kabir singh
Aye kabira maan jaa
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अब शीतल की रसीली मादकता से भरी हुई कचोरी की तरह फुली हुई बुर किसी औरत की नहीं बल्कि जवान लड़की की लग रही थी जिसे देखकर शीतल भी शरमा गई,,,,, एक बार वह खुद अपनी हथेली से अपनी कचोरी जैसी फूली हुई बुर को दबाने की लालच को रोक नहीं पाई और अपनी हथेली उस पर रखकर हल्के से रगड़ना शुरु कर दी अपनी बुर की गर्माहट शीतल को अपनी हथेली पर बराबर महसूस हो रही थी। अपनी बुर की गर्माहट से शीतल को इस बात का एहसास हो गया कि आज वह कुछ ज्यादा ही गर्म हो रही है Awesome update bhai