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Incest एक अधूरी प्यास.... 2 (Completed)

Rahul123

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Rahul123

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rohnny4545

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कार के पीछे की सीट पर एक मां बेटे की धमाचौकड़ी मचा रही गरमा-गरम दृश्य देखकर शीतल पूरी तरह से चुद वासी हो चुकी थी,,,,। निर्मला के घर में खिड़की से देखा गया दृश्य के बीच की दूरी कुछ ज्यादा ही थी लेकिन यहां तो वह अपनी बेहद करीब जिंदगी में पहली बार एक मां बेटे की चुदाई का गरमा गरम दृश्य देख रही थी ,,,, शीतल को अब जाकर पता चला था कि निर्मला की जवानी में कितनी आग है वरना वह तो उसे सीधी-सादी ही समझती थी लेकिन आज अपनी आंखों से दूसरी बार जब अपने ही बेटे के लैंड पर जोर जोर से अपनी गांड को पटक ते हुए देखी तो उसके होश उड़ गए,,,, उसके पूरे बदन में जवानी की आग सुलगने लगी,,, उसे अपनी पेंटी गीली होती हुई महसूस हो रही थी और साथ ही अपनी बुर के अंदर से चीटियां रहते हुए महसूस हो रहा था,,, अगर वह इस समय गाड़ी ना चला रही होती तो कब से कूदकर निर्मला को धक्का देकर खुद अपनी बड़ी बड़ी गांड के गुलाबी छेद को शुभम को लंड पर रखकर उसे अपने अंदर ले ली होती,,,।

जहां एक तरफ हाईवे पर ट्राफिक के बीच में चलते हुए निर्मला मौके का फायदा उठाते हुए बेशर्मी की सारी हदें पार करते हुए अपनी ही सहेली शीतल की आंखों के सामने अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड पर अपनी गुलाबी बुरका गुलाबी छेद रखकर जिस तरह से कूदकर अपनी जवानी की आग बुझाई थी,,, वहीं दूसरी तरफ शीतल पूरी तरह से अतृप्ती का एहसास लिए जवानी की आग में सुलग रही थी,,, अब तो उसे जल्द से जल्द शिमला पहुंचना था,,, जहां पर पहुंचकर वह अपने अपने सारे अरमान पूरे करने का ख्वाब देख रही थी,,,। आखिरकार वहां पर भी आ गया जब तीनों रात के करीब 1:30 बजे शिमला पहुंच गए,,,।

कार के अंदर से ही रास्ते में ही दोनों मां-बेटे शिमला का नजारा देखकर मंत्रमुग्ध हो गए शीतल के लिए नई बात नहीं थी वह आए दिन शिमला घूमने आया करती थी लेकिन शुभम और निर्मला के लिए यह पहली बाहर ही था जब वह लोग सिर्फ घूमने आए थे,,,। मौसम काफी ठंडा हो चुका था इसलिए अपने घर तक पहुंचने से पहले निर्मला बैग में से एक गर्म साल निकाल कर खुद और शुभम को ओढ़ा ली,, और बैग में से एक गर्म कोर्ट निकालकर निर्मला ने शीतल को थमा दी जो कि शीतल कुछ देर के लिए साइड में कार खड़ी करके उसे पहन ली ताकि ठंडी ना लगे लेकिन फिर भी बर्फ गिरी हुई थी इसलिए ठंडी होने महसूस हो रही थी,,,। शुभम काफी खुश नजर आ रहा था क्योंकि उसे इस बात का एहसास हो गया था कि ऐसे ठंडे मौसम में दो दो गर्म जवानी से भरपूर औरत के साथ खेलने में उसे बहुत मजा आने वाला था,,। शीतल ने एक बंगले के आगे अपनी कार खड़ी कर दी,,,। यह एक बेहद पॉश एरिया था जहां पर थोड़ी थोड़ी दूरी पर बंगले बने हुए थे और हर बंगले के आगे महंगी कार चमचमा रही थी,,,। यह देखकर निर्मला अंदाजा लगा ली थी कि शीतल की सहेली काफी अमीर है,,।
उत्सुकता की वजह से निर्मला और शुभम दोनों का दिल जोरों से धड़क रहा था रात के तकरीबन 1:30 बज रहे थे इसलिए पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ था और हल्की हल्की बर्फ गिर रही थी जो कि यह नजारा देखकर निर्मला और शुभम पूरी तरह से मोहित हो चुके थे,,,।

Shubham ka tantanaya lund


शीतल कार से निकलकर अपने बैग में से बंगले की चाबी निकालकर गेट खोलने लगी,,, शीतल और उसकी सहेली में काफी गहन दोस्ती थी जिसकी वजह से उसकी सहेली बंगले की चाबी सीतल को शोपी हुई थी,,, ताकि शीतल का जब भी मन करे वह यहां पर आकर घूम सके और इस बंगले में रह सके,,,,। शीतल कार को बंद करके वह कार का दरवाजा खोलकर बाहर निकल गई कार के बाहर आते ही उसे इस बात का एहसास हुआ कि बाहर कुछ ज्यादा ही ठंड थी,,,, और वहां बंगले का गेट खोलते हुए शुभम से कार में से बैग निकालने के लिए बोल चुकी थी,,,।

शुभम और निर्मला दोनों भी कार मे से बाहर आ चुके थे,,
बंगले का गेट खुल चुका था और शुभम पीछे की डिक्की खोल कर उसमें से एक बाहर निकाल रहा था,,,। निर्मला को ठंडी का अहसास हो रहा था वह साल को बराबर से अपने बदन पर लपेट ते हुए इधर उधर अपनी नजरें दौड़ा कर पुरे एरिया का मुआयना कर रही थी,,। इस सोसाइटी के बंगले को देखकर वह मंत्रमुग्ध हो गई थी बहुत ही बेहद मनमोहक नजारा था हल्की हल्की बर्फ गिर रही थी जोकि अब तक उसने फिल्मों में ही देखी थी,,,।
निर्मला गेट के बाहर ही खड़ी होकर इधर उधर का नजारा देख रही थी चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था लेकिन स्ट्रीट लाइटें जगमग आ रही थी और साथ ही दूर-दूर के बंगलों में से पीली रंग की रोशनी नजर आ रही थी जो कि यह दृश्य बेहद सुहावना लग रहा था,,,। शुभम दोनों हाथ में देख लिए शीतल के करीब खड़ा था जो कि बंगले का दरवाजा खोल रही थी वही खड़े-खड़े शुभम गेट के बाहर कार के पास खड़ी अपनी मां की तरफ देखा तो गरम साल में अपने खूबसूरत बदन को समेटे हुए वह बेहद खूबसूरत और कामुक लग रही थी खास करके जिस तरह से वह अपने बदन को उसे साल के अंदर समेटे हुए थे उसकी भारी-भरकम नितंब कसी हुई साड़ी में बेहद लुभावनी लग रही थी जिसे देखते ही शुभम के लंड में हरकत होना शुरू हो गया था,,,। बंगले का मुख्य दरवाजा खुलते ही शीतल शुभम से अपनी मां को बुलाने के लिए बोली,,,। शुभम वहीं पर बैग रखकर तुरंत अपनी मां के पास गया,,, और बोला,,,।

चलो अंदर चलो मम्मी यहां क्या कर रही हो ठंड लग जाएगी,,,।

हममममम,,,,,( इतना कहकर वो भी शुभम के साथ बंगले में प्रवेश कर गई,,,, अंदर प्रवेश करते ही शीतल स्विच दबाकर पूरे बंगले को लाइट से जगमगा दी,,, बंगले के अंदर का नजारा देखकर शुभम और निर्मला दोनों हैरान रह गए बंगले में रखी गई एक एक चीज बेहद कीमती और साफ-सुथरी लग रही थी बंद बंगले में इतनी साफ-सुथरी वस्तुओं को देखकर निर्मला बोली,,,।)

शीतल यह बंगला बंद रहता है लेकिन अंदर रखी गई एक एक वस्तु कितनी साफ है,,,।

हां निर्मला यहां पर घर का नौकर सुबह शाम घर की सफाई कर के चला जाता है तभी इतनी साफ-सुथरी हर एक वस्तु लग रही है,,,।


चलो शिमला घूमने का मेरा सपना तो इसी बहाने पूरा हुआ,,
( निर्मला चैन की सांस लेते हुए कुर्सी पर बैठते हुए बोली,,।)

शिमला घूमने का भी और हमारा यहां पर आने का मकसद भी,,,।
शीतल भी गहरी सांस लेते हुए बोली,,,

तीनों सफर से एकदम थक चुके थे इसलिए एक ही बेड पर तीनों सो गए,,।
 
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urc4me

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Akhir Shimla pahunch hi gaye. Ab dekhe aage kya hota hai? Waiting for next update
 
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