपर...
मेरी गाँड़ मे माँस को बुरी तरह मसलते हुये वो मेरी चूत को जैसे पी रहा था... चाट और खा रहा था....
मैं मछली की तरफ मचल रही थी उसके सामने..... उसके नीचे..... उसके हाथों मे... एक गुड़िया बन.....
उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़
इस बार उसकी जुबान फिसली और मेरी गाण्ड के छेद मे रगड गई..
अह्ह्ह्ह गुदगुदी का अहसास..... तरंग..... कंपकपी...... उफ्फ्फ्फ़
जुबान और होठों ने अपना काम. किया..... मार डाला उफ्फ्फ
गाण्ड को चबाता और छेद को जुबान सा चाटता उफ्फ्फ्फ़ माँ सख्त जुबान मेरी गाण्ड के छेद को धक्का दे अंदर घुसी..
उफ्फ्फफ्फ्फ़ मस्ती सी छा गई....
उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़फ अहसास स्वर्ग का यही हैँ......
दूसरी तरफ मेरी चूत मे उसकी दो मोटी उंगलियां अंदर तक घुसती चली गई
अहहहहहहहहहह ओह्ह्ह्ह
गाण्ड मे जुबान...... चूत मे दो उँगलियाँ
एक साथ..... साथ साथ.....
अपना काम. कर रही थी
... Please Kill Me.... Please...
मेरे मुँह से ये शब्द निकले तो वो और बुरी तरह मेरी गाण्ड को भभोड़ने लगा...
आहहहहह
वो पीछे हुआ... और मेरे सामने पैंट पूरी उतार नंगा खड़ा हो गया...
मैं उसे देख डर गई...
उफ्फ्फ ये लण्ड... ये भारी शरीर....
मार डालेगा ये मुझे....
उसने मेरे कंधे पकड़ कर मुझे उठाया और मेरे दोनों हाथ खोल दिए....
मैं नंगी खड़ी थी उसके सामने....
मन ने आवाज़ दी.. अब भी कुछ नहीं बिगड़है.. भाग बचा खुद को... करिश्मा भाग...
तभी मुझे याद आया पापा की revolver उनकी अलमारी मे रखी है
अगला update क्या Revolver तक मुझे पहुँचा देगा? पता नहीं यें तो कल ही पता पड़ेगा, जब कहानी खुद आगे बढ़ेगी
उसने हाथ से लण्ड पकड़ा और मेरे होंठ पर रख दिया... उफ्फफ्फ्फ़
पता नहीं क्यों... कैसे मैंने अपने होठों को खोल दिया उस विशाल बदसूरत लण्ड के स्वागत मे.....
वो मुस्कुरा उठा...
चूस लें.. यही अब तेरी तकदीर हैँ साली..
मैंने पता नहीं कब लण्ड का मुंड अपने मुँह मे लें लिया .. उफ़ इतना बड़ा लण्ड...
ओह्ह्ह
उसने मेरे सिर पर हाथ रखा और लण्ड को मेरे पूरी तरह खुले. होठों के बीच पेलना शुरू किया..
Gu gu gu गाग gag gag gaged ग ग ग घह gu gag gaged...
मगर सवाल ये था कि ये लण्ड मुँह मे जायगा कैसे?
उफ्फफ्फ्फ़
Gu gu gag gaged aaaakkk उह्ह्ह no no gu
जैसे मुँह पर कोई लम्बा मोटा ढक्क्न लगा कर मुँह बंद कर दिया गया हो..
उफ़ उसने धक्का दिया कि लण्ड और अंदर हो जाये... बदले मे.. Saliva मेरे मुँह से बाहर बहने लगा...
Vomit का guuuu gag gaged अहसास उफ्फ्फ्फ़
वो मेरा सिर पकड़ ओकड़ कर धक्के देने लगा
उसका वो परिणाम निकला कि मेरी throat तक मोटा सा घुटा घुटा अहसास घुसता चला गया...
I was Fully chocked......
Gag gaged gu guuuuhhhhhh uffff no नऊऊ
दे धक्के दे धक्के.. मेरे हलक तक मेरी आंखे बड़ी हो बाहर निकले लगी...
मैंने दोनों हाथों से उसे पीछे धकेलना चाहा मगर उसकी ताकत के आगे मैं सिर्फ एक खिलौना गुड़िया थी...
लें साली पूरा लेगी...इसे कहते हैँ लण्ड.... ये हैँ लण्ड..
चूस.. खा जा हरामजादी कुतिया बहन कि लौड़ी...
साँस लेना मुश्किल. था अब....
उफ्फ्फ मां gu gu कि आवाज़ मेरे मुँह से लगातार निकल. रही थी....
वो पीछे हुआ..
और मुझे उठा कर बेड पर पटक दिया.. और कूद कर मेरी बगल मे लेट गया...
उसके होंठ मेरे होंठ पर जम. गये
मममममम अह्ह्ह मममम
फिर वो धीरे से बोला..
इसी बेड ओर तेरे बेड पर... आज तुझे चोदूँगा हरामजादी.. इसी लण्ड से...
आज से तु भी मेरी रखेल हैँ.. कुतिया हैँ...
बोल हाँ
बोल मेरी सेक्सी चूत वाली बोल हाँ...
और मेरे मुँह से ना जाने क्यों...
जी....... शब्द निकल पडा.
जी.... जी.... शब्द मे शायद समर्पण था...
उसकी supreme होना का स्वीकार था...
वो मुस्कुरा उठा... उसने टेबल पर पडा मेरा मोबाइल उठया.. और मेरी तरफ बढ़ा दिया..
पासवर्ड खोल साली...
ना जाने क्यूँ
मैंने चुपचाप पासवर्ड खोल दिया...
अब उसने मेरा मोबाइल लिया और कॉन्टैक्ट लिस्ट मे से papa का नंबर मिलाया...
सुन कुछ भी बात कर... ज़ब तक. मैं ना बोलो करती रह...
उसके call. पर पापा ने call उठाया तो उसने मुझे मोबाइल दे दिया...
हेलो मैंने बोला.. बेटी ठीक हो ना...
उफ्फफ्फ्फ़ तभी रिज़वान ने मेरी गाण्ड खोल उसके छेद को चाटना शुरू कर दिया..
अह्ह्हसी सिसकी उठी मैं...
हाँ मैं ठीक हूँ....
अह्ह्ह मैं फिर सिसकी उठी...
क्या हुआ.. उन्होंने मेरी सिसकी सुन कर पुछा...
कुछ नहीं.. पैर मुड़ गया था.. हल्की. मोच हैँ.. वो सिकाई कर रही हूँ... ना
आअह्ह्ह
रिज़वान कि जुबान गाण्ड के छेद मे घुसी...
अरे क्या करती हो तुम? कैसे लगी तुम्हारे? पापा के इस सवाल पर मैं साफ झूठ बोल गई...
गई थी... मोच आ गई है पापा सीढ़ी पर
रिज़वान ने ऊँगली पेल दी मेरी मासूम निगोड़ी चूत मे..
उफ्फ्फ आअह्ह्हह्ह्ह्ह
मैं सिसकी उठी..
.......
लगता हैँ ज्यादा दर्द हो रहा हैँ बेटा आपको...
डॉक्टर से मिलो.. जल्दी..
.....
हाँ हाँ... मिलती हूँ....
अब रिज़वान क़ी हरकते उफ्फ्फ..
मैंने जल्दी से मोबाइल बंद किया...
और रिज़वान ने मुझे उलट कर सीधा कर दिया..
अब सुन तेरी चूत का उद्घाटन होगा अब...
टाँगे खोल....
ना जाने क्यूँ मैंने उसकी बात मानते हुए टाँगे खोल दी....
उसने मेरी टांगो के बीच आकर लण्ड को चूत पर थपथपाना शुरू किया..
मैंने अब पहली बार उससे बोला.. Please आपका बहुत बड़ा हैँ... नहीं जायगा please अंदर....
Please...
हा ह हा हा हा वो हसा...
जायगा नहीं... अरे ठोक दूंगा पूरा लण्ड तेरी चूत मे..
लें देख अपनी चूत को... देख ना.. बहन क़ी लौड़ी..
और मैंने उठ कर अपनी चूत देखी...
उसने मोबाइल उठा कर पासवर्ड खोला और... मेरी चूत क़ी पिक्स लें ली...
साली कुतिया ये चूत क़ी pics अब रख अपने पास कियुँकि अब आज के बाद तेरे पास चूत नहीं... भोसड़ा होगा....
फाड़ दूंगा तेरी चूत आज.........
मैं डर गई उसने लण्ड मेरी चूत पर टिकाया....
...............
..............
...............
मेरा मुँह खुलता चला गया... आँखें फट कर जैसे बहार आने को हो...
आआआ आआआ
क़ी चीख निकली.........
साले मदरचोद ने मेरी कमर पकड़ कर अपना लण्ड धक्के के साथ ठोक दिया तह चूत मे मेरी... मर गईंईई उफ्फ्फ माँ...
प्लीज् निकालो... अहह बाहर निकालो... मर जाउंगी..... भू बू हहहहहह हूँ हू ईईए
मेरी आँखों से कोरों से आँसू ना जाने कब निकल. पड़ें....
हाथ जोड़ती हूँ please प्लीज.. निकल. लो...
Aaaaeeeee..
....
उसने अपना लण्ड बाहर खिंचा और.... पूरी ताकत से मेरी चूत के अंदर ठोकर मार दी...
माआआआआआ अअअअअअअ ईईईईईई
मैं चीख उठी...
यु लगा कोई. मुसल चूत मे घुसेड़ दिया गया हो..
साले ने अपना बदन मेरे जिस्म पर गिर दिया.. मेरे कोमल बूब्स उसके सीने के नीचे दब से गये और उसने मेरे होठों पर अपने मोटे भद्दे होठों को पूरी तरह रख उन्हें जकड़ लिया....
मेरी चीखे और सिसकियां मेरे हलक मे ही दब गई
अं अं अं ममम गुह gu गु गु घह गुहहहहहह.
जैसी कुछ दर्दभरी आवाज़े बस मेरे हलक और नाक से निकल रही थी..
उसकी भारी कमर मेरी टांगो को बुरी तरह अलग अलग विपरीत दिशा मे खोल रही थी..
उसकी जुबान जैसे मेरे मुँह के भीतर जाने का रास्ता खोज रही हो..
सख्त जुबान का अहसास.....
एक बार और जो ठोंकर पड़ी तो मेरे दाँत जो उसकी जुबान को रुके हुये थे.. आअह्ह्ह के रूप मे अलग हो गये...
और साले की जुबान घुसती चली गई मेरी जुबान के ऊपर से फिसलती हुई..... अंदर तक..
नीचे ठोकरों का दौर शुरू हो चूका था... उसका सीना मेरे बूब्स निपल्स को बुरी तरह पीस कुचल रहा हैँ....
और जुबान मेरी जुबान को कभी पकड़ती कभी छोड़ती उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़फ...
लण्ड का ये अहसास अनोखा हैँ.. इतना मोटा पहली बार....
मेरे अंदर... उत्पात के रूप मे... उफ्फ्फ्फ़ जब वो लण्ड बाहर खिंचाता तो मेरी चूत की खाल उसके लण्ड के साथ बाहर खींची आती और दूसरे पल ही वापस ठोंकर के साथ अंदर चली जाती....
...
उसने मेरे होंठ छोड़े और कमर की ठोकरों के बीच बोला.. रण्डी बना डालूंगा तुझे साली...
सूरज बचाओ मुझे आहहहह माँ...
मुझे लगा जैसे सूरज की आत्मा बचा लेगी मुझे
मगर ऐसा नहीं हुआ
वो मेरी गर्दन को चूमने लगा... पुच muhaa puchh...
ऐसा लग रहा था... मेरी बच्चेदानी घायल कर देगा ये सांड.....
अचानक उसने मेरा एक पैर पकड़ कर अपने कांधे पर रख लिया... और दूसरे पैर पर चढ़ कर मेरी चूत का भूरता बनाने लगा.. धाड़ धाड़ थाप थाप
आह मर गई उफ्फ्फफ्फ्फ़ जाने दो... उह ओह मां मर जाउंगी.. उफ्फ्फ अह्ह्ह ईईवीव्व्ववीईईई..
बस यही आवाज़े मेरे पुरे फ्लैट मे गूँज़ रही थी....
हाथ जोड़ रही हूँ प्लीससस निकालो... रुक जाओ... आअह्ह्ह धीरे
और मैंने अपने हाथों सच मच जोड़ लिऐ...
मगर मेरी इस position मे वो और हिंसक हो गया.. उसका लण्ड गहराई तक मार कर रहा था...
वो कुत्ते की तरह मेरी चूत पर लण्ड की ठोकरें लगातार मारा जा रहा था.
. उसका ballsack आहे आह आह मेरी गाण्ड के छेद के ऊपर लगातार हर धक्के पर टकरा कर वहाँ कंपन पैदा कर रहे थे...
.... अह्ह्ह बचाओ ओ ओ ओ आइईई
मेरी इन शब्दों पर वो. जोर से हसा...
मेरी रानी... चिकनी... रण्डी.... तेरा पति जिंदा होता तो उससे अपने लण्ड को गीला करवा कर तेरी चूत पर टिका देता....
हा हा हा हा
साली तु मेरी रण्डी हैँ, और वो साला नामर्द था ..
बोल बोल... अनीता मेरी जान...
बोल अब.. हा हा अहा आह हा
उसका जान कहना मुझे..
मेरे दिल पर आघात सा था... उफ्फ्फ मैं तो सूरज की जान थी ... और अब ये भी.....
इससे आगे मैं आगे कुछ और सोच पाती ..
आआउउच माँ मर गई.. आईईईई अह्ह्ह
साले हरामी ने पूरी तरह कूद कर लण्ड की ठोंकर मेरी थी.... लण्ड बच्चेदानी को जैसे दवाब से पीस देगा...
मेरा मुँह पूरा खुल गया..
उसको जैसे मौका मिल गया हो...
थू....... की आवाज़ के साथ मेरे खुले मुँह मे rizwaan का थूक उतरता चला गया..
छी गाड़ा और चिपचिपा अहसास..
उफ्फ्फ्फ़ तुरंत उसने अपने होंठ मेरे होंठ पर रख उसे बंद कर दिया..
मममममममममममम मममममममममममम
लण्ड की ठोकरें उड़ड़ड़ड़ड़फ्फ्फ्फफ्फ्फ़
मुझे वो थूक ना चाहतें हुये भी निगलना ही पडा....
कसकसाता सा मोटा लण्ड घिस्सा मारता हुआ मेरी छोटी सी निगोड़ी चूत की दीवारों को फैलता जा रहा था......
पता नहीं कब मेरी साँस और तेज चलने लगी और आँखें मुंदने लगी....
लण्ड का मोटापन अब जैसे चूत का हिस्सा बनता जा रहा था..
दर्द मे मीठापन और कामुकता घुलती जा रही थी.. उफ़ ये मीठा, कामुकता भरा अहसास........
अब दिमाग सुन और सारी सोचें मेरे जहन से दूर होती जा रही थी...
अब बस मेरा जिस्म और rizwaan के भारी जिस्म के बीच मुझे ठोकता उसके मस्त लण्ड का अहसास था.....
जाने कब मेरी बाहों ने उसके मजबूत बांहों को थाम लिया और आअह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह yes ओह्ह no.. धीरे.. अह्ह्ह मर गई...
अह्ह्ह उगफ्फफ्फ्फ़ yes yes yes
.. अह्ह्ह जैसी सिसकियां और कराह मेरे होठों पर अपना वजूद जमा चुकी थी...
वो समझ गया कि मैं घुल रही हूँ अब.... उसके नीचे... उसकी अटूट मर्दानगी के साये मे.......
उसने झुक कर मेरे माथे को प्यार से चूमा.....
और गाण्ड घुमा घुमा कर मेरी चूत के रास्ते मेरे दिमाग और दिल मे जगह बनाने लगा....
लगातार मेरे माथे को 4-5 बार चूमने के बाद उसने मेरी आँखों को चूमा...... मेरी नाक को चूमा....
ये चुम्बन अब मुझे अपनेपन का अहसास दिला रही थी.....
मेरी कानो मे धीरे से फुसफुसाया...
You are sexy....
इस बार मुझे उसका इस तरह पुकारना अच्छा लगा....
मैं नहीं जानती.. ये कैसी प्यास थी.... क्या था ये... क्यों किया खुद मैंने...
ना जाने क्यूँ मैंने चेहरा उठाया अपना.... और उसका चेहरा होने हाथों मे भरकर.. उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए
वो धीरे धीरे लण्ड का घर्षण घुमा घुमा के अपनी कमर को दे रहा था....
मैंने होंठ खोले और उसके निचले होंठ को दांतो के बीच लें चूमने काटने लगी...
Puchhh पुच और मेरी साँसो कि आवाज़ उसके होठों के पास गुंज रही थी......
मैं ने अब अपनी आँखें खोली और मुस्कुरा कर उसको आँख मार दी...
ये अक्सर मैं सूरज के साथ करती थी जब sex मे चरम सुख कि प्राप्ति होती....
ये मैंने यहाँ किया....
क्या ये मेरे सुख को प्राप्त करने का सन्देश था...
उसने उसके बदले मे मूझे पटल कर bellydown position मे लिटा दिया....
कुछ समझती... उससे पहलें वो मेरे कामुक जिस्म पर आसमान की तरह छाता चला गया....
मेरे दोनों मेरे सिर के ऊपर उसने सीधे कर पकड़ लिऐ और ना जाने कैसे उसके लण्ड ने मेरी चूत का. मुहाना ढूंढ ही लिया...
उफ्फफ्फ्फ़ मां.. चिकना सा कसकसा मोटा अहसास......
जैसे मेरे जिस्म. का कोई हिस्सा वापस मेरे जिस्म. मे धड़धाड़ाते हुये गुस्ताखी चला आया हो...
बच्चेदानी पर लण्ड की ठोकर का दर्दभरा अहसास बहुत था मगर कमबख्त चूत की दीवारों ने बगावत कर उसके दर्द को सुख मे बदल दिया था.....
मैंने अपनी soch और जिस्म को उसके सहारे छोड़ दिया.... मेरा समर्पण....... Rizwaan को......
बोल मेरी कुतिया हैँ तु.....
बोल जान...
उसके ये बोलने पर....
हाँ सच हैँ मैं नहीं जानती क्यों किया ये मैंने... मगर हाँ कर दिया...
धीरे से ही सही मगर साफ साफ मैंने कहा...
मैं मैं...... मैं आपकी कुतिया हूं....
मुझे पता हैँ.. Rizwaan जरूर मुस्कुराया होगा.....
उसके दोनों पैरों ने मेरी टांगो को खोल कर धाड़ धाड़ मेरी चूत की चुदाई शुरू कर दी....
और इस बार मैंने कहा
अहह yes yes.... Please fuck मे... उफ्फ्फ harder please याह्ह्ह
Rizwaan मेरे कंधो... गर्दन... को चूमता जा रहा था... अब साँसों का ऐसा तूफ़ान था हमारे बीच...
कि उसकी आवाज़ मेरे फ्लैट से बाहर भी शायद जा रही होंगी... मुझे अब कोई परवाह नहीं थी
कि कौन सुन रहा हैँ... कौन क्या कह रहा हैँ....
मैं तो बस चिल्ला रही थी....
जोर से rizwaan please जोर से मारो मेरी... आअह्ह्ह माँ धीरे.. उईईई माँ
उफ्फ्फ आह ओह्ह ओह्ह अहह yes yes... Yes.....
और फिर मैं बोल उठी....
या love you yes अह्ह्ह fuck मे... My जान. Fuck me.. Rizwaan pls
बदले me rizwaan ने मुझे हिला दिया मेरी. कमर पकड़ घोड़ी बना कर मेरी गाण्ड के मीट को अपनी ठोकरों से लाल कर दिए....
उसने मेरे बालों को अपने पंजे मे भरा... उफ्फ्फ्फ़ ताकत से पीछे खिंचा.... अह्ह्ह्ह मेरा चेहरा ऊपर की तरफ उठता हुआ पीछे की तरफ सिर तनता चला गया.....
हैं रण्डी बोल जोर से i love you काले लण्ड.... बोल... कुतिया madarchod... साली
और मैं चिल्ला उठी...... Yes अह्ह्ह अहह I LOVE YOU KALE LUND..... I love you...
भावनाओं का तूफान मेरे अंदर से यूँ उम्दा me चीखती हुयी बेड पर औंधे मुँह गिर पड़ी.. जिस्म. अकड़ गया... आँखें फिर चढ़ गई...
लावा सुख का मेरी चूत कि गहराईयों से लबालब बेहटा चला आया... Rizwaan कहाँ रुकने वाला था.... मैं चीख मार अकड़ गई.. उसने मेरी कमर पकड़ दबा दिया नीचे कि तरफ जोरो से मुझे...
फच फच उच फुचाक कि आवाज़ चूत से लण्ड के अंदरबाहर होने पर अब साफ हो रही थी...
मैं मर गई थी सुख के सागर me.... बह गई थी.... मदहोशी me.....
हाँ मैं हार गई थी .. जिस्म. कि प्यास me....
ओह्ह्ह ये सुख सुख सुख.......... Yesssss....
Rizwaan कि ठीकरे कुछ और समय तक मेरे ऊपर छायी रही... मगर आखिर me वो भी मदहोश सा मेरे ऊपर ही पसर गया...
मैंने साफ अहसास किया
बहुत सारा... मेरा मतलब बहुत सारा गाड़ा गरम गरम सा तर्क मेरे भीतर समय रहा हैँ... यही हैँ. परमसुःख....
मैंने आँख बंद कर ली....
एक मुस्कुराहट मेरे होठों पर आकर.... फिर शान्त हो सो गई...
.............. .............
लगभग 10 minutes के बाद rizwaan उठा और किचन कि तरफ यूँ ही नँगा चला गया...
शायद वो किचन मे कुछ बना रहा था..
ठथोड़ी देर बाद ज़ब वो लौटा टूसके हाथों मे कॉफ़ी के 2 प्याले थे..
उसने मुझे बड़े प्यार से kiss किया... उसके होंठ मेरे आँखों पर उतरे और बारी बारी दोनों आँखों को चूमकर वापस चले गये...
उठ जाओ जान.... कॉफ़ी पी लो...
उसने मुझे हल्के से हिलाया... मैंने ना चाहतें हुये आँखें खोली.. पूरा बदन जैसे टूटन जैसा थका महसूस हो रहा था..
मगर अभी भी उस सुख कि सरूर जहन मे चढ़ा हुआ हैँ... मैंने आँख खोली तो उसका लण्ड मेरे सामने नज़र आया वो मेरे सामने ही कॉफ़ी का एक प्याला लिऐ खड़ा था....
मैंने मुसकुराते हुये उसके लण्ड को हाथों लगाया....
हल्के तनाव मे आधा लटका लण्ड मे जैसे करंट सा दौड़ा हो... मैंने साफ उसको ऊपर उठते और फूलते हुये महसूस किया....
मैंने उसको उंगलियों के बीच भर लिया..... उफ्फ्फ्फ़ ठक ठक ठक ठक हल्के झटको के साथ वो उठ रहा था.... मैंने आगे सरक कर उसके head पर अपने होंठ रख दिए......
उसको प्यार से चूमा.. यही हैँ वो शहजादा... जिसने मुझे अपूर्व सुख का असीमित अहसास दिया... जिसने मुझे स्त्री होने का असली सुख मे नेहलाया....
जिसने मेरे गरूर को अपने पौरुष से समर्पण तक पहुंचाया.....
मैं rizwaan के लण्ड की बात कर रही हूँ सिर्फ..... Rizwaan की नहीं...
क्यों लण्ड अच्छा लगा?
Rizwaan के इस सवाल पर मैंने धीरे से कहा...
I love you.... मेरे शहजादे....
.....
लण्ड एक हाथों मे पकड़े पकड़े मैंने कॉफ़ी का प्याला उसके हाथों से लिया...
और मुस्कुराते हुये.. एक हल्की सिप ली...
वो मेरे बगल मे बैठ मुझे देखता कॉफ़ी पीने लगा...
अब शर्म का अहसास नहीं था....
कोई पर्दा.... नहीं.....
कोई अनजानापन नहीं......
...............................
....................................
एक बात बता... वो drug क्यों लाई थी क्या करती मेरे साथ अगर मैं लें लेता तो.. उसके इस सवाल पर मैं मुस्कुरा उठी...
बता ना... क्या इरादा था तेरा...
.........
मैंने मुस्कुराते हुये कहा
आपके लण्ड के जैसा मैं didlo लाई थी वो strap on करके आपकी गाण्ड....
कहती हुई मैं जोर से मुस्करा गई ..
मुझे पता था.. तु लाई हैँ वो.. मगर देख... जानेमन... अब तो तेरी बज गई....
(कैसे पता है उसे? कैसे? हर बात किस तरह उसे पता है, मैं समझ नहीं पर रही थी )
मैं धीरे से हम्म्म ही बोल पाई..
...
फिर मैं बोली...
तुम ने सूरज को नहीं मारा,
उसके भाई को नहीं मारा
मैं जान गई हूँ .
मगर प्लीज मुझे बक्श दो, मुझे इतनी चुदाई से ना मारो
मेरी बात पर वो हसा.... अरे पगली.. ये तेरी की ख़ुशी हैँ... तुझे चुदना पसन्द हैँ..
...
देख हर इंसान कि अपना जनून और चाहत होती हैँ...
तेरी पिक्चर 3 महीने पहले देखी थी तब से तुझे चोदना चाहता था
और लें तू खुद आकर फ़स गई
रण्डी बन गई मेरी हा हा हा
उसकी बातों का कोई जवाब नहीं दिता मैंने.... बस समझ गई... उसका लण्ड मुझे कुतिया बना कर आगे भी चोदेगा
किसी को मत बताना इस सब के बारे मे..
मेरी इसबात पर वो ‘ठीक हैँ जैसा तु बोले “ बोलकर चुप हो गया...
हमने कॉफ़ी खत्म कि.. इस बीच उसके हाथों मेरे निप्पल्स और चूत को लगातार छेड़ते रहे थे...
कॉफ़ी का प्याला टेबल पर रख वो बोला..
चल जरा दिखा वो didlo कहाँ हैँ... जल्दी उठ लें कर आ उसे...
मेरा उठने का बिलकुल मन नहीं था.. जिन्दगी मे पहली बार मेरे जिस्म को इस तरह भभोड़ा गया था.. असीम आनंद का नशा अभी उतरा ही कहाँ था.. जो किसी और काम मे मन लगे मेरा....
फिर भी rizwaan के कहने पर.. मैं धीरे से उठी.. अह्ह्हह्ह्ह्ह
अब अहसास हुआ कि कमर मे टूटन जैसा दर्द हैँ, और टांगों के पीछे की मांसपेशीयां मे खिंचाव का दर्द था... शायद मेरी टांगो को कंधे पर रखकर rizwaan मेरी चुदाई की थी तो खिंचाव आया होगा....
मगर मैं उठी तो मेरी चाल लड़खड़ा थी... टाँगे हल्के हल्के कांप रही थी....
इसका कसूर भी उसकी बेरहम चुदाई ही थी...
मगर यही सुख का अहसास भी था... मैं मुस्कुरा गई...
और अलमीरा खोल कर वो डिलडो निकला और वापस आ कर rizwaan के हाथो मे दे दिया...
अब मैंने जाना कि वो didlo को देख भी नहीं रहा था.....
वो तो मेरे कमर को और नाभि को घूर रहा हैँ..
मैं झिझक गई.. उसकी नज़रे मेरी चूत पर भी हैँ.... मैं मुड़ी और किचन की तरफ चल पड़ी. सामने शीशे मे मैंने साफ देखा कि वो मेरी गाण्ड के उभार को नदिदों क़ी तरह घूर रहा हैँ.......
उफ्फफ्फ्फ़ उसकी निगाहेँ मेरे अंदर फिर एक भूख उमड़ने लगी थी.. मैं पलटी और वापस रिज़वान के पास वापस आ बैठ गई...
मैं नीचे देख रही थी.... मैं सिर से पाँव तक नंगी थी और ये बात मुझमे और ज्यादा sex भर रहा था....
अब rizwaan ने didlo पर नज़र डाली और चौंक गया...
हा हा हा हा हा हा
साली तु ये मेरी गाण्ड मे डालना चाहती थी....
हा हा हा हा......
साली अब एक काम कर सूरज कुत्ते की सारी फोटो जो घर मे अभी सब ला
मैं चौंक उठी उसकी इस बात पर
मगर ना जाने क्यूँ मैं उठ गई almirah से album उठाया और rizwan को दे दिया फिर टेबल पर रखी सूरज की फोटो उठाने जैसे ही मुड़ी मैंने देखा वहाँ एक कैमरा रखा हुआ है
उसकी ग्रीन light जल रही थी ओह्ह मतलब रिज़वान ने सब रिकॉर्ड कर लिया उफ्फ्फ्फ़ noo
मैं अंदर तक हिल गई..
तभी वो जोर से बोला
अनीता मेरी कुतिया अब यें सब जला दे
सूरज तेरे लिए मर गया आज से
जला साली यें सब
मैं समझ नहु पर रही थी कि क्यूँ क्यूँ यें सब?
मेरी आँखों मे आंसुओ कि बुँदे आ गई
मगर मैं उठी और माचिस लें आई
एक कढ़ाई उठाई किचन से और ना चाहते हुए भी album को जलाने लगी...
मेरे सूरज कि सारी फोटो...
थोड़ी देर के धुंए के साथ album जल गया
मेरा सूरज जल गया
उफ्फ्फफ्फ्फ़
सुन रण्डी.. कुतिया
हराम की जणी
चल अब वो फोटो की रख उठा और टॉयलेट मे फ़्लैश करके आ जा
मेरे दिल को धक्का लगा
प्लीज नहीं मैं धीरे से बोली
और बदले मे रिज़वान ने मेरे होंठ को चुम लिया
उफ्फफ्फ्फ़ उसकी मर्दानी गर्मी...
उफ्फ्फ्फ़
मै उठी और सारी रख टॉयलेट मे डाल पानी फ़्लैश कर दिया..
सूरज की राख़..
मेरा सूरज.।
चल जल्दी आ उसने मुझे बुलाया..
सुना है सूरज तेरे पापा पर आता है
बहन का लोडा..
यें कहते हुए एक तावीज सा उसने मेरे गले मे डाल दिया
सोने का बना तावीज.. उफ्फ्फ्फ़
यें क्या मैं समझी नहीं
अब राण्ड सुन सूरज को बुलाएगी तू...
और यें दूसरा तावीज जब सूरज तेरे पापा मे आ जाये तब यें बाँध देगी उसके हाथ मे
बोल हरामजादी
हाँ बोल
इस बार कुछ अजीब सा हुआ..
मैं सीधी खड़ी हो गई
पुरे होश मे थी मैंमगर मैंने कहा जी हाँ
बाँध दूंगी
हा हा हा वो हसा
और हसता ही चला गया
जैसे मैं उसकी pet कुतिया हूँ
अब rizwaan ने didlo पर नज़र डाली और ..
हा हा हा हा हा हा
साली तु ये मेरी गाण्ड मे डालना चाहती थी....
हा हा हा हा......
...........
हम्म्म्म मैं धीरे से बोली जी हाँ....
ओके चल ठीक से बैठ बेड पर जान और अपनी दोनों टांगे खोल कर अपनी चूत दिखा.......
मुझे अजीब लगा मगर मैं सरक कर बेड क़ी पुश्त से अपनी पीठ टिका कर बैठ गई और अपनी टांगे खोल दी...
Rizwaan ने मेरी चूत पर नज़र डाली....
वहह्ह्ह्ह मस्त चिकनी चूत.. जरा खोलो अपनी चूत को...
मैं जैसे यांत्रिक सी होने दोनों हाथों क़ी उँगलियों से अपनी चूत को खोल कर खोल दिया...
हम्म्म्म वाह वाह्ह्ह्हह्ह
क्या गुलाबी चूत हैँ अंदर से.... मस्त और उसने अपनी एक ऊँगली उस खुले चूत के चूत के मुहाने पर रखी.. और धीरे से अंदर सरका दी
ससससससससईईईई सिईई
मैं धीरे से सिस्कार उठी..
उसने अपनी ऊँगली अंदर आधी डाली कर गोल गोल घुमानी शरू क़ी....
Ssssssseeeeeeईईईई
आआइईई
अह्ह्ह सससससईईईई
अंदर बाहर.....
गोल गोल हल्के हल्के..... चूत के अंदर ऊपर क़ी तरफ हल्का दवाब... उफ्फ्फ माँ
ससससईईईईईई
चिकनाहट से चूत रिसने लगी.....
तभी उसने didlo उठाया और मेरी चूत के मुँह पर रगड़ना शुरू किया....
मैं चौंक गई.....
जानेमन चूत खोल कर रखो..
और खोलो... मैंने दोने हाथों क़ी एक. एक ऊँगली फसाई और चूत खोल का छेद और खोल दिया आअह्ह्ह टीस सी उठी
उसने didlo का head मेरे चूत के छेद मे धीरे से सरकाया...
आहहहह मेरी आँखें बंद हो गई...
टीस का अहसास मुझे भिगोता चला गया..
चूत मे दिसलो का head फस चूका था...
अह्ह्ह्ह हल्का धक्का और पूरा head अंदर.....
Ufff
थोड़ी देर पहले rizwaan के गधे जैसे लण्ड ने जो मेरी चूत के जो परखच्चे उड़ाए थे...
उसी कारण didlo ने आराम से तो नहीं मगर बिना ज्यादा रुकावट के घुसता चला गया.....
आअह्ह्हह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊ ओ ओ
मेरा मुँह “O’’ के आकर मे खुल गया....
सरसराता सा didlo जैसे मेरी गहराई नाप रहा हो...
आअह्ह्हह्ह्ह्ह मैंने अपना एक हाथों rizwaan के कंधे पर रख दिया और चूत को रखा ही हाथों से एक तरफ खिंचा रखा......
टांगे और खोल...... Rizwaan क़ी आवाज़ पर मैंने टांगे और चौड़ा दी....
धीरेधीरे मेरी आँखों के सामने didlo 8 इंच अंदर चला गया....
Rizwaan ने उसकी बेल्ट उलटी ही मेरी कमर पर कसने शुरू कर दी....
अह्ह्ह्ह didlo 8 इंच अंदर और 2 इंच बाहर था बेल्ट कस दी गई...
अब लण्ड का बाहर निकलना नामुमकिन था...
Rizwaan मेरे से लिपट गया और मुझे उठ कर अपने सीने से लगा लिया.......
Didlo का अनोखा अहसास.... हलका दर्द... खिंचाव... और अंदर तक बच्चेदानी पर बेहिसाब दवाब......
अद्धभुत अहसास..... मेरी सारी एकाग्रता सिर्फ Didlo के कमाल के अहसास पर था.....
Rizwaan ने मेरे दोनों बूब्स के बीच क़ी गहरी घाटी मे होना मुँह डाल वहाँ चूमना शुरू कर चूका था... मैंने भी झुक कर उसके माथे पर चूम लिया....
क्या बात हैँ... साली तु तो मस्त होती जा रही हैँ.... बड़ा चूम रही हैँ मुझे... हाहाहा
वो हस पडा .......
मैं भी हस पड़ी..... हाँ पहली बार अहसास जो हुआ हैँ कि लण्ड क्या होता हैँ......
मेरी बात पर वो जोर से हसा और बोलो मेरी चूत मे घुसे didlo को एक थप्पड़ मारा..
आअह्ह्ह
Didlo झटके से पूरा अंदर घुस गया....
ज़ालिम... अह्ह्ह्ह मार ही डालोगे क्या??
मेरी चीख और सवाल का उत्तर ये था....
हाँ मेरी जान.... मैं चाहता हूँ सबसे अच्छी कुतिया बने, sunny leone से भी अच्छी चुदक्कड़ बने... गच्चागाच गच्चागच लण्ड चूत और गाण्ड मे लें... उछल उछल कर अपनी चिकनी चूत और गाण्ड लण्ड पर मारे और सबसे अच्छी चुदक्कड बने..
बोलते हुये उसने मुझे पलट दिया.... और मेरी गाँड़ खोल अह्हह्ह्ह्ह माँ.. उसने अपनी जीभ मेरी गाण्ड के छेद पर रख दी...
उफ्फ्फ ज़ालिम..... क्या करोगे please रुक जाओ ना...
उसने हाँफ्ते हुये जवाब दिया...
चिंता मत कर जान, तेरी प्रतिष्ठा बड़ा रहा हूँ... अब किसी पोर्नस्टार से किसी बात मे तु कम नहीं हो सकती...
मैंने पलट कर देखा तोह कैमरा on था
उफ्फफ्फ्फ़
मगर मैं कुछ बोल ना सकी, जैसे मैं रिज़वान के बस मे हूँ
जैसे मे वाशीकरण के जादू मे हूँ
पोर्नस्टार की गाँड़ मजेदार होती हैँ...
तेरी गाण्ड को भी मजेदार बनाऊंगा....
लण्ड सर सर करकर खाएगी तेरी ये प्यार चिकनी गाण्ड.. चल तैयार हो जा....
अब मैं समझ गई थी... वो अपना तूफ़ानी लण्ड अब मेरी virgin गाण्ड मे ठोक देगा...
मैंने उठने कि कोशिश कि मगर उसने मेरी कमर पर दवाब देकर वहीं लेटा दिया...
चुपचाप लेती रहो.... जानती नहीं तु क्या.. दर्द से ही असीम सुख की नई शुरुआत होती हैँ....
चल अब इस बार दोनों हाथो से गाण्ड खोल अपनी....
मेरा लण्ड और ज्यादा इंतज़ार नहीं कर सकता.....
मैं जानती थी.. उस कुत्ते का बिगड़ैल सांड जैसा लण्ड क्या कर सकता हैँ.. मेरी मासूम सी गाण्ड के साथ...
मेरी जो हालत होने वाली थी उसका अंदाजा हैँ मुझे.....
मगर मुझे खुद नहीं पता कि क्यों मैंने अपने दोनों हाथो से अपनी गाण्ड पूरी तरह खोल उसके सामने अपना छेद परोस दिया.....
मगर वो उठ गया...
और बोला
ये तरह खुली रख अपनी गाण्ड की किताब.. उसमे एक पन्ना लिखूंगा मैं... Kutiya
साली...... मेरी बहनचोद सेक्सी रांड..
और वो मेरी ड्रेसिंग टेबल की तरफ गया... ओह्ह्ह्हह मैंने साफ देखा उसने वैसेलीन की डिब्बी उठा..
उसे खोल अपने लण्ड पर पोतना शुरआत कर दिया था...
हा हा हा वो हसा
सुन राण्ड कल बुला सूरज को अपने पापा मे
हा हा हा वो और जोर से हसा
और और वो तावीज बाँध उसके हाथ मे फिर हा हा हा
फिर इस didlo strapon से उसकी... उसकी हँहा हा हा
उसकी गाँड़ मार
वो जोर से हस रहा था
उफ्फ्फ मैं सिहर उठी
अपने सूरज की गाँड़.. उफ्फ्फ
रण्डी मेरी गाँड़ मारनी थी ना तुझे अब अपने पति की मार हा हा
बोल हाँ बोल राण्ड
Aur ना जाने कैसे क्यूँ
मैं बोल उठी
जी हाँ.....
मैंने देखा वो अपने लण्ड को चिकना कर चूका
मैं बस डरी हुई सी.. Didlo चूत मे लिए उलटी पड़ी.. अपनी गाण्ड उसके लिऐ खोल इंतज़ार मे थी.. कि जी मेरी पतिदेव की गाण्ड मारता हैँ वो आज मेरी गाण्ड का भी उपभोग करें....
वो पास आया और क्रीम का अहसास उफ्फ्फ मेरी गाण्ड के छेद मे ओह्ह्ह्हह्ह....
धीरे से उफ्फ्फ आआइईई. मेरी गाँड़ मे उसने एक ऊँगली थोड़ी सी उतार दी....
और वैसेलीन दबा दबा कर भरने लगा... हल्का जलन जैसा दर्द... और ठंडा अहसास गाण्ड मे वैसेलीन के भरे जाने का ओह्ह्ह्ह.......
रण्डी छिनाल भोसड़ीवाली..... मैंने तेरी गाण्ड मेरी.. पसीना निकला.... और तूने फ़टी चूत की कुतिया अपने लण्ड चूसने वाले मुँह से धन्यवाद भी नहीं बोला....
बता कौन बोलेगा मुझे thankyou.. बोल चूत की मलिका.... हरामजादी...
ओह मैं दिल ही दिल सिहर उठी....
मैंने धीरे से कहा..
धन्यवाद जी.
मगर वो तो किसी और मूड मे था...
रण्डी पूरा बोल दिल से......
मेरे मुँह से खुद निकल पडा....
Iam obliged..... Thankyou..... आपने मेरी चूत मे अपना लण्ड डाला...
वो धीरे से हसा..... हा हा हा हा.. चिंता क्यों करती हैँ हराम की चोदी.. अब गाण्ड मे भी डालूंगा....
चल अपनी दोनों टांगे खोल और.......पूरी खोल दोनों हाथ से अपनी गाँड़ के दोनों साइड को बहन की लौड़ी गाँड़ की दरार खोल पूरी...
इतना सुनते ही मैंने आँखें बंद कर ली और.....................
UPDATE-14
फ्लैट का दरवाजा खोलते वक़्त मेरा प्लान तैयार था.. और सारे हथियार भी मेरे पास पुरे थे...
बैडरूम मे पहुँच.. मैंने अलमीरा से वो didlo निकला...
उसे देख मैं मुस्कुरा गई...
आज तु देगा सज़ा उस भैंसे को.. कहते हुये मैंने उसे चूम लिया .....
अपनी जुबान निकाल उसे head को चाट लिया...
मैं बहुत खुश थी... उसकी ड्रिंक मे Rohypnol मिला कर उसे senseless करके यहीं बाँध दूंगी और फिर इतना चोदुँगी.... कि साला रोयेगा मुँह फाड़कर.. हा हा हा हा
मैं हसने लगी...
मैंने वो didlo वापस रख दिया.. पुरी रात रिज़वान को चोदुँगी.. इतना कि वो कभी यहाँ नहीं आएगा... फिर कभी... उसकी रिकॉर्डिंग बना कर viral कर दूंगी . चुदाई की..
फिर साला कुछ नहीं कर पाएगा...जीवन भर बस रोता रहेगा
मैंने दोबारा नहा कर deo की महक अपने जिस्म पर स्प्रे की और short टॉप एंड short का सेट पहन लिया..
आज रिज़वान का बचना ना मुमकिन हैँ...
घड़ी मे देखा 9 बजने वाले हैँ..
तभी doorbell बज उठी... मैं समझ गई वो ही होगा... साला 5 minutes पहले ही आ गया..
मैंने आगे बढ़कर दरवाजा खोला...
साला भैंसा सामने ही खड़ा था.. वो मुझे इस तरह घूर रहा था जैसे खा जायगा..
अनीता जी..9 बजे और लो हम आ गये..
मेरे बिना कुछ बोले ही वो अंदर आ गया..
मुझे खुद एक तरफ हटना पढ़ा वरना वो मुझसे ही टकरा जाता..
ओह्ह साला पूरा 6 फुट से भी लम्बा इंसान हैँ ये... बाप रे बाँध भी पाऊँगी इसे, अगर ये रोहाइपनौल के सरूर जमीन पर गिर गया..
बड़ी खूबसूरत लालनटोप लग रही हो.. आप तो आज...
वो अपने खींसे (दाँत ) निकलता हुआ बोला.. उसके हाथ मे एक बैग था..
मैंने दरवाजा बंद कर दिया... अब फ्लैट मे बस वो और मैं थे.. दिल ना जाने क्यों धडकने लगा...
वो लगातार मेरे बूब्स को घूर रहा था...
अनीता जी.. वाह क्या फिगर हैँ आपका...
मैं चुप रही.. अब जाने क्यों हाथ पैर फूल रहे थे...
अनीता जी .. आओ पास जरा.. यहाँ बैठो.. एक peg हो जाये.... आओ...
उसने बैग से एक wine की बोतल निकाल ली... ठक की आवाज़ के साथ बोतल टेबल पर थी...
मैं बात संभालती हुयी बोली गिलास तो लें आउ मैं..
ना जी ना... गिलास भी मेरे होंगे आज तो...
घर के गिलास मे मजा ना आता हमें..
बोलते हुये उसने 2 कांच के वाइन गिलास टेबल पर बैग से निकाल रख दिए....
देखो जी..
हैँ ना?
साले ने इस तरह बोला जैसे मैं उसकी प्रॉपर्टी हूँ...
कुत्ता साला... मेरे मुँह से गंदी गालियां निकलते निकलते बची...
उसकी निगाह मुझे लगातार घूर रही थी...
मुझे लग रहा था जैसे उसकी नज़र मुझे छू रही हैँ... हल्की घबराहट और सुस्सूरी पुरे बदन मे दौड़ उठी...
अब वो मेरी जांघो को घूर रहा था..
मैं धीरे धीरे चलते हुये उसके पास आ कर बैठ गई...medicine किचन मे थी..
मैंने प्लान किया एक peg के बाद उसे और पीने को बोलूंगी फिर tablet किसी भी तरह मिला ही दूंगी..
Fail और pass मे बस कुछ minutes का फासला था अब.. लो जी पीओ...
एक लार्ज peg मेरे सामने था... और उसकी निगाह मेरी गर्दन.. तो कभी मेरी बूब्स पर लगातार घूम रही थी..
मैंने एक घूंट लिया...
आप भी पीओ ना... मैं खुद को संभालती हुई बोली..
ऐसे नहीं पीते हम अनीता जी...
पीने का मजा हमें एक कपड़ो मे. नहीं आता..
बोलते हुये उसने अपनी शर्ट उतार दी..
ओह्ह्ह no ये क्या... इतनी बेशर्मी....
हा हँहा वो हसा...
अरे अब तो हम भी दोस्त हैँ.. अब क्या पर्दा.. कोई पर्दा नहीं हैँ जी... अब ये ठन बन कर पीने से अपने को चढ़ती नहीं..
ऐसे चढ़ती हैँ... ठीक हैँ ना बोलो.. ऐसे ठीक हैँ ना?
उसके पूछने पर... मैं बस हम्म जी जी हाँ ठीक हैँ.. बस इतना बोल पाई..
मुझे किसी भी तरह बस मेडिसिन मिलानी थी इसकी ड्रिंक मे....
अरे अनीता जी यूँ पिओगी... खींच जाओ एक ही साँस मे... खींचो पूरा...
और जाने क्यों मैं पूरा peg पी गई.. सीने मे जलन उफ्फ्फ्फ़
हा हा हा हा अब हुई ना बात.. वाह्ह्ह
आप तो इस शराब से भी बढ़ कर हो...
हा हा हा..
मैं. उठी और बोली अभी आई किचन से soda लें आउ. वाहन फ्रिज मे हैँ..
हाँ सौड़ा लें आओ आप चिल्ड सा.. मजा आ जायगा..
आज टकरायगी बर्फ और आग रखा साथ..
वो मुझे घूरता हुआ बोला...
मैं उसका मतलब समझ रही थी.. वो क्या बोल रहा हैँ..
मगर मुझे अपना काम करना था..
मैं पलटी और किचन की तरफ चल दी...
मुझे साफ महसूस हो रहा था कि वो पीछे से मेरी गाण्ड घूर रहा होगा.. कुत्ता..
किचन मे जाकर मैंने सबसे पहले flunitrazepam (Rohypnol) क़ी tablets का strip निकली...
तभी एक दम से मेरे पीछे आवाज़ आई
ओ anita ... बर्फ भी होंगी फ्रिज मे तो.. ला मैं लेलु..
वो किचन मे घुस आया था..
और flunitrazepam (Rohypnol)क़ी tablets का पत्ता मेरे हाथ से हड़बड़ी मे गिर गई...
इससे पहले मैं झुकती... वो टेबलेट उछल कर दरवाजे क़ी तरफ चली गई... उसके पैरों के पास...
उफ्फ्फ्फ़ मेरा दिल दहल गया...
मैं आगे बढ़ी कि जल्दी से उसे उठा लू मगर.....
रिज़वान मुझसे ज्यादा फुर्तीला निकला.. उसने झट से शीशी उठा ली...
ओह्ह हो अनीता जी ... ये flunitrazepam (Rohypnol)लेकर क्या कर रही हैँ..
वो मुस्कुराने लगा...
मेरी हालत ऐसी हो गई जैसे किसी साँप ने मुझे डस लिया हो....
क्यों ..... मुझे देने जा रही थी तु...?
मैं हकला गई...
न न न नहीं वो वो...
......
वो आगे बड़ा....
चुप साली... चुप...
तुझे क्या लगता हैँ.. मैं नहीं जानता तेरे अंदर क्या चल रहा हैँ...
कहते हुये उसने अपना लण्ड पैंट के ऊपर से ही पकड़ा और सहलाने लगा...
साली तु सोचती है कि तू मुझे फसा रही थी...
ना ना मैं तुझे फसा रहा था कुतिया...
कहते हुये उसने मेरा हाथ पकड़ा और जोरदार झटका दिया मैं उसके साथ खिंचती चली गई....
वो मुझे खिंचता हुआ सीधे बैडरूम मे लें गया.... एक धक्का... और मैं बेड पर गिरी...
साली तुझे क्या लगता है मुझे नहीं पता कि तेरे पति का नाम सूरज है
वो नामर्द डरपोक इंसान
देख रण्डी सुन उसके भाई का एक्सीडेंट मेरी गलती से नहीं हुआ था ....
वो खुद मेरी खड़ी गाड़ी मे पूरी तेज स्पीड से आ टकराया
और बिना हेलमेट के कारण उसका सिर फट गया
मगर तेरे नामर्द पति ने मुझे blackmail करना चाहा .
2 करोड़ मांग रहा था,
रण्डी इसीलिए तेरे पति को सिर्फ दो थप्पड़ लगाए थे मैंने
समझी रांड पूरी बात?
वो एक सांस मे बोलता चला गया
मगर अब साली आज तुझे असली. मर्द क्या होता हैँ मैं बताऊंगा...
मेरा हलक सूखने लगा था... डर के मारे कुछ सूझ नहीं रहा था..
रिज़वान की सूरज के भाई की मौत मे कोई गलती नहीं थी, मगर अब मैं फ़स गई थी।
तभी वो बोला
तु चिल्लाना चाहती हैँ. भगना चाहती हैँ तो जा भाग...
मगर तुझे मर्द का सुख देने के बाद ही जाऊंगा मैं
समझी........ रण्डी...
............
उफ्फ्फ मैंने आँख बंद कर ली... ये ये क्या हो रहा हैँ इतनी जल्दी ये बदलाव.. कैसे...
ये सपना हैँ....
नहीं... ये सच नहीं हो सकता...
आह्हः अअअ मेरी हल्की चीख निकल गई..
रिज़वान ने मुझे बाल पकड़ कर उठया और बेड पर उल्टा पटक दिया... मैं समझ पाती कुछ तब तक वो अपनी शर्ट जो उसके कंधो पर लटकी थी.. उससे मेरे हाथ खींच कर बाँध दिए...
उफ्फ्फ्फ़ मेरे समझने से पहले ये हो चूका था...
तुम जो भी कर रहे हो ठीक नहीं... मुझे कुछ किया तो बर्बाद कर दूंगी तुम्हे मैं..
मैंने साहस कर एक धमकी दे डाली..
मगर वो हसने लगा हा हा हा हा साली तु मुझे बर्बाद करेगी.. तु मुझे बर्बाद करेगी...
देख मैं कैसे करता हूँ तुझे बर्बाद... देख तु..
उसने मेरी गाण्ड पर एक जोरदार थप्पड़ मारा..
अह्ह्ह माँ... मैं सिसक उठी...
और वो मेरी गाँड़ अपने पंजो मे लेकर मसलने लगा...
क्या गाण्ड हैँ तेरी मदरचोद रण्डी.. बहनकीलोड़ी... आज तेरी चूत का भोसड़ा बनाऊगा..
आज लण्ड क्या होता हैँ मैं दिखाऊंगा .
उफ्फ्फ्फ़ मैं तड़फ उठी उसके मेरी गाण्ड के मीट को इस तरह मसलने से.. बुरी तरह अह्ह्ह
दोनों गाण्ड के हिस्से उसके पंजो मे फसे थे, उसके पंजे पूरी ताकत से बस मसले जा रहे थे...
उसने मेरे बाल फिर पकड़े और खींच कर मुझे जमीन पर बैठा दिया.
रण्डी घुटनों पर बैठ.. चुप चाप बैठ...
मेरी आँख से आँसू की एक बूँद निकल आई.... उफ्फ्फ ज़ालिम...
........
अब इस वक़्त....उसने मेरे दोनों तरफ के गालों को अपने अंगूठे और उंगलियों से कस कर दबाया,
तो मेरे गालों का मेरे जबड़ों पर अत्यधिक दवाब के कारण मेरे दाँत की उपरी पंक्ति और ऊपर उठती हुई खुलती चली गई..
•और फलस्वरूप मेरा मुँह लगभग पूरी तरह “O” के आकर मे पूरी तरह खुल गया.....
मैं उसके बलशाली हाथों कि तरफ देखती हुई उस कोशिश करने लगी कि अपने शरीर को उस बंधन से आज़ाद करा सकूँ जो उसने मेरे दोनों हाथों को मेरी पीठ के पीछे करके अपनी शर्ट से कस कर बाँधा हुआ था.....
इस वक़्त मैं उसके सामने अपने घुटनों के बल बैठी हुई उसकी दया पर जिन्दा थी...
पूरी ताकत लगा कर उसने मेरा मुँह और खोल दिया..
मादरचोदी.. हरामजादी.. इधर देख मेरी आँखों मे...... देख कुतिया रंडी.. इधर देख...
वो पूरी ताकत से मुझ पर गुस्से से चिल्लाया...
मेरे पुरे शरीर मे डर के मारे झुरझुरी दौड़ गई... और ना चाहतें हुए भी मैंने तुरंत उसकी आँखों मे देखा, जहाँ मुझे हवस और दरिंदगी दिखाई दीं..
.
बहनचोद कुतिया... मेरी गाण्ड मरेगी?
क्यों रांड... तेरी चूत मे हैँ इतनी दम कि रिज़वान खान की गाण्ड मार सके?
उसकी बात पर मैं कुछ ना बोल सकी.. बस उसकी आँखों मे देखती रही..
NOTE : दोस्तों मेरे मन मे सवाल दौड़ रहा था, रिज़वान khan को कैसे पता कि मैं उसकी गाँड़ मारने वाली थी
मगर जायदा सोच पाती तभी..
रिज़वान खान ने दूसरे हाथ की एक ऊँगली मेरे पूरी तरह खुले खुले होठों पर रखी..
वाह्ह्ह एक बात तो हैँ साली कुतिया तेरे होंठ बड़े मस्त हैँ.. गुलाबी शहद भरे.. कोमल गुदगुदे.. वाह हाहाहा
वो जोर से हसा.... रंडी तेरे होंठ पर तो मूतने का दिल कर रहा हैँ....
हा हा हा हा हा....
साली उफ्फ्फ तेरे ये रसभरे होंठ... अहह
कहते हुए रिज़वान अपनी उंगलियाँ मेरे ऊपरी होंठ पर घूमाने लगा
गोल गोल.. कभी ऊपर वाले होंठ पर तो कभी नीचे वाले होंठ पर...
उसकी छुअन से मेरे होठों मे हल्की गुदगुदी हो रही थी और मैं घुटनों पर बैठी..
ऊपर चेहरा किये उसकी आँखों मे अपनी अपमानजनक शिकस्त (हार ) देख रही थी... और सच तो ये हैँ मैंने अपनी हार दिल से स्वीकार भी कर ली हैँ...
रिज़वान की इस हरकत पर मैं मन ही मन बुरी तरह डर गई..
उसका हाथ उसकी जीन्स की बेल्ट को खोल रहा था... उफ्फ्फ्फ़
उसने बेल्ट का हुक खोल, जीन्स का बटन भी खोल दिया....
रंडी... प्यास लगी हैँ तुझे?
बोल साली... ये कहते हुए उसने और जोर से मेरे गालो पर दवाब बढ़ाया
उफ्फ्फ्फ़ मुँह और ज्यादा खुल गया.. मेरे दांतो मे मेरे गालों के अंदर का भाग बुरी तरह से दवाब दे रहा था... दर्द की लकीर ने मुझे सिस्कारने पर विवश कर दिया...
वो बस मुस्कराता हुआ अपनी पैंट उतरने लगा...
पैंट के नीचे उसका लाल रंग की फ्रैंची.. उसके नीचे नाग के समान उभरापन....
अगले ही पल उसकी पैंट जमीन पर पड़ी थी... और जैसे ही उसके अपने अंडरवियर की इलास्टिक नीचे खींची..
मर गई.... उफ्फ्फ्फ़ उसका वही विशाल काला लण्ड मेरे सामने फूफकारके एकदम सामने आया कि उसका अगला मशरूम जैसा गहरा लाल गोल भाग कस कर मेरी नाक से टकराया...
उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़फ उसके 11इंच के विशाल नाग जैसे लण्ड की अजीब मरदाना महक मेरी नाक से होती हुयी मेरे दिमाग मे घुसती चली गई.......
इस तरह लण्ड के दर्शन मुझे पहली बार हो रहे हैँ .. और आज मेरे चेहरे के बिलकुल करीब होने पर.. मैं उसकी विशालता और भयानकता देख सच मे डर गई हूँ..
मैंने डर के मारे उसकी तरफ देखा..
रांड देख लें... अपने यार को...
कैसा लगा बता.. बोल सेक्सी कुतिया..
देख लें ठीक से... पूजा करेगी आज के बाद तु इस हरामी लण्ड की..
कहते हुए रिज़वान ने लण्ड को बिना छुए अपनी कमर हिलाते हुए दाएं बाएँ घुमाया....
उफ्फ्फ्फ़ सच मे बहुत बड़ा हैँ ये.....
और तभी लण्ड का चाँटा कस कर मेरे गाल के उपरी भाग पर पड़ा
,
जो रिज़वान के उंगलियों के ऊपर हैँ.
धाड़... उफ़ क्या चाँटा हैँ..
अह्ह्ह निकल गई मेरे खुले हुए होठों से..
ओओओ अ अ नं नं न न जैसी आवाज़ निकली थी मेरे मुँह से..
धाड़ दूसरा थप्पड़ मेरे नाक के बगल पर
ओ ओ अ अ अहह ननन
और उसका लण्ड मेरे होठों के ऊपर आकर रुका...
हा हा हा हा हा हा
रिज़वान की हसीं और मेरी हालत पर हसना
मेरे गरूर का अपमान हैँ..
लण्ड को पकड़ रिज़वान ने मेरे होठों पर गोल गोल घूमना शुरू किया..
उफ्फ्फ्फ़ लण्ड जैसे लिपस्टिक लगा रहा हो मेरे खूबसूरत होठों पर...
मैंने होंठ बंद करना चाहा मगर रिज़वान के अंगूठे ने ऐसा नहीं होने दिया...
लण्ड की महक... उफ्फ्फ्फ़ उसने लण्ड सरका कर मेरे माथे पर रख दिया.... और हसने लगा...
हा ह हा हा .. साली देखा मेरा लण्ड... बोल टाइट चूत की मस्त सेक्सी कुतिया...
बोल...
मैंने धीरे से ना के इशारे मे अपना सिर हिला दिया...
मेरे पुरे चेहरे पर उसका लण्ड घूम रहा था..
कभी आँखों के ऊपर... कभी नाक पर.. गालो ओर.. माथे पर... ठोड़ी पर.. होठों पर.....
उफ्फ्फ्फ़ ये क्या पागल हैँ.... हवसी.... हैँ....
मैं चुप क्यों हूँ..?
मैं नहीं जानती.... बस चुप सी ये सब महसूस कर रही थी
गरम.... सख्त.... महक से भरा... उसका विशाल. लण्ड....
उफ्फफ्फ्फ़...
तु कौन हैँ? रिज़वान ने मुझसे पुछा... बता कौन हैँ तु?
उसने अपना हाथ मेरे गलो से हटा लिया...
मैं बोल सकती थी... गाल दर्द कर रहे थे अंदर से.
बोल कौन हैँ तु...?
उसके सवाल पर मैंने कहा...
मैं अनीता हूँ....
... लण्ड हिला कर उसने मेरे मुँह पर मार दिया अह्ह्ह्ह गाल पर लण्ड की ठोंकर पडी...
साली तु अनीता थी... अब रण्डी हैँ मेरी...
रण्डी हैँ तु.. मेरी.. समझी?
बोल कौन हैँ तु.....?
इस बार उसने पुछा तो मैं कुछ ना बोली...
उसकी आँखों मे देखती चुपचाप रही...
उसने हाथ बड़ा कर मेरे निप्पल्स पकड़े.. और धीरे धीरे मरोड़ने लगा.. अह्ह्ह्हह
शरीर कांप गया मेरा... एक तरंग सी निप्पल्स से उठती हुई सीधा नाभि से होती हुई मेरी चूत तक टकराई...
उफ्फ्फफ्फ्फ़....
ब्रा नहीं पहने हुई थी मैं... आअह्ह्ह माँ
ऐसा लगा जैसे ये कंपन मेरी चूत गीली कर देगी...
उसने निप्पल्स को छोड़ दिया और फिर.. किचन से कैंची उठा लाया...
अगले ही पल मेरा टॉप सामने से काट दिया गया था..
अह्ह्ह्हह मेरे बूब्स गर्व के साथ अकड़ कर सामने आगये...
उफ्फ्फफ्फ्फ़ नहीई...
हा ह हा हा... साली क्या मस्त चूचियाँ हैँ तेरी...
गोल गोल गोरी गोरी उफ्फ्फ मस्त...
भूरे निप्पल्स उफ्फ्फ साली तुझ पर उस गांडू सूरज का अधिकार नहीं था .. तेरे पर सिर्फ मेरे इस लण्ड का अधिकार हैँ...
कहते हुये उसने अपना लण्ड मेरे दाएं निपल पर रख दिया..
उफ़ क्या अहसास था मैं तड़फ उठी..
वो धीरे धीरे अपना लण्ड मेरे निपल पर रगड़ने लगा....
गोल गोल घूमता.. कभी लण्ड के दवाब से निपल को मुँह दबा देता..
अह्ह्ह्ह माँ उफ्फ्फ्फ़ please stop.. मैं इतना ही बोल पाई कि उसने..
लण्ड से एक जोरदार थप्पड़ मेरे निपल पर दे मारा .. उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ मैं तड़फ उठी..
दर्द और मस्ती कि मिलिजुली लहर का वो अहसास..
उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.
उसने फिर मेरे दोनों निप्पल को पकड़ा और मरोड़ता हुआ उन दोनों निप्पलस को खींच कर पास लें आया....
अह्ह्ह्हह मैं उस खिचाव से कराह उठी....
अगले ही पल उसने अपना लण्ड मेरे बूब्स के बीच मे नीचे कि तरफ से ठेल दिया.....
अह्ह्ह्ह क्या अहसास था वो... मोटा गरम लण्ड ...... उफ्फ्फ मेरे बूब्स के बीच मे सरकता हुआ....
अह्ह्ह्ह....
उस ज़ालिम ने लण्ड खिंचा बाहर और लण्ड के गोल head पर..
. ढेर सारा थूक उगल दिया... थू थू....
उफ़ वोही गीला लण्ड फिर दोबारा मेरे बूब्स के बीच घुसेड़ दिआ...
अह्ह्ह इस बार का अहसास अलग था..
फिसलता हुआ लण्ड बूब्स के clevage से बाहर आ गया.... लम्बा उफ्फ्फ मेरे गले तक..... और फिर ज़ालिम कमीने ने हिलना शुरू किया..
उसके हिलने पर लण्ड आगे पीछे हो रहा था...
उफ्फ्फ्फ़ उस घर्षण से मेरी साँस तेज होने लगी.... उफ़ क्या अहसास था वो...
Uffffffff ufff उफ्फ्फ
उसके लण्ड की अकड़ जैसे मेरे जिस्म से मेरी सारी अकड़, गरूर जलन और मेरे attitude को सोखती जा रही हो...
ना चाहतें हुए भी मेरी सांसे भारी होने लगी थी...
अजीब सा अहसास जब वो लण्ड आगे करता तो उसका लण्ड घिसता हुआ मेरे बूब्स के बीच से मेरी गर्दन तक चला आता और.......
उफ्फ्फ वो चिकना गोल सख्त लण्ड का मशरुम head उभर कर skin से बाहर आना और उसकी महक जैसे मेरे गुस्से पर पानी डाल रहे थे...
दिल मे एक guilty का अहसास भी था कहीं भीतर मेरे...... की इसके इतने करीब और इस तरह.... उफ़ no
चिल्लाना चाहती थी.. अंदर से एक आवाज़ आ रही थी मेरे.. की लात मार कस कर और भाग बाहर की तरफ.. जोर से चिल्ला.. कोई तो सुनेगा..
मगर जैसेही वो निपल्स को हल्के से मरोड़ता उफ्फ्फ अपने नाखुनो से उन्हें कुरेदता.... अह्ह्ह्हह अपना लण्ड मेरे गोरे बूब्स के बीच धक्के से आगे करता.... ओह्ह मां
ना जाने क्यों मेरी आवाज़ अंदर ही पिघल जाती... और बस सिसकी निकलती...
मेरी guilt और वो लात मारने का ख्याल थोड़ा और दूर चला जाता.. जैसे मुझे मेरा जहन, मेरा अस्तित्व और मेरा प्रतिरोध मुझे छोड़ रहा हो... धीरे धीरे....
और मैं गिर रही थी.. नीचे और नीचे. अपनी सिसकियों की गहरी मांद मे..
जहान मुझे कोई पुकारने वाला नहीं था.. जहाँ मुझे कोई बचाने वाला नहीं था...
जहाँ मेरी प्रतिरोधक शक्तियाँ भी मेरे ऊपर मुस्कुरा रही थी.......
. हाँ मैं गिर रही थी उसकी बड़ी गहरी विभस्त आँखों मे......... साँसो का हकला तूफ़ान मेरे सीने मे पंपने लगा था उसकी आँखों मे झाँकते हुये.....
वो मुझे देख कुटिलता से मुस्कुरा रहा था...
लण्ड पसन्द आया?
उसने बड़ी बेशर्मी से मुझसे पुछा...
मैंने कोई जवाब नहीं दिया...
उसके इस सवाल से बस मेरे अंदर एक झुरझुरी सी दौड़ गई और मैंने साफ महसूस किया कि मेरे माथे पर पसीने कि कुछ बूँदे उभर आई हैँ..
हम्म्म्म जी......
ये शब्द खुद ब खुद निकल. आये...
उसकी आँखों मे एक चमक दौड़ गई...
वो पीछे हटा और मेरे बूब्स को सख्ती से पकड़ ऊपर खींचने लगा.. अह्ह्ह्ह मैं उठती चली गई...
दर्द से बचने के लिऐ मैं खड़ी होती चली गई....
अब मैं उसके सामने ख़डी थी... उसने मेरा चेहरा अपने दोनों हाथों मे भरा और झुकते हुए मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिए .......
उफ्फ्फ्फ़ उसके भद्दे कुरूप मोटे होठों ने मेरे कोमल. सर्फ़ गुलाबी होठों पर पूरी तरह क़बजा कर लिया...
मममम सी आवाज़ उसके गले से निकली और मुँह खोलते हुये मेरे होतो को चूसते हुये अपने दांतो के बीच उसने भर लिया.... अह्हह्ह्ह्ह
उसकी मोटी जुबान मेरे होठों पर बुरी तरह लिबलिबा रही थी..
चाट रही थी.. कुचल रही थी..
उफ्फ्फ उसके दांतो होठों को दबाते... कुरेदते तो कभी काटते.. उफ़ दोहरे हमले से मेरी ममम मममम न्नन्न जैसी आवाज़ ही निकल पर रही थी
तभी उस कुत्ते ने तीसरा हमला कर दिया.. उसका एक हाथ मेरे बाएं बूब्स पर आया और....
उफ्फफ्फ्फ़ पूरी ताकत से मरोड़ दिया
मैंने पीछे हटने कि कोशिश कि मगर उसका दूसरे हाथ ने मेरी कमर पर से होते हुये मेरी पसलियों से मुझे समेट मुझे कब्जे मे भर लिया...
आअह्ह्ह ममममम
बूब्स को जैसे वो कुचल देना चाहता हो.. उफ्फ्फ्फ़
मेरे होठों को वो कुत्ता भभोड़ कर चाट खा -चाट और चूस रहा था...
कभी मुट्ठी मे बूब्स दबाता तो कभी उसकी उंगलियाँ मेरे निपल को खिंचती हुई कुरेद और मरोड़ देती.... अहह माँ
इतना व्हशिपन उफ्फ्फ्फ़ ये इसकी हवस... उफ्फफ्फ्फ़.
मैं तड़फ रही थी उसकी मजबूत बाहों मे...
इस तरह जकडे जाने का अहसास बिलकुल नया था मेरे लिऐ...
ये पगलपन और दरिंदगी नई थी मेरे लिऐ...
अह्हह्ह्ह्ह ये ये मुझे अब.. अह्ह्ह्ह
उसने अब पागलपन और हवस का दूसरा पत्ता फेका....
उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह उसकी जुबान अब मेरे पुरे चेहरा को चटनी लगी... गाड़ा saliva मेरे चेहरे पर फिसलता.... मुझे गीला कर रहा था...
अपनी जुबान सख्त करके कभी मेरी आँखों मे घुमा देता तो उफ्फफ्फ्फ़ कभी मेरी नाक के छेदो मे जुबान का नोक घुसेड़ता..
उसकी गीले मोटी जुबान मेरा माथा... मेरे गाल.. नाक. आँखों पर सख्ती से फिसल रहे थे...
अह्ह्ह्ह मेरे माथे का पसीना...
उफ़ उसकी saliva से मिलकर एक नई महक पैदा करने लगा था..... उसने मुँह खोला और गालो को भर लिया..
आआईई अह्ह्ह तीर्व जलन.. अहह दांतो का निशान गहरा छप चूका होगा
Ahhhhh
मेरे होंठ उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्हही ईई अआइ...
दांतो मे दबा कर अपनी तरफ यूँ खीचा उस ज़ालिम ने कि मेरा चेहरा मे उस ओर खिंचता चला गया.....
उईई मरोड़ दिया ज़ालिम ने इस बार ओह्ह बूब्स को.....
मैं गुड़िया बनी उसके हाथों का खिलौना थी शयद अब.......
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माँ अह्ह्ह्ह कंपन सी उठ पड़ी... उफ्फफ्फ्फ़
जुबान गर्दन को गीली करती हुए मेरी बूब्स पर आ गई.... उफ्फ्फ अह्ह्ह मममम
मुँह खुला और अह्हह्ह्ह्ह yess
जब उसकी मुँह ने पुरे निप्पल के area को मुँह मे भर लिया...
जुबान कि गीली रगड.....
अह्ह्ह निप्पल के point tip पर यूँ महसूस हुई जैसे कोई सिरहन चटक कर आई हो वहाँ...
गुदगुदी का तीर्व अहसास..
मममममम
मुँह मे बूब्स को इस प्रकार चूसते हुये खिंचा की...
बूब्स फिसलता हुआ उसके मुँह मे समाता चला गया..
आहहहह
मेरा शरीर कमान की तरह अकड़ गया और मैंने ना जाने कब अपने बूब्स उसकी मुँह की तरफ और अधिक धकेल दिए...
दांतो से nipple दबा अंदर से उसकी जुबान निप्पल के tip point को कुरेद रही थी सहला रही थी..
जैसे मेरे दिल के अंदर जाने का वो रास्ता हो... उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़फ्फ्फ्फफ्फ्फ़....
दोनों हाथों से दोनों बूब्स को पकड़ कर मिला दिया उसने और अब बारी बारी दोनों निपल्स को चूमने और चाटने लगा...
दाँत निपोर कर आगे लता और दांतो से निपल्स को कुरेदता...
मेरे बुब्स पर लाल लाल दांतो की निशान..... पुरे गीले ....
उफ़ हवा का ठंडापन उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़...
वो थोड़ा और झुका..... मेरी short साइड के पकड़ी और मेरी जांघो... Calf... Anklets से होती हुई मेरी short जमीन पर पड़ी मुझे मुँह चिड़ा रही थी कि बड़ी आई थी बदला लेना.. अब पछता....
उफ्फफ्फ्फ़
मैं मन की हालत विचित्र थी... बदला लेने की तमन्ना अब भी थी मगर दिमाग़ और प्रतिरोध शक्ति दूर ख़डी मुझे पर हस रही थी.....
अगर ऐसा ना होता तो क्यों मैं खुद अपने पैरों को उठती जब वो मेरी शॉर्ट्स anklet से उतार जमीन पर डाल रहा था..
सच हैँ शायद मैं उसकी orders के नीचे आ चुकी थी...
अह्ह्ह वाह क्या गोरी चूत हैँ तेरी साली रांड... एक दम. चिकनी.....
हा हा हा...
तेरी गाण्ड भी चिकनी है और तेरी चूत भी चिकनी.....
सूरज की नहीं तू, राण्ड मेरी है
सूरज का नाम सुनते ही मन उछल पढ़ा.. मैं वर्तमान मे लौटने लगी.. कि ये क्या कर रही हूँ मैं.. क्यों क्यों मुझे रोकना होगा इसे...
.
मगर उसकी साँसे के मेरी चूत की दरार पर टकराने का अहसास होते ही..... अह्ह्ह मेरी आँखें बंद होती चली गई....
उसकी सख्त उँगलियों ने मेरी कमर को. पकड़ा......
एक धक्का..... उफ्फ्फ्फ़ और मैं पीछे बेड पर पीठ के बल गिर पड़ी.....
अह्ह्ह
मैंने महसूस किया उफ्फ्फ्फ़ मेरे घुटने कस कर पकड़े गये हैँ उसके पंजो के द्वारा.....
और खोल दिया उसने मेरी दोनों टांगे.... अहह अलग -अलग दिशा मे....
मेरी गुलाबी गोरी चूत जिसपर हल्का गहरा रंग की लालिमा भी छाई थी... उफ़ उसका चुम्बन.. मेरी जांघो पर...
कुत्ता अह्ह्ह
मेरे मुँह से सिसकी फूट पड़ी... अह्ह्ह ममम
चुम्बन उफ्फ्फ उसकी जुबान का वही अंदाज़ अह्ह्ह... मेरी जांघो के आंतरिक भाग को चाटता गीला करता हुआ वो ऊपर की तरफ बढ़ रहा था....
अह्हह्ह्ह्ह माँ उफ्फ्फफ्फ्फ़
अब उसकी जुबान मेरी चूत के दाने से टकराई.....
आह कमीना अह्हह्ह्ह्ह उफ्फ्फ आँखें बंद.....
हल्का चुम्बन उफ़ चूत के दाने पर....
उफ्फ्फ्फ़
और मुँह खुलने का अहसास हुआ उसके....
आहहहहहह पूरी चूत का देना और आधी चूत गई भर ली उसने अपने मुँह मे.....
मेरी आँखें ऊपर चढ़ गई.... होंठ पुरे खुल गये आआआ आइएह्ह्ह माँ
उफ्फ्फ आहहहह
दांतो ने दरिंदगी दिखाई.. आअई इ
और जुबान ने मलहम लगाया
उफ्फ्फफ्फ्फ़
जुबान दाने को कुरेदने लगी.... मईया मेरी.... उफ्फ्फ्फ़ god ओह्ह्हमा..
Yes yes... Yessssssss मेरे होठों ने साफ कहा... एस्स्स्स yesssss eat me please
वो समझ गया कि अनीता फस गई हैँ अब उसके हाथ मे...
मेरी yes.... उसके लिऐ ग्रीन signal था....
उसने जोश मे भरकर मेरी चूत को भभोड़ दिया.....
आअह्ह्हई
जुबान सख्त हुई और मोटी लम्बी गीली गन्दी जुबान...
मेरी मखमली चूत के अंदर घुसती चली गई..
मेरी जांघो को जबरजस्ती पूरा खोल दिया उसने.. और जुबान का प्रहार मेरी भीतर तक...
आआआआआइईई उफ्फ्फ्फ़ YESSSS...
गोल गोल घूमता अपनी जुबान से जैसे वो मेरे जिस्म के भीतर जाने का रास्ता ढूंढ रहा हो...
अह्ह्ह्ह उसके हाथ अब फिसलकर मेरी गाण्ड पर कस गये... मेरी गइल गाण्ड को उसने हाथों मे भर लिया... कियुँकि मैंने ना जाने कब मस्ती की तरंग मे अपनी कमर उठा दी थी.. ऊपर ऊपर हाँ ऊपर...
मेरी गाँड़ मे माँस को बुरी तरह मसलते हुये वो मेरी चूत को जैसे पी रहा था... चाट और खा रहा था....
मैं मछली की तरफ मचल रही थी उसके सामने..... उसके नीचे..... उसके हाथों मे... एक गुड़िया बन.....
उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़
इस बार उसकी जुबान फिसली और मेरी गाण्ड के छेद मे रगड गई..
अह्ह्ह्ह गुदगुदी का अहसास..... तरंग..... कंपकपी...... उफ्फ्फ्फ़
जुबान और होठों ने अपना काम. किया..... मार डाला उफ्फ्फ
गाण्ड को चबाता और छेद को जुबान सा चाटता उफ्फ्फ्फ़ माँ सख्त जुबान मेरी गाण्ड के छेद को धक्का दे अंदर घुसी..
उफ्फ्फफ्फ्फ़ मस्ती सी छा गई....
उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़फ अहसास स्वर्ग का यही हैँ......
दूसरी तरफ मेरी चूत मे उसकी दो मोटी उंगलियां अंदर तक घुसती चली गई
अहहहहहहहहहह ओह्ह्ह्ह
गाण्ड मे जुबान...... चूत मे दो उँगलियाँ
एक साथ..... साथ साथ.....
अपना काम. कर रही थी
... Please Kill Me.... Please...
मेरे मुँह से ये शब्द निकले तो वो और बुरी तरह मेरी गाण्ड को भभोड़ने लगा...
आहहहहह
वो पीछे हुआ... और मेरे सामने पैंट पूरी उतार नंगा खड़ा हो गया...
मैं उसे देख डर गई...
उफ्फ्फ ये लण्ड... ये भारी शरीर....
मार डालेगा ये मुझे....
उसने मेरे कंधे पकड़ कर मुझे उठाया और मेरे दोनों हाथ खोल दिए....
मैं नंगी खड़ी थी उसके सामने....
मन ने आवाज़ दी.. अब भी कुछ नहीं बिगड़है.. भाग बचा खुद को... करिश्मा भाग...
तभी मुझे याद आया पापा की revolver उनकी अलमारी मे रखी है
अगला update क्या Revolver तक मुझे पहुँचा देगा? पता नहीं यें तो कल ही पता पड़ेगा, जब कहानी खुद आगे बढ़ेगी
AnitaDelhiUttamnagar Sunday ka Munday ho gaya... Monday ka Tuesday.. but tumne wada pura nhi kiya... Chalo kal ka time aur diya... Nhi to uske baad ki saza chut-day... Yane chut se leke hotho Tak ki video.. saza majur ho to like kar dena