दसुबह नींद खुली तो शुभम अपने आप को शीतल के बदन से चिपका हुआ पाया दोनों सामने की तरफ मुंह करके सोए हुए थे और शुभम उसे पीछे से अपनी बाहों में जकड़ा हुआ था साथ ही शीतल के नितंबों का संपूर्ण घेराव शुभम के अग्रभाग से संपूर्ण रुप से सटा हुआ था ऐसा लग रहा था कि जैसे दोनों संभोगनिय मुद्रा में सो रहे हो,,,।
Gahri nind me so rahi Sheetal
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शुभम की नींद खुल चुकी थी लेकिन अभी भी शीतल और उसकी मां गहरी नींद में सोए हुए थे शायद देर तक कार चलाने की वजह से दोनों पूरी तरह से थक चुके थे शुभम का भी उठने का मन नहीं कर रहा था क्योंकि शिमला के ठंडे मौसम में शीतल की मदमस्त जवानी की गर्मी का केंद्र बिंदु जो उसके अग्रभाग से सटा हुआ था,,,, उसका मन कर रहा था कि जिंदगी भर इसी तरह से उसकी मदमस्त गांड से अपना लंड सटाए सोए रहे,,,,। वह उसी तरह से अपना नजर घुमाकर अपनी मां की तरफ देखा तो वह दूसरी तरफ मुंह करके निश्चिंत होकर सोई हुई थी लेकिन इस तरह से सोने में उसकी साड़ी घुटनों से ऊपर तक चढ़ी हुई थी जिससे उसकी नंगी गोरी गोरी पिंडलिया नजर आ रही थी,,। सुबह का इतना मदमस्त नजारा देखकर धीरे-धीरे उसके लंड में तनाव आना शुरू हो गया था।,,,
Sheetal ki gol gol gaand dekhkar Shubham uttejit ho gaya
शुभम उत्तेजित हुआ जा रहा था अनजाने में ही वह शीतल के खूबसूरत बदन से चिपक गया था और अपने लंड को शीतल की मदमस्त गांड से सटा हुआ आते ही उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,,, इस अवसर का वह पूरी तरह से लाभ लेना चाहता था इसलिए वह धीरे-धीरे अपनी कमर को हल्के हल्के आगे पीछे करते हुए हिलाने लगा,,,। एक तरह से वह शीतल को चोद रहा था,,, भले ही उसका लंड उसके पैंट के अंदर था और शीतल के नितंबों पर साड़ी का पर्दा लगा हुआ था लेकिन फिर भी ऐसा करने में शुभम को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी लेकिन वह ऐसा करते हुए बार-बार पीछे की तरफ नजर करके अपनी मां को देख ले रहा था कि कहीं उसकी मां ना जाग जाए लेकिन वह जिस तरह से गहरी सांसें ले रही थी उसे पक्का यकीन हो गया था कि वह गहरी नींद में सो रही है,,,।
शुभम का लंड पूरी तरह से लोहे के रोड की तरह खड़ा हो चुका था और पेंट के अंदर तंबू बनाए हुए सीधे अपनी ठोकर को शीतल की गांड पर दे रहा था,, शिमला की मस्ती भरी ठंडी सुबह मैं शुभम अपने आपको बेहद गरम महसूस करने लगा था जिसका कारण केवल शीतल का खूबसूरत बदन और उसका उन्नत उभार लिए हुए मदमस्त नितंब,,,
अपनी नरम नरम गांड पर कोई कठोर चीज की चुभन महसूस होते ही सीतल की नींद खुल गई,,,, वह आधी नींद में ही थी इसलिए वह आश्चर्य से उस कठोर चीज के बारे में जानने के लिए अपने हाथ को उसी तरह से लेटे हुए हैं पीछे की तरफ लाकर जब उसे अपने हाथ में पकड़ी तो वह दंग रह गई उसे तुरंत एहसास हो गया कि वह कठोर चीज कोई और नहीं शुभम का लंड है और यह अहसास होते ही,, उसका तन बदन उत्तेजना से कांप गया,,,, शुभम को भी अब शीतल के जागने का पता चल गया था वह जान गया था कि उसकी हरकत की वजह से उसकी नींद खुल गई है और वह इसलिए अपने हाथ को आगे की तरफ लाकर ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी बड़ी बड़ी चूची को दबाना शुरू कर दिया वैसे भी सुबह के समय औरत और मर्द दोनों काफी उत्तेजित रहते हैं और ऐसे में जरा सा कामुक हरकत दोनों को चुदाई के लिए मजबूर कर देता है और यही हाल इस समय शीतल और शुभम का हो रहा था,,, जिस तरह से शीतल शुभम के मोटे तगड़े लंड की चुभन को अपनी नरम नरम गांड पर महसूस कर रही थी वह पूरी तरह से चुदवासी हो गई थी,,,
Sheetal ki chudai
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नितंबों पर कठोर चुभन और स्तन मर्दन की वजह से वह मदहोश होने लगी उसका मन शुभम के मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर में लेने के लिए मचलने लगा,,,। शुभम भी पागल हुआ जा रहा था वह पूरी तरह से शीतल की चुचियों को दबाते हुए एक करके उसके बटन को खोलना शुरू कर दिया और देखते ही देखते उसकी दोनों चूचियां उसके ब्लाउज की कैद से आजाद हो गई,,,,, शुभम की कामुक हरकतों की वजह से शीतल के तन बदन में आग लगी हुई थी उसके मुख से गर्म शिसकारियों की आवाज फूटने को तड़प रही थी वह बड़ी मुश्किल से अपनी सिसकारियो को मुंह के अंदर ही दबाए हुए थी,,,, दोनों के ऊपर मदहोशी पूरी तरह से सवार हो चुकी थी,,,,
गजब का नजारा बना हुआ था शिमला के गुलाबी मौसम में सुबह के समय बंगले के एक कमरे में एक ही बेड पर मां बेटे और शीतल अपनी थकान मिटाने के लिए लेते हुए थे लेकिन,,, शुभम और शीतल दोनों की नींद उड़ चुकी थी निर्मला अभी भी गहरी नींद में सो रही थी इस बात से अनजान कि जिस बिस्तर पर वह सोई हुई है उसे बिस्तर पर उसका बेटा उसकी सहेली के खूबसूरत बदन से खेल रहा है,,
शुभम पागलों की तरह अपनी कमर हिलाते हुए शीतल की चूचियां जोर जोर से दबा रहा था और शीतल अपनी गरम सिसकारियों को बार बार मुंह से ना निकल जाए इसलिए अपने मुंह को अपने हाथ से दबा दे रही थी,,,, लेकिन अब हालात बिगड़ने लगे थे शीतल के सब्र का इम्तिहान खत्म होता नजर आ रहा था,,, क्योंकि शुभम की कामुक हरकतें बढ़ती जा रही थी,,, फौजी साहब इसे शीतल की चूचियों को दबा रहा था वही हाथ नीचे की तरफ ले जाकर जहां पर साड़ियों को इकट्ठा करके उन्हें फोल्ड करके पेट के नीचे उसकी गांठ को दबाया जाता है उसी स्थान से अपने हाथ को उसकी साड़ी के अंदर सरकाने लगा और शीतल भी शुभम की इस हरकत को अच्छी तरह से समझ गई थी वह जानती थी कि आप सुबह क्या करना चाहता है इसलिए अपने पेट को हल्का सा सांस अंदर की तरफ खींच कर अपने पेट को दबा दी जिससे उसकी हथेली बड़े आराम से उसकी साड़ी के अंदर चली जाए और ऐसा ही हुआ शुभम बड़े आराम से अपनी हथेली को उसकी पेटीकोट से होता हुआ उसकी साड़ी के अंदर अपनी हथेली को पहुंचा दिया और अपनी अंगुलियों से डरते हो अपनी उंगलियों को पेंटी के अंदर डालकर तुरंत उसके फूली हुई कचोरी को अपनी हथेली में दबा लिया इस बार शीतल से रहा नहीं गया और उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज निकल गई,,,,।
ससससहहहह,,,आहहहहहहह,,,, शुभम,,,,,,
सससससस,,,, बिल्कुल भी आवाज मत करो वरना मम्मी जाग जाएगी,,,,,
लेकिन तेरी हरकतें मुझे मदहोश कर रही है ना चाहते हुए भी मेरे मुंह से आवाज निकल जा रही है,,,,
अपनी गरमा गरम आवाज को संभालो और मजा लो,,,,( ऐसा कहते हुए शुभम अपनी बीच वाली उंगली को तुरंत उसके नरम नरम रसीली बुर के अंदर डालकर उसे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया,,,, और लगातार अपनी कमर को हिलाते हुए उसके नितंबों पर अपने लंड की ठोकर लगाने लगा,, उत्तेजना के मारे शीतल का पूरा शरीर कांपने लगा था शिमला में उसे इतना अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव होगा वह ऐसा कभी सोची नहीं थी लेकिन अपने तन बदन में इस तरह की उत्तेजना का अनुभव करके उसे समझ में आ गया था क्या शिमला का यह ट्रिप वह जिंदगी भर याद रखने वाली है,,,,, शीतल अपने आप हमें बिल्कुल नहीं थी वह मदहोशी के सागर में डूबती चली जा रही थी अब उसे अपनी बुर के अंदर शुभम का मोटा तगड़ा लंड महसूस करना था कि वह उसके लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवाना चाहती थी क्योंकि जिस तरह के सफर मैं शुभम उसको लेकर जा रहा था उसकी मंजिल यहीं थी,,,।
जिस तरह से शुभम अपनी कमर हिलाता हुआ अपने मोटे तगड़े नंद की चुभन उसके नितंबों पर चुभा रहा था,,, उस चुभन को वह अपनी पुर के अंदर महसूस करने के लिए तड़प रही थी इसलिए अपने हाथों की कोहनी का सहारा लेकर वह अपनी गर्दन ऊपर उठाकर निर्मला की तरफ देखी जो कि वह दूसरी तरफ मुंह करके बेसुध होकर सो रही थी शीतल ने तुरंत कंबल को पूरी तरह से अपने ऊपर और शुभम के ऊपर डाल दी ताकि निर्मला की नींद खुलने पर उसे इस बात का पता तक ना चले कि उसके बगल में चुदाई चल रही है,, जिस तरह से निर्मला से नजरें बचाकर शीतल शुभम और उसके ऊपर कंबल डालकर अपने आप को छुपाने की कोशिश कर रही थी,,,, शुभम समझ गया कि शीतल अब चुदवाने के लिए पूरी तरह से तैयार है,,,, शुभम आप इतना सोच ही रहा था कि शीतल अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा कर तुरंत कमर तक चढ़ा ली और अपनी पेंटी को उतारने लगी यह देख कर उसकी सहायता करते हुए शुभम भी अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसकी पेंटी निकलवाने में उसकी मदद करने लगा और देखते ही देखते कमर के नीचे शीतल पूरी तरह से नंगी हो गए शुभम भी अपनी पेंट को खोलकर उसे घुटनों तक सरका दिया,,,
अब शुभम के लिए एकदम आसानी हो गई थी शीतल शुभम के पारा को चेक करने के लिए अपने हाथ पीछे की तरफ लाकर उसके थर्मामीटर को पकड़ ली जो कि बेहद गर्म था उसकी गर्मी को अपनी हथेली में मैसेज करते हुए उसके तन बदन में आग लग गई शुभम अब देर करना बिल्कुल भी जरूरी नहीं समझ रहा था वह अपने लंड को उसकी बुर में डालने से पहले एक बार जोर से उसकी बड़ी बड़ी गांड को पकड़ कर अपनी हथेली से दबाने लगा और अपने खड़े लंड को उसके गांड की दरार में इधर-उधर घुमाना शुरू कर दिया,,,, शीतल समझ गए कि वह लंड को इधर-उधर दरार में घुमा कर क्या ढूंढ रहा है वह उसके गुलाबी छेद को ढूंढ रहा था और इसलिए शीतल अपनी टांग को घुटनों के बल मोड़ कर थोड़ा सा अपनी टांग को आगे कर ली जिससे उसका गुलाबी छेद एकदम बाहर को नजर आने लगा है लेकिन शुभम अपने हाथों की उंगलियों से उसकी गुलाबी बुर के छेद को टटोलकर अपने मोटे तगड़े लंड के सुपाड़े को उस पर टिका दिया,,, और देखते ही देखते अपनी कमर को आगे की तरफ ठेलते हुए अपने लंड को शीतल की बुर के अंदर घुसाना शुरू कर दिया देखते ही देखते शुभम का पूरा समूचा लंड शीतल की रसीली बुर के अंदर समा गया,,,।
सफर खत्म हो चुका था राही को उसकी मंजिल मिल चुकी थी और मंजिल मिलने की खुशी क्या होती है इस वक्त बिस्तर पर बिछी हुई चादर पर पड़ रही सिलवटें बयां रही थी,,,,, शुभम की कमर आगे पीछे अपनी लय में हुई जा रही थी,,, शुभम बड़े आराम से शीतल को चोद रहा था उत्तेजना और मदहोशी का नशा दोनों के सर के ऊपर इस कदर सवार हो चुका था कि उसे इस बात का भी आभास नहीं था कि उसे बिस्तर पर निर्मला लेटी हुई है,,,, लेकिन इस तरह से चोरी छुपे एक ही बिस्तर पर अपनी मां की उपस्थिति में शीतल की चुदाई करने में उसे कुछ ज्यादा ही मजा और उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,,
शुभम पागलों की तरह उसके पूरे बदन पर अपना हाथ फेर रहा था,,,। कभी उसकी चूचियों को दबाता तो कभी उसके चिकनी पेट को अपनी हथेली में दबोच लेता तो कभी केले के तने के समान मोटी मोटी जांघों को दबा देता,,,, शीतल को अपनी बुर के अंदर ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई गरम लोहे का रोड डाल दिया हो,,,, लेकिन बेहद रोमांचक उत्तेजना का अनुभव रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था इस तरह से शुभम से चुदवाने में,,,
तकरीबन 15 मिनट की होले होले की चुदाई के बाद दोनों झड़ गए,,,, और कुछ देर तक है यु ही लेटे रहे,,,
जब उन दोनों को यह एहसास हुआ कि निर्मला उठने वाली है तो वह लोग तुरंत अपने कपड़ों को व्यवस्थित करके एक दूसरे से थोड़ी दूरी बना कर आंख बंद करके जानबूझकर लेट गए ताकि निर्मला को यह न लगे कि यह दोनों पहले से ही जाग रहे हैं,,,