बाहर का नजारा बेहद खुशनुमा रहा एकदम शांति छाई हुई थी और ऐसे में शीतल ठंडी हवा का झोंका शुभम के तन बदन में एक नई ताजगी जगा रहा था वह खिड़की पर खड़ा होकर बाहर का नजारा देख रहा था वह संपूर्ण रूप से निर्वस्त्र था दूर-दूर तक कोई भी नजर नहीं आ रहा था सड़क पूरी तरह से स्ट्रीट की पीली रोशनी में नहाई हुई थी रह रह कर कुत्ते के भौंकने की आवाज आ रही थी जहां तक नजर जा रही थी वहां तक पूरी तरह से शांति छाई हुई थी हर घर की लाइट बंद थी केवल शीतल के कमरे की लाइट जल रही थी शुभम खिड़की पर एकदम नंगा खड़ा होकर बाहर के नजारे का लुफ्त ले रहा था लेकिन एक बात थी जो उसके समझ में नहीं आ रही थी कि उसकी मां ने उसे शीतल के पास क्यों भेजा और वह भी अकेले और रात के समय,,, शुभम के लिए यह सवाल एकदम पहेली की तरह था ऐसा लग रहा था कि जैसे बिल्ली को खुद दूध की रखवाली करने के लिए कहा गया हो,,,
लेकिन जो भी हो उसे बहुत मजा आ रहा था वैसे भी वह स्कूल के दिनों से ही शीतल के प्रति आकर्षित था और यह जानकर तो वह और भी ज्यादा शीतल को चोदने का इच्छुक हो गया था कि शीतल भी उसको चाहती है,,,। और तब से लेकर उसकी इच्छा आज जाकर पूरी हुई थी शीतल की मदमस्त खूबसूरत बड़ी बड़ी गांड से खेलते हुए उसे इतना आनंद आया था कि पूछो मत साड़ी के ऊपर से जितनी खूबसूरत शीतल दिखती है उतनी ही ज्यादा मादक शरीर की मालकिन वह साड़ी के अंदर से थी,,, खिड़की पर खड़े होकर व शीतल की हर एक अदा का जायजा लेते हुए मन ही मन में सोच रहा था उसका शर्माना घबराना बाथरूम में अपनी साड़ी उठाकर बड़ी बड़ी गांड दिखाते हुए मुतना,,, शीतल की सारी मादक अदाएं शुभम के ऊपर एक हमला सा था और शुभम इस हमले में पूरी तरह से शीतल की मादकता भरी जवानी में ध्वस्त हो चुका था,,,, तभी तो रात के 2:30 बज रहे थे लेकिन उसकी आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी उसके चेहरे पर थकान का नामोनिशान नहीं था अभी वह और शीतल से मजा लेना चाहता था,,,
दूसरी तरफ सीतल संपूर्ण रूप से नंगी होकर उसी हालत में सीढ़ियां उतरकर बाथरूम में जाकर उसी तरह से बैठकर पेशाब कर रही थी जैसा कि थोड़ी देर पहले शुभम की आंखों के सामने उसे बड़ी बड़ी गांड दिखाते हुए मुत रही थी,,, शीतल शुभम से चुदवाने के लिए पूरी तरह से इच्छुक थी लेकिन यह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि इस तरह से वह शुभम की आंखों के सामने ही पेशाब करने बैठ जाएगी लेकिन फिर भी जो कुछ भी हुआ उसमें आनंद ही आनंद था औरत के लिए यह भी कल्पना के परे होता है मदहोशी से बड़ा होता है कि वह किसी गैर आदमी के सामने उसे अपना खूबसूरत अंग उसे अपनी बड़ी बड़ी गांड दिखाते हुए पेशाब कर रही हो,,,, उस पल की झनझनाहट उसे अभी भी महसूस हो रही थी अभी भी हुआ शुभम को ही याद करके अपनी बुर से पेशाब की धार सामने की दीवार पर मार रही थी वह अपने मन में यही सोच रही थी कि काश सुभम एक बार फिर से बाथरूम में आ जाता तो वह बाथरुम में ही उससे चुदवाने का भरपूर आनंद ले लेती यह उसके लिए एक नया अनुभव होता,,,,
पेशाब करते हुए शुभम के बारे में सोच कर एक बार फिर से उसका बदन उत्तेजना से भरने लगा यही तो खासियत होती है औरत और मर्द में की एक कामोत्तेजना से भरपूर सोच ही उन्हें उत्तेजित करने के लिए काफी होती है भले ही वह कितनी ही बार झड़े हो लेकिन फिर भी हर मर्द के झड़ जाने के बाद उसका पुनरुत्थान होने में समय लगता है लेकिन शुभम के लिए यह एकदम दुर्लभ बात थी वह पल भर में ही अपनी कमजोरी नुमा औरत की बड़ी बड़ी गांड देखकर उत्तेजित हो जाता था तभी तो वह बिस्तर पर शीतल की भरपूर चुदाई करने के बाद जैसे ही चढ़ा था वैसे ही कुछ ही मिनटों बाद शीतल की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड देखकर फिर से उसका लंड अपनी औकात में आने लगा था,,,,
शीतल शुभम के मर्दाना ताकत बड़े हथियार की शक्ति देखकर पूरी तरह से उसकी दीवानी हो गई थी लेकिन इस बात से वह बिल्कुल भी अनजान थी कि एक बार चढ़ने के बाद शुभम तुरंत तैयार हो जाता है और यही सोच कर परेशान हो जा रही थी क्योंकि उसे फिर से अपनी बुर में खुजली होती हुई महसूस हो रही थी वह यही सोच रही थी कि क्या दोबारा शुभम उसकी चुदाई कर पाएगा या नहीं वह मन ही मन सोच रही थी कि अगर ऐसा नहीं हो पाया तो वह पूरा प्रयास करेगी शुभम के लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने खड़ा करने के लिए क्योंकि आज की रात हुआ इस तरह से खाली नहीं जाने देना चाहती थी उसकी बुर कुल बुला रही थी सुभम के लंड को एक बार फिर से अपने अंदर लेने के लिए,,,, इसी कशमकश में वह पेशाब कर चुकी थी,,, वाह खड़ी हुई और बाद में से बाहर आकर अपने कमरे की तरफ जाने लगी काश अगर कोई इस अवस्था में शीतल के नंगे बदन के दर्शन कर लेता तो उसकी जिंदगी सफल हो जाते हैं बेहद खूबसूरत मादकता भरे भजन की मालकिन शीतल संपूर्ण रूप से निर्वस्त्र होकर जब घर में इधर-उधर टहलते हैं तो स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा ही लगती है उसकी चाल ढाल तब बेहद मदहोश कर देने वाली होती है जब वह धीरे-धीरे अपने पैर बढ़ाते हुए सीढ़ियां चढ़ती है उसके नितंबों का हर एक जोड़ पानी भरे गुब्बारों की तरह लहराता है और उस लहराते हुए गुब्बारे नुमा गांड को देखकर किसी भी मर्द का पानी तुरंत निकल जाए इस बात की शत-प्रतिशत गारंटी है,,,,
कमरे का दरवाजा खुला हुआ था शीतल जैसे ही कमरे में प्रवेश की तो देखी कि शुभम खिड़की पर खड़ा हुआ है और खिड़की पर अपनी पीठ दिखाएं उसी को देख रहा है साथ ही उसका एक हाथ उसके सेंड पर था जो की पूरी तरह से औकात में आ चुका था यह देखकर शीतल मन ही मन बहुत प्रसन्न हुई क्योंकि वह यही चाहती थी कि शुभम का लंड दुबारा तैयार हो जाए,,,, ताकि वह इस रात को अपनी जिंदगी की सबसे बेहतरीन रात बना सके,,,, शुभम को देखकर शीतल दरवाजे पर खड़ी होकर मुस्कुराने लगी उसके चेहरे पर मुस्कुराहट इसी बात से थे कि शुभम का लंड फिर से खड़ा हो चुका था जो कि कुछ ही देर में अब उसकी बुर के अंदर फिर से तशरीफ़ रखने वाला था,,,,
मुस्कुराती ही रहोगी या मेरे पास भी आओगी आओ मेरे पास आओ आज की रात में तुमसे एक पल भी दूर नहीं रहना चाहता,,,,,
( शुभम का यह कथन शीतल के लिए बेहद शर्मिंदगी भरा एहसास भर देने वाला था क्योंकि शुभम किसी अनुभवी उम्र दराज आदमी की तरह यह बात बोल रहा था जो कि उसकी उम्र के मुताबिक यह बात शीतल से कहे जाने पर बिल्कुल भी वाजिब नहीं लग रही थी क्योंकि शीतल एक तरह से उसकी मां की उम्र की ही थी और जिस तरह की बात सुप्रीम कर रहा था यह बात एक मर्द को एक लड़के को उसके हम उम्र साथी के साथ ही कहीं जाने पर वाजिब लगती है इसलिए शीतल एक बार फिर से शुभम के सामने एकदम शर्मसार हो गई लेकिन यह शुभम का आकर्षण ही था कि वह उसके कहे अनुसार धीरे-धीरे नंगी हालत में ही उसके पास जाने लगी जैसे ही वह शुभम के पास पहुंची शुभम एक हाथ सीधा उसकी बड़ी बड़ी गांड पर रखते हुए उसे जोर से दबा कर अपने बेहद करीब खींच लिया इतना करीब कि उसका खड़ा लंड उसकी टांगों के बीच रगड़ खाने लगा,,,,
लंड की जोरदार रगड़ ओर शुभम का हथेली पर कर उसकी नरम नरम गांड को किसी मांस की तरह खींचना शीतल को पूरी तरह से दर्द से भर दिया और उसके मुंह से लगभग कराने की आवाज निकल गई,,,।
ओहहहह ,, मां,,,,, दुखता है सुभम,,,,,
( शुभम उसके दर्द की परवाह न करते हुए सीधा उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर चूसने लगा पल भर में ही सीतल पूरी तरह से मदहोश होने लगी उसे इस बात का भी ख्याल नहीं रहा के वह खिड़की पर खड़ी है और खिड़की पर खड़े होने के नाते उसे कोई भी देख सकता है,,, वह भी काफी उत्तेजित होकर शुभम का साथ देते हुए उसके होठों को चूसते हुए अपने जीव को उसके मुंह में डाल दी जिसे रसमलाई की तरह शुभम चाटने लगा और सुबह में खाट नीचे की तरफ ले जाकर उसकी कचोरी जैसी फूली हुई बुर को अपनी हथेली से रगड़ने लगा,,, साथ ही उसका खड़ा लंड बार-बार उसकी जांघों से टकरा जा रहा था जिससे शीतल रह रह कर जोश में आ जा रही थी शुभम अच्छी तरह से जानता था कि एक प्यासी औरत को किस तरह से काबू में किया जाता है और इस हुनर में पूरी तरह से पारंगत होने के बाद ही वह औरत को अपनी आंखों से मिलता है जो कि समय शीतल उसकी पूरी तरह आगोश में आ चुकी थी वह औरत पर एक साथ कई जगहों से हमला करते हुए अपनी हरकतों से इतना आनंद विभोर कर देता है कि औरत खुद उसका लंड पकड़ कर अपनी बुर की दरार पर रखकर
उसे चोदने के लिए कहने लगती है।
शुभम की हरकतों से शीतल पूरी तरह से मदहोश हो रही थी शुभम पूरी तरह से उसे खिड़की पर चोदने का मन बना लिया था उसे इस बात का भी परवाह नहीं था कि अगर कोई देख लेगा तो क्या होगा लेकिन उसे अपनी सोच पर पूरी तरह से विश्वास था कि आधी रात से ज्यादा का समय हो रहा था और ऐसे में सब अपने-अपने घरों में लाइट बंद करके चैन की नींद सो रहे थे अगर कोई औरत की चुदाई भी किया होगा तो अब तक सो ही गया होगा,,,
शुभम का लंड शीतल की बुर के बेहद करीब था और उस में घुसने के लिए फुंफकार रहा था,,,, शुभम अपनी हथेली को चिकन की पूर्व पर से हटा लिया था क्योंकि वह पूरी तरह से तैयार हो गया था शीतल को एक बार फिर से चुदाई की नाव में ले जाकर पार लगाने के लिए इसलिए मैं तुरंत अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ कर उसके सुपाड़े को शीतल की बुर से सटा दिया,,,, गरमा गरम लंड के मोटे छुपाने का स्पर्श अपनी बुर की गुलाबी पत्ती पर होते ही शीतल के होश उड़ गए वह मदहोश होने लगी लेकिन साथ ही इस बात का एहसास हुआ कि वह खिड़की के करीब खड़ी थी जहां से कोई भी उसे देख सकता था इसलिए वह शुभम से बोली,,,
यहां पर नहीं सुभम बिस्तर पर चलो यहां कोई देख लेगा,,,
कोई नहीं देखेगा मेरी जान इतनी रात को कोई जागता नहीं है देख नहीं रही हो पूरी सोसाइटी में कितनी शांति छाई हुई है सबके घरों की लाइटें बंद है सब चैन की नींद सो रहे होंगे,,, ( शुभम अपने लंड को शीतल की बुर पर एडजस्ट करते हुए बोला,,,, जो कि ठीक से सहज नहीं हो पा रहा था इसलिए वह शीतल से बोला,,,।)
देखो रानी तो बिल्कुल भी चिंता मत करो मुझ पर भरोसा रखो कोई भी नहीं देखेगा,,,, अब ऐसा करो अपनी टांग उठा कर इस खिड़की पर रखो ताकि मेरा लंड तुम्हारी बुर में आराम से जा सके,,,,
( शुभम की यह बात सुनकर शीतल कभी उसकी खड़े होने की तरफ देखती तो कभी खिड़की से बाहर की तरफ देख कर मन में आशंकित हो रही थी उस की आशंका को भांप कर शुभम फिर से बोला)
तुम बिल्कुल भी मत डरो शीतल मैं हूं ना मुझ पर भरोसा है कि नहीं बस जैसा मैं कह रहा हूं वैसा ही करो तुम्हें जन्नत का मज़ा दूंगा बार-बार बिस्तर पर चुदाई करने में मजा नहीं आता जगह बदल लेने से चुदाई का मजा दोगुना हो जाता है और इसी मजा को लेना चाहती हो तो जैसा मैं कह रहा हूं वैसा ही करो,,
( शुभम की बातें सुनकर उसे शुभम पर भरोसा तो हो रहा था लेकिन मन में शंका भी हो रही थी कि कहीं नहीं कोई देखना है और इससे ज्यादा असर तो उसके ऊपर चुदाई का मजा लेने का था जिसके अधीन होकर वह ना चाहते हुए भी अपनी एक टांग उठा कर उसे खिड़की पर रख दी ऐसा करने से वह पूरी धनुष की तरह खींच गई अब शुभम अपने लंड को उसकी गुलाबी बुर से सटाकर अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर उसकी बड़ी-बड़ी बड़ी गांड को अपनी हथेली से थाम लिया,,,, एक बार शुभम का लंड अपनी बुर में ले लेने की वजह से शीतल की बुर में शुभम के लंड का पूरी तरह से सांचा बन चुका था जो कि धीरे-धीरे करके एक बार फिर से शुभम का लंड पूरी तरह से शीतल की बुर के मदन रस में डूब गया,,,, जैसे ही पूरा लंड शीतल की बुर में घुसा शीतल के मुंह से आह की आवाज आ गई भले ही शुभम ने जबरदस्त चुदाई किया हो लेकिन फिर भी शुभम का लंड ईतना मोटा था कि दोबारा किसी भी औरत की बुर में जाने पर उसके मुंह से दर्द भरी कराहने की आवाज निकल ही जाती थी,,,
शीतल एक बार फिर से मस्ती के सागर में गोते लगाने लगी,,, लेकिन बार-बार शुभम का तूफानी झटका भरा लहर वह सहन नहीं कर पा रही थी इसलिए बार-बार लड़खड़ा जा रही थी जिसे शुभम बार-बार अपनी मजबूत हथेलियों से थाम कर उसे संभाल लेता था,,, शुभम की कमर बड़ी तेजी से चल रही थी क्योंकि सीतर बार-बार अपनी नजरें नीचे करके अपनी बुर के अंदर अंदर बाहर होते हुए सुभम के लंड को देख कर ली थी वाकई में शुभम का लंड बेहद मोटा था,,,ऊसए यकीन नहीं हो रहा था कि ईतना मोटा लंड उसकी बुर में कैसे घुस जा रहा है,,, लेकिन जो भी हो रहा था उसमें शीतल को परम आनंद की अनुभूति हो रही थी उसके बाल बंधे हुए थे जिसे शुभम अपना एक हाथ उसके बालों के जुड़े पर रखकर उसके बक्कल को खींचकर उसके रेशमी बालों को एकदम खुला छोड़ दिया खिड़की से आ रही शीतल हवा के झोंके में उसके रेशमी बाल लहराने लगे जिससे वह बेहद खूबसूरत लग रही थी वाकई में सीकर को इस बात का एहसास हुआ कि खुली खिड़की में इस तरह से आधी रात को चुदवाने में उसे बहुत ही मजा आ रहा था चुदाई का उसका मजा दुगुना आनंद दे रहा था,,, गरम सिसकारियों से एक बार फिर से पूरा कमरा गूंजने लगा,,, शुभम पागलों की तरह उसकी गर्दन गाल पर चुंबनो की बौछार कर दे रहा था,,, उसकी छातियों पर झूलते हुए दशहरी आम को देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था जिससे वह अपना मुंह आगे बढ़ा कर बारी-बारी से उसके दशहरी आम को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया,,, बार-बार शुभम उसके चॉकलेटी रंग की निप्पल को दांतों से काट लें रहा था जिससे वह पूरी तरह से सिहर उठती थी,,,,
औहहह सुभम में पागल हो जाऊंगी,,,,आहहहहहहह,,आहहहहह,,,,सससससस,,,,ऊफफफफ,,,,,, मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि तू सुभम है,,,आहहहहहहह,,, तू तो मुझे साक्षात कामदेव लग रहा है।
और तू मुझे मेरी रति लग रही है जिसकी बोर मैंने अपना पूरा लंड डालकर उसे संभोग सुख का मजा दे रहा हूं,,,
( शुभम के लिए पहली बार था कि वह शीतल को इस तरह से बोल रहा था शीतल भी शुभम के मुंह से इस तरह की बात पहली बार सुन रही थी लेकिन ना जाने क्यों उसे इस तरह के हालात में इस तरह से बातें करना उसे अच्छा लग रहा था,,, शुभम अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला देख आज मैं कैसे तेरी बुर का भोसड़ा बनाता हूं इतने सालों से बहुत टाइट बुर लेकर इधर-उधर घूम रही थी ना अब देखना तेरी बुर में मेरे लंड का पूरा सांचा बन जाएगा,,
तो बनाना रोका किसने है तुझे मैं तो चाहती हूं कि तू अपना लंड मेरी बुर में डालकर मेरी बुर फाड़ दे,,,,
तो यह बात है तो देख अब मजा चुदाई का,,,,
( इतना कहने के साथ ही शुभम शीतल की बड़ी-बड़ी पावरोटी को अपने हाथों में जोर-जोर से दबाते हुए अपना लंड उसकी बुर में पेलने लगा एक ही धक्के में उसका पूरा का पूरा लंड शीतल की बुर में खो जा रहा था लेकिन शुभम का हर धक्का शीतल के लिए अतुल्य था अद्भुत था क्योंकि हर एक धक्के के साथ सुभम के लंड का सुपाड़ा उसकी बच्चेदानी से टकरा जा रहा था। खिड़की से लगातार ठंडी हवा बह रही थी जो कि पूरे कमरे को ठंडा कर रही थी लेकिन उस ठंडी हवा में इतनी भी सीतलता नहीं थी कि वह शीतल की मदमस्त गर्म जवानी को ठंडा कर सके उसके माथे से पसीने की बूंदें फिर से टपकने लगी एक बार फिर से दोनों पसीने से तरबतर हो गए,,,
शुभम लगातार उसकी बुर में लंड पेले जा रहा था कभी उसकी बड़ी-बड़ी पावरोटी को दबाता तो कभी उसके दोनों खरबूजा से खेलता कभी उसे मुंह में लेकर पीने लगता हर तरह से सुभम मजा ले भी रहा था और उसे मजा दे भी रहा था पूरे कमरे में शीतल की गरम सिसकारी की आवाज गूंज रही,,,, शीतल में अपनी बाहों का हार शुभम के गले में डाल दी एक तरह से वह शुभम के गले में अपनी बाहों का हाथ डालकर उस का सहारा ले रही थी क्योंकि शुभम का धक्का इतना दमदार था कि वह हर धक्के के साथ पीछे की तरफ लुढकने लगती थी,,,फच फच की मधुर संगीत लगातार शीतल की बुर से आ रही थी,,, बिना रुके शुभम अपनी कमर लगातार हिला रहा था वह आज की रात शीतल से हर तरह से मजा ले लेना चाहता था इसलिए कुछ सोचकर वह शीतल की बुर से अपना लंड बाहर निकाल लिया। वह एकदम मदहोश हो चुका था गहरी गहरी सांसे ले रहा था शीतल भी पूरी तरह से पागल हो गई थी उसका चेहरा सुर्ख लाल हो गया था बदन में मदहोशी पूरी तरह से बरकरार थी उसकी आंखों में खुमारी छाई हुई थी वह इस तरह से लंड बाहर निकाले जाने की वजह से तड़प उठी थी उसके मुंह से कुछ बोला नहीं जा रहा था वो नीचे की तरफ देखी तो शुभम का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर उसके मदन रस में नहाया हुआ था जिसे देखते ही एक बार फिर से शीतल पूरी तरह से सिहर उठी,,, शुभम पोजीशन बदलना चाहता था लेकिन उसके मुंह से मदहोशी की वजह से कुछ निकल नहीं रहा था बस वह इशारे से शीतल को घूम जाने के लिए कहा,,, शीतल नादान नहीं थी पूरी तरह से परीपकव थी,,, भले ही वह भरपूर रूप से चुदाई कहानी में अपनी जिंदगी बना ली हो लेकिन शुभम के इशारे का मतलब अच्छी तरह से समझती थी उसे अब दुनिया की परवाह बिल्कुल भी नहीं थी वाह संभोग के सुख में पूरी तरह से खो जाना चाहती थी वह मदहोशी के आलम में सब कुछ भूल चुकी थी इसलिए शुभम जैसा बोला जैसा ही सारा किया वैसे ही वह खिड़की पर अपने दोनों हाथ रख कर जो कभी खिड़की से वहां अपना मुंह बाहर निकाल कर अपनी भारी-भरकम गोलाकार गांड को किसी तोप की भांति ऊपर की तरफ उठा दी जैसे दुश्मन को ललकार रही हो कि दम हो तो आ जाओ आगे,,,, शुभम भी पूरी तरह से खेला खाया था वह भी सामने वाले के हर बार का जवाब देना अच्छी तरह से जानता था शीतल की तोप के जवाब में शुभम अपनी लाजवाब बंदूक को मैदान में उतार दिया जो की पूरी तरह से दुश्मन का सीना छलनी करने के लिए तैयार था एक हाथ में अपने लंड को लेकर निशाना लगाकर अपनी बंदूक का ट्रिगर दबा दिया और इस बार पहले की तरह फिर से गोली निशाने पर लगी और सब कुछ चीरती हुई अपने लक्ष्य को भेंद दी,,,, दुश्मन पूरी तरह से परास्त हो गया उसके मुंह से दर्द भरी कराहने की आवाज निकल गई,,,, यह वह आवाज थी जिसे सुनकर निशाना भेदने वाले का जोश और ज्यादा बढ़ जाता है और वह पूरी ताकत से फिर से दुश्मन पर टूट पड़ता है और यही शीतल के साथ भी हुआ शुभम उसकी कमर को थामकर लगातार अपनी कमर को जोर जोर से हिला रहा था सुभम को मोटा तगड़ा लंड किसी मशीन की तरह उसकी बुर के अंदर बाहर हो रहा था ऐसा लग रहा था कि आज वह शीतल कि बुर का कचूमर बना देगा,,,, शुभम के इस तरह से लगातार धक्के पर धक्के मारते हुए चुदाई करने की वजह से शीतल का जोर जोर से चिल्लाने का मन कर रहा था और वह अपना मुंह खिड़की से बाहर निकालकर ठंडी हवा का आनंद लेते हुए शुभम से चुदवा रही थी,,,,
एक बार फिर से शीतल अपने चरम सुख के बेहद करीब पहुंच गई वह जोर से खिड़की को पकड़कर शुभम के हर धक्के को झेल रही थी शुभम भी झड़ने वाला था अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर शीतल के दोनों दशहरी आम को थाम लिया और जोर जोर से धक्के पर धक्के लगाने लगा दोनों को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और दोनों का नसीब भी बहुत तेज था कि खिड़की पर इस तरह से एकदम नंगे होकर जुदाई का आनंद लेते हुए किसी की भी नजर उन तक नहीं पहुंच पा रही थी क्योंकि इस समय सब लोग अपने अपने घर में सो रहे थे देखते ही देखते दोनों फिर से झड़ने लगी शुभम झड़ते झडते दो-चार धक्के और जड़ दिया,,,,
दोनों एकदम नंगे ही एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले बिस्तर पर पड़े हुए थे इस बार शुभम का लंड कुछ ढीला हो चुका था लेकिन फिर भी शीतल कुछ इस तरह से अपनी मोटी मोटी टांगों को उसके ऊपर फेंक कर दूसरी तरफ की ही थी कि उसकी बड़ी बड़ी गांड की दरार में शुभम का लंड हरकत कर रहा था,,,
आज तो मजा आ गया शुभम मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि यह सब हकीकत है मुझे तो सब कुछ सपना जैसा ही लग रहा है,,,
मुझे भी शीतल मुझे भी यकीन नहीं हो रहा है कि मैं तुम्हारी चुदाई कर रहा हूं,,,, लेकिन मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही है कि मम्मी ने खुद मुझे तुम्हारे वहां अकेले क्यों भेज दिया और वह भी रात को,,,
( शुभम के इस सवाल के जवाब में शीतल मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,।)
कर भी क्या सकती थी तुम्हारी मम्मी तुम्हारी मम्मी के पास तुम्हें मेरे पास भेजने के अलावा कोई चारा नहीं था,,,
मैं कुछ समझा नहीं।( शुभम अपने दोनों हाथों में पकड़ कर शीतल को अपनी बाहों में लिए हुआ था और वह उसकी दोनों चूचियों को दबाता हुआ बोला)
और तुम समझोगे भी नहीं यह बात मैं भी और तुम भी अच्छी तरह से जानते हो कि तुम्हारी मम्मी कभी भी तुम्हें मेरे पास नहीं भेजती जब से वह क्लास के अंदर हम दोनों को रंगे हाथ पकड़ी थी,,,,।
यही तो मैं कह रहा हूं शीतल कि आज यह कैसे हो गया,,
यही ना कि बिल्ली को खुद दूध की रखवाली करने के लिए क्यों भेजा गया है,,,,
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देखो शीतल अब मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा है मुझसे पहेलियां मत बुझाओ साफ-साफ बताओ क्या हुआ है,,,
सुनना चाहते हो क्या हुआ है क्यों तुम्हारी मम्मी तुम्हें मेरे पास भेज दी,,,
हां बिल्कुल मैं जानना चाहता हूं,,,
तो सुनो ,,,,(शीतल अपने होठो पर कामुक मुस्कान लाते हुए) मैं तुम्हें तुम्हारी मम्मी को चोदते हुए देख ली हूं,,,,
( इतना सुनते ही शुभम एकदम से सन में हो गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके कान क्या सुन रहे हैं,,,)
मैं जानती हूं तुम्हें मेरे कहने पर विश्वास नहीं होगा लेकिन रुको,,,( इतना कहते हुए वह बिना बिस्तर से उतरे अपना हाथ आगे बढ़ाकर टेबल पर से अपना मोबाइल उठा लिया और उसे चालू करके उसमें से एक वीडियो चालू करके शुभम को थमा दी,,, स्क्रीन पर जो दृश्य चल रहा था उसे देखते ही शुभम के होश उड़ गए उसका दिमाग काम करना बंद हो गया क्योंकि मोबाइल के स्क्रीन पर उसकी मां उसके लंड पर उछल उछल कर चुदवा रही थी,,,, लेकिन शुभम बहुत चालाक था वह ऐसी कोई भी हरकत नहीं करना चाहता था जिससे शीतल पूरी तरह से उसके ऊपर हावी हो जाए,,,, शुभम अच्छी तरह से जानता था कि अगर यह वीडियो शीतल के मोबाइल में रहा तो आज नहीं तो कल उसका भांडा फोड़ सकता है या शीतल इस वीडियो के जरिए उसे ब्लैकमेल कर सकती है उसकी बदनामी हो सकती है उसका परिवार बदनाम हो सकता है इसलिए पूरी तरह से सहज बना रहा और पूरा वीडियो देखने के बाद वह तुरंत उसे डिलीट कर दिया और से डिलीट होता देखकर शीतल को लगा जैसे उसके पैरों से जमीन निकल गए हो वो झट से उसके हाथ से मोबाइल छीन ते हुए बोली,,,)
यह क्या किया शुभम तुमने इसे डिलीट क्यों कर दिया,,,
अब इस वीडियो का कोई काम नहीं है शीतल मेरी जान मेरी छम्मक छल्लो अब तो मैं तुम्हारा हमेशा के लिए हो गया हूं,,,,( शीतल नहीं जानती थी कि वह बड़े चला कि से उसके मोबाइल में से उसकी और उसकी मां का चुदाई वाला वीडियो डिलीट कर दिया है वह शुभम की बात सुनकर खुश हो गई लेकिन शुभम का दिमाग खराब हो रहा था क्योंकि वह नहीं चाहता था कि कोई भी औरत उसकी मां और उसके बारे में कुछ भी जाने उन दोनों के बीच किस तरह का संबंध है इस बारे में दुनिया को पता चले इसलिए शुभम किसी और तरीके से शीतल को सबक सिखाना चाहता था वह शीतल को जरा भी एहसास नहीं होने देना चाहता था कि इस वीडियो को देख कर उसे गुस्सा आ रहा था वह एकदम सहज बना रहा और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) सच कहूं शीतल तो तुम्हें चोदने में मुझे जितना मजा आ रहा है उतना मजा मुझे अपनी मां को चोदने में कभी नहीं आया क्योंकि तुम जानती हो मेरी मां सीधी सादी है उसे चुदाई का मजा किस तरह से लेना है यह बिल्कुल भी नहीं पता,,,,
हां तभी तुम्हारी मां तुम्हारे लंड पर जोर जोर से उछल रही थी,,,
वह तो उस दिन मजबूरी थी मेरी कमर बहुत तेज दुख रही थी इसलिए वह खुद मेरे लंड पर चढ गई,,,
लेकिन तुम्हें जरा भी शर्म नहीं आई अपनी मां को चोदने में,,,
देखो शीतल मेरी जान मेरे साथ साथ मेरी मां की भी जरूरत है जैसे शायद मेरे पापा पूरा नहीं कर पाते थे और बाहर कहीं जाने से अच्छा था कि उन्हें घर में ही मेरे जैसा जवान लड़का मिल गया उन्हें भरपूर चुदाई का सुख देने वाला मिल गया अगर सोचो बाहर किसी से चुदवाती तो बदनाम होने का पूरा का पूरा डर था जैसे तुम ही देख लो यह तो मुझे नहीं पता कि तुम बाहर किसी से चुदवाती हो या नहीं लेकिन तुम अगर मुझसे छुपा रही हो तो तुम एकदम से को सुरक्षित हो यह बात किसी को कानों कान तक नहीं खबर पड़ेगी लेकिन अगर बाहर कोई तो मेरी चुदाई करता है तो आज नहीं तो कल किसी न किसी को बक देगा बता देगा कि तुम कैसी हो,,,,
हां शुभम यह बात तो तुम बिल्कुल सच कह रहे इसीलिए तो मैंने आज तक बाहर किसी भी मर्द को इतनी छूट नहीं दी कि वह तुम्हारी तरह मेरे साथ मजे ले सके मेरी जिंदगी में तुम मेरे पति के बाद दूसरे मर्द हो जाओ मेरी चुदाई कर रहे हो वरना आज तक मैंने किसी के लिए भी अपनी दोनों टांगों को नहीं खोली हूं,,,,( इतना कहने के साथ ही सीतल एक बार फिर से अपनी दोनों टांगों को खोल दी,,, शुभम एक बार फिर से गर्म होने लगा था लेकिन वह जबरदस्त चुदाई कर के सितम को सबक सिखाना चाहता था पर इस बार उसका लंड उसकी गांड के छेद में दस्तक दे रहा था इसलिए शुभम के मन में आज शीतल की गांड मारने का इरादा हो गया,,,,)
वैसे ही खोली रहो मेरी रानी आज मेरा लंड तुम्हारे दूसरे बिल में घुसने की कोशिश कर रहा है,,,( इतना कहने के साथ ही शुभम अपने लंड कै सुपाड़े को शीतल की गांड के छेद पर रगड़ने लगा,,,, शीतल को इस बात का एहसास हो गया कि शुभम क्या चाह रहा है वह मन ही मन में घबरा गई और बोली।)
नहीं-नहीं शुभम ऐसा मत करो मैंने आज तक जिंदगी में गांड मरवाई हूं और वैसे भी तुम्हारा लंड ईतना मोटा है कि मेरी गांड के छोटे से छेद में घुसेगा ही नहीं,,,( यह कहते हुए शीतल के चेहरे पर डर के भाव साफ झलक रहे थे एक औरत के नाते शीतल अच्छी तरह से जानती थी कि शुभम का लंड काफी मोटा है उसकी गांड का छेद बहुत ही छोटा है जिसमें किसी भी कीमत में शुभम का लंड नहीं घुसता,,,,)
अरे नहीं मरवाई हो तो आज मरवा लो वैसे भी जिंदगी में हर इंसान हर एक काम पहली बार ही करता है,,,,
( इतना कहते हुए शुभम बिस्तर पर अपने लिए जगह बनाने लगा वह देखते ही देखते शीतल की दोनों टांगों को पकड़कर उसे हल्के से ऊपर की तरफ उठाते हुए इसकी भारी भरकम गांड को थोड़ा ऊंचा कर दिया,, और झट से उसके नीचे तकिया लगा दिया जिससे उसकी गांड का छेद थोड़ा ऊंचा हो गया,,, शीतल का पूरा बदन एक बार फिर से उत्तेजना से कसमस आने लगा हुआ शुभम की हर हरकत पर नजर रखे हुए थी उसे डर तो लग रहा था शुभम के मोटे तगड़े लंड को अपनी गांड के छेद में लेने के ही नाम से लेकिन ना जाने क्यों उसके मन के कोने में कहीं ना कहीं इच्छा हो रही थी कि आज शुभम के लंड को गांड के छेद में ले ही लेना चाहिए,,,, आज तक उसने औरतें गांड मरवाती है यह बात अपने कानों से सुन रखी थी लेकिन शुभम की बात को सुनकर उसका इरादा देख कर उसे लगने लगा था कि आज सुभम मैं उसकी गांड मार कर रहेगा,,,
उसका दिल जोरों से धड़क रहा था वह कुछ समझ पाती इससे पहले ही शुभम अपने लिए जगह बनाते हुए अपने हो तो उसकी गांड के भूरे रंग के छेद पर रख दिया और उसे अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया,,,,,
आहहहहहहह,,,,,,,,( इस मादकता भरी आवाज के साथ ही शीतल मस्ती में आकर अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठाने लगी जिंदगी में पहली बार कोई जवान मर्द मिला था जो उसकी गांड के छेद को चाट रहा था शुभम पागलों की तरह अपनी जीभ उसकी गांड के छेद पर घुमा रहा था शीतल पागल हुए जा रही थी उसे अब जा कर यह एहसास हुआ की गांड चटवाने में कितना मजा आता है,,,, देखते ही देखते शीतल पागल होने लगी वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर शुभम के बालों को अपने हाथों से भींचते हुए उसे जोर जोर से अपनी गांड पर दबाने लगी,,,, शीतल के लिए यह पल बेहद अद्भुत था अतुल्य सुख से भरा हुआ उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि कोई उसकी गांड चटेगा क्योंकि सोच कर ही कितना बुरा लगता है यह उन लोगों के लिए मन की धारणा है जिसने आज तक किसी मर्द से अपनी गांड नहीं चटवाई,,,, लेकिन शुभम की कामुकता भरी हरकत की वजह से आज शीतल की भी धारणा पूरी तरह से बदल गई थी उसे बिगाड़ कटवाने में बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी देखते ही देखते वह पूरी तरह से पागल हो गई,,,,
मौका देखकर शुभम अपनी एक उंगली को शीतल कि गाड़ के छोटे से छेद में उतार दिया,,, और से अंदर-बाहर करने लगा देखते ही देखते शीतल की ललक बढ़ने लगी उसे मजा आने लगा उसे यकीन नहीं हो रहा था की गांड में भी उतना मजा आता है देखते ही देते जब शीतल की गरम शिसकारियों की आवाज आने लगी तो शुभम अपनी दूसरी उंगली भी उसकी गांड में पेल दिया,,,, शीतल को मजा आने लगा था वो मदहोश में जा रही थी वह खुद ही अपनी दोनों टांग को उठाए हुए शुभम की हरकत का मज़ा ले रही थी
थोड़ी देर में शुभम समझ गया कि अब यह लंड लेने के लिए तैयार हो गई है इसलिए वो बिस्तर पर से नीचे उतर गया और शीतल से बोला,,,,
शीतल यहां कमरे में तेल रखी हो क्या,,,?