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Incest एक अधूरी प्यास.... 2 (Completed)

jonny khan

Nawab hai hum .... Mumbaikar
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waiting next .....
 

rohnny4545

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शीतल अपनी खूबसूरती में और भी ज्यादा इजाफा करते हुए अपनी टांगों के बीच के उस रेशमी बालों के झुरमुट को अत्यधिक महीने और खुशबू से भरी हुई वीट क्रीम लगाकर उसे साफ कर के एकदम चिकनी कर दी थी,,, अब शीतल की रसीली मादकता से भरी हुई कचोरी की तरह फुली हुई बुर किसी औरत की नहीं बल्कि जवान लड़की की लग रही थी जिसे देखकर शीतल भी शरमा गई,,,,, एक बार वह खुद अपनी हथेली से अपनी कचोरी जैसी फूली हुई बुर को दबाने की लालच को रोक नहीं पाई और अपनी हथेली उस पर रखकर हल्के से रगड़ना शुरु कर दी अपनी बुर की गर्माहट शीतल को अपनी हथेली पर बराबर महसूस हो रही थी। अपनी बुर की गर्माहट से शीतल को इस बात का एहसास हो गया कि आज वह कुछ ज्यादा ही गर्म हो रही है और होती भी क्यों ना आज उसके सपनों का सौदागर जो उसके घर आने वाला था उसके महीनों की दबी हुई प्यास को बुझाने वाला था जिस मर्दाना ताकत से भरे हुए लंड को अपनी बुर में लेकर उसे महसूस करने का सपना अपने मन में संजोए बैठी थी आज उसे पूरा करने का पल जो आने वाला था वह पूरी तरह से प्रसन्नता के साथ साथ उत्तेजना से भी भर्ती चली जा रही थी,,, शुभम से मिलने के अहसास से ही वह पूरी तरह मस्त हुए जा रही थी,,,, एक तरह से आज शीतल की सुहागरात ही थी जिसमें वह अपने पति के उम्र के व्यक्ति से नहीं बल्कि अपने बेटे के उम्र के लड़के के साथ पलंग तोड़ सुहागरात मनाने वाली थी,,,,। अपने आप को तैयार करने में वह कोई भी कसर बाकी रखना नहीं चाहती थी।

Sheetal or Shubham


शीतल संपूर्ण नग्न अवस्था में आदम कद आईने के सामने खड़ी थी और आगे पीछे गोल गोल घूम कर अपने बदन के हर एक अंग को बड़ी बारीकी से निरीक्षण करते हुए देख रही थी,,, उसे अपने बदन की खूबसूरती और अपने बदन के हर एक अंग की बनावट पर संपूर्ण विश्वास था कि इसे देखते ही शुभम पूरी तरह से पागल हो जाएगा और उसकी आगोश में आकर पिघलने लगेगा जिस तरह से वह अपनी मां की बाहों में पिघलता है,,, वैसे भी भगवान ने शीतल के खूबसूरत बदन पर खूबसूरती दोनों हाथों से लुटाए थे बस निर्मला खूबसूरती के मामले में एक कदम ही आगे थी बाकी सब कुछ वैसा ही था जैसा निर्मला के पास था,,,
शीतल अपने नंगे बदन को आईने में देखकर मन ही मन प्रसन्न हो रही थी और धीरे-धीरे एक-एक करके अपने बदन के हर एक अंग को अपने हाथों से उंगलियों से स्पर्श करके उस का जायजा ले रही थी,,, वीट क्रीम से साफ करने के बाद उसकी रसीली बुर कुछ ज्यादा ही जवान लगने लगी थी,,, टांगे एकदम सुडोल चिकनी गोरी मोटी मोटी जांगो की खूबसूरती लिए कहां जा रही थी रसीली बुर की पतली दरार बेहद पतली लकीर की तरह थी,,, एकदम कम सीन जवान मात्र हल्की सी गुलाबी पत्तियां बुर की पत्नी दरार के मुहाने से बाहर झांकती हुई नजर आ रही थी जो कि उसकी खूबसूरती में बढ़ोतरी ही कर रही थी,,
Sheetal or Shubham

गुलाब की पत्तियों और खूबसूरत साबुन के झाग से बाथरूम का टब भरा हुआ था शीतल को हमेशा बाथ टब में घंटों नग्न अवस्था में नहाना अच्छा लगता था,,,, शीतल उसी तरह से चलते हुए बाथरूम में अपने दोनों टांग डालकर उसमें पसर गई,,,, बाथटब का ठंडा पानी उसके बदन की गर्माहट को शीतलता प्रदान कर रहा था,,, लेकिन यह तो बदन की ऊपर की गर्मी थी तन के अंदर धड़कते हुए शोलों को यह ठंडा पानी शांत नहीं कर सकता था उसके लिए तो शुभम के मोटे तगड़े लंड से निकला हुआ झरना ही इस ज्वाला को शांत करने की ताकत रखता था,,, बाथटब में जी भर के नहाने के बाद शीतल बात तब से बाहर आकर सावर चालू कर दी और बरसात के पानी की तरह पानी का फव्वारा उसके ऊपर गिरने लगा जिसमें वह अच्छे से अपने पूरे बदन को रगड़ रगड़ कर साफ करने लगी साबुन का झाग उसके पूरे बदन पर लगा हुआ था जिसे वह और भी ज्यादा रगड़ रगड़ कर साफ़ कर रही थी किसी भी तरह की कसर बाकी नहीं रखना चाहती थी इसलिए खास करके अपनी दोनों मद मस्त चूचियों और रसीली बुर पर कुछ ज्यादा ही ध्यान देते हुए साबुन से रगड़ रगड़ कर उसे साफ कर रही थी,,,। जिस तरह से मेहमान आने से पहले घर की सफाई की जाती है उसी तरह से शीतल अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों पर हल्की हल्की उंगली डालकर उसे साफ कर रही थी वह पूरी तरह से मेहमान को खुश करना चाहती थी ताकि मेहमान को किसी भी तरह की दिक्कत ना हो। क्योंकि उसी मेहमान को ही तो बुर का दरवाजा जो खोलना था,,,
शीतल नहा चुकी थी और नरम नरम टावल से अपने बदन पर से पानी को पोछ रही थी,,, बाथरूम से बाहर निकलने से पहले शीतल बाथरूम में ही टावर हैंगर में टांग दी और उसी तरह से एकदम नंगी ही अपने कमरे में घुस गई धीरे-धीरे वह तैयार होने लगी अपनी सबसे पसंदीदा लाल रंग की साड़ी पहनकर वह एकदम दुल्हन की तरह लग रही थी,,, हाथों में कांच की चूड़ियां पहन ले और इतनी ज्यादा पहनने की हाथ थोड़ा भी हिलता था तो खनखन की आवाज आने लगती थी। शीतल चाहती तो पारदर्शी नाइटी पहन सकती थी क्योंकि पारदर्शी नाइटी पहनने के बाद उसके बदन के हर एक अंग का कोना कोना नाइटी में से झलकता रहता। और उस पारदर्शी नाइटी में शीतल को देखकर दुनिया का कोई भी मर्द उसकी तरफ आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकता था लेकिन शीतल के मन में कुछ और चल रहा था आज वह शुभम के साथ एक तरह से सुहागरात मनाने के मूड में थी इसलिए सुहागरात मनाने के लिए उसे दुल्हन बनना जरूरी था इसीलिए भाई एकदम दुल्हन की तरह सजना चाहती थी और थोड़ी देर में ही वह एकदम दुल्हन की तरह सज-धज कर तैयार हो गई,,,,




शीतल पूरी तरह से दुल्हन की तरह तैयार हो चुकी थी और किचन में जाकर खाने का बंदोबस्त कर रही थी,,, उसने केक का ऑर्डर दे रखी थी जो कि थोड़ी ही देर में उसके घर पर आने वाला था।
एक तरफ शीतल की तरफ से इस तरह की बेहतरीन तैयारी चल रही थी और दूसरी तरफ शुभम शीतल को पूरी तरह से इंप्रेस करने के लिए अपने तरीके से वह भी तैयार हो रहा था उसने भी आज वीट क्रीम लगाकर अपने झांठ के बाल एकदम साफ करके अपने लंड को एकदम चिकना कर लिया था,,, और अपने लंड के बाल को साफ करते समय उसके जेहन में सिर्फ शीतल ही घूम रही थी जिसकी वजह से धीरे-धीरे करके उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था। शुभम को यह पक्के तौर पर तो बिल्कुल भी नहीं मालूम था कि आज की रात शीतल के साथ उसकी संभोग वाली रात होगी लेकिन फिर भी उसके मन में यह विश्वास था कि आज उसकी किस्मत अच्छी ही होगी इसलिए वह पूरी तैयारी करके जाना चाहता था,,, पहली बार में ही हो शीतल की जबरदस्त चुदाई करना चाहता था जिससे वह पानी पानी हो जाए इसलिए जल्दी उसका लंड ना झड़ जाए इसलिए शीतल को याद करते हुए अपने लंड के बाल को साफ करते समय वह अपने लंड को हिला हिला कर पानी निकाल दिया था ताकि दोबारा संभोग करने पर ज्यादा देर तक वह टिका रहे,,,, जिस तरह से एक कुशल सैनिक युद्ध पर जाने से पहले अपने हथियार को बराबर चेक कर लेता है और उसे व्यवस्थित करके ही युद्ध के मैदान में उतरता है उसी तरह से शुभम भी पूरी तैयारी के साथ शीतल के साथ पलंग रूपी मैदान में उतरना चाहता था इसलिए वह सरसों के तेल से अपने लंड की बराबर 15 मिनट तक मालिश किया ताकि वह शीतल की बुर में जाकर गदर मचा सकें।
घर में इस समय उसके सिवा कोई नहीं था इसलिए वह भी पूरे घर में नहाने के बाद नंगा ही घूम रहा था और सच मानो तो उसे इस अवस्था में पूरे घर में घूमना बहुत अच्छा लग रहा था वह मिलने की सोच रहा था कि काश ऐसा हो जाता कि वह घर में कभी कपड़े पहनता ही नहीं इसी तरह से नंगा ही घूमता रहता तो कितना मजा आता ऐसा सोचते हुए अपने कमरे में जाकर अलमारी में से अपने लिए नए कपड़े निकालने लगा। थोड़ी ही देर में एक जींस एक अच्छी सी टी शर्ट पहन कर तैयार हो गया शुभम भी काफी हैंडसम लग रहा था,,, घड़ी की तरफ नजर उठाकर देखा तो 9:15 का समय हो रहा था समय हो गया था शीतल के घर जाने के लिए इसलिए वह सब कुछ ठीक करके घर से बाहर दरवाजे पर लॉक करके शीतल के घर की तरफ निकल गया जहां पर शीतल डाइनिंग टेबल पर खाने का हर एक सामान जो कि उसने खासतौर पर शुभम के लिए ही बनाई थी एकदम से सजा कर रखी हुई थी थोड़ी ही देर पहले जो उसने होटल से केक मंगाई थी वह भी आ चुकी थी,,,,



तभी दरवाजे की घंटी बजी और घंटी के साथ ही सीतल का दिल जोरो से धड़कने लगा,,, उसे एहसास हो गया कि दरवाजे पर शुभम खड़े होकर घंटी बजा रहा है वह लगभग दौड़ते हुए गई और तुरंत दरवाजा खोल दी सामने शुभम ही था उसे देखते ही शीतल के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव के साथ-साथ मुस्कान तैरने लगी। शुभम की नजर शीतल पर पड़ी तो वह उसे देखता ही रह गया शीतल एकदम दुल्हन की तरह लग रही थी और वह भी नई नवेली हाथों में रंग बिरंगी चूड़ियां अलग ही कहानी कह रही थी माथे की बिंदी कानों का झुमका होठों पर लाल रंग की लिपस्टिक गली में मंगलसूत्र यह सब देख कर शुभम को एक अलग ही एहसास हो रहा था जिसका वह वर्णन नहीं कर सकता था।
शुभम को ना जाने क्यों ऐसा लग रहा था कि शीतल आज एक दुल्हन है और वह उसका दूल्हा,,,,, शुभम एक टक शीतल को देखे जा रहा था,,, इस तरह से शुभम को अपनी तरफ देखता हुआ पाकर शीतल शर्म से गड़ी जा रही थी,,,
वह शर्माते हुए कुछ बोलती से पहले ही शुभम बोला ,,,

आज तो आप एकदम दुल्हन की तरह लग रही हो मैडम,,,

मैडम नहीं शीतल कहो,,,,, दरवाजे पर खड़े रहोगे या अंदर भी आओगे,,,,

क्या करु मैडम सॉरी शीतल तुम्हारा यह रूप देख कर मैं तो एकदम दंग हो गया हूं,,,

क्यों मैं अच्छी नहीं लग रही हूं क्या,,,,

तुम तो एकदम दुल्हन लग रही हो सच में अगर मेरा बस चलता तो आज मैं तुमसे शादी कर लेता,,,

तो कर लो रोका किसने है,,,,। ( इतना कहकर वह हंसने लगी और शुभम भी मुस्कुराता हुआ कमरे में दाखिल हो गया और शीतल दरवाजा बंद करके लॉक कर दी वह ऐसी कोई भी गलती नहीं करना चाहती थी जो गलती निर्मला ने की थी अगर वह भी होश में रहकर दरवाजे को लोक कर दी होती तो इतना सुनहरा मौका शीतल को कभी नहीं मिलता,,।)

मैं तो सुना था शादी की सालगिरह की पार्टी है लेकिन यहां तो कोई भी नहीं है,,,

तुमने ठीक ही सुना है आज मेरी शादी की सालगिरह है लेकिन मेरे पतिदेव शहर से बाहर बिजनेस के सिलसिले से गए हुए हैं और मैं इस जगह पर नई-नई हूं इसलिए मैं यहां किसी को जानती नहीं हूं इसलिए मैं अपनी शादी की पार्टी मनाने के लिए सिर्फ और सिर्फ तुम ही को बुलाई हूं,,,,

मुझे बहुत खुशी हुई कि इतने बड़े घर में और वह भी रात के समय सिर्फ मैं और तुम है,,,

सच कहूं तो शुभम यह पार्टी में ने सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए ही रखी हुं,,,

लेकिन ऐसा क्यों,,,,?

यह मुझे बताने की जरूरत नहीं है यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानते हो,,,( इतना कहकर वह टेबल पर रखे हुए केक पर से पर्दा हटाने लगी और परदे के हटते ही केक सामने नजर आने लगा और उस पर जो लिखा था उसे देखकर शुभम एकदम खुश हो गया,,, खुश होने वाली बात ही थी क्योंकि केक पर शीतल ने शीतल लव शुभम लिखवाई थी,,,,)

यह क्या लिख लिखवाई हो शीतल,,,( शुभम हंसते हुए बोला)

क्यों तुम्हें अच्छा नहीं लगा क्या,,,,?

मैं बहुत खुश हूं मैं कभी सोचा भी नहीं था कि तुम मुझे इस तरह से सरप्राइस दोगी,,,,

यह केक हमारे प्यार के निशानी है,,,,, अब हम दोनों साथ मिलकर इसे काटे,,,( इतना कहकर शीतल केक काटने वाला चाकू लेकर तैयार हो गई और वह थोड़ा सा झुक गई और शुभम मौके का फायदा उठाते हुए ठीक उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया और शीतल के बदन से एकदम से सज गया जिसकी वजह से शीतल के भारी-भरकम गोलाकार नितंबों से शुभम के पेंट का आगे वाला भाग एकदम सट गया जोकि शीतल को दुल्हन के रूप में देखकर खड़ा होने लगा था जिस तरह से शुभम शीतल के पीछे खड़ा था शीतल को इस बात का एहसास अपने नितंबों पर बराबर हो रहा था कि शुभम का लंड खड़ा होने लगा है और इस एहसास के वह गदगद होने लगी,,,, शुभम अगले ही पल अपना हाथ आगे बढ़ा कर शीतल का हाथ पकड़ लिया जिसमें वह चाकू पकड़े हुए थी शुभम की इस हरकत से शीतल एकदम से प्रसन्न हो गई और एक बार नजर घुमाकर शुभम की तरफ देखने और मुस्कुरा कर के काटने लगी शुभम भी उसका पूरा सहयोग करते हुए जिस तरह पूरा अपना हाथ ले जा करके काट रही थी वैसे वैसे वह भी अपना हाथ की तरफ घुमा रहा था और साथ ही उसके नितंबों पर अपने कड़क लंड का एहसास बराबर करा रहा था। शीतल एकदम पागल हुए जा रही थी शुभम के मोटे तगड़े लंड को अपनी गांड पर रगड़ता हुआ महसूस करके वह पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी उसका बस चलता तो इसी समय अपनी साड़ी ऊपर उठाकर उसके लंड को अपनी बुर में ले ली होती लेकिन इतनी जल्दी वह यह सब शुरू होने देना नहीं चाहती थी,,, इसलिए जल्दी से केक के टुकड़े को अपने हाथ में लेकर शुभम को खिलाने के लिए उसकी तरफ घूम गई अपनी तरफ शीतल का हाथ आता हुआ देखकर वजह से मुंह खोल दिया और शीतल भी बिना देर किए केक के टुकड़े को शुभम के मुंह में डाल दी और तुरंत आधे बचे केक को अपना मुंह आगे बढ़ाकर उसे अपने मुंह में ले ली,,, दोनों इस तरह से केक खाने का आनंद ले रहे थे देखते ही देखते कब दोनों के होंठ एक हो गए दोनों को पता ही नहीं चला शीतल पागलों की तरह शुभम के होंठ को अपने मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दी,,, शुभम भी मदहोशी के आलम में शीतल के लाल लाल होठों को चूसने का आनंद लेते हुए अपने हाथ को उसके बदन पर हर जगह घूम रहा था वह एकदम उत्तेजित हो चुका था वह कभी शीतल की चूची को दबा देता तो कभी उसकी बड़ी बड़ी गांड को वह शीतल के खूबसूरत बदन के हर अंग से खेल रहा था शीतल को शुभम की हरकत बेहद लुभावनी लग रही थी,,, वह भी शुभम का बराबर साथ दे रही थी वह शुभम को अपनी बाहों में कस के दबाए हुए थी,,, पूरे कमरे में दोनों की सांसो की तेज आवाज ही गूंज रही थी,,,,
मादकता भरी जवानी से भरपूर शीतल को अपनी बाहों में पाकर शुभम पूरी तरह से बहकने लगा था वह उतावला हो गया था शीतल की बुर में अपना लंड पेलने के लिए,, इसलिए बात तुरंत अपने दोनों हाथों से शीतल की साड़ी को ऊपर उठाने लगा शीतल को इस बात का एहसास हो गया कि सुबह मुश्किल साड़ी उठाकर अपने लंड को उसकी बुर में डालना चाहता है लेकिन शीतल नहीं चाहती थी कि यह सब इतनी जल्दी हो वह सब्र रखकर धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहती थी क्योंकि अभी पूरी रात बाकी थी इसलिए वह तुरंत अपने दोनों हाथ नीचे की तरफ करके शुभम के हाथ पर रख कर उसे रोक दी और तुरंत उसके हाथ से छिटक कर दूर खड़ी हो गई,,,और बोली,,,

इतनी जल्दी भी क्या है मेरे राजा अभी रात को अच्छी तरह से जवान तो होने दो,,,( इतना कहते हुए शीतल पीछे कदम बढ़ा कर अपनी भारी-भरकम नितंबों को डाइनिंग टेबल के सहारे टीका कर बड़े ही मादक स्वर में बोली,,,)
तुम्हारे लिए इतनी मेहनत करके जो मैं खाना बनाई हूं पहले उसका स्वाद तो चक लो फिर इसका (अपनी गोल-गोल चूचियों पर दोनों हाथों से इशारा करते हुए) मजा लेना।

लेकिन मुझे तो तुम्हारी खूबसूरत बदन की भूख है जी करता है कि तुम्हारा अंग अंग खा जाऊं खास करके तुम्हारी यह गोल गोल दोनों चूचियां जिसका गरम गरम दूध पीने के लिए मैं कब से बेकरार हूं।
( शुभम कि यह गरमा गरम बातें सुनकर शीतल पूरी तरह से पिघलने लगी थी उसकी पेंटिंग गीली होना शुरू हो गई थी उसकी सांसों की गति तेज होती जा रही थी क्योंकि वह नहीं जानती थी कि शुभम इस तरह की गंदी बातें भी कर सकता है क्योंकि अभी तक तो वह लोग स्कूल में मौका मिलती है थोड़ा बहुत छेड़छाड़ अंगों से खिलवाड़ कर लेते थे लेकिन इस तरह के शब्दों का प्रयोग पहली बार वह शुभम के मुंह से सुन रही थी इसलिए वह पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी,,, मदहोशी उसके पूरे बदन पर छाने लगी थी शुभम को उसकी बातों का जवाब देते हुए बोली।)

सब कुछ मिलेगा लेकिन उसके पहले भोजन ,,,,(इतना कहकर बार डायनिंग टेबल की तरफ खाना लगाने के लिए घूम गई,,, वह दो प्लेट निकाल कर खाना परोसने लगी,, जिसकी वजह से उसका खूबसूरत बदन थीरकन खा रहा था खास करके उसकी बड़ी-बड़ी मादक गांड जो की कसी हुई साड़ी में बेहद कातिल लग रही थी। शुभम से रहा नहीं जा रहा था वह शीतल से जुड़े हर एक पल को अपनी नजरों में कैद कर लेना चाहता था जब से वह शीतल के घर में प्रवेश किया था तब से शीतल के इतने समकक्ष होने की वजह से वह पूरी तरह से उत्तेजना से भरता चला जा रहा था। शीतल के बदन से उठती हुई मादक खुशबू उसके तन बदन को पागल बना रही थी। वह गहरी गहरी सांस लेते हुए बिना पलक झपकाए शीतल को ही घूर रहा था,,,
कुछ ही पल में शीतल ने दोनों प्लेट में खाना परोस कर तैयार कर दी और वह किचन की तरफ जाने लगी और बोली,,,

तुम खाना शुरू करो मैं जल्दी से आती हूं,,,( इतना कहकर किचन की तरफ जा ही रही थी कि शुभम पीछे से आवाज देते हुए बोला,,,)

जल्दी से आ जाओ साथ ही बैठकर खाएंगे ,,,,(शीतल उसके मुंह से यह बात सुनकर कुछ पल के लिए रुकी और शुभम की तरफ देख कर मुस्कुरा दी और फिर वापस किचन में चली गई। किचन में जाते हैं और फिर खोलकर उसमें से पानी की 2 बोतल निकालने लगी कि तभी उसका मोबाइल बज उठा मोबाइल की स्क्रीन पर निर्मला का नाम देखकर शीतल के चेहरे पर मुस्कुराहट तैरने लगी वह कॉल को रिसीव कर के काम से लगाई थी कि सामने से आवाज आई,,,।

क्या हुआ शीतल शुभम आया कि नहीं ,,,,

हां आ गया है और खाना खाने की तैयारी हो रही है,,,
( शीतल की बातें सुनकर कुछ देर के लिए निर्मला एकदम खामोश हो गई और कुछ सोचने के बाद बोली।)

देखना शीतल संभालना वह अभी बच्चा ही है,,,( निर्मला की बातों में शुभम के लिए फिकर साफ झलक रही थी,,, निर्मला की यह बात सुनकर शीतल जोर जोर से हंसने लगी और हंसते हुए बोली।)

हां मैंने देखी हूं शुभम अभी बच्चा ही है जोकि कैसे अपनी मां के साथ पूरा पलंग हिला रहा था।
( शीतल की यह बात सुनकर निर्मला कुछ बोल नहीं पाए क्योंकि वह समझ गई थी कि शीतल क्या बोलना चाह रही है वह खामोश रही,,)
अच्छा निर्मला हम दोनों खाना खाने जा रहे हैं रखती हूं,,( इतना कह कर शीतल फोन काट दी और मोबाइल को फिर से किचन के टेबल पर रख कर कुछ सोचते हुए मुस्कुराने लगी।)
 
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