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Incest एक अधूरी प्यास.... 2 (Completed)

Desi Man

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बढ़िया अपडेट हैं दोस्त
 

rohnny4545

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शीतल के मन की बात सुनते ही निर्मला आश्चर्य से शीतल की तरफ देखने लगी उसी पल भर के लिए यकीन ही नहीं हुआ कि जो शीतल कह रही है वह वास्तविकता उसके मुंह से ही निकली बात है लेकिन यह सच था कि कोई कल्पना नहीं थी और कोई सपना नहीं था शीतल ने अपने मन की बात निर्मला को बताई थी,,,



तूम पागल हो गई हो शीतल,,, तुम्हें पता भी है कि तुम क्या कह रही हो तू शुभम अपने कमरे में जा,,,,


शुभम कहीं नहीं जाएगा शुभम यही बैठेगा क्योंकि जो मैं बता रही हूं उसका हीरो ही शुभम है,,,..

( शुभम को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह वहां बैठे या वहां से चला जाए क्योंकि उसकी मां चाहती थी कि वह वहां से उठकर चला जाए क्योंकि बात ही कुछ ऐसी हो रही थी लेकिन यह एक मां का सोचना था कि उसका बेटा वहां से उठकर चले जाए,,, क्योंकि समय शीतल से जो शख्स बात कर रही थी वह औरत नहीं बल्कि एक मौत ही अगर एक औरत के नजरिए से देखती तो शीतल की बात का उसे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगता लेकिन शुभम वहां से उठकर जाना नहीं चाहता था वह शीतल के खुले पन का पूरी तरह से कायल हो चुका था,,, शीतल प्यासी औरत है यह बात तो अच्छी तरह से जानता था लेकिन इतनी ज्यादा खुली औरत होगी आज उसे पता चल रहा था क्योंकि वह उसकी मां से सीधे-सीधे एक ही बिस्तर पर उसके बेटे को लेकर उसकी मां के साथ चुदाई का खेल खेलना चाहती थी,,, जिसके लिए निर्मला तैयार नहीं थी,,,।)

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देखो निर्मला समझने की कोशिश क्यों नहीं करती अब हम तीनो में कोई भी बात छुपी नहीं है तो क्यों ना हम एक दूसरे के राजदार बनकर कर जिंदगी का मजा लुटे क्योंकि हम तीनों क्या करते हैं यह बात किसी को कानों कान तक नहीं खबर पड़ेगी,,,,


लेकिन शीतल मैं इसके लिए तैयार नहीं हूं वह मेरा बेटा है मैंने उसे तुम्हारे पास भेजी इतना बहुत है अब मैं तुम्हारे साथ मिलकर अपने बेटे की नुमाइश एक ही बिस्तर पर नहीं करना चाहती,,, बस बहुत हो गया तुम्हें लंड की प्यास थी मेरे बेटे से चुदवाना था सो तुम उससे चुदवाली और एक बार नहीं कई बार,,,, लेकिन अब मैं इससे ज्यादा आगे नहीं बढ़ने दूंगी यह बात यहीं पर खत्म होती है,,,,

देखो निर्मला( मुस्कुराते हुए )तुम मुझे कुछ भी कहो मेरे बारे में कुछ भी समझो लेकिन मैं अब तुम्हारी एक भी बात का बुरा नहीं मानूंगी क्योंकि तुम्हारा एहसान मुझ पर बहुत बड़ा है तुम धन्य हो जो शुभम जैसे लड़के को जन्म दि हो,,,, यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानती हो कि एक औरत को क्या चाहिए रहता है,,, पेट है तो भूख भी लगती है जिस्म है तो जरूरत भी पैदा होती है,,,, जिस राह पर तुम चल रही हो उसी राह पर अब मैं चल रही हूं हम दोनों की मंजिल एक ही है,,,, और हम दोनों का हमराही भी एक हैं,,,, मैं ज्यादा कुछ नहीं कहूंगी निर्मला मैं बस इतना कहूंगा कि मेरी बात ठंडे दिमाग से सोच कर उस पर विचार करके मान जाओ वरना मैं अब बहुत आगे निकल चुकी हूं तुम्हारे बेटे की पूरी तरह से गुलाम हो चुकी हूं (शुभम की तरफ देखते हुए) और तुम्हारे बेटे के साथ संभोग करने के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं अगर तुम ठीक से नहीं मानोगी तो तुम दोनों का वीडियो मेरे पास है,,,,, अब मैं चलती हूं ठीक से तुम दोनों मां-बेटे बैठकर आपस में फैसला करके मुझे जरूर बताना और उम्मीद करती हूं कि तुम दोनों का फैसला मेरे हक में होगा,,,



इतना कहकर शीतल निर्मला के घर से बाहर निकल गई बहुत दोनों उसे घर से बाहर जाता हुआ देखते रहे शुभम तो शीतल का पूरी तरह से दीवाना हो चुका था क्योंकि जिस बेशर्मी से उसने बिना डरे अपने मन की बात कही थी उसे से वह शीतल की तरह पूरी तरह से आकर्षित हो चुका था खास करके उसकी एक ही बिस्तर पर तीनों मिलकर आनंद लेने वाली बात पर भी तो वह एकदम बाग बाग हो चुका था,,, अगर सब कुछ सही हुआ तो एक ही बिस्तर पर दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत और दुनिया की सबसे सेक्सी कामुक औरत शीतल के साथ चुदाई का भरपूर आनंद लेगा शुभम,,,, शुभम को यकीन था कि शीतल ने जिस तरह से वीडियो वाली बात कह कर एक तरह से उसकी मां को धमकी दी है उसकी मां जरूर मान जाएगी और उसका सपना भी सच हो जाएगा,,, शुभम की तो कल्पना का घोड़ा बड़ी तेजी से भागने भी लगा उसकी आंखों के सामने कमरे के अंदर एक ही बिस्तर पर उसकी मदमस्त जवानी से भरपूर मां और शीतल दोनों एकदम नंगी होकर उसके जिस्म से खेल रहे थे,,,, कल्पना ही इतना उन्मादक था कि देखते-देखते शुभम का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,,।


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कमरे में दोनों के बीच पूरी तरह से खामोशी छाई हुई थी शुभम कुछ बोलना नहीं चाह रहा था वह तो सिर्फ अपनी मां के द्वारा लिए गए फैसले के बारे में सोच रहा था जो कि अभी वह अपने ही मन में सोच रही थी,,,,, कुछ देर और सोचने के बाद निर्मला बोली,,,।

जैसा तू कह रहा था वैसा ही हुआ वह उस वीडियो की कॉपी रखी हुई है,,,

मम्मी हम लोग के पास उसकी बात मानने के सिवा कोई रास्ता नहीं है,,,।

हां तू तो मानेगा ही तुझे तो मजा ही मजा है,,, एक साथ दो दो औरत की चुदाई जो करने को मिलेगी,,,,

मम्मी तुम गलत समझ रही हो,,,, तुम्हें बात अच्छी तरह से जानती हो कि जब तक सीकर के पास हम दोनों की वीडियो है तब तक हम दोनों उसके हाथों की कठपुतली है जैसा वह नचाएगी वैसा ही हम दोनों को नाचना होगा,,,


( अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला कुछ देर तक सोचने पर मजबूर हो गई क्योंकि जो कुछ भी शुभम कह रहा था उसमें शत प्रतिशत सच्चाई थी शीतल के पास उन दोनों की वीडियो जो कि नहीं थी फिर भी वह झूठ बोलकर निर्मला को धमकी देकर गई थी जिस पर निर्मला विचार करने पर विवश हो चुकी थी ना चाहते हुए भी उसे इस बात को मानना पड़ा कि जो कुछ भी शीतल कह रही है उसे मानने में ही भलाई है फिर भी वह दबे मन से अपनी बेटे से बोली,,,)


लेकिन शुभम उसकी हर बात शायद मान भी लूं लेकिन एक साथ तीन लोग एक ही बिस्तर पर एकदम नंगे मुझे बड़ा अजीब लग रहा है,,,

अजीब कैसे लग रहा है मम्मी,,, भूल गई मामा की लड़की मैं और तुम तीनों एक साथ एक ही बिस्तर पर पहले भी तीन लोगों का मजा ले चुके हैं,,,, और तुम देखी नहीं थी चुदाई करवानी की ललक मामा की लड़की में इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी कि वह तुम्हारे सामने ही अपने कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर मेरे लंड का मजा ले रही थी वह भी तुमसे बिना शर्माए,,,,,,,( शुभम की यह बात सुनकर ही निर्मला की आंखों के सामने वह दृश्य तैरने लगे जब वह सच में गांव गई हुई थी और वहां पर चोरी-छिपे शुभम के मामा की लड़की ने उन दोनों की गरमा गरम चुदाई को अपनी आंखों से देख ली थी और उन्हें रंगे हाथ पकड़ ली थी लेकिन किसी तरह से उन दोनों की गरमा गरम चुदाई की गर्मी वह बर्दाश्त नहीं कर पाई और वह खुद उन दोनों ने शामिल होकर चुदाई का मजा लेने लगी यह बात बिल्कुल सस्ती की पहली बार निर्मला और शुभम दोनों एक साथ तीन-तीन जन का मजा ले रहे थे और इस खेल में उन तीनों को बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी,,,, जैसा गांव में हुआ था ठीक वैसा ही निर्मला को इधर अपने ही घर में रंगे हाथ पकड़े जाने पर शीतल एक बार फिर से तीन जनों की चुदाई का खेल खेलने के लिए कह रही थी निर्मला का एक मन प्रसन्ना भी था तो दूसरे उसे घबराहट भी हो रही थी,,,

तेरी बात सब सच है शुभम लेकिन फिर भी बड़ा अजीब लग रहा है शीतल मेरे बचपन की सहेली हैं मेरे बारे में , उसने आज तक सब कुछ अच्छा ही सोचती आई है मैं उसकी नजर में वह संस्कारी और मर्यादा से भरी हुई औरत हूं,,, तुम सोचो मैं उसके सामने कैसे अपने कपड़े उतार कर लेंगे हो जाओगी और कैसे उसकी आंखों के सामने तुम्हारी मम्मी को अपनी बुर में लेकर चुदाई का मजा लुंगी,,,

मम्मी ये शायद आप भूल रही हैं कि वह अपनी आंखों से ही हम दोनों की गरमा गरम चुदाई को देख चुकी हैं,,,, और हम दोनों की कामलीला देखने के बाद ही वह अपनी लीला शुरू की है अब उसकी नजर में तुम कोई मर्यादा सील चरित्रवान संस्कारी औरत नहीं रह गई हो,,,, इसलिए मैं कह रहा हूं सब कुछ भूलकर जैसा वह कह रही हैं वैसा ही हम तीनों मिलकर जिंदगी का मजा ले,,,,,

लेकिन सुभम,,,

अब कुछ मत कहो मम्मी यह मत बोलो कि हम दोनों की वीडियो उसके पास है और जब तक उसकी मोबाइल से हम अपनी कामलीला के सबूत को मिटा नहीं देती तब तक हमें वैसा ही करना होगा जैसा वह चाहती है और तुम चिंता बिल्कुल मत करो मैं ऐसा कुछ करूंगा कि वह खुद मेरी जाल में फंस जाएगी और खुद ब खुद उसे अपने मोबाइल में से हम दोनों की चुदाई वाला वीडियो डिलीट करना होगा,,,

क्या सच में शुभम में ऐसा हो पाएगा,,,,



क्यों नहीं मम्मी सब कुछ हो पाएगा मामा की लड़की ने आज तक किसी को बताई कि तुम मेरे से चुदवाती हो,,,, नहीं ना,,,,, क्योंकि वह खुद मेरे लंड का मजा ले चुकी है मुझसे छोटू आ चुकी है हम दोनों का राज बोलेगी तो उसे भी को डर है कि उसका भी राज खुल जाएगा इसलिए तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो बस सब कुछ भूल कर जिंदगी का मजा लो,,,,,,,
( शुभम की बातें सुनकर निर्मला का भी मन बहकने लगा शीतल की कही गई बातों से उसे वह पल याद आने लगा था जब वह अपने ही भाई की लड़की के साथ मिलकर अपने बेटे से चुदाई का जबरदस्त खेल खेली थी और उस खेल खेलने में उसे इतना आनंद आया था कि आज तक उस पल
को याद करके उसके बदन में गनगनाहट होने लगती है,,, उस समय गूंज रही पूरे कमरे में उसकी और उसके भाई की लड़की की गर्म सिसकारिर्यों की आवाज अब तक उसके जेहन में गूंजती रहती है,,, कुर्सी पर बैठे हुए कुछ देर तक निर्मला उसी पल को याद करके उन यादों में खोने लगे तो शुभम उसकी तंद्रा भंग करते हुए बोला,,,।)

मम्मी शीतल को फोन करके कह दो कि तुम तैयार हो,,,,

नहीं-नहीं शुभम तू ही उसे फोन करके कह दे मुझसे यह नहीं कहा जाएगा ना जाने क्यों शर्म महसूस होती है ,,,,

अच्छा तो शर्म आ रही है देखना जब हम तीनों एक कमरे में होंगे बिना कपड़ों के तब तुम ही खुद उसकी आंखों के सामने अपनी बड़ी बड़ी गांड को मेरे लंड के ऊपर रखकर जोर-जोर से उठक बैठक करोगी,,,,

तब की तब देखी जाएगी,,,,,

ठीक है मम्मी मैं फोन करके शीतल को बता देता हूं,,,,

इतना कहकर शुभम उसे फोन करने के लिए अपने कमरे में जाने ही वाला था कि उसे आवाज देकर रोकते हुए हैं निर्मला बोली,,,,


अच्छा रहने दे मैं ही फोन फोन पर उसे बता दूंगी,,,,

क्यों अब शर्म नहीं आएगी,,,

शर्म करके अब कोई फायदा नहीं है मेरी आंखों के सामने वह बेशर्म होकर तुझे पाने के लिए अपनी सारी हदें पार कर दे रही है तो क्या मैं तुझे अपना बना कर रखने के लिए इतना भी नहीं कर सकती,,,,( अपनी मां की है बातें सुनकर शुभम एक टक अपनी मां को देखने लगा शुभम को अपनी मां की आंखों में शीतल को लेकर जलन साफ नज़र आ रही थी,,,, सुबह में अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां कभी नहीं चाहती थी कि उसका लड़का किसी और औरत के साथ शारीरिक संबंध बनाए जो सुख उसे देता है वही सुख किसी गैर औरत को दें,,, लेकिन अब वह मजबूर हो चुकी थी अपने ही बेटे को किसी गैर औरत के साथ बांटने के लिए,,,, चाहे कुछ भी हो शुभम के तो दोनों हाथों में लड्डू था जिसका मजा हुआ धीरे-धीरे लेना चाहता था औरतों के साथ संबंध के मामले में शुभम की किस्मत काफी तेज नजर आ रही थी,,,, उसके साथ कुछ ऐसा हो जाता था कि औरतें खुद ब खुद उसकी झोली में आकर गिर जाती थी,,, शुभम मुस्कुराता हुआ फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चला गया,,,, निर्मला जो कुछ देर पहले अपने बेटे को किसी को औरत के साथ देख कर जल भुन रही थी अब वह काफी उत्सुक थी आने वाले समय के लिए शीतल के द्वारा उन तीनों को मिलकर एक साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाने की ऑफर को सुनकर अब निर्मला के मन में भी लालसा जगने रखी थी हालांकि वह पहले भी अपने भाई की लड़की के साथ मिलकर अपने बेटे के साथ चुदाई का आनंद ले चुकी थी जिसमें वह काफी आनंदित होकर चरमोत्कर्ष को प्राप्त की थी अब एक बार फिर से अपनी हम उम्र शीतल के साथ मिलकर अपने बेटे के साथ चुदाई का खेल खेलने के लिए उत्सुक हुए जा रहे थे देखना चाह रही थी कि दो उम्र दराज कसी जवानी की मालकीन औरतों के साथ शुभम ठीक से अपनी मर्दाना ताकत का जोर दिखा पाता है कि नहीं,,,,, यह सोचकर ही निर्मला की पेंट गीली होती हुई महसूस होने लगी और अपनी गीली हो रही पेंटी के बारे में सोच कर वह मन ही मन सोचने लगी कि औरतों की जिस्मानी प्यास भी क्या चीज है कुछ देर पहले जो किसी गैर औरत के बारे में सोच कर ही उसे गोदारा था अब उसी के साथ मिलकर अपने बेटे के साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाने के लिए उसका मन उतावला हुआ जा रहा था,,,, इतनी बात मन में सोच कर वह शीतल को फोन लगा दी,,,।
सीता नहाने की तैयारी कर रही थी वह बाथरूम में एकदम नंगी होकर सावर चालू करने की जा रही थी कि मोबाइल की घंटी बज उठी थी और वह उसी तरह से एकदम नंगी होकर बाथरुम से बाहर आई और अपने मोबाइल स्क्रीन पर निर्मला का नाम देखते ही उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई,,, वह फोन रिसीव करके बोली,,,,

बोलो मेरी जान तो क्या फैसला ली हो,,,,

मैं तुम्हारी बात पर बहुत विचार करने के बाद फैसला रही हूं कि जो तुम कह रही हो वैसा ही होगा,,,,।




वाह मेरी जान यह कहकर तुमने तो मुझे खुश कर दि हो,,
तुम जानती हो मैं बाथरूम में नहाने की तैयारी कर रही थी एकदम कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर क्योंकि कल तुम्हारे बेटे ने रात भर मुझे ऐसा परेशान किया है कि मेरा बदन अभी तक दर्द कर रहा है जगह-जगह उसके काटने का निशान बना हुआ है और तो और तुम्हारे बेटे का लंड इतना मोटा तगड़ा था कि उसने मेरी बुर में डालकर ऐसी चुदाई किया है कि मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही हूं ,,,,,।


तो यह सब तुम मुझे जलाने के लिए सुना रही हो,,,

नहीं नहीं मेरी जान मैं तो सिर्फ यह बताना चाह रही हूं कि हम दोनों को बहुत ही ज्यादा मजा आने वाला हूं क्योंकि मुझे पूरा यकीन है कि तुम्हारा बेटा अपने मोटे तगड़े लंड से हम दोनों की बुर का रस निचोड़ कर रख देगा,,,,,
( शीतल के मुंह से अपने बेटे की मर्दाना ताकत की तारीफ सुनकर वह मन ही मन प्रसन्न हो रही थी लेकिन बोल कुछ नहीं रही थी,,)

लेकिन यह होगा कैसे मेरा मतलब है कहां पर होगा,,, मेरे घर में तो अगर मेरे पति को पता चल गया तो सब बर्बाद हो जाएगा,,,,

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं थोड़ी देर में तुम्हारे घर पर आती हूं और सब प्लान बताते हैं अब मैं नहाने जा रही हूं तुम्हें शायद पता नहीं मैं अपने घर में एकदम नंगी होकर घूम रही हु,,,

क्या एकदम नंगी होकर,,,,

हां मेरी जान एकदम नंगी होकर क्या करूं तुम्हारे बेटे ने रातभर मेरी चुदाई करके मस्त कर दिया है अभी तक उसके लंड की मोटाई मुझे अपनी बुर के अंदर महसूस हो रही हैं,, मैं तो एकदम पागल हो गई हूं,,,,, अच्छा मैं फोन रखती हूं मैं नहा कर तुम्हारे घर आती हूं,,,( इतना कहकर शीतल फोन काट दी और सीधा बाथरूम में घुस गई उधर शीतल की बात सुनकर निर्मला के बदन में खुमारी छाने लगी थी,,, उसकी बुर से नमकीन पानी रिस रहा था शीतल ने जिस तरह से उसे रात भर की गरमा गरम बातें टोन में बोलकर बताई थी उससे निर्मला की बुर में खुजली होने लगी थी,,,,
वह सीधा अपने बेटे के कमरे में पहुंच गई जहां पर वह नहा कर फ्रेश होकर पीठ के बल लेटा हुआ था लेकिन शीतल की मदमस्त गर्म जवानी और आने वाले पल में एक साथ सीतल और उसकी मां की लेने की कल्पना में खोया हुआ होने की वजह से उसके पैजामे में तंबू बना हुआ था,,, विमला अपनी बेटे के कमरे में पहुंचकर अपने बेटे के पजामे की तरफ नजर दौड़ाई तो पजामें में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था,,, जिसे देखकर निर्मला के मुंह में पानी आ गया,,,

क्यों रे मादरचोद शीतल रंडी के बारे में सोच कर तेरा खड़ा हुआ है ना,,,,

नहीं मम्मी ऐसी कोई बात नहीं है यह तो बस ऐसे ही,,,


भोसड़ी वाले मैं अच्छी तरह से तुझे जान गई हूं तू एक नंबर का माधरचोद है,,,, साले रंडी की औलाद नई बुर देखा नहीं की लार टपकाता हुआ पीछे पीछे दौड़ने लगा,,,,,

यह क्या कह रही हो मम्मी,,,,( निर्मला एकदम गुस्से में थी इसलिए शुभम अपनी मां की बातें सुनकर घबरा रहा था क्योंकि इस तरह की बातें सिर्फ चुदाई करते समय करती थी जो कि इतनी गंदी भी नहीं करती थी लेकिन आज वह कुछ और मूड में थी आज शीतल को लेकर शायद उन्हें जलन हो रही थी यही सब शुभम के मन में अपनी मां की बातें सुन कर चल रहा था,,, कि तभी एक झटके से निर्मला अपने बेटे के पजामे को पकड़ कर उसे खींचकर घुटनों तक कर दी,,, अगले ही पल सुभम का मोटा तगड़ा लंड अपनी औकात में आ कर छत की तरह मुंह उठाए खड़ा था,,, निर्मला अपने बेटे के खड़े लंड की तरफ देखते हुए बोली,,,,

भोसड़ी वाले मादरचोद शीतल की याद में इतना मस्त हुआ है कि रात भर उसको चोदने के बाद अभी भी तेरा लंड खड़ा है मादरचोद मेरी बुर से तेरा मन भर गया क्या,,,,,


नहीं नहीं मम्मी ऐसी कोई बात नहीं है ऐसा भला हो सकता है क्या,,,

भोसड़ी के ऐसा ही हुआ है,,,( ऐसा कहते हुए निर्मला घुटनों के सहारे बिस्तर पर चढ़ गई और घुटनों के सहारे आगे बढ़ते हुए देखते ही देखते अपने बेटे की कमर के इर्द-गिर्द अपने दोनों घुटने दिखाकर अपने लिए एकदम पोजिशन बना ली,,,)
मादरचोद रंडी की औलाद मेरी जवानी तुझे कम पड़ने लगी ना,,,, मादरचोद शीतल का दीवाना हो गया है तू शीतल चाहे जो भी हो लेकिन मेरी बुर के नीचे है,,,, उसकी जवानी मेरे झांठ के बाल के बराबर भी नहीं है,,,,

यह तुम्हें क्या हो गया है मम्मी कैसी कैसी बातें कर रही हो,,,

चुप भोंसड़ी के मादरचोद,,,, भोसड़ी चोदी का औलाद मुझे सिखाता हैं,,,,
( शीतल के प्रति निर्मला के मुंह से उसके लिए जलन की भावना निकल रही थी,,, लेकिन फिर भी निर्मला एकदम उत्तेजक मुद्रा में नजर आ रही थी जिस तरह से वह शुभम के ऊपर बैठी हुई थी शुभम का मोटा तगड़ा घंटे बार-बार उसकी चिकनी जांघों से टकरा जा रहा था,,, जिससे शुभम के बदन में आग लग जा रही थी वह खुद अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालकर उसे चोदना चाहता था लेकिन जिस तरह से वह गुस्से में थी उसे देखकर बहुत डर रहा था,,,)

साले मादरचोद शीतल का दीवाना है मैंने भोसड़ी के शीतल के ऊपर तो मैं मुत दुं तो वह बह जाए,,,,।( इतना कहते हुए शीतल धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी,,,।)

साले हरामजादे मेरी बुर से ज्यादा गर्मी क्या उसकी बुर में है,,, देखना आज अपनी बुर में तेरा लंड डालकर कैसे उसे पिघलाती हुंं( इतना कहने के साथ ही निर्मला अपनी साड़ी कमर तक उठाती कमर के नीचे को पूरी तरह से नंगी हो गई को देखते-देखते अपने बेटे के लंड को पकड़ कर उसे अपनी गुलाबी बुर के अंदर डालना शुरू कर दी और अगले ही पल अपनी भारी भरकम गांड को धीरे-धीरे उसके लंड पर रखकर उसे अंदर गटकना शुरू कर दी,,,,

भोसड़ी के मादरचोद रंडी की औलाद क्या मुझसे ज्यादा मजा आता है उसमें,,,,, देख आज मैं तुझे ऐसा मजा दूंगी कि तू पागल हो जाएगा,,,, मादरचोद,,,,
( अपनी मां का यह रूप देख कर शुभम पूरी तरह से घबराया हुआ तो था ही लेकिन अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव भी कर रहा था उसका पूरा बदन पसीना पसीना हो गया था देखते ही देखते निर्मला अपनी भारी भरकम गांड को धीरे-धीरे नीचे की तरफ करते हुए शुभम के मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर की गहराई में उतार ली,,,,, और उसके ऊपर जोर जोर से कूदना शुरू कर दी साथ में गंदी गंदी गालियों से उसका जोश बढ़ाते जा रही थी,,,।)

भोसड़ी के मादरचोद एक औरत को चोदते चोदते तेरा मन भर गया तो दूसरी औरत को चोदना शुरू कर दिया,,, यह मत भूल मादरचोद तुझे मैंने ही तैयार की है अगर मैं तुझे तैयार कर सकती हूं तो तुझे मिटा भी सकती हूं,,,, भोसड़ी के मादरचोद आखिर तू एक मार दे यह साबित कर दिया साला एक से मन भर गया तो दूसरी पर फिदा हो गया,,,,
( ऐसा कहते हुए निर्मला जोर-जोर से अपनी गांड को अपने बेटे के लंड पर पटक रही थी,,,, निर्मला पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी साथ ही अपनी मां का यह रूप देखकर शुभम भी पागल हुआ जा रहा था रह रहे कर नीचे से मौका देखकर शुभम भी ऊपर की तरफ कमर ऊछाल दे रहा था,,, लेकिन निर्मला शुभम के ऊपर पूरी तरह से हावी हो चुकी थी वह अपनी दोनों हथेलियों को सुभम के सीने पर रखकर जोर-जोर से अपने बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे के लंड पर पटक रही थी,,,,, शुभम लाचार होकर अपनी मां के नीचे लेटा हुआ था,,,, कुछ देर तक ऐसा नहीं चलता रहा निर्मला अपने बेटे को जरा भी मौका नहीं दे रही थी कुछ करने के लिए आज वह अपने बेटे से खेलना चाहती थी लेकिन कुछ देर बाद वह झड़ने के बेहद करीब पहुंच गई उसकी सांसे तेज चलने लगी तो मौका देखकर शुभम अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की कमर को थामकर उसे हल्का सा ऊपर की तरफ उठाया,,, और अपनी ताकत दिखाते हुए ऐसा पलटी मारा कि अगले ही पल उसकी मां चित्त होकर पीठ के बल लेट गई और शुभम उसके ऊपर सवार हो गया उसकी टांगों के बीच,,, लेकिन ऐसा करने में शुभम ने अपने लंड को अपनी मां की बुर से एक पल के लिए भी अलग नहीं किया,,,,। आप शुभम अपनी मां के ऊपर था,,,

साली हरामजादी मादरचोद रंडी जितनी बार कहां हो कि मैं तेरे सिवा किसी और औरत को चोदकर इतना मजा नहीं लेता हूं जितना कि तेरे से लेता हूं,,, तेरी बुर जितना मुझे मजा देती है उतना किसी की बुर से नहीं आता,,,
साली भोंसड़ी बहुत लंड लेने का शौक है ना तुझे,,, मादरचोद अब ले,,,

इतना कहने के साथ ही शुभम अपनी कमर को जोर-जोर से चलाना शुरु कर दिया अब निर्मला अपने बेटे की जबरदस्त चुदाई से एकदम मस्त होने लगी,,, उसके मुंह से गालियां की जगह गर्म सिसकारियां पूरे कमरे में गुंज रही थी,,,,
देखते ही देखते एक बार फिर से निर्मला के साथ-साथ शुभम भी झड़ने लगा निर्मला एकदम मस्त हो चुकी थी उसे अपने बेटे की जबरदस्त चुदाई देखकर समझ में आ गया कि आप जो खेल शीतल को लेकर खेला जाएगा उसमें बहुत मजा आने वाला है,,,, शुभम रह-रहकर हल्के हल्के धक्के लगा रहा था,,,, निर्मला चरम सुख को पाकर गहरी गहरी सांसे ले ही रही थी कि तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी निर्मला समझ गई किसी शीतल आ चुकी है इसलिए मैं बिस्तर से उठ कर अपने कपड़े दुरुस्त करके दरवाजा खोलने चली गई,,,।
 
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amita

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शीतल के मन की बात सुनते ही निर्मला आश्चर्य से शीतल की तरफ देखने लगी उसी पल भर के लिए यकीन ही नहीं हुआ कि जो शीतल कह रही है वह वास्तविकता उसके मुंह से ही निकली बात है लेकिन यह सच था कि कोई कल्पना नहीं थी और कोई सपना नहीं था शीतल ने अपने मन की बात निर्मला को बताई थी,,,।

तूम पागल हो गई हो शीतल,,, तुम्हें पता भी है कि तुम क्या कह रही हो तू शुभम अपने कमरे में जा,,,,


शुभम कहीं नहीं जाएगा शुभम यही बैठेगा क्योंकि जो मैं बता रही हूं उसका हीरो ही शुभम है,,,..

( शुभम को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह वहां बैठे या वहां से चला जाए क्योंकि उसकी मां चाहती थी कि वह वहां से उठकर चला जाए क्योंकि बात ही कुछ ऐसी हो रही थी लेकिन यह एक मां का सोचना था कि उसका बेटा वहां से उठकर चले जाए,,, क्योंकि समय शीतल से जो शख्स बात कर रही थी वह औरत नहीं बल्कि एक मौत ही अगर एक औरत के नजरिए से देखती तो शीतल की बात का उसे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगता लेकिन शुभम वहां से उठकर जाना नहीं चाहता था वह शीतल के खुले पन का पूरी तरह से कायल हो चुका था,,, शीतल प्यासी औरत है यह बात तो अच्छी तरह से जानता था लेकिन इतनी ज्यादा खुली औरत होगी आज उसे पता चल रहा था क्योंकि वह उसकी मां से सीधे-सीधे एक ही बिस्तर पर उसके बेटे को लेकर उसकी मां के साथ चुदाई का खेल खेलना चाहती थी,,, जिसके लिए निर्मला तैयार नहीं थी,,,।)

देखो निर्मला समझने की कोशिश क्यों नहीं करती अब हम तीनो में कोई भी बात छुपी नहीं है तो क्यों ना हम एक दूसरे के राजदार बनकर कर जिंदगी का मजा लुटे क्योंकि हम तीनों क्या करते हैं यह बात किसी को कानों कान तक नहीं खबर पड़ेगी,,,,


लेकिन शीतल मैं इसके लिए तैयार नहीं हूं वह मेरा बेटा है मैंने उसे तुम्हारे पास भेजी इतना बहुत है अब मैं तुम्हारे साथ मिलकर अपने बेटे की नुमाइश एक ही बिस्तर पर नहीं करना चाहती,,, बस बहुत हो गया तुम्हें लंड की प्यास थी मेरे बेटे से चुदवाना था सो तुम उससे चुदवाली और एक बार नहीं कई बार,,,, लेकिन अब मैं इससे ज्यादा आगे नहीं बढ़ने दूंगी यह बात यहीं पर खत्म होती है,,,,

देखो निर्मला( मुस्कुराते हुए )तुम मुझे कुछ भी कहो मेरे बारे में कुछ भी समझो लेकिन मैं अब तुम्हारी एक भी बात का बुरा नहीं मानूंगी क्योंकि तुम्हारा एहसान मुझ पर बहुत बड़ा है तुम धन्य हो जो शुभम जैसे लड़के को जन्म दि हो,,,, यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानती हो कि एक औरत को क्या चाहिए रहता है,,, पेट है तो भूख भी लगती है जिस्म है तो जरूरत भी पैदा होती है,,,, जिस राह पर तुम चल रही हो उसी राह पर अब मैं चल रही हूं हम दोनों की मंजिल एक ही है,,,, और हम दोनों का हमराही भी एक हैं,,,, मैं ज्यादा कुछ नहीं कहूंगी निर्मला मैं बस इतना कहूंगा कि मेरी बात ठंडे दिमाग से सोच कर उस पर विचार करके मान जाओ वरना मैं अब बहुत आगे निकल चुकी हूं तुम्हारे बेटे की पूरी तरह से गुलाम हो चुकी हूं (शुभम की तरफ देखते हुए) और तुम्हारे बेटे के साथ संभोग करने के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं अगर तुम ठीक से नहीं मानोगी तो तुम दोनों का वीडियो मेरे पास है,,,,, अब मैं चलती हूं ठीक से तुम दोनों मां-बेटे बैठकर आपस में फैसला करके मुझे जरूर बताना और उम्मीद करती हूं कि तुम दोनों का फैसला मेरे हक में होगा,,,

इतना कहकर शीतल निर्मला के घर से बाहर निकल गई बहुत दोनों उसे घर से बाहर जाता हुआ देखते रहे शुभम तो शीतल का पूरी तरह से दीवाना हो चुका था क्योंकि जिस बेशर्मी से उसने बिना डरे अपने मन की बात कही थी उसे से वह शीतल की तरह पूरी तरह से आकर्षित हो चुका था खास करके उसकी एक ही बिस्तर पर तीनों मिलकर आनंद लेने वाली बात पर भी तो वह एकदम बाग बाग हो चुका था,,, अगर सब कुछ सही हुआ तो एक ही बिस्तर पर दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत और दुनिया की सबसे सेक्सी कामुक औरत शीतल के साथ चुदाई का भरपूर आनंद लेगा शुभम,,,, शुभम को यकीन था कि शीतल ने जिस तरह से वीडियो वाली बात कह कर एक तरह से उसकी मां को धमकी दी है उसकी मां जरूर मान जाएगी और उसका सपना भी सच हो जाएगा,,, शुभम की तो कल्पना का घोड़ा बड़ी तेजी से भागने भी लगा उसकी आंखों के सामने कमरे के अंदर एक ही बिस्तर पर उसकी मदमस्त जवानी से भरपूर मां और शीतल दोनों एकदम नंगी होकर उसके जिस्म से खेल रहे थे,,,, कल्पना ही इतना उन्मादक था कि देखते-देखते शुभम का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,,।

कमरे में दोनों के बीच पूरी तरह से खामोशी छाई हुई थी शुभम कुछ बोलना नहीं चाह रहा था वह तो सिर्फ अपनी मां के द्वारा लिए गए फैसले के बारे में सोच रहा था जो कि अभी वह अपने ही मन में सोच रही थी,,,,, कुछ देर और सोचने के बाद निर्मला बोली,,,।

जैसा तू कह रहा था वैसा ही हुआ वह उस वीडियो की कॉपी रखी हुई है,,,

मम्मी हम लोग के पास उसकी बात मानने के सिवा कोई रास्ता नहीं है,,,।

हां तू तो मानेगा ही तुझे तो मजा ही मजा है,,, एक साथ दो दो औरत की चुदाई जो करने को मिलेगी,,,,

मम्मी तुम गलत समझ रही हो,,,, तुम्हें बात अच्छी तरह से जानती हो कि जब तक सीकर के पास हम दोनों की वीडियो है तब तक हम दोनों उसके हाथों की कठपुतली है जैसा वह नचाएगी वैसा ही हम दोनों को नाचना होगा,,,
( अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला कुछ देर तक सोचने पर मजबूर हो गई क्योंकि जो कुछ भी शुभम कह रहा था उसमें शत प्रतिशत सच्चाई थी शीतल के पास उन दोनों की वीडियो जो कि नहीं थी फिर भी वह झूठ बोलकर निर्मला को धमकी देकर गई थी जिस पर निर्मला विचार करने पर विवश हो चुकी थी ना चाहते हुए भी उसे इस बात को मानना पड़ा कि जो कुछ भी शीतल कह रही है उसे मानने में ही भलाई है फिर भी वह दबे मन से अपनी बेटे से बोली,,,)


लेकिन शुभम उसकी हर बात शायद मान भी लूं लेकिन एक साथ तीन लोग एक ही बिस्तर पर एकदम नंगे मुझे बड़ा अजीब लग रहा है,,,

अजीब कैसे लग रहा है मम्मी,,, भूल गई मामा की लड़की मैं और तुम तीनों एक साथ एक ही बिस्तर पर पहले भी तीन लोगों का मजा ले चुके हैं,,,, और तुम देखी नहीं थी चुदाई करवानी की ललक मामा की लड़की में इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी कि वह तुम्हारे सामने ही अपने कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर मेरे लंड का मजा ले रही थी वह भी तुमसे बिना शर्माए,,,,,,,( शुभम की यह बात सुनकर ही निर्मला की आंखों के सामने वह दृश्य तैरने लगे जब वह सच में गांव गई हुई थी और वहां पर चोरी-छिपे शुभम के मामा की लड़की ने उन दोनों की गरमा गरम चुदाई को अपनी आंखों से देख ली थी और उन्हें रंगे हाथ पकड़ ली थी लेकिन किसी तरह से उन दोनों की गरमा गरम चुदाई की गर्मी वह बर्दाश्त नहीं कर पाई और वह खुद उन दोनों ने शामिल होकर चुदाई का मजा लेने लगी यह बात बिल्कुल सस्ती की पहली बार निर्मला और शुभम दोनों एक साथ तीन-तीन जन का मजा ले रहे थे और इस खेल में उन तीनों को बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी,,,, जैसा गांव में हुआ था ठीक वैसा ही निर्मला को इधर अपने ही घर में रंगे हाथ पकड़े जाने पर शीतल एक बार फिर से तीन जनों की चुदाई का खेल खेलने के लिए कह रही थी निर्मला का एक मन प्रसन्ना भी था तो दूसरे उसे घबराहट भी हो रही थी,,,

तेरी बात सब सच है शुभम लेकिन फिर भी बड़ा अजीब लग रहा है शीतल मेरे बचपन की सहेली हैं मेरे बारे में , उसने आज तक सब कुछ अच्छा ही सोचती आई है मैं उसकी नजर में वह संस्कारी और मर्यादा से भरी हुई औरत हूं,,, तुम सोचो मैं उसके सामने कैसे अपने कपड़े उतार कर लेंगे हो जाओगी और कैसे उसकी आंखों के सामने तुम्हारी मम्मी को अपनी बुर में लेकर चुदाई का मजा लुंगी,,,

मम्मी ये शायद आप भूल रही हैं कि वह अपनी आंखों से ही हम दोनों की गरमा गरम चुदाई को देख चुकी हैं,,,, और हम दोनों की कामलीला देखने के बाद ही वह अपनी लीला शुरू की है अब उसकी नजर में तुम कोई मर्यादा सील चरित्रवान संस्कारी औरत नहीं रह गई हो,,,, इसलिए मैं कह रहा हूं सब कुछ भूलकर जैसा वह कह रही हैं वैसा ही हम तीनों मिलकर जिंदगी का मजा ले,,,,,

लेकिन सुभम,,,

अब कुछ मत कहो मम्मी यह मत बोलो कि हम दोनों की वीडियो उसके पास है और जब तक उसकी मोबाइल से हम अपनी कामलीला के सबूत को मिटा नहीं देती तब तक हमें वैसा ही करना होगा जैसा वह चाहती है और तुम चिंता बिल्कुल मत करो मैं ऐसा कुछ करूंगा कि वह खुद मेरी जाल में फंस जाएगी और खुद ब खुद उसे अपने मोबाइल में से हम दोनों की चुदाई वाला वीडियो डिलीट करना होगा,,,

क्या सच में शुभम में ऐसा हो पाएगा,,,,

क्यों नहीं मम्मी सब कुछ हो पाएगा मामा की लड़की ने आज तक किसी को बताई कि तुम मेरे से चुदवाती हो,,,, नहीं ना,,,,, क्योंकि वह खुद मेरे लंड का मजा ले चुकी है मुझसे छोटू आ चुकी है हम दोनों का राज बोलेगी तो उसे भी को डर है कि उसका भी राज खुल जाएगा इसलिए तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो बस सब कुछ भूल कर जिंदगी का मजा लो,,,,,,,
( शुभम की बातें सुनकर निर्मला का भी मन बहकने लगा शीतल की कही गई बातों से उसे वह पल याद आने लगा था जब वह अपने ही भाई की लड़की के साथ मिलकर अपने बेटे से चुदाई का जबरदस्त खेल खेली थी और उस खेल खेलने में उसे इतना आनंद आया था कि आज तक उस पल
को याद करके उसके बदन में गनगनाहट होने लगती है,,, उस समय गूंज रही पूरे कमरे में उसकी और उसके भाई की लड़की की गर्म सिसकारिर्यों की आवाज अब तक उसके जेहन में गूंजती रहती है,,, कुर्सी पर बैठे हुए कुछ देर तक निर्मला उसी पल को याद करके उन यादों में खोने लगे तो शुभम उसकी तंद्रा भंग करते हुए बोला,,,।)

मम्मी शीतल को फोन करके कह दो कि तुम तैयार हो,,,,

नहीं-नहीं शुभम तू ही उसे फोन करके कह दे मुझसे यह नहीं कहा जाएगा ना जाने क्यों शर्म महसूस होती है ,,,,

अच्छा तो शर्म आ रही है देखना जब हम तीनों एक कमरे में होंगे बिना कपड़ों के तब तुम ही खुद उसकी आंखों के सामने अपनी बड़ी बड़ी गांड को मेरे लंड के ऊपर रखकर जोर-जोर से उठक बैठक करोगी,,,,

तब की तब देखी जाएगी,,,,,

ठीक है मम्मी मैं फोन करके शीतल को बता देता हूं,,,,

इतना कहकर शुभम उसे फोन करने के लिए अपने कमरे में जाने ही वाला था कि उसे आवाज देकर रोकते हुए हैं निर्मला बोली,,,,


अच्छा रहने दे मैं ही फोन फोन पर उसे बता दूंगी,,,,

क्यों अब शर्म नहीं आएगी,,,

शर्म करके अब कोई फायदा नहीं है मेरी आंखों के सामने वह बेशर्म होकर तुझे पाने के लिए अपनी सारी हदें पार कर दे रही है तो क्या मैं तुझे अपना बना कर रखने के लिए इतना भी नहीं कर सकती,,,,( अपनी मां की है बातें सुनकर शुभम एक टक अपनी मां को देखने लगा शुभम को अपनी मां की आंखों में शीतल को लेकर जलन साफ नज़र आ रही थी,,,, सुबह में अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां कभी नहीं चाहती थी कि उसका लड़का किसी और औरत के साथ शारीरिक संबंध बनाए जो सुख उसे देता है वही सुख किसी गैर औरत को दें,,, लेकिन अब वह मजबूर हो चुकी थी अपने ही बेटे को किसी गैर औरत के साथ बांटने के लिए,,,, चाहे कुछ भी हो शुभम के तो दोनों हाथों में लड्डू था जिसका मजा हुआ धीरे-धीरे लेना चाहता था औरतों के साथ संबंध के मामले में शुभम की किस्मत काफी तेज नजर आ रही थी,,,, उसके साथ कुछ ऐसा हो जाता था कि औरतें खुद ब खुद उसकी झोली में आकर गिर जाती थी,,, शुभम मुस्कुराता हुआ फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चला गया,,,, निर्मला जो कुछ देर पहले अपने बेटे को किसी को औरत के साथ देख कर जल भुन रही थी अब वह काफी उत्सुक थी आने वाले समय के लिए शीतल के द्वारा उन तीनों को मिलकर एक साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाने की ऑफर को सुनकर अब निर्मला के मन में भी लालसा जगने रखी थी हालांकि वह पहले भी अपने भाई की लड़की के साथ मिलकर अपने बेटे के साथ चुदाई का आनंद ले चुकी थी जिसमें वह काफी आनंदित होकर चरमोत्कर्ष को प्राप्त की थी अब एक बार फिर से अपनी हम उम्र शीतल के साथ मिलकर अपने बेटे के साथ चुदाई का खेल खेलने के लिए उत्सुक हुए जा रहे थे देखना चाह रही थी कि दो उम्र दराज कसी जवानी की मालकीन औरतों के साथ शुभम ठीक से अपनी मर्दाना ताकत का जोर दिखा पाता है कि नहीं,,,,, यह सोचकर ही निर्मला की पेंट गीली होती हुई महसूस होने लगी और अपनी गीली हो रही पेंटी के बारे में सोच कर वह मन ही मन सोचने लगी कि औरतों की जिस्मानी प्यास भी क्या चीज है कुछ देर पहले जो किसी गैर औरत के बारे में सोच कर ही उसे गोदारा था अब उसी के साथ मिलकर अपने बेटे के साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाने के लिए उसका मन उतावला हुआ जा रहा था,,,, इतनी बात मन में सोच कर वह शीतल को फोन लगा दी,,,।
सीता नहाने की तैयारी कर रही थी वह बाथरूम में एकदम नंगी होकर सावर चालू करने की जा रही थी कि मोबाइल की घंटी बज उठी थी और वह उसी तरह से एकदम नंगी होकर बाथरुम से बाहर आई और अपने मोबाइल स्क्रीन पर निर्मला का नाम देखते ही उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई,,, वह फोन रिसीव करके बोली,,,,

बोलो मेरी जान तो क्या फैसला ली हो,,,,

मैं तुम्हारी बात पर बहुत विचार करने के बाद फैसला रही हूं कि जो तुम कह रही हो वैसा ही होगा,,,,।




वाह मेरी जान यह कहकर तुमने तो मुझे खुश कर दि हो,,
तुम जानती हो मैं बाथरूम में नहाने की तैयारी कर रही थी एकदम कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर क्योंकि कल तुम्हारे बेटे ने रात भर मुझे ऐसा परेशान किया है कि मेरा बदन अभी तक दर्द कर रहा है जगह-जगह उसके काटने का निशान बना हुआ है और तो और तुम्हारे बेटे का लंड इतना मोटा तगड़ा था कि उसने मेरी बुर में डालकर ऐसी चुदाई किया है कि मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही हूं ,,,,,।


तो यह सब तुम मुझे जलाने के लिए सुना रही हो,,,

नहीं नहीं मेरी जान मैं तो सिर्फ यह बताना चाह रही हूं कि हम दोनों को बहुत ही ज्यादा मजा आने वाला हूं क्योंकि मुझे पूरा यकीन है कि तुम्हारा बेटा अपने मोटे तगड़े लंड से हम दोनों की बुर का रस निचोड़ कर रख देगा,,,,,
( शीतल के मुंह से अपने बेटे की मर्दाना ताकत की तारीफ सुनकर वह मन ही मन प्रसन्न हो रही थी लेकिन बोल कुछ नहीं रही थी,,)

लेकिन यह होगा कैसे मेरा मतलब है कहां पर होगा,,, मेरे घर में तो अगर मेरे पति को पता चल गया तो सब बर्बाद हो जाएगा,,,,

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं थोड़ी देर में तुम्हारे घर पर आती हूं और सब प्लान बताते हैं अब मैं नहाने जा रही हूं तुम्हें शायद पता नहीं मैं अपने घर में एकदम नंगी होकर घूम रही हु,,,

क्या एकदम नंगी होकर,,,,

हां मेरी जान एकदम नंगी होकर क्या करूं तुम्हारे बेटे ने रातभर मेरी चुदाई करके मस्त कर दिया है अभी तक उसके लंड की मोटाई मुझे अपनी बुर के अंदर महसूस हो रही हैं,, मैं तो एकदम पागल हो गई हूं,,,,, अच्छा मैं फोन रखती हूं मैं नहा कर तुम्हारे घर आती हूं,,,( इतना कहकर शीतल फोन काट दी और सीधा बाथरूम में घुस गई उधर शीतल की बात सुनकर निर्मला के बदन में खुमारी छाने लगी थी,,, उसकी बुर से नमकीन पानी रिस रहा था शीतल ने जिस तरह से उसे रात भर की गरमा गरम बातें टोन में बोलकर बताई थी उससे निर्मला की बुर में खुजली होने लगी थी,,,,
वह सीधा अपने बेटे के कमरे में पहुंच गई जहां पर वह नहा कर फ्रेश होकर पीठ के बल लेटा हुआ था लेकिन शीतल की मदमस्त गर्म जवानी और आने वाले पल में एक साथ सीतल और उसकी मां की लेने की कल्पना में खोया हुआ होने की वजह से उसके पैजामे में तंबू बना हुआ था,,, विमला अपनी बेटे के कमरे में पहुंचकर अपने बेटे के पजामे की तरफ नजर दौड़ाई तो पजामें में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था,,, जिसे देखकर निर्मला के मुंह में पानी आ गया,,,

क्यों रे मादरचोद शीतल रंडी के बारे में सोच कर तेरा खड़ा हुआ है ना,,,,

नहीं मम्मी ऐसी कोई बात नहीं है यह तो बस ऐसे ही,,,


भोसड़ी वाले मैं अच्छी तरह से तुझे जान गई हूं तू एक नंबर का माधरचोद है,,,, साले रंडी की औलाद नई बुर देखा नहीं की लार टपकाता हुआ पीछे पीछे दौड़ने लगा,,,,,

यह क्या कह रही हो मम्मी,,,,( निर्मला एकदम गुस्से में थी इसलिए शुभम अपनी मां की बातें सुनकर घबरा रहा था क्योंकि इस तरह की बातें सिर्फ चुदाई करते समय करती थी जो कि इतनी गंदी भी नहीं करती थी लेकिन आज वह कुछ और मूड में थी आज शीतल को लेकर शायद उन्हें जलन हो रही थी यही सब शुभम के मन में अपनी मां की बातें सुन कर चल रहा था,,, कि तभी एक झटके से निर्मला अपने बेटे के पजामे को पकड़ कर उसे खींचकर घुटनों तक कर दी,,, अगले ही पल सुभम का मोटा तगड़ा लंड अपनी औकात में आ कर छत की तरह मुंह उठाए खड़ा था,,, निर्मला अपने बेटे के खड़े लंड की तरफ देखते हुए बोली,,,,

भोसड़ी वाले मादरचोद शीतल की याद में इतना मस्त हुआ है कि रात भर उसको चोदने के बाद अभी भी तेरा लंड खड़ा है मादरचोद मेरी बुर से तेरा मन भर गया क्या,,,,,


नहीं नहीं मम्मी ऐसी कोई बात नहीं है ऐसा भला हो सकता है क्या,,,

भोसड़ी के ऐसा ही हुआ है,,,( ऐसा कहते हुए निर्मला घुटनों के सहारे बिस्तर पर चढ़ गई और घुटनों के सहारे आगे बढ़ते हुए देखते ही देखते अपने बेटे की कमर के इर्द-गिर्द अपने दोनों घुटने दिखाकर अपने लिए एकदम पोजिशन बना ली,,,)
मादरचोद रंडी की औलाद मेरी जवानी तुझे कम पड़ने लगी ना,,,, मादरचोद शीतल का दीवाना हो गया है तू शीतल चाहे जो भी हो लेकिन मेरी बुर के नीचे है,,,, उसकी जवानी मेरे झांठ के बाल के बराबर भी नहीं है,,,,

यह तुम्हें क्या हो गया है मम्मी कैसी कैसी बातें कर रही हो,,,

चुप भोंसड़ी के मादरचोद,,,, भोसड़ी चोदी का औलाद मुझे सिखाता हैं,,,,
( शीतल के प्रति निर्मला के मुंह से उसके लिए जलन की भावना निकल रही थी,,, लेकिन फिर भी निर्मला एकदम उत्तेजक मुद्रा में नजर आ रही थी जिस तरह से वह शुभम के ऊपर बैठी हुई थी शुभम का मोटा तगड़ा घंटे बार-बार उसकी चिकनी जांघों से टकरा जा रहा था,,, जिससे शुभम के बदन में आग लग जा रही थी वह खुद अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालकर उसे चोदना चाहता था लेकिन जिस तरह से वह गुस्से में थी उसे देखकर बहुत डर रहा था,,,)

साले मादरचोद शीतल का दीवाना है मैंने भोसड़ी के शीतल के ऊपर तो मैं मुत दुं तो वह बह जाए,,,,।( इतना कहते हुए शीतल धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी,,,।)

साले हरामजादे मेरी बुर से ज्यादा गर्मी क्या उसकी बुर में है,,, देखना आज अपनी बुर में तेरा लंड डालकर कैसे उसे पिघलाती हुंं( इतना कहने के साथ ही निर्मला अपनी साड़ी कमर तक उठाती कमर के नीचे को पूरी तरह से नंगी हो गई को देखते-देखते अपने बेटे के लंड को पकड़ कर उसे अपनी गुलाबी बुर के अंदर डालना शुरू कर दी और अगले ही पल अपनी भारी भरकम गांड को धीरे-धीरे उसके लंड पर रखकर उसे अंदर गटकना शुरू कर दी,,,,

भोसड़ी के मादरचोद रंडी की औलाद क्या मुझसे ज्यादा मजा आता है उसमें,,,,, देख आज मैं तुझे ऐसा मजा दूंगी कि तू पागल हो जाएगा,,,, मादरचोद,,,,
( अपनी मां का यह रूप देख कर शुभम पूरी तरह से घबराया हुआ तो था ही लेकिन अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव भी कर रहा था उसका पूरा बदन पसीना पसीना हो गया था देखते ही देखते निर्मला अपनी भारी भरकम गांड को धीरे-धीरे नीचे की तरफ करते हुए शुभम के मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर की गहराई में उतार ली,,,,, और उसके ऊपर जोर जोर से कूदना शुरू कर दी साथ में गंदी गंदी गालियों से उसका जोश बढ़ाते जा रही थी,,,।)

भोसड़ी के मादरचोद एक औरत को चोदते चोदते तेरा मन भर गया तो दूसरी औरत को चोदना शुरू कर दिया,,, यह मत भूल मादरचोद तुझे मैंने ही तैयार की है अगर मैं तुझे तैयार कर सकती हूं तो तुझे मिटा भी सकती हूं,,,, भोसड़ी के मादरचोद आखिर तू एक मार दे यह साबित कर दिया साला एक से मन भर गया तो दूसरी पर फिदा हो गया,,,,
( ऐसा कहते हुए निर्मला जोर-जोर से अपनी गांड को अपने बेटे के लंड पर पटक रही थी,,,, निर्मला पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी साथ ही अपनी मां का यह रूप देखकर शुभम भी पागल हुआ जा रहा था रह रहे कर नीचे से मौका देखकर शुभम भी ऊपर की तरफ कमर ऊछाल दे रहा था,,, लेकिन निर्मला शुभम के ऊपर पूरी तरह से हावी हो चुकी थी वह अपनी दोनों हथेलियों को सुभम के सीने पर रखकर जोर-जोर से अपने बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे के लंड पर पटक रही थी,,,,, शुभम लाचार होकर अपनी मां के नीचे लेटा हुआ था,,,, कुछ देर तक ऐसा नहीं चलता रहा निर्मला अपने बेटे को जरा भी मौका नहीं दे रही थी कुछ करने के लिए आज वह अपने बेटे से खेलना चाहती थी लेकिन कुछ देर बाद वह झड़ने के बेहद करीब पहुंच गई उसकी सांसे तेज चलने लगी तो मौका देखकर शुभम अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की कमर को थामकर उसे हल्का सा ऊपर की तरफ उठाया,,, और अपनी ताकत दिखाते हुए ऐसा पलटी मारा कि अगले ही पल उसकी मां चित्त होकर पीठ के बल लेट गई और शुभम उसके ऊपर सवार हो गया उसकी टांगों के बीच,,, लेकिन ऐसा करने में शुभम ने अपने लंड को अपनी मां की बुर से एक पल के लिए भी अलग नहीं किया,,,,। आप शुभम अपनी मां के ऊपर था,,,

साली हरामजादी मादरचोद रंडी जितनी बार कहां हो कि मैं तेरे सिवा किसी और औरत को चोदकर इतना मजा नहीं लेता हूं जितना कि तेरे से लेता हूं,,, तेरी बुर जितना मुझे मजा देती है उतना किसी की बुर से नहीं आता,,,
साली भोंसड़ी बहुत लंड लेने का शौक है ना तुझे,,, मादरचोद अब ले,,,

इतना कहने के साथ ही शुभम अपनी कमर को जोर-जोर से चलाना शुरु कर दिया अब निर्मला अपने बेटे की जबरदस्त चुदाई से एकदम मस्त होने लगी,,, उसके मुंह से गालियां की जगह गर्म सिसकारियां पूरे कमरे में गुंज रही थी,,,,
देखते ही देखते एक बार फिर से निर्मला के साथ-साथ शुभम भी झड़ने लगा निर्मला एकदम मस्त हो चुकी थी उसे अपने बेटे की जबरदस्त चुदाई देखकर समझ में आ गया कि आप जो खेल शीतल को लेकर खेला जाएगा उसमें बहुत मजा आने वाला है,,,, शुभम रह-रहकर हल्के हल्के धक्के लगा रहा था,,,, निर्मला चरम सुख को पाकर गहरी गहरी सांसे ले ही रही थी कि तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी निर्मला समझ गई किसी शीतल आ चुकी है इसलिए मैं बिस्तर से उठ कर अपने कपड़े दुरुस्त करके दरवाजा खोलने चली गई,,,।
Superb update
 

amita

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शीतल को अपनी आंखों के सामने देखते हैं निर्मला की आंखों में क्रोध तैरने लगा,,, वह क्रोध से भर चुकी थी जी मैं तो आ रहा था कि उसे गाली देकर वह घर से निकाल दे लेकिन ऐसा कर सकने में वह असमर्थ थे और शीतल थी कि इसके विपरीत अपने होठों पर का बुक मुस्कान बिखेरते हुए कभी शुभम की तरफ तो कभी निर्मला की तरफ देख ले रही थी,,,, शीतल के होठों पर विजई मुस्कान छाई हुई थी तो दूसरी तरफ निर्मला के अंतर्मन में गम के काले बादल छाए हुए थे जिसे वह अपनी जान से ज्यादा चाहती थी उसके ऊपर अपना तन मन सब कुछ न्योछावर कर चुकी थी जो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि शुभम उसको छोड़ कर किसी गैर औरत के साथ शारीरिक संबंध बनाएगा हालात कुछ इस तरह बदलेगी उसे खुद अपने हाथों से दूसरी औरत के कमरे में भेजना पड़ा,,,, अपने घर में खड़ी शीतल उसे सौतन की तरह लग रही थी,,, जो अपने कामरूप के जाल में उसके पति को खींचती लेकर चली जा रही थी,,,, निर्मला के लिए उसका बेटा शुभम उसके पति के ही तरह था क्योंकि जो काम उसका पति अशोक नहीं कर सका वह शुभम करता आ रहा था,,,, सुख में दुख में हंसी या गम में या फिर शारीरिक भूख मिटाने में हर तरह से शुभम उसका बराबर का साथ देता आ रहा था,,,
शीतल को देखते ही निर्मला की आंखों के सामने वह सब पल कल्पनातीत होने लगते जो पल उसने कल रात को अपने कमरे में अपने बिस्तर पर बिताई होगी,,,, निर्मला के कल्पना में वो सब दृश्य ताजा होते ही नजर आ रहे थे जो शीतल के बिस्तर पर दर्शाया गया होगा,,, इस समय शीतल निर्मला की तरफ पीठ करके शुभम को देख रही थी और निर्मला उसे नीचे से ऊपर की तरफ देख रही थी जो कि वह यही सोच रही थी कि निर्मला बिना साड़ी के बिना कपड़ों के एकदम नंगी उसके बेटे के साथ रंगरेलियां मनाई होगी उसकी बड़ी बड़ी गांड को शुभम अपने हाथों में लेकर जोर-जोर से दबाया होगा क्योंकि इसी तरह से तो वह उसे भी आनंद की सीमा पार कराता था व जरूर उसकी नंगी चूचियों को दोनों हाथों से पकड़ कर उसके निप्पल को मुंह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसा होगा,,, उसके नंगे बदन से खेला होगा क्योंकि निर्मला यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि शीतल काफी कामों और सेक्सी औरत है जो कि उसको देखने से ही पता चलता है खूबसूरत गोरी चिट्टी होने के साथ-साथ प्यासी भी है जोकि कल रात भर उसके बेटे के साथ जाकर अपनी प्यास बुझाई होगी,,,, यह सब सोचकर निर्मला का मन घृणा से भरा जा रहा था,,, कमरे में पूरी तरह से शांति छाई हुई थी शुभम भी खामोश था शीतल को देखकर उसकी आंखों के सामने रात वाले सारे दृश्य ताजा होते नजर आ रहे थे अगर इस समय उसकी मां उपस्थित ना होती तो एक बार फिर से वो रात वाले सारे दृश्य को दोहरा दिया होता,,,, एक तरह से रात भर शीतल की जबरदस्त चुदाई करने के बाद भी शुभम का मन शीतल से भरा नहीं था,,,,

शीतल ही शांति को भंग करते हुए बोली,,,,

देखो निर्मला तुम मेरी सहेली नहीं बल्कि मेरी बहन जैसी हो यह बात भी अच्छी तरह से जानती हूं कि कल रात जो कुछ भी हुआ उससे तुम्हें दुख जरूर पहुंचा होगा,,,,

शुभम तुम अपने कमरे में जाओ,,,( शीतल किस तरह की बातें सुनकर निर्मला शुभम को बोली लेकिन तभी शीतल शुभम को रोकते हुए बोली,,,।)

नहीं शुभम तुम यहीं रुको,,,, अब हम तीनों में ऐसा कुछ भी नहीं बचा जिसे छुपाया जा सके,,,

शीतल वह अभी बच्चा है उसे अपने कमरे में जाने दो जो कुछ भी कहना है मुझसे कहो,,,,

तुम्हारा शुभम अब बच्चा नहीं रहा,,, निर्मला,,, यह हकीकत है और यह तुम भी जानती हो बस उसे बच्चा समझ कर अपने आप को धोखा दे रही हो,,,,


एक मां के लिए उसका बेटा हमेशा बच्चा ही रहता है,,,


हां लेकिन तब तक जब तक कि वह अपनी मर्दाना ताकत से अपनी ही मां की शारीरिक भूख को ना मिटाएं,,,, और तुम्हारा बेटा इतना बड़ा हो गया है कि तुम्हारी प्यासी जवानी को अपने लंड की ताकत से पिघला सकता है पिघला क्या सकता है पिंघलाता आ रहा है,,,,


लेकिन शीतल मुझे तुमसे यह उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी तुम मेरी सबसे पक्की सहेली थी सहेली क्या थी मेरी बहन जैसी थी,,,

और मुझे भी नहीं बोला तुम से ही बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी मेरी कहीं गई बातें तो सिर्फ मजाक में ही थी लेकिन तुमने तो सब कुछ सच कर दिखाया अपनी शारीरिक भूख अपने ही बेटे से मिटाई,,,,( शीतल की आवाज सुनते ही वह शर्म के मारे अपनी नजरें नीचे झुका ली,,,) चलो कोई बात नहीं एक औरत होने के नाते मैं अच्छी तरह से एक औरत की व्यथा समझ सकती हूं,,,, जब अपने पति से किसी भी प्रकार की अपेक्षा ना रह जाए उससे कोई प्यार या शारीरिक सुख ना मिल पाए तो औरत के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं रह जाता,,,, देखो निर्मला मैं तुम्हारा दुख अच्छी तरह से समझती हूं क्योंकि जो तुम पर बीत रही थी वह मुझ पर भी बीत रही है,,,, मुझे तो कल किस बात से खुशी है किधर मना तुमने कोई ऐसा वैसा कदम नहीं उठाया जिससे तुम्हारी और तुम्हारे परिवार की बदनामी हो,,,( इस बार शीतल की बात सुनकर निर्मला मन में कुछ अजीब सा महसूस होने लगा शीतल अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानती हो और मैं भी कि जब औरत प्यासी हो उसकी शारीरिक जरूरतें पूरी ना हो रही हो तो वह बाहर कदम निकालती है और बाहर इधर उधर मुंह मारने लगती है ऐसे में उसकी बदनामी होने के चांस बढ़ जाते हैं,,,, तुम ही जरा सोचो निर्मला,,, तुम अपनी शारीरिक भूख को अगर अपने पति से नहीं मिटा पा रही हो और ऐसे में किसी गैर मर्द से शारीरिक संबंध बना लेती हो और वह गैर मर्द चाहे जो भी हो सकता है वह तुम्हारा स्टूडेंट भी हो सकता है तुम्हारे साथ काम कर रहा है कोई टीचर ही हो सकता है प्रिंसिपल या राह चलता कोई भी आवारा लड़का आदमी सोचो तुम्हारे साथ शारीरिक संबंध बनाकर उनका कुछ नहीं बिगड़ने वाला है उनको तो बल्कि मजा ही मजा है लेकिन तुम्हारे साथ मजा करने के बाद अगर वह यह बात किसी और को बताते हैं तो सोचो कितनी बदनामी होती है और तुम्हारे पीछे कुछ कम लोग नहीं पड़े हैं आते जाते सड़कों पर स्कूल में विद्यार्थी से लेकर टीचर तक लार टपका ए तुम्हारे आगे पीछे घूमते हैं,,, अपनी प्यास बुझाने के लिए तुम्हारा एक इशारा काफी है,,,, मेरे लिए भी यही सब बातें हैं तुम्हारे बेटे के साथ शारीरिक संबंध बना बना कर ने किसी के लड़के से किसी गैर मर्द से शारीरिक संबंध बना सकती थी लेकिन क्या मिलता है कुछ देर का सारे सुख तो मिल जाता लेकिन क्या वह इंसान जिसके साथ हम शारीरिक संबंध बनाते हैं वह हमराज बना रहता ऐसा कभी नहीं होता वह हमें ब्लैकमेल कर सकता था या कभी हमेशा गलत संगत में पड़ जाएगी अपनी गलती का पछतावा करने के लिए भी कुछ ना बचे अपनी मजबूरी में एक के बाद एक के बाद एक के बाद ना जाने कितनों के साथ बिस्तर गर्म करना पड़े,,, और अंत में सिर्फ बदनामी ही बदनामी,,,,

तुमने अपनी बेटी के साथ शारीरिक संबंध बनाकर कोई गलत काम नहीं किया है निर्मला एक बेटा होने से पहले वह एक मर्द है और एक मां होने के पहले तुम एक औरत हो जिनकी अपनी जरूरतें हैं,,,( शीतल की बातें सुनकर निर्मला पूरी तरह से खामोश हो चुकी थी रोज इस तरह से ध्यान लगाकर शीतल की बात सुन रही थी शीतल और भी खुलकर बात करना चाह रही थी इसलिए वह आगे की बात को खुले शब्दों में कहते हुए बोली,,,।) देखो निर्मला लंड और बुर की कोई जात पात कोई व्याख्या नहीं होती,,,( लंड और बुर शब्द शीतल के मुंह से सुनते ही निर्मला शुभम की तरफ इशारा करके उसे रोकने के लिए बोली तो शीतल शुभम की उपस्थिति में किसी भी प्रकार का एतराज ना जताते हुए बोली) कोई बात नहीं नहीं मिला तुम्हारे बेटे के लिए लंड और बुर शब्द कोई नया नहीं है,,, इसके सामने शर्माने की जरूरत नहीं है,,,, लंड और बुर किसी भी प्रकार की रिश्तेदारी में नहीं मानते बुर को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उस में घुसने वाला लंड उसके पति का है उसके प्रेमी का या किसी गैर मर्द का या फिर उसके खुद के बेटे का उसे तो बस मजा चाहिए जोकि लंड की गर्माहट भरी रगड़ से अपनी बुर की अंदरूनी ज्वाला को पिघला सके,,, और लंड भी घुसने से पहले बुर से यह नहीं पूछता कि यह बुर किसकी है,,,, उसकी बीवी की या उसकी प्रेमिका की या उसकी बहन की या उसकी मां की उसे तो बस घुसने से मतलब होता है और बुर में घुसकर कसी हुई बुर की गर्म दीवारों का आनंद लेते हुए अपने आप को बुर की बाहों में पूरी तरह से पिघलाने से मतलब होता है,,,
( शीतल की गरमा गरम बातें सुनकर निर्मला के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी और यह हलचल इसलिए थी कि इस तरह की बातें करते समय उसका बेटा भी वहीं मौजूद था,,,, लेकिन जिस तरह की शर्मिंदगी का अहसास निर्मला को हो रहा था उस तरह की शर्मिंदगी का अहसास शुभम को बिल्कुल भी नहीं हो रहा था बल्कि वह तो शीतल की बातों को बड़े चाव से सुन रहा था,,,,।)

लेकिन शीतल जो कुछ भी हो रहा है वह बिल्कुल गलत हो रहा है,,,।

कुछ गलत नहीं हो रहा निर्मला सब कुछ सही हो रहा है तुम्हें शुभम की जरूरत है तुम अब तक अपने बेटे से अपनी जरूरतें पूरी करती आ रही हो सबको चारदीवारी में बंद है तुम एकदम सुरक्षित हो लेकिन यह बात भी अच्छी तरह से जान लोगी जो जरूरत तुम शुभम से पूरी कर दिया रही हो शायद भगवान ने उसका थोड़ा बहुत हिस्सा मुझे भी दे रखा है,,,, भगवान ने तुम्हारे जरिए अपनी जरूरत है पूरी करने में मुझे भी तुम्हारा सहभागी बनाया है तभी तो उस दिन तुम्हारे घर का दरवाजा नहीं बल्कि मेरे किस्मत का दरवाजा खुला था अगर ऐसा ना होता तो उस दिन तुम्हारे घर का दरवाजा खुला ही ना होता लेकिन यह सब कुछ भगवान की इच्छा से हो रहा है,,,,,

नहीं नहीं शीतल यह मुझे मंजूर नहीं है मैं अपने बेटे को किसी और से बांटना नहीं चाहती,,,,,,

लेकिन तुम तो अपने बेटे को मुझ से बांट चुकी हो,,,,

लेकिन अब नहीं क्योंकि मैं मजबूत ही तुम्हारे पास हम दोनों का वीडियो था जिसे मेरे बेटे ने डिलीट कर दिया है,,,,।
( यह बात सुनते ही सीतल थोड़ा सा घबरा गई क्योंकि वही वीडियो एक जरिया था जिसकी बदौलत अगर ना मानने पर वह निर्मला के बेटे के साथ अपनी मनमानी कर सकती थी,,,, लेकिन अगर सच में वीडियो ना होने पर निर्मला अपने बेटे को दोबारा उसके पास नहीं भेजेगी इससे तो वह फिर से प्यासी की प्यासी रह जाएगी लेकिन शीतल का दिमाग बड़ी तेजी से चल रहा था,,, वह अपने चेहरे पर चिंता की शिकन लाए बिना ही एकदम सहज भाव से बोली,,,।)

मैं अच्छी तरह से जानती हूं निर्मला कि तुम बदनाम ना हो जाओ इसलिए तुम्हारे बेटे ने बड़ी चालाकी से मेरे मोबाइल में से तुम दोनों का वीडियो डिलीट कर दिया था लेकिन यह बात हुई मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि एक बार वीडियो डिलीट हो जाने पर मैं तुम्हारे बेटे के साथ वह सब नहीं कर सकती हूं जैसा कि रात भर की हूं इसलिए तो मैं इस वीडियो का कॉपी करके अपने लैपटॉप में बड़ी ईफाजत से संभाल कर रखी हु,,,।
( इतना सुनते ही निर्मला के चेहरे पर एक बार फिर से हवाइयां उड़ने लगी वह शुभम की तरफ आश्चर्य से देखने लगी और मन में सोचने लगी कि जैसा शुभम कह रहा था उसकी शंका सही निकली,,,, शीतल की बात सुनते ही निराश होकर निर्मला धम्म से कुर्सी पर बैठ गई,,, निर्मला को इस तरह से निराश होता देखकर शीतल के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई,,,। वह समझ गई कि निर्मला फिर उसके जाल में बराबर की फंस चुकी है इसलिए वह भी पास में पड़ी कुर्सी को निर्मला के करीब खींच कर उस पर आसन जमाते हुए बोली,,,।)

देखो निर्मला घबराने की कोई जरूरत नहीं है,,, तुम खामखा मुझ से घबरा भी रही हो और मेरे आगे शर्मा भी नहीं है मैं भी तुम्हारे बेटे के साथ वही कर चुकी हूं जो तुम अपने बेटे के करती आ रही हो,,,, लेकिन मुझे देखो तुम्हारे बेटे से रातभर चुदवाने के बाद भी मेरी आंखों में जरा भी शर्म या हिचक नहीं है,,, क्यों,,,,?

क्योंकि यह मेरी जरूरत है मेरे बदन की जरूरत है मेरी आत्मा की जरूरत है मेरे प्यासे तन बदन मेरी जिंदगी की जरूरत है एक औरत को मर्द से जिस तरह की अपेक्षा होती है ,,,, उसी तरह की अपेक्षा मुझे तुमसे और तुम्हारे बेटे से हैं जो कि तुमने मेरी बात मानते हुए अपने बेटे को मेरे पास भेज कर मेरी अपेक्षा पर खरी उतरी हो,,,,
( निर्मला नजर नीचे झुकाए शीतल की हर एक बात को सुनती चली जा रही थी,,, लेकिन बोल कुछ नहीं रही थी शीतल अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,।)

देखो शीतल अब तक तुम मां बेटे ही राजदार थे लेकिन अब से मैं भी राजदार हो गई हूं हम तीनों एक-दूसरे के राज को राज ही रखेंगे हमराज बन कर,,, मेरा विश्वास करो क्योंकि यह बात बाहर निकलने पर तुम्हारी जितनी बदनामी होगी मेरी भी उतनी ही बदनामी होगी,,,, और भला इस बात को हम तीनों में से बाहर कौन ले जाएगा तुम तो कभी बताने वाली नहीं हो,,, की तुम अपने बेटे से ही चुदवाती हो यह राज तो तुम अपने सीने में दफन कर चुकी हो और तुम्हारा बेटा अब बच्चा नहीं रहा बड़ा हो गया है इतना मासूम नहीं है कि अपने दोस्तों में अपनी बड़ाई हांकते फिरे कि वह अपनी मां की चुदाई करता है या किसी और की चुदाई करता है और रही बात मेरी तो यह राज तुमसे ज्यादा मेरे लिए राज रहना जरूरी है और वैसे भी एक बार फिर से मेरी जिंदगी में उमंग छाई है सच कहूं तो निर्मला तुम्हारे बेटे की वजह से मुझे फिर से जिंदगी जीने की राह मिल गई है वरना मैं भी उदास हो गई थी अपनी जिंदगी से अपने दुख से,,,।
( शीतल इतना कहकर खामोश हो गई पूरे कमरे में एकदम सन्नाटा छा गया निर्मला और शुभम के हाव भाव को देखकर लग रहा था कि वह दोनों ने उसकी बात को गहराई से लिया है शीतल को लगने लगा कि सब कुछ सही हो रहा है इसलिए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,।)

निर्मला अब मे जो कहने जा रही हूं बड़े ध्यान से सुनना,,, इसमें हम तीनों की भलाई और बहुत मजा ही मजा है,,,।
( अभी भी निर्मला नजरे नीचे झुकाए बैठे हुए थी,,,)
निर्मला क्यों ना अब हमेशा करें कि इसमें हम जिंदगी का मजा एकदम खुलकर कर लूट सकते हैं क्यों ना हम तीनों ऐसा करें जो काम तुम और तुम्हारा बेटा कमरे में एक बिस्तर पर करते हैं वही काम हम तीनों मिलकर एक ही बिस्तर पर करो मैं तुम और तुम्हारा बेटा तीनों एकदम नंगे एक ही बिस्तर पर सोचो कितना मजा आएगा,,,,( शीतल अपनी मन की बात निर्मला से बड़े ही चटकारा लेकर बोल रही थी लेकिन शीतल की यह बात सुनते ही निर्मला एकदम हैरान हो गई और सन्न से नजर ऊपर करके शीतल को आश्चर्य से देखने लगी,,,।)
Zabardast
 

Rakesh1999

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Mast update bhai.
 
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