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Incest एक अधूरी प्यास.... 2 (Completed)

jonny khan

Nawab hai hum .... Mumbaikar
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waiting Rohan bhai
 
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rohnny4545

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शुभम रुचि को उसके मायके छोड़ कर अपने घर आ चुका था। साथ में एक अद्भुत और अमिट एहसास लेकर लौटा था.... उसे भरोसा तो नहीं था कि उसका यह सफर बेहद रोमांच से भरा होगा बड़की इतना भी रोमांच नहीं हुआ लेकिन जो कुछ भी बाथरूम में उसके साथ हुआ था यह सब किसी रोमांच से कम नहीं था और शुभम जैसे लड़के के लिए तो सही मायने में इसी तरह के वाक्ये को ही रोमांच कहते हैं.... वह कभी सोचा भी नहीं था कि रुचि को इस तरह से अपने लंड के दर्शन करा पाएगा हालांकि उसके मन में हमेशा यही बात चलती रहती थी कि वह अपनी मर्दाना ताकत का प्रदर्शन रुचि के आंखों के सामने करें ताकि रुचि पूरी तरह से उसके अधीन हो जाए उसकी दीवानी हो जाए.... और ऐसा हुआ भी था वैसे तो रुचि की शादी को 3 साल गुजर गए थे लेकिन अभी भी उसकी गोद हरि नहीं हो पाई थी इसलिए ऐसा कहना भी ठीक था कि हाथों की मेहंदी का रंग छुटा भी नहीं था कि उसके जेहन में उसके दिलो-दिमाग पर किसी पराए मर्द की छाया पड़ने लगी थी ‌। और वह पराया मर्द कोई और नहीं बल्कि उसका ही पड़ोसी शुभम था। शुभम के साथ वैसे भी वह एकदम साहजिक अनुभव करती थी....
बाथरूम वाले हादसे के बाद से रूचि पूरी तरह से शुभम के आकर्षण में बस गई थी खास करके उसके मजबूत तगड़े लंबे खड़े लंड के आकर्षण में वह अपने मन को पूरी तरह से जोड़ चुकी थी।

शुभम रुचि के मायके से आने के बाद जानबूझकर दो दिन तक सरला से मिलने नहीं गया था क्योंकि वह देखना चाहता था कि वाकई में सरला उसके आकर्षण में बंध चुकी है या नहीं और जैसा कि वह मन में सोच रहा था वैसा ही हुआ था सरला शुभम को 2 दिन से ना देखने की वजह से काफी व्याकुल नजर आ रही थी।और शुभम उसकी क्या कविता को दूर करने का उपाय मन में सोच रखा था और उसी प्लान के मुताबिक वह शाम को सूरज ढलने के समय छत पर पहुंच गया और अपनी टीशर्ट निकाल कर अपनी कमर के ऊपर के अंग को पूरी तरह से निर्वस्त्र कर दिया साथ ही वह एकदम स्किन टाइट लोअर पहन लिया जिसमें उसके आगे का भाग उत्थान स्थिति में ना होने के बावजूद भी काफी गोल नजर आ रहा था । यह शुभम की सोची समझी साजिश थी वह जानबूझकर अपनी स्थिति को इस तरह से कर रहा था कि सरला उसे इस अवस्था में देखकर मंत्रमुग्ध हो जाए क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि औरतों की कमजोर कड़ी मर्दों की मर्दाना ताकत उन की जोड़ी मजबूत छाती और कसरती बदन होता है.... और शुभम को अपनी मजबूत बजाओ पर विश्वास था कि वह अपने अंग प्रदर्शन के जरिए सरला की टांगों के बीच हलचल पैदा करने में कामयाब हो जाएगा... वह अपनी तरफ से पूरी तैयारी कर चुका था ।।।

शाम चलने वाली थी और वह छत पर अपनी पूरी तैयारी के साथ दोनों हाथों में वजनदार डंबल लेकर उससे कसरत करना शुरू कर दिया वह जानता था कि शाम को सरला जरूर छत पर सूखे हुए कपड़े लेने आएगी और तब वह अपने अंग का प्रदर्शन करके उसके तन बदन को झकझोर के रख देगा... वह कसरत करना शुरू कर दिया था और कुछ ही मिनट में उसकी छाती पर पसीने की बूंदें उपसने लगी जो कि मोती के दाने की तरह चमक रही थी... कसरत करते हुए भी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था संध्या बेला की शीतल पवन में भी उसके बदन से पसीना टपक रहा था... वह जानता था कि सरला जैसी उम्रदराज औरत को अपने जाल में फंसना इतना आसान नहीं था इसलिए वह कोई भी कसर बाकी रखना नहीं चाहता था और वह यह भी जानता था कि वह घर में बिल्कुल अकेले हैं और यही सही मौका है उसके घर के दरवाजे खोल कर उसकी टांगों के बीच जगह बनाने के लिए ... और इस कार्य में वह माहिर भी था.... लेकिन फिर भी किसी भी प्रकार की ढील बर्तना नहीं चाहता था....

बार-बार कसरत करते हुए उसकी नजर छत पर चली जा रही थी जहां से सरला आने वाली थी वह मन ही मन में गुदगुदा भी रहा था कि ना जाने कब आएगी.... लेकिन थोड़ी ही देर में उसकी प्रतीक्षा की घड़ी खत्म होने लगी उसकी प्यासी आंखों को सावन भादो की फुहार का आभास होने लगा उसे सीढ़ियों पर सरला के कदमों की आहट महसूस होने लगी और वह पूरी शिद्दत से कसरत करने में जुट गया थोड़ी ही देर में उसकी आंखों के सामने सरला नजर आई... कामवासना भी बेहद अजीब चीज होती है जोकि सरला जैसी उम्रदराज औरत होने के बावजूद भी शुभम के तन बदन में इस समय सरला आग लगा रही थी जवानी के शोले भड़का रही थी... वह चोर नजरों से सरला की तरफ देख रहा था जो की छत पर नजर आने के साथ ही उसकी नजर शुभम पर पड़ी थी लेकिन वह उससे नजरें चुरा कर वापस अपने कसरत कार्य में लग गया वह जानबूझकर सरला को नजरअंदाज कर रहा था और यह बात सरला भी नोटिस कर रही थी वह दूर से ही शुभम को इस तरह से कसरत करता हुआ देखकर और खास करके उसकी नंगी चोड़ी छातियों को देखकर मदहोश होने लगी... उसके अर्ध नग्न बदन को देखा कर वह ठंडि आहहहह भरने लगी..... उसने अभी तक शुभम को इस अवस्था में नहीं देखी थी उसे इस बात का आभास बहुत जल्द हो गया कि कपड़ों के अंदर शुभम और भी ज्यादा गठीला और सेक्सी लगता है। उसकी नंगी छातियों पर उभर रहे पसीने की बूंदों को देखकर उसकी टांगों के बीच की पतली दरार नम होने लगी।

ससससससहहहहहह .... आहहहहहहह ..... यह मुझे क्या हो रहा है यह मैं क्या सोच रही हूं और उसे देख कर मेरे बदन में इस तरह के बदलाव क्यों आने लगते हैं ।(सरला ठंडि आहहहह भरते हुए अपने आप से ही बातें करते हुए बोली.... सरला को अपनी सोच और कल्पना पर पछतावा भी होता था वह अपने आप को मन ही मन भला बुरा भी कहती थी लेकिन शुभम जैसे नौजवान लड़के को अपनी आंखों के सामने देखते ही उसे ना जाने क्या हो जाता था वह एकदम मंत्रमुग्ध हो जाती थी।ना जाने उसे ऐसा क्यों लगने लग रहा था कि वह दौड़ कर जाए और उसे अपने सीने से लगा ले अपनी बड़ी-बड़ी चुचियों को उसकी नंगी छाती पर रगड़ कर अपने प्यासे पन का अहसास उसे कराएं... लेकिन ऐसा करने की हिम्मत उसने बिल्कुल भी नहीं थी उसे भी जमाने का डर था अपनी इज्जत का डर था घर के मान मर्यादा का डर था लेकिन मन के किसी कोने में यह सब को छोड़कर मर्यादा के सारे बंधन तोड़ कर रिश्तेदारी रिश्ते नाते के वास्ते से दूर होकर उसका दिल यही कहता था कि एक बार फिर से शुभम की बाहों में जाकर जिंदगी का मजा ले ले... और यही सोचकर वह अपने कदम धीरे-धीरे आगे बढ़ा रही थी....
वह रस्सी कोई खास से पकड़कर शुभम की तरफ भी देख रही थी वह मन ही मन सोच रही थी कि ना जाने कैसी कशिश कैसी प्यास है जो ना चाहते हुए भी उसकी तरफ बढ़ती चली जा रही है.... एक तरह से वह शुभम के ख्यालों में खोई रहती थी.... बड़े प्यार से देख रही थी कि शुभम कैसे अपनी कट के लिए बदन को इस तरह से मेहनत करके और ज्यादा गठीला और आकर्षक बना रहा है..... शुभम के चेहरे पर आई मासूमियत को देखकर वह अपने आपको पिघलता हुआ महसूस करने लगी उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसकी टांगों के बीच कोई गर्म लावा धीरे-धीरे पिघल कर बाहर आ रहा है। वह शुभम की कल्पना में खोने लगी पल भर में ही उसे ऐसा एहसास होने लगा कि वह अपने घर के अपने कमरे में और अपने ही बिस्तर पर घुटनों के बल बैठकर अपनी बड़ी बड़ी गांड को हवा में किसी दौर की तरह उठाई हुई है और उसके पीछे एक बहादुर सैनिक की तरह शुभम एकदम नग्न अवस्था में खड़ा है और अपने मजबूत लंबे तगड़े लंड को किसी मशाल की तरह हाथ में लेकर लहराते हुए उस तोप के गुलाबी छेद के माफिक मुहाने पर लगा कर तोप को दाग रहा है। सरला की कल्पनाओं का घोड़ा इतनी तेज गति से दौड़ रहा था कि वह चाहकर भी अपने घोड़ों पर काबू कर नहीं पा रही थी। वह शुभम के व्यक्तित्व से इतना ज्यादा प्रभावित हो चुकी थी कि वह कल्पना करते हुए मदहोश होने लगी दूसरी तरफ से बमों से तिरछी नजरों से देख ले रहा था लेकिन जानबूझकर उसे नजरअंदाज कर रहा था और सरला मस्त होती जा रही थी वह कल्पना में अपनी दोनों टांगों को पिलाई अपनी मदमस्त घाटकोपर उठाएं शुभम के द्वारा उसके मोटे तगड़े लंड से चुदने का आनंद लूट रही थी.... उसे ऐसा साफ सा महसूस हो रहा था कि जैसे शुभम वास्तव में उसकी कमर को थाम कर अपने मोटे तगड़े लंड को उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों के बीचो-बीच अंदर की तरफ धकेल रहा है और उसका लंड धीरे-धीरे करके उसकी बुर की गहराई नापना शुरू कर दिया.... और जैसे ही शुभम उसे चोदने की शुरुआत करते हुए पहला करारा झटका मारा वैसे ही सरला लड़खड़ा कर गिरते-गिरते बची तब जाकर वह अपनी कल्पना से बाहर आए और अपने इस कल्पना के बारे में सोच कर ही उसके होठों पर हंसी आ गई लेकिन उसे साफ महसूस हो रहा था कि उसकी पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी....
लेकिन अपनी इस कल्पना को लेकर उसे किसी भी तरह का अपराध बोध और अफसोस नहीं हो रहा था...बल्कि पल भर के लिए इस कल्पना की वजह से उसके तन बदन में एक अद्भुत एक अजीब सा अहसास का रोमांच फैला हुआ था... शुभम के साथ केवल संभोग मात्र की कल्पना करके ही वह एकदम मस्त हो गई थी और वह यह सोच कर तो वह साथ में आसमान में उड़ने लगी थी कि अगर उसकी कल्पना वास्तविकता का रूप लेने तब क्या होगा यही सोचकर वह रोमांचित हुए जा रही थी....
वह धीरे-धीरे रस्सी पर से सूखे कपड़े को उतारने लगी.... वह शुभम की तरफ ही देख रही थी जो कि अभी भी आपने कसरत करने में मस्त था उससे रहा नहीं गया तो वह खुद ही बोली ।




शुभम और शुभम क्या बात है मैं कब से आई हूं तू मेरी तरफ ध्यान ही नहीं दे रहा। (रस्सी पर से सूखे हुए कपड़ों को उतारते हुए बोली।)


माफी चाहूंगा चाची मैं आपसे मुलाकात नहीं कर पाया.... और अभी तो मुझे पता ही नहीं चला कि आप कब छत पर आ गई...(शुभम डंबल को नीचे रखते हुए बोला... वह पूरी तैयारी में था वह डंबल को नीचे रख कर एक बारअपनी स्थिति का जायजा लेते हुए अपनी नजर को पर से नीचे की तरफ घुमाया तो टांगों के बीच की स्थिति कुछ मादक जान पड़ रही थी क्योंकि वहां हल्के हल्के तंबू बनना शुरू हो गया था। और वह अपनी मर्दानगी का जलवा बिखेरने के लिए धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए सरला की तरफ जाने लगा और शुभम को इस तरह से अपनी तरफ आता देखकर उसके दिल में कुछ कुछ होने लगा।)

तू रुचि बहू को उसके मायके छोड़ कर आने के बाद भी मुझसे मुलाकात नहीं किया मुझे यह भी नहीं बताया कि वहां सब कुछ कैसा है....


वही तो बता रहा हूं चाची की वहां में आराम से रुचि भाभी को छोड़ कर आ गया हूं और उनके पिताजी की तबीयत सही है मतलब बीमार है लेकिन ज्यादा बीमार नहीं है इसलिए घबराने वाली कोई बात नहीं है...... (इतना कहते हुए शुभम रस्सी के दूसरे छोर पर दीवार का सहारा लेकर खड़ा हो गया। उसे इस बात का अच्छी तरह से एहसास था कि सरला चोर नजरों से उसकी नंगी जातियों को देख ले रही थी और कभी-कभी उसकी नजर टांगों के बीच भी चली जा रही थी जहां पर अभी कुछ खास तंबू बना हुआ नहीं था लेकिन शायद अच्छे खासे तंबू की उम्मीद सरला को थी ‌।)

चल अच्छा हुआ शुभम कि तू उसको उसके मायके छोड़ आया वरना मुझे लेकर जाना पड़ता सच कहूं तो तेरी वजह से मुझे बहुत आराम मिल जाता है।

चाची जी इसमें तकल्लुफ वाली कोई बात नहीं है। आखिर में पहले भी कहा हूं कि मैं आपकी सेवा में हमेशा हाजिर हुं।(शुभम अपनी बातों के जादू में सरला को पूरी तरह से उलझाने लगा।)


तेरे जैसा लड़का मिलता कहां है आज के जमाने में। जो बिना किसी रिश्ते के इतनी मदद कर सके।

चाची कैसी बात कर रही हो अरे मैं आपको चाची कहता हूं रुचि भाभी को भाभी कहता हूं यह सब रिश्ता तो है.... हां अगर आप यह सब रिश्तेदारी नहीं समझती तो बात कुछ और है।

नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है मुझे मालूम नहीं था कि तू इतना अच्छा लड़का है तेरी संस्कार इतने अच्छे है...

वैसे चाची आपको तकलीफ होती होगी ना अकेले घर का सारा काम करने में। (शुभम इस बहाने से सरला के मन में क्या चल रहा है इस बात की टोह लेने के लिए बोला।)

हां सही कह रहा है तू तकलीफ तो होती है लेकिन क्या करें करना तो पड़ता है ना। (सरला सूखे हुए कपड़ों को पकड़े हुए ही बोली..)

लेकिन जा चीज में एक फायदा है आप घर का सारा काम खुद करती है जो कि आपके शरीर के लिए बहुत ही अच्छा है। (अब शुभम अपना अगला पासा फेंकते हुए बोला जो कि जानता था कि अब सरला को उसका यह फेंका हुआ पासा चारों खाने चित कर देगा...)


क्या बेवजह की बातें कर रहा है मैं काम कर रही हूं और अच्छा है। (सरला शंका जताते हुए बोली)

चाचा जी मैं सच कह रहा हूं यह आपके शरीर के लिए बेहद जरूरी है और बहुत ही अच्छा है।

कैसे?

अच्छा आप सही सही बताओ कि आपकी उम्र कितनी है....

यह कैसा सवाल है....



आप बताइए तो सही आपकी उम्र कितनी है तब मैं बताता हूं.....


हम्मम.... वैसे तो सच कहूं तो तुम्हारी मम्मी से 3 चार साल बड़ी हुं....(वैसे औरतों की हमेशा से यही आदत रही है कि वह हम लोग कभी भी अपनी सही उम्र नहीं बताती और उसी तरह से सरला ने भी यही की थी.)


लेकिन मैं सच कहूं तो चाची आप अभी 35 की लगती हो।
( इतना सुनते ही सरला के मुखारविंद ऊपर शर्म की लाली मचाने लगी और वह मंद मंद मुस्कुराने लगी क्योंकि शुभम की यह बात उसे बहुत अच्छी लगी थी।)

चल तू अब बातें मत बना मैं जानती हूं तू झूठ कह रहा है।


चाची शायद आप एक बात बोल रही हैं कि मैं एक लड़का हूं मतलब एक मर्द एक मर्द के नजरिए से बता रहा हूं कि हम लोगों को क्या अच्छा लगता है।


तू तो ऐसे बोल रहा है जैसे औरतों के बारे में तुझे सब कुछ पता है।

मैं कुछ ज्यादा तो नहीं कहूंगा चाची लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि हम लोगों को क्या अच्छा लगता है यह सिर्फ हम लोग ही जानते हैं। (इतना कहने के साथ शुभम रस्सी पर से सूखे हुए कपड़े उतार कर धीरे धीरे सरला को थमाने लगा)

तो तू क्या जानता है औरतों के बारे में....(सरला शर्म के मारे शुभम से नजरें चुराते हुए बोली)

ज्यादा कुछ तो नहीं जानता लेकिन चाची में इतना जरूर जानता हूं कि हम लोगों को आप जैसी औरत ही सबसे ज्यादा खूबसूरत लगती हैं।....(शुभम रस्सी पर से सूखे कपड़े उतार कर सरला को थमाते हुए बोला।)

क्या तुम सच कह रहा है क्या तुझे और तेरी उम्र के सारे छोकरो को मेरी जैसी औरत अच्छी लगती है...(शुभम के हाथों से कपड़े थाम ते हुए बोली..)

हां चाची में एकदम सही कह रहा हूं तुम्हारी जैसी ही औरत हम जैसे लड़कों की पहली पसंद होती है।


लेकिन ऐसा क्यों ... ‌लड़कियां भी तो है एक से एक खूबसूरत..(सरला शंका जताते हुए बोली...)



यह सब तो मैं नहीं जानता चाचा लेकिन इतना जरुर जानता हूं कि जो कुछ भी मैं कहा वह सत प्रतिशत सही है।


चल तू कहता है तो सही होगा मुझे तुझ पर विश्वास है। लेकिन क्या मैं तुझे अच्छी लगती हुं? (सरला शुभम के ऊपर सीधा सवाल दाग दी शुभम को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि सरला इस तरह के सवाल करेगी लेकिन जैसे वह भी पूरी तरह से हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार था इसलिए सरला की बात सुनते ही बोला ।)

बहुत अच्छी लगती हो चाची....आप मुझे बहुत खूबसूरत लगती हो बहुत सुंदर लगती हो सच कहूं तुम मैंने आज तक आपके जैसी इस उम्र में इतनी खूबसूरत औरत नहीं देखा हूं.....(शुभम के मुंह से अपनी इस तरह की तारीफ सुनकर वह खुशी से गदगद हुए जा रहे थे उसके चेहरे के बदलते भाव देखकर शुभम को उम्मीद होने लगी कि पंछी जाल में फंसने लगा है उसका दाना सही जगह पर गिर रहा है सरला एक जवान लड़के के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर फूली नहीं समा रही थी उसके शरीर में उत्तेजना का असर बड़ी तेजी से हो रहा था उसे अपनी टांगों के बीच की पतली दरार से नमकीन रस बहता हुआ साफ महसूस हो रहा था यह सब उसे सातवें आसमान पर उड़ाए लिए चले जा रहा था.....)


मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि तू मेरी तारीफ कर रहा है।


यह तो आपका बड़प्पन है चाची वरना मैं सही कहूं तो आते-जाते मेरी उम्र के सारे लड़के बस आप ही को देखते रहते हैं....

लेकिन मैंने तो कभी भी इस तरह की कोई भी हरकत महसूस नहीं की।


कैसे करोगी चाची आपने कभी इस बारे में ध्यान ही नहीं दी...मेरी बात का यकीन ना हो तो रास्ते पर चलते समय अपने चारों बाजू नजर घुमा कर देखना कि किसकी नजर आपके ऊपर टिकी रहती हैं....
(शुभम ने अपनी है बात पक्के तौर पर डंके की चोट पर कहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि सरला चाची की गांड बहुत बड़ी-बड़ी और गोल गोल है और जब वो चलती है तो एक मदमस्त हिल्टन उनके बड़े-बड़े नितंबों में होती है और यही वजह है कि जवान हो या बुरे सब की नजर इस तरह की औरतों पे पड़ती रहती है। उसकी खुद की नजर सरला के पिछवाड़े पर हमेशा टिकी रहती है।सरला तो एक जवान लड़के के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर पूरी तरह से उत्तेजना में सरोवर होने लगी उसके चेहरे पर छाई नानी मां साफ बयां कर रही थी कि इस समय उसकी टांगों के बीच हलचल मची हुई है। सरला मारे शर्म के पानी पानी हुई जा रही थी। और पति उत्तेजक बदला शुभम के बदन में भी हो रहा था क्योंकि उसके लोअर में अच्छा-खासा तंबू बन चुका था जिस पर सरला की चोर नजर बार-बार चली जा रही थी और उस जगह को देखकर उसका दिल जोरों से धड़क रहा था। शुभम की बातें सुनकर सरला शर्म के मारे एकदम चुप्पी साध ली थी .... उसके मुंह से एक भी शब्द फूट नहीं रहे थे.... शुभम जोकि कई औरतों की संगत में आ चुका था इसलिए सरला के चेहरे पर बदलते भाव को वाशी तरह से समझ रहा था शुभम की प्रसन्नता का कोई ठिकाना ना था उसका मन हर्षोल्लास में उत्तेजित हुआ जा रहा था वह चाहता तो इसी समय सरला को अपनी बाहों में लेकर उसके गुलाबी होठों का चुंबन कर सकता था और इससे ज्यादा भी आगे बढ़कर वह शायद सरला से संभोग सुख भी हो सकता था लेकिन शायद यह उचित समय नहीं था इसलिए वह अपने आप पर सब्र करके रुक गया सरला की हालत खराब हो जा रहे थे वहां अपनी नजरें शुभम से बचा रही थी...वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उम्र के इस पड़ाव पर आकर एक जवान लड़का उसकी इस तरह की तारीफ करेगा जबकि वह लड़का उसके ही लड़के की उम्र का था.... लेकिन जो कुछ भी हो रहा था उसी से सरला को किसी भी प्रकार का एतराज नहीं था बल्कि उसे तो यह सब बातों का एहसास ही किसी और दुनिया में लिए जा रहा था उसे सब कुछ अच्छा लग रहा था।
सरला के साथ-साथ शुभम की सांसो की गति तेज होती जा रही थी....
शुभम सरला की तरफ देखते हुए रस्सी पर से सूखे हुए कपड़े उतारकर सरला को थमाते जा रहा था ।
और कपड़ों को उतारते समय उसके मन में उम्मीद बनी हुई थी कि जिस तरह से वार रूचि किस तरह से मदद करते हुए उसकी ब्रा और पेंटी तक पहुंच गया था अगर किस्मत अच्छी हुई तो आज उसके हाथों सरला की भी ब्रा और पेंटी हाथ लग जाएगी इसी उम्मीद में वह कपड़े उतारता जा रहा था। ...
सरला एकदम शर्मसार हुए जा रही थी क्योंकि बार-बार उसकी नजरें शुभम के तने हुए तंबू पर चली जा रही थी ... और उस तंबू की ऊंचाई को देखकर उसकी टांगों के बीच की हलचल बढ़ती जा रही थी उसकी जांघों में थरथराहट पैदा हो रही थी। क्योंकि अनजाने में ही उसके हाथ में आए शुभम के लंड की वजह से इतना तो समझ ही गई थी कि शुभम के टांगों के बीच का हथियार एकदम दमदार है। उसके लोहार में तने हुए लंड की कल्पना ही उसकी बुर को पूरी तरह से पनिया रही थी।
कुछ पल के लिए दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी दूर आसमान में सूरज अपनी लालिमा लिए जमीन में समाने के लिए तैयार था छत पर अंधेरा होने लगा था लेकिन इतना भी अंधेरा नहीं था कि सरला कुछ देख ना पाए एक तो कमर के ऊपर का शुभम का नौजवान नंगा बदन और ऊपर से लोअर में तना हुआ उसका तंबू अजीब सा हलचल मचाए हुए था....
शुभम इसी उम्मीद में रस्सी पर से कपड़े उतारे जा रहा था कि सरला की ब्रा पेंटी उसके हाथ लग जाएगी और जैसा कि उसे उम्मीद थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी मनोकामना पूरी होने लगी और जैसे ही वह साड़ी को रस्सी पर से उतारा उसके नीचे सूखने के लिए रखी हुई ब्रा और पेंटी नीचे गिर गई और शुभम तुरंत नीचे की तरफ लपक कर सरला की ब्रा और पेंटी उठा लिया।


उसके हाथों में सरला की ब्रा और पेंटी आ गई थी जिसे वह अपने हाथों में लेकर एक पल के लिए उसे चारों तरफ घुमा कर देखने लगा सरला यह देखकर एकदम शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी क्योंकि उसकी ब्रा और पेंटी एक नौजवान लड़की के हाथ लग गई थी जिसे वह चारों तरफ से देख रहा था एक अजीब सी उत्सुकता और उत्तेजना का अनुभव सरला को हो रहा था उसके दिल की धड़कने बढ़ने लगी थी साथ ही उसके छातियों का घेराव सांसो की गति के साथ ऊपर नीचे हो रहा था ।उत्तेजना के मारे सरला का गला सूखता जा रहा था और यही हाल शुभम का भी हो रहा था उसका सपना उसकी उम्मीद सच हो गई थी उसकी हाथों में सरला की ब्रा और पेंटी आ गई थी जिसे हाथों में लेकर वह काफी उत्साहित और उत्तेजित नजर आ रहा था जिसका हलचल उसे अपनी टांगों के बीच बराबर हो रहा था। ऐसा लग रहा था कि जवानी से भरी सरला की ब्रा और पेंटी को देखकर उसके नौजवान मर्दाना लंड ने सरला की जवानी रूपी ब्रा और पेंटी को सलामी भरी हो इस तरह से ऊपर नीचे होने लगा.... शुभम को तो समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे और कैसे उसकी ब्रा और पेंटी को उसके हाथों में थमाए उसके मुंह से शब्द नहीं फूट रहे थे... फिर भी हिम्मत दिखाते हुए वह सरला से बोला।

चचचचच.... चाची यह आपके हैं....? (शुभम हकलाते हुए बोला।)


सरला छठ से शुभम के यहां तो से अपनी ब्रा और पेंटी ले ली और शर्मा कर मुस्कुराते हुए बोली।


नहीं तो और किसके होंगे मेरे ही हैं....(इतना कहते-कहते उसका गला सूखने लगा....)


लेकिन चाची आप बुरा ना माने तो एक बात कहूं।

बोल ......( सरला शर्म के मारे दूसरी तरफ मुंह करके बोली)

चाची आप की पेंटी में छेद हो गया है। (शुभम सोचे समझे बिना हिम्मत दिखाते हुए एकदम बेशर्म बनकर धड़ाक से बोल दिया....सरला तो यह सुनकर एकदम शर्म से पानी पानी हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहें लेकिन जिंदगी में पहली बार उसे इस तरह से किसी ने उसकी पेंटिंग में पड़े छेद के बारे में खुले शब्दों में बोला था और ऐसे भी कोई बोल कहां पाता जब कोई देखेगा तभी ना कहेगा .... और देखने वाला कौन था उसका पति जो कि इस समय दुनिया में नहीं था उसे उम्मीद नहीं थी कि कल का छोकरा उसकी पेंटी के बारे में इतनी बड़ी बात और वह भी एकदम बेझिझक बोल जाएगा.... लेकिन उसकी बात सुनकर पल भर में ही सरला की उत्तेजना बढ़ गई... उसकी जांघों के बीच हरदम आउट होने लगी उत्तेजना का इतना जबरदस्त अनुभव उसने आज तक नहीं की थी उसे अपनी पेंटी पूरी तरह से गीली होती हुई महसूस होने लगी... अपने आप को संभालते हुए वह शुभम के सवाल का जवाब देते हुए बोली...


हां मेरी पेंटिं में छेद है लेकिन क्या करूं मैं कभी बाजार खरीदने गई अगर ऐसा है तो तो क्यों खरीद कर नहीं ले कर दे देता....(सरला शुभम से यह बात नजरें चुराकर लेकिन मंद मंद मुस्कुराते हुए बोली...)


मै खरीद कर ला तो दू लेकिन मुझे साइज नहीं मालुम....(शुभम बड़ी मासूमियत के साथ बोला..)


तुझे तो औरतों के बारे में सब कुछ पता है तो मेरी साइज के बारे में भी तुझे पता ही होगा लाकर दे दे (इतना कहकर वो वहां से मुस्कुराते हुए नीचे चली गई। शुभम तो सरला की यह बात सुनकर एकदम से गनगना गया... वहअपने खड़े लंड को लोगों के ऊपर से ही मचलता हुआ सरला को गांड मटका कर जाते हुए देखता रह गया उसकी मुस्कुराहट देखकर इतना तो समझ गया था कि जो कुछ भी वह बोला था इसे सरला को जरा भी बुरा नहीं लगा था बल्कि जिस तरह से वह बातें कर रही थी वह साफ समझ गया था कि उसकी बातें सरला को अच्छी लगी थी।।
शुभम का काम बन चुका था और वह वापस अपनी छत पर आ गया।
 

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अपडेट की प्रतिक्षा है दोस्त
 
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