यहां कमरे में तेल रखा है क्या शीतल,,,?
हा उस अलमारी में सरसों के तेल की शीशी रखी हुई है,,, लेकिन तेल का क्या करोगे,,,,?( शीतल आश्चर्य के साथ बोली,,,)
मेरी जान दिल के ही सहारे तो हमें तुम्हारी गांड में प्रवेश कर पाऊंगा और देखना इसी तेल के बदौलत तुम्हें जन्नत का मजा मिलता है,,,( ऐसा कहते हुए शुभम जोर-जोर से अपने लंड को आगे की तरफ खींच रहा था जिससे जैसे ही वह अपनी चारों उंगली में लंड के सुपाड़े को दबाकर उसे खींचता था और छोड़ता था तो उसका लंड स्प्रिंग की तरह ऊपर नीचे हो जाता था यह देखकर शीतल के तन बदन में हलचल मच जा रही थी,, शुभम उसी तरह से पूरा नंगा ही अलमारी की तरफ आगे बढ़ने लगा शीतल की नजर शुभम के गोलाकार नितंबों पर थी जो कि बेहद सुहावनी लग रही थी अपने पति के बाद शुभम उसकी जिंदगी में दूसरा मर्द था जिसे वह पूरी तरह से नंगा देख रही थी उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर अपना पूरा जोर लगा रहे थे वह भी अपनी दोनों टांगों को ऊपर उठाए हुए थी जब उसे इस बात का अहसास हुआ तो वह एकदम शर्मिंदा हो गई और तुरंत अपने दोनों पैरों को फिर से फैला ली,,,, शुभम के व्यक्तित्व और उसके मर्दाना ताकत में पूरी तरह से अजीब सा आकर्षण था जिसके बस होकर औरत कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो जाती थी वही हाल शीतल का भी हो रहा था वह कभी सपने में भी गांड मारने के बारे में नहीं सोची थी,,, लेकिन यह शुभम की बदौलत ही आज वह अपनी दोनों टांगे फैला है अपनी गांड ऊपर उठाकर शुभम से गांड मरवाने के लिए तैयार हो गई थी,,, शीतल भी काफी उत्सुक थी अगले पल के लिए वह भी इस नए अनुभव के लिए अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर रही थी वैसे भी पहले से ही शुभम ने शीतल की मदमस्त अद्भुत भूगोल धारक गांड को चाट चाट कर मदमस्त कर दिया था जिससे शीतल का संपूर्ण तन बदन शुभम के मोटे तगड़े लंड को अपनी गांड में महसूस कर के बदन में होने वाले हलचल के लिए पूरी तरह से तैयार हो गया था लेकिन मन अभी भी विपरीत दिशा में भाग रहा था और वह भी शुभम के लंड की मोटाई को देखकर और अपनी गांड के छोटे से छेद को देखकर क्योंकि दोनों के आकार में विरोधाभास था,,, एक नींबू था तो दूसरा दमदार बैगन लेकिन फिर भी शुभम का लंड शीतल की बुर से तू डाल डाल मैं पात पात खेलने के मूड में था,,,,
देखते ही देखते शुभम अलमारी में से सरसों के तेल की शीशी को निकाल लिया और तुरंत बिस्तर पर पहुंच गया,,,
और शीतल को अपनी भारी भरकम गांड ऊपर की तरफ उठाने को बोला था कि वह सरसों के तेल को उसकी गांड के छोटे से छेद पर अच्छी तरह से लगा सके,,, शुभम सरसों के तेल की शीशी का ढक्कन खोल कर ढेर सारा तेल अपनी हथेली पर गिरा दिया और उसे धीरे-धीरे करके शीतल की मदमस्त गांड के छोटे से छेद पर मलने लगा,,, जैसे-जैसे शुभम शीतल के काम के छोटे से छेद को स्पर्श करता हुआ उस पर तेल लगा रहा था वैसे वैसे उत्तेजना के मारे सीता का बदन करना चाह रहा था वो काफी उत्तेजित नजर आ रही थी और उससे भी ज्यादा उत्तेजित उसकी गांड का छोटा सा छेद था जो कि उत्तेजना के मारे फूलता हुआ और पिचकता हुआ साफ नजर आ रहा था,,,, यह देखकर शुभम का लंड अपनी औकात में आ गया वो जल्द से जल्द शीतल की गांड के अंदरूनी दीवारों से रगड़ खाता हुआ अंदर तक जाना चाहता था,,,, शुभम शीतल की गांड को पूरी तरह से तेल से चुपड दिया था,,, और बाकी बचा तेल अपने लंड पर लगाना शुरू कर दिया वह अच्छी तरह से अपने लंड की मालिश कर रहा था और शीतल की तरफ मुस्कुराता हुआ देख रहा था शीतल को शुभम की मुस्कुराहट बेहद कामुक लग रही थी जिससे वह शरमा कर अपनी नजर को दूसरी तरफ फैर ली ,,, कभी-कभी वह बेहद उन मादक परिस्थिति में अपने संपूर्ण वजूद को भूल कर शुभम के प्यार रस में पूरी तरह से डूब जाती थी,,, और रह रह कर उसे यह ख्याल आ जाता था कि शुभम उसके बेटे की उम्र कम है और वह बेशर्म की तरह उसके सामने अपनी गांड खोलकर टांगे फैलाए लेटी हुई है,,,, कभी-कभी मन कर रहा था कि जल्दी से अपने कपड़े पहन कर कमरे से बाहर निकल जाए लेकिन जब जब शुभम के मोटे तगड़े लंड की तरफ नजर जाती थी तो उसकी मान मर्यादा शरमाया रिश्ते नाते सब कुछ बुर से निकले हुए पानी की तरह बहता हुआ नजर आने लगता,,, वह सब कुछ भूल जाती हो और अपने वजूद को शुभम की बाहों में पिघलता हुआ महसूस करने लगती है,,,
आने वाले कल के इंतजार में शीतल का तन बदन मीठे दर्द की लहर में टूटता हुआ महसूस हो रहा था वह व्याकुल थी शुभम के लंड को अपनी गांड के छेद में लेने के लिए वह उससे अनमोल अद्भुत अतुल्य सुख को भोगना चाहती थी उसे महसूस करना चाहती थी गांड मरा ने का अपनी सबसे पहले मौके को पूरी तरह से मस्ती में मजे लेना चाहती थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उत्तेजना के मारे उसका गला सूखता जा रहा था,,,,,, शुभम अभी भी सरसों के तेल की मालिश अपने लंड पर कर रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह तेल लगाकर अपने लंड को और मजबूती प्रदान कर रहा हो,,, शीतल शुभम के लंड की ताकत को देखकर पूरी तरह से उसकी कायल हो चुकी थी क्योंकि अच्छी तरह से जानती थी कि एक बार जुदाई के बाद ही दूसरी बार किसी भी मर्द का लंड खड़ा होने में समय लगता है लेकिन यहां तो सुबह उसकी चुदाई दो बार और वह भी जबरदस्त तरीके से कर चुका था और तीसरी बार फिर से उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था,,, यह अपने आप में ही बहुत बड़ी बात थी लेकिन शीतल इस बात से बेहद खुश थी कि शुभम जैसी मर्दाना ताकत से भरे हुए लड़के से वह चुदवा कर अपने आप को तृप्त कर रही है,,, वह गहरी गहरी सांसे लेते हुए शुभम को ही देख रही थी जो कि शुभम अपने लंड की मालिश करने में पूरी तरह से मशगूल हो चुका था,,,
शीतल की भूरे रंग की गांड का हुआ छोटा सा छेद हो शुभम का लंड जवानी की जोश में इतनी गरम हो चुकी थी कि सरसों का तेल की गर्माहट में कब धुआं बनकर उड़ गया पता ही नहीं चला इतना सारा तेल सब वाष्प की तरह हवा में उड़ गया था,,,
शुभम अब तैयार था बिस्तर के मैदान में उतरने के लिए जो कि पहले से ही घमासान जुदाई से बिस्तर पर बिछी चादर पर सिलवटें पड़ चुकी थी दोनों के मदन रस का धब्बा बिस्तर पर बिछे चादर पर अच्छी तरह से नजर आ रहा था,,,, यह धब्बा तो बाजार में बिकने वाले किसी भी सस्ते या महंगे पाउडर से धूल जाने वाले थे लेकिन आज की रात जो दाग शीतल के खूबसूरत तन बदन में लगाया था वह शीतल के जेहन से कभी नहीं मिटने वाले थे बल्कि शीतल आज की रात के हर एक पल को अपने मन में अमिट छाप की तरह संजोकर रखने वाली थी,,,, शुभम अपने लैंड को हिलाते हुए जोर से एक चपत शीतल की गांड पर लगाया।
आहहहह,,,,, क्या कर रहा है,,,,?
तेरी गांड में कितना दम है यह देख रहा हूं मेरी छम्मक छल्लो,,,
मेरी गांड में तो बहुत दम है पता नहीं तेरे लंड में दम है कि नहीं,,,
साली दो बार मेरे लंड का मजा ले चुकी है और कहती है कि लंड में दम है कि नहीं,,,,
यही तो देखना चाहती हुं हरामजादे अभी तक तो तू अपना दम तोड़ के दिखा रहा था पता नहीं गांड में कैसा दिखाएगा,,,?
भोसड़ी की इस लड़की की ताकत का एहसास तुझे अभी तक नहीं हुआ जो तेरी बुर को चोद कर पूरा भोसड़ा बना दिया है अब 9 महीने बाद जब बच्चा पैदा होगा तब तुझे पता चलेगा मेरी ताकत मेरे लंड की ताकत,,,
साले मादरचोद तुझे क्या लगता है कि तेरी इस चुदाई से मैं मां बन जाऊंगी,,,, तुझे बहुत घमंड है अपने लंड पर ना,,, मैं अब देखना चाहती हूं तेरा लंड मेरी गांड में क्या करामत दिखाता है जो तू कहता है ना की गांड मरवाने में कितना मजा आता है मैं भी देखना चाहती हूं कि तू सच कहता है या झूठ कहता है कहीं ऐसा ना हो कि अाधे तक जाकर ही तेरा पानी निकल जाए अगर ऐसा हुआ ना मादरचोद देख लात मारकर तुझे बिस्तर से नीचे गिरा दूंगी फिर तू कभी मेरे पास मत आना लंड हिलाता हुआ,,,
मेरी बुरचोदी,,,, मेरी छिनाल भोसड़ी की देख अब मैं दिखाता हूं तुझे,,,,, हरामजादी मुझ को चैलेंज करती है,,,,
( ऐसा कहते हैं शुभम शीतल के टांगों के बीच में जाकर अपने लिए जगह बना दिया उसकी बड़ी बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया और अपने खड़े लंड को भी हाथ से पकड़ कर उसे हिलाता हुआ जोर-जोर से उसकी गांड के छोटे से छेद पर लंड की सुपाड़े से मारने लगा,,,,, शीतल को बहुत मजा आ रहा था लेकिन वह शर्म के मारे कुछ बोल नहीं रही थी क्योंकि जो जो उसने उसने शुभम को बहुत कुछ बोल गई थी और वह यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि शुभम उसकी कही हुई एक भी बात में गलत साबित नहीं होगा वह अच्छी तरह से जानती थी कि शुभम उसको ऐसा सुख देगा जैसा कि वो कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी लेकिन जोश में आकर उसने जिंदगी में पहली बार इस तरह के शब्दों का प्रयोग करके एकदम गंदी गंदी गाली देते हुए शुभम से बात की थी ना जाने क्यों इस तरह की बातें करने में शीतल को और ज्यादा उत्तेजना का अनुभव हो रहा था और शुभम के द्वारा गाली-गलौज खुद पर सुनने के बावजूद उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी शायद इसीलिए चुदाई करते समय मर्द और औरत गंदी भाषा का प्रयोग करके एक दूसरे को गाली गलौज देते हैं तभी तो उनका आनंद और ज्यादा बढ़ जाता है शुभम के लिए शीतल ने चैलेंज वाली बात कह दी थी जो कि शुभम को गवारा नहीं था शुभम पूरी तरह से मदहोश हो चुका था अब तक उसने अपनी मां के साथ साथ रुचि और उसकी सास की गांड मार चुका था अब शीतल की बारी है और उसे अच्छी तरह से मालूम था कि शीतल की गदराई हुई गांड मारने में उसे जन्नत का मज़ा मिलेगा,,,
इसलिए शुभम अपने लंड के मोटे सुपारी को शीतल की गांड के छोटे से छेद पर कुछ देर तक रगड़ता रहा और शुभम की इस हरकत की वजह से शीतल की हालत खराब होने लगी बार-बार उत्तेजना की मारे उसकी गांड का छोटा सा छेद फूल पिचक रहा था,,,,, वो काफी उत्तेजित हो चुकी थी,,,, गहरी सांसे लेता हुआ शुभम धीरे-धीरे अपने लंड के सुपाड़े को सरसों के तेल की चिकनाहट का सहारा बनाकर उसकी गांड के छोटे से छेद में उतारना शुरू कर दिया वह अपनी कमर पर ज्यादा दबाव दे रहा था ताकि उसके लंड का सुपाड़ा एक झटके में उसकी गांड के छेद में घुस जाए लेकिन शीतल की गांड का छेद कुछ ज्यादा ही छोटा और संकरा था जिसमें सुभम को अपना लंड डालने में काफी मशक्कत उठाना पड़ रहा था,,,,
शीतल को दर्द होना शुरु हो गया था,,, वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि शुभम जिस कार्य को अंजाम देना चाहता था काम बहुत ही कभी नहीं लेकिन असंभव बिल्कुल भी नहीं इसलिए शीतल शुभम का बराबर साथ देते हुए उसी तरह से लेटी रही शुभम धीरे-धीरे करके अपने लड़के सुपारी को उसकी गांड के छोटे से छेद में उतारने की पूरी कोशिश कर रहा था और उसकी कोशिश सफल होती नजर आ रही थी तेल की चिकनाहट और शुभम के थुक और लार की वजह से सुभम के लंड का आधा सुपाड़ा शीतल की गांड के छेद में प्रवेश कर गया,,, शीतल अपने दर्द को दबाने की पूरी कोशिश कर रही थी वह अपने दांतो से अपने होठों को दबाए हुए थी,,,
शुभम भी काफी परेशान नजर आ रहा था उसके माथे से पसीना टपकने लगा था उसे शीतल की गांड में अपना मोटा लंड डालने में काफी मशक्कत उठानी पड़ रही थी इतनी कठिनाई तो उसे अपनी मां की गांड मारने में नहीं हुई थी जितना शीतल की हो रही थी,,, लेकिन शुभम था पक्का मादरचोद इतनी जल्दी हार मानने वाला नहीं था हां उसकी जगह कोई और लड़का होता तो इतने से ही पानी फेंक दिया होता लेकिन शीतल की मदमस्त भरी हुई गदराई जवानी से खेलने के बावजूद भी शुभम बराबर का टिका हुआ था,,,, उसके हमउम्र उम्र छोकरो को ही ले लो मात्र निर्मला को बाथरूम में पेशाब करता हुआ देखकर उसकी बड़ी बड़ी गांड के दर्शन करके ही जितने भी लड़के निर्मला कीमत मस्त जवानी के दर्शन कर रहे होते हैं सब के सब दो-तीन मिनट में भी झड़ जाते हैं और शुभम था कि घंटों से बरकरार था वह तब तक नहीं सकता जब तक औरत को परम सुख की अनुभूति ना करा दे,,,,, इसलिए तो शुभम कोशिश में लगा हुआ था क्योंकि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती और ऐसा ही को शुभम के साथ हो रहा था क्योंकि देखते ही देखते शुभम का पूरा सुपाड़ा शीतल के भूरे रंग के छेद में में घुस गया,,,,,
लेकिन अब शीतल के लिए परीक्षा की घड़ी थी,,, अब यह देखना था कि शीतल दर्द झेल लेती है या नहीं क्योंकि अब शीतल को बहुत दर्द होने वाला था आखिरकार बुर नहीं गांड मारने का इरादा जो बना ली थी,,, वैसे भी दर्द के आगे मजा ही मजा होता है कुछ देर पहले इसका उदाहरण उसे खुद पता चल गया था फिर भी दूर से ज्यादा गांड की चुदाई कुछ ज्यादा ही दर्द देती है इस बात का एहसास उसे शुभम का मोटा सुपड़ा घुसते ही हो गया था वह दांतो से अपने होठों को दबा कर अपने दर्द को छुपाने की पूरी कोशिश कर रही थी,,,,
शुभम यह बात अच्छी तरह से जानता था कि एक झटके में पूरा लंड डालने में शीतल को काफी दिक्कत हो सकती है वह शीतल को मजा तो चखाना चाहता था लेकिन इस तरह से नहीं कि शीतल को किसी भी प्रकार की चोट पहुंच जाए,,, इसलिए वह धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहता था,,,
वह अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर शीतल के गोल गोल खरबूजे को पकड़कर उसे दबाते हुए शीतल से बोला,,,।
अब कैसा लग रहा है मेरी छम्मक छल्लो,,,,
बहुत दर्द हो रहा है शुभम सच कहूं तो मुझे नहीं मालूम था कि इतना दर्द होता है,,,,
पर अभी अभी तो मैंने तुमसे कहा था कि दर्द के आगे मजा ही मजा है,,, देखना जब मेरा पूरा लंड तुम्हारी गांड की गहराई नापेगा तुम कितनी मस्त हो जाओगी,,, मुझ पर विश्वास तो है ना तुमको,,,,,
आहहहहहहह,,,, विश्वास तो है लेकिन डर बहुत लग रहा है,,,,
डरो मत मेरी जान मैं हूं ना मैं सब संभाल लूंगा फिर देखना है गांड मारने में कितना मजा आता है तुम खुद मेरे लंड पर अपनी गांड जोर जोर से पटकोगी,,,,
काश जैसा तुम कह रहे हो वैसा ही हो,,,
तुम चिंता मत करो मेरी रानी सब कुछ वैसा ही होगा जैसा मैं कह रहा हूं,,,,,( इतना कहने के साथ ही शुभम और जोर-जोर से शीतल की चूचियों को दबाता हुआ अपनी कमर का दबाव शीतल की गांड पर बढ़ाने लगा और देखते ही देखते गांड के अंदर के सारे अवरोधों को दूर करता हुआ शुभम का लंड आगे बढ़ रहा था और यह देखकर शीतल के चेहरे पर प्रसन्नता के साथ-साथ दर्द का भाव भी साफ नजर आ रहा था क्योंकि जैसे दूसरे लंड उसकी गांड के अंदर घुसता चला जा रहा था वैसे वैसे दर्द की सीमा बढ़ती जा रही थी। अब शुभम का आधा लंड शीतल की गांड में घुस चुका था,,, शुभम का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि शीतल की गांड मारने मुझसे कुछ ज्यादा ही मुसीबत का सामना करना पड़ रहा था लेकिन फिर भी उसे विश्वास था कि वह अपने उसकी गांड में धंशा कर ही रहेगा,,, शुभम काफी मजा हुआ खिलाड़ी था उसे औरत के साथ कब कैसा बर्ताव करना है यह अच्छी तरह से मालूम था वह धीरे से शीतल के ऊपर पूरी तरह से झुक गया और उसके लाल-लाल होठों को अपने मुंह में लेकर चूसते हुए अपने आधे लंड को भी बाहर निकाल कर उसे वापस हल्के से अंदर डाला थोड़ी देर तक वह शीतल की गांड को अपने आधे लंड से ही मार रहा था,,, देखते ही देखते दर्द भरी कराह मस्ती भरी सिसकारी में बदल गई,,,, शीतल को मजा आने लगा,,, अभी भी शुभम शीतल के लाल लाल होंठों को चूस रहा था और अपनी कमर को हल्के हल्के हिला रहा था शुभम को इस बात का एहसास हो गया कि शीतल को मजा आ रहा है अब लोहा पूरी तरह से गर्म हो चुका था अब हथोड़ा मारने की देरी थी,,,, शुभम बिल्कुल भी देर नहीं करना चाहता था क्योंकि शीतल पूरी तरह से गरमा चुकी थी,,, शुभम अपने दोनों हाथों से शीतल की टांग को चौड़ा करते हुए उसके ऊपर पूरी तरह से पसर गया और अपने लंड को लगभग बाहर निकालते हुए एकदम कच कचा के धक्का लगाया कि उसका लंड एक बारगी सब कुछ चीरता हुआ उसकी गांड में समा गया,,,, एक बार फिर से शुभम ने फतह हासिल कर लेगी लेकिन इस जीत की कीमत शीतल अपने दर्द से चुका रही थी,,,,, वह दर्द से बिलबिला उठी थी मुझे अपनी गांड में उठा रहे दर्द कि कोई थाह नहीं मिल रही थी,,, वो पागलों की तरह अपना सर इधर उधर भटक रही थी और शुभम उसके ऊपर चढ़कर अपना पूरा लंड उसकी गांड में घुसाए हुए उसी तरह से उसके ऊपर लेटा का लेटा रह गया था,,,
शुभम अच्छी तरह से जानता था कि शीतल के दर्द को कैसे शांत करना है,,, वह फिर से शीतल की दोनों चूचियों को अपने हाथों से थाम लिया उसे दबाते हुए उसके होठों का रसपान करने लगा,,,,, शीतल अभी भी दर्द से छटपटा रही थी बार-बार उसे अपने लंड को निकाल लेने का इशारा कर रही थी लेकिन शुभम जानता था कि एक बार लंड गांड से बाहर आ गया तो सब कुछ खत्म,,,, शीतल दोबारा ऊसे अपनी गांड मारने नहीं देगी,,,, इसलिए शुभम चालाकी दिखाते हुए आहीस्ता आहिस्ता उसे एक बार फिर से उत्तेजित करने में जुट गया,,,, और शुभम कि यह युक्ति काम कर गई धीरे-धीरे शीतल पूरी तरह से शांत होने लगी और कब उसका साथ देते हुए उसके होंठों को चूसने लगी यह शुभम को भी पता नहीं चला,,, अब सुबह मौका देखकर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया शीतल खुद ही अपनी दोनों टांगों को ऊपर उठाए हुए थी जिससे शुभम को उसकी गांड मारने में आसानी हो रही थी,,,, देखते ही देखते शीतल को मजा आने लगा शीतल के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज आने लगी शुभम पागलों की तरह उसकी दोनों चूचियों को दबाता हुआ अपनी कमर हिला रहा था शुभम को भी है सब सपना जैसा ही लग रहा था काफी महीना गुजर गया था शीतल से अपने मन की भड़ास निकालने में और जब यह मौका हाथ लगा तो शीतल के साथ-साथ शुभम इस मौके का भरपूर फायदा उठा रहा था,,, उसे नहीं मालूम था कितनी जल्दी उसे शीतल की गांड मारने का भी मौका मिल जाएगा और अपने सपने को हकीकत बनाते हुए एवं अपनी कमर हिलाता हुआ शीतल की गांड मार रहा था,,,
देखते ही देखते पूरे कमरे में शीतल की गर्म सिसकारी की आवाज गूंजने लगी वह काफी काम आते जीत हो चुकी थी वह अपने हाथ को शुभम के बदन पर चारों तरफ घुमा रही थी और बार-बार अपनी देने हथेली को लाकर शुभम की गांड पर रखकर उसकी गांड को पीट रही थी लेकिन ऐसा करने में शुभम को काफी मजा आ रहा था,,,,
दोनों आनंदित हो उठे थे सनम अपनी पोजीशन बदलता हुआ बिस्तर पर लेट गया और शीतल शुभम का इशारा समझते हुए उसके लंड पर धीरे-धीरे बैठते हुए एक बार फिर से सुभम के लंड को अपनी गांड के छेद में उतार ली,,, अब शुभम का लंड बड़े आराम से उसकी गांड के छेद में अंदर बाहर हो रहा था,,,, शुभम के कहे अनुसार शीतल को काफी आनंद की अनुभूति हो रही थी और वह खुद उसके लंड पर अपने गांड को पटक रही थी वो जितना जोर से शुभम के लंड पर अपनी गांड पटकती उतना और ज्यादा उसे मजा आता,,, देखते ही देखते दोनों की सांसो की गति तेज होने लगी और एक बार फिर से दोनों चरम सुख को प्राप्त करते हुए एक दूसरे की बाहों में बाहें डाल कर लंबी लंबी सांसे लेने लगे,,,
सुबह का 4:15 का समय हो रहा था,,, लेकिन अभी भी दोनों बिस्तर पर लेटे हुए थे एकदम नंगे दोनों का मदन रस पूरे बिस्तर पर चादर को गीला किए हुए था,,,, लेकिन फिर भी दोनों की आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी हां शीतल काफी थक चुकी थी जिंदगी में इस तरह का मजा उसने कभी भी नहीं ली थी आज पहली बार उसने इतनी जबरदस्त चुदाई का भरपूर आनंद ली थी,,,,,,
लेकिन धीरे-धीरे एक दूसरे से बातें करते हुए दोनों कब सो गए दोनों को पता नहीं चला,,,,
सुबह डोर बेल की आवाज के साथ दोनों की नींद खुली तो दोनों हैरान रह गए घड़ी में सुबह के 9:00 बज रहे थे,,,
शीतल को समझते देर नहीं लगी थी कि डोर बेल बजाने वाली निर्मला ही है,,,, शुभम को भी इस बात का एहसास हो गया कि काफी देर हो गई है और दरवाजे पर उसकी मां ही होगी इसलिए वह काफी डर गया लेकिन शीतल उसे शांत करते हुए बोली,,,
तुम यही रुको कमरे से बाहर मत आना मैं जा कर देखती हूं कौन है,,,( इतना कहकर शीतल बिस्तर पर से नीचे उतरी और सामने की अलमारी खोलकर उसमें से एक छोटा सा गाऊन निकाल ली मरून कलर का,,, जो कि काफी छोटा था पहनने के बाद वह शीतल की आधी जांघ तक ही पहुंच पाता था,,, इसे छोटे से गाऊन में शीतल और भी ज्यादा सेक्सी लग रही थी,,, शीतल को इस लिबास में देखकर एक बार फिर से शुभम की उत्तेजना का पारा बढ़ने लगा शुभम ललचाई आंखों से उसे देखता रह गया और शीतल कमरे से बाहर चली गई,,,