शुभम का मोटा तगड़ा लंड किसी मुसल की तरह ओखलीनुमा बुर में बार-बार बज रहा था। निर्मला की मखमली बुर मोटे तगड़े लंड को अंदर लेने की वजह से काफी फैल चुकी थी जिसका आकार एकदम जीरो की शेप में हो गया
nice update bro.waiting for nextसरला का दिल जोरों से धड़क रहा था वह अपने कमरे में अपने बिस्तर पर शुभम के दिए हुए गिफ्ट के पैकेट को हाथों में लेकर इधर-उधर घुमाते हुए उसे देख रही थी। वैसे भी सरला अब 2 दिन से लेट में ही उठती थी क्योंकि वैसे भी घर पर कुछ ज्यादा काम नहीं रहता था इसलिए वह आराम ही करती थी... उसके दिल की धड़कन बहुत तेजी से चल रही थी मन में अजीब अजीब से ख्याल आ रहे थे ... उसका मन उत्सुकता से घिरा हुआ था... उसे पक्का यकीन तो नहीं था कि शुभम ने उसे गिफ्ट के पैकेट में क्या दे कर के आए लेकिन उसकी अंतरात्मा बार-बार उसे कह रही थी कि उसके अंदर ब्रा और पेंटी है क्योंकि जिस हिम्मत के साथ वह अपने हाथों में उसकी ब्रा पेंटी लेकर उसे पेंटी के छेद के बारे में बोला था उसकी हिम्मत को देखते हुए उसे अंदर ही अंदर ना जाने क्यों विश्वास हो रहा था कि हो ना हो सुभम उसके लिए ब्रा और पैंटी ही लाया है.... लेकिन फिर उसके मन में यह ख्याल आता था कि ऐसा तो शुभमबिल्कुल भी नहीं है .. जहां तक कुछ दिनों में वह शुभम के बारे में जानती थी उसे ऐसा लगता था कि जिस तरह का वह सोच रही है ऐसा बिल्कुल भी नहीं है वह गिफ्ट में एक औरत के अंतर्वस्त्र को नहीं दे सकता.... लेकिन फिर भी ऐसा मन में ख्याल आते हैं ना जाने क्यों अपने इस ख्याल को वह खुद ही झूठ लाने की कोशिश कर दी थी क्योंकि अंदर ही अंदर वह यही चाहती थी कि शुभम उसे ब्रा और पेंटी ही गिफ्ट में पैक करके दिया हो।
अपनी ख्याल और भावनाओं पर उसे बिल्कुल भी सब्र और विश्वास नहीं हो रहा था अपने दिल की धड़कनों को दुरुस्त करते हुए वह गिफ्ट वाले पैकेट को खोलना शुरू कर दी.... दिल की धड़कन बड़ी तेजी से चल रही थी मानो बेलगाम घोड़ा दौड़ रहा हूं और उसके टापो की आवाज पूरे बदन में गूंज रही हो.... उत्तेजना के मारे सरला का गला सूखते जा रहा था टांगों के बीच मुलायम अंग पर उत्तेजना अपना असर दिखा रहा था.... उम्र के इस पड़ाव पर आकर सरला इतनी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव पहली बार कर रही थी उसे तो बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था कि उसके बदन में इस तरह के बदलाव आएंगे और वह भी इस उम्र में लेकिन अपनी इस बदलाव की वजह से वह काफी खुश और उत्तेजित नजर आ रही थी। धीरे-धीरे सर गाने पैकेट के ऊपर वाला रेपर खोलकर उसे फेंक दी... चेहरा सुर्ख लाल होने लगा था शर्म की लालीमा पूरे चेहरे पर छाने लगी थी बानो दूर आसमान में सूरज अपनी रंग बिरंगी लालिमा लिए नीचे जमीन में धंसता चला जा रहा हो... आखिरकार सब्र की घड़ी खत्म हो गई उसका मन जो कह रहा था वही हुआ गिफ्ट वाला पैकेट खुल चुका था और सरला पैकेट के अंदर अपने लिए लाए गए अंतर्वस्त्र को देखकर पूरी तरह से उत्तेजना में भर गई उसे साफ महसूस हो रहा था कि उसकी बुर कचोरी की तरह फूल चुकी है और जिस तरह से कचोरी में बीच में से तोड़कर उसमें चटनी डाली जाती है उसी तरह से सरला की बुर में से जो की कचोरी जैसी फूली हुई थी उसमें से मदन रस की चटनी बाहर निकल रही थी वह पूरी तरह से काम होते जना में सरोवर हो चुकी थी वह पैकेट में से अपने लिए लाए गए अंतर्वस्त्र को हाथ में उठा कर इधर-उधर करके देखने लगी उसके चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी और खुशी से ज्यादा उसके चेहरे पर उत्तेजना के असर नजर आ रहे थे...
शुभम की हिम्मत देखकर ना जाने क्यों शुभम पर उसे गर्व होने लगा...वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसके बेटे की उम्र का लड़का उसके लिए बेझिझक ब्रा और पेंटी लेकर आएगा... वह घर में पूरी तरह से अकेली थी इसलिए अपने लिए लाई गई ब्रा पेंटी को पैकेट में से निकालकर वह अपने दोनों हाथों में लेकर उसे घुमाते हुए देखने लगी वह काफी खुश नजर आ रही थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि इस तरह का गिफ्ट बरसों के बाद उसे मिला था।ब्रा और पेंटी की दोनों जोड़ियां उसे बेहद जच रही थी वह काफी उत्साहित नजर आ रही थी।
लेकिन उससे भी ज्यादा वह काफी कामोत्तेजना में डूबती हुई नजर आ रही थी उसे साफ महसूस हो रहा था कि उसकी फटी हुई पैंटी उसकी बुर से निकले मदन रस में पूरी तरह से गीली हो रही थी....
अपनी बुर का रिसाव उसे खुद बेचैन बना रहा था वह अपना हाथ कपड़े के ऊपर से अपनी बुर पर रखकर अपने गीले पन का जायजा ले रही थी....
वह शुभम को मन ही मन धन्यवाद देकर घर के काम में जुट गई वह काफी उत्साहित ही नहाने के लिए क्योंकि आज बरसों के बाद वह अपने बदन पर नई ब्रा और पेंटी पहनने वाली थी और वह भी उस ब्रा पेंटी को जिसे शुभम ने उसके लिए गिफ्ट के तरीके से ले आया था। एक उम्रदराज औरत के लिए इसे ज्यादा सुख की बात क्या हो सकती है कि उसके बेटे की उम्र का लड़का उसका दीवाना हो गया है...और जिसकी दीवानगी मे वह खुद को पिघलता हुआ महसूस कर रही है.... वह जल्दी जल्दी घर के काम निपटाने मैं लग गई लेकिन फिर भी आज उसे घर की सफाई करनी थी इसलिए थोड़ा समय हो गया.... लेकिन फिर भी घर की सफाई नहीं हो पा रही थी आखिरकार अकेले वह कितना साफ सफाई कर पाती एक तो उसे शुभम के द्वारा लाई गई ब्रा पेंटी पहन कर महसूस करना था कि वह कैसी है लग रही है और ऊपर से यह घर का काम.....
दूसरी तरफ शुभम ना चाहते हुए भी अपनी मां का काम रूप देखकर पूरी तरह से वासना में लिप्त होकर रसोई घर में अपनी मां की जबरदस्त चुदाई करके एकदम तृप्त हो चुका था .... और खाना खाकर अपने कमरे में आराम कर रहा था लेकिन आज उसे भी चैन नहीं पड़ रहा था बार-बार उस सरला उसकी आंखों के सामने नजर आ जा रही थी बार-बार उसकी मटकती हुई गांड उसे परेशान कर रही थी.... वैसे भी उसे अपना रास्ता साफ नजर आ रहा था क्योंकि जिस तरह से वह शाम के वक्त छत पर उससे बात किया था और उसकी अश्लील बात पर भी जिस तरह से सरला मुस्कुराई थी। शुभम को उसकी मुस्कुराहट से हिम्मत बंधी थी तभी तो वह उसके लिए ब्रा और पेंटी लाकर उसे गिफ्ट किया था अब उसे यह देखना था कि उसके द्वारा लाई गई ब्रा पेंटी सरला पहनती है या नहीं... यही बात सोच कर उसके मन में अजीब सी कशमकश चल रहे थे और साथ ही उत्सुकता बढ़ती जा रही थी वह अपने कमरे में बिस्तर पर करवटें बदल रहा था... वह मन में सोच रहा था कि समय सरला के घर में कोई नहीं है अगर किस्मत मेहरबान रही तो उसका काम बन जाएगा और अगर एक बार काम बन गया तो पड़ोस में ही चोदने के लिए एक औरत और मिल जाएगी... वैसे भी शुभम को अपनी मर्दाना ताकत पर और अपने लंड पर गले तक विश्वास था वह अच्छी तरह से जानता था कि अगर उसका लंड किसी भी औरत की बुर में एक बार चला गया तो वह औरत उसकी दीवानी हो जाती है... और वही ताकत वह सरला पर आजमाना चाहता था... एक तो बरसों से प्यासी और पूरे घर में एकदम अकेली हो ना हो उसका काम जरूर बन जाएगा.....
शुभम दीवार पर टंगी घड़ी की तरफ देखा तो 2:00 बजने वाले थे दोपहर का समय हो रहा था और ऊपर से गर्मी उसे मालूम था कि इस समय छुट्टी और गर्मी के असर में सब लोग अपने अपने घर में ठंडी ऐसी की हवा ले रहे होंगे वैसे तो वह भी अपने कमरे में ठंडी हवा का आनंद लूट रहा था लेकिन जहां जवानी जोश मार रही हो वहां इस तरह का आराम हराम होता है इसलिए वह अपनी जवानी का जोश ठंडा करने के लिए अपने कमरे में से बाहर आ गया और अपनी मां के कमरे की तरफ़ देखा तो दरवाजा बंद था वह समझ गया कि उसकी मां सो रही है और वैसे भी रसोई घर में जिस तरह की जबरदस्त चुदाई उसने अपनी मां की किया था उससे साफ लगता था कि वह पूरी तरह से तृप्त होकर नींद की आगोश में चली गई है। शुभम निश्चिंत होकर अपने घर से बाहर आ गया और वह सरला के घर की तरफ कदम बढ़ा दिया जो कि उसके घर से महज दो कदम ही दूरी पर थे... वह दरवाजे पर खड़ा होकर घर की बेल बजाता इससे पहले ही उसे आभास हो गया कि दरवाजा खुला हुआ है जोकि सरला जल्दबाजी में लॉक करना भूल गई थी.... यह बात शुभम अच्छी तरह से जानता था कि सरला इस समय घर पर बिल्कुल अकेली है और जरूर उसने उसका दिया हुआ पैकेट खोलकर देखी होगी और अंदर अपने लिए ब्रा पेंटी देखकर उसके मन में अजीब अजीब से ख्याल आए होंगे यह सब बातें सोचकर शुभम की हालत पतली हो जा रही थी उसके मन में उत्सुकता बढ़ती जा रही थी कि उसके लाए पैकेट के बारे में सरला क्या प्रतिक्रिया देती है... वह धड़कते दिल के साथ घर में प्रवेश किया और दरवाजे को वापस बंद कर दिया वह आवाज देकर सरला को अपने आने की खबर देना चाहता था लेकिन उसका शैतानी दिमाग कुछ और करने के मूड में था वह देखना चाहता था कि इस तरह से दरवाजा खुला छोड़ कर सरला आखिरकार घर में कर क्या रही है... और वह दबे पांव सरला के कमरे की तरफ जाने लगा जो कि वह पहले भी इस घर में आकर इतना तो जान ही गया था कि किस का कमरा कहां पर है।
दूसरी तरफ सरला नई ब्रा और पेंटी पाने की खुशी में जल्दी-जल्दी बाथरूम में घुस गई और यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि घर में उसके सिवा कोई भी नहीं है इसलिए निश्चिंत होकर वो दरवाजा खुला छोड़ दी... और आनन-फानन में अपने सारे वस्त्र उतारकर संपूर्ण रूप से एकदम नंगी हो गई... हालांकि ऐसा पहले कभी होता नहीं था कि सरला अपने सारे वस्त्र उतारकर पूरी नंगी होकर नहाए..
लेकिन शुभम के मिलने के बाद से उसके हालात और मिजाज दोनों बदल चुके थे वह बाथरूम में जाते ही अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो चुकी थी... एक बार अपने नंगे पन देख कर उसकी खुद की आंखों में शर्म तैरने लगी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह एकदम नंगी हो चुकी है .. उसके बड़े बड़े दूध एकदम पपैया के फल की तरह लग रहे थे। पेट हल्का सा बाहर निकला हुआ था जिससे उसका बदन भद्दा नहीं बल्कि और भी ज्यादा कामुक लगता था। एक तरफ सरला निश्चिंत होकर संपूर्ण व्यवस्था में बाथरूम में घुसी हुई थी और वह भी बाथरूम का दरवाजा खुला छोड़ कर... और दूसरी तरफ शुभम अपने मचलते मन पर काबू ना पा सकने की वजह से सरला के घर में प्रवेश कर चुका था और चोरी छुपे उसे देखने की फिराक में था... उसका दिल भी जोरों से धड़क रहा था वह चोर कदमों से सरला के कमरे की तरफ आगे बढ़ रहा था वह यह सोच रहा था कि उस दिन जैसा आज भी देखने का मौका मिल जाए तो उसका यू चोरी-छिपे आना सफल हो जाएगा...
उसकी उम्मीद के मुताबिक कमरे का दरवाजा खुला हुआ था। शुभम का दिल जोरों से धड़क रहा था किस बात का ज्ञान उसे अच्छी तरह से था कि एक अकेली औरत और वह भी उसके मन में जब शारीरिक संसर्ग की कामना जागरूक हो रही हो ऐसे हालात में औरत अकेले कमरे में अस्त-व्यस्त हालत में होती ही है और यही सोचकर वह सरला के कमरे में चोरी से नजर घुमाया तो कमरे में कोई भी नहीं था कमरे में सरला को ना पाकर वह थोड़ा बेचैन हो गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार सरला कहां है? वह फिर से धीरे-धीरे सीढ़ियां उतरने लगा कि तभी उसे शावर की आवाज सुनाई दी... सांवर की आवाज कानों में पढ़ते ही शुभम समझ गया कि जरूर वह बाथरूम में नहा रही होगी.... यह ख्याल मन में आते ही सरला को चोरी चोरी देखने की उत्सुकता मन में बढ़ने लगी... क्योंकि अभी तक वह सरला को कपड़ों में ही देखते हैं आया था एक बार नसीब का तेज होने की वजह से कमरे में यूं ही जाते समय कमर के ऊपर का नग्न बदन उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां देखने का शुभ अवसर उसे प्राप्त हो चुका था... लेकिन अब उसके मन में सरला को पूरी नंगी देखने की इच्छा जागने लगी थी और अपनी यही इच्छा के तहत वह दबे पांव बाथरूम की तरफ आगे बढ़ने लगा ... लेकिन उसके मन में शंका जाग रही थी कि अगर बाथरूम का दरवाजा बंद हुआ तो उसके सारे किए कराए पर पानी फिर जाएगा लेकिन फिर भी मन में आखिरी उम्मीद लिए वह बाथरूम की तरफ आगे बढ़ने लगा जहां से सावर की आवाज तेज होती जा रही थी. वह पूरी तरह से निश्चित था क्योंकि घर में उस पर किसी की नजर पड़ जाए ऐसे हालात बिल्कुल भी नहीं थे क्योंकि इस समय घर में उसके और सरला के सिवा तीसरा कोई भी नहीं था.... इसलिए वह थोड़ा बहुत निश्चिंत था। उसको दिल जोरों से धड़क रहा था ।
धीरे-धीरे चोर कदमों से चलते हुए वह बाथरूम के एकदम करीब पहुंच गया वह किसी भी प्रकार का आहट नहीं करना चाहता था जिससे सरला को इस बात का आभास हो कि बाथरूम के बाहर कोई है क्योंकि वह चोरी-छिपे सब कुछ देखना चाहता था।
शुभम की नसीब बहुत तेज थी क्योंकि जैसे ही हो बाथरूम के दरवाजे पर पहुंचा दो दरवाजा हल्का सा खुला नजर आया जिससे शुभम का मन प्रसन्नता से भर गया..... उसकी आंखों में चमक नजर आने लगी वह हल्के से दरवाजा को थोड़ा सा और खोलकर अंदर की तरफ नजर घुमाया तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई... उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था लेकिन जिस तरह से उसके मन में यह इच्छा प्रबल होती जा रही थी सरला को नंगी देखने की शायद यह उसकी महत्वाकांक्षा का ही नतीजा था कि उसकी कल्पना उसका सपना सच होता नजर आ रहा था .... बाथरूम के अंदर का दृश्य बेहद उत्तेजना आत्मक था.... 8 बाय 10 के लंबे चौड़े बाथरूम में जोकि सारी सुख-सुविधाओं की वस्तुओं से संपन्न था जिसकी चिकनी टाइल्स पूरे बाथरूम को सुशोभित कर रही थी ऐसे में उस बाथरूम की शोभा बढ़ाते हुए अंदर का नजारा ही कुछ बेहद कामोत्तेजना वाला था। और ऐसे शोभायमान बाथरूम क्यों शोभा तब और ज्यादा बढ़ जाती है जब उसमें नहाने वाला शख्सियत बेहद खूबसूरत और मादक बदन वाला हो और कुछ ऐसा ही नजारा शुभम को अपनी आंखों से नजर आ रहा था बाथरूम में सरला संपूर्ण रूप से निर्वस्त्र एकदम नंगी होकर बाथरूम की शोभा बढ़ा रही थी या यूं कह लो कि सरला की वजह से ही बाथरूम की शोभा बढ़ रही थी....
शुभम की तो सांस ही अटक गई उसके दिलो-दिमाग पर कुछ ऐसा ही नजारा छाया हुआ था लेकिन उसे इतनी भी उम्मीद नहीं थी कि उसे इस तरह का नजारा देखने को मिल जाएगा लेकिन उसे उम्मीद से दुगना मिला था वह अपनी आंखों से सरला को एकदम नंगी देख रहा था अर्धनग्न अवस्था में तो बहुत पहले ही देख चुका था लेकिन आज बिना वस्त्र के सरला को देखकर एकदम कामोत्तेजना से भर गया....सुबह में अब तक अपनी जिंदगी में बहुत सी औरतों को एकदम नंगी देख चुका था लेकिन सरला की बात कुछ और थी क्योंकि उन औरतों में से सरला की उम्र लगभग 5 या 7 साल कुछ ज्यादा ही थी इसलिए सरला के खूबसूरत नंगे बदन का आकर्षण उसके तन बदन को झकझोर के रख दे रहा था... कपड़ों के ऊपर से ही सरला के बदन की तो हो लेकर वहअपने बदन की गर्मी को अपने हाथों से कई बार शांत कर चुका था लेकिन आज उसकी आंखों के सामने इस समय उसके सपनों की रानी खड़ी थी और वह भी संपूर्ण निर्वस्त्र अवस्था में सागर का पानी उसके सर से लेकर पांव तक उसके चिकने बदन पर फिसलता हुआ गिर रहा था.... इस समय सरला सर से लेकर पांव तक ठंडे पानी की फुहार में एकदम भीगी हुई थी एकदम गोरी होने के कारण वह बेहद खूबसूरत लग रही थी उसके बदन का कटाव अभी भी बरकरार था हालांकि वजन थोडा ज्यादा था और हल्का सा पेट भी निकला हुआ था लेकिन इन सबके बावजूद भी उसकी मादकता में किसी भी प्रकार की कमी नहीं आई थी...
शुभम उसे देखा तो देखता ही रह गया शावर के ठंडे ठंडे फुहारों में वह नहाने का पूरी तरह से आनंद ले रही थी उसके पापा या जैसे बड़े-बड़े चूचीयो पर पानी मोतियों के दाने की तरह फिसल रहा था। सरला की बड़ी-बड़ी चुचियों को देखकर शुभम के मुंह में पानी आ गया ऐसा लग रहा था कि जैसे एक विशाल वृक्ष में आम का बड़ा बड़ा फल लगा हो।शुभम उत्तेजना में सरोवर हुआ जा रहा था उसका गला सूखता जा रहा था और वह अपने थूक से अपने गले को गिला करने की कोशिश करता हुआ बाथरूम के अंदर के नजारे का चोरी-छिपे बेहद आनंद लूट रहा था...
बाथरूम के अंदर का नजारा देखकर शुभम को लंड किसी लोहे के रोड की तरह एकदम कड़क हो गया था शुभम की नजर सरला के नंगे बदन पर ऊपर से नीचे की तरफ जहां तक हो सकती थी वहां तक पहुंचने की कोशिश कर रही थी मोटी मोटी जांघों के बीच की उसकी पतली दरार बेहद सुहावनी लग रही थी जो कि बेहद हल्की-हल्की ही दिख रही थी उस पर घुंघराले बालों का झुरमुट लगा हुआ था। शुभम यह नजारा देखकर एकदम उत्तेजना से भर गया और पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को पकड़ कर मसलने लगा.... सरला इस बात से अनजान की इस उम्र में भी वह किसी जवान लड़के के लंड को खड़ा कर सकती है वह नहाने में पूरी तरह से मशगुल थी।
शुभम की निगाह बार बार सरला की मोटी मोटी केले के समान चिकनी जांघों के बीच की उस पतली दरार पर चली जा रही थी जहां पर दुनिया का सारा सुख छिपा हुआ था। उस जगह को देखकर शुभम के मुंह में पानी आ रहा था और साथ ही उसके लंड में से भी पानी की दो बूंदे टपक गई.... सरला नहाने में मस्त होते जा रही थी लेकिन तभी सरला की हरकत को देखकर शुभम एकदम से चौक गया क्योंकि वह अपने दोनों हाथों से अपने बड़े बड़े पपैया जैसे चुचियों को दबाना शुरू कर दी थी। यह नजारे को देखकर ही शुभम को अपनी मंजिल करीब लगने लगी वह समझ गया कि सरला बेहद प्यासी औरत है... और इसे इस समय मोटे तगड़े लंड की जरूरत है ।बाथरूम के अंदर के नजारे को देखकर शुभम को लगने लगा कि आज उसकी मनोकामना जरूर पूरी हो जाएगी। सरला शावर के नीचे मस्त होते हुए अपनी बड़ी-बड़ी दोनों चुचियों को दबाते हुए स्तन मर्दन का मजा ले रही थी।.... उत्तेजना के मारे शुभम की सांसो की गति एकदम तेज हो गई थी उसकी इच्छा तो हो रही थी कि अभी बाथरूम का दरवाजा खोलकर अंदर चला जाए और अपने मोटे तगड़े लंड को उसकी बुर में डालकर उसकी सारी गर्मी निकाल दे लेकिन वह ऐसा नहीं करना चाहता था क्योंकि वह धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहता था और वैसे भी सरला की हरकत को देखकर उसे इतना तो समझ में आ गया था कि सरला को मोटे तगड़े लंड की जरूरत है और जिस तरह से वह उसके साथ बर्ताव कर रही थी उससे साफ जाहिर था कि अब उसका काम बनने वाला है।
ऐसा लग रहा था मानो बाथरूम के अंदर कोई पोर्न मूवी चल रही हो समय जैसे थम सा गया था शुभम की आंख एकदम स्थिर होकर बाथरूम के अंदर के नजारे पर जम सी गई थी शिवम की हालत अब और ज्यादा खराब हो गई जब सरला एक हाथ से अपनी चूची था मैं दूसरे हाथ से अपनी मखमली बुर को मसलना शुरू कर दी... यह नजारा देखकर तो शुभम एकदम से गनगना गया। शुभम उत्तेजना के मारे पसीने से तरबतर हो चुका था वह पूरी तरह से मदहोश हो गया था और उससे भी ज्यादा मदहोशी के आलम में सरला खोने लगी थी.... वाकई में इस समय बाथरूम में अगर उसके साथ कोई मर्द होता तो वह अब तक उसके लंड को अपनी बुर में ले ली होती। उम्र के इस पड़ाव पर एक औरत इतनी ज्यादा चुदवासी हो जाएगी शुभम यह पहली बार अपनी आंखों से देख रहा था... और सरला के बर्ताव में आए इस तरह के जबरदस्त बदलाव का कारण भी शुभम ही था। तभी सरला बाथरूम की दीवार की तरफ अपना मुंह करके घूम गई जिसकी वजह से शुभम की आंखों के सामने सरला की बड़ी-बड़ी गांड मटकने लगी... यह नजारा देखकर तो शुभम की सांस अटकने जैसी हो गई क्योंकि औरतों की बड़ी बड़ी गांड शुभम की सबसे बड़ी कमजोरी थी।
अब माहौल इस तरह का बन गया था कि मानो ऐसा लग रहा था की सलाह नहा रही नहीं है बल्कि शुभम को अपनी मदहोश जवानी के रंग में डूबो रहि है....शुभम कैलेंडर में रक्त का प्रवाह बड़ी तेजी से हो रहा था उसे अपने लंड में दर्द महसूस होने लगा था सरला की मदहोश कर देने वाली जवानी शुभम के दिल पर हथौड़े से वार कर रही थी उससे सब्र नहीं हो रहा था उसकी इच्छा यही हो रही थी कि इसी समय बाथरूम में घुस जाए और सरला की मदहोश जवानी में डूब जाए लेकिन ऐसा कर सकने में अभी वह असमर्थ था। सरला नहा चुके थे इसलिए सुबह का वहां रुकना ठीक नहीं था और वह चुपचाप आकर ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठ गया और वहां पर सरला के बाहर आने का इंतजार करने लगा।